धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
भगवान विष्णु के अवतार हयग्रीव की क्या है कहानी?
30 Aug, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान विष्णु जी के 24 अवतारों में से ही 16वां अवतार है हयग्रीव। हयग्रीव अवतार की पूजा का प्रचलन दक्षिण भारत में अधिक है। यहां पर श्रावण पूर्णिमा के दिन भगवान हयग्रीव जी की जयंती मनाई जाती है।
ऐसा माना जाता है कि भगवान हयग्रीव ने सभी वेदों को ब्रह्मा को पुनः प्रदान किया था। इस बार 30 अगस्त 2023 को यह जयंती मनाई जाएगी। इस अवतार के संबंध में दो कथाएं मिलती है।
पहली कथा : पहली यह कि एक बार मधु और कैटभ नाम के दो शक्तिशाली राक्षस ब्रह्माजी से वेदों का हरण कर रसातल में पहुंच गए। वेदों का हरण हो जाने से ब्रह्माजी बहुत दु:खी हुए और भगवान विष्णु के पास पहुंचे। तब भगवान ने हयग्रीव अवतार लिया। इस अवतार में भगवान विष्णु की गर्दन और मुख घोड़े के समान थी। तब भगवान हयग्रीव रसातल में पहुंचे और मधु-कैटभ का वध कर वेद पुन: भगवान ब्रह्मा को दे दिए।
दूसरी कथा : दूसरी कथा के अनुसार एक समय की बात है कि एक बार भगवान विष्णु देवी लक्ष्मी के सुंदर रूप को देखकर मुस्कुराने लगे। देवी लक्ष्मी को लगा कि वे हंसी उड़ा रहे हैं तो बिना सोचे समझे उन्होंने शाप दे दिया कि आपका सिर धड़ से अलग हो जाए। इसमें भी प्रभु की माया थी। फिर एक बार विष्णुजी युद्ध करते हुए थक गए तो उन्होंने अपने धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाकर उसे धरती पर टिकाया और बाण की नोक पर अपना सिर रखकर योग निंद्रा में सो गए।
फिर हुआ यह कि दूसरी ओर हयग्रीव नाम का एक असुर महामाया का भयंकर तप कर रहा था। भगवती ने उसे तामसी शक्ति के रूप में दर्शन दिया और कहा कि वर मांगो। उसने अमरदा का वरदान मांगा तो माता ने कहा कि संसार में जिसका जन्म हुआ उसे तो मरना ही होगा। यह तो विधि का विधान है। तुम कोई दूसरा वर मांगो। तब उसने कहा कि अच्छा तो मेरी अभिलाषा यह है कि मेरी मृत्यु हयग्रीव के हाथों हो। माता ने कहा कि ऐसा ही होगा। यह कह कर भगवती अंतर्ध्यान हो गईं। हयग्रीव को लगा की अब मेरी मृत्यु तो मेरे ही हाथों होगी, अत: मैं अजर अमर हो गया, परंतु वह कुछ समझ नहीं पाया था।
फिर हयग्रीव ने ब्रह्माजी से वेदों को छीन लिया और देवताओं तथा मुनियों को सताने लगा। यज्ञादि कर्म बंद हो गए और सभी त्राहिमाम त्राहिमाम करने लगे। यह देखकर सभी देवता ब्रह्मादि सहित भगवान विष्णु के पास गए परंतु वे योगनिद्रा में निमग्र थे और उनके धनुष की प्रत्यंचा चढ़ी हुई थी। ब्रह्माजी ने उनको जगाने के लिए वम्री नामक एक कीड़ा उत्पन्न किया, जिसने वह प्रत्यंचा काट दी। इससे भयंकर टंकार हुआ और भगवान विष्णु का मस्तक कटकर अदृश्य हो गया। यह देखकर सभी देवता दु:खी हो गए और उन्होंने इस संकट के काल में माता भगवती महामाया की स्तुति की। भगवती प्रकट हुई अर उन्होंने कहा कि चिंता मत करो। ब्रह्माजी एक घोड़े का मस्तक काटकर भगवान के धड़ से जोड़ दें। इससे भगवान का हयग्रीवावतार होगा। वे उसी रूप में दुष्ट हयग्रीव दैत्य का वध करेंगे। ऐसा कह कर भगवती अंतर्ध्यान हो गई।
भगवती के कथनानुसार उसी क्षण ब्रह्मा जी ने एक घोड़े का मस्तक उतारकर भगवान के धड़ से जोड़ दिया। भगवती की माया से उसी क्षण भगवान विष्णु का हयग्रीवावतार हो गया। फिर भगवान विष्णु अपने इसी अवतार में हयग्रीव नामक दैत्य से युद्ध करने पहुंच गए। अंत में भगवान के हाथों हयग्रीव की मृत्यु हुई। हयग्रीव को मारकर भगवान ने वेदों को ब्रह्माजी को पुन: समर्पित कर दिया और देवताओं तथा मुनियों को संकट से मुक्ति मिली।
रक्षाबंधन के दौरान रखें इन जरुरी बातों का ध्यान, वरना होगी परेशानी
30 Aug, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रक्षाबंधन का त्योहार भाई बहन के प्यार-स्नेह का प्रतीक है। वही इस वर्ष पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को प्रातः 10:58 मिनट से आरम्भ होगी, जो 31 अगस्त 2023 को प्रातः 07:05 तक चलेगी। रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त 2023 रात 09:01 से 31 अगस्त प्रातः 07:05 तक रहेगा।
मगर 31 अगस्त को सावन पूर्णिमा प्रातः 07: 05 मिनट तक है, इस समय भद्रा काल नहीं है। इस कारण 31 अगस्त को बहनें अपने भाई को राखी बांध सकती हैं। वही रक्षाबंधन के दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना बेहद जरुरी है। आइये आपको बताते है...
