धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
पितृदोष से मुक्ति के लिए इन 3 तिथियों पर करें श्राद्ध, पितृ जरूर होंगे प्रसन्न
27 Sep, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद माह की पूर्णिमा से पितृपक्ष शुरू होता हैं और इसका समापन अश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन हो जाता है।
पितृ पक्ष जिसे श्राद्ध या श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है, एक 16 दिवसीय हिंदू अनुष्ठान है। यह अनुष्ठान अपने पूर्वजों को सम्मान देने और उनको स्मरण करने के लिए किया जाता है। यह मृतक की आत्माओं की शांति और उनको मोक्ष की प्राप्ति कराने के लिए बड़ी श्रद्धा के साथ किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार यह अनुष्ठान परिवार के सबसे बड़े बेटे द्वारा किया जाता है और इसमें विभिन्न रीति-रिवाज शामिल होते हैं। साल 2023 में पितृ पक्ष 29 सितंबर से आरंभ होने जा रहा है और 14 अक्टूबर को समाप्त होगा। श्राद्ध पक्ष की सभी तिथियां वैसे तो स्वयं में ख़ास हैं लेकिन श्राद्ध पक्ष में तीन खास तिथियों का महत्व काफी ज्यादा माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार पितरों को प्रसन्न करने के लिए और पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए इस बारश्राद्ध पक्ष की ये तिथियां काफी महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। आइए जानते हैं इन तिथियों के बारे में।
भरणी श्राद्ध तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार 2 अक्तूबर 2023 को चतुर्थी श्राद्ध के साथ भरणी श्राद्ध किया जाएगा। इस दिन भरणी नक्षत्र शाम 06:24 बजे तक रहेगा। मान्यता है कि मृत्यु के 1 साल बाद भरणी श्राद्ध करना चाहिए। जिनकी मृत्यु विवाह होने के पहले ही हो जाती है उनका श्राद्ध पंचमी तिथि पर किया जाता है और अगर पंचमी तिथि पर भरणी नक्षत्र होता है तो यह बेहद खास होता है।
नवमी श्राद्ध तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार इस बार 7 अक्तूबर को नवमी श्राद्ध किया जाएगा। नवमी श्राद्ध को मातृ श्राद्ध या मातृ नवमी के नाम से भी जाना जाता है। मातृ नवमी पर घर की माता,दादी,नानी का श्राद्ध किया जाता है। मातृ नवमी के दिन माता पितरों का तर्पण,श्राद्ध या पिंडदान करने से वे प्रसन्न होती हैं।
सर्व पितृ अमावस्या
सर्व पितृ अमावस्या 14 अक्तूबर को पड़ रही है और इसी दिन सूर्य ग्रहण भी पड़ रहा है। इस तिथि पर उन पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी तिथि के बारे में जानकारी नहीं होती है यानि सर्व पितृ अमावस्या के दिन सभी तरह के ज्ञात और अज्ञात पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान किया जाता है।
श्राद्ध की तिथियां
पूर्णिमा श्राद्ध- 29 सितंबर 2023,शुक्रवार
द्वितीया श्राद्ध- 30 सितंबर 2023, शनिवार
तृतीया श्राद्ध- 01 अक्टूबर 2023, रविवार
चतुर्थी श्राद्ध- 02 अक्टूबर 2023, सोमवार
पंचमी श्राद्ध- 03 अक्टूबर 2023, मंगलवार
षष्ठी श्राद्ध- 04 अक्टूबर 2023, बुधवार
सप्तमी श्राद्ध- 05 अक्टूबर 2023,गुरुवार
अष्टमी श्राद्ध- 06 अक्टूबर 2023, शुक्रवार
नवमी श्राद्ध- 07 अक्टूबर 2023 ,शनिवार
दशमी श्राद्ध- 08 अक्टूबर 2023 , रविवार
एकादशी श्राद्ध- 09 अक्टूबर 2023, सोमवार
द्वादशी श्राद्ध- 11 अक्टूबर 2023 ,बुधवार
त्रयोदशी श्राद्ध- 12 अक्टूबर 2023 , गुरुवार
चतुर्दशी श्राद्ध- 13 अक्टूबर 2023, शुक्रवार
सर्व पितृ अमावस्या- 14 अक्टूबर 2023, शनिवार
अनंत चतुर्दशी के दिन भूलकर भी न खाएं ये चीज, पड़ता है नकारात्मक प्रभाव
27 Sep, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अनंत चतुर्दशी की खास धार्मिक मान्यता होती है। इस दिन भक्त प्रभु श्री विष्णु (Lord Vishnu) के लिए व्रत रखकर पूजा करते हैं। हिंदू पंचांग के मुताबिक, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर अनंत चतुर्दशी का व्रत रखा जाता है।
