धर्म एवं ज्योतिष
महादेव का प्रतिनिधि होता है रुद्राक्ष, पहनने से होती है इच्छापूर्ति, जानें असली और नकली में फर्क
29 Apr, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रुद्राक्ष एक बहुत ही पवित्र और दिव्य माना जाता है. रुद्राक्ष को स्वयं महादेव के प्रतिनिधि के रूप में देखा जाता है. इसकी प्रयोग से व्यक्ति के जीवन से दुख दूर हो जाते हैं एवं सुखों में वृद्धि होती है. वैदिक काल से ही रुद्राक्ष को धारण करने की परंपरा रही है. मान्यता है कि रुद्राक्ष धारण करने से भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है. व्यक्ति को शिवतत्व की प्राप्ति होती है साथ ही जीवन से कष्टों की मुक्ति हो जाती है.
रुद्राक्ष के प्रकार : रुद्राक्ष के दाने एक मुखी से लेकर 21 मुखी तक होते हैं. इसके अलावा गौरी शंकर रुद्राक्ष गणेश रुद्राक्ष आदि अनेकों प्रकार के रुद्राक्ष पाये जाते हैं. 2मुखी से 14 मुखी रुद्राक्ष तक आसानी से मिल जाते है.1मुखी रुद्राक्ष एवं 15 मुखी से 21मुखी रुद्राक्ष बहुत ही दुर्लभ एवं महंगे मिलते हैं.गौरी शंकर रुद्राक्ष, गणेश रुद्राक्ष एवं त्रिजुटी रुद्राक्ष भी दुर्लभ एवं लाभदायक हैं.
एकमुखी रुद्राक्ष : एक मुखी रुद्राक्ष को ग्रहों के देवता सूर्य का प्रतिनिधि माना जाता है. जिन जातकों की जन्म कुंडली में मेष, कर्क, सिंह, तुला, वृश्चिक और धनु लग्न अथवा राशि है. ऐसी जहां तक इस एक मुखी रुद्राक्ष को धारण कर सकते हैं.
इच्छापूर्ति के लिये भी पहन सकते हैं रुद्राक्ष : राजनीति में सफल होने की इच्छा रखने वाले व्यक्ति, नौकरी में समस्याओं का सामना करने वाले व्यक्ति, सरकारी परेशानियों से मुक्ति, पिता पुत्र की संबंधों में कमी, उच्च पद की चाहना रखने वाले, जौहरी, मेडिकल क्षेत्र में कार्यरत और समाज में यश – कीर्ति और सम्मान में वृद्धि चाहने वाले व्यक्ति एक मुखी रुद्राक्ष को धारण करना चाहिए.
एमुखी रुद्राक्ष की पहचान : एक मुखी रुद्राक्ष गोल एवं काजू के आकार वाला होता है. यह इंडोनेसिया, भारत एवं नेपाल में पाये जाते हैं.इसमें नेपाली गोल दाना अत्यंत दुर्लभ एवं बेशकीमती माना गया है.इस रुद्राक्ष में सिर्फ एक धारी होती है. असली रुद्राक्ष डार्क ब्राउन अथवा काले रंग का होता है.इसको सरसों के तेल में रखने से यह और ज्यादा डार्क हो जाता है जबकि नकली रुद्राक्ष हल्का हो जाता है. रुद्राक्ष की ही शक्ल का भद्राक्ष भी बाजार में होता है. इसे खरीदने के समय पर इससे सावधान रहें.
शनिदेव की पूजा कैसे करें? यहां जानें सही तरीका, नियम और जरूरी बातें, बनी रहेगी न्याय के देवता की कृपा
29 Apr, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है, क्योंकि वह व्यक्ति के कर्मों के अनुसार फल देते हैं. शनि देव का नाम सुनते ही लोग अक्सर डर भी जाते हैं. अगर कुंडली में शनि नकारात्मक प्रभाव में हो, तो यह जीवन में अनेक कठिनाइयां बढ़ा देता है. इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए किस विधि से पूजा करनी चाहिए, पूजा का सही तरीका क्या है और इससे आपको किस प्रकार लाभ प्राप्त हो सकता है. इस बारे में बता रहे हैं .
अगर आप शनिदेव को प्रसन्न कर लें, तो जीवन के कष्टों में कमी आ सकती है और करियर व धन संबंधी मामलों में सफलता मिल सकती है. अगर आपके करियर या धन के मामलों में रुकावटें आ रही हैं, तो शनिदेव की पूजा करके आप इन्हें दूर कर सकते हैं. शनि के कारण जीवन में कष्ट हैं और आप श्रद्धा भाव से सही विधि से पूजा करते हैं, तो जीवन में राहत अवश्य मिलेगी. अब जानते हैं कि शनिदेव की पूजा करते समय किन सावधानियों का पालन करना चाहिए.
किन बातों का रखें ध्यान?
अगर प्रतिमा में शनि की आंखें बनी हों, तो प्रत्यक्ष रूप से उनकी मूर्ति के सामने खड़े होकर पूजा करने से हानि हो सकती है. शनि देव की पूजा शनि की मूर्ति के सामने न करें.
शनि देव की पूजा उसी मंदिर में करन चाहिए, जहां वह पत्थर (शीला) के रूप में हों, मूर्तिरूप में नहीं.
शनि की पूजा करने के लिए आप प्रतीक के रूप में शमी के वृक्ष या पीपल के वृक्ष की पूजा कर सकते हैं. ऐसा करने से भी शनि की कृपा आपको प्राप्त होगी.
पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाने से भी शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है.
दीपक कैसे जलाएं?
पीपल के वृक्ष के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाइए.
ध्यान रहे, तेल को व्यर्थ न करें.
