धर्म एवं ज्योतिष
गीता उपदेश: भगवान श्रीकृष्ण ने बताये 3 अवगुण, जिनके कारण मनुष्य कभी नहीं हो पाता सफल, हमेशा भोगता है दुख
29 Jan, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनामत धर्म में मौजूद सभी ग्रंथों में श्रीमद्भगवद्गीता को एक श्रेष्ठ ग्रंथ के रुप में देखा जाता है. क्योंकि इसमें श्रीकृष्ण द्वारा द्वापर में जो सैद्धांतिक उपदेश दिये थे. उन्हें आज के युग में भी उतने ही महत्व और प्रासंगित तौर पर माना जाता है. गीता के उपदेश लोगों को जीवन जीने की कला सिखाते हैं. शायद इसलिए ही श्रीमद्भगवद्गीता को ना सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी काफी महत्व दिया जाता है.
दुनियाभर में कई ऐसे लोग हैं जो कि श्रीमद्भगवद्गीता को पढ़ना पसंद करते हैं, माना जाता है कि जो भी व्यक्ति इस ग्रंथ को एक बार पढ़ लेता है और इसकी गहराईयों को समझ जाता है व जीवन के हर पहलु को एक सकारात्मक और सही मार्ग को चुनने की क्षमता रखता है. लेकिन आपको बता दें कि श्रीमद्भगवत गीता में श्रीकृष्ण ने मनुष्य के 3 अवगुणों के बारे में बताया है, जिनके होने से व्यक्ति कभी सफल नहीं हो पाता है.
किसी भी चीज, व्यक्ति से अधिक लगाव
गीता में श्रीकृष्ण ने गीता में इस बात का उल्लेख किया है कि जब कोई मानव किसी भी वस्तु, विचार या फिर व्यक्ति से जरुरत से ज्यादा जुड़ाव रखता है तो ऐसे में हमारी ऊर्जा और ध्यान उसी में लगा रहता है और इस स्थिति में हम अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं. जिसके परिणामस्वरुप हम जीवन में उद्देश्य को भूलकर दूसरे कार्यों में अपना समय व दिमाग उपयोग करते हैं, यही कारण हमारी सफलता में अड़चन बनता है और हम असफल रहते हैं. इसलिए श्रीकृष्ण कहते हैं कि, आसक्ति से मुक्त होने के लिए हमें उन चीजों से दूरी बनानी होगी, जिनसे हम अत्यधिक जुड़ गए हैं.
घमंड
श्रीमद्भगवद्गीता में श्री कृष्ण रहते हैं कि घमंड व्यक्ति को विनाश की तरफ ले जाता है और ये व्यक्ति की बुद्धि को भी दूषित कर देता है. घमंड के रहते व्यक्ति कभी किसी के साथ अच्छे व मधुर संबंध नहीं बना पाता और ना ही ऐसे लोग कभी अपनी गलतियों को स्वीकार करते हैं. जो कि इसके लिए बहुत घातक होता है. क्योंकि जब तक व्यक्ति में अपनी गलती नहीं स्वीकारेगा तब तक वह उसे सुधारने में भी असफल रहेगा. इतना ही नहीं मनुष्य में घमंड का होना उसे पतन व नाश की तरफ ले जाता है, जिससे की वह कभी सफल नहीं बन पाता, इसलिए कभी भी घमंड ना करें.
आलस
आलस एक ऐसा अवगुण है जो व्यक्ति को कभी आगे नहीं बढ़ने देता है. आलसी व्यक्ति हर दिन अपने काम को कल पर टालता है और यही आदत उसके असफल होने का कारण बन जाती है. भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने बताया है कि आलस्य व्यक्ति को कभी सफल नहीं होने देता क्योंकि आलसी व्यक्ति सिर्फ आराम करना चाहता है और वह हर काम को करने से कतराता है. लेकिन सफलता तो परिश्रम करने वाले को मिलती है, क्योंकि वह समय पर काम कर पाता है. गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि आलसी व्यक्ति को कभी सुख नहीं मिल पाता है. अतः आलस्य को त्याग कर आगे बढ़ना चाहिए.
टीका माथे पर क्यों लगाया जाता है? क्या इसका कोई वैज्ञानिक आधार है
29 Jan, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदुओं के ज्यादातर धार्मिक संस्कारों में माथे पर तिलक या टीका लगाने की परंपरा है. पूजा-पाठ, विवाह, जनेऊ, तिलकोत्सव या अन्य किसी भी आयोजन में माथे पर तिलक लगाया जाता है. तिलक लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. लेकिन आप नहीं जानते होंगे कि माथे पर तिलक लगाने का धार्मिक के अलावा सांस्कृतिक और वैज्ञानिक महत्व भी है. साथ ही तिलक लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और मन शांत रहता है.
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
माथे पर तिलक ईश्वर के प्रति श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है. इसे माथे पर लगाकर व्यक्ति यह दिखाता है कि वह ईश्वर को अपने जीवन में सर्वोच्च स्थान देता है. तिलक को शुभता का प्रतीक भी माना जाता है. किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले माथे पर तिलक लगाया जाता है. तिलक विभिन्न समुदायों और संप्रदायों की पहचान का प्रतीक भी होता है.
क्यों माथे पर लगाया जाता है तिलक
तिलक हमेशा मस्तिष्क के केंद्र पर लगाया जाता है. तिलक को मस्तिक के केंद्र पर लगाने पीछे वजह ये है कि हमारे शरीर में सात छोटे ऊर्जा केंद्र होते हैं. तिलक को मस्तिष्क के केंद्र में इसीलिए लगाया जाता है क्योंकि हमारे मस्तिष्क के बीच में आज्ञाचक्र होता है. जिसे गुरुचक्र भी कहते हैं. ये जगह मानव शरीर का केंद्र स्थान है. यह स्थान एकाग्रता और ज्ञान से परिपूर्ण है. गुरुचक्र को बृहस्पति ग्रह का केंद्र माना जाता है. बृहस्पति सभी देवों के गुरु हैं. इसीलिए इसे गुरुचक्र कहा जाता है.
क्या है इसका वैज्ञानिक महत्व
माथे के बीच में तिलक लगाने से एकाग्रता बढ़ती है. यह स्थान आज्ञा चक्र का केंद्र होता है, जो एकाग्रता और ध्यान के लिए महत्वपूर्ण है.तिलक लगाने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. तिलक लगाने से तनाव कम होता है और मन शांत रहता है.
आज्ञा चक्र: माथे के बीच में, जहां तिलक लगाया जाता है, वहां आज्ञा चक्र होता है. यह चक्र एकाग्रता और स्मरण शक्ति से जुड़ा होता है. तिलक लगाने से इस चक्र को उत्तेजना मिलती है, जिससे एकाग्रता और स्मरण शक्ति में सुधार होता है. यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि तिलक लगाने के वैज्ञानिक लाभों पर अभी भी शोध चल रहा है.
