धर्म एवं ज्योतिष
चैत्र माह की अमावस्या रहेगी विशेष
20 Mar, 2025 07:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में अमावस्या तिथि बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस माह चैत्र माह की अमावस्या तिथि 28 मार्च को रात 7:55 बजे से शुरू होकर 29 मार्च को शाम 4:27 बजे समाप्त होगी। सनातन धर्म में अमावस्या तिथि बेहद खास मानी जाती है। इस बार शनिवार के दिन अमावस्या होने की वजह से इसे शनि अमावस्या कहा जाता है!
इस शुभ अवसर पर गंगा समेत अन्य पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है और मां गंगा की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। इसके अलावा, अमावस्या तिथि पर पितरों के तर्पण के साथ ही पिंडदान भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर महादेव की पूजा से सभी तरह की परेशानियों से छुटकारा मिलता है, वहीं पूर्वजों का तर्पण करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है। शनि अमावस्या का खास महत्व और शुभ योग । ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इस शनि अमावस्या के दिन कई दुर्लभ योग बन रहे है। इस दिन ब्रह्मा और इंद्र योग का शुभ संयोग भी बन रहा है। इसके अलावा, दुर्लभ शिव वास योग का भी निर्माण हो रहा है, जिसमें गंगा स्नान कर भगवान शिव के साथ शनिदेव की पूजा-अर्चना करने से हर मनोकामना पूरी होगी और जीवन में सुखों का आगमन होगा।
सोना धारण करने से होता है गुरु मजबूत
20 Mar, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सोना पहनना सभी को पसंद होता है पर इस कीमती धातु को पहनने के भी कई नियम होते हैं। ज्योतिष के रत्न शास्त्र में बताया गया है कि, सोना धारण करने से गुरु ग्रह को मजबूत किया जा सकता है। जातकों को कुंडली में ग्रहों की स्थिति और राशि के अनुसार रत्न को धारण करना चाहिए। सोने को पहनने के लिए कुछ नियम बताए गए हैं, जिन्हें पालन करना काफी जरुरी है अन्यथा नुकसान भी हो सकता है। सोने का सही विधि और सही तरीके से धारण करने से लाभ प्राप्त होता है। सोने के धारण से करने से धन-लाभ व संतान सुख की प्राप्ति होती है। आइए आपको बताते हैं सोने को कब और कैसे धारण करना आवश्य होता है। सोने का गुरु से संबंधित होने के कारण सोना को गुरुवार के दिन धारण करना शुभ माना जाता है। इसे पहनने से पहले शुद्ध करना जरुरी है। आप चाहे तो इसे अंगूठी या चेन के रुप में धारण से कर सकते हैं। सोने को शुद्धि करने के लिए आप गंगाजल, दूध और शहद से शुद्ध करें। फिर इसे आप भगवान विष्णु के चरणों में अर्पित कर दें। विधि-विधान से पूजा करने के बाद अंगूठी और चेन को पहन सकते हैं। माना जाता है कि, रविवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन सोना धारण करना शुभ होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सोने का धारण मेष, कर्क, सिंह, धनु और मीन राशि के लोगों को धारण करना चाहिए। वहीं, मकर, मिथुन, कुंभ और वृषभ राशि के जातकों को सोना नहीं पहनना चाहिए। इसके साथ ही कुंडली में गुरु की स्थिति देखकर ही सोना का धारण करना चाहिए।
भगवान श्रीकृष्ण की हर लीला भक्तों के मन को है लुभाती
20 Mar, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भक्ति की परंपरा में भगवान श्रीकृष्ण सबसे ज्यादा आकर्षित करने वाले भगवान हैं। योगेश्वर रूप में वे जीवन का दर्शन देते हैं तो बाल रूप में उनकी लीलाएं भक्तों के मन को लुभाती है।आज पूरब से लेकर पश्चिम तक हर कोई कान्हा की भक्ति से सराबोर है। चैतन्य महाप्रभु के भक्ति आन्दोलन के समय श्रीकृष्ण का जो महामंत्र प्रसिद्ध हुआ, वह तब से लेकर अब तक लगातार देश दुनिया में गूंज रहा है। आप भी मुरली मनोहर श्रीकृष्ण की कृपा पाने के लिए उनके मंत्र के जाप की शुरुआत कर सकते हैं।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण
कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम
राम राम हरे हरे॥
१५वीं शताब्दी में चैतन्य महाप्रभु के भक्ति आन्दोलन के समय प्रसिद्ध हुए इस मंत्र को वैष्णव लोग महामन्त्र कहते हैं। इस्कान के संस्थापक के श्रील प्रभुपाद जी अनुसार इस महामंत्र का जप उसी प्रकार करना चाहिए जैसे एक शिशु अपनी माता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए रोता है।
ॐ नमो भगवते श्री गोविन्दाय
भगवान श्रीकृष्ण के इस द्वादशाक्षर (12) मंत्र का जो भी साधक जाप करता है, उसे सुख, समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। प्रेम विवाह करने वाले अभिलाषा रखने वाले जातकों के लिए यह रामबाण साबित होता है।
कृं कृष्णाय नमः
यह पावन मंत्र स्वयं भगवान श्रीकृष्ण द्वारा बताया गया है। इसके जप से जीवन से जुड़ी तमाम बाधाएं दूर होती हैं और घर-परिवार में सुख और समृद्धि का वास होता है।
ॐ श्री कृष्णाय शरणं मम्।
