धर्म एवं ज्योतिष
सभी शिवालयों में त्रिशूल, बैद्यनाथ धाम में पंचशूल, दर्शन मात्र से पापों का नाश! साल में सिर्फ इस दिन पूजा
10 Feb, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देश में 12 ज्योतिर्लिंग है. उनमें से एक बाबा बैद्यनाथ हैं. सभी ज्योतिर्लिंग की अपनी-अपनी परंपराएं और मान्यताएं हैं. लेकिन, देवघर के बाबा बैद्यनाथ की महिमा कुछ खास है. यहां कई ऐसी परंपराएं हैं जो शायद ही किसी अन्य ज्योतिर्लिंग में देखने को मिले. यहां ज्योतिर्लिंग का स्पर्श पूजन है. यहां त्रिशूल की जगह पंचशूल विराजमान है. पंचशूल का बेहद खास महत्व है
देवघर के बैद्यनाथ धाम के प्रसिद्ध तीर्थ पुरोहित प्रमोद श्रृंगारी ने लोकल 18 को बताया कि ज्यादातर शिव मंदिरों या ज्योतिर्लिंग में त्रिशूल देखने को मिल जाएंगे, लेकिन बैद्यनाथ धाम के प्रांगण में 22 मंदिर हैं. सभी मंदिरों के शिखर पर त्रिशूल नहीं, बल्कि पंचशूल विराजमान है. मान्यता है कि पंचशूल को सुरक्षा कवच के रूप में रावण ने स्थापित किया था. पंचशूल किसी भी प्रकार की आपदा से मंदिर की सुरक्षा करता है.
विभीषण ने श्रीराम को बताया था राज!
आगे बताया कि एक धार्मिक कथा के अनुसार, रावण ने भी लंका के मुख्य द्वार पर पंचशूल स्थापित किया था. रावण और विभीषण को तो पंचशूल भेदना आता था, लेकिन भगवान राम इन सब चीजों से अनभिज्ञ थे. विभीषण द्वारा जब इन सब चीजों की जानकारी दी गई तब भगवान राम अपनी सेना के साथ लंका में प्रवेश कर पाए थे.
पंचशूल की कई विशेषता
तीर्थ पुरोहित प्रमोद श्रृंगारी ने बताया कि इस ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव के साथ शक्ति भी विराजमान हैं. तंत्र साधना के लिए यहां पर मां शक्ति की पूजा की जाती है. बैद्यनाथ धाम में श्री विद्या के साथ ही शिव और शक्ति का विशेष क्षेत्र और तंत्र क्षेत्र होने के कारण त्रिशूल की जगह यहां पंचशूल विराजमान है. इस ज्योतिर्लिंग में त्रिशूल का तो प्रभाव है ही, जो व्यक्ति में अज्ञान और अंधकार को दूर करता है. साथ ही पंचशूल जो पांच तत्व पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश और वायु का प्रतीक माना जाता है. यह किसी भी आपदा से सुरक्षा करता है.
पंचशूल के दर्शन मात्र से ही पापों का नाश!
तीर्थ पुरोहित ने बताया कि शिव पुराण में उल्लेख है कि पंचशूल के दर्शन मात्र से ही श्रद्धालु अनजाने में जो भी पाप किए हैं, उनका भी नाश हो जाता है. साथ ही समस्त फलों की भी प्राप्ति होती है.
इस दिन होती है पूजा
बैद्यनाथ धाम के प्रांगण में 22 मंदिर विराजमान हैं, जिसमें मुख्य सहित अन्य मंदिरों के शिखर पर पंचशूल है. यह पंचशूल महाशिवरात्रि से एक सप्ताह पहले मंदिरों से उतारना शुरू हो जाता है. सबसे पहले भगवान गणेश के मंदिर का पंचशूल उतारा जाता है. धीरे-धीरे सभी मंदिरों के पंचशूल उतारे जाते हैं. वहीं, महाशिवरात्रि से 2 दिन पहले भगवान शिव और माता पार्वती के मंदिर का पंचशूल उतारा जाता है. महाशिवरात्रि के दिन विधि विधान से पूजा कर फिर मंदिर के शिखर पर पंचशूल विराजमान किए जाते हैं.
फाल्गुन मास में क्या करें और क्या न करें? इस महीने के उपाय खोलेंगे बंद किस्मत का ताला
10 Feb, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में फाल्गुन मास का विशेष महत्व है, क्योंकि इस मास में महाशिवरात्रि, होली जैसे बड़े व्रत त्योहार पड़ते हैं. हिंदू कैलेंडर के अनुसार साल का आखिरी महीना फाल्गुन का होता है. माघ पूर्णिमा के अगले दिन 13 फरवरी से फाल्गुन माह की शुरुआत हो रही है. यह महीना भगवान श्री कृष्ण को समर्पित होता है. इस माह में किए कुछ उपाय व्यक्ति के जीवन से परेशानियों का नाश कर सकते हैं.
