धर्म एवं ज्योतिष
14 या 15 मार्च, कब है होली?
10 Jan, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देशभर में होली के त्योहार को बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है. वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात्रि को होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन होली का पर्व मनाया जाता है. होली का इंतजार लोगों को बेसब्री से होता है. साल 2024 की तरह इस बार भी होली की डेट को लेकर लोग अधिक कन्फ्यूज हो रहे हैं. कुछ लोग होली 14 मार्च की बता रहा हैं, तो वहीं कुछ लोग होली 15 मार्च को मनाने की बात कह रहे हैं. .
होलिका दहन और रंग वाली होली, दोनों का अलग-अलग महत्व है. वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार फाल्गुन पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 25 मिनट से होगी और इसके अगले दिन यानी 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर तिथि का समापन होगा. सनातन धर्म में उदया तिथि का अधिक महत्व है. ऐसे में इस बार होलिका दहन 14 मार्च को और होली 15 मार्च को मनाई जाएगी.
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा की रात को शुभ मुहूर्त में किया जाता है. साल 2025 में होलिका दहन का शुभ समय शाम 6:30 बजे से रात 8:30 बजे तक रहेगा. इस दौरान लोग पवित्र अग्नि में लकड़ी, गोबर के उपले और अनाज अर्पित कर अपनी समस्याओं और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने की कामना करते हैं.
शुभ योग में पौष पुत्रदा एकादशी, लक्ष्मी नारायण कृपा से होंगे धनवान, जानें मुहूर्त, राहुकाल, स्वर्ग की भद्रा
10 Jan, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पौष पुत्रदा एकादशी पर शुभ योग बना है. उस दिन पौष शुक्ल एकादशी तिथि, कृत्तिका नक्षत्र, शुभ योग, विष्टि करण, पश्चिम का दिशाशूल और वृषभ राशि का चंद्रमा है. पौष पुत्रदा एकादशी के दिन स्वर्ग की भद्रा भी है, लेकिन इसका कोई दुष्प्रभाव पृथ्वी पर नहीं होगा. पौष पुत्रदा एकादशी का वैकुंठ एकादशी भी कहते हैं. इस दिन व्रत और भगवान नारायण की पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है. विष्णु कृपा से पाप मिटते हैं और जीवन के अंत में मोक्ष भी मिलता है. इस दिन आप प्रात:काल में स्नान करके साफ कपड़े पहनें. उसके बाद व्रत और पूजा का संकल्प करें.
फिर शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करके पूजन करें. उनको पंचामृत, तुलसी के पत्ते, अक्षत्, धूप, दीप, नैवेद्य, हल्दी, चंदन, पान, सुपारी आदि अर्पित करें. पौष पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा सुनें और समापन आरती से करें. रात के समय जागरण करें और अगले दिन स्नान दान के बाद पारण करके व्रत को पूरा करें. पौष पुत्रदा एकादशी पर नारायण के साथ लक्ष्मी पूजा का भी संयोग बना है. इस दिन लक्ष्मी पूजा और विष्णु कृपा से धन, वैभव, सुख, समृद्धि में बढ़ोत्तरी होगी. शुक्रवार के दिन सफेद कपड़े पहनें और इत्र लगाएं. इस उपाय से आपकी कुंडली का शुक्र दोष दूर होगा. आज के पंचांग से जानते हैं पौष पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त, सूर्योदय, चंद्रोदय, चौघड़िया समय, राहुकाल, दिशाशूल आदि.
आज का पंचांग, 10 जनवरी 2025
आज की तिथि- एकादशी – 10:19 ए एम तक, उसके बाद द्वादशी
आज का नक्षत्र- कृत्तिका – 01:45 पी एम तक, फिर रोहिणी
आज का करण- विष्टि – 10:19 ए एम तक, बव – 09:19 पी एम तक, उसके बाद बालव
आज का योग- शुभ – 02:37 पी एम तक, फिर शुक्ल
आज का पक्ष- शुक्ल
आज का दिन- शुक्रवार
चंद्र राशि- वृषभ
सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय-चंद्रास्त का समय
सूर्योदय- 07:15 ए एम
सूर्यास्त- 05:42 पी एम
चन्द्रोदय- 02:06 पी एम
चन्द्रास्त- 04:47 ए एम, जनवरी 11
पौष पुत्रदा एकादशी मुहूर्त और पारण
ब्रह्म मुहूर्त: 05:27 ए एम से 06:21 ए एम
अभिजीत मुहूर्त: 12:08 पी एम से 12:50 पी एम
विजय मुहूर्त: 02:13 पी एम से 02:55 पी एम
अमृत काल: 11:29 ए एम से 01:00 पी एम
पुत्रदा एकादशी पूजा मुहूर्त: सुबह 07:15 बजे से दोपहर 02:37 बजे तक
पुत्रदा एकादशी व्रत पारण समय: 11 जनवरी, सुबह 7:15 बजे से सुबह 8:21 बजे तक
दिन का शुभ चौघड़िया मुहूर्त
चर-सामान्य: 07:15 ए एम से 08:34 ए एम
लाभ-उन्नति: 08:34 ए एम से 09:52 ए एम
अमृत-सर्वोत्तम: 09:52 ए एम से 11:10 ए एम
शुभ-उत्तम: 12:29 पी एम से 01:47 पी एम
चर-सामान्य: 04:24 पी एम से 05:42 पी एम
रात का शुभ चौघड़िया मुहूर्त
लाभ-उन्नति: 09:06 पी एम से 10:47 पी एम
शुभ-उत्तम: 12:29 ए एम से 02:10 ए एम, जनवरी 11
अमृत-सर्वोत्तम: 02:10 ए एम से 03:52 ए एम, जनवरी 11
चर-सामान्य: 03:52 ए एम से 05:34 ए एम, जनवरी 11
अशुभ समय
राहुकाल- 11:10 ए एम से 12:29 पी एम
गुलिक काल- 08:34 ए एम से 09:52 ए एम
यमगण्ड- 03:06 पी एम से 04:24 पी एम
दुर्मुहूर्त- 09:21 ए एम से 10:02 ए एम, 12:50 पी एम से 01:31 पी एम
भद्रा: 07:15 ए एम से 10:19 ए एम
भद्रा वास: स्वर्ग में
दिशाशूल- पश्चिम
रुद्राभिषेक के लिए शिववास
क्रीड़ा में – 10:19 ए एम तक, उसके बाद कैलाश पर.
