देश
राष्ट्रीय पेंशन योजना की बचत में टैक्स छूट देगी सरकार
26 Jan, 2024 09:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । केंद्र सरकार राष्ट्रीय पेंशन योजना एनपीएस को बेहतर बनाने का प्रयास कर रही है। ताकि सरकारी कर्मचारी भी इसे स्वीकार करे। अन्य लोगों को भी इसका लाभ मिले।
केंद्र सरकार 1 फरवरी को जो अंतरिम बजट पेश करने जा रही है। उसमें सरकार इस तरीके की कोई घोषणा कर सकती है। 75 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के वरिष्ठ नागरिकों के लिए उनके योगदान और निकासी पर छूट सीमा को बढ़ाया जा सकता है।
केंद्र सरकार राष्ट्रीय पेंशन योजना को बढ़ावा मिले। दीर्घकालीन बचत की आदत बढ़े। अधिक ब्याज और अधिक पेंशन के लाभ से 75 वर्ष से अधिक के वरिष्ठ नागरिकों को ज्यादा लाभ मिले। इसके लिए आयकर से छूट देने का प्रावधान सरकार करने पर विचार कर रही है। वित्तीय विशेषज्ञों द्वारा 75 वर्ष से अधिक आयु के लोगों के लिए टेक्स छूट की मांग लंबे समय से की जा रही है। 500000 रूपये से अधिक प्रीमियम वाली जीवन पॉलिसी पर टेक्स छूट समाप्त कर दी गई है। जिसके कारण इसका असर बचत योजनाओं पर विपरीत पड़ा है।
अंतरिम बजट में राष्ट्रीय पेंशन योजना के तहत टेक्स छूट को बढ़ाने पर विचार चल रहा है। 1.5 लाख रुपए तक की सालाना टैक्स छूट देने पर सरकार विचार कर रही है। नई टैक्स व्यवस्था में अभी इसका प्रावधान नहीं है। जीवन बीमा पॉलिसी में भी बदलाव किए जाने की बात चल रही है।
आज देश मनाएगा 75वां गणतंत्र दिवस
26 Jan, 2024 08:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । आज देशवासी 75 वां गणतंत्र दिवस मनाएंगे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू लाल किला की प्राचीर से झंडा वंदन करेंगी। उधर, देशभर में गणतंत्र दिवस मनाने की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस अवसर पर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। उधर, गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर गुरुवार को राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा मैं देश को शुभकामनाएं देती हूं। कल के दिन हम संविधान के प्रारंभ का उत्सव मनाएंगे। संविधान की प्रस्तावना हम लोग से शुरू होती है। ये शब्द हमारे संविधान के मूल भाव को रेखांकित करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि हमारा देश स्वतंत्रता की शताब्दी की ओर बढ़ते हुए अमृत काल के प्रारंभिक दौर से गुजर रहा है।
प्रत्येक वर्ष पूरे भारत में गणतंत्र दिवस का पर्व पूरे धूम धाम से मनाया जाता है। इस मौकें पर किसी न किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष को मुख्य अतिथि के तौर पर बुलाया जाता है। 2024 में फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। यह छठी बार होगा जब कोई फ्रांसीसी नेता भारतीय गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि होंगे। पहली बार यह 26 जनवरी, 1950 को दिल्ली के पुराने किले के सामने इरविन स्टेडियम में मनाया गया था। यह राष्ट्रीय पर्व सभी भारतीय के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है, क्योंकि यह उस क्षण को चिह्नित करता है जब भारत का संविधान लागू हुआ था। इस दिन, भारत ने समानता, धर्मनिरपेक्षता और स्वशासन के लिए प्रतिबद्ध एक गणतंत्र के रूप में अपनी पहचान अपनाई थी ।
विकसित भारत और भारत-लोकतंत्र की मातृका’ है।
यह गणतंत्र दिवस बीते कई सालों के गणतंत्र दिवस की तुलना में कई मायनों में बेहद अलग है। इस बार की थीम विशेषकर महिलाओं पर केंद्रित है। भारत के इतिहास में ये पहली बार होगा की सेना के तीनो अंगो से महिलाएं परेड का हिस्सा बनेंगी। वहीं इस बार की थीम ‘विकसित भारत और भारत-लोकतंत्र की मातृका’ है। इस वर्ष कई नए बदलाव के साथ गणतंत्र दिवस का उत्सव मनाया जायेगा। यह पूरा कार्यक्रम महिलाओं पर केंद्रित है। पहली बार ऐसा होगा की उत्सव की शुरुआत 100 महिला कलाकारों के द्वारा भारतीय संगीत से की जाएगी। कत्र्तव्य पथ पर एक महिलाओं की त्रि-सेवा दल भी मार्च करेगी और यह पहली बार होने जा रहा है। किसानों के लिए भी यह एक खास पल होने वाला है क्योंकि पहली बार, गणतंत्र दिवस परेड 2024 के लिए लगभग 1,500 किसानों और उनके जीवनसाथियों को विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। बात अगर हम कत्र्तव्य पथ पर आयोजित होने वाली झाकिओं की करें तो , इस बार परेड में कुल 16 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों और 9 मंत्रालयों की 25 झांकियां शामिल होंगी।
गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति मुर्मू का संबोधन; राम मंदिर, जी20 समिट का किया जिक्र
25 Jan, 2024 09:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 75वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर गुरुवार को राष्ट्र को संबोधित किया। अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा, 'मेरे प्यारे देशवासियों, नमस्कार! 75वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मैं आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं देती हूं। जब मैं पीछे मुड़कर यह देखती हूं कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद हमने कितनी लंबी यात्रा की है, तब मेरा हृदय गर्व से भर जाता है। हमारे गणतंत्र का 75वां वर्ष, कई अर्थों में, देश की यात्रा में एक ऐतिहासिक पड़ाव है।' उन्होंने कहा कि यह उत्सव मनाने का विशेष अवसर है, जैसे हमने स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे होने पर 'आजादी का अमृत महोत्सव' के दौरान अपने देश की अतुलनीय महानता और विविधतापूर्ण संस्कृति का उत्सव मनाया था। जब संसद ने ऐतिहासिक महिला आरक्षण विधेयक पारित किया तो हमारा देश, स्त्री-पुरुष समानता के आदर्श की ओर आगे बढ़ा। मेरा मानना है कि 'नारी शक्ति वंदन अधिनियम', महिला सशक्तीकरण का एक क्रांतिकारी माध्यम सिद्ध होगा। इससे हमारे शासन की प्रक्रियाओं को बेहतर बनाने में भी बहुत सहायता मिलेगी। जब सामूहिक महत्व के मुद्दों पर महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी, तब हमारी प्रशासनिक प्राथमिकताओं का जनता की आवश्यकताओं के साथ बेहतर सामंजस्य बनेगा।
