धर्म एवं ज्योतिष
श्रीराम के वंशज का क्यों हो गया था पांडवों से बैर? कौरव के साथ खड़े होकर महाभारत युद्ध में ललकारा
7 Feb, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाभारत के युद्ध में कई वीर योद्धाओं ने अपनी वीरता और पराक्रम का प्रदर्शन किया. इनमें से कुछ योद्धा ऐसे भी थे जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. ऐसे ही एक योद्धा थे श्री राम के पौत्र जिन्होंने महाभारत के युद्ध में पांडवों को ललकारा था. श्री राम के पौत्र का नाम था बृहद्बल. वे श्री राम के पुत्र कुश के वंशज थे. बृहद्बल एक महान योद्धा थे और उन्होंने महाभारत के युद्ध में पांडवों के खिलाफ युद्ध किया था.
महाभारत युद्ध
कहा जाता है कि जब महाभारत का युद्ध शुरू हुआ तो बृहद्बल भी इस युद्ध में शामिल होना चाहते थे. वे पांडवों के खिलाफ युद्ध करना चाहते थे लेकिन उसके इस निर्णय के पीछे एक गहरा कारण छुपा था?
बात उस समय की है जब पांडव इंद्रप्रस्थ के स्वामी बने और उन्होंने राजसूय यज्ञ करने का निश्चय किया. यज्ञ के बाद, युधिष्ठिर ने अपने भाइयों को विश्व के सभी राज्यों पर अपना आधिपत्य स्थापित करने के लिए भेजा. भीम, नकुल, सहदेव और अर्जुन अपनी-अपनी दिशाओं में निकले.
राजा बृहद्बल हुए पराजित
इसी क्रम में भीम अयोध्या पहुंचे और वहां के राजा बृहद्बल को पराजित करके अयोध्या को अपने अधीन कर लिया. यह हार बृहद्बल के हृदय में एक गहरी चोट बनकर रह गई. उन्होंने इसे अपना अपमान समझा और पांडवों से बदला लेने की ठान ली.
महाभारत युद्ध में पांडवों को ललकारा
रासमय आया महाभारत के युद्ध का और बृहद्बल ने कौरवों का साथ देने का निर्णय लिया. उनका एकमात्र लक्ष्य था पांडवों को उनकी इस जीत का दंड देना. हालांकि श्रीकृष्ण की सलाह पर बृहद्बल ने युद्ध में अपनी पूरी शक्ति का उपयोग नहीं किया. बृहद्बल ने अपनी सेना के साथ पांडवों पर आक्रमण कर दिया. उन्होंने पांडवों को कड़ी टक्कर दी लेकिन अंत में वे हार गए. महाभारत के तेरहवें दिन अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु के हाथों बृहद्बल वीरगति को प्राप्त हुए. उनका बदला लेने का स्वप्न अधूरा रह गया लेकिन उनकी कहानी आज भी हमें याद दिलाती है कि हर युद्ध की अपनी एक पृष्ठभूमि होती है और हर योद्धा के अपने कारण.
पांडवों को दी कड़ी चुनौती
हालांकि बृहद्बल के बारे में बहुत कम जानकारी मिलती है. ऐसा माना जाता है कि वे एक शक्तिशाली योद्धा थे और उन्होंने पांडवों को कड़ी चुनौती दी थी. यह भी कहा जाता है कि बृहद्बल की मृत्यु के बाद उनके पुत्र ने अयोध्या पर शासन किया.
महाभारत के युद्ध में बृहद्बल का योगदान बहुत महत्वपूर्ण था. उन्होंने पांडवों को यह अहसास कराया कि उन्हें कमजोर नहीं समझा जाना चाहिए. कभी भी किसी को कम नहीं आंकना चाहिए. हर व्यक्ति में अपनी क्षमताएं होती हैं और वह किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है.
6 गुना बढ़ी बाबा श्याम की आस्था की सुगंध, इस बार मेले में 50 लाख से अधिक श्रद्धालु होंगे शामिल
7 Feb, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
विश्व प्रसिद्ध बाबा श्याम के आस्था की सुगंध दिनों दिन बढ़ती जा रही है. मात्र 6 सालों में ही बाबा श्याम के दर्शन के लिए आने वाले भक्तों की तादाद 6 गुना बढ़ गई है. बाबा श्याम महिमा दिनों दिन बढ़ रही है इसका अंदाजा यहां आने वाले भक्तों के 6 साल के आंकड़ों से लगाया जा सकता है. आंकड़ों के मुताबिक पिछले छह साल में खाटू श्याम जी पहुंचने वालों की संख्या में छह गुना से भी ज्यादा इजाफा हुआ है. कोरोना काल से पहले 2019 में जहां कुल 36 लाख 21 हजार लोग खाटू श्याम जी पहुंचे थे, वहीं 2024 में 2 करोड़ 36 लाख पर्यटक बाबा श्याम की नगरी पहुंचे.