जब हनुमान जी ने तोड़ी थी माता सीता की दी हुई मोतियों की माला, सभी अचंभित होकर देखते रहे, इस कथा में छुपी है बड़ी सीख!
10 Jan, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में हनुमान जी को कलयुग के देवता माना जाता है. उनकी भक्ति और शक्ति के बारे में हम अक्सर सुनते हैं, उनके कामों में जो गहरे अर्थ छुपे होते हैं. वे हमेशा हमें जीवन के महत्वपूर्ण पाठ सिखाते हैं, एक प्रसिद्ध कथा है जिसमें हनुमान जी ने माता सीता की भेंट दी गई मोतियों की माला को तोड़ दिया था, यह घटना न सिर्फ उनके अद्भुत भक्ति भाव को दर्शाती है, बल्कि जीवन के कुछ गहरे सत्य भी उजागर करती है. क्या है वो प्रसंग आइए जानते हैं
प्रचलित कथा
कथा के अनुसार, जब श्री राम और माता सीता वनवास से वापस लौटे और भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ, तो माता सीता ने हनुमान जी को अपनी भक्ति के प्रतीक स्वरूप एक सुंदर मोतियों की माला भेंट दी. यह माला हनुमान जी की महानता के प्रतीक के रूप में दी गई थी लेकिन जब हनुमान जी ने उस माला को देखा, तो वह कुछ अजीब सा महसूस करने लगे. उन्होंने माला को गौर से देखा और एक-एक कर उसके सारे मोती निकालने शुरू कर दिए. जिससे माला टूट गई, इस दृश्य को देख सभी लोग हैरान रह गए और हनुमान जी से पूछा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया?
हनुमान जी ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया कि वह उन मोतियों में भगवान राम को ढूंढ रहे थे. यह सुनकर सभी लोग और भी अधिक चौंक गए, हनुमान जी ने आगे बताया कि भगवान सिर्फ किसी वस्तु में नहीं होते, बल्कि वह हमारे हृदय में होते हैं. उनके अनुसार, भगवान की असली उपस्थिति किसी माला, मूर्ति या अन्य वस्तु में नहीं, बल्कि हमारे अंदर ही होती है. यह एक गहरी सीख थी, जो यह बताती है कि अगर हमें भगवान से प्रेम करना है तो हमें उन्हें अपने हृदय में बसाना होगा, न कि बाहरी वस्तुओं में खोजने की कोशिश करनी चाहिए.
हनुमान जी ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया कि वह उन मोतियों में भगवान राम को ढूंढ रहे थे. यह सुनकर सभी लोग और भी अधिक चौंक गए, हनुमान जी ने आगे बताया कि भगवान सिर्फ किसी वस्तु में नहीं होते, बल्कि वह हमारे हृदय में होते हैं. उनके अनुसार, भगवान की असली उपस्थिति किसी माला, मूर्ति या अन्य वस्तु में नहीं, बल्कि हमारे अंदर ही होती है. यह एक गहरी सीख थी, जो यह बताती है कि अगर हमें भगवान से प्रेम करना है तो हमें उन्हें अपने हृदय में बसाना होगा, न कि बाहरी वस्तुओं में खोजने की कोशिश करनी चाहिए.
