धर्म एवं ज्योतिष
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
23 Jan, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- प्रत्येक कार्य में बाधा व विलम्ब कष्टप्रद हो तथा थकावट-बेचैनी अवश्य ही बढ़ेगी।
वृष राशि :- कुटुम्ब की समस्याओं में समय बीतेगा, धन का व्यय, समय तथा चिन्ता का नाश होगा।
मिथुन राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास, सफलता से कार्य सम्भव व अनुकूलता होगी।
कर्क राशि :- आर्थिक योजना पूर्ण होगी, भाग्य का सितारा प्रबल हो, आपके रुके कार्य बन जायेंगे।
सिंह राशि :- साधन सम्पन्नता के योग बनेंगे, दैनिक व्यवसाय गति उत्तम अवश्य ही बनेगी।
कन्या राशि :- मान-प्रतिष्ठा, प्रभुत्व में वृद्धि, नवीन योजना फलप्रद अवश्य ही बनी रहेगी।
तुला राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक हो, कार्यगति में सुधार होगा, विरोधी पराजित होंगे।
वृश्चिक राशि :- लेनदेन के मामले में हानि होगी, विरोधी तत्व से परेशानी अवश्य ही बनेगी।
धनु राशि :- दैनिक सफलता के साधन प्राप्त होंगे, स्वभाव में क्रोध व अशांति से हानि होगी।
मकर राशि :- दैनिक सम्पन्नता के साधन जुटाएं, आलस्य प्रमाद से हानि अवश्य ही बनेगी।
कुंभ राशि :- बिगड़े हुए कार्य बनेंगे, योजनाएं फलीभूत होंगी तथा रुके कार्य अवश्य ही बन जायेंगे।
मीन राशि :-स्त्री वर्ग से हर्ष, चिन्ताएं कम हों, विशेष कार्य स्थगित अवश्य ही रखें।
कब है माघ मासिक शिवरात्रि? बन रहे 3 शुभ संयोग, जानें तारीख, मुहूर्त, शिववास समय
22 Jan, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मासिक शिवरात्रि का व्रत हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को रखा जाता है. इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान भोलेनाथ की पूजा करते हैं. महादेव की पूजा करने से कष्ट मिटते हैं, रोग और दोष से मुक्ति मिलती है. शिव कृपा से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस बार की माघ मासिक शिवरात्रि पर 3 शुभ संयोग बन रहे हैं. हालांकि व्रत के दिन पाताल की भद्रा भी है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं कि माघ की मासिक शिवरात्रि कब है? मासिक शिवरात्रि पर कौन से 3 शुभ संयोग बन रहे हैं? शिव पूजा मुहूर्त क्या है?
माघ मासिक शिवरात्रि 2025 तारीख
पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 27 जनवरी को रात 8 बजकर 34 मिनट से शुरू होगी. इस तिथि का समापन 28 जनवरी को शाम 7 बजकर 35 मिनट पर होगा. ऐसे में निशिता पूजा मुहूर्त के आधार पर माघ की मासिक शिवरात्रि 27 जनवरी दिन सोमवार को है.
3 शुभ संयोग में मासिक शिवरात्रि 2025
माघ की मासिक शिवरात्रि या नए साल की पहली मासिक शिवरात्रि के दिन 3 शुभ संयोग बन रहे हैं. उस दिन मासिक शिवरात्रि के साथ सोम प्रदोष व्रत भी है. इतना ही नहीं, दिन सोमवार है, जो भगवान शिव की पूजा के लिए समर्पित है. ऐसे में देखा जाए तो 27 जनवरी का दिन इन 3 वजहों से शिव पूजा के लिए विशेष है. इस दिन आप उपवास रखकर तीन व्रतों के पुण्य फल को प्राप्त कर सकते हैं.
मासिक शिवरात्रि 2025 मुहूर्त
27 जनवरी को मासिक शिवरात्रि की पूजा का शुभ मुहूर्त देर रात 12 बजकर 7 मिनट से देर रात 1 बजे तक है. यह मासिक शिवरात्रि पूजा का निशिता मुहूर्त है. इस समय में मंत्रों की सिद्धि करते हैं. हालांकि आप दिन में कभी भी मासिक शिवरात्रि की पूजा कर सकते है. निशिता मुहूर्त में शिव पूजा के लिए भक्तों को 53 मिनट का शुभ समय प्राप्त होगा.
मासिक शिवरात्रि के दिन ब्रह्म मुहूर्त प्रात:काल में 5 बजकर 26 मिनट से सुबह 6 बजकर 19 मिनट तक है. उस दिन का शुभ समय यानि अभिजीत मुहूर्त दोपहर में 12 बजकर 13 मिनट से दोपहर 12 बजकर 55 मिनट तक है. उस दिन हर्षण योग प्रात:काल से लेकर देर रात 1 बजकर 57 मिनट तक है. उसके बाद से वज्र योग है. शिवरात्रि को मूल नक्षत्र सुबह 9 बजकर 2 मिनट तक है, फिर पूर्वाषाढा नक्षत्र है.
मासिक शिवरात्रि 2025 शिववास
मासिक शिवरात्रि के दिन शिववास पूरे दिन रहता है. पंचांग के अनुसार, शिववास भोजन में रात 8 बजकर 34 मिनट तक है. उसके बाद शिववास श्मशान में है.
मासिक शिवरात्रि की रात में लगेगी भद्रा
माघ की मासिक शिवरात्रि की रात में भद्रा लगेगी. भद्रा का प्रारंभ रात में 8 बजकर 34 मिनट से होगा, जो अगले दिन सुबह 7 बजकर 11 मिनट तक है. इस भद्रा का वास पाताल लोक है.
