धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (15 अगस्त 2023)
15 Aug, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- भाग्य का सितारा साथ देगा, इष्ट मित्र सहयोगी हेंगे, रुके कार्य अवश्य ही बन जायेंगे।
वृष :- इष्ट मित्र सुख वर्धक हों, मनोबल बनाये रखें, उत्साह हीनता से हानि अवश्य ही होगी।
मिथुन :- इष्ट मित्रों से परेशानी, कष्ट व अशांति, दैनिक कार्यगति अनुकूल अवश्य ही बनेगी।
कर्क :- मान-प्रतिष्ठा, प्रभुत्व वृद्धि, स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास, समृद्धि के साधन अवश्य जुटायें।
सिंह :- कार्यगति अनुकूल हो, सामाजिक प्रभुत्व वृद्धि एवं प्रतिष्ठा अवश्य ही बढ़ेगी।
कन्या :- कुटुम्ब की परेशानी, चिन्ता, व्याग्रता तथा उद्विघ्नता से बचिये, कार्य अवरोध होगा।
तुला :- धन हानि, शरीर कष्ट, मानसिक बेचैनी, व्यर्थ भ्रमण, धन का व्यय संभावित होवेगा।
वृश्चिक :- इष्ट मित्र सुखवर्धक हों, अधिकारियों का समर्थन फलप्रद अवश्य ही होगा।
धनु :- कार्य कुशलता से संतोष, दैनिक समृद्धि के साधन अवश्य ही बनेंगे, समय का ध्यान रखें।
मकर :- दैनिक कार्यगति में सुधार, योजना फलीभूत होंगी, रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे।
कुम्भ :- विशेष कार्यगति स्थिगित रखें, दैनिक मानसिक विभ्रम, किन्तु उद्विघ्नता से बचिये।
मीन :- कार्य विफलता, सफलता मेहनत करने पर भी दिखाई न दे, कार्य अवरोध होगा।
सूर्य साधना में पढ़ें ये आरती, प्रभु की बरसेगी कृपा
14 Aug, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सप्ताह में हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा अर्चना को समर्पित होता हैं वही रविवार का दिन भगवान श्री सूर्यदेव की पूजा के लिए बेहद ही खास माना जाता है इस दिन भक्त भगवान को प्रसन्न करने के लिए उनकी विधिवत पूजा करते हैं और दिनभर का उपवास भी रखते हैं।
माना जाता है कि ऐसा करने से श्री सूर्यदेव की कृपा प्राप्त होती हैं लेकिन इसी के साथ ही अगर रविवार के दिन भगवान की आरती पढ़ी जाए तो जीवन के कष्टों का अंत हो जाता हैं और श्री सूर्यदेव की कृपा मिलती हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं भगवान श्री सूर्यदेव की संपूर्ण आरती पाठ।
भगवान सूर्यदेव की आरती-
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम,
श्वेत कमलधारी ।
तुम चार भुजाधारी ॥
अश्व हैं सात तुम्हारे,
कोटी किरण पसारे ।
तुम हो देव महान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊषाकाल में जब तुम,
उदयाचल आते ।
सब तब दर्शन पाते ॥
फैलाते उजियारा,
जागता तब जग सारा ।
करे सब तब गुणगान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
संध्या में भुवनेश्वर,
अस्ताचल जाते ।
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में,
हर घर हर आंगन में ।
हो तव महिमा गान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
देव दनुज नर नारी,
ऋषि मुनिवर भजते ।
आदित्य हृदय जपते ॥
स्त्रोत ये मंगलकारी,
इसकी है रचना न्यारी ।
दे नव जीवनदान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
तुम हो त्रिकाल रचियता,
तुम जग के आधार ।
महिमा तब अपरम्पार ॥
प्राणों का सिंचन करके,
भक्तों को अपने देते ।
बल बृद्धि और ज्ञान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
भूचर जल चर खेचर,
सब के हो प्राण तुम्हीं ।
सब जीवों के प्राण तुम्हीं ॥
वेद पुराण बखाने,
धर्म सभी तुम्हें माने ।
तुम ही सर्व शक्तिमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
पूजन करती दिशाएं,
पूजे दश दिक्पाल ।
तुम भुवनों के प्रतिपाल ॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी,
तुम शाश्वत अविनाशी ।
शुभकारी अंशुमान ॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान ।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा ॥
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान ॥
भगवान भोलेनाथ को प्रिय हैं ये 7 फूल, चढ़ाने से महादेव होंगे बेहद खुश
14 Aug, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान भोलेनाथ की पूजा करें किसी भी देवी-देवताओं की पूजा करने से पहले पुष्प की जरूरत पड़ती है. हर देवी-देवता को अलग-अलग उस पर फूल चढ़ाए जाते हैं. भगवान शिव को भी कई पुष्प अर्पित किए जाते हैं.