पीनियल ग्रंथि: आज्ञा चक्र पीनियल ग्रंथि से भी जुड़ा होता है. यह ग्रंथि मेलाटोनिन नामक हार्मोन का उत्पादन करती है, जो नींद और तनाव को नियंत्रित करने में मदद करता है. तिलक लगाने से पीनियल ग्रंथि को उत्तेजना मिलती है, जिससे मेलाटोनिन का उत्पादन बढ़ता है और नींद में सुधार होता है.
सकारात्मक ऊर्जा: कुछ लोगों का मानना है कि तिलक लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. यह सकारात्मक ऊर्जा तनाव को कम करने और मन को शांत करने में मदद कर सकती है.
तिलक लगाने के नियम
तिलक हमेशा स्नान करने के बाद लगाना चाहिए. तिलक लगाने से पहले अपने हाथों को अच्छी तरह से धो लें. तिलक हमेशा पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके लगाना चाहिए. तिलक लगाते समय मंत्रों का जाप करना चाहिए.
किस उंगुली से लगाना चाहिए तिलक
तिलक हमेशा अनामिका उंगली से लगाया जाता है. अनामिका उंगली सूर्य की प्रतीक होती है. अनामिका उंगली से तिलक लगवाने वाला व्यक्ति तेजस्वी होता है और उसे प्रतिष्ठा मिलती है. साथ ही मान-सम्मान के लिए अंगुष्ठ यानी अंगूठे से तिलक लगया जाता है. अंगुष्ठ से तिलक लगाने से ज्ञान और आभूषण की प्राप्ति होती है. विजय प्राप्ति के लिए तर्जनी उंगली से तिलक लगाया जाता है.
कितने प्रकार के तिलक
चंदन का तिलक
कुमकुम का तिलक
हल्दी का तिलक
केसर का तिलक
भस्म का तिलक
रंग के हिसाब से उनका प्रभाव
हम सभी ने देखा होगा कि टीके भी अलग-अलग रंग के होते हैं. चाहें उसका रंग कोई भी हो, सभी तिलक में ऊर्जा होती है. लेकिन सफेद रंग यानी चंदन के तिलक को शीतलता प्रदान करने वाला, लाल रंग के तिलक को ऊर्जा देने वाला और पीले रंग के तिलक को प्रसन्नचित रहने के लिए लगाया जाता है. वहीं शिव भक्त भभूति यानी काले रंग का तिलक भी लगाते हैं. जो व्यक्ति के मोहमाया से दूर रहने का सूचक है.
टीके में हैं औषधीय गुण
महाकुंभ जैसे आयोजनों में लोग अक्सर ठंडे पानी में स्नान करते हैं. माथे पर चंदन या भस्म का लेप लगाने से शरीर को ठंड से सुरक्षा मिलती है. माथे का क्षेत्र संवेदनशील होता है, और इस पर टीका लगाने से धूल, धूप और अन्य बाहरी तत्वों से सुरक्षा मिलती है. भस्म, चंदन या हल्दी से बने टीके में एंटीसेप्टिक और औषधीय गुण होते हैं, जो त्वचा की रक्षा करते हैं. वैसे तिलक लगाने का महत्व व्यक्ति की श्रद्धा और विश्वास पर निर्भर करता है.
बसंत पंचमी का इस देवता से जुड़ा है गहरा नाता... चढ़ाया जाता है तिलक
29 Jan, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बसंत पंचमी के दिन पूरे देश भर में भक्त ज्ञान, विद्या, कला की देवी माता सरस्वती की प्रतिमा या फोटो लगाकर पूजा आराधना करते हैं. वहीं देवघर के लिए बसंत पंचमी का दिन बेहद खास रहता है. खास इसलिए, क्योंकि यहां पर माता सरस्वती की तो पूजा आराधना की ही जाती है, इसके साथ ही भगवान भोलेनाथ का तिलक भी चढ़ता है. जी हां! शादी विवाह से पहले जो तिलक की परम्परा है वो निभाया जाता है. माना जाता है कि भगवान भोलेनाथ का विवाह महाशिवरात्रि के दिन हुआ था और देवघर के बैद्यनाथ मंदिर मे शादी से पहले तिलक की परम्परा बसंत पंचमी के दिन निभाई जाती है. कौन लोग तिलक लगाते है, इसके पीछे क्या है वजह है, जानते है देवघर बैद्यनाथ मंदिर के प्रसिद्ध तीर्थपुरोहित प्रमोद श्रृंगारी जी से…
क्या कहते है बैद्यनाथ मंदिर के तीर्थपुरोहित
देवघर स्थित बैद्यनाथ मंदिर के प्रसिद्ध तीर्थपुरोहित प्रमोद श्रृंगारी ने लोकल 18 के संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा कि सनातन धर्म में शादी से पहले दूल्हे का तिलक चढ़ता है. वही महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ दूल्हा बनते हैं और उसी दिन उनका शादी विवाह संपन्न होता है. लेकिन शादी से पहले भगवान भोलेनाथ का तिलक चढ़ता है ओर देवघर मे बाबा भोलेनाथ का तिलक बसंत पंचमी के चढने वाला है. इस साल बसंत पंचमी 03 फरवरी को है. उस दिन भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा आराधना की जाती है.
बाबा भोलेनाथ ओर मिथिला का संबंध
तीर्थपुरोहित बताते हैं कि बसंत पंचमी के दिन मिथिलावासी तिलकहरुवा की परम्परा निभाते हैं और यह परम्परा सदियों से चलती आ रही है. मिथिलांचल हिमालय की तराई मे बसा हुआ है और माँ पार्वती माँ हिमालय की पुत्री हैं. इस अनुसार जब माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह हुआ तो पूरे मिथिलावासी अपने आप को भगवान भोलेनाथ का साला मानते हैं और लाखो की संख्या मे तिलक चढ़ाने देवघर पहुंचते हैं.
कैसे चढ़ाते है तिलक
तीर्थपुरोहित प्रमोद श्रृंगारी बताते है कि बसंत पंचमी के दिन लाखों की संख्या में लोग पहुंचते हैं. मिथिला से देसी घी ओर मालपुवा बनाकर लाते हैं और बाबा भोलेनाथ को अर्पण करते हैं. इसके साथ ही श्रृंगार के वक़्त तीर्थपुरोहित उस दिन से भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग के ऊपर अबीर, नये धान की बाली, आम का मंजर इत्यादि अर्पण करते हैं. यह परम्परा करीब डेढ़ महीने तक हरीहरण मिलन तक निभाई जायेगी.
ये रत्न, बना देगा करोड़पति! जानिए इसके 10 चमत्कारी फायदे
29 Jan, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष में गोमेद रत्न को बहुत ही खूबसूरत रन माना गया है. कलयुग में यह सबसे कारगर रत्न है. गोमेद को राहु ग्रह से संबंधित माना गया है. राहु ग्रह के दुष्प्रभावों को शांत करने के लिए गोमेद रत्न को धारण करने की सलाह दी जाती है. गोमेद रत्न को पहनते समय काफी सावधानियां हमें रखनी चाहिए. जैसे कि गोमेद के साथ में माणिक, मोती,मूंगा और पुखराज जैसे रत्न नहीं पहनने चाहिए. गोमेद अपारदर्शी और चमकदार रन है यह गहरे भूरे रंग का अपने आप में लालामी लिए हुए होता है. गांव में रन कम से कम 6 रत्ती का धारण करना चाहिए. इसे शुक्ल पक्ष, शनि की होरा में शनिवार के दिन पहनना शुभ माना गया है.आइये विस्तार से जानते हैं गौमेद रत्न के बारे में.
