धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
Chanakya Niti: बनना चाहते हैं सबके चहेते, तो अपनाएं आचार्य चाणक्य के ये सूत्र...
3 Mar, 2023 09:51 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में कुछ ऐसे नियम व नीतियां बताई हैं जो कि सफलता हासिल करने के लिए बेहद ही जरूरी हैं। और इन्हें अपनाकर आप घर और ऑफिस में सबके चहेते बन सकते हैं।
Chanakya Niti about Life Management: चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य या विष्णुगुप्त के रूप में भी पहचाना जाता है, एक प्रसिद्ध भारतीय विद्वान हैं जिन्हें अर्थशास्त्र - महाकाव्य, प्राचीन भारत में कॉर्पोरेट रणनीति और प्रबंधन के लिए नीतिशास्त्र लिखने के लिए जाना जाता है। इसलिए, उन्हें उपयुक्त रूप से प्राचीन भारत के प्रबंधन गुरु के रूप में भी जाना जाता है।आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों के दम पर एक साधारण से बालक चंद्रगुप्त को सम्राट बना दिया। चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में कुछ ऐसे नियम व नीतियां बताई हैं जो कि सफलता हासिल करने के लिए बेहद ही जरूरी हैं। और इन्हें अपनाकर आप घर और ऑफिस में सबके चहेते बन सकते हैं। आइए जानते हैं उन सूत्रों के बारे में।
जानें इन सूत्रों के बारे में
आचार्य चाणक्य के अनुसार अगर कोई व्यक्ति उच्च पद पर है तो उसे अपने ऑफिस में प्रतिभाशाली लोगों को आगे बढ़ने का मौका देना चाहिए। जो भी मनुष्य प्रतिभा को आगे बढ़ाने की भावना रखते हैं वह हमेशा सम्मान पाते हैं।
आचार्य चाणक्य के अनुसार अपने कार्यस्थल पर अपनी टीम को एक साथ लेकर चलने की भावना रखने वाले लोगों को भी अवश्य सफलता हासिल होती है।
जो मनुष्य हर समस्या का सामना आसानी से करता है वह सभी प्रकार कि परेशानियों से शीघ्र मुक्त हो जाता है। और उसकी इसी प्रतिभा की वजह से ऑफिस में सभी लोग पसंद करने लगते हैं।
ऑफिस हो या घर सब जगह चाहे अपने से छोटे या बड़े सभी का सम्मान करना आना चाहिए। सम्मान करने से आपको भी बदले में सम्मान मिलेगा।
अपने सभी काम को समय के साथ पूरा करेंगे तो आपको उसमें सफलता के साथ-साथ सम्मान और धन लाभ भी होता है।
चाणक्य नीति के अनुसार, लोगों को सुबह सबसे पहले अपने पूरे दिन के काम की रूपरेखा बनानी चाहिए। यदि व्यक्ति के दिमाग में पूरे दिन की एक योजना तैयार होगी तो उसे कार्यों में सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
Holi 2023: राशि अनुसार इन रंगों से खेले होली..
3 Mar, 2023 09:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Holi 2023 : हिंदू नववर्ष का आखिरी मास फाल्गुन माह हिंदू धर्म के लिए काफी खास होता है।विभिन्न व्रत त्योहार होने के साथ अंत में पूर्णिमा के दिन होलिका दहन के साथ यह मास समाप्त होता है। इसके साथ ही चैत्र मास शुरू हो जाता है। चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि को रंगों वाली होली खेलती जाती है। हर कोई एक-दूसरे को गले लगाकर अबीर-गुलाल लगाते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, होली के दिन अगर अपनी राशि के अनुसार रंगों का चुनाव करके इसे खेला जाए, तो शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
मेष राशि
मेष राशि के स्वामी मंगल देव है। ऐसे में मंगल देव का रंग लाल है। इसलिए होली वाले दिन मेष राशि के जातक लाल रंग के रंग, गुलाल से होली खेल सकते हैं।
वृषभ राशि
इस राशि के स्वामी शुक्र ग्रह है। ऐसे में इस राशि के जातक गुलाबी या फिर हरे रंग से होली खेल सकते हैं।
मिथुन राशि
मिथुन राशि का स्वामी बुध ग्रह होता है। इस राशि के जातक हरे रंग से होली खेल सकते हैं। इसके अलावा हल्का नीला रंग भी ले सकते हैं।
कर्क राशि
इस राशि के स्वामी चंद्रमा है। चंद्र देव को सफेद रंग है। ऐसे में इस राशि के जातक सफेद रंग से होली खेल सकते हैं। इसके अलावा पीला रंग भी चुन सकते हैं। ऐसा करने से करियर में लाभ मिलेगाय़
सिंह राशि
इस राशि के स्वामी ग्रहों के राजा सूर्य है। उन्हें लाल के अलावा पीला रंग पसंद है। इसलिए पीला या फिर लाल रंग से होली खेलना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में खुशियां ही खुशियां आएगी।
कन्या राशि
इस राशि के स्वामी बुध ग्रह है। इस रंग के जातक हरा के अलावा बैंगनी या लाल रंग का उपयोग कर सकते हैं। इसे सुख-समृद्धि का रंग माना जाता है।
तुला राशि
इस राशि के स्वामी शुक्र ग्रह है। इस राशि के जातक नीला, गुलाबी या फिर हरे रंग से होली खेल सकते हैं। ऐसा करने से रिश्तों में मधुरता बढ़ेगी।
वृश्चिक राशि
इस राशि के स्वामी मंगल ग्रह है। ऐसे में इस राशि के जातक लाल के अलावा मेहरून और बैंगनी कलर से होली खेल सकते हैं।
धनु राशि
धनु राशि के स्वामी गुरु बृहस्पति देव है। ऐसे में इस राशि के जातक पीले या फिर लाल रंग से खेल सकते हैं। ऐसा करने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ेगी।
मकर राशि
मकर राशि के स्वामी भी शनि देव है। ऐसे में इस राशि के जातक नीला, काला जैसे रंगों से होली खेल सकते हैं।
कुंभ राशि
इस राशि के स्वामी शनिदेव है। ऐसे में इस राशि के जातक नीला, काला, पीला, नारंगी आदि रंगों से खेल सकते हैं। लेकिन लाल रंग का इस्तेमाल बिल्कुल न करें।
मीन राशि
इस राशि के स्वामी गुरु बृहस्पति है। ऐसे में इस राशि के जातक पीला या फिर हरा रंग से होली खेल सकते हैं। इससे शुभ लाभ मिलेगा।
लाल, पीला या गुलाबी... अपनी राशि के हिसाब से जानिए होली पर किस रंग का गुलाल लगाना है आपके लिए लकी
3 Mar, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Holi 2023: फाल्गुन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पूरे देश में होलिका मनाया जाता है. इस दिन भक्त प्रहलाद की बुआ होलिका को जलाया गया था. उसी दिन से यह त्योहार पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है. होली का प्यार और उमंग का महापर्व है. इस त्योहार पर खेले जाने वाले रंग इसकी खुशी का प्रतीक है. आपसी प्रेम भाव से बिना किसी भेदभाव के एक दूसरे से गले मिलते हुए हमारी गंगा-जमुनी संस्कृति ही हमारे सनातन धर्म की महान विशेषता है. होली (Holi 2023) के त्योहार पर सभी एक दूसरे को रंग-बिरंगे गुलाल लगाते हैं. आइए श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान के अध्यक्ष प्रसिद्ध (ज्योतिषाचार्य ) गुरूदेव पंडित ह्रदय रंजन शर्मा से जानते हैं कि होली पर किन रंगों के गुलाल लगाने से आपके घर में सुख-समृद्धि आती है.