इस घटना के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि भगवान को किसी बाहरी वस्तु में ढूंढने की बजाय हमें उन्हें अपने हृदय में महसूस करना चाहिए. हनुमान जी का यह काम न सिर्फ उनकी भक्ति का प्रतीक था, बल्कि हमें यह समझाने के लिए किया गया था कि सच्ची भक्ति और प्रेम का वास्तविक स्थान हमारे भीतर है, न कि बाहर की किसी वस्तु में.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
10 Jan, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्य कुशलता से संतोष तथा मनोबल उत्सावर्धक होगा, उत्साह बना रहेगा।
वृष राशि :- स्वभाव में खिन्नता होने से हीन भावना से बचियेगा अन्यथा कार्य मंद अवश्य होगा।
मिथुन राशि :- अशांति तथा विनम्रता से बचिये तथा झगड़ा होने की संभावना अवश्य बनेगी।
कर्क राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष, ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी, रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे ध्यान दें।
सिंह राशि :- आलोचना से बचिये, कार्य कुशलता से संतोष होगा, कार्य व्यवसाय पर ध्यान दें।
कन्या राशि :- धीमी गति से सुधार अपेक्षित है, सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि अवश्य होगी।
तुला राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास, गुप्त शत्रुओं से चिन्ता तथा कुटुम्ब में समस्या बनेगी।
वृश्चिक राशि :- योजना फलीभूत होगी, इष्ट मित्र सुखवर्धक होगा तथा कार्य अवरोध होगा।
धनु राशि :- कुटुम्ब की समस्या कष्टप्रद होगी तथा धन का व्यर्थ व्यय होगा सावधान रहें।
मकर राशिः- कुटुम्ब में सुख मान-प्रतिष्ठा, बड़े लोगों से मेल-मिलाप अवश्य ही होगा।
कुंभ राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल होगा, दैनिक गति मंद तथा बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे।
मीन राशि :- कार्य व्यवसाय गति अनुकूल बनेगी, समृद्धि के साधन अवश्य बनेंगे।
एकादशी पर से करें मां तुलसी की आरती, भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलेगा।
9 Jan, 2025 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत बहुत उत्तम माना जाता है। यह श्री हरि और मां लक्ष्मी को समर्पित है। यह व्रत पौष महीने के शुक्ल पक्ष के 11वें दिन पड़ता है। इस बार ये व्रत 9 जनवरी को पड़ रहा है। कहते हैं कि इस उपवास का पालन करने से संतान की इच्छा पूरी होती है। ऐसे में इस दिन भक्त कठिन उपवास का पालन करें और भगवान विष्णु की पूजा विधिपूर्वक करें। इसके अलावा तुलसी के पौधे पर जल चढ़ाएं और उनके सामने घी का दीपक जलाएं। साथ ही देवी की भावपूर्ण आरती करें। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होगी। साथ ही भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलेगा।
।।तुलसी माता की आरती।।
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता।।
मैय्या जय तुलसी माता।।
सब योगों से ऊपर, सब रोगों से ऊपर।
रज से रक्ष करके, सबकी भव त्राता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
बदलाव होने लग जाएंगे।
बटु पुत्री है श्यामा, सूर बल्ली है ग्राम्या।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे, सो नर तर जाता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि के शीश विराजत, त्रिभुवन से हो वंदित।
पतित जनों की तारिणी, तुम हो विख्याता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
लेकर जन्म विजन में, आई दिव्य भवन में।
मानव लोक तुम्हीं से, सुख-संपति पाता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
हरि को तुम अति प्यारी, श्याम वर्ण सुकुमारी।
प्रेम अजब है उनका, तुमसे कैसा नाता।
हमारी विपद हरो तुम, कृपा करो माता।
मैय्या जय तुलसी माता।।
जय जय तुलसी माता, मैय्या जय तुलसी माता।
सब जग की सुख दाता, सबकी वर माता॥
मैय्या जय तुलसी माता।।
।।भगवान विष्णु की आरती।।
ॐ जय जगदीश हरे आरती
ॐ जय जगदीश हरे...
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥
ॐ जय जगदीश हरे...
जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।
स्वामी दुःख विनसे मन का।
सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥
ॐ जय जगदीश हरे...
मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥
ॐ जय जगदीश हरे...
तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।
स्वामी तुम अन्तर्यामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥
ॐ जय जगदीश हरे...
तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।
मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥
ॐ जय जगदीश हरे...
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
स्वामी सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥
ॐ जय जगदीश हरे...
दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।
स्वामी तुम ठाकुर मेरे।
अपने हाथ उठाओ, द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जगदीश हरे...
विषय-विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
स्वामी पाप हरो देवा।
श्रद्धा-भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥
ॐ जय जगदीश हरे...
श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥
ॐ जय जगदीश हरे...