उन्होंने कहा कि हमारा देश स्वतंत्रता की शताब्दी की ओर बढ़ते हुए अमृतकाल के प्रारंभिक दौर से गुजर रहा है। यह एक युगांतकारी परिवर्तन का कालखंड है। हमें अपने देश को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का सुनहरा अवसर मिला है। हमारे लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रत्येक नागरिक का योगदान, महत्वपूर्ण होगा। इसके लिए मैं सभी देशवासियों से संविधान में निहित हमारे मूल कर्तव्यों का पालन करने का अनुरोध करूंगी। ये कर्तव्य, आजादी के 100 वर्ष पूरे होने तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने की दिशा में, प्रत्येक नागरिक के आवश्यक दायित्व हैं। इस संदर्भ में मुझे महात्मा गांधी का स्मरण होता है। बापू ने ठीक ही कहा था, 'जिसने केवल अधिकारों को चाहा है, ऐसी कोई भी प्रजा उन्नति नहीं कर सकी है। केवल वही प्रजा उन्नति कर सकी है जिसने कर्तव्य का धार्मिक रूप से पालन किया है।' उन्होंने कहा कि एक लंबे और कठिन संघर्ष के बाद 15 अगस्त, 1947 को हमारा देश विदेशी शासन से मुक्त हो गया। लेकिन, उस समय भी देश में सुशासन तथा देशवासियों में निहित क्षमताओं और प्रतिभाओं को उन्मुक्त विस्तार देने के लिए, उपयुक्त मूलभूत सिद्धांतों और प्रक्रियाओं को स्वरूप प्रदान करने का कार्य चल ही रहा था। संविधान सभा ने सुशासन के सभी पहलुओं पर लगभग तीन वर्ष तक विस्तृत चर्चा की और हमारे राष्ट्र के महान आधारभूत ग्रंथ, यानी भारत के संविधान की रचना की। आज के दिन हम सब देशवासी उन दूरदर्शी जन-नायकों और अधिकारियों का कृतज्ञता-पूर्वक स्मरण करते हैं जिन्होंने हमारे भव्य और प्रेरक संविधान के निर्माण में अमूल्य योगदान दिया था। उन्होंने कहा, 'कल के दिन हम संविधान के प्रारंभ का उत्सव मनाएंगे। संविधान की प्रस्तावना 'हम, भारत के लोग', इन शब्दों से शुरू होती है। ये शब्द, हमारे संविधान के मूल भाव अर्थात् लोकतंत्र को रेखांकित करते हैं। भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था, लोकतंत्र की पश्चिमी अवधारणा से कहीं अधिक प्राचीन है। इसीलिए भारत को 'लोकतंत्र की जननी' कहा जाता है।
'आधारभूत मूल्यों और सिद्धांतों को स्मरण करने का एक महत्वपूर्ण अवसर'
मुर्मू ने कहा, 'मेरे प्यारे देशवासियो, गणतंत्र दिवस हमारे आधारभूत मूल्यों और सिद्धांतों को स्मरण करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। जब हम उनमें से किसी एक बुनियादी सिद्धान्त पर चिंतन करते हैं, तो स्वाभाविक रूप से अन्य सभी सिद्धांतों पर भी हमारा ध्यान जाता है। संस्कृति, मान्यताओं और परम्पराओं की विविधता, हमारे लोकतंत्र का अंतर्निहित आयाम है। हमारी विविधता का यह उत्सव, समता पर आधारित है, जिसे न्याय द्वारा संरक्षित किया जाता है। यह सब स्वतंत्रता के वातावरण में ही संभव हो पाता है। इन मूल्यों और सिद्धांतों की समग्रता ही हमारी भारतीयता का आधार है। डॉक्टर बीआर आंबेडकर के प्रबुद्ध मार्गदर्शन में प्रवाहित, इन मूलभूत जीवन-मूल्यों और सिद्धांतों में रची-बसी संविधान की भावधारा ने, सभी प्रकार के भेदभाव को समाप्त करने के लिए सामाजिक न्याय के मार्ग पर हमें अडिग बनाए रखा है।'
कर्पूरी ठाकुर का भी किया जिक्र
राष्ट्रपति ने कहा, 'हमारे गणतंत्र की मूल भावना से एकजुट होकर 140 करोड़ से अधिक भारतवासी एक कुटुंब के रूप में रहते हैं। दुनिया के सबसे बड़े इस कुटुंब के लिए, सह-अस्तित्व की भावना, भूगोल द्वारा थोपा गया बोझ नहीं है, बल्कि सामूहिक उल्लास का सहज स्रोत है, जो हमारे गणतंत्र दिवस के उत्सव में अभिव्यक्त होता है। मैं यह उल्लेख करना चाहूंगी कि सामाजिक न्याय के लिए अनवरत युद्धरत रहे, कर्पूरी ठाकुर जी की जन्म शताब्दी का उत्सव कल ही संपन्न हुआ है। कर्पूरी जी पिछड़े वर्गों के सबसे महान पक्षकारों में से एक थे, जिन्होंने अपना सारा जीवन उनके कल्याण के लिए समर्पित कर दिया था। उनका जीवन एक संदेश था। अपने योगदान से सार्वजनिक जीवन को समृद्ध बनाने के लिए, मैं कर्पूरी जी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।'
G20 शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन एक अभूतपूर्व उपलब्धि: राष्ट्रपति
राष्ट्रपति ने कहा, 'मेरे प्यारे देशवासियो, हमारे राष्ट्रीय त्योहार ऐसे महत्वपूर्ण अवसर होते हैं, जब हम अतीत पर भी दृष्टिपात करते हैं और भविष्य की ओर भी देखते हैं। पिछले गणतंत्र दिवस के बाद के एक वर्ष पर नजर डालें तो हमें बहुत प्रसन्नता होती है। भारत की अध्यक्षता में दिल्ली में G20 शिखर सम्मेलन का सफल आयोजन एक अभूतपूर्व उपलब्धि थी। G20 से जुड़े आयोजनों में जन-सामान्य की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय है। इन आयोजनों में विचारों और सुझावों का प्रवाह ऊपर से नीचे की ओर नहीं, बल्कि नीचे से ऊपर की ओर था। उस भव्य आयोजन से यह सीख भी मिली है कि सामान्य नागरिकों को भी ऐसे गहन तथा अंतर-राष्ट्रीय महत्व के मुद्दे में भागीदार बनाया जा सकता है जिसका प्रभाव अंततः उनके अपने भविष्य पर पड़ता है। G20 शिखर सम्मेलन के माध्यम से वैश्विक दक्षिण की आवाज के रूप में भारत के अभ्युदय को भी बढ़ावा मिला, जिससे अंतर-राष्ट्रीय संवाद की प्रक्रिया में एक आवश्यक तत्व का समावेश हुआ।'
राम मंदिर पर कही यह बात
राष्ट्रपति ने कहा, 'इस सप्ताह के आरंभ में हम सबने अयोध्या में प्रभु श्रीराम के जन्मस्थान पर निर्मित भव्य मंदिर में स्थापित मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का ऐतिहासिक समारोह देखा। भविष्य में जब इस घटना को व्यापक परिप्रेक्ष्य में देखा जाएगा, तब इतिहासकार, भारत द्वारा अपनी सभ्यतागत विरासत की निरंतर खोज में युगांतरकारी आयोजन के रूप में इसका विवेचन करेंगे। उचित न्यायिक प्रक्रिया और देश के उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बाद मंदिर का निर्माण कार्य आरंभ हुआ। अब यह एक भव्य संरचना के रूप में शोभायमान है। यह मंदिर न केवल जन-जन की आस्था को व्यक्त करता है, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया में हमारे देशवासियों की अगाध आस्था का प्रमाण भी है।'