मूर्ति या शीला पर तेल उड़ेलने की बजाय, थोड़ी मात्रा में दीपक में तेल भरकर जलाएं और शेष तेल किसी जरूरतमंद को दान कर दें.
शनि की पूजा करते समय आचरण कैसे रखें?
अगर आप लोगों से दुर्व्यवहार करते हैं, अपशब्दों का प्रयोग करते हैं, मांस-मदिरा का सेवन करते हैं और फिर भी शनि की कृपा चाहते हैं, तो यह संभव नहीं है.
शनि की कृपा प्राप्त करने के लिए आचरण और व्यवहार में शुद्धता और विनम्रता लानी अनिवार्य है.
एक सामान्य व्यक्ति शनिदेव की पूजा कैसे कर सकता है ?
शनिवार के दिन प्रातः भगवान शिव या भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें.
फिर शाम के समय शनि देव के मंत्र का जाप करें.
दो प्रमुख मंत्र हैं :
1. “ॐ शं शनैश्चराय नमः”
2. “ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः”
मंत्र जाप के बाद पीपल के वृक्ष की जड़ में जल चढ़ाएं.
फिर पीपल के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और शनिदेव से अपने जीवन की समस्याओं को दूर करने की प्रार्थना करें.
दीपक जलाने के बाद किसी गरीब व्यक्ति को भोजन कराएं या खाने-पीन की चीजों का या अनाज का दान करें.
शनिवार को तामसिक भोजन (मांस, मदिरा आदि) का सेवन भूलकर भी न करें.
पूरे दिन शुद्धता और सात्विकता का पालन करें.
अगर आप श्रद्धा, विधि और सही आचरण के साथ शनिदेव की पूजा करेंगे, तो जीवन से शनि संबंधी कष्ट अवश्य दूर होंगे.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
29 Apr, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनाव, उदर रोग, मित्र-लाभ, राजभय तथा पारिवारिक समस्या उलझेंगी।
वृष राशि :- सुख, मांगलिक कार्य होगा, विरोध, मामले-मुकदमे में जीत की संभावना है।
मिथुन राशि :- असंगति, हानि, विरोध, भय, यात्रा में हानि, सामाजिक कार्यों में सावधानी बरतें।
कर्क राशि :- भूमि-लाभ, स्त्री-सुख, कार्य-प्रगति, स्थिति मेंं सुधार, लाभ अवश्य होगा।
सिंह राशि :- तनाव तथा श्वांस रोग से बचें, विरोधी चिन्ता, राजकार्य से लाभ होगा।
कन्या राशि :- भूमिलाभ, स्त्री-सुख होगा, प्रगति, स्थिति में सुधार, लाभ अवश्य ही होगा।
तुला राशि :- प्रगति, वाहन का भय, भूमि-लाभ, कलह, कुछ अच्छे कार्य की योजना बनेगी।
वृश्चिक राशि :- कार्यसिद्धी, विरोध, लाभ, कष्ट, हर्ष, व्यय होगा, व्यापार में सुधार होगा।
धनु राशि :- यात्रा से हानि, मातृ-पितृ कष्ट, व्यय में कमी किन्तु कुछ व्यवस्था भी बनेगी।
मकर राशि :- शुभ कार्य, वाहनभय, रोगभय, धार्मिक कार्य में मन लगेगा, कुछ अच्छे कार्य बनेंगे।
कुंभ राशि :- अभीष्ट-सिद्धी, राजभय, कार्यबाधा, राज-कार्य में रुकावट का अनुभव होगा।
मीन राशि :- अल्प हानि, रोगभय, सम्पर्क लाभ, राजकार्य में विलम्ब व परेशानी अवश्य बनेगी।
मृगशिरा नक्षत्र के दूसरे चरण में गुरु का गोचर, 12 जून तक इन 5 राशियों को भाग्य देगा साथ, हर इच्छा होगी पूरी
28 Apr, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
गुरु बृहस्पति 28 अप्रैल दिन सोमवार को मृगशिरा नक्षत्र में गोचर करने वाले हैं. इस नक्षत्र में गुरु शाम 6 बजकर 5 मिनट पर दूसरे चरण चरण में प्रवेश करेंगे और 13 जून को आर्दा नक्षत्र में प्रवेश कर जाएंगे. गुरु अभी वृषभ राशि में मौजूद हैं और वह इसी नक्षत्र से विचरण करते हुए 14 मई को मिथुन राशि में प्रवेश कर जाएंगे. गुरु जहां एक राशि में एक साल तक गोचर करते हैं, वहीं नक्षत्र में एक महीने यानी 30 दिन तक रहते हैं. वैदिक ज्योतिष के अनुसार, गुरु एक शुभ ग्रह हैं और जब इनकी चाल बदलती है, तब इसका प्रभाव देश-दुनिया समेत मेष से मीन तक सभी 12 राशियों पर पड़ता है. आज हम आपको उन राशियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका फायदा इन राशियों को मिलेगा. मृगशिरा नक्षत्र के स्वामी मंगल ग्रह हैं और गुरु व मंगल ग्रह के बीच मित्रवत संबध हैं, जिसका फायदा वृषभ, वृश्चिक समेत इन 5 राशियों को मिलने वाला है. आइए जानते हैं गुरु मृगशिरा नक्षत्र में गोचर करने से किन किन राशियों को फायदा मिलने वाला है.
गुरु ग्रह का वृषभ राशि पर प्रभाव
गुरु ग्रह के इस नक्षत्र में आने से वृषभ राशि वाले स्वयं को अनुशासित रखते हुए आगे बढ़ेंगे और कई अधूरे कार्यों को पूरा करेंगे. इस अवधि में आपको अनुभवी लोगों की सलाह मिलेगी , जिससे आपको कई फायदे मिलेंगे. हर कार्य को बेहद समझदारी और धैर्य के साथ पूरा करेंगे और धन प्राप्ति के नए नए मार्ग भी मिलेंगे. इस राशि के जो जातक विदेश जाना चाहते हैं तो इस अवधि में उनकी यह इच्छा पूरी हो सकती है.
