धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (11 जनवरी 2023)
11 Jan, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- धन का व्यय संभव है तनावपूर्ण वातावरण से बचिये तथा काया का ध्यान रखें।
वृष राशि :- अधिकारियों के समर्थन से साधन जुटायेंगे शुभ समाचार अवश्य ही मिलेगा।
मिथुन राशि :- चिन्तायें कम होंगी सफलता के साधन जुटायेंगे तथा शुभ समाचार अवश्य मिलेगी।
कर्क राशि :- बड़े-बड़े लोगों से मेल-मिलाप होगा तथा सुख-समृद्धि के साधन अवश्य बनेंगे।
सिंह राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास होगा भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी कार्यगति उत्तम होगी।
कन्या राशि :- प्रतिष्ठा बाल-बाल बचे संघर्ष से अधिकार प्राप्त करें भाग्य आपका साथ देगा।
तुला राशि :- कुटुम्ब और धन की चिन्ता बनी रहेगी सोचे कार्य परिश्रम से अवश्य ही पूर्ण होंगे।
वृश्चिक राशि :- प्रत्येक कार्य में बाधा क्लेशयुक्त रखेगी स्थिति सामर्थ योग्य अवश्य ही बनेगी।
धनु राशि :- भावनायें विक्षुब्ध रहें दैनिक कार्यगति मंद होगी परिश्रम से कार्य बनेंगे।
मकर राशिः- तनाव क्लेश व अशांति धन का व्यय मानसिक खिन्नता अवश्य ही बनेगी।
कुंभ राशि :- कार्य कुशलता से संतोष व्यवसायिक समृद्धि के साधन अवश्य जुटायें।
मीन राशि :- कुटुम्ब के कार्यों में समय बीतेगा तथा हर्षप्रद समाचार प्राप्त होगा मित्र मिलन होगा।
मनपसंद जीवनसाथी पाने का ये है उत्तम उपाय, एक बार आजमाएं
10 Jan, 2023 09:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शादी हर किसी के जीवन का महत्वपूर्ण फैसला होता है ऐसे में सभी को मनपंसद जीवनसाथी की तलाश रहती है कुछ की तलाश पूरी हो जाती है तो कई ऐसे भी है जिनकी ये तलाश अधूरी रह जाती है ऐसे में अगर आप भी मनपसंद जीवनसाथी तलाश कर रहे है या फिर प्रेमी से ही विवाह करने के इच्छुक है
तो आप नियमित रूप से इंद्रकृत श्रीकृष्ण स्तोत्र का संपूर्ण पाठ कर सकते हैं मान्यता है कि इसका पाठ करने से भगवान कृष्ण की कृपा से प्रेम जीवन, वैवाहिक जीवन और धन से जुड़ी सभी पेरशानियों का निवारण हो जाता है, तो आज हम आपके लिए लेकर आए है श्रीकृष्ण स्तोत्र पाठ।
श्रीकृष्ण स्तोत्र-
अक्षरं परमं ब्रह्म ज्योतीरुपं सनातनम् ।
गुणातीतं निराकारं स्वेच्छामयमनन्तकम् ॥ १ ॥
भक्तध्यानाय सेवायै नानारुपधरं वरम् ।
शुक्लरक्तपीतश्यामं युगानुक्रमणेन च ॥ २ ॥
शुक्लतेजःस्वरुपं च सत्ये सत्यस्वरुपिणम् ।
त्रेतायां कुङ्कुमाकारं ज्वलन्तं ब्रह्मतेजसा ॥ ३ ॥
द्वापारे पीतवर्णं च शोभितं पीतवाससा ।
कृष्णवर्णं कलौ कृष्णं परिपूर्णतमं प्रभूम् ॥ ४ ॥
नवधाराधरोत्कृष्टश्यामसुन्दरविग्रहम् ।
नन्दैकनन्दनं वन्दे यशोदानन्दनं प्रभुम् ॥ ५ ॥
गोपिकाचेतनहरं राधाप्राणाधिकं परम् ।
विनोदमुरलीशब्दं कुर्वन्तं कौतुकेन च ॥ ६ ॥
रुपेणाप्रतिमेनैव रत्नभूषणभूषितम् ।
कन्दर्पकोटिसौनदर्यं बिभ्रन्तं शान्तमीश्र्वरम् ॥ ७ ॥
क्रीडन्तं राधया सार्धं वृन्दारण्ये च कुत्रचित् ।
कुत्रचिन्निर्जनेऽरण्ये राधावक्षःस्थलस्थितम् ॥ ८ ॥
जलक्रीडां प्रकुर्वन्तं राधया सह कुत्रचित् ।
राधिकाकबरीभारं कुर्वन्तं कुत्रचिद् वने ॥ ९ ॥
कुत्रचिद्राधिकापादे दत्तवन्तमलक्तकम् ।
राधाचर्वितताम्बूलं गृह्णन्तं कुत्रचिन्मुदा ॥ १० ॥
पश्यन्तं कुत्रचिद्राधां पश्यन्तीं वक्रचक्षुषा ।
दत्तवन्तं च राधायै कृत्वा मालां च कुत्रचित् ॥ ११ ॥
कुत्रचिद्राधया सार्धं गच्छन्तं रासमण्डलम् ।
राधादत्तां गले मालां धृतवन्तं च कुत्रचित् ॥ १२ ॥
सार्धं गोपालिकाभिश्र्च विहरन्तं च कुत्रचित् ।
राधां गृहीत्वा गच्छन्तं विहायतां च कुत्रचित् ॥ १३ ॥
विप्रपत्नीदत्तमन्नं भुक्तवन्तं च कुत्रचित् ।
भुक्तवन्तं तालफलं बालकैः सह कुत्रचित् ॥ १४ ॥
कालीयमूर्न्धिपादाब्जं दत्तवन्तं च कुत्रचित् ।
विनोदमुरलीशब्दं कुर्वन्तं कुत्रचिन्मुदा ॥ १५ ॥
गायन्तं रम्यसंगीतं कुत्रचिद् बालकैः सह ।
स्तुत्वा शक्रः स्तवेन्द्रेण प्रणनाम हरिं भिया ॥ १६ ॥
पुरा दत्तेन गुरुणा रणे वृत्रासुरेण च ।
कृष्णेन दत्तं कृपया ब्रह्मणे च तपस्यते ॥ १७ ॥
