धर्म एवं ज्योतिष
25 या 26 कब है संवत की आखिरी पापमोचनी एकादशी, जानें पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व
17 Mar, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को पापमोचिनी एकादशी का व्रत किया जाता है. इस बार यह शुभ तिथि 25 मार्च दिन मंगलवार को है. यह एकादशी चैत्र नवरात्रि से पहले आती है और इस संवत की आखिरी एकादशी भी है. भगवान विष्णु को समर्पित इस एकादशी का अर्थ है समस्त पापों को नाश करने वाली एकादशी. अर्थात पापमोचनी एकादशी का व्रत करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मृत्यु के बाद मनुष्य को बैकुंठ धाम की प्राप्ति होती है. इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत रूप से पूजा अर्चना करने पर सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
पापमोचनी एकादशी का महत्व
पापमोचनी एकादशी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करने के बाद गीता या विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करने से कई जन्मों के पाप से मुक्ति मिल जाती है और शुभ फलों की प्राप्ति होती है. इस दिन चक्र, शंख और गदाधारी भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा अर्चना की जाती है और पूर्वजों की आत्मा को शांति भी मिलती है. धार्मिक मान्यता है कि जितना पुण्य हजारों वर्षों की तपस्या से मिलता है, उतना ही फल सच्चे मन से पापमोचनी एकादशी का व्रत और भगवान विष्णु की पूजा से मिलता है. इस दिन सुबह-शाम नारायण कवच का पाठ करना बहुत उत्तम माना गया है.
पापमोचनी एकादशी व्रत कब है?
एकादशी तिथि का प्रारंभ – 25 मार्च, सुबह 5 बजकर 5 मिनट से
एकादशी तिथि का समापन – 26 मार्च, सुबह 3 बजकर 45 मिनट तक
एकादशी तिथि का पारण – 26 मार्च, सुबह 8 बजकर 50 मिनट से पहले
उदिया तिथि को मानते हुए पापमोचनी एकादशी का व्रत 25 मार्च दिन मंगलवार को किया जाएगा.
पापमोचनी एकादशी पूजा मुहूर्त व शुभ योग
पापमोचनी एकादशी के दिन सुबह से शुभ योग बन रहे हैं, इन शुभ योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं. इस दिन सुबह से शिव योग बनेगा, जो दोपहर 2 बजकर 53 मिनट तक रहेगा, इसके बाद सिद्ध योग शुरू हो जाएगा. साथ ही इस दिन द्विपुष्कर योग, लक्ष्मी नारायण योग, मालव्य राजयोग भी बन रहा है.
पापमोचनी एकादशी व्रत पूजन विधि
– पापमोचनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान व ध्यान से निवृत होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और व्रत का संकल्प भी लें.
– इसके बाद चौकी पर भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की मूर्ति या तस्वीर रखकर, हर जगह गंगाजल से छिड़काव करें और पंचामृत से अभिषेक करें.
– अभिषेक के बाद भगवान विष्णु को रोली, अक्षत का तिलक लगाएं और तुलसी, पीले फूल, फल, धूप, दीप और नैवेघ अर्पित करें.
– भगवान विष्णु के सामने घी का दीपक जलाएं और भोग लगाकर आरती करें.
– भगवान विष्णु के मंत्रों के जप करें और फिर पापमोचनी एकादशी व्रत और विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें.
– दिनभर उपवास रखें और शाम के समय भी भगवान विष्णु की आरती करें और रात के समय जागरण करें.
– अगले दिन ब्राह्मण भोज कराएं और दान-दक्षिणा दें.
पापमोचनी एकादशी के दिन क्या ना करें
– पापमोचनी एकादशी के दिन तामसिक भोजन का सेवन ना करें और हर तरह के नशे से दूर रहें.
– एकादशी के दिन किसी को भी नुकसान ना पहुंचाना चाहिए. ना ही झूठ बोलना और ना ही किसी को धोखा देना चाहिए.
– एकादशी के दिन क्रोध ना करें और शांत रहकर ईश्वर का घ्यान करें.
बासोड़ा पर करें 5 सटीक उपाय, होगा संतान का भग्योदय! बनी रहेगी मां शीतला की कृपा!
17 Mar, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शीतला अष्टमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे बसोड़ा भी कहा जाता है. यह पर्व खासकर माताएं अपने बच्चों की भलाई और उनके उज्जवल भविष्य की कामना के लिए रखती हैं. शीतला अष्टमी होली के आठ दिन बाद, चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है. इस दिन माता शीतला की पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है. इस दिन विशेष पूजा और उपाय करने से संतान के जीवन में सुख-समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य और अपार सफलता मिलती है.
शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी
हिंदू पंचांग के अनुसार शीतला सप्तमी 2025 में 21 मार्च, को मनाई जा रही है. ये सुबह 2 बजकर 45 मिनट से लेकर 4 बजकर 23 मिनट तक होगा. वहीं, शीतला अष्टमी 22 मार्च, को मनाई जा रही है. जो सुबह 4:23 से लेकर 23 मार्च, सुबह 5:23 बजे तक रहेगा.