गुरु ग्रह का कर्क राशि पर प्रभाव
गुरु ग्रह के नक्षत्र में आने से कर्क राशि वालों को अटके धन की प्राप्ति होने के योग बन रहे हैं और आपकी सेहत में भी अच्छा सुधार देखने को मिलेगा. इस अवधि में बिजनस के दबाव को अच्छे से संभालेंगे और लाभ कमाने पूरी तरह सक्षम भी होंगे. आपके फिजूल के खर्चे कम होते जाएंगे और धीरे धीरे धन को संचित करने में सफलता भी मिलेगी. नौकरी करने वालों को भाग्य का पूरा साथ मिलेगा, जिससे कार्यक्षेत्र में अच्छा नाम कमाएंगे और कई दूसरी कंपनियों से अच्छे ऑफर भी मिलेंगे.
गुरु ग्रह का कन्या राशि पर प्रभाव
गुरु ग्रह के नक्षत्र परिवर्तन से कन्या राशि वालों को धन कमाने के कई अवसर प्राप्त होंगे और लव लाइफ में अगर कोई गलतफहमी चल रही है तो वह भी दूर हो जाएगी. अगर आप खुद का बिजनस करना चाहते हैं तो भाग्य का पूरा साथ मिलेगा और आपको बड़े बुजुर्गों से इस मामले पर अच्छी सलाह भी मिलेगी. इस राशि के जो जातक खुद का मकान या घर खरीदना चाहते हैं तो गुरु ग्रह की कृपा से उनकी इच्छा पूरी होगी और परिजनों का भी बहुत अच्छे से ध्यान रखेंगे.
गुरु ग्रह का वृश्चिक राशि पर प्रभाव
गुरु ग्रह के नक्षत्र परिवर्तन से वृश्चिक राशि वालों का पूरा ध्यान ज्यादा से धन कमाने पर रहेगा और अपनी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम भी होंगे. सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे इस राशि के छात्रों को भाग्य का पूरा साथ मिलेगा, जिससे उनकी यह इच्छा पूरी होगी. वैवाहिक जीवन में अगर कोई तनाव चल रहा है तो वह दूर हो जाएगा और दोनों के बीच संबंध मजबूत होंगे. इस अवधि में मित्रों का पूरा साथ मिलेगा, जिससे आपके घर के कई कार्य पूरे होंगे.
गुरु ग्रह का कुंभ राशि पर प्रभाव
गुरु के नक्षत्र परिवर्तन से कुंभ राशि वालों के जीवन में सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे और कर्ज की समस्या से परेशान हैं तो वह भी दूर हो जाएगी. इस राशि के नौकरी पेशा जातकों के कामकाज में अच्छा सुधार देखने को मिलेगा, जिससे अधिकारी आपके काम से काफी प्रसन्न भी होंगे. भाग्य का साथ मिलन से धन लाभ का आनंद उठाएंगे और किसी अच्छी जगह आपको निवेश का मौका भी मिलेगा, जिससे भविष्य में अच्छा लाभ भी होगा. परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी और माता पिता का हर कदम पर सहयोग मिलता रहेगा.
रांची के दिल में बसा ‘मिनी वृंदावन’, जहां पहाड़ों पर रास रचाते हैं राधा-कृष्ण, श्रद्धा और ध्यान का अनोखा संगम
28 Apr, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
लोग शांति और सुकून के लिए वृंदावन जाते हैं और राधा कृष्ण भगवान का दर्शन करते हैं. मनोकामना भी पूरी होती है और लोगों को ऐसा लगता है कि मानो वह स्वर्ग में हैं. सारे दुख भूल कर भगवान के साथ एकाकार की अनुभूति करते हैं. लेकिन, जब मन बेचैन होता है, तो हमेशा या फिर तुरंत लोग वृंदावन नहीं जा सकते हैं. वैसा ही सुकून आप झारखंड की राजधानी रांची के बीचो-बीच स्थित मिनी वृंदावन में जरूर ले सकते हैं.
दरअसल, हम बात कर रहे हैं रांची के चिरौंदी स्थित वृंदावन कॉलोनी में स्थित वृंदावन धाम की, जिसे यहां के लोग प्यार से मिनी वृंदावन कहते हैं. लोग कहते हैं, यहां आने का मतलब है कि वृंदावन ही आ गए. मन को इतनी सुकून और शांति मिलती है और कहीं नहीं मिलती है. थोड़ा सा भी मन बेचैन होता है, तो दौड़े चले आते हैं. यहां पर राधा कृष्ण भगवान का, तो दीदार होता ही है. साथ ही, यहां समस्त देवी देवता जैसे माता काली से लेकर गणेश देवता माता पार्वती, शिव भगवान हर किसी का दर्शन हो जाता है.
मानो की स्वर्ग लोक हो
यहां पर पहली बार आई दीपिका बताती है, यहां रांची में मायका था बाहर से आई हूं, तो किसी ने कहा यहां पर वृंदावन कॉलोनी है और एक खूबसूरत धाम भी है. पता नहीं था कि इतना खूबसूरत है, आकर सच में मजा आ गया. इतना सुकून और शांति मिल रहा है. सबसे अच्छी बात यह है कि यहां पर दर्शन के बाद बैठने की उचित व्यवस्था है. जगह-जगह इतना स्पेस है कि आप बैठकर साधना या ध्यान लगा सकते हैं या यूंही बैठ सकते हैं.
