धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
कब है हरियाली तीज 19 या 20 अगस्त, जानें सही तारिख, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त
5 Aug, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सावन मास में कई त्योहार मनाए जाते हैं. इन्हीं त्योहारों में से एक हरियाली तीज भी है. इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं. हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष के तीसरे दिन करती हैं.
साल 2023 में सावन शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 19 अगस्त दिन शनिवार को है. इस बार हरियाली तीज का त्योहार 19 अगस्त को मनाया जाएगा. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और पूरे सोलह श्रृंगार कर शिव-गौरी की पूजा करती हैं. इसके अलावा कुंवारी कन्याओं के इस दिन व्रत रखने पर मनचाहे जीवनसाथी की प्राप्ति होती है. हरियाली तीज की पूजा के लिए सोलह श्रृंगार का बहुत ज्यादा महत्व होता है.
कब है हरियाली तीज (Hariyali Teej)
हरियाली तीज का व्रत हर वर्ष सावन मास में शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि को रखा जाता है. इस वर्ष शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 18 अगस्त की रात 8 बजकर 1 मिनट से शुरु हो रही है और यह 19 अगस्त की रात 10 बजकर 19 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. उदयातिथि के अनुसार, हरियाली तीज 19 अगस्त 2023 दिन शनिवार को ही मनाई जाएगी. इस दिन रवि योग का निर्माण भी होने जा रहा है. रवि योग की शुरुआत 19 अगस्त की रात 1 बजकर 47 मिनट पर होगी और समापन 20 अगस्त सुबह 5 बजकर 53 मिनट पर होगा.
हरियाली तीज व्रत नियम और पूजा विधि (Hariyali Teej Vidhi)
हरियाली तीज व्रत के दिन सबसे पहले सुबह ब्रह्म मुहूर्त में जग कर स्नान करें और हरे रंग के वस्त्र धारण करें.
इसके बाद पूजा घर को अच्छे से साफ-सुथरा कर लें.
पूजा घर में चौकी रखें और इस पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं.
वस्त्र बिछाने के बाद माता पार्वती, भगवान शिव और गणेश की मिट्टी की मुर्ति बनाकर स्थापित करें.
चौकी के दाहिनी तरफ घी के दीपक जलाएं
माता पार्वती, भगवान शिव और गणेश की मुर्ति पर रोली और अक्षत का तिलक लगाएं.
इसके बाद भगवान शिव को धतूरा, चंदन और सफेद रंग के फूल और माता पार्वती को श्रृंगार की समाग्री अर्पित करें.
इसके बाद भगवान भोलेनाथ और देवी पार्वती को भोग अर्पित लगाएं.
भोग लगाने के बाद धूप जलाकर हरियाली तीज व्रत कथा पढ़ें.
कथा समाप्त होने के बाद आरती कर पूजा का समापन करें.
हरियाली तीज की पूजा सामग्री
हरियाली तीज की पूजा के लिए सबसे पहले मां पार्वती और शिवजी की मूर्ति रखें. इसके साथ ही एक चौकी भी तैयार करें. वहीं पूजा सामग्री के लिए आप पीला वस्त्र, कच्चा सूत, नए वस्त्र, केला के पत्ते, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, जनेऊ, जटा नारियल, सुपारी, कलश, अक्षत या चावल, दूर्वा घास, घी, कपूर, अबीर-गुलाल, श्रीफल, चंदन, गाय का दूध, गंगाजल, दही, मिश्री, शहद, पंचामृत रखें.
मां पार्वती को चढ़ाएं ये चीजें
हरियाली तीज के दिन खुद श्रृंगार करें. इसके साथ ही मां पार्वती को भी सुहाग की सामग्री चढ़ाएं. मां पार्वती को सुहाग का सामान अर्पित करने के लिए एक हरे रंग की साड़ी, चुनरी और सोलह श्रृंगार से जुड़े सुहाग के सामान में सिंदूर, बिंदी, चूड़ियां, माहौर, खोल, कुमकुम, कंघी, बिछुआ, मेहंदी, दर्पण और इत्र जैसी चीजों को जरूर रखें.
