धर्म एवं ज्योतिष
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
11 Apr, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कुछ विद्युत कार्य करना परेशान करेगा, कुटुम्ब में घोर अशांति बनेगी, कार्य बना लें।
वृष राशि :- स्त्री वर्ग से चिन्ता, तनाव, क्लेश तथा मानसिक उद्विघ्नता अवश्य ही बनेगी, ध्यान दें।
मिथुन राशि :- तनाव, क्लेश व अशांति, मानसिक विभ्रम तथा अनावश्यक उद्विघ्नता बनेगी।
कर्क राशि :- भाग्य का सितारा साथ देगा, बिगड़े कार्य अवश्य ही बन जायेंगे, योजना बनेगी।
सिंह राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा तथा कार्य में सुधार अवश्य ही होगा।
कन्या राशि :- क्लेश व अशांति, कार्य-व्यवसाय में बाधा अवश्य होगी, भ्रमण होगा।
तुला राशि :- मानसिक उद्विघ्नता, स्वास्थ्य नरम रहेगा, धन का व्यर्थ व्यय होगा।
वृश्चिक राशि :- तनाव, क्लेश व अशांति, मानसिक बेचैनी, धन का व्यर्थ व्यय होगा।
धनु राशि :- चिन्तायें कम हों, इष्ट मित्र सुख वर्धक होंगे, तनाव, क्लेश व अशांति अवश्य बनेगी।
मकर राशि :- धन कष्ट, व्यय, चोटादि की संभावना, सतर्कता बरतें, समय का ध्यान रखें।
कुंभ राशि :- कार्य-कुशलता से संतोष एवं समृद्धि के योग अवश्य ही बनेंगे, ध्यान दें।
मीन राशि :- भाग्य का सितारा मंद रहे, तनाव, क्लेश व अशांति होगी, ध्यान दें।
सनातन धर्म में तुलसी से जुड़ी है कई मान्यताएं
10 Apr, 2025 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में तुलसी के पौधे का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि तुलसी के पौधे में मां लक्ष्मी का वास होता है। इसके अलावा, तुलसी को लेकर तमाम मान्यताएं भी हैं। , तुलसी के पास छिपकली का दिखना शुभ संकेत है। माना जाता है कि, यदि तुलसी के पौधे के पास छिपकली दिखाई देती तो इसका मतलब है कि धन-लाभ और समृद्धि हो सकती है।
यह घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली लाने वाला माना जाता है। इसके अलावा तुलसी के पौधे के पास छिपकली का दिखना घर में सकारात्मक ऊर्जा के बढ़ने और अच्छे समय के आगमन का प्रतीक माना जाता है। अगर तुलसी पर छिपकली दिखाई दे और वह सुरक्षित रूप से चली जाए, तो इसे शुभ माना जाता है और यह संकेत करता है कि आपकी मनोकामनाएं पूरी होने वाली हैं। कुछ संस्कृतियों में, छिपकली को बुरी शक्तियों से सुरक्षा प्रदान करने वाला माना जाता है। इसलिए, तुलसी के पास छिपकली का दिखना घर और परिवार की सुरक्षा का प्रतीक भी माना जाता है। वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, लेकिन यदि छिपकली बार-बार तुलसी के पौधे पर आती दिखे, तो यह घर में कलह या विवाद का संकेत हो सकता है। तुलसी में मंजरी आने का मतलब है कि जीवन में आने वाले संकटों से निजात मिलेगी। इसके लिए तुलसी की मंजरी को लाल कपड़े में बांधकर अपने घर के उस स्थान पर रख दें, जहां आप अपना धन रखते हैं। ऐसा करने से आपके घर में मां लक्ष्मी का वास होगा.