एकादशाक्षरो मन्त्रः कवचं सर्वलक्षणम् ।
दत्तमेतत् कुमाराय पुष्करे ब्रह्मणा पुरा ॥ १८ ॥
कुमारोऽङगिरसे दत्तो गुरवेऽङगिरसा मुने ।
इदमिन्द्रकृतं स्तोत्रं नित्यं भक्त्या च यः पठेत् ॥ १९ ॥
इह प्राप्य दृढां भक्तिमन्ते दास्यं लभेद् ध्रुवम् ।
जन्ममृत्युजराव्याधिशोकेभ्यो मुच्यते नरः ॥ २० ॥
न हि पश्यति स्वप्नेऽपि यमदूतं यमालयम् ॥ २१ ॥
॥ इति श्रीब्रह्मवैर्तपुराणे श्रीकृष्णजन्मखण्डे इंद्रकृत श्रीकृष्ण ॥
किस वरदान से बने थे ब्रह्मऋषि उद्दालक अरुणि, जानिए महाभारत काल की यह कहानी
10 Jan, 2023 08:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाभारत काल से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं। ऐसी ही एक कहानी महर्षि अयोध्याम्य से जुड़ी है। द्वापर युग में एक महान ऋषि हुआ करते थे, जिनका नाम महर्षि अयोध्याम्य था। महर्षि आयोद्धौम्य को ब्रह्म का ज्ञान था और वे इस ज्ञान को अपने शिष्यों को प्रदान करते थे। महर्षि आयोद्धौम्य जिस शिष्य पर प्रसन्न होते थे, उसे अपने स्पर्श से शक्तिशाली बना देते थे। तीन शिष्य सभी शिष्यों में प्रमुख हुआ करते थे, जिनमें पांचाल देश का एक आरुणि भी था।
आरुणि गुरु के परम शिष्य थे
पंडित इंद्रमणि घनस्याल का कहना है कि आरुणि महर्षि आयोद्धौम्य के परम शिष्य थे। वह अपने गुरु की हर बात को मानता और मानता है। एक बार की बात है वर्षा ऋतु के अंत और शरद ऋतु के आगमन का समय था। उस दिन आसमान में काले बादल छाए हुए थे। महर्षि ने वर्षा की भविष्यवाणी करते हुए अपने परम शिष्य आरुणि को आश्रम के एक खेत में बांध बनाने के लिए भेजा।
बिस्तर पर ही लेट गया
गुरु की आज्ञा पर आरुणि खेत में गया और गड्ढा बनाने लगा। उसी समय तेज बारिश होने लगी और वह बांध बनाने में लगा हुआ था। लेकिन, काफी प्रयास के बाद भी वह बांध बनाने में सफल नहीं हो सका। जिसके बाद वह टूटे बीम पर खुद ही लेट गया। जिससे पानी तो रुक गया लेकिन उसके प्राण संकट में आ गए।
गुरुजी चिंतित थे
ठंड और बारिश के कारण अरुणी बेहोश हो गया, लेकिन अपने स्थान से नहीं हिला। रात भर आरुणि के न लौटने पर महर्षि आयोद्धौम्य को चिंता होने लगी। वह पूरी रात सो नहीं सका। सुबह उन्होंने अन्य शिष्यों से आरुणि के बारे में पूछा। इसके बाद गुरुजी अपने शिष्यों के साथ मैदान में पहुंचे।
महर्षि ने वरदान दिया
महर्षि आयोद्धौम्य ने आरुणि को पेड़ के पास अचेत अवस्था में पड़ा देखा। वे अन्य शिष्यों की सहायता से आरुणि को आश्रम में लाये और उसका उपचार किया। जिसके बाद अरुणी सुरक्षित हो गया। यह देखकर महर्षि अयोध्याम्या की आंखों में आंसू आ गए। इसके बाद उन्होंने आरुणि को वरदान दिया कि उनका नाम उद्दालक होगा और वे सभी वेदों और धर्मशास्त्रों का ज्ञान स्वयं प्राप्त करेंगे। इसके बाद आरुणि ब्रह्मर्षि उद्दालक होकर संसार में प्रसिद्ध हुए।
इन चीजों के बिना अधूरा है सकट चौथ का व्रत, पूजा में जरूर करें शामिल
10 Jan, 2023 07:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सकट चौथ का व्रत कल यानी 10 जनवरी 2023, दिन मंगलवार को है। हिन्दू पंचांग के अनुसार, ये पर्व हर साल माघ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणपति और सकट माता की श्रद्धा पूर्वक पूजा की जाती है। इसके साथ ही लोग सूर्य और चंद्रमा की पूजा भी करते हैं और अर्घ्य देते हैं। इसे संकष्टी चतुर्थी, वक्रतुण्डी चतुर्थी, माही चौथ और तिल कुटा चौथ भी कहा जाता है। इस व्रत को महिलाएं अपनी संतान की दीर्घायु और सुखी जीवन के लिए रखती हैं। इस व्रत के दिन गौरी पुत्र गणेश, सकट माता और चंद्र देव की पूजा में किसी प्रकार का अवरोध न हो, इसलिए समय रहते पूजा सामग्री इक्ट्ठा कर लें। ये रही सकट चौथ पूजा की सामग्री लिस्ट-
सकट चौथ पूजा सामग्री लिस्ट
सकट चौथ की पूजा के लिए लकड़ी की चौकी, पीला कपड़ा, जनेऊ, सुपारी, पान का पत्ता, लौंग, इलायची, गंगाजल, गणपति की मूर्ति, लाल फूल, 21 गांठ दूर्वा, रोली, मेहंदी, सिंदूर, अक्षत, हल्दी, मौली, इत्र, अबीर, गुलाल, गाय का धी, दीप, धूप, 11 या 21 तिल के लड्डू, मोदक, मौसमी फल, सकट चौथ व्रत कथा की पुस्तक, चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए दूध, गंगाजल, कलश, चीनी आदि चीजों की आवश्यकता होगी।
