धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
ऐसी हो जिनकी संतान वे होते हैं बड़े भाग्यशाली
8 Feb, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चाणक्य को भारत के महान विद्वानों में से एक माना जाता है इनकी नीतियां देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। आचार्य चाणक्य ने अपने जीवन के अनुभवों को नीतिशास्त्र ग्रंथ में पिरोया है जिसे चाणक्य नीति के नाम से जाना जाता है। चाणक्य ने मानव जीवन से जुड़े हर विषय पर नीतियों का निर्माण किया है। मान्यता है कि अगर कोई मनुष्य इनकी नीतियों को अपने जीवन में उतार लेता है तो उसका जीवन सुखी और सरल हो जाता है। चाणक्य की नीतियां आज भी कारगर साबित होती है इन्होंने अपनी नीतियों में गुणी संतान के बारे में भी विस्तार से जिक्र किया है, जिसमें बताया है कि अगर किसी के पास ऐसी संतान होती है तो वह मनुष्य बहुत ही भाग्यशाली होता है। तो आज हम आपको चाणक्य नीति बता रहे है।
चाणक्य की नीतियां-
चाणक्य कहते हैं कि अगर संतान अच्छी और संस्कारी हो तो न केवल माता पिता बलिक पूरे परिवार और कुल के लोगों का जीवन सफल हो जाता है ऐसी संतान माता पिता के साथ साथ अपने कुल का भी नाम रोशन करती है और ऐसे लोग बड़े भाग्यशाली माने जाते है। चाणक्य अनुसार ऐसी संतान जो हमेशा अपने माता पिता, गुरु और बड़ों व महिलाओं का सम्मान करती है जिसे सही गलत और अच्छे बुरे कार्यों में फर्क समझ आता है। ऐसी संतान अगर किसी की होती है तो वह मनुष्य समाज में खूब सम्मान हासिल करता है। और बुलंदियों को भी छूता है। जिसकी संतान ज्ञानी होती है उस पर माता लक्ष्मी और देवी सरस्वती की विशेष कृपा बरसाती है और अच्छी शिक्षा के बलबूते वे अपने परिवार और माता पिता को गौरवान्वित करता है। ऐसी संतान जीवन में अच्छा मुकाम हासिल करती है।
महाशिवरात्रि के दिन करें शिव-पार्वती चालीसा का पाठ, अखंड सौभाग्य की होगी प्राप्ति
8 Feb, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
MahaShivratri 2023: प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। ये पर्व भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। मान्यता है कि इस शुभ दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था। इस साल महाशिवरात्रि 18 फरवरी 2023 को मनाई जा रही है। इस दिन भगवान भोलेनाथ के भक्त व्रत रखते हैं और विधि-विधान से पूजा करते हैं। देशभर के सभी शिव मंदिरों और शिवालयों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। महाशिवरात्रि वाले दिन सुबह से ही मंदिरों में जलाभिषेक के लिए लाइन लग जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने से सभी संकट दूर होते हैं और भक्तों को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन शिव जी और माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए पार्वती चालीसा का पाठ करना चाहिए। शिव और पार्वती चालीसा इस प्रकार है...
शिव चालीसा
॥ दोहा ॥
जय गणेश गिरिजा सुवन,मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम,देहु अभय वरदान॥
॥ चौपाई ॥
जय गिरिजा पति दीन दयाला।सदा करत सन्तन प्रतिपाला॥
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।कानन कुण्डल नागफनी के॥
अंग गौर शिर गंग बहाये।मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।छवि को देखि नाग मन मोहे॥
मैना मातु की हवे दुलारी।बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।सागर मध्य कमल हैं जैसे॥
कार्तिक श्याम और गणराऊ।या छवि को कहि जात न काऊ॥
देवन जबहीं जाय पुकारा।तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
किया उपद्रव तारक भारी।देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
तुरत षडानन आप पठायउ।लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥
आप जलंधर असुर संहारा।सुयश तुम्हार विदित संसारा॥
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।सबहिं कृपा कर लीन बचाई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी।पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी॥
दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं।सेवक स्तुति करत सदाहीं॥
वेद माहि महिमा तुम गाई।अकथ अनादि भेद नहिं पाई॥
प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला।जरत सुरासुर भए विहाला॥
कीन्ही दया तहं करी सहाई।नीलकण्ठ तब नाम कहाई॥
पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा।जीत के लंक विभीषण दीन्हा॥
सहस कमल में हो रहे धारी।कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई।कमल नयन पूजन चहं सोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।भए प्रसन्न दिए इच्छित वर॥
जय जय जय अनन्त अविनाशी।करत कृपा सब के घटवासी॥
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै।भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै॥
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।येहि अवसर मोहि आन उबारो॥
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।संकट ते मोहि आन उबारो॥
मात-पिता भ्राता सब होई।संकट में पूछत नहिं कोई॥
स्वामी एक है आस तुम्हारी।आय हरहु मम संकट भारी॥
धन निर्धन को देत सदा हीं।जो कोई जांचे सो फल पाहीं॥
अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी।क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥
शंकर हो संकट के नाशन।मंगल कारण विघ्न विनाशन॥
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।शारद नारद शीश नवावैं॥
नमो नमो जय नमः शिवाय।सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
जो यह पाठ करे मन लाई।ता पर होत है शम्भु सहाई॥
ॠनियां जो कोई हो अधिकारी।पाठ करे सो पावन हारी॥
पुत्र होन कर इच्छा जोई।निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे।ध्यान पूर्वक होम करावे॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा।ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।शंकर सम्मुख पाठ सुनावे॥
जन्म जन्म के पाप नसावे।अन्त धाम शिवपुर में पावे॥
कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी।जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
॥ दोहा ॥
नित्त नेम उठि प्रातः ही,पाठ करो चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना,पूर्ण करो जगदीश॥
मगसिर छठि हेमन्त ॠतु,संवत चौसठ जान।
स्तुति चालीसा शिवहि,पूर्ण कीन कल्याण॥
पार्वती चालीसा
दोहा
जय गिरी तनये दक्षजे शम्भू प्रिये गुणखानि।
गणपति जननी पार्वती अम्बे! शक्ति! भवानि।
चौपाई
ब्रह्मा भेद न तुम्हरो पावे, पंच बदन नित तुमको ध्यावे।
षड्मुख कहि न सकत यश तेरो, सहसबदन श्रम करत घनेरो।।
तेऊ पार न पावत माता, स्थित रक्षा लय हिय सजाता।
अधर प्रवाल सदृश अरुणारे, अति कमनीय नयन कजरारे।।
ललित ललाट विलेपित केशर, कुंकुंम अक्षत् शोभा मनहर।
कनक बसन कंचुकि सजाए, कटी मेखला दिव्य लहराए।।
कंठ मंदार हार की शोभा, जाहि देखि सहजहि मन लोभा।
बालारुण अनंत छबि धारी, आभूषण की शोभा प्यारी।।
नाना रत्न जड़ित सिंहासन, तापर राजति हरि चतुरानन।
इन्द्रादिक परिवार पूजित, जग मृग नाग यक्ष रव कूजित।।
गिर कैलास निवासिनी जय जय, कोटिक प्रभा विकासिनी जय जय।
त्रिभुवन सकल कुटुंब तिहारी, अणु अणु महं तुम्हारी उजियारी।।
हैं महेश प्राणेश तुम्हारे, त्रिभुवन के जो नित रखवारे।
उनसो पति तुम प्राप्त कीन्ह जब, सुकृत पुरातन उदित भए तब।।
बूढ़ा बैल सवारी जिनकी, महिमा का गावे कोउ तिनकी।
सदा श्मशान बिहारी शंकर, आभूषण हैं भुजंग भयंकर।।
कण्ठ हलाहल को छबि छायी, नीलकण्ठ की पदवी पायी।
देव मगन के हित अस किन्हो, विष लै आपु तिनहि अमि दिन्हो।।
ताकी, तुम पत्नी छवि धारिणी, दुरित विदारिणी मंगल कारिणी।
देखि परम सौंदर्य तिहारो, त्रिभुवन चकित बनावन हारो।।
भय भीता सो माता गंगा, लज्जा मय है सलिल तरंगा।
सौत समान शम्भू पहआयी, विष्णु पदाब्ज छोड़ि सो धायी।।
तेहि कों कमल बदन मुरझायो, लखी सत्वर शिव शीश चढ़ायो।
नित्यानंद करी बरदायिनी, अभय भक्त कर नित अनपायिनी।।
अखिल पाप त्रयताप निकन्दिनी, माहेश्वरी, हिमालय नन्दिनी।
काशी पुरी सदा मन भायी, सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायी।।
भगवती प्रतिदिन भिक्षा दात्री, कृपा प्रमोद सनेह विधात्री।
रिपुक्षय कारिणी जय जय अम्बे, वाचा सिद्ध करि अवलम्बे।।
गौरी उमा शंकरी काली, अन्नपूर्णा जग प्रतिपाली।
सब जन की ईश्वरी भगवती, पतिप्राणा परमेश्वरी सती।।
तुमने कठिन तपस्या कीनी, नारद सों जब शिक्षा लीनी।
अन्न न नीर न वायु अहारा, अस्थि मात्रतन भयउ तुम्हारा।।
पत्र घास को खाद्य न भायउ, उमा नाम तब तुमने पायउ।
तप बिलोकी ऋषि सात पधारे, लगे डिगावन डिगी न हारे।।
तब तव जय जय जय उच्चारेउ, सप्तऋषि, निज गेह सिद्धारेउ।
सुर विधि विष्णु पास तब आए, वर देने के वचन सुनाए।।
मांगे उमा वर पति तुम तिनसों, चाहत जग त्रिभुवन निधि जिनसों।
एवमस्तु कही ते दोऊ गए, सुफल मनोरथ तुमने लए।।
करि विवाह शिव सों भामा, पुनः कहाई हर की बामा।
जो पढ़िहै जन यह चालीसा, धन जन सुख देइहै तेहि ईसा।।
दोहा
कूटि चंद्रिका सुभग शिर, जयति जयति सुख खानि,
पार्वती निज भक्त हित, रहहु सदा वरदानि।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (08 फरवरी 2023)
8 Feb, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- बैचेनी उद्विघ्नता से बचिए, सोचे हुए कार्य बना लेंगे, रुके कार्य बनेंगे।
वृष राशि :- चिन्ताएं कम हो, सफलता के साधन जुटाए, अचानक लाभ के योग बनेंगे।
मिथुन राशि :- सफलता के साधन जुटाए, व्यावसायिक क्षमता से वृद्धि होवे, समय का ध्यान दें।
कर्क राशि :- व्यर्थ धन का व्यय, समय शक्ति नष्ट होवे, विघटनकारी तत्व परेशान करेंगे।
सिंह राशि :- भोग ऐश्वर्य से स्वास्थ्य नरम रहे, विद्यार्थी वर्ग उत्साह से बचे, ध्यान रखे।
कन्या राशि :- समय व धन नष्ट हो, क्लेश व अशांति होवे, कष्ट व चिन्ता बनी रहे।
तुला राशि :- कार्य व्यवसाय में बाधा तथा तनाव व क्लेश से बचिए तथा रोग व्याधा से बचे।
वृश्चिक राशि :- चिन्ता बनी रहे, कुटुम्ब की समस्याओं का समाधान अवश्य होवे।
धनु राशि :- बिगड़े हुए कार्य बनेंगे, आशानुकूल सफलता तथा सहयोग अवश्य ही मिलेगा।
मकर राशि :- स्थिति से सुधार कार्य सफलता व सहयोग, संतोष होगा, बिगड़े कार्य बनेगे।
कुंभ राशि :- स्वास्थ्य नरम, कही तनाव पूर्ण स्थिति, कष्ट प्रद होवे तथा कार्य संपन्न होगा।
मीन राशि :- दूसरो के कार्यों में समय और धन नष्ट न करें, समय का ध्यान दे।
कौन है भगवान शालिग्राम और इनकी पूजा से क्या लाभ मिलता है ?