इस प्रकार मिलेगी प्रेम में सफलता
9 Jan, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जीवन में प्रेम का भी अहम स्थान होता है पर कई लोगों को यह नहीं मिलता। ऐसे लोगों के लिए यहां प्रस्तुत हैं कुछ उपाय। यह तो सभी जानते हैं कि शरद रितु प्रेम के लिए उत्तम मानी गई है, ऐसे में प्रेम के देवता भगवान श्रीकृष्ण ने भी इसी समय महारास रचाया था। इस रितु का चंद्रमा आपको मनचाहे प्रेम का वरदान देता प्रतीत होता है। इसलिए प्रेम चाहने वाले यदि यह उपाय करें तो वो सफल अवश्य ही होंगे।
शाम के समय राधा-कृष्ण की उपासना करें।
दोनों को संयुक्त रूप से एक गुलाब के फूलों की माला अर्पित करें।
मध्य रात्रि को सफेद वस्त्र धारण करके चन्द्रमा को अर्घ्य दें।
इसके बाद ॐ राधावल्लभाय नमः मंत्र का कम से कम 3 माला जाप करें।
या मधुराष्टक का कम से कम 3 बार पाठ करें।
फिर मनचाहे प्रेम को पाने की प्रार्थना करें।
भगवान को अर्पित की हुई गुलाब की माला को अपने पास सुरक्षित रख लें।
इन उपायों से निश्चित ही मनचाहे प्रेम की प्राप्ति होती है और सभी संबंधों में प्रेम और लगाव बढ़ने लगता है
बालाजी मंदिर से जुड़ी ये मान्यताएं
9 Jan, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत के ऐतिहासिक और सबसे अमीर मंदिरों में से एक है तिरुपति बालाजी मंदिर है। तिरुपति महाराज जी के दरबार में देश-विदेश के भक्तों की भीड़ रहती है। यहां अमीर और गरीब दोनों जाते हैं। हर साल लाखों लोग तिरुमाला की पहाडिय़ों पर उनके दर्शन करने आते हैं। तिरुपति के इतने प्रचलित होने के पीछे कई कथाएं और मान्यताएं हैं। इस मंदिर से बहुत सारी मान्यताएं जुड़ी हैं।
माना जाता है कि तिरुपति बालाजी अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमला में रहते हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर के मुख्य दरवाजे के दाईं ओर एक छड़ी है। कहा जाता है कि इसी छड़ी से बालाजी की बाल रूप में पिटाई हुई थी, जिसके चलते उनकी ठोड़ी पर चोट आई थी।
मान्यता है कि बालरूप में एक बार बालाजी को ठोड़ी से रक्त आया था। इसके बाद से ही बालाजी की प्रतिमा की ठोड़ी पर चंदन लगाने का चलन शुरू हुआ।
कहते हैं कि बालाजी के सिर रेशमी बाल हैं और उनके रेशमी बाल कभी उलझते नहीं।
कहते हैं कि तिरुपति बालाजी मंदिर से करीब करीब 23 किलोमीटर दूर एक से लाए गए फूल भगवान को चढ़ाए जाते हैं। इतना ही नहीं वहीं से भगवान को चढ़ाई जाने वाली दूसरी वस्तुएं भी आती हैं।
हैरानी की बात तो यह है कि वास्तव में बालाजी महाराज मंदिर में दाएं कोने में विराजमान हैं, लेकिन उन्हें देख कर ऐसा लगता है मानों वे गर्भगृह के मध्य भाग में हों।
तिरुपति बालाजी मंदिर में बालाजी महाराज को रोजाना धोती और साड़ी से सजाया जाता है।
कहते हैं कि बालाजी महाराज की मूर्ती की पीठ पर कान लगाकर सुनने से समुद्र घोष सुनाई देता है और उनकी पीठ को चाहे जितनी बार भी क्यों न साफ कर लिया जाए वहां बार बार गीलापन आ जाता है।
नंदी के बिना शिवलिंग को माना जाता है अधूरा
9 Jan, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान शिव के किसी भी मंदिर में शिवलिंग के आसपास एक नंदी बैल जरूर होता है क्योंो नंदी के बिना शिवलिंग को अधूरा माना जाता है। इस बारे में पुराणों की एक कथा में कहा गया है शिलाद नाम के ऋषि थे जिन्होंशने लम्बेी समय तक शिव की तपस्या की थी। जिसके बाद भगवान शिव ने उनकी तपस्यात से खुश होकर शिलाद को नंदी के रूप में पुत्र दिया था।
शिलाद ऋषि एक आश्रम में रहते थे। उनका पुत्र भी उन्हींा के आश्रम में ज्ञान प्राप्ति करता था। एक समय की बात है शिलाद ऋषि के आश्रम में मित्र और वरुण नामक दो संत आए थे। जिनकी सेवा का जिम्माक शिलाद ऋषि ने अपने पुत्र नंदी को सौंपा। नंदी ने पूरी श्रद्धा से दोनों संतों की सेवा की। संत जब आश्रम से जाने लगे तो उन्होंाने शिलाद ऋषि को दीर्घायु होने का आर्शिवाद दिया पर नंदी को नहीं।
इस बात से शिलाद ऋषि परेशान हो गए। अपनी परेशानी को उन्होंिने संतों के आगे रखने की सोची और संतों से बात का कारण पूछा। तब संत पहले तो सोच में पड़ गए। पर थोड़ी देर बाद उन्होंेने कहा, नंदी अल्पायु है। यह सुनकर मानों शिलाद ऋषि के पैरों तले जमीन खिसक गई। शिलाद ऋषि काफी परेशान रहने लगे।
