धर्म एवं ज्योतिष
घर के मंदिर में भूलकर भी न रखें ऐसी मूर्तियां , वरना हो जाएंगे परेशान, छिन जाएगा सारा सुख-चैन!
20 Jan, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सभी कार्यों में सफलता और मोक्ष प्राप्ति के लिए देवी देवताओं और भगवान की पूजा अर्चना, पूजा पाठ, मंत्रों का जाप करना सबसे श्रेष्ठ बताया गया है. हिंदू धार्मिक ग्रंथो के अनुसार भगवान की आराधना पूजा पाठ करने के लिए विशेष स्थान या पौराणिक स्थान पर बने मंदिर में जाकर विधि अनुसार जल अर्पित करना, फल फूल अर्पित करके पवित्र मन और हृदय से भगवान की आराधना करने पर विशेष लाभ मिलता है. घर में सुख शांति बनी रहे और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव खत्म करने के लिए साधक अपने घरों में मंदिर बनवाकर उसमें अपने ईष्ट देव की मूर्ति या चित्र लगाकर आराधना करते हैं. घर के मंदिर में पूजा पाठ पूजा अर्चना और आराधना करने के बाद भी कुछ लोगों के जीवन में दुख समस्याएं आती रहती हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा इसलिए होता है कि मंदिर में स्थित देवी देवता, भगवान या अपने इष्ट देव की मूर्ति शास्त्रों के अनुसार नहीं है.
घर के मंदिर में कैसी मूर्ति होने पर दोष लगता है, कि घर के मंदिर में पूजा पाठ, पूजा अर्चना, आराधना आदि करने के बाद भी दुख, परेशानी, आर्थिक समस्या या अन्य बाधाएं आ रही हैं, तो मंदिर में लगी मूर्ति शास्त्रों के अनुरूप नहीं है. घर के मंदिर में लगी कैसे मूर्ति होनी चाहिए और कैसे मूर्ति नहीं होनी चाहिए इन सभी बातों को लेकर धार्मिक ग्रंथो में वर्णन किया गया है. यदि आप पूजा पाठ, पूजा अर्चना करने के लिए घर के मंदिर में मूर्ति रखते हैं, तो ध्यान रखें कि मूर्ति या चित्र खंडित न हो और मंदिर की मूर्ति केमिकल युक्त होने पर साधकों को विपरीत फल प्राप्त होता है. पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि घर के मंदिर में मिट्टी या अष्टधातु से बनी हुई मूर्ति रखकर पूजा पाठ, पूजा अर्चना करने पर लाभ होता है. घर के मंदिर में जो मूर्ति रखकर पूजा की जाती है, वह साफ सुथरी होनी चाहिए.
सभी कार्यों में सफलता और मोक्ष प्राप्ति के लिए देवी देवताओं और भगवान की पूजा अर्चना, पूजा पाठ, मंत्रों का जाप करना सबसे श्रेष्ठ बताया गया है. हिंदू धार्मिक ग्रंथो के अनुसार भगवान की आराधना पूजा पाठ करने के लिए विशेष स्थान या पौराणिक स्थान पर बने मंदिर में जाकर विधि अनुसार जल अर्पित करना, फल फूल अर्पित करके पवित्र मन और हृदय से भगवान की आराधना करने पर विशेष लाभ मिलता है. घर में सुख शांति बनी रहे और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव खत्म करने के लिए साधक अपने घरों में मंदिर बनवाकर उसमें अपने ईष्ट देव की मूर्ति या चित्र लगाकर आराधना करते हैं. घर के मंदिर में पूजा पाठ पूजा अर्चना और आराधना करने के बाद भी कुछ लोगों के जीवन में दुख समस्याएं आती रहती हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसा इसलिए होता है कि मंदिर में स्थित देवी देवता, भगवान या अपने इष्ट देव की मूर्ति शास्त्रों के अनुसार नहीं है.