मासिक शिवरात्रि का महत्व
मासिक शिवरात्रि का व्रत और पूजन करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं. इस दिन शिव जी को बेलपत्र, गंगाजल, गाय का दूध, भांग, मदार पुष्प, धतुरा, चंदन, शहद, फूल, माला आदि अर्पित करें. मासिक शिवरात्रि की व्रत कथा पढ़ें. शिव कृपा से आपके कष्ट मिटेंगे और शुभ फल की प्राप्ति होगी.
भांग और सिंदूर लगाकर बालाजी स्वरूप मे सजे उज्जैन महाकाल, करें आज का दिव्य दर्शन
22 Jan, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
विश्व विख्यात उज्जैन के बाबा महाकाल का मंगलवार को अद्भुत श्रृंगार किया गया. हजारों भक्तों ने बाबा के इस दिव्य रूप के दर्शन किए. बाबा की छटा ने सभी का मन मोह लिया.
ujjain धार्मिक नगरी उज्जैन मे विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल राजा स्वरूप मे पूजे जाते है. शिव की नगरी में प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं का आगमन होता है. बाबा महाकाल के दरबार में होने वाली भस्म आरती देश ही नहीं विदेशों में भी प्रसिद्ध है. मंगलवार के दिन भी बाबा का मनमोहक किया गया
बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक विश्व प्रसिद्ध महाकाल तीसरे नंबर पर विराजमान है. आज तड़के 4 बजे मंदिर के कपाट खोलने के पश्चात भगवान महाकाल को जल से स्नान कराया गया.
इसके बाद बाबा महाकाल का भव्य शृंगार करने से पहले पण्डे पुजारियों ने दूध, दही, घी, शहद फलों के रस से बने पंचामृत से बाबा महाकाल का अभिषेक पूजन किया. इस अलौकिक शृंगार को जिसने भी देखा वह देखता ही रह गया.
रोजाना बाबा का अलग अलग रूप में श्रंगार किया जाता है. उज्जैन के राजा भगवान महाकाल को कपूर आरती कर भोग लगाया गया. मंत्रोच्चार के साथ भगवान को आभूषण से भगवान महाकाल का दिव्य श्रृंगार किया गया. भस्म अर्पित करने के पश्चात शेषनाग का रजत मुकुट रजत की मुंडमाला और रुद्राक्ष की माला के साथ साथ सुगंधित पुष्प से बनी फूलों की माला अर्पित की गई.
उज्जैन के राजा फल और मिष्ठान का भोग लगा कर आरती की गई. भगवान ने निराकार से साकार रूप में दर्शन दिए. रोजाना की तरह हजारों भक्तों ने भस्म आरती में भगवान के दर्शन किए. बाबा का मनमोहक रूप देख भक्त निहाल हो गए.
षटतिला एकादशी कब है? इस दिन करें यह उपाय, सभी पापों से मिलेगी मुक्ति, हर कष्ट हो जाएंगे छूमंतर!
22 Jan, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
षटतिला एकादशी हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र मानी जाती है. यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इस दिन व्रत करने से व्यक्ति को जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है. हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल षटतिला एकादशी 25 जनवरी, शनिवार को मनाई जाएगी. इस दिन भक्तजन भगवान नारायण की पूजा-अर्चना करके उनकी कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं. मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन पूरे विधि-विधान से उपवास करता है और भगवान विष्णु की पूजा करता है और साथ ही मां तुलसी के खास मंत्रों का जाप करता है, उसे विशेष पुण्य प्राप्त होता है.
लोकल 18 के साथ बातचीत के दौरान उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित श्री सच्चा अखिलेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी शुभम तिवारी ने कहा कि षटतिला एकादशी हिंदू धर्म में बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जाती है. यह दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का उत्तम अवसर होता है. इस दिन व्रत रखने, तुलसी माता की पूजा करने और विशेष मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति के जीवन में धन, यश, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है. जो भक्त इस व्रत को सच्चे मन से करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है और उसके सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं.
षटतिला एकादशी का महत्व
षटतिला एकादशी के दिन उपवास रखने और दान-पुण्य करने से सभी प्रकार के पापों का नाश होता है और व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति बनी रहती है. इस दिन तिल का बहुत अधिक महत्व होता है. ‘षटतिला’ का अर्थ ही है ‘छह प्रकार के तिल’. इस व्रत में तिल से बनी छह चीजों का उपयोग किया जाता है – तिल का स्नान, तिल का उबटन, तिल का हवन, तिल का तर्पण, तिल का दान और तिल से बने भोजन का सेवन. ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में धन, यश और सौभाग्य की वृद्धि होती है.
मां तुलसी की पूजा का महत्व
षटतिला एकादशी के दिन मां तुलसी की पूजा करने का विशेष महत्व बताया गया है. हिंदू धर्म में तुलसी को देवी लक्ष्मी का ही स्वरूप माना जाता है और इसे भगवान विष्णु की प्रिय मानी जाती है. तुलसी के पौधे के बिना किसी भी पूजा को पूर्ण नहीं माना जाता. इस दिन प्रातः स्नान के बाद तुलसी के पौधे पर जल चढ़ाना चाहिए और देसी घी का दीपक जलाकर उनका पूजन करना चाहिए. तुलसी माता के 108 नामों का जाप करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और जीवन में सभी परेशानियों का अंत होता है
मां तुलसी के विशेष मंत्र
षटतिला एकादशी के दिन तुलसी माता के निम्न मंत्रों का जाप करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. माना जाता है कि इन मंत्रों का जाप करने से जीवन में आ रही हर समस्या दूर होती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है.
1. महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।
(अर्थ: हे माता तुलसी, आप महाप्रसाद देने वाली और सभी प्रकार के सौभाग्य को बढ़ाने वाली हैं। आप सभी रोग और दुखों को हरने वाली हैं। आपको मेरा बारंबार नमन।)
2. नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।
(अर्थ: हे तुलसी माता, आप भगवान विष्णु की प्रिय हैं और सभी पापों का नाश करने वाली हैं। आपको बार-बार नमन।)
3. ॐ सुभद्राय नमः।
(अर्थ: शुभद्रा माता को नमन।)
4. मातस्तुलसि गोविन्द हृदयानन्द कारिणी, नारायणस्य पूजार्थं चिनोमि त्वां नमोस्तुते।
(अर्थ: हे माता तुलसी, आप भगवान गोविंद को हृदय से आनंद देने वाली हैं। मैं भगवान नारायण की पूजा के लिए आपको चुनता हूं। आपको नमन।)
5. ॐ सुप्रभाय नमः।
(अर्थ: सुप्रभा माता को नमन।)
144 साल बाद महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर दुर्लभ संयोग, पितरों को करें प्रसन्न, इस उपाय से दूर होगा पितृदोष!
22 Jan, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
29 जनवरी 2025 को मौनी अमावस्या है. यूं तो साल में 12 अमावस्या होती हैं, लेकिन माघ मास की इस अमावस्या का महत्व बेहद खास है. यह अमावस्या बेहद शुभ मानी गई है. खासकर पितृ दोष निवारण के लिए तो मौनी अमावस्या को उत्तम दिन माना गया है. वहीं, माघ महीने की अमावस्या इस बार बेहद खास है. महाकुंभ के 144 साल वाले संयोग से मौनी अमावस्या का महत्व बढ़ गया है. मौनी अमावस्या पर अगर विशेष उपाय करते हैं तो पितृ प्रसन्न होंगे और पितृ दोष से भी मुक्ति मिल जाएगी.
देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 को बताया कि इस साल माघ महीने की अमावस्या तिथि 29 जनवरी को है. अमृत मंथन के दौरान जो बूंदें चार जगहों पर गिरी थीं, वहां कुंभ लगता है. वहीं, प्रयागराज में महाकुंभ 2025 पर्व चल रहा है. महाकुंभ और मौनी अमावस्या का योग बेहद शुभ है. ऐसे मे इस दिन को पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए सबसे उत्तम दिन माना जा रहा है. ऐसे में गंगा आदि पवित्र नदियों के किनारे दोष निवारण जरूर कराएं.
अमावस्या के दिन क्या करें उपाय
कि माघ महीने की अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण अवश्य करें. पितरों का तर्पण करने का भी विधान होता है. माघ अमावस्या के दिन काला तिल, सफेद पुष्प और कुश लेकर अपने पिता, पितामह, परपितामह अतिवृद्ध पितामह साथ ही मातामह परमातामह और अतिवृद्धमातामह, गोत्र, अपना नाम लेकर तीन-तीन अंजलि से ‘तस्मे सुधा, तस्मे सुधा, तस्मे सुधा; ऐसा करके किसी नदी, तालाब किनारे तर्पण करते हैं तो पितृ बेहद प्रसन्न होते हैं. पितृदोष से मुक्ति मिल सकती है. घर में सुख-समृद्धि की वृद्धि हो सकती है. आप तर्पण विधि किसी जानकार द्वारा भी करा सकते हैं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
22 Jan, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- विशेष कार्य स्थिगित रखें, लेनदेन के मामले में हानि, चिन्ता व असमंजस की स्थिति होगी।
वृष राशि :- विवाद-ग्रस्त होने से बचिये, उत्तम भावना, क्लेश व हानि, अशांति संभव होगी।
मिथुन राशि :- व्यग्रता की स्थिति असमंज में रखे, विषय-व्यवस्थाओं की स्थिति से बचने की चेष्टा अवश्य करें।
कर्क राशि :- स्त्री वर्ग से भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति तथा सुख-समृद्धि के साधन अवश्य बनेंगे।
सिंह राशि :- समय और धन नष्ट न हो, क्लेश व अशांति, विघटनकारी तत्वों से बचिये।
कन्या राशि :- नवीन योजना फलप्रद होगी, भावनाएं संवेदनशील बनी ही रहेंगी, ध्यान दें।
तुला राशि :- व्यर्थ धन के व्यय से बचें, कार्य-कुशल से संतोष होगा, मनोबल बनाए रखें।
वृश्चिक राशि :- भाग्य का सितारा साथ देगा, समय अनुकूल नहीं कार्य स्थगित अवश्य रखेंगे।
धनु राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद रहेगा, व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि होगी।
मकर राशि :- मान-प्रतिष्ठा बाल-बाल बचे तथा कार्य-कुशलता से संतोष अवश्य ही होगा।
कुंभ राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक हों तथा भाग्य का सितारा प्रबल अवश्य ही रहेगा।
मीन राशि :- मनोबल उत्साह वर्धक होगा, कार्य-कुशलता से संतोष बना ही रहेगा।
महाकुंभ मेले में जाना हमारे लिए सपने से कम नहीं... रांची वासियों में गजब का एक्साइटमेंट
21 Jan, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत में महाकुंभ मेला का विशेष स्थान है. रांची के लोग इस अद्भुत अवसर को लेकर बेहद उत्साहित हैं. साल 2025 का महाकुंभ मेला न केवल खगोलीय महत्व का होगा, बल्कि यह ऐतिहासिक पल हर किसी के लिए एक यादगार अनुभव बन जाएगा. संगम स्नान और कल्पवास के लिए रांची के लोग भारी संख्या में तैयारियां कर रहे हैं.