इस प्रकार मिलेगी प्रेम में सफलता
10 Apr, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जीवन में प्रेम का भी अहम स्थान होता है पर कई लोगों को यह नहीं मिलता। ऐसे लोगों के लिए यहां प्रस्तुत हैं कुछ उपाय। यह तो सभी जानते हैं कि शरद रितु प्रेम के लिए उत्तम मानी गई है, ऐसे में प्रेम के देवता भगवान श्रीकृष्ण ने भी इसी समय महारास रचाया था। इस रितु का चंद्रमा आपको मनचाहे प्रेम का वरदान देता प्रतीत होता है। इसलिए प्रेम चाहने वाले यदि यह उपाय करें तो वो सफल अवश्य ही होंगे।
शाम के समय राधा-कृष्ण की उपासना करें।
दोनों को संयुक्त रूप से एक गुलाब के फूलों की माला अर्पित करें।
मध्य रात्रि को सफेद वस्त्र धारण करके चन्द्रमा को अर्घ्य दें।
इसके बाद ॐ राधावल्लभाय नमः मंत्र का कम से कम 3 माला जाप करें।
या मधुराष्टक का कम से कम 3 बार पाठ करें।
फिर मनचाहे प्रेम को पाने की प्रार्थना करें।
भगवान को अर्पित की हुई गुलाब की माला को अपने पास सुरक्षित रख लें।
इन उपायों से निश्चित ही मनचाहे प्रेम की प्राप्ति होती है और सभी संबंधों में प्रेम और लगाव बढ़ने लगता है।
बालाजी मंदिर से जुड़ी ये मान्यताएं
10 Apr, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत के ऐतिहासिक और सबसे अमीर मंदिरों में से एक है तिरुपति बालाजी मंदिर है। तिरुपति महाराज जी के दरबार में देश-विदेश के भक्तों की भीड़ रहती है। यहां अमीर और गरीब दोनों जाते हैं। हर साल लाखों लोग तिरुमाला की पहाडिय़ों पर उनके दर्शन करने आते हैं। तिरुपति के इतने प्रचलित होने के पीछे कई कथाएं और मान्यताएं हैं। इस मंदिर से बहुत सारी मान्यताएं जुड़ी हैं।
माना जाता है कि तिरुपति बालाजी अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमला में रहते हैं।
तिरुपति बालाजी मंदिर के मुख्य दरवाजे के दाईं ओर एक छड़ी है। कहा जाता है कि इसी छड़ी से बालाजी की बाल रूप में पिटाई हुई थी, जिसके चलते उनकी ठोड़ी पर चोट आई थी।
मान्यता है कि बालरूप में एक बार बालाजी को ठोड़ी से रक्त आया था। इसके बाद से ही बालाजी की प्रतिमा की ठोड़ी पर चंदन लगाने का चलन शुरू हुआ।
कहते हैं कि बालाजी के सिर रेशमी बाल हैं और उनके रेशमी बाल कभी उलझते नहीं।
कहते हैं कि तिरुपति बालाजी मंदिर से करीब करीब 23 किलोमीटर दूर एक से लाए गए फूल भगवान को चढ़ाए जाते हैं। इतना ही नहीं वहीं से भगवान को चढ़ाई जाने वाली दूसरी वस्तुएं भी आती हैं।
हैरानी की बात तो यह है कि वास्तव में बालाजी महाराज मंदिर में दाएं कोने में विराजमान हैं, लेकिन उन्हें देख कर ऐसा लगता है मानों वे गर्भगृह के मध्य भाग में हों।
तिरुपति बालाजी मंदिर में बालाजी महाराज को रोजाना धोती और साड़ी से सजाया जाता है।
कहते हैं कि बालाजी महाराज की मूर्ती की पीठ पर कान लगाकर सुनने से समुद्र घोष सुनाई देता है और उनकी पीठ को चाहे जितनी बार भी क्यों न साफ कर लिया जाए वहां बार बार गीलापन आ जाता है।
नंदी के बिना शिवलिंग को माना जाता है अधूरा
10 Apr, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान शिव के किसी भी मंदिर में शिवलिंग के आसपास एक नंदी बैल जरूर होता है क्यों नंदी के बिना शिवलिंग को अधूरा माना जाता है। इस बारे में पुराणों की एक कथा में कहा गया है शिलाद नाम के ऋषि थे जिन्होंने लम्बे समय तक शिव की तपस्या की थी। जिसके बाद भगवान शिव ने उनकी तपस्या से खुश होकर शिलाद को नंदी के रूप में पुत्र दिया था।
शिलाद ऋषि एक आश्रम में रहते थे। उनका पुत्र भी उन्हीं के आश्रम में ज्ञान प्राप्त करता था। एक समय की बात है शिलाद ऋषि के आश्रम में मित्र और वरुण नामक दो संत आए थे। जिनकी सेवा का जिम्मा शिलाद ऋषि ने अपने पुत्र नंदी को सौंपा। नंदी ने पूरी श्रद्धा से दोनों संतों की सेवा की। संत जब आश्रम से जाने लगे तो उन्होंने शिलाद ऋषि को दीर्घायु होने का आर्शिवाद दिया पर नंदी को नहीं।
इस बात से शिलाद ऋषि परेशान हो गए। अपनी परेशानी को उन्होंने संतों के आगे रखने की सोची और संतों से बात का कारण पूछा। तब संत पहले तो सोच में पड़ गए। पर थोड़ी देर बाद उन्होंने कहा, नंदी अल्पायु है। यह सुनकर मानों शिलाद ऋषि के पैरों तले जमीन खिसक गई। शिलाद ऋषि काफी परेशान रहने लगे।