रक्षाबंधन के दिन इन बातों का रखें ख्याल:
राखी बांधते वक़्त अच्छे से नहा-धोकर साफ सुथरे कपड़े पहनें।
रक्षाबंधन वाले दिन भाई को राखी बांधते समय मुहूर्त का खास ख्याल रखें।
राखी से पहले जब भाई की पूजा करें, तो उस वक़्त अक्षत यानि चावल के दाने टूटे हुए न हो।
आरती करते वक़्त थाल में रखा हुआ दिया शुद्ध हो, वो टुटा हुआ नहीं होना चाहिए।
राखी बांधते वक़्त भाई या बहन का चेहरा दक्षिण दिशा की तरफ नहीं होना चाहिए। इस दिशा में मुख करते हुए राखी बांधने पर उम्र कम होती है।
राखी बांधते वक़्त भाई को टिका लगाते समय रोली या चंदन का उपयोग करें। इस समय सिंदूर का इस्तेमाल न करें क्योंकि सिंदूर सुहाग की निशानी होता है।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (30 अगस्त 2023)
30 Aug, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- किसी के द्वारा धोखा देने से मनोवृत्ति खिन्न रहेगी, धन का व्यय तथा परिश्रम विफल होगा।
वृष :- समय अनुकूल नहीं है, लेन-देन के मामले विफल रहेंगे, व्यर्थ विवाद से बचें।
मिथुन :- व्यर्थ समय नष्ट होगा, यात्रा प्रसंग में थकावट व बेचैनी बनी रहेगी, समय समस्या का ध्यान रखें।
कर्क :- प्रयत्नशीलता विफल हो, परिश्रम करने में ही कुछ सफलता अवश्य मिलेगी।
सिंह :- परिश्रम से कार्यपूर्ण होंगे, तर्क-वितर्क से विजय प्राप्त हो, सफलता मिले, धन का लाभ होगा।
कन्या :- व्यवसायिक अनुकूलता से असंतोष किन्तु कार्य-व्यवस्था अनुकूल बनी रहेगी।
तुला :- किसी तनावपूर्ण वातावरण से बचिये, कुछ उदविघ्नता से परेशानी बने, मित्रों से लाभ होगा।
वृश्चिक :- परिश्रम से कार्य में सुधार होते हुए भी फलप्रद नहीं, कार्य विफलत्व की चिन्ता बनेगी।
धनु :- स्त्री वर्ग से उल्लास, इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे तथा रुके कार्य अवश्य ही बन जायेंगे।
मकर :- स्वभाव में क्लेश व अशांति, व्यर्थ विभ्रम, भय तथा उद्विघ्नता अवश्य बनेगी।
कुम्भ :- कार्यगति अनुकूल रहेगी, चिन्ताएं कम होंगी तथा विलासिता के साधन जुटायेंगे।
मीन :- आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा तथा इष्ट मित्रों का समर्थन फलप्रद होगा।
इस साल कब है कजरी तीज, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व
29 Aug, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कजरी तीज 2 सितंबर 2023 को मनाई जाएगी. कजरी तीज व्रत हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह सुहाग पर्व विवाहित महिलाओं के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, कजरी तीज के दिन महिलाएं सुहाग की रक्षा, उन्नति और समृद्धि के लिए निर्जला व्रत रखती हैं, शिव-पार्वती, तीज माता, नीमड़ी माता की पूजा करती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाता है। कुंआरी लड़कियां अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत रखती हैं। कजरी तीज की पूजा में कोई बाधा न आए इसके लिए अभी से ही सामग्री जुटा लें. जानिए कजरी तीज व्रत की पूजा सामग्री और पूजा की थाली कैसे सजाएं।
कजरी तीज पूजा सामग्री
कजरी तीज पूजा के लिए शंकर-पार्वती फोटो, नीम की शाखा, तीज माता फोटो, पूजा चौकी, मिट्टी, दूध, पानी, धूप
केले के पत्ते, बेलपत्र, कुमकुम, हल्दी, काजल, मेंहदी, रोली, धतूरा, जनोई
सुपारी, नारियल, अक्षत, कलश, दूर्वा, घी, चंदन, गुड़, शहद, पंचामृत, मिश्री
नाक की नथ, गाय का कच्चा दूध, अबीर, गुलाल, वस्त्र, नींबू, गेहूं, इत्र, फूल, दीपक
इस दिन चने की दाल, चीनी और घी मिलाकर सातु बनाएं। इसके बिना पूजा अधूरी है।
कजरी तीज पूजा विधि
कजरी तीज को कजली तीज, सातुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है, इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान करने के बाद व्रत रखें।
शुभ मुहूर्त में पूजा करने से पहले मिट्टी या गाय के गोबर की दीवार की मदद से एक तालाब का आकार बनाएं और उसके पास नीम की एक शाखा लगाएं।
पूजा चौकी पर शंकर-पार्वती, तीज माता की तस्वीर रखें। उनकी विधिवत पूजा करें. जानवर का आनंद लें. नीमड़ी माता की पूजा करें. इन्हें चूनर से ढक दें.
