धर्म एवं ज्योतिष
19 साल बाद मकर संक्रांति पर दुर्लभ संयोग, इस योग में मांगलिक कार्य करें शुरू, सब होगा शुभ!
13 Jan, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर साल की तरह इस बार भी मकर संक्रांति की तारीख को लेकर लोगों में असमंजस की स्थिति है. लोग 14 और 15 जनवरी में कंफ्यूज हैं. लेकिन, साल 2025 में मकर संक्रांति पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा. ऐसा 3 साल बाद होने जा रहा है, जब 14 जनवरी को मकर संक्रांति पड़ेगी. वहीं, 19 साल बाद दुर्लभ संयोग भी बन रहा है. भौम पुष्य योग में मांगलिक कार्य भी शुरू होंगे.
तीन साल बाद मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी. इससे पहले 2021 में 14 जनवरी और उसके बाद के वर्षों में 15 जनवरी को यह पर्व मनाया गया था. इस बार संक्रांति का मुख्य वाहन बाघ और उप वाहन अश्व है. यही नहीं, 19 साल बाद दुर्लभ भौम पुष्य योग का संयोग भी बन रहा है. खंडवा में मां शीतला संस्कृत पाठशाला गुरुकुल के आचार्य अंकित मार्कण्डेय ने बताया इस बार मकर संक्रांति पर कई शुभ योग बन रहे हैं.
इतने बजे शुरू होगी संक्रांति
सूर्य धनु से मकर राशि में सुबह 8.56 मिनट पर प्रवेश करेंगे. माघ कृष्ण प्रतिपदा पर आनंदादि स्थिर, वर्धमान योग और पुष्य नक्षत्र भी रहेगा. ऐसे में लोग पवित्र मां नर्मदा, मां गंगा आदि नदियों में स्नान करेंगे. मंदिरों में गुरु, ब्राह्मण को तिल-गुड़, खिचड़ी, वस्त्र, कंबल आदि का दान-पुण्य करेंगे. सूर्य के उत्तरायण होते ही खरमास समाप्त होगा और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होगी.
जानें तिल गुड़ दान का महत्व
मकर संक्रांति के दिन तिल और गुड़ खाने की परम्पराएं हैं. इसका सेवन शीतलता से बचने और स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाने के लिए किया जाता है. साथ ही साथ यह एक संकेत है कि हम जीवन में मीठे रिश्तों और प्रेम का आदम-प्रदान करें. इस दिन तिल और गुड़ दान करने से लोगो के बीच बने कड़वाहट को मिठास में बदला जा सकता है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
13 Jan, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मन में अशांति, किसी परेशानी से बचिये, कुटुम्ब की समस्याओं में समय बीतेगा।
वृष राशि :- संवेदनशील होने से बचिये नहीं तो अपने किये पर आपको पछताना पड़ेगा।
मिथुन राशि :- मानसिक कार्यों में सफलता से संतोष, धन लाभ, बिगड़े हुये कार्य बनेंगे ध्यान अवश्य दें।
कर्क राशि :- विरोधी वर्ग का समर्थन फलप्रद होगा तथा शुभ कार्य के योग अवश्य ही बन जायेंगे।
सिंह राशि :- व्यवसायिक क्षमता अनुकूल रहेगी, स्थिति पूर्ण नियंत्रण में रहेगी, कार्य बन जायेंगे।
कन्या राशि :- सामाजिक कार्यों में प्रभुत्व वृद्धि होगी, धन लाभ तथा आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा।
तुला राशि :- अधिकारी वर्ग का समर्थन प्राप्त होगा, रुके कार्य बनेंगे ध्यान अवश्य दें।
वृश्चिक राशि :- धन लाभ, कार्य कुशलता से संतोष, पराक्रम एवं समृद्धि के योग बनेंगे ध्यान दें।
धनु राशि :- स्त्री शरीर कष्ट, चिन्ता, विवादग्रस्त होने से बचें, कार्य बनने के योग बनेंगे।
मकर राशिः- मनोबल उत्साहवर्धक होगा, दैनिक कार्यगति में सफलता अवश्य ही मिलेगी।
कुंभ राशि :- कार्य-व्यवसाय गति में उत्तेजना, धन का व्यय एवं शक्ति निष्फल होगी।
मीन राशि :- समृद्धि के साधन जुटायें, इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, समय का ध्यान अवश्य रखें।
नजर दोष, बिजेनस में मंदी या फिर हो आर्थिक तंगी, लहसुन के उपाय से समस्या होगी दूर!
12 Jan, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
लहसुन न केवल हमारे भोजन का स्वाद बढ़ाता है, बल्कि आयुर्वेद में इसे एक अत्यंत गुणकारी औषधि के रूप में भी मान्यता प्राप्त है. इसके औषधीय गुणों के साथ-साथ ज्योतिष शास्त्र में भी इसका विशेष महत्व है. ज्योतिष में लहसुन को विभिन्न प्रकार के उपायों के लिए उपयोग किया जाता है, जो दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने और आर्थिक समस्याओं को दूर करने में सहायक माने जाते हैं. ऐसा माना जाता है कि लहसुन के टोटके से सोई हुई किस्मत को जगा सकते हैं और धन की कमी को दूर करके तिजोरी को धन से भर सकते हैं. ये टोटके अत्यंत सरल और प्रभावी माने जाते हैं, जिनका विधिवत पालन करने से व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है. आइये लहसुन के उपायों के बारे में जानते हैं.
