धर्म एवं ज्योतिष
रहस्यमयी है बिलासपुर का यह महादेव मंदिर, पाताल लोक में समा जाता है शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल
26 Feb, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
छत्तीसगढ़ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों के लिए भी प्रसिद्ध है. यहां के प्राचीन मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. शिवरात्रि के पावन अवसर पर शिव भक्त भगवान भोलेनाथ के मंदिरों में जलाभिषेक कर अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं. लेकिन, क्या आपने कभी किसी ऐसे मंदिर के बारे में सुना है, जहां शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल रहस्यमयी रूप से अदृश्य हो जाता है?
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले के मल्हार में स्थित पातालेश्वर (केदारेश्वर) महादेव मंदिर एक ऐसा ही अद्भुत स्थान है. यह मंदिर अपनी रहस्यमयी मान्यताओं के लिए जाना जाता है, जिससे श्रद्धालु और शोधकर्ता दोनों ही आकर्षित होते हैं.
शिवलिंग पर चढ़ाया जल कहां जाता है?
इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां शिवलिंग पर चढ़ाया गया जल कहीं नजर नहीं आता है बल्कि वह सीधे पाताल लोक में समा जाता है. इसको लेकर कई धार्मिक और वैज्ञानिक धारणाएं प्रचलित हैं, लेकिन इसका रहस्य आज भी अनसुलझा है.
ऐतिहासिक और आध्यात्मिक स्थल है मल्हार
मल्हार, जो बिलासपुर शहर से लगभग 32 किलोमीटर दूर स्थित है, ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है. यह स्थान कई प्राचीन मंदिरों, मूर्तियों और ऐतिहासिक संरचनाओं का घर है, जो इसकी समृद्ध संस्कृति और वास्तुकला की झलक दिखाते हैं.
कल्चुरी काल में हुआ था निर्माण
पातालेश्वर महादेव मंदिर का निर्माण कल्चुरी काल (10वीं से 13वीं सदी) में हुआ था. इसे सोमराज नामक ब्राह्मण ने करवाया था. यह मंदिर ना केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि स्थापत्य कला का भी उत्कृष्ट उदाहरण है.
आस्था और श्रद्धा का केंद्र है मंदिर
यह मंदिर शिवभक्तों के लिए गहरी आस्था का केंद्र है. विशेष रूप से सावन और महाशिवरात्रि के दौरान यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. भक्त यहां आकर जलाभिषेक करते हैं और भोलेनाथ से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. पातालेश्वर महादेव मंदिर ना केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह रहस्यमयी घटनाओं और ऐतिहासिक धरोहरों का संगम भी है. यहां आने वाले श्रद्धालु इसकी अनोखी विशेषताओं को देखकर अचंभित रह जाते हैं. अगर आप छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक और धार्मिक धरोहरों को करीब से देखना चाहते हैं, तो यह मंदिर आपके लिए एक अद्भुत.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
26 Feb, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- व्यवसाय मंद रहेगा, कुछ चिंताएं संभव होगी, मनोबल बढ़ा ही रहेगा।
वृष राशि :- धन तथा व्यवसाय की चिंता बनी रहेगी तथा किसी आरोप से बचकर चले|
मिथुन राशि :- स्त्री से कष्ट व चिंता, व्यवसाय में आरोप तथा धन की वृद्धि अवश्य ही होगी।
कर्क राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद रहे, मान प्रतिष्ठा में वृद्धि तथा मानसिक शांति मिलेगी।
सिंह राशि :- स्वभाव में क्लेश व अशांति, अधिकारियों के आरोप से बचकर अवश्य चले अन्यथा हानि होगी।
कन्या राशि :- परिश्रम से कार्य सफल होंगे, आपकी कठोर मेहनत पर आपकी कार्ययोजना सफल होगी।
तुला राशि :- भोग ऐश्वर्य की प्राप्ति, कार्य गति उत्तम, सफलता के कार्य आप अवश्य ही जुटायेंगे।
वृश्चिक राशि :- आपके रुके कार्य पूर्ण, मनोबल उत्साहवर्धक होगा, वृथा क्लेश व अशांति से बचे।
धनु राशि :- झूठे आस्वसनों से बचकर चलें, असमंजस की स्थिति तथा तनाव पूर्ण वातावरण से बचेंगे।
मकर राशि :- दूसरों के कार्यो में वृथा समय नष्ट न करें, तनाव व शारीरिक कष्ट अवश्य ही होगा।
कुंभ राशि :- योजनाओं से लाभ, बिगड़े हुए कार्य अवश्य ही बनेंगे, योजना के कार्य पूर्ण होंगे।
मीन राशि :- कार्य सिद्ध सामान्य, आर्थिक योजना पूर्ण होगी, तथा मन का संतोष बना ही रहेगा।
हिमालय की गोद में छुपा ये मंदिर, जहां शिव परिवार एक ही मूर्ति में विराजमान!
25 Feb, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देवों के देव कहे जाने वाले महादेव हिमालय के कई क्षेत्रों में विराजमान है. ऐसे में नग्गर में स्थित है गौरी शंकर मंदिर जहां महादेव अपने पूरे परिवार के साथ विराजमान है. इस मंदिर को ग्रामीणों द्वारा शिवद्वाला के नाम से भी जाना जाता है.पांडु शैली में बने इस मंदिर में की एक और खासियत है कि यहां महादेव शिवलिंग रूप में नहीं बल्कि मूर्ति रूप में विराजमान है.