अनंत चतुर्दशी को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने पर श्रद्धालुओं के जीवन से आर्थिक, मानसिक और शारीरिक कष्ट दूर हो जाते हैं। इसके अलावा मुक्ति पाने के लिए भी इस व्रत को रखा जा सकता है।
भक्त आशा करते हैं कि प्रभु श्री विष्णु उनके जीवन को सुखमय बना देंगे। इस वर्ष पंचांग के मुताबिक, चतुर्दशी तिथि 28 सितंबर के दिन पड़ रही है तथा इसका समापन 28 सितंबर की ही शाम 6 बजकर 49 मिनट पर हो जाएगा। अनंत चतुर्दशी पर पूजा (Anant Chaturdashi Puja) का प्रातः मुहूर्त 28 सितंबर के दिन प्रातः 6 बजकर 12 मिनट से शाम 6 बजकर 49 मिनट तक कहा जा रहा है। वही अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणपति विसर्जन किया जाता है। इसके साथ ही कुछ खाना वर्जित रहता है।
इस दिन ना खाएं नमक:
अनंत चतुर्दशी का दिन बहुत शुभ माना जाता है क्योकि इस दिन प्रभु श्री गणेश का विसर्जन किया जाता है। किन्तु इस दिन नमक वर्जित रहता है, जो लोग व्रत रखते है वो तो नमक नहीं ही खाएंगे, किन्तु जो व्रत नहीं करने वाले भी नमक का सेवन बिल्कुल नहीं करे। इससे पूरे परिवार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (27 सितम्बर 2023)
27 Sep, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - स्वजनों व मित्रों से वाद-विवाद की संभावना, कार्यक्षेत्र में अड़चने आयेंगी, वार्तालाप में सावधानी अवश्य रखें।
वृष राशि - उच्च पद की प्राप्ति होगी, अनेक सुखों का भोग तथा उच्च वर्ग का सानिध्य प्राप्त होगा, धन लाभ होगा।
मिथुन राशि - अनेक तरह की समस्याओं से मानसिक एवं व्यवसायिक रुकावटें बनेंगी, धैर्य एवं सावधानी से कार्य करें।
कर्क राशि - नवीन कार्य में सफलता तथा शारीरिक कष्टों से छुटकारा मिलेगा, परिश्रम से कार्य में लाभ होगा।
सिंह राशि - सतसंग एवं स्वाध्याय से लाभ होगा, विभागीय कार्य सावधानी से करें, स्वास्थ्य का ध्यान अवश्य रखें।
कन्या राशि - कार्य-व्यवासय में अर्थ लाभ होगा, स्वास्थ्य पर ध्यान दें, विभागीय कार्यों में सावधानी रखें।
तुला राशि - धन प्राप्ति के योग हैं, भाग्य आपका साथ देगा, स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
वृश्चिक राशि - दुष्टों की संगति से कार्य बिगड़ सकता है, शत्रुओं से सतर्क रहें, अपने कार्य पर ध्यान दें।
धनु राशि - व्यवसायिक सहयोग मिलेगा, बच्चों से सुख-शांति रहेगी, परिस्थिति अनुसार निर्णय कर आगे बढ़ें।
मकर राशि - कार्यक्षेत्र का विस्तार होगा, पारिवार में सुख-समृद्धि अवश्य होगी, समय का ध्यान अवश्य रखें।
कुंभ राशि - न्यायालीन कार्यों में सफलता अवश्य ही प्राप्त होगी, परिश्रम से कार्यों में सफलता मिलेगी, धन लाभ होगा।
मीन राशि - कार्य-व्यवसाय में अर्थलाभ होगा, विभागीय कार्यों पर ध्यान दें, आलस्य से बचें, परिश्रम से लाभ होगा।
इस साल कब है शरद पूर्णिमा, जानें तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और खीर का महत्व
26 Sep, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में सभी पूर्णिमा और अमावस्या को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है लेकिन इनमें से कुछ अमावस्या और पूर्णिमा तिथियां विशेष होती हैं। आश्विन मास की पूर्णिमा को विशेष दर्जा दिया जाता है, इस दिन शरद पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है।
इसे कोजागरी पूर्णिमा, रास पूर्णिमा या कौमुदी व्रत भी कहा जाता है। शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा पृथ्वी के बहुत करीब होता है और माना जाता है कि इस रात चंद्रमा की किरणें अमृत बरसाती हैं। इसलिए शरद पूर्णिमा की रात को खीर को चांदनी में रखा जाता है, फिर प्रसाद के रूप में खाया जाता है। इससे अच्छा स्वास्थ्य और समृद्धि मिलती है। इसके अलावा धार्मिक ग्रंथों में यह भी उल्लेख है कि शरद पूर्णिमा की रात देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं इसलिए इस दिन उन्हें प्रसन्न करना आसान होता है। शरद पूर्णिमा की रात को विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा करने से घर में हमेशा धन-संपदा बनी रहती है।
2023 शरद पूर्णिमा कब है?
