धर्म एवं ज्योतिष
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
1 Mar, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कुटुम्ब की समस्याओं में समय बीतेगा, धन का व्यय होगा, मन उद्विघ्न रहे।
वृष राशि :- मानसिक बेचैनी क्लेश अशांति के योग बनेंगे तथा कार्य भार अवश्य ही बढ़ेगा।
मिथुन राशि :- व्यर्थ भ्रमण से धन हानि का आरोप, क्लेश से बचे तथा स्थिति संदिग्ध रहेगी।
कर्क राशि :- परिश्रम से कुछ सफलता मिलेगी, अर्थव्यवस्था कुछ अनुकूल बन जायेगी।
सिंह राशि :- मनोबल उत्साह वर्धक होगा, कार्यगति में सुधार होगा कार्य आनंद से होगा।
कन्या राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, व्यक्तिगत मान प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
तुला राशि :- इष्ट मित्र सुख वर्धक होगे तथा सामाजिक कार्यों में मान प्रतिष्ठा बढ़ेगी।
वृश्चिक राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल हो, कार्य गति में सुधार होगा बिगड़े कार्य बनेंगे।
धनु राशि :- कुटुम्ब में धन का व्यय, मानसिक व्यग्रता स्वभाव में बेचैनी बनेगी।
मकर राशि :- चिन्ताऐं दूर हो, सफलता के साधन जुटाये तथा रुचि कार्य अवश्य बनेगें।
कुंभ राशि :- स्त्रीवर्ग से हर्ष, उल्लास कार्यगति में अनुकूलता अवश्य ही बनेगी, चिन्ता होगी।
मीन राशि :- अधिकारियों से तनाव स्थिति रखे, मित्रों से विवाद तथा धोखा होगा।
दान के समय की गई ये गलती कर देगी आपको कंगाल, फायदे की जगह हो जाएगा नुकसान
28 Feb, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दान एक नेक काम है लेकिन अगर सही तरीके से न किया जाए तो यह नुकसान भी पहुंचा सकता है. जब हम किसी जरूरतमंद को कुछ देते हैं तो हमारे मन में यह भावना होती है कि हमारी अधिकता किसी और के काम आ जाए. लेकिन अगर दान करने में लापरवाही बरती जाए या यह आपकी कुंडली के नियमों के विरुद्ध हो तो यह आपको लाभ पहुंचाने की बजाय हानि भी दे सकता है. इसलिए दान करते समय सतर्क रहना जरूरी है. हमें दान करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और कौन-सी चीजें हमें दान करने से बचना चाहिए, इस बारे में जानकारी दे रहे हैं ज्योतिष एवं वास्तु शास्त्र रवि पाराशर.
दान और दक्षिणा में अंतर
दान और दक्षिणा दोनों का अर्थ अलग-अलग होता है. दक्षिणा वह होती है जो किसी सेवा के बदले दी जाती है, जबकि दान निस्वार्थ भाव से किया जाता है. दान तब ही प्रभावी होता है जब इसे बिना किसी दिखावे और अहंकार के किया जाए, तो उसका महत्व समाप्त हो जाता है. जब भी हम किसी को कुछ देते हैं, तो यह समझें कि वह चीज पहले भी हमारे जीवन में किसी न किसी रूप में आई थी. अब जब कुदरत ने हमें सक्षम बनाया है, तो हम उसे आगे बढ़ा रहे हैं. यह भाव यदि हमारे भीतर रहेगा, तो दान का सही असर देखने को मिलेगा.
ग्रहों के अनुसार दान का महत्व
ज्योतिष में नौ ग्रह होते हैं, और हर ग्रह से कुछ खास चीजें जुड़ी होती हैं. यदि कोई ग्रह आपके जीवन में कष्ट दे रहा हो, तो उसकी संबंधित चीजों का दान करने से राहत मिल सकती है.
सूर्य से जुड़ी चीजें जैसे गेहूं, तांबा, माणिक्य, सरकारी तंत्र और पिता का सम्मान बढ़ाते हैं.
चंद्रमा दूध, चावल और मानसिक शांति का प्रतीक होता है.
मंगल से जुड़ी मीठी चीजें, लाल मसूर और हथियार रक्षा और संघर्ष से संबंधित होते हैं.
बुध से हरी मूंग, स्टेशनरी और संवाद क्षमता जुड़ी होती है.
गुरु सोना, पीला वस्त्र और धर्म से जुड़ी चीजों का प्रतिनिधित्व करता है.
शुक्र इत्र, चांदी, चावल और सौंदर्य से जुड़ा है.
शनि से सरसों का तेल, उड़द, काले चने और श्रमिक वर्ग का संबंध होता है.
राहु इलेक्ट्रॉनिक सामान और रहस्यमयी चीजों से जुड़ा होता है, जबकि केतु आध्यात्मिकता का प्रतीक है.
जब भी किसी ग्रह से जुड़ी समस्या हो, तो उससे संबंधित चीजों का दान करने से राहत मिलती है. लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि हर ग्रह की चीजें हर व्यक्ति को दान नहीं करनी चाहिए.
दान करते समय कौन-सी गलतियां न करें?
अपने लग्न के ग्रहों का दान न करें: आपकी कुंडली में अगर कोई ग्रह लग्न में मजबूत स्थिति में है तो उसकी चीजों का दान करने से वह ग्रह कमजोर हो सकता है, जिससे जीवन में अनचाही परेशानियां आ सकती हैं.
कुछ ग्रहों की चीजों का दान हानिकारक हो सकता है
चंद्रमा अगर आपकी कुंडली के छठे घर में हो तो दूध और चावल दान करना आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है.
वहीं गुरु सप्तम भाव में हो तो अपने पहने हुए कपड़े किसी को न दें बल्कि बदले में कोई छोटा-सा मूल्य जरूर लें.