किस रंग के गुलाल से होगा फायदा
लाल गुलाल से ठाकुर जी का तिलक करने से क्रोध नहीं आएगा घर में खुशहाली बनेगी.
पीले रंग के गुलाब से ज्ञान बुद्धि ,विद्या ,विवेक की प्राप्ति होती है. पूरे वर्ष बच्चों की पढ़ाई लिखाई में उन्नति होगी.
गुलाबी रंग के गुलाल से समाज में मान प्रतिष्ठा ,प्रेम संबंध मधुर होते हैं एवं समाज में रुतबा बढ़ता है.
सफेद चंदन या केसर के तिलक लगाने से सुख-समृद्धि या लक्ष्मी की प्राप्ति पूरे वर्ष होती है.
हरे रंग का गुलाल लगाने से उन्नति, लाभ बढ़ेगा और रोगों मे कमी आयेगी.
सात रंगों के गुलाल से सभी प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है वह पूरे परिवार में हर प्रकार की खुशहाली बनी रहती है.
राशियों के अनुसार गुलाल रंगो और इत्र का प्रयोग
मेष और वृश्चिक - लाल, केसरिया रंग का गुलाल, हिना, केवड़ा का इत्र या सेंट
वृषभ और तुला - सफेद रंग, सफेद चंदन ,केसर ,चंपा, चमेली का इत्र यासेंट
मिथुन और कन्या - हरा रंग, गुलाल खस का इत्र या सेंट
कर्क और सिंह - सफेद,लाल, गुलाबी रंग या गुलाल, चंदन का इत्र बेला का इत्र ,सेंट
धनु और मीन - पीला रंग, गुलाल, पीला चंदन, गुलाल चमेली, हिना का इत्र या सेंट
मकर और कुंभ - नीला, काला, बैंगनी रंग या गुलाल काला भूत सेंट, कोबरा, चंदन का इत्र या सेंट
होली किन राशियों के लिए होली होगी लकी
वृषभ ,मिथुन ,सिहं,कन्या,वृश्चिक पर विशेष शुभ समय रहेगा. इन लोगों को हर प्रकार के लाभ और उन्नति की उम्मीद रहेगी. वहीं, मेष, कर्क,तुला, मकर, कुम्भ,मीन राशि वाले लोगों को नशाखोरी, जुआ, सट्टे बाजी व तेज वाहन चलाने से अति सतर्कता बरतनी होगी, क्योंकि इन राशि वालों के लिए यह दोनों दिन ज्यादा शुभ नहीं कहे जा सकते है.
जान लें भद्रा का समय
रक्षाबंधन और होलिका पर ज्यादातर भद्रा को लेकर समस्या पैदा हो जाती है लेकिन इस बार भद्रा फाल्गुन पूर्णिमा तिथि में ही लग रही है. होलिका दहन के सुबह ही यह भद्रा खत्म हो जाएगी. सोमवार 06 मार्च को भद्रा सांय 4:17 से प्रारम्भ होकर 07 मार्च मंगलवार को प्रातः 5:15 तक रहेगी.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (03 मार्च 2023)
3 Mar, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- व्यवसाय मंद रहेगा, कुछ चिंताएं संभव होवेगी, मनोबल उत्साह वर्धक रहेगा।
वृष राशि :- धन का व्यय एवं चिंता बनी रहेगी एवं किसी के आरोप से बचकर चलेंगे ।
मिथुन राशि :- स्त्री वर्ग से कष्ट चिंता व्यवसायी कार्यो में आरोप होगें, धन से हानि होवेगी।
कर्क राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद रहेगा, तथा मान प्रतिष्ठा के योग अवश्य बनेंगे।
सिंह राशि - स्वभाव में क्लेश व अशांति होगी, अधिकारियों के आचरण से दुखी होंगे।
कन्या राशि :-परिश्रम से आप सफल होंगे, सफलता में आपकी योजना पूर्ण अवश्य होगी।
तुला राशि :- भोग विलास ऐश्वर्य की प्राप्ति कार्यगति उत्तम सफलता के साधन होवेंगे।
वृश्चिक राशि :-किसी का कार्य बनने से मनोबल ऊंचा होवेगा, तनाव क्लेश व अशांति होवेगी।
धनु राशि - झूठे आरोप असमंजस क्लेशयुक्त रखें, तनाव तथा शरीर में कष्ट होवेगा।
मकर राशि - दूसरों के कार्यो में वृथा समय नष्ट न करें तनाव क्लेश व क्रोध होवेगा।
कुंभ राशि - धन लाभ बिगड़े हुए कार्य बनेंगे, आशानुकूल सफलता का हर्ष बनेगा।
मीन राशि - कार्यगति सामान्य होने से आर्थिक योजना पूर्ण होवेगी, मन में संतोष होगा।
होलाष्टक के दौरान इसलिए नहीं होते हैं मांगलिक कार्य
2 Mar, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस बार होली आठ मार्च को मनाई जाएगी। ऐसे में होलास्टकर 7 मार्च को समाप्त होगा, होली के आठ दिन पहले के समय को होलाष्टक कहा जाता है। इस दौरान किसी भी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। माना जाता है कि होलिका से पूर्व 8 दिन दाह-कर्म की तैयारी की जाती है। यह मृत्यु का सूचक है। इस दुख के कारण होली के पूर्व 8 दिनों तक कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है।
इस दौरान हिंदू धर्म में बताए गए 16 संस्कारों को नहीं किया जाता है। जैसे गर्भाधान, विवाह, पुंसवन, नामकरण, चूड़ाकरन, विद्यारम्भ, गृह प्रवेश, गृह निर्माण, गृह शांति, हवन यज्ञ कर्म, आदि नहीं किए जाते हैं। दरअसल, होलाष्टक को ज्योतिष की दृष्टि से एक दोष माना जाता है, जिसमें शुभकार्य नहीं किए जाते हैं।
कहा जाता है कि होलाष्टक के दौरान किए गए कार्यों से कष्ट होता है। विवाह आदि संबंध टूट जाते हैं और घर में क्लेश की स्थिति बनती है। होलाष्टक आरंभ होते ही दो डंडों को स्थापित किया जाता है। इसमें एक होलिका का प्रतीक है और दूसरा प्रह्लाद से संबंधित है।
