धर्म एवं ज्योतिष
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
28 Dec, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मानसिक बेचैनी, दुर्घटना ग्रस्त होने से बचें तथा अधिकारियों से तनाव हो।
वृष राशि :- योजनाएं फलीभूत हो, सफलता के साधन जुटायें तथा विशेष लाभ हो।
मिथुन राशि :- अचानक उपद्रव कष्टप्रद हो, विशेष कार्य स्थिगित रखे, कार्य अवरोध हो।
कर्क राशि :- परिश्रम से कुछ सफलता मिले, अर्थव्यवस्था की विशेष चिंता बनी रहे।
सिंह राशि :- किसी अपवाद व दुर्घटना से बचें, व्यवसायिक क्षमता में बाधा अवश्य होवे।
कन्या राशि :- व्यवसायिक गति उत्तम, चिन्ताएं कम होगी, अवरोध के बाद कार्य बनेंगे।
तुला राशि :- मानसिक बेचैनी, उद्विघ्नता के योग बनेंगे तथा कुटुम्ब में क्लेश होंगे।
वृश्चिक राशि :- सामर्थ्य वृद्धि के साथ तनाव, अडंगे तथा झगड़े संभावित होगे।
धनु राशि :- कुटुम्ब की समस्याएं कष्टप्रद हो तथा व्यर्थ धन का व्यय होवे।
मकर राशि :- योजनाएं फलीभूत हो, सफलता के साधन जुटाएं तथा कार्य बनें।
कुंभ राशि :- स्वभाव में खिन्नता, मानसिक बेचैनी तथा बने हुए कार्य अवश्य बनें।
मीन राशि :- तनाव क्लेश व अशांति बनेगी, परिश्रम विफल होंगे, कार्यगति मंद होगी।
शुक्रवार व्रत से मिलेगी लक्ष्मी कृपा, बनेंगे धनवान! जानें मुहूर्त, एकादशी पारण समय, राहुकाल
27 Dec, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सफलता एकादशी व्रत का पारण शुक्रवार को है. उस दिन पौष कृष्ण द्वादशी तिथि, विशाखा नक्षत्र, धृति योग, कौलव करण, पश्चिम का दिशाशूल और तुला राशि में चंद्रमा है. द्वादशी तिथि का समापन कल तड़के होगा. जो लोग सफलता एकादशी का व्रत रखे हैं, वे आज सुबह में 7 बजकर 12 मिनट से पारण करके व्रत को पूरा कर सकते हैं. सफलता एकादशी व्रत का पारण करने से पूर्व स्नान कर लें. नियमित पूजा के बाद दान करें. फिर पारण करें. भगवान विष्णु की कृपा से आपको शुभ कार्यों में सफलता प्राप्त होगी. पाप मिटेंगे और आप मोक्ष के भागी होंगे. शुक्रवार को शाम में व्रत रखकर माता लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है. प्रदोष काल में माता लक्ष्मी का घर में प्रवेश होता है, इसलिए लोग उनका स्वागत करने के लिए मुख्य द्वार पर दीपक जलाते हैं और जल रखते हैं. पूजा के समय माता लक्ष्मी को लाल गुलाब, कमल के फूल, लाल सिंदूर, अक्षत्, धूप, दीप, नैवेद्य, पीली कौड़ियां, बताशे, सफेद मिठाई आदि चढ़ाते हैं.
लक्ष्मी पूजा के समय श्री सूक्त, कनकधारा स्तोत्र आदि का पाठ करते हैं. इस समय में आप श्री यंत्र की भी पूजा कर सकते हैं. आप पर माता लक्ष्मी की कृपा होगी. आपके धन, वैभव, सुख, समृद्धि और सफलता में बढ़ोत्तरी होगी. यदि कुंडली में शुक्र दोष है, तो शुक्रवार के दिन सफेद कपड़े पहनें. चावल, चीनी, दूध, मोती, चांदी आदि का दान कर सकते हैं. सफेद वस्तुओं का दान करने से शुक्र मजबूत होता है और उसका शुभ प्रभाव प्राप्त होता है. इसके प्रभाव से व्यक्ति को जीवन में भौतिक सुख प्राप्त होते हैं. आज के पंचांग से जानते हैं शुभ मुहूर्त, सूर्योदय, चंद्रोदय, राहुकाल, दिशाशूल, चौघड़िया समय, सर्वार्थ सिद्धि योग आदि.
