धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
धर्म क्या है?
20 Mar, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धर्म के मुख्यत: दो आयाम हैं। एक है संस्कृति, जिसका संबंध बाहर से है। दूसरा है अध्यात्म, जिसका संबंध भीतर से है। धर्म का तत्व भीतर है, मत बाहर है। तत्व और मत दोनों का जोड़ धर्म है। तत्व के आधार पर मत का निर्धारण हो, तो धर्म की सही दिशा होती है। मत के आधार पर तत्व का निर्धारण हो, तो बात कुरूप हो जाती है।
एक संत आता है। भीतर की गुफा में जाकर धर्म के तत्व अध्यात्म को जानता है। फिर वह चला जाता है। फिर मत बचा रहता है। उसके आधार पर एक संस्कृति विकसित होती है। संस्कृति के फूल खिलते हैं। काल प्रम में संस्कृति मुख्य हो जाती है। अध्यात्म गौण हो जाता है। और फिर एक संत को, एक जीवित संत को इस धरती पर आना पड़ता है। फिर से अंगारे जलाने होते हैं। फिर से दीप जलाना होता है।
जो दीप कभी जला था, उसके आधार पर जो गीत रह गए थे, वे पुराने पड़ जाते हैं। फिर से एक नया दीपक जलता है। नई रोशनी आती है। नया गीत फूटता है। नई नदी बहती है। सब कुछ नूतन हो जाता है। तो कहूँगा कि तुम जानो या न जानो, तुम सब धर्म के मार्ग पर ही हो। कोई व्यक्ति ऐसा नहीं हैं, जो धर्म के मार्ग पर नहीं है।
यह और बात है कि उसे पता है, या नहीं पता है। लेकिन धर्म का तत्व क्या है? धर्म का उद्गम क्या है? कहाँ पहुँचना है हमें? गंतव्य कहाँ है?
उस बात को बताने के लिए ही संत इस धरती पर आता है। स्वामी विवेकानंद जी भी आए। और ये याद दिलाने के लिए आता है संत कि तुम कौन हो? अमृतस्य पुत्रा?। तुम राम-कृष्ण की संतान हो। तुम कबीर और गुरुनानक की संतान हो। तुम बुद्ध और महावीर की संतान हो। तुम क्यों दीन-हीन और दरिद्र जैसा जीवन जी रहे हो? क्यों अशांत हो, क्यों दु:खी हो? अपना स्वरूप हम भूल गए हैं। करीब-करीब ऐसे ही हम जीवन जीते हैं अपने वास्तविक स्वरूप को भूलकर।
इस जीवन की कितनी गरिमा है। इस जीवन की कितनी क्षमता है। अनंत आनन्द का खजाना, जो हमारे भीतर है, उसकी ओर हम पीठ करके जीते हैं। महर्षि नारद की तरह फिर कोई संत आता है हमारे बीच। कभी बुद्ध, कभी महावीर, कभी कृष्ण, कभी राम, कभी गुरुनानक, कभी गुरु अर्जुनदेव, कभी दादू, कभी दरिया, कभी रैदास, कभी मीरा, कभी सहजो, कभी दया बनकर आता है और हमसे कहता हैं कि चलो! उस मानसरोवर को चलो, जहाँ से तुम आए हो।
चैत्र अमावस्या पर करें इन चीजों का दान, ख़त्म होगी सभी समस्याएं
20 Mar, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
21 मार्च 2023 को चैत्र अमावस्या है। इसे भूतड़ी अमावस्या भी बोला जाता है। साथ ही इस बार मंगलवार के दिन चैत्र अमावस्या होने से ये भौमवती अमावस्या भी कहलाएगी। मंगल दोष से छुटकारा पाने के लिए भौमवती अमावस्या बहुत अहम मानी जाती है।
ये इस संवत की आखिरी अमावस्या होगी। धार्मिक मान्यता है कि चैत्र अमावस्या पर गंगा या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से पाप मिट जाते हैं तथा दान करने से नौकरी, व्यापार में तरक्की की राह सरल हो जाती है। पितर भी बेहद खुश होते हैं।
चैत्र अमावस्या 2023 तिथि:-
चैत्र अमावस्या तिथि शुरू - 21 मार्च 2023, प्रात: 01।47
चैत्र अमावस्या तिथि समाप्त - 21 मार्च 2023, रात 10।53
चैत्र अमावस्या पर दान:-
नौकरी-व्यापार में तरक्की:- यदि आप ऐसी परेशानी से जूझ रहे हैं तो चैत्र अमावस्या के दिन वस्त्र, दूध, चावल का दान करें। इससे पितर प्रसन्न होते हैं।
मंगल दोष:- भौमवती अमावस्या पर मंगल के बीज मंत्र ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः का 108 बार जाप करें या उससे जुड़ी वस्तुएं स्वर्ण, गुड़, घी, लाल मसूर की दाल, कस्तूरी, केसर, लाल वस्त्र, मूंगा, ताम्बे के बर्तन का निर्धन को दान करें।
पितृ दोष से मुक्ति:- इस तिथि में पितरों की शांति के उद्देश्य से किया गया दान आदि अक्षय लाभदायी होता है। मान्यता है कि चैत्र अमावस्या के दिन काले तिल का दान करने से पितृ दोष दूर होता है तथा शनि देव खुश होते हैं, चूंकि अमावस्या को शनिदेव की जन्म तिथि भी माना गया है।