नीमड़ी माता के पीछे की दीवार पर मेहंदी, रोली और काजल की 13 बूंदें उंगली से लगाएं।
अब तालाब में दीपक की रोशनी के नीचे खीरा, नीबू, ककड़ी, नीम की टहनी, नथ आदि को देखें। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें
तेल और घी के दीपक में से कौन सा सब से अधिक लाभकारी है
29 Aug, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में पूजा-पाठ में दीपक जलाना एक महत्वपूर्ण कार्य है। यह अग्नि तत्व की उपस्थिति का संकेत देता है। पूजा के अलावा विशेष अवसरों पर भी दीपक जलाए जाते हैं। वास्तुशास्त्र में धर्म के साथ-साथ दीपक जलाने के कई फायदे भी बताए गए हैं।
अगर दीपक सही समय पर, सही दिशा में, सही तरीके से जलाया जाए तो यह बहुत फायदेमंद होता है। जिस प्रकार प्रत्येक देवता के लिए अलग-अलग फल, भोग, फूल, मंत्र आदि होते हैं, उसी प्रकार प्रत्येक देवता को प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग प्रकार के दीपक भी बताए गए हैं। जैसे घी का दीपक, सरसों के तेल का दीपक, तिल के तेल का दीपक आदि।
घी का दीपक कब जलाएं और तेल का उपयोग कब करें?
दीपक जलाने के कई फायदे हैं, दीपक जलाने से वातावरण में सकारात्मकता आती है। लेकिन कब कौन सा दीपक जलाना है ये मन में आता है. यानि पूजा में घी का दीपक या तेल का दीपक जलाएं। जिससे आपको दीपक जलाने का पूरा लाभ मिले। घी का दीपक जलाने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। हिंदू धर्म में गाय को बहुत पवित्र और पूजनीय माना जाता है। इसके साथ ही गाय का दूध और गाय का घी भी बहुत पवित्र माना जाता है। इसीलिए पूजा-अभिषेक, भगवान का भोग बनाने में गाय के दूध और गाय के घी का उपयोग करना सर्वोत्तम माना जाता है। इसी तरह गाय के घी का दीपक जलाना भी बहुत शुभ होता है। ऐसा करने से नकारात्मकता और वास्तु दोष दूर हो जाता है। वातावरण शुद्ध है. घर में सुख-समृद्धि आती है। शाम के समय पूजा स्थान के अलावा मुख्य द्वार पर घी का दीपक जलाने से माता लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं। घी का दीपक भगवान के दाहिनी ओर तथा तेल का दीपक बायीं ओर रखना चाहिए।
चमेली और तिल के तेल का दीपक जलाकर बजरंगबली को प्रसन्न किया जाता है। मंगलवार के दिन चमेली के तेल का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें और बजरंगबली से सभी कष्टों को दूर कर सुख-समृद्धि प्रदान करने की प्रार्थना करें।
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से शनि दोष दूर होता है, शनि पीड़ा दूर होती है। बाधाएं दूर होती हैं. उन्नति, सफलता, धन प्राप्ति का मार्ग खुलता है।
तेल के दीपक का पूरा लाभ पाने के लिए हमेशा लाल धागे से बनी बत्ती या कलावा का उपयोग करना चाहिए। वैकल्पिक रूप से, आप तिल के तेल के दीपक में लाल या पीली बत्ती लगा सकते हैं।
वहीं घी के दीपक में हमेशा सफेद ऊनी बत्ती का इस्तेमाल करना चाहिए।
दीपक जलाने का मंत्र
दीपक जलाते समय एक विशेष मंत्र का जाप करना भी बहुत लाभकारी होता है। इस मंत्र का जाप करने से दीपक जलाने का पूरा लाभ मिलता है।
'शुभं करोति कल्याणं आरोग्यं धनसंपदा।
शत्रु की बुद्धि का नाश करने वाले को नमस्कार है।
दीपो ज्योति परब्रह्म दीपो ज्योतिर्जर्दन:
दीपो हरतु मे पाप संध्यादीप नमोस्तुते।
सावन का आखिरी मंगला गौरी व्रत, इस विधि से करें माता पार्वती की पूजा, दूर होगा हर संकट
29 Aug, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सावन के प्रत्येक मंगलवार के दिन मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है. इस व्रत में मां गौरी यानी पार्वती जी की पूजा की जाती है. यह व्रत विवाह के सुख एवं संतान के सुख हेतु उत्तम फलों को देने वाला होता है.
अपने नाम अनुरुप ही यह व्रत मंगल सुख प्रदान करता है. जिसके कारण इस व्रत को मंगला गौरी व्रत कहा जाता है.
मंगला गौरी व्रत को मोरकट व्रत के नाम से भी जाना जाता है. सावन माह में पड़ने वाले सभी मंगलवारों को मंगला गौरी व्रत करने का विधान है. पुराणों के अनुसार श्रावण मास भगवान शिव और माता पार्वती को अत्यंत प्रिय है, इसीलिए श्रावण मास के सोमवार को भगवान शिव और मंगलवार को देवी गौरी एवं महदेव की पूजा अत्यंत शुभ और मंगलकारी बताई गई है.
सावन का अंतिम मंगला गौरी कब है?
