धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
जीवन की समस्याआं का समाधान बताते हैं यंत्र
17 Aug, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म के अनेक ग्रंथों में कई तरह के चक्रों और यंत्रों के बारे में विस्तार से उल्लेख किया गया है। जिनमें राम शलाका प्रश्नावली, हनुमान प्रश्नावली चक्र, नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र, श्रीगणेश प्रश्नावली चक्र आदि प्रमुख हैं। कहते हैं इन चक्रों और यंत्रों की सहायता से लोग अपने मन में उठ रहे सवालों, जीवन में आने वाली कठिनाइयों आदि का समाधान पा सकते हैं। इन चक्रों और यंत्रों की सहायता लेकर केवल आम आदमी ही नहीं बल्कि ज्योतिष और पुरोहित लोग भी सटीक भविष्यवाणियां तक कर देते हैं।
श्री राम शलाका प्रश्नावली
श्री राम शलाका प्रश्नावली का उल्लेख गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस में प्राप्त होता है। यह राम भक्ति पर आधारित है। इस प्रश्नावली का प्रयोग से लोग जीवन के अनेक प्रश्नों का जवाब पाते हैं। इस प्रश्नावली का प्रयोग के बारे कहा जाता है कि सबसे पहले भगवान श्रीराम का स्मरण करते हुए किसी सवाल को मन में अच्छी तरह सोच लिया जाता है।फिर शलाका चार्ट पर दिए गए किसी भी अक्षर पर आंख बंद कर उंगली रख दी जाती है। जिस अक्षर पर उंगली रखी जाती है, उसके अक्षर से प्रत्येक 9वें नम्बर के अक्षर को जोड़ कर एक चौपाई बनती है, जो प्रश्नकर्ता के प्रश्न का उत्तर होती है।
हनुमान प्रश्नावली चक्र
यह बात बहुत कम लोगों को पता है कि हनुमानजी एक उच्च कोटि के ज्योतिषी भी थे। इसका कारण शायद यह हो सकता है कि वे शिव के ग्यारहवें अंशावतार थे, जिनसे ज्योतिष विद्या की उत्पत्ति हुई मानी जाती है। कहते हैं, हनुमानजी ने ज्योतिष प्रश्नावली के 40 चक्र बनाए हैं। यहां भी प्रश्नकर्ता आंख मूंद कर चक्र के नाम पर उंगली रखता है। अगर उंगली किसी लाइन पर रखी गई होती है, तो दोबारा उंगली रखी जाती है। फिर नाम के अनुसार शुभ-अशुभ फल का निराकरण किया जाता है। कहते हैं। रामायण काल के परम दुर्लभ यंत्रों में हनुमान चक्र श्रेष्ठ यंत्रों का सिरमौर है।
नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र
अनेक लोग, विशेष देवी दुर्गा के परम भक्त, यह मानते हैं कि नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र एक चमत्कारिक चक्र है, जिसे के माध्यम से कोई भी अपने जीवन की समस्त परेशानियों और मन के सवालों का संतोषजनक हल आसानी से पा सकते हैं। इस चक्र के उपयोग की विधि के लिए पहले पांच बार ऊँ ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र का जप करना पड़ता फिर एक बार या देवी सर्वभूतेषु मातृरुपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: मंत्र का जप कर, आंखें बंद करके सवाल पूछा जाता है और देवी दुर्गा का स्मरण करते हुए प्रश्नावली चक्र पर उंगली घुमाते हुए रोक दिया जाता है, जिस कोष्ठक उंगली होती है। उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार फलादेश को जाना जाता है।
श्रीगणेश प्रश्नावली चक्र
हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान गणेश प्रथमपूज्य हैं। वे सभी मांगलिक कार्यों में सबसे पहले पूजे जाते हैं। उनकी पूजा के बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। श्रीगणेश प्रश्नावली यंत्र के माध्यम से भी लोग अपने जीवन की सभी परेशानियों और सवालों के हल जानने की कोशिश करते हैं। जिसे भी अपने सवालों का जवाब या परेशानियों का हल जानना होता है, वे पहले पांच बार ऊँ नम: शिवाय: और फिर 11 बार ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र का जप करते हैं और फिर आंखें बंद करके अपना सवाल मन में रख भगवान गणेश का स्मरण करते हुए प्रश्नावली चक्र प्रश्नावली चक्र पर उंगली घुमाते हुए रोक देते हैं, जिस कोष्ठक उंगली होती है। उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार फलादेश को जाना जाता है।
शिव प्रश्नावली यंत्र
इस यंत्र में भगवान शिव के एक चित्र पर 1 से 7 तक अंक दिए गए होते हैं। श्रद्धालु अपनी आंख बंद करके पूरी आस्था और भक्ति के साथ शिवजी का ध्यान करते हैं और और मन ही मन ऊं नम: शिवाय: मंत्र का जाप कर उंगली को शिव यंत्र पर घुमाते हैं और फिर उंगली घुमाते हुए रोक देते हैं, जिस कोष्ठक उंगली होती है। उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार फलादेश को जाना जाता है1
इन प्रश्नावलियों और यंत्रों के अलावा अनेक लोग साईं प्रश्नावली का उपयोग भी अपने मन में उठ रहे सवालों का जवाब पाने के लिए करते हैं।
इस कारण मंदिर के प्रवेश स्थान पर लगाई जाती है घंटी
17 Aug, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कहते हैं, पूजा करते वक्त घंटी जरूर बजानी चाहिए। ऐसा मानना है कि इससे ईश्वर जागते हैं और आपकी प्रार्थना सुनते हैं। लेकिन हम आपको यहां बता रहे हैं कि घंटी बजाने का सिर्फ भगवान से ही कनेक्शन नहीं है, बल्कि इसका वैज्ञानिक असर भी होता है। यही वजह है कि घंटी हमेशा मंदिर के प्रवेश स्थान पर लगाई जाती है।
घंटी बजाने के पीछे का वैज्ञानिक कारण
मंदिर घर का हो या किसी धार्मिक स्थल का. वहां घंटी तो होती ही है। इसके पीछे धार्मिक कारण तो हैं ही साथ में इसका हमारे जीवन पर साइंटिफिक असर भी होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा होता है, जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है। इस कंपन का फायदा यह है कि इसके क्षेत्र में आने वाले सभी जीवाणु, विषाणु और सूक्ष्म जीव आदि नष्ट हो जाते हैं, जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध हो जाता है।
यही कारण है कि जिन जगहों पर घंटी बजने की आवाज नियमित आती रहती है, वहां का वातावरण हमेशा शुद्ध और पवित्र बना रहता है। इसी वजह से लोग अपने दरवाजों और खिड़कियों पर भी विंड चाइम्स लगवाते हैं, ताकि उसकी ध्वनि से नकारात्मक शक्तियां हटती रहें। नकारात्मकता हटने से समृद्धि के द्वार खुलते हैं1
