व्यापार
अप्रैल में खरीदें ये स्टॉक्स: 50% तक का दमदार रिटर्न मिलने की उम्मीद
31 Mar, 2025 10:20 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
लगातार 5 महीने तक नकारात्मक रिटर्न के बाद निफ्टी में तेज उछाल देखने को मिला। पिछले महीने यानी मार्च में भारतीय बाजार ने ज्यादातर अंतरराष्ट्रीय बाजारों से बेहतर प्रदर्शन किया। विभिन्न देशों और उत्पादों पर टैरिफ लागू होने के कारण अमेरिका में उभरती अनिश्चितताओं के बावजूद निफ्टी से दम दिखाया।
घरेलू बाजारों में देश के आर्थिक माहौल में बुनियादी बातों में सुधार के कारण उछाल आया। आरबीआई (RBI) ने सक्रिय कदम उठाए जिससे रुपये के मजबूती आई। साथ ही इस दौरान डॉलर इंडेक्स में गिरावट आई जिससे घरेलू करेंसी को सपोर्ट मिला। इसके साथ ही विदेशी निवेशक (FIIs) मार्च महीने में भारतीय बाजार में नेट बायर बन गए।
बाजार में रिकवरी के संकेतों के बीच घरेलू ब्रोकरेज फर्म निर्मल बंग रिटेल रिसर्च ने अप्रैल में तीन स्टॉक सीएमएस इन्फो सिस्टम्स लिमिटेड (CMS Info Systems Ltd), महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विज और स्काई गोल्ड (Sky Gold) को लॉन्ग टर्म लिहाज से खरीदने की सलाह दी है।
CMS Info Systems: टारगेट प्राइस ₹618| रेटिंग BUY| अपसाइड 35%|
निर्मल बंग रिटेल रिसर्च ने सर्विस सेक्टर के शेयर सीएमएस इन्फो सिस्टम्स लिमिटेड को लॉन्ग टर्म लिहाज से खरीदने की सलाह दी है। ब्रोकरेज ने स्टॉक पर 618 रुपये का टारगेट प्राइस रखा है। इस तरह आगे चलकर यह 35% का अपसाइड दिखा सकता है। सीएमएस इन्फो सिस्टम्स के शेयर शुक्रवार को बीएसई 460.95 रुपये के भाव पर बंद हुए थे।
ब्रोकरेज के अनुसार, कंपनी कर्ज मुक्त है और इसके 15% CAGR से बढ़ने की उम्मीद है। CMP पर शेयर FY27 की अपेक्षित आय के 15x P/E पर कारोबार कर रहा है और आकर्षक लग रहा है।
Mahindra & Mahindra Financial Services: टारगेट प्राइस ₹370| रेटिंग BUY| अपसाइड 31%|
ब्रोकरेज ने फाइनेंशियल सर्विस कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा फाइनेंशियल सर्विस पर भी BUY की रेटिंग दी है। ब्रोकरेज ने स्टॉक पर 370 रुपये का टारगेट प्राइस सेट किया है। इस तरह से यह भविष्य में 31% का अपसाइड दिखा सकता है। कंपनी के शेयर शुक्रवार (28 मार्च) को बीएसई पर 282.95 रुपये प्रति शेयर पर बंद हुए थे।
ब्रोकरेज का कहना है कि आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती के चक्र में प्रवेश करने के साथ एनबीएफसी क्षेत्र को वित्त वर्ष 2025-26 में लाभ मिलने की उम्मीद है। इस प्रकार हम उम्मीद करते हैं कि एमएमएफएस का शुद्ध ब्याज मार्जिन वित्त वर्ष 26 में ही प्रबंधन के दीर्घावधि लक्ष्य 7.0% तक बढ़ जाएगा (वित्त वर्ष 25ई में 6.7% से)।
Sky Gold: टारगेट प्राइस ₹482| रेटिंग BUY| अपसाइड 50%|
ब्रोकरेज ने सोने की जूलरी के डिजाइनिंग, मेन्यूफेक्चरिंग और मार्केटिंग करने वाली कंपनी स्काई गोल्ड (Sky Gold) पर भी BUY रेटिंग दी है। साथ ही स्टॉक पर 482 रुपये का टारगेट प्राइस दिया है। इस तरह से यह आगे चलकर 50% का शानदार असाइड दिखा सकता है। स्काई गोल्ड के शेयर शुक्रवार को 320.15 रुपये पर बंद हुए थे।
ब्रोकरेज के अनुसार, कंपनी ने चालू वर्ष में 2 प्रमोटर स्वामित्व वाली कंपनियों का अधिग्रहण किया है – स्टारमंगलसूत्र और स्पार्कलिंग चेन्स। इनका वैल्यूएशन FY25E के मात्र 6x PE पर किया गया है, जो कि कंपनी के अल्पसंख्यक शेयरधारकों को देखते हुए एक अच्छा कदम है।
(डिस्क्लेमर: यहां स्टॉक में निवेश की सलाह ब्रोकरेज ने दी है। बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है। निवेश संबंधी फैसला करने से पहले अपने एडवाइजर से परामर्श कर लें।)
EPFO ने PF निकालने के लिए UPI और ATM का विकल्प पेश किया