सफेद गुलाब का फूल
मनपसंद के फूल अर्पित करें
भगवान शिवजी की पूजा करते समय उनके मनपसंद के फूल को चढ़ाना चाहिए. ऐसा करने से भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं. आइए जानते हैं कि भगवान शिव को कौन से फूल बेहद प्रिय है.
मदार का फूल
मदार का फूल
शिव जी का पसंदीदा रंग सफेद हैं, इसलिए शिव जी को सफेद अकवन के फूल जरूर अर्पित करें. इसे मदार भी कहा जाता हैं. भोलेनाथ को मदार के पुष्प चढ़ाने से मोक्ष की प्राप्ति होती हैं.
चमेली का फूल
चमेली का फूल
भोलेनाथ को चमेली का फूल चढ़ाने से घर में सुख शांति की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही उनकी अपार कृपा बरसती हैं और वाहन का सुख भी मिलता हैं.
आगस्तय का फूल
आगस्तय का फूल
शिव जी को आगस्तय का पुष्प चढ़ाने से जीवन में मान सम्मान की प्राप्ति होती हैं. यश और कीर्ति की प्राप्ति के लिए भगवान शिव को आगस्तय का पुष्प जरुर चढ़ाये.
कनेर का फूल
कनेर का फूल
कनेर का फूल सभी देवी देवताओं को फ्री होता है, इससे शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान से काफी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.
शमी पत्र और फूल
शमी पत्र और फूल
भोलेनाथ को शमी पत्र और फूल काफी प्रिय है. शिवजी की पूजा करते समय इस फूल को जरूर चढ़ाना चाहिए, इससे शिवजी की कृपा बनी रहती है.
पराजित का फूल
पराजित का फूल
भगवान कृष्ण ने पराजित के फूल को स्वर्ग से पृथ्वी पर लाए थे, इस फूल को भगवान शिव को जरूर अर्पित करें.
धतूरा का फूल
धतूरा का फूल
भगवान शिव को सफेद फूल अत्यंत प्रिय हैं और धतूरा का फूल भी सफेद होता है, इसलिए यह शिव जी को अत्यंत प्रिय है
कमल का फूल
कमल का फूल
कमल का फूल भगवान शिव को प्रिय है. भगवान शिव की पूजा करते समय सफेद कमल का फूल अर्पित करना चाहिए. इससे आर्थिक संकट दूर होता है और धन की प्राप्ति होती है.
विवाह में हो रही देरी तो करें ये उपाय, जल्द बनेंगे योग
14 Aug, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आज कल के समय में युवक-युवतियां का उच्च शिक्षा या अच्छा करियर बनाने के कारण विवाह में विलंब करते हैं, जिससे उनके माता पिता परेशान हो जाते हैं .
कुंडली में विवाह का योग है या नहीं
कुंडली में विवाह का योग है या नहीं
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार विवाह शीघ्र होना या देरी से आपकी कुंडली पर भी निर्भर करता है. अगर आपकी कुंडली में शीघ्र विवाह का योग है तो जल्द होगा, नहीं तो विवाह होने में कई बाधाएं उत्पन्न होंगी.
जल में हल्दी डालकर स्नान करें
पहला उपाय
पुरुष हो या स्त्री हो अगर विवाह में देरी हो रही है तो हर गुरुवार के दिन जल में हल्दी डालकर स्नान करना चाहिए.
केला का पौधा
दूसरा उपाय
हर गुरुवार को गंगाजल में हल्दी डाल दे और आधा जल केले पर और आधा जल पीपल के पेड़ पर चढ़ा दें.
विष्णु मंदिर
तीसरा उपाय
जल्दी विवाह हो इसके लिए हर गुरुवार विष्णु मंदिर की सफाई करनी चाहिए. ऐसा करने पर विवाह आने वाली अड़चने दूर होती है.
वट वृक्ष की पूजा
चौथा उपाय
यदि जातक किसी भी पूर्णिमा पर वट वृक्ष की 108 परिक्रमा लगाता है तो जल्द ही उसकी विवाह संबंधी बाधा दूर होती है.
गाय
पांचवां उपाय
गुरुवार के दिन गाय को दो आटे के पेड़े पर थोड़ा हल्दी लगाकर खिलाना चाहिए. इसके साथ ही थोड़ा सा गुड़ व चने की पीली दाल का भोग गाय को लगाएं.