नग्गर के गौरी शंकर मंदिर में एक ही मूर्ति में पूरा शिवपरिवार विराजमान है. मंदिर के कारदार डिंपी नेगी ने बताया कि यहां एक ही पत्थर से ये मूर्ति बनी हुई है, जिसमें नंदी पर शिव पार्वती है सही ही गणेश और कार्तिकेय भी मौजूद है. स्थानीय लोगों की अटूट आस्था महादेव से जुड़ी हुई है.
पांडवों ने किया था निर्माण
इस मंदिर का निर्माण ग्यारहवीं या बारहवीं शताब्दी में हुआ है. ऐसे में मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान जब पांडव इस क्षेत्र में आए यह और उसी दौरान इस मंदिर का भी निर्माण पांडवों के द्वारा किया गया था. मंदिर के कारदार डिंपी नेगी ने बताया कि मंदिर में शिवरात्रि के दिन विशेष आयोजन किया जाता है. ऐसे में यहां भंडारे का भी आयोजन होता है. शिवरात्रि के दिन ग्रामीण यहां महादेव की पूजा अर्चना करने आते है.
आगरा के ताजमहल की तरह होती है मंदिर की सफाई
मंदिर के कारदार डिंपी नेगी ने बताया कि मंदिर की सफाई के लिए आर्कियोलॉजी डिपार्टमेंट के द्वारा हर 10 साल के बाद मंदिर के रख रखाव के लिए केमिकल का छिड़काव किया जाता है. ऐसी में मंदिर की दीवारों पर लगे शिवाल को भी हटाया जाता है. ऐसे में इस पुरानी धरोहर को आज भी साफ सुथरा रखा गया है.
इस मंदिर में आधी रात को आते हैं हजारों सांप, बड़े से बड़े रोग से भी मिलती है मुक्ति ! जानें क्या है इसके पीछे का रहस्य
25 Feb, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में बांगरमऊ के पास स्थित बोधेश्वर महादेव मंदिर एक प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है. इस मंदिर का इतिहास और उससे जुड़ी कथा बहुत ही रोचक और प्रेरणादायक है. इस मंदिर में असाध्य रोगों से पीड़ित श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. यही नहीं मंदिर की महिमा इतनी है कि दूर-दूर से भक्त यहां शिव के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं. कहा जाता है कि यहां आधी रात को दर्जनों सांप शिवलिंग को स्पर्श करने आते हैं, लेकिन किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते. भक्तों का मानना है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है.
कैसे स्थापित हुआ शिवलिंग
कहा जाता है कि बहुत समय पहले नेवल नामक राज्य के एक राजा थे जो भगवान शिव के परम भक्त थे. एक रात उन्हें स्वप्न में भगवान शिव ने दर्शन दिए और उन्हें पंचमुखी शिवलिंग, नंदी और नवग्रह स्थापित करने का आदेश दिया. राजा ने अगले ही दिन भगवान शिव के आदेश का पालन करते हुए पंचमुखी शिवलिंग, नंदी और नवग्रह का निर्माण शुरू करवाया. जब यह कार्य पूरा हो गया तो राजा ने इन सभी को रथ में रखकर अपनी राजधानी की ओर प्रस्थान किया.
ऐसे हुआ मंदिर का निर्माण
जैसे ही रथ राजधानी में प्रवेश करने लगा अचानक वह जमीन में धंसने लगा. राजा और उनके सैनिक बहुत कोशिश करने के बाद भी रथ को निकालने में असफल रहे. तब राजा को समझ में आया कि भगवान शिव की यही इच्छा है कि इन सभी की स्थापना इसी स्थान पर की जाए. उन्होंने तत्काल ही उस स्थान पर पंचमुखी शिवलिंग, नंदी और नवग्रह की स्थापना करवा दी और वहां एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया.
भगवान शिव ने स्वयं राजा को इस कार्य का बोध कराया था इसलिए इस मंदिर का नाम बोधेश्वर महादेव मंदिर रखा गया. इस मंदिर में स्थापित पंचमुखी शिवलिंग के पत्थर के बारे में कहा जाता है कि यह पत्थर दुर्लभ है और 400 साल पहले विलुप्त हो चुका है. अब धरती पर यह पत्थर नहीं मिलते हैं. वहीं नंदी और नवग्रह में जो पत्थर लगे हैं उन पर पाषाण काल की पच्चीकारी की गई है जो अपने आप में अद्भुत है.
बोधेश्वर महादेव मंदिर में हर साल हजारों भक्त भगवान शिव के दर्शन के लिए आते हैं. यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि इस मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है.
दर्जनों सांप करते हैं शिवलिंग को स्पर्श
इस मंदिर से जुड़ी एक और अद्भुत कथा है. यहां आधी रात में दर्जनों सांप शिवलिंग को स्पर्श करने आते हैं. बताया जाता है कि पंचमुखी शिवलिंग को स्पर्श करने के बाद सांप वापस जंगल में लौट जाते हैं. हैरानी की बात यह है कि इतने सांपों के आने के बाद भी किसी स्थानीय नागरिक को कोई क्षति नहीं पहुंची है. यह घटना अपने आप में एक रहस्य है जिसे देखकर हर कोई चकित रह जाता है.
