धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
मंगल देव ग्रह मंदिर में मात्र 54 रुपए में ही क्यों भरपेट भोजन?
5 Feb, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Shri Mangal Dev Graha Mandir Amalner: महाराष्ट्र के जलगांव के पास अमलनेर में श्री मंगल देव ग्रह देवता का एक प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर है। यहां पर हर मंगलवार को लाखों भक्त मंगल दोष की शांति कराने के लिए आते हैं। यहां पूजा और अभिषेक कराया जाता है जिससे मांगलिक दोष दूर हो जाता है। इसी के साथ ही यहां पर बालू, खेती और गृह निर्माण का कार्य करने वालों के साथ ही राजनीति, सेना और पुलिस सेवा से जुड़े लोग भी दर्शन करने के लिए आते हैं।
मंगल देव के मंदिर में राज्य और देश के कोने-कोने से आने वाले भक्तों के लिए यहां पर उत्तम भोजन और पानी की व्यवस्था के साथ ही ठहरने की व्यवस्था भी की गई है। यहां पर दर्शन करने के लिए सभी को लाइन में लगना रहता है किसी भी प्रकार की वीआईपी व्यवस्था नहीं है। मंदिर में सभी भक्त समान हैं।
यहां भक्तों के लिए जो भोजन मिलता है वह बहुत ही स्वादिष्ट भोजन है, जो मात्र 54 रुपए में प्राप्त होता है। 54 इसलिए क्योंकि 9 अंक मंगल देव का अंक माना जाता है। मात्र 54 रुपए में आपको भरपेट दिए जा रहे भोजन में गुड़ की जलेबी, दाल, चावल, बैंगन की सब्जी और बट्टी आदि मिलता है। यहां का भोजन प्रसाद शुद्ध घी में बनाया जाता है।
भोजन करने के लिए बैठने की भी उचित व्यवस्था की गई है। कुर्सी-टेबल पर बैठकर आप आराम से भोजन कर सकते हैं, लेकिन यदि आप भूमि पर बैठकर भोजन करना चाहते हैं तो उसके लिए भी अलग से व्यवस्था की गई है।
खाने के बाद थाली को कूड़ेदान में डालते वक्त थाली में भोजन फेंका तो नहीं जा रहा? इसका सेवकों द्वारा निरीक्षण किया जाता है और व्यर्थ भोजन को खत्म करने का आग्रह किया जाता है। सेवेकरीयों की इस कार्य के प्रति निष्ठा को देखते हुए ट्रस्टियों द्वारा कुछ युवा कार्यकर्ताओं को सम्मानित भी किया गया था।
कुछ भक्त आवश्यकता से अधिक भोजन ले लेते हैं। भोजन परोसते समय भक्तों से आग्रह किया जाता है कि वे थाली में उतना ही भोजन लें जितना वे ग्रहण कर सकें। फिर भी कुछ लोग जरूरत से ज्यादा भोजन ले लेते हैं। इस कारण यह बर्बाद होता है। सेवकों द्वारा इसका विशेष ध्यान रखा जाता है।
सेवादारों में नीलेश पवार, नयन दाभाड़े, सुनील चव्हाण, विशाल दाभाडे, अक्षय राजपूत आदि कई लोग मंगलदेव मंदिर में सेवा दे रहे हैं। यहां के भोजनगृह प्रमुख प्रधान हेमंत गुजराती हैं।
शनि प्रदोष व्रत के साथ आ रहा है महाशिवरात्रि का महापर्व, जानिए अति शुभ संयोग
5 Feb, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Mahashivratri festival 2023: महाशिवरात्रि का दिन शिव पूजा का सबसे बड़ा दिन होता है। महाशिव रात्रि के बाद ही शिवरात्रि आती है। इस बार अधिकमास होने से महाशिवरात्रि का पर्व जल्द ही आ रहा है।
फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनाई जाती है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार महाशिवरात्रि का पर्व 18 फरवरी 2023 को मनाया जाएगा। आओ जानते हैं शुभ संयोग।
प्रदोष व्रत : 18 तारीख शनिवार के दिन है और इसी दिन त्रयोदशी यानि प्रदोष का व्रत भी रखा जाएगा। त्रयोदशी समाप्ती के बाद चतुर्दशी प्रारंभ हो जाएगी।
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ और समापन : फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 18 फरवरी 2023 को रात 08 बजकर 05 पर प्रारंभ हो रही है और अगले दिन 19 फरवरी 2023 को शाम 04 बजकर 21 मिनट पर समाप्त होगी।
18 तारीख को ही क्यों मनाई जा रही महाशिवरात्रि : महाशिवरात्रि का पर्व चार प्रहर में करने का विधान है। इसमें भी रात्रि के आठवें मुहूर्त का महत्व है। चूंकि चतुर्दशी तिथि 19 फरवरी की शाम को समाप्त हो रही है इसलिए महाशिवरात्रि 18 तारीख की रात्रि को ही मनाई जाएगी।
अति शुभ संयोग 18 फरवरी 2023 :-
सर्वार्थ सिद्धि योग- शाम 05:42 से अगले दिन प्रात: 07:05 तक। यानी सर्वार्थ सिद्धि योग में महाई जाएगी महाशिवरात्रि।
वरियान : महाशिवरात्रि पर रात्रि 07 बजकर 35 मिनट से वरियान योग प्रारंभ होगा जो अगले दिन दोपहर 03 बजकर 18 मिनट तक रहेगा।