7 Feb, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शालिग्राम वैसे तो दिखाई देने में एक काले पत्थर के जैसा होता है लेकिन शास्त्रों में इसे श्री विष्णु के समान ही माना गया है। यह पवित्र प्रतिमा गण्डकी नदी से प्राप्त होती है।
वैष्णव संप्रदाय में पूरी भक्ति और विश्वास के साथ रोज शालिग्राम की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि जो लोग सात्विक आहार और विचार रखते है उनके लिए शालिग्राम की पूजा विशेष फल देने वाली होती है।
ऐसे लोग जो भगवान विष्णु की भक्ति करते हैं उनके लिए शालिग्राम का पूजन उन्नतिकारक माना गया है। शालिग्राम की पूजा में तुलसी के पत्ते की बड़ी भूमिका है।
ऐसा कहते है कि जैसे भगवान् शिव शिवलिंग पर अभिषेक के बाद सिर्फ एक बिल्वपत्र से संतुष्ट होकर अपने भक्त पर कृपा करते है ठीक उसी प्रकार श्री नारायण भी शालिग्राम पर एक तुलसी का पत्ता अर्पण करने मात्र से प्रसन्न हो जाते हैं।
शालिग्राम की नित्य पूजा करने से मनुष्य के सारे रोग और संताप नष्ट हो जाते हैं और वो सुख समृद्धि प्राप्त करता है। अगर किसी के घर परिवार में अशांति और कलह हो तो ऐसे व्यक्ति को अपने पूजा घर में शालिग्राम जी को स्थापित करना चाहिए और नित्य सेवा करनी चाहिए।
आपको यह भी बता दे कि शालिग्राम की प्राण प्रतिष्ठा की आवश्यकता नहीं होती है क्योंकि इसे साक्षात विष्णु का स्वरुप माना गया है इसलिए आप सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के बाद यानी उत्तरायण में माघ के महीने में स्थिर लग्न में इसे स्थापित कर सकते हैं।
सबसे पहले आप शालिग्राम को तांबे के पात्र में स्वच्छ करके रखे और गंगाजल से उसका अभिषेक करें। उसके बाद पंचामृत से स्नान करवाकर शुद्ध स्नान करवाएं। इसके बाद शालिग्राम पर तुलसी चढ़ाए, चंदन लगाए और घी का दीपक जलाए। फिर श्री विष्णु को याद करते हुए दक्षिणा और मिठाई रखें।
श्री विष्णु की आरती करें और यथा सम्भव किसी गरीब को भोजन करवाकर उसे दक्षिणा दें। इसके बाद उस शालिग्राम को अपने देवालय में रख दें। इसके बाद आप रोज जल से अभिषेक करें, चंदन लगाए, तुलसी चढ़ाएं और प्रभु की आरती कर प्रसाद बांट दें।
अगर आप किसी विशेष फल की इच्छा से पूजा कर रहे हैं तो नित्य 'ॐ नमो: नारायणाय' की एक माला अवश्य करें।
हर मंगलवार करें श्रीमारुति कवच का पाठ, हर कष्ट से होगी सुरक्षा
7 Feb, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता को समर्पित होता है वहीं मंगलवार का दिन भगवान हनुमान की कृपा पाने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है इस दिन भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए विधिवत पूजा करते है और व्रत भी रखते है मान्यता है।
अगर हर मंगलवार को पूजा पाठ और व्रत के अलावा श्रीमारुति कवच का संपूर्ण पाठ पूर्ण भक्ति भाव से किया जाए तो लाभ जरूर मिलता है और हर तरह के कष्ट, संकट और परेशानियों से सुरक्षा भी होती है, तो आज हम आपके लिए लेकर आए है संपूर्ण श्रीमारुति कवच पाठ।
श्रीमारुति कवच-
कार्तवीर्यस्य कवयं कथितं ते मुनीश्वर ।
मोहविध्वंसनं जैत्रं मारुतेः कवचं श्रृणु ॥1॥
यस्य संधारणात् सद्यः सर्वे नश्यन्त्युपद्रवाः।
भूतप्रतारिजं दुःखं नाशमेति न संशयः ॥ 2 ॥
एकदाहं गतो द्रष्टुं रामं रमयतां वरम् ।
आनन्दवनिकासंस्थं ध्यायन्तं स्वात्मनः पदम् ॥ 3 ॥
तत्र रामं रमानाथं पूजितं त्रिदशेश्वरैः ।
नमस्कृत्य तदादिष्टमासनं स्थितवान् पुरः ॥ 4 ॥
तंत्र सर्वे मया वृत्तं रावणस्य वधान्तकम् ।
पृष्टे प्रोवाच राजेन्द्रः श्रीरामः स्वयमादरात् । 15 ॥
ततः कथान्ते भगवान् मारुतेः कवचं ददौ।
मह्यं तत्ते प्रवक्ष्यामि न प्रकाश्यं हि कुत्रचित् ॥6॥
भविष्यदेतन्निर्दिष्टं बालभावेन नारद ।
श्रीरामेणाञ्जनासूनोर्भुक्तिमुक्तिप्रदायकम्॥7॥
- कवच -
हनुमान् पूर्वतः पातु दक्षिणे पवनात्मजः ।
पातु प्रतीच्यामक्षघ्नः सौम्ये सागरतारकः ॥8॥
ऊर्ध्व पातु कपिश्रेष्ठः केसरिप्रियनन्दनः ।
अधस्ताद्विष्णुभक्तस्तु पातु मध्येच पावनिः ॥9॥
लङ्काविदाहकः पातु सर्वापद्धयो निरन्तरम् ।
सुग्रीवसचिवः पातु मस्तकं वायुनन्दनः ॥10॥
भालं पातु महावीरो भ्रुवोर्मध्ये निरन्तरम् ।
नेत्रे छायापहारी च पातु नः प्लवगेश्वरः ॥11॥
कपोलौ कर्णमूले च पातु श्रीरामकिङ्करः ।
नासाग्रमञ्जनासूनुः पातु वक्त्रं हरीश्वरः ॥12॥
पातु कण्ठंतुदैत्यारिः स्कन्धौ पातु सुरारिजित् ।
भुजौ पातु महातेजाः करौ च चरणायुधः ॥13॥
नखान् नखायुधः पातु कुक्षौ पातु कपीश्वरः ।
वक्षो मुद्रापहारी च पातु पार्श्वे भुजायुधः ॥14॥
लङ्कानिभर्जनः पातु पृष्ठदेशे निरन्तरम् ।
नाभि श्रीरामभक्तस्तु कटिं पात्वनिलात्मजः ॥15॥
गुह्यं पातु महाप्राज्ञः सक्थिनी अतिथिप्रियः ।
ऊरू च जानुनी पातु लङ्काप्रासादभञ्जनः ॥16॥