आंकड़ों के अनुसार खाटूश्यामजी में पिछले एक साल में ही 31 लाख पर्यटक बढ़े हैं. 2023 में कुल 2.5 करोड़ पर्यटक ने बाबा श्याम के दर्शन किए थे, जो 2024 में 2.36 करोड़ दर्ज हुए हैं. इससे पहले कोरोना काल के बाद 2022 में 60 लाख लोग खाटू श्याम जी पहुंचे थे. इसी में आगामी दिनों में बाबा श्याम के दरबार में भक्तों की तादाद और बढ़ेगी.
कॉरिडोर बनने पर संख्या बढ़ेगी
यदि कुल पर्यटन की बात करें तो जिलेभर में एक साल में पर्यटकों की संख्या करीब सात लाख बढ़ी है. 2023 में जिले में 2.58 करोड़ पर्यटक पहुंचे थे, जो 2024 में 2.65 करोड़ से ज्यादा दर्ज हुए हैं. खाटूश्यामजी में राज्य सरकार का 100 करोड़ का कॉरिडोर भी प्रस्तावित है. जिसकी घोषणा पिछले बजट में ही की गई है. एक्सपर्ट्स का मानना है कि कॉरिडोर के बाद खाटूश्यामजी में पर्यटकों की संख्या में और ज्यादा इजाफा होगा. पर्यटन विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में पर्यटकों की पहली पसंद अब भी धार्मिक पर्यटन स्थल ही है. पर्यटकों की संख्या के लिहाज से पिछले साल भी खाटूश्यामजी, जीण माता व शाकंभरी मंदिर ही जिले में टॉप-3 पसंदीदा स्थानों में रहे. इसमें से हर साल खाटूश्यामजी में ही सबसे अधिक श्रद्धालु आते हैं. मेले के समय यहां संख्या सबसे ज्यादा बढ़ती है. इस बार मेले बाबा श्याम के मेले में 50 लाख से ज्यादा श्रद्धालु आने का अनुमान है.
'नमक, नींबू, कपूर और राख...' गोविंदा की बालकनी में 'टोने-टोटका' का सामान!
7 Feb, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
90 के दशक में एक ऐसा हीरो आया था, जिसने स्टारडम की नई परिभाषा ही लिख डाली थी. हम बात कर रहे हैं गोविंदा की. गोविंदा जिस फिल्म में होते, मानों फिल्म के हिट होने की गारंटी होती थी. लेकिन जब फिल्मों से दूरी बनाई उसके बाद वापसी मुश्किल हो गई. फिल्मी दुनिया से दूरी बनाई तो गोविंदा ने राजनीति में भी हाथ अजमाया, राजनीति के बाद फिर से फिल्में भी की लेकिन कुछ काम नहीं कर पाया. हाल ही में गोविंदा एक बार फिर सुर्खियों में आए थे जब उनके पैर में अपनी ही बंदूक से चली गोली लग गई. गोविंदा ठीक होकर घर तो चले गए लेकिन अब उनकी बालकनी ने ‘नमक, नींबू, कपूर जैसी चीजें रखी नजर आती हैं. इस सारे टोने-टोटके का सच गोविंदा की पत्नी सुनीता अहूजा ने खुद बताया है.
दरअसल गोविंदा की मां देवी की बड़ी भक्त थीं. यहीं वजह है कि खुद गोविंदा भी देवी के बड़े भक्त रहे हैं. उनके घर में भक्ति का खूब माहौल रहता है. हाल ही में गोविंदा की पत्नी सुनीता कपूर ने अपने मुंबई वाले बंगले का टूर एक निजी चैनल को दिखाया है. इस टूर में सुनीता अहूजा ने अपनी बालकन भी दिखाई है, जहां नमक, नींबू, कपूर और फिटकरी जैसी चीजें हमेशा रखी रहती हैं.
सुनीता इस वीडियो में बताती हैं, ‘मैं आपको अपनी बालकनी दिखाती हूं. यहां मेरा और टीना (गोविंदा और सुनीता की बेटी) का तुलसी का झाड़ है. अभी माता रानी सो रही हैं. नजर नहीं लगे इसलिए हम लोग बालकनी में ये सब भी रखते हैं.’ ये कहते हुए सुनीता दिखाती हैं कि वह अपनी बालकनी में धूप, एक ग्लास में नींबू और कपूर जैसी चीजें भी रखती हैं.