वहीं, रातू रोड की शीला देवी बताती है, मेरे पास कहने के लिए शब्द नहीं है.आप मेरे चेहरे से ही समझ लीजिए कि मुझे कितना सुकून मिल रहा होगा. यहां पर बस बैठे हुए चुपचाप बस एक बार दर्शन कर लिया और साइड में आके बैठ गए. बस इतना से ही इतना अच्छा लग रह एकदम शांति आ गई है.ऐसा लग रहा है कि मैं वृंदावन में ही हूं, यह कोई मिनी वृंदावन नहीं सच कहिए तो यही वृंदावन है.मन बहुत हल्का लग रहा है जो पहले थोड़ा सा भारी था.
राधा कृष्ण के साथ सारी देवी देवता के दर्शन
यहां की खास बात यह है कि आपको सिर्फ राधा कृष्ण भगवान के दर्शन नहीं होंगे.बल्कि, लक्ष्मी गणेश, शिव भगवान, शनि भगवान व सारे देवी देवताओं के दर्शन एक जगह हो जाएंगे. हनुमान जी की यहां पर एक बहुत ही बड़ी प्रतिमा है.साथ ही, यहां पर अगर आप प्रसाद लेना चाहते हैं, तो बाहर में दो-चार स्टॉल भी है. वहां से आप प्रसाद ले सकते हैं.पार्किंग की भी उचित व्यवस्था है. हालांकि, खाने की वैसे कोई व्यवस्था नहीं है उसके लिए आपको कम से कम 1 किलोमीटर दूर जाना पड़ेगा.
अक्षय तृतीया 30 अप्रैल को, 17 साल बाद रोहिणी नक्षत्र और बुधवार का महासंयोग
28 Apr, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कि त्रेतायुग का प्रारंभ भी अक्षय तृतीया को ही हुआ था, इसलिए इसे युगादि तिथि भी कहते हैं. इस दिन ग्रहों की शुभ स्थिति के कारण हर प्रकार का शुभ कार्य, जैसे गृह प्रवेश, व्यापार प्रारंभ, वाहन या संपत्ति खरीदारी दीर्घकालिक लाभ देती है.
भारतीय पंचांग के अनुसार वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है.'अक्षय' यानी जो कभी समाप्त न हो. इस दिन किया गया दान, हवन, पूजन व खरीदारी अक्षय पुण्य और स्थायी समृद्धि देती है.
इसे स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना गया है, जिसमें बिना किसी पंचांग देखे हर शुभ कार्य प्रारंभ किया जा सकता है. इस वर्ष अक्षय तृतीया 29 अप्रैल को शाम 5:32 बजे से प्रारंभ होकर 30 अप्रैल को दोपहर 2:15 बजे तक रहेगी.उदयातिथि मानकर 30 अप्रैल को इसका पर्व मनाया जाएगा.
विशेषता : 17 साल बाद बन रहा शुभ संयोग.इस बार अक्षय तृतीया पर बुधवार और रोहिणी नक्षत्र का विशेष संयोग बन रहा है, जो 17 साल बाद आया है.अगली बार यह संयोग 27 साल बाद, वर्ष 2052 में बनेगा. ज्योतिषाचार्य पं. अजय कृष्ण शंकर के अनुसार इस दिन पारिजात, गजकेसरी, केदार, काहल, हर्ष, उभयचरी और वाशी नामक सात राजयोग, सर्वार्थसिद्धि योग, शोभन योग और रवियोग जैसे 10 महायोग भी बनेंगे. इससे व्यापार, निवेश और नई शुरुआत अत्यंत शुभ फलदायी होगी.
अक्षय तृतीया के दिन सोना-चांदी खरीदने की परंपरा है. इसे धन-धान्य और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है.सोने को लक्ष्मी और चांदी को चंद्रमा का प्रतीक मानते हैं.
स्कन्द पुराण और पद्म पुराण में वर्णित है कि इस दिन कुबेर को देवताओं का खजांची नियुक्त किया गया था. उत्तर या पूर्व दिशा से सोने की खरीदारी विशेष शुभ मानी गई है, जो आत्मविश्वास और सकारात्मकता बढ़ाती है.
कि त्रेतायुग का प्रारंभ भी अक्षय तृतीया को ही हुआ था, इसलिए इसे युगादि तिथि भी कहते हैं. इस दिन ग्रहों की शुभ स्थिति के कारण हर प्रकार का शुभ कार्य, जैसे गृह प्रवेश, व्यापार प्रारंभ, वाहन या संपत्ति खरीदारी दीर्घकालिक लाभ देती है. स्कन्द पुराण के अनुसार, इस दिन किया गया निवेश या दान जीवनभर अक्षय फल प्रदान करता है.
30 नहीं, 29 अप्रैल को है परशुराम जयंती! जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व
28 Apr, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिन्दू धर्म में परशुराम जयंती का खास महत्व है. पंचांग के अनुसार, हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली तृतीया तिथि पर विष्णु जी के छठे अवतार भगवान परशुराम जी की जयंती मनाने का विधान है. भगवान विष्णु के इस अवतार को बहुत ही उग्र माना जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन सच्चे मन से भगवान परशुराम की पूजा करने से ज्ञान, साहस और शौर्य आदि की प्राप्ति होती है. साथ ही जीवन में खुशियां बढ़ती हैं.
अक्षय तृतीया डेट और शुभ मुहूर्त ?
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 29 अप्रैल को शाम 05 बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन यानी 30 अप्रैल को दोपहर 02 बजकर 12 मिनट पर तिथि खत्म होगी. ऐसे में 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया का पर्व मनाया जाएगा.
कब मनाई जाएगी पशुराम जयंती?
धार्मिक मान्यता के अनुसार, प्रदोष काल में भगवान परशुराम का अवतार हुआ है. इसलिए वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन प्रदोष काल में भगवान परशुराम विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है. ऐसे में 29 अप्रैल को परशुराम जयंती मनाई जाएगी.