जीवन में आई विपदा से उबरने के लिए भगवान श्रीकृष्ण का यह बहुत ही सरल और प्रभावी मंत्र है। इस महामंत्र का जाप करने से भगवान श्रीकृष्ण बिल्कुल उसी तरह मदद को दौड़े आते हैं जिस तरह उन्होंने द्रौपदी की मदद की थी।
आदौ देवकी देव गर्भजननं, गोपी गृहे वद्र्धनम्।
माया पूज निकासु ताप हरणं गौवद्र्धनोधरणम्।।
कंसच्छेदनं कौरवादिहननं, कुंतीसुपाजालनम्।
एतद् श्रीमद्भागवतम् पुराण कथितं श्रीकृष्ण लीलामृतम्।।
अच्युतं केशवं रामनारायणं कृष्ण:दामोदरं वासुदेवं हरे।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं जानकी नायकं रामचन्द्रं भजे।।
श्रद्धा और विश्वास के इस मंत्र का जाप करने से न सिर्फ तमाम संकटों से मुक्ति मिलती है, बल्कि सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। सुख, समृद्धि और शुभता बढ़ाने में यह महामंत्र काफी कारगर साबित होता है।
अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम् ।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 1 ।।
वचनं मधुरं चरितं मधुरं वसनं मधुरं वलितं मधुरम्
चलितं मधुरं भ्रमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 2 ।।
वेणुर्मधुरो रेणुर्मधुरः पाणिर्मधुरः पादौ मधुरौ ।
नृत्यं मधुरं सख्यं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 3 ।।
गीतं मधुरं पीतं मधुरं भुक्तं मधुरं सुप्तं मधुरम् ।
रूपं मधुरं तिलकं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 4 ।।
करणं मधुरं तरणं मधुरं हरणं मधुरं रमणं मधुरम् ।
वमितं मधुरं शमितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 5 ।।
गुञ्जा मधुरा माला मधुरा यमुना मधुरा वीची मधुरा ।
सलिलं मधुरं कमलं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 6 ।।
गोपी मधुरा लीला मधुरा युक्तं मधुरं मुक्तं मधुरम् ।
दृष्टं मधुरं शिष्टं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 7 ।।
गोपा मधुरा गावो मधुरा यष्टिर्मधुरा सृष्टिर्मधुरा ।
दलितं मधुरं फलितं मधुरं मधुराधिपतेरखिलं मधुरम् ।। 8 ।।
कन्हैया की स्तुति करने के लिए तमाम मंत्र हैं लेकिन यह मंत्र उनकी मधुर छवि का दर्शन कराती है। इस मंत्र की स्तुति में कान्हा की अत्यंत मनमोहक छवि उभर कर सामने आती है। साथ ही साथ योगेश्वर श्रीकृष्ण के सर्वव्यापी और विश्व के पालनकर्ता होने का भी भान होता है।
भगवान शिव हैं महायोगी
20 Mar, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान शिव की जिंदगी के हर पहलू से कुछ न कुछ सीखा जा सकता है लेकिन यहां हम कुछ उनसे जुड़ी कुछ ऐसी बातों का जिक्र कर रहे हैं। जिन्हें, कोई व्यक्ति अपनी जिंदगी में आत्मसात करते है तो उसे सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है।रखें आत्म नियंत्रण : भगवान शिव शांत भी रहते हैं और विनाशकारी भी, लेकिन वह अपने ऊपर पूरा आत्मनियंत्रण रखते हैं। यदि कोई मनुष्य उनकी इस बात को आत्मसात करे तो जीवन में काफी आगे तक जा सकता है।
शांत रहें और अपना कार्य करते रहें : शिव को महायोगी कहा जाता है। वह घंटों और युगों तक ध्यान अवस्था में रहते हैं। और ध्यान में मानव कल्याण के लिए कार्य करते हैं। यदि कोई मनुष्य उनकी इसी सीख से शांत रहकर अपने कार्य को करते रहें तो सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है।
ध्यान रखें भौतिक सुख लंबे समय का साथी नहीं : शिव का स्वरूप भभूतधारी है। वह बाघ की खाल पहने हुए हैं। उनके हाथों में त्रिशूल है। वह भौतिक वस्तुओं से दूर रहते हैं। यदि कोई मनुष्य भौतिक जीवन की लालसा को त्याग कर अपने कर्म पर ध्यान दे तो वो न केवल सफल होगा बल्कि उसकी प्रशंसा चारो तरफ की जाती है।
नकारात्मकता से रहें दूर : भगवान शिव ने दुनिया बचाने के लिए समुद्र मंथन से निकले जहर को अपने कंठ में सुशोभित किया। इससे तमाम तरह की नकारात्मकता का अंत हुआ और दुनिया का सर्वनाश होने से बच गया। कहने का आशय यह है कि यदि हम भी अपने आस-पास मौजूद नकारात्मकता यानी बुराई का अंत करें तो सकारात्मक माहौल हमारे आस-पास हमेशा रहेगा।
इच्छाएं सीमित रखें : कहते हैं इच्छाओं का कभी अंत नहीं होता। यानी जो आपके पास है। उसमें ही हंसी-खुशी जिंदगी जीएं तो जीवन स्वर्ग की तरह हो जाएगा। भगवान शिव संन्यासियों की तरह जीवन जीते हैं। वह इच्छाओं से परे हैं। यदि कोई उनकी इन बातों को आत्मसात करे। तो सफलता उनके कदमों तले होगी
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
20 Mar, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- तनाव पूर्ण वातावरण से बचिये, स्त्री शरीर कष्ट, मानसिक बेचैनी अवश्य होगी।
वृष राशि :- अधिकारियों के समर्थन से सुख होगा, कार्यगति विशेष अनुकूल होगी, ध्यान दें।
मिथुन राशि :- भोग-ऐश्वर्य की प्राप्ति के बाद तनाव, क्लेश व अशांति अवश्य होगी, ध्यान दें।
