धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (03 अक्टूबर 2023)
3 Oct, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- आशानुकूल सफलता का हर्ष, व्यवसायिक समृद्धि के साधन बनेंगे, ध्यान रखें।
वृष :- इष्ट मित्र वर्ग में हर्ष-उल्लास, कार्य-व्यवस्था गति उत्तम बनी ही रहेगी, समय का ध्यान रखें।
मिथुन :- सफलता के साधन हाथ से निकल जायेंगे, मित्रों से असंतोष होगा, अधिकारी असमर्थ होंगे।
कर्क :- योजनाफलीभूत होगी, सफलता के साधन जुटायें, रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे, ध्यान रखें।
सिंह :- दैनिक कार्यगति अनुकूल, प्रभुत्व वृद्धि, कार्य-कुशलता से बिगड़े कार्य बनेंगे, हर्ष अवश्य होगा।
कन्या :- मान-प्रतिष्ठा-प्रभुत्व वृद्धि, किसी के रुके कार्य बनने से हर्ष होगा, समय का ध्यान रखें।
तुला :- योजना फलीभूत हो तथा मान-प्रतिष्ठा बढ़ेगी, रुके कार्य बने, कार्य व्यवसाय बढ़ेगा।
वृश्चिक :- स्थिति अनुकूल नहीं, विशेष कार्य स्थिगित रखें, हानि होने की विशेष सम्भावना है।
धनु :- कार्य विफल हो, दूसरों के कार्यों में धन समय की हानि होगी, कार्य व्यवसाय का ध्यान रखें।
मकर :- अधिकारियों के मेल-मिलाप से कार्य अवश्य होगा, समय का लाभ अवश्य लें।
कुम्भ :- परिश्रम करने पर भी सफलता न मिले तथा अनेक प्रकार की असुविधा अवश्य ही बनेगी।
मीन :- दैनिक कार्यगति अनुकूल, प्रभुत्व वृद्धि, किसी रुके कार्य के बनने का हर्ष होगा।
संकष्टी चतुर्थी के दिन करें ये 3 उपाय, राहु-केतु की परेशानियों से मिलेगी मुक्ति
2 Oct, 2023 09:17 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Sankashti Chaturthi 2023: आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है। माना जाता है कि आज के दिन गणपति की पूजा करने से हर तरह के विघ्नों से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गणेश जी की पूजा करने के साख कुछ उपाय करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूर्ण हो जाती है। जानिए कुछ उपायों के बारे में। अश्विन माह की विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2 अक्टूबर 2023 को है। इस दिन कुछ खास उपाय राहु-केतु की पीड़ा से छुटकारा दिला सकते हैं।
जानें संकष्टी चतुर्थी के उपाय
शास्त्रों के अनुसार राहु-केतु की अशुभता को दूर करने के लिए गणपति जी की पूजा सबसे अचूक मानी गई है। गणेश जी को चढ़ाई जाने वाली दूर्वा का संबंध राहु से माना गया है। कहते हैं विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के दिन 21 जोड़े दूर्वा गणेश जी को अर्पित की जाए तो इससे राहु जनित दोष खत्म होता है। दरिद्रता दूर होती ।
संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश द्वादश स्तोत्र का पाठ करें
कुंडली में राहु-केतु की अशुभ हो तो मानसिक तनाव, आर्थिक नुकसान, परिवार में कलह बढ़ जाती है। व्यक्ति गलत राह पर निकल जाता है। ऐसे में विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश द्वादश स्तोत्र का पाठ करें। कहते हैं इससे राहु-केतु संतुष्ट होते हैं और परेशान नहीं करते।
हरे मूंग का दान करें
केतु दोष शांत करने के लिए अश्विन माह की विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पर किसी जरूरतमंद को हरे मूंग का दान करें। किसी गणेश मंदिर में क्षमता अनुसार वस्तुओं का दान भी कर सकते हैं।
‘श्री गं गणपतये नमः’ का जाप करना शुरू करें
ये दोनों पाप ग्रह राहु-केतु करियर में बाधा डाल रहे हैं तो संकष्टी चतुर्थी से रोजाना ‘श्री गं गणपतये नमः’ का जाप करना शुरू करें। बहुत जल्द इसके शुभ परिणाम देखने को मिलेंगे। ये दोनों पाप ग्रह राहु-केतु करियर में बाधा डाल रहे हैं तो संकष्टी चतुर्थी से रोजाना ‘श्री गं गणपतये नमः’ का जाप करना शुरू करें। बहुत जल्द इसके शुभ परिणाम देखने को मिलेंगे।
अगर किसी कारण विवाह में देरी हो रही है या फिर कन्या या वर नहीं मिल पा रहा है, तो आज के दिन गणेश जी को गुड़ की 21 गोलियां और दूर्वा अर्पित करें। ऐसा करने से विवाह में आने वाली हर बाधा हट जाएगी।
वाल्मिकी रामायण के अनुसार माता सीता ने क्यों किया दशरथजी का पिंडदान?