भगवान परशुराम जयंती का धार्मिक महत्व
परशुराम जयंती पर श्रद्धालु व्रत रखते हैं. भगवान परशुराम की प्रतिमा या चित्र की विधिपूर्वक पूजा करते हैं. उनके जन्म की कथा का पाठ, हवन और दान करना भी इस दिन विशेष पुण्यकारी माना जाता है. परशुराम जी को ब्राह्मण और क्षत्रिय दोनों के गुणों का प्रतीक माना जाता है. इसलिए उनकी पूजा से ज्ञान, शक्ति और न्याय की प्राप्ति होती है.
परशुराम जयंती पर जरूर करें इन मंत्रों का जाप
ॐ ब्रह्मक्षत्राय विद्महे क्षत्रियान्ताय धीमहि तन्नो राम: प्रचोदयात्।।
ॐ जामदग्न्याय विद्महे महावीराय धीमहि तन्नो परशुराम: प्रचोदयात्।।
ॐ रां रां ॐ रां रां परशुहस्ताय नम:।।
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
28 Apr, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- हर्ष, यात्रा, राजसुख, सफलता, गृहकलह, हानि तथा मानसिक अशांति अवश्य रहेगी।
वृष राशि :- विरोध, व्यय, कष्ट, अशांति तथा भ्रम, शिक्षा-लेखन कार्य में सफलता मिलेगी।
मिथुन राशि :- व्यापार में क्षति, यात्रा, विवाद, उद्योग-व्यापार की स्थिति लाभ-हानि की रहेगी।
कर्क राशि :- शरीर मध्यम, भूमि व राजभय, लाभ, सफलता का दिन साबित होगा, ध्यान रखें।
सिंह राशि :- वाहन, राजभय, कष्ट, यात्रा शुभ होगी, कार्य में व्यय होगा, ध्यान दें।
कन्या राशि :- व्यय, प्रवास, विरोध, भूमि का लाभ होगा, शुभ कार्य में व्यवस्था बनेगी।
तुला राशि :- रोगभय, मातृसुख, यात्रा, व्यापार में सुधार होगा, रुके कार्य बन जायेंगे।
वृश्चिक राशि :- कार्य-सिद्धी, लाभ, विरोध, भूमि-लाभ, राजकार्य में बाधा, व्यवस्था न बनेगी।
धनु राशि :- लाभ कार्य में रुचि, यश, हर्ष, यात्रा उत्तम, शिक्षा जगत की स्थिति सामान्य रहेगी।
मकर राशि :- विरोधियों से व्यापार में हानि, शरीर-कष्ट, धार्मिक कार्य हो, अच्छे कार्य बनेंगे।
कुंभ राशि :- लाभ-हानि की स्थिति, व्यय, प्रभाव-प्रतिष्टा, रोगभय, विरोधी असफल अवश्य होंगे।
मीन राशि :- राजभय, चोट, राज कार्य में विलम्ब से परेशानी होगी, ध्यान दें।
अक्षय तृतीया का उठाएं लाभ, राशियों के अनुसार घर ले आएं ये चीज, जाग उठेंगे सोए भाग्य
27 Apr, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अक्षय तृतीया हिंदू धर्म में अत्यंत पावन और शुभ पर्व के रूप में मनाई जाती है. इस दिन को अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है, यानी इस दिन बिना किसी विशेष मुहूर्त देखे शुभ कार्य किए जा सकते हैं. माना जाता है कि अक्षय तृतीया पर की गई खरीदारी से धन, सुख और समृद्धि में लगातार वृद्धि होती है. इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए राशियों के अनुसार सही वस्तुएं खरीदना विशेष लाभकारी माना गया है.
ज्योतिषी अखिलेश के अनुसार, इस दिन राशियों के अनुसार सही वस्तु की खरीदारी करने से मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है. चाहे आप आभूषण खरीदें, भूमि में निवेश करें या धार्मिक सामग्री, हर निवेश आजीवन शुभ फल प्रदान कर सकता है. इसलिए सही निर्णय लेकर इस पावन अवसर का पूरा लाभ उठाइए और अपने जीवन को समृद्धि से भर दीजिए.
मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए अक्षय तृतीया पर सोना, चांदी अथवा बहुमूल्य धातु के आभूषण खरीदना अत्यंत शुभ रहेगा. ये खरीदारी आपके जीवन में आर्थिक समृद्धि और स्थायित्व लाएगी.
वृष राशि
वृष राशि के जातकों के लिए व्यापार से जुड़ी वस्तुएं जैसे इलेक्ट्रॉनिक आइटम्स, मशीनरी या तकनीकी उपकरण खरीदना लाभदायक रहेगा. ये दिन निवेश के लिए भी उत्तम है.
मिथुन राशि
मिथुन राशि वाले जातक इस दिन नई किताबें, शैक्षणिक सामग्री या संचार उपकरण खरीद सकते हैं. इससे उनके ज्ञान और करियर में उन्नति होगी.
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए कपड़े, गृहसज्जा की सामग्री या नया फर्नीचर खरीदना शुभ रहेगा. इससे घर में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा.
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों को वाहन खरीदने या भूमि-जायदाद में निवेश करने का विचार करना चाहिए. इससे लंबे समय तक संपत्ति में वृद्धि संभव है.
कन्या राशि
कन्या राशि के लोग इस दिन स्वास्थ्य से जुड़ी वस्तुएं जैसे फिटनेस उपकरण या स्वास्थ्य बीमा खरीद सकते हैं. ये भविष्य में लाभ और सुरक्षा देगा.
तुला राशि
तुला राशि के जातक भी कर्क राशि की तरह फैशन या गृहसज्जा से जुड़ी वस्तुएं खरीद सकते हैं. आर्टवर्क या सौंदर्य प्रसाधन खरीदना भी शुभ रहेगा.
