धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
25 अप्रैल को खुलेंगे केदारनाथ मंदिर के कपाट, आ गया मुहूर्त
19 Feb, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ धाम के कपाट कब खुलेंगे, इसका ऐलान हो गया है. शनिवार को महाशिवरात्रि पर उखीमठ में परंपरागत पूजा-अर्चना के बाद पंचांग की गणना के बाद केदारनाथ मंदिर के कपाट खोलने को लेकर मुहूर्त निश्चित किया गया.
इस साल केदारनाथ मंदिर के कपाट मेघ लग्न में खुलेंगे.
मंदिर के कपाट 25 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर खुलेंगे. जानकारी के अनुसार केदारनाथ मंदिर के कपाट 25 अप्रैल को मेघ लग्न में सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर खुलेंगे. केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने के साथ ही बाबा दरबार में श्रद्धालुओं की उस्थिति शुरू हो जाएगी.
केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने से पहले निभाई जाने वाली परंपराएं, अनुष्ठान चार दिन पहले यानी 21 अप्रैल से ही शुरू हो जाएंगे. बताया जाता है कि 21 अप्रैल को डोली शीतकालीन गद्दी स्थल ओमकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ से केदारनाथ के लिए रवाना होगी.
बाबा केदार की पैदल डोली यात्रा 24 अप्रैल को केदारनाथ पहुंचेगी. पैदल डोली यात्रा के ओमकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ से केदारनाथ पहुंचने के बाद अगले दिन मंदिर के कपाट खोलने के लिए धार्मिक अनुष्ठान शुरू होगा. धार्मिक अनुष्ठान के बाद सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलेंगे.
27 अक्टूबर को बंद हुए थे मंदिर के कपाट
गौरतलब है कि केदारनाथ मंदिर के कपाट भैया दूज के अवसर पर विधिवत मंत्रोच्चारण के बीच शीतकाल के लिए बंद हुए थे. सेना की मराठा रेजीमेंट के बैंड ने भक्तिमय प्रस्तुति दी थी. केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के बाद वहां से डोली ऊखीमठ के ओमकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना हुई थी. डोली को ओमकारेश्वर मंदिर के शीतकालीन पूजा गद्दी स्थल पर 29 अक्टूबर को विराजमान किया गया था.
सोमवती अमावस्या पर न करें ये काम, पितृगण हो जाएंगे क्रोधित
19 Feb, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में अमावस्या तिथि को बेहद ही खास माना जाता है यह तिथि पितरों की पूजा आराधना को समर्पित होती है मान्यता है कि अमावस्या के दिन अगर पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध और तर्पण किया जाए तो वंश वृद्धि का आशीर्वाद मिलता है और सभी प्रकार के कष्टों से भी छुटकारा मिल जाता है।
साथ ही साथ तरक्की में आने वाली बाधा दूर हो जाती है।
इस बार अमावस्या की तिथि 20 फरवरी दिन सोमवार को पड़ रही है जिसे सोमवती अमावस्या और फाल्गुन अमावस्या के नाम से जाना जा रहा है इस दिन स्नान दान का विशेष महत्व होता है मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर अगर पवित्र नदियों में स्नान किया जाए तो अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। लेकिन कुछ ऐसे कार्य भी है जिन्हें अमावस्या तिथि पर नहीं करना चाहिए वरना पितरों की नाराज़गी सहनी पड़ती है, तो आज हम आपको बता रहे है कि इस दिन किन कार्यों को करने से बचना चाहिए।
अमावस्या पर रखें इन बातों का ध्यान-
आपको बता दें कि इस साल सोमवती अमावस्या 20 फरवरी दिन सोमवार को पड़ रही है, ऐसे में इस दिन पितरों को जल तर्पण जरूर करें इस दिन भूलकर भी पितरों का अनादर नहीं करना चाहिए। इस दिन पितरों को पानी का तर्पण देना जरूरी होता है ऐसा करने से वे प्रसन्न होकर वंश वृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करते है।
अमावस्या तिथि पर गाय, कौआ, कुत्ते आदि को भोजन जरूर कराना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से भोजन का अंश पितरों को भी प्राप्त होता है। लेकिन इस दिन भूलकर भी किसी जीव को कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि अमावस्या तिथि पर पितर अपने वंशजों के द्वारा तर्पण, पिंडान और श्राद्ध आदि की प्रतिक्षा करते है। ऐसे में उन्हें इस दिन अगर आप श्राद्ध तर्पण और पिंडदान नहीं करते है तो इससे वे क्रोधित हो सकते है और अपने वंशजों को श्राप देते है ऐसे में इससे बचना जरूरी है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (19 फरवरी 2023)
19 Feb, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा तथा कार्यवृत्ति में सुधार होगा।
वृष राशि :- कार्य योजना पूर्ण होगी, रुके कार्य निपटा लेवें, कार्य योजना से लाभ अवश्य होगा।
मिथुन राशि :- कुटुम्ब की समस्यायें सुलझेंगी, बिगड़े हुये कार्य अवश्य ही बनेंगे ध्यान दें।
कर्क राशि :- समय की अनुकूलता से लाभांवित होंगे तथा कार्य कुशलता से हर्ष अवश्य होगा।
सिंह राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, बिगड़े कार्य बनेंगे।
कन्या राशि :- अर्थ व्यवस्था अनुकूल होने पर भी धन लाभ की संभावना नहीं है, दु:ख होगा।
तुला राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा तथा कार्य कुशलता से लाभ होगा।
वृश्चिक राशि :- कार्य कुशलता अनुकूल रहेगी, धन का व्यय संभव है, समय का ध्यान रखें।
धनु राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, चिन्ता कम अवश्य होगी।
मकर राशि :- आशानुकूल सफलता से संतोष होगा तथा चिन्ता में कमी, धैर्य से काम लें।
कुंभ राशि :- विरोधियों के आक्षेप से हानि होगी, मानसिक व्यग्रता अवश्य ही बनेगी।
मीन राशि :- मनोवृत्ति संवेदनशील बनेगी, कार्य-व्यवसाय गति अनुकूल बनेगी।
Holashtak 2023 : होलाष्टक के बारे में प्रचलित कथाएं क्या हैं? मान्यताओं और परंपराओं को जानें
18 Feb, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस वर्ष होलाष्टक 27 फरवरी 2023, सोमवार से प्रारंभ होकर 07 मार्च 2023, मंगलवार को समाप्त होगा.