ये फायदे भी हैं
घंटी बजाने से देवताओं के समक्ष आपकी हाजिरी लग जाती है. मान्यता अनुसार घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है जिसके बाद उनकी पूजा और आराधना अधिक फलदायक और प्रभावशाली बन जाती है।
घंटी की मनमोहक एवं कर्णप्रिय ध्वनि मन-मस्तिष्क को अध्यात्म भाव की ओर ले जाने का सामर्थ्य रखती है। मन घंटी की लय से जुड़कर शांति का अनुभव करता है। मंदिर में घंटी बजाने से मानव के कई जन्मों के पाप तक नष्ट हो जाते हैं। सुबह और शाम जब भी मंदिर में पूजा या आरती होती है तो एक लय और विशेष धुन के साथ घंटियां बजाई जाती हैं जिससे वहां मौजूद लोगों को शांति और दैवीय उपस्थिति की अनुभूति होती है।
जब सृष्टि का प्रारंभ हुआ, तब जो नाद (आवाज) गूंजी थी। वही आवाज घंटी बजाने पर भी आती है। घंटी उसी नाद का प्रतीक है। यही नाद ओंकार के उच्चारण से भी जागृत होता है। कहीं-कहीं यह भी लिखित है कि जब प्रलय आएगा उस समय भी ऐसा ही नाद गूंजेगा। मंदिर के बाहर लगी घंटी या घंटे को काल का प्रतीक भी माना गया है
कुंडली दोष के लिए करें ये उपाय
17 Aug, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अगर आपकी कुंडली में किसी प्रकार का दोष है तो शुक्रवार को किए गए कुछ उपाय दोष से छुटकारा दिला सकते हैं। कुंडली में शुक्र अशुभ हो, तो वैवाहिक जीवन में सुख नहीं मिल पाता है। यहां जानिए कुछ ऐसे उपाय जो शुक्रवार को करना चाहिए, जिनसे लक्ष्मी कृपा मिल सकती है और शुक्र के दोष भी दूर हो सकते हैं।
भगवान विष्णु के मंत्र का 108 बार जप करें। मंत्र: ॐ भूरिदा भूरि देहिनो, मा दभ्रं भूर्या भर। भूरि घेदिन्द्र दित्ससि। ॐ भूरिदा त्यसि श्रुत: पुरूत्रा शूर वृत्रहन्। आ नो भजस्व राधसि।।यदि आप चाहे तो भगवान विष्णु के नामों का जप भी कर सकते है।
शुक्र ग्रह के लिए हीरा, चांदी, चावल, मिसरी, सफेद कपड़ा, दही, सफेद चंदन आदि चीजों का दान भी किया जा सकता है। किसी गरीब व्यक्ति को या किसी मंदिर में दूध का दान करें।
शुक्रवार को किसी विवाहित स्त्री को सुहाग का सामान दान करें। सुहाग का सामान जैसे चूड़ियां, कुमकुम, लाल साड़ी इस उपाय से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती है।
शिवलिंग पर दूध और जल चढ़ाए। साथ ही ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करें. मंत्र का जप कम से कम 108 बार करना चाहिए। जप के लिए रुद्राक्ष की माला का उपयोग करना चाहिए।
सपनों के पीछे ग्रह और राशियां भी होती हैं जिम्मेदार
17 Aug, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आमतौर पर सभी को नींद में सपने आते हैं पर कई बार सपने डरावने व अलग हट के होते हैं जो हमें कई प्रकार के संकेत देते हैं।
सपने मन की एक विशेष अवस्था होते हैं, जिसमें वास्तविकता का आभास होता है। स्वप्न न तो जागृत अवस्था में आते हैं न तो निद्रा में बल्कि यह दोनों के बीच की तुरीयावस्था में आते हैं। सपनों के आने के पीछे खान-पान और बीमारियों की बड़ी भूमिका होती है. इसके पीछे ग्रह और राशियां भी जिम्मेदार होती हैं लेकिन हर सपने का कोई अर्थ नहीं होता है। ज्यादातर सपने निरर्थक होते हैं।
धर्म शास्त्र क्या कहते हैं
अलग-अलग घटनाओं के माध्यम से पुराणों में सपने का अर्थ बताया गया है।
रामचरित मानस में सपनों के बारे में विशेष चर्चा की गयी है।
इसके अलावा भगवान महावीर और गौतम बुद्ध के जन्म का सम्बन्ध भी सपनों से जोड़ा गया है।
शास्त्रों में सपनों के अलावा इसके प्रभाव से मुक्ति का रास्ता भी बताया गया है।
सपनों का हम पर कितना प्रभाव पड़ता है?
ज्यादातर सपने मन के विचार से या बीमारियों से पैदा होते हैं।
इस प्रकार के सपने वर्तमान या भविष्य पर कोई प्रभाव नहीं डालते या न्यूनतम प्रभाव डालते हैं।
कुछ सपने चेतावनी स्वरूप या सूचना स्वरूप होते हैं और यही स्वप्न दरअसल महत्वपूर्ण होते हैं।
ये सपने भविष्य के प्रति आपको आगाह करते हैं और शुभ-अशुभ घटनाओं को बताते हैं।
भोर में या अचानक दिखने वाले सपने आम तौर पर सत्य होते हैं।
अलग-अलग सपनों के अर्थ-
आकाश या हवा से सम्बन्ध रखने वाले स्वप्न बताते हैं कि आपका वात का संतुलन बिगड़ा हुआ है।
अगर पानी, झरना या नदी अर्थात जल से सम्बंधित सपने दिखाई दें तो समझ लीजिए आपका कफ तत्त्व गड़बड़ है।
अगर आग का सूर्य का या ज्वालामुखी का सपना दिखे तो बताता है कि आपका पित्त का संतुलन गड़बड़ है।
कमल का फूल, हाथी, बन्दर, हंस और गाय का स्वप्न बहुत शुभ माना जाता है।
स्वप्न में सांप का दिखना ये बताता है कि आपकी लापरवाही आपको मुश्किल में डाल सकती है।
अगर स्वप्न में किसी व्यक्ति की मृत्यु दिखाई दे तो समझना चाहिए कि उस व्यक्ति पर आया हुआ संकट टल गया है।
अगर स्वप्न में किसी व्यक्ति के साथ या अपने साथ कोई दुर्घटना होती हुई दिखे तो आपको सावधान हो जाना चाहिए।
अगर स्वप्न में किसी उत्सव या पार्टी का सपना देखें तो समझना चाहिए कि आप बीमार होने वाले हैं।
अगर स्वप्न में स्वयं को या किसी और को पूजा पाठ करते देखें तो समझना चाहिए कि आपको कोई बड़ा लाभ होने वाला है।
अगर धन, जेवर, गहने से सम्बंधित स्वप्न दिखें तो यह बीमारी का संकेत है। आप बीमार पड़ सकते हैं या नौकरी जा सकती है। अगर मंदिर या देवी देवताओं के स्वप्न दिखें तो यह संस्कारों के बारे में सूचना देते हैं कि आपके संस्कार कैसे हैं। अगर खाने पीने की चीज़ों के स्वप्न दिखें तो यह स्थान परिवर्तन का संकेत है। अगर सफ़ेद वस्तुओं का स्वप्न देखें तो यह आपके जीवन में पूरा बदलाव कर सकता है।
भोजन करने संबंधी कुछ जरूरी नियम
17 Aug, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन ध्रर्म में आहार ग्रहण करने के दौरान भी कुछ नियमों का पालन करना जरुरी माना गया है। माना गया है कि जिसप्रकार हम आहार करेंगे वैसे ही हमारे विचार भी होंगे।