सौभाग्यशाली मान रहे हैं खुद को
रांची की प्रीति सिंह बताती हैं कि हमने कभी नहीं सोचा था कि हमें ऐसा ऐतिहासिक पल देखने का अवसर मिलेगा. 2025 का महाकुंभ मेला खगोलीय घटना के लिहाज से भी खास है, और हम इसे मिस नहीं कर सकते. संगम स्नान के लिए परिवार के साथ जाना निश्चित किया है. भगवान का यह तोहफा हमारे लिए किसी बड़े सरप्राइज से कम नहीं.
किशोरगंज के संदीप ने अपनी खुशी साझा करते हुए कहा कि महाकुंभ मेला में जाना हमारे लिए सपना जैसा है. रांची में हर तरफ महाकुंभ की बातें हो रही हैं. ऐसा लगता है जैसे पूरा शहर ही इस आयोजन के लिए तैयार हो गया है. हमारे टिकट भी कट चुके हैं, और अब तो बस जाने का इंतजार है. यह पल हमारे जीवन का सबसे बड़ा अनुभव बनने वाला है.
संगम स्नान का दिव्य अनुभव
डोरंडा की संगीता शर्मा ने बताया कि महाकुंभ में शामिल होने के लिए हमारे पूरे परिवार ने योजना बनाई है. हम लगभग 18-20 लोग एकसाथ संगम स्नान के लिए जा रहे हैं. यह हमारी पीढ़ियों के बीच का मिलन है और इसका आनंद शब्दों में बयां करना मुश्किल है. महाकुंभ में जाना एक आध्यात्मिक और ऐतिहासिक अनुभव है, जिसे हर व्यक्ति महसूस करना चाहता है.
नीलिमा शर्मा, जो धुर्वा इलाके की रहने वाली हैं, ने कहा कि मैं पहले ही संगम स्नान कर चुकी हूं, और वह अनुभव शब्दों से परे था. मन में अभी भी एक बार फिर वहां जाने की इच्छा है. महाकुंभ का दिव्य अनुभव एक आध्यात्मिक यात्रा जैसा है, जिसे हर कोई महसूस करना चाहता है.
रांची में भक्तिमय माहौल
महाकुंभ मेले के लिए रांची का हर कोना भक्तिमय हो चुका है. जगह-जगह होर्डिंग्स और पोस्टर इस आयोजन की भव्यता का एहसास करा रहे हैं. स्थानीय बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, और बाजारों में महाकुंभ मेला के पोस्टर लोगों के उत्साह को और बढ़ा रहे हैं.
धार्मिक यात्रा की योजना बना रहे लोगों में से कई कल्पवास (संगम किनारे एक सप्ताह तक रहना) की तैयारी कर रहे हैं. रांची के लोगों का कहना है कि इस आयोजन में शामिल होना उनके लिए जीवन का सबसे बड़ा सौभाग्य है. 2025 का महाकुंभ मेला एक विशेष खगोलीय घटना से जुड़ा हुआ है, जो इसे और भी खास बनाता है. इस आयोजन को लेकर सिर्फ रांची ही नहीं, बल्कि पूरे देश के श्रद्धालुओं में भारी उत्साह है.
परसोन मंदिर: त्रेता युग से जुड़ा है मंदिर का इतिहास, बजरंगबलि के पद चिन्ह आज भी हैं मौजूद
21 Jan, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
फरीदाबाद का परसोन मंदिर, जो त्रेता युग से संबंधित माना जाता है, धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है. अरावली की पहाड़ियों के बीच स्थित यह मंदिर न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है, बल्कि प्राकृतिक सुंदरता का भी अद्वितीय अनुभव कराता है. मान्यता है कि महर्षि पाराशर ने इसी स्थान पर तपस्या की थी, और उन्हीं के नाम पर इस मंदिर का नाम परसोन पड़ा.
हनुमान जी के चरण चिन्ह
मंदिर के महंत अमरदास जी ने बताया कि परसोन मंदिर का इतिहास त्रेता युग से जुड़ा है. महंत जी के अनुसार, जब भगवान हनुमान संजीवनी बूटी लेकर जा रहे थे, तो वे यहां महर्षि पाराशर से मिलने आए थे. हनुमान जी के चरण चिन्ह उस पवित्र शीला पर आज भी मौजूद हैं, जहां उन्होंने अपने चरण रखे थे. यह स्थान श्रद्धालुओं के लिए महाशक्ति स्थल बन चुका है, और लोग यहां आकर दिव्य ऊर्जा का अनुभव करते हैं.
श्रद्धालुओं का अनुभव
स्थानीय निवासी ललिता, जो फरीदाबाद से यहां आईं, ने बताया कि मैं इस मंदिर में दूसरी बार आई हूं, और हर बार यहां आकर मुझे असीम शांति और सुख का अनुभव होता है. यह स्थान मन को गहराई से सुकून प्रदान करता है. चंद्र भारद्वाज, जो अपने बचपन में बड़खल झील से पैदल चलकर यहां आते थे, ने कहा कि वर्षों पहले यह स्थान एक साधारण क्षेत्र था. लेकिन समय के साथ इस मंदिर का विस्तार हुआ, और अब यह एक भव्य धार्मिक स्थल बन चुका है. 30 साल बाद यहां आने पर उन्होंने देखा कि यह स्थान देशभर में प्रसिद्ध हो गया है, और दूर-दूर से श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं.
