धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (24 अगस्त 2023)
24 Aug, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- यात्रा से लाभ, परिवार से लाभ, कार्य में रुकावट होगी, समय का ध्यान रखें।
वृष :- धार्मिक कार्यों में खर्च होगा, धन का आभाव मन में खेद तथा दुख अवश्य होगा।
मिथुन :- व्यापारिक योजना बने, शरीर सुख तथा लाभ के कार्य में बाधा होगी।
कर्क :- चिन्ताओं की समाप्ति होगी, नये कार्य-व्यापार से लाभ के कार्य होंगे तथा बाधा बनेगी।
सिंह :- शारीरिक कष्ट, परेशानी, स्त्री से अनवन तथा सामान्य लाभ होगा।
कन्या :- संघर्ष, कार्य व्यापार में अशांति हो, संतान से सुख समाचार मिले।
तुला :- रोग, शरीर व्याधि से कष्ट धन की कमी, घर में कलह होगी, ध्यान दें।
वृश्चिक :- मेहनत से कार्य पूर्ण हों, स्त्री का सहयोग फलदायी होगा, व्यय की वृद्धि होगी।
धनु :- खांसी-जुकाम का प्रभाव रहेगा, स्त्री से मन-मुटाव होगा, ध्यान रखें।
मकर :- व्यापार में सुधार होगा, शत्रुपक्ष से सावधान रहें, स्वास्थ्य ठीक रहेगा।
कुम्भ :- संघर्षपूर्ण स्थिति होगी, लाभ तथा व्यय होगा, समय का ध्यान अवश्य रखें।
मीन :- व्यापार में लाभ, कार्यक्षेत्र में सुधार, भूमि-भवन की खरीद-फरोख्त अवश्य होगी।
जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का मोक्ष कल्याणक दिवस
23 Aug, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जैन धर्म में 24 तीर्थंकर हुए हैं और जैन धर्म के अनुसार श्रावण शुक्ल सप्तमी के दिन 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ का मोक्ष कल्याणक दिवस मनाया जाता है। इस दिन दिगंबर एवं श्वेतांबर जैन मंदिरों में भगवान पार्श्वनाथ की विशेष पूजा-अर्चना, शांतिधारा कर निर्वाण लाडू चढ़ाने की प्रथा है।
इस दिन मंत्र- ॐ ह्रीं श्री पार्श्वनाथ जिनेन्द्राय नमो नम: का जाप अवश्य ही करना चाहिए। इस बार 23 अगस्त, दिन बुधवार को मोक्ष सप्तमी और भगवान पार्श्वनाथ का मोक्ष कल्याणक दिवस मनाया जा रहा है।
अत: भगवान पार्श्वनाथ के मोक्ष कल्याण पर सम्मेदशिखर जी क्षेत्र की पूजा व निर्वाण कांड का पाठ करने पश्चात निर्वाण लाडू चढ़ाया जाता है। जिस प्रकार यह लाडू रस भरी बूंदी से निर्मित किया जाता है, उसी प्रकार अंतरंग से आत्मा की प्रीति रस से भरी हो जाए तो परमात्मा बनने में देर नहीं लगती।
धार्मिक मान्यता के अनुसार जिसका मोक्ष हो जाता है उसका मनुष्य भव में जन्म लेना सार्थक हो जाता है। जब तक संसार है तब तक चिंता रहती है, जहां मोक्ष का पूर्णरूपेण क्षय हो जाता है वहीं मोक्ष हो जाता है। अत: हमें अपनी आत्मा को परमात्मा बनाने के लिए मोहरूपी शत्रु का नाश करना पड़ता है। इसीलिए अत: सभी का सम्मान करना चाहिए। सब बड़ों के प्रति विनय भाव रखना चाहिए, क्योंकि विनय ही मोक्ष का द्वार है।
सभी को चैतन्य प्रभु से रिश्ता जोड़ना चाहिए, क्योंकि पुण्यात्मा जहां भी चरण रखते हैं वहां से दुख, अंधकार, कषाय, क्लेश स्वमेव ही प्रकाश व सुखों में परिवर्तित हो जाते हैं। इस दिन खास तौर पर जैन समाज की बालिकाएं सामूहिक रूप से निर्जला उपवास करती है, दिन भर पूजन, स्वाध्याय, मनन-चिंतन, सामूहिक प्रतिक्रमण करते हुए संध्या के समय देव-शास्त्र-गुरु की सामूहिक भक्ति कर आत्म चिंतन करती है।
शाम को उनको घोड़ी-बग्घी में बिठाकर घुमाया जाता है तथा अगले दिन उनका पारण कराया जाता है। इस पर्व को मोक्ष सप्तमी के नाम से जाना जाता है। जिस तरह प्रभु का स्पर्श तो हमें स्वर्ण ही नहीं पारस बना देता है। उसी तरह हम भी भगवान पार्श्वनाथ की तरह अपने भवों को कम करके निर्वाण प्राप्ति की ओर बढ़ें और मोक्ष प्राप्त करें। यही सीख हमें लेना चाहिए।
सावन के आखिरी सोमवार पर करें ये उपाय, चमक जाएगा भाग्य का सितारा