यदि आपको बार-बार बुरी नजर लगने का अनुभव होता है, तो एक नीले रंग के कपड़े में लहसुन का एक छोटा सा टुकड़ा बांधकर उसे अपने घर के मुख्य द्वार पर या उस जगह पर टांग दें जहां से आपको लगता है कि नजर लगने की संभावना अधिक है. यह सरल टोटका बुरी नजर के प्रभाव को कम करने और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में सहायक हो सकता है. यह एक प्राचीन उपाय है जो कई संस्कृतियों में प्रचलित है.
शनिवार के दिन अपने पर्स में लहसुन की एक कली रखें. इससे धन की तंगी दूर होती है.
व्यापार में तरक्की के लिए लाल कपड़े में लहसुन की पांच कलियां बांधकर दुकान या कार्यालय के मुख्य द्वार पर टांग दें.
घर में सुख-शांति के लिए मंगलवार और शनिवार को एक डंडी में लहसुन की सात कलियां लगाकर घर के आंगन और छत पर रख दें.
अगर आपको नज़र लगती है, तो नीले कपड़े में लहसुन का टुकड़ा बांधकर घर के दरवाज़े पर रखें.
अगर आपको डरावने सपने आते हैं, तो सोने से पहले अपने तकिए के नीचे लहसुन की तीन कलियां रखें.
अगर आपकी मेहनत का फल नहीं मिल रहा है, तो लाल कपड़े में लहसुन की तीन कलियां बांधकर तिजोरी या पर्स में रखें.
अगर आपके घर में हमेशा लड़ाई-झगड़े होते हैं, तो लहसुन के उपाय कारगर साबित हो सकते हैं.
मकर संक्रांति पर बन रहा दुर्लभ भौम पुष्य योग, जानें पूजा सामग्री, मंत्र और मुहूर्त
12 Jan, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस साल मकर संक्रांति 14 जनवरी मंगलवार के दिन है. मकर संक्रांति पर दुर्लभ भौम पुष्य योग बन रहा है. इस दिन सुबह में पुनर्वसु नक्षत्र है, जो 10:17 ए एम तक रहेगा. उसके बाद से पुष्य नक्षत्र प्रारंभ होगा. इसकी वजह से भौम पुष्य योग का निर्माण होगा. मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान करने का विधान है. स्नान के बाद सूर्य देव की पूजा करते हैं. सूर्य कृपा से जीवन में सुख, समृद्धि आती है. स्नान और दान से पुण्य की प्राप्ति होती है. मकर संक्रांति की पूजा के लिए आवश्यक सामग्री का होना जरूरी है. कि मकर संक्रांति पर भौम पुष्य योग कब से कब तक है? मकर संक्रांति की पूजा सामग्री क्या है?
भौम पुष्य योग में मकर संक्रांति 2025
मकर संक्रांति पर 19 साल बाद दुर्लभ भौम पुष्य योग बन रहा है. जिस मंगलवार के दिन पुष्य नक्षत्र होता है, उस दिन भौम पुष्य नक्षत्र होता है. मंगल को भौम भी कहा जाता है. मकर संक्रांति के अवसर पर भौम पुष्य योग सुबह 10 बजकर 17 मिनट से पूरे दिन रहेगा.
मकर संक्रांति 2025 पूजा सामग्री
1. काले तिल, गुड़ या काले तिल के लड्डू
2. दान देने के लिए अन्न में चावल, दाल, सब्जी या खिचड़ी, तिल, तिल के लड्डू, गुड़ आदि.
3. गाय का घी, सप्तधान्य यानी 7 प्रकार के अनाज या फिर गेहूं
4. तांबे का लोटा, लाल चंदन, लाल कपड़ा, लाल फूल और फल
5. एक दीप, धूप, कपूर, नैवेद्य, गंध आदि
6. सूर्य चालीसा, सूर्य आरती और आदित्य हृदय स्तोत्र की पुस्तक
मकर संक्रांति 2025 पूजा सामग्री
1. काले तिल, गुड़ या काले तिल के लड्डू
2. दान देने के लिए अन्न में चावल, दाल, सब्जी या खिचड़ी, तिल, तिल के लड्डू, गुड़ आदि.
3. गाय का घी, सप्तधान्य यानी 7 प्रकार के अनाज या फिर गेहूं
4. तांबे का लोटा, लाल चंदन, लाल कपड़ा, लाल फूल और फल
5. एक दीप, धूप, कपूर, नैवेद्य, गंध आदि
6. सूर्य चालीसा, सूर्य आरती और आदित्य हृदय स्तोत्र की पुस्तक
मकर संक्रांति 2025 शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त: 05:27 ए एम से 06:21 ए एम
अभिजीत मुहूर्त: 12:09 पी एम से 12:51 पी एम
अमृत काल: 07:55 ए एम से 09:29 ए एम
विजय मुहूर्त: 02:15 पी एम से 02:57 पी एम
माघ गुप्त नवरात्रि कब से है? जानें कलश स्थापना मुहूर्त, प्रतिपदा तिथि, महत्व
12 Jan, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
माघ गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ माघ माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होती है. एक साल में कुल 4 नवरात्रि आती हैं. इसमें 2 गुप्त नवरात्रि, एक चैत्र नवरात्रि और एक शारदीय नवरात्रि है. गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्यायों की पूजा की जाती है, जबकि चैत्र और शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरुपों की पूजा करते हैं. सभी नवरात्रि का शुभारंभ कलश स्थापना के साथ होता है. तांत्रिक और अघोरी गुप्त नवरात्रि में तंत्र-मंत्र की सिद्धि प्राप्ति के लिए साधना करते हैं. कुमार भास्करवर्मा संस्कृत एवं पुरातनाध्ययन विश्वविद्यालय, नलबारी, कि माघ गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ कब से है? माघ गुप्त नवरात्रि की कलश स्थापना मुहूर्त क्या है?