कब से शुरू हो रहा है फाल्गुन माह
वैदिक पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह 13 फरवरी 2025, दिन गुरुवार से शुरू होगा. पंचांग के अनुसार, यह कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है और 14 मार्च 2025 को शुक्रवार को शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर समाप्त होगा.
फाल्गुन मास में दान का महत्व
माघ मास की तरह फाल्गुन मास में भी दान का विशेष महत्व है. फाल्गुन माह हिंदू कैलेंडर का बारहवां महीना होता है. इस माह में महाशिवरात्रि और होली जैसे प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं. महाशिवरात्रि भगवान शिव की पूजा का दिन होता है, जबकि होली रंगों का त्योहार है, जो खुशी और प्रेम का प्रतीक है. इस महीने में विजया एकादशी भी होती है, जिसे भगवान विष्णु के आशीर्वाद के लिए मनाया जाता है.फाल्गुन माह के दौरान दान-पुण्य करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है.
फाल्गुन मास मे भूल से भी न करे यह कार्य
फाल्गुन का महीना हिंदू धर्म में पवित्र माना गया है, ऐसे में इस माह के दौरान कोशिश करें कि तामसिक चीजों (शराब, मांस, लहसुन और प्याज आदि) का सेवन न करें.साथ ही इस माह के दौरान किसी भी व्यक्ति विशेष को नुकसान पहुंचाने के बारे में सोचना तक गलत बात है.
गरुड़ पुराण के अनुसार मृत्यु के बाद आत्मा को यमदूत 24 घंटे के लिए ले जाते हैं ! जानिए किसे मिलता है स्वर्ग और नर्क
10 Feb, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में मृत्यु एक अटल सत्य है. इन संसार में आये प्रत्येक व्यक्ति को एक दिन इस शरीर का त्याग करके ईश्वर की शरण में जाना होता है. जीवन में उसके द्वारा किये गये कर्मों के आधार पर उसकी गति निश्चित है. यमदूत उसे स्वर्ग या नर्क में भेजने से पहले उसके द्वारा किये गये कर्मों को दिखाते हैं. उसके पश्चात् उसको नर्क या स्वर्ग में भेजा जाता है. इन कर्मों के आधार पर ही गरुण पुराण में लिखा गया है कि व्यक्ति की मृत्यु के बाद में उसकी आत्मा का क्या होता है.
शरीर त्यागने के बाद कहां जाती है आत्मा : गरूड़ पुराण जो मरने के पश्चात आत्मा के साथ होने वाले व्यवहार की व्याख्या करता है उसके अनुसार जब आत्मा शरीर छोड़ती है तो उसे दो यमदूत लेने आते हैं. मानव अपने जीवन में जो कर्म करता है यमदूत उसे उसके अनुसार अपने साथ ले जाते हैं. अगर मरने वाला सज्जन है, पुण्यात्मा है तो उसके प्राण निकलने में कोई पीड़ा नहीं होती है लेकिन अगर वो दुराचारी या पापी हो तो उसे पीड़ा सहनी पड़ती है. गरूड़ पुराण में यह उल्लेख भी मिलता है कि मृत्यु के बाद आत्मा को यमदूत केवल 24 घंटों के लिए ही ले जाते हैं और इन 24 घंटों के दौरान आत्मा दिखाया जाता है कि उसने कितने पाप और कितने पुण्य किए हैं. इसके बाद आत्मा को फिर उसी घर में छोड़ दिया जाता है जहां उसने शरीर का त्याग किया था. इसके बाद 13 दिन के उत्तर कार्यों तक वह वहीं रहता है. 13 दिन बाद वह फिर यमलोक की यात्रा करता है.
आत्मा को मिलते हैं तीन मार्ग : पुराणों के अनुसार जब भी कोई मनुष्य मरता है और आत्मा शरीर को त्याग कर यात्रा प्रारंभ करती है तो इस दौरान उसे तीन प्रकार के मार्ग मिलते हैं. उस आत्मा को किस मार्ग पर चलाया जाएगा यह केवल उसके कर्मों पर निर्भर करता है. ये तीन मार्ग हैं अर्चि मार्ग, धूम मार्ग और उत्पत्ति-विनाश मार्ग. अर्चि मार्ग ब्रह्मलोक और देवलोक की यात्रा के लिए होता है, वहीं धूममार्ग पितृलोक की यात्रा पर ले जाता है और उत्पत्ति-विनाश मार्ग नर्क की यात्रा के लिए है..
