धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
बहनें करें ये खास उपाय, चमक जाएगी भाई की किस्मत
27 Aug, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में पर्व की कोई कमी नहीं हैं लेकिन भाई बहन के प्रेम को दर्शाता रक्षाबंधन का त्योहार बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि हर साल सावन माह की पूर्णिमा तिथि पर मनाया जाता हैं इस पावन दिन पर बहन अपने भाई की मंगल कामना हेतु रक्षा सूत्र बांधती हैं तो वही भाई बहन की रक्षा का वचन लेता हैं और उन्हें उपहार देता हैं।
इस पर्व को प्यार, दुलार और स्नेह का त्योहार मनाया गया हैं जो कि इस बार 30 और 31 अगस्त को देशभर में मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अगर कुछ ज्योतिषीय उपाय करती हैं तो उनके भाई की किस्मत का सितारा चमक जाएगा साथ ही साथ धन संबंधी समस्याओं से भी मुक्ति मिल जाएगी तो आज हम आपको उन्हीं उपायों के बारे में बता रहे हैं।
रक्षाबंधन के आसान उपाय-
रक्षाबंधन के पावन दिन पर अपने भाई को राखी बांधने से पहले श्री गणेश को राखी बांधे। फिर उसके बाद अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधें। माना जाता है कि ऐसा करने से भाई बहन के रिश्ते मजबूत होते हैं और प्रेम सदा बना रहता हैं। इसके अलावा अगर करियर में कोई अड़चन आ रही हैं या फिर सफलता नहीं मिल रही हैं तो ऐसे में आप रक्षाबंधन दिन सबसे पहले माता लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें और उन्हें पंचमेवा खीर का भोग लगाएं।
इसके बाद इस खीर को कन्याओं में बांट दें। माना जाता है कि इस आसान से उपाय को करने से करियर में तेजी से तरक्की मिलती हैं और धन लाभ के योग बनते हैं। आर्थिक संकट से छुटकारा पाने के लिए रक्षाबंधन के दिन बहन एक गुलाबी वस्त्र में अक्षत, सुपारी और चांदी का एक सिक्का रखकर भाई को दें। इसके बाद भाई इस पोटली को तिजोरी में रख दें। माना जाता है कि ये आसान सा उपाय धन संबंधी परेशानियों को दूर कर देता हैं और किस्मत भी चमकाता हैं।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (27 अगस्त 2023)
27 Aug, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- शत्रु पक्ष से हानि, शारीरिक विकार उत्पन्न होंगे तथा परेशानी अवश्य ही बनेगी।
वृष :- स्त्री सुख में कमी बने, कार्य में अड़चन पैदा होने से कार्य में उलझने बनेंगी।
मिथुन :- व्यापार में लाभ, खर्च रुकेंगे, कार्य पूर्ण होंगे, स्त्री-मित्रों में खर्च अवश्य होगा।
कर्क :- शारीरिक सुख, पुत्र चिन्ता, यश के कार्य में अपयश मिलेगा, ध्यान दें।
सिंह :- धन लाभ, कार्य सफल होंगे, मान-सम्मान बढ़े, भाग्योदय तथा आय अवश्य होगी।
कन्या :- यात्रा से लाभ, पारिवार में सुख-शांति तथा कार्य में रुकावट होगी।
तुला :- धार्मिक कार्यों में खर्च बढ़े, धन का आभाव किन्तु विशेष सुख होगा, ध्यान दें।
वृश्चिक :- चिन्ताओं की समाप्ति होगी, नये कार्य-व्यापार में लाभ के कार्य अवश्य होंगे।
धनु :- संघर्ष कार्य, अशांति, व्यापार में अशांति, संतान से सुख समाचार मिलेगा।
मकर :- रोग, शरीर व्याधि से कष्ट, धन की कमी, घर में अवश्य रहेगी।
कुम्भ :- व्यापार में सुधार होगा, शत्रु पीड़ा से सावधान रहें, स्वास्थ्य में कुछ खराबी होगी।
मीन :- व्यापार से लाभ, कार्यक्षेत्र-व्यवसाय में लाभ, भूमि-भवन की खरीदारी होगी।
भाई को करोड़पति बना सकते हैं रक्षाबंधन के ये उपाय
26 Aug, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भाई-बहन के रिश्ते का त्योहार रक्षाबंधन इस बार दो दिन मनाया जाएगा। राखी 30 और 31 अगस्त 2023 को मनाई जाएगी लेकिन 30 अगस्त 2023 को भद्रा आने के कारण इस दिन राखी बांधना शुभ नहीं है।
31 अगस्त को सुबह-सुबह राखी का त्योहार मनाना बेहतर रहेगा। इस बार रक्षाबंधन के दिन ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति खास रहेगी। इस वजह से इस रक्षाबंधन के दिन किए गए उपाय बेहद शुभ फल देंगे। इस रक्षाबंधन पर अगर बहनें यह उपाय करें तो भाई करोड़पति बन सकता है। उसका भविष्य उज्ज्वल होगा, वह दिन-ब-दिन प्रगति करेगा। ये ज्योतिषीय उपाय भाई-बहन के रिश्ते को मजबूत बनाते हैं, साथ ही घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली लाते हैं।