वहीं धार्मिक शास्त्रों में भगवान गणेश की पूजा में पान का प्रयोग सभी प्रकार की सिद्धि प्रदान करने वाला माना गया है। साथ ही पान मां लक्ष्मी को भी अति प्रिय है। कहा जाता है कि सकट चौथ की पूजा में गणेश जी को पान अर्पित करने से गणेश जी के साथ मां लक्ष्मी की भी कृपा मिलती है। इस दिन पान के ऊपर कुमकुम से स्वास्तिक बनाकर पूजा में रखें।
सकट चौथ पर चंद्रोदय का समय
पंचांग के अनुसार, चतुर्थी तिथि 10 जनवरी 2023 को दोपहर 12 बजकर 9 मिनट से शुरू होकर 11 जनवरी 2023 को दोपहर 02 बजकर 31 मिनट तक समाप्त होगी। वहीं 10 जनवरी को चंद्रोदय रात 9 बजकर 10 मिनट पर होगा।
इस विधि से करें व्रत
सकट चौथ के दिन ब्रह्म मुहूर्त के दौरान स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
बच्चों की लंबी उम्र के लिए सकट माता की पूजा करें।
चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य अर्पित करें और चंदन, फूल, धूप, दीप और नैवेद्य चढ़ाकर सकट माता की पूजा करें।
सकट चौथ व्रत की कथा जरूर पढ़ें और पूजा समाप्त करें।
प्रेम और दया से ही प्रसन्न होंगे ईश्वर
10 Jan, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ईश्वर को खुश करने के लिए लोग तरह-तरह के उपाय करते हैं। मंत्र साधक लाखों बार मंत्र जप करते हैं भक्ति मार्ग पर चलने वाले लोग मंदिर जाकर ईश्वर की पूजा करते हैं। धूप-दीप आरती से भगवान को प्रसन्न करने की भी कोशिश करते हैं। इतना करने के बाद भी यह पता नहीं होता कि ईश्वर हमें प्यार करता है या नहीं। प्रेम में सफलता तभी मिलती है जब हमें जिसे प्यार करते हैं वह हमें प्यार करे। इसलिए हमेशा ऐसा काम करें जिससे ईश्वर आपको प्यार करे। यह काम पूजा-पाठ और मंत्र जप से भी आसान है। सभी धर्म एक बात पर सहमत है कि प्रेम और दया यह दो ऐसे साधन है जिसकी बदलौत हम ईश्वर को मजबूर कर सकते हैं कि वह हमें प्यार करे। प्रेम और दया ऐसी चीज है जिसके लिए न तो धन की जरूरत पड़ती है और न ही किसी दूसरे साधनों की। यह अपने आप में पूर्ण और पवित्र है।
हम किसी के प्रति प्रेमपूर्ण व्यवहार करते हैं तो बदले में हमें भी प्रेम मिलता है। इसका कारण यह है कि जिसके प्रति हम प्रेम दर्शाते हैं उसके हृदय में मौजूद आत्मा जो ईश्वर का स्वरूप होता है वह प्रसन्न होता है और बदले में हमें अपने प्रेम की अनुभूति कराता है। गीता कुरान अथवा बाइबल सभी में दया को ईश्वर को पाने का माध्यम बताया गया है। ईश्वर को फूल फल अथवा मंत्र से ध्यान करने का उद्देश्य भी यही है कि हमारा मन निर्मल हो और मन में दया की भावना बढ़े। जिसने दया करना सीख लिया वह ईश्वर का पुत्र हो जाता है। ईसा मसीह भगवान राम कृष्ण बुद्ध महावीर साईं सभी ने अपने जीवन में दया का अनुपम परिचय दिया। अपने इसी गुण के कारण ईश्वर ने इन्हें प्यार किया और ईश्वरीय शक्ति इनमें समाहित हो गयी।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (10 जनवरी 2023)
10 Jan, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्य कुशलता से संतोष तथा मनोबल उत्सावर्धक होगा उत्साह बना रहेगा।
वृष राशि :- स्वभाव में खिन्नता होने से हीन भावना से बचियेगा अन्यथा कार्य मंद अवश्य होगा।
मिथुन राशि :- अशांति तथा विनम्रता से बचिये तथा झगड़ा होने की संभावना अवश्य बनेगी।
कर्क राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे ध्यान दें।
सिंह राशि :- आलोचना से बचिये कार्य कुशलता से संतोष होगा कार्य व्यवसाय पर ध्यान दें।
कन्या राशि :- धीमी गति से सुधार अपेक्षित है सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि अवश्य होगी।
तुला राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास गुप्त शत्रुओं से चिन्ता तथा कुटुम्ब में समस्या बनेगी।
वृश्चिक राशि :- योजना फलीभूत होगी इष्ट मित्र सुखवर्धक होगा तथा कार्य अवरोध होगा।
धनु राशि :- कुटुम्ब की समस्या कष्टप्रद होगी तथा धन का व्यर्थ व्यय होगा सावधान रहें।