अंतरिक्ष जगत की उपलब्धियां गिनाईं
उन्होंने कहा कि इसी अवधि में भारत, चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के क्षेत्र पर उतरने वाला पहला देश बना। चंद्रयान-3 के बाद ISRO ने एक सौर मिशन भी शुरू किया। हाल ही में आदित्य L1 को सफलतापूर्वक 'Halo Orbit' में स्थापित किया गया है। भारत ने अपने पहले एक्स-रे Polarimeter Satellite, जिसे एक्सपोसैट कहा जाता है, के प्रक्षेपण के साथ नए साल की शुरुआत की है। यह सैटेलाइट, अंतरिक्ष के 'ब्लैक होल' जैसे रहस्यों का अध्ययन करेगा। वर्ष 2024 के दौरान अन्य कई अंतरिक्ष अभियानों की योजना बनाई गई है। यह प्रसन्नता का विषय है कि भारत की अंतरिक्ष यात्रा में अनेक नई उपलब्धियां हासिल की जाने वाली हैं। हमारे प्रथम मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, 'गगनयान मिशन' की तैयारी सुचारु रूप से आगे बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि हमें अपने वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों पर सदैव गर्व रहा है, लेकिन अब ये पहले से कहीं अधिक ऊंचे लक्ष्य तय कर रहे हैं और उनके अनुरूप परिणाम भी हासिल कर रहे हैं। भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का उद्देश्य, संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए, विज्ञान और प्रौद्योगिकी की भूमिका को और अधिक विस्तार तथा गहराई प्रदान करना है। ISRO के कार्यक्रम के प्रति देशवासियों में जो उत्साह दिखाई देता है उससे नई आशाओं का संचार हो रहा है। उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नई उपलब्धियों ने, युवा पीढ़ी की कल्पना शक्ति को नए पंख दिए हैं। मुझे विश्वास है कि हमारे बच्चों और युवाओं में, बड़े पैमाने पर, विज्ञान के प्रति रुझान बढ़ेगा तथा उनमें वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित होगा। अन्तरिक्ष विज्ञान की इन उपलब्धियों से युवाओं, विशेषकर युवा महिलाओं को यह प्रेरणा मिलेगी कि वे, विज्ञान और प्रौद्योगिकी को अपना कार्यक्षेत्र बनाएं।
'आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा भारत'
उन्होंने कहा कि आज का भारत, आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ रहा है। सुदृढ़ और स्वस्थ अर्थव्यवस्था इस आत्मविश्वास का कारण भी है और परिणाम भी। हाल के वर्षों में, सकल घरेलू उत्पाद की हमारी वृद्धि दर, प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक रही है। ठोस आकलन के आधार पर हमें पूरा विश्वास है कि यह असाधारण प्रदर्शन, वर्ष 2024 और उसके बाद भी जारी रहेगा। यह बात मुझे विशेष रूप से उल्लेखनीय लगती है कि जिस दूरगामी योजना-दृष्टि से अर्थव्यवस्था को गति प्राप्त हुई है, उसी के तहत विकास को हर दृष्टि से समावेशी बनाने के लिए सुविचारित जन कल्याण अभियानों को भी बढ़ावा दिया गया है।
उन्होंने कहा कि महामारी के दिनों में, समाज के कमजोर वर्गों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने के लिए लागू योजनाओं का दायरा, सरकार ने बढ़ा दिया था। बाद में, कमजोर वर्गों की आबादी को संकट से उबरने में सहायता प्रदान करने हेतु इन कल्याणकारी योजनाओं को जारी रखा गया। इस पहल को और अधिक विस्तार देते हुए, सरकार ने 81 करोड़ से अधिक लोगों को अगले पांच साल तक मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। संभवतः, इतिहास में यह अपनी तरह का सबसे बड़ा जन-कल्याण कार्यक्रम है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि सभी नागरिकों के जीवन-यापन को सुगम बनाने के लिए अनेक समयबद्ध योजनाएं भी कार्यान्वित की जा रही हैं। घर में सुरक्षित और पर्याप्त पेयजल की उपलब्धता से लेकर अपना घर होने के सुरक्षा-जनक अनुभव तक, ये सभी बुनियादी न्यूनतम आवश्यकताएं हैं, न कि विशेष सुविधाएं। ये मुद्दे, किसी भी राजनीतिक या आर्थिक विचारधारा से परे हैं और इन्हें मानवीय दृष्टिकोण से ही देखा जाना चाहिए। सरकार ने, केवल जन-कल्याण योजनाओं का विस्तार और संवर्धन ही नहीं किया है, अपितु जन-कल्याण की अवधारणा को भी नया अर्थ प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि हम सभी उस दिन गर्व का अनुभव करेंगे जब भारत ऐसे कुछ देशों में शामिल हो जाएगा जहां शायद ही कोई बेघर हो। समावेशी कल्याण की इसी सोच के साथ 'राष्ट्रीय शिक्षा नीति' में डिजिटल विभाजन को पाटने और वंचित वर्गों के विद्यार्थियों के हित में, समानता पर आधारित शिक्षा व्यवस्था के निर्माण को समुचित प्राथमिकता दी जा रही है। 'आयुष्मान भारत योजना' के विस्तारित सुरक्षा कवच के तहत सभी लाभार्थियों को शामिल करने का लक्ष्य है। इस संरक्षण से गरीब और कमजोर वर्गों के लोगों में एक बहुत बड़ा विश्वास जगा है।
खेल जगत पर कही यह बात
उन्होंने कहा कि हमारे खिलाड़ियों ने अंतर-राष्ट्रीय मंचों पर भारत का मान बढ़ाया है। पिछले साल आयोजित एशियाई खेलों में हमने 107 पदकों के नए कीर्तिमान के साथ इतिहास रचा और एशियाई पैरा खेलों में हमने 111 पदक जीते। यह अत्यंत प्रसन्नता की बात है कि महिलाएं, हमारी पदक तालिका में बहुत प्रभावशाली योगदान दे रही हैं। हमारे श्रेष्ठ खिलाड़ियों की सफलता से बच्चों को विभिन्न खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरणा मिली है, जिससे उनका आत्मविश्वास बहुत बढ़ा है। मुझे विश्वास है कि नए आत्मविश्वास से भरपूर हमारे खिलाड़ी, आगामी पेरिस ओलिंपिक में और भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
दुनिया में चल रहे युद्धों पर भी बोलीं
राष्ट्रपति ने कहा, 'प्यारे देशवासियो, हाल के दौर में विश्व में अनेक स्थलों पर लड़ाइयां हो रही हैं और दुनिया के बहुत से हिस्से हिंसा से पीड़ित हैं। जब दो परस्पर विरोधी पक्षों में से प्रत्येक मानता है कि केवल उसी की बात सही है और दूसरे की बात गलत है, तो ऐसी स्थिति में समाधान-परक तर्क के आधार पर ही आगे बढ़ना चाहिए। दुर्भाग्य से तर्क के स्थान पर, आपसी भय और पूर्वाग्रहों ने भावावेश को बढ़ावा दिया है, जिसके कारण अनवरत हिंसा हो रही है। बड़े पैमाने पर मानवीय त्रासदियों की अनेक दुखद घटनाएं हुई हैं, और हम सब इस मानवीय पीड़ा से अत्यंत व्यथित हैं। ऐसी परिस्थितियों में, हमें भगवान बुद्ध के सारगर्भित शब्दों का स्मरण होता है: न हि वेरेन वेरानि, सम्मन्तीथ कुदाचनम् अवेरेन च सम्मन्ति, एस धम्मो सनन्तनो। इसका भावार्थ है: 'यहां कभी भी शत्रुता को शत्रुता के माध्यम से शांत नहीं किया जाता है, बल्कि अ-शत्रुता के माध्यम से शांत किया जाता है। यही शाश्वत नियम है।'
