धर्म एवं ज्योतिष (ऑर्काइव)
नए साल पर गिफ्ट में भूलकर भी न दें ये 8 सामान, वरना मां लक्ष्मी हो जाएंगी नाराज
16 Dec, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बस कुछ दिनों बाद साल 2023 खत्म होने वाला है और नए साल 2024 की शुरुआत होगी. ऐसी स्थिति में अगर आप अपने लाइफ पार्टनर या किसी दोस्त को गिफ्ट देने की सोच रहे हैं तो फिर आपको ज्योतिष और वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करना होगा नहीं तो माता लक्ष्मी आपसे रूठ जाएंगी. वास्तु शास्त्र के अनुसार आप अपने प्रियजनों को कभी भी ऐसी गिफ्ट नहीं देना चाहिए जिससे माता लक्ष्मी नाराज हो और आपके रिश्तों में खटास पैदा हो.
अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि कई बार जानकारी न होने पर हम कोई गलत तोहफा दे देते हैं. जिससे सामने वाले को भी परेशानी हो सकती और हमारे जीवन पर भी इसका गहरा असर पड़ता है. वास्तु तथा ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर जातक कुछ नियमों का पालन करते हैं तो माता लक्ष्मी जल्द प्रसन्न होती है. ऐसी स्थिति में अगर आप किसी को नए साल के मौके पर कुछ उपहार देना चाहते हैं तो कुछ नियमों का पालन आवश्यक करना चाहिए.
जूते, चप्पल, चाकू और कैंची
नए साल के मौके पर किसी को जूते, चप्पल, चाकू और कैंची गिफ्ट नहीं देना चाहिए. वास्तु शास्त्र में इसे दरिद्रता का प्रतीक माना जाता है. ऐसी चीजों को उपहार में देने से बचना चाहिए .
एमपी के इस गणेश मंदिर पर प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती है ये घास
16 Dec, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
एमपी के चंबल इलाके में प्राचीन मोटे गणेश जी का मन्दिर है. यहाँ पर बुधवार के दिन काफी भक्त लोग पहुँचते है. इस मंदिर में आने वाले भक्त दूब लेकर आते है. भगवान गणेश जी पर दूब के बिना (जिसे दूब घास भी कहते हैं) पूजा पूरी नहीं मानी जाती है.आज हम इस खबर में आपको बताएंगे कि गणेश जी की पूजा में दूब घास का क्या महत्व होता है और इसके बिना पूजा अधूरी क्यों होती है.
भिंड जिले का गौरी सरोवर पर बना मोटे गणेश जी की प्रतिमा 5 फूट ऊंची जिले की सबसे बड़ी प्रतिमा है. यह मंदिर करीबन 1000 साल पुराना है. आज इस मंदिर पर लाखों भक्त की आस्था जुड़ी है. इस मंदिर पर आने वाले भक्त गणेश जी को दूब चढ़ाते हैं. वैसे तो सभी मंदिरों पर अलग-अलग तरह से भोग लगाने की मान्यता है. एमपी के चंबल के इस मंदिर पर भगवान गणेश जी पर दूब चढ़ाकर भोग लगाया जाता है. मान्यता है ऐसा करने से बच्चों की बुद्धि का विकास होता है और घर में ग्रह क्लेश से भी दूरियां मिलती हैं. मंदिर के पुजारी संजय नगाइच का कहना है भगवान गणेश को दूब अति प्रिय है. इसे भगवान गणेश पर चढ़ाने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है.
क्या कहती है पैराणिक कथा
पैराणिक कथाओं के अनुसार एक बार अनलासुर नाम का एक राक्षस था, वह राक्षस साधुओं को जिंदा ही निगल लेता था. जिसके प्रकोप से चारों तरफ उस समय हाहाकार मचा था. फिर सभी साधुओं और संतों ने मिलकर भगवान गणेश जी की प्रार्थना करना शुरू की और अनलासुर के बारे गणेश जी को बताया था गणेश जी फिर राक्षस अनलासुर के पास गए थे, फिर उस राक्षस को ही उन्होंने निगल लिया था. इसके बाद उनको सही से पाचन ना होने कि वजह से बहुत तेज से पेट के अंदर गर्मी पैदा होने लगी. तभी कश्यप ऋषि ने उस ताप को शांत करने के लिए गणेशजी को 21 दूब घास खाने को दी थी. इससे गणेशजी का ताप शांत हो गया था इस कारण की वजह से यह माना जाता है कि गणेश जी दूब घास चढ़ाने से जल्द प्रसन्न होते हैं.
यहाँ मौजूद है मंदिर:
बुधवार के दिन भिण्ड शहर में बना प्राचीन मंदिर पर भारी भीड़ होती है.इस दिन भक्तों का सुबह से स हुजूम देखने को मिलेगा.अगर आप भी मन्दिर लर जाना चाहते है.तो शहर के गौरी सरोवर पर यह मंदिर मौजूद है.आप शास्त्री चौराहे से राइट साइड की गली से जा सकते हैं.
भैरव बाबा के इस दरबार में ढांक बजाकर लगाते हैं अर्जी, जानें 300 साल पुरानी परंपरा
16 Dec, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में भगवान की अलग-अलग तरह से आराधना की जाती है. पूजा-पाठ, ध्यान के अलावा संगीत से भी भगवान को प्रसन्न किया जाता है. बुंदेलखंड में अलग-अलग वाद्य यंत्रों से श्रद्धालु साधना करते नजर आते हैं, जिनमें तमूरा, तारे, झूला, रामतुला के साथ ढांक भी बजाई जाती है. ढांक बजाने की शुरुआत लाला हरदौल के जमाने से शुरू मानी जाती है. इसके बाद उनकी टोलियों द्वारा जगह-जगह इसका वादन किया जाता था. करीब 300 साल पहले शुरू हुई ये परंपरा आज भी देखने को मिल रही है. खासकर भैरव मंदिरों में इन्हें बुंदेली भैरव गीतों के साथ बजाया जाता जाता है.