अगर शनि ग्यारहवें घर में हो, तो शराब या कोई नशीली चीज किसी को न दें, वरना आपका भाग्य कमजोर हो सकता है.
चंद्रमा बारहवें घर में हो, तो किसी की पढ़ाई के लिए धन न दें, वरना खुद के ज्ञान और निर्णय क्षमता में बाधा आ सकती है.
अगर बुध दूसरे घर में हो, तो स्टेशनरी का दान न करें, वरना संचार और धन से जुड़ी समस्याएं आ सकती हैं.
दान करते समय पात्रता का ध्यान रखें
दान हमेशा योग्य व्यक्ति को ही देना चाहिए. अगर गलत व्यक्ति को दान दिया जाए, तो उसका सही प्रभाव नहीं मिलता.
गुप्त दान सबसे श्रेष्ठ
दान का प्रचार किया जाए, तो उसका पुण्य समाप्त हो जाता है. सोशल मीडिया पर दान की तस्वीरें डालने से वह एक मार्केटिंग स्टंट बन जाता है, न कि पुण्य का कार्य.
योग्य व्यक्ति को ही दान करें
कोई व्यक्ति आपके दान का दुरुपयोग कर सकता है या उसका हकदार नहीं है, तो उसे दान करने से बचना चाहिए.
बिना सोच-समझे दान न करें
हर चीज का दान हर किसी को नहीं करना चाहिए. बिना ज्योतिषीय सलाह के किसी ग्रह से जुड़ी चीजों का दान करने से आपको अनजाने में हानि हो सकती है.
महाकुंभ में संगम स्नान का तभी मिलेगा पुण्य, जब करेंगे यह काम
28 Feb, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रयागराज में 45 दिन से चल रहा महाकुम्भ बुधवार को सम्पन्न हुआ. इस दौरान 66.31 करोड़ लोगों ने स्नान किया. अंतिम दिन डेढ़ करोड़ लोग पहुंचे. यह संख्या चीन-भारत को छोड़कर बाकी कई देशों की आबादी से अधिक है. कहा जाता है कि गंगा स्नान से धूल जाते हैं. लेकिन, क्या सच में सिर्फ गंगा में डुबकी लगाने से ही जीवन के सभी दोष मिट सकते हैं?
इस सवाल का जवाब जानने के लिए लोकल 18 ने पटना के मशहूर ज्योतिषविद डॉ. श्रीपति त्रिपाठी ने बातचीत की. उन्होंने बताया कि अगर केवल स्नान से ही मोक्ष मिल जाता, तो फिर शास्त्रों में अच्छे कर्मों और धर्म का इतना महत्व क्यों दिया गया है. उन्होंने इस सवाल का जवाब महाभारत और शास्त्रों में कही गई बातों के आधार पर समझाया है.
भीष्म पितामह का गंगा से है संबंध
मशहूर ज्योतिषविद डॉ. श्रीपति त्रिपाठी के अनुसार भीष्म पितामह स्वयं गंगा के पुत्र थे और महान योद्धा के साथ धर्मज्ञ थे. लेकिन, उन्होंने दुर्योधन का अन्न खाया और उसका साथ दिया, जिससे उनकी सोच प्रभावित हुई. नतीजन, वे बाणों की शैया पर तब तक पड़े रहे जब तक कि उत्तरायण का समय नहीं आया. महाभारत में भीष्म कहते हैं, “अन्नं हि सर्वभूतानां जीवनं, तदनुबन्धस्तु जीवितं। यदन्नं भजते नित्यं, स तद्भावेन युज्यते”. इसका मतलब यह हुआ कि “जो जैसा अन्न ग्रहण करता है, उसकी बुद्धि भी वैसी ही बनती है”. यानी अगर संगति गलत होगी, तो सोच भी प्रभावित होगी. इससे सीख मिलती है कि सिर्फ गंगा स्नान से पाप नहीं धुलते, बल्कि सही कर्म भी जरूरी हैं.
शास्त्रों में क्या कहा गया है?
पुराणों में कहा गया है कि गंगा स्नान से पाप नष्ट होते हैं. स्कंद पुराण में लिखा है, “गंगे तव दर्शनात् स्पर्शनात् स्नानात् पापं विनश्यति”. यानी गंगा का दर्शन, स्पर्श और स्नान मात्र से पाप समाप्त हो जाते हैं. लेकिन, इसका मतलब यह नहीं कि केवल स्नान कर लेने से ही मोक्ष मिल जाएगा. गरुड़ पुराण में स्पष्ट कहा गया है कि सच्ची मुक्ति के लिए अच्छे कर्म और पवित्र आचरण भी जरूरी हैं.
गंगा स्नान के साथ क्या करना चाहिए?
डॉ. श्रीपति त्रिपाठी के अनुसार पाप मुक्त होने और मोक्ष की प्राप्ति के लिए गंगा में डुबकी लगाने के साथ ही अपने विचारों और कर्मों को भी शुद्ध करना होगा. सत्य, अहिंसा, परोपकार और धर्म के मार्ग पर चलें, तभी पाप मुक्त हो सकते हैं. उन्होंने यह भी बताया कि गलत संगति से व्यक्ति का नैतिक पतन होता है. इसलिए, अच्छे लोगों के साथ रहना जरूरी है. गंगा स्नान का असली लाभ तब मिलेगा, जब हम जरूरतमंदों की सेवा करेंगे और अच्छे कार्य करेंगे.
भयंकर बाढ़ और भारी बर्फ से भी टस से मस नहीं हुआ केदारनाथ मंदिर, इसके पीछे का रहस्य कर देगा हैरान!
