धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
रंगपंचमी 2023 : 2 शुभ संयोग और 3 बड़ी परंपराएं
10 Mar, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रंग पंचमी का पर्व होली के बाद चैत्र माह की कृष्ण पंचमी तिथि को मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार रंग पंचमी का त्योहार 12 मार्च रविवार को रहेगा।
इस दिन दिन शोभा यात्राएं निकाली जाती है और होली की तरह देव होली के दिन भी लोग एक दूसरे पर रंग और अबीर डालते हैं। आओ जानते इस दिन के 2 शुभ योग और 3 बड़ी परंपराएं।
पंचमी तिथि : पंचमी तिथि की शुरुआत 11 मार्च 2023 की रात 10 बजकर 08 मिनट पर होगी और 12 मार्च, 2023 को 10 बजकर 04 मिनट पर इसका समापन होगा। इसी कारण, उदया तिथि के अनुसार रंगपंचमी का त्योहार 12 मार्च 2023 रविवार को मनाया जाएगा।
शुभ मुहूर्त और योग :
- अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12:13 से 01:00 तक।
- सर्वार्थसिद्धि योग सुबह तक।
- सूर्य और बुध की युति से बुधादित्य योग रहेगा।
1. पूजा : इस दिन सभी देवता, कामदेव, शिवजी, नागदेव, श्रीकृष्ण और राधा जी की पूजा होती है। कहते हैं कि रंग पंचमी के दिन देवी देवताओं की पूजा करने और रंग का उत्सव मनाने से लोगों के बुरे कर्म और पाप आदि नष्ट हो जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन देवी-देवता भी पृथ्वी पर आ जाते हैं और वह मनुष्य के साथ गुलाल खेलते हैं। यह भी कहते हैं कि यह सात्विक पूजा आराधना का दिन होता है। रंगपंचमी को धनदायक भी माना जाता है।
2. रंग उत्सव : रंग पंचमी के दिन प्रत्येक व्यक्ति रंगों से सराबोर हो जाता है। रंग पंचमी के दिन भी रंगों इस्तेमाल करके एक-दूसरे को रंग व गुलाल लगाया जाता है, रंगों को हवा में उड़ाया जाता है, इस समय देवता भी विभिन्न रंगों की ओर आकर्षित होते हैं। लगभग पूरे मालवा प्रदेश में होली और रंग पंचमी पर जलूस निकालने की परंपरा है, जिसे गेर कहते हैं। जलूस में बैंड-बाजे-नाच-गाने सब शामिल होते हैं।
3. नृत्य और गान : महाराष्ट्र, राजस्थान तथा मध्यप्रदेश में इसे श्री पंचमी के रूप में पूरी आस्था के साथ मनाया जाता है। इस राधा-कृष्ण को रंग, गुलाल चढ़ा कर ढोल और नगाड़े के साथ नृत्य, संगीत और गीतों का आनंद लिया जाता है। आदिवासी क्षेत्र में विशेष नृत्य, गान और उत्सव मनाया जाता है।
4. ठंडाई : इस दिन लोग भांग नहीं तो ठंडाई का सेवन करते हैं। आदिवासी क्षेत्रों में ताड़ी पीते हैं।
5. पकवान : इस दिन अलग अलग राज्यों में अलग अलग पकवान बनाए जाते हैं। जैसे महाराष्ट्र में पूरणपोली बनाई जाती है। शाम को स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद गिल्की के पकोड़े का मजा लिया जाता है। इस दिन रंग खेलने के बाद शाम को स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद गिल्की के पकोड़े का मजा लिया जाता है। पकवान में पूरणपोली, दही बड़ा, गुजिया, रबड़ी खीर, बेसन की सेंव, आलू पुरी, खीर आदि व्यंजन बनाए जाते हैं। इस अवसर पर अनेक मिठाइयां बनाई जाती हैं जिनमें गुझियों का स्थान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (10 मार्च 2023)
10 Mar, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक रहे, कार्यगति में सुधार, शुभ समाचार मिले।
वृष राशि :- कुछ बाधाएं कष्ट प्रद रहे, स्त्री शरीर कष्ट, कारोबार में बाधा अवश्य बनेगी।
मिथुन राशि :- कार्यकुशलता से संतोष, परिश्रम सफल होंगे, स्त्री वर्ग से सुख।
कर्क राशि :- कुटुम्ब की समस्याएं सुलझे, सुख शांति से समय अवश्य ही बीते।
सिंह राशि - परिश्रम से समय पर सोचे हुए कार्य पूर्ण होंगे, व्यवसायिक क्षमता में बाधाए हो।
कन्या राशि :- स्त्रीवर्ग से उल्लास, आशानुकूल सफलता से हर्ष, बिगड़े कार्य अवश्य बनेंगे।
तुला राशि :- योजनाएं फलीभूत हो, सर्तकता से कार्य निपटा लेवे, कार्य अवश्य ही बनेंगे।
वृश्चिक राशि :- कार्यगति उत्तम, चिन्ताएं कम हो, प्रभुत्व एवं प्रतिष्ठा अवश्य ही बढ़ेगी।
धनु राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष, कार्यगति उत्तम, भावनाएं संवेदनशील होगी।
मकर राशि - सफलता के साधन विफल हो, तनाव कम, कष्ट, मित्र सुखवर्धक होगे।
कुंभ राशि - असमंजस, असमर्थता का वातावरण मन संदिग्ध रखेगा, कार्य अवश्य बनेंगे।
मीन राशि - व्यर्थ धन और शक्ति नष्ट न करें, इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे।
रंग पंचमी कब? जानें होली के चार दिन बाद क्यों मनाते हैं रंगों का यह पर्व
9 Mar, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Rang Panchami 2023: रंग पंचमी का त्योहार होली का अंतिम पड़ाव माना जाता है. इस दिन देवी-देवताओं के साथ होली खेली जाती है. यह पर्व हर वर्ष होली के बाद शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इस बार यह शुभ तिथि 12 मार्च दिन रविवार को है. हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष चैत्र मास के कृष्ण की पंचमी तिथि के दिन इस त्यौहार को मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन भक्त भगवान कृष्ण और राधा रानी को भी गुलाल लगाते हैं.
