धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
Papmochani Ekadashi 2023: कब है पापमोचनी एकादशी? जानें तिथि, शुभ मुहूर्त और उपाय
13 Mar, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Papmochani Ekadashi 2023: पापमोचनी एकादशी चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाति है। यह एकादशी सभी 24 एकादशी व्रतों में अंतिम है। पापमोचनी एकादशी 18 मार्च (शनिवार) को पड़ेगी। पापमोचनी शब्द पाप और मोचनी दो शब्दों से मिलकर बना है। पाप का अर्थ है पाप या दुष्कर्म और शब्द "मोचनी" का अर्थ है हटाने वाला। भक्तों का मानना है कि पापमोचनी एकादशी का व्रत रखना बेहद शुभ होता है। इस व्रत को करने वालों को उनके पापों से मुक्ति मिल जाती है। एकादशी के व्रत में मुख्य रूप से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। मान्यता है जो व्यक्ति व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना करता है। उसको सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। आइए जानते हैं तिथि, शुभ मुहूर्त और उपाय के बारे में।
पापमोचनी एकादशी तिथि 2023
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि आरंभ: 17 मार्च, रात्रि 12:07 मिनट पर
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि समाप्त: 18 मार्च, प्रातः 11:12 मिनट पर
उदयातिथि को आधार मानते हुए पापमोचनी एकादशी का व्रत 18 मार्च को रखा जाएगा।
पापमोचनी एकादशी तिथि 2023 शुभ मुहूर्त
पापमोचनी एकादशी का शुभ मुहूर्त: 18 मार्च, प्रातः 08: 58 मिनट से 09 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।
पारण का समय: 19 मार्च, प्रातः 06: 28 मिनट से 08: 09 मिनट तक।
पापमोचनी एकादशी का महत्व
पापमोचनी एकादशी व्रत के महत्व का वर्णन 'भविष्योत्तर पुराण' और 'हरिवासर पुराण' में किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि पापमोचनी व्रत व्यक्ति को सभी पापों के प्रभाव से मुक्त कर देता है। पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से हिन्दू तीर्थ स्थानों पर विद्या ग्रहण करने से गाय दान करने से भी अधिक पुण्य मिलता है। जो लोग इस शुभ व्रत का पालन करते हैं, वे सभी सांसारिक सुखों का आनंद लेते हैं और अंततः भगवान विष्णु के स्वर्गिक साम्राज्य 'वैकुंठ' में स्थान पाते हैं।
एकादशी पर करें इस विधि से पूजा
प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
इसके भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और केले के पौधे में जल अर्पित करें। ऐसा करने से भगवान सूर्य का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
इसके बाद पूजा स्थल में भगवान विष्णु का चित्र एक चौकी पर स्थापित कर उन पर पीले पुष्प अर्पित करें। ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होगी।
पूजा के दौरान श्रीमद्भगवदगीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करें।
फिर 108 बार ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करें।
ध्यान रहे कि एकादशी के दिन भूलकर भी तुलसी के पत्ते न तोड़ें।
सूर्य करेंगे मीन राशि में गोचर, देवगुरु बृहस्पति की कृपा से इन राशियों का चमकेगा भाग्य
13 Mar, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Surya Gochar 2023: ज्योतिष शास्त्र सूर्य का संक्रांति एक महतवपूर्ण गोचर होता है. यह गोचर से आम जीवन पर काफी प्रभाव देखा जाता है. इस गोचर के बाद भारतीय जलवायु में सूर्य के परिवर्तन से कई राशियों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
सूर्य का मीन राशि में गोचर से एक तो सूर्य वह भी देव की गुरु के राशि मीन जिसका अधिपत्य भगवान वृहस्पति स्वयं करते है. सूर्य और वृहस्पति का संबंध बहुत बढ़िया रहता है. दोनों ग्रह का जन्मकुंडली में शुभ होना जातक के लिए सुख का संकेत देता है. मीन राशि जल तत्व राशि है वही सूर्य उग्र स्वभाव के है जिसे जातक शुभ होगा. सूर्य ग्रहों का मत्री है. वहीं वृहस्पति ग्रहों का राजा है. सूर्य वही कई राशियों पर सकारात्मक प्रभाव दिखाई देगा.
सूर्य गोचर का प्रभाव
इस गोचर से महगाई में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी. लेकिन, फल तथा सुखी सब्जी जैसे आलू के भाव में बढ़ोतरी देखा जा सकता है. तेलहन के भाव में वृद्धि होगी. दक्षिण के क्षेत्रो में वर्षा तथा तूफान आ सकती है. आम बोल-चाल की भाषा में सूर्य को गतिशील भी कहते है. कुंडली में सूर्य उच्च का हो जातक उचाधिकारी बनता है. सूर्य के द्वारा सरकार का विचार सूर्य मान -सम्मान, इज्जत, आरोग, धन अधिकार कुछ सूर्य ही देता है. सूर्य तेजवान, गरीबों पर दया तथा जीवन को महान बनाता है. यह कुंडली में पंचम राशि का स्वामित्व करते है. सूर्य मेष राशि में उच्य के होते है. वहीं तुला राशि में नीच के होते है. यह दशम भाव में होने से खूब लाभ देते है. आइये जानते है सूर्य कब कर रहे गोचर...
जानें सूर्य कब करेंगे गोचर और राशियों पर प्रभाव
15 मार्च 2023 दिन बुधवार की सुबह 06 बजकर 47 मिनट पर कुम्भ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे.
मेष- संभल कर रहे नेत्र रोग परेशान करेगा. मानसिक विकार होगा. अपनी वाणी पर नियंत्रण रखे. अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दें.
वृषभ- समय का उपयोग करें. आय ठीक रहेगा. संतान का सुख मिलेगा. छात्रों के लिए उत्तम समय है.
मिथुन- जो लोग भूमि भवन का व्यापार कर रहे है. उनको लाभ मिलेगा. राजा के जैसा सुख मिलेगा. जो लोग सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे है उनको सफलता मिलेगा.
कर्क- लम्बी यात्रा बनेगा. यश, कीर्ति होगा. लोग आपके प्रसंसा करेगा. भाई का सुख प्राप्त होगा. शत्रु का नाश होगा.
सिह- स्वास्थ्य ठीक नहीं रहेगा. अपने गुस्से पर नियंत्रण करें. धन का लाभ मिलेगा. कुटुम्ब से विवाद होगा. मनोबल बढ़ा रहेगा.
कन्या- दाम्पत्य जीवन खुसमय नहीं रहेगा. बेवजह का तनाव रहेगा. आपके अन्दर अहंकार भर जायेगा. जो लोग नौकरी की तैयारी कर रहे है. उनको लाभ मिलेगा. जिन लोग को ब्लडप्रेशर है. अपना ध्यान दें.
तुला- स्वास्थ्य ठीक रहेगा. शत्रु पराजित होंगे. नेत्र रोग होगा. कोर्ट कचहरी के कार्य में राहत मिलेगा. खर्च पर नियंत्रण रखें.
वृश्चिक- नौकरी कर रहे लोगों को आर्थिक लाभ ठीक रहेगा. सेलरी में विरधी होगी. छात्रों के बुद्धि तथा स्मरण शक्ति ठीक रहेगा. जो लोग प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रहे है, वे सफल होंगे.
धनु- आपका प्रसिद्धि बना रहेगा. गुप्त विद्या की जानकारी होगी. रुके हुए सभी काम पुरे होंगे. पारिवारिक सुख में कमी दिखाई देगा. नौकरी तथा व्यापारी के लिए बेहतर समय है.