असाध्य रोग होते हैं दूर
बोधेश्वर महादेव मंदिर न केवल अपनी रहस्यमयी घटनाओं के लिए प्रसिद्ध है बल्कि यह असाध्य रोगों से पीड़ित श्रद्धालुओं के लिए भी आशा की किरण है. यहां दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी बीमारियों से मुक्ति पाने की कामना लेकर आते हैं. मंदिर के पुजारी बताते हैं कि भोलेनाथ की कृपा से कई लोगों की मुरादें पूरी हुई हैं और उन्हें रोगों से मुक्ति मिली है.
बेहद चमत्कारी है पीली सरसों, इन आसान उपायों की मदद से दूर होगी हर परेशानी
25 Feb, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हमारे जीवन में कई बार ऐसी परिस्थितियां आती हैं जब हमें ऐसा लगता है कि कोई नकारात्मक शक्ति या बाधा हमारे सुख-समृद्धि में रुकावट डाल रही है. इसका प्रभाव न केवल हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ता है बल्कि व्यापार, नौकरी और व्यक्तिगत जीवन पर भी महसूस किया जाता है. कई बार बिना किसी कारण के ही जीवन में असफलता और बाधाएं आती हैं, जिनका समाधान समझ नहीं आता. ऐसे में पीली सरसों से जुड़े कुछ सरल और प्रभावी उपाय अपनाकर इन समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है. इन आसान और सरल उपाय के बारे में बता रहे हैं
नजरदोष और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव
अगर आपको ऐसा लगता है कि आपके घर के सदस्यों को बार-बार नजर लग रही है, सेहत खराब हो रही है या मानसिक तनाव बढ़ रहा है, तो पीली सरसों का यह उपाय करें:
1. एक छोटी चुटकी पीली सरसों लें.
2. उसमें थोड़ा सा कपूर मिलाएं और सरसों के तेल की कुछ बूंदें डालें.
3. इस मिश्रण को अपने दाहिने हाथ में लेकर सात बार अपने सिर के ऊपर घड़ी की उल्टी दिशा में घुमाएं.
4. इसके बाद इसे किसी प्लेट में रखकर जला दें.
5. ऐसा करने से तुरंत राहत महसूस होगी और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होगी.
व्यापार और धन संबंधित बाधाओं के लिए
व्यापार ठीक से नहीं चल रहा हो और अचानक घाटा हो रहा है या दुकान में ग्राहकों की संख्या कम हो गई है, तो यह उपाय करें:
1. रात को अपनी दुकान, ऑफिस या फैक्ट्री के चारों कोनों में एक-एक चुटकी पीली सरसों डालें.
2. अगली सुबह इसे इकट्ठा करें और किसी व्यस्त सड़क पर फेंक दें ताकि गाड़ियों के नीचे आकर यह नष्ट हो जाए.
3. इससे व्यापार में बाधाएं दूर होंगी और उन्नति के मार्ग खुलेंगे.
घर में सुख-शांति बनाए रखने के लिए
घर में अगर बार-बार झगड़े हो रहे हैं, कलह का माहौल बना रहता है, तो आप ये उपाय कर सकते हैं:
1. घर के मुख्य द्वार पर थोड़ा सा पीली सरसों का छिड़काव करें.
2. हफ्ते में एक बार, खासकर शनिवार को, सरसों के तेल का दीपक जलाएं.
3. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहेगी और अशांति समाप्त होगी.
सुरक्षा के लिए
आपको ऐसा लगता है कि कोई व्यक्ति आपके खिलाफ षड्यंत्र कर रहा है तो यह उपाय करें.
1. शाम के समय एक चुटकी पीली सरसों लेकर उसे जमीन पर रखकर अपने पैरों से दबा दें.
2. इस दौरान प्रार्थना करें कि आपके जीवन से परेशानियां दूर हो जाएं.
4. यह उपाय घर के बाहर करना अधिक प्रभावी रहेगा.
अचानक आने वाली परेशानियों से बचाव के लिए
आप जो भी काम करने जाते हैं उसमें रुकावट आ जाती है, तो यह उपाय करें.
1. रोज़ सुबह थोड़ी सी पीली सरसों लेकर अपने हाथ में रखें.
2. इसे कपूर के साथ मिलाकर जलाएं और राख को घर के बाहर फेंक दें.
3. यह उपाय सात दिनों तक करें. इससे अनचाही रुकावटें दूर होंगी.
पीली सरसों एक साधारण सी वस्तु है, लेकिन इसके उपाय अत्यंत प्रभावी माने जाते हैं. इन्हें अपनाकर आप अपने जीवन की कई समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं. ध्यान रखें कि ये उपाय पूरी श्रद्धा और नियमपूर्वक किए जाएं ताकि इनका पूरा लाभ मिल सके. यदि आप लगातार परेशानियों का सामना कर रहे हैं, तो पीली सरसों के इन उपायों को अपनाकर अपने जीवन को सुख-समृद्धि की ओर ले जाएं.
इस तरह हुआ था भगवान शिव का जन्म, जानिए महादेव के अवतरित होने की ये अद्भुत कथा
25 Feb, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में महाशिवरात्रि का पर्व अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है. यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना का दिन है. हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है. भगवान शिव, जिन्हें भोलेनाथ, शिवशंभू, महादेव आदि नामों से जाना जाता है, इस सृष्टि के संहारकर्ता हैं. लेकिन, उनकी उत्पत्ति कैसे हुई, यह एक रहस्य है.
शिव का प्रादुर्भाव: एक अद्भुत कहानी
भगवान शिव का जन्म नहीं हुआ है, वे स्वयंभू हैं. फिर भी, पुराणों में उनकी उत्पत्ति का वर्णन मिलता है. विष्णु पुराण के अनुसार, ब्रह्मा भगवान विष्णु की नाभि कमल से उत्पन्न हुए, जबकि शिव भगवान विष्णु के माथे के तेज से प्रकट हुए. श्रीमद् भागवत के अनुसार, एक बार जब भगवान विष्णु और ब्रह्मा अहंकार में डूबकर स्वयं को श्रेष्ठ बताने लगे, तब एक जलते हुए खंभे से भगवान शिव प्रकट हुए.
ब्रह्मा के पुत्र रूप में शिव
विष्णु पुराण में वर्णित शिव के जन्म की कहानी शायद भगवान शिव का एकमात्र बाल रूप वर्णन है. इसके अनुसार, ब्रह्मा को एक बच्चे की आवश्यकता थी. उन्होंने इसके लिए तपस्या की. तब अचानक उनकी गोद में रोते हुए बालक शिव प्रकट हुए. ब्रह्मा ने बच्चे से रोने का कारण पूछा, तो उन्होंने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया कि उनका कोई नाम नहीं है, इसलिए वह रो रहे हैं. तब ब्रह्मा ने शिव का नाम ‘रूद्र’ रखा, जिसका अर्थ होता है ‘रोने वाला’. शिव तब भी चुप नहीं हुए. इसलिए ब्रह्मा ने उन्हें दूसरा नाम दिया, पर शिव को नाम पसंद नहीं आया और वे फिर भी चुप नहीं हुए. इस तरह शिव को चुप कराने के लिए ब्रह्मा ने 8 नाम दिए, और शिव 8 नामों (रूद्र, शर्व, भाव, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव) से जाने गए.
शिव के जन्म का रहस्य
शिव के इस प्रकार ब्रह्मा पुत्र के रूप में जन्म लेने के पीछे भी विष्णु पुराण की एक पौराणिक कथा है. इसके अनुसार, जब धरती, आकाश, पाताल समेत पूरा ब्रह्माण्ड जलमग्न था, तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) के सिवा कोई भी देव या प्राणी नहीं था. तब केवल विष्णु ही जल सतह पर अपने शेषनाग पर लेटे नजर आ रहे थे. तब उनकी नाभि से कमल नाल पर ब्रह्मा जी प्रकट हुए. ब्रह्मा-विष्णु जब सृष्टि के संबंध में बातें कर रहे थे, तो शिव जी प्रकट हुए. ब्रह्मा ने उन्हें पहचानने से इंकार कर दिया. तब शिव के रूठ जाने के भय से भगवान विष्णु ने दिव्य दृष्टि प्रदान कर ब्रह्मा को शिव की याद दिलाई.
ब्रह्मा को अपनी गलती का एहसास हुआ और शिव से क्षमा मांगते हुए उन्होंने उनसे अपने पुत्र रूप में पैदा होने का आशीर्वाद मांगा. शिव ने ब्रह्मा की प्रार्थना स्वीकार करते हुए उन्हें यह आशीर्वाद प्रदान किया. जब ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना शुरू की, तो उन्हें एक बच्चे की जरूरत पड़ी और तब उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद ध्यान आया. अतः ब्रह्मा ने तपस्या की और बालक शिव बच्चे के रूप में उनकी गोद में प्रकट हुए.भगवान शिव की यह रहस्यमय गाथा हमें उनकी शक्ति और महिमा का बोध कराती है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
25 Feb, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- व्यवसाय मंद रहेगा, कुछ चिंताएं संभव होगी, मनोबल उत्साह वर्धक रहेगा, ध्यान रखे।
वृष राशि :- धन का व्यय एवं चिंता बनेगी, किसी के अवरोध से मन दुखी अवश्य ही होगा|
मिथुन राशि :- स्त्री वर्ग से कष्ट, चिंता व्यावसायिक कार्यों में अवरोध अवश्य ही होगा।
कर्क राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद रहेगा, सामाजिक प्रतिष्ठा के योग अवश्य बनेंगे।
सिंह राशि :- स्वभाव में क्लेश व अशांति होगी, अधिकारियों के अवरोध से मन अशांत रहेगा।
कन्या राशि :- परिश्रम से कार्य सफल होंगे, आपकी कार्ययोजना मेहतन से सफल होंगे।
तुला राशि :- भोग ऐश्वर्य की प्राप्ति, कार्य गति मंद, सफलता के साधन अवश्य जुटायें।
वृश्चिक राशि :-किसी का कार्य बनने से मनोबल बढ़ेगा, तनाव व क्लेश से बचने का प्रयास अवश्य करें।
धनु राशि :- झूठे आरोप व क्लेश असमंजस युक्त रखे तथा सुख समृद्धि के साधन जुटाए।
मकर राशि :- दूसरों के कार्यो में वृथा समय नष्ट न करें, मानसिक बैचेनी, तनाव बनेगा।
कुंभ राशि :- धन लाभ होगा, बिगड़े हुए कार्य बनेंगे, आशानुकूल सफलता से हर्ष अवश्य ही होगा।
मीन राशि :- कार्यगति सामान्य, आर्थिक योजना फलीभूत होगी, तथा संतोष से कार्य बना लें।
घर के आंगन में लगा लें ये पौधा, पितृदोषों सहित शनि, केतु के अशुभ प्रभावों से मिलेगी मुक्ति
24 Feb, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमावस्या तिथि का हिंदू धर्म में बहुत अधिक महत्व माना गया है. क्योंकि इस दिन दान-धर्म, पिंडदान व पितरों के निमित्त कई पुण्यकर्म किये जाते हैं जिससे की उनकी आत्मा को शांति मिले. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृदोषों से मुक्ति पाने के लिए अमावस्या तिथि श्रेष्ठ मानी जाती है. इस दिन किये गये हर छोटे-बड़े उपाय पितरों की शांति के लिए शुभ माने जाते हैं.
इसी के साथ ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, अगर अमावस्या तिथि के दिन घर के आंगन में एक छोटा से पौधे को लगा दिया जाए तो इससे ना सिर्फ पितृदोषों से मुक्ति मिलती है, साथ ही कुंडली में मौजूद खराब शनि, केतु के दोषों से भी राहत मिलती है. तो आइए ज्योतिषाचार्य व वास्तु सलाहकार डॉ अरविंद पचौरी से जानते हैं कौन सा है वो पौधा जो कि घर के आंगन में लगाने से पितृदोषों से राहत पाई जा सकती है.
पूजा-हवन में इस पेड़ का है विशेष महत्व
बता दें कि जिस चमत्कारी पेड़ की हम बात कर रहे हैं वह पेड़ नीम का पेड़ है. नीम के पेड़ के औषधीय गुणों के बारे में तो हर व्यक्ति जानता है, साथ ही आध्यात्मिक रुप से भी नीम का पेड़ काफी उपयोगी माना जाता है. हवन, पूजा-पाठ आदि में नीम की लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाता है. नीम का पेड़ की पत्तियों को धुआँ घर में करने पर नकारात्कत ऊर्जा समाप्त होती है.
ग्रहदोषों से दिलाता है राहत
ज्योतिषशास्त्र व वास्तुशास्त्र दोनों में ही नीम के पेड़ का महत्व बताया है. ज्योतिष के अनुसार, नीम के पेड़ के होने से घर में मौजूद राहु की दशा के साथ-साथ शनि की दशा में मिलने वाले कष्टों से रहात मिलती है और इसके पत्तों का जल निकालकर पानी में डालकर स्नान करने से कुंडली में केतु ग्रह शांत होता है.
पितृदोष से मुक्ति के लिए
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार, अगर आपके कुंडली में पितृदोष है और आप इससे राहत पाना चाहते हैं तो अमावस्या तिथि के दिन या सामान्य किसी भी दिन घर के आंगन में नीम का पेड़ लगा लें. इससे आपको पितरों का आशीर्वाद मिलता है साथ ही नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और घर में सकारात्मकता का वास होता है.
लेकिन नीम का पेड़ लगाने से पहले एक बात का विशेष ध्यान रखें कि इसे घर की दक्षिण या उत्तर-पश्चिम कोने में लगाएं. इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है और साथ ही पितरों का आशीर्वाद भी आप पर सदैव बना रहता है.
नीम की लकड़ी दिलाएगी शनि दशा से राहत
अगर आपके उपर शनि की महादशा चल रही है तो आप इस दौरान नीम की लकड़ी की माला बानकर पहन लें, इससे आपको लाभ प्राप्त होगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इससे शनि की महादशा के अशुभ प्रभावों से राहत मिलती है.
काशी विश्वनाथ मंदिर में 26 फरवरी को नहीं होगा शृंगार भोग और शयन आरती
24 Feb, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देशभर में मौजूद 12 ज्योतिर्लिंगों में महाशिवरात्रि का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. हर जगह विशेष पूजा-आरती का आयोजन किया जाता है, जिन्हें देखने व बाबा के दर्शन के सुबह से रात तक श्रृद्धालुओं का तांता लगा रहता है.
इसके साथ ही बता दें कि उत्तर प्रदेश के बनारस में मौजूद काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग में भी महाशिवरात्रि के दिन बाबा विश्वनाथ की चार प्रहर की विशेष आरती की जाएगी. लेकिन प्रतिदिन होने वाली सप्त ऋषि, श्रृंगार भोग और शयन आरती का आयोजन नहीं किया जाएगा.
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर की ऑफिशियल वेबसाइट https://www.shrikashivishwanath.org/ पर इस बात की जानकारी दी गई है. वेबसाइट के अनुसार, 26 फरवरी, महाशिवरात्रि के दिन सप्त ऋषि, श्रृंगार भोग और शयन आरती नहीं की जाएगी. वहीं महाशिवरात्रि के दिन होने वाली आरती पूजा के नये शिड्यूल की जानकारी देते हुए श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास ने बताया कि परंपरा के मुताबिक महाशिवरात्रि पर बाबा विश्वनाथ धाम में चार प्रहर की आरती होती रही है.
महाशिवरात्रि के दिन मंगला आरती का समय
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के अनुसार, महाशिवरात्रि के दिन पूजा शिड्यूल की चर्चा करते हुए बताया कि बाबा की मंगला आरती सुबह 2:15 बजे शुरू होगी और करीब 3 बजकर 15 मिनट पर संपन्न होगी और और फिर 3 बजकर 30 मिनट पर श्राद्धालुओं के दर्शन के लिए पट खोल दिये जाएंगे.
रात्रि में इस समय से शुरु होगी चार प्रहर की आरती
इसके बाद सुबह 11 बजकर 40 मिनट पर मध्याहन भोग आरती का आयोजन किया जाएगा. यह आरती 12 बजकर 20 मिनट तक संपन्न होगी. इसी क्रम में उन्होंने चारों प्रहर की आरती का भी शिड्यूल बताया. कहा कि रात्रि में 11 बजे से लेकर अगले दिन प्रातः 6.30 बजे तक चार पहर की आरती आयोजित की जाएगी. आगे उन्होंने बताया कि महाशिवरात्रि की रात्रि में मंदिर के कपाट बंद नहीं किये जाएंगे. अतः दर्शनार्थियों को दर्शन का मौका दिया जाएगा.
महाकुंभ से घर लाए जल का ऐसे रखें ध्यान अन्यथा बढ़ जाएंगे जीवन में कष्ट
24 Feb, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
करोड़ों लोग देश विदेश से महाकुम्भ में अमृत स्नान करने आये हैं. धार्मिक मान्यताओं के आधार पर अमृत स्नान के बाद अपने घर गंगाजल और गंगारज लेकर गये हैं. घर में गंगाजल और रज रखने से सभी प्रकार के कष्ट दूर होते हैं. वास्तु दोष से आराम मिलता है. घर में गंगाजल रखने से नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति मिलती है.सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ जाता है. घर में खुशहाली आती है. तीर्थक्षेत्र से आने वाला जल घर में हर मांगलिक कार्य में काम आता है. घर,दुकान, फैक्ट्री आदि में पूजन के लिये भी गंगाजल की आवश्यकता होती है. गंगाजल को हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना गया है. यदि आप महाकुंभ से गंगाजल ले आये हैं तो उसको घर में रखने के लिये ये सावधानी भी ध्यान में रखें. इसकी शुद्धता और पवित्रता का ध्यान रखना परम आवश्यक है.
घर के जिस स्थान पर गंगाजल रखा गया है उसे स्थान पर मांस मदिरा का सेवन करने से ग्रह दोष लगता है. इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं.
प्लास्टिक की बोतल अथवा डिब्बे के अंदर गंगाजल रखना अशुद्ध माना जाता है. गंगाजल रखने के लिए तांबे के बर्तन अथवा पीतल या एल्युमिनियम के बर्तन को प्रयोग में लेना चाहिए.
यदि गंगाजल को आप चांदी के बर्तन में सहेज कर घर के अंदर मंदिर में रखते हैं तो इससे आपको मानसिक रूप से मजबूती मिलती है. जन्म कुंडली में चंद्रमा अच्छे परिणाम देने लगता है.मानसिक बीमारियों से छुटकारा मिलता है.
दैनिक रूप से घर के चारो तरफ गंगाजल छिड़काव करने से नजर दोष, वास्तु दोष एवं नकारात्मक शक्तियों से बचाव होता है.घर के मुख्य द्वार पर जल का छिड़काव करने से सकारात्मक ऊर्जा आकर्षित होती है. इतना ही नहीं, घर की शुद्धि भी होती है.
गंगाजल को स्पर्श करने से पहले आपको अपनी शुद्धता और पवित्रता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को गंगाजल नहीं छूना चाहिए. मासिक धर्म के दौरान गंगाजल रखे कमरे में भी महिलाओं को नहीं जाना चाहिए.
गंगाजल का प्रयोग करने से पहले उसे प्रणाम करना चाहिए. यदि निकालते समय गंगाजल जमीन पर गिर जाये तो उसे हाथ से साफ करके मस्तक पर लगा लेना चाहिए.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
24 Feb, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- स्थिति नियंत्रण में रखें, अचानक दूसरों के कार्यों में सहयोग न करें अन्यथा हानि होगी।
वृष राशि :- मानसिक उदासीनता, असमंजस की स्थिति बनेगी, कार्य अवरोध तथा कार्य में ध्यान दें।
मिथुन राशि :- सफलता के साधन जुटायें, धन लाभ, आशानुकूल सफलता से प्रसन्नता अवश्य होगी।
कर्क राशि :- संघर्ष बना रहेगा, भावनायें मन को उद्विघ्न रखेंगी, ध्यान पूर्वक कार्य करें।
सिंह राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल होगा, बिगड़े हुये कार्य अवश्य ही बनेंगे, समय का ध्यान रखें।
कन्या राशि :- अर्थ-व्यवस्था में अनुकूलता, इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, समय का लाभ अवश्य लें।
तुला राशि :- असमर्थता व असमंजस की स्थिति बनेगी, धन का व्यय अवश्य होगा।
वृश्चिक राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा, इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे।
धनु राशि :- सभी का समर्थन फलप्रद होगा, आर्थिक योजना में लाभ अवश्य होगा ध्यान दें।
मकर राशि :- सामाजिक कार्यों में प्रतिष्ठा, प्रभुत्व वृद्धि तथा क्रोध बढ़ेगा, धैर्य पूर्वक कार्य करें।
कुंभ राशि :- आवश्यकता के अनुरूप चिन्ता से मुक्त होंगे, परिश्रम से कार्य करने पर ही लाभ होगा।
मीन राशि :- किसी के अरोप से बचें, प्रत्येक कार्य में बाधा होगी, सावधानी से कार्य करें।
महाशिवरात्रि पर भीलवाड़ा का हरणी महादेव मंदिर में लगता है 3 दिवसीय मेला
23 Feb, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित महाशिवरात्रि का महा-त्योहार नजदीक आने को है और महाशिवरात्रि का पर्व फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि यानी कि आगामी 26 फरवरी को मनाया जाएगा. भीलवाड़ा शहर के हरणी में महाशिव रात्रि पर हरणी महादेव में हर वर्ष की भांति लगने वाले मेले की तैयारियां शुरू कर दी है. नगर निगम द्वारा तीन दिवसीय मेले का आयोजन किया जाएगा. जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन संध्या और कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा. भीलवाड़ा के हरणी महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि पर चार पहर की महा आरती की जाएगी.
नगर निगम महापौर राकेश पाठक ने कहा कि सामाजिक सरोकार और धार्मिक पर्यटक स्थल को बढ़ावा देने के लिए नगर निगम द्वारा हर वर्ष की भर्ती इस वर्ष भी महाशिवरात्रि के पर्व पर तीन दिवसीय भव्य मेले का आयोजन किया जा रहा है. तीन दिवसीय इस भव्य मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम भजन संध्या और कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा. कवि सम्मेलन में देश के ख्यात नाम कवि अपना काव्य का प्रदर्शन करेंगे
3 दिन मेले का आयोजन
आयुक्त हेमाराम चौधरी ने कहा कि महाशिवरात्रि को लेकर 3 दिन के मेले का हर साल आयोजन किया जाता है जिसमें कई आयोजन भी होते हैं. इसके तहत 26 तारीख को भजन संध्या कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा और 27 फरवरी को भजन संध्या आयोजित की जाएगी और समापन समारोह के दौरान कवि सम्मेलन का आयोजन 28 तारीख को आयोजित किया जाएगा.
हरणी महादेव के 4 पहर की होंगी महाआरती
हरणी महादेव मंदिर के ट्रस्टी मुकेश जाट ने कहा आने वाली 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के पर्व को लेकर मंदिर कमेटी द्वारा तैयारी जोरो पर की जा रही है और नगर निगम द्वारा तीन दिवसीय मेले का भी आयोजन किया जा रहा है. पंडितों द्वारा 4 प्रहर का जागरण औऱ पुजा अर्चना होंगी और इसके साथ ही महादेव के महाआरती की जाएगी. शिवरात्रि पर भगवान भोलेनाथ के दर्शनार्थियों के लिए महिलाओं और पुरूषों के लिए अलग अलग लाईन बनाई जाएगी. मेले में आने वाले मेलार्थियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था भी की जाएगी. मंदिर ट्रस्ट की ओर से जो भी सुविधाएं मेले में की जाएगी उसकी तैयारियां शुरू कर दी है.
महादेव की पूजा की आसान विधि –
महाशिवरात्रि की पूजा के लिए, शिव भक्त भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग की पूजा करते हैं. पूजा के दौरान, भगवान शिव को जल, दूध, और फल चढ़ाए जाते हैं इसके अलावा, शिव भक्त भगवान शिव की आरती और मंत्रों का जाप करते हैं
महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर भूलकर से भी न चढ़ाएं ये फूल, नाराज हो जाएंगे शंकर
23 Feb, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है. यह दिन शिव भक्तों के लिए बेहद खास होता है. इस साल महाशिवरात्रि 26 फरवरी को है. माना जाता है कि भोलेनाथ बहुत सरल हैं और एक लोटा जल से भी प्रसन्न हो जाते हैं. वहीं, महादेव को कुछ फूल भी बहुत प्रिय हैं, लेकिन शास्त्रों में कुछ ऐसे फूल बताए गए हैं जो शिव शंकर को भूलकर भी नहीं चढ़ाने चाहिए.
भगवान विष्णु ने मानी शिव के सामने हार उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज ने बताया कि शिव पुराण के अनुसार, एक बार भगवान विष्णु और ब्रह्मा के बीच विवाद हुआ कि इनमें से सर्वश्रेष्ठ कौन है. विवाद इतना बढ़ गया कि बात भगवान शिव तक पहुंची, तब भोलेनाथ ने एक शिवलिंग की उत्पत्ति की और कहा कि जो इसका आदि और अंत खोज लेगा, वह सर्वश्रेष्ठ कहलाएगा. ऐसे में भगवान विष्णु ऊपर की ओर और ब्रह्मा जी नीचे की ओर बढ़ने लगे. बहुत खोजने के बाद जब भगवान विष्णु को शिवलिंग का अंत नहीं मिला, तो उन्होंने हार मान ली और भगवान शिव के आगे अपनी भूल स्वीकार की.
भगवान ब्रह्मा ने शिव से बोला झूठ
भगवान विष्णु के हार मानने के बाद ब्रह्मा जी शिव शंकर के पास पहुंचे. लाख कोशिशों के बाद भी ब्रह्मा जी को इस ज्योतिर्लिंग का अंत नहीं मिला, तो रास्ते में उन्हें केतकी का फूल मिला. ब्रह्मा जी ने उसे बहला-फुसलाकर झूठ बोलने के लिए मना लिया.