एक दिन पिता की चिंता को देखते हुए नंदी ने उनसे पूछा, ‘क्या बात है, आप इतना परेशान क्योंर हैं पिताजी।’ शिलाद ऋषि ने कहा संतों ने कहा है कि तुम अल्पायु हो। इसीलिए मेरा मन बहुत चिंतित है। नंदी ने जब पिता की परेशानी का कारण सुना तो वह बहुत जोर से हंसने लगा और बोला, ‘भगवान शिव ने मुझे आपको दिया है। ऐसे में मेरी रक्षा करना भी उनकी ही जिम्मेझदारी है, इसलिए आप परेशान न हों।’
नंदी पिता को शांत करके भगवान शिव की तपस्या करने लगे। दिनरात तप करने के बाद नंदी को भगवान शिव ने दर्शन दिए। शिवजी ने कहा, ‘क्या इच्छा् है तुम्हातरी वत्स’. नंदी ने कहा, मैं ताउम्र सिर्फ आपके सानिध्य में ही रहना चाहता हूं।नंदी से खुश होकर शिवजी ने नंदी को गले लगा लिया। शिवजी ने नंदी को बैल का चेहरा दिया और उन्हें अपने वाहन, अपना मित्र, अपने गणों में सबसे उत्ताम रूप में स्वीकार कर लिया।इसके बाद ही शिवजी के मंदिर के बाद से नंदी के बैल रूप को स्था पित किया जाने लगा।
इसलिए ईश्वर को प्रकाश के रूप में बताया जाता है
9 Jan, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हमें हमेशा ईश्वर को प्रकाश के रूप में बताना होता है, क्योंकि प्रकाश से आप देखते हैं, प्रकाश से हर चीज स्पष्ट होती है। लेकिन जब आपका अनुभव बुद्धि की सीमाओं को पार करना शुरू करता है, तब हम ईश्वर को अंधकार के रूप में बताने लगते हैं। आप मुझे यह बताएं कि इस अस्तित्व में कौन ज्यादा स्थायी है? कौन अधिक मौलिक है, प्रकाश या अंधकार? निश्चित ही अंधकार। शिव अंधकार की तरह सांवले हैं। क्या आप जानते हैं कि शिव शाश्वत क्यों हैं? क्योंकि वे अंधकार हैं। वे प्रकाश नहीं हैं। प्रकाश बस एक क्षणिक घटना है। अगर आप अपनी तर्क-बुद्धि की सीमाओं के अंदर जी रहे हैं तब हम आपको ईश्वर को प्रकाश जैसा बताते हैं। अगर आपको बुद्धि की सीमाओं से परे थोड़ा भी अनुभव हुआ है, तो हम ईश्वर को अंधकार जैसा बताते हैं, क्योंकि अंधकार सर्वव्यापी है।
अंधकार की गोद में ही प्रकाश अस्तित्व में आया है। वह क्या है जो अस्तित्व में सभी चीजों को धारण किए हुए है? यह अंधकार ही है। प्रकाश बस एक क्षणिक घटना है। इसका स्रोत जल रहा है, कुछ समय के बाद यह जलकर खत्म हो जाएगा। चाहे वह बिजली का बल्ब हो या सूरज हो। एक कुछ घंटों में जल जाएगा, तो दूसरे को जलने में कुछ लाख साल लगेंगे, लेकिन वह भी जल जाएगा।
तो सूर्य से पहले और सूर्य के बाद क्या है? क्या चीज हमेशा थी और क्या हमेशा रहेगी? अंधकार। वह क्या है जिसे आप ईश्वर कहते हैं? वह जिससे हर चीज पैदा होती है, उसे ही तो आप ईश्वर के रूप में जानते हैं। अस्तित्व में हर चीज का मूल रूप क्या है? उसे ही तो आप ईश्वर कहते हैं। अब आप मुझे यह बताएं कि ईश्वर क्या है, अंधकार या प्रकाश? शून्यता का अर्थ है अंधकार। हर चीज शून्य से पैदा होती है। विज्ञान ने आपके लिए यह साबित कर दिया है।
और आपके धर्म हमेशा से यही कहते आ रहे हैं -ईश्वर सर्वव्यापी है। और केवल अंधकार ही है जो सर्वव्यापी हो सकता है।
प्रकाश का अस्तित्व बस क्षणिक है, प्रकाश बहुत सीमित है, और खुद जलकर खत्म हो जाता है, लेकिन चाहे कुछ और हो या न हो, अंधकार हमेशा रहता है। लेकिन आप अंधकार को नकारात्मक समझते हैं। हमेशा से आप बुरी चीजों का संबंध अंधकार से जोड़ते रहे हैं। यह सिर्फ आपके भीतर बैठे हुए भय के कारण है। आपकी समस्या की यही वजह है। यह सिर्फ आपकी समस्या है, अस्तित्व की नहीं। अस्तित्व में हर चीज अंधकार से पैदा होती है। प्रकाश सिर्फ कभी-कभी और कहीं-कहीं घटित होता है। आप आसमान में देखें, तो आप पाएंगे कि तारे बस इधर-उधर छितरे हुए हैं और बाकी सारा अंतरिक्ष अंधकार है, शून्य है, असीम और अनन्त है।
यही स्वरूप ईश्वर का भी है। यही वजह है कि हम कहते हैं कि मोक्ष का अर्थ पूर्ण अंधकार है। यही वजह है कि योग में हम हमेशा यह कहते हैं कि चैतन्य अंधकार है। केवल तभी जब आप मन के परे चले जाते हैं, आप अंधकार का आनन्द उठाना जान जाते हैं, उस अनन्त, असीम सृष्टा को अनुभव करने लगते हैं। जब आपकी आंखें बंद होती हैं, तो उस अंधकार में आपके सभी अनुभव और ज्यादा गहरे हो जाते हैं!
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
9 Jan, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कुटुम्ब में अशांति, क्लेश व अशांति, धन का व्यर्थ व्यय होगा, पीड़ा अवश्य होगी।
वृष राशि :- इष्ट मित्रों से सुख, अधिकारियों से मेल-मिलाप होगा तथा व्यापार में लाभप्रद स्थिति रहेगी।
मिथुन राशि :- अर्थ व्यवस्था अनुकूल होगी, सफलता के साधन जुटायेंगे, रुके कार्य बन जायेंगे।
कर्क राशि :- मनोवृत्ति उदार बनाये रखें, तनाव, क्लेश व अशांति की स्थिति बनेगी ध्यान रखें।
सिंह राशि :- समय नष्ट होगा, व्यवसायिक गति मंद होगी, असमंजस की स्थिति से बचिये।
कन्या राशि :- आर्थिक योजना सफल होगी, व्यवसायिक क्षमता अनुकूल होगी।
तुला राशि :- धन का व्यय, आलस्य से हानि संभव है, कार्य अवश्य बनेंगे ध्यान दें।
वृश्चिक राशि :- स्त्री वर्ग से क्लेश व अशांति तथा विघटनकारी तत्व परेशान अवश्य करेंगे।
धनु राशि :- कुटुम्ब की समस्यायें सुलझेंगी, धन का व्यर्थ व्यय होगा, व्यर्थ भ्रमण होगा।
मकर राशिः- अर्थ-व्यवस्था छिन्न-भिन्न होगी, कार्य व्यवसाय गति मध्यम होगी।
कुंभ राशि :- दैनिक कार्यगति में सुधार, चिन्तायें कम होंगी तथा सफलता अवश्य मिलेगी।
मीन राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा, कार्यगति अनुकूल बनी रहेगी ध्यान दें।
इस दिन हर घर में होगी प्रभु राम की आरती, हर घर में विराजमान होंगे बालक राम
8 Jan, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान राम लला के भव्य मंदिर में विराजमान होने को 1 साल पूरा होने जा रहा है, जिसे राम मंदिर ट्रस्ट प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में मनाने जा रहा है, लेकिन भगवान राम की प्रतिष्ठा के वार्षिक उत्सव में नगर वासियों का भी उत्साह देखने को मिलेगा भगवान राम के बहु प्रतीक्षित मंदिर में विराजमान होने का उत्सव मनाया जाएगा.
हर घर में होगी पूजा-आरती
यह उत्सव अयोध्या के हर एक घर हर एक गली में होगा फिर चाहे वह मठ मंदिर हो या ग्रहस्थ आश्रम भगवान राम लला 500 वर्षों के संघर्ष के बाद अयोध्या में अपने जन्म स्थान पर बने भव्य महल में विराजमान हुए. आज वह सुखद दिन है कि 1 वर्ष पूरा होने को है. इस कार्यक्रम को बहुत ही भव्यता के साथ मनाया जाएगा. 11 जनवरी को हर घर में प्रभु राम की आरती और प्रभु राम की पूजा आराधना होगी.
राम लला के स्थापित होने के पूरे होंगे 1 साल
देश और दुनिया भगवान राम के भव्य महल में विराजमान होने की साक्षी हो चुकी है. खुद प्रधानमंत्री ने राम लला को उनके महल में विराजमान अपने हाथों से कराया था, लेकिन इस 1 वर्ष में देश भर के राम भक्तों ने राम लला के दरबार में हाजिरी लगाई. शायद यही वजह है कि अयोध्या विश्व के मानचित्र पर पर्यटन के लिहाज से तो स्थापित हो चुका है.
जानें अयोध्या में मठ मंदिरों की संख्या
ऐसे में रामराज की परिकल्पना भी साकार होती दिख रही है. अब 1 वर्ष होने जा रहा है. ऐसे में अयोध्या में लगभग 10000 मठ मंदिर हैं. मंदिर और मूर्तियों के शहर में भगवान के जन्म स्थान पर बने भव्य महल में विराजमान होने का वार्षिक उत्सव तो मनाया ही जाएगा, लेकिन अयोध्या के ग्रहस्थ भी प्रतिष्ठा द्वादशी को पूरे भव्यता के साथ मनाई जाएगी.
पीएम मोदी ने किया था स्थापित
जहां ठीक दोपहर 12:20 यानी कि वह समय जब 22 जनवरी 2024 को भगवान राम लला अपने भव्य महल में प्रधानमंत्री के हाथ से विराजमान हुए थे. उस समय भगवान की आरती हर घर में होगी. जिस तरह से भगवान राम वनवास के बाद अयोध्या आए थे. अयोध्या वासियों ने दीप जला करके उनका स्वागत किया था. कुछ वैसा ही नजर कलयुग के इस प्रतिष्ठा द्वादशी के मौके पर होगा. हर घर में दीपक जलाकर खुशियां मनाई जाएगी.
देश का इकलौता सूर्य प्रधान मंदिर, जहां मकर संक्रांति पर उमड़ता श्रद्धालुओं का जमावड़ा, मिलती नौ ग्रहों की कृपा
8 Jan, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार नए साल में मकर संक्रांति का यह पर्व हिंदू धर्म का पहला त्यौहार माना जाता है. वही, ज्योतिष शास्त्र में भी मकर संक्रांति का विशेष महत्व है. इस दिन सूर्य देव उत्तरायण हो जाते है. इस खास मौके सूर्यदेव सहित नवग्रह की कृपा पाने के लिए मध्य प्रदेश के खरगोन में मौजूद देश के इकलौते सूर्य प्रधान नवग्रह मंदिर में पूरे प्रदेश से भक्त दर्शन, पूजन के लिए पहुंचते है. माना जाता है कि, मकर संक्रांति के दिन यहां भगवान सूर्य के दर्शन से पूरे साल नवग्रह की कृपा मिलती है.