2 Oct, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हमारे शास्त्रों में पिंडदान का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। लोग पितृपक्ष के दौरान पिंड दान करने गया जी में और अनेकों दूसरी जगह पर जाते हैं। ऐसा माना जाता है कि मरे हुए व्यक्ति का पिंडदान करने से उसकी आत्मा को शांति मिलती है तो हमें भी अपने पूर्वजों का पिंडदान जरूर करना चाहिए।
जब सीताजी ने किया पिंडदान-
वाल्मिकी रामायण में सीता माता द्वारा पिंडदान देकर राजा दशरथ की आत्मा को मोक्ष मिलने का प्रसंग आता है। वनवास के दौरान भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता पितृ पक्ष के वक़्त श्राद्ध करने के लिए गया धाम पहुंचे। वहां ब्राह्मण द्वारा बताए श्राद्ध कर्म के लिए आवश्यक सामग्री जुटाने हेतु श्री राम और लक्ष्मण नगर की ओर चल दिए।
ब्राह्मण देव ने माता सीता से आग्रह किया कि पिंडदान का समय निकलता जा रहा है। यह सुनकर सीता जी की व्यग्रता भी बढ़ती जा रही थी क्योंकि श्रीराम और लक्ष्मण अभी नहीं लौटे थे, इसी उपरांत दशरथ जी की आत्मा ने उन्हें आभास कराया कि, पिंड दान का वक़्त बीता जा रहा है, यह जानकर माता सीता असमंजस में पड़ गई, तब माता सीता ने समय के महत्व को समझते हुए यह निर्णय लिया कि वह स्वयं अपने ससुर राजा दशरथ का पिंडदान करेंगी। उन्होंने फल्गू नदी के साथ साथ वहाँ उपस्थित वटवृक्ष, कौआ, तुलसी, ब्राह्मण और गाय को साक्षी मानकर स्वर्गीय राजा दशरथ का पिंडदान किया, इस क्रिया के उपरांत जैसे ही उन्होंने हाथ जोड़कर प्रार्थना की तो, राजा दशरथ ने माता सीता का पिंड दान स्वीकार किया, माता सीता को इस बात से प्रसन्नता हुई कि, उनकी पूजा दशरथ जी ने स्वीकार कर ली है, पर वह यह भी जानती थी कि, प्रभु राम इस बात को नहीं मानेंगे, क्योंकि पिंड दान पुत्र के बिना नहीं हो सकता है।
थोड़ी देर बाद भगवान राम और लक्ष्मण सामग्री लेकर आए और पिंड दान के विषय में पूछा, तब माता सीता ने कहा कि समय निकल जाने के कारण मैंने स्वयं पिंडदान कर दिया, प्रभु राम को इस बात का विश्वास नहीं हो रहा था कि, बिना पुत्र और बिना सामग्री के पिंडदान कैसे संपन्न और स्वीकार हो सकता है, तब सीता जी ने कहा कि वहाँ उपस्थित फल्गू नदी, तुलसी, कौआ, गाय, वटवृक्ष और ब्राह्मण उनके द्वारा किए गए श्राद्धकर्म की गवाही दे सकते हैं।
भगवान राम ने जब इन सब से पिंडदान किये जाने की बात सच है या नहीं, यह पूछा, तब फल्गू नदी, गाय, कौआ, तुलसी और ब्राह्मण पांचों ने प्रभु राम का, क्रोध देखकर झूठ बोल दिया कि, माता सीता ने कोई पिंडदान नहीं किया। सिर्फ वटवृक्ष ने सत्य कहा कि, माता सीता ने सबको साक्षी रखकर विधिपूर्वक राजा दशरथ का पिंड दान किया, पांचों साक्षी द्वारा झूठ बोलने पर माता सीता ने क्रोधित होकर उन्हें आजीवन श्राप दिया। वहीं सच बोलने पर माता सीता ने वट वृक्ष को आशीर्वाद दिया कि, उसे लंबी आयु प्राप्त होगी और वह दूसरों को छाया प्रदान करेगा तथा पतिव्रता स्त्री उनका स्मरण करके अपने पति की दीर्घायु की कामना करेगी।
इंदिरा एकादशी कब है? , पूजा विधि-शुभ मुहूर्त और इस व्रत का महत्व
2 Oct, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
साल में 24 एकादशी होती है. लेकिन अश्विन मास की एकादशी महत्वपूर्ण होती है. पितृ पक्ष में आने वाली इंदिरा एकादशी को श्राद्ध करने का भी विशेष महत्व होता है.
ग्रंथों में कहा गया है कि श्राद्ध के दिनों में विष्णु पूजा करने से भी पितर तृप्त हो जाते हैं.
इंदिरा एकादशी 2023
अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की इंदिरा एकादशी 10 अक्टूबर 2023 को रखा जाएगा. इंदिरा एकादशी के दिन व्रत करने से मनुष्य को यमलोक की यातना का सामना नहीं करना पड़ता. इस दिन मघा श्राद्ध किया जाएगा.
