धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
मंगलवार के दिन विद्यार्थी करें ये काम, परीक्षा में मिलेगी अच्छे परिणाम
28 Feb, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित किया गया है। वही मंगलवार का दिन पवनपुत्र हनुमान की पूजा को समर्पित होता है। इस दिन भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए विधिवत पूजा करते है और व्रत आदि भी रखते है।
मान्यता है कि अगर इसके साथ ही श्री हनुमानाष्टक स्तोत्र का संपूर्ण पाठ किया जाए तो साधक को विशेष लाभ की प्राप्ति होती है वही अगर विद्यार्थी आज के दिन ये चमत्कारी पाठ करते है तो वे परीक्षा में सफल होते है, आज हम आपके लिए लेकर आए है संपूर्ण श्री हनुमानाष्टक स्तोत्र का पाठ।
श्री हनुमानाष्टक स्तोत्र-
बाल समय रवि भक्षी लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों।
ताहि सों त्रास भयो जग को, यह संकट काहु सों जात न टारो।
देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो।
को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि, जात महाप्रभु पंथ निहारो।
चौंकि महामुनि साप दियो तब, चाहिए कौन बिचार बिचारो।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु, सो तुम दास के सोक निवारो ॥ २ ॥
अंगद के संग लेन गए सिय, खोज कपीस यह बैन उचारो।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु, बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो।
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब, लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ३ ॥
रावण त्रास दई सिय को सब, राक्षसी सों कही सोक निवारो।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु, जाए महा रजनीचर मरो।
चाहत सीय असोक सों आगि सु, दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥ ४ ॥
बान लाग्यो उर लछिमन के तब, प्राण तजे सूत रावन मारो।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत, तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो।
आनि सजीवन हाथ दिए तब, लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥ ५ ॥
रावन जुध अजान कियो तब, नाग कि फाँस सबै सिर डारो।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल, मोह भयो यह संकट भारो I
आनि खगेस तबै हनुमान जु, बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥ ६ ॥
बंधू समेत जबै अहिरावन, लै रघुनाथ पताल सिधारो।
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि, देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो।
जाये सहाए भयो तब ही, अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥ ७ ॥
काज किये बड़ देवन के तुम, बीर महाप्रभु देखि बिचारो।
कौन सो संकट मोर गरीब को, जो तुमसे नहिं जात है टारो।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु, जो कछु संकट होए हमारो ॥ ८ ॥
॥ दोहा ॥
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ॥
अमलनेर के मंगलग्रह मंदिर की 10 खासियत, एक बार दर्शन करने जरूर जाएं
28 Feb, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
यहां उनका मंगल दोष भी शांति होता है और मंगल देव की कृपा से मनोकामना भी पूर्ण होती है। आओ जानते हैं इस स्थान की 10 प्रमुख बातें।
1. मूर्तियां हैं अद्भुत : यहां पर मंगल देवी की मूर्ति उन्हीं के पौराणिक रूप में विद्यमान हैं। यह देश दुनिया की एकमात्र ऐसी मूर्ति है जो मंगलदेव के स्वरूप में हैं। मंगलदेव की मूर्ति पर हाल ही में वज्रलेप किया गया है। यहां पर 'भूमाता' और 'पंचमुखी हनुमान' मंदिर भी है। विश्व का पहला भूमाता मंदिर यहीं पर स्थित होना माना जाता है। भूदेवी यानी भूमाता का संबंध दक्षिण भारत से अधिकतर माना जाता है। श्री भूवराहनाथ स्वामी मंदिर कर्नाटक में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है।
2. निकलती हैं पालकी : मलनेर स्थित मंगलग्रह सेवा संस्थान द्वारा हर मंगलवार को निकलने वाली पालकी शोभायात्रा हजारों श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र है। शाम करीब पांच बजे श्री मंगलग्रह मंदिर परिसर में भगवान मंगल की पालकी शोभायात्रा निकाली जाती है। प्रारंभ में विभिन्न फूलों से सजी एक पालकी को मंदिर के सामने बेहद आकर्षक रंगोली के स्थान पर रखा जाता है। आकर्षक सजे-धजे भाले, चोपदार, श्री मंगलग्रह सेवा संस्था के अध्यक्ष, मंदिर के ट्रस्टी और हजारों भक्तों की उपस्थिति में, मेजबान द्वारा पालकी में मंगल देव की मूर्ती और पादुकाओं का मंत्रोच्चारण के साथ पूजन किया जाता है। फिर पालकी निकलती है।