गोमेद रत्न पहनने के 10 चमत्कारी फायदे :
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष है तो उसके लिए गोमेद स्टोन किसी वरदान या चमत्कार से कम नहीं है. इस स्टोन को धारण करने से कालसर्प दोष के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है.
जो लोग राजनीति, जनसंपर्क, संचार से जुड़े क्षेत्रों में व्यापार करते हैं, उन्हें गोमेद पहनने से अद्भुत लाभ मिलते हैं. इन लोगों को गोमेद रत्न पहनने से शक्ति, संपन्नता और सफलता मिलती है.
अगर कोई राहू की अंर्तदशा या महादशा से गुज़र रहा है तो उसे भी राहू का रत्न पहनने से लाभ मिलेगा. ये रत्न आपको राहू के दुष्प्रभावों से बचाने में मदद करता है.
शत्रुओं और विरोधियों को पराजित करने एवं निराशा से भरे विचारों को दूर करने के लिए भी इस रत्न को पहना जा सकता है.
जिन लोगों का मन भ्रम और आशंकाओं से घिरा रहता है, उन्हें राहू का रत्न पहनना चाहिए. ये स्टोन विचारों में पारदर्शिता लाता है. मन के डर को दूर कर गोमेद व्यक्ति का आत्मविश्वास बढ़ाता है और उसे प्रेरित करता है.
अगर आपका पेट खराब रहता है या आप पेट से जुड़े विकारों से परेशान रहते हैं या आपका मेटाबोलिज्म कमज़ोर है तो आप गोमेद पहन सकते हैं. यह रत्न व्यक्ति की शारीरिक शक्ति में वृद्धि करता है.
मस्तिष्क पर भी गोमेद स्टोन सकारात्मक प्रभाव डालता है. तनाव एवं डिप्रेशन को दूर करने के लिए आप इस स्टोन की मदद सकते हैं.
मिर्गी, आंखों में संक्रमण, एलर्जी, कैंसर, साइनस, वेरिकोज वेंस, ब्लडप्रेशर और जी मितली जैसी कई तरह की बीमारियों एवं स्वास्थ्य स्थितियों से बचने के लिए भी हैसोनाइट पहन सकते हैं.
गोमेद को धारण करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और मन में सकारात्मक विचार पैदा होते हैं गोमेद को धारण करने से एकाग्रता बढ़ती है और अनिद्रा की समस्या से मुक्ति मिलती है.
गोमेद रत्न को पहनने से जातक को सुख समृद्धि प्राप्त होती है और जातक के व्यापार में नोकरी में जबरदस्त लाभ होता है .
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
29 Jan, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- किसी आरोप से बचिये, मान-प्रतिष्ठा प्रभुत्व में वृद्धि में आंच आ सकती है, ध्यान दें।
वृष राशि :- कुछ बाधाऐं कष्टप्रद हों, स्त्री शरीर कष्ट, कारोबार में बाधा आयेगी, ध्यान दें।
मिथुन राशि :- स्त्री वर्ग से कष्ट, चिन्ता, व्यवसायिक कार्यों में आरोप से अवश्य ही बचेंगे।
कर्क राशि :- दैनिक व्यवसाय गति मंद रहे, असमर्थता का वातावरण बना ही रहेगा।
सिंह राशि :- व्यर्थ धन का व्यय, दूसरों के कार्यों में हस्ताक्षेप करने से हानि होवेगी।
कन्या राशि :- विशेष कार्य स्थिगित रखें फिर भी सब कार्य सफलता पूर्वक अवश्य चलेंगे।
तुला राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष, दैनिक व्यवसाय गति उत्तम बनी ही रहेगी।
वृश्चिक राशि :- अधिकारियों का मेल-मिलाप फलप्रद, कार्य-योजना की चिन्ता बनी रहे।
धनु राशि :- विशेष कार्य स्थिगित रखें, परिश्रम से सफलता, कार्य व्यवसाय उत्तम होगा।
मकर राशि :- मनोबल उत्साह वर्धक हो, कार्यगति में सुधार, कार्य-योजना अवश्य बनेगी।
कुंभ राशि :- कार्य-क्षमता में बाधा, अचानक असमर्थता का वातावरण बना ही रहेगा।
मीन राशि :- अर्थव्यवस्था से संतोष, सुख-धन समृद्धि के साधन अवश्य ही जुटाएंगे।
बसंत पंचमी पर पंजाब, बंगाल और गुजरात की मशहूर डिशेज़ को आसान तरीके से बनाएं
28 Jan, 2025 01:14 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस साल बसंत पंचमी 2 फरवरी को मनाई जा रही है. यह पर्व विशेष रूप से वसंत ऋतु के आगमन का स्वागत करता है, जो ठंड के बाद हल्की गर्मी और फूलों से सजने वाली प्रकृति का प्रतीक है. बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा विशेष रूप से की जाती है, जो ज्ञान, संगीत, कला और बुद्धिमत्ता की देवी मानी जाती हैं. बसंत पंचमी के दिन लोग पीले रंग के कपड़े पहनते हैं. साथ ही पीले रंग के पकवान इस दिन बनाए जाने का बहुत महत्व है. भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इस पर्व पर अलग-अलग तरह के पीले पकवान बनाए जाते हैं.
गुजरात का मूंग ढोकला
बसंत पंचमी के दिन गुजरात में गुजराती खांडवी, कद्दू का हलवा और मूंग ढोकला जैसे स्वादिष्ट व्यंजन बनाए जाते हैं. इसे घर पर बनाने भी काफी आसान हैं. इसे बनाने के लिए सबसे पहले तो मूंग दाल को धोकर रखना है. इसके बाद इसे ग्राइंडर में पीस लें. इसके बाद इसमें अदरक और मिर्च का बना पेस्ट मिलाएं. फिर इसमें हल्दी, नमक और दही डालकर अच्छे से मिक्स कर लें. अब इस बैटर को 10 से 20 मिनट के लिए ढककर रख दें. इसके बाद इस बैटर में फ्रूट साल्ट डालकर मिलाएं और 10 मिनट के लिए स्टीम करें. इसे ठंडा होने के बाद ढोकले के आकार में काट लें. अब एक पैन में थोड़ा तेल डालकर गर्म करें. उसमें सरसों के बीज, स्वादानुसार नमक, हरी मिर्च और चीनी डालकर तड़का लगाएं. इसे ढोकले के ऊपर डालकर सर्व करें.
बंगाली पायेश
बंगाली पायेश यानी की चावल की खीर इसे बनाने भी बहुत आसान है. इसके लिए सबसे पहले तो पतीले में दूध डालकर उसे धीमी आंच पर उबलने के लिए रख दें. अब चावल को अच्छे से धोकर कुछ देर भिगोकर रख दें. जब दूध थोड़ा कम होने लगे, तब उसमें चावल डालकर अच्छे से पकाएं. चावल पकने के बाद गुड़ डालकर मिक्स करें. साथ ही आप इसमें इलायची पाउडर और केस भी मिक्स कर सकते हैं. अब खीर गाढ़ी होने तक उसे पकाएं. इसके बाद इसमें सूखे मेवे डालें और सर्व करें.
