धर्म एवं ज्योतिष
क्या बुरी नजर से बचाता है काला धागा या शनि के दोष को करता है कम!
16 Jan, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत में, कलाई, पैर या गले में काला धागा बांधना एक आम बात है. यह एक प्राचीन परंपरा है जो आज भी प्रचलित है. कुछ लोग इसे फैशन के तौर पर पहनते हैं, तो कुछ इसे बुरी नजर से बचाने वाला मानते हैं. लेकिन क्या वास्तव में काले धागे के कोई फायदे हैं? आइए जानते ज्योतिषाचार्य अंशुल त्रिपाठी काले धागे के बारे में क्या जानकारी देते हैं.
काले धागे का रहस्य
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, काला रंग नकारात्मक ऊर्जा को अवशोषित करता है. इसलिए, जब हम काला धागा पहनते हैं, तो यह हमारे चारों ओर की नकारात्मक ऊर्जा को खींच लेता है और हमें बुरी नजर से बचाता है. यह भी माना जाता है कि काला धागा शनि ग्रह का प्रतीक है, और इसे पहनने से शनि के प्रकोप से रक्षा होती है.
चाहे आप इसे फैशन के लिए पहनें, बुरी नजर से बचने के लिए, या अपनी परंपराओं का पालन करने के लिए, काला धागा आज भी कई लोगों के जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह एक ऐसा प्रतीक है जो विश्वास, परंपरा और संस्कृति को एक साथ जोड़ता है.
नमक-लौंग से करें ये छोटा सा उपाय, पैसौं से भर जाएगी जेब! आर्थिक तंगी से मिलेगी राहत
16 Jan, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नमक का उपयोग किचन में प्रतिदिन या कहें कि हर व्यंजन बनाने में किया जाता है. ये हमारे भोजन में स्वाद को बढ़ाता है और इसका सेवन हमें स्वास्थ्य संबंधित कई लाभ देता है. लेकिन क्या आपको पता है कि नमक ना सिर्फ खाने का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि यह ज्योतिष के अनुसार भी कई चीजों के लिए काम में लिया जाता है.
दरअसल, नमक को ज्योतिषशास्त्र में बहुत ही खास महत्व दिया गया है. नमक से साथ कई चीजें मिलाकर इससे जीवन से जुड़े कई समस्याओं का समाधान किया जा सकता है. ये बच्चों की नजर उतारने के भी काम आता है. तो चलिए ज्योतिषाचार्य डॉ अरविंद पचौरी से जानते हैं की नमक के ज्योतिषीय उपायों के बारे में जो कि व्यक्ति की कई समस्याओं का निवारण कर सकते हैं.
आर्थिक लाभ के लिए
अगर आप कड़ी मेहनत करते हैं और इसके बावजूद भी आपको आर्थिक तंगी झेलनी पड़ रही है, पैसा घर में जितना आता है उतना खत्म हो जाता है तो ऐसे में आप नमक का छोटा सा उपाय कर सकते हैं. आप कांच की बोतल में समुद्री नमक भरें और उसमें एक-दो लौंग डालकर रख दें. यह उपाय आपको आर्थिक तंगी से छुटकारा दिला सकता है. इससे घर में माता लक्ष्मी का वास बना रहता है, जिससे बरकत होती है.
मानसिक तनाव से मुक्ति के लिए
अगर आपको छोटी-छोटी बातों पर टेंशन हो जाता है और आप किसी भी बात को लेकर मानसिक तनाव में चले जाते हैं तो आप प्रतिदिन पानी में थोड़ा सा समुद्री नमक जालें और फिर उससे स्नान करें. इस उपाय से कुछ दिन तक लगातार करने से मानसिक शांति मिलेगी और तनाव कम होगा.
कार्यक्षेत्र में सफलता के लिए
अगर आपको अपने कार्यक्षेत्र में किसी प्रकार की कोई दिक्कत हो और उसकी वजह से आप तनाव या दबाव सा महसूर करें, तो ऐसे में आपको सलाह दी जाती है कि आप नमक का सेवन कम से कम करें. ऐसा करना आपके मानसिक स्थिति के लिए अच्छा रहेगा और कार्य में सफलता भी दिलाएगा.
