धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
आध्यात्मिक आकाश का प्रकाश
12 Feb, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चिन्मय आकाश में न तो सूर्यप्रकाश की आवश्यकता है, न चन्द्रप्रकाश अथवा अग्नि या बिजली की, क्योंकि सारे लोक स्वयं प्रकाशित हैं। इस ब्रह्मांड में केवल एक लोक- सूर्य, ऐसा है जो स्वयं प्रकाशित है। लेकिन आध्यात्मिक आकाश में सभी लोक स्वयं प्रकाशित हैं। उन समस्त लोकों के (जिन्हें वैकुण्ठ कहा जाता है) चमचमाते तेज से चमकीला आकाश बनता है, जिसे ब्रह्मज्योति कहते हैं। इस तेज का एक अंश महत-तत्व अर्थात जगत से आच्छादित रहता है। जब तक जीव इस अंधकारमय जगत में रहता है, तब तक वह बद्ध अवस्था में होता है। लेकिन ज्यों ही वह भौतिक जगत रूपी मिथ्या, विकृत वृक्ष को काटकर आध्यात्मिक आकाश में पहुंचता है, त्यों ही मुक्त हो जाता है। तब वह यहां वापस लेकिन अपनी मुक्त अवस्था में आध्यात्मिक राज्य में प्रवेश करता है और परमेर का पाषर्द बन जाता है। वहां पर वह सच्चिदानंदमय जीवन बिताता है।
जो इस संसार से अत्यधिक आसक्त है, उसके लिए इस आसक्ति का छेदन करना दुष्कर होता है। लेकिन यदि वह कृष्णभावनामृत को ग्रहण कर ले, तो उसके क्रमश: छूट जाने की संभावना है। उसे ऐसे भक्तों की संगति करनी चाहिए जो कृष्णभावनाभावित होते हैं। उसे ऐसा समाज खोजना चाहिए, जो कृष्णभावनामृत के प्रति समर्पित हो और उसे भक्ति करनी सीखनी चाहिए। इस प्रकार वह संसार के प्रति अपनी आसक्ति विच्छेद कर सकता है। यदि कोई चाहे कि केसरिया वस्त्र पहनने से भौतिक जगत के आकषर्ण से विच्छेद हो जाएगा, तो ऐसा संभव नहीं है। उसे भगवद्भक्ति के प्रति आसक्त होना पड़ेगा। यहां परमं मम शब्द बहुत महत्वपूर्ण हैं। वास्तव में जगत का कोना-कोना भगवान की सम्पत्ति है, परंतु दिव्य जगत परम है और छह ऐयरे से पूर्ण है। कठोपनिषद् में भी इसकी पुष्टि की गई है कि दिव्य जगत में सूर्यप्रकाश, चन्द्र प्रकाश या तारागण की कोई आवश्यकता नहीं है। क्योंकि समस्त आध्यात्मिक आकाश भगवान की आन्तरिक शक्ति से प्रकाशमान है। उस परम धाम तक केवल शरणागति से ही पहुंचा जा सकता है, अन्य किसी साधन से नहीं।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (12 फरवरी 2023)
12 Feb, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- व्यापार में बाधा, स्वभाव में खिन्नता तथा दु:ख, अपवाद, कष्ट अवश्य होगा।
वृष राशि :- किसी आरोप से बचें, कार्यगति मंद रहेगी, क्लेश व अशांति का वातावरण रहेगा।
मिथुन राशि :- कार्य योजना पूर्ण होगी, धन का लाभ होगा, आशानुकूल सफलता का हर्ष अवश्य होगा।
कर्क राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, कार्यगति में सुधार होगा, कार्य व्यवस्था बनी रहेगी।
सिंह राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा, कार्यगति में सुधार होगा, चिन्तायें अवश्य कम होंगी।
कन्या राशि :- मान-प्रतिष्ठा में व्यथा बनेगी, स्त्री से तथा स्त्री वर्ग से सुख-समृद्धि की स्थिति बनेगी।
तुला राशि :- अग्नि-चोटादि का भय, व्यर्थ भ्रमण, धन का व्यय, कार्य होगा, बने कार्य रुवेंâगे।
वृश्चिक राशि :- तनाव, क्लेश व अशांति, मान-प्रतिष्ठा, चिन्ता, उद्विघ्नता तथा भय बना ही रहेगा।
धनु राशि :- विवादग्रस्त होने से बचिये, तनाव, क्लेश से मानसिक अशांति का वातावरण बनेगा।
मकर राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, घर में सुख-शांति बनेगी।
कुंभ राशि :- भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी, समय उत्साहवर्धक होगा, मानसिक शांति रहेगी।
मीन राशि :- व्यवसाय में बाधा कारक स्थिति बनेगी, मन में उद्विघ्नता रहेगी, धन हानि होगी।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (11 फरवरी 2023)
11 Feb, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा, कार्यगति में सुधार, शुभ समाचार अवश्य ही मिलेगा।
वृष राशि :- कुछ बाधायें कष्टप्रद रखें, स्त्री शरीर कष्ट, कारोबारी बाधा, धैर्य पूर्वक कार्य करें।
मिथुन राशि :- कार्य कुशलता से संतोष, परिश्रम सफल होगा, स्त्री वर्ग से सुख अवश्य होगा।
कर्क राशि :- कुटुम्ब की समस्यायें सुलझेंगी तथा सुख-शांति में समय बीतेगा, समय का ध्यान रखें।
सिंह राशि :- परिश्रम से समय पर कार्य पूर्ण होंगे, व्यवसायिक क्षमता अवश्य ही बढ़ेगी।
कन्या राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास, आशानुकूल सफलता का हर्ष, बिगड़े कार्य बनाने का प्रयास अवश्य करें।
तुला राशि :- योजनायें पूर्ण होंगी, सफलतापूवर्क कार्य पूर्ण कर लेंगे, रुके कार्य पर ध्यान अवश्य दें।
वृश्चिक राशि :- कार्यगति उत्तम, चिन्ता कम होगी, प्रभुत्व एवं प्रतिष्ठा अवश्य ही बढ़ेगी।
धनु राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष, कार्यगति उत्तम होगी, भावनायें संवदेनशील होंगी।
मकर राशि :- अधिकारी वर्ग के तनाव से क्लेश व अशांति, रुके कार्य बन ही जायेंगे ध्यान दें।
कुंभ राशि :- मनोबल बनाये रखें किन्तु हाथ में कुछ न लगे तथा नया कार्य अवश्य ही होगा।
मीन राशि :- दैनिक कार्यगति उत्तम होगी, कुटुम्ब में सुख, समय उत्तम बनेगा ध्यान अवश्य दें।
रंगभरी एकादशी कब है, सौभाग्य में शिव - गौरी की पूजा होगी, महादेव को लाल गुलाल से रंगा जाएगा
10 Feb, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को रंगभरी एकादशी मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। आंवला एकादशी या आमलकी एकादशी भी इसी तिथि को पड़ती है। यह एक ऐसी ही एकादशी है, जिसमें केवल भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है, जबकि आमलकी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करती है।
रंगभरी एकादशी का काशी के शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व है। काशी ज्योतिषी चक्रपाणि भट्ट जानते हैं कब है रंगभरी एकादशी, क्या है पूजा का समय और महत्व?
रंगभरी एकादशी 2023 तिथि
पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का प्रारंभ 02 मार्च गुरुवार को सुबह 06:39 बजे से हो रहा है और इस तिथि का समापन 03 मार्च शुक्रवार को सुबह 09:11 बजे होगा। जन्मतिथि के आधार पर 03 मार्च शनिवार को रंगभरी एकादशी मनाई जाएगी।
रंगभरी एकादशी 2023 पूजा मुहूर्त
भगवान शिव की नगरी काशी में रंगभरी एकादशी के दिन सुबह बाबा विश्वनाथ की पूजा की जाती है। उनका रंग लाल गुलाल विशेष रूप से चढ़ाया जाता है। इस दिन सुबह से ही सौभाग्य योग और सर्वार्थ सिद्धि योग बना हुआ है। दोनों ही योगों में पूजा का उत्तम फल प्राप्त होता है।
सौभाग्य में रंगभरी एकादशी
इस वर्ष रंगभरी एकादशी पर सौभाग्य योग सुबह से शाम 06:45 बजे तक है। उसके बाद शोभन योग शुरू होगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06:45 बजे से दोपहर 03:43 बजे तक है।
रंगभरी एकादशी पर भद्रा भी
रंगभरी एकादशी के दिन भद्रा सुबह 06 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर सुबह 09 बजकर 11 मिनट तक रहता है। इसमें भी दो समय भद्रा का निवास प्रात: 08 बजकर 58 मिनट तक भद्रा का निवास स्वर्ग में और उसके बाद 13 मिनट तक भद्रा का निवास पृथ्वी पर रहेगा। स्वर्ग की भद्रा में अशुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है।
रंगभरी एकादशी का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव यानी बाबा विश्वनाथ पहली बार रंगभरी एकादशी के दिन माता पार्वती का श्रृंगार कर काशी लाए थे। तब शिव गणों और भक्तों ने दोनों का रंग - गुलाल से स्वागत किया। इस वजह से हर साल रंगभरी एकादशी पर शिव और पार्वती की पूजा की जाती है। बाबा विश्वनाथ माता गौरा के साथ पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण करते हैं।
उल्टी रखी चप्पल या जूते को क्यों मानते हैं अशुभ, क्या है इससे जुड़ी मान्यताएं?
10 Feb, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Hindu Beliefs: चप्पल या जूते अगर गलती से उल्टे रख दिए जाएं तो घर के बुजुर्ग तुरंत उसे सीधा करने के लिए कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि उल्टी पड़ी चप्पल या जूते घर के वास्तु को प्रभावित करते हैं, जिससे घर में निगेटिविटी फैलने लगती है।
हिंदू धर्म में कई मान्यताएं हैं। इन मान्यताओं के पीछे धार्मिक, वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक कारण छिपे होते हैं। चप्पल-जूतों से भी कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। ऐसा कहा जाता है कि अगर घर में कोई चप्पल या जूते उल्टे रखे हों तो इससे घर में वाद-विवाद होने की संभावना बनने लगती है। इन मान्यताओं के पीछे कई कारण हैं। आज हम आपको चप्पल से जुड़ी ऐसी ही कुछ दिलचस्प मान्यताओं के बारे में बता रहे हैं.
घर में अगर कोई जूता या चप्पल उल्टी रख दी जाए तो बुजुर्ग तुरंत उसे ठीक से रखने के लिए बोलते हैं, इसके पीछे मान्यता है कि उल्टे जूते-चप्पल घर के वास्तु को प्रभावित करते हैं। चप्पल या जूते अगर उल्टे हो तो इनके निगेटिव एनर्जी निकलती है जो घर में रहने वाले लोगों को प्रभावित करती है, जिसके कारण वाद-विवाद की स्थिति बनती है।
ज्योतिष शास्त्र में पैरों को शनि का कारक माना गया है। इसलिए जूतों पर भी शनि का प्रभाव होता है। उल्टे पड़े जूते-चप्पल शनि की नाराजगी का कारण बन सकते हैं। इस वजह से जीवन में परेशानियां बढ़ सकती हैं। शनि की कृपा पाने के लिए ही जूते-चप्पलों का दान भी किया जाता है।
हम देखते हैं कि कुछ चौपहिया गाड़ियों के आगे या पीछे जूते लटकाकर रखा जाता है। इसके पीछे भी एक मान्यता है, वो ये है कि ऐसा करने से लोगों की बुरी नजर वाहन पर नहीं लगती, जिससे उसमें खराबी नहीं आती और दुर्घटना आदि के योग भी नहीं बनते। ऐसे वाहन अपने मालिक के लिए लकी भी साबित होते हैं।
शनिवार शनिदेव का दिन माना जाता है। इस दिन अगर कोई आपकी चप्पल या जूते चुरा ले तो माना जाता है कि बुरा समय टल गया और शनिदेव के प्रकोप से भी आप बच गए। इसके पीछे मान्यता है कि शनि जब नाराज होते हैं तो चप्पल घिसवा देते और तो भी सफलता नहीं देते। चप्पल या जूते चोरी हो जाए तो ऐसा कहा जाता है कि वो व्यक्ति उसके साथ-साथ हमारा बुरा समय भी ले गया।
चप्पल से जुड़ी एक मान्यता ये भी है कि कभी किसी दूसरे की चप्पल या जूते नहीं पहनना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि ऐसा करने से उसकी बुरी किस्मत हमें भी प्रभावित कर सकती है। अगर किसी का समय खराब चल रहा हो तो उसकी चप्पल या जूते पहनने से हमारा समय भी खराब हो सकता है।
आज किसी भी समय करें ये उपाय, आर्थिक तंगी हो जाएगी समाप्त
10 Feb, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आज शुक्रवार का दिन है और ये दिन धन वैभव, सुख समृद्धि की देवी माता लक्ष्मी को समर्पित है मान्यता है कि इस दिन महालक्ष्मी की आराधना करना उत्तम होता है इस दिन देवी मां की अगर विधिवत पूजा और व्रत किया जाए तो जातक को लाभ की प्राप्ति होती है।
ऐसे में अगर आप भी महालक्ष्मी की विशेष कृपा चाहते है तो आज व्रत पूजन के साथ साथ श्री कनकधारा स्तोत्र का संपूर्ण पाठ जरूर करें मान्यता है कि इसका विधिवत पाठ करने से आर्थिक तंगी समाप्त हो जाती है और लक्ष्मी कृपा से धन में वृद्धि होती है, तो आज हम आपके लिए लेकर आए है श्री कनकधारा स्तोत्र पाठ।
श्री कनकधारा स्तोत्र-
अंगहरे पुलकभूषण माश्रयन्ती भृगांगनैव मुकुलाभरणं तमालम।
अंगीकृताखिल विभूतिरपांगलीला मांगल्यदास्तु मम मंगलदेवताया: ॥1॥
मुग्ध्या मुहुर्विदधती वदनै मुरारै: प्रेमत्रपाप्रणिहितानि गतागतानि।
माला दृशोर्मधुकर विमहोत्पले या सा मै श्रियं दिशतु सागर सम्भवाया: ॥2॥
विश्वामरेन्द्रपदविभ्रमदानदक्षमानन्द हेतु रधिकं मधुविद्विषोपि।
ईषन्निषीदतु मयि क्षणमीक्षणार्द्धमिन्दोवरोदर सहोदरमिन्दिराय: ॥3॥
आमीलिताक्षमधिगम्य मुदा मुकुन्दमानन्दकन्दम निमेषमनंगतन्त्रम्।
आकेकर स्थित कनी निकपक्ष्म नेत्रं भूत्यै भवेन्मम भुजंगरायांगनाया: ॥4॥
बाह्यन्तरे मधुजित: श्रितकौस्तुभै या हारावलीव हरिनीलमयी विभाति।
कामप्रदा भगवतो पि कटाक्षमाला कल्याण भावहतु मे कमलालयाया: ॥5॥
कालाम्बुदालिललितोरसि कैटभारेर्धाराधरे स्फुरति या तडिदंगनेव्।
मातु: समस्त जगतां महनीय मूर्तिभद्राणि मे दिशतु भार्गवनन्दनाया:॥6॥
प्राप्तं पदं प्रथमत: किल यत्प्रभावान्मांगल्य भाजि: मधुमायनि मन्मथेन।
मध्यापतेत दिह मन्थर मीक्षणार्द्ध मन्दालसं च मकरालयकन्यकाया: ॥7॥
दद्याद दयानुपवनो द्रविणाम्बुधाराम स्मिभकिंचन विहंग शिशौ विषण्ण।
दुष्कर्मधर्ममपनीय चिराय दूरं नारायण प्रणयिनी नयनाम्बुवाह: ॥8॥
इष्टा विशिष्टमतयो पि यथा ययार्द्रदृष्टया त्रिविष्टपपदं सुलभं लभंते।
दृष्टि: प्रहूष्टकमलोदर दीप्ति रिष्टां पुष्टि कृषीष्ट मम पुष्कर विष्टराया: ॥9॥
गीर्देवतैति गरुड़ध्वज भामिनीति शाकम्भरीति शशिशेखर वल्लभेति।
सृष्टि स्थिति प्रलय केलिषु संस्थितायै तस्यै नमस्त्रि भुवनैक गुरोस्तरूण्यै ॥10॥
श्रुत्यै नमोस्तु शुभकर्मफल प्रसूत्यै रत्यै नमोस्तु रमणीय गुणार्णवायै।
शक्तयै नमोस्तु शतपात्र निकेतानायै पुष्टयै नमोस्तु पुरूषोत्तम वल्लभायै ॥11॥
नमोस्तु नालीक निभाननायै नमोस्तु दुग्धौदधि जन्म भूत्यै ।
नमोस्तु सोमामृत सोदरायै नमोस्तु नारायण वल्लभायै ॥12॥
सम्पतकराणि सकलेन्द्रिय नन्दानि साम्राज्यदान विभवानि सरोरूहाक्षि।
त्व द्वंदनानि दुरिता हरणाद्यतानि मामेव मातर निशं कलयन्तु नान्यम् ॥13॥
यत्कटाक्षसमुपासना विधि: सेवकस्य कलार्थ सम्पद:।
संतनोति वचनांगमानसंसत्वां मुरारिहृदयेश्वरीं भजे ॥14॥
सरसिजनिलये सरोज हस्ते धवलमांशुकगन्धमाल्यशोभे।
भगवति हरिवल्लभे मनोज्ञे त्रिभुवनभूतिकरि प्रसीद मह्यम् ॥15॥
दग्धिस्तिमि: कनकुंभमुखा व सृष्टिस्वर्वाहिनी विमलचारू जल प्लुतांगीम।
प्रातर्नमामि जगतां जननीमशेष लोकाधिनाथ गृहिणी ममृताब्धिपुत्रीम् ॥16॥
कमले कमलाक्षवल्लभे त्वं करुणापूरतरां गतैरपाड़ंगै:।
अवलोकय माम किंचनानां प्रथमं पात्रमकृत्रिमं दयाया : ॥17॥
स्तुवन्ति ये स्तुतिभिर भूमिरन्वहं त्रयीमयीं त्रिभुवनमातरं रमाम्।
गुणाधिका गुरुतरभाग्यभागिनो भवन्ति ते बुधभाविताया: ॥18॥
॥ इति श्री कनकधारा स्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
महाशिवरात्रि पर अपने साथ-साथ करें कुल का भी उद्धार
10 Feb, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Mahashivratri: हर साल फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाए जाने का विधान हिंदू शास्त्रों में वर्णित है। इस साल महाशिवरात्रि 18 फरवरी को आ रही है। शिव पुराण के अनुसार इस रोज मां पार्वती और भगवान शिव विवाह विवाह बंधन में बंधे थे। महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव को प्रसन्न एवं संतुष्ट करना सब पापों को नाश करने वाला तथा परम गुणकारी है, जो भी जीव उनके चरणों में प्रणाम करता है भगवान शिव अपने भक्तजनों को मृत्यु आदि विकारों से रहित कर देते हैं। महाशिवरात्रि पर जो भक्त व्रत में स्थित होकर भगवान शिव की आराधना करता है वह न केवल अपने जीवन को सार्थक करता है बल्कि अपने कुल का भी उद्धार कर देता है। मान्यता है की शिव भक्तों का परिवार सदा सुखी व समृद्ध बसता है। अत: शिवलिंग के समक्ष बैठकर इस तरह प्रार्थना करें-
''प्रभो शूल पाणे विभो विश्वनाथ, महादेव शम्भो महेश त्रिनेत्र। शिवाकांत शांत स्मरारे पुरारे, त्वदन्यो वरेण्यो न मान्यो न गण्य:।।''
हे प्रभो ! हे त्रिशूलपाणे! हे विभो! हे विश्वनाथ! हे महादेव! हे शम्भो! हे महेश्वर! हे त्रिनेत्र! हे पार्वती वल्लभ! हे शांत! हे त्रिपुरारे! अनादि और अनंत परमपावन अद्वैतस्वरूप भगवान शिव को मैं प्रणाम करता हूं।
बिल्व पत्र भगवान शंकर को अत्यंत प्रिय है, शिव पुराण के अनुसार एक भील द्वारा अनभिज्ञ रहते हुए महा शिवरात्रि की रात्रि में जिस प्रकार शिवलिंग पर बिल्व पत्र गिरा कर पूजा की गई उससे प्रसन्न होकर देवाधिदेव भगवान शंकर खुश हुए और उसका कल्याण मार्ग प्रशस्त किया। यह स्पष्ट करता है कि बिल्व पत्र समस्त पापों को नष्ट करने वाला तथा भगवान शंकर की अनन्य कृपा प्राप्त कराने वाला है। महाशिवरात्रि पर सच्चे समर्पण के भाव से शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाते हुए ॐ नम: शिवाय मंत्र से भगवान शिव कि की गई पूजा सब प्रकार के विघ्नों को हरने वाली तथा परम कल्याणप्रद है। भगवान शिव परमात्मा हैं तथा मां पार्वती आदि शक्तिस्वरूपा प्रकृति हैं, जिनकी कृपा केवल शुद्ध हृदय से की गई भक्ति से ही प्राप्त हो सकती है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (10 फरवरी 2023)
10 Feb, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा, कार्यगति में सुधार, शुभ समाचार अवश्य ही मिलेगा।
वृष राशि :- कुछ बाधायें कष्टप्रद रखें, स्त्री शरीर कष्ट, कारोबारी बाधा, धैर्य पूर्वक कार्य करें।
मिथुन राशि :- कार्य कुशलता से संतोष, परिश्रम सफल होगा, स्त्री वर्ग से सुख अवश्य होगा।
कर्क राशि :- कुटुम्ब की समस्यायें सुलझेंगी तथा सुख-शांति में समय बीतेगा, समय का ध्यान रखें।
सिंह राशि :- परिश्रम से समय पर कार्य पूर्ण होंगे, व्यवसायिक क्षमता अवश्य ही बढ़ेगी।
कन्या राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास, आशानुकूल सफलता का हर्ष, बिगड़े कार्य बनाने का प्रयास अवश्य करें।
तुला राशि :- योजनायें पूर्ण होंगी, सफलतापूवर्क कार्य पूर्ण कर लेंगे, रुके कार्य पर ध्यान अवश्य दें।
वृश्चिक राशि :- कार्यगति उत्तम, चिन्ता कम होगी, प्रभुत्व एवं प्रतिष्ठा अवश्य ही बढ़ेगी।
धनु राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष, कार्यगति उत्तम होगी, भावनायें संवदेनशील होंगी।
मकर राशि :- अधिकारी वर्ग के तनाव से क्लेश व अशांति, रुके कार्य बन ही जायेंगे ध्यान दें।
कुंभ राशि :- मनोबल बनाये रखें किन्तु हाथ में कुछ न लगे तथा नया कार्य अवश्य ही होगा।
मीन राशि :- दैनिक कार्यगति उत्तम होगी, कुटुम्ब में सुख, समय उत्तम बनेगा ध्यान अवश्य दें।
Somvati Amavasya 2023: साल की पहली सोमवती अमावस्या
9 Feb, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Somvati Amavasya 2023: हिंदू शास्त्र में पूर्णिमा और अमावस्या दोनों का अपना-अपना महत्व है. ये दो ऐसी तिथियां हैं, जिनका संबंध चंद्रमा से होता है. इस दिन चंद्रमा से संबंधित उपाय किए जाएं तो जातकों को बहुत फायदे होते हैं.इस सिलसिले में लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र बताते हैं कि इस बार सोमवती अमावस्या सोमवार 20 फरवरी को है. इस दिन स्नान-दान करने की परंपरा है. उन्होंने कहा कि इस दिन कुछ उपाय करने से पितरों को भी प्रसन्न किया जा सकता है. आइये जानते हैं सोमवती अमावस्या का मुहूर्त, पूजा-विधि और महत्व के बारे में.
बेहद खास है सोमवती अमावस्या 2023
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि इस दिन स्नान-दान समेत तमाम उपाय करने से पितृ दोष, कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है. वहीं, पूरे परिवार में खुशियां भी आती हैं. उन्होंने कहा कि फाल्गुन महीने में पड़ने वाली सोमवती अमावस्या 2023 बेहद खास है क्योंकि इस बार खास संयोग बन रहा है.
सोमवती अमावस्या का मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक सोमवती अमावस्या 2023 की शुरुआत रविवार 19 फरवरी शाम 4 बजकर 18 मिनट से शुरू होगी, जो रविवार 20 फरवरी 2023 दोपहर 12 बजकर 35 मिनट कर जारी रहेगी. हिंदू शास्त्र में उदयातिथि लेने की परंपरा है, इस वजह से सोमवती अमावस्या रविवार 20 फरवरी को मनाई जाएगी.उन्होंने बताया कि वहीं, स्नान-दान का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजे से शुरु होगा, जो 8 बजकर 25 मिनट तक रहेगा. वहीं, पूजा का शुभ समय सुबह 9 बजकर 50 मिनट से लेकर 11 बजकर 15 मिनट तक रहेगा.
सोमवती अमावस्या 2023 पूजा विधि और महत्व
ज्योतिषाचार्य ने कहा कि सोमवती अमावस्या 2023 पर जातकों को कुछ काम अवश्य करने चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रात: काल तड़के स्नान करके पूजा का संकल्प लें. सबसे पहले सूर्य को अर्घ्य दें, उसके बाद गायत्री मंत्र का यथासंभव जाप करें. गायत्री मंत्र के जाप से घर में खुशहाली आती है और धन संपदा में वृद्धि भी होती है.इस दिन जातकों को शिवलिंग का जलाभिषेक भी करना चाहिए. जलाभिषेक में दूध, गंगाजल, शहद, घी, शक्कर, दही जरुर लें. इसके साथ-साथ नम: शिवाय का मंत्र का जाप भी करें. इससे जातकों का चंद्रमा मजबूत होगा.इन सबके अलावा जातकों को पीपल के पेड़ की भी पूजा करनी चाहिए. पीपल के पेड़ पर कच्चा सूत लपेटने की भी परंपरा है. वहीं, जल भी चढ़ाया जाता है. ऐसा करने से धन संबंधी परेशानियां दूर होती हैं. सुहागिनों को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है.
Hindu Tradition: व्रत-उपवास के दौरान खाई जाने वाली चीजों में सेंधा नमक का ही उपयोग क्यों किया जाता हैं?
9 Feb, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Hindu Tradition: धर्म ग्रंथों में एकादशी आदि तिथियों व खास मौकों पर उपवास रखने की बातें बताई गई हैं। उपवास के दौरान कुछ खास तरह की चीजें खाई जा सकती हैं। इन चीजों में सिर्फ सेंधा नमक (rock salt) का ही उपयोग किया जाता है।
हिंदू धर्म में व्रत-उपवास के जुड़े कई नियम (Hindu Tradition) बताए गए हैं। इन नियमों का खासतौर पर ध्यान रखा जाता है। वैसे तो उपवास के दौरान कुछ भी खाने की मनाही होती है, लेकिन विशेष परिस्थितियों में फलाहारी चीजें दूध, फल, साबूदाने की खिचड़ी आदि खाई जा सकती है। खास बात ये है कि उपवास के दौरान खाई जाने वाली नमकीन चीजों में सेंधा नमक का उपयोग खास तौर पर किया जाता है। आगे जानिए ऐसा क्यों किया जाता है.
सेंधा नमक को रॉक साल्ट (rock salt) भी बोलते हैं जिसका अर्थ होता है पहाड़ी नमक। ये पूरी तरह से प्राकृतिक होता है यानी इसे बनाने में किसी तरह का कोई केमिकल यूज नहीं किया जाता। भले ही ये सामान्य नमक से कम खारा होता है लेकिन ये पूरी तरह से नेचुरल होता है, इसलिए इसका उपयोग व्रत-उपवास के दौरान खाई जाने वाली चीजों में मुख्य रूप से किया जाता है।
आयुर्वेद के महान विद्वान ऋषि वाग्भट्ट के अनुसार, सेंधा नमक यानी रॉक साल्ट पूर्ण रूप से प्राकृतिक होने के कारण काफी गुणकारी होता है। यदि प्रतिदिन इसका उपयोग भोजन में किया जाए तो इससे वात, पित्त और कफ से संबंधित रोग व दोषों से बचा जा सकता है। इस नमक को खाने से रोग प्रतिरोधक क्षमता यानी शरीर की इम्युनिटी पॉवर भी बढ़ने लगती है।
जिन लोगों को दिल से संबंधित बीमारियां हैं, उन्हें खास तौर पर सेंधा नमक का ही उपयोग करना चाहिए क्योंकि खाने के बाद ये शरीर में जाकर मधुर रस में बदल जाता है। इसी वजह से ये अन्य नमक की तुलना में अधिक गुणकारी होता है। भोजन में इसका उपयोग करने से भूख बढ़ती है और खाना भी जल्दी डाइजेस्ट हो जाता है। इसलिए ये नमक हृदय रोगियों को फायदा पहुंचाने वाला माना गया है।
मेडिकल साइंस के अनुसार, सेंधा नमक पोषक तत्वों से भरपूर रहता है। इसमें मैग्नीशियम, कैल्शियम अधिक मात्रा में पाया जाता है। ये पोषक तत्व हड्डियों के साथ-साथ शरीर के कई अंगों के लिए भी फायदेमंद होते हैं। शरीर को पोषक तत्वों की आवश्यकता है तो इसका सेवन करना चाहिए। खाने में इसे शामिल करके ब्लड सर्कुलेशन को भी सही रखा जा सकता है।
वास्तु के अनुसार, सेंधा नमक में निगेटिविटी सोखने का प्राकृतिक गुण होता है। इसलिए इसका उपयोग वास्तु दोष दूर करने के लिए भी किया जाता है। एक कटोरी में सेंधा नमक भरकर घर के बाथरूम में रखने से वहां की नकारात्मक कम होती है साथ ही साथ राहु से संबंधित दोष भी दूर होते हैं।
ज्ञान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले बृहस्पतिवार को करें ये काम
9 Feb, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित किया गया है वही हफ्ते का चौथा दिन यानी की गुरुवार जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु की आराधना के लिए उत्तम माना गया है।
मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की अगर विधिवत पूजा और व्रत किया जाए तो लाभ मिलता है ऐसे में हर कोई आज के दिन श्री नारायण को प्रसन्न करने के तरीके व उपाय खोजता है।
अगर आप भी भगवान विष्णु कृपा व आशीष के अभिलाषी है तो ऐसे में बृहस्पतिवार के दिन पास के किसी भी मंदिर मे जाकर भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करें इसके बाद भगवान की प्रतिमा के समीप बैठकर हरि स्तुति का पाठ भक्ति पूर्ण तरीके से करें और अंत में ज्ञान प्राप्ति की इच्छा भगवान से कहें मान्यता है कि इससे आपको लाभ जरूर प्राप्त होगा।
हरि स्तुति-
जय जय सुरनायक जन सुखदायक प्रनतपाल भगवंता।
गो द्विज हितकारी जय असुरारी सिधुंसुता प्रिय कंता।।
पालन सुर धरनी अद्भुत करनी मरम न जानइ कोई।
जो सहज कृपाला दीनदयाला करउ अनुग्रह सोई।।
जय जय अबिनासी सब घट बासी ब्यापक परमानंदा।
अबिगत गोतीतं चरित पुनीतं मायारहित मुकुंदा।।
जेहि लागि बिरागी अति अनुरागी बिगतमोह मुनिबृंदा।
निसि बासर ध्यावहिं गुन गन गावहिं जयति सच्चिदानंदा।।
जेहिं सृष्टि उपाई त्रिबिध बनाई संग सहाय न दूजा।
सो करउ अघारी चिंत हमारी जानिअ भगति न पूजा।।
जो भव भय भंजन मुनि मन रंजन गंजन बिपति बरूथा।
मन बच क्रम बानी छाड़ि सयानी सरन सकल सुर जूथा।।
सारद श्रुति सेषा रिषय असेषा जा कहुँ कोउ नहि जाना।
जेहि दीन पिआरे बेद पुकारे द्रवउ सो श्रीभगवाना।।
भव बारिधि मंदर सब बिधि सुंदर गुनमंदिर सुखपुंजा।
मुनि सिद्ध सकल सुर परम भयातुर नमत नाथ पद कंजा।।
ऊँ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।।
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी: आज इन राशियों को मिलेगा गजानन का आशीर्वाद
9 Feb, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष: न तो विरोधियों को कमजोर समझने की भूल करें और न ही नुक्सान पहुंचा सकने की उनकी नैगेटिव फोर्स का कम अनुमान लगाएं।
वृष: किसी उलझी, रुकी समस्या को सुलझाने के लिए संतान का सहयोग लेना फ्रूटफुल रहेगा, शत्रु भी आपकी पकड़ में रहेंगे।
मिथुन: किसी अदालती काम को हाथ में लेने या अदालत में पेश होने पर आपके पक्ष की बेहतर सुनवाई होगी। मान-सम्मान की प्राप्ति।
कर्क : मित्र, कामकाजी साथी आपके साथ सहयोग करेंगे व तालमेल रखेंगे तथा आपकी किसी समस्या को सुलझाने के लिए हैल्पफुल रहेंगे।
सिंह : खेती उत्पादों, खेती उपकरणों, खादों, बीजों, करियाना वस्तुओं, गार्मैंट्स का काम करने वालों को अपने कामों में भरपूर लाभ मिलेगा।
कन्या: व्यापार तथा कामकाज की दशा अच्छी, यत्नों-प्रोग्रामों में कामयाबी मिलेगी मगर गले में खराबी की आशंका रह सकती है।
महाशिवरात्रि पर करें ये महाउपाय, भोलेनाथ करेंगे हर मनोकामना पूरी
9 Feb, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Mahashivratri 2023: हर मनुष्य के मन में अनेकानेक मनोकामनाएं होती हैं। यही कारण है कि वह कभी किसी तीर्थस्थल पर जाता है तो कभी किसी तीर्थस्थल पर। अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए वह तमाम पूज्य स्थलों की खाक छानता रहता है। कई बार मनुष्य के मन में अपनी मनोकामना पूर्ति की ऐसी लगन और दृढ़ता होती है कि वह धन, समय तथा कष्टों की भी परवाह नहीं करता मगर इन सबके बावजूद उसकी मनोकामना पूरी नहीं होती लेकिन अब आपको निराश, हताश या परेशान होने की आवश्यकता नहीं है। 18 फरवरी को महाशिवरात्रि का महापर्व है, अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए करें ये उपाय-
18 फरवरी शनिवार के दिन महाशिवरात्रि का पर्व आ रहा है। ये दिन हनुमान जी को भी समर्पित है। जो रुद्रवतार हैं इसलिए प्रात: काल 5 लाल फूल हनुमान जी को अर्पित करने से भी साधक की मनोकामना पूरी हो जाती है।प्रात: काल गौरी शंकर रुद्राक्ष को शिवजी के मंदिर में चढ़ा आए। इससे आपकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाएंगी।प्रात: काल बिल्वपत्र पर सफेद चंदन की बिंदी लगाकर अपनी मनोकामना बोलते हुए उसे शिवलिंग पर चढ़ा दें। आपकी मनोकामना पूर्ण हो जाएगी।
बरगद के पत्ते पर अपनी मनोकामना लिख कर उसे बहते जल में छोडऩे से कामनापूर्ति हो जाती है। इसके लिए किसी भी भाषा का प्रयोग कर सकते हैं। अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए नए सूती लाल वस्त्र में जटायुक्त नारियल बांधकर अपनी मनोकामना कहते हुए बहते जल में प्रवाहित कर दें।अगर मनोकामना पूर्ति करनी हो तो मंदिर में जाकर श्रमदान करें। 15 दिनों के भीतर आपकी मनोकामना पूर्ण हो जाएगी। मंदिर में मीठी वस्तु का भोग लगाएं। मनोकामना पूर्ण हो जाएगी।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (09 फरवरी 2023)
9 Feb, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- बैचेनी उद्विघ्नता से बचिए, सोचे हुए कार्य बना लेंगे, रुके कार्य बनेंगे।
वृष राशि :- चिन्ताएं कम हो, सफलता के साधन जुटाए, अचानक लाभ के योग बनेंगे।
मिथुन राशि :- सफलता के साधन जुटाए, व्यावसायिक क्षमता से वृद्धि होवे, समय का ध्यान दें।
कर्क राशि :- व्यर्थ धन का व्यय, समय शक्ति नष्ट होवे, विघटनकारी तत्व परेशान करेंगे।
सिंह राशि :- भोग ऐश्वर्य से स्वास्थ्य नरम रहे, विद्यार्थी वर्ग उत्साह से बचे, ध्यान रखे।
कन्या राशि :- समय व धन नष्ट हो, क्लेश व अशांति होवे, कष्ट व चिन्ता बनी रहे।
तुला राशि :- परिश्रम से सफलता के साधन अवश्य जुटाए, कार्य बाधा तथा कार्य अवरोध अवश्य होगा।
वृश्चिक राशि :- चोट आदि से बचिए किन्तु भाग्य का सितारा बुलंद है समय की प्रबलता का लाभ ले।
धनु राशि :- क्लेश व अशांति से बचिए, मानसिक उद्विघ्नता अवश्य ही बनेगी, ध्यान रखे।
मकर राशि :- परिश्रम विफल हो, चिन्ता व यात्रा व्यग्रता, स्वास्थ्य नरम अवश्य ही होगा।
कुंभ राशि :- आकस्मिक घटना हो चोट आदि का भय होगा तथा समय का ध्यान अवश्य रखे।
मीन राशि :- अधिकारियों से कष्ट, इष्ट मित्र सहायक होवे, समय का ध्यान अवश्य रखे।
अमलनेर के मंगलदेव मंदिर में स्थित अद्भुत है भू-माता और पंचमुखी हनुमानजी की प्रतिमा
8 Feb, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमलनेर में श्री मंगल देवता के स्थान को प्राचीन और जागृत स्थान माना जाता है। यहां पर पंचमुखी हनुमानजी के साथ ही भू माता के साथ मंगलदेव विराजमान हैं। बताया जाता है कि यहां पर भू माता की विश्व की पहली प्रतिमा स्थापित की गई है। पंचमुखी हनुमान और भू माता के मूर्तियां पाले पाषाण की बनी हुई है जो कि दर्शन करने में बहुत ही अद्भुत है।
धरती माता को भूदेवी और भूमाता की कहा जाता है जो कि मंगलदेव की माता हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भू माता श्री हरि विष्णु की पत्नी हैं। कुछ ग्रंथों के अनुसार यह भगवान वराह की पत्नी हैं। हमारे वेद, उपनिषद, पुराणों में भूमाता का उल्लेख कई कथाओं में आता है। धरती देवी के लिए संस्कृत नाम 'पृथ्वी' है और उन्हें भूदेवी या देवी भूमि भी कहा जाता है। वे भगवान विष्णु भी पत्नी हैं। लक्ष्मी के 2 रूप माने जाते हैं- भूदेवी और श्रीदेवी। भूदेवी धरती की देवी हैं और श्रीदेवी स्वर्ग की देवी। पहली उर्वरा (उपजाऊ भूमि) से जुड़ी हैं व दूसरी महिमा व शक्ति से।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार माता सीता की उत्पत्ति भू माता से होने का संदर्भ मिलता है। चंद्र और मंगल ग्रह की उत्पत्ति भी भू माता से मानी जाती है। इस बात को खगोलशास्त्र भी मान्यता देता है।यहां स्थित पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा भी अद्भुत है। पंचमुखी हनुमान का यह स्वरूप हर तरह के संकटों से बचाता है। हनुमानजी ने अहिरावण का वध करने के दौरान यह रूप धारण किया था। दरअसल, पांचों अलग अलग दिशाओं में पांच जगह पर रखें पांच दीपकों को एक साथ बुझाकर ही अहिरावण का वध किया जा सकता था। अहिररावण ने ये दीपक मां भवानी के लिए जलाए थे। इन पांचों दीपक को एक साथ बुझाने पर अहिरावण का वध हो जाएगा इसी कारण हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धरा।