निशीथ काल पूजा मुहूर्त : 24:09:26 से 25:00:20 तक रात्रि का आठवां मुहूर्त निशीथ काल कहलाता है।
महाशिवरात्री पारणा मुहूर्त : 06:57:28 से 15:25:28 तक 19, फरवरी को
शुभ मुहूर्त 18 फरवरी 2023-
अभिजित मुहूर्त : दोपहर 12:29 से 01:16 तक।
अमृत काल : दोपहर 12:02 से 01:27 तक।
गोधूलि मुहूर्त : शाम को 06:37 से 07:02 तक।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (05 फरवरी 2023)
5 Feb, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- समय विफल हो कार्यगति में बाधा चिन्ता व्यर्थ भ्रमण तथा कार्य अवरोध होवेगा।
वृष राशि :- इष्ट मित्रों से सुख अधिकारियों से मेल-मिलाप होवे तथा रुके कार्य अवश्य बनेंगे।
मिथुन राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल हो अधिकारियों के समर्थन से सफलता अवश्य मिलेगी।
कर्क राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल हो बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे कार्य पर ध्यान अवश्य देवें।
सिंह राशि :- इष्ट मित्र सुख वर्धक हों कुटुम्ब की समस्याएं सुलझें स्त्री वर्ग से हर्ष होगा।
कन्या राशि :- भावनाएं संवेदनशील रहें कुटुम्ब में सुख-धन प्राप्ति के योग अवश्य बनेंगे।
तुला राशि :- समय अनुकूल नहीं स्वास्थ्य नरम रहे किसी धारणा का अंदेशा अवश्य ही होगा।
वृश्चिक राशि :- शरीर कष्ट मानसिक उद्विघ्नता स्वभाव में असमर्थता अवश्य ही रहेगी ध्यान दें।
धनु राशि :- आशानुकूल सफलता स्थिति में सुधार व्यवसायिक गति उत्तम अवश्य ही बनेगी।
मकर राशि :- व्यर्थ धन का व्यय मानसिक उद्विघ्नता हानिप्रद होगी ध्यान अवश्य रखें।
कुंभ राशि :- इष्ट मित्रों से सावधान रहें विरोधाभास होगा व्यवहार बिगड़ेंगे कार्य न हो।
मीन राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल हो बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे समय का ध्यान रखें।
बांसुरी से जुड़े ये उपाय दिलाते है अपार सफलता, नहीं रहती कोई कमी
4 Feb, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में बांसुरी को बेहद पवित्र और पूजनीय माना जाता है इसे भगवान कृष्ण का प्रतीक माना गया है मान्यता है कि इसकी विधिवत पूजा करने से श्रीकृष्ण की विशेष कृपा मिलती है वही वास्तुशास्त्र में भी इसका महत्व कम नहीं है मान्यता है कि वास्तुशास्त्र नकारात्मकता को दूर करता है और सकारात्मकता का संचार करता है।
इसे घर में रखने से वास्तुदोष दूर हो जाता है और ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है वास्तु और ज्योतिष में बांसुरी से जुड़े कई उपाय बताए गए है जिन्हें करने से लाभ की प्राप्ति होती है और घर परिवार में सुख शांति और समृद्धि वास करती है तो आज हम आपको इन्हीं उपायों के बारे में बता रहे है तो आइए जानते है।
बांसुरी से जुड़े उपाय-
वास्तु और ज्योतिष अनुसार बांसुरी को घर या फिर कार्यस्थल पर रखने से करियर में आने वाली दिक्कतों से छुटकारा मिल जाता है और घर व आफिस में सहयोगियों के साथ अच्छा रिश्ता भी बनता है वही भगवान श्रीकृष्ण के मंदिर से लाई गई बांसुरी को आप घर, आफिस, दुकान या कार्यस्थल व कारोबार आदि में रख सकते है मान्यता है कि इसकी स्थापना व पूजा करने से कारोबार में सफलता मिलती है और घाटे में चल रहा व्यापार में मुनाफा देने लगता है।
अगर वैवाहिक जीवन में किसी तरह की समस्या चल रही है या फिर पति पत्नी के बीच क्लेश होता रहता है तो ऐसे में आप बेडरुम की छत पर एक बांसुरी को लटका सकते है ऐसा करने से पति पत्नी के बीच चल रहा मनमुटाव कम होने लगता है और आपसी संबंध भी प्रगाढ़ हो जाता है। ऐसा कहा जाता है कि रोजाना सुबह और सूर्यास्त के समय 5 से 10 मिनट तक बांसुरी बजाने से समृद्धि के द्वार खुल जाते है और सभी तरह की चिंताएं, परेशानियां दूर हो जाती है।
महाशिवरात्रि 18 या 19 फरवरी कब होगा शिव पूजन जानें सही डेट
4 Feb, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर साल फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पावन पर्व मनाया जाता है.शिवरात्रि पर कई कथाएं प्रचलित रही हैं. एक मान्यता अनुसार महाशिवरात्रि पर भगवान सदाशिव शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे. महाशिवरात्रि के लिए निशिता काल पूजा का शुभ मुहूर्त चतुर्दशी तिथि होना आवश्यक है.
