धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
हर गुरुवार करें ये चमत्कारी पाठ, आरोग्य और सौभाग्य की होगी प्राप्ति
2 Feb, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आज गुरुवार का दिन है और ये दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए श्रेष्ठ माना जाता है भक्त इस दिन भगवान की विधिवत पूजा करते है और व्रत भी रखते है मान्यता है कि इस दिन व्रत पूजा के साथ साथ अगर श्री विष्णु के प्रिय स्तोत्र का संपूर्ण पाठ किया जाए तो साधक को लाभ मिलता है ऐसे में अगर आप भी हरि कृपा पाना चाहते है तो हर गुरुवार के दिन श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र का संपूर्ण पाठ करें तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र पाठ।
श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्र-
स्तोत्रम्-
॥ हरिः ॐ ॥
विश्वं विष्णुर्वषट्कारो भूतभव्यभवत्प्रभुः।
भूतकृद्भूतभृद्भावो भूतात्मा भूतभावनः॥१॥
पूतात्मा परमात्मा च मुक्तानां परमा गतिः।
अव्ययः पुरुषः साक्षी क्षेत्रज्ञोऽक्षर एव च॥२॥
योगो योगविदां नेता प्रधानपुरुषेश्वरः।
नारसिंहवपुः श्रीमान् केशवः पुरुषोत्तमः॥३॥
सर्वः शर्वः शिवः स्थाणुर्भूतादिर्निधिरव्ययः।
संभवो भावनो भर्ता प्रभवः प्रभुरीश्वरः॥४॥
स्वयंभूः शम्भुरादित्यः पुष्कराक्षो महास्वनः।
अनादिनिधनो धाता विधाता धातुरुत्तमः॥५॥
अप्रमेयो हृषीकेशः पद्मनाभोऽमरप्रभुः।
विश्वकर्मा मनुस्त्वष्टा स्थविष्ठः स्थविरो ध्रुवः॥६॥
अग्राह्यः शाश्वतः कृष्णो लोहिताक्षः प्रतर्दनः।
प्रभूतस्त्रिककुब्धाम पवित्रं मङ्गलं परम्॥७॥
ईशानः प्राणदः प्राणो ज्येष्ठः श्रेष्ठः प्रजापतिः।
हिरण्यगर्भो भूगर्भो माधवो मधुसूदनः॥८॥
ईश्वरो विक्रमी धन्वी मेधावी विक्रमः क्रमः।
अनुत्तमो दुराधर्षः कृतज्ञः कृतिरात्मवान्॥९॥
सुरेशः शरणं शर्म विश्वरेताः प्रजाभवः।
अहः संवत्सरो व्यालः प्रत्ययः सर्वदर्शनः॥१०॥
अजः सर्वेश्वरः सिद्धः सिद्धिः सर्वादिरच्युतः।
वृषाकपिरमेयात्मा सर्वयोगविनिःसृतः॥११॥
वसुर्वसुमनाः सत्यः समात्माऽसम्मितः समः।
अमोघः पुण्डरीकाक्षो वृषकर्मा वृषाकृतिः॥१२॥
रुद्रो बहुशिरा बभ्रुर्विश्वयोनिः शुचिश्रवाः।
अमृतः शाश्वत स्थाणुर्वरारोहो महातपाः॥१३॥
सर्वगः सर्वविद्भानुर्विष्वक्सेनो जनार्दनः।
वेदो वेदविदव्यङ्गो वेदाङ्गो वेदवित् कविः॥१४॥
लोकाध्यक्षः सुराध्यक्षो धर्माध्यक्षः कृताकृतः।
चतुरात्मा चतुर्व्यूहश्चतुर्दंष्ट्रश्चतुर्भुजः॥१५॥
भ्राजिष्णुर्भोजनं भोक्ता सहिष्णुर्जगदादिजः।
अनघो विजयो जेता विश्वयोनिः पुनर्वसुः॥१६॥
उपेन्द्रो वामनः प्रांशुरमोघः शुचिरूर्जितः।
अतीन्द्रः संग्रहः सर्गो धृतात्मा नियमो यमः॥१७॥
वेद्यो वैद्यः सदायोगी वीरहा माधवो मधुः।
अतीन्द्रियो महामायो महोत्साहो महाबलः॥१८॥
महाबुद्धिर्महावीर्यो महाशक्तिर्महाद्युतिः।
अनिर्देश्यवपुः श्रीमानमेयात्मा महाद्रिधृक्॥१९॥
महेष्वासो महीभर्ता श्रीनिवासः सतां गतिः।
अनिरुद्धः सुरानन्दो गोविन्दो गोविदां पतिः॥२०॥
मरीचिर्दमनो हंसः सुपर्णो भुजगोत्तमः।
हिरण्यनाभः सुतपाः पद्मनाभः प्रजापतिः॥२१॥
अमृत्युः सर्वदृक् सिंहः सन्धाता सन्धिमान् स्थिरः।
अजो दुर्मर्षणः शास्ता विश्रुतात्मा सुरारिहा॥२२॥
गुरुर्गुरुतमो धाम सत्यः सत्यपराक्रमः।
निमिषोऽनिमिषः स्रग्वी वाचस्पतिरुदारधीः॥२३॥
अग्रणीर्ग्रामणीः श्रीमान् न्यायो नेता समीरणः।
सहस्रमूर्धा विश्वात्मा सहस्राक्षः सहस्रपात्॥२४॥
आवर्तनो निवृत्तात्मा संवृतः संप्रमर्दनः।
अहः संवर्तको वह्निरनिलो धरणीधरः॥२५॥
सुप्रसादः प्रसन्नात्मा विश्वधृग्विश्वभुग्विभुः।
सत्कर्ता सत्कृतः साधुर्जह्नुर्नारायणो नरः॥२६॥
असंख्येयोऽप्रमेयात्मा विशिष्टः शिष्टकृच्छुचिः।
सिद्धार्थः सिद्धसंकल्पः सिद्धिदः सिद्धिसाधनः॥२७॥
वृषाही वृषभो विष्णुर्वृषपर्वा वृषोदरः।
वर्धनो वर्धमानश्च विविक्तः श्रुतिसागरः॥२८॥
सुभुजो दुर्धरो वाग्मी महेन्द्रो वसुदो वसुः।
नैकरूपो बृहद्रूपः शिपिविष्टः प्रकाशनः॥२९॥
ओजस्तेजोद्युतिधरः प्रकाशात्मा प्रतापनः।