स्वास्थ्य लाभ के लिए
यदि आप स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा पाना चाहते हैं तो इसके लिए आप बीमार व्यक्ति के सिरहाने एक कांच के बर्तन में मुट्ठी भर नमक भरकर रख दें. इसके बाद इस नमक को हर रोज बदलें और इस्तेमाल हुए नमक को किसी नदी-नाले में फेंक दें. इस उपाय को लगातार करने से लाभ दिखने लगता है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
16 Jan, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- धन का व्यय सम्भव है तथा तनाव पूर्ण वातावरण से बचियेगा, ध्यान रखें।
वृष राशि :- अधिकारियों के समर्थन से सफलता, कार्यकुशलता से संतोष अवश्य होगा।
मिथुन राशि :- चिन्ताऐं कम हों, सफलता के साधन जुटायें तथा शुभ-समाचार अवश्य प्राप्त होगा।
कर्क राशि :- बड़े-बड़े लोगों से मेल-मिलाप होवे तथा सुख-समृद्धि के साधन अवश्य जुटायें।
सिंह राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष उल्लास होवे तथा भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति अवश्य ही होगा।
कन्या राशि :- प्रतिष्ठा बाल-बाल बचे, संघर्ष से अधिकारियों की भावनाओं को ठेस पहुंचे।
तुला राशि :- कुटुम्ब और धन की चिन्ता बनी रहे, परिश्रम करने से सोचे हुए कार्य पूर्ण होंगे।
वृश्चिक राशि :- प्रत्येक कार्य में बाधा क्लेशयुक्त रखे तथा आर्थिक स्थिति समर्थ के योग्य होगी।
धनु राशि :- भावनाऐं विक्षुब्ध रखें, दैनिक कार्यगति मंद रहे, परिश्रम से सफलता मिलेगी।
मकर राशि :- तनाव-क्लेश व अशांति, धन का व्यय मानसिक खिन्नता अवश्य होगी।
कुंभ राशि :- कार्यकुशलता से संतोष, व्यवसायिक समृद्धि के साधन अवश्य बनेंगे।
मीन राशि :- कुटुम्ब के साथ समय बीते तथा हर्ष-उल्लास अवश्य ही होगा, ध्यान रखें।
राजस्थान के इस मंदिर में प्रसाद के रूप में भक्तों को मिलती है पतंग,18 सालों से चली आ रही है श्रृंगार की परंपरा
15 Jan, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मकर संक्रांति एक ऐसा त्यौहार है, जिसमें मनोरंजन के रूप में पतंग का खास उत्साह रहता है. त्यौहारी सीजन और खास मौके पर भगवान का श्रृंगार करने का एक अद्भुत महत्व माना जाता है और भगवान को त्योहारों के तर्ज पर रूप श्रृंगार और पोशाक पहनाई जाती है. भीलवाड़ा जिले के मंदिरों में मकर संक्रांति का त्यौहार बड़े खास तरीक़े से मनाया जा रहा है और भीलवाड़ा शहर के श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर मकर संक्रांति के त्यौहार को देखते हुए भगवान का विशेष श्रृंगार किया गया. इसके तहत शहर के संकट मोचन हनुमान मंदिर में करीब 2 हजार से अधिक राम नाम पतंगों के द्वारा हनुमान जी का श्रृंगार किया गया.
यह श्रृंगार करीब 18 सालों से लगातार किया जा रहा है. खास बात यह है कि मंदिर में आने वाले बच्चों और भक्तों को प्रसाद के रूप में पतंग का वितरण किया जाता है. सभी पतंगे विशेष तौर पर गुजरात के अहमदाबाद से मंगाई गई है. भगवान हनुमान जी का यह मनमोहक दृश्य देखने के लिए संकट मोचन हनुमान मंदिर में भक्तों की भीड़ रहती है. हनुमान जी के इस रूप को तैयार करने में करीब 2 दिन का समय लगा है और भक्त इस दृश्य को कहीं ना कहीं अपने मोबाइल में कैद कर रहे हैं.
18 सालों से चली आ रही परंपरा
संकट मोचन हनुमान मंदिर के महंत बाबू गिरी महाराज बतात हैं कि विगत 18 सालों से लगातार भीलवाड़ा शहर के मुख्य डाकघर के निकट स्थित श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर में मकर संक्रांति को लेकर भगवान हनुमान जी महाराज का राम नाम पतंगों के साथ श्रृंगार किया जाता है. इसमें 2100 से अधिक विभिन्न तरह की छोटी-बड़ी डिजाइनिंग पतंगों का इस्तेमाल किया गया है. करीब आधा दर्जन लोगों की मेहनत और 2 दिन के समय के बाद यह श्रृंगार तैयार हुआ है. भक्तों को भगवान के इस दिव्य श्रृंगार को देखने के लिए मौका मिला है. बाद में हनुमान जी महाराज की महाआरती करने के बाद यह पतंग छोटे बच्चों को प्रसाद के रूप में वितरित कर दिया जाएगा.
भक्तों को मनोकामना होती है पूरी
महंत बाबू गिरी जी महाराज ने बताया कि इस मंदिर में आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं हनुमान जी महाराज पूरी करते हैं. इसके साथ ही बुरी नजर वाले रोगियों का भी यहां इलाज हो जाता है. अपने चमत्कार को लेकर यह मंदिर इतना प्रसिद्ध है कि दूर-दूर से भक्त यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं.
लाल कपड़े और तुलसी के पौधे से करें ये 4 उपाय... रुपयों से हमेशा भरी रहेगी तिजोरी
15 Jan, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अक्सर ऐसा होता है कि कुछ लोग बहुत मेहनत करते हैं पर उनके घर में पैसा नहीं टिकता है. मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए वास्तु शास्त्र में बताए गए कुछ खास उपायों को अपनाया जा सकता है. इससे न सिर्फ आय के नए स्त्रोत बनेंगे बल्कि घर में सुख-समृद्धि भी आएगी.