पंचांग के अनुसार इस वर्ष आश्विन मास की पूर्णिमा 28 अक्टूबर, शनिवार को प्रातः 04:17 बजे प्रारंभ होकर अगले दिन, रविवार, 29 अक्टूबर को प्रातः 01:53 बजे समाप्त होगी। शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर, उदया तिथि और पूर्णिमा के चंद्रोदय के समय मनाई जाएगी। वर्ष 2023 में शरद पूर्णिमा पर चंद्रोदय का समय शाम 05:20 बजे है।
शरद पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करने का शुभ समय 28 अक्टूबर को रात 08:52 से 10:29 बजे तक है। जबकि अमृत रात का मुहूर्त रात 10.29 से 12.05 बजे तक है.
शरद पूर्णिमा के दिन करें ये काम
शरद पूर्णिमा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदी में स्नान करें। आप घर पर भी पवित्र नदी के जल में मिश्रित जल से स्नान कर सकते हैं।
शरद पूर्णिमा के दिन शुभ मुहूर्त में विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा करें। अंत में आरती करें. साथ ही रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें। इससे कुंडली में चंद्रमा मजबूत होगा और मां लक्ष्मी की कृपा से अपार धन की प्राप्ति होगी।
शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में चावल और गाय के दूध से बनी खीर रखें। इस खीर को आधी रात के समय देवी लक्ष्मी को अर्पित करें और फिर परिवार के सभी सदस्य इस खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सुनहरा मौका है भाद्रपद पूर्णिमा
26 Sep, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को बेहद ही खास माना जाता है जो कि हर माह में एक बार पड़ती है अभी भाद्रपद मास चल रहा है और इस माह की पूर्णिमा का अपना महत्व होता है क्योंकि इसी दिन से श्राद्ध पक्ष का आरंभ होने जा रहा हैं यही कारण है कि इस पूर्णिमा का विशेष माना गया है।
इस साल भाद्रपद मास की पूर्णिमा 29 सितंबर दिन शुक्रवार से आरंभ हो रही है जो कि धन की देवी माता लक्ष्मी और श्री विष्णु को समर्पित है इस दौरान लक्ष्मी संग विष्णु आराधना उत्तम फल प्रदान करती है और कल्याणकारी मानी जाती है तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा भाद्रपद मास की पूर्णिमा से जुड़ी जानकारी प्रदान कर रहे हैं।
भाद्रपद मास की पूर्णिमा का मुहूर्त-
धार्मिक पंचांग के अनुसार भाद्रपद मास की पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 28 सितंबर से आरंभ हो रहा है जो कि शाम को 6 बजकर 50 मिनट से लेकर अगले दिन यानी 29 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 28 मिनट तक रहने वाला है। इस दिन पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र रहने वाला है। आपको बता दें कि इसी दिन गणेश चतुर्थी का आखिरी दिन यानी अनंत चतुर्दशी भी है। इसलिए इस दिन व्रत रखने वाले लोग उपवास तो कर सकते हैं लेकिन दान पुण्य के कार्य के लिए 29 सितंबर ही शुभ रहने वाला है।
भाद्रपद मास की पूर्णिमा पर पितरों के निमित्त श्राद्ध तर्पण और पिंडदान करने से पितृदोष से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है इसके अलावा माता लक्ष्मी और श्री हरि की पूजा करने से सभी पापों और कष्टों से छुटकारा मिलता है।
पितृ पक्ष में क्यों किया जाता है श्राद्ध और पिंडदान
26 Sep, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू समाज में पूर्वजों की याद में पितृ पक्ष या श्राद्ध मनाया जाता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि 29 सितंबर से शुरू हो रही है। और यह 14 अक्टूबर कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि तक जारी रहेगा जिसे सर्व पितृ अमावस्या भी कहा जाता है।
हालाँकि मूल पक्ष सितंबर के महीने में समाप्त हो जाता है, लेकिन इस वर्ष यह अक्टूबर के महीने में समाप्त हो जाएगा। पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष पितृपक्ष में 15 दिन की देरी हुई है क्योंकि शवान लीप मास के कारण दो महीने का था।
पिता पक्ष का महत्व
पितृपक्ष के दौरान अपने पितरों का तर्पण करना जरूरी होता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, हमारी पिछली तीन पीढ़ियों की आत्माएं स्वर्ग और पृथ्वी के बीच स्थित 'पितृ लोक' में रहती हैं। पितृलोक में केवल पिछली तीन पीढ़ियों का ही श्राद्ध किया जाता है। इस दौरान पितरों का तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर अपने वंशजों को सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं। ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष के दौरान श्राद्ध न करने से पितृ दोष लगता है।
श्राद्ध विधि
शास्त्रों में श्राद्ध के लिए गया शहर का विशेष महत्व है। इस दौरान पितरों को प्रसन्न करने के लिए पिंडदान और ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है। गया जैसे पवित्र स्थान पर यह अधिक स्पष्टता से किया जाता है। हालाँकि, घर पर भी श्राद्ध करने का विधान है, इसके लिए सूर्योदय से पहले स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद श्राद्ध करें और फिर दान करें। इस दिन गाय, कौवे, कुत्ते और चींटियों को भी भोजन खिलाना चाहिए क्योंकि शास्त्रों के अनुसार ऐसा करने से शुभ फल मिलते हैं। पितृ पक्ष न केवल हमारे पूर्वजों की स्मृति को जीवित रखने का समय है, बल्कि यह हमें अपने धार्मिक कर्तव्यों को पूरा करने का अवसर भी प्रदान करता है।
इस विधि से करें सूर्य साधना, उत्त्तम स्वास्थ्य का मिलेगा आशीर्वाद
26 Sep, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में सप्ताह का हर दिन किसी न किसी देवी देवता की पूजा को समर्पित होता हैं वही सूर्य साधना आराधना के लिए वैसे तो हर दिन शुभ होता है लेकिन रविवार का दिन सूर्य पूजा को समर्पित किया गया हैं इस दौरान भक्त सूर्य देव की कृपा पाने के लिए उनकी विधिवत पूजा करते हैं और व्रत आदि भी रखते हैं।
माना जाता है कि ऐसा करने से प्रभु का आशीर्वाद मिलता है लेकिन आज हम आपको सूर्य पूजा की संपूर्ण विधि के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं इस विधि से अगर भगवान सूर्यदेव की पूजा की जाए तो साधक को उत्तम स्वास्थ्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है तो आइए जानते हैं।
सूर्य साधना की विधि-
अगर आप भगवान श्री सूर्यदेव का आशीर्वाद पाना चाहते हैं तो ऐसे में रविवार के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें इसके बाद साफ वस्त्रों को धारण कर श्री आदित्यह्रदय स्तोत्र का सच्चे मन से पाठ करें इसके अलावा ब्रह्म मुहूर्त में सूर्यदेव की पूजा करें। ऐसा करने से साधक को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिल जाती है।
रोजाना भी सूर्यदेव की पूजा करना फलदायी होता हैं ऐसे में आप रोज सुबह उठकर स्नान आदि के बाद जल में रोली, गुड़ और लाल पुष्प मिलाकर सूर्यदेव को जल चढ़ाएं। इसके साथ ही रविवार के दिन गाय की सेवा भी विशेष मानी गई हैं इससे जातक को धार्मिक और आर्थिक लाभ की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि रोजाना सूर्य की पूजा करने और भगवान को जल अर्पित करने से कुंडली का सूर्य मजबूत होकर शुभ फल प्रदान करता है साथ ही जीवन में सुख समृद्धि, धन, उन्नति और मान सम्मान में वृद्धि होती है।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (26 सितम्बर 2023)
26 Sep, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - अच्छे कार्य का लाभ प्राप्त होगा, जमीन-जायजाद से लाभ होगा, रुके कार्य परिश्रम से बनेंगे।
वृष राशि - आर्थिक स्थिति साधारण रहेगी, आकस्मिक हानि तथा खेद के साथ रहना पड़ेगा, तनाव से बचें।
मिथुन राशि - पारिवारिक सुखमय आनंद की प्राप्ति होगी, धार्मिक पुण्य कार्यों में प्रवृत रहेंगे, शुभ कार्य होंगे।
कर्क राशि - देश में सम्मान बढ़ेगा, इच्छित कार्य की प्राप्ति होगी, राजनेता तथा संतान योग बनेंगे, समय का लाभ लें।
सिंह राशि - मानसिक कष्ट होगा, शत्रु आपके कार्य में बाधा डालेंगे, आलस्य-प्रमाद की स्थिति बनेगी, कार्य पर ध्यान दें।
कन्या राशि - शारीरिक कष्टों से छुटकारा मिलेगा, पद-प्रतिष्ठा का लाभ मिलेगा किन्तु मानसिक अवरोध होगा।
तुला राशि - परीक्षा-प्रतियोगिता के लिये दूर की यात्रा होगी, कार्य सफलता पूर्वक होंगे, रुके कार्य ध्यान देने से बनेंगे।
वृश्चिक राशि - यश-प्रतिष्ठा में सुधार होगा, व्यक्तिव में निखार आयेगा तथा उद्योग-धंधा बढ़ेगा, परिश्रम से लाभ होगा।
धनु राशि - समस्याओं का समाधान होगा, आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, उच्च पद-प्रतिष्ठा बढ़ेगी ध्यान अवश्य दें।
मकर राशि - मानसिक कष्ट से हानि होगी, परिवार में अनबन होगी, कार्य में धन खर्च अधिक होगा, सावधानी रहें।
कुंभ राशि - पत्नी से संबंध ठीक नहीं रहेंगे, धंधे में अनबन व परेशानी का सामना करना पड़ेगा, कार्य का चिन्तन होगा।
मीन राशि - स्थिति में सुधार तथा स्वास्थ्य की खराबी होगी तथा धन व्यय अधिक होगा, धन व्यय पर नियंत्रण रखें।
शारदीय नवरात्रि : मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा से मिलेंगे ये लाभ
25 Sep, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म के पंचांग के अनुसार हर साल चार नवरात्रि व्रत रखे जाते हैं। जिसमें चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि आती हैं जबकि दो गुप्त नवरात्रि आती हैं। मान्यता है कि चैत्र और शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा के नौ रूपों की विधि-विधान से पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा पृथ्वी पर निवास करती हैं, इसलिए हर नवरात्रि मां दुर्गा किसी न किसी वाहन पर सवार होकर पृथ्वी पर आती हैं। इस साल शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी. हाथी को समृद्धि और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है, ऐसे में मां दुर्गा अपने साथ सुख और समृद्धि लेकर आएंगी। 24 अक्टूबर, 2023 को दसवें दिन, वह मुर्गे की सवारी करेंगे, एक वाहन जो दुःख और पीड़ा का संकेत देता है।
उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले के वरिष्ठ पुजारी पंडित शंभू नाथ चौबे ने न्यूज 18 लोकल से बात करते हुए कहा कि पंचांग के अनुसार इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर 2023 सोमवार से शुरू होगी, जबकि इसका समापन मंगलवार को होगा. 24 अक्टूबर 2023. इस साल शारदीय नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी, यह एक शुभ संकेत है. और वापस मुर्गे पर सवार हो जायेंगे. मुर्गे पर सवारी करना अच्छा संकेत नहीं है।
उन्होंने बताया कि शारदीय नवरात्रि के पहले दिन सुबह 11:44 बजे से 12:30 बजे तक ब्रह्म मुहूर्त और अभिजीत मुहूर्त में कलश स्थापना करना अत्यंत लाभकारी रहेगा। 24 अक्टूबर 2023 को शाम 06:27 बजे के बाद किया जाएगा.