सर्वप्रथम : भोजन करने से पूर्व हाथ पैरों व मुख को अच्छी तरह से धोना चाहिये। भोजन से पूर्व अन्नदेवता, अन्नपूर्णा माता की स्तुति करके उनका धन्यवाद देते हुए तथा सभी भूखों को भोजन प्राप्त हो, ईश्वर से ऐसी प्रार्थना करके भोजन करना चाहिए।
वहीं भोजन बनाने वाला स्नान करके ही शुद्ध मन से, मंत्र जप करते हुए ही रसोई में भोजन बनाएं और सबसे पहले 3 रोटियां (गाय, कुत्ते और कौवे हेतु) अलग निकालकर फिर अग्निदेव को भोग लगाकर ही घर वालों को खिलाएं।
भोजन के समय
प्रातः और सायं ही भोजन का विधान है, क्योंकि पाचनक्रिया की जठराग्नि सूर्योदय से 2 घंटे बाद तक एवं सूर्यास्त से 2.30 घंटे पहले तक प्रबल रहती है।
जो व्यक्ति सिर्फ एक समय भोजन करता है वह योगी और जो दो समय करता है वह भोगी कहा गया है
एक प्रसिद्ध लोकोक्ति है सुबह का खाना स्वयं खाओ, दोपहर का खाना दूसरों को दो और रात का भोजन दुश्मन को दो
भोजन की दिशा:
भोजन पूर्व और उत्तर दिशा की ओर मुंह करके ही करना चाहिए। दक्षिण दिशा की ओर किया हुआ भोजन प्रेत को प्राप्त होता है। पश्चिम दिशा की ओर किया हुआ भोजन खाने से रोग की वृद्धि होती है।
ऐसे में न करें भोजन:
शैया पर, हाथ पर रखकर, टूटे-फूटे बर्तनों में भोजन नहीं करना चाहिए।
मल-मूत्र का वेग होने पर, कलह के माहौल में, अधिक शोर में, पीपल, वटवृक्ष के नीचे भोजन नहीं करना चाहिए।
परोसे हुए भोजन की कभी निंदा नहीं करनी चाहिए।
ईर्ष्या, भय, क्रोध, लोभ, रोग, दीनभाव, द्वेषभाव के साथ किया हुआ भोजन कभी पचता नहीं है।
खड़े-खड़े, जूते पहनकर सिर ढंककर भोजन नहीं करना चाहिए
ये भोजन न करें:
गरिष्ठ भोजन कभी न करें।
बहुत तीखा या बहुत मीठा भोजन न करें।
किसी के द्वारा छोड़ा हुआ भोजन न करें।
आधा खाया हुआ फल, मिठाइयां आदि पुनः नहीं खाना चाहिए।
खाना छोड़कर उठ जाने पर दुबारा भोजन नहीं करना चाहिए।
जो ढिंढोरा पीटकर खिला रहा हो, वहां कभी न खाएं।
पशु या कुत्ते का छुआ, रजस्वला स्त्री का परोसा, श्राद्ध का निकाला, बासी, मुंह से फूंक मारकर ठंडा किया, बाल गिरा हुआ भोजन न करें।
अनादरयुक्त, अवहेलनापूर्ण परोसा गया भोजन कभी न करें।
*कंजूस का, राजा का, वेश्या के हाथ का, शराब बेचने वाले का दिया भोजन और ब्याज का धंधा करने वाले का भोजन कभी नहीं करना चाहिए।
भोजन करते वक्त क्या करें:
भोजन के समय मौन रहें।
रात्रि में भरपेट न खाएं।
बोलना जरूरी हो तो सिर्फ सकारात्मक बातें ही करें।
भोजन करते वक्त किसी भी प्रकार की समस्या पर चर्चा न करें।
भोजन को बहुत चबा-चबाकर खाएं।
गृहस्थ को 32 ग्रास से ज्यादा न खाना चाहिए।
सबसे पहले मीठा, फिर नमकीन, अंत में कड़वा खाना चाहिए।
सबसे पहले रसदार, बीच में गरिष्ठ, अंत में द्रव्य पदार्थ ग्रहण करें।
थोड़ा खाने वाले को आरोग्य, आयु, बल, सुख, सुंदर संतान और सौंदर्य प्राप्त होता है।
भोजन के पश्चात क्या न करें:
भोजन के तुरंत बाद पानी या चाय नहीं पीना चाहिए। भोजन के पश्चात घुड़सवारी, दौड़ना, बैठना, शौच आदि नहीं करना चाहिए।
भोजन के पश्चात क्या करें:
भोजन के पश्चात दिन में टहलना एवं रात में सौ कदम टहलकर बाईं करवट लेटने अथवा वज्रासन में बैठने से भोजन का पाचन अच्छा होता है। भोजन के एक घंटे पश्चात मीठा दूध एवं फल खाने से भोजन का पाचन अच्छा होता है।
क्या-क्या न खाएं:
रात्रि को दही, सत्तू, तिल एवं गरिष्ठ भोजन नहीं करना चाहिए।
दूध के साथ नमक, दही, खट्टे पदार्थ, मछली, कटहल का सेवन नहीं करना चाहिए।
शहद व घी का समान मात्रा में सेवन नहीं करना।
दूध-खीर के साथ खिचड़ी नहीं खाना चाहिए।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (17 अगस्त 2023)
17 Aug, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- विरोधी तत्व परेशान करेंगे, अधिकारियों से तनाव, इष्ट मित्र कष्टप्रद बने रहेंगे।
वृष :- कार्यकुशलता से संतोष, व्यवसयिक गति में सुधार तथा कार्य योजना अवश्य ही बनेगी।
मिथुन :- इष्ट मित्रों से लाभ, स्त्री से मन प्रसन्न रहेगा, मनोवृत्ति संवेदनशील बनी ही रहेगी।
कर्क :- मनोबल उत्साहवर्धक होवें, कार्य कुशलता से संतोष होवे, कार्य व्यवसाय उत्तम होगा।
सिंह :- चोटचपेट होने का भय, कार्यगति में बाधा होगी किन्तु अधिकारियों का सहयोग मिले।
कन्या :- यात्रा से लाभ, परिवार में सुख-शांति तथा कार्य में रुकावट होगी।
तुला :- अधिकारी वर्ग सहायक होंगे, भाग्य का सितारा साथ देगा तथा रुके कार्य बन ही जायेंगे।
वृश्चिक :- किसी के धोखे से विवाद होने की संभावना बने, धन हानि, व्यर्थ भ्रमण होगा।
धनु :- मनोवृत्ति संवेदनशील रहे, भोग-ऐश्वर्य में समय बीते तथा कार्य में बाधा अवश्य होगी।
मकर :- स्थिति में सुधार होते हुए भी फलप्रद नहीं, कार्य विफलत्व, चिन्ताप्रद कार्य होगा।
कुम्भ :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, कार्य बनें, अधिकारियें का समर्थन फलप्रद हो।
मीन :- समय अनुकूल नहीं, विशेष कार्य स्थिगित रखें, कार्य अवरोध अवश्य ही होगा।
अमावस्या के दिन शिवलिंग पर अर्पित करें ये पांच चीजें, बन जाएंगे बिगड़े काम
16 Aug, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस वर्ष अधिक मास अमावस्या 16 अगस्त दिन बुधवार को है। अधिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 15 अगस्त को दोपहर 12:42 बजे से प्रारंभ हो जाएगी तथा यह तिथि 16 अगस्त को दोपहर 03:07 बजे तक उपस्थित रहेगी।
उसके पश्चात् से सावन शुक्ल पक्ष प्रारंभ हो जाएगा। वही ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पुरुषोत्तमी अमावस्या तिथि पर शिवलिंग पर इन चीजों को चढ़ाया जाए तो जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं तथा पितरों का भी आशीर्वाद मिलता है। आइए आपको बताते हैं पुरुषोत्तमी अमावस्या के दिन शिवलिंग पर किन चीजों को चढ़ाना चाहिए...