उन्होंने कहा कि वर्धमान महावीर और सम्राट अशोक से लेकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी तक, भारत ने सदैव एक उदाहरण प्रस्तुत किया है कि अहिंसा केवल एक आदर्श मात्र नहीं है जिसे हासिल करना कठिन हो, बल्कि यह एक स्पष्ट संभावना है। यही नहीं, अपितु अनेक लोगों के लिए यह एक जीवंत यथार्थ है। हम आशा करते हैं कि संघर्षों में उलझे क्षेत्रों में, उन संघर्षों को सुलझाने तथा शांति स्थापित करने के मार्ग खोज लिए जाएंगे।
भारत की इस उपलब्धि पर जताई खुशी
उन्होंने कहा कि वैश्विक पर्यावरण संकट से उबरने में भी भारत का प्राचीन ज्ञान, विश्व-समुदाय का मार्गदर्शन कर सकता है। भारत को ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों को बढ़ावा देने में अग्रणी योगदान देते हुए और ग्लोबल क्लामेट एक्शन को नेतृत्व प्रदान करते हुए देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता होती है। भारत ने, पर्यावरण के प्रति सचेत जीवन- शैली अपनाने के लिए, 'LiFE Movement' शुरू किया है। हमारे देश में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे का सामना करने में व्यक्तिगत व्यवहार-परिवर्तन को प्राथमिकता दी जा रही है तथा विश्व समुदाय द्वारा इसकी सराहना की जा रही है। हर स्थान के निवासी अपनी जीवन-शैली को प्रकृति के अनुरूप ढालकर अपना योगदान दे सकते हैं और उन्हें ऐसा करना ही चाहिए। इससे, न केवल भावी पीढ़ियों के लिए पृथ्वी का संरक्षण करने में सहायता मिलेगी बल्कि, जीवन की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।
AI का भी किया जिक्र
राष्ट्रपति ने कहा, 'हमारी स्वाधीनता के सौ वर्ष पूरे होने तक की, अमृत काल की अवधि के दौरान अभूतपूर्व तकनीकी परिवर्तन भी होने जा रहे हैं। Artificial Intelligence और Machine Learning जैसे तकनीकी बदलाव, असाधारण गति के साथ, सुर्खियों से बाहर आकर, हमारे दैनिक जीवन का अंग बन गए हैं। कई क्षेत्रों में भविष्य से जुड़ी आशंकाएं चिंतित करती हैं, लेकिन अनेक उत्साह-जनक अवसर भी दिखाई देते हैं, विशेषकर युवाओं के लिए। हमारे युवा, वर्तमान की सीमाओं से परे जाकर नई संभावनाएं तलाश रहे हैं। उनके मार्ग से बाधाओं को दूर करने और उन्हें अपनी पूरी क्षमता का उपयोग करने की सुविधा प्रदान करने के लिए हमें हर संभव प्रयास करना है। हमारी युवा पीढ़ी चाहती है कि सभी को अवसर की समानता प्राप्त हो। वे समानता से जुड़े पुराने शब्दजाल नहीं चाहते हैं बल्कि, समानता के हमारे अमूल्य आदर्श का यथार्थ रूप देखना चाहते हैं।
'युवाओं के आत्मविश्वास के बल पर ही भावी भारत का निर्माण हो रहा'
उन्होंने कहा कि वास्तव में हमारे युवाओं के आत्मविश्वास के बल पर ही भावी भारत का निर्माण हो रहा है। युवाओं के मनो-मस्तिष्क को संवारने का कार्य हमारे शिक्षक-गण करते हैं जो सही अर्थों में राष्ट्र का भविष्य बनाते हैं। मैं अपने उन किसानों और मजदूर भाई-बहनों के प्रति आभार व्यक्त करती हूं जो, चुपचाप मेहनत करते हैं तथा देश के भविष्य को बेहतर बनाने में बहुत बड़ा योगदान देते हैं।
सशस्त्र बलों, पुलिस और अर्ध-सैन्य बलों का अभिनंदन
उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस के पावन अवसर की पूर्व संध्या पर, सभी देशवासी हमारे सशस्त्र बलों, पुलिस और अर्ध-सैन्य बलों का भी कृतज्ञता-पूर्वक अभिनंदन करते हैं। उनकी बहादुरी और सतर्कता के बिना, हम उन प्रभावशाली उपलब्धियों को प्राप्त नहीं कर सकते थे जो हमने हासिल कर ली हैं।
न्यायपालिका और सिविल सेवाओं के सदस्यों को भी शुभकामनाएं
राष्ट्रपति ने कहा, 'अपनी वाणी को विराम देने से पहले, मैं न्यायपालिका और सिविल सेवाओं के सदस्यों को भी शुभकामनाएं देना चाहती हूं। विदेशों में नियुक्त भारतीय मिशनों के अधिकारियों और प्रवासी भारतीय समुदाय के लोगों को मैं गणतंत्र दिवस की बधाई देती हूं। आइए, हम सब यथाशक्ति राष्ट्र और देशवासियों की सेवा में स्वयं को समर्पित करने का संकल्प करें। इस शुभ संकल्प को सिद्ध करने के प्रयास हेतु आप सभी को मेरी हार्दिक शुभकामनाएं!
धन्यवाद! जय हिन्द! जय भारत!'
युवती को ले भागा प्रेमी, लड़की के परिजनों ने लड़के के घर में आग लगा दी
25 Jan, 2024 01:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चित्तौड़गढ़ । राजस्थान के चितौड़गढ़ में एक प्रेम कहानी को लेकर जबर्दस्त हंगामा हो गया। आरोप है कि युवक अपनी प्रेमिका को भगा ले गया। इसके बाद गुस्साए युवती के परिजन प्रेमी के घर पहुंचे और वहां आग लगा दी। मामले की जानकारी मिलने पर बड़ी संख्या में पुलिस पहुंची और हालात को संभाला। फिलहाल पुलिस पूरे मामले पर नजर बनाए हुए है। मामला दो समुदायों से जुड़ा हुआ है।
युवती के परिजनों का आरोप था कि वहां का एक युवक उनकी लड़की को भगा ले गया। इस बात को लेकर खफा हुए युवती के परिजन मुड्डा गांव पहुंचे। उस समय युवती के प्रेमी युवक के घर पर कोई नहीं था। यह देखकर वे और गुस्सा गए और उन्होंने घर को आग लगा दी। आग से युवक के मकान में रखा सामान जलकर खाक हो गया। इस बीच आरोपी वहां से फरार हो गए। पुलिस उनकी तलाश में जुटी है।
पुलिस के मुताबिक इस संबंध में लड़की के परिजनों ने दो दिन पहले मामला दर्ज कराया था। पुलिस मामले की जांच में जुटी थी कि उससे पहले ही युवती के परिजनों ने यह वारदात कर डाली। पुलिस ने युवती को बरामद कर परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया है। अब युवक के परिजनों ने युवती के परिवार के खिलाफ मामला दर्ज कराया है।
पाकिस्तान और बांग्लादेश में आज भी कई जगहों के नाम राम के नाम पर