पंजाब में मीठा चावल
पंजाब में बसंत पंचमी पर मीठे चावल बहुत बनाए जाते हैं. एक बर्तन में 2 कप पानी और 1/2 कप दूध डालकर उबालें. पानी उबालने के बाद, इसमें चावल डालकर ढक कर धीमी आंच पर पका लें. चावल पकने में लगभग 10-15 मिनट लग सकते हैं. ध्यान रखें कि चावल अच्छे से पक जाएं लेकिन ज्यादा गिले न हो. एक पैन में घी गर्म करें. उसमें काजू, बादाम और किशमिश डालकर थोड़ी देर तक भूने, जब तक वे सुनहरे न हो जाएं. अब इस तड़के में चीनी, इलायची पाउडर डालें और अच्छे से मिला लें. फिर इस मिश्रण को पकाए हुए चावलों में डालें. सभी चीजों को अच्छे से मिला कर कुछ मिनटों तक और पकने दें. जब चावल अच्छी तरह से मिक्स हो जाएं, तो इन्हें गरमा-गरम परोसें. इसे नारियल या मेवों के साथ सजाकर भी सर्व कर सकते हैं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
28 Jan, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- विशेष कार्य स्थिगित रखें, लेनदेन के मामले में हानि, चिन्ता व असमंजस की स्थिति होगी।
वृष राशि :- विवाद-ग्रस्त होने से बचिये, उत्तम भावना, क्लेश व हानि, अशांति संभव होगी।
मिथुन राशि :- व्यग्रता की स्थिति असमंज में रखे, विषय-व्यवस्थाओं की स्थिति से बचने की चेष्टा अवश्य करें।
कर्क राशि :- स्त्री वर्ग से भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति तथा सुख-समृद्धि के साधन अवश्य बनेंगे।
सिंह राशि :- समय और धन नष्ट न हो, क्लेश व अशांति, विघटनकारी तत्वों से बचिये।
कन्या राशि :- नवीन योजना फलप्रद होगी, भावनाएं संवेदनशील बनी ही रहेंगी, ध्यान दें।
तुला राशि :- व्यर्थ धन के व्यय से बचें, कार्य-कुशल से संतोष होगा, मनोबल बनाए रखें।
वृश्चिक राशि :- भाग्य का सितारा साथ देगा, समय अनुकूल नहीं कार्य स्थगित अवश्य रखेंगे।
धनु राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद रहेगा, व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि होगी।
मकर राशि :- मान-प्रतिष्ठा बाल-बाल बचे तथा कार्य-कुशलता से संतोष अवश्य ही होगा।
कुंभ राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक हों तथा भाग्य का सितारा प्रबल अवश्य ही रहेगा।
मीन राशि :- मनोबल उत्साह वर्धक होगा, कार्य-कुशलता से संतोष बना ही रहेगा।
पवित्रता और तप का दिन, हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष धार्मिक महत्व है
27 Jan, 2025 01:09 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
माघ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या कहा जाता है. मौनी अमावस्या का ज्योतिष शास्त्र में बहुत महत्व है. महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन पड़ रहा है. यह बेहद शुभ माना गया है. इस दिन श्रद्धालु मौन धारण करके संगम में स्नान करेंगे. महाकुंभ के अलावा, अन्य श्रद्धालु अन्य नदियों में स्नान करेंगे और पुण्य अर्जित करेंगे.मौनी अमावस्या का शाब्दिक अर्थ है 'मौन रहने वाली अमावस्या'.
गृहस्थ जीवन वालों के लिए मौन व्रत के नियम
इस वर्ष मौनी अमावस्या 29 जनवरी को पड़ रही है. इस दिन श्रद्धालु गंगा, नर्मदा समेत अन्य पवित्र नदियों में स्नान करेंगे. साथ ही विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाएगी। मौनी अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान के बाद दान करने पुण्य फलों की प्राप्ति होती है. इस दिन मौन व्रत रखने का विधान है हालांकि गृहस्थ लोगों के लिए दिन भर मौन रह पाना थोड़ा मुश्किल है. ऐसे में गृहस्थ लोग पूजा-पाठ करने के बाद अपना मौन व्रत खोल सकते हैं.
शिववास योग
मौनी अमावस्या पर दुर्लभ शिववास योग का संयोग बन रहा है. शिववास का संयोग मौनी अमावस्या यानी 29 जनवरी को सायं 06: 05 मिनट तक है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान शिव कैलाश पर मां गौरी के साथ विराजमान रहेंगे.
सिद्धि योग
माघ अमावस्या या मौनी अमावस्या पर सिद्धि योग का भी संयोग बन रहा है. सिद्धि योग का संयोग रात 09:,22 मिनट तक है. ज्योतिष शास्त्र में सिद्धि योग को शुभ मानते हैं. इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी. इसके अलावा मौनी अमावस्या पर श्रवण एवं उत्तराषाढ़ा नक्षत्र का संयोग बन रहा है. इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी.
मौनी अमावस्या पर करें दान
शास्त्रों के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से पुण्य फल कई गुना बढ़ जाता है. इस दिन का धार्मिक महत्व अधिक है. मौनी अमावस्या के दिन व्रत करने वाले व्यक्ति को दान करना चाहिए. इस दिन जरूरतमंद लोगों को खाना खिलाना चाहिए. ऐसा करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है. ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक इस दिन तेल, कंबल, दूध ,चीनी, अनाज तथा अपने आवश्यकता अनुसार पैसों का दान करना चाहिए. इसके अलावा मौनी अमावस्या के दिन पशु-पक्षियों को भोजन करना चाहिए. ऐसा करते श्री पित्र प्रसन्न होते हैं और जीवन में आ रही तमाम समस्याओं से मुक्ति मिलती है.
महत्व
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, मौनी अमावस्या तब मनाई जाती है जब माघ महीने के दौरान चंद्रमा और सूर्य मकर राशि में एक साथ आते हैं। मौनी अमावस्या के दिन चंद्रमा और सूर्य दोनों की संयुक्त ऊर्जा के प्रभाव से इस दिन का महत्व और भी अधिक हो जाता है. मकर राशि चक्र की दसवीं राशि है और कुंडली के दसवें घर में सूर्य मजबूत है. ज्योतिष में सूर्य को पिता और धर्म का कारक माना जाता है, इसलिए जब सूर्य और चंद्रमा मकर राशि में मिलते हैं तो मौनी अमावस्या का त्योहार मनाया जाता है.
1.इस दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा स्नान करें. यदि आप गंगा स्नान नहीं कर सकते हैं, तो पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें.
2.स्नान के बाद सूर्य देवता को अर्घ्य जरूर दें. ध्यान रहे स्नान करने से पहले तक कुछ बोलें नहीं.
3,मौनी अमावस्या के दिन ज्यादा से ज्यादा ध्यान, प्रार्थना व अन्य धार्मिक क्रिया करें. इस दिन दान जरूर करें.