इंदिरा एकादशी 2023
इंदिरा एकादशी 2023 मुहूर्त
पंचांग के अनुसार अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 9 अक्टूबर 2023 दिन सोमवार को दोपहर 12 बजकर 36 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 10 अक्टूबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 08 मिनट पर इसका समापन होगा. विष्णु पूजा का समय सोमवार की सुबह 09 बजकर 13 मिनट से दोपहर 12 बजकर 08 मिनट तक है.
एकादशी व्रत पारण टाइम
इंदिरा एकादशी 2023 व्रत पारण समय
पितृ पक्ष की इंदिरा एकादशी व्रत का पारण 11 अक्टूबर 2023 की सुबह 06 बजकर 19 मिनट से सुबह 08 बजकर 39 मिनट तक किया जाएगा. इस दिन द्वादशी तिथि का समापन शाम 05 बजकर 37 मिनट पर होगा.
इंदिरा एकादशी
इंदिरा एकादशी महत्व
इंदिरा एकादशी पितृ पक्ष में आती है. इसलिए इसका महत्व बढ़ जाता है. पद्म पुराण के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति के सात पीढ़ियों तक के पितृ तर जाते हैं. विधिपूर्वक पूर्वज के नाम पर दान कर दिया जाए तो उन्हें मोक्ष मिल जाता है और व्रत करने वाले को बैकुण्ठ प्राप्ति होती है.
शारदीय नवरात्रि , कलश स्थापना का मुहूर्त और महत्व
2 Oct, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर वर्ष पितृपक्ष के समापन के अगले दिन शारदीय नवरात्रि आरंभ हो जाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर सर्वपितृ अमावस्या का पर्व मनाने के साथ पितृ पक्ष खत्म हो जाते हैं।
फिर आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से 9 दिनों तक चलने वाले शारदीय नवरात्रि आरंभ हो जाती है। इन 9 दिनों तक मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-आराधना की जाती है। हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि के त्योहार को बहुत ही धूम-धाम के साथ मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार एक वर्ष में चार बार नवरात्रि पर्व आते हैं जिसमें से शारदीय और चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि पर प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक विधि-विधान के साथ कलश स्थापित करते हुए देवी दुर्गा की आराधना की जाती है। शारदीय नवरात्रि के पहले दिन देवी के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की आराधना की जाती है। इस साल मां दुर्गा पृथ्वीलोक पर हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। आइए जानते हैं इस साल शारदीय नवरात्रि की तिथियां, घट स्थापना का शुभ मुहूर्त ।
कब है शारदीय नवरात्रि 2023
हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 14 अक्तूबर को रात 11 बजकर 24 मिनट से लग जाएगी, जो 16 अक्तूबर की सुबह 01 बजकर 13 मिनट तक रहेगी। इस तरह से उदया तिथि के आधार पर शारदीय नवरात्रि 15 अक्तूबर 2023 से शुरू होगी। वहीं इसका समापन 23 अक्तूबर को होगा और 24 अक्तूबर को दशमी तिथि पर विजयादशमी मनाई जाएगी।
शारदीय नवरात्रि 2023 कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए कलश स्थापना की जाती है और फिर 9 दिनों तक लगातार देवी आराधना का पर्व मनाया जाता है। इस साल 15 अक्तूबर को शारदीय नवरात्रि शुरू होने जा रहा है और इस दिन सुबह 11 बजकर 44 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक कलश स्थापना का सबसे अच्छा मुहूर्त है। शास्त्रों के अनुसार शुभ मुहूर्त में किया गया कार्य और पूजा-अनुष्ठान हमेशा ही सफल होता है।
शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी
इस वर्ष शारदीय नवरात्रि का पर्व, रविवार, 15 अक्तूबर से शुरू हो रहा है। ऐसे में मां दुर्गा स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर हाथी की सवारी के साथ आएंगी। शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि के दिनों में मां दुर्गा पृथ्वी लोक में वास करती हैं। मां दुर्गा स्वर्ग से पृथ्वीलोक में आने के लिए किसी न किसी वाहन पर सवार होकर आती हैं। वार के अनुसार जिस दिन नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि लगी होती है उसी के अनुसार मां की सवारी का निर्धारण होता है। रविवार के दिन नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि पड़ने के कारण मां की सवारी हाथी होगी। हाथी को सुख-समृद्धि और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है, ऐसे में मां दुर्गा पृथ्वी लोक के लिए सुख-समृद्धि और खुशहाली के लेकर आएंगी।