ऋद्धः स्पष्टाक्षरो मन्त्रश्चन्द्रांशुर्भास्करद्युतिः॥३०॥
अमृतांशूद्भवो भानुः शशबिन्दुः सुरेश्वरः।
औषधं जगतः सेतुः सत्यधर्मपराक्रमः॥३१॥
भूतभव्यभवन्नाथः पवनः पावनोऽनलः।
कामहा कामकृत्कान्तः कामः कामप्रदः प्रभुः॥३२॥
युगादिकृद्युगावर्तो नैकमायो महाशनः।
अदृश्यो व्यक्तरूपश्च सहस्रजिदनन्तजित्॥३३॥
इष्टोऽविशिष्टः शिष्टेष्टः शिखण्डी नहुषो वृषः।
क्रोधहा क्रोधकृत्कर्ता विश्वबाहुर्महीधरः॥३४॥
अच्युतः प्रथितः प्राणः प्राणदो वासवानुजः।
अपांनिधिरधिष्ठानमप्रमत्तः प्रतिष्ठितः॥३५॥
स्कन्दः स्कन्दधरो धुर्यो वरदो वायुवाहनः।
वासुदेवो बृहद्भानुरादिदेवः पुरन्दरः॥३६॥
अशोकस्तारणस्तारः शूरः शौरिर्जनेश्वरः।
अनुकूलः शतावर्तः पद्मी पद्मनिभेक्षणः॥३७॥
पद्मनाभोऽरविन्दाक्षः पद्मगर्भः शरीरभृत्।
महर्द्धिरृद्धो वृद्धात्मा महाक्षो गरुडध्वजः॥३८॥
अतुलः शरभो भीमः समयज्ञो हविर्हरिः।
सर्वलक्षणलक्षण्यो लक्ष्मीवान् समितिञ्जयः॥३९॥
विक्षरो रोहितो मार्गो हेतुर्दामोदरः सहः।
महीधरो महाभागो वेगवानमिताशनः॥४०॥
उद्भवः क्षोभणो देवः श्रीगर्भः परमेश्वरः।
करणं कारणं कर्ता विकर्ता गहनो गुहः॥४१॥
व्यवसायो व्यवस्थानः संस्थानः स्थानदो ध्रुवः।
परर्द्धिः परमस्पष्टस्तुष्टः पुष्टः शुभेक्षणः॥४२॥
रामो विरामो विरजो (विरतो) मार्गो नेयो नयोऽनयः।
वीरः शक्तिमतां श्रेष्ठो धर्मो धर्मविदुत्तमः॥४३॥
वैकुण्ठः पुरुषः प्राणः प्राणदः प्रणवः पृथुः।
हिरण्यगर्भः शत्रुघ्नो व्याप्तो वायुरधोक्षजः॥४४॥
ऋतुः सुदर्शनः कालः परमेष्ठी परिग्रहः।
उग्रः संवत्सरो दक्षो विश्रामो विश्वदक्षिणः॥४५॥
विस्तारः स्थावरस्थाणुः प्रमाणं बीजमव्ययम्।
अर्थोऽनर्थो महाकोशो महाभोगो महाधनः॥४६॥
अनिर्विण्णः स्थविष्ठोऽभूर्धर्मयूपो महामखः।
नक्षत्रनेमिर्नक्षत्री क्षमः क्षामः समीहनः॥४७॥
यज्ञ इज्यो महेज्यश्च क्रतुः सत्रं सतां गतिः।
सर्वदर्शी विमुक्तात्मा सर्वज्ञो ज्ञानमुत्तमम्॥४८॥
सुव्रतः सुमुखः सूक्ष्मः सुघोषः सुखदः सुहृत्।
मनोहरो जितक्रोधो वीरबाहुर्विदारणः॥४९॥
स्वापनः स्ववशो व्यापी नैकात्मा नैककर्मकृत्।
वत्सरो वत्सलो वत्सी रत्नगर्भो धनेश्वरः॥५०॥
धर्मगुब्धर्मकृद्धर्मी सदसत्क्षरमक्षरम्।
अविज्ञाता सहस्रांशुर्विधाता कृतलक्षणः॥५१॥
गभस्तिनेमिः सत्त्वस्थः सिंहो भूतमहेश्वरः।
आदिदेवो महादेवो देवेशो देवभृद्गुरुः॥५२॥
उत्तरो गोपतिर्गोप्ता ज्ञानगम्यः पुरातनः।
शरीरभूतभृद्भोक्ता कपीन्द्रो भूरिदक्षिणः॥५३॥
सोमपोऽमृतपः सोमः पुरुजित्पुरुसत्तमः।
विनयो जयः सत्यसंधो दाशार्हः सात्त्वतांपतिः॥५४॥
जीवो विनयिता साक्षी मुकुन्दोऽमितविक्रमः।
अम्भोनिधिरनन्तात्मा महोदधिशयोऽन्तकः॥५५॥
अजो महार्हः स्वाभाव्यो जितामित्रः प्रमोदनः।
आनन्दो नन्दनो नन्दः सत्यधर्मा त्रिविक्रमः॥५६॥
महर्षिः कपिलाचार्यः कृतज्ञो मेदिनीपतिः।
त्रिपदस्त्रिदशाध्यक्षो महाशृङ्गः कृतान्तकृत्॥५७॥
महावराहो गोविन्दः सुषेणः कनकाङ्गदी।
गुह्यो गभीरो गहनो गुप्तश्चक्रगदाधरः॥५८॥
वेधाः स्वाङ्गोऽजितः कृष्णो दृढः संकर्षणोऽच्युतः।
वरुणो वारुणो वृक्षः पुष्कराक्षो महामनाः॥५९॥
भगवान् भगहाऽऽनन्दी वनमाली हलायुधः।
आदित्यो ज्योतिरादित्यः सहिष्णुर्गतिसत्तमः॥६०॥
6 फरवरी से शुरू होगा हिंदू पंचांग का अंतिम मास फाल्गुन, जानें क्यों खास है ये महीना
2 Feb, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उज्जैन. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, एक हिंदू वर्ष में 12 महीने होते हैं। साल का अंतिम महीना फाल्गुन होता है। इस बार फाल्गुन मास (Falgun month 2023) 6 फरवरी से शुरू होगा, जो 7 मार्च तक रहेगा।
इस महीने में महाशिवरात्रि, विजया एकादशी, होलिका दहन आदि कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाएंगे। फाल्गुन मास में भगवान विष्णु-लक्ष्मी, श्रीकृष्ण और चंद्रमा की पूजा करने का विधान पुराणों में बताया गया है। साथ ही इस महीने से जुड़े कई नियम भी पुराणों में बताए गए हैं। आगे जानिए फाल्गुन मास से जुड़ी खास बातें, इस महीने में क्या करें-क्या नहीं.