28 Feb, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
केदारनाथ मंदिर भारत के प्रमुख शिव मंदिरों में से एक है. भारत ही नहीं दुनिया भर से लोग यहां दर्शन के लिए पहुंचते है. यह उत्तराखंड के गढ़वाल हिमालय में स्थित है और हिंदू धर्म के पवित्र स्थलों में गिना जाता है. यह (छोटा) चार धाम यात्रा का भी हिस्सा है. आइए, जानते हैं केदारनाथ मंदिर से जुड़े कुछ दिलचस्प तथ्य, जो इसके इतिहास, वास्तुकला और आध्यात्मिक महत्व को दर्शाते हैं, जिनके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए.
निर्माण का रहस्य
केदारनाथ मंदिर की उत्पत्ति को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं. कुछ इतिहासकार और भक्त इसके निर्माण काल को लेकर अलग-अलग राय रखते हैं. एक लोकप्रिय मान्यता के अनुसार, यह मंदिर महाभारत काल के पांडवों द्वारा बनाया गया था. ऐसा कहा जाता है कि पांडवों ने यहां आकर भगवान शिव की पूजा की और अपने पापों की क्षमा मांगी. बाद में आदि शंकराचार्य, जो 8वीं शताब्दी के महान संत थे, उन्होंने इस मंदिर का पुनर्निर्माण और जीर्णोद्धार किया.
मंदिर की बनावट
केदारनाथ मंदिर की वास्तुकला बेहद खास है. यह विशाल पत्थरों की शिलाओं से निर्मित है, जो इसे मजबूती प्रदान करती हैं. समुद्र तल से 3,583 मीटर (11,755 फीट) की ऊंचाई पर स्थित इस मंदिर का निर्माण कठिन मौसम में भी बना रहना अपने आप में एक चमत्कार है. मंदिर की दीवारों पर सुंदर नक्काशी की गई है, जो सदियों से चली आ रही है और आज भी अपनी खूबसूरती बनाए हुए है.
केदारनाथ मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और ऐतिहासिक धरोहर भी है, जो श्रद्धालुओं को आस्था, शक्ति और विश्वास की अनुभूति कराता है.
केदारनाथ मंदिर का अद्भुत निर्माण
केदारनाथ मंदिर का निर्माण विशाल पत्थरों से हुआ है, जिन्हें बिना सीमेंट के इंटरलॉकिंग तकनीक से जोड़ा गया है. यही कारण है कि यह मंदिर 2013 की भयानक बाढ़ और हिमस्खलन जैसी आपदाओं के बावजूद सुरक्षित रहा. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह मंदिर 400 साल तक बर्फ में दबा रहा, लेकिन फिर भी इसकी संरचना को कोई नुकसान नहीं हुआ.
भीम शिला का चमत्कार
2013 में आई बाढ़ के दौरान एक विशाल चट्टान (भीम शिला) मंदिर के पीछे आकर रुक गई और मंदिर को बाढ़ से बचा लिया. यह चट्टान आज भी मंदिर के पीछे मौजूद है और इसे भगवान शिव की कृपा का प्रतीक माना जाता है.
“कोडाराम” से आया केदारनाथ नाम
केदारनाथ नाम का मूल “कोडाराम” शब्द से माना जाता है. एक प्राचीन कथा के अनुसार, देवताओं ने भगवान शिव की पूजा की ताकि वे राक्षसों से उनकी रक्षा करें. इसके बाद, भगवान शिव बैल (नंदी) का रूप लेकर प्रकट हुए, राक्षसों का वध किया और उनके शवों को अपने सींगों से उठाकर मंदाकिनी नदी में फेंक दिया. यही वजह है कि इस स्थान को केदारनाथ कहा जाता है.
6 महीने तक जलने वाला दीपक
जब सर्दियों में केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद होते हैं, तब मंदिर के अंदर जलने वाला दीपक बिना किसी देखरेख के 6 महीने तक जलता रहता है. कपाट खुलने के बाद मंदिर पूरी तरह साफ-सुथरा मिलता है, जिससे यह रहस्य बना हुआ है कि इस दौरान मंदिर की देखभाल कौन करता है.
नर्मदा नदी की परिक्रमा क्यों की जाती है? क्या है इसका महत्व व धार्मिक मान्यताएं?
28 Feb, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
विश्व में कई नदियां बहती हैं जिनकी महिमा का वर्णन हमने शास्त्र पुराणों में सुना है. इन्हीं में सम्मिलित एक ऐसी नदी हैं मां नर्मदा, जो कि विश्व में एकमात्र ऐसी नदी हैं जिनकी परिक्रमा की जाती है. कहा जाता है कि गंगा मैय्या में स्नान करने से पुण्य प्राप्त होता है लेकिन नर्मदा जी के दर्शन मात्र से ही पुण्य मिल जाता है.
नर्मदा नदी के बारे में वर्णन मिलता है कि जो मनुष्य प्रातः काल उठकर नर्मदा जी में स्नान व नाम जप करता है उसके सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं. इतना ही नहीं नर्मदा जी की इतनी महिमा है कि उनमें पाया जाने वाला कंकड भी शंकर के समान माना जाता है. ऐसे में क्या है जानते हैं भोपाल के ज्योतिषाचार्य डॉ अरविंद पचौरी से की क्यों और कब की जाती है मां नर्मदा की परिक्रमा.
भगवान शिव के पसीने से उत्पन्न हुईं थी मां नर्मदा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नर्मदा का जन्म भगवान शिव के पसीने से हुआ था. साथ ही बताया जाता है कि नर्मदा जी के तट पर लगभग 88 हजार तीर्थ मौजूद हैं. इसके साथ ही अगर कहीं भगवान शिव के मंदिर के पास नर्मदा जी प्रवाहित होती हों, तो वहां स्नान करने से एक लाख गंगा स्नान के बराबर फल मिलता है.
