धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
चंद्रमणि स्टोन आपके जीवन में ला सकता है सुख और शांति, जानिए इसे धारण करने की विधि
30 Jul, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रत्न शास्त्र में रत्नों का उपयोग बेहद उपयोगी होता है. इन रत्नों के द्वारा आप कई तरह के लाभ देख सकते हैं. इसी रत्न में चंद्रमणि नामक रत्न बहुत ही चमत्कार होता है. इस रत्न का उपयोग आपके जीवन में मौजूद नकारात्मकताओं को दूर कर देने वाला होता है.
यह मानसिक शांति एवं धैर्य को प्रदान करने वाला होता है. इसे धारण करने से निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है. रत्नों का प्रयोग न केवल सुंदरता बढ़ाने के लिए किया जाता है, बल्कि रत्नों का संबंध ग्रहों की शांति एवं उनके द्वारा प्राप्त लाभ हेतु भी बहुत किया जाता है. रत्न शास्त्र में रत्नों का वर्णन मिलता है. इन सभी में जब बात आती है तो चंद्रमणि स्टोन का उपयोग बहुत अच्छा माना जाता है.
रत्न किसी न किसी ग्रह का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसी में चंद्रमणि स्टोन का उपयोग मून से संबंधित होता है. यदि आपकी कुंडली में वह ग्रह कमजोर है तो उस ग्रह से संबंधित रत्न धारण करने से उस ग्रह की शक्ति को बढ़ाया जा सकता है. यहां हम चंद्रमणि रत्न के बारे में बात करने जा रहे हैं जिसका संबंध चंद्र ग्रह से है. आइए जानते हैं चंद्रमणि पहनने के फायदे और इसे पहनने की विधि .
मानसिक संताप से बचाव का उपाय
यह चंद्रमणि रत्न मानसिक विकारों से मुक्ति के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है. चंद्रमा के पत्थर के ऊपर दूधिया चमक दिखाई देती है जो चांदी की तरह दिखती है. इस रत्न की सतह पर कई बार नीली झाई के समान दूधिया रंग की रोशनी दिखाई देती है. चंद्रमा का रत्न जितनी अधिक नीली आभा वाला होता है. इस रत्न का असर व्यक्ति को कई मायनों में बहुत ही बेहतर परिणाम देने वाला होता है.
यदि परिवार में किसी न किसी कारण से सदस्यों के बीच तनाव रहता है. या फिर वैचारिक मतभेद बना हुआ है और पारिवारिक कलह आपका पीछा नहीं छोड़ रही है तो मून स्टोन धारण करना बहुत फायदेमंद हो सकता है. साथ ही यह रत्न व्यक्ति को अपने काम और अपने निर्णयों के प्रति दृढ़ता से खड़े रहने की क्षमता भी देता है. जिन लोगों की पाचन शक्ति कमजोर होती है वे भी चंद्रमणि धारण कर सकते हैं. अगर किसी व्यक्ति को बार-बार गुस्सा आता है तो वह भी चंद्रमणि धारण कर सकता है.
धारण करने का नियम
चंद्रमणि को पहने के लिए शुक्ल पक्ष के सोमवार का समय सबसे अधिक उपयुक्त बताया गया है. इसे शुक्ल पक्ष के सोमवार की सुबह के समय हाथ की सबसे छोटी उंगली में पहनना चाहिए. इसे पूर्णिमा के दिन भी पहना जा सकता है.
रवि प्रदोष पर बन रहा है बेहद ही शुभ संयोग, अपनाएं ये 5 उपाय, चमक उठेगी किस्मत
30 Jul, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रत्येक महीने शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि प्रदोष व्रत रखा जाता है। 30 जुलाई को सावन माह का दूसरा प्रदोष व्रत मनाया जाएगा। बता दें कि यह अधिक मास पहला प्रदोष व्रत है। इस के चलते भगवान महादेव की पूजा करना बेहद ही लाभदायी होगा।
रवि योग और सवार्थ अमृत योग का निर्माण भी हो रहा है। मन्यताएं हैं कि प्रदोष व्रत रखने वाले व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है। साथ ही महादेव एवं माता पार्वती की विशेष कृपा बरसती है। इस दिन कुछ उपायों को करना बेहद शुभ माना जाता है।
* जौ के आटे से करें ये काम:-
प्रदोष व्रत के दिन महादेव को जौ का आटा अर्पित करें। साथ ही इस आटे की रोटियां बनाकर एवं शिव जी के चरणों में स्पर्श कराकर गाय को खिलाएं। ऐसा करने से घर खुशहाली बनी रहती है। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
* वैवाहिक जीवन के लिए:-
इस दिन पूजा के दौरान महादेव का अभिषेक दूध में केसर मिलाकर करें। मान्यताएं हैं कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन की समस्याएं खत्म होती है।
* सूर्य से संबंधित उपाय:-
प्रदोष व्रत के दिन घर के मुख्य दरवाजे पर सूर्य का चित्र लगाएं। साथ ही सूर्य से संबंधित चीजों का दान करें। ऐसा करने से कारोबार में लाभ होता है तथा जीवन में कामयाबी मिलती है।
* रंगों से जुड़ा उपाय:-
प्रदोष व्रत के पांच अलग-अलग रंगों शिव मंदिर में रंगोली बनाएं। साथ ही भगवान महादेव का ध्यान करते हुए रंगोली के पास घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से कारोबार में लाभ होता है।