रक्षाबंधन के दिन करें ये उपाय
सबसे पहले भगवान गणेश को राखी बांधें: अगर भाई-बहन के बीच कोई परेशानी हो तो रक्षाबंधन के दिन बहन को सबसे पहले भगवान गणेश को राखी बांधनी चाहिए और फिर भाई को। इससे भाई-बहन के बीच प्यार बढ़ता है। इससे भाई-बहन दोनों के जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
तरक्की की राह में रुकावटें दूर करने के उपाय अगर भाई-बहन की तरक्की में रुकावटें आ रही हों तो रक्षाबंधन के दिन पंचमेवा खीर का उपाय करें। इसके लिए सबसे पहले मां लक्ष्मी की विधिपूर्वक पूजा करें और फिर कन्याओं को पंचमेवा खीर बांटें। इस उपाय से करियर में बाधाएं दूर होंगी और धन में वृद्धि होगी।
धन और धन लाभ के उपाय: रक्षाबंधन का दिन आर्थिक लाभ पाने के लिए खास होता है। भाई-बहन इसके लिए कुछ कर सकते हैं. इसके लिए बहन को भाई को गुलाबी रंग के कपड़े में रखकर अखंड, सुपारी और एक चांदी का सिक्का चढ़ाना चाहिए। भाई इस पोटली को अपनी तिजोरी में रख लो. यह उपाय आपको कभी भी आर्थिक तंगी का सामना नहीं करने देगा।
सुख, शांति और समृद्धि के उपाय: रक्षाबंधन के दिन गरीबों को भोजन कराएं। गाय को हरी घास खिलाएं। ऐसा करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है। जीवन में खुशियाँ बढ़ती हैं.
कालका जी मंदिर में हुए कई बदलाव, भक्तों के लिए अब नए नियम देगें दर्शन की सुविधा का लाभ
26 Aug, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देवी काली के प्रसिद्ध सिद्ध पीठों में दिल्ली का कालका मंदिर विशेष स्थान रखता है. देश भर से शृद्धालु यहां दर्शनों हेतु आते हैं. हाल फिलहाल मंदिर को लेकर प्रशासन की ओर से कई तरह के बदलाव किए जा रहे हैं.
इन बदलावों के द्वारा भक्त और भी सुविधाओं के द्वारा मंदिर के दर्शनों का लाभ उठा पाएंगे तथा साथ ही माता का आशीर्वाद पाएंगे. इस समय कालका म्म्दिर में प्रशासन की ओर से यहां आने वाले शृद्धालुओं के लिए ड्रेस कोड की व्यवस्था को कड़ा किया गया है तथा साथ ही माता को अर्पित किए जाने वाले प्रसाद भी अपब प्रशासन के द्वारा ही निर्धारित होते हुए समान रुप से चढ़ाया जा सकेगा. हर व्यक्ति चाहे वह किसी भी वर्ग का हो वह समान रुप से माता के समक्ष अपनी भक्ति को प्रकट कर पाएगा. सभी एक ही प्रसाद को देवी पर अर्पित करेंगे.
पौराणिक मान्यताओं का स्थान
अपनी पौराणिक कथाओं के आधार पर यह स्थना शक्ति पीठ एवं जागृत सिद्ध स्थलों में से एक के रुप में जाना जाता है. देवी के कालका रुप की पूजा यहां होती है. साल भर यहां भक्तों के दर्शनों का जमावड़ा लगा ही रहता है. नवरात्रि जैसे पर्व के समय पर यहां की रौनक सभी को मोहित कर लेने वाली होती है. दिल्ली स्थित कालकाजी मंदिर को शक्तिपीठ का दर्जा प्राप्त है. यहां साल भर भक्तों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन नवरात्रि के दौरान काफी संख्या में भक्त मां के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. कालकाजी मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा करने आते हैं. भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार बड़ी मात्रा में प्रसाद भी चढ़ाते हैं, लेकिन अब प्रसाद के रूप में कई चीजें चढ़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है.
आइए अब जानते हैं कि कालका जी मंदिर से जुड़े बदलाव
देवी मंदिर की पवित्रता एवं उसकी महत्ता को ध्यान में रखते हुए सभी भक्तों को उचित रुप से पोशाक धारण करने की सलाह दी गई है. संस्कृति को ध्यान में रखते हुए सभी चाहे वह पुरुष हों या महिला सभी के लिए शालिनता पूर्ण उचित ड्रेस कोड का पालन करने का आग्रह किया गया है जिसका कड़ाई से पालन करने की बात भी कही गई है और जो लोग इस बात का ध्यान नहीं रखते हैं उन्हें बाहर से ही दर्शन करने की अनुमति मिलेगी अंदर प्रवेश प्राप्त न हो पाएगा.