रंग पंचमी 2023 शुभ मुहूर्त (Rang Panchami 2023 Shubh Muhurat)
हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि 11 मार्च 2023 को रात्रि 08 बजकर 35 मिनट से प्रारंभ होगा और इस तिथि का समापन 12 मार्च 2023 को रात्रि 08 बजकर 31 मिनट पर होगा. ऐसे में यह पर्व 12 मार्च 2023, रविवार के दिन मनाया जाएगा.
रंग पंचमी का महत्व
होली के पांचवे दिन मनाया जाने वाले इस त्योहार के दिन घरों में विशेष भोजन बनाया जाता है, जिसे पूरन पोली कहा जाता है. रंग पंचमी के महत्व को देखते हुए इसका एक और नाम प्रचलित है, जिसे श्रीपंचमी कहा जाता है. इस दिन देवताओं संग रंग गुलाल खेलने पर घर में श्री अर्थात धन समृद्धि की वृद्धि होती है. रंग पंचमी के दिन शरीर पर रंग नहीं लगाया जाता बल्कि रंग को हवा में उड़ाया जाता है और जब रंग हवा में उड़ता है, तब तमोगुण और रजोगुण का नाश होता है. इनके नाश होने के बाद सतोगुण में वृद्धि होती है.
Rang Panchami Puja: राधा-कृष्ण की होती है विशेष पूजा
रंग पंचमी के दिन राधा कृष्ण की विशेष पूजा की जाती है. उन्हें अबीर और गुलाल अर्पित किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इससे व्यक्ति की कुंडली में मौजूद बड़े से बड़ा दोष समाप्त हो जाता है और जीवन में प्यार भर जाता है. इस दिन माता लक्ष्मी और श्रीहरि की पूजा करने का भी विधान है. विभिन्न जगहों पर रंग पंचमी को श्रीपंचमी के नाम से भी जाना जाता है.
कब है चैत्र नवरात्रि? देखें कलश स्थापना मुहूर्त, पूजन सामग्री, 9 दिन में नवदुर्गा की पूजा
9 Mar, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Chaitra Navratri 2023: हिंदू शास्त्र में चैत्र नवरात्रि बहुत मायने रखता है. ऐसी मान्यता है इस दिन से हिंदू नववर्ष शुरू होता है. चैत्र नवरात्रि शुरू होने में कुछ ही दिन बचे हैं.
नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्रि में मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की आराधना की जाती है. लखनऊ के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र बताते हैं कि चैत्र शुक्ल प्रतिप्रदा तिथि यानी नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है. इन नौ दिनों में सात्विक रहकर जातक तमाम मनोकामनाएं पूर्ण कर सकते हैं. आइए जानते हैं कब है चैत्र नवरात्रि, कलश स्थापना शुभ मुहूर्त, कलश स्थापना सामग्री, पूजन सामग्री और 9 दिन में किस नवदुर्गा की होगी पूजा?
साल में 4 बार आती है नवरात्रि
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि पूरे सालभर में नवरात्रि 4 बार आती है. जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्र बेहद महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने बताया कि इस बार चैत्र नवरात्रि बुधवार 22 मार्च को शुरू हो रहे हैं, जो गुरुवार 30 मार्च तक चलेंगे. इस दौरान सभी जातक विधि-विधान से मां दुर्गा की आराधना करते हैं. कई जातक पूरे नौ दिनों का व्रत भी रखते हैं.