एक दिन पिता की चिंता को देखते हुए नंदी ने उनसे पूछा, ‘क्या बात है, आप इतना परेशान क्यों हैं पिताजी।’ शिलाद ऋषि ने कहा संतों ने कहा है कि तुम अल्पायु हो। इसीलिए मेरा मन बहुत चिंतित है। नंदी ने जब पिता की परेशानी का कारण सुना तो वह बहुत जोर से हंसने लगा और बोला, ‘भगवान शिव ने मुझे आपको दिया है। ऐसे में मेरी रक्षा करना भी उनकी ही जिम्मेदारी है, इसलिए आप परेशान न हों।’
नंदी पिता को शांत करके भगवान शिव की तपस्या करने लगे। दिनरात तप करने के बाद नंदी को भगवान शिव ने दर्शन दिए। शिवजी ने कहा, ‘क्या इच्छा है तुम्हारी वत्स’. नंदी ने कहा, मैं ताउम्र सिर्फ आपके सानिध्य में ही रहना चाहता हूं। नंदी से खुश होकर शिवजी ने नंदी को गले लगा लिया। शिवजी ने नंदी को बैल का चेहरा दिया और उन्हें अपने वाहन, अपना मित्र, अपने गणों में सबसे उत्तम रूप में स्वीकार कर लिया।इसके बाद ही शिवजी के मंदिर के बाद से नंदी के बैल रूप को स्थापित किया जाने लगा।
समस्याआं का समाधान बताते हैं यंत्र
10 Apr, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म के अनेक ग्रंथों में कई तरह के चक्रों और यंत्रों के बारे में विस्तार से उल्लेख किया गया है। जिनमें राम शलाका प्रश्नावली, हनुमान प्रश्नावली चक्र, नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र, श्रीगणेश प्रश्नावली चक्र आदि प्रमुख हैं। कहते हैं इन चक्रों और यंत्रों की सहायता से लोग अपने मन में उठ रहे सवालों, जीवन में आने वाली कठिनाइयों आदि का समाधान पा सकते हैं। इन चक्रों और यंत्रों की सहायता लेकर केवल आम आदमी ही नहीं बल्कि ज्योतिष और पुरोहित लोग भी सटीक भविष्यवाणियां तक कर देते हैं।
श्री राम शलाका प्रश्नावली
श्री राम शलाका प्रश्नावली का उल्लेख गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस में प्राप्त होता है। यह राम भक्ति पर आधारित है। इस प्रश्नावली का प्रयोग से लोग जीवन के अनेक प्रश्नों का जवाब पाते हैं। इस प्रश्नावली का प्रयोग के बारे कहा जाता है कि सबसे पहले भगवान श्रीराम का स्मरण करते हुए किसी सवाल को मन में अच्छी तरह सोच लिया जाता है।फिर शलाका चार्ट पर दिए गए किसी भी अक्षर पर आंख बंद कर उंगली रख दी जाती है। जिस अक्षर पर उंगली रखी जाती है, उसके अक्षर से प्रत्येक 9वें नम्बर के अक्षर को जोड़ कर एक चौपाई बनती है, जो प्रश्नकर्ता के प्रश्न का उत्तर होती है।
हनुमान प्रश्नावली चक्र
यह बात बहुत कम लोगों को पता है कि हनुमानजी एक उच्च कोटि के ज्योतिषी भी थे। इसका कारण शायद यह हो सकता है कि वे शिव के ग्यारहवें अंशावतार थे, जिनसे ज्योतिष विद्या की उत्पत्ति हुई मानी जाती है। कहते हैं, हनुमानजी ने ज्योतिष प्रश्नावली के 40 चक्र बनाए हैं। यहां भी प्रश्नकर्ता आंख मूंद कर चक्र के नाम पर उंगली रखता है। अगर उंगली किसी लाइन पर रखी गई होती है, तो दोबारा उंगली रखी जाती है। फिर नाम के अनुसार शुभ-अशुभ फल का निराकरण किया जाता है। कहते हैं। रामायण काल के परम दुर्लभ यंत्रों में हनुमान चक्र श्रेष्ठ यंत्रों का सिरमौर है।
नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र
अनेक लोग, विशेष देवी दुर्गा के परम भक्त, यह मानते हैं कि नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र एक चमत्कारिक चक्र है, जिसे के माध्यम से कोई भी अपने जीवन की समस्त परेशानियों और मन के सवालों का संतोषजनक हल आसानी से पा सकते हैं। इस चक्र के उपयोग की विधि के लिए पहले पांच बार ऊँ ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र का जप करना पड़ता फिर एक बार या देवी सर्वभूतेषु मातृरुपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: मंत्र का जप कर, आंखें बंद करके सवाल पूछा जाता है और देवी दुर्गा का स्मरण करते हुए प्रश्नावली चक्र पर उंगली घुमाते हुए रोक दिया जाता है, जिस कोष्ठक उंगली होती है। उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार फलादेश को जाना जाता है।
श्रीगणेश प्रश्नावली चक्र
हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान गणेश प्रथमपूज्य हैं। वे सभी मांगलिक कार्यों में सबसे पहले पूजे जाते हैं। उनकी पूजा के बिना कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता। श्रीगणेश प्रश्नावली यंत्र के माध्यम से भी लोग अपने जीवन की सभी परेशानियों और सवालों के हल जानने की कोशिश करते हैं। जिसे भी अपने सवालों का जवाब या परेशानियों का हल जानना होता है, वे पहले पांच बार ऊँ नम: शिवाय: और फिर 11 बार ऊँ गं गणपतयै नम: मंत्र का जप करते हैं और फिर आंखें बंद करके अपना सवाल मन में रख भगवान गणेश का स्मरण करते हुए प्रश्नावली चक्र प्रश्नावली चक्र पर उंगली घुमाते हुए रोक देते हैं, जिस कोष्ठक उंगली होती है। उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार फलादेश को जाना जाता है।
शिव प्रश्नावली यंत्र
इस यंत्र में भगवान शिव के एक चित्र पर 1 से 7 तक अंक दिए गए होते हैं। श्रद्धालु अपनी आंख बंद करके पूरी आस्था और भक्ति के साथ शिवजी का ध्यान करते हैं और और मन ही मन ऊं नम: शिवाय: मंत्र का जाप कर उंगली को शिव यंत्र पर घुमाते हैं और फिर उंगली घुमाते हुए रोक देते हैं, जिस कोष्ठक उंगली होती है। उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार फलादेश को जाना जाता है। इन प्रश्नावलियों और यंत्रों के अलावा अनेक लोग साईं प्रश्नावली का उपयोग भी अपने मन में उठ रहे सवालों का जवाब पाने के लिए करते हैं।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
10 Apr, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक हों एवं कार्य योजना सुचारू रूप से चलेगी, कार्य पूर्ण हो।
वृष राशि :- कार्य सम्पन्नता से संतोष, व्यावसायिक गति अनुकूल, कार्य योजना पूर्ण होगी।
मिथुन राशि :- विशेष कार्य स्थगित रखें, कुटुम्ब की चिन्तायें मन व्यग्र रखें तथा कार्य बने।
कर्क राशि :- प्रयत्नशीलता विफल हो, परिश्रम करने पर भी कुछ फल नहीं मिले, ध्यान दें।
सिंह राशि :- आरोप, क्लेश व अशांति, स्त्री वर्ग से तनाव, मानसिक बेचैनी संभव होगी, ध्यान दें।
कन्या राशि :- मानसिक बेचैनी, मेल-मिलाप से लाभ, यात्रा होगी, ध्यान दें।
तुला राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल हो, बिगड़े कार्य बनेंगे तथा कार्य से संतोष होगा।
वृश्चिक राशि :- कार्य-कुशलता से संतोष, योजनायें फलीभूत होंगी, ध्यान दें।
धनु राशि :- सफलता के साधन जुटायें, धन लाभ, आशानुकूल सफलता से हर्ष होगा।
मकर राशि :- आरोप, क्लेश व अशांति, धन लाभ, सफलता का हर्ष होगा, ध्यान दें।
कुंभ राशि :- धन लाभ, कार्य बनने से हर्ष होगा, शुभ समाचार मिलेगा, ध्यान दें।
मीन राशि :- सफलता से हर्ष होगा, मित्रों से मेल-मिलाप, धन लाभ होगा।
क्या है पितृ दोष? कुंडली में कैसे होता है इसका निर्माण?
9 Apr, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हमारे जीवन में कई बार ऐसा होता है कि बहुत मेहनत करने के बाद भी सफलता नहीं मिलती. कभी आर्थिक परेशानी, तो कभी परिवार में कलह या संतान से जुड़ी दिक्कतें सामने आती हैं. ऐसे में ज्योतिष शास्त्र में एक कारण बताया गया है – पितृ दोष. जब किसी जातक की कुंडली में इस दोष का निर्माण होता है तो इंसान को कई तरह की समस्याएं झेलनी पड़ती है. अपने पितरों को सम्मान देना, उनका स्मरण करना और उनके अधूरे काम पूरे करना ही सच्चा समाधान है. .
पितृ दोष होता क्या है?
पितृ दोष का मतलब है – हमारे पूर्वजों की आत्मा की कोई अधूरी इच्छा, अशांति या उनका कोई ऐसा कर्म, जिसका असर आने वाली पीढ़ियों पर भी पड़ता है. जब हमारे पितृ यानी पूर्वज संतुष्ट नहीं होते या उनके क्रियाकर्म पूरे ढंग से नहीं होते, तब यह दोष कुंडली में दिखाई देता है.
पितृ दोष कुंडली में कैसे बनता है?
ज्योतिष के अनुसार, जब कुंडली में नवम भाव यानी 9वां भाव जो हमारे पूर्वजों और भाग्य से जुड़ा होता है, उस पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव पड़ता है, तब पितृ दोष बनता है. खासकर अगर सूर्य, राहु, शनि या केतु जैसे ग्रह इस भाव को प्रभावित कर रहे हों तो यह दोष बन सकता है.
इसके अलावा अगर
-श्राद्ध, तर्पण या पितृ पूजन समय पर न किया जाए.
-किसी पूर्वज का अंतिम संस्कार विधिपूर्वक न हुआ हो.
-पूर्वजों ने कोई ऐसा पाप किया हो जो बिना प्रायश्चित के रह गया हो.
-तो ये सभी बातें मिलकर पितृ दोष का कारण बनती हैं.
पितृ दोष के लक्षण क्या होते हैं?
अगर किसी की कुंडली में पितृ दोष होता है तो उनके जीवन में कुछ विशेष समस्याएं बार-बार देखने को मिलती हैं-
-बार-बार नौकरी या व्यापार में नुकसान.
-विवाह में देरी या रिश्तों में रुकावट.
-संतान प्राप्ति में समस्या.
-परिवार में अक्सर झगड़े या बीमारियां.
-मानसिक तनाव या बेवजह डर.
पितृ दोष से बचाव के उपाय क्या हैं?
अब सबसे जरूरी बात – अगर पितृ दोष हो गया है तो क्या इसका हल है?
जी हां, कुछ सरल उपायों से इसे शांत किया जा सकता है-
-पितृ पक्ष में अपने पितरों का श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करें.
-हर अमावस्या को पितरों के नाम पर जल, काले तिल और पुष्प अर्पित करें.
-गरीबों को भोजन कराना और जरूरतमंदों की मदद करना भी पितृ दोष निवारण में सहायक है.
-शनिवार को पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाकर पितरों की शांति के लिए प्रार्थना करें.
-किसी योग्य ब्राह्मण से कुंडली दिखाकर विशेष पूजा जैसे पितृ दोष निवारण पूजा करवाएं.
प्रदोष व्रत के दिन बेलपत्र के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व, जानें सही विधि, शिवजी करेंगे हर मनोकामा पूरी!
9 Apr, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत अधिक महत्व माना जाता है. मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत जातक के जीवन के सभी प्रकार के दोषों को दूर कर सुख-शांति लाता है. इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है. सभी विधि-विधान से पूजा कर उन्हें श्रृंगार सामग्री अर्पित की जाती है. किन्तु इन सभी सामग्रियों के बीच भगवान शिव को अति प्रिय बेलपत्र चढ़ाना बहुत विशेष महत्व रखता है क्योंकि भोलनाथ को बेल अतिप्रिय माना गया है. इसके बिन उनकी हर पूजा अधूरी मानी जाती है.
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने से भक्तों की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती है और उनके भाग्य में वृद्धि होती है. इसके साथ ही ज्योतिषशास्त्र के अनुसार माना जाता है कि अगर प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने के साथ-साथ अगर बेलपत्र की पूजा की जाए तो कुंडली में मौजूद ग्रहदोषों से भी शांति मिलती है और बेलपत्र की पूजा करने से शुभ परिणाम भी मिल सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं ज्योतिषाचार्य डॉ अरविंद पचौरी से बेलपत्र के पेड़ की पूजा विधि और नियम.
प्रदोष व्रत के दिन बेलपत्र के पेड़ की पूजा किस विधि से करें?
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प लें और फिर पूजा स्थान पर साफ-सफाई करें और बेलपत्र के पेड़ के नीचे भी सफाई करें. फिर घर के मंदिर में भोलेनाथ की पूजा करने के बाद बेलपत्र के पेड़ के नीचे पूजा करें.
बेलपत्र के पेड़ की पूजा करने के लिए जल का कलश, चंदन, रोली, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य लाएं और फिर बेलपत्र के पेड़ के सामने पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं और फिर सबसे पहले गणेश जी का ध्यान करते हुए उन्हें प्रणाम करें.
इसके बाद बेलपत्र के पेड़ की जड़ में जल अर्पित करें, फिर पेड़ के तने पर चंदन या रोली का तिलक करें और नियमानुसार चावल व फूल अर्पित करें. फिर बेलपत्र के पेड़ के नीचे बैठकर भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें, जैसे ओम नमः शिवाय या महामृत्युंजल मंत्र का जाप करें. अंत में पूजा समापन करते हुए बेलपत्र के पड़ की परिक्रमा करें और आरती करें.
प्रदोष व्रत के दिन बेलपत्र के पेड़ की पूजा के नियम
अगर आप प्रदोष व्रत के दिन बेलपत्र की पूजा कर रहे हैं तो उस दिन भूलकर भी बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए. इसे एक दिन पहले तोड़कर रख लें, जिससे की आपको दोष ना लगें. बेलपत्र की पूजा करने के दौरान भगवान शिव के मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए. मुख्यतः इस दिन ध्यान रखने योग्य बात है कि बेलपत्र के पत्तों को प्रदोष व्रत के दिन तोड़ने से बचना चाहिए.
घर में रखें ये जादुई पत्थर, जो रातोंरात बदल देगा आपकी किस्मत, करोड़पति बनते नहीं देर लगेगी!
9 Apr, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर व्यक्ति के जीवन में रत्न का विशेष महत्व होता है. प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि वह कोई न कोई रत्न धारण करे. जिन घरों में आर्थिक तंगी होती है, बीमारी परेशानी अथवा घर में क्लेश होती है उनको रत्न को धारण करने के पश्चात लाभ मिल जाता है. ज्योतिष शास्त्र में ऐसे कई रत्न बताए गए हैं जिन्हें धारण करने के पश्चात उसकी ऊर्जा से व्यक्ति की किस्मत रातों-रात बदल जाती है. ऐसे अनेकों उदाहरण है जिन्होंने रत्न धारण किया और उन्हें आर्थिक तंगी या बीमारी के अलावा सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्ति मिल गयी.
ऐसा ही एक रत्न पाइराइट होता है. जिसे घर में रखने से या अंगूठी अथवा लॉकेट में धारण करने से हमारे जीवन से आर्थिक तंगी खत्म हो जाती है. पाइराइट रत्न धारण करने से आर्थिक तंगी और कर्ज से मुक्ति मिलती है. यह पत्थर धन को आकर्षित कर समृद्धि लाता है. आइये इस जादुई पत्थर के बारे में जानते हैं.
जादुई पत्थर है पाइराइट : पायरेट पत्थर की चमक अपने आप में पीलापन लिए सोने की तरह होती है. इससे भाग्य और समृद्धि का पत्थर कहा जाता है. यह पत्थर धन को अपनी और बहुत तेजी से आकर्षित करता है. इस पत्थर को यदि हम उंगली में अथवा गले में लॉकेट के रूप में धारण करते हैं तो हमारे अंदर निर्णय लेने की क्षमता मजबूत हो जाती है इसके अलावा यह हमें अकूत साहस देता है.
धन चुंबक है यह पत्थर: पाइराइट का इस्तेमाल धन प्राप्ति के लिए करते हैं. इसके लिए आपको कुछ खास नहीं करना है, बस आप अपने घर में एक पाइराइट पत्थर लेकर आए और उसे अपने धन स्थान में रख देना है. इसके बाद यह अपने आप ही इस कदर धन को अपनी ओर आकर्षित करेगा कि आपकी तिजोरिया भरती जाएंगी.
कर्ज से मिलेगी मुक्ति : यदि किसी व्यक्ति पर जरूर से ज्यादा कर्ज हो गया है तो उन्हें अपने घर में गोल्डन पाइराइट रखना चाहिए. इस पाइराइट के इस्तेमाल से व्यक्ति को धीरे-धीरे कर्ज से मुक्ति मिल जाती है.साथ ही उसके करोड़पति बनने के रास्ते प्रशस्त होते हैं. इस पत्थर को ऐसी जगह रखें जहां इसे कोई देख ना सके.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
9 Apr, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- आशानुकूल सफलता से संतोष तथा कुछ सफलता के साधन अवश्य बने।
वृष राशि :- समय अराम से बीते, व्यवसायिक क्षमता अवश्य ही बनेंगे।
मिथुन राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद रहेगा, किन्तु इष्ट मित्रों से परेशानी होगी।
कर्क राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक हों, कुटुम्ब की समस्याऐं सुलझेंगी, ध्यान दें।
सिंह राशि :- प्रतिष्ठा सुखवर्धक हो, कुटुम्ब की समस्याएं सुलझेगी, धयान दें।
कन्या राशि :- संघर्ष में सफलता से संतोष हो, व्यवसायिक क्षमताएं अनुकूल होंगी।
तुला राशि :- मान-प्रतिष्ठा, प्रभुत्व में वृद्धि, कार्यक्षमता बढ़े, समाज में प्रतिष्ठा के साधन बनेंगे।
वृश्चिक राशि :- सामाजिक कोई शुभ समाचार, कार्यगति में सुधार तथा चिन्ता बने|
धनु राशि :- अचानक कोई शुभ समाचार, कार्यगति में सुधार होगा तथा चिनता बनेगी।
मकर राशि :- स्थिति यथावत रहे, समय पर सोचे कार्य पूर्ण होंगे।
कुंभ राशि :- भाग्य का सितारा साथ देगा, इष्ट मित्र सुखवर्धक दें, ध्यान रहे।
मीन राशि :- इष्ट मित्र सहायक रहेंगे, दैनिक कार्यगति में अनुकूलता बनी रहेगी।
सौभाग्य का प्रतीक है कलावा, इसे इक्कीस दिन में उतार देना चाहिये !
8 Apr, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में कलावा एक बहुत ही पवित्र धागा होता है जिस व्यक्ति अपने हाथ में बांधता है. यह सुरक्षा और सौभाग्य का प्रतीक होता है. किसी भी शुभ कार्य अथवा पूजा की शुरुआत में इसे बांधा जाता है. कलावा को मौली, रक्षासूत्र एवं चरदु भी कहते हैं. यह धार्मिक आस्था का प्रतीक है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है. पुरुषों एवं कुंवारी कन्याओं को अपने दाएं हाथ में कलावा बंधवाना चाहिए.शादीशुदा महिलाओं को बाएं हाथ में कलावा पहनना चाहिए.
इक्कीस दिन से ज्यादा नहीं बांधना चाहिये कलावा : किसी भी व्यक्ति को अपने हाथ में कलावा सिर्फ 21 दिन के लिए बांधना चाहिए. इक्कीस दिन इसलिए क्योंकि इतने दिनों के बाद कलावे का रंग उतरने लगता है. कलवा सदैव ही सूती होना चाहिए. आप जब भी कलावे को बांधे अथवा किसी योग्य पुरोहित से बंधवाए तो पूर्ण मंत्र के साथ ही अलावा बांधना चाहिए. कलावे को बांधते समय मुट्ठी में कुछ अन्न अथवा धन रखकर कलावा बंधवाना चाहिए. कलवा बंद जाने के बाद मुट्ठी में बंद धन को पुरोहित को देना चाहिए. ऐसा कलवा जो रेशमी हो बेकार होता है. इसलिए सदैव ही लाल चटक रंग का सूती कल वही अपने हाथ में बंधवाना चाहिए.
21 दिन बाद उतार दें कलावे को : के अलावा बनने की 21 दिन बाद आपको उसे उतार देना चाहिए. उतरा हुआ कलवा पूर्ण रूप से नकारात्मकता से परिपूर्ण होता है इसलिए ऐसे कलावे को घर में कहीं भी ना रखें. जिस कलावे का रंग उतर चुका हो या उसके धागे निकलने लगे हो वह कलावा ग्रह दोष उत्पन्न करता है. इसलिए खंडित हुए कल आवे या उतरे हुए कलावे को मिट्टी में गड्ढा खोदकर गाढ़ देना चाहिए. क्योंकि कलवा मंगल ग्रह का प्रतिनिधित्व करता है और भूमि मंगल ग्रह की माता है इसलिए उतरा हुआ कलवा मिट्टी में गाढ़ देने से हमें अच्छे फलों की प्राप्ति होती है. कलवा सदैव ही मंगलवार या शनिवार के दिन उतारना चाहिए.
कलावा बांधने का मंत्र : यदि आप किसी अन्य व्यक्ति से या स्वयं से कलावा बांधते हैं तो उस समय “येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबलः, तेन त्वाम् मनुबध्नामि, रक्षे मा चल मा चल” मंत्र का जाप मन में करना चाहिये. इससे यह कलावा रक्षासूत्र के रुप में कार्य करता है.
बुरी नजर, नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है नमक का पानी, इससे हाथ धोने से पहले जान लें नियम, किस दिन न करें इसका इस्तेमाल?
8 Apr, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नमक का इस्तेमाल सिर्फ खाना पकाने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी रोज़मर्रा की जिंदगी में अलग-अलग रूपों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. ज्योतिष और वास्तु शास्त्र में इसे खास स्थान दिया गया है. अक्सर हमें दादी नानी से सुनने को मिलता है कि नमक का इस्तेमाल नकारात्मक ऊर्जा को हटाने और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने में मदद करता है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि नमक के पानी से हाथ धोने से वास्तव में क्या होता है?
नमक के पानी से हाथ धोने के फायदे
ज्योतिष और वास्तु शास्त्र के अनुसार, नमक का पानी से हाथ धोना एक बहुत प्रभावी उपाय माना जाता है. यह न सिर्फ नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करता है, बल्कि कई दूसरे फायदे भी प्रदान करता है. चलिए जानते हैं इन फायदों के बारे में.
1. नकारात्मक ऊर्जा का नाश
अगर आपको बार बार थकान महसूस होती है या आपके काम अक्सर बिगड़ जाते हैं, तो संभव है कि आपके ऊपर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव हो. पंडित जी के अनुसार, नमक के पानी से हाथ धोने से इस नकारात्मक ऊर्जा को दूर किया जा सकता है. यह उपाय आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है.
2. बुरी नजर से सुरक्षा
हमारे समाज में यह विश्वास है कि जब हम किसी से मिलते हैं या हाथ मिलाते हैं, तो कभी कभी बुरी नजर का प्रभाव पड़ता है. ऐसे में नमक के पानी से हाथ धोने से बुरी नजर से बचाव हो सकता है. यह आपके शरीर से नकारात्मक प्रभावों को हटाकर आपको शुद्ध और स्वस्थ रखता है.
3. शनि और राहु दोष से मुक्ति
ज्योतिष में यह भी माना गया है कि नमक का संबंध शनि और राहु से है. अगर किसी व्यक्ति के जीवन में शनि या राहु का दोष हो, तो नमक से हाथ धोना मददगार साबित हो सकता है. यह ग्रहों की नकारात्मक ऊर्जा को शांत करता है और जीवन में आने वाली परेशानियों से बचाता है.
4. मानसिक शांति और आत्मविश्वास
नमक के पानी से हाथ धोने का एक और महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह मानसिक शांति और आत्मविश्वास को बढ़ाता है. जब व्यक्ति तनाव महसूस करता है, तो नमक के पानी से हाथ धोने से ऊर्जा का संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है. इससे मानसिक स्थिति में सुधार होता है और व्यक्ति को आत्मविश्वास महसूस होता है.
5. आर्थिक समस्याओं का समाधान
वास्तु शास्त्र के अनुसार, नमक का इस्तेमाल आर्थिक समस्याओं से निपटने के लिए भी किया जाता है. अगर किसी व्यक्ति को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, तो नमक के पानी से हाथ धोने से स्थिति में सुधार हो सकता है. यह उपाय धन की कमी को दूर करने और समृद्धि आकर्षित करने में मदद करता है.
नमक के पानी से हाथ कब धोने चाहिए?
ज्योतिष और वास्तु शास्त्र में कहा गया है कि आपको तब नमक के पानी से हाथ धोने चाहिए, जब आप किसी से मिलकर या हाथ मिलाकर आ रहे हों और भारीपन महसूस कर रहे हों. इसके अलावा, जब आप किसी से मिलकर मानसिक तनाव या थकान महसूस करें, तब भी यह उपाय लाभकारी हो सकता है.
नमक से हाथ धोने में सावधानी
हालांकि नमक का पानी से हाथ धोने के कई फायदे हैं, लेकिन यह ध्यान रखना जरूरी है कि इसे अधिक बार न किया जाए. पंडित जी के अनुसार, बार बार नमक से हाथ धोने से राहु और शनि का प्रभाव बढ़ सकता है. इसके अलावा, गुरुवार के दिन नमक का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए, क्योंकि यह बृहस्पति को कमजोर करता है और जीवन में समस्याएं उत्पन्न कर सकता है.
