धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
गणेश चतुर्थी की रात चांद को देखना माना जाता है अशुभ, क्या इसके पीछे का कारण
5 Sep, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस बार गणेश चतुर्थी का पर्व 19 सितंबर यानी मंगलवार को मनाया जाने वाला है। भगवान गणेश के जन्म और जीवन से जुड़ी कई मान्यताएं हैं। ऐसी ही एक पौराणिक कथा में कहा गया है कि गणेश चतुर्थी वह समय है जब व्यक्ति को चंद्रमा को देखने से बचना चाहिए।
दादा-दादी या बुजुर्ग रिश्तेदार अक्सर हमें बताते हैं कि इस दौरान चंद्रमा को देखना एक अपशकुन है। तो ऐसा क्यों है?
ऐसा लगता है कि लोग मिथ्या दोष से बचने के लिए गणेश चतुर्थी पर चंद्रमा को देखने से बचते हैं। मिथ्या दोष एक ऐसा अभिशाप है जो किसी व्यक्ति को कुछ चुराने के झूठे आरोप में फंसा सकता है।
मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान गणेश भाद्रपद माह की चतुर्थी को चांदनी रात में अपने वाहन (मूषक या चूहे) के साथ घर लौट रहे थे, तो चंद्रमा भगवान ने भगवान के गोल पेट, उनके हाथी के सिर और उनके वाहन का मज़ाक उड़ाया। । चंद्र देव, चंद्र को अपने अच्छे रूप पर गर्व होने के लिए जाना जाता है। क्रोधित भगवान गणेश ने उन्हें श्राप दिया कि उनकी रोशनी कभी भी पृथ्वी पर नहीं पड़ेगी।
गणेश ने कहा कि कोई भी चंद्रमा की पूजा नहीं करेगा, अगर किसी ने चंद्रमा को देखा, तो उन्हें आरोपों और आरोपों का सामना करना पड़ेगा, भले ही वे निर्दोष हों, जिससे उनकी प्रतिष्ठा खराब हो जाएगी। अपने अस्तित्व के डर से टूटे हुए चंद्रमा भगवान ने माफी मांगी, और उन्होंने अपना घमंडी और अशिष्ट व्यवहार खो दिया।
उन्होंने और अन्य देवताओं ने गणेश से क्षमा की प्रार्थना की, लेकिन चूंकि गणेश ने पहले ही उन्हें श्राप दे दिया था, इसलिए उन्होंने इसे पूरी तरह से रद्द नहीं किया। उन्होंने कहा कि लोग भाद्रपद चतुर्थी को छोड़कर किसी भी समय चंद्रमा को देख सकते हैं। यदि कोई इस दिन चंद्रमा को देखता है तो उसे झूठे आरोप का सामना करना पड़ता है।
मान्यताओं के अनुसार, चतुर्थी के दिन चंद्रमा को देखने के बाद श्री कृष्ण भी मिथ्या दोष के प्रभाव से पीड़ित हो गए। उन पर बहुमूल्य मणि स्यमंतक चुराने का आरोप था। ऋषि नारद, जो भगवान गणेश के श्राप के बारे में जानते थे, ने श्री कृष्ण को अपशकुन से उबरने के लिए व्रत रखने के लिए कहा।
मिथ्या दोष से मुक्ति के लिए इस मंत्र का जाप करें:
सिंहः प्रसेनमवधीत्सिंहो जाम्बवता हतः।
सुकुमारक मारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तकः॥
शीतला सातम व्रत जब लगता है माता को बासी भोग जानें इस व्रत से जुड़ी विशेष बातें
5 Sep, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शीतला सातम का व्रत भादो माह की सप्तमी के दिन किया जाता है. शीतला अष्टमी से एक दिन पहले इस पर्व सातम को मनाया जाता है. शीतला सातम पंचांग अनुसार सप्तमी तिथि के दिन पड़ती है यह पर्व भक्ति के साथ मनाया जाता है.
शीतला सप्तमी को बासौड़ा भी कहा जाता है. शीतला माता का व्रत इसलिए भी खास है क्योंकि इस दिन देवी मां को बासी और ठंडे पकवानों का भोग लगाने की परंपरा है.
शीतला सातम संतान के सुख का समय
शीतला माता को संतान की सुरक्षा एवं उसके दीर्घ जीवन देने वाला माता के रुप में पूजा जाता है. शीतला माता की पूजा मातें अपनी संतान हेतु करती हैं. इस दिन को हिंदू धर्म में बहुत विशेष माना जाता है. शीतला सातम के दिन शीतला माता की पूजा में दही, दूध, गन्ने का रस, चावल और अन्य चीजों से बना नैवेद्य चढ़ाया जाता है.
देवी मां को भोग लगाने के लिए पकवान बनाए जाते हैं लेकिन पकवान बनाते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए. क्योंकि यह कोई आम व्यंजन नहीं बल्कि माता शीतला को प्रसाद के रूप में दिया जाने वाला विशेष प्रसाद होता है. आइए जानते हैं शीतला सातम पर माता शीतला को भोग लगाने के लिए क्या और कैसे व्यंजन बनाए जाते हैं ओर इन से जुड़ी विशेष बातें क्या हैं.