कर्क राशि :- अधिकारियों का समर्थन फलप्रद होगा, भाग्य साथ दे, बिगड़े कार्य अवश्य बनेंगे।
सिंह राशि :- परिश्रम सफल हो, व्यवसाय गति मंद हो, आर्थिक योजना पूर्ण अवश्य होगी।
कन्या राशि :- कार्य-व्यवसाय गति मंद, व्यर्थ परिश्रम, कार्य में बाधा के योग अवश्य बनेंगे।
तुला राशि :- किसी दुर्घटना से बचें, चोट आदि का भय होगा, कार्य-व्यवसाय अनुकूर रहे।
वृश्चिक राशि :- कार्यगति अनुकूल रहे, लाभांवित कार्य योजना बनेगी, बाधा अवश्य होगी।
धनु राशि :- कुछ प्रतिष्ठा के साधन बनेंगे किन्तु हाथ में कुछ न लगे, कार्य अवरोध होगा।
मकर राशि :- अधिकारी वर्ग से तनाव, क्लेश व मानसिक अशांति, कार्य अवरोध होगा।
कुंभ राशि :- मनोबल बनाये रखें, योजनाएं पूर्ण हों, नया कार्य अवश्य प्रारंभ होगा।
मीन राशि :- दैनिक कार्यगति उत्तम, कुटुम्ब में सुख, समय उत्तम बनेगा ध्यान रखें।
नवरात्रि के 9 दिन घर के मेन गेट पर जलाएं ऐसा दीपक, प्रसन्न हो मां दुर्गा दूर कर देंगी कष्ट
19 Mar, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चैत्र नवरात्र इस साल 30 मार्च, 2025 से शुरू हो रहे हैं. इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है. इसलिए ये 9 दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित हैं. कहा जाता है कि इन दिनों मां स्वयं पृथ्वी लोक पर आ कर अपने भक्तों के कष्ट हरती हैं. ऐसे में मां के नौ स्वरूपों का बहुत ही विशेष रूप से पूजन किया जाता है. नवरात्रि के पहले ही दिन से मां की चौकी सजाई जाती है. हवन-कीर्तन किया जाता है तो वहीं कुछ भक्त नौ दिनों के लिए अखंड जोत भी प्रज्वलित करते हैं. दरअसल हमारे शास्त्रों में दीपक जलाने का विशेष महत्व बताया गया है. खासतौर से आटे से बने हुए दीपक को बहुत ही शुभ माना गया है. कहते हैं कि आटे का दीपक जलाने से घर में सुख शांति और समृद्धि का आगमन होता है. तो चलिए जानते हैं आटा का दीपक बनाने और लगाने का सही तरीका.
पूजा के लिए ऐसे बनाएं आटा का दीया
नवरात्रि के लिए आटे का दीया बनाने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. इसमें सबसे पहले आटे को गंगाजल मिले हुए पानी से गूंथ लें. आटा न ज्यादा मुलायम रखें ना ही बहुत सख्त. जब बिना हाथों में चिपके इसकी लोई आराम से बन जाए तब ये आटा बिल्कुल ठीक है. आटे में आप थोड़ी सी हल्दी भी मिला लें, ताकि आटे का रंग सफेद न लगे.
चैत्र नवरात्र इस साल 30 मार्च, 2025 से शुरू हो रहे हैं. इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है. इसलिए ये 9 दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को समर्पित हैं. कहा जाता है कि इन दिनों मां स्वयं पृथ्वी लोक पर आ कर अपने भक्तों के कष्ट हरती हैं. ऐसे में मां के नौ स्वरूपों का बहुत ही विशेष रूप से पूजन किया जाता है. नवरात्रि के पहले ही दिन से मां की चौकी सजाई जाती है. हवन-कीर्तन किया जाता है तो वहीं कुछ भक्त नौ दिनों के लिए अखंड जोत भी प्रज्वलित करते हैं. दरअसल हमारे शास्त्रों में दीपक जलाने का विशेष महत्व बताया गया है. खासतौर से आटे से बने हुए दीपक को बहुत ही शुभ माना गया है. कहते हैं कि आटे का दीपक जलाने से घर में सुख शांति और समृद्धि का आगमन होता है. तो चलिए जानते हैं आटा का दीपक बनाने और लगाने का सही तरीका.
पूजा के लिए ऐसे बनाएं आटा का दीया
नवरात्रि के लिए आटे का दीया बनाने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. इसमें सबसे पहले आटे को गंगाजल मिले हुए पानी से गूंथ लें. आटा न ज्यादा मुलायम रखें ना ही बहुत सख्त. जब बिना हाथों में चिपके इसकी लोई आराम से बन जाए तब ये आटा बिल्कुल ठीक है. आटे में आप थोड़ी सी हल्दी भी मिला लें, ताकि आटे का रंग सफेद न लगे.
मोरपंख के इस अनोखे प्रयोग से बदल जाएंगे आपके सितारे ! कुंडली में मौजूद सभी ग्रह हो जाएंगे उच्च
19 Mar, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मोर पंख को ज्योतिष शास्त्र में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने और नकारात्मक ऊर्जा को घर से बाहर निकालने के लिए जाना जाता है. मोरपंख का भारतीय संस्कृति में भी महत्वपूर्ण स्थान है. भगवान श्री कृष्ण स्वयं अपने मुकुट में मोरपंख को स्थान देते थे. मान्यता है कि मोर पंख वातावरण में सामंजस्य और संतुलन को बढ़ावा देकर घर के अंदर सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ाता है. ज्योतिष और वास्तु शास्त्र में मोर पंख को बहुत शुभ माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र में और वास्तु शास्त्र में मोर पंख से संबंधित कई उपाय बताए गए हैं जिन्हें करने से व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आ जाती है और सभी नौ ग्रहों के शुभ फल प्राप्त होने लगते हैं. चलिए समझते हैं कि मोर पंख का प्रयोग करके कैसे हम अपने सभी ग्रहों को सुधार सकते हैं.
केतु : घर के किसी भी हिस्से में मोर पंख को ऐसी जगह रखें. जहां धूप आती हो ऐसा करने से आपकी कुंडली में मौजूद केतु ग्रह शुभ फल देने लगते है.
Gemstone Benefits : इस दुर्लभ मोती को पहनते ही गुस्सा हो जाता है गायब! व्यावसायिक घाटा और अनहोनी से होगा बचाव, जानें और भी बातें
शुक्र : घर में दर्पण या ड्रेसिंग टेबल के सामने मोर पंख रखने से कुंडली में मौजूद शुक्र ग्रह उच्च परिणाम देने लगता है. इससे जीवन में भोग विलासिता बढ़ती है और वैवाहिक जीवन सुख में रहता है.
सूर्य : सोने की अंगूठी में मोर पंख धारण करने से व्यक्ति के जीवन में सूर्य ग्रह से संबंधित शुभ फल प्राप्त होने लगते हैं. सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे छात्रों को यह उपाय अवश्य करना चाहिए.
चंद्र : अपने शयन कक्ष में एक पात्र में दूध भरकर उसमे मोर पंख डूबा कर रखने से चंद्र ग्रह उच्च परिणाम देने शुरू कर देते हैं. जिन जातकों को किसी भी प्रकार की मानसिक समस्या अथवा ओवरथिंकिंग की समस्या हो ऐसे लोगों को यह उपाय अवश्य करना चाहिए.
मंगल : मोर पंख को लाल कपड़े में लपेटकर रखने से जन्म कुंडली में मौजूद मंगल ग्रह शुभ फल देने लगता है. जिन जातकों को गुस्सा अधिक आता हो ऐसे लोगों को यह उपाय अवश्य करना चाहिए.
राहु : मोर पंख को नीले कपड़े में लपेटकर रखने से आपके जीवन में धन से संबंधित समस्याएं खत्म हो जाती हैं. इससे राहु ग्रह आपको शुभ फल देना शुरू कर देते हैं.
बृहस्पति : घर की पूजा स्थल में पीले फूल के साथ मोर पंख रखने से देवगुरु बृहस्पति शुभ फल देने लगते हैं इससे हमारे सौभाग्य में वृद्धि होती है. विवाह में आ रही रुकावटें भी दूर हो जाती है.
शनि : मोर पंख को सरसों के तेल में डूबा कर घर में रखने से शनि से संबंधित पीड़ाओं से छुटकारा मिलता है. साढ़ेसाती एवं ढैय्या, शनि दोष से मुक्ति के लिये यह बहुत कारगर उपाय है.
बुध : कॉपी, किताब या किसी भी धार्मिक पुस्तक में एक मोरपंख रखने से बुध ग्रह के शुभ फल प्राप्त होते हैं. इससे बच्चों की हकलाहट एवं त्वचा से संबंधित रोग, एलर्जी आदि सही होती है.
गणेश चालीसा, जय जय जय गणपति गणराजू , हर रोज पाठ करने से दूर होंगे सभी विघ्न
19 Mar, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने से सभी कष्ट व विघ्य दूर होते हैं और हर कार्य में उन्नति प्राप्त होती है. गणेश चालीसा का पाठ करने से सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. साथ ही सभी कार्यों में सफलता मिलती है और परिवार के सदस्यों पर गणेशजी का आशीर्वाद बना रहता है, जिससे घर में सुख-शांति बनी रहती है. गणेशजी अपने भक्तों को मुसीबतो को दूर रखते हैं, जिससे उनके सभी कार्य सफल होते हैं.
श्री गणेश चालीसा
दोहा
जय गणपति सदगुण सदन, कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥
चौपाई
जय जय जय गणपति गणराजू।
मंगल भरण करण शुभः काजू॥
जै गजबदन सदन सुखदाता।
विश्व विनायका बुद्धि विधाता॥
वक्र तुण्ड शुची शुण्ड सुहावना।
तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥
राजत मणि मुक्तन उर माला।
स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं।
मोदक भोग सुगन्धित फूलं॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित।
चरण पादुका मुनि मन राजित॥
धनि शिव सुवन षडानन भ्राता।
गौरी लालन विश्व-विख्याता॥
ऋद्धि-सिद्धि तव चंवर सुधारे।
मुषक वाहन सोहत द्वारे॥
कहौ जन्म शुभ कथा तुम्हारी।
अति शुची पावन मंगलकारी॥
एक समय गिरिराज कुमारी।
पुत्र हेतु तप कीन्हा भारी॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा।
तब पहुंच्यो तुम धरी द्विज रूपा॥
अतिथि जानी के गौरी सुखारी।
बहुविधि सेवा करी तुम्हारी॥
अति प्रसन्न हवै तुम वर दीन्हा।
मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्धि विशाला।
बिना गर्भ धारण यहि काला॥
गणनायक गुण ज्ञान निधाना।
पूजित प्रथम रूप भगवाना॥
अस कही अन्तर्धान रूप हवै।
पालना पर बालक स्वरूप हवै॥
बनि शिशु रुदन जबहिं तुम ठाना।
लखि मुख सुख नहिं गौरी समाना॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं।
नाभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं॥
शम्भु, उमा, बहुदान लुटावहिं।
सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा।
देखन भी आये शनि राजा॥20॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं।
बालक, देखन चाहत नाहीं॥
गिरिजा कछु मन भेद बढायो।
उत्सव मोर, न शनि तुही भायो॥
कहत लगे शनि, मन सकुचाई।
का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ।
शनि सों बालक देखन कहयऊ॥
पदतहिं शनि दृग कोण प्रकाशा।
बालक सिर उड़ि गयो अकाशा॥
गिरिजा गिरी विकल हवै धरणी।
सो दुःख दशा गयो नहीं वरणी॥
