धर्म एवं ज्योतिष
29 मार्च को खुलेंगे भाग्य के द्वार, शनि अमावस्या पर करें ये खास उपाय!
26 Mar, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शनि अमावस्या हिंदू धर्म में एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है. इस दिन पितृ तर्पण और शनि देव की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि का संचार होता है. पितृ दोष और शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए यह दिन विशेष रूप से अनुकूल माना जाता है. इस बार शनि अमावस्या 29 मार्च 2024 को पड़ रही है.
पितरों का आशीर्वाद पाने का खास दिन
शनि अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने से उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है.यह न केवल जीवन के संकटों से मुक्ति दिलाता है बल्कि परिवार में सुख-शांति और समृद्धि भी लाता है.
शनि अमावस्या पर पितरों की तर्पण विधि
इस दिन सुबह स्नान करने के बाद पवित्र मन से तर्पण प्रक्रिया शुरू करें. एक लोटे में जल, काले तिल, फूल डालें और उन्हें पितरों को अर्पित करें. तर्पण करते समय “ॐ पितृ देवा नमः” या “ॐ तिल नमः” मंत्र का जाप करें. इसके साथ ही पितृ चालीसा का पाठ भी अवश्य करें, जिससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
शनि दोष दूर करने के लिए क्या करें?
शनि अमावस्या पर पीपल के पेड़ को जल चढ़ाना और उसके नीचे दीया जलाना बेहद शुभ माना जाता है. साथ ही, शनि देव को तेल अर्पित करना और गरीबों को काले तिल, वस्त्र और अन्न का दान करने से शनि के अशुभ प्रभाव शांत होते हैं और आर्थिक तंगी भी दूर होती है.
हनुमान चालीसा, जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर
26 Mar, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हनुमान चालीसा का हर रोज पाठ करने से सभी रोग व कष्ट दूर होते हैं. साथ ही शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या के अशुभ प्रभाव में कमी भी आती है. इस पाठ को हर रोज पढ़ने से मन को शांति मिलती है और सभी तरह के भय दूर हो जाते हैं. साथ ही घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और नौकरी व कारोबार में अच्छी तरक्की होती है. हनुमान चालीसा का हर रोज पाठ करने से सभी ग्रह अनुकूल रहते हैं और नकारात्मकता दूर रहती है.
दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि। बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुण्डल कुँचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजे। कांधे मूंज जनेउ साजे।।
शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग वंदन।।
बिद्यावान गुनी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये। श्री रघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा। राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानु। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना। तुम रच्छक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै। महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरे सब पीरा। जपत निरन्तर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा। तिन के काज सकल तुम साजा।।
और मनोरथ जो कोई लावै। सोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु संत के तुम रखवारे।। असुर निकन्दन राम दुलारे।।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुह्मरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै।।
अंत काल रघुबर पुर जाई। जहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
सङ्कट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं। कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई। छूटहि बन्दि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा। कीजै नाथ हृदय महं डेरा।।
नवरात्रि में मां को लौंग चढ़ाने से मिलते हैं कई लाभ? जानें किस मनोकामना के लिए कैसे करें अर्पित
26 Mar, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का बहुत अधिक महत्व माना जाता है. नवरात्रि के नौ दिनों में देवी मां दुर्गा की आराधना की जाती है. इसके साथ ही नवरात्रि में मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भक्त व्रत भी करते हैं व कई उपाय भी करते हैं. मान्यताओं के अनुसार, जो भी भक्त मां दुर्गा की सच्चे मन से आराधना करते हैं व उपाय करते हैं माता रानी उनकी हर मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं.
इसी बीच आपको बता दें कि नवरात्रि के दौरान माता रानी को भक्तजन लौंग चढ़ाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि माता रानी को लौंग क्यों चढ़ाया जाता है और इसका क्या महत्व है? नवरात्रि में देवी मां को क्यों चढ़ाया जाता है लौंग और क्या होता है इसका फायदा और क्या लौंग के किन उपायों को करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं.
लौंग का धार्मिक महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार लौंग का प्रयोग करना शुभ होता है.मान्यता है कि लौंग के प्रभाव से नकारात्मक शक्तियों खत्म हो जाती हैं और सकारात्मकता बनी रहती है. लौंग का प्रयोग विशेष कर पूजा पाठ और हवन आदि क्रियाओं में किया जाता है.
मां दुर्गा को लौंग चढ़ाने के होंगे ये लाभ
– लौंग चढ़ाने से मां दुर्गा शीघ्र प्रसन्न होती हैं. इसके प्रभाव से व्यक्ति को कभी पैसों की तंगी नहीं होती और सुख समृद्धि बढ़ती है.
– लौंग के प्रयोग से नकारात्मक शक्तियों दूर हो जाती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है.
– पूजा में लौंग का उपयोग करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य ठीक रहता है और बीमारियां दूर होती हैं.
– लौंग के प्रयोग से व्यक्ति बुरी नजर से बच सकता है और ऐसे व्यक्ति पर कभी बुरी शक्तियां प्रभाव नहीं करती हैं.
– जो व्यक्ति देवी मां को लोग चढ़ाता है उसकी सभी मनोकामनाएं मां पूरी करती हैं.एक लाल कपड़े में कुछ लौंग लपेट लें.