इस बार सावन की समाप्ति के साथ ही सावन का अंतिम मंगला गौरी व्रत 29 अगस्त के दिन रखा जाएगा. इस दिन पर सोम प्रदोष व्रत का पारण होगा तथा साथ ही ऋगवेदिय उपाक्रम भी इस समय पर किए जा सकेंगे. मंगला गौरी का व्रत करने से हर संकट का निवारण होता है. विधि विधान के साथ मंगलागौरी की पूजा द्वारा भक्तों को मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है.
माता पार्वती की पूजा, से परिवार पर आने वाला हर संकट दूर हो जाता है. सावन के प्रत्येक मंगलवार को मंगला गौरी व्रत करने का विधान है. इस व्रत को करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है. साथ ही जीवनसाथी की उम्र लंबी होती है. आइए जानते हैं क्या है मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि और कैसे करें देवी माता का पूजन
मंगला गौरी व्रत पूजा विधि
इस दिन व्रत धारक को नित्यकर्मों से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए. संतान, सौभाग्य और सुख की प्राप्ति के लिए मंगला गौरी व्रत का अनुष्ठान करना चाहिए,. नहा-धोकर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर उस पर मां की प्रतिमा और तस्वीर को स्थापित करके पूजा करनी चाहिए.
दीपक बनाकर उसमें सोलह बत्तियां जलानी चाहिए. इसके बाद सोलह लड्डू, सोलह फल, सोलह पान, सोलह लौंग और इलायची सहित सामग्री और मिठाई माता के सामने रखनी चाहिए. माता के मंत्र का जाप करना चाहिए " कुंकुमागुरुलिप्तंगा सर्वाभरणभूषितम्. नीलकंठप्रिया गौरी वन्देहं मंगलह्वयम्" इस प्रकार विधि विधान से पूजा द्वारा भक्त को माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
रक्षाबंधन के दिन, राशि के अनुसार करें उपाय, जीवन में भी आएंगे शुभ बदलाव
29 Aug, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस बार रक्षाबंधन का त्योहार कई तरह के योगों के साथ बना होगा. भाई-बहन के प्यार और सुरक्षा का प्रतीक रक्षाबंधन का त्योहार जीवन में खुशियों को देने वाला होता है. हर साल सावन की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है.
इस दिन बहन अपने भाई को तिलक लगाकर उसकी कलाई पर राखी बांधती है. भाई अपनी बहन के सुखी जीवन की कामना करते हैं. बहने भी भाई की लंबी उम्र की कामना करती है. इस दिन यदि राशि अनुसार कुछ उपाय कर लिए जाएं तो बेहद शुभ होते हैं.
इस दिन भाई कुछ उपहार या दक्षिणा देकर बहन की रक्षा का वचन देता है. इस पर्व पर यदि हम सभी अपनी राशि अनुसार कुछ कार्य करें तो इसका सकारात्मक फल हमें अवश्य मिलता है. रक्षाबंधन के दिन रक्षा सूत्र बांधने का समय या मुहूर्त बड़ी भूमिका निभाता है लेकिन साथ ही आपके द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले कार्य भी इसकी शुभता को बढ़ाने का काम करते हैं. अगर इस दिन काम सही समय पर किया जाए तो उसका विशेष फल मिलता है. राशि के अनुसार राखी बांधने और उपहार देने के समय के बारे में.
रक्षाबंधन पर राशि के अनुसार उपाय
मेष राशि - भाई-बहन एक-दूसरे को पिस्ता और बादाम का उपयोग करना शुभ होता है. यह चीजें एक दूसरे को खिलाने से शुभता आती है.
वृषभ राशि - भाई-बहन एक-दूसरे को सफेद-पीले रंग के वस्त्र भेंट कर सकते हैं इसका उपयोग भी जीवन में शुभता को देने वाला होता है.
मिथुन राशि - भाई-बहन एक-दूसरे की दीपक जलाकर आरती करनी चाहिए. भाई को भी बहन के माथे पर तिलक करना चाहिए ऎसा करने से जीवन में शुभता का वास होता है.
कर्क राशि - भाई-बहन एक-दूसरे को पांच रुपए के सिक्का चंदन लगाकर उपहार दे सकते हैं. ऎसा करने से जीवन में स्थिरता का वास होता है तथा सांजस्य बना रहता है.
सिंह राशि - राखी के दिन भाई-बहन को एक-दूसरे को मिश्री खिलानी चाहिए ऎसा करने से रिश्ते मधुर होते हैं.
कन्या राशि - राखी के दिन भाई-बहन एक-दूसरे को इलायची खिलानी चाहिए ऎसा करने से सफलता का मार्ग खुलता है.
तुला राशि - राखी के दिन भाई-बहन एक-दूसरे को चंदन से तिलक करना शुभ होता है.
वृश्चिक राशि - राखी के दिन भाई-बहन एक-दूसरे को अष्टगंध भेंत देना चाहिए ऎसा करने से शुभता प्राप्त होती है.
धनु राशि - राखी के दिन भाई-बहन एक-दूसरे को कुछ सुगंधित चीजें उपहार में देनी चाहिए. ऎसा करने से जीवन में सुख और वैभव आता है.
मकर राशि - राखी के दिन भाई-बहन एक-दूसरे को केसर का तिलक लगाकर मिठा खिलाना चाहिए.
कुंभ राशि -राखी के दिन भाई-बहन एक-दूसरे को नीले रंग के वस्त्र भेंट देने चाहिए और चंदन का तिलक लगाना चाहिए.
मीन राशि - राखी के दिन भाई-बहन एक-दूसरे को केसर बनी खीर खिलानी चाहिए ऎसा करने से सुख की प्राप्ति होती है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (29 अगस्त 2023)
29 Aug, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- संसारिक धन की प्राप्ति, स्त्री सुख तथा कल्याणकारी कार्य बनेंगे, समाचार प्राप्त होगा।
वृष :- अचानक संतान को श्रेष्ठ लाभ होगा, रोगों की वृद्धि से समय का लाभ लवें।
मिथुन :- व्यर्थ की दौड़धूप होगा, संतान कष्ट होगा तथा शत्रु पराजित होंगे।
कर्क :- वाहन से मानकिस कष्ट, व्यय, तनाव से मानसिक पीड़ा अवश्य ही होगा।
सिंह :- जमीन-जायजाद तथा संतान से सुख की प्राप्ति होगी, योजना गुप्त रखें।
कन्या :- यश, सुख की प्राप्ति होगी, संतान के कार्यों में यश प्राप्त होगा, रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे।
तुला :- मित्र व सहयोगियों से लाभ होगा, रोजगार का प्रस्ताव प्राप्त होगा, अर्थ व्यवस्था बिगड़ेगी।
वृश्चिक :- अभिष्ट सिद्धी की प्राप्ति होगी, अधिकार प्राप्त होगा किन्तु खर्च से मन बेचैन रहेगा।
धनु :- नये निर्माण की योजना पर धन व्यय होगा किन्तु लाभ अवश्य ही प्राप्त होगा।
मकर :- व्यापार से आय का लाभ बराबर बना रहेगा तथा नवीन कार्य योजना की प्राप्ति होगी।
कुम्भ :- अचानक कार्य लाभ होगा परंतु नई समस्या तत्काल ही खड़ी हो जायेगी।
मीन :- नये कार्यों में में खर्च बढ़े, यात्रा, व्यापार से लाभ अवश्य ही होगा, ध्यान दें।
कब्रिस्तान में हजारों लोगों के शव दफनाए जाते हैं, फिर जगह कम क्यों नहीं पड़ती
28 Aug, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
एक सवाल कई बार आपके मन में आया होगा कि कब्रिस्तान में हर साल हजारों लोगों के शव दफनाए जाते हैं, फिर जगह कम क्यों नहीं पड़ती ? इसके पीछे कई तरह के जवाब भी आपने सुने होंगे।
तमाम मिथक भी हैं। कुछ दावे तो यहां तक किए जाते हैं कि कब्रिस्तानों में शोक मनाने के लिए लोग भी किराए पर मिल जाते हैं लेकिन हकीकत क्या है ?
अंतिम संस्कार करवाने वाले एक शख्स ने इसके बारे में खुलासा किया, जिसे जानने के बाद आपको अपने कई सवालों के जवाब मिल जाएंगे। हालांकि, ये खुलासे उन्होंने अमरीका के कब्रिस्तान के बारे में किए हैं, भारत के कब्रिस्तानों में इससे अलग नियम हो सकते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार अमरीका के एक यूनरल डायरेक्टर विक्टर एम. स्वीनी ने यू-ट्यूब पर एक वीडियो शेयर कर सभी सवालों के जवाब दिए। ‘ब्यूरियल सपोर्ट’ नामक इस वीडियो को अब तक 5 लाख से अधिक बार देखा जा चुका है। विक्टर से एक यूजर ने सवाल किया कि कब्रिस्तानों में कभी जगह की कमी क्यों नहीं होती? जवाब में विक्टर ने कहा, ‘‘यह सही नहीं है। कभी-कभी कब्रिस्तानों में जगह की कमी हो जाती है लेकिन इसका एक तरीका निकाला गया है। महानगरों में जहां हर साल तमाम लोगों की मौत होती है, अक्सर ऐसा होता है कि कमी हो जाती है। ऐसे में परिवार के लोग अपने किसी प्रियजन की मौजूदा कब्र के ऊपर अपने लोगों को दफना देते हैं।’’
किराए पर भी मिलती कब्र विक्टर ने जर्मनी की एक स्टडी के बारे में बताया, जहां कब्र किराए पर मिलती है, यानी आपकी कब्र वाली जगह हमेशा के लिए आपकी मां या आपके पिता की नहीं होती, कुछ वर्षों में किराया खत्म होते ही संस्था अवशेषों को खोदती है और उन्हें आमतौर पर एक सामान्य कब्र में डाल देते हैं। कुछ लोगों ने पूछा कि क्या अंत्येष्टि के दौरान आंसू बहाने के लिए भी लोग किराए पर मिलते हैं ? जवाब में विक्टर ने कहा, ‘‘कुछ जगह ऐसी व्यवस्था है, लेकिन मुझे नहीं पता कि मैं अपने अंतिम संस्कार के लिए पेशेवर शोक मनाने वालों को नियुक्त करना चाहूंगा या नहीं। लोग अपनी भावनाएं दिखा सकें तो यह विचार मुझे पसंद आएगा मगर इसके लिए पैसे खर्च करना ठीक नहीं लगता।’
उदया तिथि में 31 अगस्त को मनेगा रक्षाबंधन का पर्व, भद्रा रहित काल में ही राखी बांधना शुभ
28 Aug, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन मनाने की परंपरा सावन के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को रक्षाबंधन मनाने की परंपरा है. इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं.