चैत्र नवरात्रि 2023 तिथि की शुरुआत
इस बार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिप्रदा तिथि 21 मार्च को रात्रि 10 बजकर 52 मिनट से शुरू होगी, जो अगले दिन 22 मार्च गुरुवार को रात 8 बजकर 20 मिनट तक जारी रहेगी. हिंदू धर्म में उदयातिथि ली जाती है, इसलिए प्रतिप्रदा तिथि 22 मार्च को मान्य होगी.
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त2023
प्रतिप्रदा तिथि 22 मार्च को प्रात: काल 6 बजकर 23 मिनट से लेकर सुबह 7 बजकर 32 मिनट तक कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है. इस दौरान जातकों को कलश स्थापना करना होगा.
कलश स्थापना और नवरात्रि की पूजा-विधि
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि 22 मार्च को तड़के स्वच्छ जल से स्नान करें और साफ कपड़े धारण करें. उसके बाद पूजा और व्रत का संकल्प लें. मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें. उसके बाद विधि-विधान से मंत्रोपचार करते हुए जल से भरा कलश लें. इस कलश को मिट्टी के ऊपर रखें. ध्यान रहें कि मिट्टी में जौ डालना न भूलें. इस कलश में आम के पत्ते लगाएं और स्वास्तिक बनाएं. इसके बाद साबुत सुपारी एक सिक्का और अक्षत रखें. इन सबके बाद जटावाला नारियल में कलावा लपेटें और चुनरी भी बांधे. इस नारियल को कलश पर रख दें. इन सबके दौरान मां दुर्गा का आह्वान करते रहें.
कलश स्थापना पूजन सामग्री
1: मिट्टी का कलश
2 : उपजाऊ मिट्टी
3: सात अनाज
4: कलावा
5: सुपारी
6: अक्षत
7: गंगाजल
8: आम और अशोक के पत्ते
9: जटा वाला नारियल
10: लाल वस्त्र
11: पांच प्रकार के फल और फूल-माला
12: जौ
13: भोग लगाने के लिए मिठाई
चैत्र नवरात्रि 2023 नवदुर्गा पूजा के दिन
बुधवार 22 मार्च- चैत्र नवरात्रि की शुरुआत, प्रतिप्रदा तिथि- कलश स्थापना, मां शैलपुत्री की पूजा
गुरुवार 23 मार्च- चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन-द्वितीया तिथि-मां ब्रह्मचारिणी की पूजा
शुक्रवार 24 मार्च- चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन- तृतीया तिथि- मां चंद्रघंटा की पूजा
शनिवार 25 मार्च- चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन- चतुर्थी तिथि- मां कुष्मांडा की पूजा
रविवार 26 मार्च- चैत्र नवरात्रि का पांचवा दिन- पंचमी तिथि- मां स्कंदमाता की पूजा
सोमवार 27 मार्च- चैत्र नवरात्रि का छठा दिन- षष्ठी तिथि- मां कात्यायनी की पूजा
मंगलवार 28 मार्च- चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन- सप्तमी तिथि- मां कालरात्री की पूजा
बुधवार 29 मार्च- चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन- अष्टमी तिथि- मां महागौरी की पूजा
गुरुवार 30 मार्च- चैत्र नवरात्रि का नौवां दिन- नवमी तिथि- मां सिद्धिदात्री की पूजा, दुर्गा महानवमी
भ्रातृ द्वितीया: आज इन राशियों का वैभव रहेगा बरकरार
9 Mar, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष: टैंस, अशांत, परेशान, अस्थिर तथा डावांडोल मन:स्थिति के कारण मन डरा-डरा रहेगा तथा किसी भी काम को हाथ में लेने से आप बचना पसंद करेंगे।
वृष: संतान के सुपोर्टिव रुख के कारण आपकी कोई प्लानिंग कुछ आगे बढ़ सकती है तथा कोई समस्या हल हो सकती है, इज्जत-मान की भी प्राप्ति रहेगी।
मिथुन: प्रापर्टी के कामों के लिए स्ट्रांग सितारा आपके किसी उलझे काम को संवारने के लिए हैल्पफुल हो सकता है, सफर भी फ्रूटफुल रहेगा।
कर्क : किसी उलझे रुके काम को सुलझाने के लिए किसी बड़े व्यक्ति का सहयोग फ्रूटफुल रहेगा, मगर पांव फिसलने का डर रह सकता है।
सिंह : व्यापार-कोराबार में लाभ वाला समय, यत्न करने पर आपकी कामकाजी प्लानिंग में पेश आ रही कोई बाधा-मुश्किल हटेगी।
कन्या: अर्थ तथा कारोबारी दशा अच्छी, जिस काम के लिए यत्न करेंगे उसमें कामयाबी मिलेगी, मगर मौसम का एक्सपोइयर तबीयत को अपसैट रख सकता है।
तुला: सितारा उलझनों, झमेलों, पेचीदगियों वाला है, इसलिए जो भी काम करें या यत्न करें, पूरी तरह से सोच-विचार कर करें, सफर भी टाल देना ठीक रहेगा।