विभुवन संकष्टी चतुर्थी व्रत के पारण की संपूर्ण विधि
5 Aug, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार मनाए जाते हैं जो कि भगवान श्री गणेश की पूजा आराधना को समर्पित होते हैं लेकिन अधिकमास में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी को बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि भगवान गणेश की पूजा के लिए उत्तम मानी जाती हैं आपको बता दें कि यह व्रत तीन साल में एक बार आता हैं और यही कारण है कि इस दिन व्रत पूजा करने से साधक को तीन गुना फल की प्राप्ति होती हैं।
अधिकमास में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी को विभुवन संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता हैं जो कि इस बार 4 अगस्त दिन शुक्रवार यानी की आम मनाई जा रही हैं इस दिन भगवान गणेश की व्रत पूजा का विधान होता हैं माना जाता हैं कि इस दिन व्रत पूजन करने से साधक को भगवान श्री गणेश की अपार कृपा प्राप्त होती हैं ऐसे में अगर आप ने भी विभुवन संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया हैं तो ऐसे में आज हम आपको इस व्रत के पारण की संपूर्ण विधि के बारे में बता रहे हैं, तो आइए जानते हैं।
इस विधि से करें व्रत का पारण-
विभुवन संकष्टी चतुर्थी का व्रत सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक किया जाता हैं इस दिन रात्रि में चंद्रमा को जल देने के बाद ही व्रत का पारण करना उत्तम माना जाता हैं। विभुवन संकष्टी चतुर्थी तिथि का समापन 5 अगस्त को सुबह 9 बजकर 39 मिनट पर हो रहा हैं।
ऐसे में शाम के वक्त चंद्रोदय के बाद चंद्रदेव की पूजा कर उन्हें अर्घ्य के बाद सिंदूर, अक्षत अर्पित करें और चंद्र देव को भोग लगाएं। इसके बाद अपना व्रत खोलें। आपको बता दें कि नमक वाली चीजों को ग्रहण कर अपने व्रत का पारण न करें। पारण करते वक्त व्रती को सात्विक भोजन या फलाहार ही करना चाहिए। भूलकर भी तामसिक भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए।
बेहद खास है सावन का पांचवा सोमवार, बन रहे है ये शुभ योग
5 Aug, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सावन में पड़ने वाले सोमवार का दिन विशेष फलदायी होता है. वही इस बार सावन का महीना 59 दिनों का है और इस माह में कुल 8 सोमवार भी पड़ रहे हैं। इस बार सावन के सभी सोमवार बहुत विशेष माने जा रहे हैं, क्योंकि सावन के सभी सोमवार पर एक से बढ़कर एक विशेष संयोग बन रहे हैं।
अब तक सावन के 4 सोमवार गुजर चुके हैं और पांचवा सोमवार 07 अगस्त को है। सावन के पांचवे सोमवार पर रवि योग बन रहा है, जो प्रातः से लेकर रात तक रहेगा।
किन्तु इस दिन सुबह से ही भद्रा भी लग रही है, जो शाम तक रहेगी। हालांकि यह स्वर्ग की भद्रा होगी इसलिए इसका दुष्प्रभाव पृथ्वी लोक पर नहीं होगा। 07 अगस्त को सावन का पांचवा सोमवार है। सावन के पांचवें सोमवार पर अधिक मास की सप्तमी तिथि पड़ रही है। वहीं इस दिन अश्विनी नक्षत्र प्रातः से लेकर देर रात 01 बजकर 16 मिनट तक है।
सावन के पांचवें सोमवार पर रवि योग और शूल योग बन रहा है। रवि योग में शुभ कार्य, पूजा आदि करने से मान-सम्मान में बढ़ोत्तरी एवं धन में वृद्धि होती है।
रवि योग - सुबह 05 बजकर 46 मिनट से अगले दिन प्रात: 01 बजकर 16 मिनट तक
शूल योग - 06 को अगस्त 2023, रात 08 बजकर 27 मिनट से 07 अगस्त को शाम 06 बजकर 17 मिनट तक
शिव पूजा के लिए शुभ मुहूर्त:-
पांचवे सावन सोमवार के दिन शिव पूजा के लिए दिन भर शुभ मुहूर्त है। इस दिन अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजे से दोपहर 12 बजकर 53 मिनट तक है। वहीं ब्रह्म मुहूर्त प्रातः 04 बजकर 21 मिनट से प्रातः 05 बजकर 03 मिनट तक है।
सावन के पांचवें सोमवार पर राहु काल प्रातः 07 बजकर 26 मिनट से प्रातः 09 बजकर 06 मिनट तक है। वहीं भद्रा का समय प्रातः 05 बजकर 46 मिनट से शाम 04 बजकर 41 मिनट तक है।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (05 अगस्त 2023)
5 Aug, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मित्र से पीड़ा, विवाद, मातृ कष्ट, व्यर्थ कार्य होगें, पड़ोसियों से विवाद होगा।
वृष राशि :- धन व्यय, व्यापार में प्रगति, शुभ कार्य होंगे, परिवार में अनुकूल बना ही रहेगा।
मिथुन राशि :- पितृ कष्ट, यात्रा योग, व्यय लाभ अस्थिर व अशांति का वातावरण बना रहेगा।
कर्क राशि :- यात्रा सुख, भूमि लाभ, हर्ष सिद्ध खेती व गृह लाभ कार्य की व्यवस्था उत्तम बनेंगी।
सिंह राशि :- शरीर कष्ट, आय व्यय, कार्य में सफलता, आर्थिक सुधार के साथ लाभ अवश्य होगा।
कन्या राशि :- खर्च विवाद स्त्री कष्ट, विद्या लाभ, धीरे-धीरे सुधार के साथ लाभ की स्थिति अवश्य बनेगी।