3. अनोखा और स्वादिष्ट है यहां का प्रसाद :मंगल देव के मंदिर में दो तरह से प्रसाद मिलता है। पहला तो मंदिर संस्थान द्वारा पूजा और आरती के बाद नि:शुल्क प्रासद वितरण होता है, जो पंचामृत के साथ ही पंजीरी प्रसाद होता है। इसके अलावा दूसरे तरह का प्रसाद मंदिर के बाहर मिलता है। आप मंगलदेव को फूल, नारियल आदि के साथ प्रसाद अर्पित करना चाहें तो यह प्रसाद आपको मंदिर के बाहर से उचित मूल्य पर मिल जाएगा। दोनों ही तरह के प्रसाद बहुत ही स्वादिष्ट और अद्भुत होता है। मंदिर परिसर में ही आप रेवा महिला गृह उद्योग द्वारा निर्मित प्रसाद के रूप में आप स्वादिष्ट पेढ़ा ले सकते हैं। इसके अलावा आप चाहें तो यहां लगी दुकानों से उचित मूल्य पर गुड़ और सफेद तिल की रेवड़ी के साथ ही गोड़ सेव नाम का प्रसाद मिलता है जो केसरिया रंग का गुड़ का प्रसाद है, इसे जरूर लें। यह बहुत ही स्वादिष्ठ प्रसाद है जो कभी भी खराब नहीं होता है।
4. मंगल दोष दूर करने के लिए आते हैं दूर-दूर से लोग : मंगलवार को अमलनेर के मंगल ग्रह मंदिर में मंगलदेव की विशेष पूजा होती है। यदि आप मांगलिक हैं तो यहां पर अभिषेक कराएं। यहां पूजा और अभिषेक कराने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं। मंगल की पूजा के बाद वैवाहिक जीवन में किसी भी प्रकार की परेशानी खड़ी नहीं होती है।
5. रोग होता है दूर : यदि आप या आपके परिवार में कोई किसी रोग से ग्रस्त हैं तो मंगलदेव की कृपा जरूर प्राप्त करना चाहिए, क्योंकि मंगलदेव सर्वरोगापहारक देव हैं। यहां पर दूर दूर से लोग अपनी परिजनों के स्वास्थ्य की कामना से भी आते हैं। यहां पर इसके लिए विशेष पूजा होती है।
6. इन लोगों के आराध्य देव हैं मंगलदेव : यदि आप किसान, इंजीनियर, बिल्डर, ब्रोकर, पुलिस, सैनिक या राजनीतिज्ञ हैं तो आपको मंगलदेव के मंदिर में जाकर उनके दर्शन जरूर करना चाहिए क्योंकि वे इसी क्षेत्र के आरोध्य देव हैं। इसी क्षेत्र में आप तरक्की करना चाहते हैं तो यहां पर मंगलदेव को प्रसन्न करने के लिए मंगलवार को यहां पर विशेष पूजा और आराधना होती है। इसी दिन मंगलदेव की शोभायात्रा भी निकाली जाती है, जो कि बहुत ही सुंदर होती है।
7. प्राकृतिक स्थान : मंदिर क्षेत्र में ही सुंदर गार्डन और प्राकृतिक स्थान है। यह लोगों के बीच पिकनिक स्पॉट और पर्यटक के रूप में भी प्रसिद्ध हो चुका है। परिसर या मंदिर क्षेत्र में किसी भी प्रकार का कार्यक्रम आयोजित करने के लिए मंदिर प्रबंधन की अनुमति जरूरी है।
8. भोजन और ठहरने की व्यवस्था : मंदिर क्षेत्र में भक्तों के रहने, ठहरने और दर्शन करने की उचित व्यवस्था है। इसी के साथ ही उचित मूल्य पर खाने की भी उत्तम व्यवस्था भी है। मात्र 54 रुपए में आप स्वादिष्ट और भरपेट भोजन कर सकते हैं। मंदिर के अंदर और बाहर किसी भी प्रकार का अतिरिक्त शुक्ल नहीं लिया जाता है।
नहीं होता है वीआईपी दर्शन : खास बात यह है कि यहां पर किसी भी प्रकार का वीआईपी दर्शन भी नहीं होता है। सभी भक्तों को लाइन में लगकर ही मगंलदेव के दर्शन करना होते हैं। इस मंदिर में कोई छोटा या बड़ा नहीं है।
आज हनुमान जी को लगाएं ये भोग, हर रोग होगा दूर
28 Feb, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Tuesday special: शारीरिक कष्ट अपने कर्मों के द्वारा भोगे जाते हैं। किसी भी प्रकार की बीमारी का कारण ग्रह बनते हैं। जैसे की लंबी बीमारी राहु अंग भंग होना, केतु ऑपरेशन व खून संबंधित बीमारियां खराब मंगल के कारण बनती हैं। खून से संबंधित बीमारियों में सर्वाधिक खतरनाक बीमारियां जैसी की डायबिटीज, बी.पी, इन्फेक्शन और कैंसर जैसी भयानक बीमारियां। तब आपके शरीर में पनपनी शुरू हो जाती हैं, जब आपकी कुंडली में मंगल की स्थिति दूषित हो रही हो और मंगल बद के कारण बना हो। मंगल ही ऐसा ग्रह है। जिसके ज्योतिष शास्त्र में दो रूप माने जाते हैं। पहला मंगल नेक और दूसरा बद।
मंगल नेक अच्छे मंगल की निशानियां लिए हुए होता है। जिससे की आपका शरीर हृष्ट-पुष्ट व बलशाली होता है। मंगल बद के कारण कई बार अपरैशन और खतरनाक बीमारियां लग जाती हैं। मंगल बद की चीजें घर में रखने से भी इसका बुरा प्रभाव मिलता है। जन्म कुंडली में नीच के मंगल के कारण इसके अशुभ प्रभाव मिलते हैं। मंगल के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए बजरंगबली जिन्हें की मंगल मूर्ति कहा जाता है की उपासना करना मंगल नेक कर देता है।