23 Aug, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में वैसे तो हर दिन और महीने को महत्वपूर्ण बताया गया हैं लेकिन सावन का महीना बेहद ही खास होता हैं जो कि शिव शंकर की आराधना उपासना को समर्पित होता हैं इस बार सावन में अधिकमास पड़ने के कारण ये पूरे दो महीने का हो गया हैं ऐसे में भक्तों को शिव पूजा के लिए इस बार सावन में कुल आठ सोमवार प्राप्त हुए हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सावन का महीना अब समाप्ति की ओर बढ़ चला है और इस माह का आखिरी सोमवार बेहद ही खास हैं जो कि 28 अगस्त को पड़ रहा है इसी दिन सावन का आखिरी प्रदोष व्रत भी किया जाएगा। मान्यता है कि इस पावन दिन पर अगर साधक कुछ उपायों को करते हैं तो उनकी किस्मत का सितारा चमक जाएगा तो आज हम आपको सावन के आखिरी सोमवार पर किए जाने वाले उपाय बता रहे हैं।
सावन के आखिरी सोमवार पर करें ये काम-
सावन माह का आखिरी सोमवार 28 अगस्त को पड़ रहा हैं ऐसे में इस दिन विधि विधान के साथ व्रत पूजा जरूर करें। आखिरी सोमवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद घर के पास के मंदिर में जाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करें फिर दूध, चंदन और दही से अभिषेक करें।
इसके बाद वहीं पर बैठकर पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ शिव चालीसा का पाठ करें। अंत में प्रभु से भूल चूक के लिए क्षमा मांगे। मान्यता है कि ऐसा करने से शिव शंकर की कृपा प्राप्त होती हैं और जीवन के दुखों का भी अंत हो जाता हैं।
आखिर क्यों भगवान शिव के मस्तक पर विराजते हैं चंद्रमा?
23 Aug, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देवों के देव महादेव अपने भक्तों की भक्ति से बहुत जल्दी खुश हो जाते हैं। भोलेनाथ की कृपा से व्यक्ति के सभी कष्ट जल्दी दूर हो जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि, भगवान शिव ऐसे भगवान हैं जिन्हें आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।
महादेव का नाम सुनते ही सभी के मस्तिष्क में एक अलग सा ही चित्र बनने लगता है। गले में सांपों की माला हाथ में त्रिशूल और उनके लंबे केश जैसा चित्र सामने आता है। यही नहीं भगवान शिव शंकर के मस्तक पर चंद्रमा भी विराजमान है। अब कई बार आपके मन में यह सवाल आता होगा कि, आखिर भगवान शिव के मस्तक पर चंद्र देवता यानी चंद्रमा क्यों विराजमान हैं? इसका जवाब शिव पुराण में दिया गया है। चलिए इसके बारे में विस्तार से जान लेते हैं।
भगवान शिव के मस्तक पर क्यों विराजित हैं चंद्रमा?
शिव पुराण के अनुसार माना जाता है कि, समुद्र मंथन के समय जब विष निकला तो सभी देव व असुर परेशान हो गए। विष की मात्रा अधिक होने के कारण सभी सोचने लगे कि इसका क्या किया जाए। ऐसे में सृष्टि की रक्षा के लिए भगवान शिव ने वो विष पी लिया। इसे पीने के बाद भगवान शिव के कंठ में विष जमा हो गया। इस वजह से उन्हें नीलकंठ भी कहते हैं। विष के प्रभाव से भगवान शिव का शरीर अधिक गर्म होने लगा, जिसे देखकर देवी-देवता चिंता में आ गए।
सभी देवी देवता सोचने लगे कि आखिर भोलेनाथ को विष की गर्मी से किस प्रकार राहत दिलाई जाए। फिर सभी ने चंद्र देवता से प्रार्थना की कि, वह शिव जी के मस्तक पर विराजमान हो जाएं जिससे उनकी शीतलता के प्रभाव से विष की गर्मी को शांत किया जा सके। इसलिए भोलेनाथ ने चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण किया हुआ है।
अन्य कथा के अनुसार
अन्य कथा की माने तो, राजा दक्ष की 27 पुत्रियां थीं और उन्होंने सभी का विवाह चंद्रमा से किया था। इस दौरान राजा दक्ष ने यह शर्त रखी थी कि, चंद्रमा अपनी सभी 27 पत्नियों के साथ समान व्यवहार करेंगे। हालांकि, चंद्रमा रोहिणी के सबसे करीब थे। इस बात से दुखी होकर बाकी कन्याओं ने अपने पिता राजा दक्ष से शिकायत की। जिसके बाद दक्ष ने चंद्रमा को श्राप दिया। जिससे वह क्षय रोग से ग्रसित हो गए। यहीं वहीं चंद्रमा की सभी कलाएं भी समाप्त हो गईं। ऐसे में नारद मुनि ने चंद्रमा से भोलेनाथ की आराधना करने के लिए कहा।
चंद्रमा ने भोलेनाथ की आराधना कर उन्हें प्रसन्न किया। जिसके बाद चंद्रमा के रोग दूर हो गए। वह पूर्णमासी के दिन अपने पूर्ण रूप में प्रकट हुए। इस दौरान चंद्रमा ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि, वह उन्हें अपने मस्तक पर धारण कर लें। बस तभी से चंद्रमा भगवान शिव के मस्तक पर विराजमान हैं।
रक्षाबंधन पर करें ज्योतिषीय उपाय, दूर होगी आर्थिक तंगी