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि महाशिवरात्रि के रुप में देश भर में हर्षोउल्लास के साथ मनाई जाती है. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है. इस साल महाशिवरात्रि पर कई दुर्लभ संयोग बन रहें हैं क्योंकि इस बार महाशिवरात्रि के साथ शनि प्रदोष व्रत भी है. आइये जानते हैं इस साल कब है महाशिवरात्रि? महाशिवरात्रि पूजा का मुहूर्त क्या है?
महाशिवरात्रि 2023 तारीख
पंचांग के अनुसार इस वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 18 फरवरी दिन शनिवार को 08 बजकर 2 मिनट से हो रहा है. चतुर्दशी तिथि का समापन अगले दिन 19 फरवरी दिन रविवार को शाम 04 बजकर 18 मिनट पर हो रहा है. महाशिवरात्रि के लिए यह आवश्यक है कि निशिता काल पूजा का शुभ मुहूर्त चतुर्दशी तिथि को ही हो, इस आधार पर महाशिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त 18 फरवरी को प्राप्त हो रहा है, इसलिए महाशिवरात्रि 18 फरवरी को मनाई जाएगी.
महाशिवरात्रि 2023 पूजा शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि के दिन शिव भक्त सूर्योदय के समय से ही मंदिरों में पूजा-अर्चना शुरू कर देते हैं. आप कभी भी भगवान शिव की पूजा कर सकते हैं. हालांकि महाशिवरात्रि पर निशिता काल पूजा का समय रात 12:09 बजे से शुरू हो रहा है, जो देर रात 01:00 बजे तक है. ऐसे में जिन लोगों को महाशिवरात्रि पूजा रात्रि के समय करनी है, उन्हें शिव पूजा के लिए कुल 51 मिनट का समय मिलेगा.
महाशिवरात्रि व्रत 2023 पारण समय
जो लोग 18 फरवरी को महाशिवरात्रि का व्रत रखते हैं, वे अगले दिन 19 फरवरी को व्रत का पारण करेंगे. 19 फरवरी को महाशिवरात्रि व्रत का पारण सुबह 06 बजकर 59 मिनट से शुरू होगा, जो दोपहर 03 बजकर 24 मिनट के बीच कभी भी किया जा सकता है.
महाशिवरात्रि का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान सदाशिव महाशिवरात्रि के दिन ही शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे. इस वजह से महाशिवरात्रि का विशेष महत्व है. इसके अलावा महाशिवरात्रि को भगवान शिव और माता पार्वती के मिलन का दिन भी माना जाता है.
गंदगी में पड़ी ये चीजें आपको बना देंगी अमीर, देखते ही उठा लें
4 Feb, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आचार्य चाणक्य को भारत के महान विद्वान, अर्थशास्त्री, कूटनीतिज्ञ और मार्गदर्शक के रूप में जाना जाता है. उन्होंने अपने नीति शास्त्र में जीवन की समस्याओं और उनके उन्मूलन की स्पष्ट व्याख्या की है.
ऐसा कहते हैं कि चाणक्य के नीति शास्त्र को जिस भी इंसान ने अपनाया है, उसने जीवन में कभी मात नहीं खाई है. चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में कुछ ऐसी चीजों का भी जिक्र किया है, जिन्हें गंदगी के ढेर में पड़ा देख उठा लेना चाहिए. चाणक्य कहते हैं कि कुछ चीजों का मोल गंदगी में पड़े रहने के बावजूद कभी कम नहीं होता है.
कीमती चीजें- चाणक्य कहते हैं, 'अगर आपको गंदगी में पड़ी कोई मूल्यवान चीज दिख जाए तो उसे फौरन उठा लेना उचित होता है. उदाहरण के लिए अगर आपको गंदगी में सोना या हीरा पड़ा दिख जाए तो उसे उठाने में बिल्कुल संकोच न करें. चाणक्य कहते हैं कि इन बेशकीमती चीजों का मूल्य किसी भी अवस्था में कम नहीं होता है.'
अच्छाई- चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में कहा है कि लोगों का स्वभाव हमेशा दूसरों में बुराई टटोलने का होता है. जो लोग बुराई में भी अच्छाई ढूंढ लेते हैं, उनकी बात अलग होती है. हर इंसान में अच्छे-बुरे गुण होते हैं. हमें हमेशा अच्छे गुण लेने चाहिए. जो लोग ऐसा करते हैं, वो जीवन में खूब तरक्की करते हैं, बड़ा नाम कमाते हैं.
रुपये पैसे- यदि किसी इंसान को गंदगी में रुपये-पैसे पड़े दिख जाएं तो उन्हें तुरंत उठा लेना चाहिए. गंदगी में धन के पड़े रहने से उसका अपमान होता है. धन हमारे जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए बहुत आवश्यक माना जाता है. सनातन धर्म में तो इसे माता लक्ष्मी का प्रतीक भी समझा जाता है. ऐसे में धन को गंदगी में यूं ही पड़ा छोड़कर आगे न बढ़ें.