4.जरूरतमंद लोगों की मदद करें. निस्वार्थ कार्य करना इस दिन शुभ फलदायी होता है.
5.मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में डुबकी लगाएं ताकि शरीर और आत्मा दोनों शुद्ध हो जाएं.
6. मौनी अमावस्या के दिन उपवास करें, ऐसा करना शुभ फल देता है.
क्या ना करें
मौनी अमावस्या के दिन मांस-मदिरा और तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए.
इस दिन केवल सादा भोजन ही करें. साथ ही जितना हो सके मौन रहने की कोशिश करें.
मौनी अमावस्या के दिन झूठ बोलने से बचना चाहिए. इसका उल्टा प्रभाव आपके जीवन में पड़ने की संभावना रहती है.
मौनी अमावस्या के दिन देर तक सोने से बचना चाहिए. मौनी अमावस्या के दिन नकारात्मक विचारों और भावनाओं को अपने अंदर न आने दें
इस मंत्र का जाप
मौनी अमावस्या के दिन भगवान सूर्य को अर्घ्य देना बेहद शुभ माना जाता है.
ऐसा कहा जाता है कि इस दिन ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है.
मौनी अमावस्या के दिन "ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि, शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्” मंत्र का जाप 108 बार करें.
ऐसा करने से जातक के घर से पितृ दोष समाप्त हो जाता है.
इस रत्न को कहा जाता है ड्रीम स्टोन, ज्योतिषी से जानें किसे करना चाहिए धारण और इससे होने वाले फायदों के बारे में
27 Jan, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आजकल के फैशन ट्रेंड्स में रत्नों का महत्वपूर्ण स्थान है. ये न सिर्फ खूबसूरत दिखते हैं, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में भी सक्षम होते हैं. रत्नों का सही इस्तेमाल न सिर्फ आकर्षण बढ़ाता है, बल्कि यह व्यक्ति के जीवन के कठिन समय को भी आसान बना सकता है. इनमें से एक महत्वपूर्ण रत्न है जेड स्टोन. जेड स्टोन न सिर्फ एक सुंदरता का प्रतीक है, बल्कि यह व्यक्ति की मानसिक स्थिति, शांति और निर्णय लेने की क्षमता को भी प्रभावित करता है. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.
जेड स्टोन क्या है?
जेड स्टोन रत्न शास्त्र के अनुसार एक ड्रीम स्टोन माना जाता है. इसे सकारात्मकता और उन्नति के प्रतीक के रूप में देखा जाता है. जेड स्टोन को दो प्रकारों में बांटा गया है- नेफ्राइट और जेडाइट. दोनों ही प्रकार के रत्नों में खास विशेषताएं होती हैं, जो व्यक्ति के जीवन को बेहतर बना सकती हैं.
नेफ्राइट स्टोन
नेफ्राइट स्टोन विशेष रूप से सहज ज्ञान, सूझबूझ और दूरदर्शिता के लिए जाना जाता है. इसे धारण करने से व्यक्ति की सोच में स्पष्टता आती है और वह अपने जीवन में होने वाली चुनौतियों का सामना आसानी से कर सकता है. यह रत्न उन लोगों के लिए आदर्श है जो खुद को मानसिक रूप से मजबूत बनाना चाहते हैं.
जेडाइट स्टोन
जेडाइट, नेफ्राइट की तुलना में थोड़ा दुर्लभ और कीमती माना जाता है. इसमें अधिक मिनरल्स होते हैं, जो इसे एक और अधिक प्रभावशाली रत्न बनाते हैं. यह रत्न उस व्यक्ति के लिए उपयुक्त है, जो अपने जीवन में उच्चतम स्तर की सफलता और समृद्धि चाहता है.
जेड स्टोन के फायदे
-पर्सनैलिटी और आत्मविश्वास में वृद्धि: जेड स्टोन को धारण करने से व्यक्ति की पर्सनैलिटी में निखार आता है और आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है. यह रत्न व्यक्ति को अपने निर्णयों में दृढ़ता प्रदान करता है.
-सुख-शांति और बुद्धि का विकास: यह रत्न शांति को बढ़ावा देता है और मानसिक शांति के साथ-साथ बुद्धि को भी तेज करता है. यह निर्णय लेने में मददगार साबित होता है.
-स्वास्थ्य लाभ: जेड स्टोन को स्किन से जुड़ी समस्याओं में भी फायदेमंद माना जाता है. यह शरीर के विभिन्न अंगों की कार्यप्रणाली को संतुलित करता है.
जेड स्टोन के फायदे
-पर्सनैलिटी और आत्मविश्वास में वृद्धि: जेड स्टोन को धारण करने से व्यक्ति की पर्सनैलिटी में निखार आता है और आत्मविश्वास में भी वृद्धि होती है. यह रत्न व्यक्ति को अपने निर्णयों में दृढ़ता प्रदान करता है.
-सुख-शांति और बुद्धि का विकास: यह रत्न शांति को बढ़ावा देता है और मानसिक शांति के साथ-साथ बुद्धि को भी तेज करता है. यह निर्णय लेने में मददगार साबित होता है.
-स्वास्थ्य लाभ: जेड स्टोन को स्किन से जुड़ी समस्याओं में भी फायदेमंद माना जाता है. यह शरीर के विभिन्न अंगों की कार्यप्रणाली को संतुलित करता है.
क्यों मनाई जाती है गुरु रविदास जयंती, साल 2025 में कब है, जानें सही तारीख
27 Jan, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गुरु रविदास जयंती 2025: गुरु रविदास को रैदास के नाम से भी जाना जाता था। रविदास एक संत और कवि थे जिनका भक्ति आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान था। उन्होंने सामाजिक विभाजन को दूर करने और व्यक्तिगत आध्यात्मिक आंदोलन को बढ़ावा देने पर जोर दिया। संत रविदास केवल एक ही मार्ग जानते थे, जो है भक्ति का। उनका प्रसिद्ध मुहावरा है "मन जगाएगा तो कठौती में गंगा" जो आज के समय में भी बहुत प्रसिद्ध है।
गुरु रविदास जी कौन थे
संत गुरु रविदास का जन्म 1377 ई. में वाराणसी, उत्तर प्रदेश में हुआ था। पंचांग के अनुसार उनका जन्म माघ मास की पूर्णिमा तिथि को हुआ था. इसके अलावा उनके जन्म के संबंध में एक दोहा भी प्रचलित है, जो इस प्रकार है- चौदस सो तांसिस की माघ सुदी पन्द्रस। दुखियों के कल्याण हित प्रगटे श्री गुरु रविदास।
गुरु रविदास जयंती क्यों मनाई जाती है
गुरु रविदास जयंती का उल्लेख प्रमुख पुस्तक "संत रविदास और उनका दर्शन" में किया गया है। यह पुस्तक डॉ. रामभक्त लंगायन द्वारा लिखी गई है। गुरु रविदास जयंती मनाने का मुख्य कारण यह है कि रविदास जी ने जाति-पाति और ऊंच-नीच के भेदभाव को खत्म करने के लिए काम किया। इसके अलावा उन्होंने समाज में समानता और न्याय के लिए भी लड़ाई लड़ी। इसके साथ ही उन्होंने लोगों को सही राह दिखाने का भी काम किया। अपने दोहों से समाज के लोगों को जागरूक किया। गुरु रविदास जी ने सामाजिक कार्यों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, ताकि लोगों में अच्छे गुणों का संचार हो सके।
2025 में गुरु रविदास जयंती कब है?