25 Jan, 2024 12:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। भारतीय उपमहाद्वीप में एक समय में तमाम जगहों के नाम हिंदू देवी देवताओं और राम के नाम पर थे, लेकिन पाकिस्तान और बांग्लादेश में आजादी के बाद से काफी नाम बदले जा चुके हैं। लेकिन आपको हैरानी होगी कि पाकिस्तान और बांग्लादेश में अब भी कई जगहों के नाम राम के नाम पर हैं। कई जगहों के नाम हिदू देवी-देवताओं के नाम पर हैं। हालांकि पाकिस्तान में बहुत से नाम बदले जा चुके हैं।
चिनाब नदी के किनारे बसा पाकिस्तान का एक छोटा सा शहर है रसूल नगर। ये पंजाब के वजीराबाद जिले में मौजूद है। बंटवारे और आजादी के बाद भी शहर का नाम बहुत दिनों तक रामनगर था। जब बंटवारा होने लगा तब यहां से सिख और हिंदू ज्यादातर भारत भाग आए। 50 के दशक में इस जगह का नाम बदल दिया गया।
अब ये रसूल नगर है। ये जगह इसलिए भी खास है, क्योंकि यहीं अंग्रेजों और सिखों के बीच 18 नवंबर 1848 के एक बड़ी लड़ाई लड़ी गई थी, जिसे रामनगर की लड़ाई कहते हैं। एक जमाने में ये पंजाब के पूर्व शासक रणजीत सिंह के राज में खास बाजार का केंद्र था। जिन्हें पंजाब का शेर भी कहा जाता है, ने अपना समय इस क्षेत्र में चिनाब नदी के तट पर बिताया था जब वह पंजाब के शासक थे, रसूल नगर उस समय कई चीजों का मुख्य बाजार था। जब नवंबर 1848 में सिखों और ब्रिटिशों के बीच रामनगर की लड़ाई लड़ी गई तब सिखों ने ब्रिटिशों के अचानक हमले के कोशिश को नाकाम कर दिया। लेकिन इसके बाद जब युद्ध हुआ तब सिख हार गए। इसके बाद फिर दूसरा युद्ध भी हुआ। जिसमें सिखों की जीत हुई। ये बहुत बड़ी बात थी। सिख बहुत बहादुरी से लड़े थे।
पाकिस्तान में नाम बदलने की परंपरा विभाजन के तुरंत बाद ही शुरू हो गई थी। विभाजन के बाद नए बने देश ने खुद को भारतीय विरासत से दूर करने की कोशिश की। तब पाकिस्तान ने एक मुस्लिम देश की पहचान बनाने की कोशिश की, जो पड़ोसी दक्षिण एशियाई देशों की बजाय अरब देशों के ज्यादा करीब दिखाई दे।
वैसे कराची में अब भी रामचंद्र टेंपल रोड बरकरार है। ये रोड कराची के राम मंदिर की ओर जाती है, लिहाजा इसका नाम रामचंद्र टेंपल रोड है। इस तरह वहां आत्माराम प्रीतमदास रोड, बलूचिस्तान में हिंगलाज और खैबर पख़्तूनख़्वा में हरिपुर प्रांत के नाम बने हुए हैं। लाहौर में ऐसी कई जगहें हैं जिनके हिंदू या सिख नाम थे, जो बदले गए। जैसे लाहौर का एक इलाका था कृष्ण नगर। इसका नाम बदलकर इस्लामपुर रख दिया गया। जैन मंदिर चौक को बाबरी मस्जिद चौक कर दिया गया। बलूचिस्तान में हिंदू बाग नाम को अब मुस्लिम बाग कहा जाता है।
वैसे लाहौर से बिल्कुल करीब एक कस्बा है, जिसका नाम नक्शे पर अब भी रामपुर ही है, ये बिल्कुल शहर के करीब है।
इस तरह बांग्लादेश में चिटगांव में एक तहसील रामनगर के नाम से है, तब बांग्लादेश में ही जेसोर सदर में एक कस्बा रामनगर यूनियन के तौर पर जाना जाता है। वैसे बांग्लादेश के चिटागांग डिविजन में एक शहर ब्राह्णणबारिया अब भी मौजूद है तब लक्ष्मीपुर जिला भी। इसतरह ढाका डिविजन में गोपालगंज और नारायणगंज जैसे जिले अब भी हैं।
नेपाल में जरूर अलग अलग जिलों में रामनगर नाम से 09 जगहें हैं, जो गांव या कस्बे के तौर पर हैं और सभी तकरीबन नगरपालिका क्षेत्र हैं। भारत के पड़ोसी मुल्क में एक बड़ा शहर है मोलूमीन। इतिहास बताता है कि पुराने समय में एक भारत के किसी शासक के अधीन था, तब इसका नाम रामपुर था।
गैस निकालने के लिए 8500 करोड़ की मदद
25 Jan, 2024 11:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। कोयला खदानों से गैस निकालने की कोल गैसिफिकेशन योजना को केंद्र सरकार ने अब आर्थिक मदद दे कर इसे व्यवहार्य बनाने का फैसला किया है। बुधवार को पीएम नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में देश में कोयला खदानों से गैस निकालने की योजना के लिए 8500 करोड़ रुपये मंजूर किये हैं। यह राशि शुरुआत में तीन श्रेणियों में कोल गैसिफेकेशन परियोजनाओं को दी जाएगी। इसमें कुछ हिस्सा सरकारी कंपनियों की परियोजनाओं और कुछ हिस्सा निजी कंपनियों को देने का प्रस्ताव है।
उक्त राशि का एक छोटा हिस्सा छोटी परियोजनाओं के लिए भी आरक्षित रखा गया है। कैबिनेट के फैसले के बारे में जानकारी देते हुए कोयला व खनन मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया कि ये परियोजनाएं कोयला खदानों से होने वाले प्रदूषण को भी कम करेंगी और देश को आत्मनिर्भर भी बनाएंगी।सरकार की तरफ से मंजूर राशि में से 4050 करोड़ रुपये की राशि सरकारी कंपनियों की तरफ शुरू की जाने वाली कोल गैसिफिकेशन परियोजनाओं को दी जाएगी।
जोशी ने बताया कि इसमें दो परियोजनाओं के लिए कोल इंडिया ने पेट्रोलियम सेक्टर की गेल लिमिटेड और बिजली सेक्टर की बीएचइएल के साथ अलग अलग संयुक्त उद्यम बनाये हैं। सीआइएल व गेस का संयुक्त उद्यम पश्चिम बंगाल के एक कोयला खदान में 13,052 करोड़ रुपये का निवेश कर रही है। इनके कुल निवेश का एक हिस्सा सरकार बतौर सब्सिडी देगी। दूसरी परियोजना ओडीसा की है जिसके लिए सीआइएल व बीएचइएल ने संयुक्त उद्यम बनाया है।
इस परियोजना में कुल 11,782 करोड़ रुपये का निवेश किया जाना है। दूसरे वर्ग में सरकारी क्षेत्र के साथ ही निजी वर्ग को भी रखा जाएगा। इनको 3,850 करोड़ रुपये की मदद सरकार की तरफ से दी जाएगी। तीसरे वर्ग में 600 करोड़ रुपये की मदद इस छोटी परियोजनाओं को दी जाएगी। जोशी ने बताया कि आर्थिक मदद देने के लिए पारदर्शी व प्रतिस्पद्र्धी नियम तय होंगे।
नीति आयोग इन नियमों को तैयार कर रहा है। कोयला खदानों से गैस निकालने की सोच दो दशक से भी ज्यादा पुरानी है हालांकि अभी तक इसका खास असर नहीं हुआ है। आज की तारीख में रिलायंस इंडस्ट्रीज के एक ब्लाक से थोड़ी बहुत गैस निकाली जाती है। लेकिन इसकी लागत आयातित गैस से ज्यादा होती है। जुलाई, 2023 में भी केंद्र सरकार की तरफ से बताया गया था कि वह 6,000 करोड़ रुपये की एक प्रोत्साहन योजना को लांच करने की सोच ही है। कोयला खदानों से प्राकृतिक गैस के अलावा अमोनिया, अमोनिया नाइट्रेट, मिथनेल, डीएमई जैसे गैस निकाले जाते हैं। इनमें से अधिकांश गैसों के लिए भारत विदेशों पर निर्भर है।
अध्ययन में सामने आई चौंकाने वाली हकीकत...दो टुकड़ों में बंटकर पाताल की ओर जा रही भारतीय प्लेट...