नवरात्रि में कर सकते हैं ये कारगर उपाय
– यदि आप अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत करना चाहते हैं तो एक लाल कपड़े में 2 लौंग, 5 इलायची और 5 सुपारी बांधे और मां दुर्गा को अर्पित करें. इस उपाय को करने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं.
– यदि आप नौकरी में उन्नति चाहते है तो लौंग का ये उपाय आपके लिए लाभकारी होगा.इसके लिए प्रतिदिन आपको लौंग का जोड़ा अपने सर से सात बार उतारकर मां के चरणों में अर्पित करना चाहिए.
– राहु केतु ग्रह क्रूर ग्रहों में आते हैं.यदि कुंडली में इनसे जुड़ी समस्या है तो शिवलिंग पर रोज लौंग का जोड़ा चढ़ाने से आपकी परेशानी खत्म हो सकती है.
– घर में सुख शांति बनाए रखने के लिए प्रतिदिन लौंग और कपूर जलाकर उसकी धूप घर के हर कोने में देना चाहिए.
21 दिन बाद सूर्य के मेष राशि में गोचर संग खत्म होगा खरमास, शुरू हो जाएंगे मांगलिक कार्य, 2 महीना खूब बजेगी शहनाई
25 Mar, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पिछले 1 महीने से सभी मांगलिक कार्यों पर विराम लगा हुआ है. ऐसा इसलिए, क्योंकि खरमास का महीना जो चल रहा है. हिन्दू धर्म में पूरे खरमास में कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य निषेध माने जाते हैं. हालांकि, आज से ठीक 21 दिन बाद खरमास का समापन हो रहा है. इस दिन सूर्य मेष राशि में गोचर करेंगे. ऐसा होने से शहनाई की मधुर ध्वनि फिजाओं में घुलने लगेगी. बैंड-बाजों के शोर के साथ वर यात्राएं सड़कों पर नजर आने लगेंगी. ज्योतिष आचार्यों की मानें तो, गुरु ग्रह के 23 मार्च से ही उदय होने से 14 अप्रैल से 9 जून तक विवाह के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त होंगे. अब सवाल है कि आखिर खरमास में क्यों नहीं होते मांगलिक कार्य? कब खत्म हो रहा खरमास महीना?
खरमास में क्यों नहीं होते मांगलिक कार्य
खरमास में मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं, क्योंकि इस दौरान सूर्य देव की ऊर्जा कमजोर मानी जाती है, जो शुभ कार्यों के लिए आवश्यक होती है. ज्योतिष शास्त्र में गुरु ग्रह को भाग्य के कारक में रूप जोड़कर देखा जाता है. ऐसे में अगर खरमास में शुभ और मांगलिक काम किए जाते हैं, तो उसका शुभ फल प्राप्त नहीं होता. इसी वजह से खरमास में शुभ और मांगलिक पर रोक लग जाती है.
2025 में खरमास कब से कब तक चलेगा
ज्योतिष आचार्यों की माने तो, खरमास का महीना पूरे एक महीने तक रहता है. इस बार खरमास 14 मार्च 2025 से शुरू हुआ था, जब सूर्य मीन राशि में गए थे और 13 अप्रैल 2025 को खरमास का समापन होगा. इसके बाद सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे.
14 अप्रैल से 9 जून तक विवाह का श्रेष्ठ मुहूर्त
14 अप्रैल से लेकर नौ जून तक विवाह के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त हैं. देवश्यानी एकादशी से 27 दिन पहले नौ जून को गुरु के अस्त होने के कारण इस बार पांच माह के लिए विवाह समारोह में विराम लग जाएगा. ज्योतिषाचार्य की मानें तो सनातन धर्म में कोई भी कार्य बिना शुभ मुहूर्त जाने नहीं किया जाता है.
6 जुलाई को देवशयनी एकादशी
6 जुलाई को देवशयनी एकादशी के बाद देव चार माह के लिए श्रीहरि क्षीरसागर में विश्राम करने चले जाते हैं. उसके पश्चात दो नवंबर को देवउठनी एकादशी पर फिर से विवाह आदि मांगलिक कार्य प्रारंभ होंगे.
साल 2025 में अप्रैल से दिसंबर तक विवाह मुहूर्त
अप्रैल के मुहूर्त: 14, 16, 18, 19, 20, 21, 25, 29 और 30 अप्रैल में कुल नौ शादी के मुहूर्त हैं.
मई के मुहूर्त: 1, 5, 6, 8, 10, 14, 15, 16, 17, 18, 22, 23, 24, 27 और 28 मई को विवाह के शुभ मुहूर्त हैं.
जून के मुहूर्त: 2, 4, 5, 7 और 8 जून को विवाह के शुभ मुहूर्त हैं.
नवंबर के मुहूर्त: 2, 3, 6, 8, 12, 13, 16, 17, 18, 21, 22, 23, 25 और 30 नवंबर को शादी के शुभ मुहूर्त हैं.
दिसंबर के मुहूर्त: 4, 5 और 6 दिसंबर को विवाह के शुभ मुहूर्त हैं.