होलष्टक का समय शुभ कार्यों की रोक का समय होता है. इस समय के दौरान कई शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. लोक मान्यताओं में प्रचलित कई कथाएं इन आठ दिनों से संबंधित रही हैं.
इन कथाओं में भी इस समय पर किए जाने वाले मांगलिक कार्यों को करना अनुकूल नहीं माना जाता है. आइए जानते हैं होलाष्टक से जुड़ी प्रचलित कथाओं और परंपराओं और मान्यताओं के बारे में-
होलाष्टक की कथा और महत्व
होलाष्टक से जुड़ी एक कथा इस प्रकार है, होलिका-प्रह्लाद की कथा पौराणिक कथा के अनुसार, राजा हिरण्यकश्यप ने अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान श्री हरि विष्णु की भक्ति से विमुख करने के लिए आठ दिनों तक घोर यातनाएं दी थीं. आठवें दिन होलिका, जो हिरण्यकश्यप की बहन थी, भक्त प्रह्लाद को गोद में लेकर बैठ गई और जल गई लेकिन भक्त प्रह्लाद बच गया. आठ दिनों की यातना के कारण इन आठ दिनों को अशुभ माना जाता है.
शिव-कामदेव कथा भी इसी से जुड़ी एक अन्य मान्यता पर आधारित है. हिमालय की पुत्री पार्वती चाहती थीं कि उनका विवाह भगवान भोलेनाथ से हो जाए और दूसरी ओर देवताओं को पता था कि ब्रह्मा के वरदान के कारण केवल शिव का पुत्र ही तारकासुर का वध कर सकता है, लेकिन शिवजी अपनी तपस्या में लीन थे. तब सभी देवताओं के कहने पर कामदेव ने भगवान शिव की तपस्या भंग करने का जोखिम उठाया. उसने प्रेम बाण चलाया और भगवान शिव की तपस्या भंग हो गई. भगवान शिव को बहुत क्रोध आया और उन्होंने अपना तीसरा नेत्र खोल दिया. कामदेव का शरीर उनके क्रोध की ज्वाला में भस्म हो गया.
आठवें दिन तक कामदेव हर तरह से भगवान शिव की तपस्या भंग करने में लगे रहे. अंत में शिव ने क्रोधित होकर फाल्गुन की अष्टमी को ही कामदेव को जलाकर भस्म कर दिया.बाद में देवी-देवताओं ने उन्हें तपस्या भंग करने का कारण बताया, तब शिवजी ने पार्वती को देखा और पार्वती की पूजा सफल हुई और शिवजी ने उन्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया. इसलिए अनादि काल से ही होली की अग्नि में कामवासना को प्रतीकात्मक रूप से जलाकर सच्चे प्रेम की विजय का उत्सव मनाया जाता रहा है.
श्रीकृष्ण और गोपियां से संबंधित कथा भी यहां विशेष स्थान रखती है. कहा जाता है कि होली एक दिन का नहीं बल्कि आठ दिनों का त्योहार है. भगवान कृष्ण आठ दिनों तक गोपियों के साथ होली खेलते रहे और धुलेंडी यानी होली के दिन उन्होंने रंगीन कपड़े अग्नि को सौंप दिए, तभी से यह उत्सव आठ दिनों तक मनाया जाने लगा.
शंख पूजन मंत्र से लेकर ध्यान मंत्र तक... पढ़े ये मंत्र
18 Feb, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आज महाशिवरात्रि का पर्व है। ये पर्व हिन्दू परंपरा का एक बहुत बड़ा पर्व है। ऐसे में अगर आप पूजन करने जा रहे हैं तो आपके लिए आज हम बताने जा रहे है शंख पूजन से लेकर आहवान मंत्र के बारें में...
द्विग्रक्षण - मंत्र यादातर संस्थितम भूतं स्थानमाश्रित्य सर्वात:/ स्थानं त्यक्त्वा तुं तत्सर्व यत्रस्थं तत्र गछतु //
यह मंत्र बोल कर चावालको अपनी चारो और डाले।
वरुण पूजन:-
अपाम्पताये वरुणाय नमः।
सक्लोप्चारार्थे गंधाक्षत पुष्पह: समपुज्यामी।
यह बोल कर कलश के जल में चन्दन - पुष्प डाले और कलश में से थोडा जल हाथ में ले कर निन्म मंत्र बोल कर पूजन सामग्री और खुद पर वो जल के छीटे डाले
दीप पूजन:
दिपस्त्वं देवरूपश्च कर्मसाक्षी जयप्रद:।
साज्यश्च वर्तिसंयुक्तं दीपज्योती जमोस्तुते।।
( बोल कर दीप पर चन्दन और पुष्प अर्पण करे )
शंख पूजन:-
लक्ष्मीसहोदरस्त्वंतु विष्णुना विधृत: करे। निर्मितः सर्वदेवेश्च पांचजन्य नमोस्तुते।।
(बोल कर शंख पर चन्दन और पुष्प चढ़ाये )
घंट पूजन:-
देवानं प्रीतये नित्यं संरक्षासां च विनाशने।