25 Jan, 2024 10:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। भारतीय टेक्टोनिक प्लेट दो टुकड़ों में बंट रही है। एक हिस्सा चीन के नीचे जा रहा है। दूसरा हिस्सा पाताल में। इस वजह से हिमालय में और हिमालय से बड़ा भूकंप आने की पूरी आशंका है। अगर ऐसा होता है तो भारी तबाही होगी। भारत, पाकिस्तान, चीन, नेपाल, तिब्बत और भूटान जैसे देशों में बड़ी आपदा आएगी।
भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट की टक्कर से हिमालय बना है। अब भारतीय प्लेट का एक हिस्सा यूरेशियन प्लेट के अंदर धंस रहा है। यानी भारतीय प्लेट दो हिस्सों में बंट रही है। पहला हिस्सा तो यूरेशियन प्लेट के अंदर है। दूसरा हिस्सा धरती के मेंटल में जा रहा है। यानी पाताल की तरफ। डिलैमिनेशन वाला दरार करीब 100 से 200 किलोमीटर लंबी है। जहां तेजी से मेंटल का बहाव भी दिखाया जा रहा है। वह भी भारतीय प्लेट की तरफ है। यह सब ऊर्जा के तेज बहाव पैदा कर रहे हैं। बहुत सारी एनर्जी इनसे निकल रही है। साथ ही स्टोर हो रही है। ये एनर्जी जब तेजी से निकलती है तगड़े भूकंप आते हैं। इसी एनर्जी की वजह से हिमालय की ऊंचाई हर साल बढ़ रही है। ऊपर इनकी गति कम दिखती है लेकिन जमीन के अंदर जंग चल रही है।
भारतीय टेक्टोनिक प्लेट और यूरेशियन प्लेट का टकराव 6 करोड़ साल पहले शुरू हुआ था। उसके पहले भारत एक आईलैंड यानी द्वीप था। जो जाकर यूरेशिया से भिड़ गया। जब दो जमीनें एकसाथ टकराए तो हिमालय का निर्माण हुआ। जमीन के ऊपर हिमालय बना और अंदर रहस्य बनते रहे। वैज्ञानिकों का मानना है कि भारतीय टेक्टोनिक प्लेट यूरेशियन प्लेट के नीचे जा रही है। जिसके दबाव से यह दो टुकड़ों में रही है। इसे डीलैमिनेशन कहते हैं। लेकिन ऊपरी हिस्सा यानी यूरेशियन प्लेट ऊपर उठ रहा है। फैल रहा है। इससे हिमालय की ऊंचाई बढ़ रही है। जियोडायनेमिसिस्ट डुवे वान हिंसबर्गेन कहते हैं कि हमें अब तक नहीं पता है कि दो महाद्वीप आपस में किस तरह से व्यवहार करते हैं। लेकिन बेहद डरावना और हैरान करने वाला है। अगर यह दरार तेजी से बढ़ी तो हिमालय से और हिमालय में कई सारे भूकंप आ सकते हैं।
मोनाश यूनिवर्सिटी के जियोडायनेमिसिस्ट फैबियो कैपितानो ने कहा कि यह सिर्फ एक ट्रेलर है। पूरी फिल्म आनी बाकी है। हम स्टडी कर रहे हैं। ताकि ज्यादा से ज्यादा जानकारी जमा कर सकें। हम भूगर्भीय अस्थिरता की स्टडी कर रहे हैं। अभी तक ऐसा देखने को नहीं मिला था कि कोई इतनी बड़ी टेक्टोनिक प्लेट दो हिस्सों में टूटी हो। जैसा भारतीय प्लेट के साथ हो रहा है। यह एक बेहद मोटी महाद्वीपीय प्लेट है, जिसे आप बड़ी चट्टानी परत भी बोल सकते हैं। यह पाताल में जा रही है।
एरिजोना यूनिवर्सिटी के जियोलॉजिस्ट पीटर डेसेलेस ने कहा कि अगर भारतीय प्लेट के टूटने की स्टडी सही से करनी है तो हमें हिमालय की उत्पत्ति पर नजर रखनी होगी। शोध करनी होगी। हिमालय के 2500 किलोमीटर लंबे रेंज के नीचे की स्टडी करनी होगा। भारतीय प्लेट एक समान मोटाई या चौड़ाई वाली नहीं है। कहीं पतली है तो कहीं मोटी। यह लगातार यूरेशियन प्लेट में जा रही है। जो आकार में इससे बड़ी है। यूरेशियन प्लेट अपनी ताकत से इसे दबा रही है।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के जियोफिजिसिस्ट साइमन क्लेमपरर ने कहा कि भारत की टेक्टोनिक प्लेट किसी कपड़े के टुकड़े की तरह है, जिसके धागों को चारों तरफ से खींचा और धकेला जा रहा है। भूटान के नीचे सबडक्शन जोन है। यहीं पर चीजें बुरी होती नजर आ रही हैं। जमीन के अंदर भारतीय टेक्टोनिक प्लेट के साथ बड़े पैमाने पर हिंसा हो रही है।
तिब्बत की कई जगहों पर ऐसे जलस्रोत हैं, जहां पर हीलियम-3 आइसोटोप देखने को मिले। दक्षिणी तिब्बत के 1000 किलोमीटर में फैले 200 प्राकृतिक जलस्रोतों के सैंपल लिए गए। यानी जमीन के अंदर से हीलियम निकल कर बाहर आ रहा है। ऐसा भारतीय प्लेट के मेंटल की ओर जाने से हो रहा है। क्योंकि भूटान के पूर्वी सीमा की तरफ भी हीलियम निकलने की घटनाएं देखने को मिली हैं। यह बताता है कि भारतीय प्लेट दो टुकड़ों में टूट रही है।
भारतीय प्लेट का निचला हिस्सा लगातार मेंटल में धंस रहा है। यह प्रक्रिया तिब्बत के नीचे हो रही है। इस स्टडी को करने के लिए वैज्ञानिकों ने भारतीय और यूरेशियन प्लेट के टक्कर वाली जगह पर भूकंपीय तरंगें भेजीं। फिर उनसे मिले डेटा से यह स्टडी की। भूकंपीय तरंगों ने साफ बताया कि भारतीय प्लेट फट रही है। लेहाई यूनिवर्सिटी की सीस्मोलॉजिस्ट एनी मेल्त्जर कहती हैं कि भारतीय प्लेट के टूटने की घटना की जमीनी सतह से 200 किलोमीटर नीचे हो रही है। मेंटल वाले इलाके के पत्थर भारतीय प्लेट पर बहकर 100 किलोमीटर की ऊंचाई तक आ चुके हैं। यह तय है कि अगले कुछ हजार सालों में इस इलाके में बड़े भौगोलिक बदलाव होने वाले हैं।
यह बात पूरी दुनिया को पता है कि भारतीय प्लेट लगातार यूरेशियन प्लेट को धकेल रही है। उत्तर की तरफ बढ़ रही है। वहीं तिब्बत के दक्षिण में 90 डिग्री नीचे लिथोस्फेयर-एस्थेनोस्फेयर बाउंड्री है। वहीं पर ये हलचल हो रही है। यारलंग-जांग्बो दरार से 100 किमी दूर उत्तर की तरफ दरारें बननी शुरू हुई हैं। ये तिब्बत के नीचे हैं। पूर्व की तरफ भारत के नीचे का मेंटल के पास ग्रैविटी के असर से ऊपरी हिस्सा सेपरेट हो रहा है। यादोंग-गुलू और कोना-सांगरी रिफ्ट में हीलियम आइसोटोप की तीव्रता बढ़ी है। यानी धरती के केंद्र से हीलियम आ रहा है। इसके अलावा इस इलाके में लगातार भूकंप आ रहे हैं। जिससे भारतीय टेक्टोनिक प्लेट और तेजी से टूट रही है।
नमो भारत ट्रेन की प्रतिकृति इस गणतंत्र दिवस उत्तरप्रदेश की झांकी में दिखेगी
25 Jan, 2024 09:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । इस गणतंत्र दिवस पर उत्तरप्रदेश की झांकी में नमो भारत ट्रेन की प्रतिकृति दिखेगी। अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि झांकी में साहिबाबाद स्टेशन से शुरू होने वाली क्षेत्रीय त्वरित पारगमन प्रणाली (आरआरटीएस) ट्रेन का प्रदर्शन किया जाएगा।