विवाह तय करते समय रखें ये सावधानियां, अन्यथा जीवन भर पड़ेगा रोना!
8 Apr, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शास्त्रों के अनुसार विवाह एक बहुत ही महत्वपूर्ण संस्कार है. व्यक्ति के जन्म के पश्चात मृत्यु तक कुल 16 संस्कार संपन्न होते हैं. विवाह पूर्ण 16 संस्कार में से एक प्रमुख संस्कार होता है. यह व्यक्ति के जीवन में बहुत सी खुशियां भर देता है और कभी-कभी यही विवाह बहुत बड़े दुख का कारण भी बन जाता है. इसका कारण है कि विवाह तय करते समय हम कुछ बातों को अनदेखा कर देते हैं या उनके बारे में नहीं जानते हैं. विवाह में कुंडली मिलान के अलावा भी कुछ ऐसी विशेष परिस्थितियों है जिनका हमें पालन करना चाहिए अन्यथा अनिष्ट होने की संभावना बनती है.
पुत्र का विवाह करने के बाद 1 साल के अंदर दूसरे पुत्र या पुत्री का विवाह कभी भी नहीं करना चाहिए.
यदि आपके दो जुड़वा पुत्र संतान है तो कभी भी दोनों जुड़वा भाइयों का विवाह या मुंडन कम एक ही दिन में नहीं करना चाहिए. ऐसा करने से अनिष्ट होने की संभावना रहती है.
यदि एक मां के गर्भ से उत्पन्न दो कन्याओं का विवाह 6 महीने के भीतर हो जाता है तो 3 वर्ष के भीतर किसी भी एक कन्या पर घोर संकट आता है. इसलिए कभी भी दो कन्याओं का विवाह 6 माह के भीतर न करें.
किसी भी जातक का विवाह वर्ष, महीने, तिथि या नक्षत्र के अंतिम चरण में नहीं करना चाहिए. यह शुभ फलदाई नहीं होता है.
पहली संतान का विवाह कभी भी उसके जन्म मास जन्म नक्षत्र और जन्मदिन को नहीं करना चाहिए.
जन्म से सम वर्षों में स्त्री का विवाह तथा विषम वर्षों में पुरुष का विवाह अत्यंत शुभ होता है यदि इस विपरीत करते हैं तो दोनों के लिए स्वास्थ्य में प्रतिकूल फल प्राप्त होंगे.
जिन व्यक्तियों की कुंडली में अशुभ ग्रहों की दशाएं चल रही है और उनका विवाह संपन्न हो जाए तो विवाह से पूर्व भी उन अशुभ ग्रहों की शांति कर लेनी चाहिए.अन्यथा विवाह के बाद जीवन सुख में नहीं रहता है.
वर-कन्या की एक नाड़ी हो तो आयु की हानि, सेवा में हानि होता है. आदि नाड़ी वर के लिए, मध्य नाड़ी कन्या के लिए और अन्त्य नाड़ी वर-कन्या दोनों के लिए हानि कारक होती है. अतः इसका त्याग करना चाहिए.
यदि वर और कन्या एक ही नक्षत्र में उत्पन्न हुए हों तो नाड़ीदोष नहीं माना जाता है. अन्य नक्षत्र हो तो विवाह वर्जित है. वर और कन्या की जन्म राशि एक हो तथा जन्म नक्षत्र भिन्न-भिन्न हो अथवा जन्म नक्षत्र एक हो जन्म राशि भिन्न हो अथवा एक नक्षत्र में भी चरण भेद हो तो नाड़ी और गणदोष नहीं माना जाता है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
8 Apr, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- आशानुकूल सफलता के साधन जुटायें, कार्य से संतोष, सफलता के साधन जुटायें।
वृष राशि :- समय अराम से बीते, व्यवसायिक क्षमता की वृद्धि पर अवश्य ध्यान दें।
मिथुन राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद रहेगा, किन्तु इष्ट मित्रों से परेशानी होगी।
कर्क राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक हों, कुटुम्ब की समस्याऐं सुलझेंगी, धैर्य से काम लें।
सिंह राशि :- प्रतिष्ठा वृद्धि एवं बड़े लोगों से मेल मिलाप हर्षप्रद होगा, ध्यान दें।
कन्या राशि :- संघर्ष में सफलता से संतोष हो, व्यवसायिक क्षमताएं अनुकूल होंगी।
तुला राशि :- मान-प्रतिष्ठा, प्रभुत्व में वृद्धि, कार्यक्षमता बढ़े, समाज में प्रतिष्ठा के साधन बनेंगे।
वृश्चिक राशि :- सामाजिक कार्यों में सुधार, कार्यगति में अनुकूलता, इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे।
धनु राशि :- अचानक कोई शुभ समाचार प्राप्त होगा, कार्यगति में सुधार होगा, कार्य बनेंगे।
मकर राशि :- स्थिति यथावत रहे, समय पर सोचे कार्य पूर्ण हों, तथा कार्य बनेंगे।
कुंभ राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, शरीर कष्ट, चिन्ता व असमंजस की स्थिति बने।
मीन राशि :- इष्ट मित्र सहायक रहेंगे, दैनिक कार्यगति में सुधार व अनुकूलता बनी रहेगी।