* बेल पत्र का उपाय:-
रवि प्रदोष व्रत के दिन पूजा के चलते शिवलिंग पर 108 बेलपत्र चढ़ाएं। ऐसा करने जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (30 जुलाई 2023)
30 Jul, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- समय की अनुकूलता से लाभांवित होंगे, समय स्थिति का ध्यान रखेंगे।
वृष राशि :- हर्ष पूर्ण स्थिति रहेगी, सुख-सफलता की प्राप्ति, गृह कलह से हानि तथा मानसिक अशांति रहेगी।
मिथुन राशि :- व्यापार में लाभ, यात्रा विवाद, उद्योग-व्यापार में कमी, हानि की संभावना।
कर्क राशि :- शरीर बाधा, भूमि व राजभय, लाभ, सफलता मिलेगी, रुके कार्य बन जायेंगे।
सिंह राशि :- वाहन भय, कष्ट, राजसुख, यात्रा होगी, शुभ कार्य में व्यवधान अवश्य ही होगा।
कन्या राशि :- व्यय, प्रवास, विरोध, भूमि लाभ होगा, शेष कार्य में लाभ अवश्य ही होगा।
तुला राशि :- रोगभय, यात्रा सुख, यात्रा व्यापार में सुधार, रुक कार्य बनेंगे, समय का ध्यान रखें।
वृश्चिक राशि :- कार्य सिद्धी, विशेष लाभ, राजकार्य में व्यावधान होगा, धैर्य से समय पर कार्य पूर्ण करें।
धनु राशि :- लाभ, खर्च, यश, हर्ष, यात्रा, भूमि लाभ, राजकार्य, शिक्षा सामान्य होगी।
मकर राशि :- विरोध होगा, व्यापार में हानि, शारीरिक कष्ट, धार्मिक कार्य में व्यय होगा।
कुंभ राशि :- लाभ-हानि, व्यय, प्रभाव-प्रतिष्ठा में वृद्धि, रोगभय, विरोधी असफल होंगे।
मीन राशि :- राजभय, यश, मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि, राजकार्य में विलम्ब होगा तथा परेशानी हागी।
बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग 5 दिन बाद खुला, छोटे वाहनों की आवाजाही हुई शुरू
29 Jul, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चमोली (Chamoli) जिले में गौचर के पास कमेड़ा में जबर्दस्त भूस्खलन (landslide) के कारण पिछले 5 दिन से बंद ऋषिकेश-बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग (Rishikesh-Badrinath National Highway) शुक्रवार को छोटे वाहनों के लिए खुल गया।
पुलिस ने बताया कि कमेड़ा में मलबा साफ कर राजमार्ग को फिलहाल छोटे वाहनों के लिए खोल दिया गया।
'ऑलवेदर रोड' परियोजना में शामिल राजमार्ग पर कमेड़ा में सोमवार को भारी बारिश के बाद भूस्खलन हुआ था जिससे पहाड़ी पर से मलबा गिरा था और सड़क का 100 मीटर हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। करीब 100 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद राजमार्ग पर यातायात बहाल हो पाया।
मार्ग बंद होने से बद्रीनाथ, हेमकुंड साहिब, चमोली और कुमाऊं जाने वाले यात्रियों को वैकल्पिक मोटर मार्गों से भेजा जा रहा था जिससे यात्रियों को गंतव्य तक पहुंचने में ज्यादा समय लग रहा था और अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही थी।
नीलम रत्न धारण करने से पहले जान लें इसके नियम अन्यथा हो सकती है, गंभीर मुश्किलें
29 Jul, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष शास्त्र में रत्नों के उपयोग में नीलम का उपयोग काफी सोच समझ कर करने कि सलाह दी जाती है. नीलम बेहद असर प्रदान करने वाला रत्न होता है. नीलम को शनि देव का रत्न माना जाता है इसलिए शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए कई तरह के उपाय में नीलम को धारण करने की बात भी सामने आती है.
शनि की दशाओं से बचाव मिलता है
लोगों के मन में शनि ग्रह से जुड़ी साढ़ेसाती, ढैय्या और महादशा के चलते जीवन उथल पुथल से भरा रह सकता है. शनि के खराब असर द्वारा भारी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में शनिदेव को शांत और प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के उपाय अपनाए जाते हैं, उन्हीं में से एक है नीलम धारण करना. नीलम रत्न शनिदेव के मस्तक पर विराजमान है. इस कारण से नीलम को धारण करना बेहद सकारात्मक प्रभाव दे सकता है. शनि से बचाव के लिए जो लोग नीलम धारण करते हैं उन पर शनिदेव की कृपा और क्षमा बनी रहती है. व्यक्ति को शनि के शुभ प्रभाव देखने को मिलते हैं.
नीलम धारण करने से संबंधित नियम
ज्योतिष शास्त्र कहता है कि यदि कोई व्यक्ति शनि की महादशा, अंतर्दशा, साढ़ेसाती और ढैय्या से प्रभावित है तो उसे नीलम धारण करना चाहिए.
विशेषकर कुंभ और मकर राशि के जातकों को नीलम धारण करने से अतिरिक्त लाभ मिलता है.
कुंडली में शुभ शनि होने पर भी नीलम रत्न धारण करना शुभ माना जाता है.