यदि आपको रक्त विकार काफी लंबे समय से तंग कर रहा है तो प्रत्येक मंगलवार हनुमान जी को बूंदी और नमकीन सेवियों का भोग लगाकर बांटने से स्वास्थ्य में लाभ होता है।
किसी प्रकार की सर्जरी हो गई हो तो स्वास्थ्य फिर भी अच्छा न हो रहा हो तो 4 बड़े बताशे उनके ऊपर थोड़ा से सरसों के तेल का टीका लगाकर हनुमान जी के मंदिर में चढ़ा दें, ऐसा 4 मंगलवार या शनिवार करें, जल्दी सुधार होगा। बताशे चढ़ाते हुए इस मंत्र का जाप करें।
हनुमान मंत्र- ॐ शान्ताय नम:। ॐ मारुतात्मजाय नमः। ऊं हं हनुमते नम:।
हनुमान जी को हलवा, गुड़ से बने लड्डू, पंच मेवा, डंठल वाला पान, केसर-भात और इमरती बहुत प्रिय है। उन्हें इन चींजों का भोग लगाते समय इस मंत्र का जाप करें।
Hanuman Bhog mantra हनुमान भोग मंत्र- ॐ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्
दक्षिण मुखी घरों में रहने वालों के घर में अधिक मंगल दोष देखा जाता है। ऐसे में दरवाजे पर नेक मंगल का लाल रंग करवाना शुभ होता है।
मंगल बद की निशानियां जैसे की स्याह चमकीला लाल रंग व इस रंग की चूड़ियां व शादी का जोड़ा घर में पड़ा रहने पर भी मंगल बद का कारण बनता है। इन चीजों को घर से निकाल कर मंगल बद के नकारात्मक प्रभाव से बचें।
Holashtak 2023: होलाष्टक शुरू, जानें इस दौरान क्या करें क्या नहीं
28 Feb, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Holashtak 2023: होली से पहले के 8 दिन होलाष्टक कहलाते हैं। इस साल होलाष्टक की शुरुआत 27 फरवरी से हो रही है। वैसे तो होलाष्टक 8 दिनों के होते हैं लेकिन इस साल ये 9 दिनों के हैं। ये 27 फरवरी से शुरू होकर 7 मार्च तक चलेंगे। इस वर्ष होलाष्टक आठ नहीं बल्कि नौ दिन के होंगे क्योंकि इस बार फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि 27 फरवरी 2023 को प्रात: 12:59 मिनट से शुरू हो रही है। वहीं 7 मार्च 2023 को फाल्गुन की पूर्णिमा पर इसकी समाप्ति है। तिथि की वृद्धि होने से ऐसा संयोग बना है। भारतीय मुहूर्त विज्ञान और ज्योतिष शास्त्रानुसार प्रत्येक कार्य शुभ मुहूर्तों का शोधन करके करना चाहिए। यदि कोई भी कार्य शुभ मुहूर्त में किया जाता है तो वह उत्तम फल प्रदान करता है। इस धर्म धुरी से भारतीय भूमि में प्रत्येक कार्य को सुसंस्कृत समय में किया जाता है, अर्थात् ऐसा समय जो उस कार्य की पूर्णता के लिए उपयुक्त हो।इस प्रकार प्रत्येक कार्य की दृष्टि से उसके शुभ समय का निर्धारण किया गया है।
होलाष्टक का अर्थ
होलाष्टक शब्द होली और अष्टक दो शब्दों से मिलकर बना है। जिसका भावार्थ होता है होली के आठ दिन। होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी से शुरू होकर फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तक रहता है। अष्टमी तिथि से शुरू होने कारण भी इसे होलाष्टक कहा जाता है। दूसरे शब्दों में हम यह भी कह सकते हैं कि हमें होली आने की पूर्व सूचना होलाष्टक से प्राप्त होती है। इसी दिन से होली उत्सव के साथ-साथ होलिका दहन की तैयारियां भी शुरू हो जाती है। होलाष्टक के दौरान सभी ग्रह उग्र स्वभाव में रहते हैं, जिसके कारण शुभ कार्यों का अच्छा फल नहीं मिल पाता है। होलाष्टक प्रारंभ होते ही प्राचीन काल में होलिका दहन वाले स्थान की गोबर, गंगाजल आदि से लिपाई की जाती थी। साथ ही वहां पर होलिका का डंडा लगा दिया जाता था। जिनमें एक को होलिका और दूसरे को प्रह्लाद माना जाता है।
उग्र रहते हैं ग्रह
होलाष्टक के दौरान अष्टमी को चंद्रमा, नवमी को सूर्य, दशमी को शनि, एकादशी को शुक्र, द्वादशी को गुरु, त्रयोदशी को बुध, चतुर्दशी को मंगल और पूर्णिमा को राहू उग्र स्वभाव में रहते हैं। इन ग्रहों के उग्र होने के कारण मनुष्य के निर्णय लेने की क्षमता कमजोर हो जाती है जिसके कारण कई बार उससे गलत निर्णय भी हो जाते हैं। इस कारण हानि की आशंका बढ़ जाती है। जिनकी कुंडली में नीच राशि के चंद्रमा और वृश्चिक राशि के जातक या चंद्र छठे या आठवें भाव में हैं उन्हें इन दिनों अधिक सतर्क रहना चाहिए।
होलाष्टक में क्या न करें