सुनीता बताती हैं, ‘ये एक तुलसी मेरी है एक टीना ने लगाई है. हम रोज शाम को यहां राई के तेल का दिया भी लगाते हैं. ताकि किसी की भी बुरी नजर मेरे घर में या मेरे बच्चों को या मेरी फैमली को न लगे. ये बालकनी हमने सिर्फ तुलसी मां के लिए बनाई है. तो घर में जब कोई पार्टी होती है या कोई स्मोकिंग करता है तो हम ये बालकनी बंद कर देते हैं. मेरी ये बालकनी सिर्फ पूजा-पाठ के लिए ही है. मैं रोज सूर्य को इसी बालकनी से जल चढ़ाती हूं. आप ये कह सकते हैं कि ये मेरा आउटडोर पूजाघर है. ‘
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
7 Feb, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- भाग्य का सितारा साथ देगा, बिगड़े कार्य बनेंगे, कार्य योजना अवश्य बनेगी।
वृष राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष, कुछ चिन्ता, व्यावसायिक कार्यों में अवरोध अवश्य ही होगा।
मिथुन राशि :- नवीन मित्र मंत्रणा अवश्य ही सफल होगी, संवेदनशील होने से बचियेगा।
कर्क राशि :- व्यग्रता मन उद्विघ्न रखें, कार्यगति मंद होवे, समय का ध्यान अवश्य रखें।
सिंह राशि :- साधन सम्पन्नता के योग बनेंगे, दैनिक व्यावसाय गति उत्तम रहेगी ध्यान दें।
कन्या राशि :- विरोधी परेशान करें, व्यर्थ धन का व्यय, असमंजस व अस्थिरता बनी रहेगी।
तुला राशि :- कार्य-व्यवसाय में बाधा, तनाव-क्लेश से बचने का प्रयास करें, रोग से बचें।
वृश्चिक राशि :- चिन्ता बनी रहे, कुटुम्ब की समस्याओं को समझदारी से अवश्य निपटा लें।
धनु राशि :- बिगड़े हुए कार्य बनेंगे, आशानुकूल सफलता, सहयोग अवश्य ही मिलेगा।
मकर राशि :- स्थिति में सुधार, कार्य-सफलता से हर्ष, सहयोग, संतोष, बिगड़े कार्य अवश्य बनेंगे।
कुंभ राशि :- स्वास्थ्य नरम, कहीं तनाव पूर्ण स्थिति कष्टप्रद हो तथा कार्य सम्पन्न होंगे।
मीन राशि :- दूसरों के कार्य में समय तथा धन नष्ट न करें, समय स्थिति का ध्यान रखें।
किन्नर अखाड़े में इसलिए होती है रात को पूजा
6 Feb, 2025 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाकुंभ में किन्नर अखाड़े की पूजा सबके आकर्षण का केंद्र बनी हुई है, क्योंकि इनकी जीवनशैली सबसे अलग है किन्नर अखाड़े में किसी को दीक्षा दिलाई जाती है, तो उससे जुड़े पूजा-अनुष्ठान आधी रात को ही किए जाते हैं, क्योंकि इसके पीछे एक खास वजह है। दरअसल, तंत्र विधान के मुताबिक, महाकुंभ हो या कुंभ, हमेशा आधी रात को ही अघोरी पूजा होती है। इसमें डमरू की गूंज के साथ ही मंत्रोच्चारण किया जाता है। यह पूजा किन्नर अखाड़े की तांत्रिक परंपराओं का एक अहम हिस्सा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक बड़े हवन कुंड के चारों ओर मानव खोपड़ियां, दीपों को रोशनी, तेज आवाज में गूंजते डमरू और मंत्रोच्चारण इस दृश्य को और भी रहस्यमय और आध्यात्मिक बनाती हैं। यह साधना तंत्र विद्या, आध्यात्मिक शक्ति और आस्था का अद्वितीय संगम है।
इसके अलावा ये भी माना जाता है कि महाकुंभ के दौरान सभी देवी-देवता धरती लोक पर आते हैं। ऐसे में इस दौरान इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। साथ ही रात्रि का समय तंत्र साधना के लिए भी सबसे उत्तम और फलदायी माना जाता है। यही कारण है कि किन्नर अखाड़े में आधी रात को ही पूजा होती है।
8 फरवरी को रखा जाएगा जया एकादशी व्रत
6 Feb, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म शास्त्रों में एकादशी तिथि बहुत विशेष और महत्वपूर्ण बताई गई है। जया एकादशी 7 फरवरी को रात 9 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी. वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 8 फरवरी को रात 8 बजकर 15 मिनट पर हो जाएग। एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है। साल भर में 24 एकादशी पड़ती है। हर एकादशी का अपना महत्व है। इन्हीं में एक जया एकादशी भी है। हर महीने की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि जया एकादशी कही जाती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जया एकादशी पर भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जया एकादशी के दिन जो भी भगवान विष्णु जी की पूजा-उपासना करता है उसके जीवन के सभी दुख और कष्ट दूर होते हैं। साथ ही जीवन सुखमय हो जाता है। जया एकादशी के व्रत को रखने के सही नियम हिंदू धर्म शास्त्रों में बताए गए हैं। जया एकादशी के व्रत को रखने के सही नियम क्या हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 7 फरवरी को रात 9 बजकर 26 मिनट पर शुरू होगी। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 8 फरवरी को रात 8 बजकर 15 मिनट पर हो जाएगा। ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, जया एकादशी का व्रत 8 फरवरी को रखा जाएगा।
26 फरवरी को मनायी जाएगी महाशिवरात्रि
6 Feb, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में महाशिवरात्रि का पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। पूरे देश में महाशिवरात्रि का त्यौहार बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। महाशिवरात्रि के मौके पर देश के अलग-अलग हिस्सों में भव्य शिव बारात भी निकाली जाती है। यही वो पावन दिन है जब महादेव का विवाह माता पार्वती के साथ संपन्न हुआ था। महाशिवरात्रि के दिन शिव-गौरी की पूजा करने से सुखी दांपत्य जीवन और समृद्धि-संपन्नता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसके साथ ही महाशिवरात्रि का व्रत कर भोलेनाथ और मां पार्वती की पूजा करने से कुंवारी कन्याओं को सुयोग्य और मनचाहा जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन महाशिवरात्रि का त्यौहार मनाया जाता है। इस बार यह पावन तिथि 26 फरवरी 2025 को पड़ रही है। माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 8 मिनट पर होगा। पंचांग के अनुसार, चतुर्दशी तिथि का समापन 27 फरवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट पर होगा।
मुहूर्त
महाशिवरात्रि निशिता काल पूजा समय- 27 फरवरी को मध्यरात्रि 12 बजकर 27 मिनट से रात 1 बजकर 16 मिनट तक
शिवरात्रि पारण समय- 27 फरवरी को सुबह 6 बजकर 59 मिनट से सुबह 8 बजकर 54 मिनट तक
अंगूठा बता देता है आपके अंदर का राज
6 Feb, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सभी को भविष्य में क्या छिपा है यह राज जानने की जिज्ञासा होती है। जन्मकुंडली के साथ ही हाथ की रेखाएं देखकर भी भविष्य के राज जाने जा सकते हैं।
हस्तरेखा विज्ञान में अंगूठे को चरित्र का आइना कहा जाता है। आप इसे देखकर व्यक्ति के बारे में कई गुप्त बातें जान सकते हैं। व्यक्ति की आर्थिक स्थिति, बचत, काम वासना और रोगों का पता भी अंगूठे से लग जाता है।
अंगूठा लंबा
जिनका अंगूठा लंबा होता है वह बुद्धिमान और उदार होते हैं। ऐसे व्यक्ति शौकीन भी खूब होते हैं। अगर अंगूठा तर्जनी उंगली के दूसरे पोर तक पहुंच रहा है तो व्यक्ति नेक होता है और कभी किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता।
अंगूठा छोटा
अंगूठा छोटा होना अच्छा नहीं माना जाता। ऐसे लोगों के उधार और कर्ज देने से बचना चाहिए क्योंकि पैसा डूबने का डर रहता है। इन्हें जीवन में कई बार हानि उठानी पड़ती और पारिवारिक जीवन में भी उथल-पुथल मचा रहता है।
अंगूठा अधिक चौड़ा
अगर अंगूठा अधिक चौड़ा हो तो व्यक्ति खर्चीले स्वभाव का होता है। ऐसे लोग अक्सर कोई न कोई बुरी लत अपना लेते हैं।
कम खुलने वाला अंगूठा
कम खुलने वाला अंगूठा हस्तरेखा विज्ञान में अच्छा नहीं माना गया है। ऐसे लोगों के हर काम में बाधा आती रहती है और सफलता देर से मिलती है। ऐसे लोग चाहकर भी कमाई के अनुसार बचत नहीं कर पाते हैं।
ऊपर मोटा और गोल हो तो
अगर अंगूठा नीचे पतला और ऊपर मोटा और गोल हो तो ऐसा व्यक्ति शंकालु होते और इन्हे भी अपने काम में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। लेकिन हाथ भारी हो तो उन्नति करते हैं।
अंगूठा हो लंबा पतला तो
अंगूठा पतला और लंबा हो तो व्यक्ति शांत स्वभाव का होता है। ऐसे व्यक्ति अपने काम वासना पर नियंत्रण रखने में कुशल होते हैं। इन्हें व्यवहारकुशल भी माना जाता है। ऐसे लोग भावुक भी खूब होते हैं।
ऐसे लोग धनी होते हैं
जिनका अंगूठा ज्यादा खुलता है ऐसे लोग धनी होते हैं। अपने व्यक्तित्व के कारण इन्हें समाज में खूब सम्मान मिलता है।
जीवन की समस्याआं का समाधान बताते हैं यंत्र
6 Feb, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म के अनेक ग्रंथों में कई तरह के चक्रों और यंत्रों के बारे में विस्तार से उल्लेख किया गया है। जिनमें राम शलाका प्रश्नावली, हनुमान प्रश्नावली चक्र, नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र, श्रीगणेश प्रश्नावली चक्र आदि प्रमुख हैं। कहते हैं इन चक्रों और यंत्रों की सहायता से लोग अपने मन में उठ रहे सवालों, जीवन में आने वाली कठिनाइयों आदि का समाधान पा सकते हैं। इन चक्रों और यंत्रों की सहायता लेकर केवल आम आदमी ही नहीं बल्कि ज्योतिष और पुरोहित लोग भी सटीक भविष्यवाणियां तक कर देते हैं।
श्री राम शलाका प्रश्नावली
श्री राम शलाका प्रश्नावली का उल्लेख गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस में प्राप्त होता है। यह राम भक्ति पर आधारित है। इस प्रश्नावली का प्रयोग से लोग जीवन के अनेक प्रश्नों का जवाब पाते हैं। इस प्रश्नावली का प्रयोग के बारे कहा जाता है कि सबसे पहले भगवान श्रीराम का स्मरण करते हुए किसी सवाल को मन में अच्छी तरह सोच लिया जाता है।फिर शलाका चार्ट पर दिए गए किसी भी अक्षर पर आंख बंद कर उंगली रख दी जाती है। जिस अक्षर पर उंगली रखी जाती है, उसके अक्षर से प्रत्येक 9वें नम्बर के अक्षर को जोड़ कर एक चौपाई बनती है, जो प्रश्नकर्ता के प्रश्न का उत्तर होती है।
हनुमान प्रश्नावली चक्र
यह बात बहुत कम लोगों को पता है कि हनुमानजी एक उच्च कोटि के ज्योतिषी भी थे। इसका कारण शायद यह हो सकता है कि वे शिव के ग्यारहवें अंशावतार थे, जिनसे ज्योतिष विद्या की उत्पत्ति हुई मानी जाती है। कहते हैं, हनुमानजी ने ज्योतिष प्रश्नावली के 40 चक्र बनाए हैं। यहां भी प्रश्नकर्ता आंख मूंद कर चक्र के नाम पर उंगली रखता है। अगर उंगली किसी लाइन पर रखी गई होती है, तो दोबारा उंगली रखी जाती है। फिर नाम के अनुसार शुभ-अशुभ फल का निराकरण किया जाता है। कहते हैं। रामायण काल के परम दुर्लभ यंत्रों में हनुमान चक्र श्रेष्ठ यंत्रों का सिरमौर है।
नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र
अनेक लोग, विशेष देवी दुर्गा के परम भक्त, यह मानते हैं कि नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र एक चमत्कारिक चक्र है, जिसे के माध्यम से कोई भी अपने जीवन की समस्त परेशानियों और मन के सवालों का संतोषजनक हल आसानी से पा सकते हैं। इस चक्र के उपयोग की विधि के लिए पहले पांच बार ऊँ ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र का जप करना पड़ता फिर एक बार या देवी सर्वभूतेषु मातृरुपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: मंत्र का जप कर, आंखें बंद करके सवाल पूछा जाता है और देवी दुर्गा का स्मरण करते हुए प्रश्नावली चक्र पर उंगली घुमाते हुए रोक दिया जाता है, जिस कोष्ठक उंगली होती है। उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार फलादेश को जाना जाता है।
श्रीगणेश प्रश्नावली चक्र
हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान गणेश प्रथमपूज्य हैं। वे सभी मांगलिक कार्यों में सबसे पहले पूजे जाते हैं। उनकी पूजा के बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। श्रीगणेश प्रश्नावली यंत्र के माध्यम से भी लोग अपने जीवन की सभी परेशानियों और सवालों के हल जानने की कोशिश करते हैं। जिसे भी अपने सवालों का जवाब या परेशानियों का हल जानना होता है, वे पहले पांच बार ऊँ नम: शिवाय: और फिर 11 बार ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र का जप करते हैं और फिर आंखें बंद करके अपना सवाल मन में रख भगवान गणेश का स्मरण करते हुए प्रश्नावली चक्र प्रश्नावली चक्र पर उंगली घुमाते हुए रोक देते हैं, जिस कोष्ठक उंगली होती है। उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार फलादेश को जाना जाता है।