पश्चिम दिशा में बहती है नर्मदा नदी
नर्मदा नदी मध्यप्रदेश के अनुपपुर जिले के अमरकंटक में नर्मदा का उद्गम स्थल माना जाता है. अमरकंटक से अवतरित हुई नर्मदा जी बाकी सभी नदियों के ठीक विपरीत पश्चिम दिशा की तरफ उल्टी बहती हैं. बता दें कि पश्चिम दिशा में बहने वाली यह देश की सबसे बड़ी नदी है.
क्यों की जाती है नर्मदा जी की परिक्रमा?
पुराणों में नर्मदा नदी की परिक्रमा का वर्णन मिलता है जिसके अनुसार, बताया गया है कि जो व्यक्ति अपने जीवन में एक बार नर्मदा परिक्रमा कर लेता है उसे जीवन के कई सारे ज्ञान एक साथ प्राप्त हो जाते हैं. इसके साथ ही उसके पापों का नाश हो जाता है व उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि नर्मदा जी को दाहिनी ओर रखते हुए उनकी परिक्रमा की शुरुआत की जाती है. कई लोगों के अनुभव के अनुसार माना जाता है कि नर्मदा मैय्या की परिक्रमा कर लेने से लोगों की जिंदगी बदल जाती है. उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है.
तीर्थ यात्रा के बराबर मिलता है फल
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नर्मदा नदी का महातम्य इतना ज्यादा है कि जो भी व्यक्ति इनकी परिक्रमा करने आता है उसे एक तीर्थ यात्रा में जितना पुण्य मिलता है उससे कहीं ज्यादा पुण्य नर्मदा परिक्रमा में मिलता है. नर्मदा परिक्रमा के लिए लोगों की बड़ी आस्था बनी हुई है. कई लोग नर्मदा परिक्रमा किसी शुभ दिन और विशेष मुहूर्त से नर्मदा जी की परिक्रमा करते हैं, तो कई लोग साल में कभी भी यात्रा शुरू कर देते हैं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
28 Feb, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- धन का व्यय होगा, तनाव पूर्ण वातावरण से बचने का प्रयास करें, स्वास्थ्य नरम रहेगा।
वृष राशि :- अधिकारियों के समर्थन से साधन जुटायेंगे, शुभ समाचार अवश्य ही मिलेगा।
मिथुन राशि :- चिन्तायें कम होंगी, सफलता के साधन जुटायेंगे, शुभ समाचार से हर्ष होगा।
कर्क राशि :- बड़े-बड़े लोगों से मेल-मिलाप होगा, सुख-समृद्धि के साधन अवश्य ही बनेंगे।
सिंह राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास होगा, भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी, कार्यगति उत्तम होगी।
कन्या राशि :- प्रतिष्ठा बाल-बाल बचे, संघर्ष से अधिकार प्राप्त करेंगे, भाग्य आपका साथ देगा।
तुला राशि :- कुटुम्ब और धन की चिन्ता बनी ही रहेगी, सोचे कार्य परिश्रम से पूर्ण होंगे ध्यान दें।
वृश्चिक राशि :- प्रत्येक कार्य में बाधा क्लेशयुक्त रखे, स्थिति सामर्थ योग्य बनेगी ध्यान अवश्य दें।
धनु राशि :- भावनायें विक्षुब्ध रहेंगी, दैनिक कार्यगति मदं रहेगी, परिश्रम से कार्य अवश्य बनेंगे।
मकर राशि :- तनाव, क्लेश व अशांति, धन का व्यय, मानसिक खिन्नता अवश्य ही बनेगी।
कुंभ राशि :- कार्य कुशलता से संतोष, व्यवसायिक समृद्धि के साधन अवश्य ही जुटायेंगे।
मीन राशि :- कुटुम्ब के कार्यों में समय बीतेगा तथा हर्षप्रद समाचार मिलेगा, मित्र मिलेंगे।
शनि कृपा से इन राशियों का बदलेगा भाग्य
27 Feb, 2025 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वृषभ राशि- शनिदेव का अस्त व गोचर वृषभ राशि वालों के लिए बेहद शुभ साबित होगा। शनि आपकी राशि से आय और लाभ भाव में गोचर करेंगे, यह वित्त में वृद्धि की संभावना बनाएगा। आमदनी के साधनों में वृद्धि होगी। धन का आवक बढ़ेगा। कार्यस्थल पर मान-सम्मान बढ़ने के योग बन रहे हैं। व्यवसायी इस अवधि में विशेष लाभ की उम्मीद कर सकते हैं। बेकार के खर्चों पर रोक लगेगी।
मकर राशि- शनि देव की चाल मकर राशि वालों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी। मार्च 2025 में शनि के मीन राशि में जाते ही मकर राशि वालों को शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति मिलेगी। इससे नौकरीपेशा करने वाले जातकों को बड़ी उपलब्धि हासिल हो सकती है। ऑफिस में नई भूमिकाएं मिल सकती हैं। उच्चाधिकारियों का साथ मिलेगा। सरकारी तंत्र से लाभ होगा। नौकरी चेंज करने के लिए यह समय अनुकूल रहने वाला है। मकर राशि के जातक व्यापारिक सौदों में मुनाफे की उम्मीद कर सकते हैं। भौतिक सुख-संपदा में वृद्धि होगी।
धनु राशि- शनि की चाल धनु राशि के जातकों के लिए लाभकारी सिद्ध होगी। इस अवधि में आपको को वाहन और संपत्ति का सुख बढ़ सकता है। परिवार में उत्साह व खुशियां छाई रहेंगी। पैतृक संपत्ति से जुड़े मामले में जीत हासिल हो सकती है। कोर्ट-कचहरी में विजय संभव है। रिश्तों में सुधार होगा। धनु राशि के जातकों का स्वास्थ्य अच्छा रहेगा।