दरअसल, खरगोन शहर में कुंदा नदी के तट पर करीब 300 वर्ष प्राचीन सूर्य प्रधान नवग्रह मंदिर है. जो ज्योतिष शास्त्र के पूर्ण पैरामीटर और गणित ज्ञान के हिसाब से बना देश का एकमात्र मंदिर कहलाता है. जिस प्रकार मानव जीवन सात दिन, 12 राशियों, 12 महीनों और नौ ग्रहों पर आधारित है. उसी प्रकार इस मंदिर की संरचना हुई है. सूर्य प्रधान मंदिर होने से मकर संक्रांति पर नवग्रह की कृपा पाने के लिए लाखों श्रद्धालु आते है.
मकर संक्रांति पर दर्शन का अधिक महत्व
यह मंदिर देश का इकलौता नवग्रह मंदिर है. शेष शनि मंदिर है. यहां गर्भगृह में स्वयं भगवान सूर्यदेव नौ ग्रहों के साथ विराजमान है. सूर्य उपासना के महापर्व मकर संक्रांति के दिन उदयमान सूर्य एवं गर्भगृह में विराजित सूर्य देव के दर्शन और पूजन का यहां खास महत्व रहता है. इस दिन पूजन करने से साल भर नवग्रह की कृपा मिलती है. इस वजह से जिस भी गृह संबंधित समस्या होती है, उस ग्रह सम्बंधित दान पोटली अर्पित करने से तुरंत फल की प्राप्ति होती है. पूरे
दक्षिण भारतीय शैली में बना है मंदिर
बता दें कि, नवग्रह मंदिर के गर्भगृह में ग्रहों की अधिष्ठात्री मां बगलामुखी भी स्थापित होने से पीताम्बरी ग्रह शांति पीठ भी कहलाता है. जबकि ब्रह्मांड की दो महाशक्तियां भी यहां स्थापित है. सभी नौ ग्रह एवं अन्य मूर्तियां और मंदिर की संरचना दक्षिण भारतीय शैली की है. गर्भगृह में सूर्य की मूर्ति बीच में है. सामने शनि, दाईं ओर गुरु, बाई ओर मंगल ग्रह की मूर्ति है. सभी ग्रह अपने-अपने वाहन, ग्रह मंडल, ग्रह यंत्र, ग्रह रत्न और अस्त्र शस्त्र के साथ स्थापित है.
इस बार महाकुंभ में अनूठी पहल, 2 माह कन्याएं करेंगी गंगा आरती, शंखनाद व पूजा करेंगी महिलाएं
8 Jan, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
तीर्थनगरी प्रयागराज में इस साल महाकुंभ का आयोजन होने वाला है. महाकुंभ का यह धार्मिक आयोजन 13 जनवरी 2025 से शुरु हो जाएगा. इसके लिए भव्य रुप से तैयारियां की गई है. साधु-संतों की अगवानी का कार्यक्रम शुरु हो चुका है. जहां इस बार प्रयागराज महाकुंभ दिव्य, भव्य, सुरक्षित, डिजिटल, स्वच्छ और ग्रीन होगा, तो वहीं दूसरी तरफ यह नारी सशक्तिकरण की भी अनूठी मिसाल भी बनेगा.
दरअसल, प्रयागराज में संगम किनारे प्रतिदिन होने वाली जय त्रिवेणी जय प्रयागराज आरती समिति की तरफ से इस बार महाकुंभ के दो महीनों में कन्याएं गंगा आरती संपन्न कराएंगी. इसके साथ ही इस बार पूजा, डमरू और शंखनाद महिलाओं द्वारा किया जाएगा. वहीं प्लेटफार्म पर चढ़कर आरती के पात्र को हाथ में लेकर सभी रस्में भी अदा करेंगी.
‘जय त्रिवेणी जय प्रयागराज आरती समिति’ की पहल
पूरी दुनिया में यह पहला ऐसा मौका होगा, जब की बड़े पैमाने पर ऐसी पहल की जाएगी और बड़े पैमाने पर नियमित होने वाली आरती को कन्या संपन्न करेगी. इससे दुनिया को एक विशेष संदेश भी मिलेगा.
आरती समिति के सदस्य ने दी जानकारी, इतने सालों के बाद प्रयागराज की पावन नगरी में इस एक बार फिर महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है. इस अवसर पर एक अनोखी पहल के माध्यम से नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा देने और महिलाओं व पुरुषों के बीच समानता का भाव स्थापित करने के उद्देश्य से इस बार दुनिया को एक संदेश देना चाहते हैं.