जङ्घ पातु कपिश्रेष्ठो गुल्फौ पातु महाबलः ।
अचलोद्धारकः पातु पादौ भास्करसंनिभः ॥17॥
अङ्गानि पातु सत्त्वाढ्यः पातु पादाङ्गुलीः सदा ।
मुखाङ्गानि महाशूरः पातु रोमाणि चात्मवान्॥18॥
दिवारात्रौ त्रिलोकेषु सदागतिसुतोऽवतु ।
स्थितं व्रजन्तमासीनं पिबन्तं जक्षतं कपिः ॥19॥
लोकोत्तरगुणः श्रीमान् पातु त्र्यम्बकसम्भवः ।
प्रमत्तमप्रमत्तं वा शयानं गहने ऽम्बुनि ॥20॥
स्थलेऽन्तरिक्षे ह्यग्नौ वा पर्वते सागरे दुमे ।
संग्रामे संकटे घोरे विरारूपधरोऽवतु ॥ 21 ॥
डाकिनीशाकिनीमारीकालरात्रिमरीचिकाः ।
शयानं मां विभुः पातु पिशाचोरगराक्षसीः ॥ 22॥
दिव्यदेहधरो धीमान् सर्वसत्त्वभयंकरः ।
साधकेन्द्रावनः शश्वत्पातु सर्वत एव माम्॥ 23 ॥
यद्रूपं भीषणं दृष्ट्रा पलायन्ते भयानकाः ।
स सर्वरूपः सर्वज्ञः सृष्टिस्थितिकरोऽवतु ॥ 24॥
स्वयं ब्रह्मा स्वयं विष्णुः साक्षाद्देवो महेश्वरः ।
सूर्यमण्डलग: श्रीदः पातु कालत्रयेऽपि माम् ॥ 25॥
यस्य शब्दमुपाकर्ण्य दैत्यदानवराक्षसाः ।
देवा मनुष्यास्तिर्यञ्चः स्थावरा जङ्गमास्तथा॥ 26॥
सभया भयनिर्मुक्ता भवन्ति स्वकृतानुगाः ।
यस्यागेरुकथाः पुण्याः श्रूयन्ते प्रतिकल्पके ॥ 27 ॥
सोऽवतात् साधक श्रेष्ठं सदा रामपरायणः ।
वैधात्रधातृप्रभृति यत्किंचिद्दृश्यतेऽत्यलम् ॥28॥
विद्धि व्याप्तं यथा कीशरूपेणानञ्जनेन तत् ।
तो विभुः सोऽहमेषोऽहंस्वीयः स्वयमणुर्बृहत् ॥ 29 ॥
ऋग्यजुः सामरूपश्च प्रणवस्त्रिवृदध्वरः ।
तस्मैस्वस्मै च सर्वस्मै नतोऽस्म्यात्मसमाधिना ॥ 30॥
अनेकानन्तब्रह्माण्डधृते ब्रह्मस्वरूपिणे ।
समीरणात्मने तस्मै नतोऽस्म्यात्मस्वरूपिणे ॥ 31 ॥
नमो हनुमते तस्मै नमो मारुतसूनवे ।
नमः श्रीरामभक्ताय श्यामाय महते नमः ॥ 32 ॥
नमो वानरवीराय सुग्रीवसख्यकारिणे ।
लङ्काविदहनायाथ महासागरतारिणे ॥33॥
सीताशोकविनाशाय राममुद्राधराय च ।
रावणान्तनिदानाय नमः सर्वोत्तरात्मने ॥ 34 ॥
मेघनादमखध्वंसकारणाय नमो नमः ।
अशोकवनविध्वंसकारिणे जयदायिने ॥ 35॥
वायुपुत्राय वीराय आकाशोदरगामिने ।
वनपालशिरश्छेत्रे लङ्काप्रसादभञ्जिने ॥ 36 ॥
ज्वलत्काञ्चनवर्णाय दीर्घलङ्गलधारिणे ।
सौमित्रिजयदात्रे च रामदूताय ते नमः ॥ 37 ॥
अक्षस्य वधकर्त्रे च ब्रह्मशस्त्रनिवारिणे ।
लक्ष्मणाङ्गमहाशक्तिजातक्षतविनाशिने ॥ 38 ॥
रक्षोघ्नाय रिपुघ्नाय भूतघ्नाय नमो नमः ।
ऋक्षवानरवीरौधप्रसादाय नमो नमः ॥ 39 ॥
परसैन्यवलघ्नाय शस्त्रास्त्रघ्नाय ते नमः ।
विषघ्नाय द्विषघ्नाय भयघ्नाय नमो नमः ॥ 40 ॥
महारिपुभयघ्नाय भक्तत्राणे ककारिणे ।
घरप्रेरितमन्त्राणां यन्त्राणां स्तम्भकारिणे ॥ 41 ॥
पयः पाषाणतरणकारणाय नमो नमः ।
बालार्कमण्डलग्रासकारिणे दुःखहारिणे। ॥ 42 ॥
नखायुधाय भीमाय दन्तायुधधराय च।
विहङ्गमाय शर्वाय वज्रदेहाय ते नमः ॥ 43 ॥
प्रतिग्रामस्थितायाथ भूतप्रेतवधार्थिने ।
करस्थशैलशस्त्राय रामशस्त्राय ते नमः ॥44॥
कौपीनवाससे तुभ्यं रामभक्तिरताय च ।
दक्षिणाशाभास्कराय सतां चन्द्रोदयात्मने ॥ 45॥
कृत्याक्षतव्यथाघ्नाय सर्वक्लेशहराय च ।
स्वाम्याज्ञापार्थसंग्रामसख्यसंजयकारिणे ॥ 46 ॥
भक्तानां दिव्यवादेषु संग्रामे जयकारिणे ।
किल्किलाबुबुकाराय घोरशब्दकराय च ॥ 47 ॥
सर्वाग्निव्याधिसंस्तम्भकारिणे भयहारिणे ।
सदा वनफलाहारसंतृप्ताय विशेषतः ॥ 48 ॥
महार्णवशिलाबद्धसेतुबन्धाय ते नमः ।
इत्येतत्कथितं विप्र मारुतेः कवचं शिवम् ॥ 49 ॥
यस्मै कस्मै न दातव्यं रक्षणीयं प्रयत्नतः ।
अष्टगन्धैर्विलिख्याथ कवचं धारयेत्तु यः ॥ 50 ॥
कण्ठे वा दक्षिणे बाहौ जयस्तस्य पदे पदे ।
किं पुनर्बहुनोक्तेन साधितलक्षमादरात् ॥ 51 ॥
प्रजप्तमेतत्कवचमसाध्यं चापि साधयेत् ॥ 52॥
(इति श्रीबृहन्नारदीयपुराणे पूर्वभागे बृहदुपाख्याने तृतीयपादे मारुतिकवचनिरूपणं
नामाष्टसप्ततिमोऽध्यायः ॥)
सपने में इन 6 घटनाओं का दिखना बेहद शुभ, यहां समझिए क्या है इनका अर्थ
7 Feb, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सपनों की काल्पनिक दुनिया वास्तविकता से बिल्कुल अलग होती है. लेकिन स्वप्न शास्त्र के जानकारों का कहना है कि हर सपने का एक खास मतलब होता है.
इसलिए आपको सपनों मे दिख रही बातों का अर्थ समझने का प्रयास करना चाहिए. कुछ सपने भविष्य में होने वाली घटनाओं की तरफ इशारा करते हैं. इसलिए इन्हें गैर-जरूरी समझकर कभी इग्नोर नहीं करना चाहिए. आइए आज आपको छह शुभ सपनों के बारे में बताते हैं.
सपने में घोड़े पर चढ़ना
यदि सपने में आप खुद को घोड़े पर चढ़ता हुआ देख रहे हैं तो ये बहुत ही शुभ संकेत है. इसका मतलब है कि आपका कोई रुका हुआ कार्य जल्द पूरा होने वाला है. ये व्यापार में लाभ और नौकरी में उन्नति होने का भी संकेत है. जबकि घोड़े से खुद को गिरता हुआ देखना एक बहुत ही अशुभ संकेत समझा जाता है. इसका मतलब है कि आपको कुछ बड़ा नुकसान होने वाला है.