श्रावण के इस अद्भुत सोमवार को शिवजी का इस तरह से करें रुद्राभिषेक तो सब कुछ ठीक हो जाएगा
14 Aug, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सावन के माह में इस बार 8 सोमवार रहेंगे लेकिन कुछ सोमवार बहुत ही मत्वपूर्ण माने जा रहे हैं। इसमें से एक ऐसा सोमवार है जबकि मासिक शिवरात्रि भी रहेगी। ऐसे में इस सोमवार के दिन शिव की पूजा का महत्व बढ़ जाएगे क्योंकि सोमवार और चतुर्दशी दोनों ही शिवजी का दिन हैं।
आओ जानते हैं कि यह सोमवार कब है और कैसे करें रुद्राभिषेक।
सावन का छठा सोमवार : 14 अगस्त 2023 को श्रावण मास का छठा सोमवार रहेगा। इस सोमवार के दिन चतुर्दशी का व्रत भी रखा जाएगा। कृष्ण पक्ष की यह चतुर्दशी मासिक शिवरात्रि है।
कैसे करें शिवलिंग का रुद्राभिषेक, पूजा की सरल विधि- Rudrabhishek puja vidhi :-
पूजा सामग्री- भांग, धतूरा, बेलपत्र, दूध, दही, घृत, शहद, चीनी, अनार, ऋतुफल, भस्म, चंदन, सफेद फूल, जल का पात्र, गंगा जल, शिव भोग, प्रसाद आदि।
शिवलिंग को उत्तर दिशा में स्थापित करके पूर्व में मुख करके रुद्राभिषेक करते हैं।
पहले शिवलिंग का शुद्ध जल या गंगाजल से जलाभिषेक करें।
इसके बाद पंचामृत (दूध, दही, शहद, शक्कर, घी) समेत गन्ने का रस आदि सभी तरल पदार्थ से उनका अभिषेक करें।
अभिषेक करते समय शिवजी का पंचाक्षरी मंत्र- ॐ नम: शिवाय का जप करते रहें।
उपरोक्त अभिषेक करने के बाद पुन: जलाभिषेक करें।
इसके बाद शिवजी को चंदन और भस्म का लेप लगाएं।
लेप लगाते समय महामृत्युंजय मंत्र या रुद्राष्टकम मंत्र का जाप करें।
इसके बाद उन्हें पान का पत्ता, बेलपत्र सहित सभी बची हुई पूजा सामग्री करें।
इसके बाद उन्हें उनकी पसंद का भोग लगाएं और इसके बाद 108 बार शिव मंत्र का जप करें।
जप करने के बाद उनकी आरती उतारते हैं।
आरती के बाद प्रसाद वितरण करते हैं।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (14 अगस्त 2023)
14 Aug, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- कार्यकुशलता एवं समृद्धि के योग, फलप्रद हो तथा उत्साह से कार्य बनेंगे, धैर्य से कार्य करें।
वृष :- कार्य तत्परता से लाभ होगा एवं इष्ट मित्र सुख वर्धक होंगे रुके कार्य तत्काल बना लेवें।
मिथुन :- व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि, कार्य कुशलता से संतोष, बिगड़े कार्य शनै: शनै: बन जायेंगे।
कर्क :- धन सोचसमझ कर खर्च करें अन्यथा हानि की संभावना होगी, मानसिक विभ्रम-भय क्लेश होगा।
सिंह :- समय अनुकूल नहीं, विशेष कार्य स्थिगित रखें, लेनदेन के मामले में हानि हो सकती है।
कन्या :- मानसिक विभ्रम के कारण किसी आरोप में फंस सकते हैं, सतर्कता से कार्य अवश्य करेंगे।
तुला :- भाग्य का सितारा प्रबल हो, कार्य अवश्य बनेंगे, कार्य कुशलता से संतोष होगा।
वृश्चिक :- कार्य कुशलता से संतोष, कार्य योजना फलीभूत होगी, सफलता के साधन अवश्य जुटायें।
धनु :- धन लाभ, सफलता के साधन जुटायें, आशानुकूल सफलता से हर्ष होगा, ध्यान अवश्य रखें।
मकर :- आरोप प्रत्यारोप व क्लेश संभव, धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा।
कुम्भ :- इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, स्त्री शरीर कष्ट, चिन्ता व असमंजस से बचकर चलें।
मीन :- इष्ट मित्र सहायक रहें, दैनिक कार्य में अनुकूलता बनेगी, ध्यान रखकर कार्य करें, कार्य उत्तम होगा।
समय जीवन के सभी घाव भर देता है, पढ़ें इससे जुड़ी 5 अनमोल सीख
13 Aug, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
समय बहुत बड़ा बलवान होता है। जीवन में जो व्यक्ति समय के साथ चलना सिख गया, समझो वो जीवन के हर सबक को सीख गया है। इंसान को कभी भी जीवन में आया बुरा समय या फिर आने वाले बुरे समय से कभी घबराना नहीं चाहिए क्योंकि उस समय के साथ कुछ अच्छाइयां भी जुड़ी हुई होती है।
समय कभी भी किसी का एक जैसा नहीं लगा रहता है। इसलिए अच्छे समय का दुरुपयोग न करते हुए उसका फायदा उठाइए।