मिट्टी के घड़े से तैयार होती है ढांक
शैलेश केशरवानी बताते हैं कि इसमें मिट्टी का एक घड़ा (मटका) होता है, जिसके अंदर पूजन की सामग्री रखते हैं. इसमें एक दीपक भी जला कर रखते हैं. फूल माला पहनाकर जल अर्पित कर इसका पूजन किया जाता है. मटके के ऊपर कांसे की एक थाली रखते हैं, फिर एक लोहे का चूड़ा लेते हैं. लोग बारी-बारी से भैरव गीत गाते हुए इसे बजाते जाते हैं. इसे बजाने का अंदाज भी अलग है, जिसे हर कोई नहीं बजा पाता है. इससे निकलने वाले शोर को ढांक संगीत कहते हैं. लोग इसमें शामिल होते जाते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हुए अर्जी लगाते हैं.
इसकी अनोखी मान्यता
विलुप्त हो रही यह परंपरा अब गिनी-चुनी जगह पर ही देखने-सुनने को मिलती है. सागर के चकरा घाट पर स्थित भैरव मंदिर में भैरव की आराधना करने के लिए ढांक बजाई जाती है. विश्व शांति के लिए ढांक बजाने का आयोजन किया जाता है. इस संगीत में भैरव बाबा की स्तुति बुंदेली अंदाज में की जाती है. मान्यता है कि जो श्रद्धालु बाबा भैरव के दरबार में अर्जी लगाता है, तो उसे ढांक संगीत में शामिल होना पड़ता है. तब उसकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है. इससे शत्रुओं से मुक्ति मिल जाती है.
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (16 दिसंबर 2023)
16 Dec, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- धन का व्यय संभव है, तनावपूर्ण वार्ता से बचिएगा, कार्य का ध्यान अवश्य दें।
वृष राशि :- अधिकारियों के समर्थन से सफलता, कार्य कुशलता से संतोष होवे तथा कार्य करें।
मिथुन राशि :- चिन्ताएं कम हो, सफलता के साधन जुटाए तथा शुभ समाचार अवश्य ही प्राप्त होगा।
कर्क राशि :- बड़े-बड़े लोगों से मेल मिलाप होगा तथा सुख समृद्धि के साधन अवश्य ही बनेंगे।
सिंह राशि - स्त्रीवर्ग से हर्ष उल्लास होवे, भोग ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी तथा कार्य गति उत्तम होगी।
कन्या राशि :- प्रतिष्ठा बाल-बाल बचें, संघर्ष से अधिकारियों का भाग्य तथा साथ अवश्य प्राप्त होगा।
तुला राशि :- कुटुम्ब और धन की चिन्ता बनी रहें, परिश्रम से सोचे कार्य अवश्य ही हो जाएगे।
वृश्चिक राशि :- प्रत्येक कार्य में बाधा क्लेश, स्थिति सामर्थ्य के योग्य अवश्य ही बनेगी।
धनु राशि :- भावनाएं मन को विक्षुब्ध रखे, दैनिक कार्यगति मंद रहे, परिश्रम से कार्य अवश्य सफल होगे।
मकर राशि - तनाव क्लेश व अशांति, धन का व्यय, मानसिक खिन्नता अवश्य ही बन सकेगी।
कुंभ राशि - कार्य कुशलता से संतोष, व्यावसायिक समृद्धि के साधन बनेंगे, कार्य बनेंगे।
मीन राशि - कुटुम्ब के कार्यों में समय बीतेगा तथा हर्षप्रद समाचार अवश्य ही मिलेगे।
भूखा व्यक्ति धर्म-कर्म और ज्ञान की बातें नहीं समझता है, उसे ज्ञान नहीं, सबसे पहले खाना देना चाहिए
15 Dec, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गौतम बुद्ध से जुड़ा किस्सा है। बुद्ध के उपदेशों की वजह से उनके सभी शिष्य भी मानवता के मार्ग पर चल रहे थे। सभी शिष्य जरूरतमंद लोगों की मदद करने में पीछे नहीं हटते थे। ऐसे ही कुछ शिष्यों को एक दिन रास्ते में भूखा भिखारी दिखाई दिया।
भूख की वजह से वह भिखारी बेहोश गया था। उसके आसपास कई लोग इकट्ठा हो गए थे, लेकिन कोई उसकी मदद नहीं कर रहा था। बुद्ध के एक शिष्य ने कहा कि अगर ये यहीं पड़ा रहा तो मर जाएगा। अंत समय में ये तथागत से ज्ञान की बातें सुन लेगा तो उसका जीवन धन्य हो जाएगा। ऐसा सोचकर शिष्य उस भिखारी को लेकर बुद्ध के पास ले जाने की कोशिश करने लगे।
वह भिखारी इतना कमजोर था कि चल भी नहीं पा रहा था। तब एक शिष्य बुद्ध पास के पहुंचा और उस भिखारी की बात बताई। बुद्ध तुरंत ही उस बेहोश भिखारी के पास पहुंच गए।
बुद्ध को देखकर शिष्यों ने कहा कि ये व्यक्ति मृत्यु के निकट है, आप इसे ज्ञान की कुछ बातें बता दीजिए, ताकि इसका जीवन धन्य हो जाए।
बुद्ध ने कहा कि हम इसे उपदेश तो बाद में देंगे, लेकिन सबसे पहले इसे कुछ खाने को दो। बुद्ध के कहने के बाद तुरंत ही लोगों ने खाने की व्यवस्था कर दी।
खाना मिलते ही भिखारी ने खाना शुरू कर दिया। जब उसका पेट भर गया, वह गहरी नींद में सो गया।
बुद्ध ने कहा कि हमारा काम हो गया है, अब हमें यहां से चलना चाहिए।
शिष्यों ने और आसपास खड़े लोगों ने बुद्ध से कहा कि ये कैसा मूर्ख है, खाना खाकर सो गया। आप यहां थे, इसने उपदेश भी नहीं लिया।
बुद्ध की सीख