चाणक्य का मंत्र- दुष्ट आदमी से बेहतर सांप
चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में सांप को दुष्ट व्यक्ति से बेहतर बताया है. चाणक्य कहते हैं कि अगर आपको दुष्ट इंसान या सांप में से किसी एक को चुनना हो तो सांप को चुनिए. सांप केवल तब घातक हो सकता है, जो उसे किसी से खतरा महसूस हो. लेकिन दुष्ट इंसान का स्वभाव ही दूसरों को नुकसान पहुंचाने वाला होता है. ऐसे लोग हमेशा दूसरों को कष्ट देते हैं.
क्या होती है अकाल मृत्यु और भगवान विष्णु ने आत्महत्या को क्यों बताया है परमात्मा का अपमान
4 Feb, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में वैसे तो कई सारे ग्रंथ और पुराण है जिनमें ज्ञान व मानव जीवन से जुड़ी अहम बातों का वर्णन मिलता है लेकिन गरुड़ पुराण बेहद खास होता है ये 18 महापुराणों में से एक माना गया है इसमें मानव जीवन, मृत्यु और मृत्य के बाद आत्मा के सफर के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है। गरुड़ पुराण ग्रंथ में भगवान विष्णु और उनके वाहन गरुड़ की बातचीत का वर्णन है जिसमें उन्होंने जीवन, मृत्यु, स्वर्ग नरक और मृत्यु के बाद आत्मा के बारे में बताया गया, ऐसे में अधिकतर लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है कि अकाल मृत्यु क्या होती है अगर आप भी इस शब्द से अब तक अनजान है तो आज हम आपको अकाल मृत्यु के बारे में विस्तार पूर्वक बता रहे है जो कि गरुड़ पुराण से लिया गया है तो आइए जानते है।
क्या होती है अकाल मृत्यु-
गरुड़ पुराण के अनुसार सिंहावलोकन अध्याय में वर्णित किया गया है कि अगर किसी की मृत्यु भूख से पीड़ित होकर, हिंसक प्राणी द्वारा, फांसी लगाकर, विष पीकर, आग में जलन, जल में डूबने, किसी विषैले जीव के काटने, किसी दुर्घटना के कारण या फिर आत्महत्या करने से होती है तो उसे अकाल मृत्यु कहा जा सकता है। गरुड़ पुराण में इन सभी प्रकार के मृत्यु में आत्महत्या को सबसे घृणित और निंदनीय अकाल मृत्यु माना गया है। अगर हम शास्त्रों की बात करें तो भगवान श्री हरि विष्णु ने आत्महत्या को परमात्मा का अपमान करने के बराबर बताया है, ऐसे में कहा गया है कि परिस्थिति कैसी भी हो मनुष्य या किसी भी जीव को आत्महत्या नहीं करनी चाहिए वरना वो ईश्वर का दोष कहलाता है। ऐसा करने वाले को ईश्वर बड़ी कठोर सजा देते है।
शनि पीड़ा से चाहते है छुटकारा, तो शनिवार के दिन करें ये उपाय
4 Feb, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित होता है वही शनिवार का दिन भगवान श्री शनिदेव की पूजा के लिए श्रेष्ठ माना गया है मान्यता है कि इस दिन भगवान की अगर विधिवत पूजा आराधना की जाए तो भगवान प्रसन्न हो जाते है।
वही अगर आप शनि पीड़ा झेल रहे है और इससे छुटकारा पाना चाहते है तो हर शनिवार के दिन भगवान की विधिवत पूजा आराधना के साथ साथ दशरथकृत शनि स्तोत्र का संपूर्ण पाठ करें मान्यता है कि इसका पाठ नियमित तौर पर अगर किया जाए तो शनिदोष व शनि पीड़ा से राहत मिल जाती है, तो आज हम आपके लिए लेकर आए है दशरथकृत शनि स्तोत्र पाठ।
दशरथकृत शनि स्तोत्र-
दशरथ उवाच:
प्रसन्नो यदि मे सौरे ! एकश्चास्तु वरः परः ॥
रोहिणीं भेदयित्वा तु न गन्तव्यं कदाचन् ।
सरितः सागरा यावद्यावच्चन्द्रार्कमेदिनी ॥
याचितं तु महासौरे ! नऽन्यमिच्छाम्यहं ।
एवमस्तुशनिप्रोक्तं वरलब्ध्वा तु शाश्वतम् ॥
प्राप्यैवं तु वरं राजा कृतकृत्योऽभवत्तदा ।
पुनरेवाऽब्रवीत्तुष्टो वरं वरम् सुव्रत ॥
दशरथकृत शनि स्तोत्र:
नम: कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठ निभाय च ।
नम: कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नम: ॥1॥
नमो निर्मांस देहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च ।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते ॥2॥
नम: पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नम: ।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते ॥3॥
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्नरीक्ष्याय वै नम: ।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने ॥4॥
नमस्ते सर्वभक्षाय बलीमुख नमोऽस्तु ते ।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करेऽभयदाय च ॥5॥
अधोदृष्टे: नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते ।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तुते ॥6॥