मकर- छोटी -छोटी बात पर गुस्सा बनेगा. आप निडर रहेंगे. साहसी रहेगे दूसरे की सहायता करेंगे. धार्मिक यात्रा बनेगा.
कुम्भ- इस राशि वाले को धन की कमी बना रहेगा. वाणी पर नियंत्रण रखें. कुटुम्ब का सुख मिलेगा. पैतृक सम्पति का सुख में कमी रहेगा.
मीन- जीवन साथी के साथ तनाव बनेगा. सरकारी नौकरी तथा निजी क्षेत्र में काम कर रहे लोगो के लिए उत्तम रहने वाला है. प्रमोशन का योग बन गया है. कोर्ट कचहरी सम्बंधित कार्य पूरे होंगे.
उपाय
जिन लोगो का सूर्य ख़राब है वह नित्य सूर्य भगवान को तांबे के लोटे में जल में लाल फूल डालकर भगवान भास्कर को जल दें. साथ में इस मंत्र को पढ़ें.
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर.
हर रोज आदित्य ह्रदय स्तोत्र का पाठ अवश्य करें।
रामनवमी कब है और कैसे होती है भगवान श्री राम की खास पूजा, जानें विधि, शुभ मुहूर्त
13 Mar, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Ram Navami 2023 : हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राम नवमी मनाया जाएगा. इस बार यह 30 मार्च को रामनवमी (Ram Navami 2023) पड़ रही है.
यह पर्व भगवान श्रीराम को समर्पित होती है. ऐसी मान्यता है कि इसी दिन उनका जन्म हुआ था. ऐसे में उनके जन्मोत्सव के तौर पर इस पर्व को भक्त पूरे धूमधाम से मनाते हैं. आइये जानते हैं रामनवमी 2023 की तिथि, शुभ मुहूर्त, महत्व व पूजा विधि के बारे में...
रामनवमी पर्व का महत्व
हिंदू धर्म में रामनवमी पर्व का बेहद खास महत्व होता है. इसे भगवान श्री राम के जन्म उत्सव के तौर पर मनाया जाता है.
ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के अवतार श्री रामजी की विधि पूर्वक पूजा की जाती है. जिससे प्रसन्न होकर श्रद्धालुओं की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. साथ्ज्ञ ही साथ सारे कष्टों का भी निवारण होता है.
रामनवमी का दिन इसलिए भी खास होता है क्योंकि इसी दिन नवरात्रि का समापन भी होता है. इसी वजह से इसे महानवमी भी कहते हैं.
रामनवमी के दिन भगवान श्री राम के साथ-साथ मां दुर्गा के नवो स्वरूपों की भी पूजा की जाती है.
रामनवमी की पूजा विधि?
रामनवमी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठें, स्नाना करें
फिर नवमी तिथि की पूजा शुरू करें.
अब श्री राम के फोटो या मूर्ती के सामने दीप प्रज्वलित करें
सभी देवी देवताओं का ध्यान लगाएं और मनोकामनाएं पूर्ती की कामना करें
श्रीराम को फूल, मिष्ठान, फल आदि का भोग लगाएं
और अंत में भगवान श्री राम के मंत्र और आरती का जाप करते हुए पूजा समाप्त करें.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (13 मार्च 2023)
13 Mar, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि- मान प्रतिष्ठा बाल बाल बचें, कार्य व्यवसाय गति उत्तम, स्त्री वर्ग में हर्ष हेवेगा।
वृष राशि :- धन प्राप्ति के योग बनेगे, नवीन मैत्री व मंत्रणा प्राप्त होवेगी। कार्य बनेंगे।
मिथुन राशि :- इष्ट मित्र वर्ग सहायक रहे, व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि होवेगा तथा कार्य बनेगा।
कर्क राशि :- सामाजिक कार्यप्रतिष्ठा, कार्य कुशलता संतोष जनक रहे तथा कार्य बनने लगेगे।
सिंह राशि - परिश्रम से समय पर सोचे कार्य पूर्ण होंगे, तथा व्यवसाय गति उत्तम होवेगी।
कन्या राशि :- अधिकारियों को समर्थन फलप्रद रहे, कार्य कुशलता से संतोष होवेगा, कार्य बनेगे।
तुला राशि :- दैनिक व्यवसाय गति उत्तम तथा व्यवसायिक चिन्ताएं कम अवश्य होगी।
वृश्चिक राशि :-कार्यवृत्ति में सुधार होगा असमंजस तथा सफलता न मिले, कार्य अवरोध होगा।
धनु राशि - स्थिति अनियंत्रित रहे, नियंत्रण तथा सफलता करना आवश्यक होगा तथा कष्ट से बचे।
मकर राशि - मानसिक खिन्नता एवं स्वभाव में मानसिक उद्विघ्नता बनी रहे, समय का ध्यान रखे।
कुंभ राशि - योजनांए फलीभूत हो, विघटनकारी तत्व परेशान करे तथा कष्ट पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
मीन राशि - मनोबल उत्साहवर्धक होगा तथा कार्य कुशलता से संतोष होगा।
Chardham Yatra 2023: 2.12 लाख श्रद्धालु करा चुके हैं पंजीकरण, 22 अप्रैल से शुरू, जानें कब से खुल रहे कपाट
12 Mar, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Chardham Yatra 2023: उत्तराखंड में अगले माह शुरू होने वाली चारधाम यात्रा के लिए अब तक दो लाख से ज्यादा श्रद्धालु अपना पंजीकरण करवा चुके हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर चार धाम यात्रा की तैयारियों को लेकर अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में बैठक में यह जानकारी दी गयी।
प्रदेश के पर्यटन सचिव सचिन कुर्वे ने बताया कि इस वर्ष 22 अप्रैल को शुरू होने वाली चारधाम यात्रा के लिए अभी तक दो लाख 12 हज़ार से अधिक श्रद्धालु अपना पंजीकरण करवा चुके हैं। उन्होंने बताया कि तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु ऑनलाइन पंजीकरण के अलावा फोन तथा व्हाट्सएप के माध्यम से भी पंजीकरण की व्यवस्था लागू की गई है।
पर्यटन सचिव ने बताया कि हेलीकॉप्टर सेवा के पंजीकरण के लिए भी इस बार बेहतर और पारदर्शी व्यवस्था लागू की जा रही है । चारधामों के लिए पंजीकरण 21 फरवरी को शुरू हुए थे और केवल तीन सप्ताह के भीतर इतने ज्यादा पंजीकरण की संख्या को देखते हुए इस बार यात्रा में पिछले सभी रिकार्ड टूटने के आसार लग रहे हैं।
इस साल गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट 22 अप्रैल को अक्षय तृतीया के पर्व पर खुल रहे हैं जबकि बदरीनाथ के कपाट 27 अप्रैल को और केदारनाथ के कपाट 25 अप्रैल को खुलेंगे। कोविड-19 के कारण दो साल के अंतराल के बाद पिछले साल पूरी तरह से शुरू हुई चारधाम यात्रा में रिकार्ड 47 लाख से ज्यादा श्रद्धालु आए थे।
बैठक में इस बार पिछली बार से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना व्यक्त करते हुए अपर मुख्य सचिव ने अधिकारियों से मंदिरों के कपाट खुलने से पहले बिजली-पानी सहित सभी व्यवस्थाएं सुचारू करने को कहा। रतूड़ी ने चारधाम यात्रा से जुड़े सभी हितधारकों से अपील करते हुए कहा कि देश और दुनिया में हमारे प्रदेश की छवि 'पर्यटन प्रदेश' की है।
सभी को इस बात का ध्यान रखना होगा कि उत्तराखंड से वह एक अच्छा अनुभव लेकर लौटें। बैठक में तीर्थ पुरोहितों, टूर एवं ट्रेवल एजेंसियों तथा होटलों समेत सभी हितधारकों ने महत्वपूर्ण सुझाव दिए जिनके बारे में रतूड़ी ने कहा कि इन सुझावों से मुख्यमंत्री को भी अवगत कराया जाएगा।
Chaitra Navratri 2023 : कलश स्थापना शुभ मुहूर्त, विधि, सामग्री यहां चेक करें
12 Mar, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Chaitra Navratri 2023 Date: चैत्र नवरात्रि में भी घटस्थापना के लिए मुहूर्तों की आवश्यकता होती है. और पूरे विधि विधान के अनुसार शुभ मुहूर्त देख कर घटस्थापना की जाती है. पंंचांग के अनुसार जान लें चैत्र नवरात्रि घटस्थापना करने के दौरान कौन-कौन सी सामग्री की जरूरत होती है और घटस्थापना करने की संपूर्ण विधि क्या है. साथ ही पंचोपचार पूजा और घटस्थापना का शुभ मुहूर्त नोट कर लें. जानें चैत्र नवरात्रि 2023 कब है? चैत्र नवरात्रि सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथि की डेट क्या है जान लें.
चैत्र नवरात्रि 2023 तारीख
चैत्र नवरात्रि 2023 तिथि (Chaitra Navratri 2023 Tithi)
चैत्र नवरात्रि प्रथम दिन (22 मार्च 2023) - प्रतिपदा तिथि, मां शैलपुत्री पूजा, घटस्थापना
चैत्र नवरात्रि दूसरा दिन (23 मार्च 2023) - द्वितीया तिथि, मां ब्रह्मचारिणी पूजा
चैत्र नवरात्रि तीसरा दिन (24 मार्च 2023) - तृतीया तिथि, मां चंद्रघण्टा पूजा
चैत्र नवरात्रि चौथा दिन (25 मार्च 2023) - चतुर्थी तिथि, मां कुष्माण्डा पूजा
चैत्र नवरात्रि पांचवां दिन (26 मार्च 2023) - पंचमी तिथि, मां स्कंदमाता पूजा
चैत्र नवरात्रि छठा दिन (27 मार्च 2023) - षष्ठी तिथि, मां कात्यायनी पूजा
चैत्र नवरात्रि सातवां दिन (28 मार्च 2023) - सप्तमी तिथि, मां कालरात्री पूजा
चैत्र नवरात्रि आठवां दिन (29 मार्च 2023) - अष्टमी तिथि, मां महागौरी पूजा, महाष्टमी
चैत्र नवरात्रि नवां दिन (30 मार्च 2023) - नवमी तिथि, मां सिद्धीदात्री पूजा, दुर्गा महानवमी, राम नवमी (Ram Navami 2023 Date)
चैत्र नवरात्रि दसवां दिन - 10वें दिन नवरात्रि व्रत का पारण किया जाएगा
चैत्र नवरात्रि 2023 कलश स्थापना शुभ मुहूर्त (Chaitra Navratri Tithi, Ghatasthapana Muhurat)
चैत्र घटस्थापना बुधवार, मार्च 22, 2023 को
घटस्थापना मुहूर्त - 06:23 सुबह से 07:32 सुबह तक
अवधि - 01 घंटा 09 मिनट
घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि को आता है
घटस्थापना मुहूर्त द्वि-स्वभाव मीणा लग्न के दौरान आता है
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ - 21 मार्च 2023 को रात्रि 10:52 बजे
प्रतिपदा तिथि समाप्त - 22 मार्च 2023 को रात्रि 08:20 बजे
मीणा लग्न प्रारम्भ - 22 मार्च 2023 को 06:23 पूर्वाह्न
मीणा लग्न समाप्त - 22 मार्च 2023 को 07:32 सुबह
चैत्र नवरात्रि कलाश स्थापना संपूर्ण सामग्री (Chaitra Navratri Ghatasthapana Samagri)
सप्त धान्य बोने के लिए चौड़ा और खुला मिट्टी का घड़ा.
सप्त धान्य बोने के लिए स्वच्छ मिट्टी.
सप्त धान्य या सात अलग-अलग अनाज के बीज.
छोटी मिट्टी या पीतल का घड़ा.
कलश में भरने के लिए गंगा जल या पवित्र जल.
पवित्र धागा/मोली/कलया.
खुशबू (इत्र).
सुपारी.
कलश में डालने के लिए सिक्के.
अशोक या आम के पेड़ के 5 पत्ते.
कलश को ढकने के लिए एक ढक्कन.
ढक्कन में डालने के लिए अक्षत.
बिना छिले नारियल.
नारियल ताने के लिए लाल कपड़ा.
गेंदा फूल और माला.
दूर्वा घास.
कलश की तैयारी.
चैत्र नवरात्रि कलश स्थापना विधि (Chaitra Navratri Ghatasthapana Vidhi)
कलश की तैयारी
चैत्र नवरात्रि में देवी का आह्वान करने से पहले कलश तैयार किया जाता है.
स्टेप 1 - सबसे पहले मिट्टी का चौड़ा घड़ा (जिसका इस्तेमाल कलश रखने के लिए किया जाएगा) अनाज बोने के लिए लें. मिट्टी की पहली परत को गमले में फैलाएं और फिर अनाज के बीज फैलाएं. अब मिट्टी और अनाज की दूसरी परत डालें. दूसरी परत में अनाज को बर्तन की परिधि के पास फैला देना चाहिए. अब मिट्टी की तीसरी और आखिरी परत को गमले में फैला दें. यदि आवश्यक हो तो मिट्टी को सेट करने के लिए बर्तन में थोड़ा पानी डालें.
स्टेप 2 - अब पवित्र धागे को कलश के गले में बांध लें और इसे पवित्र जल से गले तक भर दें. पानी में सुपारी, गंध, दूर्वा घास, अक्षत और सिक्के डालें. कलश को ढकने से पहले अशोक के 5 पत्तों को कलश के किनारे पर रख दें.
स्टेप 3 - अब बिना छिलके वाला नारियल लें और उसे लाल कपड़े में लपेट दें. नारियल और लाल कपड़े को पवित्र धागे से बांधें.
अब स्टेप 2 में तैयार कलश के ऊपर नारियल रखें. अंत में स्टेप 1 में तैयार किए गए कलश को सेंटर में रखें. अब आपके पास देवी दुर्गा को आमंत्रित करने के लिए कलश तैयार है.
देवी दुर्गा का आह्वान करें
अब देवी दुर्गा का आह्वान करें और उनसे अनुरोध करें कि वे आपकी प्रार्थनाओं को स्वीकार करें और नौ दिनों तक कलश में निवास करके आपको आशीर्वाद दें.
पंचोपचार पूजा
जैसा कि नाम से पता चलता है, पंचोपचार पूजा (पंचोपचार पूजा) पांच पूजा वस्तुओं के साथ की जाती है. सबसे पहले कलश और उसमें बुलाए गए सभी देवताओं को दीपक दिखाएं. दीप चढ़ाने के बाद धूप की तीली जलाएं और कलश पर चढ़ाएं, उसके बाद फूल और सुगंध चढ़ाएं. अंत में पंचोपचार पूजा समाप्त करने के लिए कलश को नैवेद्य (नैवेद्य) यानी फल और मिठाई अर्पित करें.
Rang Panchami 2023: जानें किस देवता को चढ़ाए कौन सा रंग और पूजा का शुभ मुहूर्त
12 Mar, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Rang Panchami 2023: रंगों और उत्साह से भरा होली का त्योहार खत्म होने के पांच दिन बाद देशभर में रंग पंचमी मनाई जाती है।
हिंदू पंचांग के हिसाब से यह त्योहार फाल्गुन मास खत्म होने के बाद चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है।
रंगपंचमी देश के कई राज्यों में धूमधाम से मनाई जाती है लेकिन मध्य प्रदेश के इंदौर की रंगपंचमी देशभर में खूब प्रसिद्ध है। इस साल 12 मार्च, 2023, रविवार को रंग पंचमी मनाी जाएगी। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन देवी-देवता रंगों के त्योहार को मनाते हैं।
रंग पंचमी- रविवार, 12 मार्च, 2023
रंग पंचमी तिथि प्रारंभ- 10:05 रात 11 मार्च, 2023
रंग पंचमी तिथि समाप्त- 10:01 रात 12 मार्च, 2023
रंग पंचमी के दिन राधा-कृष्ण की पूजा का विशेष महत्व है। उन्हें अबीर और गुलाल अर्पित किया जाता है। सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, ये देवताओं की होली होती है इसलिए इस दिन आसमान में गुलाल और अबीर उड़ाया जाता है। माना जाता है कि लोग इस दिन भगवान को रंग अर्पित करते हैं और अपने जीवन में सुख की कामना करते हैं।
रंग पंचमी के दिन लोग आसमान में रंग-गुलाल उड़ाते हैं और जब वह रंग नीचे गिरता है तो इसे भगवान का आशीर्वाद माना जाता है और वातारण शुद्ध होता है। हालांकि, सिर्फ आसमान में ही रंग नहीं उठाते बल्कि इस दिन अपने भगवान के चरणों में भी आपको रंग अर्पित करना होता है।
आप चाहे तो किसी मंदिर में जाकर भगवान की पूजा कर सकते हैं या फिर अपने घर के मंदिर में ही भगवान के साथ रंग पंचमी मना सकते हैं। रंग पंचमी के दिन देवी-देवताओं को रंग-गुलाल अर्पित करते हुए आपको इस बात को विशेष ध्यान रखना है कि किसे कौन सा रंग प्रिय है।
अगर आप भगवान का पसंदीदा रंग उन्हें चढ़ाएंगे तो वह आपसे प्रसन्न हो जाएंगे। इस दिन भगवान श्री कृष्ण, श्री राम और विष्णु भगवान को पीला रंग अर्पित किया जाता है। आप भगवान को पीले वस्त्र पहना सकते हैं और पीले रंग भगवान के चरणों में अर्पित कर सकते हैं। इससे आपकी सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
वहीं, माता लक्ष्मी, बजरंगबली, सूर्य देवता और भैरव महाराज को लाल रंग अर्पित करें। इससे आपको धन की प्राप्ति होगी और जीवन से क्लेश दूर होगा। भगवान शनि देव को नीला रंग अति प्रिय है, ऐसे में आप उन्हें नीला रंग चढ़ा सकते हैं। शनि देव आपसे प्रसन्न होंगे और आपके बिगड़े काम बना देंगे।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (12 मार्च 2023)
12 Mar, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - विशेष कार्य स्थिगित रखे, अचानक घटना का शिकार होने से बचे, ध्यान रखें।
वृष राशि - सफलता के साधन जुटायें, समय की अनुकूलता से लाभ चिन्त कार्य बनेगें।
मिथुन राशि- अधिकारियों से लाभ, कार्य स्थगित रखें अन्यथा आरोप क्लेश सम्भव होगा।
कर्क राशि - विरोधी तत्व प्रबल होगे, परेशानी से बचिये, जल्दबाजी से कार्य वृत्ति में हानि हो।
सिंह राशि - भाग्य का सितारा प्रबल, धन का व्यय होवे तथा सुख वृद्धि कार्य वृद्धि होगी।
कन्या राशि - संतान से सुख एवं सम्पन्ता के योग बनेंगे। मान प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
तुला राशि - कार्य कुशलता से संतोष होगा, बिगड़े कार्य बनेगे, कष्टप्रद मित्रों से परेशानी हो।
वृश्चिक राशि - सामाजिक कार्यो में मान प्रतिष्ठ बढ़ेगी, कुटुम्ब की समाचारों की जटिल प्रबल्ता।
धनु राशि - स्त्री कष्ट होगा, धन नष्ट न होवे तथा समस्याओं से बचे, कार्य होगा।
मकर राशि- मनोबल उत्साह वर्धक रहेगा। कार्य कुशलाता से संतोष बना ही रहेगा। ध्यान दें।
कुंभ राशि - व्यय भार, विवाद चिंता लाभ, विरोधी असफल अवश्य ही होंगे, ध्यान दें।
मीन राशि- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष बनेगे तथा अत्यन्त चिन्ता बने।
शनिवार के दिन करें ये उपाय, आर्थिक स्थिति होगी मजबूत
11 Mar, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हफ्ते का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित किया गया है वही शनिवार का दिन भगवान श्री शनिदेव की पूजा के लिए श्रेष्ठ बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन कर्मों के दाता शनि देव की आराधना करने से सभी प्रकार के कष्टों का अंत हो जाता है।
शनि महाराज प्रसन्न होकर अपनी कृपा भी बरसते है लेकिन इसके साथ ही अगर शनिवार के दिन कुछ उपायों को किया जाए तो अधिक लाभ मिलता है और आर्थिक स्थिति में भी सुधार होने लगता है, तो आज हम आपके लिए लेकर आए है शनिवार से जुड़े उपाय।
शनिवार को करें ये उपाय-
ज्योतिष अनुसार अगर घर में काला कुत्ता पाला जाए तो इससे नकारात्मकता हमेशा ही घर परिवार से दूर हरती है,सदस्यों को किसी प्रकार की बुरी नजर या टोने टोटके का असर भी नहीं होता है ऐसे में आप काले कुत्ते को घर में पाल सकते है। ऐसा माना जाता है कि काले कुत्ते पर शनि और राहु केतु के ग्रहों का प्रभाव होता है ऐसे में अगर इसे घर में पाला जाए ये ग्रह हमेशा शांत रहते है और कोई अशुभ प्रभाव नहीं छोड़ते है।
कहा जाता है कि काले कुत्ते की सेवा करने और उसे रोटी खिलाने से शनि महाराज प्रसन्न होकर कृपा करते है और शनि प्रकोप से भी राहत मिल जाती है। अगर आप शनि महाराज को प्रसन्न करना चाहते है तो ऐसे में इस उपाय को आजमा सकते है। शनि दोष को दूर करने के लिए आप शनिवार के दिन काले कुत्ते को सरसों के तेल में चुपड़ी हुई रोटी खिलाएं। इस उपाय को करने से शनि दोष तो दूर हो जाता ही है साथ ही साथ आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है।
रोज सुबह उठते ही करें ये 5 काम, पैसा और सेहत के साथ सुख-समृद्धि भी मिलेगी
11 Mar, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Astrology Tips: रोज सुबह उठकर 5 काम करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है साथ ही साथ पैसों से जुड़ी समस्या भी दूर होती है। ये काम बहुत आसान हैं, जिन्हें कोई भी कर सकता है।
हिंदू धर्म में अनेक परंपराएं बनाई गई हैं। हालांकि बदलते समय के साथ इन परंपराओं में परिवर्तन होता जा रहा है, वहीं कुछ परंपराएं खत्म भी होती जा रही है। (Astrology Tips) पुरातन समय में ये परंपराएं हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा हुआ करती थी। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, रोज सुबह उठते ही यदि कुछ विशेष काम किए जाएं तो दिन भर अच्छा गुजरता है और इसके सुखद परिणाम भी प्राप्त होते हैं। ये काम बहुत ही आसान हैं, जिन्हें कोई भी कर सकता है। आगे जानिए सुबह उठते ही कौन-से 5 काम करना चाहिए.