घर के मंदिर में कैसी मूर्ति होने पर दोष लगता है, इसकी जानकारी लोकल 18 पर साझा करते हुए हरिद्वार के विद्वान ज्योतिषी पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि घर के मंदिर में पूजा पाठ, पूजा अर्चना, आराधना आदि करने के बाद भी दुख, परेशानी, आर्थिक समस्या या अन्य बाधाएं आ रही हैं, तो मंदिर में लगी मूर्ति शास्त्रों के अनुरूप नहीं है. घर के मंदिर में लगी कैसे मूर्ति होनी चाहिए और कैसे मूर्ति नहीं होनी चाहिए इन सभी बातों को लेकर धार्मिक ग्रंथो में वर्णन किया गया है. यदि आप पूजा पाठ, पूजा अर्चना करने के लिए घर के मंदिर में मूर्ति रखते हैं, तो ध्यान रखें कि मूर्ति या चित्र खंडित न हो और मंदिर की मूर्ति केमिकल युक्त होने पर साधकों को विपरीत फल प्राप्त होता है. पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि घर के मंदिर में मिट्टी या अष्टधातु से बनी हुई मूर्ति रखकर पूजा पाठ, पूजा अर्चना करने पर लाभ होता है. घर के मंदिर में जो मूर्ति रखकर पूजा की जाती है, वह साफ सुथरी होनी चाहिए.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
20 Jan, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- धन का लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष, कार्यवृत्ति में सुधार होगा, कार्य बनेंगे।
वृष राशि :- मान-प्रतिष्ठा, कार्य सफलता से संतोष होवे, रुके कार्य पूर्ण संतुष्टि के होंगे।
मिथुन राशि :- समृद्धि सम्भव है, विरोधियों से डटकर मुकाबला करें, विजय मिलेगी।
कर्क राशि :- तनाव-क्लेश व अशांति से चिन्ता व मानसिक व्यग्रता तथा मन में दु:ख होगा।
सिंह राशि :- दैनिक वृत्ति में सुधार, चिन्ताऐं कम हों तथा परिश्रम से किये गये कार्य सफल होंगे।
कन्या राशि :- शारीरिक थकावट बेचैनी बढ़ेगी तथा समय और सामर्थ व्यर्थ जायेगा, ध्यान दें।
तुला राशि :- दैनिक कार्यगति अनुकूल, समय की अनुकूलता का समय का उपयोग कर ले।
वृश्चिक राशि :- योजना विफल जायें, परिश्रम से कुछ सफलता निरर्थक दिखायी देवेगी।
धनु राशि :- मनोबल बनाये रखें तथा कार्य व्यवसाय में योजना परिपूर्ण अवश्य ही होगी।
मकर राशि :- कुटुम्ब की समस्याओं में अर्थव्यवस्था बाधा पैदा अवश्य ही करेगी।
कुंभ राशि :- धन का लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष होवेगा तथा मन उत्तम बना ही रहेगा।
मीन राशि :- सफलता के साधन जुटायें, विशेष कार्य स्थगित अवश्य ही रखें।
महाकुंभ के दौरान घर बैठे कर सकते हैं कल्पवास? जानें क्या कहते हैं हमारे शास्त्र और पुराण
19 Jan, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाकुंभ में दुनियाभर से लोग संगम में डुबकी लगाने आते हैं. प्रयागराज महाकुंभ के पहले दिन अमृत स्नान में करोड़ों श्रद्धालुओं ने अमृत स्नान कर पुण्य प्राप्त किया. वहीं इस दौरान बड़ी संख्या में लोग कल्पवास व्रत भी रखते हैं. बाताया जाता है कि माघ महीने में कल्पवास करना बहुत शुभ फलदायी माना जाता है लेकिन यह एक महीने की कठोर तपस्या और साधना होती है. वहीं कल्पवास क्यों किया जाता है क्या है इसे करने का कारण, इसके बारे में पंडित रमाकांत मिश्रा से विस्तार से जानते हैं और यह भी जानेंगे कि क्या घर पर रहकर भी कल्पवास किया जा सकता है.
क्या है कल्पवास करने का कारण
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महाकुंभ में हजारों की संख्या में लोग कल्पवास करने आते हैं. कल्पवास करने वाले लोगों का मकसद सिर्फ एक होता है, वो हे आत्मा की शुद्धि और परमात्मा के करीब जाना. इसके लिए लोग माघ का पवित्र महीना या महाकुंभ का समय चुनते हैं. लेकिन कई लोग इस अवस्था में रहते हैं कि उनके लिए इन दिनों में जाकर कल्पवास करना मुश्किल होता है और वे चाहकर भी नहीं जा पाते, तो ऐसे में उनके मन में सवाल होता है कि क्या महाकुंभ या माघ मेले के दौरान घर पर रहकर कल्पवास किया जा सकता है.
क्या घर पर किया जा सकता है कल्पवास?
वैसे तो कल्पवास सिर्फ महाकुंभ क्षेत्र या किसी पवित्र नदी के किनारे ही किया जा सकता है. लेकिन अगर कोई व्यक्ति महाकुंभ क्षेत्र तक जाने में समर्थ नहीं है तो ऐसे में घर में कल्पवास जैसा जीवन जीने की कोशिश की जा सकती है, लेकिन कल्पवास के नियमों का पालन करना बेहद आवश्यक है. लेकिन घर पर कल्पवास करने में बहुत कठिनाईयां आती हैं क्योंकि कल्पवास के नियम बहुत ही कठोर होते हैं, जिनका पालन घर में करना संभव नहीं हो पाता.
ये रहे घर में कल्पवास जैसा जीवन जीने के नियम
– अगर कोई भी व्यक्ति घर पर कल्पवास जैसा जीवन जीना चाहता है तो उसे सबसे पहले जल्दी उठकर गंगाजल मिलाकर जल से स्नान करना चाहिए.
– इसके बाद नियमित रुप से पूजा-पाठ, ध्यान और भगवान के मंत्रों का जाप करना चाहिए.
– कल्पवास के दौरान सिर्फ सात्विक और शुद्धता से बना भोजन करना चाहिए.
– जब आप कल्पवास का पालन कर रहे हैं तो आपको मन में बुरे विचारों को त्यागकर धार्मिक ग्रंथों का पाठ करना चाहिए.
– इस दौरान जरूरतमंदों की सेवा करें और उन्हें सामर्थ्य अनुसार दान-पुण्य करें.
– कल्पवास के दौरान अनुशासन में रहें व जितना हो सके मौन व्रत का पालन करें.