फाल्गुन मास में रखें इन 4 बातों का ध्यान?
1. आयुर्वेद के अनुसार, फाल्गुन मास में ऋतु परिवर्तन होता है, इसलिए इस महीने में सेहत का खास ध्यान रखना चाहिए। अनाज का उपयोग कम करते हुए फलों का सेवन अधिक करना चाहिए ताकि पाचन क्रिया पर कोई असर न हो।
2. फाल्गुन मास में दिन में गर्मी और रात में ठंडक रहती है। इसलिए नहाने के लिए ठंडे पानी का ही उपयोग करना चाहिए ताकि शीतजन्य रोग न हो। शीतजन्म रोगों से बचने के लिए इस मौसम में शीतला माता की पूजा का भी विधान है।
3. इस महीने में दिन में हल्के कपड़े पहनना चाहिए और को मौसम के अनुकूल ताकि ऋतु परिवर्तन की वजह से किसी तरह की कोई परेशानी न हो।
4. इस मौसम में रोज सुबह जल्दी उठकर सूर्यदेव को जल चढ़ाना चाहिए। इस समय सूर्यदेव आमतौर पर मकर और कुंभ राशि में होते हैं। ये दोनों ही शनि की राशि है। इस महीने में सूर्यदेव को जल चढ़ाने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
कौन-से प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं फाल्गुन मास में? (Festival inFalgun month 2023)
फाल्गुन मास में वैसे तो कई त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन इनमें से दो प्रमुख हैं। पहला त्योहार है महाशिवरात्रि जो फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी पर मनाया जाता है। मान्यता के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान शिव निराकार यानी ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट हुए थे। दूसरा त्योहार है होलिका दहन। ये पर्व फाल्गुन मास के अंतिम दिन पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन बुराई का प्रतीक होलिका का दहन किया जाता है।
फाल्गुन मास में किस देवी-देवता की पूजा करें ?
गीता में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि 'महीनों में मैं फाल्गुन हूं।' इसलिए इस महीने में भगवान श्रीकृष्ण की पूजा विशेष रूप से की जाती है। धर्मग्रंथों के अनुसार, इस महीने में श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करने से संतान सुख मिलता है। राधा-कृष्ण रूप की पूजा करने से सुख और समृद्धि बढ़ती है। फाल्गुन मास में कृष्ण मंदिरों में फाग उत्सव भी मनाया जाता है। ये भगवान श्रीकृष्ण से संबंधित है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (02 फरवरी 2023)
2 Feb, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- व्यवसाय मंद रहे एवं कुछ चिन्ताएं बनेगी खर्च बढ़ेगा।
वृष राशि :- धन का व्यय एवं चिंता बनी रहे किसी आरोप से बचकर अवश्य ही चलेंगे।
मिथुन राशि :- स्त्री वर्ग से कष्टचिंता व्यावसायिक कार्यो में आरोप होवेगा धन की हानि होवेगी।
कर्क राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद रहेगा मान प्रतिष्ठा के योग अवश्य ही बनेंगे।
सिंह राशि :- स्वभाव में क्लेश व अशांति अधिकारियों के आरोपों से विक्षुब्ध रखेंगे ध्यान रखें।
कन्या राशि : परिश्रम से कार्य सफल होगे सफलता में आय की योजनापूर्ण अवश्य होवेगी।
तुला राशि :- भोग एश्वर्य की प्राप्ति कार्यगति उत्तम सफलता के साधन जुटायें कार्य बनेंगे।
वृश्चिक राशि :- किसी का कार्य बनने से मनोबल ऊंचा होगा तनाव क्लेश व अशांति होवेगी।
धनु राशि :- झूठे आरोप क्लेश असमंजसयुक्त रखे तनाव तथा शरीर कष्ट होवेगा शत्रु से बचे।
मकर राशि :- दूसरों के कार्यो में व्यर्थ समय नष्ट न करें तनाव क्लेश क्रोध होवेगा सावधानी रखें।
कुंभ राशि :- धनलाभ बिगड़े हुए कार्य बनेंगे आशानुकूल सफलता का हर्ष होवेगा धन प्राप्त होंगा।
मीन राशि :- कार्यगति सामान्य आर्थिक योजनापूर्ण होवेगी संतोष बना ही रहेगा।
किस्मत चमकाने के लिए काफी हैं ये 5 उपाय, 1 फरवरी को जया एकादशी पर करें
1 Feb, 2023 11:43 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, एक महीने में 2 एकादशी तिथि आती है यानी साल में कुल 24 एकादशी। इन सभी एकादशी का नाम और महत्व अलग-अलग है। इसी क्रम में माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को जया एकादशी (Jaya Ekadashi 2023 Upay) कहते हैं।
इस बार ये एकादशी 1 फरवरी, बुधवार को है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार, इस दिन यदि कुछ खास काम किए जाएं तो भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है और परेशानियां दूर होती हैं। आगे जानिए इन कामों के बारे में.