शीशे में चेहरा देखना
अगर आप सपने में खुद को दर्पण या शीशे में चेहरा निहारते देख रहे हैं तो ये बहुत ही शुभ संकेत है. यह आपके दांपत्य जीवन में खुशहाली आने का संकेत है. पार्टनर के साथ आपकी बॉन्डिंग और भी ज्यादा मजबूत होने वाली है. अगर ऐसा सपना किसी कुंवारी कन्या को दिखाई दे तो समझ लीजिए उसके जीवन में कोई खास इंसान दस्तक देने वाला है.
बाल या नाखून कटते दिखना
अगर सपने में आपको बाल या नाखून कटते दिखाई दें तो इसे भी एक शुभ संकेत समझिए. यह आपकी योजनाओं के पूर्ण होने की निशानी है. हालांकि खुद के बाल कटते हुए दिखना अच्छा संकेत नहीं माना जाता है. यह आपके खर्चे बढ़ने का संकेत है. इसके विपरीत नाखून कटते दिखना कर्जों से राहत मिलने का संकेत माना जाता है.
सपने में बारिश
सपने में काले बादल दिखना मन में संदेह पैदा करता है. लेकिन अगर आपको काले बादल के साथ बारिश भी देखाई दे तो इसे एक शुभ संकेत मानिए. यह आपके किसी पुराने निवेश पर लाभ मिलने की ओर इशारा करता है. यह लाभ आपको रुपये-पैसे या संपत्ति के रूप में मिल सकता है. सपने में बारिश का दिखना एक खूबसूरत लाइफ पार्टनर की ओर इशारा करता है.
सपने में पान खाना
हिंदू धर्म में कई देवी-देवताओं की पूजा में पान अर्पित करने की परंपरा है. क्या आप जानते हैं कि सपने में खुद को पान खाते हुए देखना भी बहुत शुभ होता है. इसे सुख समृद्धि और वैभव से जोड़कर देखा जाता है. इसका मतलब है कि जल्दी ही आपके सपनों को उड़ान मिलने वाली है. आप बहुत जल्द सफलता की सीढ़ी चढ़ने वाले हैं.
चंद्रमा देखना
शीतलता और शांति का प्रतीक चंद्रमा भी सपने में दिखना शुभ होता है. यह आपके परिवार में सब कुशल मंगल रहने का संकेत है. सपने में चंद्रमा दिखना घर में किसी सदस्य को तरक्की मिलने का भी संकेत है. इसका मतलब है कि आपके मान-सम्मान में वृद्धि होने वाली है.
85 दिन बाद श्रद्धालुओं के लिए खुला, भक्तों और व्यापारियों में खुशी का माहौल
7 Feb, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सीकरः खाटू श्याम जी का विश्व प्रसिद्ध बाबा श्याम का मंदिर 85 दिन बाद सोमवार को श्रद्धालुओं के लिए खुल गया।
मंदिर खुलने से श्याम भक्तों और स्थानीय व्यापारियों में खुशी का माहौल है। मंदिर के विकास कार्यो के लिये मंदिर में श्रद्धालुओं का प्रवेश पिछले 85 दिनों से बंद था।
देवस्थान विभाग मंत्री और जिले की प्रभारी शकुंतला रावत ने सोमवार को पूजा कर श्याम बाबा के द्वार में शीश नवाया और मंदिर को दर्शन के लिए खोलने की विधिवत शुरुआत की। उन्होंने दर्शन मार्ग की व्यवस्थाओं का जायजा लिया। रावत ने श्याम बाबा की पूजा कर देश-प्रदेश में खुशहाली की कामना भी की।
इस दौरान जिला कलेक्टर डॉ. अमित यादव सहित कई अधिकारी और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। श्री श्याम मंदिर कमेटी के अध्यक्ष प्रताप सिंह चौहान ने नई व्यवस्था से अवगत करवाया। मंदिर खुलने के साथ ही खाटू नगरी फिर से गुलजार हो गई है। कस्बे में श्याम के जयकारे गूंजने लगे हैं।
उल्लेखनीय है पिछले साल अगस्त में खाटू श्याम मंदिर में भगदड़ मचने से तीन महिलाओं की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गये थे। हादसे के बाद मंदिर को श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया और व्यवस्थाओं को बेहतर करने की दिशा में काम शुरू किया गया।
राष्ट्रीय एकता में बाधक तत्व
7 Feb, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आर्थिक और सामाजिक असमानता राष्ट्रीय एकता में बहुत बड़ी बाधा है। उस असमानता का मूल है अहं और स्वार्थ। इसलिए राष्ट्र की भावात्मक एकता के लिए अहं-विसर्जन और स्वार्थ-विसर्जन को मैं बहुत महत्व देता हूं। जातीय असमानता भी राष्ट्रीय एकता का बहुत बड़ा विघ्न है। उसका भी मूल कारण अहं ही है। दूसरों से अपने को बड़ा मानने में अहं पुष्ट होता है और आदमी अपने-आप में संतोष का अनुभव करता है। अहं का विसर्जन किए बिना जातीय भेद का अंत नहीं हो सकता। मनुष्य जन्मना मनुष्य का शत्रु नहीं है। एक पेड़ की दो शाखाएं परस्पर विरोधी कैसे हो सकती हैं? फिर भी यह कहा जाता है कि धर्म-संप्रदाय मनुष्यों में मैत्री स्थापित करने के लिए प्रचलित हुए हैं। उनमें जन्मना शत्रुता नहीं है, फिर मैत्री स्थापित करने की क्या आवश्यकता हुई? मैं फिर इस विश्वास को दोहराना चाहता हूं कि मनुष्य-मनुष्य में स्वभावत: शत्रुता नहीं है।
वह निहित स्वार्थ वाले लोगों द्वारा उत्पन्न की जाती है। उसे मिटाने का काम धर्म-संप्रदाय ने प्रारंभ किया, किंतु आगे चलकर वे स्वयं निहित स्वार्थ वाले लोगों से घिर गए और मनुष्य को मनुष्य का शत्रु मानने के सिद्धांत की पुष्टि में लग गए। इस चिंतन के आधार पर मुझे लगता है कि सांप्रदायिक समस्या का मूल भी अहं और स्वार्थ को छोड़कर अन्यत्र नहीं खोजा जा सकता। इसलिए सांप्रदायिक वैमनस्य की समस्या को सुलझाने के लिए भी अहं और स्वार्थ का विसर्जन बहुत आवश्यक है।
भाषा, जो दूसरों तक अपने विचारों को पहुंचाने का माध्यम है, को भी राष्ट्रीय एकता के सामने समस्या बनाकर खड़ा कर दिया जाता है। अपनी भाषा के प्रति आकषर्ण होना अस्वाभाविक नहीं है। पर हमें इस तथ्य को नहीं भुला देना चाहिए कि मातृभाषा के प्रति जितना हमारा आकषर्ण होता है, उतना ही दूसरों को अपनी मातृभाषा के प्रति होता है। इसलिए भाषाई अभिनिवेश में फंसना कैसे तर्कसंगत हो सकता है। राष्ट्रीय एकता के लिए इन विषयों पर गंभीर चिंतन करना आवश्यक है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (07 फरवरी 2023)