साल का पहला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा
27 Feb, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शनिवार 29 मार्च 2025 में सूर्य ग्रहण लग रहा है। इस साल का पहला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा। यह ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, इसलिए इसका सूतक काल नहीं माना जाएगा। ग्रहण शनिवार और अमावस्या के दिन लग रहा है, इसलिए इस ग्रहण पर अमावस्या के पितृकार्य भी किए जा सकेंगे। इसके अगले दिन चैत्र नवरात्रि शुरू हो रहे हैं, उसमें भी ग्रहण का कोई असर नहीं होगा। आपको बता दें कि 8 अप्रैल 2024 के सूर्य ग्रहण की तरह यह 29 मार्च 2025 को सूर्य ग्रहण खास नहीं होगा, जब काफी देर तक सूर्य ग्रहण को देखा जा सका था।
यह ग्रहण नोदर्न गोलार्ध से देखा जा सकेगा। आपको बता दें कि यह बड़ा सूर्य ग्रहण होगा, हालांकि चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर नहीं पड़ेगी, लेकिन इसलिए यह पूर्ण नहीं होगा, लेकिन यह एक बड़ा सूर्य ग्रहण होगा।यूरोप के अधिकांश भागों में आंशिक सूर्य ग्रहण देखा जा सकेगा। जो लोग नॉर्थ अमेरिका के पूर्वी भाग में जो लोग रह रहे हैं, वो इसे आसानी से देख सकेंगे। साल का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च 2025, शनिवार को लगेगा। सूर्य ग्रहण भारतीय समय अनुसार दोपहर 2:20 मिनट पर शुरू होगा और शाम 6.16 मिनट पर समाप्त होगा। 29 मार्च, 2025 को लगने वाला सूर्य ग्रहण उत्तर-पश्चिमी अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका के उत्तर-पूर्वी भाग, यूरोप और उत्तरी रूस से दिखायी देगा। कनाडा, पुर्तगाल, स्पेन, आयरलैण्ड, फ्रान्स, यूनाइटेड किंगडम, डेनमार्क, जर्मनी, नॉर्वे, फिनलैण्ड और रूस से दिखायी देगा।
होली के बाद बुध होंगे वक्री
27 Feb, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बुध ग्रह होली के अगले दिन यानी 15 मार्च से मीन राशि में वक्री चाल चलेंगे। ज्योतिष गणना के अनुसार, बुध 15 मार्च 2025, शनिवार को दोपहर 12 बजकर 15 मिनट पर उलटी चाल चलना शुरू करेंगे। 24 दिन तक वक्री चाल चलने के बाद 07 अप्रैल 2025, को शाम 04 बजकर 36 मिनट पर मार्गी होंगे। बुध की वक्री चाल कुछ राशियों के लिए लाभकारी रहने वाली है। इन राश वालों को आर्थिक, व्यावसायिक व शारीरिक रूप से लाभ होगा। जानें वक्री बुध किन राशियों के लिए रहेंगे लाभकारी-
1. वृषभ राशि- वृषभ राशि वालों के लिए बुध की उलटी चाल लाभकारी रहेगी। इस अवधि में आपको हर क्षेत्र में सकारात्मक परिणाम प्राप्त होंगे। संतान का साथ व अच्छी खबर की प्राप्ति हो सकती है। नौकरी पेशा में उन्नति मिलने के योग हैं। आय के साधनों में वृद्धि होगी। मन प्रसन्न रहेगा।
2. कर्क राशि- कर्क राशि वालों के लिए बुध की वक्री चाल शुभ रहेगी। इस अवधि में आपके अटके हुए कार्य संपन्न होंगे। धन का आवक बढ़ेगा। यात्रा का योग बनेगा। भाग्य का साथ मिलेगा। धर्म-कर्म में हिस्सा लेंगे। अपनों का साथ मिलेगा। व्यापारिक स्थिति सुदृढ़ होगी। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वालों के लिए अच्छे समय का निर्माण हो रहा है।
3. कन्या राशि- कन्या राशि वालों के लिए भाग्यवर्धक दिनों का निर्माण होगा। जरूरत के हिसाब से जीवन में वस्तुएं उपलब्ध होंगी। धन का आगमन होगा। कुटुंबों में वृद्धि होगी। भौतिक सुखों में बढ़ोतरी के संकेत हैं। व्यापारिक रूप से अच्छे दिनों का निर्माण होगा।
4. कुंभ राशि- कुंभ राशि वालों के लिए बुध की उलटी चाल अनुकूल रहने वाली है। आकस्मिक धन लाभ के संकेत हैं। वाणी मधुर रहेगी। निवेश के सुअवसरों की प्राप्ति होगी। पार्टनरशिप लाभकारी रहेगी। व्यापार में नई डील साइन कर सकेंगे। लंबित धन की वापसी हो सकती है। धर्म-कर्म में हिस्सा लेंगे।
ज्यातिष के मुताबिक व्रत रखने से मिलता है फल
27 Feb, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में सप्ताह के सारे दिन किसी न किसी भगवान को समर्पित हैं। जिस तरह से सोमवार का दिन भगवान शिवजी का और मंगलवार का दिन हनुमान जी का है। उसी तरह से बुधवार को भगवान गणेश की पूजा की जाती है और उनके लिए व्रत रखा जाता है। ज्योतिषियों के मुताबिक व्रत रखने से भगवान खुश होते हैं। आज हम आपके लिए लाए हैं बुधवार के व्रत की कथा। व्रत रखने वाले लोगों को इस दिन यह कथा सुननी होती है।