शीतला अष्टमी के उपाय
शीतला अष्टमी हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे बसोड़ा भी कहा जाता है. यह पर्व खासकर माताएं अपने बच्चों की भलाई और उनके उज्जवल भविष्य की कामना के लिए रखती हैं. शीतला अष्टमी होली के आठ दिन बाद, चैत्र माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है. इस दिन माता शीतला की पूजा करने से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है. इस दिन विशेष पूजा और उपाय करने से संतान के जीवन में सुख-समृद्धि, अच्छा स्वास्थ्य और अपार सफलता मिलती है. इस बार शीतला अष्टमी कब रखी जा रही इस दिन क्या उपाय करें आइए जानते हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
शीतला सप्तमी और शीतला अष्टमी
हिंदू पंचांग के अनुसार शीतला सप्तमी 2025 में 21 मार्च, को मनाई जा रही है. ये सुबह 2 बजकर 45 मिनट से लेकर 4 बजकर 23 मिनट तक होगा. वहीं, शीतला अष्टमी 22 मार्च, को मनाई जा रही है. जो सुबह 4:23 से लेकर 23 मार्च, सुबह 5:23 बजे तक रहेगा.
शीतला अष्टमी के उपाय
2. लाल रंग की वस्तुएं अर्पित करें
माता शीतला को इस दिन लाल रंग की वस्तुएं अर्पित करें. आप उन्हें लाल रंग के फूल, वस्त्र, श्रृंगार सामग्री आदि अर्पित कर सकते हैं. इससे घर में सुख-समृद्धि और खुशहाली आती है. लाल रंग को शुभ और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, इसलिए यह विशेष रूप से शीतला अष्टमी के दिन किया जाता है.
3. बासी भोग का महत्व
शीतला अष्टमी के दिन बासी भोजन को माता शीतला को अर्पित करना एक महत्वपूर्ण उपाय है. इस भोजन को अर्पित करने के बाद, उसी भोजन को गाय को भी खिलाना चाहिए. गाय को भोजन कराना और गौ सेवा करना संतान के लिए बहुत लाभकारी होता है. अगर संभव हो तो गौशाला में संतान के नाम से दान भी करें. इस उपाय से संतान के सभी दुख समाप्त होते हैं और उनका जीवन सुखमय बनता है.
4. मंत्र जाप करें
माता शीतला की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए शीतला अष्टमी के दिन मंत्र जाप करें. यह मंत्र है:
“शीतले त्वं जगन्माता शीतले त्वं जगत्पिता. शीतले त्वं जगद्धात्री शीतलायै नमो नमः.”
इस मंत्र का जाप करने से संतान का भविष्य उज्जवल होता है और उसके जीवन की सभी कठिनाइयां दूर होती हैं. साथ ही संतान को अच्छे स्वास्थ्य और सफलता का आशीर्वाद मिलता है.
5. व्रत का पालन
अगर आप शीतला अष्टमी का व्रत करते हैं, तो इसे पूरी श्रद्धा और निष्ठा से करें. इस दिन खास ध्यान रखें कि घर का वातावरण स्वच्छ और पवित्र रहे, ताकि देवी शीतला की कृपा बनी रहे. व्रत करने से संतान के जीवन में आने वाली समस्याएं खत्म होती हैं और जीवन में खुशियां आती हैं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
17 Mar, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- व्यय बाधा, स्वभाव में उद्विघ्नता तथा दु:ख कष्ट अवश्य होगा, ध्यान रखे।
वृष राशि :- किसी आरोप से बचे, कार्यगति मंद रहेगी, क्लेश व अशांति अवश्य होगी|
मिथुन राशि :- योजनाएं पूर्ण होगी, धन का व्यवसायिक लाभ होगा, आशानुकूल सफलता से हर्ष होगा|
कर्क राशि :- इष्ट मित्र सुख वर्धक होंगे, कार्यगति में सुधार होगा तथा चिन्ताएं कम होगी|
सिंह राशि :- मनोबल उत्साहवर्धक होगा, कार्यगति में सुधान होगा, चिन्ताएं कम होगी|
कन्या राशि :- सामर्थ्य और धन अस्त व्यस्त हो, सतर्कता से कार्य अवश्य निपटा लेंगे|
तुला राशि :- मान प्रतिष्ठा सुख के साधन बने, स्त्री वर्ग से सुख और शांति बनेगी|
वृश्चिक राशि :- अग्नि चोट आदि का भय, व्यर्थ भ्रमण, धन का व्यय होगा, रुके कार्य बने|
धनु राशि :- तनाव क्लेश व अशांति, मानसिक विभ्रम व विद्वेग तथा भय बना ही रहेगा|
मकर राशि :- विवाद ग्रस्त होने से बचिए, तनाव क्लेश, मानसिक अशांति अवश्य बनेगी|
कुंभ राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता मिलेगी, इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे|
मीन राशि :- भोग ऐश्वर्य की प्राप्ति, दिन उत्साह से बीते, मनोवृत्ति उत्तम बनेगी, ध्यान रखे|
फिर मनवाया विनीत कुमार ने अपनी प्रतिभा का लोहा