तुला राशि :- यात्रा से लाभ होगा, शरीर कष्ट, खर्च की अधिकता रहेगी, कार्यों पर ध्यान दें।
वृश्चिक राशि :- वृत्ति से लाभ, यात्रा, सम्पत्ति से लाभ, व्यापार में सुधार हो, खर्चें होते रहेंगे।
धनु राशि :- अल्प लाभ, चोट अग्नि-शरीर भय, मानसिक परेशानी, अपवाद से मानसिक उलझन बढ़ेगी।
मकर राशि :- शत्रु से हानि, अपव्यय होगा, शरीरादि सुख होवें, कमी की स्थिति रहेगी।
कुंभ राशि :- शुभ कार्यों में व्यय होगा, संतान सुख, कार्यों में सफलता मिलेगी, उत्साह की वृद्धि होगी।
मीन राशि :- पदोन्नति होगी, राजभय, लाभ-हानि की स्थिति रहेगी, अधिकारियों से मनमुटाव होगा।
रातोंरात अमीरों की लिस्ट में होंगे शामिल, बस कर लें झाड़ू ये जुड़ा ये उपाय
4 Aug, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
झाड़ू का इस्तेमाल रोजाना की साफ सफाई के लिए हर घर में किया जाता हैं। वास्तुशास्त्र में भी झाड़ू को बेहद अहम बताया गया हैं साथ ही धार्मिक नजरिएं की अगर बात करें तो झाड़ू को धन की देवी माता लक्ष्मी का प्रतीक माना गया हैं।
मान्यता है कि इसमें देवी लक्ष्मी का वास होता हैं ऐसे में वास्तु और ज्योतिषशास्त्र में झाड़ू को लेकर कई नियम बताए गए हैं जिनका अगर पालन किया जाए तो सकारात्मक परिणाम मिलते हैं लेकिन अनदेखी समस्याओं को पैदा करती हैं और जीवन में आर्थिक तंगी की वजह भी बन जाती हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा झाड़ू से जुड़े कुछ उपाय और नियम बता रहे हैं जिसका पालन करने से आपको माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त हो सकती हैं।
झाड़ू से जुड़े नियम-
ज्योतिष अनुसार पुरानी झाड़ू को कभी भी गुरुवार या फिर शुक्रवार के दिन घर से बाहर नहीं करना चाहिए। क्योंकि ये दोनों ही दिन माता लक्ष्मी और श्री विष्णु को समर्पित होते हैं ऐसे में इस दिन अगर झाड़ू घर से बाहर की जाए तो माता लक्ष्मी क्रोधित हो जाती हैं। इसके अलावा झाड़ू पर पैर लगाना और इसे लांघना भी अशुभ माना जाता हैं ऐसा करने से दरिद्रता का सामना करना पड़ता हैं।
अगर आप नई झाड़ू खरीदने का विचार बना रहे हैं तो इसके लिए मंगलवार या फिर शनिवार का दिन सबसे अधिक शुभ माना जाता हैं कहते हैं कि इस दिन झाड़ू खरीदने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता हैं और घर में संपन्नता आती हैं। इसके अलावा हमेशा झाड़ू को आप कृष्ण पक्ष में ही खरीदें इस पक्ष में झाड़ू की खरीदारी शुभ मानी गई हैं। वास्तु कहता हैं कि झाड़ू को सबकी नजरों से दूर और छिपा कर ही रखना चाहिए। लेकिन भूलकर भी इसे बिस्तर के नीचे नहीं रखना चाहिए। वही सूर्यास्त के बाद झाड़ू लगाना अशुभ माना जाता हैं ऐसा करने से माता लक्ष्मी घर से चली जाती हैं और आर्थिक समस्याएं जीवन में आती हैं।
गलती से भी न खरीदें इस दिन ये चीज़ें, घर में आएगी दरिद्रता
4 Aug, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धार्मिक ग्रंथों में गुरुवार का दिन देवगुरु बृहस्पति यानी भगवान विष्णु को समर्पित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान बृहस्पति देवताओं के गुरु हैं। ये ज्ञान, धार्मिक कार्य, संतान और उन्नति के कारक माने जाते हैं।
धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन देवगुरु की कृपा पाने के लिए केले के पेड़ की पूजा की जाती है। इसके साथ ही लोग इस दिन भगवान विष्णु की भी पूजा करते हैं। गुरुवार के दिन पूजा-पाठ के अलावा कुछ कार्यों की मनाही होती है। शास्त्रों और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इससे देवगुरु बृहस्पति कमजोर हो जाते हैं। आइए जानते हैं इन फीचर्स के बारे में.
गुरुवार को तेल खरीदना चाहिए या लगाना चाहिए?
गुरुवार के दिन दैनिक उपयोग की कुछ वस्तुओं का प्रयोग शुभ फल देता है तो वहीं कुछ वस्तुओं का अशुभ फल भी मिलता है। गुरुवार के दिन तेल की खरीदारी या इस्तेमाल वर्जित बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन तेल खरीदने या लगाने से गुरु कमजोर होते हैं और भक्तों पर अपनी बुरी दृष्टि डालते हैं।
जिससे ज्ञान, धन, समृद्धि सभी की हानि होती है। ऐसा कहा जाता है कि गुरुवार के दिन तेल खरीदने या इस्तेमाल करने से कर्ज और आर्थिक तंगी बढ़ती है। गुरूवार को पवित्रता का दिन कहा जाता है। इस दिन तेल लगाने से दरिद्रता आती है और लगातार तेल लगाने से व्यक्ति दरिद्र हो जाता है। इसलिए गुरुवार के दिन तेल खरीदने और इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। तेल खरीदने के अलावा कुछ ऐसी चीजें भी हैं जिन्हें गुरुवार के दिन खरीदना शुभ नहीं माना जाता है। आइए जानते हैं क्या हैं ये चीजें-
गुरुवार को तेल के अलावा क्या नहीं खरीदना चाहिए?