* पुरुषोत्तमी अमावस्या के दिन प्रदोष काल में शिवलिंग पर शहद एवं सफेद तिल चढ़ाना बहुत शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पितृ दोष दूर होता है तथा रक्तचाप एवं डायबिटीज की बीमारी भी दूर रहती है। साथ ही रूप व सौंदर्य भी मिलता है तथा समाज में यश व सम्मान बढ़ता है। मान्यता है कि ऐसा करने से सभी पाप नष्ट होते हैं तथा आरोग्य की प्राप्ति भी होती है।
* पुरुषोत्तमी अमावस्या के दिन शिवलिंग पर जल एवं बेलपत्र के साथ चांदी के नाग नागिन चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से सर्प दोष के साथ पितृ दोष खत्म होता है तथा पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है। मान्यता है कि चांदी के नाग नागिन अर्पित करने से सुख समृद्धि और धन प्राप्ति के मार्ग भी बनते हैं।
*आक का पत्ता महादेव को प्रिय है इसलिए पुरुषोत्तमी अमावस्या के दिन शिवलिंग पर आक का पत्ता चढ़ाना चाहिए। ऐसा करने से मानसिक और शारीरिक परेशानियां दूर रहती हैं तथा ग्रहों का शुभ प्रभाव भी मिलता है। साथ ही भगवान महादेव की कृपा से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं।
* पुरुषोत्तमी अमावस्या के दिन शिवलिंग पर गन्ने का जूस चढ़ाना बहुत फलदायी माना जाता है। ऐसा करने से पितृ दोष दूर होता है तथा सांसारिक सुखों की प्राप्ति होती है। गन्ने का रस शिवलिंग पर चढ़ाते समय ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करते रहें। मान्यता है कि गन्ने का रस चढाने से आर्थिक संकट दूर होता है तथा जीवन में सुख समृद्धि का वास होता है।
* पुरुषोत्तमी अमावस्या के दिन यदि संभव हो सके तो 108 बेलपत्र पर सफेद चंदन से राम लिख लें तथा फिर शिवलिंग पर ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करते हुए चढ़ाएं। यदि 108 बेलपत्र संभव नहीं है तो 11 बेलपत्र भी चढ़ा सकते हैं। ऐसा करने से ग्रह दोष दूर होते हैं तथा पितृ दोष भी दूर होता है। इस उपाय को पंचमी तिथि, त्रयोदशी तिथि और चतुर्दशी तिथि को भी कर सकते हैं।
अमावस्या पर करें पितृ चालीसा का पाठ, दूर होगी सारी अड़चनें
16 Aug, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस वर्ष अधिक मास अमावस्या 16 अगस्त दिन बुधवार को है। अधिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि 15 अगस्त को दोपहर 12:42 बजे से प्रारंभ हो जाएगी तथा यह तिथि 16 अगस्त को दोपहर 03:07 बजे तक उपस्थित रहेगी।
उसके पश्चात् से सावन शुक्ल पक्ष प्रारंभ हो जाएगा। वही इस दिन पितृ चालीसा का पाठ करने से जीवन में आ रही अड़चनें दूर हो जाती है.
पितृ चालीसा :-
॥ दोहा ॥
हे पितरेश्वर आपको, दे दियो आशीर्वाद ।
चरणाशीश नवा दियो, रखदो सिर पर हाथ ॥
सबसे पहले गणपत, पाछे घर का देव मनावा जी ।
हे पितरेश्वर दया राखियो, करियो मन की चाया जी ॥
॥ चौपाई ॥
पितरेश्वर करो मार्ग उजागर । चरण रज की मुक्ति सागर ॥१॥
परम उपकार पित्तरेश्वर कीन्हा । मनुष्य योणि में जन्म दीन्हा ॥२॥
मातृ-पितृ देव मनजो भावे । सोई अमित जीवन फल पावे ॥३॥
जय-जय-जय पित्तर जी साईं । पितृ ऋण बिन मुक्ति नाहिं ॥४॥
चारों ओर प्रताप तुम्हारा । संकट में तेरा ही सहारा ॥५॥
नारायण आधार सृष्टि का । पित्तरजी अंश उसी दृष्टि का ॥६॥
प्रथम पूजन प्रभु आज्ञा सुनाते । भाग्य द्वार आप ही खुलवाते ॥७॥
झुंझुनू में दरबार है साजे । सब देवों संग आप विराजे ॥८॥
प्रसन्न होय मनवांछित फल दीन्हा । कुपित होय बुद्धि हर लीन्हा ॥९॥
पित्तर महिमा सबसे न्यारी । जिसका गुणगावे नर नारी ॥१०॥
तीन मण्ड में आप बिराजे । बसु रुद्र आदित्य में साजे ॥११॥
नाथ सकल संपदा तुम्हारी । मैं सेवक समेत सुत नारी ॥१२॥
छप्पन भोग नहीं हैं भाते । शुद्ध जल से ही तृप्त हो जाते ॥१३॥
तुम्हारे भजन परम हितकारी । छोटे बड़े सभी अधिकारी ॥१४॥
भानु उदय संग आप पुजावै । पांच अँजुलि जल रिझावे ॥१५॥
ध्वज पताका मण्ड पे है साजे । अखण्ड ज्योति में आप विराजे ॥१६॥
सदियों पुरानी ज्योति तुम्हारी । धन्य हुई जन्म भूमि हमारी ॥१७॥
शहीद हमारे यहाँ पुजाते । मातृ भक्ति संदेश सुनाते ॥१८॥
जगत पित्तरो सिद्धान्त हमारा । धर्म जाति का नहीं है नारा ॥१९॥
हिन्दु, मुस्लिम, सिख, ईसाई । सब पूजे पित्तर भाई ॥२०॥
हिन्दु वंश वृक्ष है हमारा । जान से ज्यादा हमको प्यारा ॥२१॥
गंगा ये मरुप्रदेश की । पितृ तर्पण अनिवार्य परिवेश की ॥२२॥
बन्धु छोड़ना इनके चरणाँ । इन्हीं की कृपा से मिले प्रभु शरणा ॥२३॥
चौदस को जागरण करवाते । अमावस को हम धोक लगाते ॥२४॥
जात जडूला सभी मनाते । नान्दीमुख श्राद्ध सभी करवाते ॥२५॥
धन्य जन्म भूमि का वो फूल है । जिसे पितृ मण्डल की मिली धूल है ॥२६॥
श्री पित्तर जी भक्त हितकारी । सुन लीजे प्रभु अरज हमारी ॥२७॥
निशदिन ध्यान धरे जो कोई । ता सम भक्त और नहीं कोई ॥२८॥