7 Feb, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- भाग्य का सितारा साथ देगा, बिगड़े कार्य बनेंगे, योजनापूर्ण अवश्य होंगे।
वृष राशि :- नवीन मैत्री व मंत्रणा सफल हो, संवेदनशील होने से बचिएगा।
मिथुन राशि :- स्त्रीवर्ग से हर्ष, कुछ चिन्ता, व्यवसायिक कार्यों में आरोप, कष्ट अवश्य होगा।
कर्क राशि :- व्यग्र मन उद्विघ्न रखेगा, कार्यगति मंद होवे किन्तु रुके कार्य निश्चय होवे।
सिंह राशि :- साधन संपन्नता के योग बने, दैनिक व्यवसाय गति अनुकूल बनी ही रहे।
कन्या राशि :- विरोधी परेशान करें, व्यर्थ धन का व्यय असमंजस की स्थिति होवे।
तुला राशि :- कार्य व्यवसाय में बाधा, तनाव क्लेश से बचने का प्रयास करें।
वृश्चिक राशि :- चिन्ता बनी रहेगी, कुटुम्ब की समस्याओं का समाधान होगा।
धनु राशि :- बिगड़े हुए कार्य बनेंगे, आशानुकूल सफलता से सहयोग अवश्य ही बने।
मकर राशि :- स्थिति में सुधार कार्य सफलता से संतोष होगा, बिगड़े कार्य बनें।
कुंभ राशि :- स्वास्थ्य नरम एवं कही से तनाव पूर्ण वातावरण कष्टप्रद होवे।
मीन राशि :- दूसरो के कार्यों में समय और धन नष्ट न करें, समय का ध्यान दे।
शुरू हुआ फाल्गुन मास, नोट कर लें इस महीने के व्रत त्योहार
6 Feb, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Falgun Vrat Festival 2023: इस बार फाल्गुन महीना (Falgun Month 2023) आज 6 फरवरी से शुरू हो रहा है, जो कि 7 मार्च तक रहेगा. महाशिवरात्रि (Maha Shivratri), विजया एकादशी, होलिका दहन (Holika Dahan) आदि कई प्रमुख व्रत-त्योहार फाल्गुन माह में ही मनाए जाते हैं.
कहा जा सकता है कि होली के पर्व के साथ एक सौर वर्ष का समापन होता है. सौर धार्मिक कैलेंडर में, फाल्गुन का महीना सूर्य के मीन राशि में प्रवेश के साथ शुरू होता है.
फागुन मास का है धार्मिक महत्व
प्रकृति के नजरिए से फाल्गुन का महीना जितना महत्वपूर्ण है उतना ही इसका धार्मिक महत्व भी है. ये महीना श्रीकृष्ण, शिव, मां लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा को समर्पित है. आइए जानते हैं फाल्गुन माह में बड़े व्रत-त्योहार की लिस्ट
फाल्गुन माह 2023 व्रत-त्योहार (Falgun Vrat Festival 2023 List)
9 फरवरी 2023 (सोमवार) - द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी
12 फरवरी 2023 (रविवार)- यशोदा जयंती
13 फरवरी 2023 - कालाष्टमी, कुंभ संक्रांति, शबरी जयंती
14 फरवरी 2023 (मंगलवार) - जानकी जयंती
16 फरवरी 2023 (गुरुवार) - विजया एकादशी
18 फरवरी 2023 (शनिवार) - महाशिवरात्रि, शनि प्रदोष व्रत
20 फरवरी 2023 (सोमवार) - सोमवती अमावस्या
21 फरवरी 202 (मंगलवार) - फुलेरा दूज
23 फरवरी 2023 (गुरुवार) - फाल्गुन विनायक चतुर्थी
25 फरवरी 2023 (शनिवार) - स्कंद षष्ठी व्रत
26 फरवरी 2023 (रविवार) - भानु सप्तमी
27 फरवरी 2023 (सोमवार) - होलाष्टक शुरू
3 मार्च 2023 (शुक्रवार) - आमलकी एकादशी
4 मार्च 2023 (शनिवार) - शनि प्रदोष
7 मार्च 2023 (मंगलवार) - फाल्गुन पूर्णिमा, होलिका दहन
पंचक - (19 फरवरी 2023 - 23 फरवरी 2023)
घर के इस स्थान पर जूते रखने से रूठ जाती हैं मां लक्ष्मी
6 Feb, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
छोटी से लेकर घर की हर बड़ी वस्तु के लिए वास्तु निर्धारित होता है। घर में सुख-समृद्धि को बरकरार रखने के लिए वास्तु का बहुत ही बड़ा योगदान है।
Vastu Tips: छोटी से लेकर घर की हर बड़ी वस्तु के लिए वास्तु निर्धारित होता है। घर में सुख-समृद्धि को बरकरार रखने के लिए वास्तु का बहुत ही बड़ा योगदान है। अगर इन नियमों को अनदेखा कर दिया जाए तो आए दिन मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इसी तरह घर में जूते-चप्पल रखने के लिए भी वास्तु का पालन किया जाता है। गलत जगह पर इन्हें रखने से व्यक्ति दुर्भाग्य से घिर जाता है। तो आइए जानते हैं कि घर में भाग्य का साथ बनाए रखने के लिए जूते-चप्पलों को किस तरह रखना चाहिए।
Do not keep shoes and slippers in this direction इस दिशा में न रखें जूते-चप्पल: वास्तु के अनुसार जूते-चप्पलों को हमेशा सही जगह पर रखना चाहिए। जिन घरों में चप्पल इधर-उधर फैले रहते हैं, वहां के सदस्य लड़ाई-झगड़े और मनमुटाव के शिकार रहते हैं। शास्त्रों के अनुसार पूर्व और उत्तर दिशा को बहुत ही शुभ माना गया है। इस जगह पर भगवान का वास होता है इसलिए यहां कभी भी जूते-चप्पल नहीं उतारने चाहिए। इस जगह पर चप्पल रखने से आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता है।
Right direction to keep shoes and slippers जूते-चप्पल रखने की सही दिशा: हर जगह चप्पल उतारने की आदत बहुत ही बुरी होती है। घर पर जूते-चप्पल के लिए शू-रैक बनाएं। हमेशा जूते-चप्पल को व्यवस्थित करके शू-रैक में ही रखना चाहिए। वास्तु के अनुसार जूते-चप्पल के लिए दक्षिण-पश्चिम दिशा सही मानी गई है।
Don't keep slippers in the bedroom बेडरूम में न रखें चप्पल: घर छोटे होने की वजह से कई बार शू-रैक को बेडरूम में ही रख लेते हैं लेकिन वास्तु के अनुसार ये घर के लिए बहुत हानिकारक हो सकता है। ऐसा करने से पति-पत्नी के वैवाहिक जीवन में खटास पैदा होती है और अक्सर लड़ाई-झगड़े का माहौल बना रहता है।
Don't keep slippers at the main door मुख्य द्वार पर न रखें चप्पल: घर का मुख्य द्वार बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता है क्योंकि इस जगह से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। कहते हैं घर के मुख्य द्वार से ही मां लक्ष्मी का आगमन होता है। इसलिए हमेशा मुख्य द्वार पर साफ-सफाई और सुंदरता बनाकर रखनी चाहिए। जो व्यक्ति इस जगह पर जूते-चप्पल रखता है, उसके घर में मां लक्ष्मी प्रवेश नहीं करती।
ध्यान रखें- जिस अलमारी में पैसे रखते हैं, उसके नीचे कभी भी जूते-चप्पल नहीं रखने चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी रूठ जाती है।
अलोलिक शक्तियों का ऐसा मंदिर, जहां हर साल बढ़ रहा है शिवलिंग का आकार
6 Feb, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Bhooteshwarnath Temple: छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में भोलेनाथ का एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां लगातार शिवलिंग का आकार बढ़ता जा रहा है। इसे भूतेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर का आकार हर साल बढ़ता है। भोलेनाथ के इस चमत्कार को देखने के लिए लोग बहुत दूर-दूर से आते हैं। गांव के लोगों का कहना है कि पहले ये शिवलिंग छोटे टीले के रूप में था लेकिन देखते-देखते ये बहुत बड़ा हो गया। इस वजह से इन्हें भूतेश्वर महादेव के नाम से जाना जाने लगा।
दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु: ये गरियाबंद के घने जंगलों में बसा है। श्रद्धालु इस मंदिर के दर्शनों के लिए कोसों दूर से चलकर आते हैं। इस मंदिर का बढ़ना अपने आप में यह सिद्ध करता है कि भगवान शिव स्वयं इस पावन धरा पर शिवलिंग के रूप मे विराजमान हैं। भक्तों के लिए यह मंदिर अपने आप में एक आशीर्वाद है।
Grand fair organized in the month of Sawan सावन के महीने में भव्य मेले का आयोजन: भगवान शिव के प्रिय सावन के महीने में यहां भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। बहुत दूर से कांवरिए यहां पर जल चढ़ाने आते हैं। भक्तों के लिए यहां पर रहने-खाने की पूरी तरह से व्यवस्था की जाती है।
Ardhanarishwar अर्धनारीश्वर: भूतेश्वर महादेव के पीछे भोलाथ की एक और प्रतिमा है। जिसमें सारा शिव परिवार स्थित है। कहते हैं, इस शिवलिंग में हल्की सी दरार है। इस वजह से इन्हें अर्धनारीश्वर के रूप में पूजा जाता है।
स्वर्ग लोक में किस अप्सरा ने क्यों दिया था अर्जुन को नपुंसक होने का श्राप, कैसे ये अभिशाप बना वरदान ?
6 Feb, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उज्जैन. महाभारत की कथा जितनी रोचक है, उतनी ही रहस्यमयी भी है। महाभारत (Mahabharat Facts) के प्रमुख पात्र अर्जुन को कुछ समय के लिए किन्नर के रूप में रहना पड़ा था, ये बात तो सभी जानते हैं, लेकिन अर्जुन किन्नर कैसे बने, उन्हें किसने किन्नर बनने का श्राप दिया था और इसका कारण क्या था? इस बारे में बहुत कम लोगों को पता है। (Interesting things related to Arjun) दरअसल ये श्राप अर्जुन के (Urvashi's curse to Arjuna) लिए वरदान से कम नहीं था। आज हम आपको अर्जुन से जुड़ी इस दिलचस्प प्रसंग के बारे में आपको बता रहे हैं, जो इस प्रकार है.
अर्जुन क्यों गए थे स्वर्ग लोक?
जुएं में कौरवों से हारकर पांडवों को 12 साल वनवास और 1 साल के अज्ञातवास पर जाना पड़ा। इस दौरान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को समझाया कि वनवास के बाद तुम्हें कौरवों से युद्ध करना पड़ सकता है, इसलिए तुम्हें दिव्यास्त्रों के लिए शिवजी की तपस्या करनी चाहिए। अर्जुन ने ऐसा ही किया और शिवजी की कृपा से वे दिव्यास्त्र प्राप्त करने के लिए स्वर्ग लोक में आ गए।
यहां अर्जुन ने पाई नृत्य की शिक्षा
स्वर्ग में आकर अर्जुन ने कई दिव्यास्त्र प्राप्त किए और जब उन्होंने देवराज इंद्र से पुन: धरती पर आने के लिए कहा तो इंद्र ने उन्हें नृत्य-संगीत की शिक्षा लेने के लिए कहा। इंद्र ने अर्जुन को समझाया कि नृत्य और संगीत का ज्ञान भी किसी दिव्यास्त्र से कम नहीं है। इसलिए तुम्हें ये भी सीखना चाहिए। देवराज ने कहने पर अर्जुन ने गंधर्वदेव से नृत्य और संगीत की शिक्षा लेनी आरंभ की।
अर्जुन पर मोहित हो गई उर्वशी
अर्जुन के सुंदर और मनमोहक रूप पर स्वर्ग की अप्सरा उर्वशी मोहित हो गई। एक दिन मौका पाकर उर्वशी ने अर्जुन के सामने प्रेम का प्रस्ताव रखा, लेकिन अर्जुन ने उन्हें माता के समान बताया। अर्जुन के मुख से ऐसी बात सुनकर उर्वशी ने कहा कि 'तुम नपुंसक की तरह बातें कर रहे हैं, इसलिए तुम शेष जीवन किन्नर के रूप में बीताओगे।'
अर्जुन ने उर्वशी को क्यों कहा था माता?
अर्जुन ने उर्वशी को माता के समान इसलिए कहा था क्योंकि उनके पूर्वज पुरुरवा और उर्वशी कुछ शर्तों के साथ पति-पत्नी बनकर रहे थे। दोनों के कई पुत्र हुए। आयु भी इनमें से एक थे। आयु के पुत्र नहुष हुए, नहुष के ययाति। ययाति के यदु, तुर्वसु, द्रुहु, अनु और पुरु हुए। यदु से यादव और पुरु से पौरव हुए। पुरु के वंश में ही आगे चलकर कुरु हुए और कुरु से ही कौरव हुए। इसलिए अर्जुन ने उर्वशी को अपनी माता कहा था।
कैसे अर्जुन के लिए वरदान बना ये श्राप?