आज का पंचांग, 27 दिसंबर 2024
आज की तिथि- द्वादशी – 02:26 ए एम, दिसम्बर 28 तक, उसके बाद त्रयोदशी
आज का नक्षत्र- विशाखा – 08:28 पी एम तक, फिर अनुराधा
आज का करण- कौलव – 01:39 पी एम तक, फिर तैतिल – 02:26 ए एम, दिसम्बर 28 तक
आज का योग- धृति – 10:37 पी एम तक, उसके बाद शूल
आज का पक्ष- कृष्ण
आज का दिन- शुक्रवार
चंद्र राशि- तुला – 01:57 पी एम तक, उसके बाद वृश्चिक
सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय-चंद्रास्त का समय
सूर्योदय- 07:12 ए एम
सूर्यास्त- 05:32 पी एम
चन्द्रोदय- 04:47 ए एम, दिसम्बर 28
चन्द्रास्त- 02:27 पी एम
एकादशी पारण मुहूर्त और शुभ योग
सफला एकादशी पारण समय: सुबह 7:12 बजे से सुबह 9:16 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: 08:28 पी एम से कल 07:13 ए एम तक
ब्रह्म मुहूर्त: 05:23 ए एम से 06:18 ए एम
अभिजीत मुहूर्त: 12:02 पी एम से 12:43 पी एम
विजय मुहूर्त: 02:06 पी एम से 02:47 पी एम
दिन का शुभ चौघड़िया मुहूर्त
चर-सामान्य: 07:12 ए एम से 08:30 ए एम
लाभ-उन्नति: 08:30 ए एम से 09:47 ए एम
अमृत-सर्वोत्तम: 09:47 ए एम से 11:05 ए एम
शुभ-उत्तम: 12:22 पी एम से 01:40 पी एम
चर-सामान्य: 04:15 पी एम से 05:32 पी एम
रात का शुभ चौघड़िया मुहूर्त
लाभ-उन्नति: 08:57 पी एम से 10:40 पी एम
शुभ-उत्तम: 12:23 ए एम से 02:05 ए एम, दिसम्बर 28
अमृत-सर्वोत्तम: 02:05 ए एम से 03:48 ए एम, दिसम्बर 28
चर-सामान्य: 03:48 ए एम से 05:30 ए एम, दिसम्बर 28
अशुभ समय
राहुकाल- 11:05 ए एम से 12:22 पी एम
गुलिक काल- 08:30 ए एम से 09:47 ए एम
यमगण्ड- 02:57 पी एम से 04:15 पी एम
दुर्मुहूर्त- 09:16 ए एम से 09:58 ए एम, 12:43 पी एम से 01:24 पी एम
दिशाशूल- पश्चिम
रुद्राभिषेक के लिए शिववास
नन्दी पर – कल 02:26 ए एम तक, उसके बाद भोजन में.
खास संयोग में साल 2025 का पहला शनि प्रदोष व्रत... जरूर करें उपवास! मिलेगा लाख गुना फायदा
27 Dec, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कुछ ही दिनों में नया साल 2025 शुरू होने वाला है. हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार हर महीने में 2 प्रदोष व्रत रखे जाते हैं, इस आधार पर साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत होता है. इस दिन देवों के देव महादेव की पूजा करने का विधान हैं. प्रदोष व्रत विधि विधान से करने पर भोलेनाथ की कृपा बनी रहती है और अनेक प्रकार की बाधाओं, समस्याओं, अकाल मृत्यु का भय, डर, धन की कमी, ग्रहों का नकारात्मक प्रभाव आदि सभी से छुटकारा मिल जाता है. संयोग से साल 2025 का पहला प्रदोष व्रत शनिवार के दिन है. इसे शनि प्रदोष व्रत कहते हैं.
गौरतलब है कि शनि प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है. यह व्रत शाम के समय में किया जाता है और विशेष रूप से उन लोगों के लिए लाभकारी है जो शनि देव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं. शनि देव को न्याय का देवता माना गया है. धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत के माध्यम से व्यक्ति अपने पापों से मुक्ति पाता है, दुर्भाग्य समाप्त होता है और जीवन में शांति, सुख, और समृद्धि आती है.
कब है साल का पहला शनि प्रदोष व्रत?
कि साल 2025 का पहला प्रदोष व्रत शुक्ल पक्ष की 11 जनवरी को सर्वार्थ सिद्धि योग में होगा. वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 11 जनवरी को सुबह 08.21 बजे से होगी. वहीं, इस तिथि का समापन 12 जनवरी को सुबह 06. 33 पर होगा. ऐसे में 11 जनवरी को शनि प्रदोष व्रत किया जाएगा. इस दिन पूजा करने का शुभ मुहूर्त 05 बजकर 43 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 26 मिनट तक है.
सर्वार्थ सिद्धि योग में शनि प्रदोष व्रत
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि कोई व्रत या सर्वार्थ सिद्धि योग में पड़ता है तो नियम अनुसार व्रत करने से उसका लाख गुना फल प्राप्त होता है. साल-2025 का पहला प्रदोष व्रत शनिवार के दिन है. शनि प्रदोष व्रत का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह व्यक्ति के शनि दोष, जैसे शनि की साढ़े साती या ढैय्या के कष्टों को कम करता है. साथ ही, यह व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का एक प्रभावी उपाय है, क्योंकि प्रदोष व्रत शिव जी को समर्पित होता है. शनि प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग का जलाभिषेक और शनि देव की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है.
आर्थिक तंगी से हैं परेशान? 1 रुपए के सिक्के से होगा समाधान, दूर होगी परेशानी, बनने लगेंगे सारे काम!
27 Dec, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर व्यक्ति चाहता है कि उसके जीवन में खुशहाली बनी रहे जिसके लिए वह कड़ी मेहनत भी करता है. लेकिन कई बार हमें अपनी मेहनत का उसके अनुरूप फल नहीं मिलता. ऐसी स्थिति में परेशानियों का सामना करना पड़ता है, और मुख्य रूप से जब हम आर्थिक तंगी से जूझ रहे हों. यही वह समय है जब लोग अलग-अलग उपायों की तलाश करते हैं. ऐसे में एक बहुत पुराना और सरल उपाय है, जो आपके जीवन में आर्थिक समृद्धि ला सकता है—वह है 1 रुपए के सिक्के से किए जाने वाले खास उपाय. जिसके बारे में बता रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.