गुरुवार के दिन चाकू, कैंची जैसी कोई भी नुकीली वस्तु न खरीदें।
इस दिन साबुन, शैंपू जैसी चीजें न खरीदें
इस दिन पूजा-पाठ से जुड़ी चीजें न खरीदें
गुरुवार के दिन आंखों से जुड़ी कोई भी चीज खरीदने से बचें
आटा गूंथते समय कर लें ये टोटका, कभी नहीं होगा आर्थिक तंगी से सामना
4 Aug, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में हर एक चीज़ को लेकर नियम और तरीके बताए गए हैं जिसके अनुसार चलने से लाभ मिलता हैं लेकिन इनकी अनदेखी समस्याओं को पैदा करती हैं साथ ही आर्थिक संकट भी लेकर आती हैं इसी तरह वास्तु और ज्योतिष में भोजन पकाने से जुड़े कई नियमों के बारे में बताया गया हैं जिसका अगर पालन किया जाए तो लाभ मिलता हैं साथ ही आज हम आपको एक ऐसा टोटका बता रहे हैं जिसे करने से आर्थिक संकट का कभी सामना नहीं करना पड़ता हैं, तो आइए जानते हैं क्या है वो टोटका।
आटा गूंथते वक्त करें ये काम-
ज्योतिष अनुसार महिलाएं रसोई में रोटी के लिए आटा गूंथते वक्त आटे में नमक के साथ अगर थोड़ी सी चीनी और घी मिला दें तो ऐसा करने से धन की देवी माता लक्ष्मी प्रसन्न हो जाती हैं और घर को धन दौलत से भर देती हैं साथ ही कुंडली का शुक्र भी मजबूत हो जाता हैं जो कि धन संपदा का कारक होता हैं। इस उपाय को करने से परिवार को सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती हैं।
वास्तु अनुसार माता लक्ष्मी और मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद पाने के लिए भोजन पकाते वक्त कुछ खास बातों का ध्यान रखना भी जरूरी होता हैं ऐसा करने से धन धान्य की कमी का सामना नहीं करना पड़ता हैं। भोजन पकाते वक्त कभी भी क्रोध नहीं करना चाहिए क्योंकि क्रोध की भावना के साथ पकाया गया भोजन नकारात्मकता का कारण बनता हैं।
जिसे ग्रहण करने से सेहत पर बुरा असर देखने को मिलता हैं इसके अलावा रसोई को कभी गंदा नहीं रखना चाहिए ना ही जूते चप्पल पहनकर यहां प्रवेश करना चाहिए। ऐसा करने से माता लक्ष्मी और मां अन्नपूर्णा क्रोधित हो जाती हैं जिससे परिवार में कंगाली छा जाती हैं।
रुद्राक्ष धारण करने से पहले रखें इन जरुरी बातों का ध्यान
4 Aug, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म के दायरे में, कुछ पवित्र वस्तुएं पूजनीय रुद्राक्ष माला जितना ही महत्व रखती हैं। माना जाता है कि ये दिव्य मोती भगवान शिव के आंसुओं से उत्पन्न हुए हैं, ये केवल सहायक उपकरण नहीं बल्कि शक्तिशाली आध्यात्मिक उपकरण हैं।
शिवपुराण और सकंदपुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में उल्लेख के साथ, रुद्राक्ष को एक रहस्यमय उपाय के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है, जिसमें विभिन्न समस्याओं को हल करने और इसके पहनने वाले को कई लाभ प्रदान करने की क्षमता है। आज आपको बताते है रुद्राक्ष के समृद्ध इतिहास, महत्व के बारे में...
इतिहास और पौराणिक कथा:-
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब भगवान शिव का दयालु हृदय मानवता की पीड़ा से गहराई से प्रभावित हुआ, तो उनके गालों से आँसू आए और पृथ्वी पर गिर पड़े। ये दिव्य आँसू बाद में पवित्र रुद्राक्ष के पेड़ों में बदल गए। "रुद्राक्ष" शब्द "रुद्र" (भगवान शिव का दूसरा नाम) और "अक्ष" (जिसका अर्थ है आंखें) से लिया गया है, जो दयालु देवता के आंसुओं का प्रतीक है।
रुद्राक्ष पहनने की सावधानियां:-
रुद्राक्ष को लाल धागे या पीले धागे में पहनें. साथ ही रुद्राक्ष को पूर्णिमा, अमावस्या या सोमवार को पहनना श्रेष्ठ माना जाता है. सावन के इस महीने में रुद्राक्ष किसी भी दिन पहना जा सकता है क्योंकि सावन प्रत्येक दिन शुभ माना जाता है. रुद्राक्ष 1, 27, 54 और 108 की संख्या में धारण करना चाहिए. रुद्राक्ष धारण करने के पश्चात् सात्विकता का पालन करना चाहिए. रुद्राक्ष को धातु के साथ धारण करना और भी अच्छा होता है. दूसरे की धारण की हुण रुद्राक्ष की माला धारण ना करें. साथ ही सोते समय भी रुद्राक्ष उतार देना चाहिए.