किसी मंदिर में ध्वज दान करें
जया एकादशी पर किसी विष्णु मंदिर में दर्शन करने जाएं और वहां केसरिया ध्वज का दान करें। पुजारी से अनुरोध करें कि उपयुक्त समय आने पर वो ये ध्वज मंदिर के शिखर पर जरूर लगाए। अपनी इच्छा के अनुसार, पुजारी को दान-दक्षिणा भी जरूर दें। इस उपाय से शीघ्र ही आपकी समस्याओं का समाधान हो सकता है।
पीपल का पौधा रोपें
जया एकादशी पर अपने घर के आस-पास या अन्य किसी उपयुक्त स्थान पर पीपल का पौधा रोपें और प्रतिदिन इस पर जल चढ़ाएं। धर्म ग्रंथों में पीपल को पूजनीय वृक्ष माना गया है और इसे भगवान विष्णु का स्वरूप मानकर इसकी पूजा भी की जाती है। एकादशी पर इसका पौधा लगाने से हर तरह की दुख-कष्ट दूर हो सकते हैं।
पीले फलों का दान करें
जया एकादशी पर किसी मंदिर में अपनी शक्ति के अनुसार पीले फलों का भोग लगाएं। ये पीले फल केले आदि कोई भी हो सकते हैं और बाद में इसे जरूरतमंदों को दान कर दें। भगवान विष्णु को पीतांबरधारी कहते हैं, यानी इन्हें ये रंग काफी प्रिय है। इस रंग के फलों का दान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।
तुलसी की पूजा जरूर करें
एकादशी पर तुलसी की पूजा भी जरूर करना चाहिए, लेकिन इस दिन इस पर जल न चढ़ाएं। मान्यता है कि एकादशी तिथि पर तुलसी भी भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखती है, इसलिए इस दिन जल न चढ़ाते हुए सिर्फ शुद्ध घी का दीपक लगाएं और तुलसी नामाष्टक का पाठ करें। इससे घर में सुख-शांति बनी रहेगी।
भगवान विष्णु का अभिषेक करें
शुभ फल पाने के लिए जया एकादशी भगवान विष्णु की प्रतिमा का शुद्ध जल से अभिषेक करें। चाहें तो इस जल में थोड़ी हल्दी या केसर मिला सकते हैं। इस उपाय से गुरु ग्रह से संबंधित दोष दूर होते हैं और हर तरह की परेशानी से राहत मिलती है। ये उपाय बहुत ही आसान और कारगर है।
कब है गुरु प्रदोष? नोट करें पूजा विधि, मुहूर्त, इस व्रत से शत्रु होते हैं परास्त
1 Feb, 2023 11:40 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू शास्त्र में देवों के देव महादेव की लीला अपरंपार है. इनकी लीला को आजतक कोई समझ नहीं पाया. इनसे संबंधित सभी चीजों भी कल्याणकारी मानी गई हैं.
अगर बात करें इनके व्रत की तो वह जातकों के लिए हमेशा से मनोकामना पूर्ण करने वाला रहा है. कुछ ही दिनों में महाशिवरात्रि आने वाली है. वहीं, इससे पहले भोलेनाथ का गुरु प्रदोष व्रत भी आ रहा है. लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि गुरु प्रदोष व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस दिन भोलेनाथ की विधिवत पूजा करने से मन की मुराद पूरी होती है.
संध्याकाल में होती है प्रदोष व्रत की पूजा
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. प्रदोष काल का मतलब संध्याकाल से है. बता दें, संध्या के समय जब दिन और रात मिलते हैं उस समय को प्रदोष काल कहा जाता है. आइये जानते हैं माघ महीने के गुरु प्रदोष व्रत की पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व के बारे में.
गुरु प्रदोष व्रत तिथि और पूजामुहूर्त
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि हिंदू पंचांग के मुताबिक माघ महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि गुरुवार 02 फरवरी को सायंकाल 4 बजकर 25 मिनट से शुरू हो रही है. वहीं, इस तिथि का समापन शुक्रवार 3 फरवरी को शाम तकरीबन 7 बजे होगा. प्रदोष काल में पूजा करने के चलते 02 फरवरी को ही यह व्रत किया जाएगा. गुरुवार का दिन पड़ रहा है, इसलिए इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा गया है. पूजा का शुभ समय 06 बजकर 02 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 37 मिनट तक रहेगा.
गुरु प्रदोष व्रत की पूजा विधि
गुरु प्रदोष व्रत के दिन प्रात: काल उठकर स्वच्छ जल से स्नान करें.
उसके बाद पूजा का संकल्प लें.
गुरुवार के दिन व्रत है इसलिए शिवजी के साथ-साथ जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु की भी पूजा करनी चाहिए.
प्रदोष की पूजा में शिव भगवान को उनकी प्रिय चीजें अर्पण करनी चाहिए.
हो सके तो इस दिन रुद्राभिषेक भी कर सकते हैं.
प्रदोष काल के समय पूजा में भगवान भोलेनाथ के मंत्रों का यथाशक्ति जाप करें.