तुम अनाथ के नाथ सहाई । दीनन के हो तुम सदा सहाई ॥२९॥
चारिक वेद प्रभु के साखी । तुम भक्तन की लज्जा राखी ॥३०॥
नाम तुम्हारो लेत जो कोई । ता सम धन्य और नहीं कोई ॥३१॥
जो तुम्हारे नित पाँव पलोटत । नवों सिद्धि चरणा में लोटत ॥३२॥
सिद्धि तुम्हारी सब मंगलकारी । जो तुम पे जावे बलिहारी ॥३३॥
जो तुम्हारे चरणा चित्त लावे । ताकी मुक्ति अवसी हो जावे ॥३४॥
सत्य भजन तुम्हारो जो गावे । सो निश्चय चारों फल पावे ॥३५॥
तुमहिं देव कुलदेव हमारे । तुम्हीं गुरुदेव प्राण से प्यारे ॥३६॥
सत्य आस मन में जो होई । मनवांछित फल पावें सोई ॥३७॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई । शेष सहस्र मुख सके न गाई ॥३८॥
मैं अतिदीन मलीन दुखारी । करहु कौन विधि विनय तुम्हारी ॥३९॥
अब पित्तर जी दया दीन पर कीजै । अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै ॥४०॥
॥ दोहा ॥
पित्तरौं को स्थान दो, तीरथ और स्वयं ग्राम ।
श्रद्धा सुमन चढ़ें वहां, पूरण हो सब काम ॥
झुंझुनू धाम विराजे हैं, पित्तर हमारे महान ।
दर्शन से जीवन सफल हो, पूजे सकल जहान ॥
जीवन सफल जो चाहिए, चले झुंझुनू धाम ।
पित्तर चरण की धूल ले, हो जीवन सफल महान ॥
॥ इति श्री पितर चालीसा संपूर्णम् ॥
Pitru Suktam: अमावस्या, पूर्णिमा या पितृ पक्ष को पढ़ें यह चमत्कारी पितृ सूक्तम् पाठ, पितृदोष भी होगा दूर
16 Aug, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Pitru Suktam Se Labh: आज 16 अगस्त 2023 को अधिक मास अमावस्या है. पितृ सूक्तम पाठ बेहद ही चत्मारी माना जाता है. पितृ पक्ष के सभी 15 या 16 दिन, पूर्णिमा और अमावस्या को पितृ सूक्तम का पाठ करना लाभकारी होता है.
इसके पाठ से पितृदोष दूर होता है क्योंकि इसको पढ़ने से सभी पितर देव प्रसन्न होते हैं. उनके आशीर्वाद से सभी प्रकार की विघ्न और बाधाएं दूर होती हैं. जब पितरों की कृपा होती है तो उन्नति होने लगती है. पुत्र, धन, वैभव, सुख्र सुविधाएं प्राप्त होती हैं.
पितृ सूक्तम संस्कृत में लिखा गया है. इसमें कुल 15 श्लोक हैं. जब भी आप इसका पाठ करें तो इसके शुद्ध उच्चारण का ध्यान रखें. वाराणसी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र से जानते हैं पितृ सूक्तम पाठ की विधि के बारे में.
पितृ सूक्तम पाठ विधि
पितृ सूक्तम का पाठ आप पितृ पक्ष में प्रत्येक दिन शाम को कर सकते हैं. वैसे भी अमावस्या या पूर्णिमा की शाम को ही पितृ सूक्तम का पाठ करते हैं. जब भी आपको यह पाठ करना हो तो आप पहले स्वयं को पवित्र कर लें, उसके बाद तेल का एक दीपक जला लें. फिर अपने पितरों को याद करके पितृ सूक्तम का पाठ प्रारंभ करें. इसका पाठ पूर्ण होने पर आप चाहें तो अपने पितरों की आरती भी कर सकते हैं.
पितृ-सूक्तम्
उदिताम् अवर उत्परास उन्मध्यमाः पितरः सोम्यासः।
असुम् यऽ ईयुर-वृका ॠतज्ञास्ते नो ऽवन्तु पितरो हवेषु॥1॥
अंगिरसो नः पितरो नवग्वा अथर्वनो भृगवः सोम्यासः।
तेषां वयम् सुमतो यज्ञियानाम् अपि भद्रे सौमनसे स्याम्॥2॥
ये नः पूर्वे पितरः सोम्यासो ऽनूहिरे सोमपीथं वसिष्ठाः।
तेभिर यमः सरराणो हवीष्य उशन्न उशद्भिः प्रतिकामम् अत्तु॥3॥
त्वं सोम प्र चिकितो मनीषा त्वं रजिष्ठम् अनु नेषि पंथाम्।
तव प्रणीती पितरो न देवेषु रत्नम् अभजन्त धीराः॥4॥
त्वया हि नः पितरः सोम पूर्वे कर्माणि चक्रुः पवमान धीराः।
वन्वन् अवातः परिधीन् ऽरपोर्णु वीरेभिः अश्वैः मघवा भवा नः॥5॥
त्वं सोम पितृभिः संविदानो ऽनु द्यावा-पृथिवीऽ आ ततन्थ।
तस्मै तऽ इन्दो हविषा विधेम वयं स्याम पतयो रयीणाम्॥6॥
बर्हिषदः पितरः ऊत्य-र्वागिमा वो हव्या चकृमा जुषध्वम्।
तऽ आगत अवसा शन्तमे नाथा नः शंयोर ऽरपो दधात॥7॥
आहं पितृन्त् सुविदत्रान् ऽअवित्सि नपातं च विक्रमणं च विष्णोः।
बर्हिषदो ये स्वधया सुतस्य भजन्त पित्वः तऽ इहागमिष्ठाः॥8॥
उपहूताः पितरः सोम्यासो बर्हिष्येषु निधिषु प्रियेषु।
तऽ आ गमन्तु तऽ इह श्रुवन्तु अधि ब्रुवन्तु ते ऽवन्तु-अस्मान्॥9॥
आ यन्तु नः पितरः सोम्यासो ऽग्निष्वात्ताः पथिभि-र्देवयानैः।
अस्मिन् यज्ञे स्वधया मदन्तो ऽधि ब्रुवन्तु ते ऽवन्तु-अस्मान्॥10॥
अग्निष्वात्ताः पितर एह गच्छत सदःसदः सदत सु-प्रणीतयः।
अत्ता हवींषि प्रयतानि बर्हिष्य-था रयिम् सर्व-वीरं दधातन॥11॥
येऽ अग्निष्वात्ता येऽ अनग्निष्वात्ता मध्ये दिवः स्वधया मादयन्ते।
तेभ्यः स्वराड-सुनीतिम् एताम् यथा-वशं तन्वं कल्पयाति॥12॥
अग्निष्वात्तान् ॠतुमतो हवामहे नाराशं-से सोमपीथं यऽ आशुः।
ते नो विप्रासः सुहवा भवन्तु वयं स्याम पतयो रयीणाम्॥13॥
आच्या जानु दक्षिणतो निषद्य इमम् यज्ञम् अभि गृणीत विश्वे।
मा हिंसिष्ट पितरः केन चिन्नो यद्व आगः पुरूषता कराम॥14॥
आसीनासोऽ अरूणीनाम् उपस्थे रयिम् धत्त दाशुषे मर्त्याय।
पुत्रेभ्यः पितरः तस्य वस्वः प्रयच्छत तऽ इह ऊर्जम् दधात॥15॥
ॐ शांति: शांति: शांति:!!!