इस समय विशेष रूप से विवाह, वाहन खरीद, नए निर्माण व नए कार्यों को आरंभ नहीं करना चाहिए। ऐसा ज्योतिष शास्त्र का कथन है। अर्थात् इन दिनों में किए गए कार्यों से कष्ट, अनेक पीड़ाओं की आशंका रहती है तथा विवाह आदि संबंध विच्छेद और कलह का शिकार हो जाते हैं या फिर अकाल मृत्यु का खतरा या बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है। होलाष्टक से तात्पर्य है कि होली के 8 दिन पूर्व से है अर्थात धुलंडी से आठ दिन पहले होलाष्टक की शुरुआत हो जाती है। इन दिनों शुभ कार्य करने की मनाही होती हैं।
क्या करते हैं होलाष्टक में
माघ पूर्णिमा से होली की तैयारियां शुरु हो जाती है। होलाष्टक आरंभ होते ही दो डंडों को स्थापित किया जाता है,इसमें एक होलिका का प्रतीक है और दूसरा प्रह्लाद से संबंधित है। ऐसा माना जाता है कि होलिका से पूर्व 8 दिन दाह-कर्म की तैयारी की जाती है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (28 फरवरी 2023)
28 Feb, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- समय की अनुकूलता से लाभान्वित होंगे, इष्टमित्रों से सुख एवं कार्य योजना बनेगी।
वृष राशि :- मान प्रतिष्ठा में बाल-बाल बचे तथा कार्य तथा व्यवसाय गतिउत्तम बनी रहेगी।
मिथुन राशि :- विशेष कार्य स्थिगित रखें, व्यर्थ भ्रमण से धन लाभ किंतु कार्य अवरोध होवेगा।
कर्क राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल होगा, बिगड़े कार्य बनेंगे, कार्ययोजना अवश्य बनेगी।
सिंह राशि :- समय की अनुकूलता नहीं लेन-देन के मामले में हानि होगी सतर्कता से कार्य करें।
कन्या राशि :- समय अनुकूल नहीं तत्परता से कार्य निपटाये, विशेष कार्य बनेंगे, ध्यान रखें।
तुला राशि :- समय अनुकूल नहीं है, विशेष कार्य स्थिगित रखें, कार्य में अवरोध व हानि होवेंगे।
वृश्चिक राशि :- इष्ट मित्रों से लाभ कार्यगति अनुकूल अधिकारी वर्ग का समर्थन अवश्य मिलेगा।
धनु राशि :- समय की अनुकूलता से लाभान्वित होवे, बड़े-बड़े लोगों से मेल मिलाप होगा।
मकर राशि :- योजनाएं फलीभूत होंवेंगी एवं समय की अनुकूलता से लाभान्वित होवेंगे।
कुंभ राशि :- इष्टमित्र वर्ग से सुखकार्य गति उत्तम सामाजिक कार्य बनेंगे, समाचार मिलेंगे।
मीन राशि :- अधिकारी वर्ग का समर्थन फलप्रद होवेगा, सामाजिक कार्य में प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
होलिका दहन पर यहां से देखें होलिका और भक्त प्रह्लाद की कथा
27 Feb, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Holika Dahan 2023 Katha: इस बार होली का त्योहार 8 मार्च 2023, बुधवार के दिन मनाया जाएगा. फाल्गुन मास की पूर्णिमा की शाम से होली का पर्व शुरु हो जाता है. होली हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में शुमार है.
पौराणिक कथा के अनुसार, भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने नरसिंह अवतार लेकर जब हिरण्यकश्यप का वध किया था, तभी से इस त्योहार को मनाने की परंपरा चली आ रही है.
होलिका दहन का इतिहास
होलिका दहन के इतिहास (History Of Holika Dahan) को जानने के लिए होलिका और भक्त प्रह्लाद की कथा (Story Of Holika And Bhakt Prahlad) जाननी जरूरी है. आइए जानते हैं होलिका दहन की पौराणिक कथा के बारे में.
होलिका दहन की कथा (Holika Dahan Story)
नारद पुराण के अनुसार आदिकाल में हिरण्यकश्यप नामक एक राक्षस हुआ था. दैत्यराज खुद को ईश्वर से भी बड़ा समझता था. वह चाहता था कि लोग केवल उसकी पूजा करें. लेकिन उसका खुद का पुत्र प्रह्लाद परम विष्णु भक्त था. भक्ति उसे उसकी मां से विरासत के रूप में मिली थी.
इसी बात को लेकर उन्होंने अपने पुत्र को भगवान की भक्ति से हटाने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन भक्त प्रह्लाद प्रभु की भक्ति को नहीं छोड़ पाए.
कई बार समझाने के बाद भी जब प्रह्लाद नहीं माना तो हिरण्यकश्यप ने अपने ही बेटे को जान से मारने का विचार किया. कई कोशिशों के बाद भी वह प्रह्लाद को जान से मारने में नाकाम रहा. बार बार मारने के प्रयास होने पर भी वह प्रभु-कृपा से बचता रहा.
इसके बाद उसने अपनी बहन होलिका से मदद ली जिसे यह वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जलेगी. भगत प्रह्लााद को गोद में लेकर होलिका चिता पर बैठ गई. यह सबकुछ देखकर भी प्रह्लााद तनिक भी विचलित न हुए. पूरी श्रद्धा से वह भगवान विष्णु का नाम जपते रहे.
परन्तु होलिका का यह वरदान उस समय समाप्त हो गया जब उसने भगवान भक्त प्रह्लाद का वध करने का प्रयत्न किया. इस प्रकार प्रह्लाद को मारने के प्रयास में होलिका की मृत्यु हो गई. होलिका अग्नि में जल गई परन्तु नारायण भगवान की कृपा से प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ.