23 Aug, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में कई सारे व्रत त्योहार पड़ते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता हैं लेकिन रक्षाबंधन को बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि भाई बहन के प्रेम का प्रतीक होता हैं इस दिन बहने अपने भाई की कलाई पर राखी बाधती है और उनकी मंगल कामना के लिए प्रार्थना करती हैं तो वही भाई अपनी बहन की रक्षा के लिए वचन लेता हैं।
इस बार रक्षाबंधन का त्योहार 30 और 31 अगस्त को मनाया जाएगा। ऐसे में अगर रक्षाबंधन के शुभ दिन पर कुछ ज्योतिषीय उपायों को किया जाए तो आर्थिक परेशानियों से मुक्ति पाई जा सकती हैं तो आज हम आपको इन्हीं उपायों के बारे में बता रहे हैं।
रक्षाबंधन के ज्योतिषीय उपाय-
अगर आप आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं और मुक्ति पाना चाहते हैं तो ऐसे में रक्षाबंधन के शुभ दिन पर माता लक्ष्मी को लाल या फिर गुलाबी रंग की राखी अर्पित करें ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती हैं और धन की कमी भी दूर हो जाती हैं। इसके अलावा राखी के शुभ अवसर पर भगवान श्री गणेश को राखी जरूर बांधे। ऐसा करने से भाई बहन के प्रेम में वृद्धि होती है साथ ही आपसी मनमुटाव भी दूर हो जाता हैं।
ज्योतिष अनुसार रक्षाबंधन के दिन अगर हनुमान जी को राखी बांधी जाए तो सभी परेशानियों का समाधान हो जाता है साथ ही कुंडली का मंगल भी मजबूत होकर शुभ फल प्रदान करता हैं रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने समय थाली में फिटकरी जरूर रखें और राखी बांधने के बाद फिटकरी को भाई के सिर से सात बार उल्टी दिशा में घुमाकर फेंक दें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से नकारात्मक शक्ति दूर हो जाती हैं और भाई को खूब तरक्की मिलती हैं।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (23 अगस्त 2023)
23 Aug, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, दैनिक कार्यगति में सुधार होगा, कार्ययोजना अवश्य बनेगी।
वृष :- समय की अनुकूलता से लाभांवित होंगे, विवादग्रस्त होने से अवश्य बचें।
मिथुन :- मनोबल उत्साह वर्धक होगा, इष्ट मित्र सुखवर्धक रहें, विशेष कार्य अवश्य ही बनेंगे।
कर्क :- स्वास्थ्य हानि से बेचैनी, मानसिक उद्विघ्नता, शरीर क्षमता कमजोर पड़ेगी, ध्यान रखें।
सिंह :- आशानुकूल सफलता का हर्ष, कार्यवृत्ति में सुधार के योग बनेंगे, समय का ध्यान अवश्य रखें।
कन्या :- समय पर सोचे हुए कार्य बनेंगे किन्तु कुछ बाधा व विलम्ब अवश्य होगा।
तुला :- मानसिक क्लेश व अशांति, मनोवृत्ति मलिन रहे तथा विरोधी तत्व परेशान अवश्य करें।
वृश्चिक :- आर्थिक योजना पूर्ण हों, सफलता के साधन जुटायें, कार्य संतोष की चिन्ता होगी।
धनु :- कार्य योजना फलीभूत होगी, आशानुकूल सफलता से हर्ष होगा, रुके कार्य बनेंगे।
मकर :- इष्ट मित्रों से सुख-ऐश्वर्य की प्राप्ति, स्त्री वर्ग से हर्ष, तनाव तथा क्लेश, अशांति बनेगी।
कुम्भ :- मान-प्रतिष्ठा, प्रभुत्व वृद्धि, कार्य कुशलता से संतोष एवं रुके कार्य बनेंगे।
मीन :- दैनिक कार्यगति में सुधार, प्रत्येक कार्य में बाधा उद्विघ्नता अवश्य बनेगी।
भद्रा में क्यों नहीं बांधी जाती है भाई को राखी? जानिए पौराणिक मान्यता
22 Aug, 2023 12:01 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Raksha Bandhan 2023: हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर रक्षा बंधन का त्योहार मनाया जाता है। इस बार सावन पूर्णिमा 30 अगस्त 2023 को है। पूरे भारत में यह बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। रक्षाबंधन का त्योहार बहन और भाई के आपसी प्रेम और स्नेह का त्योहार है। इस दिन बहनें अपने भाईयों की कलाई में राखी बांधती हैं। लेकिन रक्षाबंधन के दिन राखी बांधने से पहले भद्रा काल और राहुकाल का विशेष ध्यान दिया जाता है। शास्त्रों के अनुसार भद्रा काल में राखी बांधना शुभ नहीं होता है। मान्यता है कि भद्रकाली में किसी भी तरह के शुभ कार्य करने पर उसमें सफलता नहीं मिलती। तो चलिए जानते हैं रक्षा बंधन के दिन भद्राकाल में भाई की कलाई पर राखी क्यों बांधनी चाहिए...