प्राचीन काल की बात है एक व्यक्ति अपनी पत्नी को लेने के लिए ससुराल गया। कुछ दिन अपने ससुराल में रुकने के बाद व्यक्ति ने अपने सास-ससुर से अपनी पत्नी को विदा करने को कहा लेकिन सास-ससुर ने कहा कि आज बुधवार है और इस दिन हम गमन नहीं करते हैं। लेकिन व्यक्ति ने उनकी बात को मानने से साफ इनकार कर दिया। आखिरकार लड़की के माता-पिता को अपने दामाद की बात माननी पड़ी और अपनी बेटी को साथ भेज दिया। रास्ते में जंगल था, जहां उसकी पत्नी को प्यास लग गई। पति ने अपना रथ रोका और जंगल से पानी लाने के लिए चला गया। थोड़ी देर बाद जब वो वापस अपनी पत्नी के पास लौटा तो देखकर हैरान हो गया कि बिल्कुल उसी के जैसा व्यक्ति उसकी पत्नी के पास रथ में बैठा था।
ये देखकर उसे गुस्सा आ गया और कहा कि कौन है तू और मेरी पत्नी के पास क्यों बैठा है। लेकिन दूसरे व्यक्ति को जवाब सुनकर वो हैरान रह गया। व्यक्ति ने कहा कि मैं अपनी पत्नी के पास बैठा हूं। मैं इसे अभी अपने ससुराल से लेकर आया हूं। अब दोनों व्यक्ति झगड़ा करने लगे। इस झगड़े को देखकर राज्य के सिपाहियों ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया।
यह सब देखकर व्यक्ति बहुत निराश हुआ और कहा कि हे भगवान, ये कैसा इंसाफ है, जो सच्चा है वो झूठा बन गया है और जो झूठा है वो सच्चा बन गया है। ये कहते है कि फिर इसके बाद आकाशवाणी हुई कि ‘हे मूर्ख आज बुधवार है और इस दिन गमन नहीं करते हैं। तूने किसी की बात नहीं मानी और इस दिन पत्नी को ले आया।’ ये बात सुनकर उसे समझ में आया की उसने गलती कर दी। इसके बाद उसने बुधदेव से प्रार्थना की कि उसे क्षमा कर दे।
इसके बाद दोनों पति-पत्नि नियमानुसार भगवान बुध की पूजा करने लग गए। ज्योतिषियों के मुताबिक जो व्यक्ति इस कथा को याद रखता उसे बुधवार को किसी यात्रा का दोष नहीं लगता है और उसे सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। बुधवार के दिन अगर कोई व्यक्ति किसी नए काम की शुरुआत करता है तो उसे भी शुभ माना जाता है।
ग्रहों का जीवन के साथ ही व्यवहार पर भी पड़ता है प्रभाव
27 Feb, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ग्रहों का व्यक्ति के जीवन के साथ-साथ व्यवहार पर भी सीधा प्रभाव पड़ता है। हमारा व्यवहार हमारे ग्रहों की स्थितियों से संबंध रखता है या हमारे व्यवहार से हमारे ग्रहों की स्थितियां प्रभावित होती हैं। अच्छा या बुरा व्यवहार सीधा हमारे ग्रहों को प्रभावित करता है। ग्रहों के कारण हमारे भाग्य पर भी इसका असर पड़ता है। कभी-कभी हमारे व्यवहार से हमारी किस्मत पूरी बदल सकती है।
वाणी-
वाणी का संबंध हमारे पारिवारिक जीवन और आर्थिक समृद्धि से होता है।
ख़राब वाणी से हमें जीवन में आर्थिक नुक्सान उठाना पड़ता है।
कभी-कभी आकस्मिक दुर्घटनाएं घट जाती हैं।
कभी-कभी कम उम्र में ही बड़ी बीमारी हो जाती है।
वाणी को अच्छा रखने के लिए सूर्य को जल देना लाभकारी होता है।
गायत्री मंत्र के जाप से भी शीघ्र फायदा होता है।
आचरण-कर्म
हमारे आचरण और कर्मों का संबंध हमारे रोजगार से है।
अगर कर्म और आचरण शुद्ध न हों तो रोजगार में समस्या होती है।
व्यक्ति जीवन भर भटकता रहता है।
साथ ही कभी भी स्थिर नहीं हो पाता।
आचरण जैसे-जैसे सुधरने लगता है, वैसे-वैसे रोजगार की समस्या दूर होती जाती है।
आचरण की शुद्धि के लिए प्रातः और सायंकाल ध्यान करें।
इसमें भी शिव जी की उपासना से अद्भुत लाभ होता है।
जिम्मेदारियों की अवहेलना
जिम्मेदारियों से हमारे जीवन की बाधाओं का संबंध होता है।
जो लोग अपनी जिम्मेदारियां ठीक से नहीं उठाते हैं उन्हें जीवन में बड़े संकटों, जैसे मुक़दमे और कर्ज का सामना करना पड़ता है।
व्यक्ति फिर अपनी समस्याओं में ही उलझ कर रह जाता है।
अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में कोताही न करें।
एकादशी का व्रत रखने से यह भाव बेहतर होता है।
साथ ही पौधों में जल देने से भी लाभ होता है।
सहायता न करना-
अगर सक्षम होने के बावजूद आप किसी की सहायता नहीं करते हैं तो आपको जीवन में मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
कभी न कभी आप जीवन में अकेलेपन के शिकार हो सकते हैं।
जितना लोगों की सहायता करेंगे, उतना ही आपको ईश्वर की कृपा का अनुभव होगा।
आप कभी भी मन से कमजोर नहीं होंगे।
दिन भर में कुछ समय ईमानदारी से ईश्वर के लिए जरूर निकालें।