कैलेंडर के अनुसार रविदास जयंती की तिथि हर साल बदलता रहता है। लेकिन एक बात तो तय है कि इसे हर साल बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस साल रविदास जयंती 12 फरवरी 2025 को मनाई जाएगी।
कैसे मनाएं गुरु रविदास जयंती का त्योहार
सबसे पहले सुबह जल्दी उठें सुबह उठकर स्नान करें।
लोग एकत्र होते हैं और जुलूस निकाले जाते हैं।
भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है।
उनके दोहे गाए जाते हैं।
गुरु रविदास जी की शिक्षाओं पर सम्मेलन आयोजित किए जाते हैं ताकि लोगों को उनके अच्छे गुणों से अवगत कराया जा सके।
विष्णु जी को प्रिय ये पौधा, घर में लगाने की ना करें गलती वरना रूठ जाएंगी मां लक्ष्मी
27 Jan, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धार्मिक मान्यताओं में केले के पेड़ का बहुत अधिक महत्व माना गया है. बृहस्पतिवार (गुरुवार) के दिन केले के पेड़ की पूजा का विधान है, इस दिन जो लोग भगवान विष्णु के निमित्त व्रत पूजा करते हैं, वे लोग इस दिन केले के पेड़ की पूजा भी करते हैं. इसके अलावा भी केले का पत्ते कई जगहों पर काम में लिये जाते हैं, खासकर मांगलिक कार्यों में क्योंकि केले के पत्ते बहुत ही शुभ व पवित्र माने जाते हैं. वहीं कई लोगों के मन में ये सवाल होता है कि जब केले का पेड़ इतना पवित्र होता है तो फिर इसे घर में क्यों नहीं लगाया जाता. ऐसे में जानते हैं
क्या कहती है पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान श्रीविष्णु और मां लक्ष्मी का विवाह हो रहा था तब वहां मौजूद देवताओं ने धन की देवी लक्ष्मी की बहन अलक्ष्मी (दरिद्रता) का मजाक बनाया और इसी बात से दरिद्रता को बहुत दुख पहुंचा और जब परेशान दरिद्रता भगवान श्रीहरि के पास पहुंची तो उन्होंने दरिद्रता को अपनी शरण में ले लिया, क्योंकि भगवान तो सबको अपनी शरण में ले लेते हैं. उनके लिए सब समान होते हैं. इसके बाद दरिद्रता को विष्णु जी ने वरदान दिया कि आज के बाद से दरिद्रता का वास केले के पेड़ में रहेगा. साथ ही जो व्यक्ति केले के पेड़ की पूजा सच्चे मन से पूजा करेगा उसे मेरी कृपा अवश्य मिलेगी.
यही कारण है कि केले का पेड़ घर के अंदर रखने से स्वतः ही दरिद्रता प्रवेश कर लेती है. और जाने अनजाने परेशानियां एक के बाद एक घर में आने लगती है. इसलिए केले के पेड़ को घर में रखने की मनाही होती है.
शास्त्रों में भी मिलता है वर्णन
शास्त्रों में भी इस बात का वर्णन मिलता है कि अगर कोई अपने घर में केले का पेड़ लगाता है तो उसका धन व्यर्थ की चीजों में खर्च होने लगता है. यही कारण है कि वास्तुशास्त्र में भी कहा जाता है कि केले के पेड़ के नीचे बैठकर खाना नहीं खाना चाहिए.
मांगलिक कार्यक्रमों में केले का पेड़ लगाना शुभ
घर में भले ही केले का पेड़ लगाना अशुभ माना जाता है, लेकिन मांगलिक व धार्मिक अनुष्ठानों में केले के पेड़ को लगाना बहुत शुभ माना जाता है. इसलिए वास्तु में भी इस चीज की सलाह दी जाती है कि अगर कोई व्यक्ति केले के पेड़ को लगाना चाहता है तो उसे घर में नहीं बल्कि खुली जगह में लगाएं.
बेहद गुणकारी होता है केले का पेड़
केले का पेड़ बहुत ही गुणकारी माना जाता है. इसके पत्तों पर भोजन करने से व्यक्ति को किसी तरह की बीमारी नहीं होती और शरीर रोग और कष्ट मुक्त रहता है. बता दें कि कई मंदिरों और खाने के भंडारे में आज भी केले के पत्ते को इस्तेमाल किया जाता है.
मौनी अमावस्या पर भगवान शिव के करें ये उपाय, कालसर्प दोष से मिलेगा छुटकारा, आर्थिक उन्नति के साथ बदलें किस्मत
27 Jan, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
माघ महीने के शुक्ल पक्ष की अमावस्या तिथि बहुत खास होती है. इस साल महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान मौनी अमावस्या के दिन ही पड़ रहा है. यह शुभ संयोग 144 साल बाद बन रहा है. अमावस्या के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है. ज्योतिषियों के अनुसार, अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं. महाकुंभ के दौरान अमावस्या के दिन सभी घाटों पर भारी भीड़ उमड़ेगी. गंगा स्नान के बाद भगवान शिव के मंत्रों का जाप करते हुए उनकी पूजा करनी चाहिए. इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
क्या कहते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य?
देवघर के बैद्यनाथ मंदिर के प्रसिद्ध तीर्थ पुरोहित और ज्योतिषाचार्य प्रमोद श्रृंगारी ने लोकल 18 के संवाददाता से बातचीत में बताया कि माघ महीने की शुक्ल पक्ष की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहते हैं. इस साल 29 जनवरी को मौनी अमावस्या है. मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान और भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व होता है. अगर मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान नहीं कर पाएं तो घर के पास किसी नदी या तालाब में स्नान कर भगवान शिव की पूजा विधि-विधान से करनी चाहिए. ऐसा करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है.
अमावस्या के दिन क्या उपाय करें
कि मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने के बाद “ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ” मंत्र का उच्चारण करते हुए भगवान शिव की शोडशोपचार विधि से पूजा करें. साथ ही छोटे-छोटे चांदी के सर्प बनाकर भगवान शिव को अर्पित करें। इससे कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है और भयंकर बीमारियों से भी छुटकारा मिलता है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
27 Jan, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि कल का राशिफल (Mesh)
मेष राशि के जातकों के लिए आज दिन कुछ विशेष करने के लिए रहेगा। सरकारी योजनाओं का आपको पूरा लाभ मिलेगा. आपके मन में यदि किसी बात को लेकर संशय बना हुआ था, तो आप बिल्कुल ना करें। आपकी सेहत पहले से बेहतर रहेगी. कुछ मामलों में आपको थोड़ा सावधान रहने की आवश्यकता है. सामाजिक कार्यक्रमों से आपको जुड़ने का मौका मिलेगा. आप अपने से ज्यादा इधर-उधर के कामों पर ध्यान लगाएंगे, जिससे आपकी समस्याएं बढ़ेंगी.