शीतला माता पूजन और बासी भोग नियम
भोग बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि इसे इतना न पकाएं कि यह जल जाए और लाल हो जाए. भोजन को धीमी आंच पर ही पकाना अच्छा होता है. भोग के लिए व्यंजन बनाते समय घी का ही प्रयोग करना अधिक शुभ होता है. सप्तमी से पूर्व ही सारे पकवान तैयार कर लेने जरुरी होते हैं कोई भी काम अगले दिन के लिए न छोड़ा जाता है.
पकवान बनाने के बाद रसोई को अच्छी तरह साफ करना और उसके बाद रोली, अक्षत, फूल आदि चढ़ाना जरुरी होता है.
चूल्हे का पूजन विशेष रुप से किया जाता है. इस पूजा के बाद सातम के दिन चूल्हा नही जलाया जाता है.
शीतला सातम के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं. इसके बाद शीतला माता को भोग लगाने के लिए जो भी पकवान बनाए जाते हैं उन्हें पूजा स्थान पर रख कर इसके बाद शीतला माता की विधि-विधान से पूजन किया जाता है. शीतला सातम करने से पूजा का शुभ फल प्राप्त होता है.
बाल गोपाल को लगाएं इन चीजों का भोग, बनने लगेंगे हर काम
5 Sep, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में कई सारे पर्व त्योहार मनाए जाते हैं और सभी का अपना महत्व भी होता हैं लेकिन श्रीकृष्ण जन्माष्टमी बेहद ही खास मानी जाती हैं जो कि भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित हैं इस दिन भक्त प्रभु के बाल स्वरूप की विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं।
धार्मिक पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का उत्सव मनाया जाता हैं इस बार यह पर्व 6 सितंबर को मनाया जाएगा।
माना जाता है कि इसी पावन दिन पर भगवान कृष्ण ने धरती पर जन्म लिया था जिसे देशभर में कृष्ण जन्मोत्सव के तौर पर मनाया जाता हैं। इस दिन घर और मंदिरों में पूजा पाठ होते हैं और भक्त उपवास भी करते हैं इस दिन कृष्ण भगवान के बाल स्वरूप की पूजा की जाती हैं ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बाल गोपाल के प्रिय भोग के बारे में बता रहे हैं जिन्हें अर्पित करने से प्रभु शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और हर काम बनने लगते हैं।, तो आइए जानते हैं।
बाल गोपाल के प्रिय भोग-
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर आप भगवान कृष्ण के निमित्त व्रत पूजा कर रहे हैं तो ऐसे में बाल गोपाल को उनकी प्रिय चीजों का भोग जरूर लगाएं। ऐसा करने से वे शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बाल गोपाल को माखन और मिश्री बेहद प्रिय हैं ऐसे में आप जन्माष्टमी पर प्रभु को इसका भोग जरूर लगाएं। इसके साथ ही आप आटे की पंजीरी बनाकर भी भोग चढ़ा सकते हैं। ऐसा करने से वे शीघ्र प्रसन्न होकर कृपा करते हैं। कृष्ण जन्मोत्सव पर भगवान को पंचामृत और छाछ में तुलसी डालकर भी भोग लगाया जा सकता हैं ऐसा करने से सभी बिगड़े काम बनने लगते हैं और कृष्ण भगवान की कृपा से सुख शांति और समृद्धि आती हैं।
तुलसी के पौधे के बराबर ही पूज्य है तुलसी की माला जानें इसका महत्व
5 Sep, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
तुलसी को हिंदू धर्म में अत्यंत पूजनिय माना गया है. तुलसी से निर्मित हर वस्तु का धार्मिक महत्व होता है. ऎसे में तुलसी की माला पहनने से कई लाभ मिल सकते हैं. अब तुलसी के समक्ष ही तुलसी की माला को भी स्थान प्राप्त होता है.
ऎसे में इस माला के नियम भी उसी भांति महत्व रखते हैं जैसे तुलसी का पौधा. तुलसी माला उन लोगों को भूलकर भी नहीं पहननी चाहिए जो इन नियमों को नहीं पूरा कर पाते हैं क्योंकि ऎसे में तुलसी की माला फायदे की जगह होगा नुकसान दे सकती है. इसी क्रम में जो लोग मांस-मदिरा का सेवन करते हैं उन्हें यह माला नहीं पहननी चाहिए ऎसे ही कई अन्य नियम हमें दिखाई देंगे आईये जानते हैं इन के बारे में और जानते हैं तुलसी माला की महत्ता.
तुलसी में है देवी लक्ष्मी का वास
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, तुलसी में देवी लक्ष्मी का वास माना गया है. तुलसी की माला से भगवान विष्णु के मंत्र का जाप करना जल्द लाभ दिलाता है. यह माला कुछ कामों के लिए विशेष फलदायी मानी जाती है. अगर हम तुलसी की माला पहनते हैं तो मन और आत्मा दोनों पवित्र हो जाते हैं. इसके अलावा तुलसी माला मन में सकारात्मक विचारों का संचार बढ़ाती है. लसी की माला से जुड़े नियमों के बारे में और किन लोगों को यह माला नहीं पहननी चाहिए इसका विश्लेषण अच्छे किया गया है. सनातन धर्म में लगभग हर घर में तुलसी का पौधा होता है. सभी लोग इसकी विधि-विधान से पूजा भी करते हैं. इसी के साथ तुलसी की माला पहनना भी उतना ही अच्छा प्रभाव देता है जितना कि तुलसी का पौधा. तुलसी की माला पहनने से व्यक्ति को कई लाभ मिलते हैं. लेकिन इसके लिए तुलसी की माला से जुड़े नियमों का ठीक से पालन करना जरूरी है.