घंट्नादम प्रकुवर्ती ततः घंटा प्रपुज्यत।।
(बोल कर घंट नाद करे और उस पर चन्दन और पुष्प चढ़ाये )
ध्यान मंत्र:-
ध्यायामि दैवतं श्रेष्ठं नित्यं धर्म्यार्थप्राप्तये।
धर्मार्थ काम मोक्षानाम साधनं ते नमो नमः।।
( बोल कर भगवान शंकर का ध्यान करे )
आहवान मंत्र आगच्छ देवेश तेजोराशे जगत्पतये।
पूजां माया कृतां देव गृहाण सुरसतम।।
(बोल कर भगवन शिव को आह्वाहन करने की भावना करे )
आसन मंत्र:-
सर्वकश्ठंयामदिव्यम नानारत्नसमन्वितम। कर्त्स्वरसमायुक्तामासनम प्रतिगृह्यताम।।
(बोल कर शिवजी कोई आसन अर्पण करे )
खाध्य प्रक्षालन उष्णोदकम निर्मलं च सर्व सौगंध संयुत।
पद्प्रक्षलानार्थय दत्तं ते प्रतिगुह्यतम।।
( बोल कर शिवजी के पैरो को पखालने हे )
अर्ध्य मंत्र:-
जलं पुष्पं फलं पत्रं दक्षिणा सहितं तथा। गंधाक्षत युतं दिव्ये अर्ध्य दास्ये प्रसिदामे।।
(बोल कर जल पुष्प फल पात्र का अर्ध्य देना चाहिए )
पंचामृत स्नान पायो दाढ़ी धृतम चैव शर्करा मधुसंयुतम। पंचामृतं मयानीतं गृहाण परमेश्वर।।
(बोल कर पंचामृत से स्नान करावे )
स्नान मंत्र:-
गंगा रेवा तथा क्षिप्रा पयोष्नी सहितास्त्था। स्नानार्थ ते प्रसिद परमेश्वर।।
(बोल कर भगवन शंकर को स्वच्छ जल से स्नान कराये और चन्दन पुष्प चढ़ाये )
संकल्प मन्त्र:-
अनेन स्पन्चामृत पुर्वरदोनोने आराध्य देवता: प्रियत्नाम। ( तत पश्यात शिवजी कोई चढ़ा हुवा पुष्प ले कर अपनी आख से स्पर्श कराकर उत्तर दिशा की और फेक दे ,बाद में हाथ को धो कर फिर से चन्दन पुष्प चढ़ाये )
अभिषेक मंत्र:-
सहस्त्राक्षी शतधारम रुषिभी: पावनं कृत। तेन त्वा मभिशिचामी पवामान्य : पुनन्तु में।।
(बोल कर जल शंख में भर कर शिवलिंगम पर अभिषेक करे ) बाद में शिवलिंग या प्रतिमा को स्वच्छ जल से स्नान कराकर उनको साफ कर के उनके स्थान पर विराजमान करवाए
वस्त्र मंत्र:-
सोवर्ण तन्तुभिर्युकतम रजतं वस्त्र्मुत्तमम। परित्य ददामि ते देवे प्रसिद गुह्यतम।।
( बोल कर वस्त्र अर्पण करने की भावना करे )
जनेऊ मन्त्र:-
नवभिस्तन्तुभिर्युकतम त्रिगुणं देवतामयम। उपवीतं प्रदास्यामि गृह्यताम परमेश्वर।।
(बोल कर जनेऊ अर्पण करने की भावना करे )
चन्दन मंत्र:-
मलयाचम संभूतं देवदारु समन्वितम। विलेपनं सुरश्रेष्ठ चन्दनं प्रति गृह्यताम।।
(बोल कर शिवजी को चन्दन का लेप करे )
अक्षत मंत्र:-
अक्षताश्च सुरश्रेष्ठ कंकुमुकदी सुशोभित।
माया निवेदिता भक्त्या गृहाण परमेश्वर।।
(बोल चावल चढ़ाये )
पुष्प मंत्र:-
नाना सुगंधी पुष्पानी रुतुकलोदभवानी च। मायानितानी प्रीत्यर्थ तदेव प्रसिद में।।
(बोल कर शिवजी को विविध पुष्पों की माला अर्पण करे )
बिल्वपत्र मन्त्र:-
त्रिदलं त्रिगुणा कारम त्रिनेत्र च त्र्ययुधाम।
त्रिजन्म पाप संहारमेकं बिल्वं शिवार्पणं।।
(बोल कर बिल्वपत्र अर्पण करे )
दूर्वा मन्त्र:-
दुर्वकुरण सुहरीतन अमृतान मंगलप्रदान।
आतितामस्तव पूजार्थं प्रसिद परमेश्वर शंकर :।।
(बोल करे दूर्वा दल अर्पण करे )
सौभाग्य द्रव्य हरिद्राम सिंदूर चैव कुमकुमें समन्वितम।
सौभागयारोग्य प्रीत्यर्थं गृहाण परमेश्वर शंकर :।।
( बोल कर अबिल गुलाल चढ़ाये और होश्के तो अलंकर और आभूषण शिवजी को अर्पण करे )
धुप मन्त्र:-
वनस्पति रसोत्पन्न सुगंधें समन्वित :।
देव प्रितिकारो नित्यं धूपों यं प्रति गृह्यताम।।
(बोल कर सुगन्धित धुप करे )
दीप मन्त्र:-
त्वं ज्योति : सर्व देवानं तेजसं तेज उत्तम :.।
आत्म ज्योति: परम धाम दीपो यं प्रति गृह्यताम।।
(बोल कर भगवन शंकर के सामने दीप प्रज्वलित करे )
नैवेध्य मन्त्र:-
नैवेध्यम गृह्यताम देव भक्तिर्मेह्यचलां कुरु।
इप्सितम च वरं देहि पर च पराम गतिम्।।
(बोल कर नैवेध्य चढ़ाये )
भोजन (नैवेद्य मिष्ठान मंत्र)
ॐ प्राणाय स्वाहा.
ॐ अपानाय स्वाहा.
ॐ समानाय स्वाहा
ॐ उदानाय स्वाहा.
ॐ समानाय स्वाहा
( बोल कर भोजन कराये )
नैवेध्यांते हस्तप्रक्षालानं मुख्प्रक्षालानं आरामनियम च समर्पयामि।
Maha Shivratri: उज्जैन महाशिवरात्रि पर फिर शिव ज्योति अर्पणम में नया विश्व कीर्तिमान
18 Feb, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उज्जैन: महाशिवरात्रि पर शनिवार की शाम शिप्रा नदी के घाटों पर शिव ज्योति अर्पणम के तहत एक बार फिर से दीप प्रज्जवलित कर नया विश्व कीर्तिमान रचने के लिए तैयारी कर ली गई है।
वर्ल्ड रिकार्ड एक बार फिर उज्जैन शहर के नाम दर्ज होने वाला है। क्षिप्रा के तट पर 19 लाख दीप प्रज्जवलित किए जाएंगे एवं शहर में 2 लाख से अधिक दीप प्रज्जवलित होंगे। पूरा आयोजन जीरो वेस्ट पर आधारित किया गया है।
पूरा आयोजन जीरो वेस्ट पर आधारित रहेगा, 22 हजार वालेंटियर सहित अधिकारी, जनप्रतिनिधि और आम लोग के सहयोग से दीप प्रज्जवलन करेंगे एवं एक ही जगह पर सबसे अधिक दीप जलाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाकर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में उज्जैन शहर के नाम दर्ज कराया जाएगा।
क्षिप्रा के घाट पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपस्थिति में सामाजिक संगठन, छात्र, व्यापारी, जन प्रतिनिधि, निजी संस्था सहित अन्य लोगों की भागीदारी से दीप प्रज्जवलित किए जाएंगे। निगम आयुक्त रौशन कुमार सिंह ने बताया कि शिव ज्योति अर्पणम् महोत्सव जीरो वेस्ट पर आधारित रहेगा।
कार्यक्रम के पश्चात् रात्रि में ही घाटों की सफाई प्रारंभ कर दी जाएगी। दीप प्रज्जवलन के दौरान तेल रुई और दीपक का थ्री आर के माध्यम से निपटारा किया जाएगा। बचे हुए तेल को गौशाला में, रुई को नगर निगम की कपड़ा बनाने वाली यूनिट में और दीपक से कलाकृति बनाई जाएगी।
क्षिप्रा नदी पर घाटों को दीप प्रज्वलन के लिए 5 भागों में बांटा गया है, सम्पूर्ण घाटों में कुल 8625 ब्लॉक बनाए गए है, इसमें 'ए' ब्लॉक में केदारेश्वर घाट पर, 'बी' ब्लॉक सुनहरी घाट पर, 'सी' ब्लॉक दत्त अखाड़ा क्षेत्र में, 'डी' ब्लॉक रामघाट पर तथा 'ई' ब्लॉक भूखी माता की ओर दीपों का प्रज्वलन किया जायेगा।
एक ब्लॉक में 225 दीपो को दो वॉलेंटियर द्वारा प्रज्वलित किया जायेंगा। इस प्रकार एक सब-सेक्टर में 40 से 50 ब्लॉक होंगे तथा 100 के लगभग वॉलेंटियर्स होंगे। प्रति सौ वॉलेंटियर्स पर दो सुपरवाइजर लगाए गए है और प्रति एक हजार वॉलेंटियर्स पर एक कंट्रोल आफिसर नियुक्त किया गया है। विभिन्न सेक्टर वाइज वॉलेंटियर्स के लिये प्रवेश-पत्र बनाये गये हैं।
शिव ज्योति अर्पणम् महोत्सव में 21 लाख दीपक प्रज्जवलित करते हुए विश्व कीर्तिमान रचा जाना है इसमे जनता की सहभागिता ज्यादा से ज्यादा हो इसके लिए नगर निगम एवं स्मार्ट सिटी द्वारा यह व्यवस्था की गई है कि घरों एवं प्रतिष्ठानों में दीप प्रज्वलित कर उसके साथ सेल्फी लेकर उसे यू.एम.सी. सेवा एप पर अपलोड करे।
सेल्फी अपलोड करने वालों को कलेक्टर के हस्ताक्षर वाला ऑटोजनरेट प्रमाण पत्र प्राप्त हो सकेगा जिसे वह सोशल मीडिया पर भी अपलोड कर सकेंगे। कलेक्टर कुमार पुरूषोत्तम के अनुसार कार्यक्रम में आम जन को प्रवेश नहीं दिया जा सकेगा।
घाटों पर 19 लाख दीपक प्रज्जवलित किए जाएंगे। इनमें से 15.75 लाख दीपकों के प्रज्जवलन की स्थिति में ही उज्जैन नया रिकार्ड कायम कर देगा। हमारा लक्ष्य कम से कम 18 लाख दीपकों को एक साथ प्रज्जवलित कर रिकार्ड बनाने का है।
महाशिवरात्रि पर ऐसे बनाएं ठंडाई
18 Feb, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Maha Shivratri Thandai Recipe: शिवरात्रि के दौरान कई लोग व्रत रखते हैं और फलाहार खाते हैं. महा शिवरात्रि के खास मौके पर ठंडाई हर घर में बनती है.वैसे तो अब फ्लेवल ठंडाई बाजार में आसानी से मिल जाती हैं लेकिन जो ट्रेडिशनल ठंडाई पीने का मजा है वो फ्लेवर वाली ठंडाई में पाना मुश्किल है. हम आज आपको यहां बताने जा रहे हैं ठंडाई बनाने की आसान रेसिपी
सामग्री
एक लीटर दूध, आधा कप बादाम, 6 चम्मच खसखस, सौंफ आधा कप, 2 चम्मच काली मिर्च, 5 हरी इलाएची, 2 चम्मच काली मिर्च, 4 चम्मच तरबूज के बीज, 4 चम्मच खरबूजे के बीज, 4 चम्मच ककड़ी के बीज, 2 चम्मच गुलाब की पत्तियां, चीनी स्वादानुसार.
ऐसे तैयार करें
सबसे पहले एक बाउल में बादाम, खरबूजे, तरबूजे और ककड़ी के बीज, खसखस, सौंफ, गुलाब की पत्तियां, काली मिर्च और इलाएची को पानी में रातभर के लिए भिगो दें. बादाम को अलग से भिगोएं. सुबह बादाम को छीलकर बाकी सारे सामान को पानी सहित एक साथ पीस लें. एकदम बारीक पेस्ट तैयार करना है. अब दूध को उबालें और ठंडा होने दें. इसके बाद इसमें स्वादानुसार चीनी मिक्स करें. यदि केसर है तो थोड़ा सा केसर भी डाल दें.अब दो गिलास में पानी लें और एक मलमल का कपड़ा लें. कपड़े में पेस्ट डालें और पानी डालकर उस पेस्ट को छान लें. आप चाहें तो छलनी की मदद से भी छान सकते हैं. इसके बाद इस पानी को दूध में मिक्स कर दें. इसके बाद कुछ समय के लिए इसे फ्रिज में रख दें. चाहें तो थोड़े ड्राई फ्रूट्स को बारीक काटकर इसे गार्निश भी कर सकते हैं. ठंडा होने के बाद इसमें बर्फ डालें. इसके बाद महादेव को भोग लगाएं और सभी को प्रसाद के तौर पर वितरित करें.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (18 फरवरी 2023)
18 Feb, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कुटुम्ब की समस्यायें सुलझेंगी, अनावश्यक व्यय होगा, रुके कार्य बन जायेंगे।
वृष राशि :- दैनिक कार्यगति में सुधार होगा, सफलता के साधन जुटायें, कार्य व्यवसाय में लाभ होगा।
मिथुन राशि :- समय की अनुकूलता से लाभांवित होंगे, कार्यक्षेत्र में सफलता अवश्य मिलेगी।
कर्क राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से विशेष कार्य स्थगित रखें, लेन-देन के मामले में हानि संभव है।
सिंह राशि :- सामाजिक कार्य में प्रभुत्व वृद्धि होगी, मान-प्रतिष्ठा बढ़ेगी तथा इष्ट मित्रों से लाभ होगा।
कन्या राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, बड़े-बड़े लोगों से मेल-मिलाप होगा।
तुला राशि :- परिश्रम से सफलता संभावित हैं तथा आश्वासन से कार्य में विलम्ब होगा ध्यान दें।
वृश्चिक राशि :- भाग्य का सितारा साथ देगा, समय अनुकूल है रुके कार्य बना ही लें।
धनु राशि :- समय विशेष अनुकूल हैै, भाग्य का सितारा साथ देगा, विशेष कार्य बन जायेंगे।
मकर राशि :- समय अनुकूल नहीं, समय के साथ कार्य करते रहें थोड़ा लाभ अवश्य होगा।
कुंभ राशि :- विशेष कार्य करेंगे, अपेक्षाकृत अनुकूल समय तथा व्यवसाय के कार्य होंगे।
मीन राशि :- मित्र वर्ग से हर्ष, कार्य-व्यवसाय में समृद्धि के साधन अवश्य ही बनेंगे ध्यान दें।
रुद्राक्ष और उनके महत्व
16 Feb, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रुद्राक्ष की का धार्मिक महत्व जगजाहिर है। मान्यता है कि रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से हुई है। रुद्राक्ष को प्राचीन काल से आभूषण के रूप में,सुरक्षा के लिए,ग्रह शांति के लिए और आध्यात्मिक लाभ के लिए प्रयोग किया जाता रहा है। कुल मिलाकर मुख्य रूप से सत्तरह प्रकार के रुद्राक्ष पाए जाते हैं, परन्तु ग्यारह प्रकार के रुद्राक्ष विशेष रूप से प्रयोग में आते हैं। रुद्राक्ष का लाभ अदभुत होता है और प्रभाव सटीक पर यह तभी सम्भव है जब सोच समझकर नियमों का पालन करके रुद्राक्ष धारण किया जाय। बिना नियमों को जाने गलत तरीके से रुद्राक्ष को धारण करने से लाभ की जगह हानि भी हो सकती है।
रुद्राक्ष धारण करने के नियम
रुद्राक्ष कलाई , कंठ और ह्रदय पर धारण किया जा सकता है। इसे कंठ प्रदेश तक धारण करना सर्वोत्तम होगा।
कलाई में बारह,कंठ में छत्तीस और ह्रदय पर एक सौ आठ दानो को धारण करना चाहिए।
एक दाना भी धारण कर सकते हैं पर यह दाना ह्रदय तक होना चाहिए तथा लाल धागे में होना चाहिए.
सावन में,सोमवार को और शिवरात्री के दिन रुद्राक्ष धारण करना सर्वोत्तम होता है
रुद्राक्ष धारण करने के पूर्व उसे शिव जी को समर्पित करना चाहिए तथा उसी माला या रुद्राक्ष पर मंत्र जाप करना चाहिए .
जो लोग भी रुद्राक्ष धारण करते हैं उन्हें सात्विक रहना चाहिए तथा आचरण को शुद्ध रखना चाहिए अन्यथा रुद्राक्ष लाभकारी नहीं होगा।
विभिन्न रुद्राक्ष और उनका महत्व-
एक मुखी - यह साक्षात शिव का स्वरुप माना जाता है।
सिंह राशी वालों के लिए यह अत्यंत शुभ होता है।
जिनकी कुंडली में सूर्य से सम्बंधित समस्या हो ऐसे लोगों को एक मुखी रुद्राक्ष जरूर धारण करना चाहिए।
दो मुखी- यह अर्धनारीश्वर स्वरुप माना जाता है।
कर्क राशी के जातकों को यह अत्यंत उत्तम परिणाम देता है।
अगर वैवाहिक जीवन में समस्या हो या चन्द्रमा कमजोर हो दो मुखी रुद्राक्ष अत्यंत लाभकारी होता है।
तीन मुखी- यह रुद्राक्ष अग्नि और तेज का स्वरुप होता है।
मेष राशी और वृश्चिक राशी के लोगों के लिए यह उत्तम परिणाम देता है।
मंगल दोष के निवारण के लिए इसी रुद्राक्ष का प्रयोग किया जाता है।
चार मुखी- यह रुद्राक्ष ब्रह्मा का स्वरुप माना जाता है।
मिथुन और कन्या राशी के लिए सर्वोत्तम।
त्वचा के रोगों और वाणी की समस्या में इसका विशेष लाभ होता है.