माघ गुप्त नवरात्रि 2025 का शुभारंभ
पंचांग के अनुसार, माघ गुप्त नवरात्रि के लिए जरूरी माघ शुक्ल प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 29 जनवरी को शाम 6 बजकर 5 मिनट से होगी. इस तिथि का समापन 30 जनवरी को शाम 4 बजकर 1 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि के आधार पर माघ गुप्त नवरात्रि का शुभारंभ 30 जनवरी दिन गुरुवार को होगा.
माघ गुप्त नवरात्रि 2025 कलश स्थापना मुहूर्त
30 जनवरी को माघ गुप्त नवरात्रि की कलश स्थापना के लिए आपको दो शुभ मुहूर्त प्राप्त होंगे. पहला शुभ मुहूर्त सुबह में 1 घंटा 21 मिनट तक है. दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर में 43 मिनट का है. कलश स्थापना मुहूर्त का शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजकर 25 मिनट से सुबह 10 बजकर 46 मिनट तक है. दूसरा शुभ मुहूर्त दोपहर में 12 बजकर 13 मिनट से दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक है.
माघ गुप्त नवरात्रि 2025 शुभ समय, योग और नक्षत्र
ब्रह्म मुहूर्त: 05:25 ए एम से 06:17 ए एम
अभिजीत मुहूर्त: 12:13 पी एम से 12:56 पी एम
व्यतीपात योग: 06:33 पी एम तक, उसके बाद वरीयान योग
श्रवण नक्षत्र: 07:15 ए एम तक, फिर धनिष्ठा – 05:50 ए एम, जनवरी 31 तक
माघ गुप्त नवरात्रि 2025 का समापन
इस बार की माघ गुप्त नवरात्रि पूरे 9 दिन की है. माघ गुप्त नवरात्रि का समापन 7 फरवरी को माघ शुक्ल नवमी को होगा. उस दिन व्रती पारण करके माघ गुप्त नवरात्रि की समाप्ति करेंगे.
माघ गुप्त नवरात्रि का महत्व
माघ माह को स्नान और दान के लिए विशेष माना जाता है. माघ में गुप्त नवरात्रि की भी महत्ता है. तंत्र मंत्र की साधना और सिद्धि के लिए यह बहुत ही उपयोगी होती है. इसमें साधकों को कड़े नियमों का पालन करना होता है. गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्या में देवी काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला की पूजा करते हैं.
छोटी काशी में होगा शिवरात्रि महोत्सव का आयोजन, लोकल स्टार्स को मिलेगा ज्यादा मौका
12 Jan, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कुछ ही समय में छोटी काशी मंडी का सबसे बड़ा महोत्सव और आयोजन यानी अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव शुरू होने जा रहा है और इसके लिए छोटी काशी मंडी एक महीना पहले से ही तैयारी में जुट चुकी है. मंडी जिला प्रशासन भी इस सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के लिए होम वर्क कर रहा है. गौरतलब है कि इस अंतराष्ट्रीय स्तर के आयोजन में कई चीजें होती हैं, जिसमें सबसे देव कुंभ यहां मंडी में सजता है और उसके बाद एक व्यापार मेला भी यहां लगता है और साथ ही सात दिवसीय नाइट प्रोग्राम भी यहां होते हैं, जिसमें कई अंतराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के सितारे भी भाग लेते हैं.
आज लोकल 18 आप लोगों को ओपिनियन बताने जा रहा है कि मंडी के लोग इन नाइट कल्चरल प्रोग्राम में लोकल स्टार या बड़े मुंबई के स्टार्स को ज्यादा देखना पसंद करेंगे. मंडी के लोगों के ओपिनियन के मुताबिक मंडी और हिमाचल की आपकी एक बेहद खूबसूरत संस्कृति है और इन नाइट कल्चरल प्रोग्राम में भी स्वदेशी बच्चों को ज्यादा देखना वह पसंद करेंगे और अपनी संस्कृति को इससे बढ़ावा भी मिलेगा और अपने बच्चों को आर्थिक मदद भी मिलेगी.
मंडी के स्थानीय निवासी आकाश शर्मा के अनुसार इन कल्चरल प्रोग्राम में देखा गया है कि स्टार लोगों को भारी भरकम फीस देकर यहां बुलाया जाता है और वह परफॉर्म करते हैं, लेकिन इससे उलट यहां जो हिमाचल के अपने बच्चे हैं, जो कला के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे हैं. उन सब को यहां मौका देना चाहिए. इससे अपनी संस्कृति प्रमोट भी होगी और अपने बच्चों को आर्थिक रूप से मदद भी मिलेगी.
कुछ ही समय में छोटी काशी मंडी का सबसे बड़ा महोत्सव और आयोजन यानी अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव शुरू होने जा रहा है और इसके लिए छोटी काशी मंडी एक महीना पहले से ही तैयारी में जुट चुकी है. मंडी जिला प्रशासन भी इस सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव के लिए होम वर्क कर रहा है. गौरतलब है कि इस अंतराष्ट्रीय स्तर के आयोजन में कई चीजें होती हैं, जिसमें सबसे देव कुंभ यहां मंडी में सजता है और उसके बाद एक व्यापार मेला भी यहां लगता है और साथ ही सात दिवसीय नाइट प्रोग्राम भी यहां होते हैं, जिसमें कई अंतराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के सितारे भी भाग लेते हैं.
कि मंडी के लोग इन नाइट कल्चरल प्रोग्राम में लोकल स्टार या बड़े मुंबई के स्टार्स को ज्यादा देखना पसंद करेंगे. मंडी के लोगों के ओपिनियन के मुताबिक मंडी और हिमाचल की आपकी एक बेहद खूबसूरत संस्कृति है और इन नाइट कल्चरल प्रोग्राम में भी स्वदेशी बच्चों को ज्यादा देखना वह पसंद करेंगे और अपनी संस्कृति को इससे बढ़ावा भी मिलेगा और अपने बच्चों को आर्थिक मदद भी मिलेगी.