तुलसी माला संबंधित नियम
तुलसी की माला से जुड़े नियमों में सात्विकता विशेष मानी गई है. जो लोग मांस खाते हैं उन्हें माला नहीं पहननी चाहिए. अगर आप तुलसी की माला पहनने की सोच रहे हैं तो आपको इससे जुड़े नियम भी जान लेने चाहिए. जब हम गलत भोजन का सेवन करते हैं तो इससे हमें खराब फल मिलने लगते हैं. यह माला पहन रहे हैं तो आपको मांस और शराब का सेवन करने से बचना चाहिए. इसके साथ ही आपको तामसिक भोजन से भी बचना चाहिए. ऐसे में आपको सात्विक भोजन करना चाहिए. इन बातों का ध्यान रख कर हम इस का लाभ उठाने में सफल रह सकते हैं.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (05 सितम्बर 2023)
5 Sep, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मानसिक खिन्नता, कार्य विफलता, असमंजस किन्तु बड़े लोगों से मेल मिलाप मिलन होगा।
वृष राशि - व्यावसायिक गति अनुकूल, कार्य संपन्नता से संतोष चिन्ता कम होगी, विशेष ध्यान रखे।
मिथुन राशि - कार्यकुशलता से संतोष हो, अर्थ व्यवस्था अनुकूल होगी, बिगड़े कार्य बन जाएगे।
कर्क राशि - अधिकारी से विशेष लाभ सुख एवं सफलता मिलेगी, रुके कार्य बना लेगे।
सिंह राशि - अनायास परिश्रम होगा, विशेष कार्य स्थिगित रखे व्यवस्था उत्तम बनी रहेगी।
कन्या राशि सामाजिक कार्यो में प्रभुत्व, प्रतिष्ठा वृद्धि, दृढ़ता से कार्य निपटा लेंगे, ध्यान रखे।
तुला राशि - दुर्घटना का शिकार होने से बचिए, भाग्य का सितारा साथ देगा, रुके कार्य बन जाएगा।
वृश्चिक राशि - असमर्थता का वातावरण, क्लेश युक्त रहेगा तथा मानसिक बेचैनी अवश्य ही बढ़ेगी।
धनु राशि - अर्थलाभ कार्य कुशलता से सहयोग मिले, दैनिक समृद्धि के साधन बनेंगे, कार्य पूर्ण संपन्न होगे।
मकर राशि - धन का व्यय असमर्थता का वातावरण रहेगा, कार्य व्यवसाय में ध्यान सदैव रखे कार्य संपन्न होगे।
कुंभ राशि - स्थिति यथावत बनी रहेगी, प्रयत्न जारी रखे किन्तु परिणाम अच्छा लाभकारी नहीं होगा।
मीन राशि - मनोबल उत्साहवर्धक होगा, कार्य कुशलता से संतोष होगा, रुके कार्य एक-एक करके बनेंगे।
बेरोजगारी से मुक्ति पाने का रामबाण उपाय
4 Sep, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर कोई मनचाही नौकरी की इच्छा रखता है इसके लिए वह प्रयास भी खूब करता हैं लेकिन फिर भी अगर आपको नौकरी नहीं मिल रही हैं या आप बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं तो ऐसे में हर रविवार के दिन सूर्य पूजा के बाद श्री सूर्य देव की चालीसा जरूर पढ़ें माना जाता है कि ऐसा करने से भगवान सूर्यदेव शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं और मनचाही नौकरी व रोजगार की इच्छा को पूरा कर देते हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं सूर्य चालीसा।
श्री सूर्य चालीसा-
॥ दोहा ॥
कनक बदन कुण्डल मकर, मुक्ता माला अङ्ग,
पद्मासन स्थित ध्याइए, शंख चक्र के सङ्ग॥
॥ चौपाई ॥
जय सविता जय जयति दिवाकर,
सहस्त्रांशु सप्ताश्व तिमिरहर॥
भानु पतंग मरीची भास्कर,
सविता हंस सुनूर विभाकर॥
विवस्वान आदित्य विकर्तन,
मार्तण्ड हरिरूप विरोचन॥
अम्बरमणि खग रवि कहलाते,
वेद हिरण्यगर्भ कह गाते॥ 4
सहस्त्रांशु प्रद्योतन, कहिकहि,
मुनिगन होत प्रसन्न मोदलहि॥
अरुण सदृश सारथी मनोहर,
हांकत हय साता चढ़ि रथ पर॥
मंडल की महिमा अति न्यारी,
तेज रूप केरी बलिहारी॥
उच्चैःश्रवा सदृश हय जोते,
देखि पुरन्दर लज्जित होते॥8
मित्र मरीचि, भानु, अरुण, भास्कर,
सविता सूर्य अर्क खग कलिकर॥
पूषा रवि आदित्य नाम लै,
हिरण्यगर्भाय नमः कहिकै॥
द्वादस नाम प्रेम सों गावैं,
मस्तक बारह बार नवावैं॥
चार पदारथ जन सो पावै,
दुःख दारिद्र अघ पुंज नसावै॥12
नमस्कार को चमत्कार यह,
विधि हरिहर को कृपासार यह॥
सेवै भानु तुमहिं मन लाई,
अष्टसिद्धि नवनिधि तेहिं पाई॥
बारह नाम उच्चारन करते,
सहस जनम के पातक टरते॥
उपाख्यान जो करते तवजन,
रिपु सों जमलहते सोतेहि छन॥16
धन सुत जुत परिवार बढ़तु है,
प्रबल मोह को फंद कटतु है॥
अर्क शीश को रक्षा करते,
रवि ललाट पर नित्य बिहरते॥
सूर्य नेत्र पर नित्य विराजत,
कर्ण देस पर दिनकर छाजत॥
भानु नासिका वासकरहुनित,
भास्कर करत सदा मुखको हित॥20
ओंठ रहैं पर्जन्य हमारे,
रसना बीच तीक्ष्ण बस प्यारे॥
कंठ सुवर्ण रेत की शोभा,
तिग्म तेजसः कांधे लोभा॥
पूषां बाहू मित्र पीठहिं पर,
त्वष्टा वरुण रहत सुउष्णकर॥
युगल हाथ पर रक्षा कारन,
भानुमान उरसर्म सुउदरचन॥24
बसत नाभि आदित्य मनोहर,
कटिमंह, रहत मन मुदभर॥
जंघा गोपति सविता बासा,
गुप्त दिवाकर करत हुलासा॥
विवस्वान पद की रखवारी,
बाहर बसते नित तम हारी॥
सहस्त्रांशु सर्वांग सम्हारै,
रक्षा कवच विचित्र विचारे॥28
अस जोजन अपने मन माहीं,
भय जगबीच करहुं तेहि नाहीं ॥
दद्रु कुष्ठ तेहिं कबहु न व्यापै,
जोजन याको मन मंह जापै॥
अंधकार जग का जो हरता,
नव प्रकाश से आनन्द भरता॥
ग्रह गन ग्रसि न मिटावत जाही,
कोटि बार मैं प्रनवौं ताही॥32
मंद सदृश सुत जग में जाके,
धर्मराज सम अद्भुत बांके॥
धन्य-धन्य तुम दिनमनि देवा,
किया करत सुरमुनि नर सेवा॥
भक्ति भावयुत पूर्ण नियम सों,
दूर हटतसो भवके भ्रम सों॥
परम धन्य सों नर तनधारी,
हैं प्रसन्न जेहि पर तम हारी॥36
अरुण माघ महं सूर्य फाल्गुन,
मधु वेदांग नाम रवि उदयन॥
भानु उदय बैसाख गिनावै,
ज्येष्ठ इन्द्र आषाढ़ रवि गावै॥
यम भादों आश्विन हिमरेता,
कातिक होत दिवाकर नेता॥
अगहन भिन्न विष्णु हैं पूसहिं,
पुरुष नाम रविहैं मलमासहिं॥40
॥ दोहा ॥
भानु चालीसा प्रेम युत, गावहिं जे नर नित्य,
सुख सम्पत्ति लहि बिबिध, होंहिं सदा कृतकृत्य॥
गणेश चतुर्थी पर श्री गणेश के इन मंत्रों का जाप, सभी मनोकामना होंगी पूरी
4 Sep, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान गणेश के जन्म के उपलक्ष्य में गणेश चतुर्थी इस वर्ष 19 सितंबर से शुरू होने वाली है। भगवान गणेश एक पूजनीय देवता हैं जिन्हें ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य से जोड़ा गया है।
भगवान गणेश को गजानन, धूम्रकेतु, एकदंत, वक्रतुंड और सिद्धि विनायक सहित विभिन्न नामों से जाना जाता है। इस दिन आप अपने घर पर गणेश जी की मूर्ति की स्थापाना करके पूजन कर सकते हैं। गणेश जी की कृपा से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी। हालांकि इस दिन आपको रोजगार, सुख, समृद्धि, संकट को दूर करने, ग्रह दोष निवारण, सफलता आदि की कामना है तो आपको इनसे संबंधित गणेश जी के मंत्रों का जाप करना चाहिए। इन मंत्रों के जाप से आपको सफलता, शुभता और सौभाग्य प्राप्त होगा। गणेश चतुर्थी पर आप सच्चे मन से गणेश मंत्र का जाप करें, वे आपको खाली हाथ नहीं लौटाएंगे।
गणेश मनोकामना पूर्ति मंत्र
ॐ गं गणपतये नमः
ग्रह दोष निवारण गणेश मंत्र
गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक:।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।
बिगड़े कार्यों को सफल बनाने का मंत्र
त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।
नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।
गणेश जी को प्रसन्न करने का मंत्र
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
गणेश गायत्री मंत्र
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात्।
गणपति षडाक्षर मंत्र: आर्थिक तरक्की के लिए
ओम वक्रतुंडाय हुम्
रोजगार प्राप्ति का गणेश मंत्र
ओम श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
सुख समृद्धि के लिए गणेश मंत्र
ऊं हस्ति पिशाचिनी लिखे स्वाहा
पितृ पक्ष इस दिन से शुरू, भूल कर भी न करें यह काम
4 Sep, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में पितृपक्ष का विशेष महत्व होता है. ज्योतिषाचार्य वेद प्रकाश शास्त्री ने बताया कि पितृपक्ष की शुरुआत इस साल 29 सितंबर 2023 से हो रही है. इसका समापन 14 अक्टूबर को होगा. पितृ पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होते हैं और अश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं. इसे सर्व पितृ अमावस्या कहते हैं.
Pitru Paksha 2023: श्राद्ध कर्म करने से पूर्वजों को मिलती है मुक्ति
पितृपक्ष के दौरान पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक याद करके उनका श्राद्ध कर्म किया जाता है. पितृपक्ष में पितरों को तर्पण देने और श्राद्ध कर्म करने से उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दौरान न केवल पितरों की मुक्ति के लिए श्राद्ध किया जाता है, बल्कि उनके आशीर्वाद पाने के लिए भी किया जाता है. पितरों के प्रसन्न होने पर घर पर सुख शान्ति आती है.
Pitru Paksha 2023: पितृपक्ष में श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण का विधान
पितरों को प्रसन्न करने का खास दिन आने वाला है. हिंदू पंचाग के भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष की शुरुआत होने वाली है. पितृ पक्ष का समय पितरों के लिए समर्पित होता है. इन 15 दिनों में श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण का विधान है. इस वर्ष 29 सितंबर से पितृपक्ष शुरू हो रहा है. पितृपक्ष में श्राद्ध, पिंडदान और तर्पण से पितृ प्रसन्न होते हैं और जीवन के कष्ट को दूर करते हैं.
पितृपक्ष मेला
Pitru Paksha 2023: कब होती है पितृपक्ष की शुरुआत
पितृपक्ष की शुरुआत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होती है. इसका समापन अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को होता है. लोक मान्यता है कि पितृपत्र के दौरान पितर अपने परिवारजनों से मिलने धरती लोक पर आते हैं.
Pitru Paksha 2023: पितरों को प्रसन्न करने के लिए 15 दिन खास
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 15 दिन के इस तिथि में श्राद्ध और पिंडदान से मृत व्यक्ति के आत्मा को शांति मिलती है. शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि जिस तिथि पितर की मृत्यु हुई हो पितृपक्ष के उसी तिथि में उनका पिंडदान और श्राद्ध करना चाहिए. ऐसा करने से पितरों की कृपा भी सदैव बनी रही हैं.
Pitru Paksha 2023: श्राद्ध की तिथियां
29 सितंबर - पूर्णिमा श्राद्ध
30 सितंबर - प्रतिपदा श्राद्ध , द्वितीया श्राद्ध
01 अक्टूबर - तृतीया श्राद्ध
02 अक्टूबर - चतुर्थी श्राद्ध
03 अक्टूबर - पंचमी श्राद्ध
04 अक्टूबर - षष्ठी श्राद्ध
05 अक्टूबर - सप्तमी श्राद्ध
06 अक्टूबर - अष्टमी श्राद्ध
07 अक्टूबर - नवमी श्राद्ध
08 अक्टूबर - दशमी श्राद्ध
09 अक्टूबर - एकादशी श्राद्ध
11 अक्टूबर - द्वादशी श्राद्ध
12 अक्टूबर - त्रयोदशी श्राद्ध
13 अक्टूबर - चतुर्दशी श्राद्ध
14 अक्टूबर - सर्व पितृ अमावस्या
2 दिन क्यों मनाया जाता है श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव?
4 Sep, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
श्री कृष्ण जन्माष्टमी हिन्दुओं का प्रमुख त्योहारों में से एक है। ये पर्व श्री हरि विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व दो दिन मनाया जाता है। इस बार भी 6 और 7 सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। साधु-संन्यासी, स्मार्त संप्रदाय बुधवार यानी 06 सितंबर को, जबकि वैष्णव संप्रदाय के मंदिरों में गुरुवार यानी 7 सितंबर को जन्माष्टमी मनाई जाएगी। ऐसा माना जाता है कि पहले दिन साधु-संन्यासी, स्मार्त संप्रदाय हर साल जन्माष्टमी मनाते हैं, जबकि दूसरे दिन वैष्णव संप्रदाय और बृजवासी इस त्योहार को मनाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कृष्ण जन्माष्टमी अक्सर 2 दिन क्यों मनाई जाती है? आइए जानते हैं क्यों होती है स्मार्तों और वैष्णवों की जन्माष्टमी अलग अलग दिन।
कृष्ण अष्टमी की तिथियां 2 क्यों हैं?
स्मार्त और वैष्णव संप्रदाय अलग-अलग तिथि होने पर अलग-अलग दिन जन्माष्टमी मनाते हैं। जन्माष्टमी की पहली तिथि पर स्मार्त और दूसरी तिथि को वैष्णव संप्रदाय मनाते हैं।
यह है कारण
स्मार्त इस्कॉन पर आधारित कृष्ण जन्म तिथि का पालन नहीं करते हैं। वैष्णव संस्कृति में अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के अनुसार, जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है। वहीं, स्मार्त सप्तमी तिथि के आधार पर त्योहार मनाते हैं। वैष्णव अनुयायियों के अनुसार, कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार हिंदू कैलेंडर की नवमी और अष्टमी तिथि को आता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, श्री कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद महीने में कृष्ण पक्ष के आठवें दिन मनाई जाती है। श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव देर रात को मनाया जाता है क्योंकि धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म देर रात को हुआ था।
जन्माष्टमी 2023 पूजा का शुभ मुहूर्त
भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का शुभ मुहूर्त 6 सितंबर की मध्यरात्रि 12:02 से मध्यरात्रि 12:48 तक है। इस तरह पूजा की अवधि केवल 46 मिनट की ही रहेगी। वहीं जन्माष्टमी व्रत पारण का समय 7 सिंतबर 2023 की सुबह 06:09 के बाद है।
बन रहा है अद्भुत योग
जन्माष्टमी पर रोहिणी नक्षत्र लग रहा है। श्री कृष्ण का जन्म भी रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। रोहिणी नक्षत्र 6 सितंबर 2023 की सुबह 09:20 से 7 सितंबर 2023 की सुबह 10:25 तक रहेगा।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (04 सितम्बर 2023)
4 Sep, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- धन लाभ आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, समय की अनुकूलता से लाभान्वित होंगे।
वृष राशि - अधिक चिंताग्रस्त न हों, विवादास्पद स्थितियां सामने आयेंगी, धैर्य से कार्य करें।
मिथुन राशि - अधिक चिंताग्रस्त न हों, अधिकारियों से तनाव व क्लेश तथा अशांति बनेंगी।
कर्क राशि - प्रयत्न सफल न हो भाग्य का सितारा प्रबल होगा, बिगड़े कार्य बनेंगे, ध्यान दें।
सिंह राशि - अशांति उपद्रव धन का व्यय अस्थिरता का वातावरण, कष्टप्रद बना ही रहेगा।
कन्या राशि सामाजिक कार्यो में चिंताएं कष्ट पहुँचायेंगी, सतर्कता पूर्वक रुके कार्यो को निपटा लेंवे।
तुला राशि - आपको गुप्त चिंताएं कष्ट पहुँचाएगी, सतर्कता पूर्वक रुके कार्यो को निपटा लेंवे।
वृश्चिक राशि - आशानुकूल सफलता से हर्ष कार्यगति में सुधार चिंता निवृति अवश्य होवेगी।
धनु राशि - इष्टमित्र सुख वर्धक होंगे, अधिकारियों से अशांति तनाव बने, भ्रमित न होंवे।
मकर राशि - उदारशीलता, मानसिक बैचेनी, कार्य व्यवहार में उद्विघ्नता से कार्य अवरोध होगा।
कुंभ राशि - कुटुम्ब की समस्या बनी रहेगी, प्रयत्न शीलता विफल होगी, कार्य अवश्य बनेंगे।
मीन राशि - प्रबलता प्रभुत्व वृद्धि, दैनिक समृद्धि के साधन जुटायें, कार्य योजना फलीभूत होगी।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर क्या उपाय करें कि कर्ज से मिले मुक्ति
3 Sep, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन श्री कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 7 सितंबर 2023 गुरुवार को यह त्योहार मनाया जाएगा।
यदि आप पर किसी भी प्रकार का कर्ज है तो इस दिन आप कुछ उपाय करके आर्थिक तंगी को दूर कर सकते हैं। आओ जानते हैं कर्ज मुक्ति के उपाय।
1. पहला उपाय : यदि घर में किसी भी प्रकार की आर्थिक तंगी है तो जन्माष्टमी के दिन शंख में दूध भरकर बालकृष्णजी को अर्पित करें। जिससे आपकी आर्थिक समस्या दूर हो जाएगी।
2. दूसरा उपाय : आर्थिक तंगी दूर करने के लिए जन्माष्टमी पर दिन में आप गाय और बछड़े की सुंदर सी मूर्ति लाकर उसे घर में उचित जगह पर स्थापित करें। इससे धीरे धीरे आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।
3. तीसरा उपाय : जन्माष्टमी के दिन प्रात: स्नान आदि से निवृत्त होकर किसी भी राधा-कृष्ण मंदिर में जाकर श्री कृष्ण जी को वैजयंती के फूलों की माला अर्पण करें। वैजयंती के फूल नहीं मिले तो पीले फूलों की माला अर्पण करें। इससे आर्थिक संकट दूर होगा।
4. चौथा उपाय : यदि आप कर्ज के तले दबे हुए हैं तो जन्माष्टमी के दिन शाम को ओम नमः वासुदेवाय मंत्र का जाप करते हुए 11 बार तुलसी जी परिक्रमा करें। इससे आपको कर्ज से मु्क्ति मिल जाएगी।
5. पांचवां उपाय : जन्माष्टमी के दिन बालकृष्ण को मेवा मिश्रित साबुतदाने अथवा चावल की खीर बनाकर उसका भोग लगाएं उसमें चीनी की जगह मिश्री डालें इसके साथ ही सफेद मिठाई भी अर्पित करें। इससे श्रीकृष्णजी का आशीर्वाद प्राप्त होगा और ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी।
भादो बहुला गणेश चतुर्थी 2023 पर क्या करते हैं किसकी होती है पूजा?
3 Sep, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भाद्रपद यानी भादो माह कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को बहुला चौथ भी कहते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार यह चतुर्थी 3 सितंबर 2023 रविवार को रहेगी। वैसे तो चतुर्थी का दिन गणपति जी को समर्पित है और इस चतुर्थी को हेरम्ब संकष्टी और महा स्कंद हर चतुर्थी भी कहते हैं परंतु इस दिन गणेशजी के साथ ही अन्य देव की पूजा भी होती है।
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ- 02 सितम्बर 2023 को रात्रि 08:49 बजे से।
चतुर्थी तिथि समाप्त- 03 सितम्बर 2023 को शाम 06:24 बजे तक।
किसकी होती है पूजा : संकष्टी चतुर्थी व्रत वैसे तो श्री गणपति जी को समर्पित है परंतु बहुला चौथ व्रत में श्रीकृष्ण और बहुला गाय की पूजा की जाती है।
गणपति की पूजा का मुहूर्त- सुबह 07.35 से 10.45 तक।
शाम का मुहूर्त- शाम 06.41 से रात 09.31 तक।
बहुला चौथ की पूजा- शाम 06.28 से 06.54 तक।
चंद्रोदय समय- रात 08:57 बजे।
बहुला गाय की कथा : हिन्दू शास्त्रों के अनुसार भगवान श्री कृष्ण को बहुला नाम की गाय से बहुत प्रेम था। एक बार श्री कृष्ण जी की लीलाओं को देखने के लिए कामधेनु गाय ने बहुला के रूप में नन्द की गोशाला में प्रवेश किया। श्री कृष्ण ने जब इस गाय को देखा तो उन्हें यह बहुत पसंद आई। वे हमेशा अपना समय इसी गाय के साथ बिताते थे। बहुला गाय का एक बछड़ा भी था। जब बहुला चरने के लिए जाती तब वो उसको बहुत याद करता था।
एक बार जब बहुला चरने के लिए जंगल गई, चरते चरते वो बहुत आगे निकल गई और एक शेर के पास जा पहुंची। शेर उसे देख प्रसन्न हो गया और शिकार करने के लिए आगे बढ़ा। यह देखकर बहुला डर गई और उसे अपने बछड़े की चिंता होने लगी। जैसे ही शेर उसकी ओर आगे बढ़ा, बहुला ने उससे कहा कि वो उसे अभी न खाए, घर में उसका बछड़ा भूखा है, उसे दूध पिलाकर वो वापस आ जाएगी, तब वो उसे खा सकता है।
शेर ने कहा कि मैं कैसे तुम्हारी इस बात पर विश्वास कर लं कि तुम वापस आ जाओगी? तब बहुला ने उसे विश्वास दिलाया और कसम खाई कि वो जरूर आएगी। शेर ने बहुला की बातों पर विश्वास कर उसे जाने दिया। बहुला वापस गौशाला जाकर बछड़े को दूध पिलाती है और बहुत प्यार कर, उसे वहां छोड़कर पुन: जंगल में शेर के पास आ जाती है। शेर उसे देख हैरान हो जाता है।
लेकिन असल में वह शेर शेर नहीं श्रीकृष्ण ही थे जो शेर का रूप धारण करके बहुला की परीक्षा लेने आते हैं। शेर बने श्री कृष्ण अपने वास्तविक रूप में आ जाते हैं और बहुला को आशीर्वाद देकर कहते हैं कि मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हुआ, तुम परीक्षा में सफल रही। समस्त मानव जाति द्वारा सावन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन व्रत रखकर जो भी तुम्हारी पूजा अर्चना करेगा उसकी संतान की रक्षा होगी और वह सुख, समृद्धि, धन, ऐश्वर्या व संतान की प्राप्ति करेगा।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (03 सितम्बर 2023)
3 Sep, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- सुख समृद्धि के योग बनेंगे, स्त्री वर्ग से हर्ष उल्लास, समृद्धि के योग फलप्रद रहेंगे।
वृष राशि - कुछ लोगों द्वारा की गई उपेक्षा से भावुक होंगे, रुके हुए कार्य बनेंगे, संतोष होगा।
मिथुन राशि - दैनिक कार्य की चिंताएं बनी रहेंगी, व्यावसायिक क्षमता अनुकूल होगी ध्यान रखें।
कर्क राशि - संघर्ष एवं सफलता जुटा सकते हैं। बिगड़ें कार्य बनेंगे, सतर्कता से कार्य करें।
सिंह राशि - स्त्री शरी कष्ट, मानसिक बैचेनी, स्वभाव में क्रोध व तनाव बना रहेगा, ध्यान दें।
कन्या राशि शांति और धैर्य से कार्य करें, अनावश्यक विरोधी तत्व परेशान करेंगे ।
तुला राशि - समय अनुकूल नहीं है, परिश्रम विफल होगा, विरोधी तत्व परेशान करेंगे ।
वृश्चिक राशि - योजनाएं फलीभूत होंगे, अनावश्यक सफलता का हर्ष होगा, कार्य में अवरोध होगा।
धनु राशि - कार्य अनुकूल पर फलप्रद नहीं, किंतु अधिकारियों का वांक्षनीय सहयोग प्राप्त होगा।
मकर राशि - कुटुम्ब की समस्याएं मन उद्विघ्न रखें, लेनदेन में हानि होवेगी, समय का ध्यान रखें।
कुंभ राशि - कुछ आशाओं से धैर्य बना ही रहेगा, प्रयत्न शीलता विफल होगी, कार्य बनेंगे।
मीन राशि - सोची योजना लाभप्रद होगी, समृद्धि के साधन जुटायें, कार्य योजना फलीभूत होगी।
कुंवारी लड़कियां ऐसे करें कजरी तीज व्रत
2 Sep, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर कजरी तीज का व्रत पूजन किया जाता हैं जो कि शिव पार्वती की आराधना को समर्पित होता हैं।
साल में पड़ने वाली सभी तीजों में कजरी तीज सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना गया हैं जो कि इस बार 2 सितंबर दिन शनिवार यानी कल मनाया जाएगा।
इस व्रत को शादीशुदा महिलाओं के साथ साथ कुंवारी कन्याएं भी कर सकती हैं लेकिन उनकी व्रत पूजा की विधि कुछ अगल होती हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा बता रहे हैं कि कुंवारी लड़कियां कजरी तीज व्रत पूजन कैसे करें, तो आइए जानते हैं।
कुंवारी कन्याएं ऐसे रखें कजरी तीज व्रत-
कुंवारी कन्याएं अगर कजरी तीज का व्रत करना चाहती हैं तो इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण कर निर्जला व्रत रखने का संकल्प करें। अब पूजन स्थल पर शिव पार्वती की पूजा करें और भगवान शंकर का जलाभिषेक करें। तीज पर माता पार्वती के रूप में नीम के पेड़ की पूजा की जाती हैं ऐसे में नीमड़ी माता को जल अर्पित कर रोली और चावल लगाकर पूजा करें।
कुंवारी कन्याएं सुहागिनों की तरह सोलह श्रृंगार करके शिव पार्वती की पूजा ना करें बल्कि बिना कोई श्रृंगार के पूजा करें। पूजन में शिव पार्वती के सामने घी का दीपक जलाएं। इसके बाद धूप, अगरबत्ती, धतूरा, पुष्प और प्रसाद अर्पित कर माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं। अब शिव के मंत्रों का जाप कर शिव पुराण का पाठ करें। इसके बाद विधि विधान से पूजा कर शिव का ध्यान करें। निर्जला व्रत कर रहे व्रती चांद निकलने के बाद ही अपना व्रत खोले।
अनेक समस्याओं से छुटकारा दिलाएगा चुटकी भर नमक
2 Sep, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर घर की रसोई में नमक का इस्तेमाल रोजाना के भोजन में किया जाता है और ये बड़ी आसानी से मिल भी जाता हैं। सेहत के लिहाज से नमक जितना उपयोगी माना जाता हैं उतना ही महत्वपूर्ण वास्तु और ज्योतिष में भी बताया गया हैं।
ज्योतिष शास्त्र में नमक के कई ऐसे अचूक और असरदार टोटके बताए गए हैं जिन्हें करने से अनेक समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता हैं तो आज हम आपको नमक के अचूक उपाय बता रहे हैं जो आपकी हर समस्या को दूर कर देंगे, तो आइए जानते हैं नमक का उपाय।
नमक के आसान उपाय-
अगर लाख कोशिशों के बाद भी आर्थिक संकट से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है तो ऐसे में कांच के गिलास में पानी रखकर उसमें नमक मिलाकर घर की दक्षिण पश्चिम दिशा में रख दें। साथ ही इस गिलास के पीछे लाल रंग का बल्ब लगाएं। हर 15 दिन पर इस गिलास के पानी को बदलते रहें। ऐसा करने से धन से जुड़ी परेशानियों से छुटकारा मिल जाएगा। इसके अलावा तंत्र मंत्र और दरिद्रता को दूर करने के लिए भी नमक का टोटका असरदार माना गया हैं ऐसे में कांच की प्याली में नमक के साथ चार पांच लौग डालकर रख दें। ऐसा करने से लक्ष्मी की कृपा घर में बनी रहती हैं और धन बरकत होने लगता है। वही नजर दोष से बचाने के लिए हफ्ते में एक बार नमक के पानी से स्नान जरूर करें।
अगर आपके घर में आए दिन किसी न किसी बात को लेकर वाद विवाद व झगड़ा होता रहता हैं तो ऐसे में आप कांच की कटोरी में सेंधा नमक डालकर रोज अपने बिस्तर के नीचे रख लें। ऐसा करने से घर की स्थिति सुधर जाएगी। साथ ही साथ परिवार में एकता बनी रहेगी। साबुत सेंधा नमक का एक टुकड़ा घर के कमरों में रखने से सदस्यों के बीच प्रेम बना रहता हैं और झगड़े समाप्त हो जाते हैं।