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि वालों के लिए बैंकिंग, निवेश, बीमा या सोने के सिक्के जैसी वित्तीय संपत्ति खरीदना लाभकारी सिद्ध होगा. भविष्य के लिए यह एक मजबूत आधार बनेगा.
धनु राशि
धनु राशि के जातकों को धार्मिक वस्तुएं जैसे पूजा सामग्री, मंदिर के लिए सामान या आध्यात्मिक पुस्तकें खरीदनी चाहिए. इससे जीवन में अध्यात्मिक उन्नति होगी.
मकर राशि
मकर राशि वाले इस दिन इलेक्ट्रॉनिक्स, मोबाइल, लैपटॉप या ऑफिस से जुड़ी सामग्री खरीद सकते हैं. इससे कार्यक्षमता में वृद्धि होगी.
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातक इस दिन वाहन, यात्रा से जुड़ी सेवाएं या विदेश से संबंधित निवेश कर सकते हैं. ये आगे चलकर बड़े अवसर लेकर आएगा.
मीन राशि
मीन राशि वालों के लिए जेमस्टोन, आध्यात्मिक वस्तुएं या पानी से जुड़ी चीजें जैसे एक्वेरियम खरीदना शुभ रहेगा. इससे धन-धान्य और शांति का वास होगा.
मंत्रों में सबसे पवरफुल होता है 'बीज मंत्र'! नियमित जाप से मनोकामनाएं होंगी पूर्ण, जानें इसका अर्थ और इसके लाभ
27 Apr, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में किसी भी भगवान की पूजा बिना मंत्र जाप के अधूरी है. ज्योतिष आचार्यों के मुताबिक, मंत्र कईं तरह के होते हैं और उनका लाभ या असर भी भिन्न होता है. इसके बीज मंत्र को सबसे पावरफुल मंत्र माना गया है. जी हां, ये ऐसा मंत्र है जो आपकी इच्छा के अनुसार सब कुछ देने की क्षमता रखता है. हालांकि, इसके लिए आपको पता होना चाहिए कि उनका उपयोग कैसे करना है. बीज मंत्र का उपयोग करते समय सबसे महत्वपूर्ण बात है उच्चारण. क्योंकि, बीज मंत्र का आपका उच्चारण जितना अधिक सटीक होगा और इच्छा पर ध्यान केंद्रित होगा उतना ही आसान होगा. अब सवाल है कि आखिर बीज मंत्र का अर्थ क्या है?
बीज मंत्र अर्थ क्या है?
ज्योतिष आचार्य की मानें तो, बीज मंत्र उन ध्वनियों से जुड़ा होता है जिनकी अपनी आवृत्ति होती है. ब्रम्हांड में बहुत कुछ ‘अनदेखा’ और ‘अस्पष्टीकृत’ हैं और एक बार जब आप उन्हें समझ जाते हैं, तो बीजे मंत्रों की मदद से आप अपने दर्शन प्रकट कर सकते हैं. इसे बहुत गंभीरता से लेने की जरूरत है. यदि कोई विशिष्ट व्यक्ति अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए इसका उपयोग कर रहा है. इसके लिए समर्पण, दृढ़ संकल्प और फोकस की जरूरत है.
रोज बीज मंत्र जाप करने के लाभ
– बीज मंत्र आपको अधिक आध्यात्मिक बना सकते हैं जितना आप कभी महसूस कर सकते हैं या सोच सकते हैं.
– ज्योतिषाचार्य के मुताबिक, बीज मंत्र का एक भी शब्द आपके जीवन में सुंदर बदलाव ला सकता है.
– बीज मंत्रों के बारे में सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि आप उनका उपयोग ध्यान करते समय भी कर सकते हैं.
– बीज मंत्रों से चिकित्सीय लाभ भी होते हैं. वे आपके दर्द को शांत करते हैं और आपको मानसिक रूप से आराम देते हैं.
– बीज मंत्रों का जाप करते हुए सोने से उनका उप-चेतन मन मंत्रों का जाप करता रहता है और इसलिए, मन के उस हिस्से में भी बदलाव होता है.
– बीज मंत्र आपकी यौन ऊर्जा को शांत करता है. यदि आपकी यौन ऊर्जा किसी तरह की निराशा में बदल गई है, तो उसी पर पूर्ण विराम लगाने का समय आ गया है.
जिन घरों में महिलाएं करती हैं ये गलतियां, वहां से चली जाती हैं मां लक्ष्मी, घर में आती है भयंकर कंगाली!
27 Apr, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजा-पाठ के साथ रोजमर्रा के आचरण का भी विशेष महत्व होता है. कई बार अनजाने में की गई कुछ छोटी-छोटी गलतियां हमारे घर में दरिद्रता को निमंत्रण देती हैं और फिर लाख कोशिशों के बावजूद भी आर्थिक परेशानियां खत्म नहीं होतीं. हर घर की समृद्धि उस महिला पर निर्भर करती है, जो पूरे परिवार की देखभाल करती है और घर की व्यवस्था को संभालती है. कई बार घर की महिलाएं जाने-अनजाने में कुछ गलतियां कर देती हैं, जिसका असर घर की आर्थिक स्थिति और खुशहाली पर पड़ता है. आइए जानते हैं वे कौन-कौन सी गलतियां हैं, जिनसे महिलाओं को बचना चाहिए. इस बारे में बता रहे हैं
झाड़ू का अनादर न करें
शास्त्रों के अनुसार झाड़ू में मां लक्ष्मी का वास होता है. अगर महिलाएं झाड़ू को ठोकर मारती हैं या गलत जगह फेंक देती हैं, तो यह माता लक्ष्मी का अपमान माना जाता है. माता लक्ष्मी ऐसे घरों से दूरी बना लेती हैं. झाड़ू को हमेशा आदर के साथ सही स्थान पर रखें.