इससे करुणा भाव प्रबल होगा, भाग्य चमक उठेगा।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
27 Feb, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- किसी आरोप से बचें, मानसिक पीड़ा तथा प्रतिष्ठा में आंच आने की स्थिति बनेगी।
वृष राशि :- सतर्कता से कार्य करें, पराक्रम तथा मनोबल उत्साहवर्धक होगा, समय का ध्यान रखें।
मिथुन राशि :- कहीं विवादग्रस्त होने से बचें अन्यथा कार्य में निराशा तथा धन हानि होगी।
कर्क राशि :- मान-प्रतिष्ठा तथा प्रभुत्व वृद्धि, कार्य कुशलता से संतोष अवश्य ही होगा, समय का ध्यान रखें।
सिंह राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल रहेगा, रुके कार्य रूपरेखा बनाकर समय पर निपटा लें।
कन्या राशि :- सामाजिक कार्यों में प्रतिष्ठा-प्रभुत्व वृद्धि तथा आर्थिक कार्य योजना सफल होगी।
तुला राशि :- कहीं विवादग्रस्त होने से बचें, समय की अनुकूलता रहेगी, समय पर कार्य करें।
वृश्चिक राशि :- समय अनुकूल नहीं विशेष कार्य स्थगित रखें, कार्य अवरोध से बचकर चलें।
धनु राशि :- स्वभाव में क्रोध व अवेश से हानि होगी, समय स्थिति का लाभ अवश्य लें।
मकर राशि :- मानसिक उद्विघ्नता हानिप्रद रहेगी, समय स्थिति का ध्यान रखकर कार्य करें।
कुंभ राशि :- स्वभाव में क्रोध व आवेश हानिप्रद, समय को समझकर काम बना लें।
मीन राशि :- अर्थ व्यवस्था से सुख-समृद्धि के साधन जुटाकर कार्य बनाने का प्रयास करें।
बुंदेलखंड का अनोखा शिव मंदिर... सिर्फ एक खास नक्षत्र में होता था निर्माण कार्य, बनाने में लगे थे 21 साल
26 Feb, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान शिव की आराधना के महापर्व महाशिवरात्रि की धूम सभी मंदिरों में पूरे उत्साह के साथ देखने को मिल रही हैं. झांसी के राजकीय इंटर कॉलेज के पास स्थित प्राचीनतम सिद्धेश्वर मंदिर की महिमा भी अपरंपार है. भगवान शिव का यह मंदिर न सिर्फ झांसी बल्कि पूरे बुंदेलखंड में फेमस है. मान्यता है कि अगर आपके घर में क्लेश और अशांति है तो बस एक बार इस मंदिर में आकर परिक्रमा कर लीजिए और आपकी सभी समस्याएं दूर हो जाएंगी. महाशिवरात्रि के दिन इस मंदिर में विशेष पूजा होती है. रात 12 बजे भस्म आरती से शुरू हुआ कार्यक्रम दिन भर चलता रहेगा. महाशिवरात्रि के दिन ही इस मंदिर का स्थापना दिवस भी मनाया जाता है.
इस मंदिर के निर्माण के पीछे की कहानी भी दिलचस्प है. साल 1928 में जेल में बंद स्वतंत्रता सेनानी पंडित रघुनाथ विनायक धुलेकर के स्वप्न में शिवलिंग स्थापना का दृश्य आया था. इसके कुछ समय बाद ही पितांबरा पीठ के स्वामीजी झांसी आए और शहर से कुछ दूरी पर स्थित जंगल में ध्यान लगाकर बैठ गए. लोगों ने इनके बारे में जेल से छूटे रघुनाथ धूलेकर को बताया. धुलेकर ने अपने स्वप्न के बारे में स्वामीजी को बताया तो उन्होंने उसी जंगल में एक गड्ढा खोदने का आदेश दिया. गड्ढा खोदने पर एक शिवलिंग और नंदी की मूर्ति प्राप्त हुई. उसी स्थान पर आज यह मंदिर स्थित है. यह मूर्ति पुष्य नक्षत्र में प्राप्त हुई थी. इसी को ध्यान में रखते हुए हर महीने के पुष्य नक्षत्र में ही यहां निर्माण कार्य चलता था. आखिरकार 21 वर्ष बाद इस मंदिर का निर्माण पूरा हुआ.
शिवरात्रि पर भव्य आयोजन
शिवरात्रि के अवसर पर रात 12 बजे मंदिर में भस्म आरती की जाएगी. इसके बाद श्रद्धालु कांवड़ लेकर ओरछा जायेंगे और वहां से जल भरकर लायेंगे. इसी जल से भगवान शिव का अभिषेक किया जायेगा. शाम को 3 क्विंटल दूध से अभिषेक किया जायेगा और उसके बाद शिव बारात निकाली जाएगी.
महाशिवरात्रि पर शंकर भगवान को भांग, धतूरा और बेलपत्र क्यों चढ़ाते हैं? इसके पीछे जुड़ी है ये पौराणिक कथा
26 Feb, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देशभर में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा. महाशिवरात्रि के दिन शिव भक्त भोले भंडारी और मां पार्वती की पूजा-अराधान करते हैं. व्रत रखते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संसार को सर्वनाश से बचाने के लिए भोलेनाथ ने विष पी लिया था. तब इस जहर के असर को कम करने के लिए देवताओं ने उनके सिर पर भांग, बेलपत्र और धतूरा रख दिया. ऐसा करते ही जहर का असर कम होने लगा. तब जाकर शिव जी को शीतलता प्राप्त हुई. इस घटना के बाद से ही शिव जी को भांग, बेलपत्र, धतूरा चढ़ाया जाने लगा. सावन का सोमवार हो या फिर महाशिवरात्रि ये तीनों चीजें जरूर अर्पित की जाती हैं.
क्या है पौराणिक कथा?