होलिका दहन में जब प्रह्लाद बच जाता है, तो उसी खुशी में होली का त्योहार मनाते हैं। इसके साथ ही एक कथा यह भी है कि भगवान शिव की तपस्या को भंग करने के कारण शिव ने कामदेव को फाल्गुन की अष्टमी में भस्म कर दिया था। कामदेव की पत्नी रति ने उस समय क्षमा याचना की और शिव जी ने कामदेव को पुनः जीवित करने का आश्वासन दिया। इसी खुशी में लोग रंग खेलते हैं।
होलाष्टक का अर्थ और मान्यताएं
चन्द्र मास के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होलिका पर्व मनाया जाता है। होली पर्व के आने की सूचना होलाष्टक से प्राप्त होती है। होलाष्टक को होली पर्व की सूचना लेकर आने वाला एक हरकारा कहा जात सकता है। होलाष्टक के शाब्दिक अर्थ पर जायें, तो होला अष्टक अर्थात होली से पूर्व के आठ दिन, जो दिन होता है, वह होलाष्टक कहलाता है। सामान्य रुप से देखा जाये तो होली एक दिन का पर्व न होकर पूरे नौ दिनों का त्यौहार है। दुलैण्डी के दिन रंग और गुलाल के साथ इस पर्व का समापन होता है।
होली की शुरुआत होली पर्व होलाष्टक से प्रारम्भ होकर दुलैण्डी तक रहती है। इसके कारण प्रकृ्ति में खुशी और उत्सव का माहौल रहता है। होलाष्टक से होली के आने की दस्तक मिलती है, साथ ही इस दिन से होली उत्सव के साथ-साथ होलिका दहन की तैयारियां भी शुरु हो जाती है।
होलिका दहन में होलाष्टक की विशेषता
होलिका पूजन करने के लिये होली से आठ दिन पहले होलिका दहन वाले स्थान को गंगाजल से शुद्ध कर उसमें सूखे उपले, सूखी लकडी, सूखी खास व होली का डंडा स्थापित कर दिया जाता है। जिस दिन यह कार्य किया जाता है, उस दिन को होलाष्टक प्रारम्भ का दिन भी कहा जाता है। जिस गांव, क्षेत्र या मौहल्ले के चौराहे पर पर यह होली का डंडा स्थापित किया जाता है। होली का डंडा स्थापित होने के बाद संबन्धित क्षेत्र में होलिका दहन होने तक कोई शुभ कार्य संपन्न नहीं किया जाता है।
होलाष्टक के दिन से शुरु होने वाले कार्य
सबसे पहले इस दिन, होलाष्टक शुरु होने वाले दिन होलिका दहन स्थान का चुनाव किया जाता है। इस दिन इस स्थान को गंगा जल से शुद्ध कर, इस स्थान पर होलिका दहन के लिये लकडियां एकत्र करने का कार्य किया जाता है। इस दिन जगह-जगह जाकर सूखी लकडियां विशेष कर ऎसी लकडियां जो सूखने के कारण स्वयं ही पेडों से टूट्कर गिर गई हों, उन्हें एकत्र कर चौराहे पर एकत्र कर लिया जाता है।
होलाष्टक से लेकर होलिका दहन के दिन तक प्रतिदिन इसमें कुछ लकडियां डाली जाती है। इस प्रकार होलिका दहन के दिन तक यह लकडियों का बडा ढेर बन जाता है। व इस दिन से होली के रंग फिजाओं में बिखरने लगते है। अर्थात होली की शुरुआत हो जाती है। बच्चे और बडे इस दिन से हल्की फुलकी होली खेलनी प्रारम्भ कर देते है।
होलाष्टक में कार्य निषेध
होलाष्टक मुख्य रुप से पंजाब और उत्तरी भारत में मनाया जाता है। होलाष्टक के दिन से एक ओर जहां उपरोक्त कार्यो का प्रारम्भ होता है। वहीं कुछ कार्य ऎसे भी है जिन्हें इस दिन से नहीं किया जाता है। यह निषेध अवधि होलाष्टक के दिन से लेकर होलिका दहन के दिन तक रहती है। अपने नाम के अनुसार होलाष्टक होली के ठिक आठ दिन पूर्व शुरु हो जाते है।
होलाष्टक के मध्य दिनों में 16 संस्कारों में से किसी भी संस्कार को नहीं किया जाता है। यहां तक की अंतिम संस्कार करने से पूर्व भी शान्ति कार्य किये जाते है। इन दिनों में 16 संस्कारों पर रोक होने का कारण इस अवधि को शुभ नहीं माना जाता है।
होलाष्टक की पौराणिक मान्यता
फाल्गुण शुक्ल अष्टमी से लेकर होलिका दहन अर्थात पूर्णिमा तक होलाष्टक रहता है। इस दिन से मौसम की छटा में बदलाव आना आरम्भ हो जाता है। सर्दियां अलविदा कहने लगती है, और गर्मियों का आगमन होने लगता है। साथ ही वसंत के आगमन की खुशबू फूलों की महक के साथ प्रकृ्ति में बिखरने लगती है। होलाष्टक के विषय में यह माना जाता है कि जब भगवान श्री भोले नाथ ने क्रोध में आकर काम देव को भस्म कर दिया था, तो उस दिन से होलाष्टक की शुरुआत हुई थी।
होलाष्टक से जुडी मान्यताओं को भारत के कुछ भागों में ही माना जाता है। इन मान्यताओं का विचार सबसे अधिक पंजाब में देखने में आता है। होली के रंगों की तरह होली को मनाने के ढंग में विभिन्न है। होली उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडू, गुजरात, महाराष्ट्र, उडिसा, गोवा आदि में अलग ढंग से मनाने का चलन है। देश के जिन प्रदेशो में होलाष्टक से जुडी मान्यताओं को नहीं माना जाता है। उन सभी प्रदेशों में होलाष्टक से होलिका दहन के मध्य अवधि में शुभ कार्य करने बन्द नहीं किये जाते है।
सबसे अनूठी और भव्य होती है मथुरा और वृंदावन की होली