गुरु प्रदोष व्रत का महत्व
गुरु प्रदोष व्रत करने से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है और जातकों को समाज में यश-सम्मान मिलता है. वहीं, संतान प्राप्ति का योग भी बनता है. इस दिन व्रत और पूजा करने से गायों के दान के बराबर फल की प्राप्ति होती है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (01 फरवरी 2023)
1 Feb, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- व्यवसाय मंद रहे एवं कुछ चिन्ताएं बनेगी खर्च बढ़ेगा।
वृष राशि :- धन का व्यय एवं चिंता बनी रहे किसी आरोप से बचकर अवश्य ही चलेंगे।
मिथुन राशि :- स्त्री वर्ग से कष्टचिंता व्यावसायिक कार्यो में आरोप होवेगा धन की हानि होवेगी।
कर्क राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद रहेगा मान प्रतिष्ठा के योग अवश्य ही बनेंगे।
सिंह राशि :- स्वभाव में क्लेश व अशांति अधिकारियों के आरोपों से विक्षुब्ध रखेंगे ध्यान रखें।
कन्या राशि : परिश्रम से कार्य सफल होगे सफलता में आय की योजनापूर्ण अवश्य होवेगी।
तुला राशि :- भोग एश्वर्य की प्राप्ति कार्यगति उत्तम सफलता के साधन जुटायें कार्य बनेंगे।
वृश्चिक राशि :- किसी का कार्य बनने से मनोबल ऊंचा होगा तनाव क्लेश व अशांति होवेगी।
धनु राशि :- झूठे आरोप क्लेश असमंजसयुक्त रखे तनाव तथा शरीर कष्ट होवेगा शत्रु से बचे।
मकर राशि :- दूसरों के कार्यो में व्यर्थ समय नष्ट न करें तनाव क्लेश क्रोध होवेगा सावधानी रखें।
कुंभ राशि :- धनलाभ बिगड़े हुए कार्य बनेंगे आशानुकूल सफलता का हर्ष होवेगा धन प्राप्त होंगा।
मीन राशि :- कार्यगति सामान्य आर्थिक योजनापूर्ण होवेगी संतोष बना ही रहेगा।
सात गुरुवार का व्रत रखने वाले भूल कर भी न करे यह गलतियां वरना नष्ट हो जायेगा सारा धन
31 Jan, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धर्म शास्त्रों में गुरुवार के दिन का विशेष महत्व है। ज्योतिष में गुरुवार का दिन भगवान विष्णु और देवताओं के गुरु बृहस्पति देव को समर्पित है। स दिन कुछ ज्योतिष उपाय करने से भाग्य के दरवाजे खुलते हैं और कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति भी मजबूत होती है। साथ ही अन्य दिनों की तुलना में गुरुवार को धार्मिक और मंगल कार्य करने से ज्यादा लाभ भी मिलता है। गुरुवार की व्रत कथा में कुछ ऐसी बातें बताई गई हैं, जिनको गुरुवार के दिन करने से जीवन में कई तरह की परेशानियां का सामना करना पड़ता है, साथ ही सारा धन भी नष्ट हो जाता है। इसलिए सभी दिनों में गुरुवार का ही ऐसा विशेष दिन है, जहां संभलकर कार्य करने की जरूरत पड़ती है। आइए जानते हैं ऐसे कौन से कार्य हैं, जो सात गुरुवार तक ऐसी गलती करते हैं, उनका सारा धन नष्ट हो जाता है।
गुरुवार के दिन यह कार्य नहीं करने चाहिए
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गुरुवार के दिन गाय के गोबर से घर का आंगन नहीं लीपना चाहिए। यदि ऐसा आप लगातार सात गुरुवार तक करते हैं तो इससे धन का नुकसान होता है और कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत हो जाती है। गुरुवार के दिन गाय के गोबर से घर को लीपने से बचना चाहिए। ऐसा आप गुरुवार को छोड़कर अन्य किसी दिन कर सकते हैं।
गुरुवार के दिन ऐसा भोजन करने से बचें
गुरुवार के दिन तामसिक भोजन और मांस-मदिरा का सेवन करने से बचना चाहिए। इस दिन मन, कर्म और तन से शुद्ध रहना चाहिए और सादे भोजन का ही सेवन करना चाहिए। यह दिन सौभाग्य में वृद्धि करता है इसलिए धार्मिक शास्त्रों में गुरुवार के दिन मांस-मदिरा और तामसिक भोजन करना वर्जित बताया गया है। इससे आर्थिक हानि के योग बनते हैं और कार्यक्षेत्र में भी परेशानियां लगी रहती हैं।
गुरुवार को महिलाएं ना करें यह काम
गुरुवार के दिन महिलाओं को बाल धोने से बचना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र में महिलाओं की जन्म कुंडली में बृहस्पति को पति व संतान का कारक ग्रह माना गया है, जिससे इनके जीवन में अशुभ प्रभाव पड़ता है। गुरुवार के दिन महिलाओं के बाल धोने से कुंडली में बृहस्पति की स्थिति भी कमजोर होती है, जिससे बृहस्पति के शुभ प्रभाव में कमी आती है। कुंडली में बृहस्पति की स्थिति मजबूत रहती है, तभी ऐश्वर्य, समृद्धि और प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
आकाशी अप्सरा उर्वशी राजा पुरूरव पर मोहित थी, आनंद विरक्त था, प्रेम कहानी रोचक है
31 Jan, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उर्वशी और राजा पुरुरवा की कहानी पौराणिक कथाओं में राजा पुरुरवा की कहानी बहुत प्रसिद्ध है। स्वर्ग की सर्वश्रेष्ठ अप्सरा उर्वशी भी उनके गुणों पर मोहित हो गई। लंबे समय तक उर्वशी के साथ मौज-मस्ती करने के बाद उन्होंने योग का रास्ता अपनाया। जिसके बाद उन्हें भगवान की प्राप्ति हुई। आइए आज हम आपको उनकी कहानी बताते हैं।
राजा पुरुरवा और उर्वशी की प्रेम कहानी