मार्च में कब है होली और नवरात्रि? देखें सभी व्रत-त्योहारों की लिस्ट
27 Feb, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
March 2023 festival list in Hindi: मार्च का महीना बहुत सारे त्योहारों को अपने साथ लेकर आ रहा है,इसी महीने में ही होली है और इसी महीने में नवरात्रि का त्योहार है। मार्च का महीना न केवल हिंदू धर्म बल्कि मुस्लिमों के लिए भी बहुत खास रहने वाला है। मार्च महीने में एक तरफ होली, चैत्र नवरात्रि और रामनवमी जैसे बड़े व्रत-त्योहार हैं वहीं दूसरी ओर रमजान का महीना भी शुरू होगा। चैत्र नवरात्रि के पहले ही दिन से हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2080 का भी आरंभ होगा और इसके साथ ही शब-ए-बारात, गुड़ी पड़वा एकादशी जैसे पर्व भी पड़ेंगे। इसके अतिरिक्त ग्रह नक्षत्रों की बात करें तो मार्च के महीने मे इन चार ग्रहों का राशि परिवर्तन देखने को मिलेगा। आइए जानते हैं कि मार्च 2023 में कौन-कौन से प्रमुख व्रत त्योहार पड़ रहे हैं।
त्योहार वार दिनांक
आमलकी एकादशी शुक्रवार 03 मार्च
नरसिंह द्वादशी शुक्रवार 03 मार्च
शनि त्रयोदशी, प्रदोष व्रत (शुक्ल) शनिवार 04 मार्च
फाल्गुन चौमासी चौदस रविवार 06 मार्च
छोटी होली, होलिका दहन, फाल्गुन पूर्णिमा व्रत, लक्ष्मी जयंती, अट्टुकल पोंगल मंगलवार 07 मार्च
चैत्र मास आरंभ, होली धुलंडी, शबे बारात बुधवार 08 मार्च
भाई दूज, भातृ द्वितीया गुरुवार 09 मार्च
छत्रपति शिवाजी महाराज जयंती शुक्रवार 10 मार्च
संकष्टी चतुर्थी शनिवार 11 मार्च
रंग पंचमी रविवार 12 मार्च
शीतला सप्तमी, कालाष्टमी मंगलवार 14 मार्च
मीन संक्रांति, बसोड़ा बुधवार 15 मार्च
पापमोचिनी एकादशी शनिवार 18 मार्च
प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष) रविवार 19 मार्च
मासिक शिवरात्रि सोमवार 20 मार्च
मंगलवार- चैत्र अमावस्या, दर्श अमावस्या मंगलवार 21 मार्च
चैत्र नवरात्रि आरंभ, गुड़ी पड़वा, झूलेलाल जयंती, चंद्र दर्शन मंगलवार 22 मार्च
चेटी चंड गुरुवार 23 मार्च
गौरी पूजा, मत्स्य जयंती, गणगौर,रमजान आरंभ शुक्रवार 24 मार्च
मासिक कार्तिगाई, लक्ष्मी पंचमी, विनायक चतुर्थी शनिवार 25 मार्च
स्कंद षष्ठी रविवार 26 मार्च
रोहिणी व्रत सोमवार 27 मार्च
नवरात्रि दुर्गा अष्टमी बुधवार 29 मार्च
राम नवमी, नवरात्रि नवमी गुरुवार 30 मार्च
चैत्र नवरात्रि पारण शुक्रवार 31 मार्च
आमलकी एकादशी
यह एक एकादशी होली से ठीक पहले पड़ती है, इसलिए इसे रंगभरी एकादशी कहा जाता है। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास होता है।
होलिका दहन
होलिका दहन को हिंदू धर्म में सबसे बड़ा हवन कहा गया है। इसका धार्मिक और सामाजिक दोनों ही महत्व है। यह त्यौहार भी बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर बनाया जाता है।
भाई दूज
होली के दूसरे दिन भाई दूज मनया जाता है। भाई-बहन का यह पवित्र त्यौहार भाई के माथे पर तिलक लगाकर किया जाता है।
क्यों मनाया जाता है होली से पहले होलाष्टक
27 Feb, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हमारे वैदिक सनातन धर्म में होली का महत्व पौराणिक है। महर्षि कश्यप की पत्नी दिती का पुत्र हिरण्यकश्यपु दैत्यों का राजा था। इसका पुत्र प्रह्लाद भगवान श्री हरि विष्णु जी का अनन्य भक्त था। हिरणयकश्यपु ने अपने पुत्र को भक्ति मार्ग से हटाने के अनेकों...
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Holashtak 2023: हमारे वैदिक सनातन धर्म में होली का महत्व पौराणिक है। महर्षि कश्यप की पत्नी दिती का पुत्र हिरण्यकश्यपु दैत्यों का राजा था। इसका पुत्र प्रह्लाद भगवान श्री हरि विष्णु जी का अनन्य भक्त था। हिरणयकश्यपु ने अपने पुत्र को भक्ति मार्ग से हटाने के अनेकों प्रयास किए, उसे शारीरिक रूप से प्रताड़ित भी किया। जब प्रह्लाद अपनी प्रभु भक्ति से अविचलित रहे तो हिरण्यकश्यपु ने अपनी बहन होलिका को अपने पुत्र प्रह्लाद के साथ अग्रि में बैठ कर उसे भस्म करने का आदेश दिया। होलिका को अग्रि में न जलने का वरदान प्राप्त था लेकिन भगवान की कृपा से होलिका जल कर भस्म हो गई और भक्त प्रह्लाद का किंचित भी अहित नहीं हुआ।
तब श्री हरि नारायण जी के भक्तों ने धर्म की अधर्म पर हुई विजय के रूप में इस दिन एक-दूसरे के ऊपर रंग डालकर होली के पर्व के रूप में इस दिन को मनाना आरंभ किया।
होली से आठ दिन पूर्व होलाष्टक प्रारंभ हो जाता है।
इन आठ दिनों में सभी शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। इसके पीछे मान्यता यह है कि फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी को हिरण्यकश्यपु ने प्रह्लाद को बंदी बनाया और इन आठ दिनों में उसने अपने पुत्र को यातनाएं दी थीं।