2 Mar, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में होली का त्यौहार बेहद अहम स्थान रखता है। देश भर में इसकी धूम रहती है पर मथुरा और वृंदावन की होली सबसे अनूठी और भव्य मानी जाती है। श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा की होली को देखने देश भर से ही नहीं विदेशों से भी धर्मप्रेमी सैलानियों की भीड़ उमड़ती है। जहां देश के दूसरे हिस्सों में रंगों से होली खेली जाती है वहीं सिर्फ मथुरा एक ऐसी जगह है जहां रंगों के अलावा लड्डूओं और फूलों से भी होली खेलने का रिवाज़ है। इतना ही नहीं पूरे एक हफ्ते पहले यहां समारोह शुरु हो जाता है।
इसलिए मथुरा की होली होती है खास
ऐसा माना जाता है कि आज भी मथुरा में भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी निवास करते हैं इसलिए पूजा-पाठ से लेकर उत्सव भी ऐसे मनाए जाते हैं जैसे वो खुद इसका हिस्सा हैं। भगवान श्रीकृष्ण, हमेशा से ही राधा के गोरे और अपने सांवले रंग की शिकायत मां यशोदा से किया करते थे। तो राधा रानी को अपने जैसा बनाने के लिए वो उनपर अलग-अलग रंग डाल दिया करते थे। नंदगांव से कृष्ण और उनके मित्र बरसाना आते थे और राधा के साथ उनकी सखियों पर भी रंग फेंकते थे। जिसके बाद गांव की स्त्रियां लाठियों से उनकी पिटाई करती थी।
तो राधा-कृष्ण की बाकी लीलाओं की तरह ये भी एक परंपरा बन गई जिसे यहां लट्ठमार होली के तौर पर आज भी निभाया जाता है।
बरसाना की लट्ठमार होली
वैसे तो पूरे शहर में ही होली की धूमधाम देखने को मिलती है लेकिन जिस होली की चर्चा पूरे देशभर में है उसे देखने के लिए आपको बरसाना, नंदगांव, ब्रज और वृंदावन आना पड़ेगा। बरसाना की लट्ठमार होली में नंदगांव से पुरुष आकर यहां की महिलाओं को चिढ़ाते हैं जिसके बाद महिलाएं उनकी लाठी-डंडों से पिटाई करती हैं। इस लड़ाई को देखने और इसमें शामिल होने का अपना अलग ही आनंद होता है। इसके बाद वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर आएं जहां रंगों और पानी के साथ होली खेलने की परंपरा है।
ऐसे बनाएं मथुरा और वृंदावन की होली को खास
बरसाना की लट्ठमार होली
नंदगांव की लट्ठमार होली
रंग भरनी एकादशी- बांके-बिहारी मंदिर, वृंदावन
विधवा होली- मथुरा के मैत्री आश्रम में रहती हैं विधवा महिलाएं। जहां विधवा महिलाएं भी जमकर खेलती हैं होली। जो एक बहुत ही अच्छा और सार्थक कदम है क्योंकि पहले हमारे देश के रीति-रिवाज इसके खिलाफ थे।
होलिका दहन- पूरे व्रजमंडल में होलिका दहन होता है।
होली- व्रजमंडल में खेलें पानी की होली, मथुरा, वृंदावन के सभी मंदिरों में होली की धूम देखने को मिलती है।
हुरंगा- दाऊजी मंदिर आकर देखें मशहूर हुरंगा होली की मस्ती।
रंग पंचमी- और रंग पंचमी के साथ होता है होली का समापन। जिसे आप यहां के मंदिरों में देख सकते हैं।
होली पर खुशहाली के लिए इस प्रकार धारण करें वस्त्र
2 Mar, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
होली के त्योहार को सुख, समृद्धि, सौहार्द और भाईचारे के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। वैदिक ज्योतिष में बताया गया है कि अगर आप राशि रंग के कपड़े पहनकर होली खेलें तो न सिर्फ आपका आनंद बढ़ जाएगा, बल्कि आपके घर में भी खुशहाली आएगी।
मेष राशि
आपका राशि स्वामी मंगल होने के कारण आपको होली पर लाल रंग का प्रयोग करना चाहिए और लाल रंग के कपड़े पहनकर होली खेलनी चाहिए। लाल रंग प्रेम और सच्चाई का प्रतीक माना जाता है। लाल रंग के साथ अपनों के बीच स्नेह भी बढ़ेगा और आपके घर में भी खुशहाली आएगी।
वृषभ राशि
वृषभ राशि का स्वामी शुक्र है। सफेद रंग को शुक्र से संबंधित माना जाता है। इसलिए होली के दिन आप सफेद रंग के कपड़े पहनकर बेंगनी और नारंगी रंग से होली खेलना आपके लिए शुभ होगा।
मिथुन राशि
आपकी राशि का स्वामी बुध होने के कारण आपके लिए हरा रंग शुभ माना जाता है। होली के दिन आप हरे रंग के कपड़े पहनकर होली खेलें। होली का हरा रंग न सिर्फ आपके रिश्तों में मिठास घोल देगा, बल्कि समाज में आपका मान भी बढ़ाएगा।
कर्क राशि
यह राशि जल तत्व का प्रतिनिधित्व करती है और इस राशि के स्वामी चंद्र हैं। अत: इस राशि के लोगों को सफेद रंग के कपड़े पहनकर होली खेलनी चाहिए। ऐसा करने से आपको मानसिक सुकून के साथ ही अपनों का प्यार भी मिलेगा। होली खेलने के लिए आपको नीले रंग का प्रयोग करना चाहिए।
सिंह राशि
सिंह राशि का स्वामी सूर्य को माना जाता है और यह अग्नि तत्व की राशि कहलाती है। इस राशि के लोग स्वभाव से काफी खुले दिल के और ऊर्जावान होते हैं। इनके लिए पीले रंग के कपड़े सही रहेंगे और इन्हें नारंगी रंग से होली खेलनी चाहिए।
कन्या राशि