– इस दौरान भौतिक सुख-सुविधाओं से दूरी बनाकर रखें.
कौन पहन सकता है एक मुखी रुद्राक्ष? जानें धारण करने के नियम, सावधानियां और महत्व
19 Jan, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रुद्राक्ष को हिंदू धर्म में अत्यधिक पवित्र माना जाता है. इसे न सिर्फ एक धार्मिक आभूषण के रूप में देखा जाता है, बल्कि इसके अद्भुत लाभ और शक्ति के कारण इसे विशेष महत्व दिया जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई थी.इ से धारण करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं. रुद्राक्ष विभिन्न मुखों (फेस) के होते हैं और हर प्रकार के रुद्राक्ष का अपना अलग महत्व और प्रभाव होता है. 14 प्रकार के रुद्राक्षों में से एक मुखी रुद्राक्ष को सबसे शक्तिशाली और दुर्लभ माना जाता है.
एक मुखी रुद्राक्ष भगवान शिव का प्रतीक है और इसे धारण करने से व्यक्ति के जीवन में अद्भुत परिवर्तन आ सकते हैं. इसे आत्मज्ञान, मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए सर्वोत्तम माना गया है. जो लोग ध्यान, योग और साधना करते हैं, उनके लिए यह रुद्राक्ष अत्यंत लाभकारी सिद्ध होता है. इस रुद्राक्ष को पहनने से न केवल भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि यह जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता दिलाने में भी सहायक होता है. यह मन को शांत करता है, बुरी आदतों से बचने में मदद करता है और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है.
एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने के नियम
एक मुखी रुद्राक्ष को सावन महीने के सोमवार, अमावस्या, पूर्णिमा या फिर महाशिवरात्रि के दिन धारण करना शुभ माना जाता है.
इसे पहनने से पहले गंगाजल या कच्चे दूध से शुद्ध करना चाहिए.
इसे सोने, चांदी या पंचधातु की चेन या काले धागे में पहनना चाहिए.
धारण करने से पहले ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का 108 बार जाप करें.
इसे धारण करने के बाद इसे अपने शरीर के पास ही रखना चाहिए और उतारने के बाद सुरक्षित स्थान पर रखें.
एक मुखी रुद्राक्ष के लाभ
अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है.
आत्मविश्वास और मानसिक शांति बढ़ाता है.
ध्यान और साधना में सहायता करता है.
नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है.
आर्थिक समृद्धि और सफलता प्रदान करता है.
स्ट्रेस और चिंता को कम करता है.
स्वास्थ्य से जुड़े लाभ मिलते हैं.
कौन कर सकता है एक मुखी रुद्राक्ष धारण?
वैसे तो एक मुखी रुद्राक्ष धारण करने की कोई बाध्यता नहीं है, लेकिन इसे धारण करने से पहले किसी जानकार से परामर्श लेना जरूरी होता है. खासतौर पर जिन लोगों की कुंडली में चंद्र या शनि से संबंधित दोष होते हैं, उनके लिए यह अत्यधिक लाभकारी माना जाता है. हालांकि इसे धारण करने के लिए लाल धागे के साथ पेंडेंट के रूप में पहनना चाहिए. कभी भी इसे काले रंग के धागे में नहीं पहनें इससे अशुभ प्रभाव पड़ता है. इसे धारण करने से पहले रुद्राक्ष मंत्र और रुद्राक्ष मूल मंत्र का 9 बार जाप करना चाहिए.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
19 Jan, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष, कार्यवृत्ति में सुधार तथा प्रतिष्ठा अवश्य बनेगी।
वृष राशि :- योजनाऐं पूर्ण हों, शुभ समाचार प्राप्त हो, समस्या संभव हो तथा कार्य अवश्य बनेंगे।
मिथुन राशि :- कार्य-व्यवसाय गति मंद रहे, असमर्थता का वातावरण अवश्य ही बना रहेगा।
कर्क राशि :- दैनिक व्यवसाय में थकावट तथा बेचैनी, कुछ सफलता के साधन जुटायें, कार्य बनें।
सिंह राशि :- आलोचना से बचिये, कार्य-कुशलता से पूर्ण संतुष्ट होंगे, संतोष बना ही रहेगा।
कन्या राशि :- भोग-ऐश्वर्य में समय बीतेगा, शारीरिक थकावट तथा बेचैनी अवश्य ही बढ़ेगी।
तुला राशि :- व्यवसायिक चिन्ता बनीं रहेगी, आशानुकूल सफलता से संतोष अवश्य होगा।
वृश्चिक राशि :- मित्र वर्ग विशेष फलप्रद रहें, सुख वर्धक योजना अवश्य ही बनेगी, ध्यान रखें।
धनु राशि :- तनावपूर्ण वातावरण चलता ही रहेगा तथा चिन्ताएं संभव अवश्य ही होगी।
मकर राशि :- कार्यवृत्ति में सुधार तथा सामाजिक कार्यों में प्रतिष्ठा सदैव ही बनी रहेगी।
कुंभ राशि :- कार्य व्यवसाय गति मंद, चोट आदि का भय अवश्य ही बना रहेगा, ध्यान दें।
मीन राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष बिगड़े हुए कार्य बने तथा कार्य-योजना फलीभूत होगी।
चंद्रमा को पत्नी रोहिणी से प्यार करने की मिली थी सजा, ससुर ने दे दिया था कुरूप होने का श्राप
18 Jan, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रमा का विवाह प्रजापति दक्ष की 27 पुत्रियों के साथ हुआ था. चंद्रमा अपनी सुंदरता और तेज के लिए जाने जाते थे. लेकिन, उनका हृदय केवल रोहिणी के प्रति आसक्त था. वे अपना सारा समय रोहिणी के साथ बिताते थे और अपनी अन्य पत्नियों की उपेक्षा करते थे. यह देखकर दक्ष की अन्य पुत्रियां बहुत दुखी हुईं और उन्होंने अपने पिता से इसकी शिकायत की. प्रजापति दक्ष अपनी पुत्रियों का दुख देखकर क्रोधित हो गए.