कभी भी जीवन में आए अच्छे समय को फिफल मत जाने दीजिए नहीं तो भविष्य में समय ही आपको सबक सिखा देगी। अच्छा समय और बुरा समय सबके जीवन में एक बार आता ही है। तो अच्छे समय का स्वागत करिए और बुरे समय से बिना घबराएं हुए उससे सिख लेकर आगे बढ़िए। इंसान जीवन में वही सफल होता है ,जो समय को पहचानकर आगे बढ़ता है। आइए जानते है की समय की कीमत के साथ सफलता के मूल मंत्र;
व्यक्ति को समय की असल कीमत तब समझ में आती है जब उसके पास समय बहुत कम हो। वो उस समय चाह कर भी कुछ नहीं कर सकता है।
समय बलवान होता है। और जब समय दंड देता है तो ना ही वहा कोई जज होता है , ना ही कोई वकील होता है। इसलिए कहा जाता है की समय की लाठी से अब तक कोई नहीं बच पाया है।
व्यक्ति के जीवन में जरूरी नहीं की हर समय अच्छा ही हो। इसलिए अच्छे समय का सदुपयोग करें।
दो व्यक्तियों के बीच कितनी भी कड़वाहट क्यों न हो, समय के साथ काम हो ही जाता है। कहते है न समय आने पर सभी चीजें एक न एक दिन सत्य के साथ प्रकट हो जाती हैं।
व्यक्ति को समय की कीमत समझना चाहिए। समय को कैसे सदुपयोग करना है ये आपके ऊपर डिपेंड करता है।
नाग पंचमी पर न करें ये गलतियां, नरक हो जाएगी जिंदगी
13 Aug, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में सावन महीने को बेहद ही शुभ और पवित्र माना जाता हैं इस महीने वैसे तो कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं लेकिन नाग पंचमी का पर्व बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि शिव संग नाग देवता की पूजा अर्चना को समर्पित होता हैं इस दिन लोग नाग देवता की विधि विधान से पूजा करते हैं और उन्हें दूध पिलाते हैं।
पंचांग के अनुसार नाग पंचमी का पर्व हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर मनाया जाता हैं इस बार नाग पंचमी 21 अगस्त दिन रविवार को पड़ रही हैं इस दिन पूजा पाठ करने से जीवन में धन, अच्छी सेहत और सकारात्मक शक्ति का संचार होता हैं लेकिन कुछ ऐसे काम हैं जिन्हें भूलकर भी नाग पंचमी के दिन नहीं करना चाहिए वरना जिंदगी नरक बन जाती हैं तो आज हम आपको बता रहे हैं कि नाग पंचमी पर कौन सी गलतियां करने से बचना चाहिए।
नाग पंचमी पर कया नहीं करें-
वैसे तो कभी भी किसी को गलत शब्द नहीं कहने चाहिए लेकिन नाग पंचमी के दिन अगर कोई ऐसा करता हैं तो इससे समाज में परिवार की छवि धूमिल हो जाती हैं साथ ही कष्ट भी झेलना पड़ता हैं। इसके अलावा नाग पंचमी के दिन धारदार या नुकीली चीजों का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए। इस दिन सूई धाग का भी इस्तेमाल वर्जित माना गया हैं ऐसा करने से जीवन में लगतार परेशानियां बनी रहती हैं।
नाग पंचमी के दिन चूल्हे पर भोजन पकाते वक्त लोहे की कढ़ाई या तवे का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए ऐसा करने से नाग देवता को कष्ट होता हैं इसके अलावा इस दिन खेत में हल चलाना या फिर भूमि की खुदाई करना भी वर्जित बताया गया हैं इसके अलावा नाग पंचमी पर साग तोड़ने से भी मना किया गया हैं ऐसा करने से बुरे परिणाम झेलने पड़ सकते हैं।
शुभ योग में है सावन का छठा सोमवार
13 Aug, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शिव जी को प्रसन्न करने के लिए सावन का महीना सबसे उत्तम माना गया है। इस माह में शिव जी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। वैसे तो यह पूरा महीना विशेष फलदाई है, लेकिन सावन में पड़ने वाले प्रत्येक सोमवार का अलग ही महत्व होता है।
इस साल सावन में कुल 8 सोमवार पड़ रहे हैं, जिसमें से पांच सोमवार बीत चुके हैं। छठा सोमवार 14 अगस्त को है। सावन सोमवार के दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है। सुबह से ही शिव भक्त मंदिरों में जाकर शिवलिंग पर दूध, जल और बेलपत्र चढ़ाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त सच्चे मन से सावन सोमवार व्रत करता है और भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करता है उसपर शिव शम्भू के साथ मां पार्वती भी प्रसन्न होती हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं सावन के छठे सोमवार की पूजा विधि और महत्व...