लाभ और महत्व:-
आध्यात्मिक संबंध: रुद्राक्ष की माला किसी के आध्यात्मिक संबंध को बढ़ाने की क्षमता के लिए प्रसिद्ध है। ऐसा माना जाता है कि वे हृदय चक्र के साथ प्रतिध्वनित होते हैं, आंतरिक शांति, सद्भाव और शांति को बढ़ावा देते हैं।
सुरक्षा: कहा जाता है कि रुद्राक्ष की माला पहनने से नकारात्मक ऊर्जाओं, बुरी शक्तियों और हानिकारक ग्रहों के प्रभाव के खिलाफ एक सुरक्षा कवच बनता है, जिससे सुरक्षा और कल्याण की भावना पैदा होती है।
स्वास्थ्य और कल्याण: माना जाता है कि अलग-अलग मुखी के विभिन्न स्वास्थ्य लाभ होते हैं। उदाहरण के लिए, 1-मुखी रुद्राक्ष मानसिक स्पष्टता से जुड़ा है, जबकि 5-मुखी रुद्राक्ष समग्र कल्याण में सुधार और तनाव को कम करने वाला माना जाता है।
बौद्धिक वृद्धि: माना जाता है कि कुछ रुद्राक्ष की माला बुद्धि को तेज करती है, ध्यान केंद्रित करती है और याददाश्त बढ़ाती है, जिससे वे छात्रों और विद्वानों के बीच लोकप्रिय हो जाते हैं।
समृद्धि और प्रचुरता: कहा जाता है कि रुद्राक्ष की माला पहनने वाले के जीवन में समृद्धि और प्रचुरता को आकर्षित करती है, वित्तीय स्थिरता और प्रयासों में सफलता को बढ़ावा देती है।
भावनात्मक संतुलन: माना जाता है कि रुद्राक्ष की माला नकारात्मक भावनाओं को दूर करने, चिंता को कम करने और जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने में मदद करती है।
गुण: रुद्राक्ष की माला विभिन्न उपचार गुणों से जुड़ी होती है और माना जाता है कि यह हृदय, गले, आंखों और त्वचा से संबंधित बीमारियों को कम करने में सहायता करती है।
रुद्राक्ष धारण करना:-
पूर्ण लाभ प्राप्त करने के लिए असली रुद्राक्ष की माला पहनना आवश्यक है। प्रामाणिक रुद्राक्ष की पहचान उनके प्राकृतिक पैटर्न और विश्वसनीय स्रोतों से उचित प्रमाणीकरण द्वारा की जा सकती है। उपयुक्त रुद्राक्ष माला का चयन करते समय प्रत्येक व्यक्ति की जरूरतों और ज्योतिषीय विचारों को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
रुद्राक्ष की माला केवल सजावट नहीं है; वे पवित्र हैं जो उन लोगों को असंख्य लाभ प्रदान कर सकते हैं जो उन्हें भक्ति और विश्वास के साथ पहनते हैं। प्राचीन पौराणिक कथाओं में निहित और श्रद्धेय ग्रंथों में प्रलेखित, रुद्राक्ष हिंदू धर्म में गहरा महत्व रखता है। चाहे आध्यात्मिक उत्थान हो, शारीरिक कल्याण हो, या नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा हो, रुद्राक्ष की दिव्य शक्तियां दुनिया भर में लाखों लोगों को प्रेरित करती रहती हैं, और अधिक प्रबुद्ध और पूर्ण जीवन की दिशा में मार्ग प्रदान करती हैं।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (04 अगस्त 2023)
4 Aug, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- उदर रोग, मित्र लाभ, राजभय, दाम्पत्य जीवन पूर्ण संतोषजनक स्थिति बनेंगी।
वृष राशि :- शत्रुभय, शुभ मंगल कार्य, विशेष मामले-मुकदमे में प्राय जीत अवश्य होगी।
मिथुन राशि :- कुसंग से हानि, रोगभय, यात्रा, उद्योग-व्यापार की स्थिति लाभ-हानि की रहेगी।
कर्क राशि :- पराक्रम से कार्य सिद्ध, व्यापार लाभ, खेती एवं गृहकार्य में व्यवस्था बनी रहेगी।