भद्रा में राखी न बंधवाने के पीछे एक कथा प्रचलित है, जिसके अनुसार लंका के राजा रावण ने अपनी बहन से भद्रा के समय ही राखी बंधवाई थी। कहा जाता है कि भद्राकाल में राखी बांधने के कारण ही रावण का सर्वनाश हुआ था। ऐसे में इसी मान्यता के आधार पर जब भी भद्रा लगी रहती है उस समय बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी नहीं बांधती है।
एक अन्य मान्यता के अनुसार भद्रा शनिदेव की बहन है। न्याय के देवता शनिदेव की तरह भद्रा भी उग्र स्वभाव की हैं। कहा जाता है कि भद्रा को ब्रह्मा जी ने शाप दिया कि जो भी भद्राकाल में किसी भी तरह का कोई भी शुभ कार्य करेगा, उसमें उसे सफलता नहीं मिलेगी।
भद्रा के अलावा राहुकाल में भी किसी तरह का शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि रक्षाबंधन का त्योहार भद्रा रहित समय में मनाना चहिए।
इस साल भी सावन पूर्णिमा वाले दिन यानी 30 अगस्त को दिनभर भद्रा का साया है। ऐसे में आप 30 अगस्त को रात में 9 बजे के बाद या फिर 31 अगस्त को सुबह 7 बजे तक भाई को राखी बांध सकती हैं। इस समय भद्रा नहीं है।
Janmashtami: इन चीजों के बिना अधूरा है लड्डू गोपाल का श्रृंगार...
22 Aug, 2023 11:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Krishna Janmashtami 2023: हर साल भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस साल यह पर्व 07 अगस्त 2023 को है। कृष्ण भक्तों द्वारा यह पर्व धूम-धाम से मनाया जाता है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लोग व्रत रखते हैं और मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण का जन्म मध्य रात्रि मे हुआ था, इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा रात में ही की जाती है। साथ ही रात्रि जागरण भी होते हैं। इस दिन भगवान श्री कृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की पूजा की जाती है। जन्म के बाद लड्डू गोपाल को पंचामृत से स्नान कराया जाता है। साथ ही बाल गोपाल का श्रृंगार किया जाता है। उन्हें सुंदर वस्त्र, बांसुरी, मोरपंख, काजल, मुकुट, पाजेब जैसी चीजों से सजाया जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि कृष्ण जन्माष्टमी पर कैसे करें बाल गोपाल का श्रृंगार...
वस्त्र
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पीले, हरे, लाल, मोरपंख से बने वस्त्र, फूलों वाले वस्त्र, मीनाकारी, जरदोरी जैसे वस्त्र लड्डू गोपाल को पहना सकते हैं। इससे कान्हा आप पर प्रसन्न होंगे।
बांसुरी
बांसुरी कान्हा की सबसे प्रिय वस्तु है। इसके बिना कान्हा का श्रृंगार अधूरा माना जाता है। ऐसे में कृष्ण जन्माष्टमी के दिन आप छोटी सी बांसुरी कान्हा के हाथों मे रखें।
मोर मुकुट
श्रीकृष्ण को मोरपंख अतिप्रिय होता है, इसलिए जन्माष्टमी के दिन उन्हें मोर मुकुट जरूर पहनाएं। ऐसा करने से कान्हा प्रसन्न होंगे और आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी करेंगे।
माला
जन्माष्टमी पर लड्डू गोपाल को मोतियों की माला या फिर वैजयंती की माला पहनाएं। आप चाहें तो पीले या लाल फूलों से बने माला भी कान्हा को पहना सकते हैं।
टीका
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन बाल गोपाल को माथे पर रोली और चंदन का टीका लगाएं। इससे आपके जीवन में शीतलता आएगी।
कड़े और बाजूबंध
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पूजा के समय चांदी या सोने के कड़े से लड्डू गोपाल का श्रृंगार करें। इससे जीवन में आ रही बधाएं दूर होती हैं।
कुंडल
कृष्ण जन्माष्टमी के दिन कृष्ण कन्हैया के कानों में सोने, चांदी या मोती से बने कुंडल जरूर पहनाएं।
पाजेब और कमरबंध
भगवान श्री कृष्ण की कृपा पाने के लिए चांदी से बने पाजेब या पायल बाल गोपाल के चरणों में जरूर पहनाएं। साथ ही कमर में कमरबंध भी पहनाएं।
आठवां मंगला गौरी व्रत आज, जानें पूजा विधि और महत्व..