प्रशासन के फैसले अनुसार मान्यता प्राप्त पंचमेवा के पैकेट ही प्रसाद के रूप में चढ़ाए जा सकेंगे. इस प्रसाद में काजू, किशमिश, नारियल और बादाम हो सकते हैं. प्रसाद की गुणवत्ता को लेकर मिल रही शिकायतों के चलते मंदिर प्रशासन ने यह फैसला लिया है. यह सभी कुछ मंदिर परिसर में ही पैकेटबंद प्रसाद के रुप में भक्तों को प्राप्त हो सकेगा. प्रसाद की कीमत भी सभी के अनुसार ध्यान में रख कर निर्धारित की गई है जिसे सभी वर्ग के लोग ले पएंगे.
क्या वाकई में हिन्दू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं, क्या है इस मान्यता की सच्चाई
26 Aug, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
यह कहना कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि हिंदू धर्म मिथकों और रहस्यों का भंडार है। चूंकि हिंदू धर्म से जुड़े ऐसे कई मुद्दे हैं जो अभी भी अनसुलझे हैं, जिन पर शोध भी जारी है।
इसके अलावा भी लोगों के मन में कई तरह की भ्रांतियां हैं, ऐसा ही एक विषय है हिंदू धर्म के देवी-देवताओं की संख्या। ऐसा कहा जाता है कि हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं। इसके पीछे कारण यह है कि लोग कोटि शब्द का शाब्दिक अर्थ करोड़ मानते हैं। इस प्रकार 33 करोड़ देवताओं से 33 करोड़ देवताओं की उत्पत्ति हुई।
यह वास्तविकता है
हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवता हैं या 33 करोड़ देवी-देवता, इस मुद्दे पर लंबे समय से मतभेद रहा है। हालाँकि इस विषय पर कई विद्वान और विशेषज्ञ अपनी राय व्यक्त कर चुके हैं, लेकिन लोग अभी भी इस विषय को लेकर असमंजस में हैं। दरअसल, इस भ्रम के पीछे का कारण यह है कि लोग कोटि शब्द का गलत अर्थ समझते हैं। करोड़ शब्द के दो अर्थ हैं- पहला 'प्रकार' और दूसरा 'करोड़'। अधिकतर लोग करोड़ शब्द का एक ही अर्थ जानते हैं और वह है करोड़। इसी प्रचलित अर्थ के कारण लोग 33 करोड़ देवताओं का अर्थ 33 करोड़ देवता निकालते हैं। जबकि वास्तव में यहां कोटि शब्द का अर्थ प्रकार है। अर्थात 33 प्रकार के देवी-देवता हैं।
33 करोड़ देवताओं की सूची
आइए बात करते हैं 33 करोड़ देवताओं की. तो इसमें आठ वसु, 11 रुद्र, 12 आदित्य, इंद्र और प्रजापति शामिल हैं। कई स्थानों पर 33 करोड़ में इंद्र और प्रजापति की जगह दो अश्विनी कुमारों को शामिल किया गया है। इस प्रकार 33 करोड़ देवताओं के नाम इस प्रकार हैं।
वसुओं के नाम- 1. आप 2. ध्रुव 3. सोम 4. धर 5. अनिल 6. गुदा 7. प्रत्यूष 8. प्रभाष
रुद्रों के नाम- 1. मनु 2. मनु 3. शिव 4. महत् 5. ऋतुध्वज 6. मनीषा 7. उम्तेरस 8. काल 9. वामदेव 10. भव 11. धृतध्वज
आदित्यों के नाम- 1. अंशुमान 2. आर्यमान 3. इंद्र 4. त्वष्टा 5. धुत 6. पर्जन्य 7. पूषा 8. भग 9. मित्र 10. वरुण 11. वैवस्वत 12. विष्णु
कब है सावन की आखिरी पूर्णिमा? जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व
26 Aug, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में पूर्णिमा का बहुत महत्व है. श्रावण मास में पड़ने वाली पूर्णिमा को श्रावण पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है. इस बार यह व्रत 30 अगस्त 2023 को रखा जाएगा. इस दिन महादेव एवं माता पार्वती पूजा की जाती है.
साथ ही इसी दिन रक्षाबंधन का त्योहार भी मनाया जाता है. इस दिन कई लोग अपने घरों में भगवान सत्यनरायण की पूजा करते हैं तथा व्रत भी रखते हैं. धार्मिक मान्याताओं के मुताबिक, इस दिन भगवान सत्यनरायण की कथा सुनना और पढ़ने बहुत शुभ माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से व्यक्ति के सारे कष्ट और दुख समाप्त हो जातें हैं. हिंदू पंचांग के मुताबिक, चंद्रवर्ष के प्रत्येक माह का नामकरण उस महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा की स्थिति के आधार पर हुआ है. ज्योतिष शास्त्र में 27 नक्षत्र माने जाते हैं. इन्हीं में से एक है श्रवण. श्रावण माह की पूर्णिमा का दिन बहुत ही शुभ और पवित्र माना जाता है. इस दिन की गई पूजा से भगवान महादेव बहुत ही प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं.