पंडित रामचंद्र जोशी के अनुसार पुराणों में महाराज पुरुरवा को बुध का पुत्र बताया गया है। इला माता के गर्भ से उत्पन्न होने पर इसे ऐल भी कहते हैं। एक बार स्वर्ग की सर्वश्रेष्ठ अप्सरा उर्वशी, जो पृथ्वी पर भ्रमण के लिए आई थी, एक राक्षस से घिरी हुई थी और उसने उसकी रक्षा की। उर्वशी ने देवर्षि नारद से पुरुरवा के रूप, गुण, शील और वीरता की कथा भी सुनी थी। इस प्रकार वह पुरुरवा पर मोहित हो गई। इंद्र की सभा में पुरूरव को याद करने पर भगवान इंद्र ने उन्हें मृत्युलोक यानी पृथ्वी लोक में जाने का श्राप दिया। ऐसे में वह पुरुरवा के पास रहने लगी।
लौटने पर उर्वशी का ज्ञान
पंडित जोशी के अनुसार जब श्राप का समय समाप्त हुआ तो देवी उर्वशी राजा पुरुरवा को छोड़कर इंद्र की युक्ति से स्वर्ग चली गईं। पुरुरवा जब गया तो बहुत दुखी हुआ। फिर जब उनका कष्ट धीरे-धीरे दूर हो गया, तो वे ज्ञान की प्राप्ति से विरक्त हो गए। उन्होंने मन ही मन विचार किया कि जब इन्द्रियाँ विषयों से संयुक्त हो जाती हैं तो मन विकारग्रस्त हो जाता है। जिसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। जो लोग विषयों से दूर रहते हैं, उनका मन अपने आप स्थिर और शांत हो जाता है। इसलिए कभी भी विषय सामग्री को इसमें नहीं मिलाना चाहिए। इसी विचार से वे भगवान के ध्यान में लीन हो गए और परम पद को प्राप्त हो गए।
अगर आप देवों के देव महादेव के दर्शन करना चाहते हैं तो आपको एक बार पाताल भुवनेश्वर के दर्शन जरूर करने चाहिए
31 Jan, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पाताल भुवनेश्वर: देवों के देव महादेव को कई नामों से जाना जाता है। वे भोला, शंकर, शिव, नटराज, नीलकंठ, पशुपतिनाथ, त्रिनेत्रधारी, रुद्र आदि नामों से जाने जाते हैं। धर्म शास्त्रों में निहित है कि महादेव अरण्य संस्कृति के प्रमुख देवता हैं। उनका न आदि है और न अंत। ये अनंत और सनातन हैं। सनातन धर्म में शैव संप्रदाय के लोग भगवान शिव की गहन पूजा करते हैं। वहीं आम लोग सोमवार, शिवरात्रि और सावन के दिन भगवान शिव की विशेष पूजा करते हैं। भगवान शिव प्रसन्न होकर उन्हें मनोवांछित फल प्रदान करते हैं। इस मौके पर लोग शिव मंदिर जाते हैं। वहीं, देवों के देव महादेव के दर्शन के लिए लोग देश के अलग-अलग स्थानों पर धार्मिक तीर्थ यात्रा पर जाते हैं। अगर आप भी महादेव के अद्भुत दर्शन करना चाहते हैं तो एक बार पाताल भुवनेश्वर जरूर जाएं। आइए जानते हैं इसके बारे में सबकुछ- पाताल भुवनेश्वर कहाँ है?
देवताओं की भूमि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट में पाताल भुवनेश्वर है। गंगोलीहाट राष्ट्रीय राजमार्ग 309ए से जुड़ा है। देहरादून से पिथौरागढ़ के लिए बस, रेल और हवाई सेवा उपलब्ध है। आप अपनी सुविधानुसार पिथौरागढ़ पहुंच सकते हैं। वहां से आप सड़क मार्ग से गंगोलीहाट जा सकते हैं।
पाताल भुवनेश्वर धार्मिक स्थल
पाताल भुवनेश्वर गुफा गंगोलीहाट में जमीन से 90 फीट नीचे स्थित है। कहा जाता है कि इस गुफा में स्थित शिवलिंग का आकार बढ़ता जा रहा है। जिस दिन यह शिवलिंग छत को छू लेगा। उस दिन सृष्टि का अंत होगा। सनातन शास्त्रों में उल्लेख है कि राजा रितुपर्णा ने पाताल भुवनेश्वर गुफा की खोज की थी। सूर्यवंश के राजा रितुपर्णा का शासन काल त्रेता युग में था। स्कंद पुराण में भी पाताल भुवनेश्वर का वर्णन है कि देवों के देव महादेव यहां निवास करते हैं और देवी-देवता उनकी स्तुति करने आते हैं। खोज के दौरान राजा रितुपर्णा पहली बार पाताल भुवनेश्वर पहुंचे। तभी उन्हें देवों के देव महादेव के दर्शन हुए। आप लोहे की जंजीरों की मदद से गुफा में प्रवेश कर सकते हैं। पत्थरों से बनी गुफा में पानी रिसता रहता है। पाताल भुवनेश्वर एक रहस्यमयी जगह है।
कब रखा जाएगा जया एकादशी व्रत, जानिए तारीख, मुहूर्त और विधि
31 Jan, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार मनाए जाते है और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन एकादशी की तिथि श्री हरि विष्णु की प्रिय तिथियों में से एक मानी जाती है पंचांग के अनुसार हर मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को उपवास किया जाता है इस दिन व्रत पूजा का विशेष महत्व होता है वही अभी माघ का पावन महीना चल रहा है।ऐसे में माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन जया एकादशी का व्रत पूजन किया जाता है इस दिन भगवान श्री हरि विष्णु की आराधना की जाती है मान्यता है कि इस दिन अगर श्रद्धा भाव के साथ व्रत पूजन किया जाए तो जातक भूत प्रेत योनि से मुक्ति मिल जाती है साथ ही जगत के पालनहार की कृपा भी बरसाती है, तो आज हम आपको जया एकादशी व्रत पूजन से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे है तो आइए जानते है।
जया एकादशी व्रत पूजा मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का आरंभ 31 जनवरी दिन मंगलवार को सुबह 11 बजकर 55 मिनट से आरंभ हो चुका है वही ये तिथि अगले दिन यानी की 1 फरवरी दिन बुधवार को दोपहर 2 बजकर 1 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदयातिथि की मानें तो जया एकादशी का व्रत 1 फरवरी को करना उत्तम रहेगा।
एकादशी पूजा की विधि-