संतोष भाला, जो दर्शन के लिए आए थे, ने अपनी भावनाएं साझा कीं. उन्होंने कहा कि यहां आने से मुझे अद्भुत शांति और आध्यात्मिक सुख का अनुभव हुआ. यह स्थान मन को सुकून और आत्मा को दिव्यता प्रदान करता है.
धार्मिक और प्राकृतिक आकर्षण का संगम
परसोन मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह स्थान प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिकता का अद्वितीय संगम भी है. यहां का शांत वातावरण और ऐतिहासिक महत्व श्रद्धालुओं को बार-बार आने के लिए प्रेरित करता है. मंदिर के चारों ओर हरियाली और पहाड़ियों की पृष्ठभूमि इसे और भी आकर्षक बनाती है.
श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या
मंदिर के निरंतर विकास ने इसे श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख पर्यटन स्थल में बदल दिया है. अब यहां कई भव्य मंदिर और सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो श्रद्धालुओं के अनुभव को और भी दिव्य बनाते हैं.
परसोन मंदिर
परसोन मंदिर आज भी त्रेता युग की गाथाओं को जीवंत बनाए हुए है. यह स्थान हर श्रद्धालु के लिए आध्यात्मिक और मानसिक शांति का केंद्र है. यहां की अद्वितीयता और आध्यात्मिक ऊर्जा इसे न केवल स्थानीय बल्कि देशभर के भक्तों के लिए एक पवित्र स्थल बनाती है.
चित्रकूट की इस जगह पर महर्षि मार्कंडेय करते थे तपस्या, आज भी भभूत है गर्म, मानसिक रोगों से मिलती है मुक्ति
21 Jan, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
यूपी का चित्रकूट जिला धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है. यहां स्थित मार्कंडेय आश्रम भक्तों के लिए एक प्रमुख आस्था का स्थल बन चुका है. यह आश्रम जिला मुख्यालय से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. सदियों से यह स्थल श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित करता आ रहा है. इसके अस्तित्व की जड़ें महर्षि मार्कंडेय की तपोस्थली से जुड़ी हुई हैं. कहते हैं कि महर्षि मार्कंडेय ने यहा कठोर तपस्या की थी. उनकी भव्य उपस्थिति आज भी इस स्थल पर महसूस की जाती है.
श्री राम से भी है नाता
बता दें कि जब भगवान राम माता सीता और अनुज लक्ष्मण के साथ वनवास के दौरान चित्रकूट आए थे, वे यहां महर्षि मार्कंडेय आश्रम में कई दिनों तक रुके हुए थे. इस दौरान भगवान राम ने इस आश्रम में भगवान शिव की पूजा अर्चना की थी. ऐसे में यहां पर महर्षि मार्कंडेय की तपस्या का विशेष महत्व है, जिससे यह स्थान धीरे-धीरे एक धार्मिक केंद्र के रूप में विकसित हो गया. इसके बाद धीरे-धीरे यह स्थल भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया.
मार्कंडेय आश्रम में पूजा अर्चना करने वाले मारकुंडी निवासी सचिन वंदन ने लोकल 18 को जानकारी में बताया कि महर्षि मार्कंडेय का जीवन अल्पायु था. उन्होंने बताया कि पुराणों में यह उल्लेखित है कि मार्कंडेय ऋषि को मात्र 11 वर्षों का ही जीवन प्राप्त हुआ थ.
उन्हें जब यह जानकारी अपने माता-पिता से मिली, तो उन्होंने मृत्यु के समय की अवधि के बारे में जानने के बाद जीवन की लंबाई बढ़ाने के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जाप शुरू किया। इस जाप के परिणामस्वरूप वह चिरंजीवी हो गए और उनकी आयु बढ़ गई. इसके बाद, मार्कंडेय ऋषि ने 10 सहस्त्र वर्षों तक इसी आश्रम के जल में समाधि ली. जहां आज भी उनकी तपस्या की गाथाएं गाई जाती हैं.
भभूति रहती है गर्म
इस आश्रम में महर्षि मार्कंडेय का दिव्य प्रभाव महसूस किया जाता है. भक्तों का मानना है कि जो लोग इस आश्रम में तपस्या करते हैं. उन्हें किसी न किसी रूप में महर्षि के दर्शन होते हैं. आश्रम में स्थित गुफा में बने हवन कुंड की भभूति हमेशा गर्म रहती है, जो यह संकेत देती है कि महर्षि की तपस्या का प्रभाव आज भी जीवित है. भक्त इस भभूति को लेकर जाते हैं. इसका विश्वास है कि यह भूत-प्रेत जैसे दैहिक और मानसिक रोगों से मुक्ति दिलाती है.
कुंडली में कमजोर सूर्य-चंद्रमा देते हैं व्यक्ति को पीड़ा, जानें इसे मजबूत करने के अचूक उपाय
21 Jan, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारतीय ज्योतिष में सूर्य और चंद्रमा का विशेष महत्व है. सूर्य को आत्मा और चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है. कुंडली में इनकी स्थिति का व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है. अगर कुंडली में सूर्य या चंद्रमा कमजोर हों या अशुभ ग्रहों से पीड़ित हों, तो व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. ज्योतिषाचार्य रवि पाराशर चंद्रमा को मजबूत करने के कुछ अचूक उपाय यहां बता रहे हैं.