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1. पितरों की पूजा के लिए
2. पितरों के श्राद्ध कर्म के लिए
3. पितृ दोष से मुक्ति के लिए
4. इन सभी कार्यों के लिए
आज है अधिक मास अमावस्या तिथि, जानें स्नान-दान मुहूर्त, पूजा विधि और महत्व
16 Aug, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Adhik Maas Amavasya 2023: आज आधिक मास की अमावस्या तिथि है. हिंदू धर्म में श्रावण मास का विशेष महत्व है. हर तीन साल के बाद एक अधिक महीना होता है. इसे अधिक मास, मलमास या फिर पुरुषोत्तम मास के नाम से जाना जाता है.
अधिक मास 16 अगस्त दिन बुधवार (आज) अमावस्या के साथ समाप्त हो जाएगा. अधिक मास का आज आखिरी दिन है. अमावस्या तिथि पितरों का समर्पित होती है. अगर अधिकमास में अमावस्या तिथि पड़े तो उसका महत्व और भी बढ़ जाता है.
आज पितरों को जल देने का विधान
धार्मिक मान्यता है कि अधिक मास अमावस्या तिथि को कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में संपन्नता और सुख- समृद्धि का वास रहेगा. अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान और दान करते हैं. उसके बाद सूर्य देव और पितरों की पूजा करते हैं. पितरों को जल से तृप्त करने के लिए तर्पण करते हैं. अधिक मास अमावस्या के दिन भगवान विष्णु और शिव शंकर की पूजा करने से कल्याण होता है, मोक्ष की प्राप्ति होती है.
16 अगस्त को बन रहा दुर्लभ योग
हिंदू पंचांग के अनुसार, 15 अगस्त, मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 42 मिनट से अमावस्या तिथि आरंभ हो गयी है, जो 16 अगस्त दिन बुधवार को दोपहर 3 बजकर 7 मिनट को समाप्त हो रही है. ऐसे में अधिक मास अमावस्या का व्रत आज रखा जाएगा. अधिक मास की अमावस्या समाप्त होने के साथ श्रावण मास आरंभ का संजोग बन रहा है. दोनों तिथि एक साथ होने से काफी शुभ माना जा रहा है.
शुभ मुहूर्त
अधिक मास अमावस्या 2023 के शुभ मुहूर्त क्या हैं?
अमावस्या तिथि की शुरूआत: 15 अगस्त 2023 दिन मंगलवार दोपहर 12 बजकर 42 मिनट पर
अमावस्या तिथि की समाप्ति: आज बुधवार दोपहर 03 बजकर 07 मिनट पर
स्नान-दान का समय: सुबह 05 बजकर 51 मिनट से सुबह 09 बजकर 08 मिनट पर, 10 बजकर 47 मिनट से 12 बजकर 25 मिनट तक. वैस अमावस्या का स्नान पूरे दिन चलेगा.
अधिक मास अमावस्या नियम (Adhik Maas Amavasya Niyam)
अधिकमास अमावस्या का व्रत बिना कुछ खाए पिए रहा जाता है.
अमावस्या तिथि के दिन सुबह गायत्री मंत्र का 108 बार जप करें और सूर्य और तुलसी को जल अर्पित करें.
आज शिवलिंग पर जल चढ़ाएं. गाय को चावल अर्पित करें.
तुलसी को पीपल के पेड़ पर रखें. इसके साथ ही इस दिन दही, दूध, चंदन, काले अलसी, हल्दी, और चावल का भोग अर्पित करें.
पेड़ के चारों ओर 108 बार धागा बांधकर परिक्रमा करें.
विवाहित महिलाएं चाहें तो इस दिन परिक्रमा करते समय बिंदी, मेहंदी, चूड़ियां, आदि भी रख सकती हैं.
पितरों के लिए अपने घर में भोजन बनाएं और उन्हें भोजन अर्पित करें.
गरीबों को वस्त्र, भोजन, और मिठाई का दान करें. गायों को चावल खिलाएं.
अधिकमास अमावस्या पूजन विधि (Adhik Maas Pujan Vidhi)
अमावस्या के दिन गंगा स्नान का अधिक महत्व है. नदी या गंगा स्नान जरूर करें.
अगर आप स्नान करने के लिए नहीं जा पा रहे हैं तो घर में ही नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगाजल डालकर नहा लें.
इसके बाद भगवान सूर्य को अर्घ्य दें. भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करना चाहिए.
अमावस्या के दिन अपनी योग्यता के अनुसार दान जरूर देना चाहिए.
पितरों की शांति के लिए तर्पण, श्राद्ध आदि कर सकते हैं.
अधिकमास अमावस्या के दिन श्राद्ध नियम
पीतल के बड़े पात्र में पितरों के लिए पानी लें और उसमें गंगाजल, काला तिल, कच्चा दूध, जौ, सफेद फूल आदि डाल दें.
अब इस जल को लेकर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं.
किसी घर के सदस्य को पीतल के पात्र दें और अपने दोनों हाथों की अंजुली बना लें.
थोड़ी सी कुश रख लें. इसके बाद धीरे-धीरे जल डालते हुए 11 बार तर्पण करें.
पितरों का नाम लेते हुए शांति की कामना करते हुए बोले- हे पितृगण! पूरी श्रद्धा से आप सभी पितरों का तर्पण कर रहा हूं.