अगर आप मेहनत करते हैं और दिनभर इस प्रयास में रहते हैं कि किसी तरह आपकी कमाई अच्छी हो जाए. लेकिन, इसके बावजूद आपके घर में धन नहीं ठहरता तो एक छोटे से उपाय से आप इसे ठीक कर सकते हैं.
एक छोटे से उपाय से आप इस परेशानी को दूर कर सकते हैं और माता लक्ष्मी को प्रसन्न कर सकते हैं. इस उपाय को करने से माता लक्ष्मी की कृपा आप पर बरस सकती है और आप के धन आगमन के कई स्रोत खुल सकते हैं.
हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का काफी महत्व होता है. कहा जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा लगाया जाता है, वह घर काफी पवित्र हो जाता है. ऐसे में लोग हर रोज अपने घर में तुलसी के पौधे की पूजा करते हैं. तुलसी का पौधा हीं नहीं बल्कि इसका जड़ भी काफी चमत्कारी होता है और इसके कई सारे उपाय होते हैं.
आर्थिक समस्या से छुटकारा पाने के लिए तुलसी के पेड़ की मिट्टी को एक लाल रेशमी कपड़े में बांध लें. अब इसे मां लक्ष्मी के चरणों में रखकर ऊं श्रीं मंत्र का 108 बार जाप करें. इसके बाद इस पोटली को अपनी तिजोरी में रख दें. इससे हमेशा पैसा बना रहेगा.
शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा के दौरान मां को तुलसी की मंजरी अर्पित करने से आर्थिक स्थिति में सुधार आता है. विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए, दूध में तुलसी की मंजरी मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए.
शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा के दौरान मां को तुलसी की मंजरी अर्पित करने से आर्थिक स्थिति में सुधार आता है. विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए, दूध में तुलसी की मंजरी मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाना चाहिए.
नहीं कर पा रहे हैं प्रयाग महाकुंभ में स्नान? घर बैठे करें ये 6 काम... मां गंगा देंगी पूरा आशीर्वाद
15 Jan, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का आगाज हो गया है. मान्यता है कि कुंभ के मेले में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिल जाती है. हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार समुद्र मंथन से निकले अमृत को पाने के लिए देवताओं और राक्षसों में 12 वर्षो तक युद्ध चला. इस युद्ध के दौरान कलश से जिन स्थानों पर अमृत की बूंदें गिरीं वहां पर कुंभ मेला आयोजित किया जाता है. धार्मिक ग्रंथो के मुताबिक 144 वर्षों बाद प्रयाग महाकुंभ में अद्भुत संयोग बन रहा है. पूरे देश-दुनिया से लोग महाकुंभ में स्नान करने आ रहे हैं. बहुत से ऐसे लोग हैं जो किसी कारण प्रयाग महाकुंभ-2025 के शाही स्नान में शामिल नहीं हो पा रहे हैं, तो वे अपने घर पर कुछ नियमों का पालन करते हुए महाकुंभ का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं. आइए जानते हैं क्या हैं वो नियम.
कि शाही स्नान सूर्योदय से पहले किया जाता है. कोशिश करें कि आज किसी पवित्र नदी या सरोवर में जाकर स्नान करें या अगर आपके आसपास कोई पवित्र नदी नहीं है, तो आप घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें. इस दौरान गंगा मैया को सच्चे मन से याद करें और हर हर गंगे मंत्र का जाप करें इस विधि से भी पुण्य की प्राप्ति होगी.
हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार कुंभ में स्नान के दौरान नदी में 5 बार डुबकी लगाने का नियम है. तो, आप भी ऐसा कर सकते हैं. साथ ही स्नान के समय साबुन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करें, उसके बाद घर के आंगन या छत पर तुलसी मैया को जल अर्पित करें.
महाकुंभ में दान का विशेष महत्व होता है. स्नान के बाद घर पर गरीबों या जरूरतमंदों को भोजन, कपड़े, या धन का दान करें.
घर पर स्नान के बाद व्रत रखें या सात्त्विक भोजन करें. प्याज, लहसुन और तामसिक चीजों से परहेज करें.
सबसे जरूरी है कि आपके मन में श्रद्धा और पवित्रता हो. शाही स्नान का महत्व शरीर की शुद्धता के साथ- साथ आत्मा की शुद्धि में भी है. इन चरणों को अपनाकर आप घर बैठे महाकुंभ और शाही स्नान का पुण्य प्राप्त कर सकते हैं.
मकर संक्रांति पर बैजनाथ शिव मंदिर में होगा महाकाल की पिंडी का घृत श्रृंगार,पहुंचे भक्त भोले के द्वार
15 Jan, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मकर संक्रांति के पावन अवसर पर हिमाचल प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध बैजनाथ शिव मंदिर में भगवान शिव की पिंडी का विशेष श्रृंगार घृत (देसी घी) और सूखे मेवों से किया जाएगा. इस ऐतिहासिक परंपरा का निर्वहन हर साल मकर संक्रांति के दिन किया जाता है. मंदिर परिसर में सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी है और भोलेनाथ के जयकारों से वातावरण गूंज रहा है.