श्रावण पूर्णिमा व्रत तिथि और शुभ समय 2023:-
-श्रावण पूर्णिमा का व्रत 30 अगस्त 2023 को रखा जाएगा.
-श्रावण पूर्णिमा तिथि 2023: 30 अगस्त की प्रातः 10:58 मिनट से आरम्भ होगी.
-श्रावण पूर्णिमा तिथि 2023 समाप्ति: 31 अगस्त की प्रातः 7:05 मिनट तक श्रावण पूर्णिमा समाप्त होगी.
सावन की पूर्णिमा का महत्व:-
श्रावण पूर्णिमा के दिन महादेव एवं माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है. ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है उसे जीवन में कई लाभ प्राप्त होते हैं. मान्याताओं के मुताबिक, जो लोग इस दिन व्रत और सही विधि-विधान के साथ भगवान गौरीशंकर की उपासना करते हैं उसकी सारी इच्छाएं पूरी होती हैं. इस व्रत को सभी पापों को नाश करने वाला माना जाता है. इस व्रत को रखने से बुद्धि,अच्छे सेहत और लंबी आयु की प्राप्ति होती है. इस दिन देशभर में खास तौर पर उत्तर भारत में रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है. श्रावण पूर्णिमा के दिन निर्धनों को दान करना बेहद शुभ माना जाता है. चंद्रदोष से मुक्ति के लिए भी यह तिथि बहुत अच्छी मानी जाती है .सावन पूर्णिमा के दिन जनेऊ पहनने वाले हर आदमी को मन,वचन और कर्म का संकल्प लेकर जनेऊ बदलते हैं. इस दिन गौदान की बेहद अहमियत होती है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (26 अगस्त 2023)
26 Aug, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- स्त्री सुख, पुत्र सुख मध्यम होगा तथा यश-प्रतिष्ठा की प्राप्ति अवश्य होगी।
वृष :- साप्ताहिक कार्य में रुचि बढ़ेगी, इच्छित कार्य की प्राप्ति होगी, कार्य व्यवसाय का ध्यान रखें।
मिथुन :- कार्य क्षेत्र में विफलता, अल्प व्यवसाय भय होगा, उठा रोग दब जायेगा।
कर्क :- कोई मित्र शत्रु हानि पहुंचाने की चेष्ठा करेगा तथा अभिष्ठ कार्य में सफलता मिलेगी।
सिंह :- कार्य क्षेत्र में विफलता, अल्प व्यवस्थित जीवन, प्रभावशाली कार्य बनें अवसर मिलेगा।
कन्या :- पुराने व्यापार में वृद्धि होगी, नये व्यापार में हानि होगी, स्वजनों से मिलन होगा।
तुला :- राजकीय कार्य में प्रतिष्ठा, अन्य योजनाओं में आर्थिक लाभ अवश्य ही मिलेगा।
वृश्चिक :- भौतिक सुख-साधनों की कमी, प्रियजनों की उपेक्षा से हानि तथा पारिवारिक क्लेश बनेगा।
धनु :- कार्य सिद्धी, शारीरिक शिथिलता का निवारण होगा, गृहस्थ जीवन सुखमय रहेगा।
मकर :- पुरजन व्यक्तियों से कष्ट, अनियंत्रित दिनचर्या, मानसिक व्यथा बढ़ेगी।
कुम्भ :- लापरवाही अधिक, निद्रा से हानि संभव, सामान्य सुविधा अवश्य ही बनेगी।
मीन :- सामान्य ब्योहार का वातावरण करना उचित रहेगा, व्यवसायिक यात्रा योग बनेंगे।
किस्मत पलटने की ताकत रखता है ये रत्न
25 Aug, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर किसी के जीवन में रत्नों का विशेष महत्व होता हैं क्योंकि रत्न केवल व्यक्ति की सुंदरता पर चार चांद ही नहीं लगाते हैं बल्कि उसकी किस्मत को भी चमका सकते हैं।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार अगर किसी जातक की कुंडली का कोई ग्रह अशुभ फल प्रदान कर रहा हैं तो ऐसे में उसे रत्न धारण करने की सलाह दी जाती हैं।
राशि अनुसार रत्न धारण करने से ग्रह दोष दूर हो जाते हैं और किस्मत का भी साथ मिलता हैं रत्नशास्त्र की मानें तो नीलम रत्न को धारण करने से व्यक्ति की किस्मत पलट जाती हैं और वह दिन रात तरक्की करने लगता हैं तो ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा नीलम रत्न से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
रत्नज्योतिष के अनुसार नीलम रत्न को धारण करने से शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिल जाती हैं और जीवन में सुख समृद्धि आती हैं लेकिन यह रत्न सभी को सूट नहीं करता हैं ऐसे में इस रत्न को धारण करने से पहले ज्योतिषीय सलाह जरूर लेना चाहिए। ज्योतिष की मानें तो नीलम मेष, वृश्चिक, धनु, मीन, कर्क, सिंह, मिथुन, कन्या राशि के लिए शुभ नहीं होता हैं।