1 रुपए का सिक्का और उसका असर
ज्योतिष शास्त्र और वास्तु के अनुसार, कई बार व्यक्ति की कुंडली में दोष या घर के वास्तु दोष के कारण जीवन में धन की कमी, परेशानियां और अड़चनें आती हैं. ऐसे में 1 रुपए के सिक्के को खास उपायों के साथ करने से धन लाभ और सुख-समृद्धि में बढ़ोत्तरी हो सकती है. यह उपाय न सिर्फ आर्थिक स्थिति मजबूत करता है, बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मकता भी प्रदान करता है. आइए जानते हैं कुछ सरल और प्रभावशाली उपाय जो 1 रुपए के सिक्के से किए जा सकते हैं.
1. समस्याओं का समाधान
अगर आप किसी परेशानी से जूझ रहे हैं और हर कोशिश के बावजूद समाधान नहीं मिल पा रहा, तो यह उपाय अपनाएं. एक मुट्ठी साफ चावल लें, और उसमें एक रुपए का सिक्का रखकर किसी मंदिर में जाएं. वहां भगवान से अपने मन की कामना करते हुए, यह सिक्का किसी कोने में रख आएं. इस उपाय से न केवल समस्याएं हल होंगी, बल्कि सुख-समृद्धि भी बढ़ेगी.
2. आर्थिक समृद्धि के लिए
अगर आप आर्थिक तंगी से परेशान हैं, तो शुक्रवार के दिन मुख्य रूप से पूजा करें. माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करके एक मिट्टी या पीतल के कलश में केसर से स्वास्तिक बनाएं. इस कलश में एक सिक्का डालें और इसे एक चौकी पर रखें. प्रतिदिन इस कलश की पूजा करें, जिससे घर में धन की कमी नहीं होगी और मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहेगी.
3. भाग्य को जागृत करें
अगर आप चाहते हैं कि आपका भाग्य हमेशा आपका साथ दे और सफलता आपके कदम चूमे, तो अपनी जेब में एक मोर पंख के साथ 1 रुपए का सिक्का रखें. यह उपाय आपके भाग्य को जगा सकता है और इससे मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहेगी, जिससे हर काम में सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है.
4. दरिद्रता दूर करने के लिए
घर में दरिद्रता और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए रोजाना शाम के समय मुख्य द्वार के कोने में घी का चौमुखी दीपक जलाएं और इसमें 1 रुपए का सिक्का भी डालें. ऐसा करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. इसके साथ ही घर में लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहती है.
नए साल में कब है गणेश चतुर्थी, करवा चौथ? देखें संकष्टी और विनायक चतुर्थी व्रत
27 Dec, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नए साल 2025 का शंभारंभ 1 जनवरी दिन बुधवार से हो रहा है. नए साल में 12 संकष्टी चतुर्थी और 13 विनायक चतुर्थी व्रत रखे जाएंगे. इस तरह से नए साल 2025 कुल 25 चतुर्थी व्रत होंगे. चतुर्थी तिथि के अधिपति देव भगवान गणेश हैं. इस दिन व्रत रखकर गणपति बप्पा की पूजा की जाती है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी व्रत रखते हैं, जिसमें रात के समय चंद्रमा को अर्घ्य देने का विधान है. वहीं हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाता है, लेकिन इसमें चंद्रमा का दर्शन वर्जित है. चंद्र दर्शन करने से मिथ्या कलंक लगता है. नए साल में गणेश जयंती माघ माह में, भाद्रपद माह में गणेश चतुर्थी और कार्तिक माह में करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा. कुमार भास्करवर्मा संस्कृत एवं पुरातनाध्ययन विश्वविद्यालय, नलबारी, असम के ज्योतिषाचार्य डॉ गणेश प्रसाद मिश्र से जानते हैं कि नए साल में चतुर्थी व्रत कब-कब है? आइए देखते हैं विनायक और संकष्टी चतुर्थी व्रत कैलेंडर 2025.
विनायक और संकष्टी चतुर्थी व्रत कैलेंडर 2025
पौष विनायक चतुर्थी: 3 जनवरी 2025, शुक्रवार
सकट चौथ या लंबोदर संकष्टी चतुर्थी: 17 जनवरी 2025, शुक्रवार
गणेश जयंती या माघ विनायक चतुर्थी: 1 फरवरी, 2025 शनिवार
द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी: 16 फरवरी 2025, रविवार
फाल्गुन विनायक चतुर्थी: 3 मार्च 2025, सोमवार
भालचन्द्र संकष्टी चतुर्थी: 17 मार्च 2025, सोमवार
चैत्र विनायक चतुर्थी: 1 अप्रैल 2025, मंगलवार
विकट संकष्टी चतुर्थी: 16 अप्रैल 2025, बुधवार
वैशाख विनायक चतुर्थी: 1 मई 2025, बृहस्पतिवार
एकदन्त संकष्टी चतुर्थी: 16 मई 2025, शुक्रवार
ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी: 30 मई 2025, शुक्रवार
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी: 14 जून 2025, शनिवार
आषाढ़ विनायक चतुर्थी: 28 जून 2025, शनिवार
गजानन संकष्टी चतुर्थी: 14 जुलाई 2025, सोमवार
सावन विनायक चतुर्थी: 28 जुलाई 2025, सोमवार
बहुला चतुर्थी या हेरम्ब संकष्टी चतुर्थी: 12 अगस्त 2025, मंगलवार
गणेश चतुर्थी या भाद्रपद विनायक चतुर्थी: 27 अगस्त 2025, बुधवार
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी: 10 सितम्बर 2025, बुधवार
अश्विन विनायक चतुर्थी: 25 सितम्बर 2025, बृहस्पतिवार
करवा चौथ या वक्रतुण्ड संकष्टी चतुर्थी: 10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार
कार्तिक विनायक चतुर्थी: 25 अक्टूबर 2025, शनिवार
गणाधिप संकष्टी चतुर्थी: 28 नवम्बर 2025, शनिवार
मार्गशीर्ष या अगहन विनायक चतुर्थी: 24 नवम्बर 2025, सोमवार
अखुरथ संकष्टी चतुर्थी: 7 दिसम्बर 2025, रविवार
पौष विनायक चतुर्थी: 24 दिसम्बर 2025, बुधवार
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
27 Dec, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनावपूर्ण वातावरण से बचिए, स्त्री शारीरिक मानसिक कष्ट, मानसिक बेचैनी अवश्य बनेगी।
वृष राशि :- अधिकारियों के सर्मथन से सुख होवे, कार्य गति विशेष अनुकूल किन्तु विचार भेद अवश्य बनेंगे।
मिथुन राशि :- भोग ऐश्वर्य प्राप्ति, वाद, तनाव व क्लेश होवे, तनाव से बचकर अवश्य चले।
कर्क राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा, भाग्य साथ दें, बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे।
सिंह राशि :- परिश्रम सफल हो, व्यवसाय मंद हो, आर्थिक योजना सफल अवश्य ही हो जाएगी।
कन्या राशि :- कार्य गति सामान्य रहे, व्यर्थ परिश्रम, कार्यगति मंद अवश्य होगा, ध्यान रखें।
तुला राशि :- किसी दुर्घटना से बचे, चोट चपेट आदि का भय होगा, रुके कार्य अवश्य ही बन जाएगे।
वृश्चिक राशि :- कार्य गति अनुकूल रहे, लाभान्वित कार्य योजना बनेगी, बाधा आदि से बच सकेंगे।
धनु राशि :- कुछ प्रतिष्ठा के साधन बने, किन्तु हाथ में कुछ न लगे तथा कार्य अवरोध अवश्य होवे।
मकर राशि :- अधिकारी वर्ग से तनाव, क्लेश होगा, मानसिक अशांति, कार्य अवरोध बनेगा।
कुंभ राशि :- मनोबल बनाए रखे, योजनाएं पूर्ण हो तथा नया कार्य अवश्य प्रारंभ होगा।
मीन राशि :- दैनिक कार्य गति उत्तम, कुटुम्ब में सुख समय उत्तम बनेगा, ध्यान रखगें।
26 को रखा जाएगा सफला एकादशी का व्रत
26 Dec, 2024 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सफला एकादशी का व्रत 26 दिसंबर, 2024 को रखा जाएगा, जो विशेष रूप से गुरुवार को पड़ रहा है। यह दिन श्रीहरि भगवान विष्णु का प्रिय दिन है और यह व्रत पूरे साल की आखिरी एकादशी के रूप में महत्वपूर्ण होता है। यह व्रत न केवल पापों से मुक्ति दिलाता है, बल्कि इसे समस्त कार्यों को सफल बनाने वाला भी माना जाता है।
ऐसी मान्यता है कि प्राचीन समय में चम्पावती नगरी के राजा महिष्मान के चार पुत्र थे, जिनमें सबसे बड़े पुत्र लुम्पक का चरित्र बहुत खराब था। वह हमेशा पाप करता और देवताओं और ब्राह्मणों का अपमान करता था। जब राजा को लुम्पक के कुकर्मों का पता चला, तो उसे राज्य से बाहर निकाल दिया। इसके बाद लुम्पक चोरी और अन्य बुरे कर्म करने लगा और वह जंगल में रहने लगा। वहां एक दिन वह ठंड लगाने से बेहोश हो गया और वह पीपल के वृक्ष के नीचे पड़ा रहा। सफला एकादशी के दिन वह अनजाने में उपवास कर रहा था और उसकी पूरी रात जागरण में बीती। अगले दिन, भगवान श्रीहरि ने उसकी भक्ति को स्वीकार कर लिया और उसे सभी पाप से मुक्ति दे दी।
पापों से मिलती है मुक्ति
इसके बाद एक दिव्य रथ उसके पास आया और आकाशवाणी हुई कि लुम्पक के सभी पाप खत्म हो गए हैं और वह अब अपने पिता के पास जाकर राज्य प्राप्त कर सकता है। लुम्पक ने अपने पिता को सारी कथा सुनाई और राजा ने अपना राज्य उसे सौंप दिया। लुम्पक ने शास्त्रों के मुताबिक राज्य किया और अंततः भगवान के भजन में लीन होकर मोक्ष को प्राप्त किया।
सफला एकादशी का व्रत श्रद्धा और भक्ति से करने से सभी पाप खत्म हो जाते हैं और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। जो लोग इस व्रत को पूरी श्रद्धा से रखते हैं, उनके समस्त कार्य सफल होते हैं। यह व्रत खासतौर पर उन लोगों के लिए है जो जीवन में किसी भी प्रकार की बाधाओं या समस्याओं का सामना कर रहे होते हैं। इस दिन का व्रत करने से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है, और यह व्रत समस्त पापों को खत्म कर भगवान श्रीहरि की कृपा प्राप्त करने का एक उपाय है।
गणेश जी को इसलिए चढ़ाई जाती है दूर्वा
26 Dec, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान गणेश को कई चीज़ें अर्पित भी की जाती हैं जिसमें से एक दूर्वा भी है। कहा जाता है कि बिना दूर्वा के भगवान गणेश की पूजा पूरी नहीं होती है। आइए जानते हैं क्यों गणपति को दूर्वा चढ़ाना इतना महत्वपूर्ण है।
दूर्वा चढ़ाते समय बोलें ये मंत्र
ॐ गणाधिपाय नमः ,ॐ उमापुत्राय नमः ,ॐ विघ्ननाशनाय नमः ,ॐ विनायकाय नमः
ॐ ईशपुत्राय नमः ,ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः ,ॐ एकदन्ताय नमः ,ॐ इभवक्त्राय नमः
ॐ मूषकवाहनाय नमः ,ॐ कुमारगुरवे नमः
कथा
कहते हैं कि प्रचीन काल में अनलासुर नामक एक असुर था जिसकी वजह से स्वर्ग और धरती के सभी लोग परेशान थे। वह इतना खतरनाक था कि ऋषि-मुनियों सहित आम लोगों को भी जिंदा निगल जाता था। इस असुर से हताश होकर देवराज इंद्र सहित सभी देवी-देवता और ऋषि-मुनि के साथ महादेव से प्रार्थना करने पहुंचे। सभी ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे इस असुर का वध करें। शिवजी ने सभी देवी-देवताओं और ऋषि-मुनियों की प्रार्थना सुनकर उन्हें बताया कि अनलासुर का अंत केवल गणपति ही कर सकते हैं।
पेट में होने लगी थी जलन
कथा के अनुसार जब गणेश ने अनलासुर को निगला तो उनके पेट में बहुत जलन होने लगी। कई प्रकार के उपाय किए गए, लेकिन गणेशजी के पेट की जलन शांत ही नहीं हो रही थी। तब कश्यप ऋषि को एक युक्ति सूझी। उन्होंने दूर्वा की 21 गठान बनाकर श्रीगणेश को खाने के लिए दी। जब गणेशजी ने दूर्वा खाई तो उनके पेट की जलन शांत हो गई। तभी से भगवान श्रीगणेश जी को दूर्वा अर्पित करने की परंपरा शुरु हुई।
हृदय रेखा छोटी सा फिर हल्कीं होना अच्छा नहीं
26 Dec, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
विवाह के लिए वर-वधू का योग देखने में हस्तशरेखा का बहुत बड़ा योगदान होता है। किसी भी विवाह का भविष्यं वर और कन्यास की हथेली पर उपस्थित विभिन्ना रेखाओं, पर्वतों और चिह्नों की स्थिति पर निर्भर करता है। कुछ ऐसी रेखाओं के बारे में जान लें जो विवाह के मामले में अच्छी साबित नहीं होतीं।
हृदय रेखा
यदि आपकी हृदय रेखा छोटी सा फिर हल्कीो है तो आपके लिए वैवाहिक संयोग अच्छें नहीं हैं। ऐसे में विवाह होने के बाद भी आपके संबंधों में विच्छेंद हो सकता है।
मंगल पर्वत
यदि आपका मंगल पर्वत जरूरत से ज्या दा विकसित हो या फिर मंगल पर दोषपूर्ण चिह्न हो तो ऐसे में विवाह करना आपके लिए सही नहीं होगा।
शुक्र पर्वत हों कम विकसित
शुक्र पर्वत कम विकसित होने पर वैवाहिक जीवन में शारीरिक संतुष्टि नहीं प्राप्तण होती। चंद्र पर्वत और बृहस्पवति के कम विकसित होने पर भी ऐसा ही होता है।
हृदय रेखा पर काले चिह्न अशुभ
यदि आपकी हृदय रेखा पर किसी प्रकार के काले चिह्न शुभ नहीं है। मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा में जरूरत से ज्याकदा दूरी होना सही नहीं है। हाथ का निचला क्षेत्र अत्य धिक विकसित होना अच्छा् नहीं माना जाता। ये सभी बातें विवाह पश्चा्त शारीरिक अनुकूलता के लिए सही नहीं है। ये सभी विकार असंतुष्ट यौन संबंधों को दर्शाते हैं।
संतान सुख नहीं मिल पाता इनको
अगर आपकी हृदय रेखा छोटी है और शुक्र व गुरु पर्वत के उभार भी कम हैं। विवाह रेखा के ऊपर क्रॉस है। जिस स्थारन पर मस्तिष्कक रेखा बुध रेखा को काटती है, अगर वहां तारा है तो यह शुभ नहीं है।