22 Aug, 2023 11:01 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Mangla Gauri Vrat : सावन का आठवां मंगला गौरी व्रत आज यानी 22 अगस्त 2023 को है। सावन सोमवार की तरह इस माह के सभी मंगलवार मां पार्वती को समर्पित हैं। इस दिन सुहागिनें व्रत रखती हैं और मां मंगला गौरी की विधि-विधान से पूजा करती हैं। मां मंगला गौरी आदि शक्ति माता पार्वती का ही मंगल रूप हैं। इन्हें मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी के नाम से भी जाना जाता है। मंगला गौरी का व्रत अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए व्रत रखा जाता है। इसलिए विवाहित महिलाएं सावन में इस व्रत को विधि-विधान के साथ रखती हैं। मंगला गौरी व्रत में विधि पूर्वक पूजा करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही दांपत्य जीवन में प्रेम बना रहता है। चलिए जानते हैं मंगला गौरी व्रत और पूजा विधि के बारे में...
मंगला गौरी व्रत विधि
सुहागिन महिलाएं आठवें मंगला गौरी व्रत के दिन सूर्योदय से पहले उठ कर स्नानादि करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर एक साफ लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर मां पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद व्रत का संकल्प करें और आटे से बना हुआ दीपक प्रज्वलित करें। फिर धूप, नैवेद्य फल-फूल आदि से मां गौरी की पूजा करें। ध्यान रहे कि आप पूजा में जो भी सामग्री जैसे सुहाग का सामान, फल, फूल, माला, मिठाई आदि जितनी भी चीजें अर्पित कर रही हैं, उनकी संख्या 16 हो। वहीं पूजा समाप्त होने के बाद मां गौरी की आरती करें और उनसे अखंड सौभाग्य के लिए प्रार्थना करें।
मंगला गौरी व्रत का महत्व
मंगला गौरी व्रत सुहागन स्त्रियां अपने सुहाग एवं अपने परिवार में सुख-शांति और समृद्धि के लिए करती हैं। इसके अलावा यदि कुंवारी कन्याएं मंगला गौरी व्रत करती हैं तो उन्हें सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है। साथ विवाह में हो रही अड़चन भी दूर हो जाती है।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (22 अगस्त 2023)
22 Aug, 2023 10:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- अच्छी चीज़ों को ग्रहण करने के लिए आपका दिमाग़ खुला रहेगा। जिन लोगों ने किसी अनजान शख्स की सलाह पर कहीं निवेश किया था आज उन्हें उस निवेश से फायदा होने की पूरी संभावना है।
वृष :- आज आप काफ़ी पैसे बना सकते हैं- लेकिन इसे अपने हाथों से फिसलने न दें। बच्चे और परिवार दिन का केंद्र-बिंदु रहेंगे। सैर-सपाटे पर जाने का कार्यक्रम बन सकता है
मिथुन :- सफलता क़रीब होने के बावजूद आपकी ऊर्जा के स्तर में गिरावट आएगी। अगर आप लोन लेने वाले थे और काफी दिनों से इस काम में लगे थे तो आज के दिन आपको लोन मिल सकता है।
कर्क :- आपके परिवार को आपसे बहुत ज़्यादा उम्मीदें हैं, जिसके चलते आप खीज महसूस कर सकते हैं। निवेश के लिए अच्छा दिन है, लेकिन उचित सलाह से ही निवेश करें। दोस्त और घर वाले आपको प्यार और सहयोग देंगे।
सिंह :- मानसिक स्पष्टता के लिए भ्रम और निराशा से बचने की कोशिश करें। पुराने निवेशों के चलते आय में बढ़ोत्तरी नज़र आ रही है। जीवनसाथी से झगड़ा मानसिक तनाव की ओर ले जा सकता है।
कन्या :- आज आपकी सेहत अच्छी रहेगी, जिसके चलते आप सफलता की ओर तेज़ी-से बढ़ेंगे। ऐसी हर चीज़ से परहेज़ करें, जिससे आपकी शक्ति नष्ट न हो।
तुला :- मुस्कुराएँ, क्योंकि यह सभी समस्याओं का सबसे उम्दा इलाज है। अगर आप सूझ-बूझ से काम लें, तो आज अतिरिक्त धन कमा सकते हैं।
वृश्चिक :- धैर्य बनाए रखें, क्योंकि आपकी समझदारी और प्रयास आपको सफलता ज़रूर दिलाएंगे। रात के समय आप आज आपको धन लाभ होने की पूरी संभावना है क्योंकि आपके द्वारा दिया गया धन आज आपको वापस मिल सकता है।
धनु :- आपका प्रबल आत्मविश्वास और आज के दिन का आसान कामकाज मिलकर आपको आराम के लिए काफ़ी वक़्त देंगे।
मकर :- किसी पुराने दोस्त से मुलाक़ात आपका मन ख़ुश कर देगी। रुका हुआ धन मिलेगा और आर्थिक हालात में सुधार आएगा।
कुम्भ :- काम के बीच-बीच में थोड़ा आराम करें और देर रात तक काम न करें। जो लोग लघु उद्योग करते हैं उन्हें आज के दिन अपने किसी करीबी की कोई सलाह मिल सकती है जिससे उन्हें आर्थिक लाभ होने की संभावना है।
मीन :- व्यस्त दिनचर्या के बावजूद सेहत अच्छी रहेगी। लेकिन इसे हमेशा के लिए सच मानने की ग़लती न करें। अपनी ज़िंदगी और सेहत का सम्मान करें।
कुंडली में राहु-केतु अशुभ हो तो होती है अनहोनी
21 Aug, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
राहु केतु दोष से जीवन कष्टदायी ज्योतिष शास्त्र में राहु-केतु को छाया या पापी ग्रह के रूप में जाना जाता है. जिनकी कुंडली में राहु-केतु का अशुभ प्रभाव रहता है, उनका जीवन कष्टदायी हो जाता है.