शारदीय नवरात्रि 2023 की तिथियां
नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री की पूजा 15 अक्टूबर 2023
नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा 16 अक्टूबर 2023
नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा की पूजा 17 अक्टूबर 2023
नवरात्रि का चौथा दिन मां कूष्मांडा की पूजा 18 अक्टूबर 2023
नवरात्रि का पांचवां दिन मां स्कंदमाता की पूजा 19 अक्टूबर 2023
नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी की पूजा 20 अक्टूबर 2023
नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि की पूजा 21 अक्टूबर 2023
नवरात्रि का आठवां दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा 22 अक्टूबर 2023
नवरात्रि का नौवां दिन मां महागौरी की पूजा 23 अक्टूबर 2023
दशमी तिथि विजयदशमी पर्व 24 अक्टूबर 2023
कब और कहां दिखेगा साल का दूसरा सूर्य ग्रहण? सूतक काल और राशियों पर प्रभाव
2 Oct, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
2023 के लिए पहला सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण पहले ही हो चुका है। इस वर्ष का दूसरा सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर को है, और इसी दिन सर्व पितृ अमावस्या भी है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रहण को महत्वपूर्ण घटना माना जाता है, और इसका आध्यात्मिक महत्व भी होता है।
इस बार का सूर्य ग्रहण वलयाकार होगा, जिसमें चंद्रमा जब सूर्य और पृथ्वी के बीच आएगा, तो यह सूर्य को पूरी तरह से नहीं ढक पाएगा।
सूर्य ग्रहण का स्थान और सूतक काल
यह सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। सूर्य ग्रहण के दौरान सूतक काल लग जाता है, जिसमें पूजा-पाठ की मनाही होती है। इस अवधि में भगवान की मूर्तियों का स्पर्श नहीं करना चाहिए। लेकिन सूतक काल केवल तभी मान्य होता है, जब सूर्य ग्रहण भारत में दृश्यमान होता है। साल का दूसरा सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।
वलयाकार या कंकणाकृति सूर्य ग्रहण
जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आता है तो इसे वलयाकार या कंकणाकृति सूर्य ग्रहण कहा जाता है। इसमें सूर्य का बाहरी हिस्सा किसी कंगन की तरह चमकता हुआ दिखाई देता है।
सूर्य ग्रहण 2023 के प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र में यह बताया गया है कि सूर्य ग्रहण का प्रभाव सभी राशियों पर पड़ता है, भले ही यह दर्शनीय न हो। इस दौरान कुछ राशियों को सतर्क रहने की आवश्यकता हो सकती है। इन राशियों में मेष, कर्क, तुला, और मकर शामिल हैं, और इन्हें सूर्य ग्रहण की अवधि में विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता हो सकती है।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (02 अक्टूबर 2023)
2 Oct, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष :- कार्य कुशलता से संतोष, व्यवसायिक वृत्ति में सुधार होगा तथा योजना फलीभूत अवश्य होगी।
वृष :- इष्ट मित्रों से लाभ, स्त्री वर्ग से मन प्रसन्न रहेगा, मनोवृत्ति संवेदनशील बनी ही रहेगी।
मिथुन :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा, कार्य-कुशलता से संतोष होगा, व्यवसाय गति उत्तम होगी।
कर्क :- प्रयत्नशीलता विफल हो, परिश्रम करने पर ही कुछ लाभ होगा, कार्यगति में ध्यान देवें।
सिंह :- बनते कार्य बिगड़ जायेंगे, प्रयत्नशीलता विफल हो, कुछ लाभ न मिले, ध्यान दें।
कन्या :- यात्रा के प्रसंग से बचें, मानसिक बेचैनी, मित्रों के साथ यात्रा से हानि अवश्य ही होगी।
तुला :- समय अनुकूल नहीं, विशेष कार्य स्थिगित रखें, लेने-देने के मामले में हानि व विवाद होगा।
वृश्चिक :- अर्थलाभ, कार्य सिद्ध प्रयोजन एवं सफलता के योग बनेंगे, समय स्थिति का लाभ उठायें।
धनु :- समय की अनुकूलता से लाभ, चिन्ता होगी, दैनिक कार्यगति में सुधार अवश्य ही होगा।
मकर :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा, इष्ट मित्रों से लाभ, स्त्री जाति से मन प्रसन्न रहेगा, कार्य बनेंगे।
कुम्भ :- कुटुम्ब की चिन्ताएW जटिल रखें, रुके कार्य को निपटा लेवें, विशेष कार्य बनेंगे।
मीन :- प्रत्येक कार्य में बाधा, किसी के द्वारा धोखा हो सकता है, समय सीमा का ध्यान रखें।