प्रजापति ने चंद्रमा को दिया था श्राप
प्रजापति ने चंद्रमा को समझाने की कोशिश की, लेकिन चंद्रमा पर इसका कोई असर नहीं हुआ. आखिरकार, क्रोधित दक्ष ने चंद्रमा को श्राप दे दिया कि वे अपनी सारी सुंदरता और तेज खो देंगे और क्षय रोग से पीड़ित हो जाएंगे. श्राप के कारण चंद्रमा का तेज फीका पड़ गया और वे धीरे-धीरे क्षीण होने लगे.
चंद्रमा ने की थी भगवान शिव की तपस्या
चंद्रमा अपनी इस दशा से बहुत दुखी हुए. उन्होंने ब्रह्मा जी से प्रार्थना की, जिन्होंने उन्हें भगवान शिव की आराधना करने की सलाह दी. चंद्रमा ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की. उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें श्राप से मुक्त कर दिया, लेकिन आंशिक रूप से. भगवान शिव ने कहा कि चंद्रमा का तेज पूरी तरह से वापस नहीं आएगा, लेकिन वे कृष्ण पक्ष में घटेंगे और शुक्ल पक्ष में बढ़ेंगे. इस प्रकार, चंद्रमा की कलाएं घटने और बढ़ने लगीं.
कुछ कथाओं में यह भी वर्णन है कि चंद्रमा को श्राप इसलिए मिला था क्योंकि उन्होंने देवताओं के गुरु बृहस्पति की पत्नी तारा का अपहरण कर लिया था.
चंद्रमा को ‘चंद्र’, ‘सोम’, ‘निशाचर’, ‘शशि’ आदि नामों से भी जाना जाता है.
चंद्रमा का ज्योतिष में भी महत्वपूर्ण स्थान है. इसे मन और भावनाओं का कारक माना जाता है.
मौनी अमावस्या पर करें यह सबसे आसान उपाय, पूरी होंगी 5 बड़ी मनोकामनाएं
18 Jan, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मौनी अमावस्या का पर्व हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाते हैं. इस दिन स्नान और दान करने का विधान है, जिससे पुण्य की प्राप्ति होती है. मौनी अमावस्या के अवसर पर लोग पूरे दिन मौन व्रत भी रखते हैं. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, मौनी अमावस्या की तिथि 28 जनवरी को शाम 7:35 बजे लगेगी और यह तिथि 29 जनवरी को शाम 6:05 बजे तक रहेगी. इस आधार पर देखा जाए तो मौनी अमावस्या 29 जनवरी को है. मौनी अमावस्या के दिन आप एक आसान उपाय से 5 बड़ी मनोकामनाएं पूरी कर सकते हैं.
मौनी अमावस्या का उपाय
मौनी अमावस्या के दिन आप प्रयागराज के संगम पर जाएं. इस समय महाकुंभ मेला भी लगा है. उस दिन अखाड़ों का अमृत स्नान होगा. मौनी अमावस्या को संगम में स्नान करें और भगवान विष्णु की पूजा करें. अपने पितरों के लिए जल से तर्पण करें. इस छोटे से उपाय से सुख, सौभाग्य, संतान, हरि कृपा प्राप्त होगी और पितरों का आशीर्वाद भी मिलेगा.
स्नान से पूरी होंगी 5 बड़ी मनोकामनाएं
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जो लोग पूरे माघ माह में प्रयागराज के संगम यानी गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करते हैं. उनकी 5 बड़ी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. यदि आप संगम में पूरे माघ माह में स्नान करेंगे तो आपको सुख, सौभाग्य, धन, संतान और मोक्ष की प्राप्ति होगी.
पद्म पुराण के अनुसार, माघ महीने में तीर्थ स्नान करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं. हरि कृपा से व्यक्ति को पुण्य मिलता है और वह पाप मुक्त हो जाता है. उसे मृत्यु का डर नहीं होता है और वह अकाल मृत्यु से भी निडरता प्राप्त करता है.
माघ में संगम स्नान का महत्व
पौराणिक कथा के अनुसार, देवताओं और असुरों ने जब सागर मंथन किया था तो उससे अमृत कलश बाहर आया था. अमृत कलश की छीना झपटी में अमृत की कृछ बूंदे प्रयागराज के संगम में गिरी थीं. इससे वह जल अमृत के समान पुण्य फलदायी हो गया था. ऐसे में वहां स्नान करने से व्यक्ति के पाप मिट जाते हैं और जीवन के अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है.