इस राशि के स्वामी बुध हैं और यह पृथ्वी तत्व का प्रतिनिधित्व करती है। इनके लिए हरा और भूरा रंग होली खेलने के कपड़ों में प्रयोग करना श्रेष्ठ रहेगा। वहीं लाल और पीले रंग से आपको होली खेलनी चाहिए। ऐसा करने से आपको धन और यश की प्राप्ति होगी।
तुला राशि
तुला राशि का स्वामी शुक्र है और यह राशि वायु तत्व को दर्शाती है। इस राशि के लोगों को चटख रंगों की बजाए हल्के रंग के कपड़े पहनकर होली खेलनी चाहिए। इन रंगों में सफेद, गुलाबी और आसमानी सही रहेंगे। तुला राशि के जातकों को नीले और केसरिया रंग से होली खेलना शुभ होगा।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के लोगों के राशि स्वामी मंगल माने जाते हैं। मंगल के स्वामित्व वाले जातकों के लिए लाल, नारंगी, केसरिया और पीले रंग शुभ माने जाते हैं। आप इनमें से कोई रंग चुन सकते हैं अपने कपड़ों के लिए और किसी एक रंग से आप होली भी खेल सकते हैं। ऐसा करने से आपके राशि स्वामी प्रसन्न होंगे और आपकी ग्रह दशा दूर होगी।
धनु राशि
धनु राशि के स्वामी गुरु हैं और इन्हें अग्नि तत्व का देवता कहा जाता है। इस कारण इस राशि के जातकों के लिए लाल और पीला रंग सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। आप इन्हीं 2 रंगों के कपड़े पहनकर होली खेल सकते हैं। पीला रंग देवताओं को प्रिय होने के कारण होली पर उनका भी आशीर्वाद प्राप्त होगा। अपनों के साथ संबंधों को मजबूत बनाने के लिए आप इन्हीं 2 रंगों से होली भी खेल सकते हैं।
मकर राशि
इस राशि के स्वामी शनि हैं और यह पृथ्वी तत्व की राशि है। वैसे तो मकर राशि के जातकों को होली खेलना ज्यादा पसंद नहीं आता लेकिन होली खेलने से इनके कई दोष दूर होते हैं। इन्हें होली पर नीले या फिर काले रंग के कपड़े पहनकर होली खेलनी चाहिए। इन रंगों के प्रभाव से आपको अपने कर्मों में शुभ परिणाम प्राप्त होते हैं। आपकी राशि के लिए लाल, भूरा और बेंगनी रंग भी उत्तम है।
कुंभ राशि
इस राशि के स्वामी भी शनि हैं और यह राशि वायु तत्व को प्रतिनिधित्व करती है। शनि की कृपा बनाए रखने के लिए आपको भी बैंगनी, काले और नीले रंग के कपड़े पहनकर होली खेलनी चाहिए। इन रंगों का शुभ प्रभाव जीवन में आपको सफलता दिलाता है। होली के अवसर पर आपको हल्के रंगों की बजाए गाढ़े रंग से होली खेलनी चाहिए।
मीन राशि
मीन राशि का स्वामी गुरु हैं, अत: आपको पीले रंग का प्रयोग करना चाहिए। होली पर इस बार पीले रंग के कपड़े पहनकर रंग खेलें। होली की शुरुआत आप भगवान शिव पर पीला रंग चढ़ाकर करें तो यह आपके जीवन को खुशियों से भर देगी। आप हरे और गुलाबी रंग का भी प्रयोग कर सकते हैं।
इन वस्तुओं का करें दान
2 Mar, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दान की महिमा सब जानते हैं, इसलिए धर्म में दान पर जोर दिया जाता है। यह सही है कि दान सभी को करना चाहिये पर कुछ वस्तुओं का दान हमारे लिए नुकसानदेह हो सकता है इसलिए उससे बचना चाहिये। अन्नदान, वस्त्रदान, विद्यादान, अभयदान और धनदान, ये सारे दान इंसान को पुण्य का भागी बनाते हैं। किसी भी वस्तु का दान करने से मन को सांसारिक आसक्ति यानी मोह से छुटकारा मिलता है। हर तरह के लगाव और भाव को छोड़ने की शुरुआत दान और क्षमा से ही होती है। अगर आप भी अपने भीतर की सच्ची खुशी को महसूस करना चाहते हैं तो जरूरतमंदों को दान करिए. इससे आपको अद्भुत आत्मसुख मिलेगा।
महत्व
दान एक ऐसा कार्य है, जिसके जरिए हम न केवल धर्म का ठीक-ठीक पालन कर पाते हैं, बल्कि अपने जीवन की तमाम समस्याओं से भी निकल सकते हैं। आयु, रक्षा और सेहत के लिए तो दान को अचूक माना जाता है। जीवन की तमाम समस्याओं से निजात पाने के लिए भी दान का विशेष महत्व है। दान करने से ग्रहों की पीड़ा से भी मुक्ति पाना आसान हो जाता है।
ज्योतिष के जानकारों की मानें तो अलग-अलग वस्तुओं के दान से अलग-अलग समस्याएं दूर होती हैं। उनका ये भी कहना है कि वेदों में लिखा है कि सैकड़ों हाथों से कमाना चाहिए और हजार हाथों वाला होकर दान करना चाहिए।
जानें कि अलग-अलग वस्तुओं के दान से कैसे संवरता है जीवन और कौन-सी चीजों का दान करना आपके लिए सबसे उत्तम होगा -
अनाज का दान
अनाज का दान करने से जीवन में अन्न का अभाव नहीं होता।
अनाज का दान बिना पकाए हुए करें तो ज्यादा अच्छा होगा।
धातुओं का दान
धातुओं का दान विशेष दशाओं में ही करें।
यह दान उसी व्यक्ति को करें जो दान की गई चीज का प्रयोग करें.
धातुओं का दान करने से आई हुई विपत्ति टल जाती है.
वस्त्रों का दान
वस्त्रों का दान करने से आर्थिक स्थिति हमेशा उत्तम रहती है.
उसी स्तर के कपड़ों का दान करें, जिस स्तर के कपड़े आप पहनते हैं.
फटे पुराने या खराब वस्त्रों का दान कभी भी न करें।
ज्योतिष के जानकारों की मानें तो जिस इंसान को दान करने में आनंद मिलता है, उसे ईश्वर की असीम कृपा प्राप्त होती है क्योंकि देना इंसान को श्रेष्ठ और सत्कर्मी बनाता है।
विजेता बनना है तो धारण करें वैजयंती माला
2 Mar, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धर्म में सफल होने के लिए पूजा पाठ और हवन के साथ ही कई अन्य उपाय भी है। धर्म शास्त्रों के अनुसार वैजयंती माला- एक ऐसी माला जो सभी कार्यों में विजय दिला सकती है। इसका प्रयोग भगवान श्री कृष्ण माता दुर्गा, काली और दूसरे कई देवता करते थे। रत्न के जानकार मानते हैं कि अगर इस माला को सही विधि-विधान के साथ प्राण प्रतिष्ठित करके धारण किया जाए तो इसके परिणाम आपको तत्काल मिल सकते हैं। कोई भी ऐसा कार्य नहीं है जो जिसमें रुकावट आएगी।
वैजयंती माला को धारण करने वाला इंद्र के समान सारे वस्त्रों को जीतने वाला बन जाता है और श्री कृष्ण के समान सभी को मोहित करने वाला बन जाता है और महर्षि नारद के समान विद्वान बन जाता है। इस सिद्ध माला को धारण करने वाला हर जगह विजय प्राप्त करता है। उसके सर्व कार्य अपने आप बनते चले जाते हैं । यदि किसी काम में लंबे समय से बाधा आ रही है तो वह काम आसानी से बन जाता है। यह माला शत्रुओं का नाश भी करती है। वैजयंती माला को सिद्ध करने के लिए इसी विशेषज्ञ की सलाह लेनी चाहिए। पूरा फल पाने के लिए जरूरी है कि माला सही विधि-विधान से प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही पहनी चाहिए।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (02 मार्च 2023)
2 Mar, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- लेनदेन के मामले स्थिगित रखें, व्यर्थ धन और समय का व्यय होवेगा, ध्यान रखें।
वृष राशि :- स्वभाव में खिन्नता होने से हीन भावना से बचिएगा, अन्यथा कार्यमंद होवेगा।
मिथुन राशि :- अशांति तथा विषमता से बचिए तथा झगड़ा होने की संभावना बनेगी।
कर्क राशि :- स्त्री वर्ग से भोग एश्वर्य की प्राप्ति होगी, रुके हुए कार्य बनेंगे, लाभ मिलेगा।
सिंह राशि Š- आलोचनाओं से बचिए कार्य कुशलता से संतोष होवेगा, ध्यान रखेंगे।
कन्या राशि :- धीमी गति से सुधार अपेक्षित है, तथा सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
तुला राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष उल्लास होवेगा, गुप्त शत्रुओं से चिंता तथा कुटुम्ब की समस्या बनेगी।
वृश्चिक राशि :- योजना फलीभूत होगी, तथा इष्टमित्र सुख वर्धक होंगे तथा कार्य अवश्य बनेंगे।
धनु राशि Š- कुटुम्ब की समस्या कष्टप्रद हो तथा व्यर्थ धन का व्यय अवश्य होवेगा ध्यान दें।
मकर राशि Š- कुटुम्ब में सुख मान प्रतिष्ठा बढ़ेगी, बड़े-बड़े लोगों से मेल मिलाप होगा।
कुंभ राशि Š- भाग्य का सितारा प्रबल दैनिक गतिमंद तथा बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे।
मीन राशि Š- कार्य व्यवसाय में अनुकूलता बनेगी, समृद्धि के साधन अवश्य जुटायेंगे।
होली पर राशि अनुसार पहनें कपड़े, खेलें रंग और गुलाल, पूरे साल रहेगी खुशहाली, उन्नति
1 Mar, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Holi 2023: हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और पावन पर्व होली 8 मार्च 2023 को है. फाल्गुन मास की पूर्णिमा को रंगों का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन सभी लोग एक दूसरे को गले मिलकर रंग लगाते हैं.
ये रंग हमारी जिंदगी में काफी मायने रखते हैं. लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि इस दिन जातक अगर अपनी राशि को ध्यान में रखते हुए रंगों का चुनाव करे तो जीवन में मधुरता आएगी और देवों की कृपा भी प्राप्त होगी.
बुधवार 8 मार्च को खेली जाएगी होली
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि इस बार होली बुधवार 8 मार्च 2023 को खेली जाएगी. वहीं, एक दिन पहले मंगलवार को होलिका दहन होगा. वहीं, होली पर पहने जाने वाले कपड़े भी खास महत्व रखते हैं. हर रंग भी राशि पर असर डालते हैं. होली वाले दिन अपनी राशि के अनुसार कपड़े पहनेंगे तो उसके अच्छे परिणाम मिलेंगे. तो चलिए आज आपको बताते हैं रंगों के पर्व होली पर किस रंग से होली खेलें और किस रंग के कपड़े पहनें, जो शुभ होली के साथ उन्नति, सुख, समृद्धि भी प्रदान करें.
होली पर राशि अनुसार खेलें रंग-
मेष राशि
बात मेष राशि की करें तो आपके लिए लाल रंग काफी मायने रखता है. होली के दिन अगर मेष राशि के जातक लाल रंग के कपड़ें पहनें तो उन्हें सकारात्मक परिणाम मिलेंगे. वहीं, इसके अलावा पीला और गुलाबी रंग भी आपके लिए शुभ रहेंगे. आप लाल और गुलाबी रंग से होली खेलें.
वृष राशि
ज्योतिषाचार्य के मुताबिक वृष राशि के जातक अगर होली के दिन चमकीले रंग के कपड़े पहनें तो किस्मत उनका साथ देगी. उन्होंने बताया कि नीले और हरे रंग के कपड़ें भी आपके लिए लाभदायक रहेंगे. आप इन्हीं रंगों से होली खेलें.
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातक को होली पर हरे रंग के कपड़े पहनने चाहिए, क्योंकि इस राशि का स्वामी बुध ग्रह है. वहीं, हरे रंग से होली भी खेलें तो सोने पर सुहागा रहेगा.
कर्क राशि
इस राशि के जातक इस दिन सफेद रंग के कपड़े पहनकर होली खेलें. इसके साथ-साथ सफेद या सिल्वर कलर के रंगों का इस्तेमाल करें.
सिंह राशि
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि सिंह राशि के जातक सूर्य से नियंत्रित होते हैं, इसलिए वे नारंगी रंग के कपड़े पहनें और इसी रंग के कलर से होली भी खेलें. इससे आपको आने वाले दिनों में लाभ मिलेगा.
कन्या राशि
कन्या राशि को पृथ्वी तत्व की राशि मानी जाती है, इसलिए होली के दिन हल्के रंग जैसे हरा, हल्का पीले रंग के कपड़े पहनें और इसी रंग से होली भी खेलें.
तुला राशि
तुला राशि के जातक होली पर बैंगनी, गुलाबी या सफेद रंग के कपड़ों का चुनाव करें. इससे जीवन में मधुरता आएगी और आने वाले दिनों में आपको सफलता भी प्राप्त होगी. आप इन्हीं रंगों से होली खेलें.
वृश्चिक राशि
रंगों के पर्व होली पर इस राशि के जातक लाल, हरे रंग के कपड़े पहनें और इन्हीं रंग से होली भी खेलें.
धनु राशि
इस राशि के जातकों का स्वामी गुरु है. अत: इस राशि के लोग होली पर पीले रंग के कपड़ों को पहनें और पीले रंग से होली भी खेलें. इससे आपकी उन्नति होगी.
मकर राशि
मकर राशि के जातक का स्वामी शनि है, इसलिए इस राशि के जातक नीले रंग का प्रयोग करें. इस दिन ये जातक हल्के और चमकदार नीले रंग के कपड़े पहने और इन्हीं रंग से होली भी खेलें.
कुंभ राशि
कुंभ राशि के लोग होली के दिन हरा, नीला और बैंगनी रंग का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें. इससे इनको पूरे दिन ऊर्जा मिलेगी और जीवन भी सुखमय होगा.
मीन राशि
मीन राशि का स्वामी बृहस्पति है. इसलिए इस राशि के जातक होली पर पीले, हल्का हरा, लाल और गुलाबी रंग के कपड़े पहनें तो लाभ मिलेगा. पीले रंग के गुलाल का उपयोग करें.
आज के दिन श्रद्धा-भाव से करें ये पाठ, मिलेगा अद्भुत लाभ
1 Mar, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धार्मिक तौर पर किसी भी देवी देवता को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने के लिए केवल पूजा पाठ ही काफी नहीं होता है बल्कि इसके साथ ही उनके प्रिय मंत्र, चालीसा और स्तोत्र का पाठ करना भी उत्तम माना जाता है।
बुधवार का दिन श्री गणेश को समर्पित है ऐसे में इस दिन व्रत पूजा के अलावा अगर हरिद्रा गणेश कवचम् का संपूर्ण पाठ किया जाए तो जातक को अधिक लाभ की प्राप्ति होती है और जीवन में चल रही परेशानियां व दुखों का अंत हो जाता है, तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं ये संपूर्ण पाठ।
॥ अथ हरिद्रा गणेश कवच ॥
ईश्वरउवाच:
शृणु वक्ष्यामि कवचं सर्वसिद्धिकरं प्रिये ।
पठित्वा पाठयित्वा च मुच्यते सर्व संकटात् ॥१॥
अज्ञात्वा कवचं देवि गणेशस्य मनुं जपेत् ।
सिद्धिर्नजायते तस्य कल्पकोटिशतैरपि ॥ २॥
ॐ आमोदश्च शिरः पातु प्रमोदश्च शिखोपरि ।
सम्मोदो भ्रूयुगे पातु भ्रूमध्ये च गणाधिपः ॥ ३॥
गणाक्रीडो नेत्रयुगं नासायां गणनायकः ।
गणक्रीडान्वितः पातु वदने सर्वसिद्धये ॥ ४॥
जिह्वायां सुमुखः पातु ग्रीवायां दुर्मुखः सदा ।
विघ्नेशो हृदये पातु विघ्ननाथश्च वक्षसि ॥ ५॥
गणानां नायकः पातु बाहुयुग्मं सदा मम ।
विघ्नकर्ता च ह्युदरे विघ्नहर्ता च लिङ्गके ॥ ६॥
गजवक्त्रः कटीदेशे एकदन्तो नितम्बके ।
लम्बोदरः सदा पातु गुह्यदेशे ममारुणः ॥ ७॥
व्यालयज्ञोपवीती मां पातु पादयुगे सदा ।
जापकः सर्वदा पातु जानुजङ्घे गणाधिपः ॥ ८॥
हारिद्रः सर्वदा पातु सर्वाङ्गे गणनायकः ।
य इदं प्रपठेन्नित्यं गणेशस्य महेश्वरि ॥ ९॥
कवचं सर्वसिद्धाख्यं सर्वविघ्नविनाशनम् ।
सर्वसिद्धिकरं साक्षात्सर्वपापविमोचनम् ॥ १०॥
सर्वसम्पत्प्रदं साक्षात्सर्वदुःखविमोक्षणम् ।
सर्वापत्तिप्रशमनं सर्वशत्रुक्षयङ्करम् ॥ ११॥
ग्रहपीडा ज्वरा रोगा ये चान्ये गुह्यकादयः ।
पठनाद्धारणादेव नाशमायन्ति तत्क्षणात् ॥ १२॥
धनधान्यकरं देवि कवचं सुरपूजितम् ।
समं नास्ति महेशानि त्रैलोक्ये कवचस्य च ॥ १३॥
हारिद्रस्य महादेवि विघ्नराजस्य भूतले ।
किमन्यैरसदालापैर्यत्रायुर्व्ययतामियात् ॥ १४॥
॥ इति विश्वसारतन्त्रे हरिद्रागणेशकवचं सम्पूर्णम् ॥
आमलकी एकादशी पर घर में लगाएं ये पौधा, बढ़ेगा Bank Balance
1 Mar, 2023 06:02 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Amalaki Ekadashi 2023: फाल्गुन पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये व्रत 3 मार्च, 2023 को पड़ रहा है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ आंवले के पेड़ की पूजा करने का महत्व है। जो व्यक्ति इस दिन व्रत करके भगवान विष्णु की पूजा करता है, उसे अंत समय में मोक्ष की प्राप्ति होती है और वैकुंठ का द्वार उसके लिए खुला रहता है। आमलकी एकादशी का दिन श्री हरि को बहुत ही प्रिय है। अगर अपने बैंक बैलेंस को बढ़ाना चाहते हैं और श्री हरि को जल्द प्रसन्न करने की चाह है तो इस दिन आंवले का पेड़ घर पर लगाकर उसकी पूजा जरुर करनी चाहिए।
आंवले का पेड़ लगाने के फायदे: सनातन धर्म में हर छोटी से छोटी वस्तु देवी-देवताओं से जुड़ी हुई है। इसी तरह आंवले का पेड़ भी भगवान नारायण को बहुत प्रिय है। इसे घर में लगाने से व्यक्ति को जीवन में कभी भी दुःख का सामना नहीं करना पड़ता और घर में सदैव श्री हरि सहित धन की देवी लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है।
किस दिशा में लगाना चाहिए आंवले का पेड़: घर में किसी भी पौधे को लगाने का एक वास्तु होता है। इसी तरह आंवले का पौधा लगाते समय दिशा का बहुत ख्याल रखना चाहिए। आंवले का पौधा घर में उत्तर या पूर्व दिशा में लगाना बेहद शुभ माना जाता है। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास रहता है।
सुख-समृद्धि की होगी प्राप्ति: आंवले के पेड़ पर प्रतिदिन जल चढ़ाना चाहिए क्योंकि इसमें भगवान विष्णु का वास होता है। ऐसा करने से भगवान का वास सदैव आपके घर में बना रहता है और पंचमी तिथि के दिन आंवले के पेड़ के नीचे ब्राह्मणों को बैठाकर भोजन करा दिया जाए तो घर से दरिद्रता कोसों दूर चली जाती है।
किस दिन लगाना चाहिए आंवले का पेड़: गुरुवार, शुक्रवार, अक्षय नवमी के दिन इसे लगाना शुभ होता है और सबसे खास दिन होता है आमलकी एकादशी। इसे घर पर लगाने से वातावरण की शुद्धि होती है। वास्तु दोष खत्म होता है और सुख-समृद्धि का वास रहता है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (01 मार्च 2023)
1 Mar, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- लेनदेन के मामले स्थिगित रखें, व्यर्थ धन और समय का व्यय होवेगा, ध्यान रखें।
वृष राशि :- स्त्री वर्ग से क्लेश व अशांति होवेगी, कुटुम्ब की समस्याओं से बचिएगा, लाभ मिलेगा।