इस फूल के बिना अधूरा है पितरों का तर्पण, पूजा में जरूर करें शमिल
1 Oct, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दुनिया भर के हिंदू श्राद्ध 2023 की तैयारी कर रहे हैं, जिसे महालय पक्ष या श्राद्ध पक्ष के रूप में भी जाना जाता है। भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से शुरू करके अश्विन माह की अमावस्या तक पितृ पक्ष रहता है।
ये 16 दिन पितरों के निमित्त पूजा-पाठ, श्राद्ध कर्म, तर्पण और पिंडदान आदि किया जाता है। इस साल 29 सितंबर से पितृ पक्ष का आरंभ हो रहा है, वहीं इसका समापन 14 अक्टूबर के दिन होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार श्राद्ध पक्ष में पितरों का तर्पण और पिंडदान आदि किया जाता है। इस तर्पण के दौरान एक विशेष फूल का इस्तेमाल किया जाता है। इस फूल को काश के फूल के नाम से जानते । पौराणिक कथाओं के अनुसार अगर पूजा में काश के फूलों का इस्तेमाल न किया जाए, तो व्यक्ति का श्राद्ध कर्म पूरा नहीं माना जाता। आइए जानते हैं पितरों के श्राद्ध में काश के फूल का क्या महत्व है और इस दौरान किन फूलों का इस्तेमाल किया जाता है।
पितृ पक्ष में पूजा में जरूर शमिल करें ये फूल
श्राद्ध कर्म के दौरान कुछ चीजों का खास ख्याल रखा जाता है। पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण के लिए हर पुष्प का उपयोग नहीं किया जाता। पितृ पक्ष में तर्पण के लिए काश के फूल का इस्तेमाल किया जाता है। यदि काश का फूल नहीं मिले तो श्राद्ध-पूजन में मालती, जूही, चम्पा सहित सफेद फूलों का भी इस्तेमाल किया जाता है।
इन फूलों का प्रयोग न करें
पितृ पक्ष में श्राद्ध और तर्पण के दौरान बेलपत्र, कदम्ब, करवीर, केवड़ा, मौलसिरी और लाल -काले रंग के फूलों का प्रयोग वर्जित है। ऐसा माना जाता है कि पितर इन्हें देखकर निराश होते हैं और पितरों के नाराज होने से व्यक्ति के पारिवारिक और आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
पितृ तर्पण में क्यों महत्वपूर्ण हैं काश का फूल
पुराणों के अनुसार पितृ तर्पण के दौरान काश के फूल का ही इस्तेमाल शुभ माना गया है। जिस तरह तर्पण के दौरान कुश और तिल का खास प्रयोग किया जाता है, उसी प्रकार पितृ तर्पण में काश के फूल का होना जरूरी है। कहते हैं कि पितरों को प्रसन्न करने के लिए काश के फूलों का प्रयोग शुभ माना गया है।
धनतेरस से लेकर भाई दूज तक की डेट्स, 5 नहीं 6 दिनों तक मनाया जाएगा दीपावली उत्सव
1 Oct, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि से लेकर शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि तक दीपावली (Diwali 2023 Date) उत्सव मनाया जाता है। इन 5 दिनों में सबसे पहले धनतेरस, इसके बाद यम चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा और सबसे अंत में भाई दूज का पर्व मनाया जाता है।
ये क्रम हजारों सालों से चला रहा है। लेकिन इस बार ये त्योहार 5 नहीं बल्कि 6 दिनों तक मनाया जाएगा। आगे जानिए क्यों होगा होगा…
कब है धनतेरस? (Kab Hai DhanTeras)
पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 10 अक्टूबर, शुक्रवार को है। इसी दिन धनतेरस का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन धन के देवता कुबेरदेव के साथ-साथ आयुर्वेद के देवता धन्वन्तरि की पूजा भी की जाएगी। ये दिन खरीदी के लिए भी अति शुभ माना जाता है।
कब है रूप चतुर्दशी? (Kab Hai Rup Chaturdashi)
पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 11 अक्टूबर, शनिवार को रहेगी। इसी दिन रूप चतुर्दशी का पर्व मनाया जाएगा। इसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। इस दिन सुबह अभ्यंग स्नान करने और शाम को यमराज के निमित्त दीप दान करने की परंपरा है।
कब मनाएंगे दीपावली? (Kab Hai Dipawali)
पंचांग के अनुसार, 12 अक्टूबर, रविवार को कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी दोपहर 02:45 तक रहेगी, इसके बाद अमावस्या तिथि अगले दिन यानी 13 नवंबर, सोमवार की दोपहर 02:57 तक रहेगी। चूंकि दीपावली उत्सव शाम को अमावस्या के संयोग में मनाया जाता है। ये स्थिति 12 नवंबर को बन रही है, इसलिए इसी दिन लक्ष्मी पूजा की जाएगी।
सोमवती अमावस्या का संयोग (Somwati Amawasya Date November 2023)