दूसरी मान्यता के अनुसार इसी दिन महादेव जी ने कामदेव को भस्म कर दिया था। होली के दिन भगवान शिव ने कामदेव को दोबारा जीवित करने का वरदान दिया। इन्हीं कारणों से होलाष्टक से होली के बीच का समय शुभ नहीं माना जाता।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (27 फरवरी 2023)
27 Feb, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- किसी आरोप से बचें, मानसिक पीड़ा तथा प्रतिष्ठा में आंच आने की स्थिति बनेगी।
वृष राशि :- सतर्कता से कार्य करें, पराक्रम तथा मनोबल उत्साहवर्धक होगा, समय का ध्यान रखें।
मिथुन राशि :- कहीं विवादग्रस्त होने से बचें अन्यथा कार्य में निराशा तथा धन हानि होगी।
कर्क राशि :- मान-प्रतिष्ठा तथा प्रभुत्व वृद्धि, कार्य कुशलता से संतोष अवश्य ही होगा, समय का ध्यान रखें।
सिंह राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल रहेगा, रुके कार्य रूपरेखा बनाकर समय पर निपटा लें।
कन्या राशि :- सामाजिक कार्यों में प्रतिष्ठा-प्रभुत्व वृद्धि तथा आर्थिक कार्य योजना सफल होगी।
तुला राशि :- कहीं विवादग्रस्त होने से बचें, समय की अनुकूलता रहेगी, समय पर कार्य करें।
वृश्चिक राशि :- समय अनुकूल नहीं विशेष कार्य स्थगित रखें, कार्य अवरोध से बचकर चलें।
धनु राशि :- स्वभाव में क्रोध व अवेश से हानि होगी, समय स्थिति का लाभ अवश्य लें।
मकर राशि :- मानसिक उद्विघ्नता हानिप्रद रहेगी, समय स्थिति का ध्यान रखकर कार्य करें।
कुंभ राशि :- स्वभाव में क्रोध व आवेश हानिप्रद, समय को समझकर काम बना लें।
मीन राशि :- अर्थ व्यवस्था से सुख-समृद्धि के साधन जुटाकर कार्य बनाने का प्रयास करें।
होलाष्टक लगने के बाद न करें ये काम, मिलेगा अशुभ परिणाम
26 Feb, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते है लेकिन इन सभी में होली बेहद खास मानी जाती है इस साल होली 8 मार्च को देशभर में धूमधाम के साथ मनाई जाएगी। होली पर लोग एक दूसरे को रंग लगाकर अपनी प्रसन्नता जाहिर करते है। लेकिन इससे पहले आठ दिनों का होलाष्टक लगता है जिसे अशुभ माना गया है। मान्यता है कि होलाष्टक के दिनों में शुभ कार्यों को करने से नकारात्मक परिणाम की प्राप्ति होती है और कार्य सफल नहीं होते है। इस बार होलाष्टक का आरंभ 28 फरवरी से हो रहा है, जो कि पूरे आठ दिनों तक चलेगा। इसका समापन होलिका दहन यानी 7 मार्च को हो जाएगा। तो आज हम आपको बता रहे है, कि होलाष्टक के दिनों में किन कार्यों को करने से बचना चाहिए, तो आइए जानते है।
होलाष्टक के दिनों में क्या करें क्या नहीं-
आपको बता दें कि होलाष्टक के दौरान किसी भी तरह के मांगलिक कार्यों को नहीं करना चाहिए। शास्त्रों में इस दौरान शुभ कार्य करने की मनाही होती है। होलाष्टक में अष्टमी से लेकर पूर्णिमा तक मांगलिक कार्य जैसे शादी विवाह, गृह प्रवेश, गृह आरंभ, मुंडन कर्म आदि कार्य किए जाने की मनाही है। साथ ही साथ मकान और वाहन की खरीदारी करना या फिर नए कारोबार का आरंभ करना भी इस दौरान मना होता है, मान्यता है कि अगर कोई ऐसा करता है तो इसे अशुभ परिणाम मिल सकते है। वही होलाष्टक के दिनों में केवल स्नान दान, पूजा पाठ, जप तप आदि के कार्य करना उत्तम होता है। इन कार्यों को करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
शनिदेव का 5 मार्च को कुंभ राशि में पूर्ण रूप से उदय, इन राशियों को होगा फायदा
26 Feb, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Shani Uday 2023, Saturn Rise 2023: वैदिक ज्योतिष में शनिदेव को बहुत अहम और महत्वपूर्ण माना गया है. शनि उदय 5 मार्च को होने जा रहा है. शनि के उदय होने हर राशि पर असर देखने को मिलेगा पर इससे तीन राशि के जातकों को लाभ होने जा रहा है. शनिदेव का उदय इनके लिए बहुत ही फलकारी होने वाला है. इन राशि के जातकों की किस्मत खुल जाएगी.
मेष राशि की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी
आने वाले 5 मार्च को शनि के कुंभ राशि में उदय होने से मेष राशि के आय के स्रोत बढ़ेंगे और आमदनी में बढ़ोत्तरी होगी. शनिदेव की कृपा से आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होने जा रही है. पेशेवर लोगों की सैलरी में बढ़ोतरी हो सकती है. बिजनेस की भी स्थिति अच्छी रहने वाली है. शिक्षा प्रतियोगिता के क्षेत्र में जातकों को सफलता प्राप्त हो सकती है.
कर्क राशि की प्रफेशनल लाइफ की समस्याएं दूर होगी
कर्क राशि के जातकों के लिए शनि का उदय अनुकूल प्रभाव लाने वाला है. इस राशि के जातकों की पर्सनल और प्रफेशनल लाइफ में जो समस्याएं चल रही थीं, वे दूर होंगी और होली बाद धन समृद्धि के शुभ संयोग बनते जाएंगे. शनिदेव की कृपा से होली से कर्क राशि वालों को परिवार का पूरा सहयोग मिलेगा और अटके हुए कार्यों में किसी की मदद भी मिलेगी. अगर आप इस अवधि में कोई नया बिजनस शुरू करना चाहते हैं तो समय आपके लिए अनुकूल है.