ऐसे में हो सकता है तलाक भी
विवाह रेखा अंत में दो भागों में बंट रही हो। शुक्र पर्वत पर जाल या फिर एक-दूसरे को काटती हुई रेखाएं हो तो ये शारीरिक अक्षमता को दर्शाता है। विवाह रेखा को कोई रेखा काटे तो तलाक की आशंका बढ़ जाती है।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
26 Dec, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनावपूर्ण वातावरण से बचिए, स्त्री शारीरिक मानसिक कष्ट, मानसिक बेचैनी अवश्य बनेगी।
वृष राशि :- अधिकारियों के सर्मथन से सुख होवे, कार्य गति विशेष अनुकूल किन्तु विचार भेद अवश्य बनेंगे।
मिथुन राशि :- भोग ऐश्वर्य प्राप्ति, वाद, तनाव व क्लेश होवे, तनाव से बचकर अवश्य चले।
कर्क राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा, भाग्य साथ दें, बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे।
सिंह राशि :- परिश्रम सफल हो, व्यवसाय मंद हो, आर्थिक योजना सफल अवश्य ही हो जाएगी।
कन्या राशि :- कार्य गति सामान्य रहे, व्यर्थ परिश्रम, कार्यगति मंद अवश्य होगा, ध्यान रखें।
तुला राशि :- किसी दुर्घटना से बचे, चोट चपेट आदि का भय होगा, रुके कार्य अवश्य ही बन जाएगे।
वृश्चिक राशि :- कार्य गति अनुकूल रहे, लाभान्वित कार्य योजना बनेगी, बाधा आदि से बच सकेंगे।
धनु राशि :- कुछ प्रतिष्ठा के साधन बने, किन्तु हाथ में कुछ न लगे तथा कार्य अवरोध अवश्य होवे।
मकर राशि :- अधिकारी वर्ग से तनाव, क्लेश होगा, मानसिक अशांति, कार्य अवरोध बनेगा।
कुंभ राशि :- मनोबल बनाए रखे, योजनाएं पूर्ण हो तथा नया कार्य अवश्य प्रारंभ होगा।
मीन राशि :- दैनिक कार्य गति उत्तम, कुटुम्ब में सुख समय उत्तम बनेगा, ध्यान रखगें।
छूट जाएंगे जन्म-मरण के सभी पाप, पूर्वजों को भी मिलेगा मोक्ष, साल के अंतिम एकादशी पर जरूर करें यह काम
25 Dec, 2024 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
साल 2024 अब अपने अंतिम सप्ताह में पहुंच गया है और इसी दौरान साल का आखिरी एकादशी भी पड़ रहा है. 26 दिसंबर को साल का अंतिम एकादशी मनाया जाएगा. इसे सफला एकादशी भी कहा जाता है. पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी के रूप में मनाया जाएगा और इस दौरान स्वाति नक्षत्र तथा सुकर्मा योग बन रहा है. जिसके कारण इस एकादशी का का महत्व माना जा रहा है. इस एकादशी के दिन व्रत और पूजन करने से दुर्लभ पुण्य की प्राप्ति हो सकती है. ज्योतिषाचार्य पंडित शत्रुघ्न झा ने बताया कि इस एकादशी को काफी खास माना गया है तथा साल के अंतिम एकादशी सुकर्मा योग में मनाई जाएगी.
सफला एकादशी का सही मुहूर्त
25 दिसंबर रात 9:34 बजे से लेकर 26 दिसंबर रात 11:36 बजे तक एकादशी की तिथि है और इसी दौरान एकादशी का व्रत रखा जा सकता है. उन्होंने बताया कि एकादशी का व्रत करने से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है. उन्होंने बताया कि इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने के साथ भगवान विष्णु के पूजन का विशेष महत्व माना गया है. ज्योतिषाचार्य ने बताया कि सफला एकादशी करने से जन्म-मरण के पाप क्षीण होते हैं तथा जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति मिल जाती है. उन्होंने यह भी बताया कि सफला एकादशी पर अगर व्रत रखा जाए, तो सभी मनोकामनाओं को पूरा किया जा सकता है.
भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की करें पूजा-अर्चना
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि सफला एकादशी के दिन दान-पुण्य करने से फल मिलता है. एकादशी के दिन श्री हरि विष्णु की विधिवत पूजा कर पुरुष सूक्त, विष्णु सहस्त्रनाम व गीता का पाठ करने से जन्म-मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिल जाती है. साथ ही पूर्वजों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है. सफला एकादशी का व्रत रखने से सभी प्रकार की सफलता मिलती है. उन्होंने बताया कि जो भी व्यक्ति इस एकादशी का व्रत रखता है, उसके रुके हुए सभी कार्य जल्दी पूरे हो जाते हैं. इस दिन भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन लोगों को दान-पुण्य करना चाहिए. साथ ही गाय की सेवा और साधुओं की सेवा करनी चाहिए तथा घी के दीपक से आरती के बाद नारायण कवच का पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है.
कहीं आप भी तो नहीं कर रहीं राहु-केतु को नाराज! तवे-कढ़ाई को बिलकुल ना रखें इन बर्तनों के साथ
25 Dec, 2024 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हमारे बड़े-बुजुर्गों द्वारा कई बार हमें कुछ समझाईशें नियमों के तौर पर दी जाती हैं, जो कि हमारे जीवन में सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं. लेकिन कई बार उनकी बातों को नजरअंदाज कर हम इन्हें अंधविश्वास कह देते हैं. ऐसा ही एक नियम रसोई से जुड़ा हुआ है जो कि हम हमारे घर की बड़ी महिलाओं से सुनते हैं, अकसर हमारी दादी नानी हमें टोकती हैं कि कढ़ाई या तवा उल्टा है, कभी तवा और कढ़ाई को उल्टा नहीं रखना चाहिए.
दरअसल, शास्त्रों के अनुसार किचन में रखे उल्टे तवे या कढ़ाई हमारे जीवन पर नकारात्मक प्रभाव दिखाते हैं. जाने-अनजाने में हम ऐसी गलतियां करके अपने परिवार को नुकसान पहुंचा रहे होते हैं. इसलिए अपने घर के बड़े-बुजुर्गों द्वारा बताई गई बातों को मिथक ना मानकर उन्हें मानना हमारे जीवन को खुशहाल बना सकते हैं. आइए रसोई में तवा-कढ़ाई उल्टा नहीं रखने के पीछे का कारण जानते हैं.
क्यों उल्टा नहीं रखते तवा-कढ़ाई
ज्योतिषाचार्य अरविंद पचौरी जी बताते हैं कि, रसोई में रखे तवा और कढ़ाई का संबंध राहु ग्रह से होता है. ज्योतिष में इन्हें राहु का प्रतीक माना गया है. इसलिए जब भी इनका प्रयोग करें तो बड़ी सावधानी के साथ प्रयोग में लें. इसके अलावा वास्तु शास्त्र में भी तवा और कढ़ाई को लेकर कुछ नियम बताए गए हैं, जिनका पालन हमारे जीवन में कभी परेशानियों को नहीं आने देता है. इसलिए इन बातों को हमेशा ध्यान में रखें-
तवा-कढ़ाई का इस्तेमाल करते हैं इन बातों का रखें ध्यान
वास्तुशास्त्र के अनुसार अगर आप खाना बनाने के बाद तवे और कढ़ाई को गंदा छोड़ देते हैं, तो इस आदत को आज ही बदल लें. क्योंकि इन्हें यूज करने के बाद ऐसे ही गंदा छोड़ देने से आपके घर के मुखिया पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. इसलिए तवा-कढ़ाई यूज करने के बाद हमेशा साफ करके रखें.
राहु दोष से बचने के लिए रात के समय कभी भी झूठे बर्तनों में तवा और कढ़ाई नहीं छोड़ना चाहिए. उन्हें अलग रखकर धो दें. इसके अलावा घर की बरकत बनी रहे इसके लिए कभी झूठे बर्तन सिंक में ना छोड़ें.
शास्त्रों के अनुसार, तवा या कढ़ाई को कभी सफाई करते वक्त किसी नुकीली चीजों से खुरचना नहीं चाहिए. ऐसा करने से राहु दोष लगता है.
खाना पकाने के बाद तवा और कढ़ाई को चूल्हे के ऊपर नहीं छोड़ना चाहिए. जब आपका काम खत्म हो जाए तो उन्हें साइड हटाते हुए चूल्हें के दाईं तरफ रखें.
सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक है यह पौधा, शुक्रवार को भूलकर ना करें ये काम, वरना कंगाली का बन सकता है कारण
25 Dec, 2024 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ऑफिस और घर के अंदर मनी प्लांट के पौधे को सजावटी पौधे के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन, इसके अलावा भी इसके कई धार्मिक और आयुर्वेदिक फायदे हैं. इस पौधे को सौभाग्य, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाने वाला पौधा माना जाता है. मनी प्लांट की पत्तियां हरे और दिल के आकार की होती है. यह कम रोशनी में भी आसानी से बढ़ता है. धर्म विशेषज्ञ चंद्रप्रकाश ढांढण ने बताया कि मनी प्लांट को पैसों वाला पेड़ कहा जाता है. इसे घर की पूर्व या दक्षिण-पूर्व दिशा में रखना शुभ माना जाता है.
ऐसे बन सकता है आर्थिक कंगाली का कारण
वास्तु शास्त्र के अनुसार, इसे ऐसी जगह रखें, जहां इसका संपर्क सकारात्मक ऊर्जा से हो या जहां आप रोजाना बैठकर कुछ समय गुजारते हैं. धर्म विशेषज्ञ ने बताया कि घर पर मनी प्लांट का पौधा लगाना शुभ माना जाता है. इससे आर्थिक प्रकृति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. लेकिन, इस पौधे की पत्तियां पीली पड़ जाए तो या सुख जाए तो तुरंत हटा देना चाहिए, वरना यह पौधा आर्थिक कंगाली का कारण भी बन जाता है.