मंडी के स्थानीय निवासी आकाश शर्मा के अनुसार इन कल्चरल प्रोग्राम में देखा गया है कि स्टार लोगों को भारी भरकम फीस देकर यहां बुलाया जाता है और वह परफॉर्म करते हैं, लेकिन इससे उलट यहां जो हिमाचल के अपने बच्चे हैं, जो कला के क्षेत्र में अच्छा काम कर रहे हैं. उन सब को यहां मौका देना चाहिए. इससे अपनी संस्कृति प्रमोट भी होगी और अपने बच्चों को आर्थिक रूप से मदद भी मिलेगी.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
12 Jan, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मनोबल उत्साह वर्धक रहे, कार्य गति में सुधार होगा, शुभ समाचार अवश्य मिलेगा।
वृष राशि :- कुछ बाधायें, कष्ट, स्त्री शरीर कष्ट, कुछ बाधायें कारोबार में रूकावट डालेंगी।
मिथुन राशि :- कार्य-कुशलता से संतोष, परिश्रम सफल होंगे तथा स्त्री वर्ग से सुख होगा।
कर्क राशि :- कुटुम्ब की समस्याऐं सुलझें, सुख-शांति में समय व्यतीत होगा।
सिंह राशि :- परिश्रम से सोचे हुए कार्य पूर्ण हों, व्यवसायिक क्षमता बढ़ेगी।
कन्या राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष उल्लास हो, आशानुकूल सफलता का हर्ष हो, बिगड़े कार्य बन जायेंगे।
तुला राशि :- योजनाऐं फलीभूत हों, सतर्कता से कार्य निपटा लेवें, कार्य अवश्य ही बनेंगे।
वृश्चिक राशि :- कार्य गति उत्तम, चिन्ताऐं कम हों, प्रभुत्व एवं प्रतिष्ठा अवश्य ही बनेगी।
धनु राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष, कार्य गति उत्तम, भावनाऐं संवेदनशील होवेगी।
मकर राशि :- अधिकारी वर्ग से तनाव व क्लेश, मानसिक अशांति, रुके कार्य बन जायेंगे।
कुंभ राशि :- मनोबल बनाये रखें, नए कार्य अवश्य ही होंगे, परिश्रम व्यर्थ जायेगा।
मीन राशि :- दैनिक कार्यगति में उत्तम, कुटुम्ब में सुख, समय उत्तम बनेगा, ध्यान रखें।
महाकुंभ अमृत कलश यात्रा में लोगों ने किया पूजन, 3000 किमी दूरी तय कर पहुंचेगी प्रयागराज
11 Jan, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कश्मीर के ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व वाले शारदा पीठ से प्रारंभ हुई महाकुंभ अमृत कलश रथ यात्रा ने भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को पुनर्जीवित करने का एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है. यह यात्रा डांग क्षेत्र के नवलापुरा महाकाल मंदिर के महंत व राष्ट्रीय अनहद महायोग पीठ के पीठाधीश्वर संत रुद्रनाथ महाकाल विशाल जी महाराज के द्वारा शुरू हुई है. आपको बता दें, कि इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य सनातन संस्कृति और अखंड भारत के विचार को जन-जन तक पहुंचाना है. यह अमृत कलश यात्रा लगभग 3000 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए अंतिम पड़ाव प्रयागराज में पहुंचेगी.
लोगों ने किया अमृत कलश का पूजन
कि यह यात्रा अखंड भारत सेतुबंध अभियान का एक अभिन्न हिस्सा है, जो शारदा पीठ के गौरव को फिर से स्थापित करने के लिए समर्पित है. शारदा पीठ जो कभी ज्ञान और आध्यात्म का केंद्र था, आज भी भारतीय संस्कृति का मुकुट माना जाता है. आपको बता दें, कि यह यात्रा भरतपुर के बयाना कस्बे में पहुंची थी, जहां श्रद्धालुओं ने नगर परिक्रमा की और अमृत कलश का पूजन किया. इस दौरान स्थानीय लोगों में उत्साह और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला
इन कार्यक्रमों में प्रधानमंत्री को भी किया है आमंत्रित
यह अमृत कलश यात्रा लगभग 3000 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए सात राज्यों और सैकड़ों मंदिरों का भ्रमण करते हुए अंतिम पड़ाव 10 जनवरी को प्रयागराज में पहुंचेगी. जहां इसे महाकुंभ में विसर्जित किया जाएगा. आपको बता दें, कि प्रयागराज में इस अवसर पर एक विशाल पंडाल बनाया गया है, जहां पूरे एक महीने तक धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक कार्यक्रम होंगे. इनमें देश-विदेश से श्रद्धालुओं और संतों का आगमन होगा, साथ ही राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री भी इन आयोजनों में आमंत्रित किए गए हैं.
ज्ञान की परंपरा का पुनर्निर्माण हो
संत रुद्रनाथ ने इस यात्रा के दौरान कश्मीर में धारा 370 हटाने के फैसले को एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा, कि यह सनातन संस्कृति के पुनर्जागरण के लिए अत्यंत आवश्यक था. उन्होंने कहा कि मां शारदा से यही प्रार्थना है, कि सभी लोग एकजुट रहें, और भारत की ज्ञान परंपरा का पुनर्निर्माण हो. महाकुंभ अमृत कलश यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारत की एकता और अखंडता का प्रतीक भी है.
24 करोड़ की ये मूर्ति बन रही है श्रद्धा का केंद्र; बनने में लगे 4 साल! जानिए इसकी अद्भुत विशेषताएं...