वृषभ राशि कल का राशिफल (Vrisabh)
वृषभ राशि के जातकों के लिए आज दिन किसी नये काम की शुरुआत करने के लिए अच्छा रहेगा. आपको अपने कामों के प्रति जिम्मेदारी दिखानी होगी. आप योग व ध्यान पर पूरा ध्यान दें, जिससे आपको शारीरिक समस्याओं से राहत मिल सके. आप अपने अधूरे कामों को पूरा करने की कोशिश में लगे रहेंगे. संतान को किसी पुरस्कार के मिलने से माहौल खुशनुमा रहेगा. आप किसी मांगलिक उत्सव में जा सकते हैं. आपको धन को लेकर कोई समस्या थी, तो वह भी दूर होगी.
मिथुन राशि कल का राशिफल (Mithun)
मिथुन राशि के जातकों के लिए आज दिन सुख सुविधाओं को बढ़ाने वाला रहेगा. साझेदारी में कोई काम करना आप थोड़ा सोच विचार अवश्य करें, क्योंकि पार्टनर आपको धोखा दे सकता है. आपके घर परिवार में माहौल खुशनुमा रहेगा और खुशियां भी भरपूर रहेंगी. जो लोग सिंगल हैं, उनके लिए कोई बेहतर रिश्ता आ सकता है. आपको अपने परिवार में वरिष्ठ सदस्यों की बातों का पूरा सम्मान करना होगा.
कर्क राशि कल का राशिफल (Kark)
कर्क राशि के जातकों के लिए आज दिन सकारात्मक परिणाम लेकर आएगा। आपके मन में ऊर्जा भरपूर रहेगी. रचनात्मक कार्यों में आपका काफी रुचि रहेगी. आपको अपनी फिटनेस पर पूरा ध्यान देना होगा. यदि आप किसी यात्रा पर जा रहे हैं, तो आपको अपने कीमती सामानों की सुरक्षा अवश्य करनी होगी. आप मौज मस्ती के मूड में रहेंगे. आपको कई काम एक साथ हाथ लगने से आपकी व्याकाग्रता बढ़ेगी. पारिवारिक मामलों को आप घर में रहकर ही निपटा लें, तो बेहतर रहेगा.
सिंह राशि कल का राशिफल (Singh)
सिंह राशि के जातकों के लिए आज दिन सामान्य रहने वाला है. नौकरी में आप बदलाव के बारे में सोच सकते हैं. आपको अधिक काम रहने के कारण थकान बनी रहेगी. आप जीवनसाथी से कोई ऐसी बात बोल सकते हैं, जिससे वह नाराज रहेंगे. आपको आवेश में आकर कोई निर्णय लेने से बचना होगा. विद्यार्थी यदि किसी नौकरी से संबंधित परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, तो उन्हें अपनी मेहनत को जारी रखना होगा। किसी से लेनदेन सोच समझकर करें.
कन्या राशि कल का राशिफल (Kanya)
कन्या राशि के जातकों को आज कोई निवेश बहुत ही सोच समझकर करने के लिए रहेगा. आपको मेहनत का पूरा फल मिलेगा. आपको अपने घरेलू कामों को समय रहते निपटाने की आवश्यकता है. आपको संतान की संगति पर विशेष ध्यान देना होगा. आप अपने कामों को समय से निपटाने की कोशिश में लगे रहेंगे. माता-पिता क्या आशीर्वाद से आपका कोई रुका हुआ काम पूरा होगा. विद्यार्थियों को पढ़ाई लिखाई में एकाग्र होकर जुटना होगा.
तुला राशि कल का राशिफल (Tula)
तुला राशि के जातकों के लिए आज दिन महत्वपूर्ण रहने वाला है. आपका कोई बड़ा लक्ष्य पूरा हो सकता है। कार्य क्षेत्र में आपको कुछ अधिकार दिए जा सकते हैं, जिनका आप गलत फायदा ना उठाएंगे। आप अपनी बुद्धि से कोई निर्णय लेंगे, तो वह आपके लिए बेहतर रहेगे. किसी नए मकान की खरीदारी की यदि आप योजना बना रहे थे, तो आपकी वह इच्छा भी पूरी होगी। आपके कुछ नए शत्रु उत्पन्न होंगे। आपके मनमौजी स्वभाव के कारण परिवार के सदस्य परेशान रहेंगे.
वृश्चिक राशि कल का राशिफल (Vrischik)
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए आज दिन सामान्य रहने वाला है. आपको अपनी योजनाओं को गुप्त रखना होगा. किसी दूसरे के सामने आप कोई जरूरी जानकारी शेयर ना करें. परिवार में किसी पूजा पाठ आदि की तैयारी हो सकती हैं. संतान के विवाह में आ रही समस्या भी दूर होगी. आप अपने बिजनेस में कुछ नये कामो को शामिल कर सकते हैं, जो आपकी इन्कम को बेहतर करेंगे.
धनु राशि कल का राशिफल (Dhanu)
धनु राशि के जातकों के लिए आज दिन मिला-जुला रहने वाला है. आपकी कुछ नए लोगों से मुलाकात होगी. नौकरी में कार्यरत लोगों को ट्रांसफर मिलने से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना पड़ सकता है. आप कार्य क्षेत्र में किसी राजनीति का हिस्सा ना बने. आपके बॉस से आपको डांट खानी पड़ सकती है. पारिवारिक समस्याएं यदि आपको लंबे समय से घेरे हुए थी, तो वह भी काफी हद तक दूर होगी.
मकर राशि कल का राशिफल (Makar)
आज का दिन आपके लिए मेहनत से काम करने के लिए रहेगा. व्यापार में आपको किसी को पार्टनर बनना पढ़ सकता है. कार्य क्षेत्र में आप अपने अच्छे सोच का लाभ उठाएंगे. आप अपने घरेलू कामों को निपटाने की कोशिश में लगे रहेंगे. आर्थिक स्थिति पहले से बेहतर रहेगी. आप अपने डेली रूटीन को बेहतर बनाने की कोशिश में लगे रहेंगे. आपको किसी से कोई बात सोच समझकर कहनी होगी. पिताजी से आप कामों को लेकर बातचीत कर सकते हैं.
कुंभ राशि कल का राशिफल (Kumbh)
कुंभ राशि के जातकों के लिए आज दिन मिला-जुला रहने वाला है. सामाजिक कार्यक्रमों से आपको जुड़ने का मौका मिलेगा. संतान की सेहत में उतार चढ़ाव रहने से आप परेशान रहेंगे. बिजनेस के कामों को लेकर आपको कुछ यात्राएं भी करनी पड़ सकती हैं. आप अपनी किसी डील को लेकर यदि परेशान चल रहे थे, तो वह भी फाइनल होगी। विद्यार्थियों के उच्च शिक्षा के मार्ग प्रशस्थ होगे. यदि आपने किसी से धन उधार लेने का सोचा था, तो वह भी आपका आसानी से मिल जाएगी.