सूर्य को मजबूत करने के उपाय:
सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है. यह तेज, ऊर्जा, आत्मविश्वास और पितृ का प्रतिनिधित्व करता है. अगर कुंडली में सूर्य कमजोर हों तो व्यक्ति को आत्मविश्वास की कमी, पितृ दोष, हृदय रोग और सरकारी कार्यों में बाधा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. सूर्य को मजबूत करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं.
नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करें: सूर्य नमस्कार एक शक्तिशाली योगासन है जो शरीर को ऊर्जावान बनाता है और सूर्य की कृपा प्राप्त कराता है.
सूर्य को अर्घ्य दें: तांबे के पात्र में जल भरकर सूर्य को अर्घ्य देना अत्यंत शुभ माना जाता है. अर्घ्य देते समय सूर्य मंत्र का जाप करें.
रविवार का व्रत रखें: रविवार का व्रत सूर्य देव को समर्पित है. इस दिन नमक का सेवन न करें और सात्विक भोजन करें.
लाल वस्त्र धारण करें: लाल रंग सूर्य का प्रतीक है. रविवार के दिन लाल वस्त्र धारण करना शुभ होता है.
पिता का सम्मान करें: पिता सूर्य का प्रतिनिधित्व करते हैं. उनका सम्मान करने से सूर्य की कृपा प्राप्त होती है.
माणिक्य धारण करें: माणिक्य रत्न सूर्य का प्रतिनिधित्व करता है. इसे धारण करने से सूर्य की शक्ति बढ़ती है, लेकिन इसे किसी ज्योतिषी की सलाह के बाद ही धारण करें.
चंद्रमा को मजबूत करने के उपाय:
चंद्रमा मन, भावनाओं, माता और यात्रा का प्रतिनिधित्व करता है. अगर कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो तो व्यक्ति को मानसिक तनाव, अनिद्रा, भावनात्मक अस्थिरता और माता से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. चंद्रमा को मजबूत करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं.
सोमवार का व्रत रखें: सोमवार का व्रत चंद्रमा को समर्पित है. इस दिन सफेद वस्त्र धारण करें और चंद्र मंत्र का जाप करें.
चांदी धारण करें: चांदी चंद्रमा का प्रतीक है. इसे धारण करने से मन शांत होता है और भावनाओं में स्थिरता आती है.
माता का सम्मान करें: माता चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करती हैं. उनका सम्मान करने से चंद्रमा की कृपा प्राप्त होती है.
मोती धारण करें: मोती रत्न चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है. इसे धारण करने से मानसिक शांति मिलती है, लेकिन इसे भी किसी ज्योतिषी की सलाह के बाद ही धारण करें.
शिव की आराधना करें: भगवान शिव चंद्रमा के स्वामी हैं. उनकी आराधना करने से चंद्रमा की कृपा प्राप्त होती है.
पानी का सेवन अधिक करें: चंद्रमा जल तत्व का प्रतीक है. पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से मन शांत रहता है.
इन उपायों के अलावा, नियमित रूप से दान-पुण्य करना, गरीबों की सेवा करना और मंत्र जाप करना भी सूर्य और चंद्रमा की स्थिति को सुधारने में सहायक होता है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
21 Jan, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- समाज में प्रतिष्ठा-प्रभुत्व वृद्धि के साधन प्राप्त होंंगे, कार्य व्यवस्था बनी रहेगी।
वृष राशि :- आर्थिक योजना सफल हो, सफलता एवं सतर्कता एवं तटस्थता से चलकर लाभ प्राप्त करें।
मिथुन राशि :- प्रत्येक कार्य में चिन्ता एवं परेशानी, व्यग्रता एवं असमंजस से कार्य रुके, ध्यान दें।
कर्क राशि :- दैनिक कार्यगति मंद रहे, असमर्थता का वातावरण मन संदिग्ध रखे, कार्य करें।
सिंह राशि :- तनाव, क्लेश व अशांति, व्यर्थ धन का व्यय तथा समय नष्ट होगा, ध्यान दें।
कन्या राशि :- स्त्री शरीरिक सुख-भोग-ऐश्वर्य, सामाजिक कार्य में मान-प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
तुला राशि :- विभ्रम-आरोप से अशांति तथा स्वास्थ्य नरम अवश्य रहेगा, स्वास्थ्य का ध्यान रखें।
वृश्चिक राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष, कार्यगति उत्तम, चिन्ता निवृत्ति अवश्य होवेगी।
धनु राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, कार्यगति अनुकूल होवे तथा कार्य-निष्ठा बनी रहे।
मकर राशि :- परिश्रम से कुछ सफलता के साधन जुटायें, मान-प्रतिष्ठा प्रभुत्व वृद्धि अवश्य ही होगी।
कुंभ राशि :- परिश्रम से सफलता के कुछ साधन बनाये, कार्य सफल अवश्य होंगे, ध्यान दें।
मीन राशि :- लेनदेन में हानि, दूसरों के कार्यों में समय नष्ट होगा, समय का ध्यान रखें।
कब है षटतिला एकादशी और कालाष्टमी
20 Jan, 2025 01:35 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
माघ के महीने में गंगा स्नान करने का विधान है। इससे व्यक्ति को शुभ फल मिलता है। साथ ही जीवन में आ रहे दुख और संकट दूर होते हैं। जनवरी के चौथे सप्ताह की शुरुआत हो चुकी है। इस सप्ताह में कई व्रत और पर्व पड़ रहे हैं। जैसे- मासिक कालाष्टमी और षटतिला एकादशी समेत आदि।