नीलम रत्न धारण करने से पहले किसी अच्छे ज्योतिषी की सलाह के बाद ही धारण करना चाहिए. नीलम आपकी कुंडली में किस स्थिति में है इसे जानने के लिए कुंडली का विश्लेष्ण करके ही नीलम को धारण करना शुभदायक होता है.
नीलम धारण करना और इसे पहनने से जुड़े नियम यदि ध्यान में रखें जाएं तो यह जीवन को एकदम बदल देने वाला होता है. नीलम शनिदेव का प्रिय रत्न है, लेकिन अगर पहनने के नियम नहीं जानते तो इससे संबंधित बातों पर अवश्य ध्यान देने की जरुर है. व्यक्ति के जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कभी-कभी किसी ग्रह के दुष्प्रभाव के कारण व्यक्ति तमाम तरह की समस्याओं और बीमारियों से घिर जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनि को सभी ग्रहों में सबसे प्रभावशाली ग्रह माना जाता है. जब कुंडली में शनि अशुभ भाव में बैठता है तो जातकों को कष्ट होने लगता है.
सावन में यह उपाय करने से रोगों से मिलती है मुक्ति
29 Jul, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मानसिक विकार एक प्रकार का रोग है, जिसमें न केवल रोगी बल्कि पूरा परिवार सदमे और अवसाद में रहता है। ऐसे व्यक्ति का विशेष ख्याल रखना जरूरी है। कभी-कभी ऐसा व्यक्ति छोटे बच्चे जैसा व्यवहार करने लगता है।
उसे छोटी-छोटी बातें भी समझाने में काफी मेहनत करनी पड़ती है। जो भी व्यक्ति मानसिक रोग से पीड़ित है, उसे इस पवित्र महीने में क्या उपाय करना चाहिए, जिससे उसकी पीड़ा कम हो सके, आइए जानते हैं।
यदि आप किसी भी कारण से मानसिक तनाव में हैं या किसी अज्ञात भय, असुरक्षा से पीड़ित हैं तो सावन के बुधवार के दिन 1 नारियल नीले कपड़े में लपेटकर किसी भिखारी को दान करें।
किसी भी प्रकार का तनाव होते ही एक बर्तन में पानी लें और उसमें चार लाल मिर्च डालकर अपने ऊपर से सात बार वार लें और फिर उसे घर के बाहर सड़क पर फेंक दें।
प्रतिदिन हनुमान जी की पूजा करें, हनुमान चालीसा का पाठ करें। हर शनिवार शनिदेव को तेल चढ़ाएं। किसी गरीब व्यक्ति को एक जोड़ी चप्पल दान करें।
भय, चिंता और मानसिक विकारों से राहत पाने के लिए थोड़ी मात्रा में कपूर का सेवन करें। जिस कमरे में आप सोएंगे वहां कपूर का दीपक जलाएं। अगर घर में कपूर का दीपक नहीं है तो किसी दीपक या बर्तन में कपूर जलाएं। इससे सारे भय दूर हो जाते हैं, परेशानियां दूर हो जाती हैं और परिस्थितियां अनुकूल हो जाती हैं।
तनाव-अवसाद की स्थिति में सोमवार एवं पूर्णिमा की रात्रि में 'ॐ पुत्र सोमाय नमः' मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके अलावा चावल, दूध, चीनी, चंदन, चीनी, खीर, सफेद कपड़ा, चांदी आदि का दान करना लाभकारी होता है।
ज्ञान मुद्रा प्रतिदिन अंगूठे और पहली उंगली यानी तर्जनी को मिलाने से बनती है। इस मुद्रा को रोजाना दस मिनट तक करने से दिमाग की कमजोरी दूर हो जाती है।
किसी भी प्रकार की चिंता से छुटकारा पाने के लिए प्रतिदिन सुबह तांबे के लोटे में जल, लाल चंदन, अक्षत, गुड़ और लाल फूल लेकर सूर्य देव को अर्पित करें और अपनी परेशानियों को दूर करने की प्रार्थना करें।
प्रदोष व्रत पर अपनाएं ये चमत्कारी उपाय, दूर होंगी व्यापार और नौकरी में आ रही रुकावटें
29 Jul, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सावन के महीने में आने वाले प्रदोष व्रत की खास अहमियत मानी जाती है. इस माह में आने वाले प्रदोष व्रत में भगवान महादेव की पूजा से जीवन में हो रही सभी परेशानियां समाप्त हो जाती हैं. सावन प्रदोष व्रत के दिन भगवान महादेव के जलाभिषेक और पूरी विधि विधान से महादेव की उपासना करने से जीवन में सुख समृद्धि की कोई कमी नहीं रहती है.
हिंदू धर्म के पंचाग के मुताबिक, सावन मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी यानी तेरहवीं तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस बार ये तिथि 30 जुलाई को सुबह 10 बजकर 34 मिनट से 31 जुलाई को प्रातः 7 बजकर 19 मिनट तक हैं. 30 जुलाई रविवार को सावन माह का दूसरा प्रदोष व्रत है. प्रदोष काल में महादेव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने से सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं तथा जीवन सुख में हो जाता। आइए आपको बताते हैं प्रदोष व्रत के कुछ उपायों के बारे में...