इस दिन मनी प्लांट का ना करें कटिंग
बेहतर आर्थिक स्थिति व सकारात्मक ऊर्जा के लिए घर पर लगा मनी प्लांट हमेशा सही दिशा व साफ जगह होना चाहिए. लता वाले इस पौधे की बेल जमीन के स्पर्श नहीं होनी चाहिए. ऐसा होना अशुभ माना जाता है. अपने घर पर लगा मनी प्लांट का पौधा किसी दूसरे को नहीं देना चाहिए. ऐसा होना आर्थिक रुकावट का कारण बन जाता है. मनी प्लांट का पौधा शुक्र ग्रह का प्रतीक होता है. ऐसे में इसे घर पर शुक्रवार को ही लगाना चाहिए. इस पौधे की कटिंग शुक्रवार को नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से आर्थिक नुकसान होता है. इसके अलावा गंदी जगह पर इस पौधे को बिल्कुल भी नहीं रखें.ऐसा करने से माना जाता है कि घर की सुख-संपदा घर से चली जाती है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
25 Dec, 2024 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- किसी शुभ समाचार के मिलने का योग है, व्यावसायिक गति उत्तम रहेगी।
वृष राशि :- मनोवृत्ति संवेदनशील रहेगी, कार्यगति अनुकूल, चिन्ता कम होगी, ध्यान रखे।
मिथुन राशि :- किसी प्रलोभन से हानि, मनोवृत्ति संवेदनशील रहेगी तथा कार्य गति उत्तम होगी।
कर्क राशि :- अनायास यात्रा, स्त्री वर्ग से कष्ट, वाद विवाद से परेशानी अवश्य हो।
सिंह राशि :- विरोधियों के षड़यंत्र से मानसिक परेशानी बनेगी, बेचैनी बढ़ेगी, कार्य रुकेंगे।
कन्या राशि :- शरीर कष्ट, लाभ, राजभय, उद्योग व्यापार में आंशिक लाभ होगा।
तुला राशि :- योग विलाप, धार्मिक कार्य कष्ट, व्यय अनाप-शनाप खर्च, परेशानी बनेगी।
वृश्चिक राशि :- बाधा, उलझन से लाभ, यात्रा से कष्ट, गृह कार्य राजकार्य में रुकावट रहेगी।
धनु राशि :- शत्रुभय, मुकदमें, लाभ, जमीन से लाभ, रोग भय बाधा, व्यापार में सुधार होगा।
मकर राशि :- व्यापार में लाभ, शत्रु भय, धन सुख धार्मिक खर्च बढ़ेंगे, कुछ मेहनत के कार्य बनें।
कुंभ राशि :- कलह, व्यर्थ खर्च, सफलता प्राप्त, विरोधी असफल रहे, व्यापार में सुधार होगा।
मीन राशि :- स्वजन सुख, पुत्र चिन्ता, सुख की हानि, व्यापार में स्थायी लाभ न होवे।
भगवान शिव को बहुत प्रिय है यह पौधा, इस दिन भूलकर भी न तोड़े, समृद्धि और शांति का है प्रतीक, जानिए महत्व
24 Dec, 2024 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शमी का पौधा जालोर की पवित्र धरती पर आस्था और परंपरा का प्रतीक है. शमी भगवान शिव को प्रिय यह पौधा न केवल धार्मिक महत्व रखता है, विजय, समृद्धि और शांति का प्रतीक भी माना जाता है. जालोर में धार्मिक आस्था के प्रतीक के रूप में शमी का पौधा विशेष महत्व रखता है. शिव भक्त मानते हैं कि शमी का पौधा भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय है. शिवालयों में इसे अर्पित करने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है. यह पौधा न केवल पूजा-अर्चना का हिस्सा है, बल्कि भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करने का भी माध्यम माना जाता है.
जालोर में धार्मिक आस्था के प्रतीक के रूप में शमी का पौधा विशेष महत्व रखता है. शिव भक्त मानते हैं कि शमी का पौधा भगवान शिव को अत्यधिक प्रिय है. शिवालयों में इसे अर्पित करने की परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है. यह पौधा न केवल पूजा-अर्चना का हिस्सा है, बल्कि भक्तों की मनोकामनाओं को पूरा करने का भी माध्यम माना जाता है.
जालोर की मिट्टी में धार्मिक मान्यताओं की गहरी जड़ें हैं. ऐसा कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान अपने अस्त्र-शस्त्र शमी के वृक्ष के नीचे छुपाए थे. विजय प्राप्ति के बाद उन्होंने इस वृक्ष की पूजा की, जिससे यह विजय और सफलता का प्रतीक बन गया. जालोर के प्रमुख शिवालयों जैसे सुरेश्वर महादेव और सारणेश्वर महादेव में शमी के पत्तों को अर्पित करना भक्तों की एक अनिवार्य परंपरा है.
शमी के पौधे को सोम, शनि, रवि और अमावस्या के दिन नहीं तोड़ा जाता. यहां के बुजुर्गों का मानना है कि इन दिनों शमी में शनिदेव का वास होता है और इसे तोड़ने से अशुभ फल मिलता है. शिव भक्त सोमवार को भी इस पौधे को नहीं तोड़ते हैं, क्योंकि यह दिन भगवान शिव को समर्पित होता है.
जालोर के शिवालयों और धार्मिक परंपराओं में शमी का पौधा गहरी आस्था और विश्वास का प्रतीक है. इसे अर्पित करने से भक्तों को आध्यात्मिक शांति मिलती है.