16 Mar, 2025 07:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई । बालीवुड अभिनेता विनीत कुमार सिंह ने लक्ष्मण उतेकर की छावा और रीमा कागती की सुपरबॉयज़ ऑफ़ मालेगांव में लगातार दो हिट फिल्में दीं। इन दोनों फिल्मों में उनके किरदारों को दर्शकों ने खूब सराहा और उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा एक बार फिर मनवाया। छावा में विनीत ने कवि कलश की भूमिका निभाई, जो एक निडर योद्धा, महान कवि और छत्रपति संभाजी महाराज के सबसे करीबी मित्रों में से एक थे। वहीं, सुपरबॉयज़ ऑफ़ मालेगांव में उन्होंने फरोग़ नामक संघर्षरत लेखक का किरदार निभाया, जो अपने सपनों को साकार करने के लिए कड़ा संघर्ष करता है। अभिनय के मामले में विनीत ने हमेशा की तरह बेहतरीन प्रदर्शन किया और आलोचकों को कोई शिकायत का मौका नहीं दिया। उनकी इस सफलता को देखते हुए हाल ही में उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में उनके योगदान के लिए एक प्रतिष्ठित पुरस्कार से नवाजा गया।
इस सम्मान से अभिभूत विनीत ने सोशल मीडिया पर अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए लिखा, मैं उन सभी का दिल से आभारी हूं, जिन्होंने मुझ पर विश्वास किया और मुझे नई ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए प्रेरित किया। यह पुरस्कार सिर्फ मेरी मेहनत का सम्मान नहीं है, बल्कि यह टीमवर्क और कम्युनिटी की ताकत का भी प्रमाण है। आपके संदेश हमेशा मेरे दिल को छू जाते हैं, जब आप कहते हैं कि मेरी सफलता आपको अपनी लगती है। और मैं आपको बताना चाहता हूं कि यह पुरस्कार मेरे लिए इतना खास इसलिए है क्योंकि यह आप सभी का है! आपकी दुआएं, प्रोत्साहन और समर्थन ही मेरी सबसे बड़ी ताकत हैं।
उन्होंने आगे कहा कि उनकी यात्रा में परिवार, दोस्तों, मेंटर्स और सहयोगियों का साथ हमेशा एक मजबूत आधार रहा है। विनीत ने अपने प्रशंसकों को धन्यवाद देते हुए यह भी कहा कि यह तो सिर्फ शुरुआत है, आगे और भी बड़ी उपलब्धियां उनका इंतजार कर रही हैं। बता दें कि साल 2025 अभिनेता विनीत कुमार सिंह के लिए बेहद खास साबित हुआ है। अपने प्रोजेक्ट्स में हमेशा वाइल्डकार्ड की तरह उभरने वाले विनीत इस बार भी आलोचकों और दर्शकों की तारीफें बटोरने में सफल रहे।
गरुड़ पुराण के अनुसार ये हैं 5 महापाप, जिनके कारण आत्मा को भी भोगना पड़ता है कष्ट
16 Mar, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म के कई प्रमुख ग्रंथों व शास्त्र हैं. जिनमें से एक गरुड़ पुराण को महापुराण कहा जाता है. गरुड़ पुराण में मनुष्य के जीवन, मृत्यु, पाप-पुण्य व धर्म के बारे में विस्तार से वर्णन मिलता है. इस पुराण में व्यक्ति को द्वारा जो पाप होते हैं उनके बारे में भी गहराई से बताया गया है.
दरअसल, गरुड़ पुराण के अनुसार व्यक्ति जो भी कर्म करता है उसका फल मरने के बाद उसकी आत्मा को भोगना पड़ता है. फिर चाहे व पुण्य कर्म हो या पाप कर्म. ऐसे में आपको बता दें कि गरुड़ पुराण में इस बात का जिक्र मिलता है कि जीवन में कुछ ऐसे पाप कर्म होते हैं जिनसे हमें बचकर रहना पड़ता है, नहीं तो हमें इसके कड़े परिणाम हमें भुगतने पड़ते हैं. ये हमारी आत्मा के लिए भी अत्यधिक हानिकारक बताए गये हैं.
ब्राह्मण हत्या
गरुड़ पुराण के अनुसार, ब्राह्मण हत्या का पाप सबसे बड़ा पाप माना गया है. माना जाता है कि ब्रह्मणों को विद्या और धर्म का प्रतीक माना जाता है. इसलिए इनकी हत्या करना करना आपके लिए बेहद कष्टकारी हो सकता है व आपकी आत्मा को भी इस पाप से कई कष्ट मिल सकता है.
गौ-हत्या
हिंदू धर्म में गाय को माता का दर्जा दिया गया है और ऐसे में गरुड़ पुराण में इस बात का स्पष्ट विवरण मिलता है कि गौ-हत्या महापाप होता है. अगर कोई व्यक्ति गौ-हत्या जैसे पाप का भागी बनता है तो उसे अत्यधिक दुखों का सामना करना पड़ सकता है और आत्मा को भी कई कष्ट मिलते हैं.
माता-पिता की अनादर
माता-पिता को भगवान का दर्जा दिया गया है. ऐसे में अगर हम अपने माता-पिता का अपमान करते हैं या फिर उनकी बातों की अव्हेलना करते हैं तो इससे बहुत बड़ा पाप माना जाता है. गरुड़ पुराण में इस पाप को बड़े पापों में शामिल किया गया है. इसलिए अपने माता-पिता का हमेशा सम्मान करना चाहिए.
किसी का शोषण करना
गरुड़ पुराण के अनुसार, अगर आप अपने फायदे के लिए किसी का शोषण करते हैं, या अनुचित तरीके से किसी की संपत्ति को हड़पते हैं या किसी के साथ दुष्कर्म करते हैं तो यह ना केवल आपके लिए बल्कि आपकी आत्मा के लिए भी काफी कष्टकारी हो सकता है. क्योंकि गरुड़ पुराण में इस महापाप माना जाता है.
धर्म के मार्ग से विचलित होना
व्यक्ति को हमेशा अपने जीवन में धर्म के मार्ग पर चलने की सलहा दी जाती है, क्योंकि जो व्यक्ति
अपने जीवन में धर्म मार्ग से भटक जाता है और नाना प्रकार के पाप कर्म में लीन हो जाता है उसका विनाश होना निश्चित हो जाता और वह गरुड़ पुराण में बताई गई सजा का पात्र भी बन जाता है. इसलिए हमेशा धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए.