31 Mar, 2025 10:07 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
EPFO (कर्मचारी भविष्य निधि संगठन) जल्द ही कर्मचारियों को UPI और ATM के जरिए पीएफ (EPF) निकालने की सुविधा देने जा रहा है। IANS की एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह नई सुविधा मई 2025 के अंत या जून की शुरुआत तक शुरू हो सकती है।
फिलहाल पीएफ की राशि निकालने के लिए लंबी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है, लेकिन इस नई सुविधा से यह काम काफी आसान हो जाएगा। इस पहल को श्रम एवं रोजगार मंत्रालय का समर्थन मिला है और इसे नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) की मंजूरी भी मिल चुकी है।
ईपीएफओ के करोड़ों सदस्यों को फायदा, अब 1 लाख रुपये तक की निकासी तुरंत संभव
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की सचिव सुमिता डावर ने बताया कि ईपीएफओ (EPFO) ने अपने करोड़ों सदस्यों को राहत देने के लिए बड़े बदलाव कर सकता है। इसके तहत अब कर्मचारी इमरजेंसी में 1 लाख रुपये तक की रकम तुरंत निकाल सकेंगे।
इसके अलावा, सदस्य अब सीधे यूपीआई (UPI) प्लेटफॉर्म पर अपना पीएफ बैलेंस देख सकेंगे और बिना किसी देरी के अपनी पसंद के बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर कर सकेंगे। यह सुविधा विशेष रूप से उन स्थितियों में मददगार होगी, जब पैसों की तुरंत जरूरत हो।
UPI से जुड़ने के बाद और भी फटाफट होंगे क्लेम प्रोसेस!
EPFO यानी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन अब PF निकालने की प्रक्रिया को आसान और तेज बनाने की दिशा में काम कर रहा है। अभी ऑनलाइन दावा करने के बाद पैसे मिलने में कई दिन या हफ्ते लग जाते हैं। लेकिन अब EPFO, UPI को इस प्रक्रिया से जोड़ने जा रहा है, जिससे पैसा निकालना और भी सरल और तेज हो जाएगा।
इसके अलावा EPFO उन स्थितियों की सूची को भी बढ़ा रहा है, जिनमें PF से पैसे निकाले जा सकते हैं। अभी तक मेडिकल इमरजेंसी, घर खरीदने या बनवाने, होम लोन चुकाने, बच्चों की 10वीं के बाद की पढ़ाई, शादी, बेरोजगारी, दिव्यांगों के लिए उपकरण खरीदने, प्राकृतिक आपदा से संपत्ति को नुकसान, सीनियर पेंशन योजना में निवेश और रिटायरमेंट से एक साल पहले (आंशिक) पैसे निकालने की अनुमति है।
EPFO के सेंट्रल पीएफ कमिश्नर अमित डावरा के मुताबिक, अब तक 120 से ज्यादा डेटाबेस को डिजिटल सिस्टम से जोड़ा जा चुका है, जिससे क्लेम प्रोसेसिंग का समय घटकर सिर्फ 3 दिन रह गया है। उन्होंने बताया कि अब 95% दावे ऑटोमैटिक तरीके से प्रोसेस हो रहे हैं। आने वाले समय में सिस्टम को और बेहतर बनाया जाएगा।
पेंशनर्स को भी डिजिटल बदलावों का फायदा मिल रहा है। दिसंबर 2024 से करीब 78 लाख पेंशनधारक देशभर में किसी भी बैंक शाखा से पैसा निकाल पा रहे हैं। पहले सिर्फ कुछ चुनिंदा ब्रांचों से ही पैसा निकाला जा सकता था।
EPFO Update: क्या अगले साल PF पर ज्यादा ब्याज मिलेगा? सरकार ने संसद में क्या कहा
EPFO ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भविष्य निधि (PF) पर ब्याज दर 8.25% पर बरकरार रखने का फैसला किया है। इस फैसले से 7 करोड़ से अधिक PF अंशधारकों को लाभ मिलेगा। हालांकि, EPFO में किए जा रहे कई सुधारों को देखते हुए ऐसी संभावना जताई जा रही है कि अगले वित्त वर्ष में PF पर ब्याज दर बढ़ सकती है। संसद में इस संबंध में एक सदस्य ने श्रम मंत्रालय से सवाल किया था कि क्या EPFO ब्याज दर बढ़ाने पर विचार कर रहा है। इसके जवाब में श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने लोकसभा में बताया कि PF खातों में ब्याज की गणना हर महीने की रनिंग बैलेंस के आधार पर होती है और यह ब्याज वित्त वर्ष के आखिरी दिन खातों में जोड़ा जाता है। मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि ब्याज दर का निर्धारण EPF कोष के सरकारी प्रतिभूतियों, डेट इंस्ट्रूमेंट्स, इक्विटी आदि में किए गए निवेश से होने वाली कमाई—जैसे ब्याज और डिविडेंड—के आधार पर होता है।
एमपीवी लॉन्च करने की तैयारी में निसान
30 Mar, 2025 07:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । भारतीय बाजार में निसान एक नई मल्टी-पर्पस व्हीकल (एमपीवी) जल्द लॉन्च करने जा रही है। कंपनी इस सेगमेंट में ग्राहकों को एक नया और बेहतर विकल्प देने की योजना बना रही है। यह एमपीवी सब-4 मीटर कैटेगरी में आएगी और 7-सीटर होगी, लेकिन इसे ट्राइबर से अलग बनाने के लिए इसमें कई कॉस्मेटिक बदलाव किए जाएंगे। टीज़र के मुताबिक, निसान की इस एमपीवी में फ्रंट और रियर बंपर को मॉडिफाई किया गया है, जिससे यह ट्राइबर से अलग दिखेगी। इसमें नए एलईडी डीआरएलएस और हेडलाइट्स के चारों ओर एलईडी रैप-अराउंड डिज़ाइन दिया गया है। इसके अलावा, गाड़ी में एक नई बड़ी ग्रिल होगी, जिसमें हेक्सागोनल पैटर्न शामिल होगा। फीचर्स के मामले में निसान की यह एमपीवी ट्राइबर से ज्यादा एडवांस हो सकती है।
इसमें ऑटोमैटिक क्लाइमेट कंट्रोल, वायरलेस चार्जिंग पैड, क्रूज़ कंट्रोल, ऑटो-डिमिंग आईआरवीएम और 8-इंच टचस्क्रीन डिस्प्ले जैसे फीचर्स मिलने की उम्मीद है। ये फीचर्स इसे ज्यादा आकर्षक और वैल्यू-फॉर-मनी विकल्प बना सकते हैं। हालांकि, निसान ने अभी तक इंजन स्पेसिफिकेशन और लॉन्च डेट का खुलासा नहीं किया है, लेकिन अनुमान लगाया जा रहा है कि इसे पेट्रोल इंजन के साथ मैनुअल और ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन ऑप्शन में पेश किया जा सकता है।
ऑल्टो को नई जनरेशन अपडेट देने की तैयारी
30 Mar, 2025 06:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । सबसे किफायती कार ऑल्टो को मारुति सुजुकी नई जनरेशन अपडेट देने जा रही है। नई जनरेशन ऑल्टो में कई बड़े बदलाव किए जाएंगे, जिसमें वजन में कटौती और ज्यादा फ्यूल एफिशिएंसी शामिल हैं। यह कार भारतीय बाजार में हमेशा से बजट सेगमेंट की पसंदीदा कारों में से एक रही है। रिपोर्ट्स के अनुसार, नई ऑल्टो का वजन मौजूदा मॉडल की तुलना में 100 किलोग्राम तक कम होगा। वर्तमान में ऑल्टो का वजन वेरिएंट के हिसाब से 680 से 760 किलोग्राम के बीच होता है। वजन कम होने से कार की निर्माण लागत घटेगी और इसके साथ ही उत्पादन में लगने वाली ऊर्जा भी कम होगी। इससे कार की कीमत पहले से ज्यादा किफायती होने की उम्मीद है, जिससे यह और भी ज्यादा लोगों की पहुंच में आ सकेगी। वजन में कमी के चलते ऑल्टो के परफॉर्मेंस में भी सुधार होगा। हल्के ढांचे के कारण इसका पावर-टू-वेट रेशियो बढ़ेगा, जिससे गाड़ी ज्यादा फुर्तीली और बेहतर माइलेज देने में सक्षम होगी।
यदि इसमें हाइब्रिड पावरट्रेन दिया जाता है, तो यह देश की सबसे सस्ती हाइब्रिड कारों में से एक बन सकती है। कुल मिलाकर, यह अपडेटेड मॉडल भारतीय बाजार में ऑल्टो की लोकप्रियता को और भी बढ़ा सकता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, नई जनरेशन ऑल्टो को माइल्ड-हाइब्रिड टेक्नोलॉजी से भी लैस किया जा सकता है, जिससे यह और ज्यादा फ्यूल एफिशिएंट बन जाएगी। भारत में नई ऑल्टो को 2026 तक लॉन्च किए जाने की संभावना है।
इलेक्ट्रिक कार ईवी6 का फेसलिफ्ट वर्जन लॉन्च
30 Mar, 2025 05:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। भारत में किआ मोटर्स इंडिया ने अपनी लोकप्रिय इलेक्ट्रिक कार ईवी6 का फेसलिफ्ट वर्जन पेश किया है। नए मॉडल में कई बड़े अपडेट किए गए हैं, जिसमें नया डिज़ाइन, एडवांस फीचर्स और ज्यादा पावरफुल बैटरी शामिल है। इसकी एक्स-शोरूम कीमत 65.9 लाख रुपये रखी गई है।
कंपनी ने 2 व्हील ड्राइव वेरिएंट को बंद कर दिया है और अब सिर्फ ऑल-व्हील ड्राइव वेरिएंट ही उपलब्ध होगा। ईवी6 फेसलिफ्ट का लुक पहले से ज्यादा स्पोर्टी और अग्रेसिव बना दिया गया है। इसमें नए एलईडी हेडलाइट्स, कनेक्टेड डीआरएल और सीक्वेंशियल टर्न इंडिकेटर्स दिए गए हैं। 19-इंच के नए अलॉय व्हील्स और पांच नए कलर ऑप्शंस – स्नो व्हाइट पर्ल, ऑरोरा ब्लैक पर्ल, वुल्फ ग्रे, रनवे रेड और यॉट ब्लू मैट – के साथ यह कार पहले से ज्यादा आकर्षक दिखती है। कार के इंटीरियर में भी कई अपग्रेड किए गए हैं। इसमें फ्लैट-बॉटम स्टीयरिंग व्हील, डैशबोर्ड पर दो 12.3-इंच स्क्रीन और डिजिटल की 2.0 शामिल हैं।
इलेक्ट्रिक मोटर का आउटपुट 320बीएचपी और 605एनएम का पीक टॉर्क है। यह कार मात्र 18 मिनट में 10 प्रतिशत से 80प्रतिशत तक चार्ज हो सकती है। किआ ईवी6 फेसलिफ्ट अपनी लंबी रेंज और दमदार परफॉर्मेंस के साथ भारत में इलेक्ट्रिक कार सेगमेंट में एक नया स्टैंडर्ड सेट कर रही है। किआ ने ईवी6 फेसलिफ्ट में 27 एडवांस ड्राइवर असिस्टेंस सिस्टम (एडीएस) फीचर्स जोड़े हैं, जिनमें पांच नए ऑटोमेटेड फंक्शंस शामिल हैं। इसका सबसे बड़ा अपडेट बैटरी पैक में हुआ है। अब इसमें 88केडब्ल्यूएच की बड़ी बैटरी दी गई है, जो अराई-अप्रूव्ड 663 किमी की रेंज देती है।
हद हो गई यार....भारतीय बासमती चावल की किस्में चुरा रहा पाकिस्तान
30 Mar, 2025 04:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। कंगाल होने के बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। पाकिस्तान ने अब भारत की मूल बासमती चावल की किस्में चुरानी शुरू कर दी हैं। भारत से इन बासमती के धान की तस्करी कर पाकिस्तान को जाती है। इसी बासमती चावल को उगाकर पाकिस्तान अब अपना बताने में लगा है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के वैज्ञानिकों और अपने देश के निर्यातकों ने पाकिस्तान में उन्नत बासमती चावल की अलग-अलग किस्मों की अवैध खेती से जुड़े खतरों पर केंद्र सरकार को आगाह किया है। हाल ही में बासमती की एक किस्म के पाकिस्तान के अपना बताने पर झूठ बेनकाब हो गया है। भारतीय बासमती की पाइरेटेड किस्में पाकिस्तान में उग रही हैं। यूरोप की लैबोरेट्री के साथ-साथ भारतीय लेबोरेट्री में भी पाकिस्तान का झूठ पकड़ में आ गया है।
दरअसल भारत ने यूरोपीय संघ को बताया है कि पाकिस्तान भारतीय बासमती किस्मों को अवैध रूप से उगा रहा है। इस बारे में यूरोपीय लैब में किए गए डीएनए टेस्ट के सबूत दिए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय अधिकारियों ने पाकिस्तान में उगाने वाली बासमती किस्मों के डीएनए का यूरोपीय लैब में टेस्ट कराया था। नतीजा सामने आया कि वहां पाकिस्तान में अवैध रूप से उगाई जाने वाली भारतीय किस्में हैं।
ये टेस्ट कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीईडीए) ने कराए हैं। ये टेस्ट इसकारण कराए, क्योंकि पाकिस्तान ने अपने बासमती चावल के लिए पीजीआई टैग देने का आवेदन दिया था, इसका भारत में विरोध कर सबूत के तौर पर बासमती चावल की टेस्टिंग करावा दी थी।
भारत सालाना करीब 50 हजार करोड़ रुपये का बासमती निर्यात करता है। वैश्विक बाजार में बासमती चावल प्रीमियम श्रेणी में आता है और उसकी कीमत सामान्य चावल किस्मों से दोगुना तक होती है। यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और खाड़ी के मिडिल ईस्ट देशों में बासमती बाजार में पाकिस्तान और भारत के बीच प्रतिस्पर्धा रहती है। जहां भारत में लगातार बासमती पर शोध के द्वारा बेहतर उत्पादकता और गुणवत्ता की किस्में विकसित की गई हैं, लेकिन पाकिस्तान में इस स्तर पर काम नहीं हुआ है। इसकारण पाकिस्तान में भारत की बासमती धान की किस्मों की पाइरेसी कर इन्हें अवैध तरीके से उगाया जा रहा है। जिससे भारत के बासमती कारोबार को नुकसान पहुंचा रहा है।
Elon Musk ने X को बेचकर चौंकाया, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का भविष्य अब किसके हाथों?
29 Mar, 2025 11:41 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क अपने अतरंगी फैसलों के लिए जाने जाते हैं। अब उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स को अपनी ही एक कंपनी को बेच दिया है। मस्क ने बताया कि उन्होंने एक्स को अपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनी एक्सएआई को बेच दिया है। यह 33 अरब डॉलर की एक ऑल स्टॉक डील है। एलन मस्क ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, 'एक्सएआई और एक्स का भविष्य आपस में जुड़ा हुआ है। आज हम डेटा, मॉडल, कंप्यूट, डिस्ट्रीब्यूशन और टैलेंट को कंबाइन करने के लिए आधिकारिक कदम उठा रहे हैं।' एक्सएआई एक्स के लिए 45 अरब डॉलर का भुगतान करेगा, जो मस्क द्वारा 2022 में इसके लिए भुगतान की गई रकम से थोड़ा अधिक है, लेकिन इस सौदे में 12 अरब डॉलर का कर्ज भी शामिल है।
अनलॉक होगी अपार क्षमता
मस्क ने कहा कि यह कदम एक्सएआई की एडवांस एआई कैपेसिटी और एक्सपर्टीज को एक्स की विशाल पहुंच के साथ मिलाकर अपार क्षमता को अनलॉक करेगा।" उन्होंने कहा कि इस सौदे में एक्सएआई की वैल्यूएशन 80 अरब डॉलर और एक्स की वैल्यूएशन 33 अरब डॉलर आंकी गई है। उन्होंने कहा, 'एक्सएआई की स्थापना को 2 साल हो गए हैं और यह अभूतपूर्व गति और पैमाने पर मॉडल व डेटा सेंटर बनाते हुए दुनिया की अग्रणी एआई प्रयोगशालाओं में से एक बन गया है।" मस्क ने लिखा, 'यह कॉम्बिनेशन एक्सएआई की एडवांस एआई क्षमता और विशेषज्ञता को एक्स की विशाल पहुंच के साथ मिलाकर अपार क्षमता को अनलॉक करेगा। संयुक्त कंपनी अरबों लोगों को स्मार्टर और अधिक मिनिंगफुल अनुभव प्रदान करेगी। सच्चाई को दिखाने और नॉलेज को आगे बढ़ाने के हमारे मूल मिशन पर कंपनी काम करती रहेगी।'
मस्क ने 44 अरब डॉलर में खरीदा था ट्विटर
एलन मस्क अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एडवाइजर भी हैं। मस्क ने साल 2022 में एक्स को 44 अरब डॉलर में खरीदा था। उस समय इसे ट्विटर के नाम से जाना जाता था। मस्क ने इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म में कई बदलाव किये, जिससे कुछ विज्ञापनदाताओं ने इससे किनारा कर लिया था। मस्क ने ट्विटर के 80 फीसदी कर्मचारियों को निकाल दिया था। उन्होंने इस प्लेटफॉर्म की हेट स्पीच, मिसइन्फॉर्मेशन और यूजर वेरिफिकेशन से जुड़ी पॉलिसीज को भी बदला और ट्विटर का नाम बदलकर एक्स कर दिया।
गैर यूरिया उर्वरक पर सब्सिडी में वृद्धि, मंत्रिमंडल का किसानों के लिए महत्वपूर्ण कदम
29 Mar, 2025 11:32 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने वित्त वर्ष 2026 की पहली छमाही के लिए उर्वरक पर पोषण पर आधारित सब्सिडी (एनबीएस) को मंजूरी दे दी है। इसके लिए 37,216 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। वित्त वर्ष 2025 के रबी सीजन की तुलना में फॉस्फोरस पर प्रति किलो सब्सिडी में 41 प्रतिशत की तेज बढ़ोतरी हुई है।
बहरहाल विशेषज्ञों ने कहा कि फॉस्फोरस पर प्रति किलो सब्सिडी में तेज बढ़ोतरी के बावजूद इससे डाई-अमोनिया फॉस्फेट (इसमें सबसे ज्यादा 46 प्रतिशत फॉस्फोरस होता है) का आयात करने वाली कंपनियों के पूरे घाटे की भरपाई नहीं हो पाएगी और कंपनियों को एक टन डीएपी आयात पर करीब 1,000 रुपये घाटा बना रहेगा। उद्योग के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘बहरहाल इसकी भरपाई तभी हो सकती है, जब आने वाले महीनों में वैश्विक दरों में कमी आए।’ भारत में यूरिया के बाद खपत के मामले में दूसरे स्थान पर डीएपी है।
तेज बढ़ोतरी का उर्वरक सब्सिडी पर असर पड़ेगा। सराकर ने पहले ही आज संसद में एक बयान में कहा है कि वित्त वर्ष 2025 के लिए उर्वरक सब्सिडी का संशोधित अनुमान करीब 14 प्रतिशत बढ़कर अब करीब 1,91,836.29 करोड़ रुपये हो गया है, जबकि बजट अनुमान 1,68,130.81 करोड़ रुपये का था। उर्वरक सब्सिडी में बढ़ोतरी मुख्य रूप से गैर यूरिया उर्वरक सब्सिडी की वजह से है, जो चालू वित्त वर्ष में करीब 9,310 करोड़ रुपये थी। वित्त वर्ष 2026 में पूरे साल के लिए गैर यूरिया उर्वरक सब्सिडी बढ़कर 49,000 करोड़ रुपये हो गया है, जो वित्त वर्ष 2026 में खरीफ सत्र के लिए महज 37,216 करोड़ रुपये आवंटित थी।
सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 2010-11 और 2012-13 के दौरान कांग्रेस के नेतृत्त्व वाली तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने डीएपी की एक बोरी की कीमत बढ़ाकर करीब 800 रुपये कर दी थी, लेकिन जबसे नरेंद्र मोदी के नेतृत्त्व में सरकार बनी है, डीएपी की खुदरा कीमत में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है और केंद्र सरकार सब्सिडी का वहन कर रही है।बहरहाल गैर यूरिया कांप्लेक्स के लिए कम सब्सिडी आवंटन से निजी कंपनियां डीएपी आयात से बचेंगी और वे अब ऐसा कर सकती हैं, जिससे उनका घाटा कम रहे।
CCI ने Google पर जुर्माना घटाया, 216 करोड़ रुपये के जुर्माने के साथ आदेश बरकरार
29 Mar, 2025 11:23 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
राष्ट्रीय कंपनी कानून अपील न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने शुक्रवार को प्ले स्टोर नीतियों से संबंधित दबदबे के दुरुपयोग के लिए गूगल के खिलाफ भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के फैसले को आंशिक रूप से बरकरार रखा। एनसीएलएटी ने कहा कि सर्च इंजन दिग्गज ने वास्तव में एंड्रॉयड मोबाइल पारिस्थितिकी तंत्र में अपने दबदबे का दुरुपयोग किया है, विशेष रूप से अपनी प्ले स्टोर बिलिंग प्रणाली के माध्यम से।
मगर एनसीएलएटी ने गूगल पर लगाया गया जुर्माना 936.44 करोड़ रुपये से घटाकर 216 करोड़ रुपये कर दिया। आदेश में कहा गया है, ‘अपीलकर्ता (गूगल) ने मौजूदा अपील में जुर्माने की 10 फीसदी राशि जमा करा दी है तथा जुर्माने की शेष राशि अपीलकर्ता को आज की तारीख से 30 दिनों के अंदर जमा करनी होगी।’
अपने आदेश में एनसीएलएटी ने कहा कि गूगल ऐप डेवलपर्स को इन-ऐप खरीदारी या ऐप खरीदने के लिए किसी भी थर्ड पार्टी बिलिंग/पेमेंट प्रोसेसिंग सेवाओं का उपयोग करने की अनुमति देगा तथा उन्हें ऐसा करने से प्रतिबंधित नहीं करेगा, ऐप डेवलपर्स पर कोई एंटी-स्टीयरिंग प्रावधान नहीं लगाएगा और उन्हें अपने ऐप और पेशकशों को बढ़ावा देने के लिए अपने उपयोगकर्ताओं के साथ संपर्क करने से किसी भी तरह से प्रतिबंधित नहीं करेगा।
एनसीएलएटी ने अपने फैसले में कहा कि गूगल अपने प्लेटफॉर्म पर एकत्र किए गए डेटा, प्लेटफॉर्म द्वारा ऐसे डेटा का उपयोग और ऐप डेवलपर्स या अन्य संस्थाओं (जिसमें संबंधित संस्थाएं शामिल हैं) के साथ ऐसे डेटा की संभावित और वास्तविक साझेदारी पर एक स्पष्ट और पारदर्शी नीति निर्धारित करेगा। जीपीबीएस के जरिये प्राप्त किए गए ऐप्स के प्रतिस्पर्धात्मक रूप से लेनदेन/उपभोक्ता डेटा का गूगल द्वारा अपने प्रतिस्पर्धात्मक लाभ को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। गूगल स्पष्ट रूप से भुगतान नीति और शुल्कों की प्रयोज्यता के मानदंड भी प्रकाशित करेगा।
गूगल ने एनसीएलएटी से संपर्क कर सीसीआई के 25 अक्टूबर, 2022 के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी, जिसमें उस पर 936.44 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था और गूगल को प्लेस्टोर में आपत्तिजनक गतिविधियों को रोकने और उनसे दूर रहने को कहा गया था।
यह मामला गूगल प्लेस्टोर की नीति से जुड़ा है, जिसके तहत सभी ऐप डेवलपर्स को ग्राहकों से शुल्क लेने के लिए केवल गूगल प्ले के बिलिंग सिस्टम (जीपीबीएस) का उपयोग करना होता है। जीपीबीएस का उपयोग न केवल ऐप से भुगतान प्राप्त करने के लिए किया जाता था, बल्कि इन-ऐप खरीदारी के लिए भी किया जाता था।
गूगल द्वारा 2020 में प्लेस्टोर लेनदेन के लिए 30 प्रतिशत कमीशन लेना शुरू करने के बाद, कुछ ऐप डेवलपर्स ने सीसीआई में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई। 11 जनवरी, 2023 को अपीलीय न्यायाधिकरण ने गूगल को राहत नहीं दी और मामले को अप्रैल तक के लिए टाल दिया। इसके बाद गूगल ने एनसीएलएटी के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन बाद में उसने अपना मामला वापस ले लिया।
केंद्रीय कर्मचारियों को सरकार का बड़ा तोहफा, DA और DR में 2% बढ़ोतरी
29 Mar, 2025 11:17 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते (DA) और पेंशनभोगियों के लिए महंगाई राहत (DR) में 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी को मंजूरी दी, जो 1 अप्रैल, 2025 से लागू होगी।
सरकार ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कहा, “केंद्र ने केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते (DA) और पेंशनभोगियों के लिए महंगाई राहत (DR) की एक अतिरिक्त किस्त जारी करने को मंजूरी दी, जो 1 जनवरी, 2025 से प्रभावी होगी। यह मौजूदा 53 प्रतिशत मूल वेतन/पेंशन पर 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी को दर्शाता है, ताकि कीमतों में वृद्धि के प्रभाव को कम किया जा सके।” महंगाई भत्ते और महंगाई राहत में इस बढ़ोतरी से सरकारी खजाने पर संयुक्त रूप से 6,614.04 करोड़ रुपये प्रति वर्ष का प्रभाव पड़ेगा। इस बढ़ोतरी से लगभग 48.66 लाख केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों और 66.55 लाख पेंशनभोगियों को लाभ होगा।
सरकार द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि यह बढ़ोतरी स्वीकृत फॉर्मूले के अनुसार है, जो सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों पर आधारित है।
महंगाई भत्ता और महंगाई राहत (DR) केंद्रीय सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को जीवन यापन की लागत को समायोजित करने और उनके मूल वेतन या पेंशन के वास्तविक मूल्य को घटने से बचाने के लिए दिए जाते हैं।
इनकी समीक्षा साल में दो बार, 1 जनवरी और 1 जुलाई से की जाती है, जो श्रम ब्यूरो द्वारा प्रकाशित औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (All-India Consumer Price Index for Industrial Workers – AICPI-IW) के 12 महीने के औसत में बढ़ोतरी के आधार पर होती है।
महंगाई भत्ते में 3 प्रतिशत की बढ़ोतरी अक्टूबर 2024 में घोषित की गई थी, जो 1 जुलाई, 2024 से प्रभावी थी।
VC फंडिंग में बढ़ोतरी, 2025 के पहले दो महीनों में स्टार्टअप्स को मिले बड़े निवेश
29 Mar, 2025 11:10 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत में साल 2025 में वेंचर कैपिटल (वीसी) फंडिंग की शुरुआत अच्छी रही है। जनवरी और फरवरी के दौरान निवेश मूल्य में पिछले साल की तुलना में करीब 40 प्रतिशत की उछाल आई है, जो वैश्विक रुझानों से काफी आगे है। ग्लोबलडेटा की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। इसी अवधि के दौरान सौदों की मात्रा में भी 11 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो देश के नवाचार से संचालित स्टार्टअप तंत्र में निवेशकों के बढ़ते भरोसे को रेखांकित करता है।
देश में वेंचर कैपिटल की गतिविधि में यह उछाल ऐसे समय में आई है, जब वैश्विक सौदों की मात्रा में पिछले साल की तुलना में लगभग नौ प्रतिशत की कमी आई है, जबकि वैश्विक फंडिंग के मूल्य में तुलनात्मक रूप से सामान्य 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई। रिपोर्ट के अनुसार भारत की इस मजबूती ने दुनिया भर के शीर्ष पांच वेंचर कैपिटल बाजारों में से एक बाजार के रूप में इसकी स्थिति को और मजबूत किया है। इसने साल 2025 की शुरुआत में कुल सौदों में करीब नौ प्रतिशत और वैश्विक फंडिंग के मूल्य में चार प्रतिशत से अधिक का योगदान किया है।
ग्लोबलडेटा के प्रमुख विश्लेषक ऑरोज्योति बोस ने कहा, ‘यह वृद्धि स्टार्टअप के फलते-फूलते पारिस्थितिकी तंत्र को दर्शाती है, जहां नवीन विचार तेजी से वेंचर कैपिटल फर्मों का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा, ‘मूल्य में यह बड़ा इजाफा न केवल निवेशकों के बढ़ते विश्वास को दर्शाता है, बल्कि सौदे के औसत आकार में भी वृद्धि को दर्शाता है।’ यह रफ्तार जारी रहने की संभावना की वजह से भारत की स्टार्टअप अर्थव्यवस्था वैश्विक नवाचार केंद्र के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत कर रही है।
BYD का भारत में प्रवेश: क्या यह भारत के EV इकोसिस्टम के लिए गेम चेंजर साबित होगा?