एनसीआरटीसी ने एक बयान में कहा, “ इस साल गणतंत्र दिवस समारोह में नमो भारत ट्रेन आकर्षण का केंद्र रहने वाली है। इसकी झलक उत्तरप्रदेश की झांकी में दिखेगी। इसमें साहिबाबाद स्टेशन से चलने वाली आरआरटीएस ट्रेन की लघुकृति प्रदर्शित की जाएगी।” बयान में कहा गया है, “यह एक बहुत ही मोहक क्षण होगा जब दुनिया के विभिन्न हिस्सों से आए भारतीय इस झांकी के माध्यम से एनसीआरटीसी द्वारा लाई गई परिवहन क्रांति को देखेंगे।
समृद्ध विरासत की थीम पर बनी उत्तरप्रदेश की झांकी में राज्य की परियोजनाओं और उपलब्धियों को दर्शाया जाएगा। पिछले साल अक्टूबर में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत के पहले आरआरटीएस का उद्घाटन किया था और एक नमो भारत त्वारित पारगमन ट्रेन को हरी झंडी दिखाई थी जो 180 किमी प्रति घंटे की गति से चल सकती है।
जस्टिस वराले सुप्रीम कोर्ट में तीसरे दलित जज होंगे
25 Jan, 2024 08:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस प्रसन्ना बी वराले को जज बनाया गया है। गुरुवार सुबह 10।30 बजे सीजेआई जस्टिस प्रसन्ना बी वराले को शपथ दिलाएंगे। कॉलेजियम की सिफारिश को केंद्र की मुहर लग गयी है। कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस प्रसन्ना बी वराले को सुप्रीम कोर्ट जज नियुक्त करने की सिफारिश की थी। जस्टिस वराले सुप्रीम कोर्ट में तीसरे दलित जज होंगे।
सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस अनिरुद्ध बोस के कॉलेजियम ने उनके नाम की सिफारिश की थी। इस नियुक्ति के बाद सुप्रीम कोर्ट में जजों की क्षमता पूरी हो जाएगी। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बी आर गवई और जस्टिस सीटी रविकुमार दलित हैं। जस्टिस गवई देश के मुख्य न्यायाधीश भी बनेंगे।
1 फरवरी से सिद्धपुर में मातृ श्राद्ध के लिए ऑनलाइन बुकिंग शुरू
24 Jan, 2024 11:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अहमदाबाद | देशभर में मातृ गया तीर्थ के रूप में विख्यात उत्तर गुजरात के सिद्धपुर में अब श्राद्ध समेत तर्पण विधि के लिए ऑनलाइन बुकिंग कराई जा सकेगी| आगामी 1 फरवरी 2024 से ऑनलाइन बुकिंग सेवा का प्रारंभ होगा| सिद्धपुर उत्तर गुजरात के पाटण जिला स्थित है, जहां मातृ गया के लिए देशभर से लोग आते हैं| गुजरात पवित्र यात्राधाम विकास बोर्ड (जीपीवायवीबी) द्वारा संचालित मातृ गया तीर्थ अति प्राचीन, ऐतिहासिक, धार्मिक और नगरी सिद्धपुर में देश के किसी भी राज्य में रहनेवाले श्रद्धालु मातृ गया श्राद्ध के लिए आते हैं| खासकर कार्तिक की कृष्ण पक्ष की एकादशी से पूर्णिमा तक के विश्वपंचक पर्व के दौरान लाखों श्रद्धालु सिद्धपुर स्नान, दान और पिंडदान कर मातृ-पितृओं को संतुष्ट करने के आनंद का अनुभव करते हैं|
सिद्धपुर आनेवाले श्रद्धालुओं के लिए गुजरात सरकार ने बड़ा फैसला किया है| जीपीवायवीबी के सचिव आरआर रावल ने बताया कि सिद्धपुर के महत्वपूर्ण मातृ गया तीर्थ को गुजरात सरकार के जीपीवायवीबी ने अत्यंत सुविधायुक्त बनाया है और श्राद्ध विधि के लिए आनेवाले देशभर के श्रद्धालुओं को कोई असुविधा ना हो इसके लिए ‘ऑनलाइन क्यू मैनेजमेंट सिस्टम’ पोर्टल तैयार किया गया है| यह पोर्टल 1 फरवरी 2024 से कार्यरत हो जाएगा| सिद्धपुर के बिंदू सरोवर में श्राद्ध विधि करने के इच्छुक श्रद्धालु बोर्ड की वेबसाइट https://yatradham.gujarat.gov.in अथवा एन्ड्रोइड एप्लिकेशन Yatradham Of Gujarat (YOG) के मार्फत या फिर स्थल पर ही रजिस्ट्रेशन ऑफिस में ऑफलाइन पंजीकरण करवा टोकन फीस का भुगतान ‘पीओएस मशीन’ के जरिए कर सकते हैं| पंजीकरण के बाद उन्हें श्रद्धा विधि की सुविधा सरलता से उपलब्ध होंगी| इस पोर्टल पर स्पेशल होल रजिस्ट्रेशन, प्रति परिवार रजिस्ट्रेशन, स्थानीय नागरिकों के लिए दर्शन सुविधा, स्थानीय नागरिकों को श्राद्ध विधि जैसी महत्वपूर्ण सुविधा उपलब्ध कराई गई हैं| देश में कहीं से कोई श्राद्ध विधि करना चाहता है तो वह इस पोर्टल पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा नंबर प्राप्त कर सकता है| बिंदू सरोवर पर किस तारीख, कितने समय और किस स्थल पर उसकी विधि की जाएगी वह भी पोर्टल पर निर्धारित किया जा सकेगा| ऑनलाइन पीओएस मशीन के मार्फत 100 प्रतिशत डिजिटल भुगतान किया जा सकेगा|
कोरोना के बाद अब तेजी से फैल रही है स्मार्टफोन जॉम्बी बीमारी, जानें क्या है इसके लक्षण?
24 Jan, 2024 10:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई। यूँ तो मोबाइल फोन का आविष्कार मानव जीवन की एक बड़ी उपलब्धि है। मोबाइल ने मानव जीवन में सामाजिक और भौगोलिक दूरियों को काफी हद तक कम कर दिया है। हालांकि मोबाइल फोन ने पूरी जिंदगी पर कब्ज़ा भी कर लिया है. भोजन, वस्त्र और मकान मनुष्य की तीन मूलभूत आवश्यकताएँ थीं। लेकिन अब इसमें एक नई जरूरत जुड़ गई है, वो है हमारा मोबाइल फोन. एक समय भोजन न मिले तो अच्छा रहेगा। लेकिन आलम ये हो गया है कि हर किसी को मोबाइल फोन के बिना आराम नहीं है. क्या आपको भी सारा दिन मोबाइल फोन हाथ में लेकर बैठे रहने की आदत है? इसलिए समय रहते सावधान हो जाएं. दरअसल कोरोना संक्रमण के बाद अब देश में स्मार्टफोन जॉम्बी नाम की बीमारी तेजी से बढ़ रही है।
वर्तमान समय में मोबाइल फोन के इस्तेमाल को हम नकार नहीं सकते। यदि किसी को तुरंत संपर्क करना हो या संदेश भेजना हो तो मोबाइल का उपयोग महत्वपूर्ण हो जाता है। इसके अलावा खाने से लेकर शॉपिंग तक सब कुछ मोबाइल फोन की एक क्लिक से आसान हो गया है। लेकिन अब मोबाइल फोन का चलन बहुत ज्यादा हो गया है. काम के अलावा हम लगातार मोबाइल फोन देखते रहने के आदी हो चले हैं। जब कोई काम न हो, कार या ट्रेन से यात्रा करते समय, यहां तक कि सड़क पर चलते समय भी हर किसी का दिमाग अपने मोबाइल फोन में ही रहता है। मोबाइल फोन देखते हुए सड़क पार करते समय दुर्घटना की कई घटनाएं सामने आई हैं।
सोशल मीडिया पर जो पोस्टर वायरल हो रहा है उसमें दो लोगों को दिखाया गया है. ये दोनों शख्स सामने या इधर-उधर देखने की बजाय मोबाइल फोन देखते हुए सड़क पार करते नजर आ रहे हैं. यही कारण है कि जिन लोगों को यह आदत होती है उन्हें स्मार्टफोन जॉम्बी कहा जाता है। 19 जनवरी को बेंगलुरु शहर में यह पोस्टर लगाया गया था. इसके बाद ये पोस्टर सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है. इस पर कई यूजर्स ने कमेंट किए हैं.