29 मार्च को सूर्य ग्रहण और शनि गोचर एक साथ, इस दिन जन्म लेने वाले बच्चों का क्या होगा भविष्य
25 Mar, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
29 मार्च को साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण मीन राशि में लग रहा है और इसी दिन मीन राशि में शनि देव का गोचर होने वाला है. साथ ही इसी दिन शनि अमावस्या भी है. किसी भी बच्चे का जन्म का दिन उसके भविष्य, व्यक्तित्व और स्वभाव से जुड़ी कई बातों को निर्धारित करता है. सप्ताह के सातों दिन जन्म लेने वाले बच्चे अलग अलग स्वभाव के होते हैं लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर कोई बच्चा सूर्य ग्रहण और शनि गोचर के समय होता है तो उसका भविष्य और स्वभाव आम बच्चों से अलग हो सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं 29 मार्च को जन्म लेने वाले बच्चों पर सूर्य ग्रहण और शनि गोचर का क्या प्रभाव पड़ेगा…
ग्रह-नक्षत्रों के आधार पर होगा तय
अगर किसी बच्चे का जन्म 29 मार्च को होगा तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसका संपूर्ण जीवन खराब या अशुभ रहेगा. ग्रहण काल में जन्म लेने वाले बच्चे का नक्षत्र, लग्न, वार और समय भी देखा जाता है. संपूर्ण ग्रह-नक्षत्र की जानकारी के आधार पर ही बच्चे का भविष्य क्या होगा, इस बात की जानकारी मिलती है. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, ग्रहण के समय जन्म लेने वाले बच्चे पर इसका कोई असर नहीं होता लेकिन युवावस्था के समय ग्रहों का प्रभाव देखने को मिल सकता है.
राहु के गुण होते हैं मौजूद
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, सूर्य ग्रहण और शनि गोचर के समय जन्म लेने वाले बच्चे पर इसका प्रभाव हमेशा बना रहता है. सूर्य ग्रहण के समय जन्म लेने वाले बच्चों पर राहु के गुण भी मौजूद होते हैं. साथ ही इस दिन अमावस्या भी है और अमावस्या तिथि पर कुंडली में सूर्य और चंद्रमा एक ही घर में मौजूद रहते हैं, जिससे इस दिन जन्म लेने वाले बच्चे में गजब की लीडरशिप क्वालिटी देखने को मिलेगी, ज्यादातर हर क्षेत्र में आगे रखते हैं. साथ ही ग्रहण के समय जन्म लेने वाले बच्चे धर्म कर्म के कार्यों में आगे रहते हैं और गर्भ से ही आध्यात्मिक योद्धा के रूप में कार्य करते हैं.
29 मार्च का मूलांक 2
29 मार्च का मूलांक 2 है और 2 के स्वामी चंद्र देव हैं. चंद्र देव भी इसी दिन मीन राशि में शनि के साथ मौजूद रहेंगे. इस वजह से इस दिन जन्म लेने वाले बच्चे का स्वभाव काफी चंचल होता है और काफी धैर्यवान भी होता है. किसी भी परिस्थिति में घबराते नहीं है और समझदारी से फैसले लेते हैं. इस मूलांक वाले लव लाइफ के मामले में काफी लकी रहते हैं. लेकिन ग्रहण की वजह से माता या पिता में से किसी एक का ही सुख उनको मिलेगा.
सूर्य ग्रहण का प्रभाव
सूर्य ग्रहण और शनि गोचर के समय जन्म लेने वाले बच्चों को जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना भी करना पड़ सकता है लेकिन बचपन में नहीं युवावस्था के दौरान. ज्योतिष की मानें तो ग्रहण काल में जन्म लेने वाले बच्चों में अधूरापन देखने को मिल सकता है. अगर पैसा होगा तो पारिवारिक सुख नहीं मिलेगा लेकिन अगर पारिवारिक सुख होगा तो धन संबंधित समस्या का सामना करना पड़ सकता है. लेकिन अगर ये समझदारी से आगे बढ़ते जाएं तो ये अपना भाग्य खुद ही बदलकर लिख सकते हैं.
सूर्य ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव और उपाय
सूर्य ग्रहण और शनि गोचर के समय जन्म लेने वाले बच्चों को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है. साथ ही स्नायु और आंखें रोगग्रस्त हो सकती है. साथ ही विकलांगता की समस्या भी ग्रहण के समय जन्म लेने वाले बच्चों में देखने को मिल सकती है. हालांकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण की बात करें तो सूर्य ग्रहण और शनि गोचर के समय जन्म लेने वाले बाकी दिन जन्म लेने वाले बच्चों की तरह सामान्य होते हैं. इस दिन जन्म लेने वाले बच्चों को वही परेशानी और लाभ मिल सकते हैं, जो अन्य दिन जन्म लेने वाले बच्चों को मिलते हैं. सूर्य ग्रहण और शनि गोचर के समय जन्म लेने वाले बच्चों पर युवावस्था के दौरान राहु और केतु से संबंधित चीजों का दान करवाते रहें.
25 या फिर 26 मार्च...कब है पापमोचनी एकादशी?