सनातन शास्त्रों में इन सभी पर्व का विशेष महत्व देखने को मिलता है। षटतिला एकादशी पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना विधिपूर्वक की जाती है। साथ ही खास चीजों का दान भी करना चाहिए। इससे अन्न और धन के भंडार कभी खाली नहीं होते हैं। ऐसे में चलिए इस आर्टिकल में जानते हैं कि 20 जनवरी से लेकर 26 जनवरी तक मनाए जाने वाले व्रत-त्योहारों की डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में।
मासिक कालाष्टमी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त
हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर कालाष्टमी और मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 21 जनवरी को दोपहर में 12 बजकर 39 मिनट से होगी। वहीं, तिथि का समापन अगले दिन यानी 22 जनवरी को दोपहर में 03 बजकर 18 मिनट पर होगा। ऐसे में 21 जनवरी को कालाष्टमी और मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा।
षटतिला एकादशी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त
हर महीने में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर व्रत किया जाता है। इस व्रत को करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। माघ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को षटतिला एकादशी के नाम से जाना जाता है।
इस तिथि की शुरुआत 24 जनवरी को शाम को 07 बजकर 25 मिनट पर हो रही है। वहीं, इस तिथि का समापन 25 जनवरी को रात 08 बजकर 31 मिनट पर होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि का अधिक महत्व है। ऐसे में 25 जनवरी को षटतिला एकादशी मनाई जाएगी।
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 05 बजकर 26 मिनट से 06 बजकर 19 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 21 मिनट से 03 बजकर 03 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 05 बजकर 52 मिनट से 06 बजकर 19 मिनट तक
रविवार को नाखून और बाल काटने से होते हैं ये भारी नुकसान, कहीं आप भी तो नहीं कर रहे ये गलती
20 Jan, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित होता है. सूर्य देव को ऊर्जा और जीवन का स्रोत माना जाता है. मान्यता है कि रविवार को नाखून और बाल काटने से व्यक्ति की सकारात्मक ऊर्जा कम हो जाती है कि किस दिन बाल और नाखून काटना शुभ होता है और किस दिन अशुभ.
अशुभ फल
ऐसा माना जाता है कि रविवार को नाखून और बाल काटने से व्यक्ति को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
स्वास्थ्य समस्याएं: कुछ लोग मानते हैं कि रविवार को बाल काटने से सिर दर्द, बुखार और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.
धन हानि: मान्यता है कि रविवार को नाखून काटने से व्यक्ति को आर्थिक नुकसान हो सकता है.
मनोवैज्ञानिक समस्याएं: कुछ लोग मानते हैं कि रविवार को बाल काटने से व्यक्ति का आत्मविश्वास कम हो जाता है और वह चिंतित रहने लगता है.
व्यवसाय में बाधाएं: मान्यता है कि रविवार को नाखून काटने से व्यक्ति के व्यवसाय में बाधाएं आ सकती हैं.
अन्य दिनों में नाखून और बाल काटना
बुधवार: बुधवार को बाल, नाखून और कांटे कटवाना बहुत शुभ माना जाता है. बुध ग्रह बुद्धि का कारक होता है और इस दिन ऐसा करने से बुद्धि में वृद्धि होती है. साथ ही, घर में धन की वृद्धि भी होती है.
शुक्रवार: शुक्रवार को भी बाल, नाखून और कांटे कटवाना शुभ होता है. शुक्र ग्रह सुंदरता और वैभव का कारक होता है. इस दिन ऐसा करने से व्यक्ति सुंदर और आकर्षक बनता है.
मंगलवार: मंगलवार को भी बाल, नाखून और कांटे कटवाने से बचना चाहिए. मंगल ग्रह क्रोध का कारक होता है और इस दिन ऐसा करने से क्रोध में वृद्धि हो सकती है.
गुरुवार: गुरुवार को बाल और नाखून काटने से बचना चाहिए. गुरु ग्रह ज्ञान का कारक होता है और इस दिन ऐसा करने से ज्ञान में कमी हो सकती है.
शनिवार: शनिवार को भी बाल, नाखून कटवाने से बचना चाहिए. शनि ग्रह कर्म का कारक होता है और इस दिन ऐसा करने से कर्मों का दुष्परिणाम भुगतना पड़ सकता है.
समय: बाल, नाखून कटवाने का सबसे अच्छा समय सुबह का माना जाता है.
दिशा: बाल, नाखून कटवाते समय उत्तर या पूर्व दिशा में मुंह करके बैठना चाहिए.
उपाय: बाल, नाखून कटवाने के बाद गंगाजल से हाथ धो लेना चाहिए.
रविवार को नाखून और बाल काटने की मान्यताएं विभिन्न संस्कृतियों और धर्मों में पाई जाती हैं. हालांकि, इन मान्यताओं का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है. यह पूरी तरह से व्यक्तिगत विश्वास पर निर्भर करता है कि वह इन मान्यताओं को कितना महत्व देता है.
इस दिशा में बना है घर का मंदिर... पितर हो जाएंगे नाराज, टूटेगा दुखों का पहाड़!