राहु-केतु की दशा-महादशा
अगर आपकी कुंडली में राहु-केतु की दशा-महादशा है तो आपको यह जरूर जानना चाहिए कि, किन उपायों से राहु-केतु दोष का निवारण होगा और परेशानियों से मुक्ति मिलेगी.
राहु दोष से व्यक्ति मानसिक तनाव
राहु दोष से व्यक्ति मानसिक तनाव, आर्थिक नुकसान, कीमती चीजों का बार-बार खोना, अधिक क्रोधित होना राहु-केतु दोष के लक्षण है.
कलह-क्लेश
बार-बार मरा सांप, छिपकली और पक्षी दिखाई देना, नाखून का कमजोर होना, पारिवारिक कलह-क्लेश और मुकदमे आदि जैसी समस्याएं बढ़ने लगती है.
शारीरिक समस्याएं
कुंडली में अगर केतु ग्रह का अशुभ प्रभाव हो तो इससे शारीरिक समस्याएं परेशान करती हैं. राहु दोष से बाल झड़ना, जोड़ों में दर्द, चर्म रोग, रीढ़ की हड्डी की समस्या, नसों में कमजोरी जैसी कई बीमारियां होती है.
Rahu Ketu
जीवन और शरीर में इस तरह के संकेत दिखे तो समझ जाएं कि, राहु-केतु का बुरा प्रभाव पड़ रहा है. ऐसे में किसी ज्योतिषी को अपनी कुंडली दिखाएं और राहु-केतु दोष होने पर ज्योतिषी की सलाह पर इन उपायों को जरूर करें.
शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाने का सही तरीका
21 Aug, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शिवलिंग पांच जगह बेल पत्र अर्पित करें
भगवान शिव को हमेशा पांच जगह बेल पत्र अर्पित करना जरूरी होता है.
शिवलिंग पर अर्पित करें बेलपत्र
जरुरी बातें
आप शिवजी की पूजा करने जाएं तो उससे पहले बेलपत्र को अच्छे से साफ पानी से धो लें.
मंत्र का उच्चारण करें
मंत्र का उच्चारण करें
बेल पत्र चढ़ाते समय ओम नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करें. इसके अलावा बेलपत्र चढ़ाने का मंत्र भी है.
पहला बेल पत्र
पहला बेल पत्र
सबसे पहले बेल पत्र भगवान शिव के निष्ठावान भक्त नंदीश्वर को चढ़ाना चाहिए.
दूसरा बेल पत्र
दूसरा बेल पत्र
इसके बाद दूसरा बेल पत्र जलहरी पर उस स्थान पर चढ़ाना चाहिए जो भगवान गणेश का स्थान होता है. यानी कि जलहरी पर सीधे हाथ की तरफ बेल पत्र चढ़ाएं.
तीसरा बेल पत्र
तीसरा बेल पत्र
तीसरा बेल पत्र चढ़ाना है जहां शिवलिंग जलहरी से मिलता है. उस स्थान पर बेल पत्र रख दें.
चौथा बेल पत्र
चौथा बेल पत्र
चौथा बेल पत्र उस कलश में अर्पित करना चाहिए जिससे धीरे धीरे शिवलिंग पर जल गिरता है.
पांचवां बेल पत्र
पांचवां बेल पत्र
अब बचा आखिरी बेल पत्र. ये बेल पत्र उस शिवलिंग के ऊपर अर्पित करना है. जिसका पूजन आप कर रहे हैं.