हाहाकार मच्यौ कैलाशा।
शनि कीन्हों लखि सुत को नाशा॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो।
काटी चक्र सो गज सिर लाये॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो।
प्राण मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे।
प्रथम पूज्य बुद्धि निधि, वर दीन्हे॥
बुद्धि परीक्षा जब शिव कीन्हा।
पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा॥
चले षडानन, भरमि भुलाई।
रचे बैठ तुम बुद्धि उपाई॥
चरण मातु-पितु के धर लीन्हें।
तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें॥
धनि गणेश कही शिव हिये हरषे।
नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥
तुम्हरी महिमा बुद्धि बड़ाई।
शेष सहसमुख सके न गाई॥
मैं मतिहीन मलीन दुखारी।
करहूं कौन विधि विनय तुम्हारी॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा।
जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा॥
अब प्रभु दया दीना पर कीजै।
अपनी शक्ति भक्ति कुछ दीजै॥
दोहा
श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान।
नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान॥
सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश।
पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ती गणेश॥
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
19 Mar, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- कुटुम्ब की चिन्ताएं मन व्यग्र रखे, किसी के कष्ट के कारण हानि अवश्य होगी|
वृष राशि :- भाग्य का सितारा साथ देगा, बिगड़े हुए कार्य अवश्य ही बन जायेंगे, ध्यान दें|
मिथुन राशि :- इष्ट मित्र से तनाव क्लेश व अशांति तथा कार्य व्यवसाय में बाधा होगी|
कर्क राशि :- दैनिक कार्यगति अनुकूल, परिश्रम अधिक करना पड़ेगा, फल कम मिलेगा|
सिंह राशि :- योजनाएं फलीभूत हो, सुख के साधन बनें, तनाव क्लेश व अशांति से बचे|
कन्या राशि :- बड़े-बड़े लोगों से मेल मिलाप एवं समस्याएं सुधरे, सुख के कार्य अवश्य हो|
तुला राशि :- साधन सम्पन्नता के योग बने तथा कुटुम्ब में क्लेश हानि अवश्य होगा|
वृश्चिक राशि :- असमंजस बना रहे, प्रभुत्व वृद्धि तथा कार्यगति अनुकूल अवश्य हो|
धनु राशि :- असमर्थता का वातावरण क्लेश युक्त रखे, अवरोध विवाद से बचकर चले|
मकर राशि :- धन लाभ आशानुकूल सफलता का हर्ष होगा तथा बिगड़े कार्य बन जायेंगे|
कुंभ राशि :- इष्ट मित्र सुखवर्धक होंगे, बड़े बड़े लोगों से मेल मिलाप अवश्य होगा|
मीन राशि :- मनोवृत्ति संवेदनशील हो धन और शक्ति नष्ट हो, मानसिक व्यग्रता से बचे|
मां भगवती भैंसा से करेंगी प्रस्थान, बन रहा दशमी सोम योग, हो सकता है शोक कारक
18 Mar, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वर्ष में दो नवरात्र ऐसा होता है जो काफी धूमधाम से मनाया जाता है जिसमें से एक चैती नवरात्रा भी है. जो इस वर्ष चैती नवरात्रा 30 मार्च 2025 को प्रारंभ होगी. आंगल्य तिथि के आधार पर और चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से सनातनियों का नव वर्ष भी प्रारंभ होता है. जो आज के दिन से ही नए साल की शुरुआत होगी 2082 विक्रम संवत में प्रवेश करेंगे. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से सनातनियों का नव वर्ष प्रारंभ होता है जो 2082 विक्रम संवत में प्रवेश करेंगे.
इस पर विस्तृत जानकारी देते हुए कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. कुणाल कुमार झा बताते हैं कि चैती नवरात्र दिनांक 30 मार्च 2025 से प्रारंभ होगी. आंगल्य तिथि के आधार पर . सनातन धर्म में अनादि काल से विक्रम संवत चला रहा है उसी दिन से विक्रम संवत् प्रारंभ होगा. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हम सनातनियों का नव वर्ष प्रारंभ होता है जो हम लोग 2082 विक्रम संवत में प्रवेश करेंगे. एवं यह वसंतीय नवरात्र उसी दिन से प्रारंभ होती है. हाथी पर भगवती का आगमन होगा.
हाथी पर आने का जो फलाफल है उसमें वृष्टि कारक योग
यह रविवार प्रतिपदा होने के कारण रविवार को भगवती का आगमन होने के कारण हाथी पर भगवती का आगमन होगा. हाथी पर आने का जो फलाफल है उसमें वृष्टि कारक योग बनता है. वहीं गमन दशमी सोम होने के कारण भैंस पर करेगी जो शोक कारक है.
खासकर के इसमें गज पूजा 3 अप्रैल को होगा, पत्रिका प्रवेश 4 अप्रैल को होगा, महरात्रि निशा पूजा 5 अप्रैल को होगा और उसी दिन महा अष्टमी व्रत भी है. 6 अप्रैल को महानवमी व्रत है, 7 अप्रैल को अपराजिता पूजा है उसी दिन भगवती का विसर्जन होगा और जयंती धारण करेंगे और व्रत का पारण भी करेंगे. इस नवरात्र में आदि जगदंबा की पूजा खोर्चों उपचार से करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी.