दरवाजे का सम्मान करें
अगर महिलाएं दरवाजे को पैर से ठोकर मारकर खोलती या बंद करती हैं तो यह भी माता लक्ष्मी के अपमान के समान है. हमेशा दरवाजे को आदरपूर्वक हाथ से खोलें और बंद करें.
दहलीज पर भोजन
हिंदू धर्म में दहलीज पर बैठकर भोजन करना अशुभ माना गया है. यह नकारात्मक ऊर्जा को आमंत्रित कर सकता है और घर की बर्बादी का कारण बन सकता है.
शाम या रात में झाड़ू न लगाएं
शास्त्रों के अनुसार, शाम या रात के समय झाड़ू लगाने से घर में दरिद्रता आ सकती है. झाड़ू हमेशा सुबह के समय ही लगानी चाहिए.
सुबह जल्दी उठने की आदत डालें
जो महिलाएं देर तक सोती हैं, उनके घर में आलस्य और नकारात्मकता बढ़ती है, जिससे परिवार के सदस्यों को असफलताओं का सामना करना पड़ सकता है.
खुले बालों के साथ रात को न सोएं
रात में खुले बाल रखकर सोना नकारात्मक शक्तियों को आकर्षित कर सकता है. इसलिए सोते समय बालों को खोलकर न सोएं.
नकारात्मक सोच और निंदा से बचें
जो महिलाएं हमेशा नकारात्मक सोच में डूबी रहती हैं, दूसरों की निंदा और बुराई में लगी रहती हैं और बिना वजह दूसरों के घरों के मामलों में दखल देती हैं, उनके घर में सुख-शांति टिक नहीं पाती.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
27 Apr, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :-किसी शुभ समाचार मिलने से प्रसन्नता, हर्ष होगा, कार्यगति एवं व्यावसाय उत्तम होगा।
वृष राशि :- मनोवृत्ति संतोषशील रहेगी, कार्यगति में अनुकूलता, चिंता कम होगी, ध्यान रखें।
मिथुन राशि :- किसी प्रलोभन से हानि, मनोवृत्ति संवेदनशील रहेगी, कार्यगति अनुकूल रहेगी।
कर्क राशि :- अनायास यात्रा में उद्विघ्नता बनेगी, स्त्री वर्ग से विवाद व परेशानी बनेगी।
सिंह राशि :- विरोधियों के षणयंत्र से मानसिक परेशानी बनेनी, सतर्कता से कार्य अवश्य निपटायें।
कन्या राशि :- शरीर कष्ट, लाभ, राजभय, उद्योग-व्यापार मेंं उलझन, आंशिक लाभ होगा।
तुला राशि :- धार्मिक लाभ, कष्ट, अनाप-सनाप व्यय होगा, परेशानी अवश्य ही बनेगी।
वृश्चिक राशि :- राज बाधा, उलझन, यात्रा से कष्ट, गृहकार्य, राजकार्य में रुकावट बनेगी।
धनु राशि :- शत्रुभय, मुकदमे में जीत, रोगभय किन्तु व्यापार में सुधार अवश्य होगा।
मकर राशि :- व्यापार में लाभ, शत्रुभय, धन सुख, धार्मिक खर्च बढ़ेगा, कुछ अच्छे कार्य होंगे।
कुंभ राशि :- कलह, व्यर्थ खर्च, कार्य सफलता, विरोधी असफल रहें, व्यापार में सुधार अवश्य होगा।
मीन राशि :- स्वजन सुख, पुत्र चिन्ता, सुख की हानि, व्यापार की स्थिति अच्छी नहीं रहेगी।
अक्सर सपने में दिखाई देती है कुल देवी? किसी बड़ी घटना का संकेत! ऐसा सपना दिखे तो क्या करें आप?
26 Apr, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर व्यक्ति के जीवन में सपनों का खास महत्व होता है. कई बार ऐसे सपने आते हैं जो सिर्फ कल्पना नहीं होते, बल्कि वे कोई खास संदेश लेकर आते हैं. अगर आपने हाल ही में या अक्सर सपने में अपनी कुलदेवी को देखा है, तो यह एक सामान्य बात नहीं है. स्वप्न शास्त्र के अनुसार, कुलदेवी का बार बार सपने में दिखना आपके जीवन से जुड़े कुछ खास इशारे देता है.
क्या मतलब है कुलदेवी का सपने में आने से
कुलदेवी को परिवार की रक्षक माना जाता है. जब वे सपने में बार बार नजर आती हैं, तो इसका मतलब होता है कि आपके जीवन में कुछ अच्छा होने वाला है या कोई परेशानी खत्म होने की ओर बढ़ रही है. यह सपना संकेत देता है कि कुलदेवी आपके साथ हैं और आपके ऊपर उनका आशीर्वाद है.
ये संकेत अच्छे होते है
अगर कुलदेवी आपके सपने में शांत भाव में दिखती हैं या मुस्कुरा रही होती हैं, तो यह बहुत ही शुभ संकेत होता है. यह आपके घर में सुख शांति और तरक्की की ओर इशारा करता है. अगर कोई काम लंबे समय से अटका हुआ है, तो वह अब पूरे होने लगेंगे.
क्या कुछ गलत होने की ओर इशारा कर रही है
कई बार कुलदेवी का अचानक बार बार सपने में आना किसी आने वाली परेशानी का संकेत भी हो सकता है. लेकिन डरने की जरूरत नहीं है. यह सपना आपको पहले से आगाह करता है कि आप सावधान हो जाएं और कुलदेवी से मन ही मन प्रार्थना करें. इससे आपको सही रास्ता मिल सकता है और मुश्किलें आसान हो सकती हैं.