शिवलिंग पर घृत मंडल चढ़ाने की परंपरा
मकर संक्रांति के दिन भगवान शिव और माता पार्वती के अर्धनारीश्वर स्वरूप में स्थापित पवित्र शिवलिंग पर घृत मंडल चढ़ाने की प्राचीन परंपरा है. मंदिर के पुजारी राम शर्मा के अनुसार, इस वर्ष 2.5 क्विंटल देसी घी और सूखे मेवों का उपयोग किया जा रहा है. देसी घी को पिघलाकर और 101 बार ठंडे पानी से धोकर शुद्ध किया जाता है. इसके बाद घी को छोटे पेड़ों के रूप में तैयार किया जाता है, जो दोपहर बाद शिवलिंग पर चढ़ाया जाएगा.
सात दिन तक शिवलिंग पर रहेगा घृत मंडल
श्रद्धालुओं को घृत मंडल चढ़ाने की प्रक्रिया देखने के लिए विशेष उत्साह रहता है. चढ़ाए गए घी को सात दिनों तक शिवलिंग पर रखा जाएगा. इस दौरान यह औषधीय गुणों से भरपूर हो जाता है. सात दिनों के बाद इस घी को उतारकर भक्तों में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाएगा.
घृत के औषधीय गुण
मंदिर के पुजारी राम शर्मा के अनुसार, शिवलिंग पर सात दिनों तक चढ़े रहने के कारण घृत औषधीय गुणों से युक्त हो जाता है. इस घी का सेवन नहीं किया जाता, बल्कि इसे चर्म रोगों के उपचार के लिए उपयोगी माना जाता है. पौराणिक मान्यता है कि देवताओं और जालंधर दैत्य के युद्ध के दौरान हुए गहरे घावों का उपचार इसी घृत से किया गया था.
पूरे क्षेत्र में मकर संक्रांति का उत्साह
बैजनाथ के तहसीलदार रमन कुमार ने बताया कि घृत मंडल पर्व की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. इस अनोखी परंपरा को न केवल बैजनाथ मंदिर में, बल्कि उपमंडल के अन्य मंदिरों जैसे महाकाल, पालिकेश्वर, मूकट नाथ और पुठे चरण मंदिर में भी निभाया जाएगा. भक्तों में इस पर्व को लेकर विशेष उत्साह है. भगवान शिव के प्रति गहरी आस्था रखने वालों के लिए यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण है.
पौराणिक मान्यताओं से जुड़ी परंपरा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, घृत मंडल चढ़ाने की परंपरा का विशेष महत्व है. इसे देवताओं के प्रति समर्पण और आस्था का प्रतीक माना जाता है. भगवान शिव का यह श्रृंगार भक्तों को यह संदेश देता है कि सेवा और समर्पण से ही जीवन में सच्ची शांति मिलती है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
15 Jan, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- समय विफल हो, कार्य गति में बाधा, चिन्ता, व्यर्थ भ्रमण, कार्य-अवरोध होवेगा।
वृष राशि :- इष्ट मित्रों से सुख, अधिकारियों से मेल-मिलाप होवे तथा कार्य अवश्य बनेंगे।
मिथुन राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल हो, अधिकारियों के समर्थन से सफलता अवश्य मिलेगी।
कर्क राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल हो, बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे, ध्यान अवश्य दें।
सिंह राशि :- इष्ट मित्र सुख वर्धक हों, कुटुम्ब की समस्याऐं सुलझें, स्त्री वर्ग से हर्ष होवेगा।
कन्या राशि :- भावनाऐं संवेदनशील रहेंगी, कुटुम्ब में सुख-समृद्धि के साधन बनेंगे।
तुला राशि :- समय अनुकूल नहीं, स्वास्थ्य नरम रहे, किसी धारणा का अनुसरण होगा।
वृश्चिक राशि :- शरीर स्त्री कष्ट, मानसिक उद्विघ्नता, स्वभाव में असमर्थता अवश्य होगी।
धनु राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, स्थिति में सुधार, व्यवसाय गति उत्तम बनेगी।
मकर राशि :- व्यर्थ धन का व्यय, मानसिक उद्विघ्नता हानिप्रद होगी, ध्यान रखें।
कुंभ राशि :- इष्ट मित्रों से सहयोग मिलेगी, कार्य बनें तथा कार्य गति अनुकूल होगी।
मीन राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल होगा, बिगड़े कार्य अवश्य ही बन जायेंगे।
क्लेश-तंगी को खत्म कर देगा बरकत वाला ये पेड़...घर में होने लगेगी पैसों की बारिश, रोगों से भी मिलेगा छुटकारा!
14 Jan, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देवी-देवताओं के साथ-साथ कुछ ऐसे वृक्ष भी हैं, जो अपनी खास मान्यता रखते हैं. उन्होंने कहा कि तुलसी, पीपल और अशोक का वृक्ष की भी खास मान्यता रखता है. अशोक के पेड़ से जुड़े कुछ उपाय कर लिए जाएं तो घर से तंगी दूर हो जाती है.