* वैवाहिक जीवन होगा सुखमय:-
अगर आपके दांपत्य जीवन में तनाव है तो 27 लाल गुलाब के फूलों को लाल धागों में पिरोकर पति और पत्नी साथ मिलकर संध्या के समय महादेव को चढ़ाएं जिससे आपके दांपत्य जीवन में मधुरता आएगी।
* नौकरी की समस्या होगी दूर:-
जिन व्यक्तियों को बार-बार मेहनत करने के बाद भी सरकारी नौकरी में समस्या आ रही हो तो वह इस प्रदोष व्रत पर शाम के समय भगवान शिव को कच्चे दूध से स्नान कराएं। इससे आपकी समस्या का निदान होगा।
* व्यापार में मिलेगी सफलता:-
यदि आपको बार-बार व्यापार में निराशा का सामना करना पड़ रहा है तो प्रदोष व्रत के दिन गाय को रोटी खिलाएं। इससे आपकी सोई हुई किस्मत जाग जाएगी। प्रदोष व्रत के दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को भोजन तथा जल का दान करना चाहिए ऐसा करने से परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (29 जुलाई 2023)
29 Jul, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- इष्ट मित्रों से धोखे की संभावना, सतर्कता से कार्य करें, विशेष लाभ होगा।
वृष राशि :- समय हर्ष-उल्लास से बीतेगा, धन लाभ, अधिकारी वर्ग से समर्थन प्राप्त होगा।
मिथुन राशि :- सफलता के साधन जुटायेंगे, तनाव पूर्ण स्थिति से बचिये, कार्यगति मंद होगी।
कर्क राशि :- स्थिति में सुधार, स्त्री वर्ग से हर्ष होगा, व्यवसायिक क्षमता अनुकूल अवश्य होगी।
सिंह राशि :- आशानुकूल सफलता से हर्ष होगा, स्थिति में सुधार होगा तथा रुके कार्य बनेंगे।
कन्या राशि :- धन का व्यर्थ व्यय होगा, दूसरों के कार्यों में हस्ताक्षेप करने से तनाव अवश्य होगा।
तुला राशि :- कार्यगति अनुकूल होगी, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, मित्र सहयोग करेंगे।
वृश्चिक राशि :- सामाजिक कार्यों में प्रतिष्ठा-प्रभुत्व वृद्धि एवं कार्य कुशलता से संतोष होगा।
धनु राशि :- कार्य कुशलता से हर्ष, कार्य योजना फलीभूत होगी तथा नये कार्य अवश्य बनेंगे।
मकर राशि :- अधिकारियों के समर्थन से बचें, तनाव, क्लेश तथा अशांति अवश्य ही बनेगी।
कुंभ राशि :- उद्विघ्नता-असमंजस का वातावरण मन को क्लेशयुक्त रखेगा, समय का ध्यान अवश्य रखें।
मीन राशि :- बिगड़े कार्य बनेंगे, योजनायें फलीभूत होंगी, सफलता के साधन अवश्य जुटायें।
ज्ञानवापी : काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास की 15 खास बातें
28 Jul, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत में हिन्दुओं के कई मंदिर है जहां पर मुगल काल से ही विवाद की स्थिति बनी हुई है। उन्हीं में से एक है 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी का बाबा विश्वनाथ का मंदिर।
काशी को बनारस और वाराणसी भी कहते हैं। आओ जानते हैं काशी विश्वनाथ मंदिर के बनने, तोड़े जाने, पुन: बनने के इतिहास की कहानी, 15 पॉइंट में।
काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास- History of Kashi Vishwanath Temple:
1. द्वादश ज्योतिर्लिंगों में प्रमुख काशी विश्वनाथ मंदिर अनादिकाल से काशी में है। यह स्थान शिव और पार्वती का आदि स्थान है इसीलिए आदिलिंग के रूप में अविमुक्तेश्वर को ही प्रथम लिंग माना गया है। इसका उल्लेख महाभारत और उपनिषद में भी किया गया है।
2. ईसा पूर्व 11वीं सदी में राजा हरीशचन्द्र ने जिस विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था उसका सम्राट विक्रमादित्य ने जीर्णोद्धार करवाया था।
3. इस मंदिर को बाद में 1194 में मुहम्मद गौरी ने लूटने के बाद तुड़वा दिया था। इतिहासकारों के अनुसार इस भव्य मंदिर को सन् 1194 में मुहम्मद गौरी द्वारा तोड़ा गया था।
4. इस मंदिर को स्थानीय लोगों ने मिलकर फिर से बनाया था परंतु सन् 1447 में जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह द्वारा तोड़ दिया गया।
5. पुन: सन् 1585 ई. में राजा टोडरमल की सहायता से पं. नारायण भट्ट द्वारा इस स्थान पर फिर से एक भव्य मंदिर का निर्माण किया गया। डॉ. एएस भट्ट ने अपनी किताब 'दान हारावली' में इसका जिक्र किया है कि टोडरमल ने मंदिर का पुनर्निर्माण 1585 में करवाया था।
6. इस भव्य मंदिर को सन् 1632 में शाहजहां ने आदेश पारित कर इसे तोड़ने के लिए सेना भेज दी। सेना हिन्दुओं के प्रबल प्रतिरोध के कारण विश्वनाथ मंदिर के केंद्रीय मंदिर को तो तोड़ नहीं सकी, लेकिन काशी के 63 अन्य मंदिर तोड़ दिए गए।
7. इसके बाद 18 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने एक फरमान जारी कर काशी विश्वनाथ मंदिर ध्वस्त करने का आदेश दिया। यह फरमान एशियाटिक लाइब्रेरी, कोलकाता में आज भी सुरक्षित है। उस समय के लेखक साकी मुस्तइद खां द्वारा लिखित 'मासीदे आलमगिरी' में इस ध्वंस का वर्णन है।
8. औरंगजेब के आदेश पर यहां का मंदिर तोड़कर एक ज्ञानवापी मस्जिद बनाई गई। 2 सितंबर 1669 को औरंगजेब को मंदिर तोड़ने का कार्य पूरा होने की सूचना दी गई थी।
9. सन् 1752 से लेकर सन् 1780 के बीच मराठा सरदार दत्ताजी सिंधिया व मल्हारराव होलकर ने मंदिर मुक्ति के प्रयास किए।
10. 7 अगस्त 1770 ई. में महादजी सिंधिया ने दिल्ली के बादशाह शाह आलम से मंदिर तोड़ने की क्षतिपूर्ति वसूल करने का आदेश जारी करा लिया, परंतु तब तक काशी पर ईस्ट इंडिया कंपनी का राज हो गया था इसलिए मंदिर का नवीनीकरण रुक गया।
11. 1777-80 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया था। अहिल्याबाई होलकर ने इसी परिसर में विश्वनाथ मंदिर बनवाया जिस पर पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने सोने का छत्र बनवाया। ग्वालियर की महारानी बैजाबाई ने ज्ञानवापी का मंडप बनवाया और महाराजा नेपाल ने वहां विशाल नंदी प्रतिमा स्थापित करवाई।
12. सन् 1809 में काशी के हिन्दुओं ने जबरन बनाई गई मस्जिद पर कब्जा कर लिया था, क्योंकि यह संपूर्ण क्षेत्र ज्ञानवापी मंडप का क्षेत्र है जिसे आजकल ज्ञानवापी मस्जिद कहा जाता है।
13. 30 दिसंबर 1810 को बनारस के तत्कालीन जिला दंडाधिकारी मि. वाटसन ने 'वाइस प्रेसीडेंट इन काउंसिल' को एक पत्र लिखकर ज्ञानवापी परिसर हिन्दुओं को हमेशा के लिए सौंपने को कहा था, लेकिन यह कभी संभव नहीं हो पाया।
14. इतिहास की किताबों में 11 से 15वीं सदी के कालखंड में मंदिरों का जिक्र और उसके विध्वंस की बातें भी सामने आती हैं। मोहम्मद तुगलक (1325) के समकालीन लेखक जिनप्रभ सूरी ने किताब 'विविध कल्प तीर्थ' में लिखा है कि बाबा विश्वनाथ को देव क्षेत्र कहा जाता था। लेखक फ्यूरर ने भी लिखा है कि फिरोजशाह तुगलक के समय कुछ मंदिर मस्जिद में तब्दील हुए थे। 1460 में वाचस्पति ने अपनी पुस्तक 'तीर्थ चिंतामणि' में वर्णन किया है कि अविमुक्तेश्वर और विशेश्वर एक ही शिवलिंग है।
15. काशी में मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट विश्वनाथ धाम को 800 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत से बनाया गया है। इसमें श्रद्धालुओं की सुविधाओं का विशेष ध्यान रखा गया है। प्राचीन मंदिर के मूल स्वरूप को बनाए रखते हुए 5 लाख 27 हजार वर्ग फीट से ज्यादा क्षेत्र को विकसित किया गया है। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर का क्षेत्रफल पहले 3,000 वर्ग फीट था। लगभग 400 करोड़ रुपए की लागत से मंदिर के आसपास की 300 से ज्यादा बिल्डिंग को खरीदा गया। इसके बाद 5 लाख वर्ग फीट से ज्यादा जमीन में लगभग 400 करोड़ रुपए से ज्यादा की लागत से निर्माण किया गया। हालांकि निर्माण कार्य अभी जारी है। इसमें प्रमुख रूप से गंगा व्यू गैलरी, मणिकर्णिका, जलासेन और ललिता घाट से धाम आने के लिए प्रवेश द्वार और रास्ता बनाने का काम है। गौरतलब है कि धाम के लिए खरीदे गए भवनों को नष्ट करने के दौरान 40 से अधिक मंदिर मिले। उन्हें विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट के तहत नए सिरे से संरक्षित किया गया है।
राहु या काल सर्प दोष से हैं परेशान, कार्यों में सफलता नहीं मिल रही है तो धारण करें गोमेद रत्न
28 Jul, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष शास्त्र में राहु एक छाया ग्रह माना जाता है यह शरीर रहित एक सिर है इनका मुख काफी भयंकर है .इनका वस्त्र काला होता है. ग्रहों के साथ यह भी ब्रह्मा के सभा में बैठते है पृथ्वी का छाया मंडलाकार होती है वही राहु इस छाया का भ्रमण करता है ,यह छाया का अधिष्ठात्री देवता है राहु जब सूर्य और चंद्रमा को अपने तन में ढक लेता है तब इतना अंधेरा छा लेता है कुछ दिखाई नहीं देता है.
इनका वाहन बुध की तरह सिह है. ज्योतिषाचार्य संजीत मिश्रा के अनुसार राहु यह चतुर्थ श्रेणी का पाप ग्रह है. यह ग्रह नवनिर्माण , जांच -पड़ताल, भौतिक, प्रगति, विदेश की यात्रा कराने वाला ग्रह है. कभी -कभी अचानक गुप्त धन दिलवाता है . लेकिन आपके कुंडली के किस भाव में राहु-केतु विराजमान है उसी के अनुसार परिणाम मिलता है .राहु का गोचर पुरे 18 वर्ष तक रहता है.
केतु की महादशा 7 वर्ष तक रहती है
इसी तरह केतु की महादशा 7 वर्ष तक रहती है राहु केतु के गोचर के अन्तर्गत कई तरह से शुभ तथा अशुभ प्रभाव पड़ता है. छाया ग्रह के कारण जीवन में जैसे गलत लत लग जाता ,धन के मामले में परेशानी होती है. दाम्पत्य जीवन में परेशानी होता है . घटना -दुर्घटना, होनी -अनहोनी ,सिर पर चोट लगना ,जुआ का लत लग जाता है. जीवन में कई तरह से परेशानी देता है वैसे ही प्रभाव कालसर्प दोष होने पर होता है.
गोमेद रत्न को धारण करने से बढ़िया लाभ मिलता है
इस तरह के परेशानी में गोमेद रत्न धारण करने से बहुत ही लाभकारी होता है राहु केतु एक छाया ग्रह है इनकी कोई राशि नहीं है ,इसलिए जब आपके कुडली में राहु का महादशा चल रहा हो इस समय गोमेद रत्न को धारण करने से बढ़िया लाभ मिलता है जन्मकुंडली के अनुसार जिनके कुंडली में कालसर्प दोष हो या राहु से परेशान है अक्सर इस प्रकार के लोग बड़े अधिकारी होते है इनका वर्चस्व खुब बना रहता है लेकिन अपने काम को ठीक तरह से नहीं कर पाते है, जिसे इन जातको को अपने पद -प्रतिष्ठा में कई तरह से व्योधान होता है.
स्टोन विचारों में पारदर्शिता लाता है
इनका मानसिक हालत ठीक नहीं रहता है अपने आप को संभाल नहीं पाते है. इस तरह के लोग को गोमेद रत्न धारण करने पर इनके जीवन में अस्थिरता बन जाता है और निरंतर आगे बढ़ते जाते है .शत्रुओं और विरोधियों को पराजित करने एवं निराशा से भरे विचारों को दूर करने के लिए भी इस रत्न को पहना जा सकता है. जिन लोगों का मन भ्रम और आशंकाओं से घिरा रहता है, उन्हें राहु का रत्न पहनना चाहिए. ये स्टोन विचारों में पारदर्शिता लाता है. मन के डर को दूर कर गोमेद व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ाता है और उसे प्रेरित करता है.
राहु ग्रह या काल सर्प दोष के आलावा कौन से लोग गोमेद धारण कर सकते है
(1) जिस व्यक्ति के लगन वृष , मिथुन ,तुला ,कुम्भ का हो उन्हें गोमेद धारण करना चाहिए .
(2) यदि राहु केंद्र स्थान प्रथम ,चौथे ,सातवे ,दसवे या एकादश भाव में राहु हो उन्हें गोमेद रत्न धारण करना चाहिए .
(3 )यदि लगन कुंडली में राहु दुसरे , तीसरे,नवम या एकादश भाव में हो उसे गोमेद पहनना चाहिए .
(4 )वकालत ,न्याय राजपक्ष आदि के क्षेत्र में उन्नति के लिए गोमेद रत्न धारण कर सकते है .
(5) राहु चोरी जुआ आदि पाप क्रम का कारक है इन कार्यो में लगा हुआ व्यक्ति के लिए उपयोगी होता है .
गोमेद के बारे क्या है विचार
राहु एक आस्तित्व वाले ग्रह नहीं है इनकी अपनी राशि नहीं है .इसलिए जब राहु केंद्र, त्रिकोण ,पंचम नवम तीसरे छठे तथा एकादश भाव में रहे तब राहु की महादशा में गोमेद रत्न धारण करना लाभकारी रहेगा .यदि राहु दुसरे ,सातवे ,आठवे ,या बारहवे भाव में है तब राहु के महादशा में गोमेद रत्न धारण नहीं करे.
गोमेद रत्न कब और कैसे धारण करे
गोमेद रत्न को आद्रा ,शतभिखा , और स्वाति नक्षत्र में ही पंचधातु या चांदी के अंगूठी में 5 से 6 रति का गोमेद रत्न शनिवार को मध्यमा उंगुली में संध्याकाल में धारण करना चाहिए.इस रत्नको धारण करने से पहले ॐ रां राहवे नमः मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए .
सर्वपितृ अमावस्या 2023: सर्वपितृ अमावस्या पर इन उपायों को करके उठाएं लाभ
28 Jul, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में पितृपक्ष के दिनों को बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि पूर्वजों को समर्पित होता हैं। इस दौरान अधिकतर लोग अपने पूर्वजों को प्रसन्न करने व उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करते हैं माना जाता हैं कि ऐसा करने से पूर्वज प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करते हैं पितृपक्ष का आखिरी दिन सर्वपितृ अमावस्या कहलाता हैं इस दिन को विसर्जनी अमावस्या भी कहा जाता हैं।
जिन लोगों को अपने पितरों की मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती हैं वे इस दिन अपने पितरों का श्राद्ध और तर्पण भी कर सकते हैं इस बार सर्वपितृ अमावस्या 14 अक्टूबर को मनाई जाएगी। ऐसे में इस दिन श्राद्ध तर्पण और पिंडदान के अलावा अगर कुछ उपायों को भी किया जाए तो पूर्वजों का आशीर्वाद मिलता हैं और पितृदोष दूर हो जाता हैं, तो आज हम आपको उन्हीं उपायों के बारे में बता रहे हैं।
सर्वपितृ अमावस्या पर करें ये उपाय-
ज्योतिष अनुसार अगर आप पितृपक्ष के दौरान रोजाना पितरों का तर्पण नहीं कर सकते हैं तो ऐसे में सर्वपितृ अमावस्या के दिन गंगाजल में काले तिल, जौ, दूध और चावल मिलाकर तर्पण की क्रिया कर सकते हैं। इसके बाद पके हुए चावल में काले तिल मिलाकर पिंड बनाएं और इसे पितरों का पिंडदान करें। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं।
वही इसके अलावा सर्वपितृ अमावस्या पर पितरों को भोजन कराएं इसके साथ ही कौवों, चींटियों, कुत्तों और गायों को भी भोजन कराएं इसके बाद किसी मंदिर में जाकर अपनी इच्छा अनुसार दान जरूर करें ऐसा करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती हैं। सर्वपितृ अमावस्या पर अगर अन्न व वस्त्रों का दान गरीबों व जरूरतमंदों को किया जाए तो इससे जीवन में आने वाली सभी परेशानियों और संकटों का नाश हो जाता हैं।
सावन 2023: शिवलिंग पर इन चीजों को चढ़ाने से बरसेगी महादेव की कृपा
28 Jul, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में वैसे तो हर महीने को खास बताया गया हैं लेकिन सावन का महीना बेहद महत्वपूर्ण होता हैं जो कि महादेव की पूजा आराधना को समर्पित होता हैं पंचांग के अनुसार इस साल श्रावण मास की शुरुआत 4 जुलाई से हो चुकी हैं और समापन 31 अगस्त को हो जाएगा।
अभी शिव का पवित्र महीना सावन चल रहा हैं और इस दौरान शिव भक्त प्रभु को प्रसन्न करने व उनका आशीर्वाद पाने के लिए विधि विधान से भगवान की पूजा करते हैं और इस महीने पड़ने वाले सोमवार के दिन व्रत आदि भी रखते हैं माना जाता हैं कि सावन में शिव को प्रसन्न कर लेने वाले को भोलेबाबा की अपार कृपा प्राप्त होती हैं ऐसे में अगर आप भी महादेव का आशीर्वाद चाहते हैं तो इस पवित्र महीने में शिवलिंग पर कुछ खास चीजों को जरूर अर्पित करें ऐसा करने से जीवन के दुख दर्द दूर हो जाते हैं।
शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें-
ज्योतिष अनुसार सावन में पड़ने वाले सोमवार के दिन अगर शिवलिंग का गंगाजल से जलाभिषेक किया जाए तो साधक को मोक्ष मिलता हैं इसके अलावा इस पूरे महीने अगर निरंतर जल अर्पित किया जाए तो परिवार में सुख शांत बनी रहती हैं और बीमारियां भी दूर रहती हैं। वही शारीरिक और मानसिक परेशानियों को दूर करने के लिए इस महीने शिवलिंग पर शुद्ध घी से अभिषेक करना चाहिए। ऐसा करने से लाभ मिलता हैं।
धन संपत्ति से परिपूर्ण जीवन पाने के लिए सावन के सोमवार को शिवलिंग का अक्षत से अभिषेक जरूर करें। ऐसा करने से जीवनभर खुशियां बनी रहती हैं। इस पूरे महीने अगर शिवलिंग का दही अर्पित किया जाए तो धन धान्य से परिवार संपन्न रहता हैं और घर में हमेशा खुशियां बनी रहती हैं। सभी प्रकार के रोग दोषों से मुक्ति के लिए शिव शंकर को कुशा जल या सुगन्धित इत्र अर्पित करें।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (28 जुलाई 2023)
28 Jul, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्य बाधा, स्वाभाव में उद्विघ्नता तथा दु:ख अवश्य ही बनेगा, धैर्य से कार्य करें।
वृष राशि :- किसी आरोप से बचें, कार्यगति मंद रहेगी, क्लेश व अशांति का वातावरण बनेगा।
मिथुन राशि :- योजनायें पूर्ण होंगी, धन लाभ होगा, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा।
कर्क राशि :- मित्र सुखवर्धक होगा, कार्यगति में सुधार होगा, चिन्तायें कम होंगी, धैर्य रखें।
सिंह राशि :- कार्य और धन अस्त-व्यस्त होगा, सतर्कता से कार्य अवश्य निपटा लें।
कन्या राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा, कार्यगति में सुधार होगा, चिन्ता कम होगी।
तुला राशि :- मान-प्रतिष्ठा के साधन बनेंगे, स्त्री से सुख-शांति अवश्य बनेगी, समय का लाभ लें।
वृश्चिक राशि :- अग्नि-चोटादि का भय, व्यर्थ भ्रमण, धन का व्यय होगा, कार्य अवरोध होगा।
धनु राशि :- क्लेश व अशांति, मानसिक विभ्रम, क्लेश तथा भय बना ही रहेगा, ध्यान दें।
मकर राशि :- विवादग्रस्त होने से बचिये, तनाव, क्लेश, मानसिक अशांति अवश्य बनेगी।
कुंभ राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, इष्ट मित्र सुखवर्धक होगा।
मीन राशि :- धन-ऐश्वर्य की प्राप्ति, समय उल्लास से बीतेगा, मनोवृत्ति उत्तम होगी।
जानिए इस साल किस दिन मनाया जाएगा रक्षाबंधन?
27 Jul, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रत्येक महीने के अंत में एक पूर्णिमा आती है. लेकिन इस वर्ष सावन में दो पूर्णिमा का संयोग बन रहा है. ऐसे में लोग असमंजस में हैं कि दान-स्नान या रक्षा बंधन वाली पूर्णिमा तिथि कौन सी है.
सावन की पहली पूर्णिमा तिथि अधिक मास में लग रही है, इसलिए इसे सावन अधिक पूर्णिमा कहा जा रहा है. सावन अधिक पूर्णिमा 1 अगस्त को पड़ रही है. हिंदू पंचांग के मुताबिक, सावन अधिक पूर्णिमा तिथि 1 अगस्त दिन मंगलवार को प्रातः 03.51 बजे से लेकर देर रात 12.01 बजे तक रहेगी.
सावन माह की दूसरी पूर्णिमा 30 अगस्त दिन बुधवार को है. सावन माह की पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को प्रातः 10.58 बजे से लेकर 31 अगस्त दिन बृहस्पतिवार को प्रातः 07.05 बजे तक रहेगी. ऐसे में श्रावण पूर्णिमा व्रत 30 अगस्त को होगा तथा स्नान-दान 31 अगस्त को किया जाएगा. रक्षा बंधन का त्योहार प्रत्येक वर्ष श्रावण पूर्णिमा को मनाया जाता है. चूंकि सावन में इस बार दो पूर्णिमा पड़ रही है, इसलिए त्योहार की तिथि को लेकर भी लोग असमंजस में पड़ सकते हैं. रक्षा बंधन भी 30 और 31 अगस्त दोनों दिन मनाया जाएगा. हालांकि भद्रा होने के कारण त्योहार 30 अगस्त की रात या 31 अगस्त की सुबह मनाना ही उचित होगा.
30 अगस्त को पूर्णिमा तिथि के साथ ही भद्रा काल आरंभ हो जाएगा. शास्त्रों में भद्रा काल में श्रावणी पर्व मनाना निषेध माना गया है. 30 अगस्त को भद्रा काल रात 09 बजकर 02 मिनट तक रहेगा. इस समय के पश्चात् ही राखी बांधना अधिक उपयुक्त रहेगा. राखी बांधने के लिए दोपहर का समय शुभ होता है. ऐसे में 30 अगस्त के दिन भद्रा काल कि वजह से राखी बांधने का मुहूर्त सुबह के समय नहीं होगा. उस दिन रात में ही राखी बांधने का मुहूर्त है. 31 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा प्रातः 07 बजकर 05 मिनट तक है, इस वक़्त भद्रा का साया नहीं है. इसलिए आप सुबह-सुबह भाई को राखी बांध सकती हैं.
हरियाली तीज: तीज पर सुहागिनें न करें ये गलतियां, दांपत्य जीवन हो जाएगा बर्बाद
27 Jul, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में वैसे तो कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं लेकिन हरियाली तीज का अपना महत्व होता हैं जो कि सावन के पवित्र महीने में पड़ता हैं इस दिन सुहागिनें भगवान शिव के संग माता पार्वती की विधि विधान से पूजा करती हैं और निर्जला व्रत भी रखती हैं।
माना जाता हैं कि हरियाली तीज का व्रत पूजन करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती हैं और वैवाहिक जीवन में खुशहाली आती हैं साथ ही पति की आयु भी लंबी होती हैं वही कुंवारी कन्याओं द्वारा तीज व्रत को करने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती हैं लेकिन कुछ ऐसे काम हैं जिन्हें भूलकर भी हरियाली तीज पर नहीं करना चाहिए वरना दांपत्य जीवन में दरार पैदा होने लगती हैं और कई अन्य परेशानियों का भी सामना करना पड़ता हैं, तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा उन्हीं के बारे में बता रहे हैं।
तीज पर सुहागिनें न करें ये गलतियां-
धार्मिक और ज्योतिष की मानें तो हरियाली तीज पर सुहागिन महिलाओं को भूलकर भी काली चूड़ियां नहीं पहननी चाहिए। इस दिन केवल हरी या फिर लाल रंग की चूड़िया ही पहनें ऐसा करने से रिश्तों में प्रेम और मजबूती बनी रहती हैं इसके अलावा काला रंग वैवाहिक जीवन में तनाव और झगड़े को बढ़ाता हैं ऐसे में इस रंग की चीजों को अगर तीज पर पहना जाए तो नकारात्मकता में वृद्धि होती हैं जो समस्याओं को पैदा करती हैं।
हरियाली तीज रखने वाली महिलाओं को व्रत के दौरान एक घूट भी पानी नहीं पीना चाहिए। उन्हें केवल निर्जला उपवास रखना चाहिए। इस दिन पति से किसी भी तरह की बहस, लड़ाई झगड़ा या फिर क्लेश नहीं करना चाहिए वरना वैवाहिक जीवन पूरी तरह बर्बाद हो सकता हैं इस दिन मन को प्रसन्न रखना जरूरी हैं। हरियाली तीज के दिन पूजा शुभ मुहूर्त पर ही करना चाहिए और व्रत का पारण भी मुहूर्त देखकर ही करें। ऐसा करने से व्रत पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता हैं।