इन राशि के लोग अगर इस रत्न को धारण करते हैं तो उन्हें आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ सकता हैं वही जिन लोगों को यह रत्न सूट कर जाता हैं उन्हें इसके कई सारे लाभ मिलते हैं ज्योतिष अनुसार नीलम को धारण करने के बाद व्यक्ति की तेजी से तरक्की होने लगती हैं पद में वृद्धि होती हैं साथ ही कारोबार में भी खूब फायदा होता हैं साथ ही बिगड़े काम भी बनने लग जाते हैं।
भद्रा काल में क्यों नहीं बांधी जाती राखी? जानिए कौन थी भद्रा
25 Aug, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भाई-बहन के प्यार भरे रिश्ते का प्रतीक रक्षा बंधन का त्योहार कुछ ही दिनों में आने वाला है। ऐसे में इसे लेकर तैयारियां शुरू हो गई है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल सावन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रक्षा बंधन का त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है।
इस दिन बहने अपने भाईयों की कलाई पर प्यार और रक्षा का पवित्र प्रतीक रक्षासूत्र बांधती हैं।
रक्षाबंधन के दिन शुभ घड़ी में राखी बांधने की प्रथा है। हालांकि, इस साल राखी के दिन भद्रा काल लग रहा है जो कि 30 अगस्त को लगेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भद्रा काल में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं।
यही कारण है कि भद्रा काल में राखी भी नहीं बांधी जाती। ऐसे में इस साल रक्षा बंधन का त्योहार दो दिन 30 और 31 अगस्त को मनाए जाने को लेकर लोग कन्फ्यूज है कि कौन सा दिन शुभ रहेगा।
चूंकि भद्रा 30 अगस्त को पड़ेगी तो इस समय रक्षा बंधन बांधना शुभ नहीं है। आइए जानते हैं भद्राकाल में राखी न बांधने के पीछे का कारण क्या है और भद्रा कौन थी?
धार्मिक पुराणों और मान्यताओं के मुताबिक, भद्रा शनिदेव की छोटी बहन हैं। ऐसा माना जाता है कि भद्रा का जन्म राहुकाल में हुआ था। इस कारण भद्रा का स्वभाव उग्र और अशांत है। वह जिसके लिए बुरा सोचती है उसके साथ बुरा ही होता है।
भद्रा भी अपने भाई शनि के बारे में बुरा सोचता था। तब शनिदेव को जीवन में कई कठिनाइयों से गुजरना पड़ा। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने भद्रा को काल का रूप दिया था, ताकि यह काल मानव जीवन में दंड के रूप में आए। इसी कारण से भद्रा को अशुभ माना जाता है। यही कारण है कि भद्रा काल के दौरान शुभ कार्य वर्जित होते हैं।
भद्रा के स्वरूप को समझने के लिए भगवान ब्रह्मा ने उसे काल गणना यानि पंचांग में विशेष स्थान दिया है। हिंदू कैलेंडर को 5 प्रमुख भागों में बांटा गया है। ये हैं तिथि, वार, योग, नक्षत्र और करण। इसमें 11 करण होते हैं, जिनमें से 7वें करण विष्टि का नाम भद्र है।
भद्रा काल के दौरान यात्रा और शुभ कार्य आदि वर्जित होते हैं। रक्षा बंधन को एक शुभ दिन माना जाता है और इसी वजह से इस दौरान राखी नहीं बांधी जाती। पौराणिक कथा के अनुसार भाद्र में सुपर्णखा ने अपने भाई रावण को राखी बांधी थी।
इसके बाद उसने झूठ बोलकर दशानन को सीता का हरण करने के लिए उकसाया। इसके बाद रावण का सर्वनाश हो गया। देवी-देवताओं के कहने पर भद्रा ने रावण की मृत्यु के समय अपनी छाया डाली। भद्रा काल में राखी बांधने से रावण के पूरे कुल का नाश हो गया।
वहीं, एक कथा यह भी है कि भद्रा ने शनि को राखी बांधने की इच्छा जताई थी। तब भद्रा द्वारा राखी बांधने के कारण शनिदेव संकटों से घिर गए थे। उस दौरान महादेव ने शनि की रक्षा की थी। इसी कारण से भद्रा काल में राखी नहीं बांधी जाती।
बता दें कि इस साल रक्षा बंधन की शुरुआत 30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 59 मिनट से होगा और 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक रक्षा बंधन का शुभ मुहूर्त बन रहा है।
हालांकि, भद्रा 30 तारीख को रात 9:01 बजे खत्म होगी। वहीं, पूर्णिमा तिथि 31 तारीख को सुबह 7 बजे तक समाप्त होगी। ऐसे में भद्रा की स्थिति को देखे तो 31 की सुबह 7 बजे से पहले रक्षा बंधन का त्योहार मनाना शुभ रहेगा।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। हमारा उद्देश्य केवल सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सूचना समझकर ही लें।
पीपल के पत्तों का ये उपाय दूर करेगा कंगाली
25 Aug, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में कई ऐसे पेड़ पौधे हैं जिन्हें बेहद शुभ और पवित्र माना गया हैं इन्हीं में से एक पेड़ पीपल का भी हैं जिसे पूजनीय बताया गया हैं मान्यता है कि इस पेड़ में त्रिदेव का वास होता हैं।
ऐसे में इसकी पूजा आराधना करने से देवी देवताओं की कृपा मिलती हैं।
लेकिन ज्योतिषशास्त्र में पीपल के पत्तों से जुड़े कई ऐसे उपाय बताए गए हैं जिन्हें अगर सही तरीके से किया जाए तो कंगाली व कष्टों से मुक्ति मिल जाती हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा इन्हीं उपायों के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
पीपल के पत्तों के आसान उपाय-
अगर आपको कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिल रही है या फिर अड़चनों का सामना करना पड़ रहा हैं तो ऐसे में आप पीपल के 11 पत्तों को लेकर उसे पानी से धोकर उस पर अष्टगंध या चंदन से श्रीराम का नाम लिखें। इसके बाद इन पत्तों की माला बनाकर हनुमान जी को अर्पित कर दें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से कार्यों में आने वाली हर बाधा दूर हो जाती हैं और सभी काम में सफलता मिलती हैं।
जीवन की परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए मंगलवार या फिर शनिवार के दिन पीपल का एक पत्ता लेकर उसे गंगाजल से धोएं। इसके बाद उस पर हल्दी और दही से हीं लिखें। फिर पत्तों को दीपक दिखाकर अपने पर्स में रख लें। मान्यता है कि हर शनिवार अगर इस उपाय को किया जाए तो पैसों की किल्लत दूर हो जाती हैं।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (25 अगस्त 2023)
25 Aug, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- राजकीय सम्मान तथा उच्चपद की प्राप्ति संभव है तथा संतान का सुख अवश्य मिलेगा।
वृष :- धन-स्वास्थ्य लाभ, मित्र-कुटुम्बियों से प्रेम, सहयोग बढ़ेगा तथा रुके कार्य बन जायेंगे।
मिथुन :- उत्तम विचार, भाग्य की उन्नति होगी, मानसिक अशांति, सुख, स्वजनों की कमी में मिलन होगा।
कर्क :- जमीन-जायजाद का लाभ मिलेगा, स्वास्थ्य कष्ट होगा, ध्यान रखें।
सिंह :- दाम्पत्य जीवन में उल्लास, पुत्र का भाग्योदय होगा तथा मौसमी प्रकोप हो सकता है।
कन्या :- दाम्पत्य में आकस्मिक झंझट आयेगा, पड़ोसियें से कष्ट, विवाद बनेगा, द्वोष, विचार रहेगा।
तुला :- भाग्योदय होगा, व्यवसायिक जीवन में उन्नति के लिए एक नया अवसर प्राप्त होगा।
वृश्चिक :- कार्य सिद्ध, स्त्री-पुत्रादि की कमी तथा मन अशांत रहेगा तथा कार्य जीवन सुखी रहेगा।
धनु :- सांसारिक सुखों की प्राप्ति, मित्र मिलाप, आमोद-प्रमोद तथा ब्यौहार में सफलता मिले।
मकर :- शैक्षणिक प्रगति में बाधा होगी, अनावश्यक व्यय से कार्य बनेंगे, क्रोध शांत रखें।
कुम्भ :- चतुराई एवं बैद्धिक विकास तथा अधिकांश प्रयत्नों से निश्य लाभ होगा, ध्यान रखें।
मीन :- विभिन्न रोगों से शरीर पीड़ित रहेगा, संतान शिक्षा से अधिकारी से पीड़ा होगी।
शनिदेव पर इसलिए चढ़ाया जाता है तिल का तेल
24 Aug, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शास्त्रों में शनिदेव को न्याय का देवता कहा जाता है। उनका एक अहम स्थान है। धर्मग्रंन्थों के अनुसार शनिदेव कर्म प्रधान देवता हैं और वह मनुष्य के कर्मो के अनुसार फल देते हैं। इसीलिए शनिवार का दिन शनिदेव की पूजा के लिए खास माना जाता है। शनिदेव के अशुभ प्रभाव को कम करने व उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार के पूजन किए जाते है। देखा जाता है कि शनिदेव की कृपा पाने के लिए लोग हर शनिवार शनिदेव पर तेल चढ़ाते हैं। अधिकांश लोग इस कर्म को शनि की कृपा प्राप्त करने की प्राचीन परंपरा मानते हैं लेकिन पौराणिक कथा के अनुसार शनिदेव को तेल से दर्द में राहत मिलती है और तेल चढ़ाने वाला उनका कृपापात्र हो जाता है।
मान्यताओं के अनुसार हनुमान जी पर जब शनि की दशा प्रांरभ हुई उस समय समुद्र पर रामसेतु बांधने का कार्य चल रहा था। राक्षस पुल को हानि पहुंचा सकते हैं, यह आंशका सदैव बनी हुई थी। इसलिए पुल की सुरक्षा का दायित्व हनुमान जी को सौपा गया था। लेकिन रामकाज में लगे हनुमान पर शनि की दशा आरम्भ होनी थी। हनुमान जी के बल और कीर्ति को जानते हुए शनिदेव ने उनके पास पहुंच कर शरीर पर ग्रह चाल की व्यवस्था के नियम को बताते हुए अपना आशय बताया। जिस पर हनुमान जी ने कहा कि वे प्रकृति के नियम को नही तोड़ना चाहते लेकिन राम-सेवा उनके लिए सर्वोपरि हैं।
उनका आशय था कि राम-काज होने के बाद ही शनिदेव को अपना पूरा शरीर समर्पित कर देंगे परंतु शनिदेव ने हनुमान जी का आग्रह नहीं माना। और वे अरूप होकर जैसे ही हनुमान जी के शरीर पर आरूढ़ हुए, उसी समय हनुमान जी ने विशाल पर्वतों से टकराना शुरू कर दिया। शनिदेव शरीर पर जिस अंग पर आरूढ़ होते, महाबली हनुमान उसे ही कठोर पर्वत शिलाओं से टकराते। फलस्वरूप शनिदेव बुरी तरह घायल हो गए। उनके शरीर पर एक-एक अंग आहत हो गया। शनिदेव जी ने हनुमान जी से अपने किए की क्षमा मांगी। हनुमान जी ने शनिदेव से वचन लिया कि वे उनके भक्तों को कभी कष्ट नहीं पहुंचाएगें। आश्वस्त होने के बाद रामभक्त अंजनीपुत्र हनुमान ने कृपा करते हुए शनिदेव को तिल का तेल दिया, जिसे लगाते ही उनकी पीड़ा शांत हो गई। तब से शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए उन पर तिल के तेल चढ़ाया जाता है।
वास्तविकता में इस परंपरा के पीछे धार्मिक और ज्योतिषी महत्व है। धार्मिक मतानुसार तिलहन अर्थात तिल भगवान विष्णु के शरीर का मैल हैं तथा इससे बने हुए तेल को सर्वदा पवित्र माना जाता है। मान्यता के अनुसार शनि की धातु सीसा है। इसे संस्कृत भाषा में नाग धातु भी कहते हैं। इसी धातु से सिंदूर का निर्माण होता हैं। सीसा धातु विष भी हैं। तंत्र में इसके विभिन्न प्रयोगों की विस्तार से चर्चा की गई है। सिंदूर पर मंगल का अधिपत्य होता है। लोहा पृथ्वी के गर्भ से निकलता है और मंगल ग्रह देवी पृथ्वी के पुत्र माने जाते हैं अत: लोहा मंगल ग्रह की धातु है। तेल को स्नेह भी कहा गया है। यह लोहे को सुरक्षित रखता है। लोहे पर यह जंग नहीं लगने देता और यदि लगा हुआ हो तो उसे साफ कर देता है। मंगल प्रबल हो तो शनि का दुष्प्रभाव खत्म हो जाता है। इसे शनि को शांत करने का सरल उपाय कहा गया हैं। तिल का तेल चढाने का अर्थ हैं समर्पण।
ऋषि मुनियों की शिक्षा को अपनाएं
24 Aug, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आजकल की भागदौड वाली जीवन शैली तथा मिलावटी भोजन और फास्ट फुड व्यक्ति की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहे हैं। इसलिए हमें निरोग और ऊर्जावान रहने के लिए हमें अपनी जीवनशैली में बदलाव करना बेहद जरूरी है और इसके साथ प्रकृति के साथ तालमेल बिठाते हुए योग को जीवन चर्या में शामिल करना होगा। योग अनेक बीमारियों में कारगर हैं। प्रदूषण के विकराल स्तर पर पहुंचने और जीवन शैली के (खास करके नई पीढ़ी की) पश्चिमी देशों के गुलाम बन जाने से हम कम उम्र में ही गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। ऐसे में जरूरत है कि हम अपने ऋषि मुनियों की शिक्षा को अपनाएं जिन्होंने योग और उत्तम जीवन शैली के माध्यम से सौ साल से भी अधिक समय तक निरोगी रहकर जीवन साधना की।