मंदिर में ये चीजें दान करने से मिलती है हर परेशानी से मुक्ति! खुल जाता है किस्मत का ताला
18 Mar, 2025 06:15 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हिंदू धर्म में दान का बहुत महत्व बताया गया है. खासकर अगर कोई व्यक्ति मंदिर में कुछ विशेष चीजों का दान करता है, तो उसके जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं. व्यक्ति को जन्म-जन्मांतर का पुण्य प्राप्त होता है, उसके पिछले जन्मों के कर्मों से मिलने वाला दुख भी नष्ट हो जाता है, और जीवन में खुशहाली आती है और ऐसे व्यक्ति को कभी धन की भी कमी नहीं रहती है. इतना ही नहीं, दान करने से मोक्ष की प्राप्ति भी होती है.
मंदिर में इन चीजों का करें दान
मूर्ति दान: मंदिर में भगवान की मूर्ति दान करना बेहद शुभ माना जाता है. जब-जब उस मूर्ति की पूजा होगी, उसका फल दानदाता को मिलता रहेगा. मूर्ति की सेवा, स्नान, और अभिषेक से लगातार पुण्य की प्राप्ति होती है.
पूजा के बर्तन: तांबे या पीतल के लोटे, थाली, दीपक जैसी चीजों का दान करने से भी अनंत पुण्य मिलता है. जब-जब इन बर्तनों का उपयोग भगवान की पूजा में होगा, उतनी बार दानदाता को फल प्राप्त होगा और उसके जीवन में कभी धन की कमी नहीं रहती है.
शिवलिंग की स्थापना: अगर आप मंदिर में शिवलिंग स्थापित करवाते हैं तो ये बेहद शुभ होगा. जितनी बार उस शिवलिंग का अभिषेक होगा उतनी बार आपके पाप कटेंगे. इससे आपके जीवन में कोई परेशानी और बाधा नहीं आएगी.
पीपल, बरगद या बेलपत्र का पेड़ लगाना: अगर आप मंदिर में ये पेड़ लगाते हैं तो भी बेहद अच्छा रहेगा. इन पेड़ों के पत्तों का उपयोग पूजा में होता है जिससे बार-बार पुण्य की प्राप्ति होती है.
मंदिर का निर्माण: अगर मंदिर का निर्माण हो रहा है तो आप टाइल्स, सीमेंट या अन्य सामग्री दान कर सकते हैं. इससे भी आपको अनंत पुण्य मिलेगा.
पानी का प्याऊ: आप अगर मंदिर में प्याऊ लगवाते हैं तो ये भी बेहद पुण्य का कार्य होगा. क्योंकि इस पानी का उपयोग पूजा, अभिषेक में होगा. साथ ही इससे किसी प्यासे को जल मिलेगा.
तेल और घी का दान: दीपक जलाने के लिए तेल या घी दान करने से भगवान की कृपा प्राप्त होती है.
भंडारे के लिए अनाज: भंडारे के लिए चावल, गेहूं या अन्य अनाज दान करना भी बहुत बड़ा पुण्य माना जाता है. इससे लाखों लोगों का पेट भरता है और इसका फल आपको जन्म-जन्मांतर तक मिलता है.
भगवान को भोग का सामान: भगवान को अर्पित किए जाने वाले फल, मिठाई, पंचामृत आदि का दान भी अत्यंत शुभ होता है. जब-जब भगवान को भोग लगेगा, तब-तब आपको उसका पुण्य मिलेगा.
दीपक दान: जब-जब दीपक जलाया जाएगा, उतनी बार दानकर्ता को आशीर्वाद मिलेगा.
दुनिया का अनोखा मंदिर जहां जीवित हैं भगवान! जानें क्या है इसके पीछे का रहस्य
18 Mar, 2025 06:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत देश अपनी समृद्ध संस्कृति और प्राचीन मंदिरों के लिए जाना जाता है. यहां कई ऐसे मंदिर हैं जो अपनी अनोखी विशेषताओं के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं. ऐसा ही एक अनोखा मंदिर है नरसिंह मंदिर. मल्लुरु नरसिम्हा स्वामी मंदिर, जिसे हेमाचल नरसिम्हा स्वामी मंदिर भी कहा जाता है, तेलंगाना के वारंगल जिले के मंगपेट मंडल के मल्लुर में स्थित एक पवित्र स्थान है. यह मंदिर अपनी जीवित प्रतिमा के कारण दुनियाभर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है. मंदिर तक पहुंचने का सफर अपने आप में एक खास अनुभव है. भक्तों को करीब 120-150 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं.
मंदिर हरी-भरी प्राकृतिक सुंदरता से घिरा हुआ है और पहाड़ियों की शांति इसे आध्यात्मिक साधकों के लिए एक पसंदीदा स्थान बनाती है. यहां लोग ध्यान लगाने और शांति से प्रार्थना करने आते हैं. भक्त इन सीढ़ियों को चढ़कर भगवान नरसिम्हा स्वामी का आशीर्वाद पाने के लिए यहां आते हैं.
नरसिंह मंदिर कहां स्थित है?
नरसिंह मंदिर तेलंगाना राज्य के वारंगल जिले के मल्लूर नामक गांव में स्थित है. इस मंदिर में भगवान नरसिंह की एक 10 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है. इस प्रतिमा को जीवित माना जाता है और यही इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत है. मंदिर 6वीं शताब्दी से पहले का है और इसका इतिहास 4776 साल पुराना है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऋषि अगस्त्य ने इस पहाड़ी का नाम हेमचला रखा है.
क्या है इस मंदिर का रहस्य?
स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मंदिर में स्थापित भगवान नरसिंह की प्रतिमा में दिव्य ऊर्जा का वास है. इस प्रतिमा की आंखें, मुखमंडल और त्वचा एक जीवित व्यक्ति की तरह प्रतीत होती है. प्रतिमा की त्वचा इंसानी त्वचा जैसी मुलायम है और अगर इसे दबाया जाए तो त्वचा पर गड्ढा बन जाता है. यही कारण है कि इस मंदिर को दुनिया का अनोखा मंदिर माना जाता है.