भगवान शिव को भांग, धतूरा, आक और बेलपत्र अर्पित करने के पीछे एक पौराणिक कथा जुड़ी हुई है. शिव महापुराण के अनुसार, जब देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया, तो उसमें से पहले हलाहल विष निकला. यह विष इतना जहरीला था कि इसकी गर्मी से पूरी सृष्टि जलने लगी थी. देवता और असुर इस विष से भयभीत हो गए और इसका नाश करने का कोई उपाय नहीं दिखा. तब भगवान शिव ने समस्त सृष्टि की रक्षा के लिए इस विष का पान कर लिया. हालांकि, उन्होंने इसे अपने कंठ में ही रोक लिया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया. इस वजह से ही भोलेनाथ नीलकंठ कहलाए. जहर के असर को शरीर में संतुलित करने के लिए शिव जी को ठंडी चीजें पसंद आईं. इन ठंडी चीजों में शामिल थीं भांग, धतूरा, आक और बेलपत्र. दरअसल, इन सभी चीजों का स्वभाव शीतल होता है. इसी कारण शिवलिंग पर इन्हें अर्पित किया जाता है.
भगवान शिव को भांग और धतूरा चढ़ाने के पीछे एक और गहरा अर्थ छिपा है. ये दोनों वस्तुएं नशीली और जहरीली मानी जाती हैं. इन्हें शिव को चढ़ाने का अर्थ ये है कि हमें अपने जीवन की सारी नकारात्मकता, बुरी आदतें और कड़वाहट को शिव को समर्पित कर देना चाहिए. इसका प्रतीकात्मक अर्थ ये है कि लोगों को अपनी सभी बुरी भावनाओं और नकारात्मक विचारों का त्याग कर अपने जीवन को शुद्ध और शांत बनाना चाहिए. भांग और धतूरा शिव के प्रति हमारी समर्पण भावना और बुराइयों से मुक्ति का संकेत देते हैं.
क्या होता है निशित काल और क्यों सर्वश्रेष्ठ माना जाता है महाशिवरात्रि के दिन इस काल में पूजा करना?
26 Feb, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में धार्मिक अनुष्ठानों सहित हर विशेष पर्व, त्योहार पर भगवान की पूजा या अभिषेक आदि के लिए शुभ मुहूर्त या फिर उत्तम समय को चयनित किया जाता है. क्योंकि शुभ मुहूर्त व पवित्र समय में की गई पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है और मनोकामनाओं को भी सिद्ध किया जा सकता है. ऐसे में फिलहाल देशभर में महाशिवरात्रि की धूम मची हुई है. हर तरफ हर हर महादेव के जयकारों की गूंज है. वहीं शिवालयों में भी भगवान शिव की महाशिवरात्रि के दिन विशेष पूजा अर्चना की तैयारियां हो चुकी हैं.
महाशिवरात्रि की तैयारियों के बीच महादेव के भक्तों में शिव पूजन के लिए शुभ मुहूर्त के बारे में सर्चिंग चालू है. महाशिवरात्रि के दिन प्रातः भगवान शिव का पूजन करने के के साथ रात्रि में जागरण करके चारों प्रहर पूजा करने का विधान माना गया है. जिसमें से निशित काल को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. लेकिन कई लोगों के मन में सवाल उठता है कि आखिर निशित काल क्या होता है और क्यों इस काल में पूजा करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है? तो आइए इस बारे में भोपाल के ज्योतिषाचार्य डॉ अरविंद पचौरी से विस्तार से जानते हैं महाशिवरात्रि के दिन निशित काल में पूजा का महत्व.
क्या होता है निशित काल?
शास्त्रों के अनुसार, निशित काल उस समय को कहा जाता है जब रात्रि अपने मध्य में होती है. निशित काल की अवधि एक घंटे से भी कम होती है. पंचांग के अनुसार इसे रात का आठवां मुहूर्त कहा जाता है जो कि ज्योतिषीय गणनाओं के बाद निर्धारित किया जाता है. इस काल में पूजा करने पर शांत वातावरण में सभी शक्तियां आपकी साधना से शीघ्र प्रसन्न होती हैं.
महाशिवरात्रि के दिन निशित काल में पूजा का महत्व क्यों?
महाशिवरात्रि के दिन निशित काल में पूजा करने का महत्व माना गया है. क्योंकि मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान शिव पृथ्वी पर शिवलिंग के रूप में प्रकट हुए थे, वह निशितकाल का ही समय था. यही कारण है कि भगवान शिव की विशेष पूजा के लिए निशितकाल को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. खासकर शिवलिंग पूजन के लिए निशितकाल अच्छा समय माना जाता है. बता दें कि शिव मंदिरों में भी शिवलिंग पूजा, अनुष्ठान लगभग इसी समय किया जाता है. इसके अलावा यह दिन भगवान शिव के विवाह का दिन है इसलिए महाशिवरात्रि के दिन रात्रि के समय जागकर चारों प्रहर की पूजा करने का भी विधान माना गया है.
महाशिवरात्रि चार प्रहर पूजा मुहूर्त
महाशिवरात्रि का व्रत 26 फरवरी दिन बुधवार को किया जाएगा. वैदिक पंचांग के अनुसार, चतुर्दशी तिथि 26 फरवरी, सुबह 11 बजकर 11 मिनट पर प्रारंभ होगी व 27 फरवरी, सुबह 8 बजकर 57 मिनट पर इसका समापन होगा.
निशित काल पूजा मुहूर्त – रात 12 बजकर 8 मिनट से रात 12 बजकर 58 मिनट तक, इसकी कुल अवधि 50 मिनट रहेगी.
चार प्रहर की पूजा का समय
1- रात्रि प्रथम प्रहर पूजा का समय: शाम 6 बजकर 19 मिनट से रात्रि 9 बजकर 26 मिनट के बीच
2- रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा का समय: रात्रि 9 बजकर 26 मिनट से मध्यरात्रि 12 बजकर 34 मिनट के बीच (27 फरवरी)
3- रात्रि तृतीय प्रहर पूजा का समय: मध्यरात्रि 12 बजकर 34 मिनट से मध्यरात्रि 3 बजकर 41 मिनट के बीच (27 फरवरी)
4- रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा का समय: सुबह तड़के 3 बजकर 41 मिनट से सुबह 6 बजकर 48 मिनट के बीच (27 फरवरी)