शिव प्रश्नावली यंत्र
इस यंत्र में भगवान शिव के एक चित्र पर 1 से 7 तक अंक दिए गए होते हैं। श्रद्धालु अपनी आंख बंद करके पूरी आस्था और भक्ति के साथ शिवजी का ध्यान करते हैं और और मन ही मन ऊं नम: शिवाय: मंत्र का जाप कर उंगली को शिव यंत्र पर घुमाते हैं और फिर उंगली घुमाते हुए रोक देते हैं, जिस कोष्ठक उंगली होती है। उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार फलादेश को जाना जाता है1
इन प्रश्नावलियों और यंत्रों के अलावा अनेक लोग साईं प्रश्नावली का उपयोग भी अपने मन में उठ रहे सवालों का जवाब पाने के लिए करते हैं।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
6 Feb, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- बेचैनी, उद्विघ्नता से बचिये, सोचे हुए कार्य चिन्ता कर बना लेवें, रूके कार्य बनेंगे।
वृष राशि :- चिन्ताऐं कम हों, सफलता के साधन हुटायें, अचानक लाभ के योग अवश्य बनेंगे।
मिथुन राशि :- सफलता के साधन जुटायें, व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि होवे, समय का ध्यान रखें।
कर्क राशि :- व्यर्थ धन का व्यय, समय-शक्ति नष्ट होवे, विघटनकारी तत्व परेशान करेंगे।
सिंह राशि :- भोग-ऐश्वर्य से स्वास्थ्य नरम रहे, विद्यार्थी वर्ग आपको परेशान करेंगे ध्यान रखें।
कन्या राशि :- समय व धन नष्ट हो, क्लेश व अशांति होवे, यात्रा से कष्ट व चिन्ता, धन नष्ट हो।
तुला राशि :- परिश्रम से सफलता के साधन अवश्य जुटायें, कार्य-व्यवधान, कार्य अवरोध अवश्य होगा।
वृश्चिक राशि :- चोट आदि से बचिये, भाग्य का सितारा बुलन्द हो, समय की प्रबलता का लाभ लें।
धनु राशि :- क्लेश व अशांति से बचिये, मानसिक उद्विघ्नता अवश्य ही बनेगी, ध्यान रखें।
मकर राशि :- परिश्रम विफल हो, चिन्ता व यात्रा, व्यग्रता व स्वास्थ नरम अवश्य ही होगा।
कुंभ राशि :- आकस्मिक घटना से चोर आदि का भय होगा तथा समय का ध्यान रखें।
मीन राशि :- अधिकारियों से कष्ट, इष्ट मित्र सहायक न होवें, समय का ध्यान अवश्य रखें।
सपने में सफेद घोड़ा या ऊंट दिखना करता है बड़े इशारे, 4 तरह के जीव दिखना शुभ या अशुभ?
5 Feb, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
स्वप्न शास्त्र के अनुसार सपने सिर्फ रात की कल्पनाओं का हिस्सा नहीं होते, बल्कि ये व्यक्ति के जीवन में आने वाली घटनाओं के संकेत भी होते हैं. अक्सर हमें सपनों में अलग-अलग जीव दिखाई देते हैं, जिनका अर्थ समझना हमारे लिए मुश्किल हो सकता है. हालांकि, इन सपनों के जरिए हम अपने भविष्य के बारे में कुछ संकेत प्राप्त कर सकते हैं. इस आर्टिकल में हम कुछ खास पशुओं के सपनों के बारे में जानेंगे
सपने में घोड़ा दिखना
अगर आप सपने में घोड़ा देखते हैं, तो यह संकेत करता है कि आप सफलता की ओर बढ़ रहे हैं. खासतौर पर अगर सपने में घोड़ा दौड़ता हुआ दिखाई दे, तो यह आपके कार्यक्षेत्र में तरक्की की तरफ इशारा करता है. इसके अलावा, सफेद घोड़ा देखना आपके लिए करियर में नई ऊंचाइयों की ओर अग्रसर होने का संकेत हो सकता है.
2. सपने में ऊंट का दिखना
स्वप्न शास्त्र के अनुसार अगर किसी व्यक्ति को सपने में ऊंट दिखाई देता है, तो यह एक सकारात्मक संकेत होता है. यह संकेत करता है कि भविष्य में उस व्यक्ति के करियर में सफलता मिल सकती है और साथ ही उसे धन प्राप्ति के अवसर भी मिल सकते हैं. ऊंट का सपना आर्थिक और व्यावसायिक समृद्धि के संकेत के रूप में देखा जाता है.
3. सपने में चीटियां दिखना
बहुत सारी चीटियां एक साथ सपने में देखना अच्छा संकेत नहीं होता. स्वप्न शास्त्र के मुताबिक, जब कोई व्यक्ति सपने में चीटियां देखता है, तो यह संकेत देता है कि उसके जीवन में कई परेशानियां और कठिनाइयां सामने आ सकती हैं. ऐसे सपने जीवन में आने वाली मुश्किलों को लेकर चेतावनी देते हैं.
4. सपने में सफेद उल्लू दिखना
अगर सपने में सफेद उल्लू दिखाई दे, तो यह बेहद शुभ संकेत माना जाता है. इस तरह का सपना भविष्य में किसी बड़े व्यक्ति से मिलने और उसकी मदद से आर्थिक समृद्धि प्राप्त होने का संकेत देता है. सफेद उल्लू का सपना यह भी बताता है कि आपके रास्ते में सफलता के नए अवसर खुल सकते हैं.
संतान और सुख प्राप्ति के लिए इस अष्टमी का व्रत है सबसे प्रभावी!
5 Feb, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म मे हर तिथि, हर वार का धार्मिक महत्व बताया गया है. इसी प्रकार हर साल माघ महीने में भीष्मअष्टमी मनाई जाती है. हर साल माघ महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को भीष्म अष्टमी मनाई जाती है. इस साल भीष्म अष्टमी कल यानी 5 फरवरी को मनाई जाएगी. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भीष्म पितामह ने उत्तरायण होने पर अपने प्राण त्याग दिए थे. इस दिन भीष्म पितामह की पुण्यतिथि से भी जाना जाता है. भीष्म अष्टमी का व्रत रखना काफी फलदायी होता है.
भीष्म अष्टमी शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि 05 फरवरी को देर रात 02 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगी. वहीं, शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की समाप्ति 06 फरवरी को देर रात 12 बजकर 35 मिनट पर होगी. सनातन धर्म में सूर्योदय के बाद से तिथि की गणना की जाती है. इस प्रकार 05 फरवरी को भीष्म अष्टमी मनाई जाएगी.
भीष्माअष्टमी का महत्व
शास्त्रों के अनुसार भीष्म अष्टमी का पर्व भीष्म पितामह की तर्पण तिथि पर मनाया जाता है. भीष्म पितामह ने ब्रह्मचारी जीवन जीने का प्रण लिया था.उन्हें अपनी इच्छा के अनुसार मृत्यु का समय चुनने का भी वरदान मिला. भीष्म पितामह ने अपने प्राण त्यागने के लिए माघ शुक्ल अष्टमी को चुना, क्योंकि उस समय सूर्य देव उत्तरायण की ओर बढ़ने लगे थे. हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह समय शुभ माना जाता है. ऐसा माना जाता है कि जो भक्त भीष्म अष्टमी के दिन व्रत रखता है, उसे संतान प्राप्ति होती है.इस तिथि पर पितरों को तर्पण और दान देने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.इसके साथ ही भीष्म अष्टमी के दिन जो व्यक्ति पितामह भीष्म के निमित्त जल तर्पण करता है, उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं.
मां धूमावती को प्रसन्न करने इस मंत्र का करें जाप, हर बाधा से मिलेगी मुक्ति
5 Feb, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है. नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के 9 रूपों की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है. नवरात्रि के दिनों में भगवती मां दुर्गा पूरे नौ दिन तक धरती पर आकर अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं. उज्जैन के पंडित आनंद भारद्वाज ने बताया कि गुप्त नवरात्रि के सातवें दिन किस देवी की उपासना की जाए.
शास्त्रों के अनुसार, सती प्रसंग के अनुसार भगवान शंकर को उनके ससुर यानी राजा दक्ष ने यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया. उनकी पत्नी सती ने जिद की कि वह अपने पिता के यहां यज्ञ में अवश्य जाएंगी. शंकर जी ने बहुत मना किया, लेकिन वह नहीं मानी और वहां चली गई. वहां उनको अपमान से तिरस्कृत होना पड़ा. देखते ही देखते उन्होंने यज्ञ कुण्ड में जान दे दी .यज्ञ की अग्नि बुझ गई. उस धुएं से एक शक्ति प्रगट हुई जो धूमावती थीं. धुएं के रूप में बाहर आने पर यही शक्ति धूमावती कहलाई गई. दूसरा प्रसंग भी इसी के साथ जुड़ा है. कहते हैं कि भगवान शंकर से विरक्त होने के कारण वह धूमावती हुईं. इसलिए, उनका एक स्वरूप विधवा का भी है.
मां धूमावती की पूजा विधि
मां धूमावती की गुप्त नवरात्रि में पूजा करना अत्यन्त लाभकारी माना जाता है. यह भी तंत्र साधना में विश्वास रखने वालों के लिए बहुत महत्वपूण शक्ति मानी गई है. मां धूमावती की पूजा करने से पहले स्नान कर काले रंग के वस्त्र धारण करें. पूजा स्थल पर गंगाजल का छिड़काव करके जल, पुष्प, सिन्दूर, कुमकुम, अक्षत, फल, धूप, दीप तथा नैवैद्य आदि से मां का पूजन करना चाहिए. इसके बाद मां धूमावती की कथा सुननी चाहिए. पूजा के पश्चात अपनी मनोकामना पूर्ण करने के लिए मां से प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए.
मां धूमावती का मंत्र
ॐ धूं धूं धूमावत्यै फट्।
धूं धूं धूमावती ठ: ठ:।।
मां धूमावती के इस मंत्र का जाप कम से कम 21, 51 या 108 बार करने से मां प्रसन्न होती है और अपने भक्तों पर कृपा भी बरसाती हैं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
5 Feb, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- सामाजिक कार्यों में प्रतिष्ठा, प्रभुत्व वृद्धि, कार्यकुशलता से संतोष होवेगा।
वृष राशि :- वृथा थकावट, बेचैनी, मानसिक विभ्रम, धन का व्यय, भ्रमणशील स्थिति रहेगी।
मिथुन राशि :- विशेष कार्य स्थिगित रखें, सामाजिक कार्यों में प्रभुत्व वृद्धि, रुके कार्य बनेंगे।
कर्क राशि :- इष्ट मित्रों से सुख-ऐश्वर्य व विलास में दिन बीतेगा तथा सुख-समृद्धि बनेगी।
सिंह राशि :- सामाजिक कार्यों में समय बीते, प्रतिष्ठा बढ़े, समय पर सोचे कार्य पूर्ण अवश्य होंगे।
कन्या राशि :- दूसरों के कार्यों में समय-शक्ति नष्ट न करें, व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि होगी।
तुला राशि :- अनायास विभ्रम मानसिक बेचैनी तथा स्वभाव नर्म-गर्म रहेगा, समय का ध्यान रखें।
वृश्चिक राशि :- विशेष कार्य स्थिगित रखें, लेनदेन के मामले में हानि होगी, कार्य अवरोध से बचें।
धनु राशि :- मानसिक बेचैनी, उद्विघ्नता एवं असमर्थता का वातावरण बना ही रहेगा।
मकर राशि :- क्रोध व अशांति से बचिये, मानसिक-विभ्रम तथा व्यवस्था नष्ट हो सकती है।
कुंभ राशि :- नवीन योजना फलप्रद हो, कार्यकुशलता से संतोष अवश्य ही होवेगा।
मीन राशि :- इष्ट मित्र से तनाव व क्लेश, अशांति से बचिये, मनोबल अवश्य ही बढ़ेगा।
मंडी में शुरू होने जा रहा है ऐतिहासिक शिवरात्रि महोत्सव! जानिए क्या कुछ खास होगा इस साल?
4 Feb, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मंडी जिला का सबसे बड़ा महोत्सव, अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव, अब बस कुछ ही दिनों दूर है. इस महोत्सव के तहत जिला प्रशासन द्वारा 216 देवी देवताओं को आमंत्रित किया गया है, जिनके लिए निमंत्रण पत्र भेजे जा चुके हैं.
मंडी, जिसे ‘छोटी काशी’ भी कहा जाता है, में इस महोत्सव के दौरान सात दिवसीय देव कुंभ सजता है. यह परंपरा मंडी के राजवंश द्वारा शुरू की गई थी, और आज यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है.
बड़ा देव कमरुनाग की पूजा के साथ महोत्सव की शुरुआत
मंडी के इस अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में 216 देवी देवता शिरकत करेंगे. हालांकि, पुराने इतिहास के अनुसार, सबसे पहले बड़ा देव कमरुनाग मंडी पहुंचते हैं और इसके बाद ही शिवरात्रि महोत्सव की शुरुआत होती है. अन्य देवी देवता भी बड़े देव कमरुनाग के मंडी पहुंचने के बाद ही यहां आते हैं और मंडी के राजा कृष्ण रूप माधव राय के दरबार में हाजरी लगाते हैं.
बड़ा देव कमरुनाग का मंदिर और उनका यात्रा
बड़ा देव कमरुनाग मंडी जिले के प्रमुख देवता माने जाते हैं और इन्हें बारिश का देवता भी कहा जाता है. क्षेत्र के श्रद्धालु इनसे बारिश कराने और अधिक बारिश होने पर उसे रोकने के लिए यहां आते हैं. उनका मंदिर मंडी जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर दूर कमरूघाटी में स्थित है, जहां देवदार के घने जंगल और सर्दियों में बर्फबारी होती है.
परंपरा के अनुसार, बड़ा देव कमरुनाग यह 50 किलोमीटर का सफर पैदल ही तय करते हैं और वाहन में यात्रा नहीं करते. यह देवता अपने लोगों के साथ इस कठिन यात्रा को पार करते हैं.
बड़ा देव कमरुनाग की मंडी में आगमन
इस वर्ष बड़ा देव कमरुनाग 25 फरवरी को मंडी पहुंचेंगे. इसी दिन वह राजा माधव राय से उनके महल में मिलेंगे और कुछ समय विश्राम करने के बाद अपनी निर्धारित स्थान, माता श्यामाकाली मंदिर टारना, में 7 दिन तक विराजमान रहेंगे.