दिल्ली हाईकोर्ट ने पहले दी गर्भपात की इजाजत, अब बदला फैसला
24 Jan, 2024 09:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महिला को अपनी 29 हफ्ते की प्रेग्नेंसी टर्मिनेट (खत्म) करने की अनुमति देने के बाद अब अपना आदेश को वापस ले लिया है। 23 साल की महिला विधवा है। जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने आदेश वापस लिया है।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि आदेश वापस लिया जाता है। केंद्र की ओर से याचिका दायर करने के बाद आया है। जिसमें बीती चार जनवरी के आदेश को वापस लेने की मांग की गई है। गर्भावस्था को चिकित्सकीय रूप से समाप्त करने की अनुमति दी गई थी। केंद्र ने अपनी याचिका में कहा कि गर्भावस्था का समापन तब तक नहीं हो सकता है। जब तक कि डॉक्टर भ्रूणहत्या न कर दें। ऐसा न करने पर बड़ी जटिलताओं के साथ समय से पहले प्रसव होगा।
चार जनवरी को कोर्ट ने महिला को मानसिक समस्याओं के कारण 29 हफ्ते की गर्भावस्था को खत्म करने की करने की इजाजत दे दी थी। महिला अपने पति की मौत के कारण मानसिक दिक्कतों से जूझ रही है। दिल्ली एम्स ने महिला के साइकेट्रिक (मनोचिकित्सा) रिपोर्ट तैयार की थी। इसमें कहा गया था कि वह सदमे में है और उसमें आत्महत्या का प्रवृत्ति है। इसके बाद प्रेग्नेंसी को जारी रखने से मानसिक स्थिरता पर असर पड़ेगा। यह देखकर कोर्ट ने गर्भावस्था टर्मिनेट करने की इजाजत दी थी।
दरअसल, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने एम्स द्वारा दायर रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट से अपने फैसले पर पुन: विचार करने का अनुरोध किया था। साथ ही महिला को दो-तीन हफ्ते प्रेग्नेंसी को जारी रखने का आदेश देने को कहा था जिससे मां और बच्चे का स्वास्थ्य बेहतर रहे। कोर्ट में आवेदन इसलिए दायर किया गया क्योंकि महिला ने बच्चे को जन्म देने की प्रक्रिया से गुजरने से मना कर दिया था। केंद्र ने अपने आवेदन में कहा था कि बच्चे के जीवित रहने की संभावना है। अदालत को अजन्मे शिशु के जीवन के अधिकार की रक्षा करने पर विचार करना चाहिए।
महिला आरक्षण बिल को जल्द लागू करने की मांग, मोदी सरकार ने किया विरोध
24 Jan, 2024 08:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
डॉ.गायत्री ✍🏻.....
नई दिल्ली। केंद्र ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम को जल्दी लागू करने की मांग वाली हालिया याचिका के खिलाफ सख्त विरोध किया है। यह अधिनियम महिलाओं के लिए लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में एक तिहाई सीटें आरक्षित करने के लिए बनाया गया है। याचिका में कहा गया है कि जनगणना और परिसीमन को महिला आरक्षण लागू करने की पूर्व शर्त के तौर पर थोपना संविधान की मौलिक संरचना का अतिक्रमण है। इसकारण महिला आरक्षण के कानून को 2024 के आगामी आम चुनावों से पहले लागू किया जाए। इसका विरोध कर मोदी सरकार ने दलील दी कि यह संवैधानिक संशोधन कैसे संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन करता है, याचिका में इसका कोई आधार नहीं बताया गया है।
पीठ ने मुद्दे की गंभीरता को स्वीकार करते हुए कांग्रेस नेता जया ठाकुर की जनहित याचिका (पीआईएल) पर आपत्तियों को संबोधित कर मोदी सरकार से एक विस्तृत हलफनामा देने को कहा। हालांकि मोदी सरकार ने अपनी प्रतिक्रिया तैयार करने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा। वहीं, याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने आगामी लोकसभा चुनावों का हवाला देकर मामले को जल्दी निपटाने पर जोर दिया। पीठ ने चिंताओं को स्वीकार कर केंद्र की विस्तृत प्रतिक्रिया की समीक्षा होने तक अंतरिम आदेश जारी करने से परहेज किया। दो जजों की बेंच ने कहा, हम आज अंतरिम आदेश के बारे में कुछ नहीं कहना चाहते। पहले जवाब आने दीजिए। अदालत ने सरकार को अपना जवाब तैयार करने की अनुमति देने के लिए मामले को तीन सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया।
जब वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि वे इस मुद्दे पर एक याचिका दायर करना चाहते हैं, तब पीठ ने वकील से कहा कि उनकी याचिका एक नया मामला होने के चलते केवल प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ को ही सौंपी जा सकती है। अदालत इस मामले की सुनवाई अब तीन सप्ताह बाद करेगी।
यह कानूनी झगड़ा 1973 के ऐतिहासिक केशवानंद भारती केस के फैसले की पृष्ठभूमि में सामने आया है, जिसने बुनियादी संरचना सिद्धांत की स्थापना की थी। इस ऐतिहासिक फैसले ने पुष्टि की कि हालांकि संसद के पास संविधान में संशोधन करने की शक्ति है, लेकिन वह इसके अंतर्निहित सिद्धांतों से छेड़छाड़ नहीं कर सकती है। यह एक ऐसा सिद्धांत है जो सत्ता के संवैधानिक संतुलन को बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण रहा है कि मूल लोकतांत्रिक मूल्यों को संरक्षित रखा जाए।
भारत सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा की
23 Jan, 2024 11:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । भारत सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा की है। उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया जाएगा। ठाकुर की बुधवार को 100वीं जयंती है। मोदी सरकार ने एक दिन पहले उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का एलान किया है। जनता दल यूनाइटेड ने पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने की मांग उठाई थी।
वर्षों की तपस्या का मिला फल
कर्पूरी ठाकुर के पुत्र रामनाथ ठाकुर ने कहा कि 36 साल की तपस्या का फल हमें मिला है। मैं अपने परिवार और बिहार की जनता की तरफ से केंद्र सरकार को धन्यवाद देता हूं।
जानिए कर्पूरी ठाकुर के बारे में
कर्पूरी ठाकुर का जन्म समस्तीपुर के गांव पितौंझिया में 24 जनवरी 1924 को हुआ था। वह भारत के स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ, बिहार के दूसरे उपमुख्यमंत्री व दो बार मुख्यमंत्री रह चुके हैं। उन्हें जननायक कहा जाता था। इनके पिता किसान थे और अपने पारंपरिक पेशा नाई का काम करते थे। कर्पूरी 22 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 और 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979 के दौरान दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे।
गोविंद देवगिरी जी महाराज ने कहा मुझे लगा कि मैं एक बेटे की मदद कर रहा हूं, जो मेरे देश का हीरो है,उसका उपवास तोड़ रहा हूं
23 Jan, 2024 04:49 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अयोध्या । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने हाथों से चरणामृत पिलाने और उनका 11 दिन का व्रत तुड़वाने वाले गोविंद देवगिरी जी महाराज भावुक हो गए। उन्होंने कहा कि मुझे लगा कि मैं एक बेटे की मदद कर रहा हूं, जो मेरे देश का हीरो है। उसका उपवास तोड़ रहा है। बता दें पीएम मोदी ने रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर अपना अनुष्ठान तोड़ा।
चरणामृत पिलाकर तोड़ा व्रत
गोविंद देवगिरी जी महाराज ने कहा, 'हमनें शहद और नींबू पानी मिलाकर उनके पिलाने के बारे में सोचा था, लेकिन पीएम ने मुझसे कहा कि आप मुझे भगवान राम के चरण अमृत की कुछ बूंदें पिलाएं।' महाराज ने कहा कि मेरा स्नेह जाग गया। मुझे लगा कि मैं एक बेटे की मदद कर रहा हूं जो देश का नायक है।
पीएम मोदी ने किया राम मंत्र का जाप
उन्होंने कहा कि मैं सभी कारसेवकों को याद कर रहा हूं। जिन्होंने इस काम के लिए बलिदान दिया है। कार्य को कई लोगों ने किया, लेकिन उन सभी को सम्मिलित शक्ति ने प्रधानमंत्री मोदी को खड़ा कर दिया। गोविंद देवगिरी ने कहा, '11 दिनों में पीएम नरेंद्र मोदी ने भगवान राम के मंत्र का जाप किया। मैंने खुद देखा कि वह लगातार जाप कर रहे थे।' उन्होंने आगे कहा कि इस तरह यदि हमें कोई राष्ट्रीय नायक मिल जाए जो अपने शब्दों, मन और कार्यों से खुद पर कंट्रोल रखता हो, तो यह हमारा सौभाग्य होगा।
हमारे राम आए गए हैं- पीएम मोदी
अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण ने लोगों को एक नई ऊर्जा से भर दिया है। सदियों के इंतजार के बाद प्रभु राम अपने निवास स्थान पर आ गए हैं। उन्होंने कहा, 22 जनवरी 2024 सिर्फ एक तारीख नहीं है, बल्कि एक नए युग की शुरुआत है।