तपसा दग्ध-देहाय नित्यं योगरताय च ।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय अतृप्ताय च वै नम: ॥7॥
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मज-सूनवे ।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात् ॥8॥
देवासुरमनुष्याश्च सिद्ध-विद्याधरोरगा: ।
त्वया विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत: ॥9॥
प्रसाद कुरु मे सौरे ! वारदो भव भास्करे ।
एवं स्तुतस्तदा सौरिर्ग्रहराजो महाबल: ॥10॥
दशरथ उवाच:
प्रसन्नो यदि मे सौरे ! वरं देहि ममेप्सितम् ।
अद्य प्रभृति-पिंगाक्ष ! पीडा देया न कस्यचित् ॥
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (04 फरवरी 2023)
4 Feb, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से विशेष रुप से आय सतर्क रहें थकान व बेचैनी बढ़ेगी।
वृष राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से कार्य में बाधा होगी शरीरिक कष्ट तथा भय होगा।
मिथुन राशि :- कुटुम्ब से तनाव व क्लेश अशांति तथा मानसिक विभ्रम अवश्य ही होगा।
कर्क राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से विशेष कार्य स्थगित रखें मानसिक शुद्धता बनेगी।
सिंह राशि :- स्त्री वर्ग से कष्ट चिन्ता तथा व्यवसाय नरम होगा बने कार्य रुकेंगे।
कन्या राशि :- अधिकारियों से तनाव क्लेशप्रद स्थिति से बचिये दैनिक कार्यगति मंद अवश्य होगी।
तुला राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से विशेष कार्यगति स्थगित रखें समय को अनुकूल बनायें।
वृश्चिक राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से विशेष कार्य बाधा होगी परिश्रम सफल होगा ध्यान दें।
धनु राशि :- व्यवसाय में बेचैनी तनाव की स्थिति रहेगी परिश्रम से सफलता मिलेगी।
मकर राशि :- चोटादि की संभावना है अशुद्ध गोचर रहने से कार्य हानि होगी।
कुंभ राशि :- स्त्री वर्ग व संतान से तनाव क्लेश व अशांति मानसिक बेचैनी अवश्य बनेगी।
मीन राशि :- समय ठीक नहीं विशेष कार्य स्थगित रखें कार्य व्यवसाय बनेगा समय का ध्यान रखें।
इससे होती है धनहानि
3 Feb, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर किसी को जीवन में सुख और धन की चाहत होती है। यह भी सही है कि सभी काम धन से ही होते हैं। इसी लिए हर कोई धन कमाने का प्रयास करता है पर कई बार देखा गया है कि काफी प्रयास के बाद भी आर्थिक हालात ठीक नहीं होते। इसमें वास्तु से संबंधित दोष जिम्मेदार होते हैं। घर में रखी गई चीज़ें भी घर में अच्छा या बुरा प्रभाव डालती है। कई बार हम जाने-अनजाने में ऐसे चीज़ें घर में रख लेते हैं जो देवी लक्ष्मी को अप्रिय होती है। उन चीजों को घर में रखने से घर में लक्ष्मी नहीं टिकती और हर समय धन का नुकसान होता रहता है।कभी भी किसी एक देवी-देवता की मूर्ति आमने-सामने नहीं रखनी चाहिए। ऐसा होने से आय के साधन कम होने लगते है और खर्च बढ़ जाते हैं।
बंद या खराब घड़ी न रखें
बंद या खराब घड़ी नकारात्क एनर्जी को बढ़ाती है। उन्नति और धन संबंधी परेशानियों से बचाव के लिए इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि बंद घड़ी को ठीक करवा लें या घर में न रखें।घर में टूटा हुआ कांच या टूटे कांच की वस्तुएं रखना आर्थिक नुकसान का कारण बनता है। दरवाजे-खिड़कियों में लगे कांच के टूट जाने पर उन्हें भी तुरंत बदलवा देना चाहिए।
घर में भगवान की खंडित मूर्ति भूलकर भी नहीं रखनी चाहिए। भगवान की टूटी हुई मूर्तियों घर में पैसों से संबंधी परेशानियां बढ़ाती हैं। तस्वीर के अलावा भगवान की फटी हुई तस्वीरों को भी घर में नहीं रखना चाहिए।
कांटेदार पौधों को न लगायें
बहुत से लोगों को पेड़ पौधे लगाने का शौक होता है। ऐसे में नई-नई तरह के पेड़-पौधों लगाने की चाह में कई लोग कांटेदार पौधों को घर में सजा लेते है जो की घर को धन संबंधी परेशानियों का कारण बनते हैं। खराब और बेकार चीजों को घर में रखने से नकारात्मक उर्जा बढ़ती है और कई तरह की धन संबंधी परेशानियां भी आती हैं। खराब उपकरण जैसे टीवी कंप्यूटर फ्रीज आदि को घर में भूलकर भी न रखें।
पीले रंग को इसलिए मानते हैं शुभ