आपको बता दें कि एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद व्रत पूजन का संकल्प लें और विष्णु जी की आराधना विधिवत करें इस दिन भगवान को पीले वस्त्र अर्पित करें घी में हल्दी मिलाकर दीपक जलाएं और भगवान के समक्ष रखें। पीपल के पत्ते पर दूध और केसर से बनी मिठाई रखकर भगवान विष्णु को भोग जरूर लगाएं। वही इस दिन शाम के वक्त तुलसी के पौधे के सामने घी का दीपक जलाएं। श्री हरि को केले अर्पित करें और जया एकादशी व्रत की संपूर्ण कथा का पाठ करते हुए अंत में आरती जरूर करें इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान देना से भी उत्तम फलों की प्राप्ति होती है और कष्टों से राहत मिल जाती है।
300 साल बाद गर्भ में पैदा हुआ था चंद्रमा
31 Jan, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में चंद्रमा को देवता और ग्रह के रूप में पूजा जाता है। पुराणों में भी चंद्रमा के जन्म और चरित्र से जुड़ी कई कथाएं मिलती हैं। जिसमें कल्प भेद के अनुसार चंद्रमा को अत्रि का पुत्र बताया गया है।
जिनसे प्रजापति दक्ष ने अपनी 27 पुत्रियों का विवाह किया था। इस संबंध में पद्म और मत्स्य पुराण की कथा में चंद्रमा के 300 वर्ष तक गर्भ में रहने की भी कथा है। आज हम आपको वही कहानी बता रहे हैं।
पंडित रामचंद्र जोशी के अनुसार मत्स्य और पद्म पुराण में चन्द्रमा का दिशाओं के गर्भ में 300 वर्ष तक रहने का उल्लेख मिलता है। पुराणों के अनुसार पूर्वकाल में ब्रह्मा ने अपने पुत्र अत्रि को संसार की रचना करने की आज्ञा दी थी। इस पर महर्षि ने घोर तपस्या की। इसके प्रभाव से परमपिता परमात्मा महर्षि के मन और नेत्रों में उपस्थित हो गए। उस समय भगवान शिव ने माता पार्वती सहित अत्रि के मन और नेत्रों को भी अपना अध्य्यम बना लिया। जिसे देखकर चंद्रमा शिव के माथे पर चंद्रमा के रूप में प्रकट हो गया। उस समय महर्षि अत्रि के नेत्रों का जलमय प्रकाश नीचे की ओर चला गया। जिससे सारा संसार प्रकाश से भर गया। दिशा ने उस प्रकाश को स्त्री के रूप में अपने गर्भ में धारण कर लिया।
इसके बाद वह 300 साल तक उनकी कोख बनकर रहे। जब दिशा उसे सहन करने में असमर्थ हो गई, तो उसने उसे त्याग दिया, जिसके बाद भगवान ब्रह्मा ने उसका गर्भ उठाया और उसे एक युवा पुरुष में बदल दिया। वे उसे अपने लोगों के पास ले गए। उस पुरुष को देखकर ब्रह्मर्षि ने उसे अपना स्वामी बनाने की बात कही।
इसके बाद ब्रह्मलोक में देवताओं, गंधर्वों और वैद्यों ने सोमदैवत्व नामक वैदिक मंत्रों से चंद्रमा की पूजा की। इससे चंद्रमा की चमक बढ़ गई। तब उस तेजस्वी समूह से दिव्य औषधियाँ पृथ्वी पर प्रकट हुईं। तभी से चंद्रमा को ओषाधीश कहा जाता है। इसके बाद दक्ष प्रजापति ने अपनी 27 कन्याओं को चंद्रमा को पत्नी के रूप में दे दिया। चंद्रमा ने 10 लाख वर्षों तक भगवान विष्णु की तपस्या की। उससे प्रभावित होकर भगवान ने उसे इंद्र लोक पर विजय सहित कई वरदान दिए।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (31 जनवरी 2023)
31 Jan, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कुटुम्ब में सामान्य क्लेश व अशांति व्यर्थ धन का व्यय तथा पीड़ा होगी।
वृष राशि :- इष्ट मित्रों से सुख अधिकारियों से मेल मिलाप लाभप्रद रहेगा ध्यान रखें।
मिथुन राशि :- अर्थ व्यवस्था अनुकूल होगी सफलता के साधन जुटाएं तथा कार्य बनेंगे।
कर्क राशि :- मनोवृत्ति उदार बनाए रखे तनाव क्लेश से हानि संभव होगी ध्यान रखे।
सिंह राशि :- समय नष्ट हो व्यवसाय गति मंद असंमजस की स्थिति से बचिएगा।
कन्या राशि :- आर्थिक योजना सफल हो व्यवसायिक क्षमता अनुकूल बनी रहेगी कार्य बनेंगे।
तुला राशि :- धन का व्यय व्यर्थ परिश्रम से हानि संभव होवे ध्यान रखें तथा कार्य अवश्य बनें।
वृश्चिक राशि :- स्त्री वर्ग से क्लेश व अशांति तथा विघटनकारी तत्व परेशान अवश्य करेंगे।
धनु राशि :- कुटुम्ब की समस्या सुलझे तथा धन का व्यय व्यर्थ भ्रमण कार्य अवरोध होगा।
मकर राशि :- अर्थ व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो कार्य व्यवसाय गति मध्य बनी ही रहें।
कुंभ राशि :- दैनिक कार्यवृत्ति में सुधार चिन्ताएं कम हो तथा सफलता अवश्य ही मिलेगी।
मीन राशि :- मनोबल उत्साह वर्धक हो कार्यगति अनुकूल बनी रहे।
गुप्त नवरात्रि के आखिरी दिन बन रहे कई शुभ योग, सुख-समृद्धि के लिए कर लें ये उपाय
30 Jan, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
30 जनवरी 2023, दिन सोमवार को माघ गुप्त नवरात्रि का समापन हो रहा है। इसकी शुरुआत 22 जनवरी को हुई थी। 30 जनवरी को नवमी तिथि है। गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि बेहद खास मानी गई है। इस दिन देवी दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। नवरात्रि पूजन के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की उपासना के साथ ही गुप्त नवरात्रि का समापन हो जाता है। नवमी के दिन विधि-विधान से पूजा के साथ ही हवन किया जाता है। साथ ही देवी मां को भोग में हलवा-पूरी और खीर का भोग लगाया जाता है। सुख, धन, समृद्धि पाने के लिए भी गुप्त नवरात्रि का आखिरी दिन बेहद खास माना जाता है। इस दिन कुछ उपाय करने से मां सिद्धिदात्री सभी मनोरथ सिद्ध करती हैं। आइए जानते हैं इस दिन किए जाने वाले उपायों के बारे में...
गुप्त नवरात्रि 2023 नवमी तिथि मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, गुप्त नवरात्रि के नवमी तिथि की शुरुआत 29 जनवरी 2023 को सुबह 09 बजकर 05 मिनट से हो रही है। अगले दिन 30 जनवरी 2023 को सुबह 10 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि को देखते हुए 30 जनवरी को नवमी तिथि मनाई जाएगी।
गुप्त नवरात्रि नवमी तिथि के उपाय
शत्रु पर विजय पाने के लिए
ज्योतिष के अनुसार, गुप्त नवरात्रि के नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा रात्रि में करने से दोगुना फल मिलता है। यदि शत्रु बाधा से परेशान हैं, तो रात्रि में एक लाल कागज में 'ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:' लिखकर अपनी मनोकामना कहें और कागज देवी सिद्धिदात्री के चरणों में अर्पित कर दें। अगले दिन इस कागज को बहते पानी में प्रवाहित कर दें। मान्यता है कि इससे दुश्मन पर विजय प्राप्त होगी।
दांपत्य जीवन से तनाव दूर करने के लिए
नवमी तिथि के दिन सुबह स्नान के बाद गणपति की पूजा करें। फिर मां दुर्गा की तस्वीर के समक्ष दो मुखी घी दीपक लगाकर मां सिद्धिदात्री का स्मरण करते हुए उन्हें कुमकुम, सिंदूर, लाल फूल, चढ़ाएं और फिर 108 बार ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम: मंत्र का जाप करें। इससे आपके वैवाहिक जीवन में चल रही परेशानियां दूर होंगी।
संतान सुख और ग्रह बाधा के लिए
गुप्त नवरात्रि में नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री को खीर का भोग लगाएं। इसके बाद 9 कन्याओं को खीर का प्रसाद बांट दें। माना जाता है कि ये उपाय वंश में वृद्धि करता है। साथ ही मां सिद्धिदात्री की कृपा से ग्रहों के अशुभ प्रभाव नहीं झेलने पड़ते।
कब है फरवरी का पहला प्रदोष व्रत? जानिए शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
30 Jan, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में हर त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है। महदवे की उपासना के लिए ये व्रत खास फलदायी माना गया है। माघ माह दूसरा प्रदोष व्रत 02 फरवरी 2023, बृहस्पतिवार को रखा जाएगा। बृहस्पतिवार के दिन होने से यह गुरु प्रदोष व्रत कहलाएगा। धार्मिक मान्यता के मुताबिक, जो लोग प्रदोष व्रत रखते हुए संध्या के वक़्त महदवे की विधिवत पूजा आराधना करते हैं, उन्हें सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है। इससे सुख समृद्धि एवं सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है। साथ ही जातक के सभी दोष मिट जाते हैं।
गुरु प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त:-
हिंदू पंचांग के मुताबिक, माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 02 फरवरी 2023 को पड़ रही है। गुरु प्रदोष व्रत का आरम्भ 02 फरवरी 2023 को शाम 04 बजकर 26 मिनट से होगा तथा इसका समापन 03 फरवरी शाम 06 बजकर 57 मिनट पर होगा। गुरु प्रदोष व्रत का पूजा मुहूर्त शाम 06 बजकर 01 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। उदयातिथि के मुताबिक, गुरु प्रदोष व्रत 02 फरवरी को रखा जाएगा।
गुरु प्रदोष व्रत पूजन विधि:-
इस दिन प्रातः स्नान करके सफेद वस्त्र धारण करने चाहिए। तत्पश्चात, शिव जी को जल और बेल पत्र अर्पित करें। उनको सफेद वस्तु का भोग लगाएं। उसके बाद शिव मंत्र " ऊं नम: शिवाय " का जप करें। रात में शिव जी के सामने घी का दीया जलाएं। साथ ही रात के वक़्त आठ दिशाओं में आठ दीपक जलाने चाहिए। इस दिन जलाहार तथा फलाहार ग्रहण करना उत्तम होता है। इस दिन नमक और अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (30 जनवरी 2023)
30 Jan, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्यकुशलता से संतोष तथा मनोबल उत्साह वर्धक अवश्य बना ही रहेगा।
वृष राशि :- स्वभाव में खिन्नता होने से हीन भावना से बचिएगा अव्यवस्था कार्य मंद होगा।
मिथुन राशि :- अशांति तथा विषमता से बचिए तथा झगड़ा होने की संभावना बनेगी ध्यान रखे।
कर्क राशि :- स्त्री वर्ग से भोग ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे।
सिंह राशि :- आलोचनाओं से बचिए कार्यकुशलता से संतोष होगा।
कन्या राशि :- धीमी गति से सुधार अपेक्षित है तथा सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
तुला राशि :- स्त्रीवर्ग से हर्ष उल्लास गुप्त शत्रुओं से चिन्ता तथा कुटुम्ब को समस्या बनें।
वृश्चिक राशि :- योजना फलीभूत हो तथा इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे।
धनु राशि :- कुटुम्ब की समस्या कष्टप्रद हो तथा व्यर्थ धन का व्यय अवश्य होगा।
मकर राशि :- कुटुम्ब में सुख मान प्रतिष्ठा बढ़े बड़े-बड़े लीगों से मेल मिलाप होगा।
कुंभ राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल दैनिक गति मंद तथा बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे।
मीन राशि :- कार्य व्यवसाय में अनुकूलता बनेगी समृद्धि के साधन अवश्य जुटाएंगे ध्यान रखें।