मकर राशिः- कुटुम्ब मेंं सुख मान-प्रतिष्ठा बड़े लोगों से मेल-मिलाप अवश्य ही होगा।
कुंभ राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल होगा दैनिक गति मंद तथा बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे।
मीन राशि :- कार्य व्यवसाय गति अनुकूल बनेगी समृद्धि के साधन अवश्य बनेंगे।
नियमित करें ये एक काम, परिवार में बनी रहेगी सुख-शांति
9 Jan, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में देवी देवताओं की पूजा आराधना को उत्तम बताया गया है मान्यता है कि जिस घर में पूजा पाठ नियम से किया जाता है वहां हमेशा ही सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है और कष्टों से भी राहत मिल जाती है
ऐसे में अगर आपके घर में आए दिन क्लेश होता रहता है या फिर किसी और तरह की समस्या बनी हुई है तो ऐसे में रोजाना श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करना आपके लिए उत्तम फलदायी साबित होगा साथ ही साथ देवी मां दुर्गा की कृपा भी परिवार पर बनी रहेगी तो आज हम आपके लिए लेकर आए है श्री दुर्गा चालीसा पाठ।
श्री दुर्गा चालीसा-
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो अम्बे दुःख हरनी॥
निराकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला। नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे। दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लय कीना। पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला। तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी। तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें। ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
रूप सरस्वती को तुम धारा। दे सुबुद्धि ऋषि-मुनिन उबारा॥
धरा रूप नरसिंह को अम्बा। प्रगट भईं फाड़कर खम्बा॥
रक्षा कर प्रह्लाद बचायो। हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं। श्री नारायण अंग समाहीं॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा। दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी। महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता। भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी। छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोह भवानी। लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर-खड्ग विराजै। जाको देख काल डर भाजे॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला। जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगर कोटि में तुम्हीं विराजत। तिहुंलोक में डंका बाजत॥
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे। रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी। जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा। सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब-जब। भई सहाय मातु तुम तब तब॥
अमरपुरी अरु बासव लोका। तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी। तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावै। दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई। जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी। योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो। काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को। काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप को मरम न पायो। शक्ति गई तब मन पछितायो॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी। जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा। दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो। तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावे। मोह मदादिक सब विनशावै॥
शत्रु नाश कीजै महारानी। सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला। ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला॥
जब लगि जियउं दया फल पाऊं। तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥
दुर्गा चालीसा जो नित गावै। सब सुख भोग परमपद पावै॥
देवीदास शरण निज जानी। करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
जब तीन मुट्ठी चावल भेंट लेकर सुदामा पहुंचे श्रीकृष्ण से मिलने
9 Jan, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों में भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं और उनकी मित्रता के किस्से तो सभी ने सुने और पढ़ें है कहा जाता है कि भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण ने अपने बचपन के मित्र सुदामा को दो मुट्ठी चावल के बदले दो लोक की संपत्ति दे दी थी लेकिन तीसरी मुट्ठी पर देवी रुक्मणि ने श्रीकृष्ण को रोक दिया था इसको लेकर अधिकतर लोगों के मन में प्रश्न उठता है कि देवी रुक्मणि ने ऐसा क्यों किया था तो आज हम अपने इस लेख द्वारा इसी पर चर्चा कर रहे हैं और आपको पौराणिक कथाओं के अनुसार जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो आइए जानते हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार श्रीकृष्ण के बचपन के मित्र सुदामा एक बार कृष्ण से मिलने उनके महल पहुंच गए। जब कृष्ण ने सुदामा को देखा तो वे उन्हें अपने महल के भीतर ले आए और उन्हें अपने राजसिंघासन पर बैठाकर अपने आंसुओं से उनके चरण धोए। कृष्ण को ऐसा करते देख उनकी पटरानियां और महल में मौजूद सभी लोग आश्चर्यचकित हो गए। सभी यह सोचने लगे कि द्वारकाधीश ये किस व्यक्ति के चरण को धो रहे हैं भगवान कृष्ण ने वहां मौजूद सभी लोगों को बताया कि ये उनके सखा सुदामा है।
श्रीकृष्ण ने जब सुदामा से कहा कि वह उनके लिए क्या संदेश लेकर आए है तो इतना सुनते ही सुदामा को लज्जा आ गई और उन्होंने अपनी पोटली छिपाकर कहा कुछ भी नहीं इतने में कृष्ण बोले क्यों झूठ बोलते हो सखा, क्या आज भी बचपन की तरह तुम मेरे हिस्से के चावल खान चाहते हो। यह कहते हुए कृष्ण ने खुद ही सुदामा से वो पोटली ले ली और चावल खाने लगे। कहते हैं कि जैसे ही भगवान कृष्ण ने एक मुट्ठी चावल खाई तो इसके बदले उन्होंने सुदामा को एक लोक की संपत्ति दे डाली।
इसके बाद कृष्ण दूसरी मुट्टी चावल खाकर सुदामा को दो लोक की सभी संपत्ति सुदाम को सौंप दी। लेकिन जब श्रीकृष्ण तीसरी मुट्टी चावल खाने जा रहे थे तभी रुक्मणि उन्हें रोकते हुए बोली प्रभु अगर आप तीनों लोक की संपत्ति अपने मित्र को सौंप देंगे तो अन्य सब जीव और देवता कहां जाएंगे। रुक्मणि की बात सुनकर भगवान रुक गए और भगवान श्रीकृष्ण ने सुदामा के जीवन की सभी दुख दरिद्रता को दूर कर उन्हें प्रेम पूर्वक विदा किया।
प्रयश्चित ही कर्म फल से मुक्ति का आधार है
9 Jan, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
यह ठीक है कि जिस व्यक्ति के साथ अनाचार बरता गया अब उस घटना को बिना हुई नहीं बनाया जा सकता। सम्भव है कि वह व्यक्ति अन्यत्र चला गया हो। ऐसी दशा में उसी आहत व्यक्ति की उसी रूप में क्षति पूर्ति करना सम्भव नहीं। किन्तु दूसरा मार्ग खुला है। हर व्यक्ति समाज का अंग है। व्यक्ति को पहुँचाई गई क्षति वस्तुत: प्रकारान्तर से समाज की ही क्षति है। उस व्यक्ति को हमने दुष्कर्मों से जितनी क्षति पहुँचाई है उसकी पूर्ति तभी होगी जब हम उतने ही वजन के सत्कर्म करके समाज को लाभ पहुँचाये। समाज को इस प्रकार हानि और लाभ का बैलेन्स जब बराबर हो जायेगा तभी यह कहा जायेगा कि पाप का प्रायश्चित हो गया और आत्मग्लानि एवं आत्मप्रताड़ना से छुटकारा पाने की स्थिति बन गई। सस्ते मूल्य के कर्मकाण्ड करके पापों के फल से छुटकारा पा सकना सर्वथा असम्भव है। स्वाध्याय सत्संग कथा कीर्तन तीर्थ व्रत आदि से चित्त में शुद्धता की वृद्धि होना और भविष्य में पाप वृत्तियों पर अंकुश लगाने की बात समझ में आती है। धर्म कृत्यों से पाप नाश के जो माहात्म्य शास्त्रों में बताये गये हैं उनका तात्पर्य इतना ही है कि मनोभूमि का शोधन होने से भविष्य में बन सकने वाले पापों की सम्भावना का नाश हो जाये। ईश्वरीय कठोर न्याय व्यवस्था में ऐसा ही विधान है कि पाप परिणामों की आग में जल मरने से जिन्हें बचना हो वे समाज की उत्कृष्टता बढ़ाने की सेवा-साधना में संलग्न हों और लदे हुए भार से छुटकारा प्राप्त कर शान्ति एवं पवित्रता की स्थिति उपलब्ध कर लें।
माघ मास में गंगाजल मिलाकर स्नान करने की है परंपरा: सूर्य को अर्घ्य देकर करें दिन की शुरुआत
9 Jan, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दी पंचांग का दसवां महीना माघ शुरू हो गया है, ये महीना 7 जनवरी से 5 फरवरी तक रहेगा। ये महीना पूजा-पाठ के साथ ही दान-पुण्य और सेहत सुधारने का समय है।
इन दिनों में जीवन शैली में किए गए बदलाव से सकारात्मक फल मिलते हैं। माघ मास में तीर्थ दर्शन के साथ ही नदियों में स्नान करने की परंपरा है। अगर नदी में स्नान नहीं कर पा रहे हैं तो अपने घर पर ही पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिलाकर स्नान कर सकते हैं। ऐसा करने से भी नदी स्नान के समान पुण्य मिल सकता है।
घर पर गंगाजल से स्नान करने के बाद सूर्य को अर्घ्य जरूर चढ़ाएं। ध्यान रखें अर्घ्य देने के लिए ऐसी जगह का चयन करें, जहां सूर्य को चढ़ाया हुआ जल पर किसी के पैर न लगे। इसके बाद घर के मंदिर में अपने इष्टदेव की पूजा करें, मंत्र जप करें।
कुंडली के दोष दूर करने के लिए राशि अनुसार पानी में अलग-अलग चीजें मिलाकर स्नान कर सकते हैं। जानिए पं. शर्मा से जानिए सभी 12 राशियों के लिए नहाने के पानी में डालने के लिए खास चीजें कौन-कौन सी हैं...
मेष और वृश्चिक राशि - इन दोनों राशियों का स्वामी मंगल है। इसलिए इन लोगों को पानी में लाल फूल डालकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद मसूर की दाल का दान करें।
वृषभ और तुला राशि - इन राशियों का स्वामी शुक्र है। इन लोगों को शुक्र के दोष दूर करने के लिए पानी में दूध डालकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद खीर का दान करें।
मिथुन और कन्या - बुध इन राशियों का स्वामी है। ये लोग पानी में बुध ग्रह की चीज यानी गन्ने का थोड़ा सा रस मिलाकर स्नान करें। इसके बाद जरूरतमंद लोगों को हरे मूंग का दान करें।
कर्क - ये चंद्र ग्रह की राशि है। इन लोगों को पानी में थोड़ा सा गाय का दूध मिलाकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद जरूरतमंद लोगों को आटे का दान करें।
सिंह - सूर्य ग्रह इस राशि का स्वामी है। इसलिए इन लोगों को सूर्य की चीज यानी थोड़ा सा केसर मिलाकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद अनाज का दान करें।
धनु और मीन राशि - इन दो राशियों का स्वामी गुरु है। ये लोग गुरु ग्रह की चीज यानी थोड़ी सी हल्दी मिलाकर स्नान करें। इसके बाद चने की दाल का दान करें।
मकर और कुंभ - ये शनि की राशियां हैं। इसलिए ये लोग पानी में काले तिल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद तिल के लड्डू का दान करें।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन (9 जनवरी 2023)
9 Jan, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कुटुम्ब में अशांति क्लेश व अशांति धन का व्यर्थ व्यय होगा पीड़ा अवश्य होगी।
वृष राशि :- इष्ट मित्रों से सुख अधिकारियों से मेल-मिलाप होगा तथा व्यापार में लाभप्रद स्थिति रहेगी।
मिथुन राशि :- अर्थ व्यवस्था अनुकूल होगी सफलता के साधन जुटायेंगे रुके कार्य बन जायेंगे।
कर्क राशि :- मनोवृत्ति उदार बनाये रखें तनाव क्लेश व अशांति की स्थिति बनेगी ध्यान रखें।
सिंह राशि :- समय नष्ट होगा व्यवसायिक गति मंद होगी असमंजस की स्थिति से बचिये।
कन्या राशि :- आर्थिक योजना सफल होगी व्यवसायिक क्षमता अनुकूल होगी।
तुला राशि :- धन का व्यय आलस्य से हानि संभव है कार्य अवश्य बनेंगे ध्यान दें।
वृश्चिक राशि :- स्त्री वर्ग से क्लेश व अशांति तथा विघटनकारी तत्व परेशान अवश्य करेंगे।
धनु राशि :- कुटुम्ब की समस्यायें सुलझेंगी धन का व्यर्थ व्यय होगा व्यर्थ भ्रमण होगा।
मकर राशिः- अर्थ-व्यवस्था छिन्न-भिन्न होगी कार्य व्यवसाय गति मध्यम होगी।
कुंभ राशि :- दैनिक कार्यगति में सुधार चिन्तायें कम होंगी तथा सफलता अवश्य मिलेगी।
मीन राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा कार्यगति अनुकूल बनी रहेगी ध्यान दें।
मांगलिक दोष हैं तो विवाह के पूर्व कर लें ये 10 उपाय
8 Jan, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कुंडली में यदि मंगल प्रथम यानी लग्न भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम भाव, अष्टम भाव या द्वादश भाव में से किसी भी एक भाव में है तो यह मांगलिक जन्मपत्री कहलाती है।
मान्यता के अनुसार मांगलिक का विवाह मांगलिक से ही होता है। यदि आपकी कुंडली में आंशिक या पूर्ण मंगल दोष है तो आपको विवाह के पूर्व 10 उपाय जरूर कर लेना चाहिए ताकि आपका विवाह जल्द हो और आप सुखी वैवाहिक जीवन यापन करें।
1. मंगल ग्रह की शांति कराएं : इसके लिए आपको महाराष्ट्र के जलगांव के पास अमलनेर में स्थित मंगलग्रह मंदिर में श्री भोगयाज्ञ अभिषेक कराना चाहिए। इस प्राचीन मंदिर में उचित शुक्ल पर अभिषेक और हवन होता है।
2. कुंभ विवाह करें: अर्थात किसी घढ़े के साथ विवाह करके उसे फोड़ दिया जाता है। हालांकि इस संबंध में किसी पंडित से चर्चा करेंगे तो वे अच्छे से बता पाएंगे। अमलनेर में इसका भी समाधान हो जाता है।
3. हनुमान चालीसा पढ़े : कम से कम 1001 बार हनुमान चालीसा पढ़कर हनुमानजी को चौला चढ़ाएं। अमलनेर के मंगलदेव के मंदिर में हनुमानजी की बहुत ही जागृत मूर्ति विराजमान हैं यहां पर उनकी पूजा से लाभ मिलता है।
4. गुड़ खाएं और खिलाएं : यदि आपको किसी भी प्रकार की स्वास्थ समस्या नहीं है तो लोगों को गुड़ खिलाएं और खुद भी थोड़ा थोड़ा खाते रहें।
5. गुड़ और मसूर की दाल : अमलनेर में श्री मंगल देव ग्रह मंदिर में मंगलदेव को गुड़ और मसूर की दाल अर्पित करने से भी मंगलदेव प्रसन्न होते हैं।
6. मांस, मदिरा छोड़ दें : यदि आप मांस खाते हैं तो विवाह पूर्व मांस छोड़ने का संकल्प लें। मदिरा का सेवन करना भी छोड़ दें।
7. क्रोध करना छोड़ दें : अपने क्रोध पर काबू करें और चरित्र को उत्तम बनाकर रखें। भाई-बहनों का सम्मान करें।
8. नीम का पेड़ लगाएं : कहीं भी जाकर सुरक्षित स्थान पर एक नीम का पेड़ लगाएं और तब तक उसकी देखरेख करें जब तक कि वह थोड़ा बड़ा नहीं हो जाता। आप चाहे तो बड़ा पेड़ भी लगाकर उसकी कम से कम 43 दिन तक देखरेख करें।
9. सफेद सुरमा लगाएं : लाल किताब के ज्योतिष के अनुसार सफेद सुरमा 43 दिन तक लगाना चाहिए। हलांकि यह कुंडली की जांच करने के बाद ही ऐसा करें।
10. मंगलदेव की पूजा : मंगलवार के दिन अमलनेर के मंगलदेव के मंदिर में मंगलदेव की पूजा और आरती में शामिल होकर श्री मंगलदेव की कृपा प्राप्त करें और वहीं बैठकर उनके मंत्र का जाप करें।
जिस घर में रहते हैं ये पुरुष, लक्ष्मी कभी नहीं छोड़ती वहां अपना बसेरा
8 Jan, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
एक दिन राजा सत्यदेव अपने महल के दरवाजे पर बैठे थे तभी एक नारी उनके महल के सामने से गुजरी। राजा ने पूछा, ''देवी, आप कौन हैं और इस समय कहां जा रही हैं?'' उसने उत्तर दिया, ''मैं लक्ष्मी हूं और यहां से जा रही हूं।'' राजा ने कहा, ''ठीक है शौक से जाइए।''
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Religious Katha: एक दिन राजा सत्यदेव अपने महल के दरवाजे पर बैठे थे तभी एक नारी उनके महल के सामने से गुजरी। राजा ने पूछा, ''देवी, आप कौन हैं और इस समय कहां जा रही हैं?'' उसने उत्तर दिया, ''मैं लक्ष्मी हूं और यहां से जा रही हूं।'' राजा ने कहा, ''ठीक है शौक से जाइए।''
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कुछ देर के बाद एक अन्य नारी उसी रास्ते से जाती दिखाई दी। राजा ने उससे भी पूछा, ''देवी, आप कौन हैं?''
उसने उत्तर दिया, ''मैं र्कीत हूं और यहां से जा रही हूं।'' राजा ने गहरी सांस छोड़ते हुए कहा, ''जैसी आपकी इच्छा।''
कुछ देर के बाद एक पुरुष भी उनके सामने से होकर जाने लगा। राजा ने उससे भी प्रश्र पूछा, ''आप कौन हैं?'' पुरुष ने उत्तर दिया, ''मैं सत्य हूं। मैं भी अब यहां से जा रहा हूं।''
राजा ने तुरंत ही उनके पैर पकड़ लिए और प्रार्थना करने लगे कि ''कृपया आप तो न जाएं?''
राजा सत्यदेव के बहुत प्रार्थना करने पर सत्य मान गया और न जाने का आश्वासन दिया। कुछ देर के बाद राजा सत्यदेव ने देखा कि लक्ष्मी और र्कीत दोनों ही वापस लौट रही हैं। राजा सत्यदेव ने पूछा, ''आप कैसे लौट आईं?''
तो दोनों देवियों ने कहा, ''हम उस स्थल से दूर नहीं जा सकतीं जहां पर सत्य रहता है।''
प्रसंग का सार यह है कि जहां सत्य का निवास होता है वहां पर यश, धर्म और लक्ष्मी का निवास अपने आप ही हो जाता है। इसलिए हमेशा सत्य का साथ देना चाहिए। सत्य को कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
भगवान शिव ने इसी घाट पर किया था माता सीता का अंतिम संस्कार
8 Jan, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में बनारस को धार्मिक नगरी कहा जाता है यहां के सभी 84 घाट महत्वपूर्ण माने जाते हैं और सबका अपना महत्व है बनारस के किसी घाट की आरती प्रसिद्ध है तो किसी घाट का स्नान, लेकिन यहां पर कुछ ऐसे भी घाट है जहां केवल दाह संस्कार किया जाता है और इन्हीं में से एक घाट है मणिकर्णिका घाट जिसे बेहद खास माना जाता है
मान्यता है कि इस घाम में मृत शरीर का अंतिम संस्कार किया जाता है, लेकिन इसका धार्मिक महत्व अधिक है तो आज हम आपको बनारस के मणिकर्णिका घाट के बारे में बता रहे हैं जहां भगवान शिव ने अपनी पत्नी यानी माता सती का अंतिम संस्कार किया था तो आइए जानते हैं।
बनारस में स्थित मणिकर्णिका घाट को अंतिम संस्कार के लिए पवित्र माना जाता है ऐसे में यहां पर हर समय चिंताएं जलती रहती है ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव शंकर ने इस घाट को वरदान दिया है कि इस घाट पर जिनका अंतिम संस्कार किया जाएगा उन्हें असीम और अनंत शांति की प्राप्ति होगी मृत्यु पश्चात इनकी आत्मा को सुख का अनुभव होगा। मणिकर्णिका घाट को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है जिसमें बताया गया है कि इस घाट का नाम मणिकर्णिका कैसे पड़ा।
कहते हैं कि एक बार माता पार्वती ने शिव से काशी भ्रमण की इच्छा व्यक्त की काशी भ्रमण के दौरान शिव ने स्नान के लिए एक कुंड खोदा, उस कुंड में स्नान के समय पार्वती माता के कान की बाली का एक मणि टूट कर गिर गया और तभी से इस कुंड को मणिकर्णिका के नाम से जाना जाने लगा। मान्यता है कि गंगा के सभी घाटों में स्नान किया जा सकता है लेकिन मणिकर्णिका घाट में स्नान करना वर्जित होता है लेकिन कार्तिक के पावन महीने में बैकुण्ठ चतुर्दशी पर यहां स्नान किया जा सकता है ऐसा करने से जातक को सभी तरह के पापों से राहत मिल जाती है इस घाट पर वैशाख स्नान करने से जातक को मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है।
पवित्र महीना शुरू: स्नान-दान से मिलता है कई यज्ञ करने जितना पुण्य
8 Jan, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
माघ मास 7 जनवरी, शनिवार से शुरू हो गया है। जो कि 5 फरवरी रविवार तक रहेगा। इस महीने के स्वामी माधव हैं। ये भगवान विष्णु और कृष्ण का ही नाम है।
इस महीने में सहस्त्रांशु नाम के सूर्य की पूजा करने का विधान अग्नि पुराण में बताया गया है।
माघ मास में भगवान विष्णु, कृष्ण और सूर्य पूजा की परंपरा है। ऐसा करने से जाने-अनजाने में हुए पाप खत्म हो जाते हैं। इसलिए माघ मास को पाप खत्म करने और पुण्य देने वाला महीना कहा गया है।
माघ स्नान का महत्व
पद्म पुराण में माघ मास का महत्व बताते हुए कहा गया है कि इस महीने में स्नान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इस महीने में स्नान करने से हजारों अश्वमेध यज्ञ कराने के बाराबर पुण्य फल मिलता है। वहीं, प्रयागराज के संगम में माघ मास के दौरान स्नान करने से कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिलता है।
सुख-सौभाग्य और मोक्ष देने वाला महीना
माघ मास में हर दिन प्रयाग संगम पर नहाने से सुख, सौभाग्य, धन और संतान प्राप्ति होती है और मृत्यु के बाद मोक्ष भी मिल जाता है। भगवान विष्णु का धाम मिलता है।
पूरे माघ महीने में प्रयागराज के संगम में नहाने से कई यज्ञों को करने जितना पुण्य भी मिलता है। साथ ही सोना, भूमि और गौदान करने का पुण्य भी माघ मास में तीर्थ स्नान करने से मिलता है।