अशोक के पेड़ को हिन्दू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है. अशोक के पेड़ पर रोज जल चढ़ाने से घर में लक्ष्मी का वास होता है. वैवाहिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है.
अशोक के पेड़ पर रोज जल चढ़ाने से घर में मौजूद रोग-दोष भी समाप्त हो जाते हैं. इस पेड़ के छाल या पत्तियों का सेवन करने से पेट से कीड़े निकलने में मदद मिलती है. अशोक के पेड़ की छाल में एंटी-फंगल, एंटी-बैक्टीरियल और दर्द निवारक गुण भी होते हैं. इस वृक्ष को सनातन धर्म में पवित्र माना गया है.
अशोक के पत्तों में हाइपोग्लाइसेमिक गुण भी पाए जाते हैं, जो रक्त में शर्करा के स्तर को कम करने में मदद करते हैं. अशोक के पेड़ को उत्तर दिशा में लगाना चाहिए. ज्योतिषी पंडित अजय कांत शास्त्री से जब लोकल 18 की टीम ने बात की तो उन्होंने बताया कि अशोक का पेड़ किसी वरदान से कम नहीं है.
शादी के बाद जिंदगी में बार-बार आने वाली परेशानियों से बचने के लिए भी अशोक के पेड़ पर जल चढ़ाना चाहिए. इससे जीवन में खुशहाली आती है.
बाबा श्याम को पहनाया गया सोने का मुकुट, गुलाब के फूलों से हुआ श्रृंगार, दर्शन के लिए लगी लाइनें
14 Jan, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
विश्व प्रसिद्ध खाटू श्याम जी मंदिर में लगातार भक्तों की संख्या बढ़ती जा रही है. नए साल के पहले दिन से ही बाबा के दरबार में भक्त 12 लाइनों में बाबा श्याम के दर्शन कर रहे हैं. अब बाबा श्याम के वार्षिक मेले तक खाटू श्याम जी मंदिर में भक्तों की भीड़ रहेगी. दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हरियाणा सहित देश-विदेश श्रद्धालु बाबा श्याम के दर्शन करने के लिए आ रहे हैं.
इन दिनों रींगस से खाटू धाम तक केसरिया निशान लेकर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने लगी है. तोरण द्वार, अस्पताल चौराहा, शनि मंदिर व 40 फीट नया रास्ता से होते हुए दर्शन प्रवेश द्वार से 75 फीट की 14 कतारों में लगकर बाबा श्याम के दर्शन कर रहे हैं. साथ ही अपने घर, परिवार और व्यापार की खुशहाली की कामना कर रहे हैं. इसके अलावा भक्तों की सुविधाओं के लिए मंदिर कमेटी और खाटूश्यामजी पुलिस थाने का जाब्ता, पुलिस लाइन का अतिरिक्त जाब्ता, आरएसी की बटालियन, होमगार्ड व सिक्योरिटी गार्ड्स लगातार सेवाएं दे रहे हैं.
गुलाब के फूलों से सजे बाबा श्याम
बाबा श्याम को बड़े ही मनमोहक तरीके से सजाया गया है. खाटू नरेश का लाल रंग के गुलाब के फूलों से श्रृंगार किया गया है. इसके अलावा बाबा के श्रृंगार में पीले रंग के फूलों के अभी उपयोग किया गया है. बाबा श्याम का श्रृंगार भक्तों को खूब पसंद आ रहा है. श्रृंगार के अलावा बाबा श्याम को रत्न जड़ित सोने का मुकुट भी पहनाया गया है.
कौन है बाबा श्याम
हारे के सहारे बाबा श्याम को भगवान कृष्ण का अवतार माना जाता है. महाभारत युद्ध के दौरान भीम के पौत्र बर्बरीक कौरवों की तरफ से युद्ध में शामिल होने जा रहे थे. बर्बरीक के पास तीन ऐसी तीर थे, जो पूरे युद्ध को पलट सकते थे. इसी को लेकर भगवान कृष्ण ने ब्राह्मण का रूप में आए और उनसे शीश दान में मांग लिया. बर्बरीक ने भी बिना संकोच किया भगवान कृष्ण को अपना शीश दान में दे दिया. तब भगवान कृष्ण ने प्रसन्न होकर बर्बरीक को कहा कि ‘बर्बरीक तुम्हें कलयुग में श्याम के नाम से पूजे जाओगे, तुम्हें लोग मेरे नाम से पुकारेंगे और तुम अपने भक्तों के हारे का सहारा बनोंगे’.
कौन सा है वह सांप जो शंकर जी के गले में दिखता है, कहां है उसका मंदिर?
14 Jan, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाकुंभ का मेला (Mahakumbh 2025) प्रयागराज में शुरू हो चुका है. इस कुंभ में प्रयागराज में गंगा स्नान का बहुत महत्व है. वैसे तो पौराणिक कथाओं में कुंभ का भगावन शिव से सीधा कोई संबंध नहीं है. लेकिन शंकर भगवान की चर्चा कुंभ में अधिक होती है क्योंकि कुंभ मेला नागा साधुओं के भाग लेने से विशेष तौर पर सुर्खियों में रहता है, जो शिव जी के उपासक होते हैं. शिवजी का ध्यान आते ही एक ऐसे शख्स की तस्वीर जहन में आती है जो कपड़े नहीं पहना है और उसके गले में एक सांप (Snake on Lord shiva neck) होता है. आइए जानते हैं कि यह कौन सा सांप है और इसका प्रयागराज से क्या नाता है?