20 Jan, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारतीय परंपरा के अनुसार देवी-देवताओं की पूजा लगभग हर घर में की जाती है. हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवताओं की पूजा होती है लेकिन हर इंसान के इष्ट देवता अलग-अलग हैं. हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान सिर्फ मंदिरों में ही नहीं बल्कि कण-कण में भी वास करते हैं. रोजमर्रा के काम में व्यस्त होने की वजह से बहुत से लोग रोज भगवान के दर्शन के लिए मंदिर नहीं जा पाते हैं. इसीलिए घर के भीतर ही मंदिर, पूजा घर या किसी कोने में भगवान की मूर्ति स्थापित कर लेते हैं. इससे घर में पॉजिटिव एनर्जी बनी रहती है. लेकिन अगर मंदिर, मूर्ति या पूजा की चौकी को घर के किसी गलत कोने में रख दिया जाए तो पूजा का सही फल नहीं मिल पाता है. कई लोगों के मन में यह सवाल रहता है कि आखिर घर के किस कोने में मंदिर स्थापित करना शुभ है और भगवान का मुख किस दिशा में होना चाहिए.
घर में रसोई, मंदिर, कमरें आदि के निर्माण के लिए निश्चित दिशा बताई गई है. घर में अपने इष्ट देव की पूजा करने के लिए मंदिर को घर के ईशान कोण में बनवाना बहुत शुभ होता है. घर में मंदिर ईशान कोण, पूर्व उत्तर दिशा, पूर्व दिशा या पश्चिम दिशा में बनवाने पर सुख समृद्धि खुशहाली आती है. शास्त्रों के अनुसार ईशान कोण में देवताओं का वास माना गया हैं. वही शास्त्रों में ईशान कोण बुद्धि और विवेक का प्रतीक भी माना जाता है. मंदिर के ईशान कोण में होने से जीवन में सुख समृद्धि, धन, वैभव, मान सम्मान की प्राप्ति होती है और घर से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव पूर्ण रूप से खत्म हो जाता है.
दक्षिण दिशा में होता है पितरों का वास
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में मंदिर यदि दक्षिण दिशा में है या मंदिर का मुंह दक्षिण दिशा की तरफ है तो घर में नकारात्मकता नकारात्मक ऊर्जा का संचार होने के साथ ही गृह क्लेश की आशंका बढ़ जाती है. वास्तु शास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा में मंदिर बनाने की मनाही होती है. इससे देवी-देवता नाराज हो सकते है. और जीवन में कई परेशानियां खड़ी हो सकती हैं. वहीं,दक्षिण दिशा में बने मंदिर में पूजा-पाठ करने से कोई फल नहीं मिलता है. और न ही कोई मनोकामना पूर्ण होती है. वास्तु शास्त्र में दक्षिण दिशा को पितरों का स्थान बताया गया है. इस दिशा में मंदिर बनवाने से पितृदोष लगता है. पितरों की नाराजगी घर की सुख-समृद्धि, आर्थिक स्थिति, सम्मान, तरक्की को रोक देती है. और जीवन में कई तरह की समस्याएं खड़ी हो जाती हैं.
मौनी अमावस्या के दिन करें ये अचूक उपाय, पितृदोष से मिल जाएगी मुक्ति, खत्म हो जाएंगे सभी पाप!
20 Jan, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में आने वाले सभी त्योहारों का अपना महत्व है. हिंदू कैलेंडर में कुल 12 मास (महीने) आते हैं, जिसमें 12 अमावस्याओं का आगमन होता है. हिंदू धर्म में मौनी अमावस्या का सभी अमावस्या में विशेष महत्व होता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन पितर धरती लोक पर आते हैं और अपने वंशजों के आसपास ही रहते हैं. मौनी अमावस्या के दिन पितर प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. इस दिन अपने पितरों के लिए धार्मिक अनुष्ठान करने का विशेष महत्व होता है. धार्मिक ग्रंथो के अनुसार मौनी अमावस्या पर कुछ खास मंत्रों का जाप करने से सभी पापों का नाश हो जाता है और जीवन में सुख समृद्धि, खुशहाली का आगमन होता है. मौनी अमावस्या का आगमन माघ मास में होता है. साल 2025 में मौनी अमावस्या का आगमन 29 जनवरी को होगा.
मौनी कि सभी अमावस्या में मौनी अमावस्या का सबसे अधिक महत्व होता है. इस दिन साधक मौन रहकर व्रत आदि करते हैं. मौन रहकर व्रत करने से आत्म विकास, आत्म शांति, मानसिक विकास और मन को शांति मिलने की धार्मिक मान्यता है. मौनी अमावस्या के दिन पितरों के निमित्त धार्मिक अनुष्ठान, धार्मिक कर्मकांड, तर्पण, पिंडदान आदि करने से पितृ दोष से मुक्ति होती है और पितृ प्रसन्न होकर वंशजों को सुख समृद्धि, खुशहाली, धन संपत्ति आदि का आशीर्वाद प्रदान करते हैं. मौनी अमावस्या पर पितरों के निमित्त कर्मकांड, तर्पण आदि करने से पितृ दोष खत्म हो जाता है, तो वहीं पितर वंशजों से प्रसन्न होकर अपने लोक लौट जाते हैं.
कि मौनी अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके पवित्र ह्रदय से सूर्य देव, भगवान विष्णु और भगवान शिव के मंत्रो का जाप करने से सभी जन्मों के पाप खत्म हो जाते हैं और साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है. जो जातक पितृ दोष, ग्रह कलेश, आर्थिक तंगी, आर्थिक समस्याओं, दुख, परेशानी से पीड़ित होते हैं उनके लिए मौनी अमावस्या का दिन बेहद ही खास होता है. मौनी अमावस्या के दिन जितने तिलों का दान किया जाता है उतने ही उनके पाप नष्ट हो जाते हैं. वहीं घर में सुख समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है.