कुंभ राशि की बिगड़े हुए काम बनने की भी संभावना है
आपको बता दें कुंभ राशि में ही उदय हो रहे हैं, इसलिए इस राशि के जातकों को सफलता प्राप्त करने का काफी अच्छा संयोग बनता दिख रहा है. इनके बिगड़े हुए काम बनने की भी संभावना है. शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े जातकों को जल्द तरक्की के साथ अच्छे परिणाम मिल सकते हैं.
मीन राशि की सभी परेशानियां दूर होंगी
शनि का उदय होने से मीन राशि के जातकों की सभी परेशानियां दूर होंगी और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होगी. अगर इस अवधि में मांगलिक और धार्मिक कार्यक्रम में हिस्सा लेते हैं तो यह बहुत फलदायी रहेगा.
कब है निर्जला वट सावित्री व्रत? जानिए तारीख और शुभ मुहूर्त
26 Feb, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए ज्येष्ठ महा के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को वट सावित्री व्रत रखती हैं. इस दिन वे अपने पति की लंबी उम्र एवं सुखद ग्रहस्थी के दिनभर निर्जला व्रत धारण करती हैं.बोला जाता है कि यह व्रत सतीत्व का प्रतीक होता है तथा इससे पति-पत्नी के रिश्तों में मधुरता आती है.
वट सावित्री व्रत 2023 की तारीख:-
ज्योतिष शास्त्रियों के अनुसार, इस वर्ष वट सावित्री व्रत 19 मई 2023 को रखा जाएगा. पंजाब, दिल्ली, ओडिशा, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में इसी दिन मतलब अमावस्या को वट सावित्री व्रत रखा जाता है. जबकि महाराष्ट्र एवं गुजरात में यह व्रत ज्येष्ठ पूर्णिमा को किया जाएगा, जो कि इस बार 3 जून को पड़ रहा है.
वट सावित्री व्रत 2023 अमावस्या मुहूर्त:-
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार वट सावित्री व्रत का शुभ मुहूर्त 18 मई 2023 को रात 9 बजकर 42 मिनट से लेकर 19 मई 2023 को रात 9 बजकर 22 मिनट तक होगा. हालांकि उदयातिथि के मुताबिक, ये व्रत 19 मई को ही रखना ठीक रहेगा. यदि पूजा मुहूर्त की बात की जाए तो 19 मई को प्रातः 07.19 बजे से लेकर सुबह 10.42 तक पूजा करना शुभ रहेगा.
वट सावित्री व्रत महत्व:-
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, जब देवी सावित्री के पति सत्यवान की मृत्यु हो गई थी तो मृत्यु के देवता यमराज उनके प्राण लेने के लिए पहुंचे मगर वहां पर सावित्री के सतीत्व से प्रभावित होकर उन्होंने उसे दूसरा जीवनदान दे दिया. उसी दिन से इस व्रत को रखने का सिलसिला आरम्भ हो गया. इस दिन बरगद के पेड़ की पूजा और परिक्रमा की जाती है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (26 फरवरी 2023)
26 Feb, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता, समृद्धि के योग बनेंगे, स्त्री वर्ग से लाभ होगा।
वृष राशि :- यात्राएं फलीभूत होगी, कुछ नवीन मंत्री मंत्रणा सुखद बनाये रखेंगे, ध्यान रखें।
मिथुन राशि :- कार्यवृत्ति में सुधार, योजनाएं फलीभूत होगी, सुख के साधन बढ़ेंगे, लाभ लें।
कर्क राशि :- स्त्री वर्ग गोचर से क्लेश, संभावित झगड़े व उपद्रव में फलप्रद होगा, ध्यान रखें।
सिंह राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से क्रोध व आक्रोश हानि से बचें, तथा कष्ट से छुटकारा मिलेगा।
कन्या राशि : स्त्री के शरीर में कष्ट, अचानक चोट आदि का भय व क्लेश अशांति बनी रहेगी।
तुला राशि :- परिश्रम से सोचे हुए कार्य बने, कार्य कुशलता से, कार्य संतोष बनने के आसार होगें।
वृश्चिक राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल होगा, बड़े-बड़े लोगों से मेल मिलाप फलप्रद होंगा।
धनु राशि :- तनाव क्लेश व अशांति से बचिए। परिश्रम सफलता के साधन बनेंगे, ध्यान रखें।
मकर राशि :- मित्र वर्ग से सतर्क रहे, अधिकारियों से मेल-मिलाप होगा तथा कार्य बनेंगें।
कुंभ राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष, उल्लास, चिड़चिड़ाहट बढ़ने से परिवार में मतभेद उत्पन्न होंगे।
मीन राशि :- विरोधी तत्वों से परेशानी बढ़ेगी, धन का व्यय तथा वृथा भ्रमण होगा, ध्यान रखें।
Kaal Sarp Dosh: कुंडली में 12 तरह के होते हैं कालसर्प दोष, 7 उपायों से करें निवारण, जान लें इसके 5 संकेत
25 Feb, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Kaal Sarp Dosh: हिंदू शास्त्र में दो दोषों का काफी जिक्र किया जाता है. एक पितृ दोष और दूसरा काल सर्प दोष. किसी जातक की कुंडली में इन दोषों मे से कोई एक दोष है तो उसे दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
बात काल सर्प दोष की करें तो यह जीवन में कई तरह के दुष्परिणाम लेकर आता है. आइये जानते हैं इसके कारण और बचने के उपाय. इस मामले पर लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र बताते हैं कि जब कोई जातक जन्म लेता है तो उसकी कुंडली में तमाम योग रहते हैं. कुछ अच्छे तो कुछ बुरे. इनके असर जीवनभर रहते हैं. उन्होंने कहा कि काल सर्प दोष के चलते जातक को शारीरिक, आर्थिक और मानसिक तीनों प्रकार की समस्याएं परेशान करती हैं.