संतान सुख:- संतान सुख पाने के लिए चैत्र अमावस्या पर लोटे में दूध, पानी, काले तिल एवं जौ मिलाकर पीपल की जड़ में चढ़ाएं। 7 बार पीपल की परिक्रमा करें। अमावस्या की शाम को पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक लगाएं। इस उपाय से संतान प्राप्ति की राह सरल होती है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (20 मार्च 2023)
20 Mar, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - मानसिक बेचैनी, दुर्घटना से बचें, अधिकारी से तनाव होगा, धैर्य पूर्वक कार्य करें।
वृष राशि - योजनायें फलीभूत होंगी, सफलता के साधन जुटायें, विशेष लाभ होगा।
मिथुन राशि - अचानक उपद्रव कष्टप्रद होगा, विशेष कार्य स्थगित रखें, कार्य अवरोध होगा।
कर्क राशि - परिश्रम से कुछ सफलता मिले, कार्य व्यवसाय की विशेष चिन्ता बनी रहेगी।
सिंह राशि - किसी अपवाद व दुर्घटना से बचें, व्यवसायिक क्षमता में बाधा होगी।
कन्या राशि - व्यवसाय गति उत्तम होगी, चिन्ता कम होगी तथा कार्य अवरोध होगा।
तुला राशि - मानसिक बेचैनी, उद्विघ्नता के योग बनेंगे, कुटुम्ब में क्लेश के योग हैं।
वृश्चिक राशि - सामर्थ्य वृद्धि के साथ तनाव व झगड़ा किन्तु सम्मानित होंगे, मित्र सहयोगी होंगे।
धनु राशि - कुटुम्ब की समस्यायें कष्टप्रद होंगी, धन का व्यर्थ व्यय अपवाद बनेगा।
मकर राशि - योजनायें फलीभूत होंगी, सफलता के साधन जुटायें, रुके कार्य बनेंगे।
कुंभ राशि - स्वभाव में खिन्नता, मानसिक बेचैनी, बने हुये कार्य में विलम्ब होगा।
मीन राशि - तनाव, क्लेश व अशांति का वातावरण, परिश्रम विफल होगा, कार्यगति मंद होगी।
आपकी ये आदतें तबाह कर सकती हैं वैवाहिक जीवन, पढ़ें आज की चाणक्य नीति
19 Mar, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आचार्य चाणक्य बहुत बुद्धिमान और कुशल राजनीतिज्ञ थे। इनकी नीतियों मनुष्य को सफलता और सुख दोनों प्रदान करती है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति चाणक्य नीति को अपन जीवन में उतार लेता है उसे परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है।
चाणक्य ने अपने जीवन के अनुभवों को नीतिशास्त्र ग्रंथ में पिरोया है जिसे चाणक्य नीति के नाम से जाना जाता है इनकी नीतियां आज पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। चाणक्य ने मानव जीवन से जुड़े हर पहलु पर अपनी नीतियों का निर्माण किया है चाणक्य ने अपनी एक नीति में बताया है कि पति पत्नी की कौन सी आदतें उनका वैवाहिक जीवन तबाह कर देती है।
चाणक्य नीति की मानें तो हर व्यक्ति के लिए क्रोध बुरा होता है लेकिन पति पत्नी के रिश्तें में क्रोध बेहद नुकसानदेह हो सकता है। जब कोई क्रोध में होता है तो वह अच्छा बुरा नहीं सोच पाता है। ऐसे में पति या पत्नी में से किसी भी एक का क्रोध करना वैवाहिक जीवन को तबाह कर सकता है और रिश्ता टूटने की नौबत आ जाती है। चाणक्य नीति अनुसार वैसे तो हर रिश्ते में सम्मान बेहद जरूरी होता है लेकिन पति पत्नी का रिश्ता एक दूसरे के बिना पूरा नहीं माना जाता है
ऐसे में रिश्ते को मजबूत बनाने और लंबे वक्त तक चलाने के लिए एक दूसरे का सम्मान जरूरी है अगर ऐसा नहीं होता है तो शादीशुदा जीवन दुखों और परेशानियों से भरा रहता है। पति पत्नी को एक दूसरे के साथ तालमेल बिठाकर चलना होता है लेकिन अगर ये दोनों किसी बात का बुरा मान कर एक दूसरे से बात करना बंद कर देते है। तो धीरे धीरे रिश्ता कमजोर होने लगता है ऐसे में किसी बात को मन में रखने की जगह एक दूसरे से कहकर मामले का हल निकालें। पति पत्नी दोनों में से किसी को भी कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए और न ही सच को छिपाने की कोशिश करें क्योंकि एक बार अगर विश्वास टूट जाए तो चाहकर भी फिर से भरोसा करना मुश्किल होता है।
रामनवमी पर इन चौपाईयों का पाठ करने से, मिलता है पूरी रामायण पढ़ने का पुण्य, हो जाती है हर इच्छा पूरी
19 Mar, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री राम को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए कई मंत्रों, स्तोत्र और स्तोत्र का उल्लेख शास्त्रों में मिलता है।
इन मंत्रों और सूत्रों के जाप से भगवान श्री राम को प्रसन्न किया जा सकता है। इन्हीं में से एक है राम रक्षा स्तोत्र का पाठ।
राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करने से मान्यता है कि इस रक्षा सूत्र का पाठ करने से व्यक्ति के सभी संकट दूर हो जाते हैं। इस बार रामनवमी का पर्व 30 मार्च को आ रहा है. ऐसे में इस दिन नियमित रूप से राम रक्षा का पाठ करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है. आइए जानते हैं राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करने की सही विधि।
इस विधि से राम रक्षा का पाठ करें
राम नवमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने से प्रभु श्रीराम की कृपा प्राप्त होती है। भगवान श्रीराम की मूर्ति के सामने शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इसके बाद फूल माला चढ़ाएं और उनका तिलक करें। कुश के आसन पर बैठकर शांत मन से राम रक्षा स्तोत्र का पाठ करें। यदि आप स्वयं राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करने में सक्षम नहीं हैं तो किसी योग्य ब्राह्मण की सहायता से किया जा सकता है।
श्री राम रक्षा स्त्रोत का पाठ
विनियोग:
अस्य श्रीरामरक्षास्त्रोतमंत्रस्य बुधकौशिक ऋषिः
श्री सीतारामचंद्र देवता।
अनुष्टुप छंदः सीता शक्ति।
श्री हनुमान कीलकम।
श्री सीतारामचंद्रप्रीत्यर्थे रामरक्षास्त्रोत्जपे विनियोग:
अथ ध्यानम:
मध्यमाजनबहु धृतशरधनुष बद्धपदमसनस्थ,
पीतम वसो वसनं नवकमल दल स्पर्धिनेत्रं प्रसन्नम्।
वामनक्रुधा सीता मुखकमलमिल्लोचनम्नी,
राधाभम नानलंकारदीपतम दधात्मुरुजत्मंडलन रामचन्द्रम॥
राम रक्षा स्तोत्रम्:
चरितम रघुनाथस्य शतकोटि प्रविस्तारम्।
एकैकामक्षरं पुंस महापटकानाशनम 1.
ध्यात्व नीलोत्पलश्यं राम राजीवलोचनम।
जानकीलक्षमनोपेतन जटामुकुतामंडितम् ॥2॥
ससितुधनुरबनपनिम नक्तनाचारान्तकम्।
स्वालिले जगतत्रतुम्वीरभूतजम विभुम ॥3॥
रामरक्षण पथेत प्रजनाः पापघि सर्वकदमम्।
मस्तक में राघव: पातु भालन दशरथतमज:॥4॥
कौसल्याओ द्रिशो पातु विश्वामित्रप्रिया: श्रुति:।
ग्धनम पातु मकरता मुक्ष सुमित्रवत्सल॥ ॥5॥
जिह्वा विद्यानिधिः पथु कंठ भरतवंदितः।
स्कन्धः दिव्ययुद्धः पातुभुजः भग्नेशकर्मुकः॥6॥
करौ सीतापतिः पातु हृदयं जमदग्न्यजितः।
मध्यम पातु खर्धवंशी नाभि जाम्बवदश्रयः॥7॥
सुग्रीवेशः कटि पातु शक्तिनी हनुमत प्रभुः।
उरु रघुत्तमः पातु रक्षः कुलविनाशकृतः॥8॥
जनुई सेतुकृत पातु जन्हे दशमुखांतक:।
पदः विभीषणश्रीदः पातु राम अखिलन वपुः॥9॥
यह रामबलोपेट रक्षण या: सुकृतिन पथेत था।
स चिरुः भुक्षी दुद्ध विजय विनय भवेत॥10॥
पाताल व्योम चारिंषद्मचारिनः।
॥॥॥ ॥॥
रामेति रामभद्रेति रामचंद्रेति वा स्मरण।
नरः न लिप्यते पपैरभुक्ति मुक्तिं च विन्दति॥12॥
जगज्जैत्रिकमन्त्रेन रामनामनाभिरक्षितम्।
यः कण्ठे धारयेत्स्यः करास्थः सर्वसिद्धयः॥13॥
वज्रपांजरननामदं यो रामकवचं स्मृता।
अव्यहतजनाः जयमंगलम्॥14॥
आदिष्ट्वान यथा स्वप्ने रामरक्ष्मी हर:।
तथा प्राबुद्ध बुद्धकौशिका प्रात: ॥15॥
विश्रामः कल्पवृक्षणं विरामः सकलपदम।
अभिरामस्त्रिलोकणं रमा: श्रीमन् सा न: प्रभु:॥16॥
तरुणाः रूपसम्पनः सुकुमारः महाबलः।
पुण्डरीकविशालक्षौ चिराकृष्णजिनंबरौ॥17॥
फलमूलशिनाः दन्तौ तपसौ ब्रह्मचारिणः।
रामलक्ष्मण दशरथस्यैतौ बन्धुओं के पुत्रः॥18॥
सर्न्यो सर्व सत्वन श्रेष्ठ: सर्वधनुषमतम।
रक्षः कुलनिहन्तरः त्रेयेता के रघुत्तमः॥19॥
अत्सग्याधनुषविशुपरिशा वक्ष यशुगनिशांगसंगिनौ।
रक्षणाय मम रामलक्ष्मणवग्रता: पति सदावि गच्छतम् ॥20॥
सन्नधः कवाची खड़गी छपबंदरो युवा।
गच्चन मनोरथन नश्च राम: पथु सालक्षमण:॥21॥
रामो दशर और शूरो लक्ष्मण के अनुसार यज्ञ।
ककुतस्थः पुरुषः पूर्णः कौसल्यायो रघुत्तमः॥22॥
वेदान्तवेद्यो यज्ञेशः पुराणपुरुषोत्तम।
जानकीवल्लभः श्रीप्रमेयपराक्रमः॥23॥
इत्येतनि जापान नित्यम मद्भक्तः श्रद्धान्वितः।
॥24॥
रमा दुर्वादलश्याम पद्माक्षं पीठवासं।
25.
राम लक्ष्मण पूर्वजम रघुवरम सीतापति सुंदरम,
ककुटस्थान करुणार्णवन गुणनिधि विप्रप्रियम धर्मिकम्।
राजेंद्र सत्यसंधम दशरथतनयम श्यामलन शांतमूर्ति,
वन्दे लोकाभिराम रघुकुलतिलक राघव रावणारिम॥26॥
रामाय रामभद्राय रामचंद्राय वेधसे।
रघुनाथाय नाथाय सीतायै पतये नमः॥27
श्री राम राम रघुनंदन राम राम,
श्री राम राम भारतगराज राम राम।
श्री राम राम वर्णकश राम राम,
श्री राम राम शरणं भव राम राम॥28॥
श्री रामचंद्र चरणौ मनसा स्मृति,
श्रीराम चन्द्रचरणो वाचसा ग्रनामि।
श्री राम चन्द्रचरणो शिरसा नमामि,
29
माता रामो मातपिता रामचंद्र: स्वामी,
रमो मत्स्खा रामचन्द्र।
रामचंद्र दयालनारायण सर्व,
न जाने न नाव न जानी॥30॥
दक्षिण दिशा में लक्ष्मण यस्य वमे च जनकात्माजः।
पुर्तो मरुतिर्यस्य तन वन्दे रघुनन्दम॥31॥
लोकभीराम रणरंगधिराम राजीवनेत्रम रघुवंशथन।
32
मनोजवं मरुत्तुल्यवेगम जितेंद्रियं बुद्धिमातां सनिरिम।
वत्मजन वनरुथमुखशिन श्रीराम दूतम शरण प्रपये॥33॥
कुजंतन रामरामेति मधुरं मधुराक्षरम्।
अरुह्य कविताशकन वन्दे वाल्मीकिकोकिलम् ॥34॥
आपातकालीन उत्तरदाता सभी संसाधन हैं।
लोकाभिराम श्रीराम भुयो भूयो नमम्यहम॥35॥
चैत्र नवरात्रि में कब है अष्टमी और नवमी तिथि, जानें क्यों हैं ये तिथियां खास?
19 Mar, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चैत्र नवरात्रि कुछ ही दिनों बाद आरंभ होने वाली है। हिंदू धर्म में देवी से संबंधित वैसे तो कई त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन इन सभी में नवरात्रि का विशेष महत्व है। कुछ दिनों बाद ही चैत्र नवरात्रि का शुभ अवसर आने वाला है, जिसकी तैयारी पूरे देश में चल रही है। नवरात्रि नौ दिनों तक चलने वाला हिंदू त्योहार है जिसमें देवी दुर्गा की पूजा की जाती है। चैत्र नवरात्रि हिन्दू नववर्ष के प्रथम दिन से आरम्भ होती है। चैत्र नवरात्रि मार्च या अप्रैल में पड़ता है। चैत्र हिंदू चंद्र कैलेंडर का पहला महीना है और इस वजह से इस नवरात्रि को चैत्र नवरात्रि के नाम से जाना जाता है। यह त्योहार 'बुराई पर अच्छाई' का प्रतीक है और इसे बहुत ही महत्वपूर्ण तरीके से मनाया जाता है। इसे वसंत नवरात्रि के रूप में भी जाना जाता है, चैत्र नवरात्रि को पूरे देश में बड़े उत्साह और भक्ति के साथ मनाया जाता है। वैसे तो नवरात्रि के सभी दिन खास होते हैं और अष्टमी और नवमी तिथि का मान्यता कहीं अधिक मानी गई है। आगे जानिए इस बार चैत्र नवरात्रि में कब है अष्टमी और नवमी तिथि और क्यों खास हैं ये दोनों तिथियां।
चैत्र नवरात्रि तिथि
चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से आरंभ होकर 30 मार्च तक रहेगी। इस नवरात्रि पूरे 9 दिनों तक रहेगी, ऐसा इसलिए होगा क्योंकि तिथियों में कोई घट-बढ़ की स्थिति नहीं बन रही है ।
कब है अष्टमी तिथि?
इस बार चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि 29 मार्च, बुधवार को रहेगी। चैत्र शुक्ल अष्टमी तिथि 28 मार्च 2023 शाम 07:02 मिनट से शुरू होगी, इसका समापन 29 मार्च 2023 को रात 09.07 मिनट पर होगा। अष्टमी तिथि पर कंजक पूजा यानी कन्या पूजा का भी विशेष महत्व माना गया है। अष्टमी तिथि पर की गई पूजा का फल कई गुना होकर प्राप्त होता है।
कब है नवमी तिथि?
इस बार चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि 30 मार्च, गुरुवार को रहेगी। चैत्र शुक्ल नवमी तिथि 29 मार्च को रात 09 :07 मिनट से लेकर 30 मार्च को रात 11:30 मिनट तक है। राम नवमी की पूजा का मुहूर्त दिन में 11: 11 मिनट से दोपहर 01:40 मिनट तक रहेगा। रामनवमी का पर्व भी इस तिथि पर मनाया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान श्रीराम का जन्म हुआ था।
नवमी पर बन रहे हैं 4 शुभ योग
महानवमी के दिन 4 शुभ योग बन रहे हैं। दुर्गा नवमी को पूरे दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग है। गुरु पुष्य योग रात 10: 59 मिनट से सुबह 06:13 मिनट तक है। अमृत सिद्धि योग भी रात 10:59 बजे से सुबह 06:13 बजे तक है।
इस दिन मनाया जाएगा गुड़ी पड़वा, जानें तिथि, पूजा मुहूर्त,महत्व और पूजा विधि
19 Mar, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गुड़ी पड़वा को संवत्सर पड़वो के नाम से भी जाना जाता है, यह मुख्य रूप से भारतीय राज्य महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला वसंत ऋतु का त्योहार है। यह हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है और चैत्र महीने के पहले दिन पड़ता है, जो आमतौर पर मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत में पड़ता है। 2023 में, गुड़ी पड़वा 22 मार्च, 2023 को मनाया जाएगा। उत्सव की खुशियों के साथ-साथ, गुड़ी पड़वा को संपत्ति या नया घर खरीदने का भी शुभ समय माना जाता है। गुड़ी पड़वा, मराठी नया साल, लोगों के लिए नई शुरुआत और आशा की भावना लाता है। मुख्य रूप से यह पर्व महाराष्ट्र राज्य में मनाया जाता है, गुड़ी पड़वा या उगादी अगले फसल वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। गुड़ी पड़वा चैत्र के पहले दिन मनाया जाता है। आइए जानते हैं गुड़ी पड़वा का महत्व और पूजा विधि के बारे में।
गुड़ी पड़वा 2023 तिथि
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि आरंभ: 21 मार्च 2023, मंगलवार, रात्रि 10: 52 मिनट से
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि समाप्त: 22 मार्च 2023, बुधवार, रात्रि 08: 20 मिनट पर
उदयतिथि के अनुसार 22 मार्च 2023 को गुड़ी पड़वा है।
गुड़ी पड़वा 2023 मुहूर्त 2023
गुड़ी पड़वा पूजा मुहूर्त - प्रात: 06 : 29 मिनट से प्रातः 07: 39 मिनट तक (22 मार्च 2023)
गुड़ी पड़वा का महत्व
गुड़ी पड़वा हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखता है। ऐसा माना जाता है कि गुड़ी को घर पर फहराने से घर से नकारात्मक शक्तियां दूर होती हैं और जीवन में भाग्य और समृद्धि आती है। यह दिन वसंत की शुरुआत का भी प्रतीक है और इसे फसल उत्सव के रूप में माना जाता है। इस उत्सव को कई अन्य राज्यों में संवत्सर पड़वो, उगादि, उगादी,चेती, नवरेह, साजिबू नोंगमा पानबा चीरोबाआदि नामों से जाना जाता है। कई लोगों का मानना है कि इस दिन सोना या नई कार खरीदना शुभ होता है।
गुड़ी पड़वा कैसे मनाते हैं?
गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र का पर्व है। हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है। गुड़ी पड़वा के दिन बहुत से कार्य किए जाते हैं। इस दिन झंडा, या गुड़ी, घर के सामने फहराया जाता है, और द्वार पर रंग-बिरंगी रंगोली बनाई जाती है। ध्वज को पीले रेशमी आभूषणों, फूलों और आम के पेड़ के पत्तों से सजाया जाता है। सिंदूर और हल्दी से बना एक शुभ स्वास्तिक बनाया जाता है। इस दिन ज़रूरतमंद लोगों को पानी के साथ और भी अन्य वस्तुएं देनी चाहिए।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (19 मार्च 2023)
19 Mar, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- क्लेश व अशांति, परिश्रम करने पर भी अपयश होगा, क्रोध होगा, रुके कार्य पर ध्यान अवश्य दें।
वृष राशि :- अधिकारियों का मेल-मिलाप फलप्रद होगा, कार्य कुशलता के साधन अवश्य ही बनेंगे।
मिथुन राशि :- कार्य व्यवसाय में थकावट, बेचैनी, कुछ सफलता के साधन अवश्य ही बनेंगे।
कर्क राशि :- कार्य कुशलता से संतोष, परेशानी व चिन्ताजनक स्थिति बनेगी, कार्य अवरोध होगा।
सिंह राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास, भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति तथा धर्मार्थ में धन व्यय होगा।
कन्या राशि :- आर्थिक योजना समय पर पूर्ण होगी, सोचे कार्य बनेंगे ध्यान अवश्य दें।
तुला राशि :- सामर्थ्य होते हुये कार्य विफलता बनी रहेगी, कार्य की प्राप्ति होगी।
वृश्चिक राशि :- कुटुम्ब की समस्याओं से क्लेश तथा धन हानि होगी, मानसिक बेचैनी होगी।
धनु राशि :- आरोप, क्लेश तथा अशांति से बचिये, भावपूर्ण वार्ता होगी, समय का ध्यान रखें।
मकर राशि :- योजनायें फलीभूत होंगी, सफलता के साधन जुटायें, लाभ होगा।
कुंभ राशि :- परिश्रम करने पर भी सफलता न मिले तथा कार्य में अवरोध होगा।
मीन राशि :- धन लाभ, सफलता का हर्ष, प्रभुत्व वृद्धि तथा सामाजिक कार्य बनेंगे।
प्रभु राम के जन्म के ठीक छह दिन बाद मनाया जाता है हनुमान जन्मोत्सव
18 Mar, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में वैसे तो कई देवी देवता हैं जिनकी पूजा आराधना उत्तम फलदायी होती है। लेकिन प्रभु राम के भक्त हनुमान को सभी में श्रेष्ठ माना गया है। इनकी भक्ति का बखान आज भी संसार में किया जाता है। कहते है जहां प्रभु राम का नाम लिया जाता है वहां हनुमान स्वयं उपस्थित रहते है। राम भक्तों को हनुमान किसी प्रकार के कष्ट से नहीं गुजरने देते है।
ऐसे में राम भक्त हनुमान की आराधना करने से वाले भक्तों की भी इस दुनिया में कमी नहीं है मान्यता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम के जन्म यानी रामनवमी के ठीक छह दिन बाद बजरंगबली का जन्मोत्सव धूमधाम से देशभर में मनाया जाता है। इस दिन हनुमान आराधना भक्तों के हर संकट, दुख, कष्ट और विपत्ति का निवारण करती है तो आज हम आपको अपने इस लेख में बता रहे है कि इस साल हनुमान जन्मोत्सव की तारीख और मुहूर्त क्या है, तो आइए जानते है।
हनुमान जयंती की तारीख और मुहूर्त-
धार्मिक पंचांग के अनुसार चैत्र पूर्णिमा तिथि का आरंभ 5 अप्रैल को सुबह 9 बजकर 19 मिनट पर होगा। वहीं इसका समापन 6 अप्रैल की सुबह 10 बजकर 4 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में उदया तिथि की मानें तो हनुमान जयंती इस बार 6 अप्रैल दिन गुरुवार को देशभर में धूमधाम से मनाई जाएगी।
जानिए इस दिन का महत्व-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसर हनुमान जन्मोत्सव के दिन अगर भगवान हनुमान की विधिवत पूजा आराधना और व्रत किया जाए। तो साधक की हर इच्छा पूर्ण हो जाती है और कष्टों का भी निवारण होता है। लेकिन इस दिन हनुमान पूजन में प्रभु राम की पूजा जरूर करें क्योंकि मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम की पूजा के बिना हनुमान आराधना पूर्ण नहीं मानी जाती है। अगर कोई भक्त ऐसा करता है तो उसे सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है और श्रीराम व हनुमान की कृपा भी बरसती है।
आने वाली दुर्घटनाओं का संकेत देती हैं घर की ये चीजें, अनदेखा करना पड़ सकता है महंगा
18 Mar, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आने वाली दुर्घटनाओं का संकेत देती हैं घर की ये चीजें, अनदेखा करना पड़ सकता है महंगा अक्सर जीवन में अचानक ऐसी घटनाएं घटने लगती हैं, जिससे हमारा जीवन प्रभावित हो जाता है. परिवार के किसी सदस्य का अचानक बीमार पड़ना, नौकरी-व्यवसाय में संकट, बेकाबू तनाव और धन की कमी अशुभ घटनाओं के संकेत हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन अशुभ घटनाओं के आने से पहले ही घर में कुछ अजीबोगरीब संकेत दिखने लगते हैं. ये संकेत बताते हैं कि व्यक्ति के लिए कुछ खराब दिन आने वाले हैं.
ज्योतिष अनुसार शुभ अशुभ शकुनों के माध्यम द्वारा जीवन की इन घटनाओं को पहले से समझा जा सकता है. घर में कुछ चीजों का अचानक से होना बेहद अशुभ माना जाता है. घर में इन चीजों के होने से व्यक्ति की परेशानियां बढ़ने लगती हैं.
तुलसी सुखना
तुलसी को हिंदू धर्म में पवित्र और पूजनीय माना जाता है. तुलसी को लक्ष्मी का रूप माना जाता है. तुलसी के पौधे को घर में हरा-भरा रखने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बनी रहती है. लेकिन अगर उसका पौधा सूखने लगे तो इसे अच्छा संकेत नहीं माना जाता है. इसका असर नकारात्मक प्रभाव को बढ़ाने वाला बःई होता है, किंतु यदि ऎसा हो रहा है तो इस ओर ध्यान देने की जरूरत होती है. तुलसी का पौधा सूख जाने पर तुरंतु नया पौधा लगा लेने से चीजें सुधरने लगती हैं.
कांच का टूटना
घर में शीशा टूटना आम बात है लेकिन अगर ऐसा बार-बार होता है तो समझ लीजिए कि कुछ गड़बड़ है. घर में टूटा हुआ कांच का सामान या शीशा किसी अशुभ घटना का संकेत देता है. इसका मतलब है कि आपके घर पर कोई बड़ा संकट आने वाला है. यह घरेलू संबंधों में दरार का भी संकेत है. घर में कभी भी कांच के टुकड़े या टूटा हुआ बर्तन नहीं रखना चाहिए.
सोने का खोना
अगर कोई सोने का आभूषण गुम हो जाए और लाख कोशिशों के बाद भी न मिले तो यह बहुत ही अशुभ माना जाता है. धन हानि का संकेत माना जाता है. सोने का खो जाना घर की बिगड़ती आर्थिक स्थिति का संकेत है. कई बार व्यक्ति अचानक आर्थिक तंगी से घिर जाता है. आमदनी घटती है और खर्चे बढ़ते हैं. मनुष्य चाहकर भी बच नहीं सकता. हाथ में पैसा न होना या आने पर खर्च करना मां लक्ष्मी के रुठने का संकेत है. ऐसे लक्षणों को बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.
बिल्ली का रोना
अगर आपको घर में या उसके आसपास बिल्ली के रोने की आवाज सुनाई दे तो सावधान हो जाएं. बिल्ली का रोना शास्त्रों में अशुभ माना गया है. कहा जाता है कि जिस घर में बिल्ली के रोने की आवाज सुनाई देती है, वहां सुख-समृद्धि आती है. यह जीवन में किसी अप्रिय घटना का संकेत है. बिल्ली द्वारा अचानक रास्ता काट देना भी अशुभ माना जाता है
देवी आराधना का महापर्व है नवरात्रि, जानिए अष्टमी और नवमी की तिथि
18 Mar, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में वैसे तो कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते है और सभी का अपना महत्व भी होता है। लेकिन चैत्र मास में पड़ने वाली नवरात्रि बेहद ही खास मानी जाती है।
क्योंकि ये पर्व देवी मां दुर्गा के नौ रूपों की साधना आराधना का त्योहार होता है जो कि पूरे नौ दिनों तक चलता है।
इसे देवी आराधना का महापर्व भी कहा जाता है जो कि इस बार 22 मार्च से आरंभ हो रहा है और इसका समापन 30 मार्च को हो जाएगा। इस दिन भक्त माता रानी की भक्ति में लीन रहते है और उपवास रखकर उनकी विधिवत पूजा करते है। ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा नवरात्रि में अष्टमी और नवमी की तारीख और इससे जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे है।
नवरात्रि में अष्टमी और नवमी की तिथि-
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चैत्र मास में पड़ने वाली नवरात्रि में अष्टमी तिथि 29 मार्च को पड़ रही है। इस दिन भक्त देवी मां दुर्गा के महागौरी रूप की आराधना करते है। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 28 मार्च को शाम 7 बजकर 2 मिनट से आरंभ हो जाएगी। जिसका समापन 29 मार्च को रात्रि 9 बजकर 7 मिनट पर होगा।
ऐसे में नवरात्रि की अष्टमी का व्रत पूजन 29 मार्च को करना उत्तम रहेगा। इसके साथ ही चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि 29 मार्च की रात्रि 9 बजकर 7 मिनट से आरंभ हो जाएगी जिसका समापन 30 मार्च को रात्रि 11 बजकर 30 मिनट पर होगा। ऐसे में नवमी तिथि 30 मार्च को पड़ रही है जिसमें मां दुर्गा के सिद्धिदात्री रूप की पूजा आराधना करना श्रेष्ठ रहेगा।
नित अभ्यास से दर्शन कर सकते हैं ईश्वर का
18 Mar, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सभी शास्त्र कहते हैं कि बिना भगवान को प्राप्त किये मुक्ति नहीं मिल सकती है। इसलिए भगवान की तलाश के लिए कोई व्यक्ति मंदिर जाता है तो कोई मस्जिद, कोई गुरूद्वारा, तो कोई गिरजाघर। लेकिन इन सभी स्थानों में जड़ स्वरूप भगवान होता है। अर्थात ऐसा भगवान होता है जिसमें कोई चेतना नहीं होती है।
असल में भगवान की चेतना तो अपने भक्तों के साथ रहती है इसलिए मंदिर में हम जिस भगवान को देखते हैं वह मौन होकर एक ही अवस्था में दिखता है। जब हमारी चेतना यानी इन्द्रियां अपने आस-पास ईश्वर को महसूस करने लगती है तब हम जहां भी होते हैं वहीं ईश्वर प्रकट दिखाई देता है। उस समय भगवान को ढूंढने के लिए मंदिर या किसी तीर्थ में जाने की आवश्यकता नहीं होती है।
जब व्यक्ति इस अवस्था को प्राप्त कर लेता है तब व्यक्ति के साथ चल रही भगवान की चेतना व्यक्ति के मंदिर में प्रवेश करने पर मंदिर में मौजूद ईश्वर की प्रतिमा में समा जाती है और मूक बैठी मूर्ति बोलने लगती है। यह उसी प्रकार होता है जैसे मृत शरीर में आत्मा के प्रवेश करने पर शरीर में हलचल होने लगती है। शरीर की क्रियाएं शुरू हो जाती है।?
