धर्म एवं ज्योतिष
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
4 Mar, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- प्रत्येक कार्य में बाधा, विलम्ब कष्टप्रद होगा, थकावट व बेचैनी बनेगी।
वृष राशि :- कुटुम्ब की समस्याओं में समय बीतेगा, धन का व्यय, चिन्ता बढ़ जायेगी।
मिथुन राशि :- स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास, प्रेम-प्रसंग सफलता से कार्य अनुकूल अवश्य होंगे।
कर्क राशि :- आर्थिक योजना पूर्ण होगी, भाग्य का सितारा प्रबल होगा, रुके कार्य बनेंगे।
सिंह राशि :- भाग्य की प्रबलता का लाभ लें, रुके कार्य समय पर पूर्ण करने का प्रयास करें।
कन्या राशि :- मान-प्रतिष्ठा, प्रभुत्व वृद्धि, नवीन योजना फलप्रद होगी, कार्य पर ध्यान दें।
तुला राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा, कार्यगति में सुधार होगा, विरोधी पराजित होंगे।
वृश्चिक राशि :- लेन-देन के कार्य में हानि होगी, विरोधी तत्वों से परेशानी अवश्य बनेगी।
धनु राशि :- दैनिक सफलता के साधन सम्पन्न होंगे, स्वाभाव में क्रोध व अशांति होगी।
मकर राशि :- दैनिक सम्पन्नता के साधन जुटायेंगे, आलस्य, प्रमाद से हानि होगी।
कुंभ राशि :- बिगड़े हुये कार्य बनेंगे, योजनायें फलीभूत होंगी, रुके कार्य बनेंगे।
मीन राशि :- स्त्री वर्ग से चिन्तायें कम होंगी, विशेष कार्य स्थगित रखें, समय का ध्यान रखें।
होली से पहले घर ले आएं ये 4 खास चीजें, घर से नकारात्मक ऊर्जा हमेशा के लिए होगी छूमंतर
3 Mar, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदु पंचांग के अनुसार होली का त्योहार फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इस साल 14 मार्च, शुक्रवार को होली खेली जाएगी और होलिका दहन इसके एक दिन पहले यानी 13 मार्च, गुरुवार के दिन किया जाएगा. रंगों के त्योहार होली की जितनी पौराणिक मान्यता है उतना ही वास्तु शास्त्र में भी इसका बहुत अधिक महत्व माना जाता है. वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर होली के पहले कुछ चीजें घर लाने से सालभर बरकत बनी रहती है और कभी भी धन-धान्य में कमी नहीं आती है.
वास्तुशास्त्र बताए गए कुछ विशेष चीजों को आप होलाष्टक से लेकर होली तक इन चीजों का घर लेकर आ सकते हैं. इससे ना सिर्फ आपका भाग्योदय होता है बल्कि आपके घर पर सदैव मां लक्ष्मी की कृपा भी बनी रहती है.
होली से पहले घर ले आएं ये चीजें
बांस का पौधा:
होली पर आप अपने घर में बैम्बू ट्री भी ला सकते हैं. वास्तु शास्त्र में बैम्बू ट्री या बांस के पौधे को सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि जिस घर में बांस के पौधे होते हैं वहां नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव नहीं होता और घर में सुख शांती बनी रहती है.
तोरण:
वास्तुशास्त्र के अनुसार, घर के मुख्य द्वार पर तोरण लगाने से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है. इसलिए होली पर्व से पहले अपने घर पर मुख्य द्वार पर तोरण लगाने से घर पर सकारात्मकता आती है और इस तोरण को शुभ दिन व त्योहार पर बांधने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में सदैव वास करती है.
चांदी का सिक्का:
होली पर आप चांदी का सिक्का भी घर में लेकर आ सकते हैं. इस चांदी के सिक्के की पूजा करें और फिर इसे लाल या पीले रंग के कपड़े में बांध दें. कपड़े में बंधे इस सिक्के को तिजोरी में रखने से आर्थिक परेशानी दूर होती है.
कछुआ:
कछुए को भगवत स्वरुप माना जाता है. माना जाता है कि अगर आप होली पर्व पर धातु से बना कछुआ घर में लाते हैं तो इससे मां लक्ष्मी की कृपा घर पर बनी रहती है. लेकिन ध्यान रखें कि कछुए की पीठ पर श्रीयंत्र या कुबेर यंत्र बना होना चाहिए.
हनुमान चालीसा के 11 पाठ करना ही क्यों शुभ? आंजन धाम के पुजारी ने बताई खास वजह
3 Mar, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मंगलवार और शनिवार का दिन प्रभु श्रीराम के सबसे प्रिय भक्त हनुमानजी को समर्पित होता है. इसलिए इन दोनों दिन हनुमानजी की विशेष पूजा की जाती है. हनुमान भक्त यूं तो रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं, लेकिन बहुत से भक्त ऐसे भी हैं जो मंगलवार या शनिवार को हनुमान चालीसा के 11 पाठ करते हैं. झारखंड के गुमला में स्थित आंजन धाम को भगवान हनुमान की जन्मस्थली माना जाता है.
आंजन धाम हनुमानजी के बाल स्वरूप की दुर्लभ प्रतिमा के लिए भी जाना जाता है, यहां हनुमानजी अपने बाल स्वरूप में माता अंजनी की गोद में विराजमान हैं, जो हनुमानजी की अति दुर्लभ प्रतिमा है. यह स्थान धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि मान्यता के अनुसार इसी पहाड़ की गुफा में माता अंजनी ने भगवान हनुमान को जन्म दिया था, इसलिए इस गांव का नाम माता अंजनी के नाम पर आंजन धाम पड़ा.
हनुमान पूजा में दो दिन खास
आंजन धाम के पुजारी केदारनाथ पांडे ने बताया कि मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्व है. ऐसा माना जाता है कि इन दो दिनों में सच्चे मन से पूजा करने पर बजरंगबली अपने भक्तों से प्रसन्न होते हैं. अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं और हनुमान जी अपने भक्तों की सभी संकटों को हरते हैं. सुख, शांति, समृद्धि प्रदान करते हैं.
इतनी बार करें चालीसा का पाठ
पुजारी जी ने बताया कि यदि आप भी हनुमानजी की कृपा पाना चाहते हैं तो कम से कम मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें. फिर आरती करें. वहीं, आप हनुमान चालीसा का पाठ अपनी क्षमता के अनुसार 7, 11, 21, 51 या 101 बार कर सकते हैं.
इसलिए 11 बार पाठ करना शुभ
आगे बताया, मान्यता के अनुसार, हनुमान जी शिव जी के 11वें अवतार हैं. हनुमानजी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो कम से कम 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें. उसके बाद आरती करें तो निश्चित ही हनुमान जी आपसे प्रसन्न होंगे. आप और आपके परिवार पर कृपा बरसाएंगे. इसलिए 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करना बेहद शुभ माना गया है.
पाठ के समय न करें ये गलती
हनुमान चालीसा पाठ करते समय बीच में बातचीत न करें या किसी को कुछ न बोलें. हड़बड़ी में जल्दी-जल्दी पाठ न करें. पाठ करने वाले को तामसिक चीजों से दूर रहना चाहिए. काले वस्त्र पहनकर हनुमान चालीसा का पाठ या पूजा न करें. मन में गलत भाव न लाएं.
सपने में मल दिखने के होते हैं ये 5 संकेत, कोई मालामाल तो कोई होता है कंगाल, क्या कहता है स्वप्न शास्त्र?
3 Mar, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर व्यक्ति सोते समय गहरी नींद में जाने के बाद कई तरह के सपने देखता है. स्वप्न शास्त्र मानता है कि व्यक्तियों को आने वाला हर सपना उसके आने वाले भविष्य को लेकर कुछ न कुछ संकेत जरूर देता है. कुछ सपने बेहद सुखद होते हैं और कुछ सपने काफी डरावने भी होते हैं. स्वप्न शास्त्र में हर आने वाले अच्छे और बुरे सपने के महत्व और उसके संकेत के बारे में बताया गया है. कभी-कभी हम सपने में बहुत ही बुरी चीजें भी देख लेते हैं. परंतु स्वप्न शास्त्र के अनुसार कुछ बुरे सपनों का अर्थ बहुत सकारात्मक और अच्छा परिणाम देने वाला होता है. आज हमें भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बता रहे हैं यदि सपने में आपको भी बुरी चीजें दिखाई दें तो इसका क्या अर्थ निकलता है.
1. यदि कोई व्यक्ति सपने में अपने आप को मल करते हुए देखता है तो स्वप्न शास्त्र मानता है कि यह उस व्यक्ति के लिए एक शुभ संकेत हो सकता है. ऐसा सपना आने का मतलब है कि आपको जल्द ही कहीं से धन प्राप्ति होने वाली है या फिर व्यापार के क्षेत्र में आपको काफी तरक्की मिलने वाली है.
2. सपने में यदि कोई व्यक्ति देखता है कि वह कहीं जा रहा है और उसका पैर किसी मल पर पड़ जाए. तो यह भी उसके लिए एक शुभ संकेत हो सकता है. स्वप्न शास्त्र के अनुसार यह सपना आने वाले भविष्य में धन प्राप्ति की ओर संकेत करता है.
3. स्प्न शास्त्र के अनुसार यदि सपने में आपको अपने चारों तरफ मल दिखाई देता है तो यह आपके लिए एक सुखद सपना है. इस प्रकार का सपना आने का मतलब है कि भविष्य में आपकी किस्मत के दरवाजे खुलने वाले हैं और आप जल्द ही अमीर होने वाले हैं.
4. यदि कोई व्यक्ति सपने में अपने आप को मल साफ करते हुए देखता है तो यह उस व्यक्ति के लिए एक अशुभ संकेत होता है. इस सपने का अर्थ होता है कि आने वाले भविष्य में आपको आर्थिक तंगी झेलनी पड़ सकती है. इसके अलावा आपका अपने खर्चों से भी नियंत्रण हट सकता है.
5. स्वप्न शास्त्र के अनुसार यदि सपने में आप खुद को मल खाते हुए देखते हैं तो यह एक अशुभ सपना होता है. स्वप्न शास्त्र मानता है कि ऐसा सपना आने का मतलब है कि भविष्य में आपको काफी दिक्कतें झेलनी पड़ सकती है. आपको अपने कार्य क्षेत्र में भी तरह तरह की समस्याओं से जूझना पड़ सकता है.
मथुरा, वृंदावन समेत पूरे ब्रज में होली की धूम, जानें ब्रज में किस दिन मनाई जाएगी कौन सी होली
3 Mar, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कान्हा की नगरी ब्रज में होली का खास अंदाज देखने को मिलता है, जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है. ब्रज में होली की शुरुआत बसंत पंचमी से हो जाती है, जो 40 दिन तक चलती है. बसंत पंचमी के दिन वृंदावन के ठाकुर बांके बिहारी मंदिर में सुबह श्रृंगार आरती के बाद भगवान के गालों पर गुलाल लगया जाता है. इसके बाद प्रसाद के रूप में गुलाल भक्तों पर डाला जाता है और इसी के साथ ब्रज की होली का महोत्सव का शुभारंभ भी हो जाता है. ब्रज की होली में शामिल होने के लिए देश-विदेश से हजारों की संख्या में लोग ब्रज आते हैं और हर दिन होली का आनंद लेते हैं. अगर आप भी विश्व प्रसिद्ध होली का आनंद लेना चाहते हैं
पूरे विश्व में प्रसिद्ध है ब्रज की होली
साल 2025 में होलिका दहन 13 मार्च की रात को होगा और अगले दिन यानी 14 मार्च को रंगों वाली होली खेली जाएगी. हर वर्ष फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होलिका दहन किया जाता है और उसके अगले दिन धुल्हेड़ी होगी. ब्रज में होली की शुरुआत बांके बिहारी मंदिर से होती है और समापन रंगनाथ मंदिर से होता है. अपनी अनूठी परंपरा को लेकर देश-दुनिया में विशेष पहचान रखने वाली होली का आनंद लेने के लिए देश से ही नहीं बल्कि सात समंदर पार से भी लोग इस उत्सव को देखने और शामिल होने के लिए आते हैं. ब्रज की होली में होली गीत, पद गयान की प्राचीन परंपरा है, जिसे समाज गायन भी कहा जाता है.
ब्रज में 40 दिन तक मनाया जाता है होलिका महोत्सव
ब्रज में होली का उत्सव आज से नहीं बल्कि द्वापर युग से मनाया जा रहा है. इस होली की शुरुआत बसंत पंचमी से हो जाती है और अगले 40 दिन तक होलिका महोत्सव मनाया जाता है. बसंत पंचमी के दिन होलिका दहन के स्थलों पर होली का ढांड़ा गाड़े जाने की परंपरा होती है. इसके बाद फाल्गुन पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है और रंगों की होली मनाई जाती है. होली पर एक दूसरे को गुलाल लगाकर गले मिलते हैं और होली की शुभकामनाएं देते हैं. आइए यहां जानते हैं साल 2025 में मथुरा, वृंदावन, गोकुल, बरसाना समेत पूरे ब्रज में किस दिन कौन सी होली मनाई जाएगी.
ब्रज में होली 2025 के मुख्य कार्यक्रम
3 फरवरी 2025 को बसंत पंचमी पर होली ध्वजारोहण
7 मार्च को नंदगांव और बरसाना में फाग आमंत्रण दिया जाएगा और शाम के समय लाडलीजी के मंदिर में लड्डूमार होली के उत्सव का आयोजित किया जाएगा.
8 मार्च को बरसाने में रंगीली गली में लट्ठमार होली का उत्सव मनाया जाएगा
9 मार्च को नंदगांव में लट्ठमार होली का उत्सव मनाया जाएगा
10 मार्च को बांके बिहारी मंदिर में फूलों की होली खेली जाएगी
10 मार्च को कृष्ण जन्मभूमि पर हुरंगा आयोजित किया जाएगा
11 मार्च को गोकुल के रमणरेती और द्वारकाधीश मंदिर में होली खेली जाएगी
12 मार्च को वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में होली का उत्सव मनाया जाएगा
13 मार्च को होलिका दहन किया जाएगा
14 मार्च को पूरे ब्रज में होली का उत्सव मनाया जाएगा
होली के बाद ब्रज में यहां होगा रंगोत्सव
15 मार्च को बलदेव के दाऊजी मंदिर में हुरंगा खेला जाएगा
16 मार्च को नंदगांव में हुरंगा खेला जाएगा
17 मार्च को जाव गांव में पारंपरिक हुरंगा खेला जाएगा
18 मार्च को मुखरई में चरकुला नृत्य का आयोजन किया जाएगा
22 मार्च को वृंदावन के रंगनाथ मंदिर में होली का उत्सव मनाया जाएगा और इसी के साथ 40 दिन तक चलने वाला होली महोत्सव का समापन हो जाएगा
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
3 Mar, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- विशेष कार्य स्थिगित रखें, लेन-देन के मामले में हानि तथा चिन्ता होगी।
वृष राशि :- विवादग्रस्त होने से बचें, क्लेश होगा, हानि होने की संभावना ध्यान दें।
मिथुन राशि :- व्यग्रता असमंजस में रखे, विषय व्यवस्था से बचने की चेष्ठा अवश्य करेंगे।
कर्क राशि :- स्त्री भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति तथा सुख-समृद्धि के साधन अवश्य बनेंगे।
सिंह राशि :- समय और धन नष्ट न हो, क्लशे व अशांति, विघटनकारी तत्व परेशान करेंगे।
कन्या राशि :- नवीन योजना फलप्रद होगी, भावनायें संवेदनशील बनी रहेंगी ध्यान दें।
तुला राशि :- धन के व्यर्थ व्यय से बचें, कार्य कुशलता से संतोष होगा, मनोबल बढ़ेगा।
वृश्चिक राशि :- भाग्य का सितारा साथ देगा, समय अनुकूल नहीं कार्य स्थिगित रखें।
धनु राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा, व्यवसायिक क्षमता में वृद्धि होगी।
मकर राशि :- मान-प्रतिष्ठा बाल-बाल बचे, कार्य कुशलता से संतोष होगा।
कुंभ राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे तथा भाग्य का सितारा प्रबल अवश्य होगा।
मीन राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा तथा कार्य कुशलता से संतोष बना रहेगा।
नकारात्मक ऊर्जा या नजर, हर संकट से बाहर निकाल देगा यह उपाय! चल पड़ेगा बंद व्यापार
2 Mar, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर व्यक्ति अपने जीवन में कठिनाइयां परेशानियां नजर दोष आदि से परेशान है उसे लगता है कि उसके ऊपर किसी ने कुछ कर दिया है जिसकी वजह से वह अपने जिगर जीवन में प्रगति नहीं कर पा रहा है उसके बनते हुए कार्य बिगड़ते जा रहे हैं. भूत प्रेत बढ़ाओ जादू टोना आदि की प्रभाव से अच्छे खासे लोगों के जीवन में दुख भरा जाता है ज्योतिष शास्त्र और शाबर ग्रंथों में इन वाधाओं से मुक्ति के लिए अनेक उपाय बताए गए हैं. जब भी हम पूजन आदि धार्मिक कार्य करते हैं वह आसुरी शक्तियां अवश्य अपना प्रभाव दिखाती है. इसलिये इन उपायों को करते समय हमें सावधानी रखनी चाहिए.
अशोक के वृक्ष के सात पत्ते मंदिर में रखकर पूजा करें. उनके सूखने पर फिर से नए पत्ते रखें एवं पुराने पत्तों को पीपल के पेड़ के नीचे रख दें. यह क्रिया नियमित रूप से करें घर पर भूत प्रेत, बाधा, नजर दोष आदि से छुटकारा मिल जाएगा.
एक कटोरी चावल का दान रोज करें और भगवान श्री गणेश को एक साबूत सुपारी रोज चढ़ाएं. यह क्रिया एक वर्ष तक करें. नजर दोष, भूत प्रेत बाधा आदि के कारण वाधित हो रहे कोई भी कार्य पूरे होना शुरू हो जाएंगे.
किसी भी टोना टोटका या किसी भी वाधा को काटने के लिये अपने बाएं हाथ में पीली सरसों या चावल लेकर दाहिने हाथ से ढक देना चाहिए. उसे अपनी रक्षा की कामना करते हुए सभी दिशाओं में गोल-गोल घूमाते हुए उछालते हुए फेंक देना चाहिए.
यदि आपको लगता है कि ऑफिस या व्यवसाय स्थल पर आपके लिए किसी ने बंधन कर दिया है.जिसकी वजह से आपकी नौकरी और व्यापार आदि में दिक्कत है आ रही है. आप इस बंधन को खोलने के लिए नियमित रूप से ऑफिस और व्यवसाय स्थल पर दीप जलाकर पूजा करें एवं एक मुट्ठी नमक पूजा स्थल से बार कर दरवाजे के बाहर फेंक दें. अपनी दुकान अथवा व्यवसाय स्थल पर शाम को नित्य रूप से नमक छिड़क कर झाड़ू से साफ कर दें. इसके अलावा यदि आप हिंदू है तो गूगल की धूप दें. यदि आप मुस्लिम है तो लोबान की धूप दें इससे आपकी समस्या खत्म हो जाएगी.
खरमास कब से लग रहा है? एक महीने तक नहीं होंगे शुभ कार्य, जानें कब होगा समापन
2 Mar, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
खरमास यानि कि अशुभ मास या महीना. खरमास के समय में कोई भी शुभ कार्य नहीं करते हैं क्योंकि इसमें सूर्य की प्रभाव कम हो जाता है. ज्योतिष गणना के अनुसार, सूर्य देव जब भी देव गुरु बृहस्पति की राशि धनु और मीन में गोचर करते हैं तो उस समय खरमास लगता है. यह पूरे एक महीने चलता है. एक साल में 2 बार खरमास लगता है. अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार, एक खरमास मार्च से अप्रैल के बीच लगता है, तो दूसरा खरमास दिसंबर से जनवरी के बीच लगता है. तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से जानते हैं कि मार्च 2025 में खरमास कब लग रहा है? खरमास का समापन कब होगा?
2025 में खरमास कब से है?
इस साल 2025 में खरमास का प्रारंभ मीन संक्रांति के दिन से होगा. पंचांग के अनुसार, सूर्य देव 14 मार्च को शाम में 6 बजकर 59 मिनट पर मीन राशि में गोचर करेंगे. यह सूर्य की मीन संक्रांति होगी. सूर्य के मीन में प्रवेश करते ही खरमास का प्रारंभ हो जाएगा. इस आधार पर हम कह सकते हैं कि मार्च 2025 में खरमास 14 मार्च से लग रहा है. उस दिन होली भी है. होली से खरमास शुरू हो रहा है.
फाल्गुन पूर्णिमा पर खरमास
इस साल खरमास के पहले दिन फाल्गुन पूर्णिमा तिथि है. उस दिन पूर्णिमा का स्नान और दान होगा. लोगों के मन में सवाल होगा कि खरमास में शुभ कार्य नहीं करते हैं तो फिर स्नान, दान और पूजा पाठ कैसे होगा? आपको बता दें कि खरमास में स्नान, दान, पूजा पाठ आदि पर कोई रोक नहीं होता है.
खरमास कब खत्म होगा 2025?
14 मार्च को लगने वाला खरमास मेष संक्रांति के दिन खत्म होगा. सूर्य देव जब मीन राशि से निकलकर मेष राशि में गोचर करेंगे, उस समय सूर्य की मेष संक्रांति होगी. पंचांग के अनुसार, इस साल 14 अप्रैल 2025 को सूर्य देव मेष राशि में तड़के 03 बजकर 30 मिनट पर गोचर करेंगे, उस समय मेष संक्रांति होगी.
इस तरह से देखा जाए तो मार्च 2025 का खरमास 14 अप्रैल को खत्म होगा. खरमास के समापन दिन हिंदू कैलेंडर का दूसरा माह वैशाख शुरू होगा. उस दिन वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि होगी.
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खरमास में क्या न करें?
1. खरमास के समय में विवाह, सगाई, मुंडन, उपनयन संस्कार आदि जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं.
2. खरमास के वक्त बेटी या बहू की विदाई नहीं की जाती है.
3. खरमास के समय में कोई भी नए काम की शुरूआत नहीं करते हैं. जैसे नया बिजनेस या नए मकान की शुरुआत नहीं करते हैं.
4. खरमास में गृह प्रवेश करना भी अशुभ माना जाता है.
5. पूरे खरमास में प्याज, लहसुन, मांस, मछली, शराब आदि जैसी तामसिक चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए.
अशुभ होलाष्टक भी देगा बरकत! होली के 8 दिन पहले मन से शुरू करें ये काम, फिर देखें
2 Mar, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मार्च की शुरुआत के साथ होली की तैयारियां भी घरों में शुरू हो गई हैं. इस पर्व का लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है. लेकिन, होली से आठ दिन पहले होलाष्टक भी शुरू हो जाता है. होलाष्टक को अशुभ माना गया है. इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही है. इस बार होलाष्टक कब से शुरू होगा? कब खत्म होगा? और इस दौरान कौन से शुभ कार्य नहीं करने चाहिए? उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज ने बताया.
कब से लग रहा होलाष्टक
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार होलाष्टक की शुरुआत 7 मार्च से हो रही है. वहीं, इसका समापन होलिका दहन के एक दिन पहले यानी 13 मार्च 2025 को होगा. इसके अगले दिन यानी 14 मार्च को देशभर में होली का पर्व मनाया जाएगा.
होलाष्टक में ये काम न करें
मार्च की शुरुआत के साथ होली की तैयारियां भी घरों में शुरू हो गई हैं. इस पर्व का लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है. लेकिन, होली से आठ दिन पहले होलाष्टक भी शुरू हो जाता है. होलाष्टक को अशुभ माना गया है. इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही है. इस बार होलाष्टक कब से शुरू होगा? कब खत्म होगा? और इस दौरान कौन से शुभ कार्य नहीं करने चाहिए? उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज ने बताया.
कब से लग रहा होलाष्टक
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार होलाष्टक की शुरुआत 7 मार्च से हो रही है. वहीं, इसका समापन होलिका दहन के एक दिन पहले यानी 13 मार्च 2025 को होगा. इसके अगले दिन यानी 14 मार्च को देशभर में होली का पर्व मनाया जाएगा.
इस बार 8 दिन की नवरात्रि! हाथी पर आएंगी भगवती..हाथी पर ही जाएंगी, इन घटनाओं से मिल रहे ये संकेत
2 Mar, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चैत्र नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के 9 रूपों की विशेष पूजा का विधान है. हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से चैत्र नवरात्र की शुरुआत होती है, जो की साल 30 मार्च से होगी. 30 मार्च को रविवार है. वहीं, नवरात्रि का समापन 6 अप्रैल को रामनवमी के दिन बताया जा रहा है और इस दिन भी रविवार है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, माता के आगमन-प्रस्थान के दिन से सवारी तय होती है.
इस बार शुरुआत-समापन का दिन रविवार ही है, तो माता की सवारी हाथी होगा. ऐसे में चैत्र नवरात्रि में मां हाथी पर ही आएंगी और हाथी पर ही जाएंगी. वहीं 30 मार्च से 6 अप्रैल तक 8 दिन ही हो रहे हैं. इस लिहाज से चैत्र नवरात्रि 8 दिनों की हुई. तो आठ दिन की नवरात्रि और माता की हाथी की सवारी का क्या संकेत है, इस पर उज्जैन के आचार्य आनंद भारद्वाज ने विस्तार से बताया.
कब शुरू होगी चैत्र नवरात्रि
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 29 मार्च 2025 को शाम 04 बजकर 27 मिनट पर होगी. ये अगले दिन 30 मार्च 2025 को दोपहर 12 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 30 मार्च 2025 को दिन रविवार से चैत्र नवरात्रि शुरू हो होंगे.
घट स्थापना शुभ मुहूर्त
शास्त्रों के अनुसार, नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना करने की परंपरा है. घट स्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करनी चाहिए. इस साल चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 29 मार्च शाम 04 बजकर 27 मिनट से होने वाली है और समापन अगले दिन 30 मार्च दोपहर 12 बजकर 40 मिनट पर होगा. वहीं, कलश स्थापना 30 मार्च को दोपहर 12 बजकर 40 मिनट से पहले कर लें तो शुभ रहने वाला है. वैसे 30 मार्च सुबह 6 बजकर 22 मिनट से लेकर 10 बजकर 39 तक कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है.
माता की सवारी दे रही शुभ संकेत
इस बार नवरात्रि का आरंभ और समापन दोनों रविवार को हो रहा है, जिससे मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी. इसी पर प्रस्थान करेंगी. हाथी पर माता का आगमन बेहद शुभ माना जाता है, जो अच्छे वर्षा चक्र, समृद्धि और खुशहाली का संकेत देता है. मान्यता है कि देवी की सवारी से आने वाले समय की स्थिति का अंदाजा लगाया जाता है, जिसमें प्रकृति, कृषि और समाज पर पड़ने वाले प्रभाव शामिल होते है. इस बार हाथी पर माता के आने से पूरा साल बेहद शुभ होने वाला है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
2 Mar, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- मान-प्रतिष्ठा बाल-बाल बचे, कार्य व्यवसाय गति उत्तम, स्त्री वर्ग से क्लेश होगा।
वृष राशि :- धन प्राप्ति के योग बनेंगे, नवीन मैत्री-मंत्रणा प्राप्त होगी ध्यान अवश्य दें।
मिथुन राशि :- इष्ट मित्र सहायक रहेंगे, व्यवसाय क्षमता में वृद्धि होगी तथा कार्य बनेंगे।
कर्क राशि :- सामाजिक कार्य में प्रतिष्ठा, कार्य कुशलता से संतोष तथा रुके कार्य बनेंगे।
सिंह राशि :- परिश्रम से समय पर सोचे कार्य पूर्ण होंगे, व्यवसाय गति उत्तम होगी।
कन्या राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा, कार्य कुशलता से संतोष होगा।
तुला राशि :- दैनिक व्यवसाय गति उत्तम, कार्यगति उत्तम बनेगी, चिन्तायें कम होंगी।
वृश्चिक राशि :- कार्यवृत्ति में सुधार होगा, असमंजस तथा सफलता के कार्य अवश्य बनेंगे।
धनु राशि :- स्थिति अनियंत्रित रहेगी, सफलता के लिये परिश्रम करें, कार्य नियंत्रण से लाभ होगा।
मकर राशि :- मानसिक खिन्नता तथा स्वाभाव में उद्विघ्नता अवश्य होगी, कार्य करें।
कुंभ राशि :- कार्य योजना फलीभूत होगी, विघटनकारी तत्व परेशान करेंगे, कार्य समय पर करें।
मीन राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा, कार्य कुशलता से संतोष अवश्य होगा।
होली पर चंद्र ग्रहण का साया... क्या रंगों के खेल में पड़ेगा खलल?
1 Mar, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वैदिक पंचांग के अनुसार होली का पर्व हर साल फाल्गुन पूर्णिमा के अगले दिन मनाया जाता है. जबकि फाल्गुन पूर्णिमा की रात्रि में होलिका दहन किया जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार होली के दिन साल का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने जा रहा है. गौरतलब है कि ग्रहण के दौरान शुभ काम से परहेज किया जाता है.
ज्योतिष गणना के अनुसार चंद्र ग्रहण हमेशा पूर्णिमा पर ही लगता है. चंद्र ग्रहण के दिन होली का पर्व भी मनाया जाएगा. ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल है कि रंग और गुलाल कैसे और कब खेला जाएगा? गौरतलब है कि हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार ग्रहण के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता.
फाल्गुन पूर्णिमा 13 मार्च सुबह 10 बजकर 35 मिनट शुरू होगी और 14 मार्च दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसी स्थिति में होलिका दहन 13 मार्च की रात्रि को मनाई जाएगी.
जबकि साल का पहला चंद्र ग्रहण 14 मार्च को लगने जा रहा है. चंद्र ग्रहण का समय सुबह 09 बजकर 29 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 29 मिनट तक है. चंद्र ग्रहण के 9 घंटे पहले सूतक काल लगता है. सूतक के दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता.
ज्योतिष गणना के अनुसार 2025 का पहला चंद्र ग्रहण भारत में तो नहीं दिखाई देगा. ऐसी स्थिति में यहां पर न तो चंद्र ग्रहण का कोई प्रभाव रहेगा और न ही सूतक काल मान्य होगा. ऐसी स्थिति में इस बार की होली पर चंद्र ग्रहण का साया भारत में नहीं रहेगा. होली के दिन लोग रंग-गुलाल एक दूसरे को लगा सकते हैं.
2025 का पहला सूर्य ग्रहण कब लगेगा? 100 साल बाद बन रहा दुर्लभ योग, इन 4 राशियों की बदलेगी किस्मत
1 Mar, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, समय समय पर कुछ ऐसे ग्रह नक्षत्र का अद्भुत संयोग देखने को मिलता है, जो शतकों बाद होता है और उसका असर मानव जीवन के साथ ही सभी राशियों के ऊपर पड़ता है.
मार्च के महीने में कई बड़े ग्रह अपना राशि परिवर्तन करने वाले हैं. उनमें से सबसे क्रूर ग्रह से एक शनि ग्रह भी शामिल हैं. मार्च के महीने में ही शनि भी अपना राशि परिवर्तन करेंगे, जिसका प्रभाव 12 राशियों के ऊपर पड़ेगा. किसी राशि के ऊपर सकारात्मक तो किसी राशि के ऊपर नकारात्मक.
कहा कि करीब 100 साल के बाद ऐसा देखने को मिल रहा है कि जिस दिन शनि अपना राशि परिवर्तन करेंगे उसी दिन ग्रहण योग भी लगने जा रहा है.
जी हां 29 मार्च को शनि कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में गोचर करने वाले हैं. उसी दिन साल का पहला आशिक सूर्य ग्रहण भी लगने जा रहा है. एक ही दिन शनि के राशि परिवर्तन करने से और सूर्य ग्रहण लगने से चार राशि के जीवन में कुछ नहीं बदलाव हो सकते हैं. वह चार राशि है मिथुन, कर्क, धुन और मकर.
मेष राशि के ऊपर सूर्य ग्रहण और शनि के राशि परिवर्तन का प्रभाव सकारात्मक पड़ने वाला है. आर्थिक तंगी दूर होगी, आकस्मिक धन लाभ का योग है. युवा जातक जो भी मेहनत करेंगे उनका सकारात्मक परिणाम मिल सकता है. जो छात्र प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करते हैं, उनके लिए सफलता का योग होगा.
कर्क राशि जातक के ऊपर सूर्य ग्रहण और शनि की राशि परिवर्तन का सकारात्मक प्रभाव पड़ने वाला है. कर्क राशि की किस्मत तारों की तरह चमकने वाली है. सबसे पहले शनि की कुदृष्टि से मुक्ति मिलने वाली है. हर कार्य में सफलता हासिल होगी. मानसिक तनाव समाप्त होगा. कार्यक्षेत्र में कार्य को लेकर प्रशंसा होगी. वैवाहिक जीवन भी सुखमय रहेगा.
वृश्चिक राशि जातक के ऊपर सूर्य ग्रहण और शनि की राशि परिवर्तन का सकारात्मक प्रभाव पड़ने वाला है. पैतृक संपत्ति के मामले सुलझेंगे. जमीन, प्रॉपर्टी, वाहन इत्यादि खरीदने का योग बनेगा. अगर आप नए व्यापार की शुरुआत करना चाहते हैं तो समय बिल्कुल अनुकूल रहने वाला है. नौकरी में प्रमोशन और वेतन वृद्धि का भी योग बन सकता है. आकस्मिक धन लाभ का भी योग बन सकता है.
धनु राशि जातक के ऊपर सूर्य ग्रहण और शनि की राशि परिवर्तन का सकारात्मक प्रभाव पड़ने वाला है. नौकरीपेशा जातक लोगों को नई जिम्मेदारी मिल सकती है. विदेश यात्रा का सपना देखने वाले जातकों का सपना पूरा हो सकता है. नए व्यापार का आरंभ कर सकते हैं. आर्थिक स्थिति मजबूत होगी. आय के नए-नए स्रोत प्राप्त होंगे.
कौन थे बाल ब्रह्मचारी हनुमान जी के पुत्र? कैसे हुआ उनका जन्म
1 Mar, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पवनपुत्र हनुमान बाल-ब्रह्मचारी थे. लेकिन मकरध्वज को उनका पुत्र कहा जाता है. यह कथा उसी मकरध्वज की है. वाल्मीकि रामायण के अनुसार, लंका जलाते समय आग की तपिश के कारण हनुमानजी को बहुत पसीना आ रहा था. इसलिए लंका दहन के बाद जब उन्होंने अपनी पूंछ में लगी आग को बुझाने के लिए समुद्र में छलांग लगाई तो उनके शरीर से पसीने के एक बड़ी-सी बूंद समुद्र में गिर पड़ी. उस समय एक बड़ी मछली ने भोजन समझ वह बूंद निगल ली. उसके उदर में जाकर वह बूंद एक शरीर में बदल गई.
मकरध्वज बने पाताल रक्षक : एक दिन पाताल के असुरराज अहिरावण के सेवकों ने उस मछली को पकड़ लिया. जब वे उसका पेट चीर रहे थे तो उसमें से वानर की आकृति का एक मनुष्य निकला. वे उसे अहिरावण के पास ले गए. अहिरावण ने उसे पाताल पुरी का रक्षक नियुक्त कर दिया. यही वानर हनुमान पुत्र मकरध्वज के नाम से प्रसिद्ध हुआ.
राम और लक्ष्मण का हुआ अपहरण : जब राम-रावण युद्ध हो रहा था, तब रावण की आज्ञानुसार अहिरावण राम-लक्ष्मण का अपहरण कर उन्हें पाताल पुरी ले गया. उनके अपहरण से वानर सेना भयभीत व शोकाकुल हो गयी. लेकिन विभीषण ने यह भेद हनुमान के समक्ष प्रकट कर दिया. तब राम-लक्ष्मण की सहायता के लिए हनुमानजी पाताल पुरी पहुंचे. जब उन्होंने पाताल के द्वार पर एक वानर को देखा तो वे आश्चर्यचकित हो गए. उन्होंने मकरध्वज से उसका परिचय पूछा. मकरध्वज अपना परिचय देते हुआ बोला मैं हनुमान पुत्र मकरध्वज हूं और पातालपुरी का द्वारपाल हूं.