कालसर्प दोष का कारण
कुंडली में जब राहु और केतु एक तरफ और बाकी ग्रह दूसरी तरफ आ जाते हैं या राहु और केतु के कारण पैदा हुई ग्रहीय स्थिति के कारण कालसर्प दोष पैदा होता है.
कालर्सप दोष के संकेत
सपने में बार बार सांप का दिखाई देना, मन में अकारण भय का व्याप्त होना, परिवार में कलह, कार्यों में असफलता, धन हानि जैसे कारण कालसर्प दोष के संकेत माने जाते हैं.
काल सर्पदोष से हानि
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक अगर कुंडली में कालसर्प दोष है तो जातक को जीवनभर आर्थिक परेशानियों से जूझना पड़ता है. वहीं, दंपति को संतान सुख भी नहीं मिलता. रोजगार संबंधी परेशानियां पीछा नहीं छोड़ती हैं. वहीं, जातक कर्ज के जाल में भी फंसा रहता है. कर्ज कम होने का नाम ही नहीं लेते. कार्यों में सफलता नहीं मिलती है.
12 तरह के होते हैं कालसर्प दोष
हिंदू शास्त्र में 12 तरह के कालसर्प दोष बताए गए हैं.
1: अनंत कालसर्प दोष
2: कुलिक कालसर्प दोष
3: वासुकि कालसर्प दोष
4: शंखपाल कालसर्प दोष
5: पद्म कालसर्प दोष
6: महपद्म कालसर्प दोष
7: तक्षका कालसर्प दोष
8: कर्कोटक कालसर्प दोष
9: शंखचूड़ काल सर्प दोष
10: घातक कालसर्प दोष
11: विषधर काल सर्प दोष
12: शेषनाग कालसर्प दोष
कालसर्प दोष के उपाय
1- कालसर्प दोष को दूर करने के लिए जातक को अपने घर में मोरपंख रखना चाहिए.
2- अगर हो सके तो मोरपंख धारण किए कृष्ण भगवान की प्रतिमा भी लगा सकते हैं.
3- पूजा करते समय ऊं नमो भगवते वासुदेवाय नम: का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए.
3- वहीं, किसी ज्योतिषी से प्रत्येक सोमवार को रुद्राभिषेक भी करवाना चाहिए.
5- रुद्राक्ष की माला से करीब 1 लाख 32 हजार बार
महामृत्युंजय मंत्र
का जाप करें.
6- मां भगवती के दुर्गा सप्तशती का पाठ करें.
7- हर सोमवार को शिवलिंग पर दूध, गंगाजल मिश्रित जल और शहद चढ़ाएं. इसके साथ-साथ तांबे का सांप भी चढ़ा सकते हैं.
शुरू होने वाला है होलाष्टक, इन दिनों जरूर कर लें ये कार्य, आर्थिक स्थिति में होगा सुधार
25 Feb, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Holashtak 2023 Upay: रंगों के सबसे पावन पर्व होली की तैयारियां शुरू हो गई हैं. शास्त्रों में फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन तक की अवधि को होलाष्टक कहा जाता है. इस साल होलाष्टक 27 फरवरी से शुरू हो रहा है, जो 7 मार्च तक चलेगा.
धार्मिक मान्यता के अनुसार होलाष्टक के दौरान शुभ कार्य करने की मनाही होती है, जिसमें शादी, ब्याह, मुंडन, गृह प्रवेश आदि जैसे कार्य शामिल हैं. यहां हम होलाष्टक के दौरान सेहत और धन आदि परेशानियों को दूर करने के लिए कुछ सरल उपाय बता रहे हैं.
श्रीकृष्ण के बालरूप की करें पूजा
होलाष्टक के दौरान आपको भगवान श्रीकृष्ण के स्वरूपों की फल-फूल, गुलाल, धूप-दीप से पूजा करना चाहिए, इस अवसर पर के बालरूप की खास तौर से पूजा करने और उनके मंत्रों का जाप करने को कहा गया है. इससे आपको सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होगी, दांपत्य जीवन में खुशहाली आएगी.
होलाष्टक के दौरान करें हनुमान चालीसा का नियमित पाठ
होलाष्टक के दौरान हनुमान चालीसा के पाठ का भी काफी महत्व है. हनुमान चालीसा के पाठ से शारीरिक और मानसिक व्याधाएं दूर होती हैं.
आर्थिक समस्या दूर करने के लिए करें ये उपाय
अगर आपके जीवन में आर्थिक समस्याएं हैं और आप आर्थिक परेशानियों से जूझ रहे हैं तो होलाष्टक के दिनों में माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए, इसके साथ ही श्रीसूक्त का पाठ करने सेमाता लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है.
ऐसे मिलती है बड़ी समस्याओं से मुक्ति
होलाष्टक के दौरान विष्णु के नृसिंह अवतार की पूजा का भी काफी महत्व है. इनकी पूजा करने से बड़ी से बड़ी समस्याओं से मुक्ति मिल जाती है.
होलाष्टक में क्या करें
1. होलाष्टक के दौरान रंगभरी एकादशी, आमलकी एकादशी, प्रदोष व्रत हैं जैसे त्योहार आने वाले हैं, आप इन व्रतों को रखें और पूजन करें.
2. फाल्गुन पूर्णिमा पर स्नान और दान करके पुण्य लाभ प्राप्त करें.
3. इस दौरान पड़ने वाली पूर्णिमा यानी फाल्गुन पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी और चंद्रमा की पूजा करें.
4. होलाष्टक में ग्रह उग्र होते हैं, उनकी शांति के उपाय करें, मंत्रों का जाप करें.