धर्म एवं ज्योतिष
चैत्र अमावस्या पर साल का पहला सूर्य ग्रहण, पितृ दोष से मुक्ति और आशीर्वाद के लिए करें ये उपाय
23 Mar, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चैत्र मास के कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन अमावस्या का पर्व मनाया जाता है और इस बार यह शुभ तिथि 29 मार्च है. इस बार चैत्र अमावस्या पर साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है, हालांकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल मान्य नहीं होगा. अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित है और यही इस तिथि के स्वामी भी हैं इसलिए ग्रहण की वजह से कोई धार्मिक अनुष्ठान नहीं रुकेंगे. अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान, तर्पण और पिंडदान करने का महत्व है. मान्यता है कि ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद भी देते हैं. ज्योतिष शास्त्र में इस दिन का महत्व बताते हुए कुछ विशेष उपाय भी बताए गए हैं. इन उपायों के करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और पितर आशीर्वाद भी देते हैं.
इस उपाय से पितर होंगे प्रसन्न
चैत्र अमावस्या के दिन सुबह पवित्र नदि में स्नान व ध्यान करें और पितरों के नाम का तर्पण भी करें. साथ ही पितरों के नाम का गरीब व जरूरतमंद लोगों को भोजन करवाएं और अपनी सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा भी दें. ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और कुंडली में मौजूद पितृ दोष भी खत्म हो जाता है.
इस उपाय से परिवार में रहेगी सुख-शांति
चैत्र अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ पर जल और दूध अर्पित करके अक्षत, फल, फूल और काले तिल अवश्य चढ़ाएं. इसके बाद घी का दीपक जलाएं और हाथ जोड़कर 11 परिक्रमा भी करें. साथ ही नियमित रूप से 11 दिन तक गौ माता को आटे की लोइयां खिलाएं और उनकी सेवा व पूजा करें. ऐसा करने से पितृ दोष से राहत मिलती है और पितरों के आशीर्वाद से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है.
इस उपाय से आत्मा को मिलती है शांति
चैत्र अमावस्या के दिन एक साफ बर्तन लें और उसमें जल, काले तिल और कुशा मिलाकर पितरों का ध्यान करते हुए अर्पित कर दें. इसके बाद पितरों का ध्यान करें और हर अमावस्या तिथि पर पितरों के नाम का दान भी करें. ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और पितृ दोष से राहत मिलती है. साथ ही ध्यान रखें कि कोई भी शुभ काम करने से पहले पितरों का ध्यान अवश्य किया करें.
इस उपाय से नौकरी व कारोबार में होती है उन्नति
चैत्र अमावस्या को परिवार के सभी सदस्यों से एक एक सिक्का लें और उनको किसी मंदिर में जाकर दान कर दें. ऐसा आप हर गुरुवार को करते रहें. दरअसल अगर आपके पास 5 रुपए का सिक्का है तो घर के सभी सदस्यों से 5-5 रुपए के सिक्के लें और मंदिर में दान कर दें. ऐसा करने से पितर प्रसन्न होते हैं और नौकरी व कारोबार में अच्छी उन्नति होती है.
इस उपाय से पितरों की रहेगी कृपा
चैत्र अमावस्या के दिन गोबर का कंडा जला लें और उस पर गुड़, घी और दूध की खीर अर्पित करते पितरों का ध्यान करें. साथ ही हर दिन सुबह-शाम कपूर से घर के मंदिर में पूजा करें. कपूर को कभी घी में डूबोकर जलाएं तो कभी गुड़ के साथ मिलकर जलाएं. पूजा करने के बाद कौवा और कुत्ता को रोटी दें और गाय को हरा चारा भी खिलाएं. ऐसा करने से पितरों की कृपा बनी रहती है और पितृ दोष खत्म हो जाता है.
चैत्र के महीने में करें तुलसी का छोटा उपाय, बदल जाएगा भाग्य! वैवाहिक जीवन में आएंगी खुशियां
23 Mar, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चैत्र का महीना हिंदू धर्म में बहुत विशेष महत्व रखता है. क्योंकि इस मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है. इस माह में विशेष तौर पर मां दुर्गा की उपासना की जाती है साथ ही मां तुलसी का भी पूजन होता है. इसके साथ ही चैत्र के पवित्र महीने में तुलसी से जुड़े उपाय भी कर सकते हैं. तुलसी के इन उपायों से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है साथ ही घर में सुख-समृद्धि आती है, साथ ही आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है.
तो आइए जानते हैं पंडित रमाकांत मिश्रा के अनुसार, तुलसी के उपायों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
मां लक्ष्मी की करें उपासना
यदि आपके जीवन में लंबे समय से परेशानियां बनी हुई हैं तो चैत्र मास में इस उपाय को करने से आपको इससे छुटकारा मिल सकता है. चैत्र मास में गुरुवार के दिन सुबह स्नान करके मां लक्ष्मी का विधि विधान से पूजन करें. इस दिन शाम के समय तुलसी के पौधे के पास देसी घी का दीपक लगाना चाहिए. इन सरल उपायों को करने से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और आर्थिक तंगी दूर होती है.