माघ महीने में तुलसी पूजा में भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां, वरना मां लक्ष्मी हो जाएंगी नाराज, घर में आएगी तंगी
18 Jan, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
माघ महीने में तुलसी पूजा के दौरान कुछ चीज़ें अर्पण नहीं करनी चाहिए, . इनसे नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और घर में आर्थिक तंगी और दरिद्रता आ सकती है. तुलसी पूजा में इन पांच चीजों से बचकर पूजा करें, ताकि घर में लक्ष्मी का वास हो.
माना जाता है कि हिन्दू धर्म के जिस घर में तुलसी हो उस घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और माता लक्ष्मी का वास होता है, क्योंकि माता तुलसी को लक्ष्मी का ही रूप माना गया है. तुलसी की पूजा आराधना करने से घर में सुख समृद्धि की वृद्धि होती है. वहीं माघ महीना शुरू होकर माघ के महीने में तुलसी की पूजा आराधना विशेष विधि से करनी चाहिए.
माघ का महीना शुरू हो चुका है और हर महीने में गंगा स्नान दान और भगवान विष्णु की पूजा आराधना करने से घर में सुख समृद्धि की वृद्धि होती है साथ ही तुलसी की पूजा अवश्य करनी चाहिए.
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि हर महीने में तुलसी की पूजा अलग-अलग तरीके से की जाती है. वहीं माघ के महीने में भी तुलसी की पूजा का अपना एक अलग महत्व है. पांच चीज ऐसी हैं, जो माघ के महीने में तुलसी के पौधे में नहीं डालना चाहिए. ऐसा करने से माता लक्ष्मी और रुस्ट हो सकती हैं और घर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. क्या वह चीज हैं आईए जानते हैं.
जब भी आप माघ के महीने में तुलसी की पूजा आराधना कर रहे हैं, तो जल अर्पण करने के बाद बेलपत्र तुलसी पर भूलकर भी नहीं चढ़ाना चाहिए. ऐसा करने से माता लक्ष्मी रुष्ट हो सकती हैं और जातक के जीवन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है आर्थिक तंगी हो सकती है.
कई जातक तुलसी की पूजा आराधना करते वक्त जल अर्पण करते हैं और जल में दूध मिलाकर अर्पण करते हैं, लेकिन माघ के महीने में तुलसी पर दूध मिलाकर जल अर्पण नहीं करना चाहिए. यह अशुभ माना जाता है. इससे घर में नकारात्मक प्रभाव भी पड़ सकता है.
जैसे कई जातक पानी में दूध मिलाकर तुलसी के ऊपर अर्पण करते हैं. इस तरह कई जातक पानी में गन्ने का रस मिलाकर तुलसी के ऊपर अर्पण करते हैं. माघ के महीने में तुलसी में जल में गन्ने का रस मिलाकर अर्पण करना सुबह नहीं माना जाता है. इससे तुलसी सूख सकती है, जो शुभ संकेत नहीं होता है. घर में दरिद्रता आ सकती है.
तुलसी में जल अर्पण करने के साथ जातक पूजा आराधना करते वक्त फूल भी चढ़ाते हैं. उस समय ध्यान रहे की माघ के महीने में धतूरे का फूल तुलसी के ऊपर अर्पण नहीं करनी चाहिए. धतूरे का फूल भगवान शिव को प्रिया है और भगवान शिव तुलसी के पति का वध किया था. इसलिए धतूरे का फूल तुलसी के ऊपर अर्पण नहीं करना चाहिए विशेषकर माघ के महीने में.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
18 Jan, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मन में अशांति, किसी परेशानी से बचिये, कुटुम्ब की समस्याएं सुलझ जायेंगी।
वृष राशि :- संवेदनशील होने से बचिये नहीं तो अपने किये पर पछताना पड़ेगा, ध्यान रखें।
मिथुन राशि :- मानसिक कार्य में सफलता तथा सहयोग, संतोष होगा, धन लाभ होगा, बिगड़े कार्य बनेंगे।
कर्क राशि :- विरोधियों का समर्थन फलप्रद होगा, शुभ कार्य के योग अवश्य ही बनेंगे, ध्यान रखें।
सिंह राशि :- व्यवसायिक क्षमता अनुकूल रहे, कार्य स्थिति पर पूर्ण नियंत्रण बना रहेगा, ध्यान रखें।
कन्या राशि :- सामाजिक कार्य कुशलता से संतोष होगा, पराक्रम एवं समृद्धि के योग बनेंगे।
तुला राशि :- अधिकारी वर्ग से विशेष समर्थन फलप्रद होगा, रुके कार्य अवश्य ही बन जायेंगे।
वृश्चिक राशि :- धन लाभ, कार्य-कुशलता से संतोष होगा, पराक्रम एवं समृद्धि के योग बन जायेंगे।
धनु राशि :- स्त्री शरीर चिन्ता, विवाद ग्रस्त होने से बचिये, रुके कार्य बनने के योग बनेंगे।
मकर राशि :- मनोबल-उत्साह वर्धक होगा, दैनिक कार्यगति में सफलता अवश्य ही मिल जायेगी।
कुंभ राशि :- कार्य-व्यवसाय में उत्तेजना, धन का व्यय तथा शक्ति निष्फल अवश्य होगी।
मीन राशि :- अधिकारी वर्ग का समर्थन फलप्रद होगा, सामाजिक कार्य में प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
माघ महीने में स्नान और दान-पुण्य के कार्यों का है विशेष महत्व
17 Jan, 2025 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू पंचांग के अनुसार 11वां महीना माघ का महीना होता है। इस माह में पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य के कार्यों का विशेष महत्व होता है। माघ के महीने में पवित्र नदियों में स्नान और दान-पुण्य के कार्यों का विशेष महत्व होता है। इस दौरान जगत के पालनहार श्रीहरि विष्णुजी की पूजा-आराधना करने से भी विशेष फलों की प्राप्ति होती है। ऐसा करने से घर में धन, सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। आइए जानते हैं माघ महीने की शुरुआत कब हो रही है।
हिंदू पंचांग के अनुसार मकर संक्रांति के दिन से ही माघ का महीना शुरु हो गया। वहीं12 फरवरी 2025 को माघ पूर्णिमा के दिन माघ महीने का समापन होगा।
माघ में महीने में क्या करना चाहिए। इस माह में गरीबों और जरुरतमंदों को अपने क्षमतानुसार अन्न-धन का दान करें। माघ के महीने में पवित्र नदियों में स्नान करना काफी पुण्यफलदायी माना जाता है। माना जाता है कि इससे व्यक्ति के जीवन के सभी पाप-कष्ट दूर होंगे।
माघ के महीने में तिल और गुड़ का सेवन करना उत्तम माना गया है।
इस माह में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा-आराधना करना चाहिए।
माघ में नियमित तुलसी के पौधे पर जल अर्पित करें और माता तुलसी की पूजा करनी चाहिए।
माघ के महीने में भोजन, वस्त्र और तिल का दान करना शुभ होता है।
माघ महीने में क्या नहीं करें
माघ महीने में मांस-मदिरा सहित तामसिक भोजन करने से बचना चाहिए।
इस अवधि में घर की साफ-सफाई का ख्याल रखना चाहिए।
इस महीने में क्रोध से बचना और अपशब्दों का इस्तेमाल न करने की सलाह दी जाती है।
माघ महीने में बड़े-बुजुर्गों का अपमान नहीं करना चाहिए।
इस अवधि के दौरान किसी भी सदस्यों से व्यर्थ में वाद-विवाद न करें और घर में शांति बनाएं रखें।
17 जनवरी को संकष्टी चतुर्थी वत्र पर करें भगवान गणेश जी की पूजा
17 Jan, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में मकर संक्रांति के बाद संकष्टी चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है। इसे त्योहार को माघी चौथ या फिर तिल चौथ के नाम से भी जाना जाता है। संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा करने से बप्पा अपने भक्तों के जीवन में आ रहे सभी विघ्न को दूर करते हैं। हिंदू धर्म में चतुर्थी तिथि भगवान गणेश की उपासना के लिए होती है। चतुर्थी के दिन धन या अन्न का दान मंदिर या फिर गरीब लोगों में किया जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन संकष्टी चतुर्थी का त्योहार बेहद उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार श्री गणेश को समर्पित है।
धार्मिक मान्यता है कि सच्चे मन से संकष्टी चतुर्थी व्रत को करने से भगवान गणेश जी प्रसन्न होते हैं। इस दिन पूजा के दौरान व्रत कथा का पाठ जरुर करना चाहिए। इससे परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है, साथ ही संतान को लंबी आयु का वरदान प्राप्त होता है। बच्चों के जीवन में चल रही तमाम परेशानियां दूर होता है।
हिंदू पंचांग, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 17 जनवरी को सबुह 04 बजकर 06 मिनट पर हो रही है। इस तिथि का समापन 18 जनवरी को सुबह 05 बजकर 30 मिनट पर होगा। इसलिए 17 जनवरी को संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा।
शुभ समय
-ब्रह्म मुहूर्त- प्रात: 05 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक।
- गोधूलि मुहूर्त- शाम 05 बजकर 45 मिनट से 06 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।
- अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 10 मिनट से दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक रहेगा।
मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन से टल जाते हैं संकट
17 Jan, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हनुमान जी अपने नाम के अनुरुप ही भक्तों के संकटों को दूर करते हैं। आस्था और सच्ची भक्ति के आगे स्वयं भगवान भी नतमस्तक हो जाते हैं और अपने प्रिय भक्त को संसार का हर सुख देने को आतुर रहते हैं। महाबली हनुमान की भक्ति भी ऐसी ही है। तभी तो प्रभु श्री राम ने उन्हें भक्त शिरोमणि बना दिया।
पवन पुत्र हनुमान की लीलाएं बालपन से ही शुरू हो गई थीं, इसलिए कई जगहों पर इन्हें बालाजी के नाम से पूजा जाता है। मेहंदीपुर में भी महाबली हनुमान अपने बाल स्वरूप में विराजमान है।
मान्यता है कि मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन करते ही इंसान के सभी प्रकार के संकट टलने लगते हैं। जो भी मेहंदीपुर धाम जाता है अपने सभी दुख, अपनी सारी विपत्तियां वहीं श्री बालाजी के चरणों में छोड़ आता है।
मेहंदीपुर में बालाजी की सत्ता चलती है। यहां आकर जिसने श्री बालाजी का आशीर्वाद पा लिया उसके मन की हर कामना का भार स्वयं बालाजी महाराज उठाते हैं। तभी तो जो भक्त एक बार मेहंदीपुर बालाजी के दर्शन कर लेता है वो बार-बार मेहंदीपुर जाने को आतुर रहता है।
मेहंदीपुर बालाजी धाम में हनुमान जी के बाल रूप का अति मनमोहक और अलौकिक दर्शन होता है। यहां श्री बाला जी महाराज के भवन के ठीक सामने सीताराम का दरबार सजता है, जिसे देखकर लगता है कि जैसे बाला जी महाराज अपने प्रभु के निरंतर दर्शन से प्रसन्न हो रहे हैं और मां सीता के साथ ही प्रभु श्रीराम भी अपने सबसे प्रिय भक्त को देखकर मुस्कुरा रहे हैं।
मेहंदीपुर में केवल बालाजी के दर्शन नहीं होते। इनके साथ श्री भैरव बाबा और श्री प्रेतराज सरकार के भी साक्षात दर्शन होते हैं। इसीलिए कुछ भक्त इन्हें त्रिदेवों का धाम भी कहते हैं।
मेहंदीपुर बालाजी के दरबार में जो भी इंसान सच्चे मन और भक्ति भाव से अर्जी लगाता है उसकी सुनवाई जरूर होती है। श्री बालाजी उस भक्त की हर मनोकामना पूरी कर देते हैं। कहते हैं मेहंदीपुर धाम कोई भी भक्त उदास नहीं लौटता।
मेहंदीपुर में हर प्रकार की समस्या का समाधान मिल जाता है।
सुबह उठते ही आईना देखने से होता है नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव
17 Jan, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अगर आप अपना दिन बेहतर बिताना चाहते हैं तो इसके लिए अच्छी शुरुआत करें। अक्सर हम अपने आसपास की ढेर सारी बातों को अनदेखा कर देते हैं, लेकिन इनका हम पर सीधा असर पड़ता है। वास्तुशास्त्र में कुछ उपाय बताए गए जिन्हें अपनाकर आप अपनी सुबह के साथ ही पूरे दिन को बेहतर बना सकते हैं। यह बात तो हम सब मानते हैं कि अगर हमारी सुबह शुभ कार्यों के साथ शुरु होगी तो हमारा पूरा दिन अच्छा गुजरता है।
आंख खुलते ही न देखें आईना
कई लोगों की आदत होती है, सुबह उठते ही आईना देखने की। वास्तु विज्ञान के अनुसार ऐसा नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से दिनभर आप पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बना रह सकता है। इसकी वजह यह है कि जब आप सोकर उठते हैं तो आपका शरीर नकारात्मक उर्जा के प्रभाव में होता है इसलिए आप आलस महसूस करते हैं। इसलिए कहा जाता है कि फ्रेश होने के बाद आईना देखना चाहिए।
सुबह उठते ही किसका चेहरा देखें
ऐसी मान्यता है कि आंख खुलते ही किसी व्यक्ति का चेहरा देखने से बचना चाहिए। दिन की शुरुआत के साथ सबसे पहले अपने ईष्ट देवता का ध्यान करें और उनके ही दर्शन करने चाहिए। इसके पीछे यह धारणा है कि व्यक्ति के चेहरे पर अलग-अलग तरह के भाव होते हैं जिसे देखकर आपके भाव भी बदलते हैं। लेकिन ईश्वर निर्विकार भाव आपको देखते हैं और आप भी उन्हें ऐसे ही देखते हैं जिससे मन में सकारात्मक भाव जगता है।
इसलिए सुबह उठकर देखें हथेली
कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती। करमूले तू गोविन्दः प्रभाते करदर्शनम ॥ कहा गया है कि हथेली के अगले हिस्से में देवी लक्ष्मी का वास होता है, मध्य में सरस्वती का और मूल भाग में भगवान विष्णु विराजते हैं। यही कारण है कि सुबह उठकर सबसे पहले दोनों हाथों की हथेली को जोड़कर देखना चाहिए, ऐसा शास्त्रों का मत है। इसे व्यावहारिक रूप में देखें तो हथेली से ही सभी कर्म किए जाते हैं और इसी से धन और धर्म दोनों कर्तव्यों को पूरा किया जाता है इसलिए हथेली देखने की बात की जाती है।
शंख या मंदिर की घंटी की आवाज सुनाई दे तो
सुबह उठते ही अगर शंख या मंदिर की घंटियों की आवाज सुनाई दे तो यह आपके भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है। यही कारण है कि शास्त्रों में कहा गया है कि सुबह उठकर भगवान की पूजा करें और घंटी बजाकर शंखनाद करें।
दिन बन जाता है शुभ
शकुनशास्त्र के अनुसार सुबह घर से निकलते समय नारियल, शंख, मोर, हंस या फूल आपको दिख जाए तो समझिए आपका पूरा दिन शुभ बीतने वाला है।
सफाईकर्मी का दिखना शुभ