11 Jan, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मध्यप्रदेश के इंदौर में बनी भगवान विष्णु श्री नारायण के शेषनाग पर लेटे अष्टधातु से बनी मूर्ति को महाराष्ट्र के शहादा तीर्थ में लगाया जाएगा. वैसे तो यह मूर्ति इंदौर के सिंदोड़ा गांव में लोकेशानंद महाराज के आश्रम में तैयार हुई है. लेकिन इसका शहादा में स्थापित होने से पहले इंदौर में शोभायात्रा के जरिए श्रध्दालुओ को दर्शन कराए गए.
दरअसल ग्यारह फीट लंबी और इक्कीस टन भारी मूर्ति को राजवाड़ा से रथ में सवार कर गांधी हॉल तक शोभायात्रा निकाली गई. इस दौरान भक्त, राजवाड़ा पर दर्शन कर, श्री नारायण की भक्ति में पैदल चले. गुरूवार को राजवाड़ा पर दर्शन देने के बाद अष्टधातु की यह मूर्ति गांधी हॉल से राऊ-पीथमपुर होते हुए धामनोद के लिए रवाना हुई. राजवाड़ा में भगवान विष्णुजी की प्रतिमा भक्तों के दर्शन के लिए रखी गई है. बड़ी संख्या में श्रद्धालु केवल भगवान की एक झलक पाने के लिए आए.
सेंधवा और पानसेमल होते हुए 11 जनवरी को पहुंचेगी शहादा
भक्त लाइन लगाकर भगवान की प्रतिमा के दर्शन कर रहे हैं, जबकि पंडितों द्वारा मंत्रों का उच्चारण किया जा रहा है. रथ का पहला पड़ाव धामनोद में है. अब सेंधवा और पानसेमल होते हुए 11 जनवरी को शहादा (नंदुरबार) धाम पहुंचेगी. यहां नारायण भक्ति पंथ ने श्री नारायण पुरम तीर्थ बनवाया जा रहा हैं. यहां केरल के पद्मनाभ स्वामी मंदिर की तरह शेषशायी नारायण श्रीहरि विष्णु की मूर्ति लगाई जा रही हैं. 14 जनवरी को लोकेशानंदजी महाराज की देखरेख में मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा होगी. यहां भव्य मंदिर का काम चल रहा है.
24 करोड़ की है प्रतिमा
पंच धातु की यह प्रतिमा 24 करोड़ की है. इसे तैयार होने में ही साढ़े चार साल का समय लगा. भगवान की यह प्रतिमा 21 टन वजनी है. भगवान विष्णु की प्रतिमा 11 फीट लंबी है. जिसका वजन 21 टन है. श्री नारायण भक्ति पंथ के प्रमुख लोकेशानंद महाराज ने बताया कि यह प्रतिमा पंचधातु की है. जिसे इंदौर में बनाया गया है. शास्त्रों में कहा गया है कि मिट्टी की प्रतिमा की पूजा का एक गुना फल तो कांस्य की प्रतिमा की पूजा का दस गुना फल मिलता है. वहीं पाषाण की प्रतिमा का सौ गुना फल मिलता है, लेकिन धातु की जो प्रतिमा होती है, उसकी पूजा का अनंत गुना फल मिलता है. कलयुग में लोगों के पास इतना समय नहीं है कि वह अनंत गुना फल के लिए अनंत गुना प्रयत्न करता रहे.
चार साल में बनी इक्कीस टन की मूर्ति
भगवान का ये स्वरूप इसलिए पंचधातु में बनाया है, ताकि भक्तों को बहुत शीघ्र फल प्रदान हो. प्रतिमा का तीन से चार भागों में निर्माण हुआ है. सालभर मिट्टी में मॉडल तैयार किया गया. फिर फायबर में मॉडल बनाया. इसके बाद जयपुर में इसकी कास्टिंग की गई. देखा जाए तो मुख्य रूप से मध्यप्रदेश और राजस्थान में इसका मुख्य काम हुआ है. कास्टिंग होने के बाद प्रतिमा यहां आई. यहां भी ढ़ाई सालों तक प्रतिमा की फिनिशिंग का काम किया गया. यह नारायण के स्वरूप में है. इस तरह इस प्रतिमा को तैयार होने में करीब 4 साल लग गए.
तीनों देव हैं मौजूद
महाराज ने बताया कि यह प्रतिमा अपने आप में अनोखी है क्योंकि इसमें ब्रह्मा-विष्णु-महेश तीनों है. जहां एक ओर नारायण एक पुष्प से भगवान महादेव का पूजन कर रहे है तो वहीं दूसरी ओर ब्रह्मा जी उनकी नाभी में है. भगवान के शीश की तरफ शेषनाग है. उनकी चरणों में माता लक्ष्मी की प्रतिमा विराजमान है. भगवान की प्रतिमा के समक्ष गरुड़ जी की प्रतिमा भी दिव्य है. गुरुड़ जी भगवान के नित्य सेवक है. उनकी दृष्टि भगवान की तरफ है. गरुड़ जी की प्रतिमा में अष्ट नाग है. इसमें से एक ही नाग, गरुड़ जी की आंखों में देख रहा है. वह उनके भावों और विचारों को पड़ता है कि गरुड़ की कहां जाने वाले है. ये सातों नागों को दिशा-निर्देश देते है.
धर्मशाला में दिखी भक्ति की शक्ति, माता चामुंडी देवी मंदिर में भक्तों ने चढ़ाया करोड़ों का चढ़ावा
11 Jan, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित माता चामुंडा देवी मंदिर, देश के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में से एक है. यह मंदिर अपनी दिव्यता, पौराणिक मान्यताओं और भक्ति की शक्ति के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है. माता के चरणों में शीश नवाने और अपनी मन्नतें पूरी करने की कामना लेकर हर साल लाखों भक्त यहां पहुंचते हैं.