शारदीय नवरात्र 15 से 24 अक्टूबर 2023 तक रहेंगे
माता शैलपुत्री: 15 अक्टूबर 2023
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा: 16 अक्टूबर 2023
मां चंद्रघंटा की पूजा: 17 अक्टूबर 2023
मां कूष्मांडा की पूजा: 18 अक्टूबर 2023
मां स्कंदमाता पूजा: 19 अक्टूबर 2023
मां कात्यायनी की पूजा: 20 अक्टूबर 2023
मां कालरात्रि पूजा: 21 अक्टूबर 2023
मां सिद्धिदात्री की पूजा: 22 अक्टूबर 2023
मां महागौरी की पूजा: 23 अक्टूबर 2023
विजयादशमी- 24 अक्टूबर 2023
अयोध्या: दंड, छत्र व पादुका लेकर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में नहीं जा पाएंगे संत
25 Sep, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
त्रिगुण नारायण तिवारी, अयोध्या: रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 20 से 24 जनवरी के बीच होगी। हालांकि प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान 16 जनवरी से ही शुरू हो जाएगा। प्राण प्रतिष्ठा समारोह में राम जन्म भूमि परिसर में करीब 7000 अतिथि मौजूद रहेंगे।
सभी अतिथियों को सुरक्षा मानकों का पालन करने के बाद ही परिसर में प्रवेश मिल पाएगा। साधु-संत दंड, छत्र, चंवर व पादुका लेकर परिसर में प्रवेश नहीं कर पाएंगे।
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि राम जन्मभूमि के 70 एकड़ के परिसर में प्रवेश करने वाले अतिथियों की सूची तैयार की जा रही है।
समारोह में देश के सभी जिला, प्रदेश से लोग आएंगे। पद्म पुरस्कारों से नवाजे गए लोगों को भी आमंत्रित किया जाएगा। कुछ राजदूत भी आ सकते हैं। समारोह में प्रधानमंत्री सहित अन्य कई वीआईपी हस्तियां मौजूद रहेगी इसलिए सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम होंगे।
राम जन्मभूमि परिसर में प्रवेश करने वाले सभी अतिथियों को सुरक्षा मानकों का पालन करने के बाद ही प्रवेश दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि एक-दो किलोमीटर अतिथियों को पैदल भी चलना पड़ सकता है। ऐसे में स्वास्थ्य व परिस्थितियों का ध्यान रखते हुए ही अतिथि अयोध्या आए।
राम जन्मभूमि परिसर में अतिथियों को तीन से चार घंटे तक बैठना भी पड़ सकता है। प्रधानमंत्री के जाने के बाद ही सभी अतिथियों को रामलला का दर्शन कराया जा सकेगा।
उन्होंने वृद्ध साधु-संतों से प्राण प्रतिष्ठा समारोह में आने के बजाय फरवरी में आने की अपील की ताकि उनका यथोचित सम्मान हो सके।
चंपत राय ने कहा कि राम जन्मभूमि परिसर में दंड, छत्र व पादुका ले जाने पर रोक रहेगी। परिसर की सुरक्षा एसपीजी के हवाले होगी उसमें किसी का हस्तक्षेप नहीं होता है। ऐसे में साधु संतों से अपील की जा रही है कि वह सुरक्षा मानकों का ध्यान में रखकर ही समारोह में शामिल हों।
अनंत चतुर्दशी के दिन करें ये उपाय, जीवन की सभी समस्याएं होंगी दूर
25 Sep, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर साल भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर अनंत चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व इस साल 28 सितंबर को है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा की जाती है।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है। इसलिए इस दिन अनंत मनोकामना की पूर्ति के लिए व्रत रखा जाता है। भगवान श्री हरि विष्णु अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने वाले उपासक के दुखों को दूर करते हैं और उसके घर में संपन्नता लाकर उसकी विपन्नता को समाप्त कर देते हैं। ऐसे में भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए इस दिन कुछ उपाय करने करने चाहिए। मान्यताओं के अनुसार अनंत चतुर्दशी के दिन उपाय करने से आपको लाभ मिल सकता है। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में...
अनंत चतुर्दशी के उपाय
यदि आप मुसीबतों से छुटकारा पाना चाहते हैं, तो अनंत चतुर्दशी के दिन 14 लौंग लगा हुआ लड्डू सत्यनारायण भगवान को चढ़ाएं। पूजा के बाद इसे किसी चौराहे पर रख दें। ऐसा करने से मुसीबतें आपसे दूर रहेंगी।
अनंत चतुर्दशी के दिन कलाई पर चौदह गांठ युक्त रेशमी धागा जरूर बांधें। इस धागे को अनंतसूत्र कहा जाता है। मान्यता है कि विधिवत पूजा करके कलाई पर धागा बांधने से आत्मविश्वास में वृद्धि और सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
अनंत चतुर्दशी के दिन सत्यनारायण भगवान की पूजा करें। साथ ही कलश पर 14 जायफल रखें। पूजा समाप्त होने के बाद इन जायफल को बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। ऐसा करने से पुराना से पुराना विवाद भी खत्म हो जाता है।
यदि आप या आपके परिवार का कोई सदस्य किसी पुरानी बीमारी से ग्रसित है, तो अनंत चतुर्दशी के दिन अनार उसके सिर से वार कर भगवान सत्यनारायण के कलश पर चढ़ाएं और फिर इसे किसी गाय को खिला दें। ऐसा करने से पुराना से पुराना रोग जल्दी ही ठीक होगा।
इस शिव मंदिर का इतिहास त्रेता युग से है जुड़ा, मधुमक्खियों ने भी दिया था अपना खास योगदान
25 Sep, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस लेख में, हम त्रेता युग के एक शिव मंदिर के आकर्षक इतिहास के बारे में जानेंगे, जहाँ मधुमक्खियों ने ब्रिटिश शासन के दौरान भी पवित्र शिवलिंग की रक्षा करने में वीरतापूर्ण भूमिका निभाई थी।
त्रेता युग: किंवदंतियों का समय
त्रेता युग, हिंदू ब्रह्मांड विज्ञान के चार युगों में से एक, दैवीय हस्तक्षेप और पौराणिक कहानियों का समय था। इसी युग में हमारी कहानी सामने आती है।
शिव मंदिरों का महत्व
हिंदू धर्म में शिव मंदिरों का हमेशा से ही एक विशेष स्थान रहा है। वे दिव्य ऊर्जा और आध्यात्मिक जागृति के स्थान के रूप में पूजनीय हैं।
शिव मंदिर की रहस्यमयी उत्पत्ति
मंदिर की उत्पत्ति रहस्य में डूबी हुई है, ऐसी किंवदंतियाँ हैं जो इसे एक मनोरम ऐतिहासिक स्थल बनाती हैं।
रहस्यमय शिवलिंग
इस मंदिर के केंद्र में शिवलिंग है, जो भगवान शिव की दिव्य उपस्थिति का प्रतीक है।
मधुमक्खियों का वीरतापूर्ण कार्य
मंदिर के इतिहास में एक आश्चर्यजनक मोड़ आता है जब हमें पवित्र शिवलिंग की रक्षा में मधुमक्खियों के साहसी कार्य के बारे में पता चलता है।
उपनिवेशवाद के विरुद्ध प्रकृति की लड़ाई
ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के युग में, मंदिर को एक अनोखे खतरे का सामना करना पड़ा।
रक्षक के रूप में मधुमक्खियाँ
जानें कि इस ऐतिहासिक मुकाबले में मधुमक्खियों का झुंड कैसे असंभावित नायक के रूप में उभरा।
ब्रिटिश घुसपैठ
ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार भारत के सुदूरतम कोने तक भी पहुँच गया। हमारा मंदिर भी उनके प्रभाव से अछूता नहीं रहा।
सांस्कृतिक विरासत के लिए खतरा
भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को संरक्षित करने में ब्रिटिश उपस्थिति से उत्पन्न चुनौतियों का अन्वेषण करें।
मधुमक्खियों का पलटवार
जैसे ही अंग्रेजों ने मंदिर के परिसर पर अतिक्रमण किया, मधुमक्खियों ने एक उल्लेखनीय जवाबी हमला किया।
प्रकृति का प्रकोप प्रकट हुआ
प्रकृति की विस्मयकारी शक्ति के बारे में जानें जब मधुमक्खियों ने अपने पवित्र क्षेत्र की रक्षा की।
चमत्कारी परिणाम
मधुमक्खियों और औपनिवेशिक ताकतों के बीच इस लड़ाई का नतीजा चमत्कार से कम नहीं था।
लचीलेपन का प्रतीक
मंदिर का अस्तित्व प्रतिकूल परिस्थितियों में लचीलेपन और विश्वास का प्रतीक बन गया।
आधुनिक विरासत
आज, शिव मंदिर आस्था की स्थायी शक्ति और इसके इतिहास में मधुमक्खियों द्वारा निभाई गई असाधारण भूमिका के प्रमाण के रूप में खड़ा है।
तीर्थस्थल
जानें कि कैसे यह मंदिर दुनिया भर से भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करता रहता है।
विरासत का संरक्षण
मंदिर के इतिहास को संरक्षित करने और इसके पवित्र शिवलिंग को भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखने का प्रयास।
पुरातत्व की भूमिका
मंदिर के अतीत के और अधिक रहस्यों को उजागर करने के लिए आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। त्रेता युग में निहित शिव मंदिर का इतिहास, आस्था की अदम्य भावना और प्रकृति के आश्चर्यजनक हस्तक्षेप की याद दिलाता है। यह एक ऐसी कहानी है जो आने वाले सभी लोगों को प्रेरित और मंत्रमुग्ध करती रहती है।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (25 सितम्बर 2023)
25 Sep, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - कौटुम्बिक सुख मिलेगा, सामाजिक जिम्मेदारियां बढ़ेंगी, समय पर कार्य करने से लभा की प्राप्ति होगी।
वृष राशि - शत्रु बाधा पर विजय मिलेगी, स्त्री-संतानादि सुख मिलेगा, दाम्पत्य जीवन सुखी रहेगा, समय का लाभ लें।
मिथुन राशि - पारिवारिक सुख व आनंद की प्राप्ति होगी, धार्मिक कार्य का पुण्य लाभ मिलेगा, बुजुर्गों का ध्यान रखें।
कर्क राशि - उच्च वर्ग का सानिध्य मिलेगा, राजनेता का सहयोग मिलेगा, रुके कार्य बनेंगे, परिश्रम से लाभ होगा।
सिंह राशि - बिन कारण दु:ख व झंझट के योग बनेंगे, घर के कार्यों में हानि की संभावना, श्रम शक्ति से लाभ होगा।
कन्या राशि - अध्ययन कार्य में सफलता मिलेगी, शारीरिक कष्ट, दुर्घटना का शिकार होने से बचें, सावधानी से कार्य करें।
तुला राशि - सामाजिक कार्यों में रुचि रहेगी, वायु विकार-नेत्र पीड़ा से कष्ट होगा, प्रतिष्ठा में कुछ हानि की संभावना है।
वृश्चिक राशि - नवीन पद प्रतिष्ठा की प्राप्ति होगी, बेरोजगारी से छुटकारा मिलेगा, पति-पत्नी में प्रीति बढ़ेगी।
धनु राशि - शत्रु वृद्धि होगी, स्त्री-संतान से सुखी रहेंगे, शानोसौकत में व्यय अवश्य होगा, भोग-विलास की प्राप्ति होगी।
मकर राशि - मानसिक उद्विघ्नता रहेगी, शारीरिक पीड़ा व अशांति का अनुभव होगा, आपका विरोध होगा, धैर्य रखें।
कुंभ राशि - विभिन्न रोगों से शारीरिक पीड़ा बनी रहेगी, पत्नी से अनबन होगी, धैर्य रखकर कार्य पूर्ण अवश्य करें।
मीन राशि - धन लाभ होगा, खर्च की अधिकता रहेगी, पारिवारिक प्रगति के कार्य अवश्य ही हेंगे, समय पर कार्य करें।
कब है शरद पूर्णिमा, जानें तिथि और पूजा का शुभ मुहूर्त
24 Sep, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को बेहद ही खास माना जाता है लेकिन सभी पूर्णिमाओं में शरद पूर्णिमा सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती है। जिसे रास पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा या फिर कौमुदी व्रत के नाम से जाना जाता है।
पंचांग के अनुसार हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा मनाई जाती है।
जो कि माता लक्ष्मी और श्री हरि विष्णु की पूजा के लिए श्रेष्ठ दिन माना गया है। कहते हैं कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धरती के सबसे अधिक निकट होता है। शरद पूर्णिमा पर निकलने वाली चंद्रमा की किरणें अमृत समान होती है इसलिए इस दिन रात में खीर बनाकर चंद्रमा की रौशनी में रखा जाता है और सुबह इसे प्रसाद रूप में ग्रहण करते है। शरद पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी धरती पर भ्रमण करती है और अपने भक्तों को सुख समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करती है। ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा शरद पूर्णिमा की तिथि और शुभ मुहूर्त बता रहे हैं तो आइए जानते है।
शरद पूर्णिमा की तिथि और मुहूर्त
पंचांग के अनुसार इस साल आश्विन मास की पूर्णिमा जिसे शरद पूर्णिमा तिथि 28 अक्टूबर दिन शनिवार को प्रात: 4 बजकर 17 मिनट से आरंभ हो रही है और इसका समापन अगले दिन यानी 29 अक्टूबर को रात में 1 बजकर 53 मिनट पर होगा। उदया तिथि और पूर्णिमा के चंद्रोदय का समय दोनों ही 28 अक्टूबर को प्राप्त हो रहा है यही कारण है कि इस बार शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
शरद पूर्णिमा की रात माता लक्ष्मी की पूजा करना उत्तम माना जाता है ऐसे में इस दिन माता की पूजा के लिए रात में शुभ मुहूर्त प्राप्त हो रहा हैं जो रात को 8 बजकर 51 मिनट से 10 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। इस मुहूर्त में देवी साधना करने से जातक को शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
पितृ पक्ष में नहीं खानी चाहिए ऐसी सब्जियां, पितृ नाराज हो हैं जाते
24 Sep, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पितृ पक्ष, जिसे श्राद्ध या महालया पक्ष के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू परंपरा में एक महत्वपूर्ण अवधि है जब लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं। यह 16 दिन की चंद्र अवधि अनुष्ठान करने और दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना करने के लिए अत्यधिक शुभ मानी जाती है।
हालाँकि, पितृ पक्ष के दौरान भोजन और आहार प्रतिबंधों के संबंध में विशिष्ट दिशानिर्देश हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि कुछ सब्जियों का सेवन करने से पूर्वज नाराज हो जाते हैं।
पूर्वजों की पूजा के महत्व को समझना
पूर्वजों की पूजा हिंदू संस्कृति और आध्यात्मिकता का एक अभिन्न अंग है। ऐसा माना जाता है कि दिवंगत परिवार के सदस्यों की आत्माएं मृत्यु के बाद भी जीवित रहती हैं और जीवित लोगों की भलाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसलिए पितृ पक्ष के दौरान इन पितरों का सम्मान और उन्हें प्रसन्न करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
पितृ पक्ष के दौरान आहार संबंधी प्रतिबंध
पितृ पक्ष के दौरान, कुछ सब्जियों से परहेज सहित कई आहार प्रतिबंध हैं। ऐसा माना जाता है कि इन सब्जियों का सेवन करने से पितृ आत्माएं नाराज हो सकती हैं। आइए कुछ ऐसी सब्जियों के बारे में जानें जिनसे बचना चाहिए:
1. प्याज और लहसुन (एलियम सब्जियां)
पितृ पक्ष के दौरान आमतौर पर प्याज और लहसुन से परहेज किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि ये तीखी सब्जियाँ शरीर में राजसिक और तामसिक गुणों को बढ़ाती हैं, जो आध्यात्मिक विकास में बाधा डाल सकती हैं और पैतृक आत्माओं को परेशान कर सकती हैं।
2. बैंगन (बैंगन)
बैंगन एक और सब्जी है जिसे अक्सर पितृ पक्ष के भोजन से बाहर रखा जाता है। यह नकारात्मकता से जुड़ा है और माना जाता है कि यह पूर्वजों के साथ शांतिपूर्ण संबंध को बाधित करता है।
3. हरी पत्तेदार सब्जियाँ
इस अवधि के दौरान कुछ हरी पत्तेदार सब्जियाँ, जैसे पालक और सरसों का साग, से भी परहेज किया जाता है। इन्हें बहुत तीखा माना जाता है और ये ऊर्जा के संतुलन को बिगाड़ सकते हैं।
4. अनाज और दाल
कुछ परंपराएं पितृ पक्ष के दौरान गेहूं और काले चने जैसे कुछ अनाज और दालों से परहेज करने का सुझाव देती हैं। ये प्रतिबंध विभिन्न क्षेत्रों और समुदायों के बीच भिन्न-भिन्न हैं।
5. मांसाहारी भोजन
पितृ पक्ष के दौरान मांस, मछली और अंडे सहित मांसाहारी भोजन का सेवन सख्त वर्जित है। ऐसा इसलिए क्योंकि इसे पितृ संस्कार के लिए अशुद्ध और अशुभ माना जाता है।
प्रसाद और प्रार्थनाएँ
पितृ पक्ष के दौरान लोग प्रतिबंधित सब्जियों और खाद्य पदार्थों के बजाय चावल, तिल, दूध और विभिन्न मिठाइयों जैसे विशिष्ट व्यंजन चढ़ाते हैं। ये प्रसाद अत्यंत श्रद्धा के साथ दिए जाते हैं और माना जाता है कि इससे दिवंगत पूर्वजों को शांति और आशीर्वाद मिलता है। पितृ पक्ष अपने पूर्वजों के स्मरण, चिंतन और श्रद्धा का समय है। इस अवधि के दौरान कुछ सब्जियों से परहेज करना और पारंपरिक आहार प्रतिबंधों का पालन करना यह सुनिश्चित करने का एक तरीका है कि पैतृक आत्माओं को परेशान न किया जाए और अनुष्ठान पवित्रता और भक्ति के साथ आयोजित किए जाएं। यह अपनी जड़ों से जुड़ने और दिवंगत आत्माओं से समृद्ध और सामंजस्यपूर्ण जीवन के लिए आशीर्वाद मांगने का समय है।