ज्योतिषशास्त्र में सफाईकर्मी को शनि से संबंधित माना गया है। लाल किताब के उपायों में बताया गया है कि यदि सुबह घर से निकलते ही आपको कोई सफाईकर्मी दिखाई दे तो उसे कुछ दान जरूर देना चाहिए इससे दिन अच्छा गुजरता है।
नाश्ते से पहले ऐसा न करें
रामचरित मानस के सुंदरकांड में तुलसीदास जी हनुमान जी के एक कथन को लिखते हुए कहते हैं कि, प्रात लेइ जो नाम हमारा। तेहि दिन ताहि न मिलै अहारा।। यानी हनुमान जी कहते हैं कि वह एक वानर जाति से आते हैं। यह श्रेष्ठ योनी नहीं है इसलिए जो कोई सुबह उठकर उनके वानर स्वरूप का नाम लेता है उसे समय से भोजन नही मिलता है। इसलिए कहा जाता है कि नाश्ता पानी करने से पहले इस नाम को नहीं बोलना चाहिए।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
17 Jan, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- धन का व्यय सम्भव है तथा तनाव पूर्ण वातावरण से बचियेगा, ध्यान रखें।
वृष राशि :- अधिकारियों के समर्थन से सफलता, कार्यकुशलता से संतोष अवश्य होगा।
मिथुन राशि :- चिन्ताऐं कम हों, सफलता के साधन जुटायें तथा शुभ-समाचार अवश्य प्राप्त होगा।
कर्क राशि :- बड़े-बड़े लोगों से मेल-मिलाप होवे तथा सुख-समृद्धि के साधन अवश्य जुटायें।
सिंह राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष उल्लास होवे तथा भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति अवश्य ही होगा।
कन्या राशि :- प्रतिष्ठा बाल-बाल बचे, संघर्ष से अधिकारियों की भावनाओं को ठेस पहुंचे।
तुला राशि :- कुटुम्ब और धन की चिन्ता बनी रहे, परिश्रम करने से सोचे हुए कार्य पूर्ण होंगे।
वृश्चिक राशि :- प्रत्येक कार्य में बाधा क्लेशयुक्त रखे तथा आर्थिक स्थिति समर्थ के योग्य होगी।
धनु राशि :- भावनाऐं विक्षुब्ध रखें, दैनिक कार्यगति मंद रहे, परिश्रम से सफलता मिलेगी।
मकर राशि :- तनाव-क्लेश व अशांति, धन का व्यय मानसिक खिन्नता अवश्य होगी।
कुंभ राशि :- कार्यकुशलता से संतोष, व्यवसायिक समृद्धि के साधन अवश्य बनेंगे।
मीन राशि :- कुटुम्ब के साथ समय बीते तथा हर्ष-उल्लास अवश्य ही होगा, ध्यान रखें। a
2 या 3 फरवरी! कब मनाई जाएगी बसंत पंचमी? ऐसे करें मां सरस्वती की पूजा
16 Jan, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
माघ महीने की शुरुआत हो चुकी है. माघ के महीने में कई बड़े पर्व और त्यौहार भी मनाए जाते हैं. उन्ही में से एक बसंत पंचमी का त्यौहार भी है. बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की पूजा आराधना की जाती है. माता सरस्वती को विद्या की देवी के रूप में पूजा जाता है. माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन ही ज्ञान की देवी माता सरस्वती का प्रकट हुई थीं. हर साल बसंत पंचमी माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है. इस साल बसंत पंचमी की तिथि को लेकर थोड़ी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. किस दिन बसंत पंचमी का त्यौहार मनाया जाएगा जानते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य से?
क्या कहते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य?
कि हर साल माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी सरस्वती पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है. इस साल 3 फरवरी 2025 को ज्ञान की देवी माता सरस्वती की स्थापना कर पूजा आराधना की जाएगी. बसंत पंचमी के दिन घर-घर में सरस्वती माता की प्रतिमा स्थापना की जाती है और विशेष विधि विधान के साथ माता सरस्वती की पूजा आराधना की जाती है.
कब है बसंत पंचमी?
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि ऋषिकेश पंचांग के अनुसार माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की शुरुआत 02 फरवरी रविवार सुबह 11 बजकर 53 मिनट के बाद से हो रही है और समापन अगले दिन यानी 03 फरवरी सोमवार सुबह 09 बजकर 36 मिनट में होने वाला है. उदयातिथि के अनुसार 03 फरवरी को बसंत पंचमी का त्यौहार यानी सरस्वती पूजा मनाया जाएगा.
पूजा के क्या है शुभ मुहूर्त?
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि बसंत पंचमी के दिन घर-घर माता सरस्वती की मूर्ति स्थापन कर पूजा आराधना करते हैं. अगर शुभ मुहूर्त में पूजा करते हैं तो शुभ फल की प्राप्ति होती है. वहीं बसंत पंचमी के दिन उदया तिथि से लेकर दोपहर 12 बजे तक पूजा का शुभ मुहूर्त रहने वाला है.