25 Mar, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में प्रत्येक महीने दो बार एकादशी तिथि आती है और एकादशी तिथि के दिन भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित व्रत रखा जाता है. एकादशी तिथि के दिन व्रत करने से सभी तरह के पापों से मुक्ति भी मिलती है और भगवान श्री हरि विष्णु की विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना की जाती है. वैदिक पंचांग के अनुसार प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष में एकादशी तिथि का व्रत रखा जाता है. चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पाप मोचनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. धार्मिक मान्यता भी है कि एकादशी का व्रत करने से सभी मनोकामना पूरी होती है. ऐसी स्थिति में चलिए इस रिपोर्ट में जानते हैं कब है पापमोचनी एकादशी? क्या है शुभ मुहूर्त और शुभ संयोग?
अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि इस वर्ष पापमोचनी एकादशी को लेकर कई तरह का कंफ्यूजन है. सामान्य लोग 25 मार्च को पापमोचनी एकादशी व्रत रखने की बात कर रहे हैं. जबकि वैष्णव समाज के लोग 26 मार्च को. ऐसी स्थिति में पापमोचनी एकादशी का शुभ मूहूर्त पंचांग के अनुसार कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 25 मार्च को सुबह 5:04 से शुरू होकर 26 मार्च को दोपहर 3:45 पर समाप्त होगा. उदया तिथि के मुताबिक पापमोचनी एकादशी का व्रत 26 मार्च को रखा जाएगा.
पापमोचनी एकादशी व्रत के दिन पारण का समय 26 मार्च को दोपहर 1:58 से लेकर दोपहर 4:26 तक रहेगा. एकादशी तिथि के दिन भगवान श्री हरि विष्णु को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर विधि विधान पूर्वक पूजा आराधना करनी चाहिए. एकादशी तिथि के व्रत का संकल्प लेना चाहिए. भगवान विष्णु के अमोघ मंत्र का जाप करना चाहिए. ऐसा करने से श्री हरि विष्णु की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है और जीवन में समस्त पाप से मुक्ति भी मिलती है.
आटा गूंथने के बाद क्यों बनाते हैं उस पर उंगलियों के निशान? क्या है इसके पीछे की वजह? कैसे शुरू हुई परंपरा?
25 Mar, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
घर के बड़े बुजुर्गों की बताई हुई बातें अक्सर हमारे लिए समझना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, खासकर जब हम इन्हें सिर्फ एक पुरानी परंपरा या मान्यता के रूप में देखते हैं. लेकिन जब हम इनकी गहराई में जाकर समझते हैं, तो पाते हैं कि इन बातों में कुछ खास वजहें और तर्क छिपे होते हैं. एक ऐसी ही बात जो अक्सर हमारे घर के बड़े बुजुर्ग हमें बताते हैं, वह है – “आटा गूंथने के बाद उसमें उंगलियों के निशान जरूर बनाओ.” क्या आप जानते हैं कि इसके पीछे का कारण क्या है और शास्त्रों में इसके बारे में क्या कहा गया है?
आटा गूंथने का महत्व
हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी में आटा गूंथना एक सामान्य काम लगता है, लेकिन इस सामान्य से काम का भी कुछ खास महत्व है. विशेष रूप से घर की महिलाएं दिन में कई बार आटा गूंथती हैं, जिससे रोटियां, परांठे और अन्य खाद्य पदार्थ तैयार होते हैं. लेकिन शास्त्रों में इस कार्य को लेकर कुछ खास निर्देश दिए गए हैं, क्योंकि ये कार्य न सिर्फ भोजन तैयार करने से जुड़ा है, बल्कि हमारी मानसिकता और भक्ति से भी संबंधित है. हिंदू धर्म में भोजन को सिर्फ एक आहार नहीं, बल्कि एक प्रकार का प्रसाद माना जाता है, और इसी कारण रसोई में हर कदम को ध्यान से उठाना जरूरी होता है.
उंगलियों के निशान बनाने की परंपरा
अब हम आते हैं उस खास परंपरा पर, जिसमें दादी-नानी हमें आटा गूंथने के बाद उंगलियों के निशान बनाने की सलाह देती हैं. क्या यह सिर्फ एक रिवाज है या इसके पीछे कोई गहरी वजह है? दरअसल, इसका कारण शास्त्रों और पुरानी मान्यताओं में छिपा हुआ है.
हमारे पूर्वजों के अनुसार, पिंडदान का कार्य पितरों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है. पिंड को चावल के आटे से बनाया जाता है, और वह गोल आकार में होता है. आटा गूंथने के बाद जो गोल आकार बनता है, उसे पिंड से जोड़कर देखा जाता है. इस वजह से आटे को पितरों का भोजन माना जाता है.
लेकिन एक महत्वपूर्ण बात यह है कि आटे के गोले से रोटी बनाना शुभ नहीं माना जाता. इसे पितरों का आहार मानते हुए, यह आवश्यक है कि आटे में उंगलियों के निशान लगाए जाएं, ताकि वह पिंड के रूप में न लगे. यही कारण है कि दादी-नानी हमसे यह कहती हैं कि आटा गूंथते समय उंगलियों के निशान जरूर बनाएं. यह एक प्रकार से आटे को खाने योग्य और शुभ बनाता है.