दीपावली के अगले दिन यानी 13 नवंबर, सोमवार को कार्तिक मास की अमावस्या दोपहर 02:57 तक रहेगी, इसलिए इस दिन सोमवती अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा। ये दिन पवित्र नदी में स्नान और जरूरतमंदों को दान करने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
कब करें गोवर्धन पूजा? (Kab Kare Govardhan Puja)
पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 14 नवंबर, मंगलवार को रहेगी। इसी दिन गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया जाएगा। महिलाएं इस दिन गोबर से गोवर्धन पर्वत का प्रतिरूप बनाकर पूजा करेंगी। इसे सुहाग पड़वा भी कहते हैं। इस दिन सुहागिन महिलाएं परिवार की बुजुर्ग महिलाओं का आर्शीवाद लेती हैं।
कब मनाएं भाई दूज? (Bhai Duj Kab Hai)
कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितिया तिथि का संयोग 15 नवंबर, बुधवार को बन रहा है। इसी दिन भाई दूज का पर्व मनाया जाएगा। इस दिन बहनें अपने भाइयों को भोजन के लिए आमंत्रित करती हैं और उन्हें तिलक लगाकर आशीर्वाद देती हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से भाई की उम्र बढ़ती है।
Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।
प्रतिदिन स्नान के बाद करें ये 5 काम, दुखों से रहेंगे दूर
1 Oct, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गरुड़ पुराण, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ और 18 महापुराणों में से एक है। 271 अध्यायों और 18,000 छंदों से युक्त, गरुड़ पुराण एक व्यक्ति की जन्म से मृत्यु और उससे आगे की यात्रा का एक व्यापक विवरण प्रदान करता है, जिसे स्वयं नारायण ने सुनाया है।
गरुड़ पुराण में स्वर्ग और नर्क का सजीव वर्णन मिलता है। इस पवित्र ग्रंथ का प्राथमिक उद्देश्य व्यक्तियों को धार्मिकता का मार्ग अपनाने और अच्छे कार्यों में संलग्न होने के लिए प्रेरित करना है। इसमें दावा किया गया है कि जो लोग गरुड़ पुराण की शिक्षाओं का पालन करते हैं वे सफल जीवन जीते हैं और मृत्यु के बाद भी श्रीहरि विष्णु के दिव्य चरणों में जगह पाते हैं। भगवान श्रीहरि विष्णु प्रतिदिन स्नान के बाद ऐसे 5 कामों के बारे में बताते हैं जो हर व्यक्ति को करनी चाहिए। आइए जानते हैं इन कामों के बारे में।
गरुड़ पुराण के अनुसार यदि आप जीवनपर्यंत और जीवन के बाद भी सुख चाहते हैं तो प्रतिदिन स्नान के बाद भगवान विष्णु जी की आराधना जरूर करें। इससे हर काम में सफलता मिलती है।
प्रतिदिन स्नान के बाद तुलसी पूजन जरूर करें और संध्या में तुलसी के दीप जरूर जलाएं। ऐसा करने आपको मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
प्रतिदिन स्नान करते समय जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें और जब भी मौका मिले गंगा नदी में स्नान जरूर करें। ऐसा करने से पाप कर्मों से मुक्ति मिलती है और रोग-दोष दूर हो जात हैं।
हिन्दू मान्यता के अनुसार गाय में समस्त देवी-देवताओं का वास होता है। इसलिए गाय की पूजा जरूर करनी चाहिए। शास्त्रों में कहा गया है मात्र गो माता के दर्शन से ही व्यक्ति के पाप खत्म हो जाते हैं।
देवी-देवताओं के साथ ही हिंदू धर्म में ज्ञानी व्यक्ति के आदर सम्मान की बात कही गई है। पुरोहित, पंडित, ब्राह्मण, गुरु या ज्ञानी व्यक्ति का कभी अपमान न करें। इनसे हमेशा ज्ञान, धर्म और सत्कर्म की सीख लें।
व्यक्ति-निर्माण समाज पर निर्भर
1 Oct, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
व्यक्ति का निर्माण केवल उसी पर नहीं, बहुत कुछ अंशों में समाज पर निर्भर है।इसलिए उसे अपने निर्माण को समाज के निर्माण में देखना है। सफलता का पहला सूत्र है- मूल्यों का परिवर्तन। समाज का निर्माण मूल्यों के परिवर्तन से ही होता है। स्वार्थ और संग्रह, ये दोनों मूल्य जब विकसित होते हैं तब व्यक्ति पुष्ट होता है और समाज क्षीण। क्षीण समाज में समर्थ व्यक्तित्व विकसित नहीं हो पाते। आज का समाज सही अर्थ में क्षीण है। उसे पुष्ट करने के लिए स्वार्थ और विसर्जन के मूल्यों को विकसित करना जरूरी है। इनसे समाज पुष्ट होगा। पुष्ट समाज में समर्थ व्यक्तित्व पैदा होंगे। क्षीण कोई नहीं होगा। मैंने देखा है स्वार्थ और संग्रह परायण समाज ने अनेक प्रकार की क्रूर्ताओं और अनैतिकताओं को जन्म दिया है। इसे बदलना क्या आज के सामाजिक व्यक्ति का कर्तव्य नहीं है? सफलता का दूसरा सूत्र है- शक्ति का विकास। शक्ति के दो स्रोत हैं- मानसिक विकास और संगठन। मानसिक विकास के लिए धर्म का अभ्यास और प्रयोग करना जरूरी है। संगठन की शक्ति का विस्फोट इतना हुआ है कि अब इसमें कोई विवाद ही नहीं है।