योग विश्व को भारत की ही देन है लेकिन पश्चिम इसे जब योगा कहता है तो हम उनकी हर बात को आखें बंद कर विश्वास करने लगते हैं। हम अपनी अच्छाइयों से दूर होते जा रहे हैं और गलत आचरण अपनाने लगे हैं। खाने-पीने से लेकर उठने-बैठने यहां तक की चलने में भी हम सब भेड़ चाल अपना रहे हैं और साथ ही कहते हैं कि वर्तमान में सब कुछ प्रदूषित हो गया है। दुख की बात है कि हम अपनी तरफ नहीं देखते। स्वस्थ और स्लिम ट्रिम बनने के लिए हजारों रुपये लगाकर जिमखानों के चक्कर लगाते हैं और जीवन के लिए बेहद आवश्यक और वैज्ञानिक जीवन शैली योग को दरकिनार करते हैं।
राम नाम का जप करेगा कष्टों को दूर
24 Aug, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
राम से बड़ा राम का नाम होता है। जहां भगवान राम की सेवा पूजा से केवल वही प्रसन्न होते हैं, राम का नाम लेने मात्र से ही भगवान राम सहित हनुमानजी तथा देवों के देव महादेव भी प्रसन्न होकर स्वयं मनोकामना पूर्ति करते हैं। राम नाम के ऐसे ही कुछ प्रयोग जो आपकी जिंदगी को पूरी तरह बदल देंगे।
रोज सुबह सेवा-पूजा के बाद तुलसी अथवा रूद्राक्ष की माला से 108 बार राम नाम का जप करें। इससे आपके ऊपर आने वाले कष्ट ऐसे खत्म हो जाएंगे जैसे सूर्य की धूप निकलते ही ओस की बूंदे उड़ जाती हैं। जब भी कोई बहुत बड़ी समस्या आ जाए और कोई उपाय न सुझाई दें, हनुमानजी की पूजा-अर्चना कर वहीं आसन पर बैठ जाएं और राम नाम का जप करते रहें। यदि हर मंगलवार तथा शनिवार को इस प्रयोग को करेंगे तो जीवन में कभी भी कोई भी कष्ट आपको परेशान नहीं कर पाएगा।
यदि आपको लगता है कि घर में किसी तरह की भूत प्रेत बाधा हो या कोई नकारात्मक शक्ति प्रवेश कर गई हो तो इसके लिए सबसे अच्छा उपाय है कि गंगाजल को राम-राम जपते हुए पूरे घर में छिड़क दें। सायं काल पूजा के समय भी गोबर के उपले पर लौहबान तथा गूग्गल की जलाकर पूरे घर में धूनी दें। इससे तुरंत ही आपकी हर समस्या दूर हो जाएगी। अगर आप सुंदरकांड का पाठ करते हैं तो पाठ के आरंभ अथवा अंत में एक माला राम नाम के जप की कर लें। इससे हनुमानजी अत्यन्त प्रसन्न होकर आपकी हर अभिलाषा पूरी करेंगे।
अगर घर के किसी व्यक्ति या बच्चे को नजर लग गई हैं तो एक इलायची पर 21 बार राम नाम जप कर फूंक मारे और उसे खिला दें। तुरंत असर दिखाई देगा। मंगलवार को तीन बार राम का नाम लेकर हनुमानजी के निमित्त बंदरों को गुड़-चने खिलाएं। इससे शनि, राहू, केतु तथा मंगल ग्रहों द्वारा दिए जा रहे सभी प्रकोप तुरंत ही शांत हो जाएंगे और आपके घर में सुख-शांति का वास होगा।
भगवान शिव की पूजा में बेलपत्र का है विशेष महत्व
24 Aug, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पूजा-पाठ में विधि विधान का बहुत अधिक महत्व होता है। लोग घर में शुख-शांति के लिए पूजा-पाठ, हवन करते हैं। वैसे ही हर भगवान की पूजा करने का तरीका भी अलग-अलग होता है। वैसे ही भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों की सभी मांगे पूरी होती है लेकिन भोलेनाथ की पूजा करते समय आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। इनकी पूजा में की गलती से आप पैसों की तंगी से भी जूझ सकते है। आपको शिव जी की आराधना करते समय इन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
शास्त्रों में कहा गया है कि जब भी आप भगवान शिव की पूजा करें तो इस बात का ध्यान रखें कि पंचामृत, दूध आदि कांसे के बर्तन पर न रखे। इससे आपकी पूजा का कोई प्रभाव नहीं होगा।
शिव की पूजा में बेलपत्र का विशेष महत्व है। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि कभी भी कटे-फटे बेलपत्र भगवान को न चढाएं। इससे आपको इसका उल्टा मिलेगा।
माना जात है कि घर में कभी भी एक साथ दो शिवलिंग की स्थापना नहीं करनी चाहिए। इससे घर में दरिद्रता और दुर्भाग्य आता है। इसलिए एक ही शिवलिंग स्थापित करें।