छठा सावन सोमवार पर मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 50 मिनट से सुबह 05 बजकर 34 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 07 मिनट से शाम 19 बजकर 29 मिनट तक
अमृत काल - सुबह 08 बजकर 27 मिनट से सुबह 10 बजकर 14 मिनट तक
छठा सावन सोमवार पर शुभ योग
सिद्धि योग - 13 अगस्त, दोपहर 03 बजकर 56 मिनट से 14 अगस्त को दोपहर 04 बजकर 40 मिनट तक
सर्वार्थ सिद्धि योग - 14 अगस्त, सुबह 11 बजकर 07 मिनट से 15 अगस्त को सुबह 05 बजकर 50 मिनट तक
इसी दिन सावन के अधिक मास शिवरात्रि भी है।
सावन सोमवार पूजा सामग्री
सावन माह में सोमवार पूजा के लिए फूल, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगाजल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार सामग्री लें।
सावन सोमवार पूजा विधि
सावन सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और इसके बाद भगवान शिव का जलाभिषेक करें।
साथ ही देवी पार्वती और नंदी को भी गंगाजल या दूध चढ़ाएं।
पंचामृत से रुद्राभिषेक करें और बेल पत्र अर्पित करें।
शिवलिंग पर धतूरा, भांग, आलू, चंदन, चावल चढ़ाएं। इसके बाद शिव जी के साथ माता पार्वती और गणेश जी को तिलक लगाएं।
प्रसाद के रूप में भगवान शिव को घी-शक्कर का भोग लगाएं।
आखिर में धूप, दीप से भगवान भोलेनाथ की आरती करें और पूरे दिन फलाहार हर कर शिव जी का स्मरण करते रहें।
शीघ्र विवाह के लिए हरियाली तीज पर करें ये काम
13 Aug, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में कई ऐसे व्रत त्योहार हैं जो महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना से करती हैं इन्हीं में से एक हरियाली तीज का त्योहार हैं जो शादीशुदा महिलाओं के लिए बेहद ही खास माना जाता हैं।
इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला उपवास रखकर शिव पार्वती की पूजा अर्चना करती हैं माना जाता हैं कि हरियाली तीज पर पूजा पाठ और व्रत करने से सुख समृद्धि की प्राप्ति होती हैं इस बार हरियाली तीज का व्रत 19 अगस्त को रखा जाएगा।
इस दिन शिव और गौरी की पूजा का विधान होता हैं। हरियाली तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु और परिवार की सुख शांति के लिए करती हैं तो वही कुंवारी कन्याएं अच्छे जीवनसाथी की कामना से यह व्रत करती हैं इस दिन व्रत पूजा के अलावा अगर कुछ उपाय किए जाए तो विवाह में आने वाली हर बाधा दूर हो जाती हैं और शीघ्र विवाह के योग बनने लगते हैं, तो आइए जानते हैं उपाय।
हरियाली तीज के दिन करें ये उपाय-
अगर विवाह में देरी हो रही हैं या फिर अड़चन आ रही हैं तो ऐसे में हरियाली तीज के दिन निर्जला उपवास करें साथ ही इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि विधान से पूजा आराधना करें। इस दिन हरे रंग के वस्त्रों को धारण करना शुभ माना जाता हैं। शीघ्र विवाह की इच्छा रखने वाली कुंवारी कन्याएं हरियाली तीज के दिन हरे रंग के वस्त्र पहनकर शिव मंदिर जाकर पार्वती जी को लाल चुनरी अर्पित करें। ऐसा करने से लाभ मिलता हैं।
इस दिन मां पार्वती के समक्ष घी का दीपक जलाएं और हाथ जोड़कर अपनी मनोकामना देवी मां से कहें। इसके अलावा हरियाली तीज के दिन केले का पौधा लगाकर इसकी विधिवत पूजा करें माना जाता है कि इस उपाय को करने से विवाह संबंधी बाधाएं दूर हो जाती हैं और घर में जल्द ही शहनाई बजती हैं।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (12 अगस्त 2023)
13 Aug, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- इष्ट मित्र सुख वर्धक होंगे, प्रयास जारी रखें, प्रयत्नशीलता व सफलता से लाभ होगा।
वृष :- समय पर सोचे हुए कार्य निपटा लेवें, कार्य तत्परता से लाभ अवश्य ही होगा।
मिथुन :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा, व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि होगी तथा कार्य में संतोष हो।
कर्क :- परीक्षा से सफलता सम्भव है, सामर्थ के अनुसार प्रयास अवश्य करें, लाभ होगा।
सिंह :- कार्यवृत्ति में सुधार, चिन्ताएW कम हों, सफलता के साधन जुटायें, कार्य निपटा लेवें।
कन्या :- परिश्रम करने पर भी सफलता दिखायी न दे, स्त्री वर्ग से तनाव तथा कष्ट होगा।
तुला :- कुछ लोगों से मेल मिलाप फलप्रद हो, क्षमता अनुकूल रहे, रुके कार्य अवश्य होंगे।