हमारे पूज्य भिक्षु स्वामी ने संगठन का मूल्य दो शताब्दी पूर्व ही समझ लिया था। उनके अनुयायियों को क्या उसे अब भी समझना है। वात्सलता और सहानुभूति को विकसित किए बिना संगठन सुदृढ़ नहीं हो सकता। आज सबकुछ शक्ति-संचय के आधार पर हो रहा है। इसलिए संगठन अब अनिवार्य हो गया है। छोटे-छोटे प्रश्न इस महान कार्य में अवरोध नहीं बनने चाहिए। सफलता का तीसरा सूत्र है- शातौर परिवर्तन का यथार्थ-बोध। कुछ स्थितियां देशकालातीत होती है। उन्हें बदलने की जरूरत नहीं है, किंतु देशकाल सापेक्ष स्थितियों का देशकाल के बदलने के साथ न बदलना असफलता का मुख्य हेतु है। परिवर्तन के विषय में युवकों का दृष्टिकोण बहुत स्पष्ट होना चाहिए। बदलना अपने आप में कोई उद्देश्य नहीं है और नहीं बदलना कोई सार्थकता नहीं है। बदलने की स्थिति होने पर बदलना विकास की अनिवार्य प्रक्रिया है।
माता पिता के लिए अच्छी संतान कौन
1 Oct, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आचार्य चाणक्य को भारत के महान ज्ञानियों और विद्वानों में एक माना गया है इनकी नीतियां देश ही नहीं दुनियाभर में प्रसिद्ध है जिसे चाणक्य नीति के नाम से जाना जाता है चाणक्य ने अपने जीवन के अनुभवों को नीतिशास्त्र में पिरोया है जिसका अनुसरण करने वाला मनुष्य सुख, सफलता और सम्मान को प्राप्त करता है।
आचार्य चाणक्य ने मानव जीवन से जुड़े हर पहलु पर अपनी नीतियां बनाई है जिसके अनुसार चलने से लाभ मिलता है चाणक्य नीति में बताया गया है कि एक अच्छी संतान कैसी होती है और उसमें क्या गुण होते हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वार बताने जा रहे हैं कि माता पिता के लिए अच्छी संतान कौन कहलाती है तो आइए जानते हैं।
आज की चाणक्य नीति-
चाणक्य नीति अनुसार अच्छी संतान वही होती है जो माता पिता के साथ अपने परिवार के सभी सदस्यों व अन्य लोगों से विनम्रता से बात करें। उनकी बातों को सुने, समझे और उस पर अमल करें। आज्ञाकारी संतान पाना बड़ी बात है ऐसी संतान पूरे परिवार को सम्मान और सफलता प्रदान करती है। अगर संतान शिक्षा का महत्व जानती है और खुद को शिक्षित करती है तो इससे अच्छी बात और कोई नहीं हो सकती है क्योंकि माता लक्ष्मी और सरस्वती की कृपा भी उन्हीं पर होती है जो शिक्षित होते हैं।
ऐसी संतान माता पिता को सभी सुख प्रदान करती है और समाज में उनका सम्मान बढ़ाती है। इसके अलावा संतान अगर ज्ञानी हो तो वह मेहनत के बल पर सफलता हासिल कर लेती है और वह अपने परिवार व सभी का सम्मान भी बढ़ाती है। संतान का मृदुभाषी होना बेहद जरूरी है क्योंकि अगर संतान कटु स्वर में अपने माता पिता को जवाब देगी तो वे उन्हें तकलीफ देंगे। जबकि एक मृदुभाषी इंसान अपने शत्रु को भी मित्र बना सकता है। इसलिए संतान को मृदुभाषी बनाएं।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (01 अक्टूबर 2023)
1 Oct, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि - धन का व्यर्थ व्यय होगा, मानसिक अशांति एवं कष्ट से मन विक्षुब्ध रहेगा, कार्य में विलम्ब होगा।
वृष राशि - चिन्ताग्रस्त होने से बचें, व्यवसायिक क्षमता अवश्य ही अनुकूल रहेगी, कार्य पर ध्यान देने से लाभ होगा।
मिथुन राशि - तनाव, क्लेश व अशांति से असमर्थता का वातावरण कष्टप्रद हेगा, शांत मन से धैर्य पूर्वक कार्य करें।
कर्क राशि - किसी प्रयोजन से बचें अन्यथा परेशानी में फंस सकते हें, समय का ध्यान अवश्य रखें, कार्य पर ध्यान दें।
सिंह राशि - तनाव, क्लेश व अशांति के कारण कष्ट होगा, मन उद्विघ्न रहेगा, सोच-विचार कर आगे बढ़ें।
कन्या राशि - विवादग्रस्त हेने से बचें, वाद-विवाद की संभावना है, सोचे कार्य अवश्य पूर्ण होंगे, आलस्य से हानि होगी।
तुला राशि - कुटुम्ब की समस्यायें सुलझेंगी, कार्यगति में सुधार होगा, कार्यगति पर ध्यान दें, समय पर कार्य करने से लाभ होगा।
वृश्चिक राशि - कार्य कुशलता से संतोष होगा, दैनिक सृद्धि के साधन बनेंगे, आय-व्यय की स्थिति समान रहेगी।
धनु राशि - अधिकारियों से संतोष, दैनिक समृद्धि के साधन जुटायेंगे, व्यय की अधिकता रहेगी, धन के व्यर्थ व्यय से बचें।