आप सभी इससे तृप्त हों और यह प्रार्थना स्वीकार करें.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (16 अगस्त 2023)
16 Aug, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- भाग्य का सितारा साथ देगा, इष्ट मित्र सहयोगी हेंगे, रुके कार्य अवश्य ही बन जायेंगे।
वृष :- इष्ट मित्र सुख वर्धक हों, मनोबल बनाये रखें, उत्साह हीनता से हानि अवश्य ही होगी।
मिथुन :- इष्ट मित्रों से परेशानी, कष्ट व अशांति, दैनिक कार्यगति अनुकूल अवश्य ही बनेगी।
कर्क :- मान-प्रतिष्ठा, प्रभुत्व वृद्धि, स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास, समृद्धि के साधन अवश्य जुटायें।
सिंह :- कार्यगति अनुकूल हो, सामाजिक प्रभुत्व वृद्धि एवं प्रतिष्ठा अवश्य ही बढ़ेगी।
कन्या :- कुटुम्ब की परेशानी, चिन्ता, व्याग्रता तथा उद्विघ्नता से बचिये, कार्य अवरोध होगा।
तुला :- धन हानि, शरीर कष्ट, मानसिक बेचैनी, व्यर्थ भ्रमण, धन का व्यय संभावित होवेगा।
वृश्चिक :- इष्ट मित्र सुखवर्धक हों, अधिकारियों का समर्थन फलप्रद अवश्य ही होगा।
धनु :- कार्य कुशलता से संतोष, दैनिक समृद्धि के साधन अवश्य ही बनेंगे, समय का ध्यान रखें।
मकर :- दैनिक कार्यगति में सुधार, योजना फलीभूत होंगी, रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे।
कुम्भ :- विशेष कार्यगति स्थिगित रखें, दैनिक मानसिक विभ्रम, किन्तु उद्विघ्नता से बचिये।
मीन :- कार्य विफलता, सफलता मेहनत करने पर भी दिखाई न दे, कार्य अवरोध होगा।
शादी संबंधी बाधाएं दूर करने के लिए खास है हरियाली तीज
15 Aug, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में कई सारे व्रत त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता हैं लेकिन हरियाली तीज बेहद ही खास मानी जाती हैं जो कि हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाई जाती हैं इस बार हरियाली तीज का पर्व 19 अगस्त को मनाया जाएगा।
इस दिन शिव संग मां गौरी की विधि विधान से पूजा की जाती हैं।
इस दिन शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और खुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला उपवास रखती हैं तो वही कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की कामना के लिए व्रत पूजन करती हैं माना जाता हैं कि हरियाली तीज के दिन व्रत पूजा करने से विवाह में आने वाली हर समस्या हल हो जाती हैं और परिवार में खुशहाली बनी रहती हैं तो ऐसे में आज हम आपको कुछ उपाय बता रहे हैं जो विवाह संबंधी समस्याओं को दूर करेंगे, तो आइए जानते हैं।
विवाह संबंधी परेशानियां दूर करेंगे ये उपाय-
शास्त्र अनुसार तीज के शुभ अवसर पर हरे रंग के वस्त्र पहनने की परंपरा हैं ऐसे में इस दिन कुंवारी कन्याएं और शादीशुदा महिलाएं हरे रंग के वस्त्र जरूर धारण करें साथ ही शिव मंदिर में जाकर माता पार्वती को लाल रंग की चुनरी अर्पित करें ऐसा करने से विवाह संबंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
अगर किसी के वैवाहिक जीवन में तनाव बना हुआ हैं या फिर कुंवारी कन्याओं को योग्य वर नहीं मिल रहा हैं शादी में देरी या अड़चन आ रही हैं तो ऐसे में आप हरियाली तीज के दिन केले का पौधा लगाए और उसकी पूजा करें साथ ही माता पार्वती के समक्ष घी का दीपक जलाकर प्रार्थना करें ऐसा करने से लाभ जरूर मिलेगा। और शीघ्र विवाह के योग बनने लगते हैं।
घर में घट रही ऐसी घटनाएं पितरों की नाराजगी का हैं संकेत, श्रावण अमावस्या पर करें तर्पण
15 Aug, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
यदि आपको पितृ दोष है तो इस बार श्रावण मास की अमावस्या पर तर्पण करके इससे मुक्ति पा सकते हैं। लेकिन आपको पता कैसे चलेगा कि आपको पितृ दोष है? आपको पता कैसे चलेगा कि आपके पितर आपसे नाराज हैं।
यह जाने के लिए पढ़ें पितरों की नाराजगी के कुछ खास संकेत या पितृ दोष के लक्षण।
1. हर काम में रुकावट आना : ऐसी मान्यता है कि यदि आप जो भी कार्य कर रहे हैं, उसमें रुकावट आ रही है और कोई भी कार्य संपन्न नहीं होता है तो इसे पितरों के नाराज होने या पितृदोष का लक्षण माना जाता है।
2. गृहकलह रहना : घर में थोड़ी-बहुत खटपट तो चलती रहती है लेकिन यदि रोज ही गृहकलह हो रही है तो यह समझा जाता है कि पितृ आपसे नाराज हैं।
3. संतान में बाधा : ऐसी मान्यता है कि पितृ नाराज रहते हैं तो संतान पैदा होने में बाधा आती है। यदि संतान हुई है तो वह आपकी घोर विरोधी रहेगी। आप हमेशा उससे दु:खी रहेंगे।
4. विवाह बाधा : ऐसी मान्यता है कि पितरों के नाराज रहने के कारण घर की किसी संतान का विवाह नहीं होता है और यदि हो भी जाए तो वैवाहिक जीवन अस्थिर रहता है।
5. आकस्मिक नुकसान : ऐसी मान्यता है कि यदि पितृ नाराज हैं तो आप जीवन में किसी आकस्मिक नुकसान या दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं। आपका रुपया जेलखाने या दवाखाने में ही बर्बाद हो जाता है।
6. अन्य लक्षण : इसके अलावा भी अन्य लक्षण बताए गए हैं, जैसे कि मांगलिक कार्यों में अचानक कोई बाधा उत्पन्न हो, संतान का पढ़ाई में दिल नहीं लगना, श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मणों द्वारा भोजन नहीं खाया जाना, घर में बरकत नहीं रहना आदि।
कैसे करते हैं तर्पण : ( Pitru tarpan pind daan )
1. पितृ पक्ष में प्रतिदिन नियमित रूप से पवित्र नदी में स्नान करने के बाद तट पर ही पितरों के नाम का तर्पण किया जाता है। इसके लिए पितरों को जौ, काला तिल और एक लाल फूल डालकर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके खास मंत्र बोलते हुए जल अर्पित करना होता है।
2. सर्वप्रथम अपने पास शुद्ध जल, बैठने का आसन (कुशा का हो), बड़ी थाली या ताम्रण (ताम्बे की प्लेट), कच्चा दूध, गुलाब के फूल, फूल-माला, कुशा, सुपारी, जौ, काली तिल, जनेऊ आदि पास में रखे। आसन पर बैठकर तीन बार आचमन करें। ॐ केशवाय नम:, ॐ माधवाय नम:, ॐ गोविन्दाय नम: बोलें।