खाटूश्याम मंदिर की मुख्य आरतियों का बदला समय, अब ये रहेगी टाइमिंग, इस वजह से हुआ परिवर्तन
16 Mar, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
विश्व प्रसिद्ध खाटूश्याम जी मंदिर में एक दिन के अंदर पांच बार आरती होती है. सर्दी और गर्मी में समय के हिसाब से अलग-अलग समय पर बाबा श्याम की पांचों आरती होती है. अगर आप बाबा श्याम के दरबार में आने वाले हैं, तो आपको श्याम मंदिर की विशेष आरती का समय जरूर पता होना चाहिए. हर भक्त बाबा श्याम की आरती के समय बाबा के दर्शन करना चाहते हैं.
श्री श्याम मंदिर कमेटी ने बाबा श्याम की दो मुख्य आरतियों के समय में बदलाव किया है. जानकारी के अनुसार फाल्गुन शुक्ल पक्ष से चैत्र कृष्ण पक्ष लगने के कारण बाबा श्याम की आरती के समय में परिवर्तन किया है.
आरती के समय में हुआ बदलाव
श्री श्याम मंदिर कमेटी ने बाबा श्याम की दो मुख्य आरतियों के समय में बदलाव कर दिया है. मंदिर कमेटी ने इसको लेकर सूचना जारी की है. जारी सूचना के अनुसार अब बाबा श्याम की श्रृंगार आरती सुबह 7:30 बजे होगी. इसी आरती के समय बाबा श्याम का विशेष श्रृंगार किया जाता है और वे हर दिन नए अलौकिक रूप में नजर आते हैं. इसके अलावा बाबा श्याम की संध्या आरती के समय में भी बदलाव किया गया है, अब बाबा श्याम की संध्या आरती शाम 7:00 बजे होगी.
यह है पांचों आरती का समय
मंदिर कमेटी के अनुसार अब गर्मियों के समय बाबा श्याम की पहली मंगला आरती सुबह 4:30 बजे, दूसरी श्रृगांर आरती सुबह 7:30 बजे, तीसरी भोग आरती दोपहर 12:30 बजे, चौथी संध्या आरती शाम 7:00 बजे होगी. वहीं पांचवीं एवं अंतिम शयन आरती रात 10:00 बजे होगी. आपको बता दें कि खाटूश्याम जी का श्रृंगार और संध्या आरती सबसे महत्वपूर्ण होती है. इन दोनों आरती के समय ही सबसे ज्यादा खाटू श्याम जी मंदिर में भक्तों की भीड़ रहती है.
बाबा श्याम की आरती का महत्व
श्याम भक्तों के अनुसार आरती के समय बाबा श्याम के दर्शन करना बहुत शुभ माना जाता है. यह समय भक्तों के लिए विशेष रूप से पवित्र और आध्यात्मिक होता है, क्योंकि आरती के दौरान भगवान की पूजा और आराधना के साथ-साथ भक्तों की प्रार्थनाएं विशेष रूप से सुनने योग्य मानी जाती है. इस समय बाबा श्याम के दर्शन से आत्मिक शांति और आशीर्वाद प्राप्त होता है.
किस शर्त पर द्रौपदी को दांव पर लगा बैठे थे युधिष्ठिर, किस इच्छा को दुर्योधन ने सालों मन में दबाया
16 Mar, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाभारत की कथा में द्रौपदी का दांव पर लगना एक ऐसा घृणित कृत्य है जिसकी गूंज आज भी सुनाई देती है. यह घटना न केवल एक स्त्री का अपमान था, बल्कि न्याय और धर्म का भी हनन था. इस घटना के लिए कौरवों के साथ-साथ पांडवों को भी जिम्मेदार ठहराया जाता है, खासकर युधिष्ठिर को जिन्होंने द्रौपदी को दांव पर लगाया था. दुर्योधन जो पुरुष वर्चस्व और अहंकार का प्रतीक था, पांडवों से द्वेष रखता था. उसने युधिष्ठिर को चौसर के खेल के लिए आमंत्रित किया एक ऐसा खेल जो छल और कपट से भरा था. शकुनि जो अपने पासे के जादू के लिए कुख्यात था दुर्योधन का साथ दे रहा था. युधिष्ठिर खेल की अनैतिकता जानते हुए भी इसे युद्ध से बेहतर मानते हुए खेलने के लिए राजी हो गए.
द्रौपदी को दांव पर लगाना
खेल शुरू हुआ और युधिष्ठिर एक के बाद एक अपनी सारी सम्पत्ति हारते चले गए. अंत में उन्होंने खुद को भी दांव पर लगा दिया और हार गए जिससे वे कौरवों के दास बन गए. दुर्योधन की कुटिलता यहीं नहीं रुकी. उसने युधिष्ठिर को द्रौपदी को दांव पर लगाने के लिए उकसाया. एक ऐसी स्थिति में जब युधिष्ठिर स्वयं दास बन चुके थे उनके द्वारा द्रौपदी को दांव पर लगाना न केवल अनैतिक था बल्कि नियमों का भी उल्लंघन था.
कहा जाता है कि दुर्योधन द्रौपदी के प्रति गुप्त रूप से आकर्षित था लेकिन उसके स्वाभिमानी स्वभाव के कारण वह उसे प्राप्त नहीं कर सका था. इसलिए उसने इस अपमानजनक कृत्य के माध्यम से अपना बदला लेने का निर्णय लिया. युधिष्ठिर को एक झूठी आशा दी गई कि अगर वो द्रौपदी को दांव पर लगाते हैं और जीत जाते हैं तो उन्हें उनका राज्य और सिंहासन वापस मिल जाएगा और कौरव उनके दास बन जाएंगे. इस लालच में आकर युधिष्ठिर ने द्रौपदी को दांव पर लगा दिया.