शिव शंकर ने दिया केतकी के फूल को श्राप
इसके बाद ब्रह्मा जी के कहने पर केतकी भगवान शिव शंकर के पास ब्रह्मा जी के साथ पहुंची. ब्रह्मा जी ने भगवान शिव से कहा कि उन्होंने अंत ढूंढ लिया है और इसका सबूत यह केतकी का फूल है. भगवान शिव को पता था कि वे झूठ बोल रहे हैं. केतकी के फूल के झूठ बोलने के बाद भगवान शिव ने क्रोधित होकर ब्रह्मा का पांचवां सिर काट दिया और केतकी के फूल को श्राप दिया कि उसका इस्तेमाल उनकी किसी भी पूजा में नहीं किया जाएगा, इसलिए भगवान शिव की पूजा में केतकी का फूल वर्जित है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
23 Feb, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- आशानुकूल सफलता का हर्ष, कार्यवृत्ति में सुधार तथा कार्य में ध्यान दें।
वृष राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, दैनिक कार्यगति अनुकूल बनेगी ध्यान दें।
मिथुन राशि :- इष्ट मित्र से हर्ष, दैनिक कार्यगति में सुधार, समय का ध्यान रखें।
कर्क राशि :- विशेष परिवर्तन स्थिगित रखें, प्रयास करने पर थोड़ी सफलता मिलेगी।
सिंह राशि :- सामाजिक कार्य में हर्ष-उल्लास, स्त्री वर्ग से सुख, भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी।
कन्या राशि :- आशानुकूल सफलता से हर्ष, कार्यवृत्ति में सुधार की मनोवृत्ति होगी।
तुला राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से उत्साहहीनता बनेगी, असमर्थता से असमंजस का वातावरण बनेगा।
वृश्चिक राशि :- इष्ट मित्रों से लाभ, बिगड़े कार्य बनेंगे, भाग्य प्रबल होगा, कार्य बनेंगे।
धनु राशि :- मनोवृत्ति संवेदनशील रहेगी, हर्ष-उल्लास का वातावरण रहेगा।
मकर राशि :- विशेष कार्य बिगड़ेंगे तथा किसी विवाद व झगड़े से बचें, कार्य करें।
कुंभ राशि :- अकारण ही मन उदासीन बना रहेगा, चिंता होगी, सफलता के साधन बनेंगे।
मीन राशि :- दैनिक कार्यगति अनुकूल, चिन्ता में कमी, धन प्राप्ति के साधन बनेंगे।
न धन की कमी-ना ही दरिद्रता का वास... एकादशी के दिन कर लें ये उपाय; घर में आएगी समृद्धि
22 Feb, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
साल भर में कुल 24 बार एकादशी का व्रत रखा जाता है. यानी कि हर महीने में दो एकादशी मनाई जाती है. हिंदू धर्म में एकादशी का महत्व बेहद खास होता है. अगर आप एकादशी के दिन व्रत रखते हैं और माता लक्ष्मी की पूजा अराधना करते हैं तो घर में कभी भी धन-धन की कमी नहीं होगी ना ही दरिद्रता वास करेगी. वही फाल्गुन मां की पहली एकादशी विजया एकादशी है. विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष विधि विधान के साथ पूजा आराधना करनी चाहिए. लेकिन एकादशी के दिन कुछ नियमों का पालन करना भी बेहद जरूरी हो जाता है अन्यथा माता लक्ष्मी रुष्ट भी हो सकती हैं. किन नियमों का पालन करना चाहिए जानते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य से?
क्या कहते है देवघर के ज्योतिषाचार्य :
फाल्गुन माह की पहली एकादशी यानी विजया एकादशी का व्रत 24 फरवरी को रखा जाएगा. एकादशी के दिन अगर भक्त व्रत रखकर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा आराधना करते हैं तो उन्हें हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी साथ ही शत्रु पर भी विजय प्राप्त कर सकेंगे. रोग बीमारी से भी मुक्ति मिलेगी और जीवन में सुख समृद्धि की वृद्धि होगी लेकिन कुछ ऐसी चीज हैं जो एकादशी के दिन बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए.
एकादशी के दिन किन गलतियों से बचना चाहिए:
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि हिंदू धर्म में बेहद नियम विधि के साथ कोई पूजा पाठ करना चाहिए. अभी उस पूजा का उत्तम फल की प्राप्ति होती है.
तुलसी को स्पर्श ना करे :
वही एकादशी के दिन भूलकर भी तुलसी को स्पर्श ना करें और ना ही तुलसी को जल चढ़ाएं. क्योंकि तुलसी माता लक्ष्मी का ही प्रतीक माना जाता है. ऐसा करने से माता लक्ष्मी रुष्ट हो सकती हैं.
चावल का सेवन ना करे :
एकादशी के दिन चावल का सेवन बिलकुल भी नहीं करना चाहिए.एकादशी के दिन चावल का सेवन करना अशुभ माना जाता है.
काले कपड़े ना पहनने :
एकादशी तिथि के दिन काले, नीले या गहरे कपड़े पहन कर पूजा पाठ बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए. इस दिन लाल या पीला वस्त्र पहन कर ही पूजा पाठ करें शुभ माना जाता है.