भगवान विष्णु के 5 मंत्र, हरेंगे कष्ट
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महिला बटुकों को दिया जा रहा प्रशिक्षण
महाकुंभ की तैयारियों संगम नगरी में गंगा आरती को लेकर खास तैयारी की जा रही है. महाकुंभ की तैयारियों में हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और अन्य राज्यों से महिला बटुकों को प्रशिक्षित किया जा रहा है, उन्हें गंगा आरती के विशेष मंत्र और पूजा विधियों का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जिससे कि वे गंगा आरती में पूरी श्रद्धा और विधि-विधान के साथ भाग लें.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
8 Jan, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- धन का व्यय संभव है, तनावपूर्ण वातावरण से बचियेगा तथा स्वास्थ्य का ध्यान अवश्य रखें।
वृष राशि :- अधिकारियों के समर्थन से सफलता के साधन जुटायें, कार्यकुशलता से संतोष होगा।
मिथुन राशि :- चिन्ताएं कम हों, सफलता के साधन जुटायें तथा शुभ समाचार अवश्य ही मिलेगा।
कर्क राशि :- बड़े-बड़े लोगों से मेल-मिलाप होगा तथा सुख-समृद्धि के साधन अवश्य ही बनायें।
सिंह राशि :- स्त्री-वर्ग से हर्ष-उल्लास होगा, भोग-एश्वर्य की प्राप्ति होगी, कार्यगति उत्तम होगी।
कन्या राशि :- प्रतिष्ठा बाल-बाल बचे, संघर्ष से अधिकार प्राप्त करें, भाग्य आपका साथ देगा।
तुला राशि :- कुटुम्ब और धन की चिन्ता बनी रहेगी, सोचे हुये कार्य परिश्रम से अवश्य ही बनेंगे।
वृश्चिक राशि :- प्रत्येक कार्य में बाधायें क्लेश-युक्त रखें, स्थिति सामर्र्थ के योग अवश्य ही बनेंगे।
धनु राशि :- भावनायें विक्षुब्ध रखें, दैनिक कार्यगति मंद रहे, परिश्रम से कार्य अवश्य ही बनेंगे।
मकर राशि :- तनाव-क्लेश, अशांति, धन का व्यय, मानसिक खिन्नता अवश्य ही बनेगी।
कुंभ राशि :- कार्यकुशलता से संतोष, व्यवसायिक समृद्धि के साधन अवश्य ही जुटायें।
मीन राशि :- कुटुम्ब के कार्यों में समय बीतेगा तथा हर्षप्रद समाचार प्राप्त होगा, मित्र मिलन होगा।
पांडव पत्नी द्रौपदी में थे ये 3 अवगुण, स्वयं युधिष्ठिर ने बताए थे अपने भाइयों को,
7 Jan, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाभारत में माता कुंती और गांधारी के बाद द्रौपदी ही ऐसी स्त्री थीं. जिसका जिक्र आज भी महाभारत का नाम लेते समय किया जाता है. द्रौपदी को सबसे सुंदर स्त्रियों में से एक माना जाता था, वे ना सिर्फ सुंदर थी बल्कि साबसी, बुद्धिमानी के साथ-साथ हाजिरजवाब भी थीं. लेकिन क्या आपको पता है कि द्रौपदी में भले ही ये सभी गुण थे, लेकिन 3 बड़े अवगुण भी थे.
जी हां, द्रौपदी के इन 3 अवगुणों के बारे में युधिष्ठिर ने अपने भाईयों को बताए थे. उन्होंने ये अवगुण तब बताए जब पांचों भाई अपनी पत्नी द्रौपदी के साथ स्वर्ग जाने के लिए निकले थे. हमेशा सत्य व धर्म के मार्ग चलने वाले युधिष्ठिर को आज भी धर्मराज कहा जाता है, वे पांडवों में सबसे बड़े भाई थे. कि आखिर द्रौपदी में वे कौन से 3 अवगुण थे जो कि युधिष्ठिर ने अन्य पांडवों को बताए थे.
द्रौपदी के अवगुणों को युधिष्ठिर ने कब बताया
महाभारत युद्ध की समाप्ति के बाद जब पांडव व द्रौपदी सशरीर स्वर्ग की कठिन यात्रा कर रहे थे तो इस यात्रा में जैसे ही पांडव बद्रीनाथ पहुंचे तो वहां से आगे का रास्ता द्रौपदी के लिए कष्टकारी हो गया और वह कुछ दूर चलते ही मूर्छित होकर गिर पड़ी. तभी युधिष्ठिर ने बताया कि उनमें कौन से दुर्गुण थे, जिनकी वजह से वह स्वर्ग यात्रा पूरी नहीं कर पाईं.
द्रौपदी का पहला अवगुण बताते हुए युधिष्ठिर ने कहा कि द्रौपदी को अपने रुपवती और बुद्धिमती होने का बहुत अहंकार था. वहीं किसी भी चीज का अहंकार इंसान को दुर्गुणी बनता है.
दूसरा अवगुण बताते हुए युधिष्ठिर ने कहा कि, द्रौपदी अपने अपने सभी पतियों से समान रुप से प्रेम नहीं किया था. वे अर्जुन से बेहद प्रेम करती थीं. किसी एक के प्रति झुकाव होना समान ना रहना भी एक अवगुण है.
तीसरा अवगुण उनका हठी होना बताया, इसी कारण उन्होंने दुर्योधन से बदला लेने की सौगंध खाई और फिर महाभारत का युद्ध हुआ जिसमें करोड़ों लोगों की हत्या हुई.