मंदिर की वास्तुकला
यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है. यह मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बना है. इसका मुख्य द्वार गोपुरम नामक एक भव्य संरचना है जो देखते ही बनती है. मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं की सुंदर मूर्तियां और पौराणिक कथाओं की नक्काशी है जो मंदिर को और भी खूबसूरत बनाती हैं.
मंदिर में उत्सव
मल्लूर नरसिंह स्वामी मंदिर में ब्रह्मोत्सवम उत्सव के दौरान भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. हर साल आयोजित होने वाले इस उत्सव में भगवान नरसिंह की मूर्ति को एक भव्य शोभायात्रा में ले जाया जाता है. इस दौरान देशभर से आए श्रद्धालु मंदिर में उमड़ पड़ते हैं और इस दिव्य उत्सव का हिस्सा बनते हैं. यह मंदिर सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं है, बल्कि एक अद्वितीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र भी है जहां भक्त भगवान नरसिंह की उपस्थिति को साक्षात अनुभव करते हैं.
क्या है इस मंदिर का रहस्य?
स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मंदिर में स्थापित भगवान नरसिंह की प्रतिमा में दिव्य ऊर्जा का वास है. इस प्रतिमा की आंखें, मुखमंडल और त्वचा एक जीवित व्यक्ति की तरह प्रतीत होती है. प्रतिमा की त्वचा इंसानी त्वचा जैसी मुलायम है और अगर इसे दबाया जाए तो त्वचा पर गड्ढा बन जाता है. यही कारण है कि इस मंदिर को दुनिया का अनोखा मंदिर माना जाता है.
मंदिर की वास्तुकला
यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला का एक अद्भुत उदाहरण है. यह मंदिर दक्षिण भारतीय शैली में बना है. इसका मुख्य द्वार गोपुरम नामक एक भव्य संरचना है जो देखते ही बनती है. मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं की सुंदर मूर्तियां और पौराणिक कथाओं की नक्काशी है जो मंदिर को और भी खूबसूरत बनाती हैं.
मंदिर में उत्सव
मल्लूर नरसिंह स्वामी मंदिर में ब्रह्मोत्सवम उत्सव के दौरान भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. हर साल आयोजित होने वाले इस उत्सव में भगवान नरसिंह की मूर्ति को एक भव्य शोभायात्रा में ले जाया जाता है. इस दौरान देशभर से आए श्रद्धालु मंदिर में उमड़ पड़ते हैं और इस दिव्य उत्सव का हिस्सा बनते हैं. यह मंदिर सिर्फ एक पूजा स्थल नहीं है, बल्कि एक अद्वितीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र भी है जहां भक्त भगवान नरसिंह की उपस्थिति को साक्षात अनुभव करते हैं.
राशिफल: कैसा रहेगा आपका आज का दिन
18 Mar, 2025 12:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मेष राशि :- अपने व्यय पर नियंत्रण रखे, चिन्ता भ्रमण तथा अशांति से बचें, कष्ट होगा|
वृष राशि :- कोई शुभ समाचार हर्षप्रद रखे, थकावट, बेचैनी तथा धन अच्छा व्यय होगा|
मिथुन राशि :- कोई कुटुम्ब से तनाव क्लेश व अशांति तथा मानसिक विभ्रम अवश्य होगा|
कर्क राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से विशेष कार्य स्थिगित रखे तथा व्यय अनायास होगा|
सिंह राशि :- स्त्री वर्ग से कष्ट व चिंता, व्यय, व्यवसाय तथा कार्य उत्तम बन जाएगा|
कन्या राशि :- अधिकारियों के तनाव तथा क्लेश से बचिए दैनिक कार्यगति से बाधा होगी|
तुला राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से विशेष कार्य स्थिगित रखे, अग्नि चोट आदि का भय|
वृश्चिक राशि :- अशुद्ध गोचर रहने से विशेष कार्य में बाधा होगी, बने कार्य बिगड़ जायेंगे|
धनु राशि :- व्यवसाय में बेचैनी तथा तनाव बनेगा, परिश्रम विफल होगा, शांत रहे|
मकर राशि :- चोट कष्ट आदि का भय अशुद्ध गोचर होने से कार्य की हानि होगी|
कुंभ राशि :- स्त्री वर्ग संतान से तनाव क्लेश व अशांति तथा मानसिक विभ्रम होगा|
मीन राशि :- समय ठीक नहीं, विशेष कार्य स्थिगित रखे तथा अनायास विभ्रम से अवश्य बचे|
खुल गया बड़ा राज! जवानी में संघर्ष, बुढ़ापे में अमीरी, जानिए क्यों देर से होता है शनि प्रधान जातकों का भाग्य उदय?
17 Mar, 2025 06:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कई बार ऐसा देखा जाता है कि कुछ लोगों का भाग्य उदय 35 साल या फिर 40 साल में होता है. पहले 20, 25 से 30 साल में काफी स्ट्रगल करते हैं और कुछ लोगों को लगता है यह जिंदगी में कुछ नहीं कर सकते, लेकिन 35 साल के बाद जबरदस्त करियर में या फिर बिजनेस में सफलता पाते हैं. दरअसल, ज्योतिष आचार्य बताते हैं, ऐसा तब होता है, जब वह जातक शनि प्रधान होता है.
अगर, शनि भाग्य स्थान यानी नवे घर में बैठे हुए हैं, तो ऐसे व्यक्ति का भाग्य 35 साल के बाद ही उदय होगा. पहले 25 साल, तो उसको स्ट्रगल करना ही पड़ेगा. उसको सफलता नहीं मिलेगी. यह निश्चित है. क्योंकि, शनि धीमी चाल से चलते हैं और स्ट्रगल करवाते हैं, लेकिन जब 35 के बाद जब देना शुरू करते हैं, तो वह स्टेबिलिटी देते हैं, कभी खत्म नहीं होता.