इसके बाद जो हुआ वह इतिहास का एक काला अध्याय बन गया. द्रौपदी को भरी सभा में अपमानित किया गया, उनके वस्त्र हरण का प्रयास किया गया. इस घटना ने पांडवों को क्रोधित कर दिया और महाभारत के युद्ध की नींव रखी.
द्रौपदी का दांव पर लगना न केवल एक स्त्री का अपमान था, बल्कि यह उस समय के सामाजिक मूल्यों और न्याय व्यवस्था पर भी एक गहरा आघात था. यह घटना आज भी हमें अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने और धर्म का पालन करने की प्रेरणा देती है. यह हमें यह भी याद दिलाता है कि लालच और अहंकार मनुष्य को किस हद तक अंधा बना सकता है.
चैत्र नवरात्रि से पहले शुक्र करेंगे बढ़ा खेल, इन 4 राशियों की चमकेगी किस्मत, व्यापार से नौकर तक मिलेगा आपार सफलता
16 Mar, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चैत्र नवरात्रि से पहले शुक्र का भयंकर उदय होने वाला है. इसके साथ ही 4 राशियों की किस्मत पूरी तरह बदल जाएगी, जिससे भयंकर लाभ मिलेगा.
चैत्र का महीना शुरू हो चुका है. चैत्र के महीने में ही चैत्र नवरात्रि का त्यौहार भी मनाया जाएगा. चैत्र नवरात्रि में माता दुर्गा के नौ रूपों की पूजा विधि विधान के साथ की जाती है. 30 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत होने वाली है, लेकिन उससे पहले शुक्र के चाल में परिवर्तन होने वाला है.
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार दैत्य के गुरु शुक्र सुख समृद्धि, धन, वैभव, प्रेम के कारक माने जाते हैं शुक्र. शुक्र की स्थिति में थोड़ा सा भी बदलाव होता है, तो 12 राशियों के ऊपर प्रभाव पड़ता है. किसी राशि के ऊपर सकारात्मक, तो किसी राशि के ऊपर ना प्रभाव पड़ता है.
शुक्र इस समय मीन राशि में विराजमान है. 17 मार्च को इसी राशि में अस्त हो जाएंगे. फिर 23 मार्च को इसी राशि में उदय भी होने वाले हैं.
शुक्र 23 मार्च को जब मीन राशि में उदय होंगे, तो चार राशियों के ऊपर बेहद सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, किस्मत बदल जाएगी. नौकरी बिजनेस में अपार सफलता प्राप्त होगी. वह चार राशि है वृषभ, कर्क, मकर और मीन.
जब शुक्र उदय होंगे, तो वृषभ राशि के ऊपर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. लम्बे समय से हर अटका हुआ कार्य पूर्ण होगा. करियर की बात करें, तो नई नौकरी के अवसर प्राप्त हो सकते हैं. व्यापार में भी आर्थिक मुनाफा होगा कोई नई बड़ी डील भी मिल सकती है.
जब शुक्र उदय होंगे तो कर्क राशि जातक के ऊपर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. भाग्य का पूरा साथ मिलेगा जिससे हर कार्य पूर्ण होगा. विदेश यात्रा का भी योग बन सकता है. आर्थिक स्थिति मजबूत होगी.आय के नए-नए स्रोत बनेंगे. खर्च कम और इनकम ज्यादा होगा, जिससे बैंक बैलेंस में भी बढ़ोतरी होने वाली है.
जब शुक्र उदय होंगे तो मकर राशि जातक के ऊपर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. आत्मविश्वास में वृद्धि होगी. बौद्धिक क्षमता में भी तेजी से वृद्धि होगी. शेयर बाजार में अगर धन निवेश करेंगे तो दो गुना मुनाफा का योग बनेगा. प्रॉपर्टी, जमीन या वाहन इत्यादि खरीद सकते हैं या फिर खरीदने का मन बना सकते हैं. व्यापार में भी आपको कोई बड़ा मुनाफा मिल सकता है.
जब शुक्र उदय होंगे तो मीन राशि जातक के ऊपर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. जीवनसाथी के साथ अच्छे संबंध बनेंगे. रिश्तो में सुख शांति बनी रहेगी. व्यापार में भी मुनाफा मिलेगा. आर्थिक स्थिति मजबूत होगी. पुराने जो भी कर्ज है वह समाप्त हो जाएगा.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
16 Mar, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- व्यय, बाधा, स्वभाव में उद्विघ्नता, दु:ख तथा कष्टप्रद स्थिति बनेगी, धैर्य रखें।
वृष राशि :- योजनायें पूर्ण होंगी, धन का व्यय, व्यवसायिक लाभ होगा, आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा।
मिथुन राशि :- किसी आरोप से बचें, कार्यगति मंद रहेगी, क्लेश व अशांति का वातावरण रहेगा।
कर्क राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, कार्यगति में सुधार होगा, चिन्ता कम होगी।
सिंह राशि :- मनोबल उत्सावर्धक होगा, कार्यगति में सुधार होगा, लाभ के अवसर प्राप्त होंगे।
कन्या राशि :- सामर्थ्य और धन अस्त-व्यस्त होगा, सतर्कता से कार्य अवश्य ही निपटा लें।
तुला राशि :- मान-प्रतिष्ठा, सुख के साधन बनेंगे, स्त्री वर्ग से सुख और शांति अवश्य होगी।
वृश्चिक राशि :- अग्नि, चोटादि का भय, व्यर्थ भ्रमण व धन का व्यय होगा, बनते कार्य रुकेंगे।
धनु राशि :- तनाव, क्लेश व अशांति, मानसिक विभ्रम, विद्वेश तथा भय बना ही रहेगा।
मकर राशि :- विवादग्रस्त होने से बचिये, तनाव, अशांति, मानसिक क्लेश रहेगा।
कुंभ राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता का हर्ष, इष्ट मित्र सुखवर्धक अवश्य होगा।
मीन राशि :- भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति, दिन उत्साह से बीतेगा, मनोवृत्ति उत्तम बनेगी ध्यान दें।
घर के मुख्य द्वार की किस दिशा में बनाएं स्वास्तिक?
15 Mar, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में हर शुभ कार्य को करने से पहले स्वास्तिक का चिन्ह बनाया जाता है. शास्त्रों के अनुसार स्वास्तिक चिन्ह बेहद शुभ होता है, इसलिए लोग इसे अपने घर के मुख्य द्वार पर या घर के मंदिर में विशेषतौर पर बनाते हैं. इसके साथ ही जब कोई नया वाहन खरीदता है या फिर कोई नया कार्य शुरू करता है तो उसके शुभ फलों की प्राप्ति के लिए स्वास्तिक का चिन्ह्न बनाया जाता है.
बहुत कम लोग जानते हैं कि स्वास्तिक को बनाने का सही तरीका क्या है और इसे किस दिशा में बनाना चाहिए. इसके साथ ही कहा जाता है कि जिस घर में द्वार पर यह चिन्ह होते हैं, वहां सदैव देवी-देवताओं का वास रहता है और नकारात्मकता दूर रहती है. तो आइए जानते हैं
स्वास्तिक बनाते समय कुछ विशेष बातों का रखें ध्यान
हल्दी व सिंदूर से बनाएं स्वास्तिक
स्वास्तिक कई वस्तुओं से बनाया जा सकता है, लेकिन वास्तु के नियमों के अनुसार माना जाए तो हल्दी और सिंदूर से स्वास्तिक बनाना शुभ होता है. इससे घर में वास्तुदोष दूर हो जाते हैं और घर में सुख-शांति बनी रहती है.
इस दिशा में बनाएं स्वास्तिक
शास्त्रों के अनुसार, स्वास्तिक चिन्ह बनाने की शुभ दिशा उत्तर-पूर्व दिशा मानी जाती है. अगर इस दिशा में स्वास्तिक चिन्ह्र बनाया जाए तो बहुत शुभ व लाभकारी माना जाता है. इसके साथ ही स्वास्तिक को अगर आप मंदिर के मुख्य द्वार पर बना सकते हैं, साथ ही घर के प्रवेश द्वार पर ही इसे बनाना चाहिए. ऐसा करने से देवी मां की कृपा बनी रहती है.
घर के मुख्य द्वार व मंदिर में बनाएं स्वास्तिक
स्वास्तिक का चिन्ह घर के मुख्य द्वार पर और मंदिर में बनाने से वास्तु संबंधी दोष दूर होते हैं. स्वास्तिक बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि उसकी लंबाई चार अंगुली लंबी और चौड़ी होनी चाहिए. बता दें कि मंदिर में जब हम हल्दी से स्वास्तिक बनाते हैं तो इससे घर में सकारात्मकता बनी रहती है और मां लक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है.
होली खेलने के तुरंत बाद करें चंद्र ग्रहण के ये उपाय, चंडाल समेत कई दोषों से मिलेगी मुक्ति और होगा धन लाभ
15 Mar, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
होली पर साल का पहला चंद्र ग्रहण लगा था, हालांकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं दिया लेकिन इसका प्रभाव मनुष्य, जीव-जंतु सभी पर पड़ता है और प्रकति में बदलाव देखने को मिलते हैं. कुंडली में चंद्रमा की स्थिति अनुकूल ना होने से चंद्र ग्रहण के दिन चंडाल दोष लगने की संभावना बढ़ जाती है इसलिए ग्रहण के खत्म होने के बाद भी कुछ लोगों को सावधानी से रहने की सलाह दी जाती है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, होली खेलने के बाद चंडाल योग और ग्रहण के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए कुछ विशेष उपाय अवश्य करने चाहिए. ऐसा करने से सभी तरह के दोषों से मुक्ति मिलती है और कुंडली में चंद्रमा की स्थिति अनुकूल रहती है.
इस उपाय से वातावरण होगा पवित्र
चंद्र ग्रहण के बाद तुरंत घर की साफ सफाई करनी चाहिए और पूरे घर में गंगाजल से छिड़काव भी करना चाहिए. साथ कपूर व सुंगधित धूपबत्ती अवश्य जलानी चाहिए. दरअसल ग्रहण का प्रभाव लंबे समय तक बना रहता है इसलिए घर की साफ सफाई और कपूर व धूपबत्ती जलाने से वातावरण पवित्र हो जाता है और चंडाल दोष भी दूर हो जाता है.
इस उपाय से दोष होंगे दूर
चंद्र ग्रहण के बाद घर के सभी सदस्य स्नान करें. अगर संभव हो तो किसी पवित्र नदी में स्नान करें अन्यथा स्नान के जल में गंगाजल मिला लें. ऐसा करने से ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव दूर होता है और चंद्रमा की स्थिति भी कुंडली में मजबूत होती है, जिससे मन शांत रहता है और हर अधूरे कार्य पूरे होते हैं.
इस उपाय से मिलेगा समाधान
चंद्र ग्रहण के बाद ईश्वर का ध्यान करें और शिवालय में जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित करें. साथ ही हनुमानजी की पूजा अर्चना करें और सुंदरकांड का पाठ करें. ऐसा करने से चंद्र ग्रहण का अशुभ प्रभाव दूर होता है और सभी समस्याओं का समाधान भी मिलता है.
इस उपाय से होगा फायदा
चंद्र ग्रहण के बाद दान करना बेहद उत्तम माना गया है. दान करने के लिए चंद्रमा से संबंधित चीजें जैसे – कपूर, दही, घी, शक्कर, दूध, सफेद कपड़ा आदि का दान करना चाहिए. साथ ही शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए काले तिल और सरसों का दान भी करना चाहिए. ऐसा करने से सभी दोष दूर होते हैं और नौकरी व कारोबार में फायदा मिलता है.
इस उपाय से मनोकामना होगी पूरी
पूजा, जप-तप व दान करने के बाद गाय माता की सेवा करनी चाहिए. सनातन धर्म में गौ पूजन का विशेष महत्व बताया गया है. गाय माता में 33 कोटी देवी देवता का वास होता है इसलिए गाय की सेवा और जलपान कराने से सभी देवी देवताओं का आशीर्वाद मिलता है और मनोकामना भी पूरी होती है.
देवी यमुना कैसे बनीं भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी? बेहद दिलचस्प है ये कहानी
15 Mar, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
यमुना नदी भारत की पांचवीं सबसे लंबी नदी है जो उत्तराखंड के उत्तरकाशी के यमुनोत्री से निकलती है. इस पवित्र नदी को यमी और कालिंदी जैसे नामों से भी जाना जाता है. वो सूर्यदेव की पुत्री हैं और मृत्यु के देवता यमराज और न्यायधीश शनिदेव की बहन भी हैं. पौराणिक कहानियों में यमुना को एक देवी माना गया है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि यमुना कैसे श्रीकृष्ण की पत्नी बनीं?
पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार देवी यमुना भगवान विष्णु से अगाध प्रेम करती थीं. उन्होंने कई जन्मों तक भगवान विष्णु को पाने के लिए कठोर तपस्या की. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उन्हें वरदान दिया कि द्वापर युग में कृष्ण अवतार में वे उन्हें प्राप्त कर लेंगी. जब भगवान कृष्ण का जन्म हुआ तो उनके पिता वासुदेव उन्हें यमुना नदी पार करके गोकुल ले जा रहे थे. उस समय यमुना नदी उफान पर थीं लेकिन जैसे ही कृष्ण के चरण टोकरी से बाहर निकले यमुना ने उन्हें स्पर्श कर लिया. कृष्ण के चरण स्पर्श करते ही यमुना का वेग शांत हो गया.
एक अन्य कथा के अनुसार एक बार कृष्ण और अर्जुन वन में घूम रहे थे. कृष्ण को प्यास लगी तो वे पानी की तलाश में आगे बढ़े. उन्हें एक सुंदर स्त्री भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए दिखाई दीं. कृष्ण ने उनसे परिचय पूछा तो उन्होंने बताया कि वे विष्णु जी को प्राप्त करना चाहती हैं. देवी यमुना ने कहा कि अब द्वापर युग आ गया है और उन्हें अब भी विष्णु जी वर के रूप में नहीं मिले तो वे सदा यहीं तपस्या करती रहेंगी.
यह सुनकर कृष्ण ने यमुना को अपना परिचय दिया और उनसे विवाह कर लिया. विवाह के बाद कृष्ण ने देवी यमुना को पूजनीय होने का वरदान दिया. उन्होंने कहा, “हे यमुने! तुम्हारी तपस्या संपूर्ण मानवजाति के लिए एक प्रेरणा है. मेरे भक्त निश्चित रूप से तुम्हारी कृपा भी पाएंगे.” कृष्ण से विवाह करने के बाद देवी यमुना फिर से अपनी धारा में समा गईं.
इस तरह देवी यमुना की अटूट भक्ति और तपस्या के कारण उन्हें श्रीकृष्ण की पत्नी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. उनकी कहानी हमें यह प्रेरणा देती है कि सच्ची भक्ति और लगन से कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
15 Mar, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कार्य व्यवसाय में विचलित होंगे, स्त्री शरीर कष्ट, मानसिक बेचैनी बनेगी।
वृष राशि :- आकस्मिक बेचैनी, स्वभाव में खिन्नता, थकावट, असमंजस व अस्थिरता की स्थिति बनेगी।
मिथुन राशि :- अकारण बेचैनी, शरीर कष्ट, चोट-चपेट व कष्टप्रद स्थिति बनेगी, धैर्य रखें।
कर्क राशि :- धन लाभ, आशानुकूल सफलता से लाभ होगा, बिगड़े कार्य बनेंगे ध्यान दें।
सिंह राशि :- मन में बेचैनी, धन लाभ, आशानुकूल सफलता से लाभ होगा, समय का ध्यान रखें।
कन्या राशि :- अर्थलाभ कुटुम्ब की समस्यायें अवश्य ही सुलझेंगी, स्त्री कार्य से हर्ष होगा।
तुला राशि :- विरोधी परेशान करेंगे, प्रतिष्ठा पर आंच आने का भय सावधान रहें, मानसिक तनाव।
वृश्चिक राशि :- कार्यवृत्ति में सुधार, प्रगति की ओर बढ़ेंगे, मित्रों के सहयोग से कार्य होंगे।
धनु राशि :- अधिकारियों से तनाव व क्लेश, मान-प्रतिष्ठा बाल-बाल बचे, रुके कार्य बनेंगे।
मकर राशि :- चिन्तायें कम होंगी, सफलता के साधन जुटायें, कार्य अवश्य ही होंगे।
कुंभ राशि :- आर्थिक परेशानी हो सकती है, कार्यवृत्ति में सुधार होगा, समय का ध्यान रखें।
मीन राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, आर्थिक योजना पूर्ण होगी, समय पर कार्य करें।
घर में नहीं टिक रहा पैसा, इस अचूक उपाय से कहीं नहीं जाएंगी लक्ष्मी!