सिंह राशि :- आशानुकूल सफलता से हर्ष होगा, स्थिति में सुधार अवश्य होगा, कार्य बनेंगे।
कन्या राशि :- धन का व्यर्थ व्यय, कार्य में हानि, हस्तक्षेप से दूसरों से तनावपूर्ण अवश्य बनेगा।
तुला राशि :- कार्यगति अनुकूल रहेगी, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, मित्रों से सहयोग मिलेगा।
वृश्चिक राशि :- सामाजिक कार्य में प्रतिष्ठा व प्रभुत्व वृद्धि एवं कार्य कुशलता से संतोष होगा।
धनु राशि :- कार्य योजना फलीभूत होगी, कार्य कुशलता से हर्ष, रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे।
मकर राशि :- अधिकारियों के सम्पर्क से बचें, तनाव, क्लेश व अशांति बेचैनी अवश्य बनेगी।
कुंभ राशि :- उद्विघ्नता व असमंजस का वातावरण मन को क्लेशयुक्त बना ही रहेगा।
मीन राशि :- बिगड़े हुये कार्य बनेंगे, योजनायें फलीभूत होंगी, सफलता के साधन अवश्य ही जुटायेंगे।
मोटापा बढ़ाने के लिए ग्रह भी जिम्मेदार
3 Aug, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मोटापे के लिए ग्रहों को भी जिम्मेदार माना गया है। इसका कारण है कि मोटापे का ग्रहों से भी संबंध बताया जाता है। ऐसे में ज्योतिष के अनुसार ही अग्नि, जल एवं तत्व की राशियों को मोटापा दूर करने के लिए कुछ उपाय करने चाहिए।
शरीर में मोटापा बढ़ाने के लिए मुख्य रूप से बृहस्पति जिम्मेदार होता है। इसके अलावा चन्द्रमा व्यक्ति को गोल मटोल कर देता है जिनकी कुण्डलियों में बृहस्पति शरीर को प्रभावित करता है, वहाँ मोटापा बढ़ जाता है। जल तत्व की प्रधानता होने पर भी व्यक्ति मोटा और गोल मटोल हो जाता है, इसीलिए जल तत्व प्रधान राशियों के लोग मोटे हो जाते हैं।
कौन से ग्रह व्यक्ति को दुबला पतला बनाते हैं?
शनि मुख्य रूप से व्यक्ति को दुबला पतला बनाता है
इसके अलावा मंगल और सूर्य भी मोटा नहीं होने देते
परन्तु शनि प्रधान व्यक्ति आम तौर पर दुबला बना रहता है
जबकि मंगल और सूर्य वाले कभी कभी मोटे हो जाते हैं
शुक्र या बुध की प्रधानता होने पर व्यक्ति का व्यक्तित्व शानदार हो जाता है
ऐसे लोग स्मार्ट होते हैं न ज्यादा मोटे न ज्यादा पतले
किन किन राशियों पर मोटापे का क्या असर पड़ता है?
अग्नि राशियां यानि मेष सिंह और धनु के लोग आम तौर पर मोटे नहीं होते
इनका मोटापा अगर बढ़ता भी है तो मध्य आयु के बाद
पृथ्वी राशियां यानि वृष कन्या और मकर में या तो शुरू से ही मोटापा होता है या कभी नहीं होता
इनके लिए मोटापा अक्सर अन्य बीमारियों का कारण बनता है
वायु तत्व की राशियों के लोग, यानि मिथुन तुला और कुम्भ मोटे नहीं होते
परन्तु भोजन का शौक अक्सर इनका पेट अलग से निकाल देता है
जल तत्व की राशियों. यानि कर्क वृश्चिक और मीन.में मोटापे की प्रवृत्ति होती है
जरा सी लापरवाही से तुरंत मोटापा बढ़ने लगता है
मोटापे से बचने के क्या उपाय करें?
नियमित रूप से सूर्य को रोली मिलाकर जल अर्पित करें
पद्मासन में बैठने का अभ्यास करें
अगर मोटापा तेजी से बढ़ रहा हो तो पीला पुखराज न धारण करें
पेट पर नाभि के ऊपर एक लाल धागा बाधें
सूर्यास्त के बाद भारी खाना न खाएं
प्रातः काल पपीते का सेवन जरूर करें
बिल्ली के रास्ता काटने से क्या होता है?