3 Feb, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आमतौर पर लोग शुभ कार्यों में पीले रंग के वस्त्र धारण करते हैं। ज्योतिष में भी पीले रंग को खास महत्व दिया गया है। पीले रंग का संबंध गुरु बृहस्पति से भी माना गया है।यह सूर्य के चमकदार हिस्से वाला रंग है। यह मुख्य रंगों का हिस्सा है और यह रंग स्वभाव से गर्म और ऊर्जा पैदा करने वाला होता है। पीले रंग का पाचन तंत्र रक्त संचार और आँखों पर सीधा प्रभाव पड़ता है।
इस रंग की खूबी
इस रंग के अंदर मन को बदलने की क्षमता होती है। यह बृहस्पति का प्रधान रंग है।
यह रंग जीवन में शुभता लाता है।
मन को उत्साहित करके नकारात्मक विचारों को समाप्त कर देता है।
यह नज़र दोष या नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट कर देता है।
इस रंग के प्रयोग से ज्ञान प्राप्ति में सुविधा होती है।
साथ ही मन में अच्छे विचार बने रहते हैं।
इस रंग का इस प्रकार करें प्रयोग
पढ़ने और पूजा के स्थान पर इस रंग का खूब प्रयोग कर सकते हैं।
घर की बाहरी दीवारों पर भी पीले रंग का प्रयोग कर सकते हैं।
घर के अंदर पीले रंग के हल्के शेड का प्रयोग किया जा सकता है।
नकारात्मक ऊर्जा से बचने के लिए पीला रुमाल साथ में रखें।
हल्दी का तिलक लगाकर मन को सात्विक और शुद्ध रख सकते हैं।
रखें ये सावधानियां
इस रंग के ज्यादा प्रयोग से पाचन तंत्र ख़राब हो सकता है।
आँखों और सर में भारीपन की समस्या हो सकती है।
यह कभी कभी अहंकारी भी बना देता है।
यह रंग कभी कभी नींद में भी बाधा पैदा करता है।
घर से हटा दें नकारात्मक ऊर्जा वाली वस्तुएं
3 Feb, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जीवन में सभी खुशहाली चाहते हैं पर कई बार हमें काफी प्रयास के बाद भी सफलता नहीं मिलती। वास्तुशास्त्र के अनुसार कुछ चीजों से घर में नकारात्मकता आती है। इन नकारात्मक ऊर्जा वाली वस्तुएं घर में रखने से मनुष्य को दुर्भाग्य और गरीबी का सामना भी करना पड़ जाता है। ऐसी चीजों को भूलकर भी घर में नहीं रखना चाहिए।
वास्तु के अनुसार देवी-देवताओं की फटी और पुरानी तस्वीरें या खंडित हुईं मूर्तियों से भी आर्थिक हानि होती है। इसलिए उन्हें किसी नदी में प्रवाहित कर देना चाहिए।
अक्सर लोगों के घरों में फटे-पुराने कपड़ों की एक पोटली होती है। फटे-पुराने कपड़ों या चादरों से भी घर में नकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है। इस तरह के कपड़ों को दान कर देना चाहिए या इसका किसी और काम में उपयोग करना चाहिए।
किसी भी तरह की टूटी-फूटी या गैर-जरूरी वस्तु को घर में नहीं रखना चाहिए। इससे घर में वास्तु दोष उत्पन्न होता है जिसके कारण लक्ष्मी का आगमन रुक जाता है।
घर की छत पर पड़ी गंदगी से भी पैसों की तंगी को बढ़ सकती है। इससे परिवार की बरकत पर बुरा प्रभाव पड़ता है। घर की छत पर कबाड़ा या फालतू सामान बिल्कुन न रखें।
कई लोग अपने घर में अनावश्यक पत्थर नग अंगुठी ताबीज जैसे सामान रख देते हैं। बिना इस जानकारी के कि कौन-सा नग फायदा पहुंचा रहा है और कौन-सा नग नुकसान पहुंचा रहा है। इसलिए इस तरह के सामान को घर से बाहर निकाल दें।
कहते हैं कि ताजमहल का चित्र डूबती हुई नाव या जहाज फव्वारे जंगली जानवरों के चित्र और कांटेदार पौधों के चित्र घर में नहीं लगाना चाहिए। इससे मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है और लगातार इन चित्रों को देखते रहने से जीवन में अच्छी घटनाएं घटना बंद हो जाती हैं।
घर या दुकान की कोई भी अलमारी टूटी हुई नहीं होना चाहिए। टूटी अलमारी पैसों के नुकसान का कारण बनती है। इसके अलावा काम न होने पर अलमारी को हमेशा बंद करके रखें।
घर में बनने वाले मकड़ी के जाले तुरंत हटा दें इनसे आपके अच्छे दिन बुरे दिनों में बदल सकते हैं। मकड़ी के जाले से घर-दुकान में कई तरह के वास्तु दोष पैदा होते हैं इसलिए घर-दुकान में इसका होने अशुभ माना जाता है।
आपके घर में टूटी हुई चेयर या टेबल पड़ी है तो उसे तुरंत घर से हटा दें। ये आपके पैसों और तरक्की को रोक देती है।
बंद घड़ियां भी घर से जितनी जल्दी हो सके हटा दीजिए। बंद घड़ी प्रगति को रोक देती है।
ऐसे टोटके बदल सकते हैं किस्मत
3 Feb, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रोटी कपड़ा और मकान यह इंसान की 3 सबसे पहली जरुरत है। रोटी के कुछ ऐसे उपाय हमें किताबों में मिलते हैं जो आश्चर्य में डाल देते हैं. आइए जानते हैं कुछ ऐसे टोटके रोटी के जो हमारा नसीब भी बदल सकते हैं.