वृश्चिक :- स्वास्थ्य नरम रहे, चोट आदि का भय, मनोबल उत्साहवर्धक होगा, कार्य अवश्य बन जायेंगे।
धनु :- कार्यकुशलता से संतोष, दैनिक कार्यगति में सुधार होगा, कार्य बन ही जायेंगे।
मकर :- मनोबल उत्साहवर्धक हो, मित्रों से परेशानी, किसी धोखे से बचकर रहें।
कुम्भ :- कार्य व्यवसाय गति मंद होते हुए साधन सफलता अवश्य बनी ही रहेगी।
मीन :- विघटनकारी तत्वों से परेशानी होगी, अनायास कुछ बाधायें सम्भव हैं।
इस साल कब मनाई जाएगी श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
12 Aug, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व होता हैं लेकिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को बेहद ही खास माना गया हैं जो कि हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाई जाती हैं इसी पावन दिन पर भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था।
यही वजह है कि इस दिन को भगवान कृष्ण के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता हैं जन्माष्टमी की धूम देशभर में देखने को मिलती है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को कृष्ण जन्मोत्सव, श्री जयंती, गोकुलाष्टमी और श्रीकृष्ण जयंती के नाम से जाना जाता हैं। इस दिन भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की की पूजा रात्रि 12 बजे विधि विधान से की जाती हैं माना जाता है कि आधी रात को ही भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था। तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार इस साल कब मनाया जाएगा।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की सही तिथि-
कृष्ण जन्मोत्सव का पावन पर्व देशभर में धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं इस दिन लोग उपवास रखते हैं और रात्रि 12 बजे बाल गोपाल के जन्म के बाद प्रसाद वितरण करके अपना उपवास खोलते हैं इस साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 37 मिनट से लग रही हैं और इसका समापन 7 सितंबर की शाम 4 बजकर 14 मिनट पर होगा।
शास्त्र अनुसार भगवान कृष्ण का जन्म रात्रि 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। इस मान्यता के अनुसार गृहस्थ जीवन वाले 6 सितंबर को श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का पर्व मनाएंगे। इस दिन विधिवत भगवान की पूजा आराधना और व्रत करने से साधक के जीवन में प्रभु की कृपा बनी रहती हैं।
शिव चालीसा पढ़ने के हैं अनगिनत फायदे, महादेव की कृपा से हर बाधा होगी दूर
12 Aug, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा की जाती है. सभी देवी देवताओं में त्रिदेव को सबसे ऊपर माना जाता है, जिसमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश आते है. इसमें महादेव को विनाशक कहा जाता है, जिन का कार्य धरती पर बड़े बाप का विनाश करना है.
देवों के देव 'महादेव' यानी भगवान शिव की साधना या पूजा हमें हर दुख और भय से मुक्ति दिलाती है.
शिव चालीसा पढ़ने के फायदे
हिंदू धर्म में महादेव की साधना करने से सुख एवं समृद्धि पाई जा सकती है. अगर आप सही तरीके से शिव चालीसा का पाठक करते हैं तो आपको भगवान शिव की असीम कृपा और चमत्कारी लाभ प्राप्त होगा. शिव पुराण में लिखे गए 24000 श्लोक के बीच में 40 पंक्तियों की शिव चालीसा मौजूद है. शिव चालीसा का सही तरीके से उच्चारण करते हुए रोजाना पाठ करने से भक्तों के सारे दुख दर्द दूर हो जाते हैं और भगवान शिव की असीम कृपा बनी होती है.
शिव चालीसा का महत्व
शिव पुराण में भगवान शिव कि अज्ञात उत्पत्ति और महादेव के स्वभाव और उनकी पूजा-अर्चना के तरीकों के बारे में विस्तार पूर्वक कार्य की व्याख्या दी गई है. शिव पुराण में 40 पंक्तियों के काव्य खंड के रूप में शिव चालीसा भी प्रस्तुत किया गया है. शिव चालीसा का रोजाना पाठ करने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते है और अपने भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखते हैं. शिव चालीसा का पाठ करना भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता है कि शिव चालीसा का रोजाना पाठ करने से जातक के सभी दुख दर्द दूर हो जाते हैं और उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है.
शिव चालीसा के पाठ करने का नियम
शिव चालीसा का पाठ करने से पहले स्नान ध्यान करना चाहिए. इसके बाद साफ सुथरा कपड़े पहनकर पूर्व दिशा में अपना मुंह करके बैठना चाहिए. शिव चालीसा का पाठ शुरू करने के पहले भी का दीपक जलाएं. उसके बाद तांबे के लोटे में साफ जल में गंगा जल मिलाकर रखें. शिव चालीसा का पाठ करने से पहले भगवान शिव की पूजा करें, जिसने प्रसाद के रूप में आप घी, दही, चावल, पुष्प चढ़ाएं. शिव चालीसा के पाठ करने से पहले भगवान गणेश के इस श्लोक का जप करें. उसके बाद शिव चालीसा का पाठ शुरू करें.
शिव चालीसा (Shiv Chalisa)
।।दोहा।।
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान।।
जय गिरिजा पति दीन दयाला।
सदा करत सन्तन प्रतिपाला।।
भाल चन्द्रमा सोहत नीके।
कानन कुण्डल नागफनी के।।
अंग गौर शिर गंग बहाये।
मुण्डमाल तन छार लगाये।।
वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे।
छवि को देख नाग मुनि मोहे।।
मैना मातु की ह्वै दुलारी।
बाम अंग सोहत छवि न्यारी।।
कर त्रिशूल सोहत छवि भारी।
करत सदा शत्रुन क्षयकारी।।
नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे।
सागर मध्य कमल हैं जैसे।।
कार्तिक श्याम और गणराऊ।
या छवि को कहि जात न काऊ।।
देवन जबहीं जाय पुकारा।
तब ही दुख प्रभु आप निवारा।।
किया उपद्रव तारक भारी।
देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी।।
तुरत षडानन आप पठायउ।
लवनिमेष महँ मारि गिरायउ।।
आप जलंधर असुर संहारा।
सुयश तुम्हार विदित संसारा।।
त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई।
सबहिं कृपा कर लीन बचाई।।
किया तपहिं भागीरथ भारी।
पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी।।
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं।
सेवक स्तुति करत सदाहीं।।
वेद नाम महिमा तव गाई।
अकथ अनादि भेद नहिं पाई।।
प्रगट उदधि मंथन में ज्वाला।
जरे सुरासुर भये विहाला।।
कीन्ह दया तहँ करी सहाई।
नीलकण्ठ तब नाम कहाई।।
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा।
जीत के लंक विभीषण दीन्हा।।
सहस कमल में हो रहे धारी।
कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी।।
एक कमल प्रभु राखेउ जोई।
कमल नयन पूजन चहं सोई।।
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर।
भये प्रसन्न दिए इच्छित वर।।
जय जय जय अनंत अविनाशी।
करत कृपा सब के घटवासी।।
दुष्ट सकल नित मोहि सतावै ।
भ्रमत रहे मोहि चैन न आवै।।
त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो।
यहि अवसर मोहि आन उबारो।।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो।
संकट से मोहि आन उबारो।।
मातु पिता भ्राता सब कोई।
संकट में पूछत नहिं कोई।।
स्वामी एक है आस तुम्हारी।
आय हरहु अब संकट भारी।।
धन निर्धन को देत सदाहीं।
जो कोई जांचे वो फल पाहीं।।
अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी।
क्षमहु नाथ अब चूक हमारी।।
शंकर हो संकट के नाशन।
मंगल कारण विघ्न विनाशन।।
योगी यति मुनि ध्यान लगावैं।
नारद शारद शीश नवावैं।।
नमो नमो जय नमो शिवाय।
सुर ब्रह्मादिक पार न पाय।।
जो यह पाठ करे मन लाई।
ता पार होत है शम्भु सहाई।।
ॠनिया जो कोई हो अधिकारी।
पाठ करे सो पावन हारी।।
पुत्र हीन कर इच्छा कोई।
निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई।।
पण्डित त्रयोदशी को लावे।
ध्यान पूर्वक होम करावे।।
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा।
तन नहीं ताके रहे कलेशा।।
धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे।
शंकर सम्मुख पाठ सुनावे।।
जन्म जन्म के पाप नसावे।
अन्तवास शिवपुर में पावे।।
कहे अयोध्या आस तुम्हारी।
जानि सकल दुःख हरहु हमारी।।
।।दोहा।।
नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा।
तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश।।
मगसर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान।
अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण।।
शिव चालीसा का महत्व
शिव चालीसा का पाठ करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और आपके परिवार पर उनके असीम कृपा बनी रहती है.
शिव चालीसा का रोजाना विधिवत तरीके से पाठ करना चाहिए. ऐसा करने पर सभी प्रकार के दुख दर्द से छुटकारा मिलता है.
शिव चालीसा का रोजाना पाठ करने से भगवान शिव आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं.
शिव चालीसा का पाठ करने से घर में भूत प्रेत, दुख दलिंदर जैसी समस्याएं नहीं होती है.