मीन राशि कल का राशिफल (Meen)
मीन राशि के जातकों के लिए आज दिन जिम्मेदारी से काम करने के लिए रहेगा. घर परिवार में भी आपको कोई काम सौपा जा सकता है. आपको अनजान लोगों से दूरी बनाकर रखें. आप अपने मन में ईर्ष्या द्बेष की भावना ना रखें. दूसरों से आप कोई बात बहुत ही सोच विचार कर बोले. ससुराल पक्ष का कोई व्यक्ति आपसे मेल मिलाप करने आ सकता है. माता जी की सेहत में कोई समस्या होने से आपको भाग दौड़ लगी रहेगी.
आसमान में होगी ग्रहों की दुर्लभ परेड, अद्भुत दिखेगा नजारा! जलवायु पर पड़ेगा असर
27 Jan, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
खगोलीय पिंड, ग्रहों आदि से सम्बंधित घटना खगोलीय घटनाक्रम कहलाता है. इनमें ग्रहण, दो ग्रहों अथवा तारों की टक्कर, उल्का पिंड और सूर्य चन्द्रमा की घटनाएं शामिल हैं. इन घटनाओं का अध्ययन खगोल विज्ञान के ज़रिए वैज्ञानिकों एवं शोधर्थियों के द्वारा किया जाता है. इन घटनाओं का अवलोकन कर वैज्ञानिकों द्वारा इनका पूर्ण विश्लेषण और दुनिया पर इसका क्या असर होगा आदि बताया जाता है.
कभी-कभी हमारे सौरमंडल में कई बार एक से एक अधिक आकर्षक खगोलीय घटनाएं नजर आती है यह घटनाएं अक्सर लोगों के जहां में घर कर जाती है. कई बार चमकीले तारों का टूटना, कई तारों का एक कतार में दिखना या ग्रहण जैसी अनेकों खगोलीय घटनाएं लोगों के लिए आश्चर्यजनक होती है. इस बार भी आसमान में एक बड़ी खगोलीय घटना होने जा रही है. सूर्य की परिक्रमा करते समय कई ग्रह एक कतार में दिखाई देते हैं. इस बार भी एक ऐसी खगोलीय घटना होने जा रही है जिसमें कई बड़े ग्रह एक कतार में आम जनमानस को आसमान में दिखाई देने वाले हैं. आईए जानते हैं कौन से वह ग्रह हैं जो आसमान में एक कतार में दिखाई देंगे.
इस बार 6 ग्रह एक साथ एक ही पंक्ति में दिखाई देंगे.जिसमें बृहस्पति, यूरेनस,नेप्चून, शनि, शुक्र और मंगल जैसे 6 बड़े ग्रह एक ही पंक्ति में शामिल हो जाएंगे.
कब होगी ये खगोलीय घटना : अक्सर होती है खगोलीय घटनाएं लेकिन इस बार यह बड़ी घटना 21 जनवरी को होगी. लगभग एक माह तक एक पंक्ति में दिखने वाली ग्रहों की संरचना 21 जनवरी से 2 फरवरी तक आसानी से आसमान में देखी जा सकती है.इस बड़ी खगोलीय घटना का देश दुनिया के मौसम और जलवायु पर बड़ा असर पड़ सकता है.ज्योतिष दृष्टि से भी यह एक बड़ी घटना है.21 जनवरी से शुरू होकर यह घटना 29 जनवरी तक लगभग चरम पर पहुंच सकती है यह बहुत ही आश्चर्यजनक घटना फरवरी माह के मध्य तक दिखाई देगी. यह बहुत ही दुर्लभ दृश्य होगा. यह घटना आसमान में सबसे चरम पर अमावस्या 29 जनवरी को दिखाइए दे सकती है. जिस दिन आसमान में न्यूनतम प्रकाश होगा इसे देखने में और भी बेहतर लग सकता है.
मौनी अमावस्या के दिन स्नान के बाद करें 7 में से 1 काम... नाराज पितर हो जाएंगे शांत
26 Jan, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित होती है. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान दान और पितरों के नाम से तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है. माघ मास का धार्मिक रूप से विशेष महत्व है. ऐसे में माघ मास में आने मौनी अमावस्या का महत्व और अधिक बढ़ जाता है. मान्यता है कि मौनी अमावस्या पर पितर अपने वंशजों से मिलने के लिए धरती पर आते हैं. यदि आप भी जीवन में किसी प्रकार की परेशानियों से जूझ रहे हैं या पितृ दोष से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो मौनी अमावस्या के दिन कई ऐसे उपाय है जिन्हें करने से पितृ दोष से मुक्ति मिल सकती है.
हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है, लेकिन माघ माह की अमावस्या को और भी ज्यादा शुभ माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है. यही नहीं, यह दिन पितरों को प्रसन्न करने और पितृ दोष से मुक्ति पाने के लिए भी श्रेष्ठ माना गया है. ‘मौनी’ का अर्थ होता है ‘मौन’ यानी चुप रहना. इस दिन मौन रहकर भगवान का ध्यान करना चाहिए, जिससे आत्मिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है. इस दिन गंगा, यमुना, सरस्वती और अन्य पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है.
पितृ दोष से मुक्ति के उपाय
मौनी अमावस्या पर सूर्योदय से पहले पवित्र नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व होता है. यदि संभव न हो, तो घर पर ही जल में गंगाजल मिलाकर स्नान किया जा सकता है. ऐसा करने से जीवन की नकारात्मकता समाप्त होती है और पितृ दोष दूर होते हैं.
पितरों की आत्मा की शांति के लिए इस दिन तर्पण और पिंडदान करना आवश्यक माना जाता है. किसी पवित्र नदी में काला तिल डालकर पितरों को जल अर्पण करें. ऐसा करने से पितरों की कृपा बनी रहती है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है.
दान-पुण्य मौनी अमावस्या के सबसे महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है. इस दिन ब्राह्मणों, गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराना, वस्त्र, आटा, गुड़, फल, कंबल आदि का दान करना शुभ माना जाता है. इससे जीवन के सभी कष्ट समाप्त होते हैं और पितरों की कृपा प्राप्त होती है.
अमावस्या तिथि पर पितरों का वास पीपल के पेड़ में माना जाता है. इसलिए इस दिन पीपल के पेड़ पर जल अर्पित करें और गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएं. इससे पितरों को शांति मिलती है और घर में सुख-समृद्धि आती है.
मौनी अमावस्या पर कच्चे दूध में जौ, तिल और चावल मिलाकर नदी में प्रवाहित करना शुभ माना जाता है. यह उपाय पितृ दोष को शांत करने के लिए बहुत प्रभावी होता है और जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करता है.
इस दिन घर में हवन करना शुभ माना जाता है. यदि संभव न हो, तो गाय के गोबर से बने उपले जलाकर उस पर घी और गुड़ की धूप दें. इसके साथ ही ‘ पितृ देवताभ्यो अर्पणमस्तु’ मंत्र का उच्चारण करें.
हिंदू धर्म में गाय को भोजन कराना सबसे बड़ा पुण्य कार्य माना जाता है. इस दिन विशेष रूप से हरा चारा, गुड़ और रोटी गाय को खिलाने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती.