धर्म एवं ज्योतिष
8 अप्रैल को अबकी बार बेहद शुभ योग में कामदा एकादशी, इन राशियों को विष्णु कृपा से होगा अच्छा धन लाभ
7 Apr, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कामदा एकादशी का व्रत 8 अप्रैल दिन मंगलवार के दिन किया जाएगा. हर वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को कामदा एकादशी का व्रत किया जाता है. इस बार कामदा एकादशी पर सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, लक्ष्मी-नारायण योग, बुधादित्य योग समेत कई शुभ योग बन रहे हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कामदा एकादशी का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है. इस बार कामदा एकादशी पर कई शुभ योग बने हैं, जो 5 राशियों के लिए बेहद शुभ रहने वाले हैं. इन राशियों पर भगवान विष्णु की कृपा रहेगी और सभी कार्य सिद्ध भी होंगे. आइए जानते हैं कामदा एकादशी का दिन किन किन राशियों के लिए शुभ रहने वाला है…
मेष राशि
कामदा एकादशी मेष राशि वालों के लिए बेहद शुभ फलदायी रहने वाली है. मेष राशि वालों को इस दिन भगवान विष्णु की कृपा से भाग्य का साथ मिलेगा और अधूरे कार्य पूरे भी होंगे. अगर आप निवेश करना चाहते हैं तो यह दिन आपके लिए बेहद शुभ रहने वाला है. परिवार में सुख-शांति रहेगी और परिजनों के साथ मिलकर हर चुनौतियों का डटकर सामना करेंगे. भगवान विष्णु की कृपा से मेष राशि वालों को अचानक धन प्राप्ति की हो सकती है और बैंक बैलेंस भी बढ़ेगा.
वृषभ राशि
कामदा एकादशी का दिन वृषभ राशि वालों के लिए कल्याणकारी रहने वाली है. वृषभ राशि वालों की भगवान विष्णु की कृपा से मन की कई इच्छाएं पूरी होंगी और अटके धन की प्राप्ति की योग बन रहे हैं. ससुराल पक्ष में अगर कोई समस्या चल रही है तो वह खत्म हो जाएगी और रिश्तों में मजबूती आएगी, जिससे आप रिलैक्स महूसस करेंगे और जीवनसाथी का भी पूरा साथ मिलेगा. अगर आप करियर की शुरुआत करना चाहते हैं तो इस दिन आपको अच्छे अवसर मिल सकते हैं.
सिंह राशि
सूर्य देव की राशि सिंह वालों के लिए कामदा एकादशी के दिन धन प्राप्ति के अच्छे योग बन रहे हैं. धन की वजह से आपके जो कार्य अटके हुए थे तो वह पूरे हो सकते हैं और आपका बैंक बैलेंस भी बढ़ेगा. अगर आपका बिजनस काफी दिनों से अच्छा नहीं चल रहा है तो भाग्य का आपको पूरा साथ मिलेगा और बिजनस में अच्छी तरक्की भी बढ़ेगी. आपके अंदर आत्मविश्वास मजबूत होगा और समझदारी के साथ सभी स्थितियों को हैंडल भी करेंगे. परिवार में शांति रहेगी और सभी एक दूसरे का साथ देंगे.
कन्या राशि
बुध ग्रह की राशि कन्या वालों को कामदा एकादशी के दिन करियर में तरक्की के अच्छे अवसर मिलेंगे. कार्यक्षेत्र में अधिकारी आपके काम से प्रसन्न नजर आएंगे और सभी के साथ आपके संबंध अच्छे भी रहेंगे. इस राशि के जो जातक किराए के मकान में रहते हैं, वे भगवान विष्णु की कृपा से मकान व फ्लैट की खरीदारी कर सकते हैं. जीवनसाथी और बच्चों का पूरा साथ मिलेगा और सभी के साथ अच्छा तालमेल भी रहेगा. भाग्य का साथ मिलने से इच्छाओं की पूर्ति करने में सक्षम होंगे और खुशियों में वृद्धि होगी.
तुला राशि
शुक्र ग्रह की राशि तुला वालों की कामदा एकादशी पर भौतिक इच्छाएं पूरी होंगी और आपका बैंक बैलेंस भी बढ़ेगा. अगर आप स्वास्थ्य संबंधी समस्या से परेशान हैं तो आपकी सेहत में सुधार आएगा और आरोग्य की प्राप्ति होगी. खुद का बिजनस कर रहे हैं तो भगवान विष्णु की कृपा से आपको अच्छा लाभ होगा और कई प्रतिष्ठिति लोगों से जान पहचान भी बढ़ेगी, जिससे समय समय पर आपको लाभ भी मिलता रहेगा. परिजनों के साथ सुखद समय व्यतीत करने का मौका मिलेगा और धर्म कर्म के कार्यों में मन भी लगेगा.
अयोध्या में अभिजीत मुहूर्त पर रामलला का हुआ सूर्य तिलक, ये तस्वीरें आपका मन को मोह लेंगी
7 Apr, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रामनवमी के अवसर पर अभिजीत मुहूर्त पर श्री रामलला के ललाट पर सूर्य तिलक हुआ. सूर्य तिलक का करीब चार मिनट तक यह दुर्लभ संयोग रहा और पूरी दुनिया इस अभूतपूर्व पल की साक्षी बनी. भगवान राम के दर्शन करने के लिए मंदिर के बाहर काफी लंबी लाइन लगी हुई है
आज देशभर में राम नवमी का पर्व मनाया जा रहा है और इस मौके पर अयोध्या में कई भव्य कार्यक्रम होने वाले हैं. राम नवमी के उपलक्ष्य में रामलला का सूर्य तिलक किया गया है और पूरी दुनिया में जय श्रीराम के जयकारे भी लगे. रामलला का सूर्य तिलक ठीक 12 बजे शुरू हुआ और फिर सूर्य ने भगवान का तिलक किया. वहीं रामलला के दर्शन करने वाले भक्तों पर ड्रोन से सरयू के जल की फुहारों से बारिश की गई और दर्शन के लिए काफी लंबी कतारें भी लगी हुई हैं. अयोध्या में भक्तों को कोई परेशानी ना हो, इसके लिए जगह जगह काफी अच्छे इंतजाम किए गए हैं. आइए देखते हैं रामलला के सूर्य तिलक की तस्वीरें... जो आपका मन मोह लेंगी...
आज अयोध्या में जन्मोत्सव के दौरान भगवान राम का अभिजीत मुहूर्त में सूर्य तिलक किया गया और इस दृश्य की पूरी दुनिया साक्षी बनी. सूर्य तिलक के दौरान हर जगह जय श्रीराम के नारे सुाई दिए और अयोध्या में मंदिर में आरती की गई.
इससे पहले कुछ देर के लिए मंदिर के पट बंद किए गए. गर्भग्रह की लाइट बंद कर दी गई, ताकि सूर्य तिलक स्पष्ट नजर आए. फिर भारत ही नहीं पूरी दुनिया ने रामलला के सूर्य तिलक के दर्शन किए.
सूर्य तिलक को लेकर शनिवार को आखिरी ट्रायल किया गया था. आठ मिनट तक चले इस ट्रायल के दौरान इसरो के साथ-साथ आईआईटी रुड़की और आईआईटी चेन्नई के एक्सपर्ट भी मौजूद रहे थे. रामनवमी पर दूसरी बार रामलला के ललाट पर सूर्य तिलक किया गया है. इसका सीधा प्रसारण देश-दुनिया के लोगों ने देखा.
रामनवमी के अवसर पर बीते साल भी रामलला का सूर्य तिलक किया गया था. ट्रस्ट ने फैसला लिया है कि अगले बीस साल तक लगातार सूर्य तिलक होता रहेगा.
श्री रामजन्मोत्सव पर सूर्य तिलक का धार्मिक महत्व है. प्रेरणा रामचरितमानस कीचौपाई- ‘मास दिवस कर दिवस भा मरम न जानइ कोइ, रथ समेत रबि थाकेउ निसा कवन बिधि होइ‘ है. चौपाई में तुलसीदास लिखते हैं कि रामलला का जब जन्म हुआ, तब सूर्य देव अयोध्या पहुंचे. इतना मोहित हुए कि एक महीने अयोध्या में रह गए. इस दौरान अयोध्या में रात नहीं हुई. भगवान राम सूर्यवंशी थे यानी सूर्य उनके कुल देवता हैं.
उल्लेखनीय है कि अयोध्या में जिला प्रशासन ने रामनवमी पर्व को लेकर बेहद खास तैयारियां की हैं. रामकथा पार्क में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे. विभिन्न विभागों की ओर से प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी. इसके अलावा श्रद्धालुओं की सुरक्षा का विशेष ध्यान रखा जाएगा. राम मंदिर, कनक भवन, हनुमानगढ़ी, रामपथ तक जोन में बंटे हुए हैं. आवश्यकता पड़ने पर इंटरनल डायवर्जन भी किए जाएंगे. सीसीटीवी और ड्रोन के माध्यम से निगरानी की जा रही है.
अंबाला में स्थित माता झावरियां मंदिर का पाकिस्तान से है गहरा नाता, विभाजन की कहानी आज भी ज़िंदा
7 Apr, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर मंदिर की एक कहानी होती है, लेकिन अंबाला के रामपुरा मोहल्ला में स्थित झावरियां वाली माता के मंदिर की कथा बेहद खास और भावनाओं से भरी हुई है. यह सिर्फ एक आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि देश के बंटवारे के दर्द और उस दौर की आस्था का जीवित प्रमाण भी है.
करीब 75 साल पहले, जब भारत और पाकिस्तान का विभाजन हुआ, तब लाखों लोग अपनी ज़मीन और पहचान छोड़कर हिंदुस्तान आए. इन्हीं में से एक थे बाबा फुलू, जिन्हें पाकिस्तान के झावरियां गांव में कुएं की खुदाई करते समय माता ने कन्या रूप में दर्शन दिए थे. कहा जाता है कि उस वक्त धरती से खून की धारा बहने लगी थी और सब हैरान रह गए थे. उसी स्थान पर एक भव्य मंदिर बना, लेकिन बंटवारे के बाद जब बाबा फुलू भारत आए तो माता की प्रतिमा को साथ लाना नहीं भूले.
अंबाला बना नया धाम
बाबा फुलू ने अंबाला के रामपुरा मोहल्ले में माता की स्थापना की और तभी से यह मंदिर झावरियां वाली माता के नाम से प्रसिद्ध हो गया. भक्त आज भी मानते हैं कि इस मंदिर में जो भी सच्चे मन से मां के दरबार में आता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं.
मंदिर के पुजारी रमेश चंद, जो बाबा फुलू जी के वंशज हैं, बताते हैं कि “यह मंदिर सिर्फ ईंट-पत्थर की इमारत नहीं, बल्कि श्रद्धा और बलिदान की मिसाल है.”
आज भी माता करती हैं चमत्कार
यहां हर दिन सैकड़ों श्रद्धालु माता के दर्शन करने आते हैं और नवरात्र जैसे पर्वों पर यह संख्या हज़ारों तक पहुंच जाती है. भक्तजन इस मंदिर को ‘पाकिस्तान वाली माता’ भी कहते हैं, और यहां की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि पूजा-पाठ की परंपराएं आज भी बाबा फुलू के परिवार द्वारा निभाई जाती हैं.
नीम करौली बाबा के आश्रम जा रहे हैं तो इस सेवा के अवसर को न करें मिस, मिट जाएंगे सारे पाप!
7 Apr, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नीम करौली बाबा के आश्रम कैंची धाम में देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु बाबा के दर्शन करने के लिए आते हैं. यह आश्रम उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित है. नीम करौली बाबा एक प्रसिद्ध भारतीय संत थे जिन्होंने मार्गदर्शक के रूप में अपनी बातों से लाखों लोगों को प्रेरित किया. उन्होंने हमेशा प्रेम, करुणा और आध्यात्मिक विकास का संदेश दिया. कैंची धाम में देश-विदेश से हजारों लोग शांति और आत्म-ज्ञान की तलाश में आते हैं. आज हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे अगर आप कैंची धाम जा रहे हैं तो वहां किस सेवा में जरूर सहयोग करें, जिससे आपको वहां जाने पर अधिक से अधिक पुण्य फल प्राप्त हो. तो चलिए जानते हैं…
नीम करौली बाबा कौन थे?
बाबा जी एक महान आध्यात्मिक गुरु और हनुमान जी के परम भक्त थे. उनका असली नाम लक्ष्मण नारायण शर्मा था. उनका जन्म उत्तर प्रदेश के फिरोज़ाबाद जिले के अकबरपुर गांव में हुआ था. उन्हें उनके भक्त “महाराज जी” कहकर पुकारते हैं. बाबा जी ने लाखों लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया. बात करें “कैंची धाम” की तो इसका नाम इस जगह पर दो पहाड़ियों के कैंची जैसी क्रॉस आकृति में मिलने की वजह से पड़ा.
इस सेवा में सहयोग जरूर करें
अगर आप नीम करौली बाबा के आश्रम कैंची धाम जा रहे हैं और वहां सच्ची श्रद्धा भाव से आश्रम में सेवा करना चाहते हैं, तो वहां आश्रम कार्यालय के कर्मचारियों से उस दिन होने वाली गतिविधियों के बारे में जानकारी ले सकते हैं. आप सब्ज़ी काटने, रसोई की सफाई, मंदिर की सफाई, कीर्तन में साथ देने जैसे कार्यों में सहयोग कर सकते हैं. अगर आप ऐसा सच्चे मन से करते हैं तो आपको आपकी यात्रा का अधिक से अधिक पुण्य फल प्राप्त होगा और आपकी ये यात्रा यादगार बन जाएगी.
कैसे पहुंचें?
सबसे पास का रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जो कैंची धाम से लगभग 90 किलोमीटर दूर है. वहां से टैक्सी, बस या साझा जीप मिल जाती है.
नियम और अनुशासन
मोबाइल और कैमरा का उपयोग मंदिर परिसर में मना है.
शराब, मांस और तंबाकू पूरी तरह प्रतिबंधित है.
आरती, सत्संग और पूजा में भाग लेना अच्छा माना जाता है.
दूसरों से नम्रता से पेश आएं, ज्यादा बातें करने से बचें.
मंदिर में प्रवेश से पहले जूते उतारें और सिर ढकें.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
7 Apr, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, मनोबल बनायें रखें, विचार फलीभूत हों।
वृष राशि :- भाग्य का सितारा साथ दे, इष्ट मित्र सहयोग करेंगे, ध्यान दें।
मिथुन राशि :- इष्ट मित्रों से परेशानी, क्लेश व अशांति, दैनिक कार्यगति अनुकूल रहेगी।
कर्क राशि :- मान-प्रतिष्ठा, प्रभुत्व में वृद्धि, स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास, दैनिक कार्य में उन्नति होगी।
सिंह राशि :- कार्यगति अनुकूल न हो, सामाजिक कार्यों में प्रभुत्व वृद्धि होगी।
कन्या राशि :- कुटुम्ब की परेशानी, चिन्ता व व्यग्रता, भ्रमण होगा, ध्यान दें।
तुला राशि :- धन हानि, शरीर कष्ट, मानसिक बेचैनी, भ्रमण, कार्य पर ध्यान दें।
वृश्चिक राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा, ध्यान दें।
धनु राशि :- कार्य कुशलता से संतोष, दैनिक समृद्धि के साधन जुटायें, कार्य विशेष पर ध्यान दें।
मकर राशि :- दैनिक कार्यवृत्तियों में सुधार होगा, योजनाएँ फलीभूत होंगी, ध्यान अवश्य दें।
कुंभ राशि :- विशेष कार्य स्थिगित रखें, मानसिक विभ्रम, उद्विघ्नता अवश्य बनें।
मीन राशि :- कार्य विफल हों, प्रयत्न करने पर ही सफलता प्राप्त हो, ध्यान दें।
बिजनेस बढ़ाने में मां लक्ष्मी खुद करेंगी मदद! कामदा एकादशी का ये उपाय..छोटे व्यापारियों के लिए 'संजीवनी'
6 Apr, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में एकादशी व्रत का बेहद खास महत्व है. मान्यता है कि एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. मृत्यु पश्चात मोक्ष की प्राप्ति होती है. हर महीने दो एकादशी की तिथि पड़ती है, एक कृष्ण पक्ष तो दूसरी शुक्ल पक्ष. हालांकि, इन सभी एकादशी का नाम तिथि और महत्व अलग-अलग होता है.
फिलहाल चेत्र माह चल रहा है. इस महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है. मान्यता है कि कोई भी कार्य पूर्ण नहीं हो रहा है तो इस एकादशी पर व्रत रखकर भगवान विष्णु की पूजा करने से वो पूर्ण होता है. एकादशी के दिन अगर आप कुछ उपाय भी कर लेते हैं तो व्यापार में जो समस्या चल रही है, वह समाप्त होगी. देवघर के आचार्य से जानें उपाय…
ऐसे करें एकादशी की पूजा
चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहते हैं. 8 अप्रैल को कामदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा. भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा एकादशी के दिन विधि विधान के साथ करनी चाहिए. एकादशी के पूर्व व्यक्ति को सात्विक भोजन करना चाहिए. ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करना पीला रंग का वस्त्र पहनकर करना चाहिए. ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें. सभी संकट समाप्त हो जाएंगे.
एकादशी पर जरूर करें ये उपाय
अगर व्यापार में घाटा चल रहा हो या व्यापार मंदा पड़ा है तो एकादशी के दिन एक छोटा सा उपाय अवश्य कर लें. कामदा एकादशी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा पीला वस्त्र पहनकर करें. एक पीले कपड़े में दो हल्दी की गांठ, एक चांदी का सिक्का और एक पीली कोड़ी बांधकर माता लक्ष्मी को अर्पण करें. पूजा के उपरांत पीले कपड़े की पोटली बनाकर व्यापार की तिजोरी में रख लें. जातक के व्यापार में जो भी समस्या है, वह समाप्त हो जाएगी. माना जाता है कि ऐसा करने से माता लक्ष्मी स्वयं व्यापार को आगे बढ़ाएंगी.
नवरात्रि पर प्रसाद के रूप में क्यों चढ़ाए जाते हैं हलवा, पूड़ी और चने?
6 Apr, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इस विशेष दिन पर 9 कन्या और 1 लंगुर यानी बालक को भोग चढ़ाते हैं और उनको पूजते हैं. प्रसाद के रूप में पूड़ी, सूजी का हलवा और सूखे काले चने परोसे जाते हैं, जो सालों से चली आ रही परंपरा के रूप में है. यह परंपरा देवी भागवत पुराण में भी वर्णित है, जिसमें कन्याओं को देवी दुर्गा के स्वरूप माना गया है. देवी भागवत पुराण के अनुसार, इन कन्याओं को देवी दुर्गा के 9 रूपों का प्रतीक माना जाता है. कन्या पूजन के माध्यम से भक्त देवी की कृपा प्राप्त करते हैं और उनसे आशीर्वाद लेते हैं.
कुछ क्षेत्रों में, चैत्र दुर्गा अष्टमी के दिन मां दुर्गा के मस्तक से देवी चामुंडा के प्रकट होने की कथा प्रचलित है. देवी चामुंडा ने चंड, मुंड और रक्तबीज जैसे राक्षसों का वध किया था, जो महिषासुर के सहयोगी थे. महाष्टमी के दिन, भक्त 64 योगिनियों और अष्ट शक्तियों की पूजा करते हैं, जो देवी दुर्गा के आठ उग्र रूपों का प्रतिनिधित्व करती हैं.
क्या है इस प्रसाद के पीछे लॉजिक?
डायटिशियन और ऑथर ऋजुता दिवेकर के अनुसार, पूड़ी, हलवा और चने का यह कॉम्बिनेशन शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करता है. सात्त्विक आहार के बाद, यह भोजन पाचन तंत्र को संतुलित करने में मदद करता है. चने और सूजी में उच्च मात्रा में आहार फाइबर होता है, जो ब्लड शुगर के लेवल को कंट्रोल करने और हृदय स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में सहायक है. इसके अलावा, काले चने में सैपोनिन्स होते हैं, जो कैंसर कोशिकाओं को फैलने से रोकने में मदद करती हैं. इसी वजह से नवरात्रि के दौरान पूड़ी, हलवा और काले चने का भोग न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है, बल्कि स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी लाभकारी है.
कन्या पूजन में ना करें ये गलतियां, वरना नहीं मिलेगा पूजा का पूरा फल, रूठ जाएंगी देवी मां!
6 Apr, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नवरात्रि के नौं दिनों देवी दुर्गा के स्वरूपों की भक्ति आराधना की जाती है. कई लोग नवरात्रि के नौ दिनों व्रत उपवास भी करते हैं और फिर नवरात्रि के आखिरी दिन नवमी के दिन कन्या पूजन कर अपने व्रत का समापन करते हैं. धर्म शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि में कन्या पूजन के बिन व्रत का समापन करने पर पूजा अधूरी मानी जाती है. क्योंकि कन्याओं को साक्षात देवी का रुप माना जाता है.
हालांकि नवरात्रि में लगभग हर घर में कन्या पूजन किया जाता है और उन्हें आदर पूर्वक फल, मिष्ठान, भोजन व सामर्थ्य अनुसार कुछ भेंट दी जाती है. लेकिन क्या आपको पता है कि कन्या पूजन के समय आपको कुछ विशेष नियमों का पालन करना जरूरी होता है. अगर इन नियमों में थोड़ी चूक हो तो आपको नौं दिनों की पूजा का फल नहीं मिलता है. ऐसे में आइए पंडित राघवेंद्र शास्त्री से कन्या पूजन के नियमों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
स्थान का रखें विशेष ध्यान
कन्या पूजन के लिए जिस जगह का आप चुनाव कर रहे हैं उस स्थान को साफ-सुथरा और पवित्र रखें, इस स्थान पर गंदगी ना रखें क्योंकि कन्याएं देवी मां का रूप मानी जाती हैं और देवी को स्वच्छता पसंद होती है. इसलिए कन्या पूजन वाले स्थान पर गंगाजल से छिड़काव कर वहां साफ जरूर कर लें.
स्नान के बाद करें कन्या पूजन
देवी-देवताओं की पूजा करने से पहले स्नानादि करना बेहद जरूरी होता है. उसी प्रकार कन्या पूजन से पूर्व भी स्नान करना बहुत जरूरी माना जाता है. कन्या पूजन से पहले स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनें व कन्याओं के भी अपने हाथें से पैर धुलवाएं, फिर उन्हें आसन पर बैठाएं.
बासी भोजन ना करवाएं
कन्या पूजन के दिन कन्याओं को सात्विक व ताजा भोजन करवाना चाहिए. ध्यान रखें की भोजन में लहसुन, प्याज का इस्तेमाल ना करें. साथ ही उन्हें ताजा व शुद्ध भोजन करवाएं. इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित कर लें कि कन्याओं को गंदे व झूठे हाथों से भोजन ना परोसें. ये शुभ नहीं माना जाता है.
कन्याओं के साथ अच्छा व्यवहार करें
कन्याओं के साथ बुरा व्यवहार ना करें, उनपर क्रोध या फिर उनके प्रति कोई नकारात्मक विचार ना रखें. कन्याओं को साक्षात देवी का रूप माना जाता है, इसलिए उनके प्रति असम्मानजनक व्यवहार ना करें और उनसे सम्मान पूर्वक बात करें.
कन्याओं की संख्या इतनी होनी चाहिए
धार्मिक मान्यता के अनुसार कन्या पूजन के लिए हमेशा 2, 5, 7 या 9 कन्याओं को आमंत्रित करना शुभ माना जाता है. भूलकर भी विषण संख्या में जैसे 1, 3, 6 या 8 कन्याओं को ना बुलाएं.
राम नवमी पर रवि पुष्य योग का बना दुर्लभ संयोग, ये 4 उपाय बदल देंगे आपकी जिंदगी, सुख-सौभाग्य में होगी वृद्धि
6 Apr, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को राम नवमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन विधि विधान के साथ भगवान राम की पूजा अर्चना करने सुख, सौभाग्य, ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि होती है और धन धान्य की कभी कमी नहीं होती. राम नवमी पर इस बार रवि पुष्य योग समेत सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग समेत कई शुभ योग भी बन रहे है, जो इस दिन को और भी खास बना रहे हैं. ज्योतिष शास्त्र में राम नवमी का महत्व बताते हुए कुछ विशेष उपाय भी बताए गए हैं. इन उपायों के करने से भगवान श्रीराम का आशीर्वाद मिलता है और सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं राम नवमी 2025 के दिन किए जाने वाले विशेष उपाय के बारे में…
इस उपाय से मनोकामना होगी पूरी
राम नवमी का व्रत रखें और रामचरितमानस, बालकांड, सुंदरकांड या रामरक्षा स्तोत्र का पाठ करें. दोपहर के समय भगवान राम के मंत्र और भजन का गायन भी करें. साथ ही गरीब व जरूरतमंद लोगों को दान अवश्य करें. ऐसा करने से भगवान राम की कृपा प्राप्त होगी और मनोकामना भी पूरी होगी.
इस उपाय से सभी दोष होंगे दूर
राम नवमी के दिन तुलसी के 108 पत्तों पर ‘राम’ नाम शब्द लिखें. या तो इन तुलसी के 108 पत्तों की माला बना लें या फिर भगवान राम को ऐसे ही अर्पित करें. साथ ही एक कटोरी में गंगा जल ले लें और राम रक्षा मंत्र ॐ श्री ह्रीं क्लीं रामचंद्राय श्रीं नमः का 108 बार जप करके घर के कोने कोने में जल का छिड़काव करें. ऐसा करने से वास्तु दोष, तंत्र बाधा समेत सभी तरह के दोष दूर होते हैं.
इस उपाय से सभी परेशानियां होंगी दूर
परेशानी साथ नहीं छोड़ रही है या फिर बने बनाए कार्य बिगड़ रहे हैं तो राम नवमी के दिन भगवान राम के आगे तीन बार ‘श्रीराम चंद्र कृपालु भजमन…’ का गान करें. अगर संभव हो तो इसका जप हर दिन तीन बार करें. ऐसा करने से सभी तरह के परेशानी दूर होगी और भगवान राम की कृपा भी बनी रहेगी.
इस उपाय से वैवाहिक जीवन होगा सुखमय
वैवाहिक जीवन में परेशानी चल रही है तो राम नवमी की रात खीर बना लें और उस खीर को चंद्रमा की रोशनी में एक घंटे तक रख दें. इसके बाद पति-पत्नी दोनों साथ मिलकर खीर खाएं. ऐसा करने से दूरियां खत्म हो जाती हैं और प्रेम बढ़ता है. साथ ही वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और आपसी समझ भी मजबूत होती है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
6 Apr, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्य-कुशलता एवं समृद्धि के योग, फलप्रद स्थिति में कार्य बनेंगे।
वृष राशि :- कार्य की तत्परता से लाभ एवं इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, कार्य में ध्यान दें।
मिथुन राशि :- व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि, कार्य कुशलता से संतोष, लाभप्रद स्थिति रहे।
कर्क राशि :- सोच समझ कर शक्ति लगाएं अन्यथा कुछ विभ्रम, विकार, क्लेश हों।
सिंह राशि :- समय अनुकूल नहीं, विशेष कार्य स्थिगित रखें, लेनदेन के मामले में हानि।
कन्या राशि :- मानसिक विभ्रम, किसी आरोप में फंस सकते हैं, सतर्कता से कार्य करें।
तुला राशि :- भाग्या का सितारा प्रबल हो, बिगड़े कार्य बनेंगे, कार्य संतोष होगा।
वृश्चिक राशि :- कार्य कुशलता से संतोष, योजनाएं फलीभूत होंगी, सफलता मिले।
धनु राशि :- सफलता के साधन जुटायें, धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष हो।
मकर राशि :- अरोप, क्लेश, असमंजस, धन का लाभ, सफलता से हर्ष अवश्य होगा।
कुंभ राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक हों, स्त्री शरीर कष्ट तथा मित्र चिन्ता, दुख होवे।
मीन राशि :- इष्ट मित्र सहायक रहें, दैनिक कार्यगति में अनुकूलता होगी।
जगन्नाथ पुरी मंदिर के महाप्रसाद में क्यों नहीं होता टमाटर का उपयोग?
5 Apr, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देशभर में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं जो कि लोकआस्था का प्रमुख केंद्र माने जाते हैं और इन्हीं मंदिरों में से एक ओडिशा के पुरी शहर में भगवान जगन्नाथ जी मंदिर भी शामिल है. जहां ना सिर्फ देश बल्कि विदेशों से भी लोग जगन्नाथ जी के दर्शन के लिए आते हैं. भगवान जगन्नाथ श्रीहरि विष्णु जी का एक रूप है, जो कि हिंदू धर्म में सर्वोच्च त्रिदेवों में से एक हैं.
जगन्नाथ पुरी का यह मंदिर मुख्य रूप से अपनी वार्षिक रथयात्रा के लिए प्रसिद्ध है. जिसमें शामिल होने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के बाद 56 भोग का महाप्रसाद खाने के लिए यहां आते हैं. मान्यताओं के अनुसार यहां की रसोई दुनिया की सबसे बड़ी रसोई है, जो प्रतिदिन हजारों लोगों को सेवा प्रदान की जाती है. लेकिन आपको बता दें कि जगन्नाथ पुरी के इस रहस्यों से भरे मंदिर की रसोई में जो प्रसाद बनाया जाता है उसमें टमाटर का उपयोग पूरी तरह से प्रतिबंधित है. लेकिन क्यों? तो आइए इस बारे में जानते हैं.
क्यों नहीं किया जाता टमाटर का उपयोग
दरअसल, उड़िया में टमाटर को बिलाती (जो कि एक विदेशी नाम है) के नाम से जाना जाता है. इसलिए जगन्नाथ पुरी मंदिर में बनने वाले प्रसाद में टमाटर का इस्तेमाल नहीं किया जाता है. क्योंकि मान्यताओं के अनुसार, भारत में टमाटर को पहले के समय में विदेशियों के द्वारा उगाया जाता था और उन्हीं के द्वारा ही इसे भारत में भी लाया गया था. इसलिए इसे जगन्नाथ पुरी मंदिर में उपयोग करने पर बैन है. हालांकि यहां सिर्फ टमाटर ही नहीं. बल्कि आलू सहित कई अन्य सब्जियों पर भी बैन है.
जगन्नाथ पुरी मंदिर के प्रसाद में ये सब्जियां भी हैं प्रतिबंधित
आपको बता दें भोग में टमाटर सहित आलू, फूलगोभी, पत्तागोभी, चुकंदर, मक्का, हरी मटर, गाजर, शलजम, बेल मिर्च, धनिया, बीन्स, मिर्च, हरी बीन्स, करेला, भिंडी और खीरे जैसी सब्जियों को भी महाप्रसाद में शामिल करने से रोक दिया गया है.
क्यों प्रतिबंधित हैं विदेशी सब्जियां
दरअसल, माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ जी के मंदिर में जो महाप्रसाद भगवान को चढ़ाने के लिए तैयार किया जाता है, उसकी पूरी सामग्रियां लोकल होती हैं. इसमें स्थानीय फूड का इस्तेमाल किया जाता है. इतना ही नहीं, यहां मंदिर में भोग को बनाने के लिए भी मिट्टी और ईंट से बने बर्तनों का इस्तेमाल किया जाता है.
जानकारी के अनुसार, यह महाप्रसाद बनाने के लिए मिट्टी और ईंट से बने 240 स्टोव हैं. जिनमें भोग तैयार किया जाता है. प्रत्येक चूल्हे पर 9 बर्तनों को एक के ऊपर एक रखकर खाना पकाया जाता है. बताया जाता है कि ये 9 बर्तन का अंक 9 नवग्रह, 9 धान्य और 9 दुर्गाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं.
शनि के शुभ प्रभाव से बदल सकती है आपकी किस्मत, जानें 5 खास संकेत !
5 Apr, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शनि देव न्याय के देवता हैं. शनि व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देता है. शनि देव को क्रूर ग्रह भी कहा जाता है शनिदेव दंड देने से भी पीछे नहीं हटते हैं. नवग्रहों में शनि की चाल सबसे धीमी है. शनि ने हाल ही में 29 मार्च को कुंभ राशि से मीन राशि में प्रवेश किया है. शनि के इस गोचर से तीन राशियों की साढ़ेसाती और 2 राशियों की ढैय्या शुरू हो गई है.
लेकिन आपको बता दें कि शनिदेव की दृष्टि हमेशा क्रूर नहीं रहती है. अगर व्यक्ति के कर्म अच्छे रहते हैं व कुंडली में उनकी स्थिति मजबूत रहती है तो वे व्यक्ति को आसमान की बुलंदियों तक पहुंचा देते हैं. लेकिन अब सवाल यह है कि हम इस बात को कैसे पता करें कि हमारे जीवन पर शनि का शुभ प्रभाव है या नहीं और कुंडली में शनि मजबूत स्थिति में हैं. तो आइए ज्योतिषाचार्य व वास्तु सलाहकार डॉ अरविंद पचौरी से इस बारे में विसातर से जानते हैं.
शनि के मजबूत स्थिति में होने पर मिलते हैं ये पांच संकेत.
अचानक से धनलाभ दिलाते हैं शनिदेव
जब शनि देव किसी की कुंडली में शुभ स्थिति में होते हैं, तो व्यक्ति की किस्मत रातों-रात बदल भी देते हैं, अचानक से धन लाभ की स्थिति बन जाती है. इसके साथ ही उसे कल्पना से परे सफलताएं मिलती हैं. शनिदेव की दृष्टि से व्यक्ति ऐसे मुकाम को हासिल करता है जहां से उसे कोई नहीं गिरा सकता और आर्थिक संकट उसके आसपास भी नहीं भटक पाता है.
लोहे का व्यापार दिलाता है सफलता
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनिदेव मजबूत स्थिति में होते हैं तो उसे लोहे से संबंधित व्यापार में खूब तरक्की मिलती है. फिर चाहे वो व्यापार लोहे या फिर लोहे की धातु के निर्माण से जुड़ा ही क्यों ना हो, उसे शनिदेव अपार सफलता दिलाते हैं.
कानून और न्याय व्यवस्था में लाभ
शनिदेव को न्याय, अनुशासन व नियमों के देवता माना जाता है. वे उन व्यक्तियों से ज्यादा प्रसन्न रहते हैं जो कि नियमों व अनुशासन में रहते हैं. ऐसे में जब शनिदेव की स्थिति आपकी कुंडली में शुभ होती है तो यह कानून और न्याय से जुड़े व्यक्तियों के लिए बहुत लाभकारी होती है. शनि के अच्छे प्रभाव उन्हें अपने कार्यक्षेत्र में सम्मान दिलाता है.
शनिदेव बनाते हैं व्यक्ति को गंभीर
शनिदेव की शुभ दृष्टि व्यक्ति को स्वभाव से गंभीर व परिश्रमी बनाता है. शनिदेव जब किसी पर अपनी कृपादृष्टि डालते हैं तो वे कड़ी मेहनत व परिश्रम कराना सिखाते हैं लेकिन इससे उसे एक गंभीर व दृढ़ संकल्पित व्यक्ति बनाता है. ऐसे व्यक्ति किसी विशिष्ट विषय या क्षेत्र में अध्ययन कर नई पहचान बनाते हैं.
महाभारत: युद्ध के बाद गांधारी ने कुंती को दी कौन सी उलाहना, बड़े रहस्य के खुलासे से धमाका
5 Apr, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाभारत का युद्ध खत्म हो चुका था. गांधारी अपने सभी 100 पुत्रों को खो चुकी थीं. उनका क्रोध आसमान छू रहा था. वो तो पांडवों को भी श्राप देना चाहती थीं लेकिन महर्षि व्यास ने वहां पहुंचकर पांडवों को बचा लिया. हालांकि तब वह कुंती पर गुस्सा जरूर हुईं जब उन्होंने एक ऐसा राज उन्हें बताया, जो लंबे समय से उन्होंने छिपाकर रखा था. गांधारी ने नाराजगी में कुंती को ऐसा उलाहना दिया कि उनके पास कोई जवाब नहीं था. वो चुपचाप सुन ही सकती थीं. हालांकि कुंती की इस राज को जब युधिष्ठिर ने जाना तो वह बुरी तरह नाराज ही हो गए थे.
आइए जानते हैं कि गांधारी ने महाभारत के बाद कुंती को क्या उलाहना दी थी. ये उन्हें क्यों दी गई थी. इस पर कुंती की प्रतिक्रिया क्या थी. दरअसल कुंती हमेशा से जानती थीं कि कर्ण उन्हीं का बेटा है. हालांकि कर्ण को जन्म देते ही उन्होंने उसका इसलिए त्याग कर दिया था, क्योंकि तब वह कुंवारी थीं.
दुर्वासा ऋषि ने क्या आशीर्वाद दिया
कुंती को विवाह से पूर्व ऋषि दुर्वासा ने आशीर्वाद दिया था, जिसके कारण कर्ण का जन्म हुआ. कथा के अनुसार, जब कुंती अपने दत्तक पिता कुंतिभोज के घर पर थीं, तो ऋषि दुर्वासा ने उनसे प्रसन्न होकर उन्हें एक मंत्र दिया था. इस मंत्र की शक्ति से वह किसी भी देवता का आह्वान करके अपने पास बुला सकती थीं. उनसे पुत्र प्राप्त कर सकती थीं. कौतूहलवश कुंती ने विवाह से पहले ही इस मंत्र का प्रयोग सूर्य देव का आह्वान करने के लिए किया, जिसके परिणामस्वरूप कर्ण का जन्म हुआ.
लोकलाज के डर से उन्होंने कर्ण को एक टोकरी में रखकर नदी में बहाया, जो अधिरथ सूत को मिली और उन्होंने कर्ण को बेटा समझकर पालापोसा. हालांकि कर्ण में हमेशा से एक खास किस्म की वीरता और तेज रहा.
कुंती ने ये रहस्य युद्ध के बाद बताया
दरअसल इसका रहस्योदघाटन भी महाभारत के युद्ध के तुरंत बाद भी उन्होंने नहीं किया बल्कि तब किया जबकि महाभारत के मृतकों का तर्पण उनके परिजन कर रहे थे. तभी सहसा शोकाकुल होकर कुंती अपने पुत्रों से बोलीं, अर्जुन ने जिनका वध किया है, तुम जिन्हें सूतपुत्र और राधा का गर्भजात समझते रहे, उस महाधनुर्धर वीरलक्षणों वाले कर्ण के लिए भी तुम लोग तर्पण करो. वो तुम्हारे बड़े भाई थे. सूर्य के औरस से मेरे गर्भ में कवच कुंडलधारी होकर वह जन्मे थे.
तब युधिष्ठिर भी बहुत नाराज हुए
ये सुनते ही पांडव पहले स्तब्ध रह गए फिर बहुत दुखी हुए. उन्होंने कहा हमें सौ गुना ज्यादा दुख हो रहा है. उस समय तो युधिष्ठिर ने कर्ण की पत्नियों के साथ मिलकर तर्पण कर दिया लेकिन बाद में अपनी मां से बहुत नाराज हुए. पहली बार अपनी मां को श्राप भी दिया.
गांधारी तो पहले से ही गुस्से से भभकी हुईं थीं
इस बात को जब गांधारी ने जाना तो उनके अंदर पहले से ही अपने सभी पुत्रों को खोने का गुस्सा भभक रहा था. उन्होंने कुंती को उलाहना देने में एक क्षण की देरी नहीं लगाई. गांधारी ने कुंती को कर्ण के बारे में उलाहना देते हुए कहा था कि यदि कुंती ने कर्ण को अपने पुत्र के रूप में स्वीकार कर लिया होता. यह बात पहले खुल गई होती, तो शायद युद्ध की भयंकरता को टाला जा सकता था.
गांधारी का मानना था कि कर्ण के पांडवों के साथ होने से कौरवों और पांडवों के बीच का संघर्ष कम हो सकता था, क्योंकि कर्ण एक महान योद्धा थे. उसका पांडवों के प्रति स्नेह भी था.
तब गांधारी ने कुंती पर क्या आरोप लगाया
गांधारी ने नाराज होते हुए कुंती पर यह आरोप लगाया कि उसने अपने सबसे बड़े पुत्र को छिपाकर एक बड़ा अपराध किया, जिसके परिणामस्वरूप इतना विनाश हुआ. कुंती ने इस उलाहने का जवाब बड़े संयम और दुख के साथ दिया.
कुंती ज्यादा जवाब नहीं दे पाईं केवल ये कह सकीं
दुखी कुंती ने तब गांधारी से कहा कि कर्ण को त्यागना उसका सबसे बड़ा दुख और कठिन फैसला था, जो उसने समाज के भय और अपनी अविवाहित स्थिति के कारण लिया. कुंती ने यह भी स्वीकार किया कि वह अपने इस निर्णय के लिए हमेशा पश्चाताप करती रही. ये भी कहा कि भाग्य और कर्म का खेल ऐसा था कि शायद यह सब टाला नहीं जा सकता था.
कुंती ने गांधारी के दुख को समझते हुए सहानुभूति दिखाई, लेकिन ये भी कहा, उसने जो किया, वह उस समय की परिस्थितियों में उसके लिए जरूरी था. ये पूरा संवाद महाभारत के “स्त्री पर्व” में है, जहां दोनों माताएं अपने-अपने दुख और फैसलों के बारे में बात करती हैं.
कई मौकों पर दिखा गांधारी-कुंती का तनाव
हालांकि महाभारत में गांधारी और कुंती के बीच तनाव कई अवसरों पर इसके अलावा भी देखने को मिलता है. द्रौपदी के स्वयंवर के बाद जब पांडव द्रौपदी को लेकर हस्तिनापुर लौटते हैं, तो गांधारी के मन में पुत्र दुर्योधन की हार और कुंती के पुत्रों की जीत को लेकर एक क्षुब्ध होने का भाव जरूर था. “आदि पर्व” और “सभापर्व” के संदर्भ इसे जाहिर करने के लिए काफी हैं.
जब द्रौपदी का चीरहरण होता है और पांडवों को वनवास पर जाना पड़ता है तब भी दोनों स्त्रियों के बीच तनाव था. कुंती इन सबसे बहुत नाराज थीं. वह बेटों के साथ वनवास तो नहीं गईं लेकिन उन्होंने गांधारी के साथ महल में रहने से भी इनकार कर दिया. इसकी जगह वह विदुर के साथ उनके घर पर रहीं. पांडव 14 साल वनवास में रहे. उसमें कभी कभार ही गांधारी और कुंती का मिलना होता था.
बाद में दोनों में हो गया अपनापा
हालांकि महाभारत के युद्ध के बाद कुंती और गांधारी कुछ समय जाकर अपनापा हो गया. इसी वजह से जब धृतराष्ट्र और गांधारी वनवास के लिए जाने लगे तो वह भी उनके साथ विदुर को लेकर वन में चली गईं, जहां उनका निधन हुआ.
कामदा एकादशी के दिन करें इन चमत्कारी मंत्रों का जप, घर में बनी रहेगी सुख-समृद्धि और खुशहाली
5 Apr, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धार्मिक मान्यतों के अनुसार हर पक्ष में आने वाली एकादशी तिथि महत्वपूर्ण होती है. लेकिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली कामदा एकादशी अपने फल के कारण विशेष महत्वपूर्ण मानी जाती है. एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. इस साल कामदा एकादशी 08 अप्रैल को मनाई जाएगी.
मान्यताओं के अनुसार इस एकादशी का व्रत करने वाले साधक के सभी पाप नष्ट होते हैं और उसकी हर कामना पूरी होती है व जीवन में सुख समृद्धि आती है. इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है व कई लोग इस दिन श्रीहरि को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय भी करते हैं. इसके अलावा माना जाता है कि अगर कामदा एकादशी पर अगर व्यक्ति कुछ मंत्रों का जप कर ले तो भी उसे विशेष फल प्राप्त हो सकते है और उस पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी का कृपा प्राप्त हो सकती है. ऐसे में आइए जानते हैं पंडित रमाकांत मिश्रा से उन खास मंत्रों के बारे में, जो कि एकादशी के दिन करना शुभ फलों को प्रदान करता है.
कामदा एकादशी मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार एकादशी तिथि 7 अप्रैल को रात 08 बजकर 00 मिनट पर शुरू होगी और 8 अप्रैल को रात 09 बजकर 11 मिनट पर खत्म होगी. साथ ही व्रत पारण का समय 8 अप्रैल की सुबह 06 बजकर 05 मिनट से 08 बजकर 36 मिनट तक रहेगा. जबकि द्वादशी तिथि रात 10 बजकर 54 मिनट तक रहेगी.
भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के मंत्र
एकादश्यां समायुक्ते देवदेव जनार्दन। एकभक्तिं प्रदास्यन्ति मुक्तिं मे कुरु केशव
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
ॐ विष्णवे नमः
ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्
ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणत क्लेश नाशाय गोविन्दाय नमो नमः
इन मंत्रों के जाप से मिलेगी सुख-शांति
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति-रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्
ॐ नमस्ते परमं ब्रह्मा नमस्ते परमात्ने। निर्गुणाय नमस्तुभ्यं सदुयाय नमो नम:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात्
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लंबोदराय सकलाय जगद्धितायं
श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा
ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नमः
इन मंत्रों के जाप से प्रसन्न होंगी मां लक्ष्मी
– ॐ श्रीं ह्रीं पूर्ण गृहस्थ सुख सिद्धये ह्रीं श्रीं ॐ नमः
– ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः
– ऊँ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
5 Apr, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- यात्रा भय, कष्ट, व्यवसाय बाधा, लाभ पारिवारिक समस्या उलझन भरी होगी।
वृष राशि :- राज भय, रोग, स्वजन सुख, शिक्षा लेखन कार्य मेंं सफलता व प्रगति होगी।
मिथुन राशि :- वाहन भय, मातृ कष्ट, हानि तथा अशांति का वातावरण रहेगा, लाभ के अवसर प्राप्त होंगे।
कर्क राशि :- सफलता, उन्नति, शुभ कार्य, विवाद, राजकार्य मामले में प्रगति, जीत अवश्य होगी।
सिंह राशि :- शरीर कष्ट, व्यय कार्य में सफलता, आर्थिक सुधार के कार्य बन ही जायेंगे।
कन्या राशि :- खर्च, विवाद, स्त्री कष्ट, विद्या लाभ एवं धीरे-धीरे सुधार हो, अवरोध होगा।
तुला राशि :- यात्रा से हर्ष, राजलाभ, शरीर कष्ट, आर्थिक कष्ट, खर्च की यात्रा होगी।
वृश्चिक राशि :- कार्य वृत्ति से लाभ, यात्रा-सम्पत्ति लाभ, व्यापारिक गति में सुधार अवश्य होगा।
धनु राशि :- अल्प लाभ, चोट और अग्नि भय, मानसिक परेशानी अवश्य ही होगी।
मकर राशि :- शत्रु से हानि, कार्य व्यय, शरीरिक सुख होगा, कभी-कभी कुछ कष्ट अवश्य होगा।
कुंभ राशि :- सुख, व्यय, संतान सुख, कार्य सफलता, उत्साह की वृद्धि होगी, ध्यान रखें।
मीन राशि :- पदोन्नति, राजभय, न्याय, लाभ-हानि, अधिकारियों में मनमुटाव रहेगा।