35 के बाद ऐसा भाग्य कि अगले पीढ़ी तक भोगते हैं सुख
मरते दम तक वह इंसान सक्सेस का साथ सकता है और अपने आगे पीढ़ी के लिए भी चीजें छोड़कर जाता है. इसीलिए किसी व्यक्ति को देखकर कभी भी जज नहीं करना चाहिए की और तुम तो जवानी में कुछ कर ही नहीं पा रहे हो. किस्मत का पलट दे की कहना मुश्किल होता है.
उन्होंने आगे बताया, दरसल शनि धीमी चलते हैं.ऐसे में व्यक्ति को जीरो से उठाते हैं.जैसे एक बच्चा नर्सरी से लेकर पीएचडी तक का सफर तय करता है.जिसमें उसे समय लगता है शनि का देने का तरीका भी बिल्कुल ऐसा ही है.अगर आपकी कुंडली में शनि प्रधान है, हाईएस्ट डिग्री पर है या फिर शनि अच्छे घर में अपने ही राशि में बैठे हुए हैं तो ऐसी स्थिति बनती है.
मरते तक धन की नहीं होगी कमी
ज्योतिष आचार्य बताते हैं, ऐसे व्यक्ति का भले लेट से उदय होता है, लेकिन जिंदगी में कभी उतार-चढ़ाव फाइनेंस में उतना नहीं होता, धीरे-धीरे बच्चों की तरह आगे बढ़ते चले जाते है और बुढ़ापा में मजे से अच्छे धन का मजा भी लेता है. ऐसा नहीं कि आज करोड़पति है, तो कल ₹1 भी हाथ में ना रहे. एक स्टेबिलिटी रहती व कंसिस्टेंसी रहती है, देखा जाए तो यह अच्छी चीज है.
31 या 33 नहीं, बल्कि 32 बाण ही क्यों मारे भगवान राम ने रावण को? क्या है इसके पीछे का रहस्य?
17 Mar, 2025 06:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सनातन धर्म में महाकाव्य रामायण हर घर में पढ़ी जाती है. जिसमें भगवान राम के जीवन का हर एक पहलू विस्तार से वर्णित है. रामायण का एक प्रसंग न सिर्फ रावण के वध का चित्रण करता है, बल्कि यह जीवन के गहरे रहस्यों को भी उजागर करता है. भगवान राम की तरफ से रावण को मारे गए 32 बाणों का उद्देश्य सिर्फ उसकी मृत्यु नहीं था, बल्कि एक सिखाने की प्रक्रिया थी.
ये 32 बाण रावण के भीतर के अवगुणों का नाश कर उसके आत्मा के शुद्धिकरण का मार्ग बनाते हैं. इस रहस्य को समझना हमारे जीवन को एक नई दिशा दे सकता है, जहां हम अपने भीतर के दोषों का सामना कर उन्हें दूर करने का प्रयास करें. इस विषय में अधिक जानकारी दे रहे हैं भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा.
रावण, लंका का सम्राट, सिर्फ एक महान ज्ञानी और भक्त ही नहीं था, बल्कि वह अहंकार और अभिमान से भी ग्रस्त था. उसने भगवान शिव की भक्ति से अपनी शक्तियों का अर्जन किया था, लेकिन अपने इस ज्ञान और शक्ति का प्रयोग अधर्म के मार्ग पर किया. रामायण में रावण को एक अत्यंत शक्तिशाली और ज्ञानी पात्र के रूप में चित्रित किया गया है, जिसने देवताओं और महर्षियों से भी युद्ध किए थे. लेकिन रावण का अहंकार उसकी शक्ति और ज्ञान पर हावी हो गया था, जिसके कारण उसका पतन निश्चित था.
शास्त्रों में बताया गया है कि रावण के भीतर 32 प्रमुख गुण थे, लेकिन इनमें से कुछ अवगुणों के कारण वह अधर्म की राह पर बढ़ गया था. इस अहंकार और पाप के प्रभाव को नष्ट करने के लिए भगवान राम ने रावण को 32 बाण मारे थे. प्रत्येक बाण का उद्देश्य रावण के उन गुणों को नष्ट करना था, जो उसकी मृत्यु का कारण बन सकते थे.
32 बाणों का रहस्य
यह 32 बाण एक गूढ़ प्रतीक हैं, जो रावण के भीतर छिपे हुए गुणों और अवगुणों को दर्शाते हैं. इन बाणों के जरिए भगवान राम ने रावण के पापों और अहंकार को समाप्त किया, ताकि अंततः वह अपने कर्मों का परिणाम भुगत सके. प्रत्येक बाण रावण के किसी एक अवगुण को नष्ट करता था और उसकी मृत्यु का मार्ग प्रशस्त करता था. यह सिर्फ युद्ध की एक शारीरिक क्रिया नहीं थी, बल्कि एक आध्यात्मिक प्रक्रिया थी, जिसमें भगवान राम ने रावण के भीतर के विकारों को समाप्त किया.
भगवान राम का उद्देश्य
रामायण के अनुसार, भगवान राम का उद्देश्य सिर्फ रावण का वध नहीं था, बल्कि वह चाहते थे कि रावण के पापों और अवगुणों का नाश हो और वह अपने कर्मों का फल प्राप्त करें. रावण को 32 बाणों से मारा गया, ताकि उसके भीतर के 32 गुणों और अवगुणों का संतुलन समाप्त हो सके. यह घटना हमें यह सिखाती है कि हम अपने भीतर के दोषों को पहचानें और उन्हें सुधारने का प्रयास करें, ताकि हम जीवन में सही मार्ग पर चल सकें.