घर की रसोई में पहली रोटी सेंकने के बाद उसमें शुद्ध घी लगाकर चार टुकड़े कर लें और चारों टुकड़ों पर खीर अथवा चीनी या गुड़ रख लें। इसमें से एक को गाय को दूसरे को कुत्ते को तीसरे को कौवे को और चौथे को किसी भिखारी को दे दें। इस उपाय के तहत गाय को रोटी को खिलाने से पितृदोष दूर होगा कुत्ते को रोटी खिलाने से शत्रुभय दूर होगा कौवे को रोटी खिलाने से पितृदोष और कालसर्प दोष दूर होगा और अंतिम रोटी का टुकड़ा किसी गरीब या भूखे को भोजन के साथ खिलाने से आर्थिक कष्ट दूर होंगे और बिगड़े काम बनने लगेंगे।
यदि आपके जीवन में शनि पीड़ा है या फिर राहु-केतु की अड़चनें हो तो रोटी का यह उपाय आपके लिए रामबाण साबित हो सकता है। इन सभी ग्रहों की अशुभता को दूर करने के लिए रात के समय बनाई जाने वाली अंतिम रोटी पर सरसों का तेल लगाकर काले कुत्ते को खाने के लिए दें। यदि काला कुत्ता उपलब्ध न हो तो किसी भी कुत्ते के बच्चे को खिलाकर इस उपाय को कर सकते हैं.
हमारे यहां अतिथि को देवता के समान माना गया है फिर वह धनवान हो या फिर आम आदमी. यदि कोई निर्धन या भिखारी आपके घर के दरवाजे पर आए तो यथासंभव भोजन अवश्य कराएं। भोजन में भी रोटी जरूर खिलाएं या हाथ से परोसें।
यदि तमाम प्रयासों के बावजूद सफलता आपके हाथ नहीं लग रही है तो आप के लिए रोटी का यह उपाय वरदान साबित हो सकता है। रोटी और चीनी को मिलाकर छोटे-छोटे टुकड़े चीटियों के खाने के लिए उनके बिल के आस-पास डालें। इस उपाय से आपकी बाधाएं धीरे-धीरे दूर होने लगेंगी।
यदि आपके घर की शांति को किसी की नजर लग गई है और आए दिन लड़ाई झगड़ा होता रहता है तो आप रोटी से जुड़े चमत्कारी उपाय को जरूर अपनाकर देखें। दोपहर के समय जब आप अपनी रसोई में पहली रोटी सेंके तो उसे गाय के लिए और अंतिम रोटी कुत्ते के लिए जरूर निकाल लें। उसे भोजन से पूर्व गाय और कुत्ते को खिलाने का प्रयास करें। यदि यह न संभव हो तो बाद में उसे खिला दें।
अगर करियर में रुकावट है नौकरी नहीं मिल रही है तो यह उपाय करें। कटोरदान की नीचे से तीसरे नंबर की रोटी लें तेल की कटोरी में अपनी बीच वाली अंगुली और तर्जनी यानी पास वाली बड़ी अंगुली को एक साथ डुबोएं अब उस रोटी पर दोनों अंगुलियों से एक साथ लाइन खींचें। अब इस रोटी को बिना कुछ बोले दो रंग के कुत्ते को डाल दें। यह उपाय गुरुवार या रविवार को करेंगे तो करियर की हर बाधा दूर होगी।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (03 फरवरी 2023)
3 Feb, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्य व्यवसाय में विचलित होंगे स्त्री शरीर कष्ट मानसिक बेचैनी बनेगी।
वृष राशि :- आकस्मिक बेचैनी स्वभाव में खिन्नता थकावट असमंजस व अस्थिरता की स्थिति बनेगी।
मिथुन राशि :- अकारण बेचैनी शरीर कष्ट चोट-चपेट व कष्टप्रद स्थिति बनेगी धैर्य रखें।
कर्क राशि :- धन लाभ आशानुकूल सफलता से लाभ होगा बिगड़े कार्य बनेंगे ध्यान दें।
सिंह राशि :- मन में बेचैनी धन लाभ आशानुकूल सफलता से लाभ होगा समय का ध्यान रखें।
कन्या राशि :- अर्थलाभ कुटुम्ब की समस्यायें अवश्य ही सुलझेंगी स्त्री कार्य से हर्ष होगा।
तुला राशि :- विरोधी परेशान करेंगे प्रतिष्ठा पर आंच आने का भय सावधान रहें मानसिक तनाव।
वृश्चिक राशि :- कार्यवृत्ति में सुधार प्रगति की ओर बढ़ेंगे मित्रों के सहयोग से कार्य होंगे।
धनु राशि :- अधिकारियों से तनाव व क्लेश मान-प्रतिष्ठा बाल-बाल बचे रुके कार्य बनेंगे।
मकर राशि :- चिन्तायें कम होंगी सफलता के साधन जुटायें कार्य अवश्य ही होंगे।
कुंभ राशि :- आर्थिक परेशानी हो सकती है कार्यवृत्ति में सुधार होगा समय का ध्यान रखें।
मीन राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे आर्थिक योजना पूर्ण होगी समय पर कार्य करें।
कितने कांड हैं श्रीरामचरित मानस में, इनमें से पांचवें का नाम सुंदरकांड ही क्यों रखा गया?