मकर राशि - मान-प्रतिष्ठा पर आंच आने का भय, समय व्यर्थ नष्ट होगा, रुके कार्य बनेंगे, परिश्रम से धन लाभ की संभावना।
कुंभ राशि - किसी घटना का शिकार होने से बचें, चोट-कष्टादि का भय, सावधानी से कार्य करें, बातचीत में सतर्कता रखें।
मीन राशि - स्त्री वर्ग से सुख व हर्ष मिलेगा, बिगड़े कार्य बनेंगे, समय स्थिति का लाभ लें, समय का ध्यान अवश्य रखें।
श्राद्ध के दौरान करें तुलसी का ये उपाय, मिलेगा लाभ
30 Sep, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पितृ अमावस्या के दिन होगा। सर्व पितृ अमावस्या को महालया अमावस्या, पितृ अमावस्या एवं पितृ मोक्ष अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है तथा यही पितृ पक्ष का अंतिम दिन भी होता है।
वही सनातन धर्म में श्राद्ध पक्ष का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, पितृ पक्ष में तुलसी का प्रयोग करना सबसे शुभ माना जाता है।
इसके साथ ही पितृ पक्ष में तुलसी से जुड़े उपाय करना बेहद अच्छा माना जाता है। बस, ये ध्यान रखें कि एकादशी तथा रविवार के दिन ये उपाय भूलकर न करें। पितृ पक्ष के चलते तुलसी के गमले के पास एक कटोरी रख दे। यह कार्य घर का कोई भी सदस्य कर सकता है। तत्पश्चात, एक हथेली में गंगाजल लें तथा इसे आहिस्ता-आहिस्ता कटोरी में छोड़ दें। इसके चलते 5-7 बार पितरों का नाम लेना चाहिए। कटोरी में गंगाजल छोड़ने के बाद इस पानी को घर के हर कोने में छिड़का जा सकता है तथा फिर यह जल तुलसी में भी डाला जा सकता है।
कहा जाता है गंगाजल को घर में छिड़कने से सारी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है। बस तुलसी के पौधे में रविवार एवं एकादशी के दिन पानी नहीं दिया जाता है। पितृ पक्ष में किया गया यह उपाय बहुत कारगर होता है। इसको करने से पिंडदान और दान करने जितना फल मिलता है। पितृ पक्ष में तुलसी में प्रतिदिन जल चढ़ाकर उसके बाद शाम को दीपक लगाना चाहिए तथा देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः,नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।। मंत्र का जाप करें।
पितरों को प्रसन्न करने के ये हैं खास उपाय, आएगी खुशहाली
30 Sep, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पितृपक्ष की शुरुआत हो चुकी है, जो 14 अक्टूबर सर्व पितृ अमावस्या तक रहेंगे. कुंडली के पितृ दोष दूर करने के लिए पितृपक्ष का समय सबसे अच्छा माना जाता है. इन दिनों पितरों को खुश करने के लिए और उनका आर्शीवाद पाने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं.
पितृ दोष होने पर क्या होता है ?
जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है उन लोगों को संतान सुख आसानी से नहीं मिलता है. या फिर संतान बुरी संगत में पड़ जाता है. इन लोगों को नौकरी या व्यापार में हमेशा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. काम में बार-बार बाधा आती है. घर में ज्यादा क्लेश-झगड़े होते हैं. घर में सुख-समृद्धि नहीं आती है. गरीबी और कर्ज बना रहता है. अक्सर बीमार रहते हैं और बेटी या बेटे की शादी में रुकावट आती है.
पितृ पक्ष उपाय (Pitru Paksha 2023 Upay)
1. पितृ पक्ष में पूर्वजों के निमित्त विधि विधान से तर्पण और श्राद्ध करें. ब्राह्मण को भोजन कराएं, दान दें. साथ ही साल की हर एकादशी, चतुर्दशी, अमावस्या पर पितरों को जल अर्पित करें और त्रिपंडी श्राद्ध करें.
2. पितृ पक्ष शांति के लिए रोजाना दोपहर के समय पीपल के पेड़ की पूजा करें. पितरों को प्रसन्न करने के लिए पीपल में गंगाजल में काले तिल, दूध, अक्षत और फूल अर्पित करें. पितृ दोष शांति के लिए ये उपाय बहुत कारगर है.
3. पितृ पक्ष में रोजाना घर में शाम के समय दक्षिण दिशा में तेल का दीपक लगाएं. ऐसा रोजाना भी कर सकते हैं. इससे पितृ दोष खत्म हो जाता है.
4. किसी जरुरतमंद को भोजन, दान या गरीब कन्या के विवाह में मदद करने से पितर खुश होते हैं. ऐसा करने से पितृ दोष शांत होने लगता है.
5. घर में पितरों की तस्वीर दक्षिण दिशा में लगाएं. रोजाना उनसे अपनी गलती की क्षमा मांगे. कहते हैं इससे पितृ दोष का प्रभाव कम होने लगता है.
6. जिन लोगों की कुंडली में पितृदोष है. उन्हें ये महा उपाय करना चाहिए. इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष खत्म होता है.
7. इसके बाद पेड़ के पास शुद्ध देसी घी का दीपक जलाते हुए 'ॐ सर्व पितृ देवाय नम:' मंत्र का जाप करें.