शिव चालीसा का महत्व बहुत अधिक है, इससे शारीरिक दुख दर्द भी दूर होते हैं और मन को शांति का अनुभव होता है.
अधिक मास की परमा एकादशी कल, पूजा के दौरान जरूर पढ़ें यह व्रत कथा
12 Aug, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
परमा एकादशी का व्रत अधिक मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस एकादशी व्रत को करने से जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस साल परमा एकादशी व्रत 12 अगस्त 2023, शनिवार के दिन रखा जा रहा है। अधिक मास में पड़ने की वजह से यह एकादशी तिथि तीन साल में एक बार आती है। वैसे हर माह की एकादशी पूजा-पाठ के लिए उत्तम मानी जाती है, लेकिन परमा एकादशी का महत्व कुछ ज्यादा होता है। परमा एकादशी का व्रत जीवन में सुख-समृद्धि की कामना व मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाता है। इस दिन पूजा-पाठ के साथ ही परमा एकादशी की कथा पढ़ने या सुनने से सभी सुखों की प्राप्ति होती है। रमा एकादशी व्रत कथा इस प्रकार है-
परमा एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में सुमेधा नामक एक ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी का नाम पवित्रा था। वह परम सती और साध्वी थी। पति-पत्नी दोनों निर्धनता में जीवन निर्वाह करते हुए भी परम धार्मिक थे और हमेशा अतिथि सेवा में तत्पर रहते थे। एक दिन गरीबी से परेशान होकर ब्राह्मण ने परदेश जाने का विचार किया, किंतु उसकी पत्नी ने कहा- ''स्वामी धन और संतान पूर्वजन्म के दान से ही प्राप्त होते हैं, अत: आप इसके लिए चिंता ना करें।''
फिर कुछ दिन बाद महर्षि कौडिन्य उनके घर आए। ब्राह्मण दंपति ने श्रद्धा भाव से उनकी सेवा की। महर्षि ने उनकी दशा देखकर उन्हें परमा एकादशी का व्रत करने को कहा। उन्होंने कहा- ''दरिद्रता को दूर करने का सुगम उपाय यही है कि, तुम दोनों मिलकर अधिक मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत तथा रात्रि जागरण करो। इस एकादशी के व्रत से यक्षराज कुबेर धनाधीश बना है, हरिशचंद्र राजा हुआ है।''
ऐसा कहकर महर्षि चले गए और सुमेधा ने पत्नी सहित व्रत किया। इसके बाद प्रात: काल एक राजकुमार घोड़े पर चढ़कर आया और उसने सुमेधा को सर्व साधन, संपन्न, सर्व सुख समृद्ध कर एक अच्छा घर रहने को दिया। इसके बाद उनके समस्त दुख दर्द दूर हो गए। इसलिए परमा एकादशी का व्रत करने से जीवन की तमाम परेशानियां दूर हो जाती हैं और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है I
रक्षाबंधन पर राखी बांधने के नियम
12 Aug, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में पर्व त्योहारों की कमी नहीं हैं एक जाता है तो दूसरा आता हैं और सभी का अपना महत्व होता हैं लेकिन भाई बहन के प्रेम का प्रतीक रक्षाबंधन का पर्व बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि देशभर में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता हैं।
इस दिन बहने अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधते हुए उनकी मंगलकामना की प्रार्थना करती हैं तो वही भाई अपनी बहन की रक्षा का वचन लेता हैं। यह पर्व बहन भाई के पवित्र रिश्ते और प्रेम को दर्शाता हैं जो कि हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता हैं इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 30 और 31 अगस्त को मनाया जाएगा। ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा रक्षाबंधन पर राखी बांधने के नियम बता रहे हैं तो आइए जानते हैं।
राखी बांधने के नियम-
शास्त्र अनुसार रक्षाबंधन के दिन भाईयों को राखी बांधना शुभ होता हैं इसके लिए राखी बांधने से पहले बहने भाई को माथे पर कुमकुम का तिलक और अक्षत लगाएं। इस दौरान भाई को अपने सिर पर रुमाल रखना चाहिए। राखी बंधवाते वक्त भाई को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि राखी कभी भी खुले हाथों में न बंधवाए।
बल्कि हाथ में कुछ पैसे और अक्षत रखें और अपनी मुट्ठी बंद रखें। ऐसा करने से घर में धन संपत्ति का वास होता हैं। राखी बांधने के बाद भाई अपनी क्षमता के अनुसार बहन को कुछ न कुछ उपहार जरूर भेंट करें लेकिन गलती से भी बहनों को खाली हाथ न रहने दें। ऐसा करने से लक्ष्मी नाराज़ हो जाती हैं। बहनों को भूलकर भी भद्रा काल में राखी नहीं बांधनी चाहिए ऐसा करने से भाई के जीवन पर बुरा असर पड़ता हैं।