रोज सुबह उठते ही बिस्तर पर बैठे-बेठे ही सबसे पहले अपने दोनों हाथों को पहले नमस्कार की मुद्रा में जोड़ें और फिर इन्हें पुस्तक की तरह खोल लें। अपनी हथेलियों के दर्शन करें और ये मंत्र बोलें-
कराग्रे वसते लक्ष्मी: करमध्ये सरस्वती।
कर मूले स्थितो ब्रह्मा प्रभाते कर दर्शनम्॥
अर्थात- (मेरे) हाथ के अग्रभाग में लक्ष्मी का, मध्य में सरस्वती का और मूल भाग में ब्रह्मा का निवास है।
ये काम रोज सुबह करने से सुख-समृद्धि के साथ-साथ धन लाभ भी होता है।
सुबह उठकर अपनी ईष्ट देवता का ध्यान रखें और अपनी गलतियों के क्षमा मांगे, साथ ही ये भी प्रार्थना करें कि आपका आज का दिन शुभ हो। किसी तरह के कोई परेशानी आपके जीवन में न आए। इस तरह ईश्वर से प्रार्थना करने से आपका जीवन सुखमय बना रहता है और देवताओं की कृपा भी आपके ऊपर बनी रहेगी।
रोज सुबह जब आप उठें तो धरती माता को प्रणाम करें, क्योंकि धर्म ग्रंथों में धरती को पूजनीय और देवी स्वरूपा कहा गया है। धरती पर पैर रखने से इसका अपमान होता है। इसलिए धरती पर पैर रखने से पहले इसे प्रणाम करें और ये मंत्र बोलें-
समुद्रवसने देवि पर्वतस्तनमण्डले।
विष्णुपंत्नि नमस्तुभ्यं पादस्पर्शं क्षमस्वमे ॥
अर्थ- हे समुद्र और पर्वतों की देवी, भगवान विष्णु की पत्नी मैं तुझे प्रणाम करता हूं। तू मेरे सभी पापों को क्षमा कर।
सुबह उठते ही पानी जरूर पीएं। संभव हो तो रात को एक तांबे के लोट में पानी भरकर रख दें और सुबह उठते ही इसे पी जाएं। इससे 2 फायदे होंगे, एक तो आपकी सेहत ठीक रहेगी और दूसरा तांबे के लोटे से जल पीने से सूर्य से संबंधित दोष भी दूर होंगे और जीवन में मान-सम्मान की प्राप्ति होगी।
रोज सुबह उठते ही कोई शुभ चिह्न जैसे अपने धर्म गुरु की तस्वीर या ईष्टदेव की तस्वीर देखें। ये तस्वीरें आपके मोबाइल में भी हो सकती हैं। इसके अलावा तुलसी, पीपल आदि की फोटो भी देख सकते हैं। ये सभी लकी चार्म की तरह होते है जो आपके जीवन में सकारात्मकता लाते हैं।
आज है चैत्र मास का संकष्टी चतुर्थी, ऐसे करें शनिदेव और गणेश जी की पूजा
11 Mar, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Sankashti Chaturthi March 2023: धर्म ग्रंथों के अनुसार, प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi March 2023) व्रत किया जाता है. आज 11 मार्च 2023, शनिवार, के दिन चैत्र मास की संकष्टी चतुर्थी मनाई जा रही है. संकष्टी चतुर्थी के दिन इसकी कथा सुनने से भी भगवान गणेश प्रसन्न होते हैं.
शनिदेव और गणेश जी की इस विधि से करें पूजा- आज 11 मार्च दिन शनिवार को भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी का पर्व पड़ा है जिसे चैत्र संकष्टी चतुर्थी भी कहते हैं. इस दिन भगवान गणेश के साथ-साथ आप शनिदेव की पूजा भी कर सकते हैं. शनिदेव के प्रकोप से इंसान अपने जीवन में संकटों से घिर जाता है और गणेश भगवान की पूजा करने से संकट दूर होता है. इस संयोग में अगर आप दोनों की साथ में पूजा करेंगे तो कृपा विशेष रूप से होती है. शनि देव को प्रसन्न करने के लिए आपको उनके मंदिर में जाकर तेल से दीपक जलाकर उसमें तिल के दाने डालकर शनि देव को अर्पित करें और चालिसा पढ़कर आरती करें. इसके साथ ही भगवान गणेश जी को लड्डू का भोग लगाकर उनकी भी पूजा चालिसा और आरती के साथ करें.
संकष्टी चतुर्थी 2023 का महत्व
संकष्टी चतुर्थी का व्रत पश्चिमी व दक्षिणी भारत में और विशेषकर महाराष्ट्र तमिलनाडु में बेहद प्रचलित है. इस खास दिन भगवान गणेश जी के भक्त सूर्योदय से चंद्रोदय तक व्रत रखते हैं. शिवपुराण के अनुसार, हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने व भगवान गणेश जी की विधि विधान से पूजा करने से एक पक्ष के पापों का नाश होता है और एक पक्ष तक उत्तम भोग रूपी फल मिलता है। इस दिन महिलाएं अपनी संतान के उज्ज्वल भविष्य और दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत भी करती हैं.
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
इस दिन प्रातः काल सूर्योदय से पहले उठ जाएं। स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प लें.
व्रत करने वाले लोग इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करें. यह बेहद शुभ माना जाता है. यह भी कहा जाता है कि ऐसा करने से व्रत सफल होता है.
भगवान गणपति जी की पूजा करते समय दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए.
गणपति की मूर्ति को फूलों और मालाओं से अच्छी तरह से सजा लें.
पूजा में आप तिल, गुड़, लड्डू, फूल, तांबे के कलश में पानी, धूप, चन्दन, प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रखें.
गणपति बप्पा को रोली लगाएं, फूल और जल अर्पित करें और तिल के लड्डू और मोदक का भोग लगाएं.
गणपति के सामने धूप व दीप जला कर इस मंत्र का जाप करें
गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।
किस परंपरा का आधुनिक रूप है बेबी शावर, बच्चे के लिए ये क्यों जरूरी है
11 Mar, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Simantonnayana Sanskar: हिंदू धर्म में 16 संस्कार निभाए जाते हैं। इनमें से कुछ संस्कार तो मां के गर्भ में ही पूरे कर लिए जाते हैं। ऐसा ही एक संस्कार है सीमन्तोन्नयन, जिसे वर्तमान में गोदभराई और बेबी शावर के नाम से जाना जाता है।
कुछ समय पहले तो जो परंपरा गोदभराई (Godbharai Tradition) के नाम से जानी जाती है, उसे अब बेवी शावर (Baby Shower) कहा जाने लगा है। इस परंपरा का नाम भले ही बदल गया है, लेकिन ये आज भी हिंदुओं के 16 संस्कारों में से एक है। धर्म ग्रंथों में इस संस्कार का नाम सीमन्तोन्नयन (Simantonnayana Sanskar) बताया गया है। मां के गर्भ में रहते हुए ही शिशु से संबंधित ये संस्कार पूरा कर लिया जाता है। ये संस्कार क्यों करते हैं, इसके क्या फायदे होते हैं?
हिंदू धर्म के अनुसार, सीमन्तोन्नयन संस्कार गर्भकाल के 7वे या 8वें महीने में किया जाता है। तक तक शिशु के शरीर का पूरा विकास हो चुका होता है और वह हिलने-डुलने लगता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस समय तक गर्भस्थ शिशु में सोचने की क्षमता भी विकसित हो चुकी होती है और वह अपने आस-पास हो रही घटनाओं को महूसस कर सकता है और बातों को सुन सकता है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, इस संस्कार के करने से गर्भस्थ शिशु को बल मिलता है। इस दौरान अनेक मंत्रों द्वारा गर्भ में पल रहे बच्चे को संस्कारित किया जाता है। ऐसा करने से उस बालक को ग्रहों की अनुकूलता मिलती है और यदि कोई अशुभ योग बन रहा होता है तो उसका प्रभाव भी खत्म हो जाता है। पुरातन समय में यह संस्कार गर्भस्थ शिशु के लिए बहुत ही आवश्यक माना जाता था।
गर्भकाल के 8वें महीने से परंपरा अनुसार, माता को धर्म ग्रंथ पढ़ने या मंत्र जाप करने के लिए कहा जाता है। या फिर कोई और गर्भवती महिला को पास बैठाकर ग्रंथों का पाठ कर उसे सुनाता है। मान्यता है कि इस समय माता जो कुछ सुनती है, वो आवाज गर्भस्थ शिशु तक भी पहुंचती है। गर्भ में पल रहा संस्कारवान हो, इसके लिए सीमन्तोन्नयन संस्कार के बाद गर्भवती महिलाओं को धार्मिक आचरण करने पर बल दिया जाता है।
धर्म ग्रंथों के अनुसार, जब भक्त प्रह्लाद अपनी माता के गर्भ में थे, उसी दौरान वे भगवान विष्णु का निरंतर ध्यान करती रहती थी, इसी के फल स्वरूप प्रह्लाद जन्म से ही भगवान विष्णु का परम भक्त था। ऐसी ही एक घटना महाभारत काल में हुई, जब भगवान श्रीकृष्ण अपनी बहन सुभद्रा को चक्रव्यूह में घुसने का तरीका बता रहे हैं तो उस दौरान उनके गर्भ में पल रहे अभिमन्यु ने भी ये विधा सीख ली थी।
जब सीमन्तोन्नयन संस्कार किया जाता है, जिसे गोदभराई भी कहते हैं के दौरान गर्भवती महिला को कुछ खास चीजें दी जाती हैं जैसे काजू, बादाम, खोपरा आदि। इसके पीछे ये अर्थ रहता है कि माता जब ये चीजें खाएगी तो इसका शुभ प्रभाव गर्भ में पल रहे शिशु पर भी होगा और उसे पर्याप्त पोषण मिलेगा।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (11 मार्च 2023)
11 Mar, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- अपने आय पर नियंत्रण रखे, चिन्ता विभ्रम तथा अशांति से बचे, रुके कार्य बनेंगे।
वृष राशि :- कोई शुभ समाचार हर्ष प्रद रखे थकावट बेचैनी तथा धन का व्यय, अवश्य होगा।
मिथुन राशि :- शुभ समाचार से हर्ष तो होगा, किन्तु भावना उत्तेजित होगी, मानसिक कष्ट होगा।
कर्क राशि :- दैनिक कार्य वृत्ति में सुधार हो एवं कार्ययोजनाएं फलीभूत होगी, मित्र मिलन होवे।
सिंह राशि- असमंजस क्लेशप्रद रखे, झूठे आश्वासनों पर विश्वास न करें, समय का ध्यान रखे।
कन्या राशि :- दैनिक व्यवसाय गति अनुकूल, स्त्रीवर्ग से हर्ष उल्लास, लाभ होगा, ध्यान रखे।
तुला राशि :- समय पर सोचे हुए कार्य पूर्ण होंगे, बौद्धिक विकास की क्षमता से वृद्धि अवश्य होगी।
वृश्चिक राशि :- अनायास तनाव, क्लेश, हानि उपद्रव विरोधी से विवादास्पद स्थिति बनेगी।
धनु राशि :- समय की अनुकूलता से लाभान्वित होंगे, रुके समाचार मिलने से खुशी होगी।
मकर राशि Š- स्त्री शरीर कष्ट, स्त्री से सुखवर्धक, कुटुम्ब में सुख के योग बनेंगे, सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़े।
कुंभ राशि Š- कार्यकुशलता से संतोष, परेशानी व चिन्ताजनक स्थिति बनेगी, ध्यान रखे।
मीन राशि Š- स्थिति में सुधार होगा, व्यवसाय अनुकूल, अधिकारी सहयोग करेगे।
जीवन रेखा पर क्रॉस का निशान हो तो क्या होता है, क्या ये मौत का संकेत है?
10 Mar, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हमारी हथेली पर कई रेखाएं हैं, लेकिन इन सभी में जीवन रेखा यानी लाइफ लाइन का सबसे अधिक महत्व है क्योंकि इसी रेखा का आधार पर जीवन में उतार-चढ़ाव और मृत्यु व बीमारियों के संकेत मिलते हैं।
हस्तरेखा शास्त्र (Palmistry) में हथेली की हर रेखा का सूक्ष्मता से अध्ययन किया जाता है। जीवन रेखा हमारी हथेली की सबसे बड़ी रेखा होता है। ये रेखा इसलिए भी खास है क्योंकि इसी रेखा से जीवन के उतार-चढ़ाव, बीमारी और मृत्यु आदि के बारे में पता लगाया जा सकता है। ये रेखा तर्जनी उंगली के कुछ नीचे से शुरू होकर शुक्र पर्वत को घेरते हुए मणिबंध पर जाकर खत्म होती है। एशियानेट हिंदी ने अपने पाठकों के लिए हस्तरेखा (know future from palm line) की एक सीरीज शुरू की है, हस्तरेखा से जानें भविष्य। इस सीरीज के अंतर्गत पहले हम आपको हथेली कई कई रेखाओं के बारे में बता चुके हैं। आज हम आपको जीवन रेखा के बारे में बताएंगे, जिसे Life Line कहा जाता है.
यदि हाथ की जीवन रेखा छोटे-छोटे बारीक टुकड़ों में विभाजित हो तो व्यक्ति का स्वभाव काफी चिड़चिड़ा होता है और उसकी सेहत भी ठीक नहीं रहती। यदि ऐसी जीवन रेखा शुरू होकर अंत तक आते-आते पतली हो जाए तो ऐसा व्यक्ति अपने जीवन काल में कई गंभीर बीमारियों से परेशान रहता है। कई बार ऐसा व्यक्ति इतना कमजोर हो जाता है कि दैनिक कार्य भी नहीं कर पाता।
लगातार चौड़ी होती हुई और टूट-टूट कर आगे बढ़ती जीवनरेखा व्यक्ति को आलसी बनाती है। ऐसा नहीं कि ऐसे व्यक्ति जन्म से ही आलसी होता है, लेकिन उसके शरीर की सरंचना ही ऐसी हो जाती है कि वे ज्यादा काम नहीं कर पाते हैं और आलसी हो जाते हैं। ऐसे लोग यदि कोई मेहनत का काम करें तो इनकी सेहत भी बिगड़ सकती है। ऐसे लोग निराशावादी भी होते हैं।
कई बार व्यक्ति के हाथ की जीवन रेखा थोड़ी आगे जाकर दो शाखाओं में बंट जाती है। कई बार ये दो रेखाओं का भ्रम भी उत्पन्न कर देती है। ऐसी जीवन रेखा शुभ नहीं मानी गई है। अतिरिक्त जीवन रेखा मुख्य जीवन रेखा की शक्ति को कमजोर करती है। क्योंकि जीवनशक्ति विद्युत प्रवाह का दो धाराओं में बहना कोई शुभ संकेत नहीं है। ऐसे लोगों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
यदि किसी व्यक्ति के हाथ की जीवनरेखा के अन्त में क्रॉस का निशान हो तो ऐसे व्यक्ति की मृत्यु घटना-दुर्घटना में यानी अचानक होती है। हथेली में ये निशान जितना गहरा और स्पष्ट होता है, मृत्यु की संभावना भी उतनी अधिक होती है। यदि एक आड़ी रेखा आकर जीवनरेखा को रोक दे तो यह भी तत्काल मृत्यु का ही संकेत है। ऐसे निशानों को बहुत ही अशुभ माना गया है।
जीवन रेखा पर डबल क्रॉस का निशान जीवन शक्ति के प्रवाह में भंयकर रूकावट का संकेत है। जीवनरेखा पर जिस स्थान पर क्रॉस के निशान दिखाई देंगे, उसी जगह की समकक्ष आयु में आपको शनि रेखा या सूर्य रेखा पर भी कुछ- कुछ चिह्न अवश्य होते हैं। ऐसे निशान आकस्मिक बीमारी या दुर्घटना के बारे में संकेत देते हैं। ये निशान हमेशा अशुभ फल ही प्रदान करते हैं।
लेखक परिचय
राजेन्द्र गुप्ता (Rajendra Gupta Astrologer) ज्योतिष जगत में एक जाना-पहचाना नाम है। आप वर्तमान में अजमेर (राजस्थान) में रहकर हस्तरेखा विषय पर निरंतर शोधपरक कार्य कर रहे हैं। आपने एम.ए. दर्शनशास्त्र में स्वर्णपदक प्राप्त किया है। साथ ही इतिहास और राजनीति शास्त्र विषयों पर भी आपने एम. ए. किया है। साहित्यागार प्रकाशन जयपुर से हिंदी व्याकरण पर आपकी तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। रेडियो-टीवी पर भी आपकी कई खोजपरक रिपोर्ट और वार्ताएं प्रसारित हो चुकी हैं।
शीतला सप्तमी-अष्टमी 2023 कब है? जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, कथा, उपाय और मंत्र
10 Mar, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस वर्ष जहां 12 मार्च को रंगपंचमी है, वहीं उसके बाद आने वाली चैत्र मास की कृष्ण पक्ष की सप्तमी-अष्टमी तिथि पर शीतला माता का खास पर्व शीतला सप्तमी-अष्टमी मनाया जाएगा। यह दिन पुत्रवती माताओं के लिए बहुत खास हैं, क्योंकि महिलाएं अपने पुत्र की लंबी आयु और अच्छी सेहत के लिए यह व्रत करती है।
मान्यता के अनुसार शीतला माता देवी भगवती दुर्गा का ही एक रूप है। अत: इनका पूजन करते हुए इस दिन माताएं ठंडा या बासी खाने का भोग लगाकर खुद भी यह ग्रहण करती है। शीतला सप्तमी तथा अष्टमी के एक दिन पूर्व ही कई प्रकार के पकवान माता शीतला को भोग लगाने के लिए तैयार करके अष्टमी के दिन उन्हें इन्हीं बासी पकवान को नैवेद्य के रूप में देवी शीतला माता को समर्पित किए जाते हैं।
आइए जानते हैं मुहूर्त, पूजा की विधि, उपाय तथा मंत्र के बारे में-
शीतला सप्तमी-अष्टमी 2023 के शुभ मुहूर्त- shitala mata puja shubh muhurt
शीतला सप्तमी पूजा का समय एवं शुभ मुहूर्त-
शीतला सप्तमी 14 मार्च 2023, मंगलवार को
शीतला सप्तमी तिथि का प्रारंभ- 13 मार्च 2023 को 09.27 पी एम से
सप्तमी तिथि का समापन- 14 मार्च 2023 को 08.22 पी एम पर।
शीतला सप्तमी पर पूजन का शुभ मुहूर्त- 06.33 ए एम से 06.29 पी एम तक
कुल अवधि- 11 घंटे 56 मिनट्स
मार्च 14, 2023, मंगलवार : दिन का चौघड़िया
चर- 09.32 ए एम से 11.01 ए एम
लाभ- 11.01 ए एम से 12.31 पी एम
अमृत- 12.31 पी एम से 02.00 पी एम
शुभ- 03.30 पी एम से 04.59 पी एम
रात का चौघड़िया :
लाभ- 07.59 पी एम से 09.29 पी एम
शुभ- 11.00 पी एम से 15 मार्च को 12.30 ए एम तक।
अमृत- 12.30 ए एम से 15 मार्च को 02.00 ए एम तक।
चर- 02.00 ए एम से 15 मार्च को 03.31 ए एम तक।
शीतला अष्टमी 15 मार्च 2023, दिन बुधवार : Sheetala Ashtami 2023 Kab hai
शीतला अष्टमी पूजा का शुभ समय- 06.31 ए एम से 06.29 पी एम तक।
पूजन की कुछ अवधि- 11 घंटे 58 मिनट्स
चैत्र कृष्ण अष्टमी तिथि का प्रारंभ- 14 मार्च 2023 को 08.22 पी एम से
अष्टमी तिथि का समापन- 15 मार्च 2023 को 06.45 पी एम पर।
15 मार्च 2023, बुधवार : दिन का चौघड़िया
लाभ- 06.31 ए एम से 08.01 ए एम
अमृत- 08.01 ए एम से 09.31 ए एम
शुभ- 11.01 ए एम से 12.30 पी एम
चर- 03.30 पी एम से 04.59 पी एम
लाभ- 04.59 पी एम से 06.29 पी एम
15 मार्च रात का चौघड़िया :
शुभ- 07.59 पी एम से 09.29 पी एम
अमृत- 09.29 पी एम से 11.00 पी एम
चर- 11.00 पी एम से 16 मार्च को 12.30 ए एम,
लाभ- 03.30 ए एम से 16 मार्च को 05.00 ए एम तक।
पूजा विधि-Goddess Sheetala Puja VIdhi
- शीतला सप्तमी-अष्टमी के दिन अलसुबह जलदी उठकर माता शीतला का ध्यान करें।
- शीतला सप्तमी के दिन व्रती को प्रातः कर्मों से निवृत्त होकर स्वच्छ व शीतल जल से स्नान करना चाहिए।
- स्नान के पश्चात निम्न मंत्र से संकल्प लेना चाहिए-
'मम गेहे शीतलारोगजनितोपद्रव प्रशमन पूर्वकायुरारोग्यैश्वर्याभिवृद्धिये शीतलाष्टमी व्रतं करिष्ये'
- संकल्प के पश्चात विधि-विधान तथा सुगंधयुक्त गंध व पुष्प आदि से माता शीतला का पूजन करें।
- सप्तमी के दिन महिलाएं मीठे चावल, हल्दी, चने की दाल और लोटे में पानी लेकर पूजा करती हैं।
- पूजन का मंत्र- 'हृं श्रीं शीतलायै नम:' का निरंतर उच्चारण करें।