इसके बदले भाई उन्हें रक्षा का वचन देते हैं. हालांकि इस बार भी रक्षाबंधन की तिथि को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति है कि यह त्योहार किस तारीख को मनाया जायेगा. कुछ लोग 30 अगस्त को रक्षाबंधन बता रहे हैं तो कुछ 31 अगस्त को त्योहार होने का दावा कर रहे हैं. आइए जानते है ज्योतिष अनुसंधान केंद्र लखनऊ के संस्थापकवेद प्रकाश शास्त्री से रक्षाबंधन से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें.
31 को उदया तिथि में मनाया जायेगा रक्षाबंधन
हिन्दू पंचांग के आधार पर भाई-बहनों का पवित्र त्योहार रक्षाबंधन इस बार दो दिन मनाये जाने की बात कही जा रही है. इस पर्व को लेकर पंचांग एक मत नहीं है. पूर्णिमा की तिथि और भद्रा की मौजूदगी इसका मुख्य कारण बन रहा है. विश्वविद्यालय पंचांग के मुताबिक श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को सुबह 10 बजकर 19 मिनट से शुरू हो रही है और यह 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी.
भद्रा रहित काल में ही राखी बांधना शुभ
30 अगस्त यानी सुबह 10 बजकर 19 मिनट से पूर्णिमा तिथि शुरू होने के साथ ही भद्रा शुरू हो रही है, जो रात 8 बजकर 45 मिनट तक रहेगी. इसलिए राखी का शुभ मुहूर्त 31 अगस्त को है. पूर्णिमा तिथि सुबह 07 बजकर 52 मिनट तक ही है. उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए 31 अगस्त के दिन भी रक्षाबंधन मनाया जायेगा. खजरैठा गांव निवासी डॉ मनोज कुंवर की माने तो भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने का कोई भी वक्त अशुभ नहीं माना जाता है, लेकिन भाई की दीर्घायु और खुशियों की कामना एक शुभ मुहूर्त में की जाय तो सारे कष्ट दूर होते हैं. रक्षाबंधन त्योहार 31 अगस्त को मनाया जायेगा.
31 अगस्त दिन गुरुवार को राखी बांधना शुभ
ज्योतिष अनुसंधान केंद्र लखनऊ के संस्थापक वेद प्रकाश शास्त्री ने बताया कि इस वर्ष 30 अगस्त को ही सावन माह की पूर्णिमा शुरू हो जायेगी. लेकिन भद्रा की शुरुआत होने के कारण रक्षा बंधन का शुभ कार्य कम उचित होता है. ऐसे में ज्योतिषियों के अनुसार 31 अगस्त को सुबह 07 बजकर 05 मिनट से पहले ही रक्षाबंधन करना अधिक शुभकारी रहेगा.
शहर में सजने लगी राखी की दुकानें
भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक रक्षा बंधन का त्योहार जैसे-जैसे करीब आ रहा है. बाजार से लेकर गांव तक राखी की दुकानें सजना शुरू हो गयी हैं. कारोबारियों ने अलग-अलग दामों की रंग-बिरंगी राखी से अपनी दुकानें लग गयी हैं. दुकान पर राखी खरीदने पहुंची शांति कुमारी ने बताया कि आज के डिजिटल जमाने में बहुत से त्योहार मोबाइल पर मैसेज कर मना लिए जाते हैं. लेकिन रक्षा बंधन एक ऐसा त्योहार है जिसे ऑफलाइन ही मनाना पड़ता है.
संतान की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है जितिया व्रत
28 Aug, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है। जीवित्पुत्रिका व्रत को जिउतिया, जितिया या ज्युतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है।
इस साल यह व्रत 6 अक्टूबर 2023 दिन शुक्रवार को रखा जा रहा है। जीवित्पुत्रिका व्रत निर्जला होता है। माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र, समृद्धि और उन्नत जीवन के लिए इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं। मान्यताओं के अनुसार संतान के लिए किया गया यह व्रत किसी भी बुरी परिस्थिति में उसकी रक्षा करता है। यह कठिन व्रत उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में अधिक प्रचलित है। संतान प्राप्ति की कामना के लिए भी यह व्रत रखा जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि जीवित्पुत्रिका व्रत की पूजा विधि और महत्व के बारे में...
जितिया व्रत कब मनाया जाता है?