3 Aug, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आप अपने गन्य्तव्य तक पहुँचने की ज़ल्दी में हैं। आप अपने कदम तेज़ी से आगे बढ़ा रहे हैं कि तभी अचानक से एक बिल्ली आती है और आपका रास्ता काट जाती है। ऐसे में आप क्या करेंगे ? शायद वही जो ज़्यादातर भारतीय ऐसे में करेंगे – थोड़ी देर रुक जायेंगे और किसी और के वहां से गुजरने का इंतज़ार करेंगे।
प्राचीन काल से ही ऐसी मान्यता प्रचलित है कि अगर बिल्ली आपका रास्ता काट दे तो आपको कुछ देर रूक जाना चाहिए या उस रास्ते से नहीं गुजरना चाहिए, खासकर यदि काली बिल्ली आपका रास्ता काटे तो इसे बहुत अशुभ माना जाता है।
हमारे परिजन भी हमेशा हमें बिल्ली द्वारा रास्ता काटने पर आगे न जाने की सलाह देते हैं। बिल्ली के रास्ता काटने को अशुभ का संकेत माना जाता है। यह मान्यता है कि बिल्ली अन्य जीवों की अपेक्षा अधिक संवेदनशील प्राणी है जो कि भविष्य में होने वाली घटनाओं को काफी सटीक और पहले ही भांप लेती है। उसके द्वारा रास्ता काटना एक चेतावनी माना जाता है जिसे समझकर हम दुर्घटनाओं से बच सकते हैं।
वैज्ञानिक आधार
अनेक लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं। हालांकि वैज्ञानिक तथ्य भी यह कहते हैं कि अनेक जीवों में प्रकृति की घटनाओं के घटित होने से पूर्व समझने की शक्ति होती है। यह भी देखा गया है कि बड़ी-बड़ी घटनाओं के पहले अनेक जानवरों के व्यवहार में अचानक परिवर्तन आ जाता है। जब जापान में सुनामी आई थी तब उसके ठीक पहले तटीय क्षेत्रों के पालतू जीवों के व्यवहार में स्पष्ट परिवर्तन देखने को मिला था। बिल्कुल उसी तरह बिल्ली के व्यवहार को भी कुछ लोग सही मानते हैं और बिल्ली के रास्ता काटने के बाद कुछ देर रूक कर आगे बढ़ने को कहते हैं, जिससे भावी दुर्घटनाओं की आशंका टाली जा सके।
सावधानी ही सुरक्षा
वर्तमान युग में इस बात पर यकीन करना मुश्किल है लेकिन न केवल भारत में बल्कि प्राचीन यूनान, मिस्र आदि अनेक देशों में भी बिल्ली के रास्ता काटने को अशुभ माना जाता है। यूरोप और अमेरिका में भी बिल्ली के रास्ता काटने को अशुभ मानते हैं जबकि जापान में बिलकुल इसके उलट है। जापान में बिल्ली के रास्ता काटने को अच्छा समझा जाता है। वहीं ऐसे लोगों की भी कमी नहीं जो बिल्ली के रास्ता काटने को केवल एक अंधविश्वास मात्र समझते हैं। इसलिए इस तरह की बातों को मानना या नहीं मानना पूरी तरह व्यक्ति विशेष पर निर्भर करता है।
जानें, मंगलसूत्र धारण करने के नियम और इसका महत्व
3 Aug, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में विवाह में मंगलसूत्र का सबसे अहम स्थान है। इसके साथ ही वैवाहिक जीवन का प्रतीक माने जाने वाले मंगलसूत्र को धारण करने के नियम और सावधानियां भी बतायी गयी हैं।
मंगलसूत्र एक काले मोतियों की माला होती है, जिसे महिलाएं अपने गले में धारण करती हैं। इसके अंदर बहुत सारी चीज़ें जुड़ी होती हैं और हर चीज़ का सम्बन्ध शुभता से होता है। माना जाता है कि मंगलसूत्र धारण करने से पति की रक्षा होती है और पति के जीवन के सारे संकट कट जाते हैं जबकि यह महिलाओं के लिए भी रक्षा कवच और सम्पन्नता का काम करता है।
मंगलसूत्र के अंदर क्या-क्या चीज़ें होती हैं?
मंगलसूत्र में पीला धागा होता है
इसी पीले धागे में काली मोतियाँ पिरोई जाती हैं
साथ में एक सोने या पीतल का लॉकेट भी लगा हुआ होता है
यह लॉकेट गोल या चौकोर , दोनों हो सकता है
मंगलसूत्र में सोना या पीतल भले ही न लगा हो पर पीले धागे में काली मोतियाँ जरूर होनी चाहिए
मंगलसूत्र में लगी हुयी चीज़ें कैसे ग्रहों को नियंत्रित करती हैं ?
मंगलसूत्र का पीला धागा और सोना या पीतल बृहस्पति का प्रतीक है
जिससे महिलाओं का बृहस्पति मजबूत होता है
काले मोतियों से महिलाएं और उनका सौभाग्य बुरी नज़र से बचे रहते हैं
यह भी मानते हैं कि मंगलसूत्र का पीला हिस्सा माँ पार्वती है और काले हिस्सा भगवान शिव
शिव जी की कृपा से महिला और उसके पति की रक्षा होती है
तथा माँ पार्वती की कृपा से वैवाहिक जीवन सुखमय बना रहता है
मंगलसूत्र धारण करने के नियम और सावधानियां क्या हैं ?