मिथुन राशि :- आरोप क्लेश संदिग्ध वातावरण बनाये रखें तथा धन का लाभ होवेगा।
कर्क राशि :- सामाजिक कार्यो में मान प्रतिष्ठा बढ़े, प्रेम प्रभुत्व में वृद्धि होवे, कार्य बनेंगे, आय प्राप्त होगी।
सिंह राशि :- धनलाभ आशानुकूल सफलता का हर्ष तथा कार्यवृत्ति में सुधार होवेगा, धन मिलेगा।
कन्या राशि :- कार्य विफलत्व वृथा परिश्रम तथा असमंजस की स्थति बनी रहेगी, लाभ मिलेगा।
तुला राशि :- व्यर्थ भ्रमण विवादग्रस्त होगी, स्त्री वर्ग से विवाद अवश्य ही होवेगा, ध्यान दें।
वृश्चिक राशि :- प्रभुत्व वृद्धि कार्यकुशलता दैनिक समृद्धि के साधन अवश्य ही बनेंगे।
धनु राशि :- मेल मिलाप फलप्रद विशेष कार्य स्थिगित रखें, लेनदेन के मामले में सावधानी रखें।
मकर राशि :- तनाव क्लेश व अशांति से बचिएगा, इष्टमित्रों से अच्छा खासा सहयोग मिलेगा।
कुंभ राशि :- मान प्रतिष्ठा एवं मनोवृत्ति संवेदनशील बनी रहेगी, परिवार में खुशियों का माहौल बनेगा।
मीन राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष, कुटुम्ब में सुख, कार्यगति में सामान्य स्थिति बनी रहेगी, ध्यान दें।
5 पीढ़ियों से ये परिवार तैयार कर रहा है बाबा विश्वनाथ की पगड़ी, जानें क्या है परंपरा
28 Feb, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वाराणसी यानी काशी को बाबा विश्वनाथ की नगरी भी कहा जाता है. काशी के लोग सभी पर्वों को सनातनी अपने आराध्य यानी बाबा विश्वनाथ के साथ जरूर मनाते हैं. उन्हीं पर्वों में से एक है होली का पर्व, जो पांच दिन पहले रंगभरी एकादशी से ही शुरू हो जाता है.
मान्यता के अनुसार, बाबा विश्वनाथ इसी दिन मां पार्वती का गौना कराकर रजत स्वरूप में भक्तों को दर्शन देते हुए और होली खेलते हुए विश्वनाथ मंदिर पहुंचे थे.
मुस्लिम परिवार बनाता है बाबा विश्वनाथ की पगड़ी
इस खास दिन मां पार्वती और बाबा विश्वनाथ की रजत चल प्रतिमाओं का विशेष श्रृंगार होता है और उन्हें वस्त्रों से सजाया जाता है. जिसमें बाबा विश्वनाथ के सिर पर राजशाही पगड़ी पहनाई जाती है. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इस पगड़ी को बनाने का काम पिछली 5 पीढ़ियों से एक मुस्लिम परिवार करता आ रहा है. जबकि पगड़ी को सजाने का काम हिंदू व्यापारी करते रहे है. होली के पर्व पर भाईचारे की यह मिसाल अपने आप में लोगों के लिए एक नजीर है.
गयासुद्दीन का परिवार पगड़ी बनाता है
हाथों में सुई धागा और अपनी धुंधली नजरों के साथ गयासुद्दीन इस पगड़ी को बनाते हैं. उनकी एक तमन्ना है कि जब तक उनके हाथ चल रहे हैं और आंखें ठीक हैं, तब तक वे बाबा विश्वनाथ की सेवा करते रहेंगे. यही वजह है कि होली के पहले रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ को गयासुद्दीन द्वारा तैयार की गई पगड़ी पहनाई जाती है. यह खास राजशाही पगड़ी अपने आप में इसलिए खास है, क्योंकि ये सिर्फ वर्ष में एक बार ही बनती है. इसका दूसरा जोड़ा नहीं तैयार किया जाता है.
250 वर्ष से चली आ रही है ये परंपरा
वाराणसी के सिगरा क्षेत्र के लल्लापुरा इलाके में अपने घर में पगड़ी बनाने वाले गयासुद्दीन को यह हुनर उनके पूर्वजों से मिली है, जो लखनऊ से काशी में आकर बसे थें. पगड़ी कारीगर गयासुद्दीन चौथी पीढ़ी के रूप में तो वहीं उनके बेटे पांचवी पीढ़ी के रूप में इस हुनर को आगे बढ़ा रहे हैं. इस राजशाही पगड़ी को रेशमी कपड़ा, जरी, गोटा और गत्ता लगाकर तैयार किया जाता है. इसको तैयार करने में एक हफ्ते का वक्त लग जाता है. उनके परदादा के समय से ये काम होता चला आ रहा है. उनका खानदान ढाई सौ वर्षों से बाबा विश्वनाथ के लिए पगड़ी बनाता चला आ रहा है.
अकबरी पगड़ी की खासियत
बाबा विश्वनाथ की बनाई हुई पगड़ी को अकबरी पगड़ी कहा जाता है. यह पगड़ी अनमोल इसलिए है, क्योंकि अगर कोई लाखों रुपए भी दे तो भी ऐसी पगड़ी किसी के लिए नहीं बनेगी. उनका परिवार सेवा भाव से ये काम करता चला आ रहा है. जो कुछ मेहनताना मिलता भी है तो उसे प्रसाद समझकर ले लेते हैं. उन्होंने आगे बताया कि पूरे साल बाबा विश्वनाथ की सेवा का इंतजार रहता है. गयासुद्दीन के परिवार वाले अपनी बरकत की वजह भी बाबा विश्वनाथ को ही मानते हैं.
पगड़ी को सजाता है हिंदू परिवार
वहीं, बाबा विश्वनाथ की बनी पगड़ी को सजाने का काम अरोड़ा परिवार भी पांच पीढ़ियों से करता आ रहा है. पांचवी पीढ़ी के नंदलाल अरोड़ा ने बताया कि वे पांचवी पीढ़ी है जो इस पगड़ी को सजाती चली आ रही है. बाबा विश्वनाथ की सेवा करके वे अपने आपको धन्य मानते हैं. उन्होंने बताया कि पगड़ी को नगीना, मोती, कलंगी, मखमल, रेशम और गोटा लगाकर सजाया जाता है. हर साल बाबा विश्वनाथ की पगड़ी अलौकिक तौर से बनती है. साफ-सफाई का पूरा ख्याल रखा जाता है. दोबारा कोशिश करने पर भी ऐसी पगड़ी नहीं बन सकती है. अरोड़ा परिवार की ऐसी मान्यता है कि यह पगड़ी सिर्फ बाबा विश्वनाथ की आस्था की वजह से तैयार होती है.