सिद्धिविनायक मंदिर से जुड़ी इस बात से कहीं आप भी नहीं अनजान
21 Aug, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत के हलचल भरे दिल मुंबई में एक मंदिर है जो लाखों लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान रखता है - सिद्धिविनायक मंदिर। यह लेख इस प्रतिष्ठित मंदिर के समृद्ध इतिहास, सांस्कृतिक महत्व, जटिल अनुष्ठानों और आध्यात्मिकता की आभा पर प्रकाश डालता है।
सिद्धिविनायक मंदिर की ऐतिहासिक उत्पत्ति
सिद्धिविनायक मंदिर का इतिहास 18वीं शताब्दी का है जब इसे लक्ष्मण विथु और देउबाई पाटिल ने बनवाया था। प्रभादेवी क्षेत्र में स्थित, यह मंदिर मूल रूप से मुंबई में बढ़ते समुदाय की जरूरतों को पूरा करता था।
भगवान गणेश का महत्व
सिद्धिविनायक के महत्व के मूल में वह देवता निहित है जिसकी वह पूजा करता है - भगवान गणेश। बाधाओं को दूर करने वाले और सौभाग्य के अग्रदूत के रूप में जाने जाने वाले गणेश को दुनिया भर के हिंदुओं द्वारा व्यापक रूप से पूजा जाता है।
गूढ़ मूर्ति
मंदिर का मुख्य आकर्षण भगवान गणेश की मूर्ति है, जो एक ही काले पत्थर से बनाई गई है। कहा जाता है कि मूर्ति की अनोखी बायीं ओर मुड़ी सूंड सौभाग्य और चुनौतियों से पार पाने की क्षमता का प्रतीक है।
अनुष्ठान और प्रसाद
भक्त विभिन्न प्रकार के अनुष्ठानों में भाग लेते हैं, जिसमें "अष्टविनायक दर्शन" भी शामिल है - एक विशिष्ट क्रम में आठ गणेश मंदिरों का दौरा करना। मोदक, एक मीठा व्यंजन है, जो भगवान गणेश को एक पसंदीदा प्रसाद है।
हर्षोल्लास के साथ मनाये गये त्यौहार
गणेश चतुर्थी, सबसे भव्य रूप से मनाया जाने वाला त्योहार है, जिसमें लाखों लोग मंदिर में आते हैं। इस त्योहार के दौरान विसर्जन जुलूस देखने लायक होता है।
सिद्धिविनायक: एकता का प्रतीक
मंदिर धार्मिक सीमाओं से परे है, जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों को आकर्षित करता है, समुदायों को एकजुट करने में विश्वास की शक्ति का प्रदर्शन करता है।
आध्यात्मिक तरंगें और भक्तों के अनुभव
पर्यटक अक्सर मंदिर में प्रवेश करने पर शांति और सकारात्मकता की भावना महसूस करते हैं। कई लोग यहां आशीर्वाद मांगने के बाद अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की कहानियां साझा करते हैं।
वास्तुकला चमत्कार और आधुनिक विकास
मंदिर की वास्तुकला प्राचीन डिजाइन को समकालीन बुनियादी ढांचे के साथ सहजता से मिश्रित करती है, जो एक हलचल भरे शहर के बीच एक शांतिपूर्ण विश्राम प्रदान करती है।
जिज्ञासा-उत्प्रेरक किंवदंतियाँ
मूर्ति की स्वयं-रचना और इसकी रहस्यमय शक्तियों के बारे में किंवदंतियाँ प्रचलित हैं, जो मंदिर की विद्या में रहस्य की आभा जोड़ती हैं।
सिद्धिविनायक सीमाओं से परे
मंदिर की प्रसिद्धि विश्व स्तर पर बढ़ी है, विभिन्न महाद्वीपों के लोग इसकी आध्यात्मिक आभा को संजोते हैं।
संरक्षण और सामुदायिक पहल
समुदाय को विभिन्न धर्मार्थ गतिविधियों में शामिल करते हुए मंदिर की विरासत को संरक्षित करने के प्रयास जारी हैं।
मीडिया, सिनेमा और पॉप संस्कृति
सिद्धिविनायक की प्रतिष्ठित स्थिति ने इसे फिल्मों और लोकप्रिय संस्कृति में प्रदर्शित होने के लिए प्रेरित किया है, जिससे आधुनिक समाज में इसकी जगह और मजबूत हुई है।
आस्था और विरासत का मनोरम मिश्रण
यह मंदिर आस्था, विरासत और सांस्कृतिक पहचान के स्थायी मिश्रण का प्रमाण है। सिद्धिविनायक मंदिर, अपने समृद्ध इतिहास, गहन महत्व और मनोरम अनुष्ठानों के साथ, आध्यात्मिकता और एकता के प्रतीक के रूप में खड़ा है। यह आशीर्वाद और सांत्वना चाहने वाले अनगिनत भक्तों के लिए एक पोषित तीर्थ स्थल बना हुआ है।
जीवन में आ रही हैं समस्याएं तो करें पितृ दोष दूर करने के ये उपाय
21 Aug, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हमारा जीवन, भाग्य और नियति जीवन, भाग्य और भाग्य हमारे पूर्वजों की विरासत से जुड़े हुए हैं। और यह उनके अच्छे कर्मों का फल है कि हमें सुरक्षा, सुरक्षा, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद मिला है।