मंगलसूत्र या तो स्वयं खरीदें या अपने पति से लें
किसी अन्य से मंगलसूत्र लेना उत्तम नहीं होता
मंगलसूत्र मंगलवार को न खरीदें
धारण करने के पूर्व इसे माँ पार्वती को अर्पित करें
जब तक बहुत ज्यादा जरूरी न हो मंगलसूत्र को न उतारें
मंगलसूत्र में लगा हुआ सोना अगर चौकोर हो तो बहुत उत्तम होगा
हाथ में त्रिशूल का निशान होता है बेहद शुभ
3 Aug, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हस्तरेखा ज्योतिष में लोगों की हाथ की लकीरें और निशान देखकर उनके भविष्य के बारें में कई बातों का पता लगाया जा सकता है। हथेली पर कई निशान होते है इन्हीं निशानों में से एक निशान ऐसा होता है जो हजार लोगों में से एक व्यक्ति के हाथ में बना होता है। यह निशान होता है त्रिशूल। तो आइए जानते हैं हथेली पर किस-किस जगह बने त्रिशूल के निशान का क्या मतलब होता है।
यदि ह्रदय रेखा के सिरे पर गुरु पर्वत के समीप त्रिशूल का निशान हो ऐसा व्यक्ति बेहद प्रतिभाशाली होता है।
सूर्य रेखा पर त्रिशूल का निशान होने पर उच्च पद और सरकारी क्षेत्र की प्राप्ति होती है। वहीं त्रिशूल के चिन्ह के साथ अन्य रेखाएं होने पर परिणाम विपरीत होंगे। यदि ये चिन्ह भाग्य रेखा पर हो तो वह व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली होता है और उसे सभी सुखों की प्राप्ति होती है।वहीं जिसकी हाथ की दस उंगलियों में भगवान विष्णु के प्रतीक चक्र का चिन्ह हो वह चक्रवर्ती होता है। ऐसी रेखाओं से मिलती है हर कदम पर सफलता।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (03 अगस्त 2023)
3 Aug, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनाव व उदर रोग, मित्र लाभ, राजभय तथा दाम्पत्य पूर्ण संतोषप्रद रहेगा।
वृष राशि :- शत्रुभय, सुख मंगल कार्यों का विरोध होगा, मामले-मुकदमे में प्राय जीत होगी ध्यान दें।
मिथुन राशि :- कुसंग से हानि, रोगभय, यात्रा सुख में वृद्धि, व्यापार में स्थिति लाभ-हानि की रहेगी ध्यान दें।
कर्क राशि :- पराक्रम से कार्य सिद्ध होगा, व्यापार में लाभ, खेती व गृहकार्य में व्यवस्था अवश्य बनेगी।
सिंह राशि :- तनावपूर्ण स्थिति से बचें, विरोध चिन्ता, उद्योग-व्यापार में लाभ के कार्य सफल होंगे।
कन्या राशि :- भूमि लाभ, स्त्री सुख, प्रगति के योग हैं, उद्योग-व्यापार में अड़चनों का सामना करना पड़ेगा।
तुला राशि :- प्रगति, वाहन भय, भूमि लाभ, कष्ट, व्यर्थ अनाप-शनाप व्यय से परेशानी बढ़ेगी।
वृश्चिक राशि :- कार्य सिद्धी, विरोध एवं कष्ट होगा, व्यापार में सुधार संभव है।
धनु राशि :- यात्रा से हानि, मातृ-पितृ कष्ट, हर्ष होगा, लिखा-पढ़ी व शिक्षा जगत से सुख होगा।
मकर राशि :- शुभ कार्यों की वृद्धि होगी, वाहनादि भय, रोगभय, नौकरी में स्थिति सामान्य रहेगी।
कुंभ राशि :- अभीष्ट कार्य सिद्धी, भय, लाभ कार्य में बाधा आयेगी, धार्मिक व कुछ अच्छे कार्य बनेंगे।
मीन राशि :- अल्प हानि, रोगभय, सम्पत्ति लाभ, मित्रों व पारिवारिक लोगों से सावधान रहें।
अगर आप भी करते हैं ये काम, तो नहीं बख्शेंगे शनि महाराज
2 Aug, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में शनिदेव को कर्मों का दाता माना गया हैं वे हर किसी को उसके कर्मों के अनुरूप फल प्रदान करते हैं अच्छे काम करने वालों को शनिदेव की कृपा प्राप्त होती हैं तो वही बुरे काम करने वालों को शनि दंड भी देते हैं।
माना जाता हैं कि शनि अगर किसी से क्रोधित हो जाए तो उसे जीवन में आर्थिक, शारीरिक और मानसिक कष्टों का सामना करना पड़ता हैं लेकिन अगर वे किसी से प्रसन्न हो जाते हैं तो उसके जीवन में दुख व कष्टों के लिए कोई स्थान नहीं होता हैं। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा कुछ ऐसे कार्यों से अवगत करा रहे हैं जो शनि देव को क्रोधित करते हैं, तो आइए जानते हैं कि वो कौन से काम हैं।
इन कार्यों से शनिदेव हो जाते हैं नाराज़-
अगर आप शनि महाराज का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो कभी किसी महिला का अपमान न करें खासकर विधवा और असहाय महिला को भूलकर भी अपमानित ना करें वरना आपको शनि प्रकोप झेलना पड़ सकता हैं। इसके अलावा जो लोग बुजुर्गों को सताते हैं या फिर उनका अपमान करते हैं उन्हें भी शनि पसंद नहीं करते हैं। इसके अलावा असहाय लोगों का अपमान करना या फिर शोषण करना भी शनि को बुरी तरह से नाराज़ कर देता हैं।
जो लोग दूसरों का धन हड़पते हैं या फिर अनैतिक तरीके से धन कमाते हैं और दूसरों के धन पर बुरी नीयत रखते हैं ऐसे लोगों से भी शनि नाराज़ रहते हैं इन लोगों को शनि बहुत कष्ट देते हैं। इसके साथ ही जो लोग कुत्ते, पक्षियों, बेजुबानों को सताने का काम करते हैं उन्हें भी शनि कभी माफ नहीं करते हैं ऐसे लोगों को अपने जीवन में गरीबी, दुख और परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं।