धर्म एवं ज्योतिष
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
14 Mar, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्य व्यवसाय में विचलित होंगे, स्त्री शरीर कष्ट, मानसिक बेचैनी बनेगी।
वृष राशि :- आकस्मिक बेचैनी, स्वभाव में खिन्नता, थकावट, असमंजस व अस्थिरता की स्थिति बनेगी।
मिथुन राशि :- अकारण बेचैनी, शरीर कष्ट, चोट-चपेट व कष्टप्रद स्थिति बनेगी, धैर्य रखें।
कर्क राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता से लाभ होगा, बिगड़े कार्य बनेंगे ध्यान दें।
सिंह राशि :- मन में बेचैनी, धन लाभ, आशानुकूल सफलता से लाभ होगा, समय का ध्यान रखें।
कन्या राशि :- अर्थलाभ कुटुम्ब की समस्यायें अवश्य ही सुलझेंगी, स्त्री कार्य से हर्ष होगा।
तुला राशि :- विरोधी परेशान करेंगे, प्रतिष्ठा पर आंच आने का भय सावधान रहें, मानसिक तनाव।
वृश्चिक राशि :- कार्यवृत्ति में सुधार, प्रगति की ओर बढ़ेंगे, मित्रों के सहयोग से कार्य होंगे।
धनु राशि :- अधिकारियों से तनाव व क्लेश, मान-प्रतिष्ठा बाल-बाल बचे, रुके कार्य बनेंगे।
मकर राशि :- चिन्तायें कम होंगी, सफलता के साधन जुटायें, कार्य अवश्य ही होंगे।
कुंभ राशि :- आर्थिक परेशानी हो सकती है, कार्यवृत्ति में सुधार होगा, समय का ध्यान रखें।
मीन राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, आर्थिक योजना पूर्ण होगी, समय पर कार्य करें।
होली को लेकर नई दुल्हन के लिए क्या हैं नियम
13 Mar, 2025 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
होली हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो खुशियों, रंगों और भाईचारे का प्रतीक है। इस दिन का इंतजार सभी लोग को रहता है। हिंदू धर्म में सभी त्यौहारों से जुड़ी बहुत सी मान्यताएं और परंपराएं होती। इसी तरह होली की एक मान्यता नई-नवेली दुल्हन से भी जुड़ी हुई है। हिंदु मान्यता के अनुसार, शादी के बाद नई दुल्हन की पहली होली अपने ससुराल में नहीं मानना चाहिए, बल्कि अपने मायके में ही मनानी चाहिए। ऐसा क्यों किया जाता हैं, हम आपकों इस रिपोर्ट में दे रहे जानकारी।
होली या होलिका दहन के समय सास-बहू का साथ में रहना सही नहीं माना जाता है। बताया जाता हैं कि नई दुल्हन को हमेशा अपनी पहली होली अपने मायका में बनाना चाहिए। मान्यता के अनुसार जब सास -बहू साथ में होलिका दहन देखती हैं या होली के दिन साथ में रंग खेलती है, तब घर में लड़ाई झगड़े की शुरुआत होती है। इससे घर का माहौल बहुत खराब हो सकता है और घर में हमेशा अशांति रहती है।
जब नई दुल्हन अपने मायका होली मनाती है, तब पति भी उनके साथ उनके घरवालों को होली की शुभकामनाएं देने जाता है। जिसके कारण पति पत्नी के बीच और प्यार बढ़ जाता हैं और सबके साथ रिश्ते भी मजबूत होते है।
कुछ लोगों का मानना है कि जब नई दुल्हन अपनी पहली होली अपने घर मनाने जाती है, तब उनकी संतान बहुत सुंदर और सुशील होती है। जो उनके भविष्य के लिए बहुत अच्छा है।
नई दुल्हन को पहली होली अपने मायका में इसलिए भी खेलनी चाहिए क्योंकि,वे अपने ससुराल में सास-ससुर और रिश्तेदार के साथ होली खेलने में थोड़ा झिझकती है। जिसके कारण वह होली नहीं खेल पाती है। इसलिए वह अपनी पहली होली अपने परिवार में खेलना पसंद करती है।
होलिका दहन पर किये गये उपायों से होती है जीवन की बाधाएं दूर
13 Mar, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में होली के त्योहार का विशेष महत्व है। होली का पर्व फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि होली पर किए गए उपाय जल्द सिद्ध हो जाते हैं। इससे जातक को जल्दी फल की प्राप्ति होती है। ज्योतिष शास्त्र में भी बताया गया है कि होली के दिन कुछ छोटे-छोटे उपाय करने से व्यक्ति के जीवन में खुशियां आती हैं।
होलिका दहन के समय अपने घर की नजर उतारकर शरीर पर उबटन लगाएं। फिर इसको होलिका में जलाने से नकारात्मक उर्जा दूर होती है। वहीं घर, दुकान, कार्यालय की नज़र उतार कर होलिका की आग में जलाने से लाभ मिलता है।
वहीं अगर आप कर्ज या फिर किसी तरह के अज्ञात भय के परेशान हैं, तो होलिका दहन के दिन नरसिंह स्त्रोत का पाठ करें। यह लाभकारी होगा। रात के समय होलिका में नारियल दहन करें। इस उपाय को करने नौकरी में आने वाली बाधाएं दूर हो जाएंगी।
अगर कोई व्यक्ति लंबे समय से किसी बीमारी से परेशान है, तो होलिका दहन के बाद बची हुई राख को मरीज के सोने वाली जगह पर छिड़ने से जल्द लाभ मिलेगा। किसी भी कार्य में सफलता पाने के लिए होलिका दहन में पानी वाला नारियल और सुपारी अर्पित करें। इससे आपके कार्य सफलतापूर्वक होने लगेंगे। अगर आप अनावश्यक खर्चों से परेशान हो गए हैं, तो होलिका दहन के दूसरे दिन होलिका की राख को लाल रंग के रूमाल बांध दें। फिर इस रुमाल को अपने घर के धन स्थान पर रख दें। इस उपाय को करने से अनावश्यक खर्च रुक जाएंगे। इसके अलावा होलिका दहन के दिन शिवलिंग पर गोमती चक्र अर्पित करने से व्यापार में लाभ प्राप्त होता है।
होली में राशि के अनुसार करें रंगों का प्रयोग
13 Mar, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में होली को रंगों का पर्व माना जाता है जो जीवन मंश उत्साह का संचार करता है। मान्यता है कि रंग भी राशि से जुड़े होते हैं। ऐसे में होली में अगर हर कोई व्यक्ति अपनी राशि के अनुसार रंग का प्रयोग करता है तो वह उसे लिए अधिक लाभदायक रहता है। इससे पता चलता है कि कि कौन सा रंग उनके जीवन में खुशियों को लायेगा। राशि के अनुसार रंग के प्रयोग से जीवन में सकारात्मक रुख बनता है। ज्योतिष शास्त के अनुसार ऐसे में जातकों को अपनी अपनी राषियों के अनुरुप रंग का प्रयोग करना चाहिये।
रंग: लाल
मेष राशि के लोग साहसी और उत्साही होते हैं। होली में लाल रंग आपके लिए शुभ रहेगा। यह रंग आपके आत्मविश्वास को बढ़ाएगा और आपके कार्यक्षेत्र में सफलता की नई ऊंचाइयां छूने में मदद करेगा। लाल रंग आपके जीवन में ऊर्जा और जोश भरने का काम करेगा, जिससे आपके रिश्ते भी मजबूत होंगे।
वृषभ
रंग: हरा
वृषभ राशि के लोग शांत, स्थिर और प्रेमपूर्ण होते हैं। हरे रंग का प्रभाव आपके जीवन में शांति और समृद्धि लेकर आएगा। यह रंग आपको मानसिक संतुलन देगा और आपकी वित्तीय स्थिति को भी मजबूत बनाएगा। हरा रंग आपके जीवन में प्रगति और संतोष का संचार करेगा।
मिथुन
रंग: पीला
मिथुन राशि के लोग परिवर्तनशील और जिज्ञासु होते हैं। पीला रंग आपके लिए उत्तम रहेगा क्योंकि यह आपके जीवन में नई संभावनाओं और अवसरों का रास्ता खोलेगा। यह रंग आपके मानसिक स्पष्टता को बढ़ाएगा और आपकी रचनात्मकता को जागृत करेगा। पीला रंग आपके जीवन में सकारात्मक विचारों और नई शुरुआत को आकर्षित करेगा।
कर्क
रंग: सफेद
कर्क राशि के लोग भावनात्मक और परिवारिक होते हैं। सफेद रंग आपके लिए बहुत शुभ रहेगा क्योंकि यह शांति, सफाई और प्यार का प्रतीक है। सफेद रंग आपके जीवन में शांति और स्थिरता लाएगा। यह रंग आपके रिश्तों में सामंजस्य और प्यार को बढ़ाएगा।
सिंह
रंग: सुनहरा
सिंह राशि के लोग आत्मविश्वासी और शाही होते हैं। सुनहरा रंग आपके लिए अत्यंत शुभ रहेगा, क्योंकि यह सफलता, संपत्ति और सम्मान का प्रतीक है। यह रंग आपके जीवन में सफलता और प्रसन्नता लाएगा और आपको जीवन के हर क्षेत्र में चमकने का अवसर मिलेगा।
कन्या
रंग: नीला
कन्या राशि के लोग व्यावहारिक और शांति पसंद होते हैं। नीला रंग आपके लिए बहुत फायदेमंद रहेगा क्योंकि यह शांति, संतुलन और मानसिक शांति का प्रतीक है। नीला रंग आपके जीवन में खुशी और मानसिक संतुलन लाएगा। यह रंग आपके रिश्तों में भी स्थिरता और सुख बढ़ाएगा।
तुला
रंग: गुलाबी
तुला राशि के लोग सौम्य और संतुलित होते हैं। गुलाबी रंग आपके लिए खुशियों और प्रेम का प्रतीक है। यह रंग आपके जीवन में प्यार और खुशी लाएगा। गुलाबी रंग आपके रिश्तों में ताजगी और रोमांस का संचार करेगा, साथ ही आपके भीतर खुशी और संतुलन बनाए रखेगा।
वृश्चिक
रंग: बैगनी
वृश्चिक राशि के लोग शक्तिशाली और रहस्यमय होते हैं। बैगनी रंग आपके लिए अत्यंत शुभ रहेगा क्योंकि यह रंग आपकी शक्ति, आकर्षण और आत्मविश्वास को बढ़ाता है। यह रंग आपके जीवन में नयापन और ऊर्जा लेकर आएगा, जिससे आप नए अवसरों का सामना बेहतर तरीके से कर सकेंगे।
धनु
रंग: नारंगी
धनु राशि के लोग स्वतंत्रता पसंद और रोमांचक होते हैं। नारंगी रंग आपके लिए बेहतरीन रहेगा क्योंकि यह ऊर्जा, उत्साह और साहस का प्रतीक है। नारंगी रंग आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाएगा और आपकी कार्यक्षमता को बढ़ाएगा। यह रंग आपके भीतर नई ऊर्जा का संचार करेगा और आपकी यात्रा को सफलता की ओर ले जाएगा।
मकर
रंग: भूरा