वृश्चिक: खेती उत्पादों, खेती उपकरणों, खादों-बीजों, करियाना वस्तुओं, रैडीमेड कपड़ों के साथ जुड़ा काम-धंधा करने वालों को अपने कामों में भरपूर लाभ मिलेगा।
धनु: किसी अफसर के साॉफ्ट रुख के कारण आपकी कोई सरकारी समस्या सुलझ सकती है, शत्रु भी आपके समक्ष ठहर न सकेंगे।
मकर: जनरल तौर पर स्ट्रांग सितारा आपको हर फ्रंट पर हावी, प्रभावी, विजयी रखेगा, यत्न करने पर आपकी प्लानिंग-प्रोगामिंग कुछ आगे बढ़ेगी।
कुम्भ: सितारा चूंकि पेट के लिए कमजोर है, इसलिए खान-पान में उन वस्तुओं को इस्तेमाल न करें जो आपकी तबीयत को सूट न करती हों।
मीन: व्यापार तथा कामकाज की दशा अच्छी, यत्नों-प्रोग्रामों में कामयाबी मिलेगी, मन में सैर-सफर की चाहत रहेगी, घरेलू मोर्चा पर भी सद्भाव बना रहेगा।
Bhai Dooj Muhurat: इस बार भाईदूज पर तिलक लगाने का यह है मुहूर्त, ऐसे करें तिलक
9 Mar, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Bhai Dooj Muhurat: भारतीय परंपरा में संबंधों को अत्यधिक महत्व दिया गया है। यही कारण है कि विभिन्न पर्वों को अलग-अलग संबंधों से जोड़ा गया है। भाई-बहनों का पर्व भाई दूज वर्ष में दो बार आता है। एक बार चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया यानि होली के अगले दिन और दूसरा दीवाली के बाद यानि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को आता है।
होली के बाद आने वाला भाई दूज का पर्व इस बार 9 मार्च 2023 को आ रहा है। इस दिन बहनें अपने भाईयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुखद भविष्य की कामना करती हैं। इसे भातृ द्वितीया भी कहा जाता है। आम तौर पर जहां रक्षाबंधन को बहनें भाईय़ों के घर जाती हैं, भाई दूज के पर्व में भाई अपने बहनों के घर जाते हैं।
कब है भाई दूज का मुहूर्त (Bhai Dooj Muhurat)
पंचांग के अनुसार भाई दूज 8 मार्च 2023 को सायं 7.42 बजे आरंभ होगी। इसका समापन अगले दिन 9 मार्च 2023 को रात्रि 8.54 बजे होगा। ऐसे में भाई दूज पर बहनें भाईयों को 9 मार्च (गुरुवार) को तिलक लगा सकेंगी। तिलक का शुभ मुहूर्त दोपहर 12.30 बजे से 2.00 बजे तक रहेगा। इस दौरान अभिजीत मुहूर्त (दोपहर 12.14 बजे से 1.00 बजे तक) के साथ-साथ अमृत काल (सुबह 11.33 बजे से दोपहर 1.15 बजे तक) भी रहेगा। इसी समय पर लाभ का चौघड़िया (दोपहर 12.38 बजे से 2.06 बजे तक) भी रहेगा।
कैसे करें भाईयों को तिलक
इस दिन भाई अपनी बहनों के घऱ जाते हैं। बहनें भाईयों को तिलक लगाती हैं। उनकी लंबी उम्र और सुखद भविष्य के लिए ईश्वर से पूजा करती हैं। उन्हें भोजन करा कर उनकी आरती उतारती है। इस तरह इस पर्व को मनाया जाता है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (09 मार्च 2023)
9 Mar, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास एवं कार्य कुशलता से निश्चय ही संतोष होगा।
वृष राशि :- योजनायें फलीभूत होंगी तथा स्वभाव में बेचैनी, कष्टप्रद स्थिति बनेगी।
मिथुन राशि :- कार्यक्षमता अनुकूल, कार्यवृत्ति में सुधार होगा तथा संघर्ष बना रहेगा।
कर्क राशि :- आर्थिक हानि, योजना बनकर बिगड़े, कार्य-व्यवसाय रुक कर बनेंगे।
सिंह राशि :- झगड़े के कारण व्यय होगा तथा आप आरोपित होने से बचिये।
कन्या राशि :- कार्य कुशलता से संतोष, इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, ध्यान से कार्य करें।
तुला राशि :- योजनायें फलीभूत होंगी, इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, समय का ध्यान अवश्य रखें।
वृश्चिक राशि :- मानसिक विभ्रम से हानि, समय स्थिति को ध्यान में रखते हुये कार्य अवश्य बना लें।
धनु राशि :- मानसिक विभ्रम, उपद्रव, असमंजस की स्थिति बनेगी तथा कार्य रुकेंगे।
मकर राशि :- दैनिक कार्यगति में सुधार, आर्थिक योजना अवश्य ही सुधरेगी ध्यान दें।
कुंभ राशि :- चिन्तायें कम होंगी, कुटुम्ब के कार्य में समय बीतेगा, कार्य अवरोध होगा।
मीन राशि :- स्त्री वर्ग से सुख-भोग, ऐश्वर्य की प्राप्ति, दैनिक कार्यगति अनुकूल होगी।
शीतला अष्टमी का व्रत दिलाता है हर रोगों से मुक्ति, जानिए तारीख और मुहूर्त
8 Mar, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे व्रत त्योहार मनाए जाते है और सभी का अपना महत्व होता है लेकिन शीतला अष्टमी का व्रत बेहद ही खास माना जाता है। पंचांग के अनुसार हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर शीतला अष्टमी का व्रत पूजन किया जाता है।
आपको बता दें कि ये होली के आठवें दिन पड़ता है जिसमें देवी मां शीतला की विधिवत पूजा आराधना की जाती है। शीतला अष्टमी को कई जगहों पर बसौड़ा के नाम से भी जाना जाता है तो आज हम आपको इस व्रत पूजन से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे है।
आपको बता दें कि इस साल शीतला अष्टमी का व्रत 15 मार्च दिन बुधवार को किया जाएगा। इस दिन माता शीतला की विधिवत पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। मान्यता है माता के भोग के लिए एक दिन पहले ही सभी तैयारियां की जाती है और अष्टमी के दिन बासी भोजन का देवी मां को भोग लगाया जाता है और जिसके बाद इस प्रसाद को ग्रहण करने का विधान है। इसी कारण इस दिन को बसौड़ा अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। बसौड़ा के दिन घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता है। यह पर्व ऋतु के परिवर्तन का संकेत होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन के बाद से बासी भोजन नहीं करना चाहिए वरना व नुकसान पहुंचा सकत है।
पूजन का मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ 14 मार्च को रात्रि 8 बजकर 22 मिनट से हो रहा है और अष्टमी तिथि का समापन 15 मार्च को शाम 6 बजकर 45 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में इसी समय व्रत पूजन करना उत्तम रहेगा।
गले में धारण कर रहे हैं तुलसी माला, तो पहले जानिए इससे जुड़े नियम
8 Mar, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में तुलसी पौधे को बेहद ही पवित्र और पूजनीय माना गया है। इस धर्म को मानने वाले अधिकतर घरों में आपको यह पवित्र पौधा दिख जाएगा। लोग सुबह शाम इसकी पूजा करते है मान्यता है कि इसमें माता लक्ष्मी और श्री विष्णु का वास होता है ऐसे में धार्मिक तौर पर जितना महत्व तुलसी पौधे का ही उतना ही तुलसी माला का भी माना जाता है।
मान्यता है कि तुलसी माला से अगर भगवान विष्णु के चमत्कारी मंत्रों का जाप किया जाए तो भगवान शीघ्र प्रसन्न होकर कृपा करते है और भक्तों की मनोकामनाओं को भी पूर्ण कर देते है। ऐसे में अगर आप इस पवित्र माला को गले में धारण कर मन को शुद्ध करने का विचार बना रहे है तो इससे पहले कुछ ज्योतिषीय नियमों के बारे में जानना आपके लिए जरूरी है।
तुलसी माला से जुड़े नियम-
धार्मिक और ज्योतिष की मानें तो तुलसी दो तरह की होती हे पहली रामा तुलसी, दूसरी श्यामा तुलसी। इन दोनों का ही प्रभाव अलग अलग होता है। ऐसे में अगर आप तुलसी माला धारण कर रहे है तो आपको सात्विक भोजन ही करना होगा। मांस मदिरा आदि चीजों से दूर रहना होगा। साथ ही साथ लहसुन प्याज का भी आप सेवन नहीं कर सकते है।
जिन लोगों ने तुलसी माला को धारण किया है वे इस बात का ध्यान रखें कि एक बार माला धारण कर लिया है तो इसे गलती से भी न उतारें। तुलसी की माला धारण करने से पहले इसे गंगाजल से शुद्ध करना चाहिए और फिर सूखा कर ही इसे पहनें। अगर आपने ये माला धारण की है तो ऐसे में रुद्राक्ष धारण करना आपके लिए उचित नहीं है मान्यता है कि ऐसा करने से फलों की प्राप्ति नहीं होती है।
अगले महीने लगने वाला है साल का पहला सूर्य ग्रहण, सूतक काल और ग्रहण का समय
8 Mar, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
साल 2023 में कुल चार ग्रहण लगने वाले है. जिनमें दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण शामिल हैं. साल का पहला सूर्य ग्रहण (The first solar eclipse ) 20 अप्रैल 2023 गुरूवार को लगने वाला है और दूसरा 14 अक्टूबर 2023 शनिवार को होगा.
वहीं साल 2023 का पहला चंद्र ग्रहण 5 मई 2023 शुक्रवार को और दूसरा चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर 2023 रविवार को दिखाई देगा.
साल 2023 का पहला सूर्य ग्रहण
पहला सूर्य ग्रहण (The first solar eclipse) 20 अप्रैल 2023, सुबह 07:04 बजे शुरू होगा और दोपहर 12:29 बजे समाप्त होगा. इस सूर्य (solar eclipse ) ग्रहण में सूतक काल लागू रहेगा क्योंकि इसे भारत से नहीं देखा जा सकता है.
साल 2023 का दूसरा सूर्य ग्रहण
दूसरा सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर 2023 को होगा और इसका प्रभाव कर्क, तुला, मकर और मेष राशियों पर पड़ेगा. पहले सूर्य ग्रहण की तरह इस सूर्य ग्रहण में भी सूतक (solar eclipse sutak time) काल लागू रहेगा क्योंकि यह भारत से दिखाई देगा.
कहां कहां देखा जा सकेगा सूर्य ग्रहण
कुछ रिपोर्टों के अनुसार 20 अप्रैल 2023 को पूर्ण या कुल सूर्य ग्रहण (surya grahan) होगा. जिसे ऑस्ट्रेलिया, पूर्व और दक्षिण एशिया, प्रशांत महासागर, अंटार्कटिका और हिंद महासागर से देखा जा सकता है. 14 अक्टूबर 2023 को, एक वलयाकार सूर्य ग्रहण (surya grahan) होगा जो मध्य, दक्षिण और उत्तरी अमेरिका से गुजरेगा और मैक्सिको, संयुक्त राज्य अमेरिका के कुछ हिस्सों और कई मध्य और दक्षिण अमेरिकी देशों में देखा जा सकता है. पश्चिमी गोलार्ध के लोग भी इन सूर्य ग्रहणों को देख सकते हैं.
साल 2023 में चंद्र ग्रहण कब लगेगा
इस साल कुल 4 ग्रहण माने जा रहे हैं जिसमें से 2 चंद्र ग्रहण (lunar eclipse) लगेगा और 2 सूर्य ग्रहण होगा. इस साल पहला चंद्र ग्रहण 5 मई को रात 8 बजकर 45 मिनट से शुरू होकर रात 1 बजे तक रहेगा. वहीं, दूसरा चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर को लगेगा.
देश भर में सामाजिक उत्सव, तो बंगाल में धार्मिक उत्सव है होली, कहते हैं दोल यात्रा
8 Mar, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बंगाल में धूम-धाम से मना दोल यात्रा. होली का त्योहार देश के अलग-अलग हिस्सों में मनाया जाता है. कुछ राज्योंमें होली को अलग-अलग नामों से बुलाया जाता है. पश्चिम बंगाल में होली को दोल जात्रा या दोल पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है.
दोल जात्रा या दोल पूर्णिमा भगवान कृष्ण को समर्पित है. यहां होली को श्रीकृष्ण का दोल यात्रा कहते हैं. इसे बांग्ला कैलेंडर के मुताबिक, साल का अंतिम पर्व माना जाता है.
चैतन्य महाप्रभु ने बंगाल में होली उत्सव को श्रीकृष्ण के दोल यात्रा के रूप में प्रचलित किया. उत्तर भारत में होली को सामाजिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है, लेकिन बंगाल में यह एक धार्मिक उत्सव है. इसलिए यह जानना बेहद जरूरी है कि दोल यात्रा का महत्व क्या है?
ऐसे में आपको बता दें कि चैतन्य महाप्रभु ने लोगों से कहा कि वे सबसे पहले मंदिर में जाकर भगवान श्रीकृष्ण को अबीर लगायें. इसके बाद आपस में एक-दूसरे को रंग-गुलाल लगायें. चैतन्य महाप्रभु ने यह भी कहा कि दोल यात्रा मनाने के बाद मिठाई-मालपुआ खाकर आनंदोत्सव मनायें.
तब से बंगाल में होली के त्योहार को दोल यात्रा के रूप में मनाया जाने लगा. हालांकि, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश या दिल्ली की तरह यहां भी लोग एक-दूसरे पर रंग डालते हैं. शाम के वक्त गुलाल खेलने की परंपरा भी है. लोग दिन में ढेर सारी मस्ती करते हैं.
पश्चिम बंगाल में रहने वाले लोग बताते हैं कि बंगाल में होली को डोल जात्रा, दोल यात्रा और बसंत उत्सव भी कहते हैं. होली यानी दोल की पूर्व संध्या पर बच्चे फूस और पतली लकड़ियों की मदद से एक पुतला बनाते हैं. इस पुतले को चांचुरी या नारा पोरानो कहते हैं. बुराई का प्रतीक मनकर घर के लोग इसे होली से एक दिन पहले जला देते हैं.
माना जाता है कि ऐसा करने से हर तरह की बुराई उनके घर और उनके परिवार के सदस्यों से दूर रहती है. उनकी सेहत बनी रहती है. सुबह में लोग रंगों की होली खेलते हैं, तो शाम को होली मिलन होता है. लोग एक-दूसरे के घर जाते हैं और उन्हें गुलाल लगाते हैं.
बंगाल में होली यानी दोल की एक और विशेषता यह है कि होली मिलन के लिए अपने परिचितों के यहां जाने से पहले महिलाएं लाल बॉर्डर वाली पीले रंग की साड़ी पहनती हैं. वह विशेष रूप से जूड़ा बनाती हैं, जिसके लिए केंडा माला का इस्तेमाल किया जाता है. यह एक तरह की मोतियों की माला है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (08 मार्च 2023)
8 Mar, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- इष्ट मित्रों से सुखवर्धक व्यवसाय गति उत्तम योजनाएं फलीभूत होवेगी, लाभ मिलेगा।
वृष राशि :- अचानक शुभ समाचार धन प्राप्ति के योग बनेंगे, संवेदनशील बनेगी, ध्यान रखें ।
मिथुन राशि :- क्रोध से अशांति तनाव झगड़े से बचें, कार्य व्यवस्था कुछ अनूकूल बनेगी।
कर्क राशि :- कार्य कुशलता से संतोष स्त्री वर्ग से हर्ष तथा भोग ऐश्वर्य की प्राप्ति होवेगी।
सिंह राशि - इष्टमित्रों से सुखवर्धक फल प्राप्त होगा, कुटुम्ब की समस्याएं सुलझेंगी, लाभ मिलेगा।
कन्या राशि :- किसी शुभ समाचार की प्राप्ति होगी,मन प्रफुल्लित रहेगा, खुशी का संचार होगा।
मकर राशि - स्त्री वर्ग से हर्ष उल्लास स्वास्थ्य नरम रहेगा, स्थितियों में सुधार होवेगा, खुशी मिलेगी।
कुंभ राशि - स्त्री शरीर सुख मानसिक बैचेनी से बचिए कार्य अवरुद्ध होने से मन दुखी होवेगा।
मीन राशि - धन लाभ होगा, आशानुकूल सफलता का हर्ष बिगड़े कार्य बनने का योग है।
नींबू के ये टोटके दूर करेंगे हर टेंशन, बढ़ने लगेगा बिजनेस
7 Mar, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर कोई अपने जीवन में सुख शांति और धन प्राप्ति की इच्छा रखता है इसके लिए लोग कड़ी मेहनत और प्रयास भी करते है। लेकिन फिर भी अगर उनके जीवन में परेशानियां बनी रहती है और आर्थिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है।
तो ऐसे में आप नींबू के अचूक टोटके आजमा सकते है। मान्यता है कि इन उपायों करने से धन की कमी दूर हो जाती है और साथ ही साथ बिजनेस में भी तरक्की होती है। तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं नींबू के अचूक टोटके।
नींबू के टोटके-
अगर कड़ी मेहनत और प्रयास के बाद भी आपको कारोबार व व्यापार में घाटा हो रहा है। जिससे आर्थिक परेशानियां बनी रहती है तो ऐसे में आप कार्यक्षेत्र और दुकान की चारों दीवारों को नींबू से स्पर्श करा लें। इसके बाद नींबू के चार टुकड़े करके चौराहे पर चारों दिशाओं में एक एक टुकड़ा फेंक दें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से वहां की नकारात्मकता समाप्त हो जाएगी और कारोबार व व्यापार बढ़िया चलने लगेगा।
अगर आपको हर काम में असफलता का मुख देखना पड़ रहा है और किस्मत का भी साथ नहीं मिल रहा है। तो ऐसे में आप एक नींबू को अपने सिर से वार कर इसके दो टुकड़े करें और इन टुकड़ों को किसी सुनसान जगह पर दाएं हाथ का नींबू बाएं हाथ की ओर और बाएं हाथ का नींबू दाएं हाथ की ओर फेंक दें और बिना पीछे मुड़े घर चले आए। मान्यता है कि इस उपाय को करने से किस्मत आपका भरपूर साथ देगी और हर काम में सफलता मिलेगी।
होली की 5 परंपराएं 6, 7 और 8 मार्च को जरूर निभाएं
7 Mar, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
होली का त्योहार बहुत ही रोचक और खुशियों देने वाला त्योहार है। इस पर्व पर सभी लोग एक दूसरे पर रंग डालते हैं। हर प्रदेश में और हर क्षेत्र में इस पर्व को अलग अलग तरीके से मनाया जाता है।
इस बार 6 और 7 को होलिका दहन रहेगा। 7 और 8 को धुलेंडी का पर्व मनाया जाएगा। 12 मार्च 2023 को रंगपंचमी का पर्व रहेगा।
1. गमी वाले घर की पहली होली : कुछ राज्यों में इस दिन उन लोगों के घर जाते हैं जहां गमी हो गई है। उन सदस्यों पर होली का रंग प्रतीकात्मक रूप से डालकर कुछ देर वहां बैठा जाता है। कहते हैं कि किसी के मरने के बाद कोईसा भी पहला त्योहार नहीं मनाते हैं। इसलिए समाज के लोग उस घर में होली के रंग के छींटे डालते है।
2. गिलकी के पकोड़े : इस दिन रंग खेलने के बाद शाम को स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद गिल्की के पकोड़े का मजा लिया जाता है। पकवान में पूरणपोली, दही बड़ा, गुजिया, रबड़ी खीर, बेसन की सेंव, आलू पुरी, खीर आदि व्यंजन बनाए जाते हैं। इस अवसर पर अनेक मिठाइयां बनाई जाती हैं जिनमें गुझियों का स्थान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
3. नाच गाना : कई लोग नृत्य एवं गान का मजा लेते हैं। इस लोग नृत्य, गान, लोकगीत और होली गीत गाते हैं। गांवों में लोग देर रात तक होली के गीत गाते हैं तथा नाचते हैं। स्थानीय भाषाओं में बने होली के गीतों में कुछ ऐसे गीत हैं जो सदियों से गाए जा रहे हैं।
4. ठंडाई : कांजी, भांग और ठंडाई इस पर्व के विशेष पेय होते हैं। पर ये कुछ ही लोगों को भाते हैं। आदिवासी क्षेत्र में इस दिन ताड़ी भी पीते हैं।
5. होली मिलन समारोह : इस दिन होली का समारोह आयोजित करके लोग खूब मजे करते हैं। इस दिन कई स्थानों से जलूस निकालने की परंपरा है, जिसे गेर कहते हैं। जलूस में ड-बाजे-नाच-गाने सब शामिल होते हैं। इसके लिए सभी अपने अपने स्तर पर तैयारी करते हैं। इस दिन सभी लोग अपनी शत्रुता छोड़कर एक दूसरे के गले मिलते हैं। इस दिन सभी लोग एक दूसरे से गले मिलकर मनमुटाव दूर करते हैं।
होलिका की राख दिलाएंगी हर परेशानी से छुटकारा, जानिए इससे जुड़े उपाय
7 Mar, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देशभर में 8 मार्च दिन बुधवार को होली का प्रमुख पर्व मनाया जाएगा। इस दिन लोग एक दूसरें को अबीर गुलाल लगाकर पर्व की शुभकामनाएं देते है। होली हिंदू धर्म का प्रमुख पर्व है जिसे धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
रंग वाली होली से एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है जो कि इस बार कल यानी की 7 मार्च को है इस दिन लोग होलिका दहन के साथ साथ देवी देवताओं की विधिवत पूजा करते है, मान्यता है कि ऐसा करने से सुख समृद्धि का सदैव वास होता है।
लेकिन इस दिन अगर कुछ उपायों को भी किया जाए तो जातक को अधिक लाभ मिलता है। मान्यता है कि होलिका की राख व्यक्ति की किस्मत चमका सकती है और इससे सभी तरह के दोष दूर हो जाते है। तो आज हम आपको होलिका दहन की राख से जुड़े उपाय बता रहे है, तो आइए जानते है।
होलिका की राख से जुड़े टोटके-
अगर आपका पूरा परिवार आर्थिक समस्याओं से जूझ रहा है और इससे छुटकारा पाने का कोई मार्ग नजर नहीं आ रहा है। तो ऐसे में आप होलिका दहन के दूसरे दिन यानी सुबह बिना कुछ कहे होलिका की राख लें आए और इसे पूरे घर में छिड़क दें। मान्यता है कि इस उपाय से घर का वास्तुदोष दूर हो जाता है और आर्थिक समस्याओं से भी मुक्ति मिल जाती है।
अगर घर का कोई सदस्य लंबे वक्त से बीमार चल रहा है और इलाज के बाद भी रोगों से छुटकारा नहीं मिल रहा है। तो ऐसे में आप होलिका दहन के वक्त एक पान के पत्ते में एक बताशा और दो लौंग डालकर इसे होलिका को अर्पित करें इसके बाद राख ठंडी होने के बाद थोड़ी सी लें आएं और रोगी के शरीर पर लगा दें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से रोगी जल्द ही सेहतमंद हो जाएगा।