प्रेम जीवन की परेशानियां होंगी दूर
अगर आपके जीवन में प्रेम संबंधी कोई परेशानी चल रही है और जीवन में उलझने आ रही हैं या विवाह संबंधी कार्यों में विघ्न आ रहें हैं तो चैत्र माह में तुलसी से जुड़ा ये उपाय आपके लिए कारगर साबित हो सकता है. इसके लिए आपको चैत्र मास में किसी शुभ तिथि पर मां तुलसी का विधि विधान से पूजन करें और उन्हें सोलह श्रृंगार अर्पित करें.
श्रृंगार सामग्री का प्रसाद महिलाओं में बांट दें. इस उपाय को करने से आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी साथ ही पति-पत्नी के बीच प्यार बढ़ेगा व वैवाहिक जीवन में चल रही परेशानियां भी दूर होंगी.
मां तुलसी को प्रसन्न करने के मंत्र
अगर लंबे समय से आर्थिक तंगी आपको परेशान कर रही है तो चैत्र मास में मां तुलसी की उपासना आपके लिए बेहद शुभ साबित हो सकती है. इस मास में रोजाना तुलसी के पौधे में कच्चे दूध का अर्घ्य देने और कुछ मंत्रों का उच्चारण करने से आपकी आर्थिक तंगी दूर होगी और धन लाभ के योग भी बनने प्रारंभ हो जाएंगे.
तुलसी नामाष्टक मंत्र का करें पाठ –
वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
23 Mar, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- यात्रा भय, कष्ट, व्यवसाय में बाधा, पारिवारिक समस्या, उलझन भरी रहेगी।
वृष राशि :- राजभय, रोग स्वजन सुख, श्क्षिा व लेखन कार्य में सफलता तथा प्रगति अवश्य होगी।
मिथुन राशि :- वाहन भय, यात्रा कष्ट, हानि तथा अशांति का वातावरण बना ही रहेगा, समय का ध्यान रखें।
कर्क राशि :- सफलता, उन्नति, शुभ कार्य, विवाद, राजकार्य मामले, मुकदमे में प्रगति, जीत होगी, ध्यान दें।
सिंह राशि :- शरीर कष्ट, कार्य व्यय, कार्य में सफलता, आर्थिक सुधार होने से कार्य बन जायेंगे।
कन्या राशि :- खर्च, विवाद, स्त्री कष्ट, विद्या लाभ, धीरे-धीरे कार्यों में सुधार होता जाएगा।
तुला राशि :- यात्रा से हर्ष, राज्य लाभ, शरीर कष्ट, खर्च की यात्रा बने, यात्रा में खर्च होगा।
वृश्चिक राशि :- कार्य वृत्ति में लाभ, यात्रा-सम्पत्ति लाभ, व्यापारिक गति में सुधार अवश्य होगा।
धनु राशि :- अल्प लाभ, चोट-अग्नि, शरीर भय, मानसिक बेचैनी, परेशानी अवश्य ही बनेगी ध्यान दें।
मकर राशि :- शत्रु से हानि, कार्य व्यय, शारीरिक सुख होगा, कभी-कभी कुछ कष्ट अवश्य ही होगा।
कुंभ राशि :- सुख, व्यय, संतान सुख, कार्य में सफलता, उत्साह की वृद्धि होगी, ध्यान अवश्य रखें।
मीन राशि :- पदोन्नति, राजभय, न्याय लाभ, हानि, अधिकारियों से मन-मुटाव अवश्य होगा।
यूपी में यहां स्वंय प्रकट हुई थी हनुमायूपी में यहां स्वंय प्रकट हुई थी हनुमान जी की प्रतिमा, दर्शन करने से भक्तों की हर मनोकामना होती है पूरी, जानें मान्यतान जी की प्रतिमा, दर्शन करने से भक्तों की हर मनोकामना होती है पूरी, जानें मान्यता
22 Mar, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत में भगवान हनुमान के अनगिनत मंदिर हैं, लेकिन कुछ मंदिर अपनी दिव्यता और चमत्कारी मान्यता के कारण विशेष स्थान रखते हैं. ऐसा ही एक पावन स्थल चित्रकूट के कामतानाथ परिक्रमा मार्ग पर स्थित बरहा हनुमान मंदिर है. जहां स्वयं हनुमान जी प्रकट हुए थे.
हनुमान जी के दर्शन से पूरी होती है मनोकामना
यहां आने वाले श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मंदिर में जो भी भक्त सच्चे मन से आता है, उसकी हर इच्छा बजरंगबली पूरी करते हैं. इस मंदिर में पूरे सप्ताह श्रद्धालुओं की आवाजाही बनी रहती है, लेकिन मंगलवार और शनिवार को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. इन दिनों विशेष रूप से हनुमान चालीसा और सुंदरकांड के पाठ का आयोजन किया जाता है, जिससे वातावरण भक्तिमय हो जाता है.
श्रीराम ने यहां बिताए थे 11 साल
मंदिर के पुजारी अमित तिवारी ने लोकल 18 से बताया कि भगवान श्रीराम ने अपने वनवास काल के दौरान 11 साल 6 महीने चित्रकूट में बिताए थे. इस दौरान उन्होंने कई स्थानों पर पूजा-अर्चना की, जिनमें बरहा हनुमान मंदिर भी शामिल है. यह स्थान कामतानाथ जी के चार प्रमुख द्वारों में से एक है. इसे तीसरा द्वार माना जाता है. बरहा हनुमान मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि इसे आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र भी माना जाता है. मान्यता है कि जितने भी सिद्ध साधु-संत इस स्थान पर आए, उन्होंने यहीं साधना करके सिद्धि प्राप्त की और फिर जनकल्याण के लिए विभिन्न स्थानों पर चले गए.
मंदिर की है अनोखी मान्यता
पुजारी ने बताया कि यहां विराजमान बजरंगबली की मूर्ति स्वयं प्रकट हुई है, जिससे इस मंदिर का महत्व और भी बढ़ जाता है. हनुमान जी की कृपा से इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु हर प्रकार के दुख और कष्टों से मुक्ति पाते हैं. कामतानाथ परिक्रमा मार्ग चित्रकूट के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है. इस परिक्रमा मार्ग पर कई छोटे-बड़े मंदिर स्थित हैं, जिनमें बरहा हनुमान मंदिर का विशेष स्थान है. यहां आने वाले श्रद्धालु परिक्रमा कर बजरंगबली से आशीर्वाद मांगते हैं, जिससे उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु को किस वरदान से हुई थी पुत्र की प्राप्ति, जानें इसके पीछे की दिलचस्प कथा
22 Mar, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारतीय पौराणिक कथाओं में अनेक देवी-देवताओं और उनके लीलाओं का वर्णन मिलता है. इन्हीं में से एक है भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के पुत्र एकवीर की कथा. यह कथा जितनी रोचक है उतनी ही प्रेरणादायक भी है. भगवान विष्णु ने किसी कारणवश अपनी प्रिय पत्नी लक्ष्मी को घोड़ी होने का श्राप दे दिया था. श्राप के कारण मां लक्ष्मी को अश्व रूप में पृथ्वी पर रहना पड़ा. इस दौरान उन्होंने भगवान शिव की आराधना की. आइए जानते हैं इस कथा के बारे में…
श्राप और जन्म
देवी भागवत पुराण के अनुसार एक समय भगवान विष्णु ने किसी कारणवश अपनी प्रिय पत्नी लक्ष्मी को श्राप दे दिया था. श्राप के कारण मां लक्ष्मी को अश्व रूप में पृथ्वी पर रहना पड़ा. इस दौरान उन्होंने भगवान शिव की आराधना की. भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया कि वे फिर से भगवान विष्णु के पास लौटेंगी और उनसे पुत्र प्राप्त करेंगी.
समय आने पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का मिलन हुआ और उन्हें एक तेजस्वी पुत्र प्राप्त हुआ, जिनका नाम एकवीर रखा गया. कुछ कथाओं में यह भी वर्णन है कि एकवीर का जन्म यमुना और तमसा नदी के संगम पर हुआ था.
राजा हरिवर्मा द्वारा पालन-पोषण
एक अन्य कथा के अनुसार जब एकवीर का जन्म हुआ तो भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी उन्हें जंगल में ही छोड़कर चले गए. उसी समय राजा हरिवर्मा नामक एक धर्मात्मा राजा जो संतान प्राप्ति के लिए भगवान विष्णु की तपस्या कर रहे थे. भगवान ने उन्हें दर्शन दिए और कहा कि वे एकवीर को अपना पुत्र मानकर ले. राजा हरिवर्मा जंगल गए और उन्होंने एकवीर को पाया. वे उन्हें अपनी राजधानी ले गए और उनका पालन-पोषण अपने पुत्र की तरह किया.
एकवीर का विवाह और राज्याभिषेक
राजा हरिवर्मा ने एकवीर को सभी प्रकार की शिक्षाएं दीं और जब वे बड़े हुए तो उनका विवाह राजा रैभ्य की पुत्री यशोमती से कराया गया. इसके बाद राजा हरिवर्मा, एकवीर को राजा बनाकर स्वयं वन में तपस्या करने चले गए.
यह कथा विभिन्न पुराणों और लोक कथाओं में भिन्न-भिन्न रूपों में पाई जाती है, लेकिन इसका मूल संदेश यही है कि भगवान की कृपा सदैव अपने भक्तों पर बनी रहती है.
चैत्र अमावस्या के दिन करें इन चीजों का दान, पितृ होंगे प्रसन्न, देंगे मनचाहा आशीर्वाद
22 Mar, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धार्मिक दृष्टिकोण से हर अमावस्या तिथि महत्वपूर्ण मानी जाती है. लेकिन चैत्र मास की अमावस्या अपने आप में एक विशेष दिन है. बता दें कि चैत्र मास की अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या के नाम से जाना जाता है. पंचांग के अनुसार इस साल यह तिथि 29 मार्च को पड़ेगी. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस अमावस्या पर यदि कुछ उपाय किए जाएं तो जातक को पितृ दोष सहित कई परेशानियों से छुटकारा मिलता है.
दरअसल, हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि खासकर पितरों को समर्पित होती है. इसलिए इस तिथि पर सामान्यतः सभी लोग अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पितृ तर्पण, दान आदि करते हैं. वहीं ज्योतिषशास्त्र के मुताबिक चैत्र मास में पड़ने वाली अमावस्या पर वह पितृ देव को प्रसन्न करने के लिए कुछ विशेष उपाय किये जाएं तो भी आपको कई लाभ प्राप्त हो सकते हैं. इन उपायों को करने से पितृ दोष का निवारण होता है और पितृ प्रसन्न होकर परिवार को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. तो आईए जानते हैं पंडित रमाकांत मिश्रा के अनुसार जानते हैं चैत्र अमवास्या तिथि के दिन कौन-कौन से उपाय करने से आपको लाभ मिल सकता है.
चैत्र अमावस्या के दिन करें ये उपाय
पीपल के पेड़ का करें पूजन
कहा जाता है कि पीपल के वृक्ष में पितृ का वास होता है. अमावस्या पर इस वृक्ष की पूजा करने से पितृ बहुत प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा बरसाते हैं. पीपल की पूजा करने से परिवार में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है.
दान करें ये वस्तुएं
अगर आप पितृ दोष से छुटकारा पाना चाहते हैं तो कुछ वस्तुओं का दान जरूर करें. पितृ को प्रसन्न करने के लिए व्यक्ति को भूतड़ी अमावस्या पर मंदिर में काले तिल का दान करना चाहिए. इस दिन आप अपने सामर्थ्य के अनुसार गरीबों को भी दान दे सकते हैं ऐसा करने से आपके पितृ मोक्ष को प्राप्त होते हैं.
पवित्र नदियों में करें स्नान
चैत्र मास की भूतड़ी अमावस्या पर व्यक्ति को पवित्र तीर्थों की नदियों में स्नान करना चाहिए. यदि ऐसा संभव न हो तो निवास में आस-पास बने किसी कुआं बावड़ी के जल से भी स्नान कर सकते है. इस उपाय को करने से पितृ दोष का प्रभाव कम होता है और पितृ देव प्रसन्न होते हैं.
पितरों से मांगे क्षमा
चैत्र अमावस्या पर घर की दक्षिण दिशा में घी का दीपक जलाएं.बतादें कि ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा पितृ देव और मृत्यु के देवता यमराज को समर्पित होती है. इस दिशा में दीपक लगाने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
22 Mar, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- क्लेश व अशांति, परिश्रम करने पर भी आरोप-क्रोध होगा, रुके कार्य का ध्यान रखें।
वृष राशि :- अधिकारियों का मेल-मिलाप फलप्रद रहे, कार्य-कुशलता से संतोष होगा, ध्यान रखें।
मिथुन राशि :- कार्यकुशलता से संतोष व बेचैनी, कुछ सफलता के साधन अवश्य होंगे, ध्यान रखें।
कर्क राशि :- कार्यकुशलता से संतोष, परेशानी व चिन्ताजनक स्थिति बने, कार्य अवरोध, विवाद होगा।
सिंह राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास, भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति तथा कार्यगति व्यर्थ बन जायेगी।
कन्या राशि :- आर्थिक योजना पूर्ण हो, समय पर सोचे कार्य अवश्य ही बनेंगे, समय का ध्यान रखें।
तुला राशि :- सामर्थ्य होते हुए भी कार्य विफलत्व बना रहेगा, कार्य की प्राप्ति होगी।
वृश्चिक राशि :- कुटुम्ब की समस्याओं से क्लेश तथा धन-हानि होगी, मानसिक बेचैनी।
धनु राशि :- आरोप, क्लेश तथा अशांति से बचियेगा, भावपूर्ण वार्ता अवश्य ही बनेगी।
मकर राशि :- योजनाएं फलीभूत होंं, सफलता के साधन जुटायें, लाभ अवश्य ही होगा।
कुंभ राशि :- परिश्रम करने पर सफलता न मिले, कार्य में विरोध बाधायें बनेंगी।
मीन राशि :- धन लाभ, सफलता का हर्ष, प्रभुत्व वृद्धि तथा सामाजिक कार्य बने जायेंगे।
इस दिन घर पर न जलाएं चूल्हा, मां शीतला देवी की बरसेगी कृपा, यह है पूजन का विशेष समय
21 Mar, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शीतला अष्टमी का पर्व इस बार 21 मार्च को विशेष संयोग के साथ मनाया जाएगा. हिंदू धर्म का यह पर्व हर साल धार्मिक तिथि के अनुसार, होली के बाद आने वाली सप्तमी और अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. इस विशेष पर्व को ऋतु परिवर्तन होने का संकेत भी माना जाता है. इस पर्व वाले दिन मां शीतला की विधि विधान से ना केवल आराधना की जाती है बल्कि उन्हें बासी पकवानों का प्रसाद भी चढ़ाया जाता है. मान्यता ऐसी है कि शीतला अष्टमी वाले दिन मां शीतला बासी पकवानों से ही जल्दी प्रसन्न होती है.
शीत ऋतु के अंत का प्रतीक है यह पर्व
कि शीतला अष्टमी का पर्व हर साल होली के बाद आने वाली सप्तमी-अष्टमी तिथि को मनाया जाता है. वह कहते हैं कि यह पर्व ऋतु परिवर्तन का संकेत है. इस पर्व के दिन से ही शीत ऋतु का अंत होता है और गर्मी की ऋतु का आगमन होता है. जिससे छोटे बच्चों में चेचक और त्वचा पर होने वाले चर्म रोगों का खतरा बढ़ जाता है. इन्हीं सभी खतरों और बीमारियों से बचाव के लिए शीतला अष्टमी के दिन मां शीतला का पूजन किया जाता है.
विशेष संयोग में मनाई जाएगी 21 मार्च को शीतलाष्टमी
इस साल शीतला अष्टमी 21 मार्च को मनाई जाएगी. पं. धीरज शर्मा के अनुसार-होली के बाद आने वाली सप्तमी तिथि इस बार रात को 2:24 पर आरंभ होगी. 21 मार्च के दिन 4:24 तक रहेंगी. इस बार शीतला अष्टमी एक विशेष संयोग के साथ मनाई जाएगी. पं. धीरज शर्मा के अनुसार इस वर्ष शीतला अष्टमी शुक्रवार के दिन आई है. जो कि अपने आप में बेहद खास है क्योंकि शुक्रवार का दिन ठंडा होता है. और शीतला माता का भी पूजन ठंडा वार को ही किया जाता है. इसलिए इस साल के शीतला अष्टमी के पर्व शुक्रवार के दिन होने के कारण इस पर्व का महत्व इस बार और भी बढ़ने वाला है.
इन पकवानों के प्रसाद से खुश होंगी मां शीतला
पं.धीरज शर्मा का कहना है कि शीतला माता को खुश करने के लिए भक्तों को इस बार 20 मार्च की रात को ही कुछ विशेष ठंडे पकवान बनाने चाहिए. शीतला अष्टमी के पर्व पर शीतला माता सबसे ज्यादा दही, ठंडे मीठे चावल और गुड़ के मीठे चावल, मीठी रोट से सबसे ज्यादा प्रसन्न होती है इसलिए इन पकवानों को शीतला अष्टमी के पूजन में प्रसादी के लिए जरूर शामिल करें.
यें है पूजन का शुभ मुहूर्त
21 मार्च, शीतला अष्टमी के दिन पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 6:24 से लेकर शाम को 6:30 तक रहेगा. पंडित धीरज शर्मा का कहना है कि संभव हो सके तो इस दिन कोई भी व्यक्ति घर का चूल्हा नहीं जलाएं और जो पकवान एक दिन पूर्व शीतला माता के पूजन के लिए बनाए हैं उन्हीं ठंडे पकवानों का इस दिन सेवन करें. उनका कहना है कि ऐसा करने से मां शीतल की कृपा परिवार पर हमेशा बनी रहती है. साथ ही इस पर्व वाले दिन स्कंद पुराण में वर्णित शीतला अष्टक का पाठ भी करना चाहिए.
अगर आर्थिक तंगी से हैं परेशान? बासी रोटी का करें ये उपाय, बन जाएंगे बिगड़े हुए काम!
21 Mar, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पुराने समय से ही बासी रोटी को विशेष महत्व दिया गया है. हमारे पूर्वज इसे न केवल भोजन के रूप में देखते थे, बल्कि एक ऐसा उपाय भी मानते थे, जिससे जीवन में सुख-समृद्धि आ सकती है. शास्त्रों और ज्योतिष में बासी रोटी से जुड़े कई रहस्य बताए गए हैं, जिनका पालन करने से घर में बरकत बनी रहती है और आर्थिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है. अगर कोई व्यक्ति गरीबी, आर्थिक तंगी, या ग्रह दोषों से परेशान है, तो बासी रोटी के कुछ खास उपाय उसकी किस्मत चमका सकते हैं.
गाय को बासी रोटी खिलाने का महत्व
हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है. रोज सुबह पहली बासी रोटी पर गुड़ लगाकर गाय को खिलाए, तो घर में धन की कभी कमी नहीं होती. यह उपाय विशेष रूप से उन लोगों के लिए कारगर है जिनकी कुंडली में राहु, केतु या शनि का दोष होता है.
शनि को ऐसे करें प्रसन्न
किसी व्यक्ति पर शनि की ढैय्या या साढ़ेसाती चल रही हो तो उसे अमावस्या या शनिवार को बासी रोटी और खीर गाय को खिलानी चाहिए. इससे शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती से आपको राहत मिल सकती है.
रोटी पर सरसों का तेल लगाकर कुत्ते को खिलाएं
कोई व्यक्ति शत्रु बाधा, कोर्ट-कचहरी के मामलों या बुरी नजर से परेशान है, तो उसे रोज रात की बची हुई रोटी पर सरसों का तेल लगाकर काले कुत्ते को खिलानी चाहिए. यह उपाय शनिदेव को प्रसन्न करता है और बुरी शक्तियों से बचाता है.
राहु-केतु और शनि दोष दूर करने के उपाय
अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु-केतु का दोष है, जिससे बार-बार असफलता मिल रही है, नौकरी में दिक्कत आ रही है या मानसिक तनाव बना रहता है, तो उसे रोज सुबह बासी रोटी को जल में प्रवाहित करना चाहिए. ऐसा करने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और भाग्य का साथ मिलना शुरू हो जाता है.
घर में नकारात्मक ऊर्जा दूर करती है
वास्तु शास्त्र के अनुसार, यदि घर में बार-बार झगड़े होते हैं, तो रात की बची हुई पहली रोटी को गाय को खिलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और आपसी प्रेम बढ़ता है.
कर्ज मुक्ति के लिए बासी रोटी का उपाय
अगर कोई व्यक्ति कर्ज से परेशान है और लाख कोशिशों के बाद भी उसे राहत नहीं मिल रही, तो शनिवार के दिन बासी रोटी को पास की किसी नदी या बहते पानी में डालने से धीरे-धीरे आर्थिक संकट खत्म होने लगता है.
इस राशि के जातकों को शनि के प्रभाव से मिलेंगी खुशियां ही खुशियां! करियर होगा बुलंदी पर
21 Mar, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
29 मार्च 2025 शनिवार के दिन न्याय के देवता शनि का गोचर मीन राशि में होने जा रहा है. वृषभ राशि की जातकों के लिए यह गोचर लाभ भाव में होने जा रहा है.यहां गोचर से व्यक्ति के जीवन में व्यापक परिवर्तन आएंगे
शनि गोचर का प्रभाव : मीन राशि में शनि देव का गोचर वृषभ राशि के जातकों के लिए किसी राजयोग से कम नहीं है.इन जातकों के लिये शनि देव खुशियां लेकर आये हैं.सीधे कहें तो इस राशि के जातकों के लिये यह गोचर शुभ है.
आर्थिक/करियर : वृषभ राशि के जातकों के लिए एकादश भाव में शनि देव का गोचर उनका लाभ देने आया है. बहुप्रतीक्षित इच्छा इस गोचर के साथ पूरी हो जाएगी. किसी मित्र अथवा अधीनस्थ के सहयोग से व्यावसायिक लाभ होगा. आय के अन्य स्रोत भी बनेंगे.करियर में भी आप बुलंदी को छुएंगे. कार्यस्थल पर आपको पूर्ण सहयोग औऱ सम्मान प्राप्त होगा.
पारिवारिक/लव लाइफ : शनि देव के मीन राशि में इस गोचर से सप्तम दृष्टि पंचम भाव पर पड़ेगी. जो लोग काफी समय से संतान प्राप्ति के लिए उपाय आदि कर रहे हैं ऐसे लोगों को संतान से संबंधित खुशखबरी प्राप्त होगी. प्रेमी प्रेमिकाओं के लिए भी यह समय सुखद रहने वाला है. इनके बीच मधुर संबंध बनेंगे और प्यार परवान चढ़ेगा.जीवनसाथी के साथ संबंधों में मधुरता से घर में माहौल खुशनुमा रहेगा.
स्वाथ्य : शनि देव के गोचर से उनकी दशम दृष्टि वृषभ राशि के अष्टम भाव पर पड़ रही है. इस दृष्टि से इस राशि के जातकों को कुछ स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा. पैरों में दर्द. कमर और कमर के नीचे के हिस्सों में नसों का जकड़ना आदि समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.स्वास्थ्य का ध्यान रखें और समय समय पर शनिदेव की पूजा और उपाय करते रहें.
उपाय : वृषभ राशि के जातक शनिदेव के इस महागोचर का लाभ लेने के लिये शनिवार को हनुमान जी की पूजा करें, पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और शनि मंत्र का जप करें.
चैत्र अमावस्या को क्यों कहते हैं भूतड़ी अमावस्या? इस दिन कुछ विशेष उपायों से दूर होगी प्रेत-बाधा सहित कई परेशानियां
21 Mar, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में हर माह की पूर्णिमा तिथि और अमावस्या तिथि का विशेष महत्व होता है. जहां पूर्णिमा पर चारों ओर छाई चांदनी सकारात्मकता को दर्शाती है वहीं अमावस्या की काली रात नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती है. वैसे तो हर मास में आने वाली अमावस्या तिथि अपने आप में विशेष होती है. लेकिन आपको बता दें कि चैत्र माह में पड़ने वाली अमावस्या बेहद खास होने के साथ ही बेहद खतरनाक भी मानी जाती है.
दरअसल, चैत्र माह में पड़ने वाली अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या भी कहा जाता है, हिंदू धर्म में इस अमावस्या को बहुत खास माना जाता है. मान्यता है कि भूतड़ी अमावस्या विशेष रूप से नकारात्मक शक्तियों से बचाव और आत्मिक शांति प्राप्त करने वाली मानी जाती है. इस दिन पूजा पाठ करने व कुछ विशेष उपाय करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता ऊर्जा का संचार होता है. आइए पंडित रमाकांत मिश्रा के अनुसार जानते हैं भूतड़ी अमावस्या का महत्व, उपाय और कब पड़ रही है यह अमावस्या.
कब पड़ रही है भूतड़ी अमावस्या
इस साल भूतड़ी अमावस्या 28 मार्च को शाम 7 बजकर 55 मिनट से 29 मार्च शाम 4 बजकर 27 मिनट तक रहेगी. चूंकि वैदिक पंचांग में उदया तिथि मान्य होती है, इसलिए 29 मार्च को ही इस अमावस्या की मान्यता होगी.
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भूतड़ी अमावस्या पर नकारात्मक शक्तियां प्रबल हो जाती हैं. इस दौरान काली रात में काली शक्तियां अपनी अधूरी इच्छाओं को पूरा करने के लिए शरीर की तलाश करती है और मनुष्य की रूह को काबू में करने का प्रयत्न करती हैं. इसी कारण से चैत्र माह में पड़ने वाली अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या के नाम से जाना जाता है.
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भूतड़ी अमावस्या पर क्या करें
हनुमान चालीसा का करें पाठ
चैत्र अमावस्या के दिन देवी-देवताओं की पूजा के साथ-साथ हनुमान चालीसा का पाठ करना बहुत उत्तम फलदायी माना जाता है. इस दिन विशेष रूप से हनुमान जी की पूजा करने पर शुभ फलों की प्राप्ति होती है. खासकर इससे भूत-प्रेत जैसी नकारात्मक ऊर्जाएं समाप्त होती है.
पितृरो के लिए पूजा
अमावस्या तिथि पितृ पूजा के लिए बहुत ही मत्वपूर्ण मानी जाती है. इस दिन अपने पितरों के लिए तर्पण करना व श्राद्धकर्म करना उत्तम माना जाता है. इससे घर में सुख शांति बनी रहती है और कार्य में आ रही सभी बाधाएं भी दूर होती है.
नदी में स्नान करना
भूतड़ी अमावस्या पर नदी में स्नान करना शुभ माना जाता है. नदी के पवित्र जल में स्नान कर व्यक्ति का मन शांत होता है और नकारात्मक ऊर्जाएं दूर रहती हैं. इस दिन आप शिवलिंग का अभिषेक कर ॐ नमः शिवाय का जप भी कर सकते हैं.
नवग्रह पूजा करें
चैत्र अमावस्या पर नव ग्रह पूजन करना बेहद लाभकारी होता है. आप अपने श्रद्धा के अनुसार किसी जानकर पंडित को घर में बुलाकर भी नवग्रह पूजन करवा सकते हैं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
21 Mar, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मानसिक बेचैनी, दुर्घटना ग्रस्त होन से बचें, अधिकारियों से तनाव होगा।
वृष राशि :- योजनाएं फलीभूत हों, सफलता के साधन जुटायें, विशेष लाभ होगा।
मिथुन राशि :- अचानक उपद्रव कष्टप्रद हो, विशेष कार्य स्थिगित रखें, कार्य अवरोध होगा।
कर्क राशि :- परिश्रम से कुछ सफलता मिले, कार्य-व्यवस्था की विशेष चिन्ता बनी ही रहेगी।
सिंह राशि :- किसी अपवाद व दुर्घटना से बचें, व्यवसायिक क्षमता में बाधा अवश्य होगी।
कन्या राशि :- व्यवसायिक गति उत्तम, चिन्ताएं कम होंगी, आपका विरोध होगा।
तुला राशि :- मानसिक बेचैनी, उद्विघ्नता के योग बनेंगे, कुटुम्ब में क्लेश-क्रोध बनेगा।
वृश्चिक राशि :- सामर्थ्य वृद्धि के साथ तनाव-झगड़े किन्तु आप सम्मानित होगा, मित्र सहयोगी रहेंगे।
धनु राशि :- कुटुम्ब की समस्याएं कष्टप्रद होंगी तथा व्यर्थ धन का व्यय, अपवाद होगा।
मकर राशि :- योजनाएं फलीभूत हो, सफलता के साधन जुटांये, रुके कार्य बन जायेंगे।
कुंभ राशि :- स्वभाव में खिन्नता, मानसिक बेचैनी तथा बने हुए कार्य में विलम्ब होगा।
मीन राशि :- तनाव व क्लेश, अशांति बनेगी, परिश्रम विफल होगा, कार्यगति मंद होगी।
चैत्र माह की अमावस्या रहेगी विशेष
20 Mar, 2025 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में अमावस्या तिथि बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस माह चैत्र माह की अमावस्या तिथि 28 मार्च को रात 7:55 बजे से शुरू होकर 29 मार्च को शाम 4:27 बजे समाप्त होगी। सनातन धर्म में अमावस्या तिथि बेहद खास मानी जाती है। इस बार शनिवार के दिन अमावस्या होने की वजह से इसे शनि अमावस्या कहा जाता है!
इस शुभ अवसर पर गंगा समेत अन्य पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है और मां गंगा की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। इसके अलावा, अमावस्या तिथि पर पितरों के तर्पण के साथ ही पिंडदान भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर महादेव की पूजा से सभी तरह की परेशानियों से छुटकारा मिलता है, वहीं पूर्वजों का तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है। शनि अमावस्या का खास महत्व और शुभ योग । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस शनि अमावस्या के दिन कई दुर्लभ योग बन रहे है। इस दिन ब्रह्मा और इंद्र योग का शुभ संयोग भी बन रहा है। इसके अलावा, दुर्लभ शिव वास योग का भी निर्माण हो रहा है, जिसमें गंगा स्नान कर भगवान शिव के साथ शनिदेव की पूजा-अर्चना करने से हर मनोकामना पूरी होगी और जीवन में सुखों का आगमन होगा।
सोना धारण करने से होता है गुरु मजबूत
20 Mar, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सोना पहनना सभी को पसंद होता है पर इस कीमती धातु को पहनने के भी कई नियम होते हैं। ज्योतिष के रत्न शास्त्र में बताया गया है कि, सोना धारण करने से गुरु ग्रह को मजबूत किया जा सकता है। जातकों को कुंडली में ग्रहों की स्थिति और राशि के अनुसार रत्न को धारण करना चाहिए। सोने को पहनने के लिए कुछ नियम बताए गए हैं, जिन्हें पालन करना काफी जरुरी है अन्यथा नुकसान भी हो सकता है। सोने का सही विधि और सही तरीके से धारण करने से लाभ प्राप्त होता है। सोने के धारण से करने से धन-लाभ व संतान सुख की प्राप्ति होती है। आइए आपको बताते हैं सोने को कब और कैसे धारण करना आवश्य होता है। सोने का गुरु से संबंधित होने के कारण सोना को गुरुवार के दिन धारण करना शुभ माना जाता है। इसे पहनने से पहले शुद्ध करना जरुरी है। आप चाहे तो इसे अंगूठी या चेन के रुप में धारण से कर सकते हैं। सोने को शुद्धि करने के लिए आप गंगाजल, दूध और शहद से शुद्ध करें। फिर इसे आप भगवान विष्णु के चरणों में अर्पित कर दें। विधि-विधान से पूजा करने के बाद अंगूठी और चेन को पहन सकते हैं। माना जाता है कि, रविवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन सोना धारण करना शुभ होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सोने का धारण मेष, कर्क, सिंह, धनु और मीन राशि के लोगों को धारण करना चाहिए। वहीं, मकर, मिथुन, कुंभ और वृषभ राशि के जातकों को सोना नहीं पहनना चाहिए। इसके साथ ही कुंडली में गुरु की स्थिति देखकर ही सोना का धारण करना चाहिए।
भगवान श्रीकृष्ण की हर लीला भक्तों के मन को है लुभाती
20 Mar, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भक्ति की परंपरा में भगवान श्रीकृष्ण सबसे ज्यादा आकर्षित करने वाले भगवान हैं। योगेश्वर रूप में वे जीवन का दर्शन देते हैं तो बाल रूप में उनकी लीलाएं भक्तों के मन को लुभाती है।आज पूरब से लेकर पश्चिम तक हर कोई कान्हा की भक्ति से सराबोर है। चैतन्य महाप्रभु के भक्ति आन्दोलन के समय श्रीकृष्ण का जो महामंत्र प्रसिद्ध हुआ, वह तब से लेकर अब तक लगातार देश दुनिया में गूंज रहा है। आप भी मुरली मनोहर श्रीकृष्ण की कृपा पाने के लिए उनके मंत्र के जाप की शुरुआत कर सकते हैं।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण
कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम
राम राम हरे हरे॥
१५वीं शताब्दी में चैतन्य महाप्रभु के भक्ति आन्दोलन के समय प्रसिद्ध हुए इस मंत्र को वैष्णव लोग महामन्त्र कहते हैं। इस्कान के संस्थापक के श्रील प्रभुपाद जी अनुसार इस महामंत्र का जप उसी प्रकार करना चाहिए जैसे एक शिशु अपनी माता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए रोता है।
ॐ नमो भगवते श्री गोविन्दाय
भगवान श्रीकृष्ण के इस द्वादशाक्षर (12) मंत्र का जो भी साधक जाप करता है, उसे सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। प्रेम विवाह करने वाले अभिलाषा रखने वाले जातकों के लिए यह रामबाण साबित होता है।
कृं कृष्णाय नमः
यह पावन मंत्र स्वयं भगवान श्रीकृष्ण द्वारा बताया गया है। इसके जप से जीवन से जुड़ी तमाम बाधाएं दूर होती हैं और घर-परिवार में सुख और समृद्धि का वास होता है।
ॐ श्री कृष्णाय शरणं मम्।
जीवन में आई विपदा से उबरने के लिए भगवान श्रीकृष्ण का यह बहुत ही सरल और प्रभावी मंत्र है। इस महामंत्र का जाप करने से भगवान श्रीकृष्ण बिल्कुल उसी तरह मदद को दौड़े आते हैं जिस तरह उन्होंने द्रौपदी की मदद की थी।
आदौ देवकी देव गर्भजननं, गोपी गृहे वद्र्धनम्।
माया पूज निकासु ताप हरणं गौवद्र्धनोधरणम्।।
कंसच्छेदनं कौरवादिहननं, कुंतीसुपाजालनम्।
एतद् श्रीमद्भागवतम् पुराण कथितं श्रीकृष्ण लीलामृतम्।।
अच्युतं केशवं रामनारायणं कृष्ण:दामोदरं वासुदेवं हरे।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं जानकी नायकं रामचन्द्रं भजे।।
श्रद्धा और विश्वास के इस मंत्र का जाप करने से न सिर्फ तमाम संकटों से मुक्ति मिलती है, बल्कि सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। सुख, समृद्धि और शुभता बढ़ाने में यह महामंत्र काफी कारगर साबित होता है।
अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम् ।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 1 ।।
वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरम्
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 2 ।।
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 3 ।।
गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम् ।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 4 ।।
करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरम् ।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 5 ।।
गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा ।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 6 ।।
गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम् ।
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 7 ।।
गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा ।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 8 ।।
कन्हैया की स्तुति करने के लिए तमाम मंत्र हैं लेकिन यह मंत्र उनकी मधुर छवि का दर्शन कराती है। इस मंत्र की स्तुति में कान्हा की अत्यंत मनमोहक छवि उभर कर सामने आती है। साथ ही साथ योगेश्वर श्रीकृष्ण के सर्वव्यापी और विश्व के पालनकर्ता होने का भी भान होता है।