बुद्ध ने कहा कि कोई बात नहीं, ये कई दिनों से भूखा था। भूख की वजह से कमजोर हो गया था। इसके लिए सबसे बड़ा उपदेश यही है कि भूखे व्यक्ति को धर्म-कर्म और ज्ञान की बातों से कोई मतलब नहीं होता है। सबसे पहले भूखे का पेट भरना चाहिए। अगर कोई व्यक्ति भूखा है तो वह धर्म का मर्म नहीं समझेगा। तुम लोग यही भूल कर रहे थे। सबसे पहले इसे खाना देना था, इसके बाद ही ये धर्म की कोई बात समझेगा। हमें आसपास जहां भी जरूरतमंद लोग दिखाई दें, उन्हें खाना जरूर खिलाना चाहिए। यही आज का उपदेश है।
साल का आखिरी विवाह मुहूर्त, शिव-पार्वती और राम-सीता विवाह से शुरु हुई इस महीने शादियों की परंपरा
15 Dec, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मार्गशीर्ष महीने की शुरुआत हो गई है। इस साल शादियां के लिए ये आखिरी हिंदी महीना है जो कि 26 दिसंबर तक रहेगा। इस साल का आखिरी विवाह मुहूर्त 15 दिसंबर को रहेगा। इसके बाद धनु संक्रांति होने की वजह से खरमास शुरू हो जाएगा, जो मकर संक्रांति यानी अगले साल 14 जनवरी तक रहेगा।
अगहन महीने में शादी के लिए अब 3 मुहूर्त बचे हैं। जो कि 9, 11 और 15 दिसंबर को है। इसके बाद 16 जनवरी को यानी पौष महीने में विवाह होंगे।
मार्गशीर्ष महीने में विवाह की परंपरा क्यों
अगहन महीने में सनातन धर्म के दो बड़े विवाह हुए थे। इनमें भगवान शिव-पार्वती विवाह मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की द्वितीया और इसी महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी पर श्रीराम-सीता का विवाह हुआ था। मार्गशीर्ष महीने के स्वामी भगवान विष्णु है। इसलिए देव विवाह का महीना होने से इस महीने शादियों की परंपरा शुरू हुई।
मृगशिरा नक्षत्र से नाम पड़ा मार्गशीर्ष
मार्गशीर्ष मास हिंदू वर्ष का 9वां महीना है, प्रत्येक चंद्रमास का नाम उसके नक्षत्र के आधार पर रखा जाता है। मार्गशीर्ष माह में मृगशिरा नक्षत्र होता है, इसलिए इसे मार्गशीर्ष कहा जाता है। आम बोलचाल की भाषा में इसे अगहन मास के नाम से भी जाना जाता है।
इस माह में भगवान कृष्ण की उपासना करने का विशेष महत्व माना गया है। इस महीने में विवाह पंचमी, दत्तात्रेय जयंती व धनु संक्रांति समेत भगवत आराधना के लिए कई दिन रहेंगे। जिसमें भगवान श्री कृष्ण के स्वरूप की वंदना होगी।
ये महीना भगवान श्री कृष्ण को बहुत प्रिय है। भगवान ने खुद कहा है कि मार्गशीर्ष मास मेरा ही रूप है। इस महीने में तीर्थ और नदी स्नान से पाप नाश होने के साथ मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।
मार्गशीर्ष की शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में धनुर्धारी अर्जुन को गीता का उपदेश सुनाया था। इस माह में गीता का दान भी शुभ माना जाता है। गीता के एक श्लोक में भगवान श्री कृष्ण मार्गशीर्ष मास की महिमा भी बताई गई है।
सुखी जीवन की सीख:समस्याएं तो आती-जाती रहेंगी, लेकिन हमें रुकना नहीं चाहिए, आगे बढ़ते रहेंगे तो सफलता जरूर मिलेगी
15 Dec, 2023 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
समस्याएं सभी के जीवन में आती-जाती रहती हैं, बस फर्क सिर्फ इतना है कि कुछ लोगों के जीवन में ज्यादा समस्याएं रहती हैं और कुछ के जीवन में कम। समस्याओं का सामना करते हुए जो लोग आगे बढ़ते हैं, उन्हें सफलता जरूर मिलती है। एक लोक कथा के मुताबिक, ये बात एक संत ने एक दुखी व्यक्ति को समझाई थी, पढ़िए दुखों को दूर करने का सूत्र बताने वाली कथा...
एक व्यक्ति बहुत दुखी था। उसके पिता की मृत्यु हो चुकी थी, पूरे घर की जिम्मेदारी उस पर आ गई थी। बहुत मेहनत करने के बाद भी उसकी समस्याएं खत्म नहीं हो रही थीं। वह निराश रहने लगा था।
एक दिन उस व्यक्ति ने एक विद्वान संत मिले। व्यक्ति ने संत से कहा कि मैं बहुत परेशान हो गया हूं। मुझे अपना शिष्य बना लीजिए।
संत ने कहा कि ठीक है, तुम शिष्य बन जाना, लेकिन पहले अपनी परेशानी बताओ।
शिष्य ने कहा कि गुरु जी मेरे जीवन में एक समस्या खत्म नहीं होती है और उससे पहले ही दूसरी सामने आ जाती है। इस कारण मैं बहुत दुखी हूं। किसी भी काम में सफलता नहीं मिल पाती है, घर की भी समस्याएं बनी रहती हैं।
गुरु ने कहा कि तुम मेरे साथ चलो।
वह व्यक्ति संत के साथ चल दिया। कुछ देर में संत और शिष्य पास की नदी के किनारे पहुंच गए। किनारे पर पहुंचकर गुरु ने कहा कि हमें ये नदी पार करनी है। इतना कहकर संत किनारे पर ही खड़े हो गए। शिष्य भी गुरु के साथ खड़ा रहा।
कुछ देर बाद शिष्य ने कहा कि हमें नदी पार करनी है तो हम यहां क्यों खड़े हैं?
गुरु ने कहा कि हम इस नदी के सूखने का इंतजार कर रहे हैं, जब ये सूख जाएगी, हम इसे आसानी से पार कर लेंगे।
ये बात सुनकर शिष्य बहुत हैरान हो गया। वह बोला कि गुरु जी ये कैसी बात कर रहे हैं? नदी का पानी कैसे और कब सूखेगा। हमें नदी को इसी समय पार करनी होगी।
संत की सीख
संत ने कहा कि मैं तुम्हें यही बात समझाना चाहता हूं। जीवन में भी समस्याएं आती-जाती रहेंगी। हमें सकारात्मक रहना चाहिए। निराश होकर रुकना नहीं चाहिए, लगातार आगे बढ़ते रहना चाहिए। तभी जीवन में कुछ उल्लेखनीय काम हो पाएंगे। आगे बढ़ते रहेंगे तो समस्याओं के हल भी मिलते जाएंगे। ठहर जाएंगे तो एक भी बाधा पार नहीं होगी और निराशा बढ़ने लगेगी।
सूर्य पूजा के साथ जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाने और वस्त्र दान से मिलता है अक्षय पुण्य
15 Dec, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
16 दिसंबर, शनिवार की शाम को सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेगा। सूर्य के राशि बदलने को सूर्य संक्रांति कहते हैं। इसी पर्व पर तीर्थ स्नान, दान और पूजा का महत्व ज्यादा होता है। ये कभी मार्गशीर्ष तो कभी पौष महीने में आती है। ये संक्रांति पर्व हेमंत ऋतु में मनाया जाता है।
सूर्य के नारायण रूप की पूजा
धनु संक्रांति के दिन सूर्य देव के नारायण रूप की पूजा करने का बहुत महत्व है। इस दिन सूर्य पूजा करने से उम्र बढ़ती है। इस पर्व पर पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है। धनु संक्रांति पर सूर्य नारायण रूप की पूजा होती है। इनकी पूजा से कई गुना पुण्य फल मिलता है।
पूजा विधि
सुबह सूर्योदय से पहले उठकर नहाएं फिर उगते हुए सूर्य को जल चढ़ाएं।
पूजा करें और दिनभर व्रत और दान करने का संकल्प लें।
पीपल और तुलसी को जल चढ़ाएं। इसके बाद गाय को घास-चारा या अन्न खिलाएं।
जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाएं और कपड़े दान कर सकते हैं।
सूर्योदय से दो प्रहर बीतने के पहले यानी दिन में 12 बजे के पहले पितरों की शांति के लिए तर्पण करना चाहिए।
संक्रांति पर्व पर गौ दान का महत्व
धनु संक्रांति पर गौ दान को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। ग्रंथों के मुताबिक इस संक्रांति पर गौ दान से हर तरह के सुख मिलते हैं। पाप खत्म हो जाते हैं और परेशानियों से भी छुटकारा मिलता है। गौ दान नहीं कर सकते तो गाय के लिए एक या ज्यादा दिनों का चारा दान करें। इस तरह दान करने से पाप खत्म हो जाते हैं।
धनु संक्रांति पर्व मनाने वालों को दिनभर ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। पूरे दिन जरुरतमंद लोगों को दान करना चाहिए। कोशिश करना चाहिए इस दिन नमक न खाएं। इस पर्व पर भगवान सूर्य, विष्णु और शिवजी की पूजा करनी चाहिए। इनके अलावा पितृ शांति के लिए तर्पण करने का भी महत्व है।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (15 दिसंबर 2023)
15 Dec, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- समय विफल हो, कार्य गति में बाधा चिन्ताग्रस्त होवे, व्यर्थ भ्रमण तथा कार्य अवरोध होगा।
वृष राशि :- इष्ट मित्रों से सुख, अधिकारियों से मेल मिलाप होवे तथा रुके कार्य अवश्य ही बन जाएगे।
मिथुन राशि :- भाग्य का सितारा प्राप्त हो, बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे, समय का उपयोग अवश्य करें।
कर्क राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल है, बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे, समय समस्याओं से घिरा है।
सिंह राशि - इष्ट मित्र सुखवर्धक हो, कुटुम्ब की समस्याएं सुलझे तथा स्त्रीवर्ग से हर्ष अवश्य होगा।
कन्या राशि :- भावनाएं संवेदनशील रहे, कुटुम्ब में सुख तथा धन प्राप्त के साधन अवश्य बनेंगे।
तुला राशि :- समय अनुकूल नहीं, स्वास्थ्य नरम रहे तथा किसी धारणा का अनदेख अपराध होगा।
वृश्चिक राशि :- स्त्री शरीर कष्ट, मानसिक उद्विघ्नता, हानिप्रद होगी, समय का ध्यान रखें।
धनु राशि :- आशानुकूल सफलता, स्थिति में सुधार, व्यवसाय गति उत्तम अवश्य ही बनेगी।
मकर राशि - व्यर्थ धन का व्यय, मानसिक उद्विघ्नता हानिप्रद होगी, समय का ध्यान रखे।
कुंभ राशि - इष्ट मित्र सहयोगी, कार्य बनेंगे तथा कार्य गति अनुकूल होगी, अनुकूलता का लाभ लें।
मीन राशि - भाग्य का सितारा प्रबल हो, बिगड़े कार्य बन जाएंगे, रुके कार्यों पर ध्यान दें।
सदगुरु की अनुकंपा से पाएं मान-सम्मान
14 Dec, 2023 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अष्टम भाव पर मंगल या शनि, अथवा दोनों की पूर्ण दृष्टि हो, तो यह स्थिति किसी गंभीर दुर्घटना से हानि का संकेत है। यदि इस भाव में कोई ग्रह न हो और इस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो, तो व्यक्ति जीवन में सद्गुरु की अनुकंपा प्राप्त करके सत्कर्मों की ओर उन्मुख होकर मोक्ष का वरण करता है, ऐसा प्राचीन ग्रंथ कहते हैं।
जन्म कुंडली में यदि कर्क राशि में वृहस्पति आसीन हो, तो व्यक्ति शुभ कर्मों की ओर आकृष्ट होकर अगले जन्म में उत्तम कुल में पैदा होता है। यदि लग्न में उच्च का चंद्रमा हो और वह किसी पापी ग्रह से दृष्ट न हो, तो व्यक्ति जिंदगी को बहुत अच्छी तरह जीता है और जीवन का समापन बहुत शांति और हर्ष के साथ होता है, ऐसा पवित्र ग्रंथों में वर्णित है।
टिप्स
मान्यताएं कहती हैं कि सूर्योदय के समय सूर्य को ताम्र पात्र से जल अर्पित करने से अपार मान प्रतिष्ठा का योग निर्मित होता है। यदि उसमें एक चुटकी कुमकुम मिला दिया जाए, तो किसी अपमान से बाहर निकलने में सहायता मिलती है। यदि उसमें लाल मिर्च के 24 बीज डाल दिए जाएं, तो रुके धन की वापसी का मार्ग प्रशस्त होता है।
राशि और आप
मिथुन राशि के लोगों की बौद्धिक और मानसिक क्षमता अपार होती है। एक प्रकार से ये अलौकिक क्षमता से सराबोर होते हैं। इनके विचार मौलिक और मन बहुत कोमल होता है। ये जोखिम उठाने वाले, जिज्ञासु, प्रेमी, साहसी, अधीर और दयालु होते हैं। नई बातें ये बहुत जल्दी सीख लेते हैं। बात करने में ये कुशल होते हैं। ये जीवन के कुछ काल खंड में बहुत अधिक भ्रमण करते हैं। ये धनी, संपन्न और प्रभावशाली लोगों में शुमार होते हैं। ये साहसी और एकांतप्रेमी होते हैं। इनका व्यक्तित्व बहिर्मुखी नहीं होता, फिर भी ये विशिष्ट समूह में ख्याति अर्जित करते हैं। दूसरों के कारण या गलत फैसले धन को नष्ट कर देते हैं। साहित्य, कला और संगीत में गहरी रुचि होती है। इनकी पसंद-नापसंद परिवर्तित होती रहती है।
धर्म का लाभ प्राप्त होने का आशीर्वाद दें
14 Dec, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
‘धर्म लाभ हो’ यह ऐसा विशेष आशीर्वाद है जो विरले ही विलक्षण संत भक्तों को देते थे। एक दिन ऐसा ही आशीर्वाद पाकर एक भाग्यवान भक्त ने पूछ लिया, ‘महात्मा जी, आमतौर पर ऋषि-मुनि धनवान, दीर्घायु, समृद्ध और विजयी होने का आशीर्वाद देते हैं। आप धर्म का लाभ प्राप्त होने का आशीर्वाद क्यों देते हैं?
संत ने उसकी जिज्ञासा को शांत करते हुए कहा, ‘ऊपर बताए जो आशीर्वाद तुम्हें अब तक मिलते रहे यह तो सामान्य आशीर्वाद हैं। लक्ष्मी और धन तो कृपण के पास भी बहुत हो सकता है। दीर्घायु भी बहुतों को मिल जाती है। संतान सुख ब्रह्मांड के सभी जीव भोगते हैं। मैंने तुम्हें जो धर्म-लाभ का अलौकिक आशीर्वाद दिया है उससे तुम्हें शाश्वत एवं वास्तविक सुख मिलेगा। धर्म-लाभ वह लाभ है जिसके अंदर दुख नहीं बसता। धर्म से जीवन शुभ ही शुभ बनता है। शुभता के अभाव में प्राप्त लाभ से गुणों में ह्रास और दुर्गुणों में वृद्धि होती है। अशुद्ध साधनों से अर्जित धन-लाभ आपको सुख के अतिरिक्त सब कुछ दे सकता है। उसमें आपको सुखों में भी दुःखी बनाने की शक्ति है।’
हम प्राय: धर्म लाभ और शुभ-लाभ को जानने का प्रयास नहीं करते हैं। शुभ अवसरों पर शुभ-लाभ लिखते अवश्य हैं, लेकिन लाभ अर्जित करते समय कभी इसका ध्यान नहीं रखते कि क्या इसकी प्राप्ति के साधन शुभ हैं? लाभ ऐसा हो जिससे किसी और को कलेश न हो, किसी को हानि न पहुंचे। लक्ष्मी वहीं निवास करती है जहां धर्म का निवास है और लक्ष्मी उसे कहते हैं जो शुभ साधनों से प्राप्त हो। सम्यक नीति से न्यायपूर्वक जो प्राप्त होती है वह वास्तविक संपदा है और बाकी सब विपदा। पैसा हमारे व्यक्तित्व में तभी सही चमक पैदा कर सकता है, जब हमारे मानवीय गुण बने रहें। अमेरिकी लेखक हेनरी मिलर का कथन है- मेरे पास पैसा नहीं है, कोई संसाधन नहीं है, कोई उम्मीद नहीं है, पर मैं सबसे खुशहाल जीवित व्यक्ति हूं।
नदी जब अपने स्वभाव में बहती है उसका जल निर्मल, पीने योग्य और स्वास्थ्यवर्धक होता है। लेकिन जैसे ही उसमें बाढ़ आती है, वह तोड़फोड़ और विनाश का कारण बनती है। उसका निर्मल जल मलिन हो जाता है। वर्तमान में भी जो धन का आधिक्य है वह अशुभ-लाभ और अशुद्ध साधनों की बाढ़ से अर्जित लाभ ही है। यही कारण है कि इस तरह से प्राप्त की हुई संपदा विपदा ही सिद्ध हो रही है। वर्तमान की सारी अशांति और अस्त-व्यस्तता की जनक यही अनीति से अर्जित धन संपदा है। अमेरिकी विद्वान ओलिवर वेंडेल का कहना है कि आमतौर पर व्यक्ति अपने सिद्धांतों की अपेक्षा अपने धन के लिए अधिक परेशान रहता है।
विपदा ने संपदा का लिबास पहन रखा है। शुभ कहीं जाकर अशुभ की चकाचौंध में विलीन हो गया है। सभी कम करके ज्यादा पाने की होड़ में लगे हैं। सब ‘ईजी मनी’ की तलाश में हैं, ‘राइट मनी’ की खोज में कोई नहीं है। इसमें सुख पीछे छूटता जा रहा है। हमारी भलाई इसी में है कि लाभ-शुभ का प्रतिफल बनें और लाभ का सदुपयोग भी शुभ में हो। पैसों की अंधी लालसा में जब हम बेईमानी, चोरी और भ्रष्टाचार से पैसा कमाने लगते हैं, तो हम पैसे का घोर निरादर कर रहे होते हैं। जिंदगी बेहतर होती है जब हम खुश होते हैं लेकिन बेहतरीन तब होती है जब हमारी वजह से लोग खुश होते हैं।
ज्योतिर्लिंग पूजा की है विशेष मान्यता
14 Dec, 2023 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देश में ज्योतिर्लिंग पूजा विशेष मान्य है। इसलिए शिव मंदिर में भगवान शिव की इसी रूप में पूजा होती है। भगवान राम ने भी रेत से शिवलिंग का निर्माण कर रामेश्वरम की स्थापना की थी। सृष्टि के आरंभ में भगवान शिव ने लिंग रूप में ही प्रकट होकर अपने विस्तार का ज्ञान भगवान विष्णु और ब्रह्माजी को करवाया था। यहां हम भी आपको भारत के प्रमुख ज्योतिर्लिंग के बारे में बता रहे हैं जिनमें आप शिव की भव्यता का अनुभव करें।
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग
सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भारत का ही नहीं अपितु इस पृथ्वी का पहला ज्योतिर्लिंग माना जाता है। यह मंदिर गुजरात राज्य के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है। शिवपुराण के अनुसार जब चंद्रमा को दक्ष प्रजापति ने क्षय रोग होने का श्राप दिया था, तब चंद्रमा ने इसी स्थान पर तप कर इस श्राप से मुक्ति पाई थी। ऐसा भी कहा जाता है कि इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं चंद्रदेव ने की थी। विदेशी आक्रमणों के कारण यह 17 बार नष्ट हो चुका है। हर बार यह बिगड़ता और बनता रहा है।
2 - मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग आन्ध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर का महत्व भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान कहा गया है। अनेक धार्मिक शास्त्र इसके धार्मिक और पौराणिक महत्व की व्याख्या करते हैं। कहते हैं कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
एक पौराणिक कथा के अनुसार जहां पर यह ज्योतिर्लिंग है, उस पर्वत पर आकर शिव का पूजन करने से व्यक्ति को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य फल प्राप्त होते हैं।
3- महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी कही जाने वाली उज्जैन नगरी में स्थित है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता है कि ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां प्रतिदिन सुबह की जाने वाली भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध है। महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से आयु वृद्धि और आयु पर आए हुए संकट को टालने के लिए की जाती है। उज्जैन वासी मानते हैं कि भगवान महाकालेश्वर ही उनके राजा हैं और वे ही उज्जैन की रक्षा कर रहे हैं।
4 - ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध शहर इंदौर के समीप स्थित है। जिस स्थान पर यह ज्योतिर्लिंग स्थित है, उस स्थान पर नर्मदा नदी बहती है और पहाड़ी के चारों ओर नदी बहने से यहां ऊं का आकार बनता है। ऊं शब्द की उत्पति ब्रह्मा के मुख से हुई है। इसलिए किसी भी धार्मिक शास्त्र या वेदों का पाठ ऊं के साथ ही किया जाता है। यह ज्योतिर्लिंग औंकार अर्थात ऊं का आकार लिए हुए है, इस कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।
5 - केदारनाथ ज्योतिर्लिंग
केदारनाथ स्थित ज्योतिर्लिंग भी भगवान शिव के 12 प्रमुख ज्योतिर्लिंगों में आता है। यह उत्तराखंड में स्थित है। बाबा केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है। केदारनाथ समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। केदारनाथ का वर्णन स्कन्द पुराण एवं शिव पुराण में भी मिलता है। यह तीर्थ भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। जिस प्रकार कैलाश का महत्व है उसी प्रकार का महत्व शिव जी ने केदार क्षेत्र को भी दिया है।
6 - भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग
भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि जो भक्त श्रृद्धा से इस मंदिर के प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं तथा उसके लिए स्वर्ग के मार्ग खुल जाते हैं।
7 - काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग
विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह उत्तर प्रदेश के काशी नामक स्थान पर स्थित है। काशी सभी धर्म स्थलों में सबसे अधिक महत्व रखती है। इसलिए सभी धर्म स्थलों में काशी का अत्यधिक महत्व कहा गया है। इस स्थान की मान्यता है, कि प्रलय आने पर भी यह स्थान बना रहेगा। इसकी रक्षा के लिए भगवान शिव इस स्थान को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेंगे और प्रलय के टल जाने पर काशी को उसके स्थान पर पुन: रख देंगे।
8 - त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग गोदावरी नदी के करीब महाराष्ट्र राज्य के नासिक जिले में स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के सबसे अधिक निकट ब्रह्मागिरि नाम का पर्वत है। इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरूहोती है। भगवान शिव का एक नाम त्र्यंबकेश्वर भी है। कहा जाता है कि भगवान शिव को गौतम ऋषि और गोदावरी नदी के आग्रह पर यहां ज्योतिर्लिंग रूप में रहना पड़ा।
9 - वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग
श्री वैद्यनाथ शिवलिंग का समस्त ज्योतिर्लिंगों की गणना में नौवां स्थान बताया गया है। भगवान श्री वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग का मन्दिर जिस स्थान पर अवस्थित है, उसे वैद्यनाथ धाम कहा जाता है। यह स्थान झारखण्ड प्रान्त, पूर्व में बिहार प्रान्त के संथाल परगना के दुमका नामक जनपद में पड़ता है।
10 - नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के बाहरी क्षेत्र में द्वारिका स्थान में स्थित है। धर्म शास्त्रों में भगवान शिव नागों के देवता है और नागेश्वर का पूर्ण अर्थ नागों का ईश्वर है। भगवान शिव का एक अन्य नाम नागेश्वर भी है। द्वारका पुरी से भी नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की दूरी 17 मील की है। इस ज्योतिर्लिंग की महिमा में कहा गया है कि जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यहां दर्शनों के लिए आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
11- रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग
यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य के रामनाथ पुरं नामक स्थान में स्थित है। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक होने के साथ-साथ यह स्थान हिंदुओं के चार धामों में से एक भी है। इस ज्योतिर्लिंग के विषय में यह मान्यता है, कि इसकी स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी। भगवान राम के द्वारा स्थापित होने के कारण ही इस ज्योतिर्लिंग को भगवान राम का नाम रामेश्वरम दिया गया है।
12 - घृष्णेश्वर मन्दिर ज्योतिर्लिंग
घृष्णेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर महाराष्ट्र के संभाजीनगर के समीप दौलताबाद के पास स्थित है। इसे घृसणेश्वर या घुश्मेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं। भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह अंतिम ज्योतिर्लिंग है। बौद्ध भिक्षुओं द्वारा निर्मित एलोरा की प्रसिद्ध गुफाएं इस मंदिर के समीप स्थित हैं। यहीं पर श्री एकनाथजी गुरु व श्री जनार्दन महाराज की समाधि भी है।
इन जगहों पर रहे हैं भगवान राम
14 Dec, 2023 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में रामायण सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण महाकाव्यों में से एक है। जगत कल्याण के लिए त्रेता युग में भगवान विष्णु, राम और मां लक्ष्मी, सीता के रूप में धरती पर अवतरित हुई थीं। आज भी रामायण कालीन ऐसे 8 स्थान हैं, जहां राम ने अपने दिन गुजारे थे और अब देखें वह स्थान अब किस हाल में हैं।
अयोध्या
भगवान राम का जन्म अयोध्या में हुआ था। रामायण काल में अयोध्या कौशल साम्राज्य की राजधानी थी, राम का जन्म रामकोट, अयोध्या के दक्षिण भाग में हुआ था। वर्तमान समय में अयोध्या, उत्तर प्रदेश में है। जो आज प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां आज भी उनके जन्मर काल के कई प्रमाण मिलते हैं।
प्रयाग
प्रयाग, वह जगह है जहां राम, लक्ष्मण और सीता ने 14 साल के वनवास के लिए अपने राज्य जाते हुए पहली बार विश्राम किया था। वर्तमान समय में यह स्थान इलाहाबाद के नाम से जाना जाता है और यह उत्तर प्रदेश का हिस्सा है। इस स्थान का वर्णन पवित्र पुराणों, रामायण और महाभारत में किया गया है। यहां आज हिंदू धर्म का सबसे बड़ा कुंभ मेला लगता है।
चित्रकूट
रामायण के अनुसार, भगवान राम ने अपने चौदह साल के वनवास में लगभग 11 साल चित्रकूट में ही बिताए थे। ये वही स्थारन है जहां वन के निकल चुके श्री राम से मिलने भरत जी आये थे। तब उन्होंलने राम को राजा दशरथ के देहांत की सूचना दी थी और उनसे घर लौटने का अनुरोध किया था। चित्रकूट में आज भी भगवान राम और सीता के कई पद चिन्ह मौजूद हैं। वर्तमान में यह जगह आज मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश के बीच में स्थित है। यहां आज के समय में भगवान राम के कई मंदिर हैं।
जनकपुर
जनकपुर, माता सीता का जन्म स्थान है और यहीं पर भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था। जनकपुर शहर में आज भी उस विवाह मंडप और विवाह स्थल के दर्शन कर सकते हैं, जहां माता सीता और रामजी का विवाह हुआ था। जनकपुर के आस-पास के गांवों के लोग विवाह के अवसर पर यहां से सिंदूर लेकर आते हैं, जिनसे दुल्हन की मांग भरी जाती है। मान्यता है कि इससे सुहाग की उम्र लंबी होती है। वर्तमान में यह भारत नेपाल बॉर्डर से करीब 20 किलोमीटर आगे नेपाल के काठमाण्डुह के दक्षिण पूर्व में है।
रामेश्वरम
रामेश्वरम वह जगह है जहां से हनुमानजी की सेना ने लंकापति रावण तक पहुंचने के लिए राम सेतु का निर्माण किया गया। इसके अलावा, सीता को लंका से वापसी के लिए भगवान राम ने इसी जगह शिव की अराधना की थी। वर्तमान समय में रामेश्वरम दक्षिण भारत तमिलनाडु में है। रामेश्वर आज देश में एक प्रमुख तीर्थयात्री केंद्र है। इस सेतु को भारत में रामसेतु के नाम से जाना जाता है।
राशिफल: जानिए, कैसा रहेगा आपका आज का दिन (14 दिसंबर 2023)
14 Dec, 2023 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मानसिक बेचैनी, दुर्घटनाग्रस्त होने से बचे तथा अधिकारियों के तनाव से बचने का प्रयास अवश्य करें।
वृष राशि :- योजनाएं फलीभूत हो, सफलता के साधन अवश्य जुटाए तथा विशेष लाभ अवश्य ही होगा।
मिथुन राशि :- अचानक उपद्रव कष्टप्रद हो, विशेष कार्य स्थिगित रखे, कार्य अवरोध होगे।
कर्क राशि :- परिश्रम से कुछ सफलता मिले, अर्थ व्यवस्था की वेशेष चिंता बन जाएगी।
सिंह राशि - किसी अपवाद व दुर्घटना से बचें,व्यावसायिक क्षमता में वेशेष वृद्धि होगी।
कन्या राशि :- व्यवसाय गति उत्तम, चिन्ताए कम होगी, अवरोध के बाद रुके कार्य बन जाएंगे।
तुला राशि :- सामाजिक बेचैनी उद्विघ्नता के योग बनें तथा कुटुम्ब में क्लेश अवश्य होगा।
वृश्चिक राशि :- सामर्थ्य वृद्धि के साथ-साथ तनाव भड़के तथा झगड़े संभावित होगे।
धनु राशि :- कुटुम्ब की समस्याएं कष्टप्रद हो, तनाव, व्यर्थ धन व्यय होगा, ध्यान दें।
मकर राशि - योजनाएं फलीभूत हो, सफलता के साधन जुटाए तथा कार्य बनें।
कुंभ राशि - स्वभाव में खिन्नता, मानसिक बेचैनी तथा बने हुए काम बिगड़े।
मीन राशि - तनाव क्लेश व अशांति बनेगी, परिश्रम विफल होंगे, कार्यगति होगी।
जीवन में केवल शुभ, मां लक्ष्मी का आशीर्वाद बदल देगा भाग्य; ये काम करो
13 Dec, 2023 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गरुड़ पुराण हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण ग्रंथ माना जाता है। यह व्यक्ति को अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। गरुड़ पुराण को 18 महापुराणों में से एक माना जाता है। इसमें जन्म और मृत्यु के साथ-साथ मृत्यु के बाद के विषयों पर भी विस्तार से चर्चा की गई है।
गरुड़ पुराण पढ़ने से न केवल आत्मा को मोक्ष मिलता है बल्कि जीवन सुखी और समृद्ध भी होता है।
गरुड़ पुराण में, भगवान विष्णु ने कुछ ऐसे कार्यों का उल्लेख किया है जिनसे देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी को धन और समृद्धि की देवी के रूप में जाना जाता है। इसलिए कहा जाता है कि जिन घरों में देवी लक्ष्मी का वास होता है वहां अन्न और धन की कभी कमी नहीं होती। हर व्यक्ति चाहता है कि उसके घर में मां लक्ष्मी का वास हो। गरुड़ पुराण में बताए गए इन कामों को करने से आप देवी लक्ष्मी की कृपा पा सकते हैं और जीवन में धन की कमी को दूर कर सकते हैं।
धर्मग्रंथ पढ़ना
गरुड़ पुराण में कहा गया है कि हर व्यक्ति को धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना चाहिए। क्योंकि इसमें धर्म, ज्ञान और सदाचार से जुड़ी कई बातें कही गई हैं। धार्मिक ग्रंथों को पढ़ने वाला व्यक्ति उनमें निहित ज्ञान को समझेगा और दूसरों को जागरूक करेगा। क्योंकि हर व्यक्ति को अपने धर्म के बारे में जानकारी होनी चाहिए। इससे आप अपने जीवन के उद्देश्य को समझ सकेंगे और प्रगति के पथ पर आगे बढ़ सकेंगे।
प्रसाद
आपके घर का अन्न भण्डार सदैव भरा रहे। भगवान को भोग लगाए बिना भोजन न करें। गरुड़ पुराण में कहा गया है कि भगवान को भोग लगाए बिना भोजन नहीं करना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि जिस घर में आप खाना खाने से पहले भगवान को भोग लगाते हैं उस घर में कभी भी अन्न की कमी नहीं होती है। इसलिए हिंदू धर्म में कहा गया है कि भोजन को चखने से पहले उसे भगवान को अर्पित करना चाहिए।
घर में भोजन बर्बाद न करें या भोजन का अनादर न करें। इससे देवी लक्ष्मी नाराज हो जाती हैं और घर में दरिद्रता आ जाती है। पौराणिक कथा कहती है कि खाना बर्बाद करने का मतलब है घर में बार-बार कलह होना। इसलिए आज से ही भोजन का सम्मान करने और उसे भगवान को अर्पित करने की आदत डालें।
अपने मन को शांत करो
गरुड़ पुराण में भी ध्यान का विशेष उल्लेख है। ऐसा माना जाता है कि सोचने से आपकी समस्याएं बदल जाएंगी। तप और ध्यान करने से मन शांत और क्रोध से दूर रहता है। क्रोध पर नियंत्रण रखना ही जीवन में सफलता है। बहुत कम लोग ऐसा कर पाते हैं.
कोई अभिमान नहीं
गरुड़ पुराण में कहा गया है कि व्यक्ति को कभी भी अपने धन पर घमंड नहीं करना चाहिए। आपके पास चाहे कितनी भी दौलत क्यों न हो, आपको कभी भी उस पर घमंड नहीं करना चाहिए। साथ ही इसके लिए कभी भी दूसरों का अपमान न करें। जो लोग अपने धन पर घमंड करते हैं और दूसरों के प्रति घमंड करते हैं उन पर कभी भी देवी लक्ष्मी की कृपा नहीं होती है।
अच्छे कपड़े पहनो
गरुड़ पुराण में भी कहा गया है कि व्यक्ति को साफ सुथरे कपड़े पहनने चाहिए। जो लोग गंदे कपड़े पहनते हैं उनका भाग्योदय नहीं होता है। जो लोग अच्छे कपड़े पहनते हैं उनके घर में देवी लक्ष्मी हमेशा वास करती हैं। घर में सदैव मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी। लेकिन जो लोग गंदे कपड़े पहनते हैं उनके घर में देवी लक्ष्मी का वास नहीं होता, वहां दरिद्रता का वास होता है।