14 Mar, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में पैसा कमाना जितना ज़रूरी है, उतना ही ज़रूरी है उसे बचाना. कई बार ऐसा होता है कि हम खूब मेहनत करते हैं, पैसा भी कमाते हैं लेकिन वो टिकता नहीं. आता है और तुरंत खर्च हो जाता है. अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है तो चिंता न करें. ज्योतिष और वास्तु शास्त्र में कुछ ऐसे उपाय बताए गए हैं, जिनसे आप अपनी आर्थिक स्थिति को सुधार सकते हैं और पैसे की बचत कर सकते हैं.
कुछ मुख्य कारण जिनकी वजह से पैसा नहीं टिकता
गलत वास्तु: ज्योतिषाचार्य अंशुल त्रिपाठी के अनुसार घर का वास्तु अगर सही नहीं है तो नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, जिससे आर्थिक परेशानियां आती हैं.
ग्रहों की दशा: ग्रहों की दशा भी आर्थिक स्थिति को प्रभावित करती है.
पैसा रोकने के कुछ अचूक उपाय
घर की सफाई: मां लक्ष्मी का वास वहीं होता है जहां साफ़-सफाई होती है. इसलिए घर को हमेशा साफ़ रखें, खासकर उत्तर-पूर्व दिशा को.
तुलसी की पूजा: रोज़ाना तुलसी के पौधे पर जल चढ़ाएं और शाम को दीपक जलाएं. इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा आती है और धन की वृद्धि होती है.
सूर्य को जल: सुबह सूर्य को जल अर्पित करें. इससे रुके हुए धन की प्राप्ति होती है.
नमक का उपाय: घर के उत्तर-पूर्व दिशा में एक बर्तन में नमक रखें. इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है.
झाड़ू का सम्मान: झाड़ू को लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. इसे हमेशा छुपा कर रखें और पैर न लगाएं.
दान करें: अपनी कमाई का कुछ हिस्सा दान करें. इससे पुण्य मिलता है और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है.
गुरुवार का व्रत: भगवान विष्णु को समर्पित गुरुवार का व्रत रखने से भी धन की प्राप्ति होती है.
कपूर का उपाय: शुक्रवार के दिन कपूर जलाकर उसका काजल बना लें और उससे एक भोजपत्र पर उस व्यक्ति का नाम लिखें, जिससे आपको पैसा लेना है. इससे रुका हुआ धन वापस आने की संभावना होती है.
सपने में देखा घोड़ा या कर रहे थे घुड़सवारी? जानें क्या ये शुभ संकेत है या आने वाली मुसीबत का इशारा?
14 Mar, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दिल्ली: सनातन धर्म में स्वप्न शास्त्र नाम का भी एक शास्त्र है और ऐसा माना जाता है कि कुछ सपने इंसान के लिए शुभ माने जाते हैं तो वहीं कुछ सपनों का अशुभ प्रभाव भी पड़ता है. आप में से बहुत सारे लोगों ने कभी ना कभी सपने में घोड़ा देखा होगा. जब आपने घोड़ा देखा होगा तो आपके मन में भी यह सवाल होगा इस सपने का मतलब क्या है? इसका आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा? क्या इससे आपके जीवन में पॉजिटिव इंपैक्ट पड़ेगा या नेगेटिव इंपैक्ट पड़ेगा तो चलिए जानते हैं कि अगर अपने सपने में घोड़ा देखा है तो इसका क्या मतलब होता है…
गौरतलब है कि स्वप्न शास्त्र के अनुसार मनुष्य के जीवन में सपने का बेहद महत्व होता है. जब भी कोई इंसान कोई सपना देखता है तो उसके अंदर यह उत्सुकता होती है कि उसने जो सपना देखा है वह शुभ है या अशुभ है. अगर आपने सपने में घोड़ा देखा है तो स्वप्न शास्त्र के मुताबिक यह शुभ माना जाता है. बता दें कि सपने में घोड़ा देखना अच्छा होता है और इससे इंसान के मान-सम्मान में वृद्धि होती है और साथ ही साथ समाज में भी उसका दर्जा ऊंचा होता है.
घोड़े की फोटो देखना
वही स्वप्न शास्त्र के मुताबिक सपने में घोड़े की फोटो देखना ही बेहद शुभ माना गया है. अगर आप सपने में घुड़सवारी कर रहे हैं तो इसका मतलब यह है कि आप जो भी कार्य करेंगे उसमें आपको सफलता प्राप्त होगी. यह सपना तरक्की की ओर इशारा करता है.
घोड़े को दौड़ते हुए देखना
अगर अपने सपने में घोड़े को दौड़ते हुए देखा है तो यह सपना भी अच्छा माना जाता है. इस सपने का मतलब यह होता है कि आप जल्दी किसी यात्रा पर जा सकते हैं या किसी यात्रा की प्लानिंग कर सकते हैं.
घोड़े को उड़ते हुए देखना
अगर अपने सपने में पंख वाले घोड़े को उड़ते हुए देखा है तो यह सपना भी शुभ माना जाता है और यह इशारा कि आपके घर में शुभ और मांगलिक कार्य होने वाला है.
बीमार या घायल घोड़े को देखना
अगर अपने सपने में किसी बीमार या घायल घोड़े को देखा है तो यह सपना इस बात का संकेत देता है कि आपको सतर्क रहने की जरूरत है. ऐसा माना जाता है कि आप हेल्थ संबंधी परेशानियों का सामना कर सकते हैं. इसलिए आपको अपनी हेल्थ को लेकर सावधान रहने की जरूरत है.