हनुमान जी के पुत्र ने किया खुलासा : मकरध्वज की बात सुनकर हनुमान क्रोधित होकर बोले यह तुम क्या कह रहे हो? दुष्ट! मैं बाल ब्रह्मचारी हूं. फिर भला तुम मेरे पुत्र कैसे हो सकते हो?” हनुमान का परिचय पाते ही मकरध्वज उनके चरणों में गिर गया और उन्हें प्रणाम कर अपनी उत्पत्ति की कथा सुनाई. हनुमानजी ने भी मान लिया कि वह उनका ही पुत्र है.लेकिन यह कहकर कि वे अभी अपने श्रीराम और लक्ष्मण को लेने आए हैं, जैसे ही द्वार की ओर बढ़े वैसे ही मकरध्वज उनका मार्ग रोकते हुए बोला- “पिताश्री! यह सत्य है कि मैं आपका पुत्र हूं लेकिन अभी मैं अपने स्वामी की सेवा में हूं इसलिए आप अन्दर नहीं जा सकते.”
पिता पुत्र में हुआ भीषण युद्ध : हनुमान ने मकरध्वज को अनेक प्रकार से समझाने का प्रयास किया, किंतु वह द्वार से नहीं हटा. तब दोनों में घोर य़ुद्ध शुरु हो गया. देखते-ही-देखते हनुमानजी उसे अपनी पूंछ में बांधकर पाताल में प्रवेश कर गए. हनुमान सीधे देवी मंदिर में पहुंचे जहां अहिरावण राम-लक्ष्मण की बलि देने वाला था. हनुमानजी को देखकर चामुंडा देवी पाताल लोक से प्रस्थान कर गईं. तब हनुमानजी देवी-रूप धारण करके वहां स्थापित हो गए.
अहिरावण का हुआ वध : कुछ देर के बाद अहिरावण वहां आया और पूजा अर्चना करके जैसे ही उसने राम-लक्ष्मण की बलि देने के लिए तलवार उठाई, वैसे ही भयंकर गर्जन करते हुए हनुमानजी प्रकट हो गए और उसी तलवार से अहिरावण का वध कर दिया. उन्होंने राम-लक्ष्मण को बंधन मुक्त किया. तब श्रीराम ने पूछा-“हनुमान! तुम्हारी पूंछ में यह कौन बंधा है? बिल्कुल तुम्हारे समान ही लग रहा है. इसे खोल दो. हनुमान ने मकरध्वज का परिचय देकर उसे बंधन मुक्त कर दिया.
मकरध्वज बने पाताल के राजा : मकरध्वज ने श्रीराम के समक्ष सिर झुका लिया. तब श्रीराम ने मकरध्वज का राज्याभिषेक कर उसे पाताल का राजा घोषित कर दिया और कहा कि भविष्य में वह अपने पिता के समान दूसरों की सेवा करे. यह सुनकर मकरध्वज ने तीनों को प्रणाम किया. तीनों उसे आशीर्वाद देकर वहां से प्रस्थान कर गए. इस प्रकार मकरध्वज हनुमान पुत्र कहलाए.
कब से लग रहा है होलाष्टक? भूलकर भी न करें ये शुभ काम...अर्थ का हो जाएगा अनर्थ!
1 Mar, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
होली का पर्व लोग उत्साह से मनाते हैं. इस पर्व का लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है. लेकिन, होली से आठ दिन पहले होलाष्टक भी शुरू हो जाता है. होलाष्टक को अशुभ माना गया है. इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है. इस बार बार यह होलास्टक कब से शुरू और कब खत्म हो रहा है.
कब से लग रहा है होलास्टक
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस बार होलाष्टक की शुरुआत 07 मार्च से हो रही है.वहीं, इसका समापन होलिका दहन के दिन पहले यानी 13 मार्च 2025 को होगा.इसके अगले दिन यानी 14 मार्च को देशभर में होली का पर्व मनाया जाएगा.
कब है मनाई जाएगी होली
वैदिक पंचांग के अनुसार होलिका दहन पूर्णिमा को किया जाता है. इस साल होलिका दहन 13 मार्च की रात्रि में किया जाएगा. फाल्गुन पूर्णिमा तिथि 13 मार्च को सुबह 10 बजकर 35 मिनट से शुरू होकर 14 मार्च को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगी. ऐसे में 13 मार्च को होलिका दहन होगा और 14 मार्च को होली का पर्व देशभर में मनाया जाएगा. हालांकि इस बार होली पर भद्रा का भी साया माना जा रहा है.
होलाष्टक के दौरान क्यों नहीं करते शुभ कार्य
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, होलाष्टक के समय ग्रह अशुभ माने जाते हैं. इस समय ग्रहों की स्थिति शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं मानी जाता है.इस दौरान किए गए कार्य केवल बाधाएं उत्पन्न करते हैं. इसलिए होलाष्टक के दौरान कोई भी शुभ कार्य करना निषिद्ध है.
होलाष्टक के दौरान कौन से कार्य वर्जित
होलाष्टक के दौरान शादी, मुंडन, गृह प्रवेश, बच्चे का नामकरण आदि जैसे मांगलिक और शुभ कार्यों को करने से बचना चाहिए.होलाष्टक में घर का निर्माण या गृह प्रवेश नहीं किया जाता है. अगर आप नए घर में प्रवेश करने की सोच रहे हैं तो इसे होलाष्टक के बाद करें. होलाष्टक के दौरान सोना-चांदी, वाहन आदि खरीदने की मनाही होती है.और होलाष्टक के दौरान किसी भी नए व्यापार या काम की शुरुआत से बचना चाहिए. अगर आप ऐसा करते हैं तो इससे आपके काम में रुकावटें आ सकती हैं.होलाष्टक के दौरान शादी, मुंडन, छेदन जैसे संस्कारों से बचना चाहिए.