- माता शीतला को जल अर्पित करें और उसकी कुछ बूंदे अपने ऊपर भी डालें। जो जल चढ़ाएं और चढ़ाने के बाद जो जल बहता है, उसमें से थोड़ा जल लोटे में डाल लें। यह जल पवित्र होता है। इसे घर के सभी सदस्य आंखों पर लगाएं। थोड़ा जल घर के हर हिस्से में छिड़कना चाहिए। इससे घर की शुद्धि होती है।
- इसके पश्चात एक दिन पहले बनाए हुए (बासी) खाद्य पदार्थों, मेवे, मिठाई, पूआ, पूरी, दाल-भात आदि का भोग लगाएं। ज्ञात हो कि शीतला सप्तमी के व्रत के दिन घरों में ताजा भोजन नहीं बनता है। अत: भक्त इस दिन एक दिन पहले बने भोजन को ही खाते हैं और उसी को मां शीतला को अर्पित करते हैं।
- तत्पश्चात शीतला स्तोत्र का पाठ करें और कथा सुनें।
- कथा पढ़ने के बाद माता शीतला को भी मीठे चावलों का भोग लगाएं।
- रोगों को दूर करने वाली मां शीतला का वास वट वृक्ष में माना जाता है, अतः इस दिन वट पूजन भी भी करना चाहिए।
- कई स्थानों पर शीतला सप्तमी को लोग गुड़ और चावल का बने पकवान का भोग लगाते हैं। पूजा करने के बाद गुड़ और चावल का प्रसाद का वितरण भी किया जाता है। जिस घर में सप्तमी-अष्टमी तिथि को शीतला सप्तमी-अष्टमी व्रत का पालन किया जाता है, वहां घर में सुख, शांति बनी रहती है तथा रोगों से मुक्ति निजात भी मिलती है।
- इसी तरह चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भी देवी मां शीतला की पूजा करने का विधान है।
कथा : Goddess Sheetala Katha
शीतला माता के पूजन संबंधी पौराणिक कथा के अनुसार एक बार एक राजा के इकलौते पुत्र को शीतला (चेचक) निकली। उसी के राज्य में एक काछी-पुत्र को भी शीतला निकली हुई थी। काछी परिवार बहुत गरीब था, पर भगवती का उपासक था। वह धार्मिक दृष्टि से जरूरी समझे जाने वाले सभी नियमों को बीमारी के दौरान भी भली-भांति निभाता रहा।
घर में साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखा जाता था। नियम से भगवती की पूजा होती थी। नमक खाने पर पाबंदी थी। सब्जी में न तो छौंक लगता था और न कोई वस्तु भुनी-तली जाती थी। गरम वस्तु न वह स्वयं खाता, न शीतला वाले लड़के को देता था। ऐसा करने से उसका पुत्र शीघ्र ही ठीक हो गया।
उधर जब से राजा के लड़के को शीतला का प्रकोप हुआ था, तब से उसने भगवती के मंडप में शतचंडी का पाठ शुरू करवा रखा था। रोज हवन व बलिदान होते थे। राजपुरोहित भी सदा भगवती के पूजन में निमग्न रहते। राजमहल में रोज कड़ाही चढ़ती, विविध प्रकार के गर्म स्वादिष्ट भोजन बनते। सब्जी के साथ कई प्रकार के मांस भी पकते थे। इसका परिणाम यह होता कि उन लजीज भोजनों की गंध से राजकुमार का मन मचल उठता। वह भोजन के लिए जिद करता। एक तो राजपुत्र और दूसरे इकलौता, इस कारण उसकी अनुचित जिद भी पूरी कर दी जाती।
इस पर शीतला का कोप घटने के बजाय बढ़ने लगा। शीतला के साथ-साथ उसे बड़े-बड़े फोड़े भी निकलने लगे, जिनमें खुजली व जलन अधिक होती थी। शीतला की शांति के लिए राजा जितने भी उपाय करता, शीतला का प्रकोप उतना ही बढ़ता जाता। क्योंकि अज्ञानतावश राजा के यहां सभी कार्य उलटे हो रहे थे। इससे राजा और अधिक परेशान हो उठा। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि इतना सब होने के बाद भी शीतला का प्रकोप शांत क्यों नहीं हो रहा है।
एक दिन राजा के गुप्तचरों ने उन्हें बताया कि काछी-पुत्र को भी शीतला निकली थी, पर वह बिलकुल ठीक हो गया है। यह जानकर राजा सोच में पड़ गया कि मैं शीतला की इतनी सेवा कर रहा हूं, पूजा व अनुष्ठान में कोई कमी नहीं, पर मेरा पुत्र अधिक रोगी होता जा रहा है जबकि काछी पुत्र बिना सेवा-पूजा के ही ठीक हो गया। इसी सोच में उसे नींद आ गई।
श्वेत वस्त्र धारिणी भगवती ने उसे स्वप्न में दर्शन देकर कहा- 'हे राजन्! मैं तुम्हारी सेवा-अर्चना से प्रसन्न हूं। इसीलिए आज भी तुम्हारा पुत्र जीवित है। इसके ठीक न होने का कारण यह है कि तुमने शीतला के समय पालन करने योग्य नियमों का उल्लंघन किया। तुम्हें ऐसी हालत में नमक का प्रयोग बंद करना चाहिए। नमक से रोगी के फोड़ों में खुजली होती है।
घर की सब्जियों में छौंक नहीं लगाना चाहिए क्योंकि इसकी गंध से रोगी का मन उन वस्तुओं को खाने के लिए ललचाता है। रोगी का किसी के पास आना-जाना मना है क्योंकि यह रोग औरों को भी होने का भय रहता है। अतः इन नियमों का पालन कर, तेरा पुत्र अवश्य ही ठीक हो जाएगा।' विधि समझाकर देवी अंतर्ध्यान हो गईं। प्रातः से ही राजा ने देवी की आज्ञानुसार सभी कार्यों की व्यवस्था कर दी।
इससे राजकुमार की सेहत पर अनुकूल प्रभाव पड़ा और वह शीघ्र ही ठीक हो गया। इसी दिन भगवान श्री कृष्ण और माता देवकी का विधिवत पूजन करके मध्यकाल में सात्विक पदार्थों का भोग लगाने की मान्यता है। इस तरह पूजन एवं कथा वाचन से पुण्य की प्राप्ति तथा कष्टों का निवारण होता है।
उपाय : Sheetala Mata Ke Upay
- शीतला सप्तमी का व्रत और पूजन अच्छी सेहत खुशियां देने वाला माना जाता है।
- मां शीतला का पूजन जीवन में सभी तरह के ताप से बचने के लिए सर्वोत्तम उपाय माना जाता है।
- शीतला सप्तमी तथा अष्टमी व्रत दुर्गंधयुक्त फोड़े, नेत्र रोग तथा शीतलाजनिक रोगों से मुक्ति के लिए बहुत फलदायी। अत: इस दिन माता का शीतल जल से अभिषेक-पूजन करने से देवी शीतला प्रसन्न होकर स्वस्थ रहने का वरदान देती है।
- शीतला सप्तमी-अष्टमी के दिन माता शीतला को जल अर्पित करके उसकी कुछ बूंदे अपने ऊपर डालना चाहिए, इस उपाय से शरीर की गर्मी दूर होकर माता का आशीष मिलता है।
माता शीतला को ठंडी चीजों का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण करने से जीवन खुशहाल बनता है।
मंत्र : Goddess Sheetala Mantra
- 'हृं श्रीं शीतलायै नम:'
- 'ॐ ह्रीं श्रीं शीतलायै नम:'
-'शीतले त्वं जगन्माता, शीतले त्वं जगत् पिता।
शीतले त्वं जगद्धात्री, शीतलायै नमो नमः'।
- 'वन्देऽहं शीतलां देवीं रासभस्थां दिगम्बरराम्,
मार्जनीकलशोपेतां शूर्पालंकृतमस्तकाम्।'
- अर्थात् मैं गर्दभ पर विराजमान, दिगंबरा, हाथ में झाडू तथा कलश धारण करने वाली, सूप से अलंकृत मस्तक वाली भगवती शीतला की वंदना करता/करती हूं।