इन छोटे छोटे आसान उपाय से कुल देवी को खुश करें
अगर आप बार बार ऐसे सपने देख रहे हैं, तो यह समय है जब आप अपनी कुलदेवी को प्रसन्न करें. इसके लिए कुछ आसान उपाय अपनाए जा सकते हैं
1.रोज रात घी का दीपक जलाएं
रात को सोने से पहले कुलदेवी के सामने घी का दीपक जलाएं. आंखें बंद करके उनके सामने ध्यान लगाएं और घर की सुरक्षा की प्रार्थना करें.
2.कुल देवी को पीले चावल चढें
हल्दी में लिपटे हुए पीले चावल को पानी में भिगोकर कुलदेवी को चढ़ाना शुभ माना जाता है. इसके साथ चंदन और सिंदूर का तिलक भी करें.
3.पान भी भोग चढें
कुलदेवी को पान में इलायची, लौंग, सुपारी, गुलकंद और थोड़ी दक्षिणा रखकर अर्पित करें. इससे घर की दिक्कतें दूर होने लगती हैं.
4.सुपारी को भी पूजा में करें शामिल करें
अगर कुलदेवी की मूर्ति या तस्वीर उपलब्ध नहीं है, तो एक साफ सुपारी लेकर उस पर कलावा लपेटें और उसे कुलदेवी का प्रतीक मानकर पूजा करें.
कब है वट सावित्री व्रत? इस दिन कुंवारी कन्याएं जरूर करें ये काम, अगले लग्न तक मिल जाएंगे पिया!
26 Apr, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कई लड़कियों की कुंडली में कुछ दोष होने के कारण शादी में कई समस्याएं आती हैं. कभी रिश्ते बनते-बनते टूट जाते हैं, तो कभी रिश्ते बनने में बहुत देरी होती है. इन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए एक शुभ तिथि आ रही है, जो है वट सावित्री व्रत. मान्यता है कि नई नवेली दुल्हन या सुहागिन महिलाएं व्रत रखकर वट सावित्री के दिन वटवृक्ष की पूजा करती हैं, तो उन्हें अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है. लेकिन यह व्रत कुंवारी लड़कियां भी रख सकती हैं, जिससे शादी में आ रही समस्याएं समाप्त हो जाएंगी. वट सावित्री व्रत कब है और इस दिन कुंवारी लड़कियां कैसे पूजा करें,
क्या कहते हैं
कि इस साल 2025 में 26 मई को वट सावित्री व्रत रखा जाएगा. वट सावित्री के दिन निर्जला व्रत रखकर सुहागिन महिलाएं वटवृक्ष की पूजा करती हैं. इसके साथ ही भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है.
कुंवारी लड़कियां ऐसे करें वट सावित्री के दिन पूजा
ज्योतिषाचार्य कहते हैं कि वट सावित्री के दिन कुंवारी लड़कियां भी अपनी मनोकामना के लिए संध्या काल में भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करें. साथ ही माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें. इसके साथ ही गौरी मंत्र का जाप करें. ऐसा करने से निश्चित रूप से अगले लग्न में विवाह तय हो जाएगा.
कौवे का घर पर आना शुभ संकेत होता है या अशुभ?
26 Apr, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कौवे से जुड़ा एक रहस्य हर किसी के मन में होता है. हम सभी ने कभी न कभी अपने घर के आसपास या छत पर कौवे को देखा है. लेकिन सवाल यह है कि क्या कौवे का आना शुभ संकेत होता है या अशुभ? अधिकतर लोग कौवे को लेकर नकारात्मक सोच रखते हैं. कई लोग तो यह भी मानते हैं कि अगर कौवा किसी को छू ले, तो तुरंत स्नान करना चाहिए क्योंकि यह अशुद्धि का संकेत होता है. लेकिन क्या यह सच है? क्या वास्तव में कौवा अशुभ होता है?
कौवे के संकेतों का अर्थ
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, कौवा भविष्य को देखने और संकेत देने में सक्षम होता है. अगर वह हमारे घर की छत, मुंडेर या पेड़ पर बैठता है, तो इसका एक विशेष अर्थ होता है.
कौवा अगर घर की छत पर पानी पीता हुआ दिख जाए तो यह संकेत है कि आपको जल्द ही धन लाभ होगा.
कौवा अगर आपको छत या घर के आंगन में दाना खाता हुआ दिखे तो यह समृद्धि और मान-सम्मान का प्रतीक है. इसका मतलब है आपको जल्द तरक्की मिलने वाली है.
कौवा आंगन में आकर ‘कांव-कांव’ करे तो यह बताता है कि कोई शुभ व्यक्ति या मेहमान आपके घर आने वाला है.
कौवा अगर सुबह-सुबह घर के सामने बोले तो यह धन, प्रतिष्ठा और ऐश्वर्य का संकेत है.
अशुभ संकेत
बहुत सारे कौवे शोर मचाते हुए छत या आंगन में आएं तो यह आर्थिक या शारीरिक संकट का संकेत हो सकता है.
कौवा सिर पर बैठ जाए या सिर को छू ले तो यह गंभीर शारीरिक संकट की चेतावनी हो सकती है.
यात्रा और कार्य के संदर्भ में कौवे के संकेत
आप कहीं काम से जा रहे हैं और पीछे से कौवे की आवाज आए तो यह संकेत है कि आपका कार्य सफल होगा और पुराने संकट समाप्त होंगे.
अगर दाईं ओर से कौवा आए और बाईं ओर निकल जाए तो यह भी कार्य की सफलता का शुभ संकेत है.
कौवा और पितरों का संबंध
कौवे को पितरों का प्रतीक भी माना जाता है. इसलिए यदि घर में कौवा आए, तो उसे रोटी, चावल, दही आदि का भोग लगाना चाहिए. इससे पितृ प्रसन्न होते हैं और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है.