देवता के गले में सांप
शंकर जी की छवि एक बहुत ही सरल के किस्म के देवता की है. वे किसी तरह के कुलीन, सम्पन्न और बहुत ही राजसी व्यक्ति कि तरह दिखाई नहीं देते हैं. इसके उलट वे ऐसे देवता हैं जो कपड़े नहीं पहनते हैं, शेर की खास पहनते है. तामसिक प्रवृतियों के देव हैं. जो किसी को नहीं चढ़ता वह उनको चढ़ता है. उनका अस्त्र भी त्रिशूल जैसा असामान्य अस्त्र है. और सबसे अजीब बात उनका वाहन बैल है और उनके गले में एक सांप दिखाई देता है. पर आखिर यह सांप कौन सा है?
कोबरा नहीं है ये सांप
अगर आप शंकर जी की प्रचलित तस्वीरों पर गौर कर अक्सर आपको इसमें किंग कोबरा ही दिखाई देगा. पर क्या असल में शंकर जी के गले में किंग कोबरा ही विराजमान रहता है ? जी नहीं अगर पुराणों और अन्य धार्मिक ग्रंथों में दिए भगवान शिव के विवरण को मानें तो शिव जी के गले में नाग वासुकि विराजमान हैं
कौन हैं वासुकि नाग?
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार वासुकि नागों के देवता और भगवान शिव के अनन्य भक्त थे और उनकी भक्ति से प्रसन्न हो कर ही उन्होंने वासुकि को अपने गले में धारण किया था. इसके अलावा भी वासुकि की वर्णन कई जगह मिलता है लेकिन समुद्र मंथन में वासुकी की विशेष भूमिका रह है.
तो क्या असल में नहीं है वासुकि की अस्तित्व
संयोग कहें या चमत्कार ऐसा बिलकुल नहीं है. साल 2005 में वासुकि नाग के अवशेष गुजराज के कच्छ जिले में एक खदान में मिले थे. तमाम अध्ययनों के बाद साल पिछले साल ही वैज्ञानिकों ने माना कि यह 10.9 से 15.2 मीटर लंबा पुरातन सांप था जो अब तक का सबसे लंबा और विशाल सांप था. अनुमान है कि इसका वजन एक टन का था
शायद ये वासुकि ना हो, तो भी…
बेशक इस सांप का नाम वैज्ञानिकों ने वासुकि सांप के नाम पर वासुकि इंडस रखा है. लेकिन रिसर्च यह जरूर साबित करती है कि जिस तरह पुराणों में इंसानों के कई गुना बड़े नागों का जिक्र है, वह असंभव नहीं था. ऐसे में चाहे वासुकी हो या शेषनाग उनका अस्तिव नहीं होगा, ऐसा दावा करना अब मुश्किल है.
कहां है वासुकी का मंदिर
कम लोगों को पता है कि भारत में वासुकि नाग का भी एक मंदिर हैं.संयोगवश यह मंदिर वहीं है जहां आज कुंभ का मेला लगा हुआ है, यानी कि प्रयागराज जिसे कुछ सदियों पहले इलाहबाद कहा जाने लगा था.. प्रायग राज के नागराज वासुकी मंदर की खास बात ये है कि यहां वासुकी देवता के रूप में विराजमान है और मान्यता है कि यहं जाने वाले का कालसर्पदोष नष्ट हो जाता है.
तन-मन पर कैसा असर करता है एक साथ सुंदरकांड और बजरंगबाण का पाठ, क्या ऐसा करना सही
14 Jan, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हनुमान जी की पूजा और उनके पाठों में विशेष प्रकार की शक्ति और प्रभाव होता है. विशेष रूप से सुंदरकांड और बजरंगबाण का पाठ भक्तों के जीवन में अद्भुत बदलाव ला सकता है. हालांकि, यह सवाल अक्सर उठता है कि क्या इन दोनों पाठों को एक साथ किया जा सकता है या नहीं. इन दोनों पाठों को एक साथ करना क्यों सही नहीं माना जाता है और इसको करने के क्या प्रभाव हो सकते हैं.
सुंदरकांड और बजरंगबाण दोनों ही हनुमान जी के शक्ति स्त्रोत माने जाते हैं. सुंदरकांड भगवान राम के प्रिय भक्त हनुमान जी के कार्यों का विस्तार से वर्णन करता है, जिसमें उनकी अद्वितीय साहसिकता, भक्ति और शक्ति का बखान किया गया है. वहीं, बजरंगबाण एक शक्तिशाली स्तोत्र है जो हनुमान जी के अनेक रूपों और उनके आशीर्वाद से संबंधित है. इन दोनों पाठों का महत्व बहुत ज्यादा है, लेकिन इनका एक साथ पाठ करने में कुछ विशेष बातें ध्यान में रखनी चाहिए.
शास्त्रों के अनुसार, सुंदरकांड और बजरंगबाण दोनों ही शक्तिशाली पाठ और इनमें हनुमान जी की दिव्य ऊर्जा समाहित होती है. जब इन दोनों पाठों का एक साथ पाठ किया जाता है, तो व्यक्ति की आंतरिक ऊर्जा में बहुत ज्यादा बढ़ोत्तरी होती है. हालांकि, यह ऊर्जा इतनी तीव्र हो सकती है कि सामान्य व्यक्ति इसे सही ढंग से संभाल नहीं पाता. इसलिए, यह सलाह दी जाती है कि इन दोनों पाठों को एक ही समय में न किया जाए.
इसके बजाय, यदि आप सुंदरकांड का पाठ रोज करते हैं, तो उसे अकेले ही करें और बजरंगबाण का पाठ उसी दिन न करें. यदि विशेष अवसर हो, जैसे किसी उत्सव या मन्नत की पूर्णता के समय, तो आप बजरंगबाण का पाठ कर सकते हैं. इसी प्रकार, अगर आप बजरंगबाण का नियमित पाठ करते हैं, तो सुंदरकांड का पाठ उसी समय न करें.
सपने में दिखाई देती हैं विचित्र चीजें, ये संकेत हैं कालसर्प दोष के! जानें इससे छुटकारा पाने के अचूक उपाय
13 Jan, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हमारे जीवन में हर किसी को कभी न कभी कुछ अजीब से अनुभव होते हैं, जो कभी समझ में नहीं आते. इनमें से कुछ अनुभव मानसिक और शारीरिक परेशानियों का कारण बन सकते हैं. इनमें से एक खास समस्या है ‘कालसर्प दोष’, जो ज्योतिष शास्त्र में एक विशेष दोष के रूप में पहचाना जाता है. इसे जीवन में विभिन्न परेशानियों का कारण माना जाता है. अगर आप भी सोच रहे हैं कि आपके साथ ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जिनका कोई खास मतलब निकलता नहीं है, तो यह आर्टिकल आपके लिए है. यहां हम बात करेंगे कालसर्प दोष के लक्षणों और इससे मुक्ति के उपायों के बारे में. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिष आचार्य पंडित योगेश चौरे.
कालसर्प दोष के प्रमुख लक्षण
1. सपने में सांप दिखना- कालसर्प दोष का एक प्रमुख संकेत सपने में बार-बार सांप का दिखना हो सकता है. अगर आप देखते हैं कि सांप आपको डसने की कोशिश करता है या डस लेता है, तो यह संकेत हो सकता है कि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष हो सकता है. हालांकि, इसे अकेल संकेत के रूप में नहीं देखना चाहिए और किसी अच्छे ज्योतिषी से कुंडली जरूर दिखवानी चाहिए.
2. डरावने सपने- कालसर्प दोष का एक और लक्षण यह हो सकता है कि आप अजीब और डरावने सपने देखने लगे. इनमें मृत लोगों का दिखना, जल में डूबना, दुर्घटनाओं का होना, या ऊंचाई से गिरने जैसी घटनाएं शामिल हो सकती हैं. ये सपने जीवन में किसी न किसी प्रकार की चिंता और डर को दर्शाते हैं.
3. मृत्यु का भय- अगर आपको लगातार मौत का अहसास हो और ऐसा लगे कि आपकी मृत्यु पास में है, तो यह भी कालसर्प दोष का एक लक्षण हो सकता है. यह डर किसी प्रकार से पीछा करता है और व्यक्ति को मानसिक रूप से परेशान कर सकता है.
कालसर्प दोष से छुटकारा पाने के उपाय
1. शिव पूजा- अगर आपको लगता है कि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है, तो भगवान शिव की पूजा एक प्रभावी उपाय हो सकती है. विशेष रूप से सोमवार के दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाना लाभकारी हो सकता है.
2. महामृत्युंजय मंत्र का जाप- इस दोष से मुक्ति पाने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का नियमित जाप करना चाहिए. प्रतिदिन 108 बार इस मंत्र का उच्चारण करने से मानसिक शांति और राहत मिल सकती है. इसे सुबह नहाने के बाद एकांत स्थान पर बैठकर किया जाना चाहिए.
3. सर्प पूजा- कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए सर्प पूजा एक महत्वपूर्ण उपाय है. इस पूजा को योग्य और अनुभवी पंडितों से करवाना चाहिए, ताकि इसका सही तरीके से असर हो सके.
होलाष्टक में इन 5 कार्यों से करें परहेज... उग्र ग्रहों के कारण नहीं मिलेगा फल
13 Jan, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुआर होलाष्टक होली से 8 दिन पहले शुरू होता है. इस दौरान शुभ काम जैसे – शादी, सगाई, मुंडन और अन्य धार्मिक अनुष्ठान पर प्रतिबंध रहता है. ऐसा माना जाता है कि इस दौरान आशीर्वाद भी व्यर्थ हो जाते हैं. होलाष्टक की शुरुआत हर साल फाल्गुन महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को होता है. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल होलाष्टक की शुरुआत 7 मार्च से हो रही है वहीं, इसका समापन 13 मार्च को होगा.
होलाष्टक की शुरुआत फाल्गुन शुक्ल अष्टमी से होती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार होलाष्टक के दौरान सभी 8 ग्रह अशुभ हो जाते हैं, यदि इस दौरान किसी भी तरह के शुभ कार्य किए जाते हैं, तो उनमें बाधाएं आती हैं, साथ ही वे सफल नहीं होते हैं. वहीं दूसरी मान्यता है कि इन दिनों में भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था, जिससे प्रेम और सौहार्द का प्रतिनिधित्व करने वाले देवता की कमी से संसार में शोक का माहौल बन गया था. साथ ही, भक्त प्रह्लाद को हिरण्यकश्यप द्वारा इन 8 दिनों में अनेक यातनाएं दी गई थीं. इसलिए, इन दिनों को अशुभ मानकर शुभ कार्यों से बचने की परंपरा है.
होलाष्टक में क्यों नहीं होते शुभ काम?
पौराणिक कथाओं के अनुसार शिव और कामदेव की कथा में यह वर्णित है कि शिव जी ने फाल्गुन शुक्ल अष्टमी के दिन अपनी तपस्या में बाधा डालने वाले कामदेव को भस्म कर दिया था. इससे रति (कामदेव की पत्नी) को गहरा दुःख हुआ, और उन्होंने शिव जी से अपने पति को फिर से जीवित करने की प्रार्थना की. रति के वियोग के कारण होलाष्टक के आठ दिन शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं. वहीं प्रह्लाद और हिरण्यकश्यप की कथा के अनुसार भक्त प्रह्लाद को उनके पिता हिरण्यकश्यप ने इन 8 दिनों में अनेक यातनाएं दीं. . इसी वजह से इन कष्टकारी दिनों की याद में कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है. वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, होलाष्टक के दौरान ग्रहों की स्थिति उग्र रहती है. इन दिनों में चंद्र, सूर्य, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि और राहु-केतु जैसे ग्रह शुभ प्रभाव नहीं देते, जिससे किसी भी शुभ कार्य के लिए अनुकूल समय नहीं होता है.
होलाष्टक में वर्जित है ये काम
होलाष्टक के दिनों में शादी-विवाह नहीं होता. इसे अशुभ माना जाता है क्योंकि इन दिनों को संघर्ष और दुःख से जोड़ा जाता है.
बच्चे के मुंडन जैसे संस्कार भी इन दिनों नहीं किए जाते हैं. इसे अशुभ फलदायी माना जाता है.
नए घर में प्रवेश करने या घर से जुड़े किसी अन्य शुभ कार्य को इन दिनों करने से बचा जाता है.
नए कारोबार की शुरुआत, दुकान खोलना, या किसी अन्य नए कार्य की शुरुआत होलाष्टक में वर्जित मानी जाती है.
सगाई, नामकरण, या अन्य मांगलिक कार्य भी इन दिनों स्थगित कर दिए जाते हैं.
हालांकि, इन दिनों में शुभ कार्य वर्जित हैं, लेकिन भक्ति, ध्यान और पूजा-पाठ का विशेष महत्व है. भक्त इस समय भगवान विष्णु, शिव और होलिका की पूजा करते हैं.
दिव्य रजत मुकुट और चंदन से सजे उज्जैन के राजा,
13 Jan, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी में प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन होता है. बाबा महाकाल के दरबार में होने वाली भस्म आरती देश ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध है. रविवार के दिन भी बाबा का मनमोहक रूप में सजाया किया गया.
बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक विश्व प्रशिद्ध महाकाल तीसरे नंबर पर विराजमान है. रविवार तड़के 4 बजे मंदिर के कपाट खोलने के पश्चात भगवान महाकाल को जल से स्नान कराया गया.
इसके बाद बाबा महाकाल का भव्य शृंगार करने से पहले पण्डे पुजारियों ने दूध, दही, घी, शहद फलों के रस से बने पंचामृत से बाबा महाकाल का अभिषेक पूजन किया. इस अलौकिक शृंगार को जिसने भी देखा वह देखता ही रह गया.
रोजाना बाबा का अलग अलग रूप में श्रंगार किया जाता है. उज्जैन के राजा भगवान महाकाल को कपूर आरती कर भोग लगाया गया. मंत्रोच्चार के साथ भगवान को आभूषण से भगवान महाकाल का दिव्य श्रृंगार किया गया. भस्म अर्पित करने के पश्चात शेषनाग का रजत मुकुट रजत की मुंडमाला और रुद्राक्ष की माला के साथ साथ सुगंधित पुष्प से बनी फूलों की माला अर्पित की गई.
उज्जैन के राजा फल और मिष्ठान का भोग लगा कर आरती की गई. भगवान ने निराकार से साकार रूप में दर्शन दिए. रोजाना की तरह हजारों भक्तों ने भस्म आरती में भगवान के दर्शन किए. बाबा का मनमोहक रूप देख भक्त निहाल हो गए.