3. आचमन के बाद हाथ धोकर अपने ऊपर जल छिड़के अर्थात् पवित्र होवें, फिर गायत्री मंत्र से शिखा बांधकर तिलक लगाकर कुशे की पवित्री (अंगूठी बनाकर) अनामिका अंगुली में पहन कर हाथ में जल, सुपारी, सिक्का, फूल लेकर निम्न संकल्प लें।
4. अपना नाम एवं गोत्र उच्चारण करें फिर बोले अथ् श्रुतिस्मृतिपुराणोक्तफलप्राप्त्यर्थ देवर्षिमनुष्यपितृतर्पणम करिष्ये।।
5. इसके बाद थाली में जल, कच्चा दूध, गुलाब की पंखुड़ी डाले, फिर हाथ में चावल लेकर देवता एवं ऋषियों का आह्वान करें। स्वयं पूर्व मुख करके बैठें, जनेऊ को रखें। कुशा के अग्रभाग को पूर्व की ओर रखें, देवतीर्थ से अर्थात् दाएं हाथ की अंगुलियों के अग्रभाग से तर्पण दें, इसी प्रकार ऋषियों को तर्पण दें।
6. अब उत्तर मुख करके जनेऊ को कंठी करके (माला जैसी) पहने एवं पालकी लगाकर बैठे एवं दोनों हथेलियों के बीच से जल गिराकर दिव्य मनुष्य को तर्पण दें। अंगुलियों से देवता और अंगूठे से पितरों को जल अर्पण किया जाता है।
7. इसके बाद दक्षिण मुख बैठकर, जनेऊ को दाहिने कंधे पर रखकर बाएं हाथ के नीचे ले जाए, थाली में काली तिल छोड़े फिर काली तिल हाथ में लेकर अपने पितरों का आह्वान करें- ॐ आगच्छन्तु में पितर इमम ग्रहन्तु जलान्जलिम। फिर पितृ तीर्थ से अर्थात् अंगूठे और तर्जनी के मध्य भाग से तर्पण दें।
8. तर्पण करते वक्त अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें, गोत्रे अस्मत्पितामह (पिता का नाम) वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र से पितामह और परदादा को भी 3 बार जल दें। इसी प्रकार तीन पीढ़ियों का नाम लेकर जल दें। इस मंत्र को पढ़कर जलांजलि पूर्व दिशा में 16 बार, उत्तर दिशा में 7 बार और दक्षिण दिशा में 14 बार दें।
9. जिनके नाम याद नहीं हो, तो रूद्र, विष्णु एवं ब्रह्मा जी का नाम उच्चारण कर लें। भगवान सूर्य को जल चढ़ाए। फिर कंडे पर गुड़-घी की धूप दें, धूप के बाद पांच भोग निकालें जो पंचबली कहलाती है।
10. इसके बाद हाथ में जल लेकर ॐ विष्णवे नम: ॐ विष्णवे नम: ॐ विष्णवे नम: बोलकर यह कर्म भगवान विष्णु जी के चरणों में छोड़ दें। इस कर्म से आपके पितृ बहुत प्रसन्न होंगे एवं मनोरथ पूर्ण करेंगे।
सावन में घर में लगा लें तुलसी का पौधा, हमेशा खुशहाल रहेगा परिवार
15 Aug, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में सावन महीने को बेहद ही शुभ माना गया हैं जो कि शिव साधना आराधना को समर्पित होता हैं इस दौरान भक्त भगवान शिव की विधि विधान से पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं लेकिन शिव के साथ साथ सावन का महीना माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए भी उत्तम माना जाता हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तुलसी में धन की देवी माता लक्ष्मी का वास होता हैं ऐसे में अगर इस पवित्र महीने में घर में तुलसी का पौधा लगाकर इसकी देख रेखा की जाए साथ ही पूजा पाठ व जल अर्पित किया जाए तो साधक को इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिलते हैं। तो आज हम आपको इसी के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
सावन में लगा लें तुलसी का पौधा-
हिंदू धर्म में तुलसी को बेहद पवित्र और पूजनीय पौधा माना गया हैं। मान्यता है कि इस पौधे में माता लक्ष्मी का वास होता हैं ऐसे में अधिकतर लोग तुलसी को घर आंगन में लगाकर सुबह जल अर्पित करते हैं और संध्याकाल में घी का दीपक जलाते हैं माना जाता हैं कि ऐसा करने से लक्ष्मी कृपा सदा बनी रहती हैं साथ ही तुलसी विष्णु को भी बेहद प्रिय हैं।
अगर इस पवित्र महीने में तुलसी को घर में लगाया जाए तो लक्ष्मी और विष्णु की कृपा मिलती हैं। वास्तु अनुसार जिस घर में तुलसी का पवित्र पौधा लगा होता हैं वहां हमेशा ही सकारात्मकता, सुख समृद्धि और खुशहाली बनी रहती हैं साथ ही परिवार में धन की कमी नहीं होती हैं।
नाग पंचमी पर कैसे करें नाग देवता की पूजा
15 Aug, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पंचांग के अनुसार सावन महीने में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी मनाई जाती है। इस साल नाग पंचमी का यह पावन पर्व 21 अगस्त 2023 को है। नाग पंचमी पर भगवान शिव की पूजा-आराधना के साथ उनके गले की शोभा बढ़ाने वाले नाग देवता की विधिवत पूजा अर्चना होती है।
कहा जाता है कि नाग की पूजा करने से सांपों के डसने का भय नहीं रहता है। साथ ही जीवन की सभी समस्याएं भी समाप्त हो जाती हैं। इस दिन नाग देवता की आराधना करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। धार्मिक शास्त्रों में नाग देवता की पूजा के लिए कुछ जरूरी नियम बताए गए हैं। यदि आप उन नियमों के अनुसार नाग देवता की पूजा करते हैं आपको शुभ फलों की प्राप्ति होगी। आइए जानते हैं नाग पंचमी पर किस विधि से पूजा नाग देवता की पूजा करनी चाहिए...
नाग देवता की पूजा विधि
नाग पंचमी के दिन सबसे पहले सुबह सूर्योदय से पहले उठें और स्नान आदि करें। इसके बाद शिव जी के साथ-साथ नाग देवता की पूजा करें।
इस दिन नाग देवता की पूजा में फल, फूल, मिठाई और दूध अवश्य ही अर्पित करें। कहा जाता है कि जिन जातकों की कुंडली में कालसर्प दोष या फिर राहु-केतु से संबंधित कोई दोष हो तो नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा जरूर करनी चाहिए।
नाग पंचमी के दिन तांबे के लोटे से नाग देवता की मूर्ति को दूध और जल चढ़ाएं। संभव हो तो मंदिर में चांदी का नाग-नागिन का जोड़ा रखकर उसका पूजन-अभिषेक करें। इससे नाग देवता और शिव जी दोनों प्रसन्न होते हैं।
नाग पंचमी की पूजा महत्व
कहा जाता है कि नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने से जीवन के संकटों का नाश होता है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा यदि इस दिन किसी व्यक्ति को नागों के दर्शन होते हैं तो उसे बेहद शुभ माना जाता है।