लेकिन कभी-कभी हमें उनके बुरे कर्मों की भी परीक्षा लेनी पड़ती है। हर महीने पड़ने वाली अमावस्या तिथि के अलावा पितृ पक्ष के 15 दिन पितरों को ही समर्पित किए गए हैं। इस समय में पितरों की आत्मा की शांति के लिए और पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान, दान-पुण्य आदि करना चाहिए। कुंडली में पितृ दोष का होना कई समस्याएं देता है इसलिए ज्योतिष में पितृ दोष निवारण के उपायों की सलाह दी जाती है। आइए जानते हैं पितर दोष के लक्षण और इसके उपायों के बारे में।
पितृ दोष के लक्षण
लगातार बीमार रहने से व्यक्ति को आर्थिक और शारीरिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
किसी भी कार्य में सफलता नहीं मिल पाती; उसमें मानसिक शांति और स्थिरता की कमी होने लगती है।
व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में प्रतिकूल वातावरण और छोटी-छोटी बातों पर बहस।
कई बार कुंडली में पितृ दोष होने पर हमारी शादी सही समय पर नहीं हो पाती है जिससे शादी में देरी होती है।
पितृ दोष वाले बच्चों को बाद में या जन्म से ही शारीरिक या मानसिक विकलांगता का सामना करना पड़ सकता है।
इससे गर्भधारण के दौरान गर्भपात हो सकता है।
पितृ दोष सफल वैवाहिक जीवन को बाधित करता है।
परिवार के भीतर आत्महत्या, हत्या, दुर्घटना जैसी अप्राकृतिक मौतें।
एक ही परिवार में लगातार रहस्यमय ढंग से जानों की हानि।
परिवार में किसी शुभ कार्यक्रम के आयोजन में लंबे समय तक रुकावटें आएंगी।
पितृ दोष निवारण के सरल उपाय
पूर्वजों द्वारा किए गए पिछले पापी कार्यों के प्रभावों को खत्म करने के लिए पूर्ण त्रिपिंडी श्रद्धा ने पूजा या मंत्र जाप का आयोजन किया।
प्रत्येक अमावस्या को ब्राह्मणों को भोजन कराएं।
अर्ध-कुंभ-स्नान के दिन भोजन, वस्त्र, कंबल का दान करें।
वट वृक्ष पर नियमित रूप से जल चढ़ाएं।
गाय, गली के कुत्तों और जानवरों को भोजन और दूध दें।
जितना संभव हो सके जरूरतमंद गरीबों और वृद्ध लोगों की मदद करें।
देवी कालिका स्तोत्रम् के मंत्रों का जाप करें। खासतौर पर नवरात्रि पर.
हरिद्वार, उज्जैन, नासिक, गंगासागर आदि विभिन्न धार्मिक स्थानों पर स्नान करें।
नियमित रूप से उगते सूर्य को तिल मिश्रित जल से अर्घ्य दें और गायत्री मंत्र का जाप करें।
पितृ दोष पूजा करते समय क्या करें?
अपने पूर्वजों की मृत्यु की तिथि पर पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए उन्हें श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।
मृत्यु तिथि या श्राद्ध पर पितरों को जल अर्पित करें।
श्राद्ध प्रक्रिया के बाद विशेष रूप से अमावस्या या पूर्णिमा पर गरीब और जरूरतमंद लोगों को कंबल, भोजन, कपड़े प्रदान करें।
श्राद्ध पूजा में पितरों का नाम लेकर उन्हें अवश्य याद करें; उनका आशीर्वाद प्राप्त करें।
पितृ दोष निवारण मंत्र
"ॐ श्रीं सर्व पितृ दोष निवारणाय क्लेशं हं हं सुख शांतिम् देहि फट् स्वाहा"।
"ॐ पितृभ्य देवताभ्य महायोगिभ्येच च, नमः स्वाहा स्वाध्याय च नित्यमेव नमः"।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (21 अगस्त 2023)
21 Aug, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- कार्य विफलत्व, समय पर योजनाएं फलीभूत हों किन्तु लाभ से वंचित रहेंगे।
वृष :- कहीं विस्फोटक स्थिति कष्टप्रद हो किन्तु भाग्य का सितारा प्रबल रहे, लाभ अवश्य होगा।
मिथुन :- कुटुम्ब की चिन्ताएं मन व्याग्र रखें, आकस्मिक भय, उद्वेग अवश्य ही होगा।
कर्क :- सामाजिक कार्यों में मान-प्रतिष्ठा एवं धन लाभ का योग अवश्य ही बन जायेगा ध्यान दें।
सिंह :- धन लाभ, कार्य कुशलता से संतोष, व्यवसायिक क्षमता अनुकूल अवश्य ही बन जायेगी।
कन्या :- दैनिक कार्यगति मंद, मन में उद्विघ्नता बनेगी, रुके कार्यों का पूरा करने में मन लगायें।
तुला :- मानसिक उद्विघ्नता व स्वास्थ्य नरम रहे, कार्य में असंतोष होगा, समय का ध्यान अवश्य रखें।
वृश्चिक :- सफलता के साधन बनें, इष्ट मित्र फलप्रद सुखवर्धक होंगे, कर्मचारी सहयोग करेंगे।
धनु :- विरोधी तत्व परेशान करेंगे, अनायास बाधा, शरीर कष्ट, बचकर चलने से लाभ होगा।
मकर :- मानसिक बेचैनी, अशांति, तनाव, अधिकारियों से विरोध बनेगा, ध्यान अवश्य रखें।
कुम्भ :- लोगों से मेल-मिलाप के पश्चात भी कार्य अवरोध तथा बेचैनी अवश्य ही बनेगी।
मीन :- भाग्य का सितारा मंद रहे, तनाव-क्लेश तथा अशांति अवश्य बनेगी, धन का व्यय होगा।