पांच मुखी- इसको कालाग्नि भी कहा जाता है।
इसको धारण करने से मंत्र शक्ति तथा अदभुत ज्ञान प्राप्त होता है।
जिनकी राशी धनु या मीन हो या जिनको शिक्षा में लगातार बाधाएँ आ रही हों ,ऐसे लोगों को पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
छः मुखी- इसको भगवान कार्तिकेय का स्वरुप माना जाता है।
इसको धारण करने से व्यक्ति को आर्थिक और व्यवसायिक लाभ होता है।
अगर कुंडली में शुक्र कमजोर हो अथवा तुला या वृष राशी हो तो छः मुखी रुद्राक्ष धारण करना शुभ होता है।
सात मुखी- यह सप्तमातृका तथा सप्तऋषियों का स्वरुप माना जाता है।
मारक दशाओं में तथा अत्यंत गंभीर स्थितियों में इसको धारण करने से लाभ होता है।
अगर मृत्युतुल्य कष्टों का योग हो अथवा मकर या कुम्भ राशी हो तो यह अत्यंत लाभ देता है.
आठ मुखी- यह अष्टदेवियों का स्वरुप है तथा इसको धारण करने से अष्टसिद्धियाँ प्राप्त होती हैं।
इसको धारण करने से आकस्मिक धन की प्राप्ति सहज होती है तथा किसी भी प्रकार के तंत्र मंत्र का असर नहीं होता।
जिनकी कुंडली में राहु से सम्बन्धी समस्याएँ हों ऐसे लोगों को इसे धारण करना शुभ होता है।
ग्यारह मुखी- एकादश मुखी रुद्राक्ष स्वयं शिव का स्वरुप माना जाता है।संतान सम्बन्धी समस्याओं के निवारण के लिए तथा संतान प्राप्ति के लिए इसको धारण करना शुभ होता है।
पांच प्रमुख अंगों से बना है पंचांग
16 Feb, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
स्नातन धर्म में पंचांग का हर पूजा और शुभ काम में खास महत्व होता है। पंचांग देखे बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है। पंचांग के 5 अंगों के बारे में जानकारी इस प्रकार है। हिंदू धर्म में कुछ भी शुभ काम करने से पहले मुहूर्त जरूर देखा जाता है। दरअसल, मान्यता है कि किसी भी शुभ कार्य से पहले पंचांग जरूर देखना चाहिए। पंचांग एक प्राचीन हिंदू कैलेंडर को कहा जा सकता है। पंचांग पांच अंग शब्द से बना है। हम इसे पंचांग इसलिए कहते हैं क्योंकि यह पांच प्रमुख अंगों से बना है। वो पांच प्रमुख अंग हैं- नक्षत्र, तिथि, योग, करण और वार। कौन सा दिन कितना शुभ है और कितना अशुभ, ये इन्हीं पांच अंगो के माध्यम से जाना जाता है। आइए जानते हैं पंचांग के महत्व और इसके पांच अंगों के बारे में जानें।
ये हैं पंचांग के पांच अंग-
नक्षत्र- पंचांग का पहला अंग नक्षत्र है। ज्योतिष के मुताबिक 27 प्रकार के नक्षत्र होते हैं लेकिन मुहूर्त निकालते समय एक 28वां नक्षत्र भी गिना जाता है। उसे कहते है, अभिजीत नक्षत्र। शादी, ग्रह प्रवेश, शिक्षा, वाहन खरीदी आदि करते समय नक्षत्र देखे जाते हैं।
तिथि- पंचांग का दूसरा अंग तिथि है। तिथियां 16 प्रकार की होती हैं। इनमें पूर्णिमा और अमावस्या दो प्रमुख तिथियां हैं। ये दोनों तिथियां महीने में एक बार जरूर आती हैं। हिंदी कैलेंडर के अनुसार महीने को दो भाग में बांटा गया है, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। अमवस्या और पूर्णिमा के बीच की अवधि को शुक्ल पक्ष कहा जाता है। वहीं पूर्णिमा और अमावस्या के बीच की अवधि को कृष्ण पक्ष कहा जाता है। वैसे ऐसी मान्यता है कि कोई भी बड़ा या महत्तवपूर्ण काम कृष्ण पक्ष के समय नहीं करते। ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि इस समय चंद्रमा की शक्तियां कमजोर पड़ जाती हैं और अंधकार हावी रहता है. तो इसलिए सभी शुभ काम जैसे की शादी का निर्णय शुक्ल पक्ष के समय किया जाता है।
योग- पंचांग का तीसरा अंग योग है। योग किसी भी व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं। पंचांग में 27 प्रकार के योग माने गए हैं। इसके कुछ प्रकार है- विष्कुंभ, ध्रुव, सिद्धि, वरीयान, परिधि, व्याघात आदि।
करण- पंचांग का चौथा अंग करण है। तिथि के आधे भाग को करण कहा जाता है। मुख्य रूप से 11 प्रकार के करण होते हैं। इनमें चार स्थिर होते हैं और सात अपनी जगह बदलते हैं। बव, बालव, तैतिल, नाग, वाणिज्य आदि करण के प्रकार हैं।
वार- पंचांग का पांचवा अंग वार है। एक सूर्योदय से दूसरे सर्योदय के बीच की अवधि को वार कहा जाता है। रविवार, सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार, शुक्रवार, और शनिवार, सात प्रकार के वार होते हैं। इनमें सोमवार, बुधवार, बृहस्पतिवार और शुक्रवार को शुभ माना गया हैं।
सफेद रंग और उसका सभी राशियों पर प्रभाव
16 Feb, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सफेद रंग को वैसे तो शांति का प्रतीक माना जाता है पर यह रंग सेहत पर भी सकारात्मक प्रभाव रखता है। सफेद रंग कभी भी अपना अशुभ प्रभाव नहीं रखता है। सफेद रंग का राशियों पर पड़ने वाला प्रभाव इस प्रकार है।
मेष राशि- सफ़ेद रंग इनके लिए एक वरदान की तरह है। इनके लिए सफ़ेद रंग उत्तम परिणाम देता है. जब भी जीवन में स्थाईत्व की समस्या हो सफ़ेद रंग का प्रयोग बढ़ा देना चाहिए।
वृष राशि- यहाँ सफ़ेद रंग का प्रयोग करना कभी कभी सर्दी और अस्थमा की समस्या दे देता है। इसका प्रयोग करना यहां बहुत उत्तम नहीं होगा। इनको ऑफ़ व्हाइट रंग का इस्तेमाल करना ज्यादा अच्छा होगा।
मिथुन राशि- यहाँ सफ़ेद रंग बेहतरीन परिणाम देता है। ख़ास तौर से अगर एकाग्रता की समस्या हो तो यह रंग यहाँ अति उत्तम हो जाता है। सफ़ेद रंग के प्रयोग से इन्हे आर्थिक फायदा भी खूब होता है।
कर्क राशि- सफ़ेद रंग इनके स्वास्थ्य और इनके मूड से सम्बन्ध रखता है। इनके लिए सफ़ेद रंग अत्यंत शुभ होगा , इसका नियमित प्रयोग इनको स्वस्थ रखेगा। इनके नौकरी व्यापार की समस्या भी सफेद रंग द्वारा खत्म हो सकती है।
सिंह राशि- सफ़ेद रंग भी मध्यम परिणाम देता है। करियर और विदेश यात्रों के मामले में सफ़ेद रंग लाभकारी होता है। अगर आध्यात्मिक उपलब्धि की इच्छा हो तो सफ़ेद रंग का खूब प्रयोग करना चाहिए इससे जरूर लाभ होगा।
कन्या राशि- यहाँ सफ़ेद रंग मध्यम परिणाम देता है। सफ़ेद रंग का ज्यादा प्रयोग इनको कभी कभी बातूनी बना देता है। सफ़ेद रंग का ज्यादा प्रयोग करने से ये आलसी भी हो जाते हैं।
तुला राशि- सफ़ेद रंग इनके लिए अनुकूल होता है। सफ़ेद रंग इनको बेहतर और अच्छा स्वास्थ्य देता है और नौकरी व्यापार की समस्याएँ भी इसी रंग द्वारा खत्म होती है।
वृश्चिक राशि- इनके लिए सफ़ेद रंग बेहतरीन होता है। जीवन में भाग्य का पक्ष अगर बेहतर करना हो तो इस रंग का खूब प्रयोग करना चाहिए। यह रंग जीवन में आनंद भी पैदा करता है।
धनु राशि- सफ़ेद रंग के प्रयोग से इनका वैवाहिक जीवन और आर्थिक पक्ष अच्छा रहता है। सफ़ेद रंग का प्रयोग इनको दुर्घटनाओं से भी बचाता है।
मकर राशि- सफ़ेद रंग के परिणाम इनके लिए मध्यम हैं. सफ़ेद रंग इनको कभी कभी सूट करता है, ख़ास तौर से जब मामला करियर का हो तो शुभ परिणाम दे ही देता है।
कुंभ राशि- सफ़ेद रंग के प्रयोग से इनका भाग्य हमेशा इनका साथ देता है। सफ़ेद रंग के प्रयोग से इनका मन भी बेहतर रहता है।
मीन राशि- इनके लिए सफ़ेद रंग काफी उत्तम होता है। इसके नियमित प्रयोग से इनके जीवन की सारी समस्याएं सुलझ जाती हैं। संतान से सम्बंधित समस्याएं हों तो सफ़ेद रंग विशेष लाभकारी होता है।
विष योग के नकारात्मक प्रभाव से बचने करें ये उपाय
16 Feb, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कुछ योग जीवन में कष्टकारी रहते हैं और ऐसे समय में संयम और सावधानी की जरुरत होती है। चन्द्रमा और शनि साथ आ जाएं तो विष योग बन जाता है। यह विष योग 2 मार्च शनिवार दोपहर 12 बजे तक रहेगा। अभी शनि धनु राशि में हैं। चंद्रमा धनु राशि में आ गया है। चन्द्रमा और शनि साथ आ जाएं तो विष योग बन जाता है। यह विष योग 36 घंटे तक भारी रहता है। विष योग जीवन में सब कुछ विपरीत कर सकता है। पढ़ाई, परीक्षा, नौकरी-व्यापार और सेहत में इंसान की चाल बिगाड़ सकता है।
इसके नकारात्मक प्रभाव से बचने के लिए कुछ उपाय कर सकते हैं।
एक सूखा नारियल गोले में शक्कर भर कर पीपल के नीचे रखें।
शनिवार को शनि मंदिर में तेल चढ़ाएं।
सरसों तेल का दीपक जलाएं।
आठ राशियों पर विष योग का असर होगा।
आठ राशियों पर ख़तरा है। पढ़ाई, नौकरी-व्यापार पर ख़तरा आ सकता है। शत्रु या विरोधी परेशान कर सकते हैं। पैसे की तंगी होगी, क़र्ज़ में डूब सकते हैं। वृषभ राशि पर शनि की ढैया है। कन्या राशि पर शनि की चतुर्थ ढैया है। वृश्चिक, धनु और मकर राशि पर शनि की साढ़े साती चल रही है। मकर और कुम्भ राशि पर तो शनि ही हैं।
ये उपाय करें-
विष योग के बाद शनिवार से चने दान करे।
शनिवार काले तिल डालकर नहाएं।
किसी गरीब को भोजन कराएं।
दवाई खरीदकर गरीब को दें।
शनि चंद्र का विष योग, सेहत हो सकती है खराब।
बदलते मौसम में सेहत ख़राब हो सकती है। वायरल बुखार, सर्दी जुकाम से बचें, फोड़े-फुंसी, रोग से बचने के के लिए नीम या तुलसी या सहजन का सेवन करें। पांच दिनों तक इनकी ख़ास सब्ज़ी का सेवन करें। नीम की पत्तियों को बैंगन में डाल कर सब्ज़ी बना कर चावल के साथ सेवन करें।
चंद्र शनि के विष योग से आएगी मुसीबत-
परीक्षा ख़राब हो सकती है। धन की कमी हो सकती है, नौकरी व्यापार में अचानक कोई बड़ी मुसीबत आ सकती है। विष योग का उपाय करें। शनि मंदिर या पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाएं। चने या काली उड़द -चावल की खिचड़ी दान करें और शनि मंदिर में पूजा करते रहें। शनि मन्त्र का जाप करें - ॐ शनिश्चराय नमः।
उत्तम शरण है धर्म
16 Feb, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धर्म के बारे में भिन्न-भिन्न अवधारणाएं हैं। कुछ जीवन के लिए धर्म की अनिवार्यता को स्वीकार करते हैं। कुछ लोगों का अभिमत है कि धर्म ढकोसला है। वह आदमी को पंगु बनाता है और रूढ़ धारणाओं के घेरे में बंदी बना लेता है। शायद इन्हीं अवधारणाओं के आधार पर किसी ने धर्म को अमृत बताया और किसी ने अफीम की गोली। ये दो विरोधी तत्व हैं। इन दोनों ही तथ्यों में सत्यांश हो सकता है, यह अनेकांतवादी चिंतन का फलित है। धर्म की अनिवार्यता स्वीकार करने वालों के लिए धर्म है अंधकार से प्रकाश की यात्रा। आलोक आदमी के भीतर है। उसे पाने के लिए इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं है। आलोक तक वही पहुंच सकता है, जो अंतमरुखी होता है। अंतमरुखता धर्म है और बहिर्मुखता अधर्म है। अंतमरुखता प्रकाश है और बहिर्मुखता अंधकार है। अंतर्मुखता धर्म है और बहिर्मुखता अधर्म है। अंतर्मुखता आचार है और बहिमरुखता अतिचार है। जो व्यक्ति जितना भीतर झांकता है, उतना ही धर्म के निकट होता है।
धर्म को मानने वाले वे प्रबुद्ध लोग हैं जिन्होंने पूजा और उपासना को ही धर्म मान लिया। मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा आदि धर्म-स्थानों में जाने वाले व्यक्तियों के हर आचरण को धर्म समझ लिया। धार्मिक क्रियाकांडों तक जिनकी पहुंच सीमित हो गई और धार्मिकों की दोहरी जीवनपद्धति को देखकर जो उलझ गए। भगवान महावीर अपने युग के सफल धर्म-प्रवर्तक थे। धर्म को जानने या पाने के लिए उन्हें किसी परंपरा का अनुगमन नहीं करना पड़ा। उन्होंने उस समय धर्म के द्विविध रुप का निरूपण किया। उनकी दृष्टि में धर्म का एक रूप अमृतोपम था तो दूसरा प्राणलेवा जहर जैसा।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (16 फरवरी 2023)
16 Feb, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मान-प्रतिष्ठा बाल-बाल बचे किन्तु व्यवसाय गति उत्तम अवश्य होगी।
वृष राशि :- धन प्राप्ति के योग बनेंगे, नवीन मैत्री मंत्रणा अवश्य ही प्राप्त होगी।
मिथुन राशि :- इष्ट मित्र सहायक रहेंगे, व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि अवश्य होगी ध्यान दें।
कर्क राशि :- बड़े-बड़े लोगों से मेल-मिलाप होगा तथा सुख-समृद्धि के योग अवश्य बनेंगे।
सिंह राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास होगा, भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी, रुके कार्य बन जायेंगे।
कन्या राशि :- प्रतिष्ठा बाल-बाल बचे, संघर्ष में अधिकारी भी साथ अवश्य ही देंगे ध्यान दें।
तुला राशि :- कुटुम्ब और धन की चिन्ता बनेगी, सोचे कार्य परिश्रम से पूर्ण होंगे, समय का ध्यान रखें।
वृश्चिक राशि :- प्रत्येक कार्य में बाधा क्लेश युक्त रखे, स्थिति सामर्थ्य योग्य अवश्य बनेगी।
धनु राशि :- भावनायें विक्षुब्ध होंगी, दैनिक कार्यगति मंद रहेगी, परिश्रम से कार्य बन जायेंगे।
मकर राशि :- तनाव, क्लेश व अशांति, धन का व्यय होगा, मानसिक खिन्नता अवश्य ही बनेगी।
कुंभ राशि :- कार्य कुशलता से संतोष, व्यवसायिक समृद्धि के साधन जुटायें, स्थिति पर नियंत्रण रखें।
मीन राशि :- कुटुम्ब के कार्यों में उत्तम समय बीतेगा तथा हर्ष-उल्लास अवश्य ही बनेगा।
कब है रंग पंचमी का त्योहार, जानिए तारीख और शुभ मुहूर्त
15 Feb, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में वैसे तो कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते है और सभी का अपना महत्व भी होता है लेकिन रंग पंचमी का पर्व खास माना जाता है रंग पंचमी का पर्व होली के पांचवें दिन यानी की चैत्र कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि पर मनाया जाता है, ऐसा कहा जाता है कि इस दिन रंग और अबीर के साथ देवी देवता होली खेलते है।
यही वजह है कि इसे रंग पंचमी के नाम से जाना जाता है, इस साल रंग पंचमी का पर्व 12 मार्च को धूमधाम से मनाया जाएगा। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा रंग पंचमी के पर्व से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे है तो आइए जानते है।
रंग पंचमी पर्व का मुहूर्त-
आपको बता दें कि इस साल रंग पंचमी का पर्व 12 मार्च को मनाया जाएगा। इसे होली का समापन भी कहा जाता है इस बार रंग पंचमी का आरंभ 11 मार्च की रात्रि 10 बजकर 5 मिनट पर होगा। जिसका समापन 12 मार्च की रात्रि 10 बजकर 1 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में 12 मार्च को यह पर्व मनाना उत्तम रहेगा।
धार्मिक तौर पर रंग पंचमी को खास महत्व दिया जाता है यह पर्व होली की ही तरह मनाया जाता है इसमें लोग गुलाल और रंग उड़ाकर अपनी प्रसन्नता को बाटते है। इस दिन कई स्थानों पर भगवान श्रीकृष्ण और देवी राधा को भी गुलाल अर्पित किया जाता है और उनकी शोभा यात्राएं भी निकाली जाती है, इस दिन भी लोग एक दूसरे को रंग लगाकर अपनी खुशियां बांटते है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन आकाश की ओर गुलाल और अबीर उड़ाने से चारों ओर सकारात्मकता आती है जिसका प्रभाव नमुष्य की सोच, व्यक्तित्व और उसके जीवन पर होता है।