मकर राशि के लोग मेहनती और व्यवस्थित होते हैं। भूरा रंग आपके लिए उत्तम रहेगा क्योंकि यह स्थिरता और आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। यह रंग आपके जीवन में मानसिक और वित्तीय संतुलन लाएगा। भूरा रंग आपके कार्य क्षेत्र में सफलता और आपकी मेहनत का फल देगा।
कुंभ
रंग: आसमानी नीला
कुंभ राशि के लोग स्वतंत्र विचारों वाले और सामाजिक होते हैं। आसमानी नीला रंग आपके जीवन में शांति और सृजनात्मकता लाएगा। यह रंग आपके कार्यक्षेत्र में नई और रचनात्मक सोच को बढ़ावा देगा। आसमानी नीला रंग आपके व्यक्तित्व में सुधार लाएगा और आपको नए अवसरों का सामना करने में मदद करेगा।
मीन
रंग: हरा और नीला मिश्रित
मीन राशि के लोग संवेदनशील और सपने देखने वाले होते हैं। हरे और नीले रंगों का मिश्रण आपके लिए अत्यंत शुभ रहेगा, क्योंकि यह रंग आपके जीवन में मानसिक शांति और संतुलन लाएगा। यह रंग आपके रिश्तों में सौहार्द और समझ को बढ़ाएगा, साथ ही आपको अपने सपनों की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित करेगा।
होली के बाद इन राशियों के जातकों के जीवन में आयेगा बदलाव
13 Mar, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
धार्मिक मान्यता के अनुसार शनिवार का दिन ‘न्याय के देवता’ शनिदेव की आराधना के लिए समर्पित है। कहा जाता है भगवान शनि की पूजा-आराधना करने से हर मनोकामना पूरी भी होती है! ज्योतिष शास्त्र के अनुसार करियर में सफलता पाने के लिए शनिदेव की पूजा करने की सलाह दी जाती है! ज्योतिष गणना के अनुसार फिलहाल शनिदेव कुंभ राशि में विराजमान है और साल मार्च-2025 के महीने में मीन राशि में गोचर करेंगे! जिसका प्रभाव 12 राशि के जातकों पर सकारात्मक और नकारात्मक तौर पर देखने को मिलेगा!
‘न्याय के देवता’ शनि अभी कुंभ राशि में विराजमान है और शनिदेव 29 मार्च को रात 11. 01 बजे कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में गोचर करेंगे! मीन राशि में शनि के गोचर करने से कई राशि के जातकों की किस्मत बदल सकती है तो कई राशि को सावधान रहने की जरूरत है लेकिन 3 रशियां ऐसी हैं जिनकी किस्मत बदल सकती है! जिसमें कर्क, वृश्चिक और मकर राशि के जातक शामिल हैं। गौरतलब है कि 2025 में होली 14 मार्च को है!
कर्क राशि: कर्क राशि के जातकों के लिए यह समय बहुत अच्छा रहने वाला है! इस दौरान जातकों को कईतरह से लाभ होगा, जीवन के सभी संकट दूर होंगे, राजकीय सुख प्राप्त होगा! मान-सम्मान में बढ़ोतरी होगी, धन लाभ के योग बनेंगे, रुके हुए सभी कार्य पूर्ण होंगे!
वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि के जातकों पर हनुमान जी की विशेष कृपा रहेगी, सभी तरह का बिगड़ा काम बनेगा, करियर और कारोबार में नया आयाम मिलेगा, निवेश से लाभ होगा, परिवार में खुशियों का माहौल होगा, रुका हुआ धन वापस मिलेगा, शनिदेव की कृपा से नौकरी में प्रमोशन भी मिल सकता है!
मकर राशि: मकर राशि के जातकों को शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति मिलेगी, साथ ही स्वास्थ्य संबंधी परेशानी दूर होगी, अटका हुआ धन प्राप्त होगा, मार्च के बाद बिगड़े काम बनेंगे, नए काम की शुरुआत करने के योग हैं, सभी बिगड़े कार्य बनेंगे। मां की सेहत का ख्याल रखें। निवेश से विशेष लाभ होगा।
इस तरह के भक्तों के पास रहते हैं भगवान
13 Mar, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
किसी भी वस्तु की चेतनता की पहचान इच्छा, क्रिया अथवा अनुभूति के होने से होती है। अगर किसी वस्तु में ये तीनों नहीं होते हैं, तो उसे जड़ वस्तु कहते हैं और इन तीनों के होने से उसे चेतन वस्तु कहते हैं। मनुष्य में इन तीनों गुणओं के होने से उसे चेतन कहते हैं। मनुष्य के मृत शरीर में इनके न होने से उसे अचेतन अथवा जड़ कहते हैं।
प्रश्न यह उठता है कि जो मनुष्य अभी-अभी इच्छा, क्रिया अथवा अनुभूति कर रहा था और चेतन कहला रहा था, वही मनुष्य इनके न रहने से मृत क्यों घोषित कर दिया गया जबकि वह सशरीर हमारे सामने पड़ा हुआ है? आमतौर पर एक डॉक्टर बोलेगा कि इस शरीर में प्राण नहीं हैं। शास्त्रीय भाषा में, जब तक मानव शरीर में आत्मा रहती है, उसमें चेतनता रहती है। उसमें इच्छा, क्रिया व अनुभूति रहती है। आत्मा के चले जाने से वही मानव शरीर इच्छा, क्रिया व अनुभूति रहित हो जाता है, जिसे आमतौर पर मृत कहा जाता है।
शास्त्रों के अनुसार स्वरूप से आत्मा सच्चिदानन्दमय होती है। सच्चिदानन्द अर्थात सत्+चित्+आनंद। संस्कृत में सत् का अर्थ होता है नित्य जीवन अर्थात् वह जीवन जिसमें मृत्यु नहीं है, चित् का अर्थ होता है ज्ञान जिसमें कुछ भी अज्ञान नहीं है और आनंद का अर्थ होता है नित्य सुख जिसमें दुःख का आभास मात्र नहीं है। यही कारण है कि कोई मनुष्य मरना नहीं चाहता, कोई मूर्ख नहीं कहलवाना चाहता और कोई भी किसी भी प्रकार का दुःख नहीं चाहता।
अब नित्य जीवन, नित्य आनंद, नित्य ज्ञान कहां से मिलेगा? जैसे सोना पाने के लिए सुनार के पास जाना पड़ता है, लोहा पाने के लिए लोहार के पास, इसी प्रकार नित्य जीवन-ज्ञान-आनंद पाने के लिए भगवान के पास जाना पड़ेगा क्योंकि एकमात्र वही हैं जिनके पास ये तीनों वस्तुएं असीम मात्रा में हैं। प्रश्न हो सकता है कि बताओ भगवान मिलेंगे कहां? ये भी एक बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है। कोई कहता है भगवान कण-कण में हैं, कोई कहता है कि भगवान मंदिर में हैं, कोई कहता है कि भगवान तो हृदय में हैं, कोई कहता है कि भगवान तो पर्वत की गुफा में, नदी में, प्रकृति में वगैरह।
वैसे जिस व्यक्ति के बारे में पता करना हो कि वह कहां रहता है, अगर वह स्वयं ही अपना पता बताए तो उससे बेहतर उत्तर कोई नहीं हो सकता। उक्त प्रश्न के उत्तर में भगवान कहते हैं कि मैं वहीं रहता हूं, जहां मेरा शुद्ध भक्त होता है। चूंकि हम सब के मूल में जो तीन इच्छाएं- नित्य जीवन, नित्य ज्ञान व नित्य आनंद हैं, वे केवल भगवान ही पूरी कर सकते हैं, कोई और नहीं। इसलिए हमें उन तक पहुंचने की चेष्टा तो करनी ही चाहिए।
भगवान स्वयं बता रहे हैं कि वह अपने शुद्ध भक्त के पास रहते हैं। अतः हमें ज्यादा नहीं सोचना चाहिए और तुरंत ऐसे भक्त की खोज करनी चाहिए जिसके पास जाने से, जिसकी बात मानने से हमें भगवद्प्राप्ति का मार्ग मिल जाए। साथ ही हमें यह सावधानी भी बरतनी चाहिए कि कहीं वह भगवद्-भक्त के वेश में ढोंगी न हो। स्कंद पुराण के अनुसार भगवान शिव माता पार्वती से कहते हैं कि कलियुग में ऐसे गुरु बहुत मिलेंगे जो शिष्य का सब कुछ हर लेते हैं, परंतु शिष्य का संताप हर कर उसे सद्माीर्ग पर ले आए ऐसा गुरु विरला ही मिलेगा।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
13 Mar, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनाव, क्लेश व अशांति, मानसिक विभ्रम, घटना का शिकार होने से बचेंगे।
वृष राशि :- सफलता के साधन अवश्य जुटायेंगे, इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, कार्य बनेंगे।
मिथुन राशि :- चिन्तायें कम होंगी, सफलत के साधन जुटायें, लाभ के कार्य बनेंगे।
कर्क राशि :- समय एवं शक्ति व्यर्थ जायेगी, मानसिक बेचैनी, क्लेश व अशांति अवश्य होगी।
सिंह राशि :- कार्य व्यवसाय में संतोष, स्त्री से तनाव, मानसिक बेचैनी अवश्य बनेगी, धैर्य रखें।
कन्या राशि :- समय अनुकूल नहीं विशेष कार्य स्थिगित रखें, लेन-देन के कार्य होंगे।
तुला राशि :- समृद्धि के साधन बनेंगे, कार्य कुशलता से संतोष होगा, रुके कार्य बनेंगे।
वृश्चिक राशि :- प्रबलता, प्रभुत्व वृद्धि, कार्य कुशलता से संतोष होगा, कार्य अवश्य ही बनेंगे।
धनु राशि :- व्यर्थ भ्रमण, धन का व्यय होगा, असमंजस एवं असमर्थता का वातावरण होगा।
मकर राशि :- अचानक यात्रा के प्रबल योग बनेंगे, योजनायें फलीभूत अवश्य होंगी।
कुंभ राशि :- बिगड़े कार्य बनेंगे, कार्य कुशलता से संतोष होगा, समृद्धि के साधन बनेंगे।
मीन राशि :- असमर्थता का वातावरण कष्टप्रद होगा, स्त्री वर्ग से हर्ष-उल्लास होगा।
होलिका दहन की रात करें यह चमत्कारी टोटका, रातों-रात बन जाएंगे अमीर; बस कुछ चीजों का रखें ध्यान
12 Mar, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
होली सिर्फ रंगों का पर्व नहीं है. बल्कि तंत्र साधना, मंत्र सिद्धि या ज्योतिषीय दृष्टि से भी बेहद महत्वपूर्ण है. होलिका दहन की रात किए गए उपाय, टोन-टोटके, पूजा-पाठ का कई गुना अधिक और शीघ्र फल प्राप्त होता है. ज्योतिषियों की मानें तो जिन लोगों की कुंडली में अचानक धन प्राप्ति का योग बनता है, तो होलिका दहन की रात एक खास पूजा करके, उस गड़े हुए धन को प्राप्त कर सकते हैं. लेकिन, इससे पहले यह जानना जरूरी है कि कुंडली में अचानक धन प्राप्ति के योग बनते कब हैं?
जिन लोगों की कुंडली में अचानक धन प्राप्ति के योग बनते हैं, उन्हें निश्चित ही धन की प्राप्ति होती है. जबकि गड़े हुए धन के अगर योग कुंडली में बन रहे हैं, और जातक को लगता है या कहीं से पता चलता है कि उसके घर खेत या अन्य किसी स्थल पर धन गड़ा हुआ है, तो उसे पाने के लिए कुछ खास उपाय और पूजा की जरूरत होती है. और होलिका दहन की रात गड़ा हुआ धन पाने के लिए सबसे सर्वश्रेष्ठ समय माना जाता है.
कुंडली में कब बनते हैं धन प्राप्ति के योग
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि, जातक की कुंडली में दूसरे, तीसरे, नौवें और ग्यारवें भाव में यदि शुभ ग्रह बैठा हुआ है और उसी की महादशा चल रही है, साथ ही ग्रह का प्रत्यंतर भी चल रहा हो, तो धन प्राप्ति के प्रबल योग बनते हैं. इस साल 2025 में होलिका दहन (13 मार्च 2025) की रात उस स्थान पर खुदाई की जाए जहां धन होने की संभावना है तो जातक को वहां गड़ा हुआ धन प्राप्त होने की संभावना बनती है.
धन प्राप्त करने के लिए क्या करना होगा
गड़ा हुआ धन पाने के लिए खुदाई से पहले जातक को कुछ विशेष पूजा अर्चना भी करनी पड़ेगी. डॉ. बसंत सोनी के मुताबिक, जिस जगह खुदाई करनी है उस स्थान के देवता, उस क्षेत्र के खेड़ापति हनुमान को पहले खुश करना होगा. जिसके लिए जातक को संबंधित देवता के पसंदीदा व्यंजनों का भोग लगाना होगा और फिर लाभ के चौघड़िया में खुदाई करना चाहिए. ऐसा करने से धन प्राप्त करवाने में देवता मदद करेंगे.
इन बातों का विशेष ध्यान रखें
गड़ा हुआ धन पाने के लिए जातक द्वारा होलिका दहन की रात किए गए इस खास उपाय को करने के दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए. होलिका दहन की रात सिद्ध रात्रि मानी जाती है, इसलिए अनुभव न हो तो किसी अनुभवी पंडित या तंत्र-मंत्र विद्या से जुड़े हुए साधक के सानिध्य में ही इस कार्य करें. अकेले करने की कोशिश नहीं करें. अन्यथा इसका बुरा प्रभाव भी पड़ सकता है.
होली के दिन लड्डू गोपाल को लगाएं इन चीजों का भोग, बरसेगी विशेष कृपा
12 Mar, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान श्रीकृष्ण के बाल रूप लड्डू गोपाल लगभग हर घर में विराजमान रहते हैं. कई लोग उन्हें भगवान के रूप में पूजते हैं तो कई उन्हें बेटा मानकर उनकी सेवा करते हैं. हालांकि भाव जो भी हो भगवान तो अपने भक्त पर कृपा बरसाते हैं, वे अपने भक्तों के साथ प्रेम व आनंद के साथ रहते हैं. वहीं आपको बता दें कि प्रतिदिन लड्डू गोपाल को स्नान, श्रृंगार, रात्रि विश्राम से लेकर दिन में अलग-अलग भोग भी अर्पित करते हैं. वहीं कई भक्त तो घर में लड्डू गोपाल को मौसम, दिन व त्योहार के अनुसार भी भोग लगाते हैं.
जी हां, लड्डू गोपाल को जो चीजें पसंद है, वे उसी प्रकार को सात्विक भोग बनाकर उन्हें अर्पित करते हैं. जिस प्रकार एक मां अपने बच्चे की पसंद का ख्याल रखती है, उसी प्रकार लड्डू गोपाल की भी छोटी बड़ी चीजों का ख्याल रखकर उन्हें भोग अर्पित किया जाता है. ऐसे में कई लोगों का सवाल होता है कि होली का त्योहार पास है और हम लड्डू गोपाल को उस दिन क्या विशेष भोग लगाएं. तो आइए इस बारे में हम जानते हैं भगवताचार्य पंडित राघवेंद्र शास्त्री से कि हमें होली के दिन विशेष भोग में लड्डू गोपाल को क्या आर्पित करना चाहिए.
चंद्रकला या गुजिया
होली के पर्व पर गुजिया तो लगभग घर में बनाई जाती है. तो अगर आपने घर पर गुजिया बनाई है तो ऐसे में आप घर पर लड्डू गोपाल को गुजिया का भोग भी लगा सकते हैं. हालांकि, कई कृष्ण मंदिरों में होली के पर्व पर गोपाल जी को चंद्रकला का भोग लगाया जाता है. तो ऐसे में आप इस दिन चंद्रकला या गुजिया दोनों में से किसी भी चीज का भोग लगा सकते हैं.
मीठा दही या दही से बना कोई व्यंजन
लड्डू गोपाल को फाल्गुन के महीने में दही या उससे बनी चीजों का भोग लगाया जाता है. वहीं, होली के त्योहार पर भी हम उन्हें दही से कोई व्यंजन बनाकर भोग लगाएं या अगर हम कोई व्यंजन बनाने में समर्थ नहीं हैं तो उन्हें दही में चीनी मिलकर मीठे दही का भोग लगा सकते हैं. माना जाता है कि लड्डू गोपाल को मीठे दही का भोग लगाने से पारिवारिक रिश्तों में मधुरता आती है.
जलेबी या मालपुआ
लड्डू गोपाल को होली के दिन जलेबी या मालपुए का भोग भी लगाया जा सकता है. माना जाता है कि इस दिन लड्डू गोपाल को जलेबी या मालपुए का भोग अर्पित करने से घर में खुशियां बनी रहती है और उनके आशीर्वाद से सुख-समृद्धि बनी रहती है.
जब वनवास पर थे श्री राम... तो इस जगह रुके थे 4 महीने...यहां माता सीता ने बनाया था भोजन!
12 Mar, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
त्रेतायुग में भगवान राम ने छत्तीसगढ़ के हरचौका में 4 महीने बिताए थे. बताया जाता है, कि भगवान राम मवई नदी के तट पर रुके थे. मान्यताओं के अनुसार वनवास के दौरान भगवान राम का पहला पड़ाव छत्तीसगढ़ ही था और यहीं पर माता सीता ने अपने हाथों से भोजन बनाया और भगवान राम और लक्ष्मण के साथ उसे ग्रहण किया. इसलिए इस स्थान को "सीता की रसोई" के नाम से भी जाना जाता है.
छत्तीसगढ़ को भगवान राम का ननिहाल माना जाता है, क्योंकि मान्यता है, कि माता कौशल्या का जन्म यहीं हुआ था. इस ऐतिहासिक महत्व के कारण यह प्रदेश प्रभु श्री राम से विशेष रूप से जुड़ा हुआ है. हालांकि, बहुत कम लोग जानते हैं कि भगवान राम ने अपने 14 सालों के वनवास के दौरान छत्तीसगढ़ के भरतपुर विकासखंड स्थित ग्राम हरचौका में चार महीने बिताए थे. वनवास काल में श्री राम के यहां रुकने के कारण सीतामढ़ी हरचौका पूरे भारत में प्रसिद्ध है.
त्रेतायुग में जब भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण अयोध्या से वनवास के लिए निकले, तो उन्होंने भारत के कई वन क्षेत्रों में समय बिताया. इसी यात्रा के दौरान वे छत्तीसगढ़ पहुंचे और भरतपुर नगर पंचायत के हरचौका में मवई नदी के तट पर रुके. ऐसा माना जाता है कि उन्होंने वनवास के लगभग चार महीने यहीं बिताए थे.
स्थानीय मान्यता के अनुसार, वनवास के दौरान भगवान राम का पहला पड़ाव छत्तीसगढ़ ही था. यहीं पर माता सीता ने अपने हाथों से भोजन बनाया और भगवान राम और लक्ष्मण के साथ उसे ग्रहण किया. इसलिए इस स्थान को "सीता की रसोई" के नाम से भी जाना जाता है.
सीतामढ़ी हरचौका की एक प्रमुख विशेषता, यहां स्थित एक प्राचीन गुफा है. इस गुफा में कुल 17 कक्ष हैं, जिन्हें सीता माता की रसोई कहा जाता है. इस गुफा के भीतर 12 शिवलिंग स्थापित हैं, जिनकी पूजा भगवान राम ने स्वयं अपने वनवास के दौरान की थी, ऐसा माना जाता है.
सीता माता की रसोई वाला यह स्थान मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सीमा पर स्थित है. मवई नदी का एक तट मध्य प्रदेश में और दूसरा तट छत्तीसगढ़ में आता है. स्थानीय लोग मवई नदी के जल को गंगाजल के समान पवित्र मानते हैं, क्योंकि मान्यता है कि माता सीता ने इस नदी में स्नान किया था, जिससे इसका जल गंगा की तरह पवित्र हो गया.
शोधकर्ताओं के अनुसार, राम वनगमन पथ के 248 महत्वपूर्ण स्थलों में से सीतामढ़ी हरचौका भी एक है. यह छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है, जहां सरकार द्वारा राम वनगमन पर्यटन मार्ग विकसित करने की योजना पर कार्य किया जा रहा है. यह क्षेत्र न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी विकसित होने की अपार संभावनाएं रखता है.
घर में छुपाकर रख दें होलिका की राख, आपसे थर-थर कांपेंगे भूत प्रेत, कई बीमारियों का भी निपटारा तय
12 Mar, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
छतरपुर जिले में होलिका दहन के समय गोबर के उपले (कंडे) जलाना एक महत्वपूर्ण परंपरा है, जो शुभ और धार्मिक मान्यताओं से जुड़ी है. होलिका दहन में गोबर के उपले जलाने की परंपरा सदियों पुरानी है. बता दें, होलिका दहन के कुछ दिन पहले से गोबर के बल्ले बनने शुरू हो जाते हैं.
गोबर के उपले जलाने का महत्व
82 वर्षीय प्रेमा बाई बताती हैं कि परंपरा के अनुसार, छोटे-छोटे गोबर के उपले (गुलरियां) या बल्ले बनाकर उन्हें सूखाया जाता है और फिर एक रस्सी में पिरोकर माला बनाई जाती है. गोबर के बल्ले बनने के बाद इसकी 7 मालाएं बनाई जाती हैं. जिसमें 1 माला बड़ी होलिका दहन में जला दी जाती है. इसके बाद 6 मालाएं घर लाई जाती हैं. जिसमें से 5 मालाएं घर में जलने वाली होलिका दहन में डाल दी जाती हैं. बची हुई एक माला को घर के द्वार पर टांग ली जाती है.
बल्ले की माला बदलने की है परंपरा
प्रेमा बाई बताती हैं कि अभी जो घर के द्वार पर गोबर के बल्ले की माला टंगी है. इसको होलिका दहन में जला दिया जाता है. साथ ही बल्लों की एक माला की अदला-बदली की जाती है.
बल्लों की राख को मानते हैं पवित्र
प्रेमा बाई बताती हैं कि बड़ी होलिका दहन की राख को घर के किसी गुप्त स्थान पर रखा जाता है. जिसे बहुत पवित्र माना जाता है. इसे भूत-प्रेत जैसी बाधाओं से बचाने के लिए घर में रखा जाता है. साथ ही राख को बीमार व्यक्ति के माथे पर लगाया जाता है.
पर्यावरण संरक्षण का संदेश
गोबर के उपले पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद होते हैं, क्योंकि इन्हें जलाने से निकलने वाला धुआं, पर्यावरण में मौजूद कई प्रकार के जीवाणु और कीटाणु नष्ट कर देता है.
ऐसे बनाए जाते हैं उपले(कंडे)
गाय के गोबर के छोटे-छोटे गोले बनाकर, उनमें बीच से छेद करके धूप में सुखाया जाता है. इन गोलों को माला की तरह बनाकर, होलिका की अग्नि में जलाया जाता है.
माना जाता है कि होली पर जलाए गए गोबर के बल्ले घर की हर समस्या का समाधान करते हैं. होलिका दहन के समय इसे जलाने से परिवार की बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि बढ़ती है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
12 Mar, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- विशेष कार्य स्थगित रखें, अचानक घटना का योग बन सकता है सावधान रहें।
वृष राशि :- सफलता के साधन जुटायें, अन्यथा आरोप व क्लेश संभव है।
मिथुन राशि :- अधिकारियों से मेल-मिलाप स्थगित रखें, क्लेश व अशांति का वातावरण बनेगा।
कर्क राशि :- विरोधी प्रबल होंगे, परेशानी से बचिये, जल्दबाजी से कार्य में हानि हो सकती है।
सिंह राशि :- भाग्य का सितारा प्रबल होगा, मान-प्रतिष्ठा, सुख के साधनों में वृद्धि होगी।
कन्या राशि :- कुटुम्ब की समस्यायें सुलझेंगी, धन का व्यय होगा, सुख में वृद्धि होगी।
तुला राशि :- संतान से सुख एवं सम्पन्नता के योग बनेंगे, मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी।
वृश्चिक राशि :- कार्य-कुशलता से संतोष, बिगड़े कार्य बनेंगे, इष्ट मित्रों से परेशानी होगी।
धनु राशि :- कार्य-व्यवसाय उत्तम, किराना-कपड़ा व्यवसाय अवश्य ही बढ़ेगा।
मकर राशि :- स्त्री कष्ट, समय और धन नष्ट होगा, स्वभाव में बेचैनी अवश्य बनेगी।
कुंभ राशि :- षड़यंत्र व कष्टप्रद स्थिति सामने आयेगी, कुटुम्ब के लोग पीड़ा पहुंचायेंगे।
मीन राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा, व्यवसाय की चिन्ता होगी।
ना जाने इस गांव में कैसा खौफ? होली के दिन घर में छुप जाते हैं लोग, गांव के एक शख्स ने खोले सारे राज
11 Mar, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
खरहरी और धमनागुड़ी दोनों ही गांव की आबादी लगभग तीन हजार है. ऐसा नहीं है कि इस गांव में लोग पढ़े-लिखे नहीं हैं. गांव की बड़ी आबादी हाई स्कूल पास है. नौजवान लड़के-लड़कियां कॉलेज भी पढ़ने जाते हैं.
छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में खरहरी और धमनागुड़ी नाम के दो गांव ऐसे हैं, जहां पिछले 200 सालों से होली का त्योहार नहीं मनाया जाता है. इन गांवों में होली के दिन सन्नाटा पसरा रहता है और लोग अपने घरों में दुबके रहते हैं. इसकी वजह एक अजीबोगरीब खौफ है, जो इन गांवों के लोगों के दिलों में बसा हुआ है.
ग्रामीणों का मानना है कि अगर किसी बाहरी शख्स ने उन्हें होली के दिन रंग या गुलाल लगा दिया, तो उन्हें इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे. उनका कहना है कि होली जलाने और रंग गुलाल खेलने से गांव पर दैविय प्रकोप आ सकता है. इसी आशंका के चलते इन दोनों गांवों में होली के मौके पर वीरानी छाई रहती है.
खरहरी और धमनागुड़ी दोनों ही गांव की आबादी लगभग तीन हजार है. ऐसा नहीं है कि इस गांव में लोग पढ़े-लिखे नहीं हैं. गांव की बड़ी आबादी हाई स्कूल पास है. नौजवान लड़के-लड़कियां कॉलेज भी पढ़ने जाते हैं, लेकिन वे घर के बड़े-बुजुर्गों के निर्देशों का उल्लंघन नहीं करते हैं.
गांव के बुजुर्ग इस बात की पुष्टि करते हैं कि पीढ़ी दर पीढ़ी वे ये देखते आए हैं कि गांव में ना तो होलिका दहन होता है और ना ही कोई ग्रामीण रंग गुलाल खेलने की हिम्मत करता है.
छत्तीसगढ़ अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉक्टर दिनेश मिश्रा इसे बकवास बताते हैं. उनके मुताबिक, 200 साल पहले की कोई घटना मान्यता बन गई होगी, लेकिन यह सुनी-सुनाई घटना होगी. इसका कोई परीक्षण और प्रमाण स्पष्ट नहीं है. उनके मुताबिक, यह अंधविश्वास के अलावा कुछ और नहीं है.
यह अंधविश्वास इन गांवों के लोगों के जीवन का एक हिस्सा बन गया है और वे सदियों से इसका पालन करते आ रहे हैं. होली का त्योहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इन गांवों में डर और आशंका का माहौल बना रहता है.
बृहस्पति को मजबूत करने के लिए करें ये विशेष उपाय, खोलें किस्मत के द्वार
11 Mar, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ज्योतिष शास्त्र में बृहस्पति को गुरु का स्थान प्राप्त है. यह ज्ञान, बुद्धि, समृद्धि, भाग्य और धार्मिकता का कारक ग्रह माना जाता है. कुंडली में बृहस्पति की कमजोर स्थिति व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की समस्याओं का कारण बन सकती है. गुरु के कमजोर होने के लक्षण और उसे मजबूत करने के उपाय.
बृहस्पति कमजोर होने के लक्षण:
शिक्षा और करियर में बाधाएं आना.
आर्थिक परेशानियाँ और धन की कमी.
वैवाहिक जीवन में समस्याएं
स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां, विशेषकर पेट और लीवर से संबंधित.
भाग्य का साथ न मिलना और कार्यों में असफलता.
मानसिक तनाव और निराशा.
धार्मिक कार्यों में रुचि कम होना.
बृहस्पति को मजबूत करने के उपाय:
बृहस्पति को मजबूत करने के लिए कई उपाय बताए गए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख उपाय निम्नलिखित हैं-
गुरुवार का व्रत: गुरुवार का व्रत रखना बृहस्पति को प्रसन्न करने का एक सरल और प्रभावी उपाय है. इस दिन पीले वस्त्र धारण करें, केले के पेड़ की पूजा करें और विष्णु भगवान की आराधना करें.
दान: गुरुवार के दिन पीली वस्तुओं का दान करना शुभ माना जाता है. आप चने की दाल, हल्दी, पीले वस्त्र, सोना, पुस्तकें आदि दान कर सकते हैं.
रत्न: पुखराज बृहस्पति का रत्न है. ज्योतिषीय सलाह के अनुसार पुखराज धारण करने से बृहस्पति की स्थिति मजबूत होती है. इसके अलावा सुनेला या सोनल उपरत्न भी धारण किया जा सकता है.
मंत्र जाप: बृहस्पति के बीज मंत्र “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः” का जाप करने से बृहस्पति की कृपा प्राप्त होती है. इस मंत्र का 108 बार या एक माला जाप करना चाहिए.
केले के पेड़ की सेवा: गुरुवार के दिन केले के पेड़ की पूजा करना और जल चढ़ाना भी बृहस्पति को प्रसन्न करता है.
अन्य उपाय: माथे पर चंदन या हल्दी का तिलक लगाना, पीले वस्त्र धारण करना, सोने के आभूषण पहनना, और नियमित रूप से मंदिर में हल्दी का दान करना भी बृहस्पति को मजबूत करने में सहायक होते हैं.
31 मार्च या 01 अप्रैल...! कब शुरू हो रहा चैत छठ? जानें संतान प्राप्ति के लिए क्या करें उपाय
11 Mar, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
साल भर में कुल दो बार छठ महापर्व मनाया जाता है. एक चैत्र के महीने में दूसरा कार्तिक के महीने में. छठ पूजातो वैसे पूरे देश भर में मनाया जाता है, लेकिन विशेष कर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और बंगाल में इस पर्व को पुरे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है. सभी पर्व त्यौहार में छठ पूजा ही एक ऐसा पर्व है, जिसे महापर्व के रूप मे मनाया जाता है. छठ महापर्व में प्रत्यक्ष रूप से भगवान सूर्य की आराधना की जाती है. छठ पूजा में शुद्धता का बेहद खास ध्यान रखा जाता है,
क्या कहते हैं देवघर के ज्योतिषाचार्य?
चैती छठ मेें माता षष्ठी और भगवान सूर्य देव की आराधना की जाती है. चैती छठ के दौरान शुद्धता का भी बेहद खास ख्याल रखा जाता है. छठ पूजा पुरे चार दिनों तक चलता है. नहाय खाय के साथ पूजा आरम्भ होता है. दूसरे दिन खरना का प्रसाद ग्रहण करना चाहिए, तीसरा दिन डूबते सूर्य को अर्घ दिया जाता है और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ देने के साथ ही पर्व का समापन हो जाता है.
कब से शुरु हो रही है चैती छठ?
ज्योतिषाचार्य बताते है चेती छठ पूजा का आरम्भ 01 अप्रैल नहाय खाय के साथ हो रहा है और 02 अप्रैल खरना का प्रसाद और 03 अप्रैल डूबते सूर्य को अर्घ और 04अप्रैल उगते सूर्य को अर्घ के साथ हीं इस महापर्व का समापन हो जाएगा.
चैती छठ का है खास महत्व
ज्योतिषाचार्य बताते है की छठ महापर्व के दौरान जो व्रती है. वह 36 घंटे बिना अन्न जल ग्रहण किये उपवास पर रहती हैं. इसके साथ ही छठ पूजा के दौरान अगर व्रत रखकर पुरे शुद्ध मन से भगवान सूर्य को अपनी मनोकामना लिए अर्घ प्रदान करें, तो बड़े से बड़े रोग, दोष, कष्ट के साथ हीं सभी मनोकामना पूर्ण होती है. इसके साथ हीं निःसंतान दम्पति अगर व्रत रखकर भगवान सूर्य और माता षष्ठी की आराधना करें, तो उनको संतान की भी जल्द प्राप्ति होती है.