मंदिर में विराजमान मूर्ति वास्तव में एक मृत शरीर के समान है। मृत की पूजा करें अथवा न करें उसे कोई फर्क नहीं पड़ता। हमारी श्रद्धा और भक्ति की अनुभूति वही कर सकता है जिसमें चेतना हो प्राण हो। इसलिए तीर्थों में भटकने की बजाय जिस देवता की उपासना करनी हो उसे अपनी आत्मा से ध्यान करें उनकी आत्मा अर्थात परमात्मा से संपर्क करें, परमात्मा की पूजा करें तो, जो फल वर्षों मंदिर यात्रा से नहीं मिल सकता, वही फल कुछ पल के ध्यान से मिल सकता है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (18 मार्च 2023)
18 Mar, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - धनलाभ आशानुकूल सफलता से हर्ष, कार्यवृत्ति में सुधार होगा।
वृष राशि - योजनाएं पूर्ण हो, शुभ समाचार से समस्या संभव तथा कार्य होवे।
मिथुन राशि - कार्य व्यवसाय में थकावट, बैचेनी कुछ सफलता के साधन जुटाकर रखे।
कर्क राशि - दैनिक व्यवसाय, गति मंद रहे असमर्थता का वातावरण, अवश्य ही बनेगा।
सिंह राशि - आलोचनाओं से बचिए, कार्य कुशलता से पूर्ण संतुष्ट, तथा संतोष होवे।
कन्या राशि भोग ऐश्वर्य में समय बीते, शारीरिक थकावट, बेचैनी अवश्य होगी।
तुला राशि - व्यवसायिक चिन्ता बनी रहेगी, आशानुकूल सफलता से हर्ष, स्थिति संतोषप्रद हो।
वृश्चिक राशि - मित्र वर्ग विशेष फलप्रद रहे तथा सुखवर्धक योजनाएं बनी रहेगी।
धनु राशि - तनाव पूर्ण वातावरण चलता रहेगा तथा चिन्ताएं संभंव अवश्य होगी।
मकर राशि - कार्यवृत्ति में सुधार तथा सामाजिक कार्यो में प्रतिष्ठा बढ़ेगी, कार्य होवे।
कुंभ राशि - कार्य व्यवसाय गति मंद, चोट आदि का भय अवश्य ही बना रहेगा।
मीन राशि - आशानुकूल सफलता का हर्ष बिगड़े, कार्य बनेंगे तथा योजना अवश्य ही बनेगी।
खरमास के दिनों में ये कार्य हैं वर्जित, वरना होगा भारी नुकसान
17 Mar, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में किसी भी मांगलिक व शुभ कार्य को करने से पहले मुहूर्त देखा जाता है। मान्यता है कि अगर शुभ मुहूर्त में कोई काम किया जाए तो इसका पूरा फल प्राप्त होता है और कार्य बिना किसी बाधा के पूर्ण हो जाते है।
ऐसे में हर कोई शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त तलाश करता है लेकिन कुछ ऐसे दिन भी होते है जिन्हें शुभ कार्यों के लिए वर्जित माना जता है।
इन्हीं में से एक खरमास भी है। धार्मिक तौर पर खरमास को अशुभ समय माना जाता है। इस दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। इस बार खरमास का आरंभ 15 मार्च से हो चुका है जिसका समापन 14 अप्रैल को हो जाएगा। ऐसे में आज हम आपको खरमास से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे है तो आइए जानते है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खरमास के दिनों में सूर्य आराधना विशेष फलदायी होती है। मान्यता है कि इस दौरान अगर भगवान श्री सूर्यदेव की पूजा की जाए तो साधक को निरोगी रहने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। लेकिन इन दिनों मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है इस दौरान विवाह शादी जैसे कार्यों को करने पर रोक लगी होती है।
मान्यता है कि अगर कोई ऐसा करता है तो उसके वैवाहिक जीवन में परेशानियां हमेशा बनी रहती है। खरमास में नए घर का निर्माण या फिर खरीद करने से भी बचना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से मकान मजबूत नहीं होता है और घर की सुख समृद्धि भी बाधित होती है। इस दौरान नए कारोबार की शुरुआत भी नहीं करनी चाहिए वरना व्यक्ति को घाटे का सामना करना पड़ सकता है।
समय से पहले ही बूढ़े हो जाते हैं ये लोग, पढ़ें आज की चाणक्य नीति
17 Mar, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चाणक्य को भारत के महान ज्ञानियों और विद्वानों में से एक माना जाता है। इनकी नीतियां देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। चाणक्य ने अपने जीवन के अनुभवों को नीतिशास्त्र ग्रंथ में पिरोया है जिसे चाणक्य नीति के नाम से जाना जाता है।
चाणक्य ने मनुष्य जीवन से जुड़े हर पहलु पर अपनी नीतियों का निर्माण किया है।
मान्यता है कि इनकी नीतियों को अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में उतार लेता है तो उसका पूरा जीवन सरल और सफल हो जाता है। चाणक्य ने अपनी नीतियों के द्वारा बताया है कि कौन से लोग समय से पहले बुढ़े हो जाते है। तो आज हम आपको इसी विषय पर बता रहे है।
चाणक्य की नीति कहती है कि जो मनुष्य हमेशा यात्रा करते हैं। वे नियमित न होने के कारण जल्द ही बुढ़ापे का शिकार हो जाते है। क्योंकि यात्रा की थकान और अव्यवस्थित खान पान व्यक्ति के शरीर पर विपरीत प्रभाव डालती है।
चाणक्य नीति अनुसार घोड़ा स्वच्छंद विचरण करने वाला होता है जिस कारण वह जल्द बूढ़ा नहीं होता है लेकिन अगर मनुष्य ने घोड़े को पालतू बना लिया है और उसे हमेशा ही बांधकर रखता है तो वह समय से पहले ही बूढ़ा हो जाता है। क्योंकि ये घोड़े के शारीरिक प्रकृति के प्रतिकूल है। चाणक्य नीति कहती है कि अगर पति अपनी पत्नी को शारीरिक सुख नहीं दे पा रहा है या वो संतुष्ट नहीं है तो ऐसे में पत्नी समय से पहले ही बूढ़ी हो जाती है।