यह 24 घंटे का निर्जाला व्रत होता है। इसकी शुरुआत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी से होती है। वहीं इसका समापन नवमी तिथि को होता है। इस बार यह व्रत 6 अक्टूबर 2023, शुक्रवार को मनाया जा रहा है। व्रत में 1 दिन से पहले तामसिक भोजन जैसे प्याज, लहसुन, मांसाहारी भोजन का सेवन नहीं करना होता है।
निर्जला व्रत रखती हैं महिलाएं
जितिया व्रत संतान की दीर्घायु और उनकी सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र के लिए निर्जला उपवास रखती हैं। इस उपवास में महिलाएं जल की एक बूंद भी ग्रहण नहीं करती हैं।
पूजन विधि
जितिया यानी जीवित्पुत्रिका व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। इसके बाद व्रत रखने वाली महिलाएं प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजा स्थल को भी साफ करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत में एक छोटा सा तालाब बनाकर पूजा की जाती है।
पारण
निर्जला उपवास रखने के बाद जितिया व्रत का पारण तीसरे दिन प्रातः काल पूजा-पाठ के बाद सूर्य देव को अर्घ्य देकर किया जाता है।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (28 अगस्त 2023)
28 Aug, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- इस सप्ताह खर्च बढ़ेगा, व्यवसाय कार्य अल्प लाभ होगा, ध्यान दें।
वृष :- सज्जनों की संगति से लाभ होगा, कार्य में चतुराई से ही लाभ होगा, ध्यान रखें।
मिथुन :- मित्रों के अधिक विश्वास से विश्वासघात हो सकता है, ध्यान रखें।
कर्क :- व्यवसाय में अच्छा लाभ मिलेगा, किसी उत्सव में समलित होने का अवसर मिलेगा।
सिंह :- धन लाभ होगा, आनंद प्राप्ती के अवसर प्राप्त होंगे, हर्ष तथा यात्रा में सफलता मिले।
कन्या :- धन लाभ होगा, स्वास्थ्य सुधार होगा, समस्याओं का समाधान होगा, लाभ होगा।
तुला :- अधिकारियों से लाभ मिलेगा, शत्रुदल अकारण दब जायेगा किन्तु लाभ होगा।
वृश्चिक :- दाम्पत्य जीवन का मधुर संबंध अवश्य रहेगा, खुश रहेंगे, आनंद प्राप्त होगा।
धनु :- विरोधियों से आप सतर्क रहें, मानसिक तनाव बढ़ेगा तथा विरोध होगा, ध्यान दें।
मकर :- माता तथा सुतान की ओर से विपरीत व्यवहार मिलेगा, शत्रु पक्ष परेशान रहे।
कुम्भ :- सामाजिक उत्सव में शामिल होंगे, बुधवार व गुरुवार को कार्यों से लाभ मिलेगा।
मीन :- स्थिति में कुछ सुधार होगा, स्वास्थ्य खराब होगा तथा व्यय अधिक होगा, ध्यान रखें।
कब है सावन का आखिरी सोमवार, इन शुभ योग में करेंगे शिव पूजन तो मिलेगा आशीर्वाद
27 Aug, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक माह किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है। बता दें कि सावन का महीना भगवान शिव की आराधना को समर्पित है। इस माह में की गई पूजा का कई गुना फल मिलता है।
बता दें कि इस बार सावन के दो महीने होने के कारण इसका महत्व और भी बढ़ गया है. बता दें कि 28 अगस्त को सावन का आखिरी सोमवार है. और इस साल के सावन का आखिरी सोमवार बहुत महत्वपूर्ण है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार सावन के आखिरी सोमवार पर 5 शुभ संयोग बन रहे हैं। मान्यता है कि भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए शुभ समय पर पूजा और अभिषेक करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। पंचांग के अनुसार 28 अगस्त को सावन शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि है. साथ ही इसके बाद त्रयोदशी तिथि शुरू हो जाएगी. इस दिन सोम प्रदोष भी रहेगा। ऐसे में जो लोग इस दिन पूजा-पाठ करते हैं उन्हें शुभ फल की प्राप्ति होती है।
सावन सोमवार पूजा का शुभ मुहूर्त 2023
हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन के आखिरी सोमवार पर सुबह की पूजा का शुभ समय सुबह 09:09 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक है। वहीं प्रदोष काल में पूजा का शुभ समय शाम 6:48 बजे से रात 9:02 बजे तक है।
आयुष्मान योग
बता दें कि आयुष्मान योग सूर्योदय से सुबह 8.27 बजे तक रहेगा.
सौभाग्य योग
28 अगस्त को सुबह 8.27 बजे से शाम 5.51 बजे तक सौभाग्य योग बन रहा है.
सर्वार्थ सिद्धि योग
1 बजकर 01 मिनट से 1 बजकर 01 मिनट तक सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है।
सूर्य योग
रवि योग रात 1 बजकर 01 मिनट से 1 बजकर 01 मिनट तक रहेगा।
सावन सोमवार योग
ज्योतिषियों के अनुसार अगर आखिरी सावन सोमवार के दिन प्रदोष व्रत के साथ पड़े तो शुभ संयोग बनता है।
यह उपाय सावन के आखिरी सोमवार को करें
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सावन माह में सोमवार का विशेष महत्व है। इस दिन की गई भोलेनाथ की पूजा विशेष फलदायी होती है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर भगवान शिव का दिव्य जल से अभिषेक करें। माता पार्वती और नंदीजी को भी गंगा जल या दूध अर्पित करें। पंचामृत से रुद्राभिषेक करें। इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, चंदन, चावल आदि चढ़ाएं। इसके बाद भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी को तिलक लगाकर समापन करें। इस बीच ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप करते रहें।
बहुत भारी पड़ सकती हैं झाड़ू से जुड़ी ये गलतियां
27 Aug, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
घर की साफ सफाई में रोजाना झाड़ू का इस्तेमाल किया जाता हैं वास्तु और ज्योतिषशास्त्र में इसका विशेष महत्व होता हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार झाड़ू का संबंध धन की देवी माता लक्ष्मी से जुड़ा होता हैं ऐसे में झाड़ू से जुड़ी कुछ गलतियां व्यक्ति को जीवनभर के लिए कंगाल बना सकती हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा झाड़ू से जुड़े जरूरी नियम बता रहे हैं जिनका पालन करने से लाभ मिलता हैं लेकिन अनदेखी समस्याओं का कारण होती हैं तो आइए जानते हैं।
झाड़ू से जुड़े जरूरी नियम-
वास्तु अनुसार झाड़ू को कभी भी पैर नहीं मारना चाहिए अगर पैर लग भी जाए तो तुरंत झाड़ू छकर माफी मांगे। कहते हैं झाड़ू को पैर लगाने से माता लक्ष्मी क्रोधित हो जाती हैं इसके अलावा झाड़ू के लिए हमेशा एक उचित स्थान बनाना चाहिए इसे कहीं पर भी ऐसे ही नहीं रख देना चाहिए। वास्तु कहता है कि घर में झाड़ू को इस तरह रखें कि यह बाहरी लोगों की नजर में ना आएं। इसके अलावा पूजन स्थल, तुलसी और तिजोरी के आस पास भी झाड़ू को नहीं रखना चाहिए।
इसके अलावा बेडरुम और रसोई में भी इसे रखना अच्छा नहीं माना जाता हैं। ज्योतिष अनुसार टूटी हुई झाड़ू का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए बल्कि अगर झाड़ू पुरानी हो गई हैं तो इससे तुरंत हटा देना ही उचित होता हैं वरना घर में धन की कमी बढ़ने लग जाती हैं।
अगर आप पुरानी झाड़ू को घर से हटाना चाहते हैं तो इसके लिए अमावस्या और शनिवार का दिन अच्छा होता हैं। लेकिन भूलकर भी पुरानी झाड़ू को गुरुवार या फिर शुक्रवार के दिन घर से बाहर न करें इसे अच्छा नहीं माना जाता हैं।
अगस्त को सावन का आखिरी प्रदोष व्रत, बनेंगे कई शुभ योग, अभी से कर लें पूजा की तैयारी
27 Aug, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सावन का महिना अब समाप्त होने वाला है ऎसे में शुक्ल पक्ष का यह पड़ाव बेहद ही शुभदायी होगा. अब इस समय कुछ महत्वपूर्ण तिथियों का आगमन होगा. अब इस समय पर प्रदोष तिथि का आगमन 28 अगस्त के दिन होगा.
इसी दिन सावन का अंतिम सोमवार भी होगा ओर साथ ही सोम प्रदोष व्रत भी होगा. एक साथ इन दो महत्वपूर्ण योगों के साथ ही कुछ विशेष नक्षत्र ग्रह योग भी मिलने वाले है. इन योगों का शुभ फल पाने के लिए अभी से तैयारियां आरंभ कर देना उत्तम होगा. पूजा हेतु सभी सामग्री के साथ ही शुद्ध चित्त मन से भक्ति में रम कर हम इस दिन का लाभ उठा सकते हैं.
नाग पंचमी पर परिवार मे सुख एवं समृद्धि प्राप्ति करने का एक मात्र उत्तम दिन, घर बैठे कराएं पूजा नागवासुकि मंदिर, प्रयागराज - 21 अगस्त 2023
शुभ योगों में मनाया जाएगा प्रदोष
सावन का पवित्र महीना प्रदोष हेतु भी विशेष होता है. इस साल सावन में अधिक मास पड़ने के कारण यह महीना अधिक हो गया है अब ऎसे में हमें प्रदोष व्रत भी दो से अधिक मिले तथा अब आने वाली 28 तारिख को सावन का अम्तिम प्रदोष होगा. सावन का आखिरी प्रदोष व्रत 28 अगस्त सोमवार को है.इस दिन प्रदोष व्रत पर एक साथ कई शुभ संयोग बन रहे हैं. ऐसे में शिव भक्तों को इससे दोहरा लाभ मिलेगा. आइए ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास से जानते हैं सावन के आखिरी प्रदोष व्रत का शुभ संयोग, शुभ मुहूर्त और महत्व.
सावन का आखिरी प्रदोष व्रत सोम प्रदोष व्रत होगा. इस दिन सावन के आखिरी सोमवार पर आयुष्मान योग, सौभाग्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग का शुभ संयोग बन रहा है. अब इन सभी शुभ योगों के कारण कई शुभ फल भी भक्तों को मिल पाएंगे. प्रदोष शिव पूजा सौभाग्य को एदेन वाली होती है. प्रदोष व्रत सभी प्रकार के दोषों को दूर करता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. इस समय पर यदि पूजा समय कुछ विशेष कार्य कर लिए जाएं तो मिल सकता है इसका पूरा फल
प्रदोष तिथि पूजा मुहूर्त
28 अगस्त को प्रदोष व्रत और सावन सोमवार व्रत किए जा सकेंगे. इन दोनों का फल भक्तों को मिलेगा. सावन के आखिरी प्रदोष और सोमवार के दिन रुद्राभिषेक करना फलदायी होगा. इस दिन आयुष्मान योग का समय प्रातः काल से प्रातः 09:56 तक रहने वाला है. सौभाग्य योग का फल सुबह 09 बजकर 56 मिनट से पूरी रात तक रहने वाला है. सर्वार्थ सिद्धि योग रात 02:43 बजे से सुबह 05:57 बजे तक रहने वाला है. रवि योग भी रात 02:43 बजे से सुबह 05:57 बजे तक रहने वाला है.