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
10 Feb, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा, कार्यगति में सुधार, शुभ समाचार अवश्य ही मिलेगा।
वृष राशि :- कुछ बाधायें कष्टप्रद रखें, स्त्री शरीर कष्ट, कारोबारी बाधा, धैर्य पूर्वक कार्य करें।
मिथुन राशि :- कार्य कुशलता से संतोष, परिश्रम सफल होगा, स्त्री वर्ग से सुख अवश्य होगा।
कर्क राशि :- कुटुम्ब की समस्यायें सुलझेंगी तथा सुख-शांति में समय बीतेगा, समय का ध्यान रखें।
सिंह राशि :- परिश्रम से समय पर कार्य पूर्ण होंगे, व्यवसायिक क्षमता अवश्य ही बढ़ेगी।
कन्या राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास, आशानुकूल सफलता का हर्ष, बिगड़े कार्य बनाने का प्रयास अवश्य करें।
तुला राशि :- योजनायें पूर्ण होंगी, सफलतापूवर्क कार्य पूर्ण कर लेंगे, रुके कार्य पर ध्यान अवश्य दें।
वृश्चिक राशि :- कार्यगति उत्तम, चिन्ता कम होगी, प्रभुत्व एवं प्रतिष्ठा अवश्य ही बढ़ेगी।
धनु राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष, कार्यगति उत्तम होगी, भावनायें संवदेनशील होंगी।
मकर राशि :- अधिकारी वर्ग के तनाव से क्लेश व अशांति, रुके कार्य बन ही जायेंगे ध्यान दें।
कुंभ राशि :- मनोबल बनाये रखें किन्तु हाथ में कुछ न लगे तथा नया कार्य अवश्य ही होगा।
मीन राशि :- दैनिक कार्यगति उत्तम होगी, कुटुम्ब में सुख, समय उत्तम बनेगा ध्यान अवश्य दें।
पितरों को समर्पित है भीष्म द्वादशी, पितृ दोष से मिलेगी मुक्ति, करें ये खास उपाय
9 Feb, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में हर रोज त्योहारों का आगमन होता रहता है. ये त्योहार सुख, समृद्धि और खुशहाली के लिए विशेष दिन होते हैं, जिन्हें शास्त्रों में बताई गई विधि से करने पर चमत्कारी लाभ होते हैं. वैसे तो पितरों को समर्पित अनेक स्थितियां आती रहती हैं, जिन पर पितरों के निमित्त धार्मिक अनुष्ठान, कर्मकांड, तर्पण आदि करने का विधान होता है. लेकिन माघ मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि भी पितरों को समर्पित होती है.
माघ मास शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को भीष्म द्वादशी का आगमन होता है. इस दिन अपने पितरों और पूर्वजों को समर्पित होकर तर्पण, पिंडदान, तिलांजलि आदि देने से पितृ प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद अपने वंशजों पर सदैव बनाए रखते हैं. हिंदू धर्म में भीष्म द्वादशी का विशेष महत्व बताया गया है, जो भीष्म पितामह से जुड़ा हुआ है.
पितरों को शांति मिलती है…
भीष्म द्वादशी भीष्म पितामह से जुड़ी हुई है. जैसे भीष्म पितामह ने अपने पिता शांतनु की सेवा करने के लिए आजीवन ब्रह्मचर्य और शादी ना करने की प्रतिज्ञा लेकर उनकी सेवा की थी, ऐसे ही इस दिन अपने पूर्वजों, पितरों के निमित्त कोई भी धार्मिक अनुष्ठान, कर्मकांड, तर्पण, पिंडदान, तिलांजलि आदि करने पर पितरों को शांति मिलती है और वह अपने लोक लौट जाते हैं.
जानें सही समय
भीष्म द्वादशी के दिन अपने पूर्वजों पितरों को शांति देने के लिए धार्मिक कार्यों का विशेष महत्व होता है. वही पितृ दोष से पीड़ित व्यक्ति को भी इस दिन विशेष लाभ होता है. यानी कोई व्यक्ति पितृ दोष से पीड़ित है तो उनके द्वारा ज्योतिष शास्त्र की विधि से धार्मिक कार्य करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है और घर में सुख शांति, सुख समृद्धि और खुशहाली का आगमन होता है. साल 2025 में भीष्म द्वादशी 9 फरवरी को होगी. वैदिक पंचांग के अनुसार माघ शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि का आरंभ 8 फरवरी की रात 8:16 मिनट से शुरू होकर 9 फरवरी की रात 7:25 तक रहेगी. उदया तिथि 9 फरवरी को होगी, इसलिए इसी दिन भीष्म द्वादशी पर पितरों के निमित्त धार्मिक अनुष्ठान किया जाएगा.
महाशिवरात्रि में ऐसे करें महादेव की पूजा, पूरी होगी हर मनोकामना! बस इन बातों का रखें ध्यान
9 Feb, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वैसे तो हर महीने शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है, लेकिन माघ महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाता है. महाशिवरात्रि का दिन शिव भक्तों के लिए सबसे उत्तम दिन माना जाता है. इस दिन भगवान भोलेनाथ की विधि विधान के साथ पूजा आराधना करने पर भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं. इससे भगवान भोलेनाथ बेहद प्रसन्न भी होते हैं और जातक की मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती है. महाशिवरात्रि के दिन सभी शिवालय से शिव बारात भी निकाली जाती है. माना जाता है कि इस दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह भी संपन्न हुआ था. वहीं कुछ ऐसी वस्तुएं हैं, जिन्हें महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग के ऊपर अवश्य अर्पण करनी चाहिए. वह वस्तु भगवान भोलेनाथ को बेहद प्रिय है. किन वस्तुओं को करें अर्पण जानते हैं, देवघर बैद्यनाथ मंदिर के प्रसिद्ध तीर्थ पुरोहित प्रमोद श्रृंगारी जी से?
क्या कहते हैं देवघर बैद्यनाथ मंदिर के तीर्थ पुरोहित?
देवघर के बैद्यनाथ मंदिर के प्रसिद्ध तीर्थ पुरोहित प्रमोद श्रृंगारी ने लोकल 18 के संवाददाता से बातचीत करते हुए कहा कि हर साल महाशिवरात्रि माघ महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. इस साल 26 फरवरी को महाशिवरात्रि का व्रत रखा जाएगा. शिव पुराण के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही भगवान भोलेनाथ की शिवलिंग प्रकट हुई थी. इसलिए इस दिन भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग के पूजा की विधान है. इसके साथ ही शिव पुराण के अनुसार इस दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह भी संपन्न हुआ था. महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ के ऊपर एक सच्चे मन से एक बेलपत्र अर्पण करने से भी भगवान भोलेनाथ बेहद प्रसन्न होते हैं. इसके साथ ही और भी कई ऐसी वस्तुए है, जो शिवलिंग पर अर्पण करनी चाहिए.
शिवलिंग के ऊपर करें इन चीजों का अर्पण
तीर्थंपुरोहित प्रमोद श्रृंगारी जानकारी देते हैं कि बेलपत्र के साथ-साथ गाय की चीजें जैसे दूध और दूध से बने दही, घी, शहद, और शक्कर ये सारे वस्तु भगवान भोलेनाथ को बेहद प्रिय है. इसलिए महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग के ऊपर ये सारी चीजे अर्पण अवश्य करनी चाहिए. इसके साथ ही महाशिवरात्रि के दिन भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग के ऊपर गंगाजल, बेलपत्र, आंक और धतूरा का पुष्प भी अर्पण करना चाहिए. इन वस्तुओ को शिवलिंग मे अर्पण करते हैं, तो पूजा पूरी मानी जायेगी. क्योंकि ये सारे वस्तु भगवान भोलेनाथ को बेहद प्रिय हैं.
हनुमान जी की पूजा में महिलाएं इन नियमों का जरूर रखें ध्यान, बजरंगबली की मिलेगी कृपा
9 Feb, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हनुमान जी को कलयुग का भगवान कहा जाता है. सच्चे मन से जो उनकी पूजा करता है बजरंगबली उनकी मनोकामना जरूर पूरी करते हैं. हालांकि महिलाएं को उनकी पूजा करने में कुछ नियमों का जरूर ध्यान देना चाहिए. हनुमान जी की पूजा का महिलाओं के जीवन में विशेष महत्व है. महिलाएं अपने परिवार की सुख-समृद्धि और सुरक्षा के लिए हनुमान जी की आराधना करती हैं.
पवित्रता का ध्यान रखें: महिलाओं को हनुमान जी की पूजा करते समय पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को हनुमान जी की पूजा नहीं करनी चाहिए. इसके अलावा पूजा से पहले स्नान करना और स्वच्छ वस्त्र धारण करना भी आवश्यक है.
मंत्रों का जाप करें: हनुमान जी की पूजा करते समय महिलाओं को हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, और अन्य हनुमान मंत्रों का जाप करना चाहिए. इन मंत्रों का जाप करने से हनुमान जी की कृपा प्राप्त होती है और सभी संकट दूर होते हैं.
भोग लगाएं: हनुमान जी को भोग लगाना भी महत्वपूर्ण है. महिलाएं हनुमान जी को फल, फूल, मिठाई, और अन्य स्वादिष्ट व्यंजन अर्पित कर सकती हैं.
श्रद्धा और भक्ति: सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि हनुमान जी की पूजा करते समय महिलाओं को पूर्ण श्रद्धा और भक्ति भाव रखना चाहिए. हनुमान जी की पूजा सच्चे मन से करने से ही उनकी कृपा प्राप्त होती है.
इन 4 बातों का ध्यान रखकर महिलाएं हनुमान जी की पूजा को और भी अधिक फलदायी बना सकती हैं. हनुमान जी की कृपा से उनके जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का आगमन होता है.
कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातें:
महिलाएं हनुमान जी को सिंदूर अर्पित नहीं करें.
महिलाएं हनुमान जी को चोला नहीं चढ़ाएं.
महिलाएं हनुमान जी की मूर्ति को स्पर्श नहीं करें.
महिलाएं हनुमान जी के मंत्रों का जाप धीरे स्वर में करें.
इन बातों का ध्यान रखकर महिलाएं हनुमान जी की पूजा को सफलतापूर्वक कर सकती हैं और उनकी कृपा प्राप्त कर सकती हैं.
यहां के शिव मंदिर में तपती गर्मी में भी लगती है काफी ठंड, जानें क्या है इसके पीछे का रहस्य
9 Feb, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ओडिशा के टिटलागढ़ में एक ऐसा शिव मंदिर है जो तपती गर्मी में भी ठंडा रहता है. यह मंदिर टिटलागढ़ के कुम्हड़ा पहाड़ पर स्थित है. टिटलागढ़ ओडिशा का सबसे गर्म क्षेत्र है. यहां की पथरीली चट्टानों के कारण यहां प्रचंड गर्मी होती है. लेकिन इस मंदिर में गर्मी के मौसम का कोई असर देखने को नहीं मिलता है. यहा गर्मी में भी ठंडक बनी रहती है जैसे कि किसी एसी कमरे में बैठे हों. इस मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है.
टिटलागढ़ उड़ीसा का सबसे गर्म क्षेत्र माना जाता है. इसी जगह पर एक कुम्हड़ा पहाड़ है जिसपर स्थापित है यह अनोखा शिव मंदिर. इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह तपते पहाड़ पर स्थित होने के बाद भी यहां हमेशा ठंडक बनी रहती है. यहां आने वाले भक्तों को एसी जैसी ठंडक का अहसास होता है.
क्या है इस मंदिर का इतिहास?
स्थानीय लोगों के अनुसार यह मंदिर सदियों पुराना है. इस मंदिर का निर्माण किसने कराया और कब कराया इसका कोई ठोस प्रमाण उपलब्ध नहीं है. इस मंदिर में भगवान शिव और पार्वती की मूर्तियां स्थापित हैं. यहां के पुजारी बताते हैं कि यहां स्थापित भगवान शिव और पार्वती की प्रतिमाओं से ठंडक आती है. यही नहीं गर्मी के दिनों में यहां कंबल ओढ़कर सोना पड़ता है.
मंदिर की वास्तुकला
यह मंदिर भी अन्य मंदिरों की तरह ही है. लेकिन इसकी वास्तुकला में कुछ ऐसी खासियत है जो इसे और मंदिरों से अलग बनाती है. मंदिर के अंदर एक कुंड है जिसमें हमेशा पानी भरा रहता है. इस कुंड के पानी में भी ठंडक होती है.
श्रद्धालुओं की आस्था
इस मंदिर में श्रद्धालुओं की गहरी आस्था है. लोग दूर-दूर से इस मंदिर में दर्शन करने आते हैं. उनका मानना है कि इस मंदिर में आने से उन्हें शांति और सुकून मिलता है.
कैसे पहुंचें इस मंदिर में?
टिटलागढ़ का यह शिव मंदिर उड़ीसा के बोलांगीर जिले में स्थित है. यहां पहुंचने के लिए आप सड़क, रेल या हवाई मार्ग का इस्तेमाल कर सकते हैं.
यह मंदिर साल भर खुला रहता है.
यहां दर्शन करने के लिए कोई शुल्क नहीं है.
आप यहां धर्मशाला में ठहर सकते हैं.
यहां का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन टिटलागढ़ है.
अगर आप उड़ीसा घूमने जा रहे हैं तो टिटलागढ़ के इस अनोखे शिव मंदिर के दर्शन जरूर करें. यह मंदिर आपको आश्चर्यचकित कर देगा और आपको एक नया अनुभव देगा.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
9 Feb, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- साधन संपन्नता के योग फलप्रद हों, धार्मिक योजना अवश्य सफल होवेगी, ध्यान रखेंगे।
वृष राशि :- अपने किये पर पछताना पड़ेगा, मानसिक बेचैनी, क्लेश तथा अशांति बनेगी।
मिथुन राशि :- सफलता के साधन जुटायें, व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि होगी, समस्या सुलझेगी।
कर्क राशि :- अनेक कार्य में सफलता मिलेगी, स्त्री से सुख, इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे।
सिंह राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास होवेगा, भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी, कार्य गति उत्तम हो।
कन्या राशि :- धन प्राप्त हो, आशानुकूल सफलता में वृद्धि होवे, बिगड़े कार्य योजना बनेंगे।
तुला राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष, बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे, कार्य योजना सफल हो।
वृश्चिक राशि :- दैनिक समृद्धि के साधन बनेंगे, अधिकारियों से कार्य योजना से लाभ हो।
धनु राशि :- कार्य योजना पूर्ण हो, बड़े लोगों से मेल मिलाप होगा, कार्य अवरोध से बचें।
मकर राशि :- कार्य कुशलता से संतोष, स्थिति में सुधार तथा चिंता अवश्य कम होगी।
कुंभ राशि :- आर्थिक योजना पूर्ण अवश्य ही होगी, शरीर कष्ट, मानसिक बेचैनी बढ़ेगी।
मीन राशि :- दैनिक कार्य में बाधा, चिन्ता, उद्विघ्नता से बेचेंं, धन का व्यय होगा।
जया एकादशी उपाय: तुलसी के चमात्कारी उपाय खोलेंगे बंद किस्मत का ताला,
8 Feb, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में हर तिथि हर व्रत का अलग-अलग महत्व है. साल में 24 एकादशी के व्रत रखे जाते हैं. हर महीने में 2 बार एकादशी व्रत किया जाता है. एक कृष्ण और दूसरा शुक्ल पक्ष में धार्मिक मान्यता है कि एकादशी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विशेष पूजा करने से जातक को शुभ फल की प्राप्ति होती है. साथ ही सभी मन्नते पूरी होती हैं. इस दिन किया गया व्रत अनेक फल की प्राप्ति कराता है. इस दिन अगर तुलसी से जुड़े विशेष उपाय कर लिए जाए, तो सालभर लक्ष्मी नारायण का आर्शीवाद मिलता है.
जरूर करे इस तुलसी से जुड़े उपाय
1. बहुत प्रयास के बाद अगर सफलता हाथ नहीं लग रही है. धन आते ही ठीक नहीं पा रहा हो तो एकादशी के दिन स्नान- ध्यान करने के बाद भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा करें. पूजा के समय गाय के कच्चे दूध में तुलसी की मंजरी मिलाकर भगवान विष्णु का अभिषेक करना चाहिए.यह उपाय करने से आर्थिक स्थिति मे सुधार आता है.
2. नौकरी में अगर बहुत प्रयास के बाद भी विघ्न-बाधा आ रही है.तो एकादशी के दिन तुलसी पर 11, 21 या 51 दीपक जलाकर तुलसी चालीसा का पाठ करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने दूर होती है.
3. ऐसे तो रोजाना माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए जातक कई प्रकार के जतन करता है, लेकिन एकादशी के दिन तुलसी को श्रृंगार का सामान अर्पित किया जाए, तो मां लक्ष्मी अधिक प्रसन्न होती है.
कौन हैं वो महिलाएं जो कर रही प्रेमानंद का विरोध? तख्तियां लेकर सड़कों पर उतरीं, गुस्से में खोया आपा
8 Feb, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वृंदावन के एनआरआई ग्रीन कॉलोनी की महिलाओं ने संत प्रेमानंद महाराज के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. प्रदर्शन कर रही महिलाएं प्रेमानंद की रात में होने वाली पदयात्रा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया है. रात 2 बजे संत प्रेमानंद महाराज अपने शिष्यों के साथ श्रीराधाकेलि कुंज आश्रम तक पदयात्रा करते हैं, जिसमें हजारों श्रद्धालु भजन-कीर्तन करते हुए शामिल होते हैं. महिलाओं ने इस पदयात्रा में होने वाले शोरगुल से परेशान होकर यह प्रदर्शन शुरू किया है.
एनआरआई ग्रीन कॉलोनी की महिलाओं का कहना है कि रात में होने वाली पदयात्रा में प्रेमानंद के समर्थक पटाखे जलाए जाते हैं और लाउडस्पीकर पर भजन बजाते हैं, जिससे स्थानीय निवासियों को परेशानी होती है. इस शोर के कारण उनकी नींद पर प्रभाव पड़ता है, खासकर बीमार और बुजुर्ग लोगों को काफी परेशानी होती है. कामकाजी महिलाओं की नींद पूरी नहीं हो पाती, जिससे उनके कार्यों पर भी असर पड़ता है. सड़क पर उतरीं महिलाओं ने हाथों में तख्तियां लेकर विरोध जताया, जिस पर लिखा है, “कौन-सी भक्ति, कौन-सा दर्शन… ये तो है केवल शक्ति प्रदर्शन.”
हालांकि, आश्रम की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि पदयात्रा के दौरान शोर मचाने वाले श्रद्धालु आश्रम से जुड़े नहीं हैं. आश्रम ने कई बार लाउडस्पीकर और पटाखों के इस्तेमाल को रोकने के लिए अपील भी की है. आश्रम का उद्देश्य किसी को भी परेशान करना नहीं है और वे चाहते हैं कि पदयात्रा के दौरान शांति बनी रहे.
महिलाओं के विरोध के बाद, संत प्रेमानंद महाराज की रात्रि पदयात्रा स्थगित कर दी गई है. आश्रम ने एक बयान जारी कर इस निर्णय की जानकारी दी है. इस घटना ने स्थानीय समुदाय और धार्मिक आयोजनों के बीच संतुलन बनाए रखने की आवश्यकता को उजागर किया है, ताकि श्रद्धालुओं की आस्था और स्थानीय निवासियों की शांति दोनों का सम्मान हो सके.
ये उपाय अपना लिया तो शनि कभी नहीं करेंगे परेशान; कुदृष्टि से मिलेगी मुक्ति, पुरानी खुशियां आ जाएंगी वापस!
8 Feb, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कई लोग पैसे कमाते हैं तो लेकिन घर में टिकता नहीं है. तो कई जातक के कोई भी कार्य मे सफलता नही मिलती है. कई जातक को लगातार आर्थिक परेशानिया भी झेलनी पड़ती हैं. इन सब का कारण शनि का कुप्रभाव भी हो सकता है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, जिस भी जातक के ऊपर शनि की कुदृष्टि पड़ जाए, उस जातक के जीवन में अचानक से कई तरह के बदलाव हो जाते हैं. कई तरह के परेशानियों का भी सामना करना पड़ता है. शनि की कुदृष्टि से बचने के लिए जातक को क्या उपाय करना चाहिए, जानते हैं देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य से…
क्या कहते है देवघर के ज्योतिषाचार्य
कहा कि शनि सबसे क्रूर ग्रहों में से एक माना जाता है. शनि कई राशि के जातकों के ऊपर अच्छी दृष्टि डालते हैं, जिस वजह से उस राशि के मानव जीवन पर बेहद सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. कई राशि के जातकों को कुप्रभाव का सामना भी करना पड़ता है. कुप्रभाव पड़ने के कई कारण हो सकते हैं. जैसे कुंडली में शनि की साढ़ेसाती या ढय्या का प्रभाव पड़ना. शनि के चाल परिवर्तन से भी कुप्रभाव पड़ता है. जातक के ऊपर कुप्रभाव पड़ने से जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है.
शनि के कुदृस्टि से बचने के उपाय
ज्योतिषाचार्य कहते है की शनि की कुदृष्टि से परेशान हैं तो शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करें और जल अर्पण करें. इससे शनि के कुदृष्टि से धीरे-धीरे छुटकारा मिलता है.
भगवान हनुमान जी की करें पूजा
अगर शनिवार और मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा आराधना करते हैं. इसके साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, तो उससे भी शनि की कुदृष्टि से बचा जा सकता है.
कुत्ते को खिलाएं रोटी
हर शनिवार के दिन रोटी में सरसों का तेल लगाकर काले कुत्ते को खिलाएं. यह उपाय करते हैं तो निश्चित तौर पर शनि के कुदृष्टि से बचा जा सकता है.
काला तिल मिलाकर करें भगवान भोलेनाथ की पूजा
ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि भगवान भोलेनाथ की जब भी पूजा आराधना करें तो जल में काला तिल मिलाकर अभिषेक करें. इस उपाय से शनि की कुदृष्टि से बचा जा सकता है.
भगवान शनिदेव को सरसो तेल से स्नान कराये
ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि शनिवार के दिन शनि मंदिर जाकर भगवान शनिदेव को सरसों के तेल से अगर स्नान कराते हैं, तो शनि देव प्रसन्न होंगे और शनि की कुदृष्टि से मुक्ति मिलेगी.
केदारनाथ को आखिर क्यों कहा जाता है जागृत महादेव
8 Feb, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तराखंड के हिमालय में बसा केदारनाथ भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है. यहां की यात्रा अपने आप में एक अद्भुत अनुभव है जहां प्रकृति की भव्यता के साथ-साथ ईश्वरीय शक्ति का भी एहसास होता है. यहां के दर्शन जिसे हो जाते हैं वो खुद को सौभाग्यशाली समझता है. पहाड़ों नदीयों के बीच बने इस मंदिर के काफी महीमा है. वहीं केदारनाथ के इस शिवलिंग को जागृत महादेव भी कहा जाता है. जागृत महादेव के पीछे एक प्रसंग काफी प्रचलित है.
शिव भक्त का अद्भुत एहसास
एक ऐसी घटना भी केदारनाथ में एक शिवभक्त जो कई महीनों की कठिन यात्रा के बाद केदारनाथ धाम पहुंचा. दुर्भाग्यवश जब वह वहां पहुंचा तो मंदिर के कपाट बंद हो रहे थे. मंदिर के पंडित ने उसे बताया कि अब छह महीने बाद ही कपाट खुलेंगे, क्योंकि यहां छह महीने बर्फ और ठंड का मौसम रहता है.
भोलेनाथ का चमत्कार
भक्त निराश हो गया लेकिन उसने हार नहीं मानी. वह वहीं पर रोता रहा और भगवान शिव से प्रार्थना करता रहा. रात हो गई और चारों तरफ अंधेरा छा गया. भक्त भूखा-प्यासा था लेकिन उसे अपने शिव पर पूरा विश्वास था. अचानक उसे किसी के आने की आहट सुनाई दी. उसने देखा कि एक सन्यासी बाबा उसकी ओर आ रहे हैं. बाबा ने उससे पूछा कि वह कौन है और कहां से आया है. भक्त ने उसे अपनी सारी कहानी सुना दी.
बाबा को उस पर दया आ गई. उन्होंने उसे समझाया और खाना भी दिया. फिर वो दोनों बहुत देर तक बातें करते रहे. बाबा ने कहा कि उसे लगता है कि सुबह मंदिर जरूर खुलेगा और वह भगवान शिव के दर्शन जरूर करेगा. बातों-बातों में भक्त को नींद आ गई. सुबह जब उसकी आंख खुली तो उसने देखा कि बाबा कहीं नहीं थे. इससे पहले कि वह कुछ समझ पाता उसने देखा कि पंडित अपनी पूरी मंडली के साथ आ रहे हैं.
केदारनाथ का कपाट
भक्त ने पंडित को प्रणाम किया और कहा कि कल तो आपने कहा था कि मंदिर छह महीने बाद खुलेगा लेकिन आप तो आज ही आ गए. पंडित ने उसे गौर से देखा और पूछा कि क्या वह वही है जो मंदिर का द्वार बंद होने पर आया था. भक्त ने कहा कि हां वह वही है. पंडित आश्चर्यचकित हो गए, उन्होंने कहा कि वे तो छह महीने पहले मंदिर बंद करके गए थे और आज छह महीने बाद वापस आए हैं. इतने दिनों तक यहां कोई कैसे जिंदा रह सकता है?
भक्त ने उन्हें सन्यासी बाबा के मिलने और उनके साथ की गई सारी बातें बता दीं. पंडित और सारी मंडली समझ गई कि वह सन्यासी बाबा कोई और नहीं स्वयं भगवान शिव थे. उन्होंने अपनी योग-माया से भक्त के छह महीनों को एक रात में बदल दिया था. यह सब उसके पवित्र मन और उसके विश्वास के कारण ही हुआ था.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
8 Feb, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- भाग्य का सितारा साथ देगा, इष्ट मित्रों से सुख, कार्य व्यवसाय गति उत्तम होवेगी।
वृष राशि :- अचानक शुभ समाचार एवं धन प्राप्ति के योग बनेंगे, संवेदनशील होने से बचिये।
मिथुन राशि :- क्रोध से अशांति, झगड़े से बचें, अर्थ-व्यवस्था कुछ अनुकूल बन जायेगी।
कर्क राशि :- कार्य-कुशलता से सहयोग, स्त्री वर्ग से हर्ष, भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति
सिंह राशि :- इष्ट मित्र सुख वर्धक हों, कुटुम्ब की समस्याऐं अवश्य ही सुलझेंगी।
कन्या राशि :- व्यर्थ व्यय तथा असमंजस और स्थिरता का वातावरण, हीन भावना बने।
तुला राशि :- अधिकारियों का समर्थन विफल हो, कार्य व्यवसाय गति अनुकूल बनेगी।
वृश्चिक राशि :- समय की अनुकूलता से लाभांवित हों तथा कार्य-कुशलता से अनुकूलता बनेगी।
धनु राशि :- व्यवसाय गति उत्तम, भाग्य का सितारा साथ देवे, बिगड़े कार्य अवश्य ही बनेंगे।
मकर राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास, स्वास्थ्य नरम रहे, स्थति में सुधार अवश्य ही होगा।
कुंभ राशि :- स्त्री शरीर सुख, मानसिक बेचैनी से बचिये, समय का ध्यान अवश्य रखें।
मीन राशि :- धन का लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष अवश्य होगा, बिगड़े कार्य बने जायेंगे।
सावधान! गलती से भी न कुतरें नाखून, नहीं तो कुंडली पर पड़ सकता है नकारात्मक प्रभाव, व्यापार भी हो जाएगा बंद
7 Feb, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कई लोगों को कुछ आदतें होती हैं, जैसे कुछ लोग बैठे-बैठे पैर हिलाते रहते हैं, तो कुछ लोग नाक में उंगली डालते रहते हैं. इसी तरह, कई लोग जब खाली होते हैं या परेशान होते हैं, तो नाखून चबाने लगते हैं. कुछ लोग नाखूनों को आपस में रगड़ते भी हैं. ज्योतिष शास्त्र और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नाखून चबाना या रगड़ना अशुभ माना जाता है. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, नाखून चबाने की आदत से कुंडली में ग्रह दोष भी लग सकता है. आइए, देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानते हैं कि नाखून चबाने से क्यों अशुभ प्रभाव पड़ता है और कौन सा ग्रह दोष लग सकता है.
क्या कहते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य?
कहा कि अक्सर लोग नाखून चबाते हैं या आपस में रगड़ते हैं. इसका असर स्वास्थ्य पर तो पड़ता ही है, साथ ही जीवन पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. बार-बार नाखून चबाने से कुंडली में शनि दोष लग सकता है. जब कुंडली में शनि दोष हो जाता है, तो व्यक्ति नाखून चबाने लगता है. नाखून चबाने से ग्रह अशांत हो जाते हैं.
नाखून चबाने से क्या प्रभाव पड़ता है?
जब व्यक्ति नाखून चबाता है या आपस में रगड़ता है, तो उसकी कुंडली में शनि दोष लग जाता है, यानी शनि की कुदृष्टि पड़ जाती है. इसके साथ ही सूर्य दोष भी लग सकता है. इसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर नकारात्मक होता है. जातक के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, व्यापार में मंदी आ सकती है, नौकरी में नुकसान हो सकता है, और व्यक्ति के मान-सम्मान में भी ठेस पहुंच सकती है. घर में पारिवारिक कलह भी हो सकता है. इसलिए भूलकर भी नाखून चबाना या रगड़ना नहीं चाहिए.