महाभारत के अनुसार, उर्वशी द्वारा अर्जुन को श्राप देने की बात जब देवराज इंद्र को पता चली तो वे बहुत नाराज हुए। देवराज इंद्र के कहने पर ही उर्वशी ने अपने श्राप की अवधि घटाकर सिर्फ एक साल कर दी थी। जब अर्जुन धरती पर आए तो यही श्राप उनके लिए वरदान साबित हुआ। क्योंकि किन्नर के रूप में ही अर्जुन ने विराट नगर में रहते हुए अपना अज्ञातवास पूरा किया था।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (06 फरवरी 2023)
6 Feb, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- प्रत्येक कार्य में बाधा, विलम्ब कष्टप्रद होगा तथा थकावट, बेचैनी अवश्य होगी।
वृष राशि :- कुटुम्ब की समस्याओं में समय बीते, धन का व्यय, समय नष्ट न होने दें।
मिथुन राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास, प्रेम संबंध सफल होवे, रुके कार्य अवश्य ही बन जयेंगे।
कर्क राशि :- आर्थिक योजनापूर्ण होगी, भाग्य का सितारा प्रबल हो, कार्य अधिक होवेगा।
सिंह राशि :- साधन सम्पन्नता के योग बनेंगे, दैनिक व्यवसाय गति उत्तम अवश्य ही बनेगी।
कन्या राशि :- मान-प्रतिष्ठा, प्रभुत्व में वृद्धि, नवीन कार्ययोजना फलप्रद अवश्य ही बनेगी।
तुला राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा, कार्यगति में सुधार, विरोधी पराजित होंगे।
वृश्चिक राशि :- लेनदेन के मामले में हानि, विरोधी तत्व में परेशानी होगी, ध्यान रखें।
धनु राशि :- दैनिक सफलता के साधन सम्पन्न होंगे, स्वभाव में क्रोध तथा हानि होगी।
मकर राशि :- दैनिक सम्पन्नता के साधन बनेंगे किन्तु विरोधी तत्वों से परेशानी बनें, कार्य बन जायेंगे।
कुंभ राशि :- बिगड़े कार्य बनेंगे, योजनाएं फलीभूत होगी तथा रुके कार्य बन जायेंगे।
मीन राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष, चिन्ताएं कम हों, विशेष कार्य स्थिगित रखें, कार्य अवश्य होंगे।
सपने में दिख गए हैं भगवान हनुमान तो खुल जाएंगे भाग्य और अवसरों के द्वार
5 Feb, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सपने में स्वप्न में हनुमानजी को देखना बहुत ही शुभ माना जाता है, लेकिन यह भी देखना होगा कि सपने में बजरंगबली आपको किस रूप और अवस्था में दिखाई देते हैं क्योंकि हर सपने के अलग अलग अर्थ होता है।
हालांकि आमदौर पर हनुमानजी को सपने में देखने के अर्थ है कि उन पर आपकी कृपा बरसरसी है और वे कुछ संकेत देने चाहते हैं।
सपने में हनुमान जी को देखना : समने में हनुमानजी का सामान्य रूप देखने के अर्थ है कि उनकी आप पर कृपा प्रारंभ हो गई है। सपने में यदि आप हनुमानजी का मंदिर देंखे या मूर्ति दिखाई दे तो समझ जाएं कि हनुमानजी की आप पर कृपा प्रारंभ हो चुकी है। इस सपने का अर्थ है कि जल्द ही आपको बड़ी सफलता मिलने वाली है। यदि कोई कानूनी मामले हैं तो उसमें भी विजय मिलने की संभावना है। यह आपके सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाएगा।
सपने में बालाजी को देखना : बालाजी हनुमाजी का बाल रूप है। यदि आपको उनका बाल रूप दिखाई दे तो इसका अर्थ है कि बहुत जल्द ही कार्यक्षेत्र में आपको कोई नया पद या जिम्मेदारी मिलने वाली है जिसमें आपको सफलता मिलेगी।
सपने में बंदर को देखना : यदि आपको दो बार किसी बंदर के सपने आए तो आप समझ जाएं कि हनुमानजी की आप पर कृपा है।
सपने में हनुमान जी को गुस्से में देखना : यदि सपने में हनुमान जी का रौद्र रूप दिखाई दे तो इसका अर्थ है कि आपसे कोई बड़ी गलती हुई है। आपको क्षमा मांगकर अपनी गलती सुधारना चाहिए।
सपने में पंचमुखी हनुमान देखना : सपने में पंचमुखी हनुमान जी दिखाई देने के अर्थ है कि आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने वाली है। आप अपने शत्रुओं को हराएंगे।
सपने में हनुमानजी की पूजा करना : यदि सपने आप हनुमानजी जी की पूजा या भजन कर रहे हैं और उनके समक्ष प्रसाद भी ग्रहण कर रहे हैं तो आपके सभी कार्य पूर्ण होने वाले हैं और आपको मान सम्मान की प्राप्ति होगी।
सपने में हनुमानजी का प्रसाद खाना : किसी किर्तन में बैठकर हनुमानजी का प्रसाद खा रहे हैं तो आप पर हनुमानजी की विशेष कृपा है।
सपने में श्रीराम जी के साथ हनुमान जी को देखना : यदि आपको सपने में हनुमाजी या श्री राम जी किसी भी प्रकार से दर्शन दे तो समझ लें कि उनकी कृपा है आप पर।
सपने में भूतों से नहीं डरना : सपने में सपने में आप किसी भूत को देंखे और उससे आपको डर नहीं लगे तो समझें कि हनुमानजी की कृपा आप पर है।
सपने में हनुमान जी को उड़ते हुए देखना : इस सपने का अर्थ ये होता है कि आने वाले दिनों में आपको सफलता के साथ ही आनंद की प्राप्ति होने वाली है। कार्यक्षेत्र में आपका पद बढ़ने वाला है और इसी के साथ मान सम्मान भी बढ़ जाएगा। व्यापारी हैं तो बड़ा फायदे मिलने वाला है।
सपने में हनुमान जी को चोला चढ़ाना : इसके अर्थ है कि नौकरी और व्यवसाय में तरक्की होगी। आप अपने कार्यक्षेत्र में ऊंचाई को छूएंगे। आपका मान सम्मान बढ़ेगा।
सपने में हनुमान जी से बात करना : यदि आप किसी परेशानी से घिरे हुए हैं तो यह सपना इस बात का संकेत है कि आपको अपने किसी मित्र या परिजन से बात करनी चाहिए और समस्या का हल निकालने के लिए उनका साथ लेना चाहिए। आपकी दुविधा दूर होगी।
सपने में हनुमान जी का नाम लेना : इसका अर्थ है कि आप को कोई मदद मिलने वाली है और जल्द ही हनुमानजी आप पर कृपा करेंगे।