गोल आकार वाले अन्य पकवानों में भी यह परंपरा है
आटे के अलावा, कई अन्य पकवानों जैसे बाटी, बाफले, वड़ा आदि में भी गोल आकार बनाए जाते हैं. इन पकवानों में भी उंगलियों के निशान लगाकर गड्ढे बनाए जाते हैं. इसका उद्देश्य यह होता है कि ये पकवान पिंड के आकार से भिन्न दिखें और शास्त्रों के अनुसार शुभ माने जाएं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
25 Mar, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनाव व उदर रोग, मित्र लाभ, राजभय होगा, विवेक से कार्य का ध्यान रखेंं।
वृष राशि :- मनोवृत्ति संवेदनशील रहेगी, कार्यगति अनुकूल, चिन्ता कम अवश्य ही होगी।
मिथुन राशि :- किसी प्रयोजन से हानि, मनोवृत्ति संवेदनशील रहेगी, कार्यगति उत्तम होगी।
कर्क राशि :- सामर्थ्य एवं शक्ति व्यर्थ जाए, मानसिक बेचैनी, क्लेश व अशांति अवश्य होगी।
सिंह राशि :- कार्य-व्यवसाय में संतोष, स्त्री से तनाव, मानसिक अशांति बनी ही रहेगी।
कन्या राशि :- समय अनुकूल नहीं, विशेष कार्य स्थगित रखें, लेनदेन से हानि अवश्य होगी।
तुला राशि :- समृद्धि के साधन बनें, कार्य-कुशलता से संतोष होगा तथा कार्य अवश्य बनेंगे।
वृश्चिक राशि :- प्रबलता, प्रभुत्व वृद्धि, कार्य-कुशलता से संतोष होगा तथा कार्य अवश्य बनेंगे।
धनु राशि :- व्यर्थ भ्रमण, धन का व्यय, असमंजस एवं असमर्थता का वातावरण बना ही रहेगा।
मकर राशि :- अचानक यात्रा के प्रबल योग बनें, योजनाएं फलीभूत हों, कार्य से संतोष होगा।
कुंभ राशि :- बिगड़े कार्य बनें, कार्य-कुशलता से संतोष तथा सम्पन्नता के कार्य अवश्य बन जायेंगे।
मीन राशि :- असमर्थता का वातावरण कष्टप्रद हो, स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास होगा, वातावरण सुखद होगा।
29 मार्च 2025 चैत्र अमावस्या को लगने वाले सूर्य ग्रहण के अशुभ प्रभावों से बचने के उपाय
24 Mar, 2025 01:52 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सूर्य ग्रहण 2025: ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण को एक महत्वपूर्ण खगोलीय घटना माना जाता है, जिसका मानव जीवन पर भी प्रभाव पड़ता है। वर्ष 2025 में पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च को लगेगा, जो चैत्र अमावस्या के दिन पड़ेगा।
सूर्य ग्रहण 2025: विवरण
तिथि: 29 मार्च, 2025
समय: दोपहर 2:20 बजे से शाम 6:16 बजे तक
दृश्यता: यह सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा।
सूर्य ग्रहण का महत्व
हालांकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन फिर भी इसका ज्योतिषीय महत्व है। ज्योतिषियों का मानना है कि ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, इसलिए कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए।
ग्रहण के बाद क्या करें
स्नान और दान: ग्रहण के बाद स्नान और दान करना शुभ माना जाता है।
मंदिर की सफाई: ग्रहण के बाद मंदिर की सफाई और पूजा करनी चाहिए।
दान: जरूरतमंद लोगों को चना, गेहूं, गुड़ और दालें दान करें।
अन्य दान: केला, बेसन के लड्डू और पेड़े का दान भी शुभ माना जाता है।
सूर्य ग्रहण का प्रभाव
सूर्य ग्रहण का प्रभाव मुख्य रूप से मानसिक स्वास्थ्य, रिश्तों और रोजमर्रा की गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है। इसलिए ग्रहण के दौरान कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए।
ग्रहण के दौरान सावधानियां
ग्रहण के दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए।
ग्रहण के दौरान खाने-पीने से बचना चाहिए।
ग्रहण के दौरान यात्रा करने से बचना चाहिए।
ग्रहण के दौरान उपाय
ग्रहण के दौरान भगवान का ध्यान करना चाहिए।
ग्रहण के दौरान मंत्रों का जाप करना चाहिए।
ग्रहण के दौरान दान करना चाहिए।
यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। अधिक जानकारी के लिए आप किसी ज्योतिषी से सलाह ले सकते हैं।
साल 2025 में कब है रक्षा बंधन का पर्व, जानें तिथि, महत्व, शुभ योग और राखी बांधने का मुहूर्त
24 Mar, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भाई-बहन के विश्वास और प्रेम का प्रतीक रक्षा बंधन का पर्व हर वर्ष सावन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. बहनें साल भर इस पर्व का इंतजार करती हैं और इस दिन भाई की कलाई पर राखी बांधकर लंबी आयु की कामना करती हैं. यह त्योहार भाई-बहन को स्नेह की डोर में बांधता है. भाई बदले में बहनों को रक्षा कवच का वचन देते हैं और गिफ्ट भी देते हैं. साल 2025 के रक्षा बंधन की खास बात यह है कि इस बार भद्रा का साया नहीं रहने वाला है क्योंकि भद्राकाल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है. आइए जानते हैं साल 2025 में रक्षा बंधन कब मनाया जाता है…
रक्षा बंधन का महत्व
रक्षा बंधन के दिन बहनें भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और भाई अपनी बहनों को रक्षा का वचन देते हैं और गिफ्ट भी देते हैं. यह पर्व सावन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है इसलिए इसे राखी पूर्णिमा भी कहते हैं. रक्षा बंधन का पर्व एक लोकप्रिय त्यौहार है, जिसका भाई और बहन दोनों साल भर इंतजार करते हैं. यह पर्व ना केवल भाई-बहन को आपस में जोड़ता है बल्कि इस पर्व का सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व भी है. रक्षा बंधन का पर्व हमेशा शुभ मुहूर्त में मनाया जाना चाहिए, इस पर्व में किए जाने वाले रीति-रिवाज दोपहर के समय करना बहुत शुभ माना जाता है. साथ ही इस पर्व में भद्रा का भी विशेष ध्यान रखता है क्योंकि भद्राकाल में कोई भी शुभ कार्य करना शुभ नहीं माना जाता है.
कब है रक्षा बंधन 2025 का पर्व?
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ – 8 अगस्त, दोपहर 02 बजकर 12 मिनट से
पूर्णिमा तिथि समापन – 9 अगस्त, दोपहर 01 बजकर 24 मिनट तक
उदिया तिथि को मानते हुए रक्षा बंधन का पर्व 9 अगस्त दिन शनिवार को मनाया जाएगा. इस दिन भद्रा सूर्योदय से पहले ही समाप्त हो जाएगी, तो पूरे दिन राखी बांधने के लिए कोई समस्या नहीं होगी.
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
राखी बांधना का शुभ मुहूर्त – 9 अगस्त, सुबह 5 बजकर 48 मिनट से दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक
पूजा की अवधि – 7 घंटे 36 मिनट
रक्षा बंधन 2025 का शुभ योग
रक्षा बंधन 2025 के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं. इस दिन सौभाग्य योग और शोभन जैसे शुभ योग बन रहे हैं. साथ ही सर्व कार्य सिद्ध करने वाला सर्वार्थ सिद्धि नामक योग बन रहा है. इस शुभ योग रक्षा बंधन के धार्मिक कार्य करना बेहद शुभ माना गया है और ऐसा करने से जीवन में सुख-शांति और संपन्नता आती है.
राजनांदगांव के दो प्रमुख तालाबों के बीच स्थापित है यह मंदिर, शक्ति उपासना के महापर्व पर जरूर करें यहां दर्शन
24 Mar, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
राजनांदगांव शहर में प्राचीन शीतला मंदिर स्थित है. रानी सागर बूढ़ा सागर तालाब के पास यह मंदिर स्थापित है. जहां माता शीतला की पूजा अर्चना की जाती है. राजाओं के जमाने से यह मंदिर स्थापित है. तालाबों के बीच में यह मंदिर विद्यमान है. जहां बैरागी वैष्णव राजाओं द्वारा पूजा अर्चना की जाती थी. माता की पूजा अर्चना करने दूर-दूर से भक्त आते हैं. यहां नवरात्र पर्व पर विशेष पूजा अर्चना कि जाती है ज्योति कलश की स्थापना होती है नौ दिनों तक भजन कीर्तन का आयोजन होता है. दूर दूर से भक्त यहां पहुंचते है.
माता शीतला राजनांदगांव की आराध्य देवी है और कुलदेवी है. जहां विभिन्न शुभ अवसर शादी, छठी ,मांगलिक कार्यक्रमों में प्रथम निमंत्रण मां शीतला को दिया जाता है और बड़ी संख्या में लोग पूजा अर्चना करने यहां पहुंचते हैं. बैरागी राजाओं के द्वारा इस मंदिर की स्थापना की गई थी. इसके बाद से ही यहां विधि विधान से पूजार्चना की जाती है. हर पर्व पर माता शीतला की दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त यहां पहुंचते हैं. माता हर मनोकामना पूर्ण करती है. दूर-दूर से भक्त माता के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं और विधि विधान से पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लेते हैं. राजाओं के समय से यह मंदिर स्थित है. इसके साथ ही शहर के दो प्रमुख तालाबों के बीच यह मंदिर स्थापित है.
शहर का प्राचीन मां शीतला मंदिर
राजनांदगांव शहर का प्राचीन शीतला माता मंदिर अपने आप में खास है. यह मंदिर दो तालाबों के बीच स्थित है. बैरागी राजाओं के समय से यह मंदिर स्थापित है. जहां विधि विधान से पूजा अर्चना करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है. बड़ी संख्या में भक्त यहां आते हैं और माता से मन्नत करते हैं. यहां एक ही मंदिर परिसर में माता शीतला मां काली,बाबा भोलेनाथ,हनुमानजी और साईं बाबा के दर्शन एक साथ होते हैं.
मंदिर की अपनी एक अलग मान्यता
शीतला माता राजनांदगांव की आराध्य कुलदेवी माता हैं. हर मांगलिक कार्यक्रम के दौरान माता की पूजा अर्चना की जाती है और प्रथम निमंत्रण माता शीतला को दिया जाता है. इसके साथ ही दोनों नवरात्र पर्व पर ज्योति कलश की स्थापना भी की जाती है और 9 दिनों तक विधि विधान से पूजा अर्चना मंदिर में की जाती है. इसके साथ ही दीपावली के दिन भी विशेष पूजा अर्चना होती है और भक्तों को मंदिर में पहुंचकर माता के विशेष पूजा अर्चना करने का लाभ मिलता है.
मधेश्वर महादेव धाम, शिव महापुराण कलश यात्रा में 15 हजार से अधिक महिलाएं हुई शामिल, लाखों श्रद्धालु आ रहे कथा सुनने
24 Mar, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जिले के मयाली स्थित प्रसिद्ध प्राकृतिक विश्व का सबसे बड़ा शिवलिंग मधेश्वर महादेव के पास भक्तों का जनसैलाब उमड़ पड़ा है, महाशिवपुराण कथा के आयोजन ने इस पवित्र स्थल को और अधिक दिव्यता से भर दिया है, श्रद्धा का रंग इस कदर चढ़ चुका है कि लोग इसे अब शिवलोक कहने लगे हैं. कथा के प्रारंभ से पहले कुनकुरी के बेलजोरा नदी से लेकर मयाली कथा स्थल तक भव्य कलश यात्रा निकाली गई.
वहीं आयोजन समिति के सदस्य विष्णु सोनी ने बताया कि इस कलश यात्रा में 11 हजार लक्ष्य रखा गया था, लेकिन यहां 15 हजार से भी अधिक महिलाएं सिर पर कलश रखकर हर-हर महादेव और श्री शिवाय नमस्तुभ्यं के जयकारों के साथ आगे बढ़ी, पूरा वातावरण शिवमय हो गया. इस पवित्र यात्रा में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की धर्मपत्नी कौशल्या साय भी शामिल हुईं. कलश यात्रा के बाद महाशिवपुराण कथा वाचक श्री प्रदीप मिश्रा जी महाराज का आगमन हुआ. वहीं 21 मार्च से 27 मार्च तक दोपहर 01 बजे से शाम 05 बजे तक प्रसिद्ध कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा महाशिवपुराण कथा का वाचन किया जाएगा.
यह स्थान शिव भक्तों के लिए एक दिव्य तीर्थ बनता जा रहा है
आयोजक समिति के प्रमुख राजीव रंजन नंदे ने कहा कि मयाली में स्थित विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक शिवलिंग आस्था का केंद्र बन चुका है, यहां आने वाले श्रद्धालु इसे किसी शिवलोक से कम नहीं मानते. कहते हैं कि इस प्राकृतिक शिवलिंग के दर्शन मात्र से जीवन धन्य हो जाता है. प्रख्यात कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा जी जब यहां पहुंचे तो हेलीकॉप्टर से मधेश्वर महादेव शिवलिंग पर जलाभिषेक व दुग्धाभिषेक किया और बताया कि महाशिवपुराण कथा सुनने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंच रहे हैं. यहां प्रतिदिन डेढ़ लाख से अधिक श्रद्धालु शिव की भक्ति में लीन होकर शिव महापुराण सुनेंगे और कथा के दौरान रोज पार्थिव शिवलिंग का निर्माण होगा और 27 मार्च को विधि विधान से विसर्जित किया जाएगा. मयाली की पावन भूमि शिवधाम जैसी अनुभूति करा रही है. इस ऐतिहासिक आयोजन के साथ, मधेश्वर महादेव शिवलिंग पर आस्था का रंग पूरी तरह चढ़ चुका है और यह स्थान शिव भक्तों के लिए एक दिव्य तीर्थ बनता जा रहा है.
पापमोचनी एकादशी पर पति-पत्नी करें तुलसी की खास पूजा, शादीशुदा जीवन में नहीं होगी खटपट, बढ़ेगा प्रेम!
24 Mar, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कई जातक ऐसे होते हैं, जिनके वैवाहिक जीवन में लगातार खटपट चलती रहती है. जीवनसाथी के साथ वाद-विवाद होते ही रहता है. अगर आपकी भी शादीशुदा जिंदगी में ऐसे हालात हैं तो चैत्र माह की पहली एकादशी, जिसे पापमोचनी एकादशी भी कहा जाता है, उस दिन ये उपाय अवश्य करें.
हिंदू धर्म में पापमोचनी एकादशी का बेहद खास माना गया है. मान्यता है कि पापमोचनी एकादशी पर जातक अगर विधि विधान से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करे और कुछ उपाय करे तो वैवाहिक जीवन में जो भी खटपट चल रही है, वह समाप्त हो जाएगी. इस संबंध में देवघर के आचार्य से जानिए सब..
एकादशी पर तुलसी पूजा का महत्व
देवघर बैद्यनाथ धाम के पंडित गुलशन मिश्रा ने लोकल 18 को बताया कि चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पापमोचनी एकादशी कहते हैं. इस बार 25 मार्च को पापमोचनी एकादशी का व्रत रखा जाएगा. पापमोचनी एकादशी के दिन तुलसी पूजा का खास महत्व है. एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु और तुलसी की विशेष पूजा करें तो मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. घर में सुख समृद्धि की वृद्धि होती है.
पापमोचनी एकादशी उपाय
जिनके वैवाहिक जीवन में खटपट चल रही है, वैसे जातक पापमोचनी एकादशी पर तुलसी के ऊपर जल अर्पण अवश्य करें. जल में थोड़ा सा दूध मिला लें. साथ ही उस दिन तुलसी विवाह अवश्य कराएं. अगर तुलसी का विवाह नहीं करा पाते तो उस दिन तुलसी में श्रृंगार की वस्तुएं अर्पण कर माता को एक चुनरी अवश्य चढ़ाएं. अपनी मनोकामनाएं माता तुलसी से कहें. अगर ऐसा करते हैं तो जो भी वैवाहिक जीवन में खटपट है, वह समाप्त हो जाएगी.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
24 Mar, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनाव, कष्ट योग, मित्र लाभ, राजभय तथा पारिवारिक समस्या अवश्य उलझेगी, ध्यान दें।
वृष राशि :- अनुभव का सुख, मंगल कार्य, विरोध मामले, मुकदमें पर प्राय: जीत की सम्भावना अवश्य बनेगी।
मिथुन राशि :- कुसंगत हानि, विरोध, भय, यात्रा, सामाजिक कार्य में व्यवधान अवश्य ही बनेगा।
कर्क राशि :- भूमि लाभ, स्त्री सुख, हर्ष, प्रगति, स्थिति में सुधार, कार्य लाभ अवश्य ही बनेगा।
सिंह राशि :- तनाव व विवाद से बचें, विरोधियों की चिन्ता, राजकार्य से प्रतिष्ठा अवश्य मिले।
कन्या राशि :- भूमि लाभ, स्त्री सुख, हर्ष, प्रगति, स्थति में सुधार, लाभ तथा कार्य उत्तम होगा।
तुला राशि :-कार्य प्रगति, वाहन का भय, भूमि लाभ, कलह, कुछ अच्छे कार्य कर सकेंगे, ध्यान रखें।
वृश्चिक राशि :- कार्य सिद्ध, विरोध, लाभ, हर्ष, कष्ट, व्यय होगा, व्यापार में सुधार किन्तु खर्च होगा।
धनु राशि :- यात्रा में हानि, मित्र कष्ट, व्यय की कमी किन्तु कुछ कार्य व्यवस्था का अनुभव होगा।
मकर राशि :- शुभ कार्य, वाहन भय, रोग, धार्मिक कार्य, कुछ अच्छे कार्य हो सकते हैं, ध्यान रखें।
कुंभ राशि :- अभिष्ठ सिद्ध, राजभय, कार्य बाधा, राज कार्यों में रुकावट का अनुभव होगा।
मीन राशि :- अल्प हानि, रोग भय, संपर्क लाभ, राजकार्य विलम्ब तथा परेशानी अवश्य होगी।
व्यक्ति ही नहीं घर को भी लग जाती है बुरी नजर!
23 Mar, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नजर दोष एक ऐसी चीज है, सुनने में तो यह छोटी सी बात लगती है लेकिन इसका प्रभाव बेहद प्रभावशाली होता है. यह जीवन में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न कर सकता है. अगर आपको लगता है कि आपके घर को किसी की बुरी नजर लग गई है, लोग जलन की भावना रखते हैं या बार-बार समस्याएं आ रही हैं, तो यह उपाय आपके लिए बहुत लाभकारी साबित हो सकता है.
उपाय
यह एक साधारण तरीका है, जिसे आप आसानी से कर सकते हैं. इसके लिए आपको उपला (गोबर के उपले) की जरूरत होगी, जो आपको बाजार में आसानी से मिल जाएगा. इसे गैस पर गर्म कर लें या फिर किसी अन्य सुविधाजनक तरीके से जला लें. अब नजर उतारने के लिए आपको कुछ सामग्री चाहिए- गुग्गुल, पीली सरसों, काली मिर्च (5-7 दाने), 5-7 लौंग, और एकछोटा टुकड़ा कपूर.
उपाय करने का सही समय
इस उपाय को आप सुबह या शाम किसी भी समय कर सकते हैं, लेकिन हल्का अंधेरा होने के समय करना अधिक प्रभावी माना जाता है. अगर आप रोजाना हवन कर सकते हैं, तो यह और भी लाभदायक होगा. जब उपला अच्छे से जल जाए, तो इसमें थोड़ा सा घी डालें. अगर गाय का घी हो तो बहुत अच्छी बात है, लेकिन अगर न हो तो जो भी शुद्ध घी आप पूजा में उपयोग करते हैं, वही इस्तेमाल करें.
अब इसमें एक-एक करके सामग्री डालें
गुग्गुल: यह वातावरण को शुद्ध करता है.
पीली सरसों: बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है.
काली मिर्च (5-7 दाने): शत्रुओं की नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने में सहायक होती है.
लौंग (5-7 दाने): घर में सुख-समृद्धि बनाए रखती है.
कपूर: तुरंत प्रभावी होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है.
इस उपाय का प्रभाव
जब आप इस धूनी को घर में देंगे, तो यह बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा को दूर कर देगी. अगर आपके घर में कोई अनचाही नकारात्मक शक्ति मौजूद है, तो वह भी समाप्त हो जाएगी. अगर किसी व्यक्ति को बार-बार नजर लगती है, तो उसके चारों ओर इस धूनी को घुमा सकते हैं.
इस उपाय को कम से कम सवा महीने तक नियमित रूप से करने से स्थायी लाभ मिलेगा. अगर समस्या बहुत गंभीर नहीं है, तो एक-दो बार में ही असर दिखने लगेगा. लेकिन गहरी नकारात्मक ऊर्जा को पूरी तरह से खत्म करने के लिए इसे लगातार करना जरूरी है.