मंदिर में सालभर भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन नवरात्रों के दौरान यहां का माहौल खास होता है. माता चामुंडा देवी के दरबार में भक्त दिल खोलकर दान और चढ़ावा चढ़ाते हैं. बीते वर्ष 2024 में माता के इस पवित्र धाम में भक्तों द्वारा चढ़ाए गए चढ़ावे ने करोड़ों का आंकड़ा पार कर लिया.
बीते वर्ष की आय: साढ़े 5 करोड़ से अधिक चढ़ावा
1 जनवरी 2024 से 31 दिसंबर 2024 तक माता चामुंडा देवी मंदिर में कुल ₹5 करोड़ 45 लाख 40 हज़ार 202 का चढ़ावा एकत्र हुआ. इसमें माता रानी को चढ़ाई गई नकद राशि, लंगर के लिए दान, मंदिर ट्रस्ट की भूमि से होने वाली आय और ऑनलाइन दान शामिल हैं. यह आंकड़ा भक्तों की अटूट आस्था और माता के प्रति उनकी भक्ति को दर्शाता है.
SDM संजीव भोट की प्रतिक्रिया
धर्मशाला के एसडीएम, संजीव भोट, ने जानकारी देते हुए बताया कि 2024 में मंदिर में चढ़ावे के रूप में साढ़े 5 करोड़ रुपये से अधिक की राशि प्राप्त हुई. उन्होंने यह भी बताया कि इस वर्ष, पिछले साल की तुलना में 35,000 से 36,000 रुपये अधिक का चढ़ावा चढ़ाया गया.
एसडीएम भोट ने कहा कि माता चामुंडा देवी के प्रति लोगों की आस्था और विश्वास अटूट है. भक्त दूर-दूर से माता के दर पर आते हैं और दिल खोलकर दान करते हैं. यह धनराशि मंदिर के लंगर, रखरखाव और सामाजिक कार्यों में उपयोग होती है.
नवरात्रों में भक्तों का विशेष उत्साह
माता चामुंडा देवी मंदिर में नवरात्रों के दौरान भक्तों की भीड़ देखते ही बनती है. भक्त अपनी मन्नतों की पूर्ति के लिए माता के चरणों में शीश नवाते हैं और सुख-शांति के लिए दान करते हैं. माता के प्रति उनकी भक्ति का यह उदाहरण मंदिर के पवित्र वातावरण को और भी दिव्य बना देता है.
भक्तों के लिए ऑनलाइन दान की सुविधा
मंदिर ट्रस्ट ने भक्तों की सुविधा के लिए ऑनलाइन दान का प्रबंध भी किया है. देश-विदेश के भक्त इस माध्यम से माता रानी के चरणों में अपनी श्रद्धा व्यक्त कर सकते हैं.
चढ़ावा: आस्था और सेवा का संगम
मंदिर में चढ़ाई गई राशि का उपयोग न केवल धार्मिक कार्यों में होता है, बल्कि सामाजिक कल्याण के कार्यों में भी किया जाता है. लंगर सेवा, मंदिर की देखभाल, और समाज में जरूरतमंदों की सहायता के लिए यह धनराशि उपयोगी साबित होती है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
11 Jan, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनाव पूर्ण वातावरण से बचिये, स्त्री शारीरिक कष्ट, मानसिक बेचैनी अवश्य बनेगी।
वृष राशि :- अधिकारियों के समर्थन से सुख होवे, कार्य गति विशेष अनुकूल अवश्य होगी।
मिथुन राशि :- भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति के बाद तनाव व क्लेश होवे, तनाव से बचकर अवश्य चलें।
कर्क राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद हो, भाग्य का सितारा साथ देगा, बिगड़े कार्य बनेंगे।
सिंह राशि :- परिश्रम सफल हो, व्यवसायिक कार्यगति मंद हो, आर्थिक योजना पूर्ण अवश्य होगी।
कन्या राशि :- कार्य व्यवसाय गति सामान्य रहे, परिश्रम व्यर्थ होगा, कार्य गति मंद हो।
तुला राशि :- किसी दुर्घटना से बचें, चोट-चपेट आदि कम हों, रुके कार्य व्यवसाय होवेंगे।
वृश्चिक राशि :- कार्य गति अनुकूल रहे, लाभान्वित कार्य योजना बनेगी, बाधा आदि से बचें।
धनु राशि :- कुछ प्रतिष्ठा के साधन बनें किन्तु हाथ में कुछ न लगे, कार्य अवरोध होवगा।
मकर राशि :- अधिकारी वर्ग से तनाव व क्लेश होगा, मानसिक अशांति, कार्य बनेंगे।
कुंभ राशि :- मनोबल बनाये रखें किन्तु हाथ में कुछ न लगे, नये कार्य अवश्य होंगे।
मीन राशि :- दैनिक कार्य गति उत्तम होगी, कुटुम्ब सुख, समय उत्तम बनेगा, ध्यान रखें।
14 या 15 मार्च, कब है होली?
10 Jan, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देशभर में होली के त्योहार को बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है. वैदिक पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा की रात्रि को होलिका दहन किया जाता है और इसके अगले दिन होली का पर्व मनाया जाता है. होली का इंतजार लोगों को बेसब्री से होता है. साल 2024 की तरह इस बार भी होली की डेट को लेकर लोग अधिक कन्फ्यूज हो रहे हैं. कुछ लोग होली 14 मार्च की बता रहा हैं, तो वहीं कुछ लोग होली 15 मार्च को मनाने की बात कह रहे हैं. .
होलिका दहन और रंग वाली होली, दोनों का अलग-अलग महत्व है. वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार फाल्गुन पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 25 मिनट से होगी और इसके अगले दिन यानी 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर तिथि का समापन होगा. सनातन धर्म में उदया तिथि का अधिक महत्व है. ऐसे में इस बार होलिका दहन 14 मार्च को और होली 15 मार्च को मनाई जाएगी.
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होलिका दहन फाल्गुन पूर्णिमा की रात को शुभ मुहूर्त में किया जाता है. साल 2025 में होलिका दहन का शुभ समय शाम 6:30 बजे से रात 8:30 बजे तक रहेगा. इस दौरान लोग पवित्र अग्नि में लकड़ी, गोबर के उपले और अनाज अर्पित कर अपनी समस्याओं और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने की कामना करते हैं.
शुभ योग में पौष पुत्रदा एकादशी, लक्ष्मी नारायण कृपा से होंगे धनवान, जानें मुहूर्त, राहुकाल, स्वर्ग की भद्रा
10 Jan, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पौष पुत्रदा एकादशी पर शुभ योग बना है. उस दिन पौष शुक्ल एकादशी तिथि, कृत्तिका नक्षत्र, शुभ योग, विष्टि करण, पश्चिम का दिशाशूल और वृषभ राशि का चंद्रमा है. पौष पुत्रदा एकादशी के दिन स्वर्ग की भद्रा भी है, लेकिन इसका कोई दुष्प्रभाव पृथ्वी पर नहीं होगा. पौष पुत्रदा एकादशी का वैकुंठ एकादशी भी कहते हैं. इस दिन व्रत और भगवान नारायण की पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है. विष्णु कृपा से पाप मिटते हैं और जीवन के अंत में मोक्ष भी मिलता है. इस दिन आप प्रात:काल में स्नान करके साफ कपड़े पहनें. उसके बाद व्रत और पूजा का संकल्प करें.
फिर शुभ मुहूर्त में भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करके पूजन करें. उनको पंचामृत, तुलसी के पत्ते, अक्षत्, धूप, दीप, नैवेद्य, हल्दी, चंदन, पान, सुपारी आदि अर्पित करें. पौष पुत्रदा एकादशी की व्रत कथा सुनें और समापन आरती से करें. रात के समय जागरण करें और अगले दिन स्नान दान के बाद पारण करके व्रत को पूरा करें. पौष पुत्रदा एकादशी पर नारायण के साथ लक्ष्मी पूजा का भी संयोग बना है. इस दिन लक्ष्मी पूजा और विष्णु कृपा से धन, वैभव, सुख, समृद्धि में बढ़ोत्तरी होगी. शुक्रवार के दिन सफेद कपड़े पहनें और इत्र लगाएं. इस उपाय से आपकी कुंडली का शुक्र दोष दूर होगा. आज के पंचांग से जानते हैं पौष पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त, सूर्योदय, चंद्रोदय, चौघड़िया समय, राहुकाल, दिशाशूल आदि.
आज का पंचांग, 10 जनवरी 2025
आज की तिथि- एकादशी – 10:19 ए एम तक, उसके बाद द्वादशी
आज का नक्षत्र- कृत्तिका – 01:45 पी एम तक, फिर रोहिणी
आज का करण- विष्टि – 10:19 ए एम तक, बव – 09:19 पी एम तक, उसके बाद बालव
आज का योग- शुभ – 02:37 पी एम तक, फिर शुक्ल
आज का पक्ष- शुक्ल
आज का दिन- शुक्रवार
चंद्र राशि- वृषभ
सूर्योदय-सूर्यास्त और चंद्रोदय-चंद्रास्त का समय
सूर्योदय- 07:15 ए एम
सूर्यास्त- 05:42 पी एम
चन्द्रोदय- 02:06 पी एम
चन्द्रास्त- 04:47 ए एम, जनवरी 11
पौष पुत्रदा एकादशी मुहूर्त और पारण
ब्रह्म मुहूर्त: 05:27 ए एम से 06:21 ए एम
अभिजीत मुहूर्त: 12:08 पी एम से 12:50 पी एम
विजय मुहूर्त: 02:13 पी एम से 02:55 पी एम
अमृत काल: 11:29 ए एम से 01:00 पी एम
पुत्रदा एकादशी पूजा मुहूर्त: सुबह 07:15 बजे से दोपहर 02:37 बजे तक
पुत्रदा एकादशी व्रत पारण समय: 11 जनवरी, सुबह 7:15 बजे से सुबह 8:21 बजे तक
दिन का शुभ चौघड़िया मुहूर्त
चर-सामान्य: 07:15 ए एम से 08:34 ए एम
लाभ-उन्नति: 08:34 ए एम से 09:52 ए एम
अमृत-सर्वोत्तम: 09:52 ए एम से 11:10 ए एम
शुभ-उत्तम: 12:29 पी एम से 01:47 पी एम
चर-सामान्य: 04:24 पी एम से 05:42 पी एम
रात का शुभ चौघड़िया मुहूर्त
लाभ-उन्नति: 09:06 पी एम से 10:47 पी एम
शुभ-उत्तम: 12:29 ए एम से 02:10 ए एम, जनवरी 11
अमृत-सर्वोत्तम: 02:10 ए एम से 03:52 ए एम, जनवरी 11
चर-सामान्य: 03:52 ए एम से 05:34 ए एम, जनवरी 11
अशुभ समय
राहुकाल- 11:10 ए एम से 12:29 पी एम
गुलिक काल- 08:34 ए एम से 09:52 ए एम
यमगण्ड- 03:06 पी एम से 04:24 पी एम
दुर्मुहूर्त- 09:21 ए एम से 10:02 ए एम, 12:50 पी एम से 01:31 पी एम
भद्रा: 07:15 ए एम से 10:19 ए एम
भद्रा वास: स्वर्ग में
दिशाशूल- पश्चिम
रुद्राभिषेक के लिए शिववास
क्रीड़ा में – 10:19 ए एम तक, उसके बाद कैलाश पर.