2 Feb, 2023 06:31 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मान्यता है कि कलयुग में हनुमान की पूजा ही सबसे अधिक शुभ फल देने वाली है। इसलिए हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं, सुंदरकांड का पाठ करना भी इनमें से एक उपाय है।
वर्तमान समय में हनुमानजी को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका है सुंदरकांड का पाठ। लेकिन बहुत कम लोग सुंदरकांड (Sunderkand) से जुड़ी खास बातें जानते हैं। सुंदरकांड का पाठ घरों में सुख-शांति के लिए किया जाता है। कुछ लोग जीवन में सफलता पाने के लिए सुंदरकांड का पाठ करते हैं। और भी कई समस्याओं के निदान के लिए सुंदरकांड का पाठ किया जाता है। लेकिन श्रीरामचरित मानस (Shri Ramcharit Manas) के इस कांड को सुंदरकांड क्यों कहते हैं, इसके बारे में कम ही लोग जानते हैं। आगे जानिए श्रीरामचरित मानस के 7 कांड कौन-कौन से हैं और इनके नाम किस आधार पर रखे गए.
श्रीरामचरित मानस में कुल 7 कांड यानी अध्याय हैं। इन सभी कांडों के नाम स्थान व स्थितियों के आधार पर रखे गए हैं, जो कि अनुकूल जान पड़ते हैं। इन सातों कांड में भगवान श्रीराम के पूरे जीवन का वर्णन है। हालांकि महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण और गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी गई श्रीरामचरित मानस में आंशिक परिवर्तन देखने को भी मिलता है।
श्रीराम चरित मानस का पहला कांड है बाल कांड। इसमें भगवान श्रीराम व अन्य भाइयों के जन्म की कथा का वर्णन है। कैसे राजा दशरथ ने पुत्रकामेष्ठि यज्ञ के लिए ऋषि श्रृंग को मनाया और इसी के फल स्वरूप भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में जन्म लिया। इस कांड में श्रीराम के बाल रूप का सुंदर वर्णन किया है इसलिए इसे बाल कांड का नाम दिया गया है।
श्रीरामचरित मानस का दूसरा कांड है अयोध्या कांड। इस कांड में श्रीराम द्वारा विश्वामित्र के साथ वन में जाने और ताड़का राक्षसी के वध का वर्णन मिलता है। साथ ही साथ श्रीराम द्वारा धनुष तोड़कर स्वयंवर में सीता के वरण का प्रसंग भी इसी कांड में है। अयोध्या में हुई घटनाओं के वर्णन के कारण ही श्रीरामचरित मानस के दूसरे कांड का नाम अयोध्या कांड रखा गया है।
अरण्य का अर्थ है जंगल। जब श्रीराम पिता की आज्ञा से पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वन जाने को निकले और वहां क्या-क्या घटनाएं हुई। इन सभी प्रसंगों का वर्णन अरण्य कांड में मिलता है। सीता हरण की घटना के बारे में भी अरण्य कांड में बताया गया है। इस तरह जंगल के प्रसंगों के चलते इस कांड को अरण्य कांड कहा गया है।
जब रावण देवी सीता का हरण कर ले गया तो उनकी खोज करते-करते श्रीराम वानरों की नगरी किष्किंधा में आ गए। यहां उन्होंने वाली का वध किया और सुग्रीव को राजा बनाया। श्रीराम ने काफी समय इस नगर में रहते हुए व्यतीत किया। इसलिए इस कांड का नाम किष्किांड कांड रखा गया है।
पांचवें कांड की सबसे अहम घटना है हनुमानजी द्वारा माता सीता की खोज। लंका तीन पर्वतों पर बसी हुई थी, इनका नाम था नील पर्वत, सुबैल पर्वत और सुंदर पर्वत। जिस स्थान पर हनुमानजी ने देवी सीता को देखा वो सुंदर पर्वत पर थी, इसलिए श्रीरामचरित मानस के इस कांड को सुंदर कांड का नाम दिया गया है। सुंदर कांड में हनुमान के बल-बुद्धि का वर्णन मिलता है। इसलिए हनुमानजी की प्रसन्नता के लिए सुंदर कांड का पाठ किया जाता है।
श्रीराम चरित मानस का छठा कांड है युद्ध कांड, जिसे लंका कांड भी कहते हैं। इस कांड में श्रीराम और रावण के युद्ध के संपूर्ण वर्णन मिलता है। लंका में हुई प्रत्येक घटना का वर्णन इस कांड में होने से इसे लंका कांड कहा जाता है। रावण वध का प्रसंग भी इसी कांड में है।
जब श्रीराम रावण का वध कर अयोध्या लौटे तो यहां उनका राज्याभिषेक किया गया है। जनकनंदिनी सीता के त्याग और लव-कुश के जन्म का वर्णन इसी कांड में है। इस कांड में श्रीराम ने ऋषि-मुनियों के अनेक प्रश्नों का उत्तर भी दिया है, इसलिए इसे उत्तर कांड कहा जाता है।