जब हनुमान जी ने तोड़ी थी माता सीता की दी हुई मोतियों की माला, सभी अचंभित होकर देखते रहे, इस कथा में छुपी है बड़ी सीख!
10 Jan, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में हनुमान जी को कलयुग के देवता माना जाता है. उनकी भक्ति और शक्ति के बारे में हम अक्सर सुनते हैं, उनके कामों में जो गहरे अर्थ छुपे होते हैं. वे हमेशा हमें जीवन के महत्वपूर्ण पाठ सिखाते हैं, एक प्रसिद्ध कथा है जिसमें हनुमान जी ने माता सीता की भेंट दी गई मोतियों की माला को तोड़ दिया था, यह घटना न सिर्फ उनके अद्भुत भक्ति भाव को दर्शाती है, बल्कि जीवन के कुछ गहरे सत्य भी उजागर करती है. क्या है वो प्रसंग आइए जानते हैं
प्रचलित कथा
कथा के अनुसार, जब श्री राम और माता सीता वनवास से वापस लौटे और भगवान राम का राज्याभिषेक हुआ, तो माता सीता ने हनुमान जी को अपनी भक्ति के प्रतीक स्वरूप एक सुंदर मोतियों की माला भेंट दी. यह माला हनुमान जी की महानता के प्रतीक के रूप में दी गई थी लेकिन जब हनुमान जी ने उस माला को देखा, तो वह कुछ अजीब सा महसूस करने लगे. उन्होंने माला को गौर से देखा और एक-एक कर उसके सारे मोती निकालने शुरू कर दिए. जिससे माला टूट गई, इस दृश्य को देख सभी लोग हैरान रह गए और हनुमान जी से पूछा कि उन्होंने ऐसा क्यों किया?
हनुमान जी ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया कि वह उन मोतियों में भगवान राम को ढूंढ रहे थे. यह सुनकर सभी लोग और भी अधिक चौंक गए, हनुमान जी ने आगे बताया कि भगवान सिर्फ किसी वस्तु में नहीं होते, बल्कि वह हमारे हृदय में होते हैं. उनके अनुसार, भगवान की असली उपस्थिति किसी माला, मूर्ति या अन्य वस्तु में नहीं, बल्कि हमारे अंदर ही होती है. यह एक गहरी सीख थी, जो यह बताती है कि अगर हमें भगवान से प्रेम करना है तो हमें उन्हें अपने हृदय में बसाना होगा, न कि बाहरी वस्तुओं में खोजने की कोशिश करनी चाहिए.
हनुमान जी ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया कि वह उन मोतियों में भगवान राम को ढूंढ रहे थे. यह सुनकर सभी लोग और भी अधिक चौंक गए, हनुमान जी ने आगे बताया कि भगवान सिर्फ किसी वस्तु में नहीं होते, बल्कि वह हमारे हृदय में होते हैं. उनके अनुसार, भगवान की असली उपस्थिति किसी माला, मूर्ति या अन्य वस्तु में नहीं, बल्कि हमारे अंदर ही होती है. यह एक गहरी सीख थी, जो यह बताती है कि अगर हमें भगवान से प्रेम करना है तो हमें उन्हें अपने हृदय में बसाना होगा, न कि बाहरी वस्तुओं में खोजने की कोशिश करनी चाहिए.
इस घटना के माध्यम से हमें यह सिखने को मिलता है कि भगवान को किसी बाहरी वस्तु में ढूंढने की बजाय हमें उन्हें अपने हृदय में महसूस करना चाहिए. हनुमान जी का यह काम न सिर्फ उनकी भक्ति का प्रतीक था, बल्कि हमें यह समझाने के लिए किया गया था कि सच्ची भक्ति और प्रेम का वास्तविक स्थान हमारे भीतर है, न कि बाहर की किसी वस्तु में.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
10 Jan, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्य कुशलता से संतोष तथा मनोबल उत्सावर्धक होगा, उत्साह बना रहेगा।
वृष राशि :- स्वभाव में खिन्नता होने से हीन भावना से बचियेगा अन्यथा कार्य मंद अवश्य होगा।
मिथुन राशि :- अशांति तथा विनम्रता से बचिये तथा झगड़ा होने की संभावना अवश्य बनेगी।
कर्क राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष, ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी, रुके कार्य अवश्य ही बनेंगे ध्यान दें।
सिंह राशि :- आलोचना से बचिये, कार्य कुशलता से संतोष होगा, कार्य व्यवसाय पर ध्यान दें।
कन्या राशि :- धीमी गति से सुधार अपेक्षित है, सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि अवश्य होगी।
तुला राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास, गुप्त शत्रुओं से चिन्ता तथा कुटुम्ब में समस्या बनेगी।
वृश्चिक राशि :- योजना फलीभूत होगी, इष्ट मित्र सुखवर्धक होगा तथा कार्य अवरोध होगा।
धनु राशि :- कुटुम्ब की समस्या कष्टप्रद होगी तथा धन का व्यर्थ व्यय होगा सावधान रहें।
मकर राशिः- कुटुम्ब में सुख मान-प्रतिष्ठा, बड़े लोगों से मेल-मिलाप अवश्य ही होगा।
कुंभ राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल होगा, दैनिक गति मंद तथा बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे।
मीन राशि :- कार्य व्यवसाय गति अनुकूल बनेगी, समृद्धि के साधन अवश्य बनेंगे।