29 Mar, 2025 11:02 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चीन की बड़ी इलेक्ट्रिक वाहन (EV) निर्माता कंपनी BYD अब भारत में अपनी पहली फैक्ट्री लगाने जा रही है। Business Standard की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने तेलंगाना के रंगा रेड्डी जिले को यूनिट के लिए चुना है। यह जगह हैदराबाद से करीब 60 किलोमीटर दूर है। BYD यहां इलेक्ट्रिक वाहन और बैटरी निर्माण की यूनिट लगाएगी। बताया जा रहा है कि यह कदम कंपनी की ग्लोबल विस्तार योजना का हिस्सा है। पश्चिमी देशों में बढ़ते टैरिफ के चलते चीनी कंपनियों को वहां दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में अब वो नए बाजारों की तलाश में हैं, और भारत को एक बड़े मौके के तौर पर देखा जा रहा है।
BYD को क्यों भाया भारत? यूरोप-अमेरिका के टैक्स से तंग आकर अब भारत में बढ़ाएगा कदम
पिछले साल सितंबर से यूरोपीय यूनियन (EU) ने चीनी इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर 35.3 फीसदी का भारी टैरिफ लगाना शुरू कर दिया है। BYD को वहां 17 फीसदी अतिरिक्त टैक्स देना पड़ रहा है, जो 10 फीसदी बेस इम्पोर्ट ड्यूटी के साथ मिलकर कुल 27 फीसदी हो जाता है। वहीं, अमेरिका ने तो BYD के लिए और मुश्किल खड़ी कर दी है। वहां चीनी इलेक्ट्रिक कारों पर इम्पोर्ट ड्यूटी सीधे 25 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी कर दी गई है। ऐसे में BYD के लिए इन देशों में टिके रहना मुश्किल हो गया है।अब कंपनी की नजर ऐसे उभरते हुए बाजारों पर है, जहां EV की डिमांड बढ़ रही है और नियम-कानून थोड़े आसान हैं। भारत इसमें एक बड़ा मौका बनकर उभरा है। यहां टैरिफ तुलनात्मक रूप से कम हैं और सरकार की तरफ से इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर कई इंसेंटिव भी मिल रहे हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, BYD को भारत सरकार से अनौपचारिक मंजूरी मिल गई है, बशर्ते वह किसी भारतीय कंपनी के साथ पार्टनरशिप करे। इस प्रोजेक्ट में हैदराबाद की मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (MEIL) को बड़ा स्टेकहोल्डर माना जा रहा है, जो भारत के नियमों के अनुसार साझेदारी की शर्तें पूरी करेगा।
BYD: टेस्ला को पीछे छोड़ने वाली EV कंपनी की कहानी
दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी BYD की शुरुआत 1995 में वांग चुआनफू (Wang Chuanfu) ने की थी। पहले यह कंपनी केवल बैटरी बनाने का काम करती थी, लेकिन 2003 में ऑटोमोबाइल सेक्टर में कदम रखा। दो दशक के अंदर ही BYD ने टेस्ला को पीछे छोड़ते हुए EV सेगमेंट में टॉप पोजिशन हासिल कर ली है। BYD ने तकनीक के मामले में भी बड़ी बढ़त बनाई है। कंपनी की Blade Battery, जो एक लीथियम आयरन फॉस्फेट (LFP) बैटरी है, सुरक्षा और एनर्जी एफिशिएंसी दोनों के लिहाज से बेहतर मानी जाती है। इसके अलावा कंपनी की सप्लाई चेन पूरी तरह से वर्टिकली इंटीग्रेटेड है, जिससे बाहरी सप्लायर्स पर निर्भरता कम होती है और प्रोडक्शन कॉस्ट भी घटती है।
BYD की ब्लेड बैटरी ने बदले EV सुरक्षा के मानक, क्या कीमत और इनोवेशन में पीछे छूटेंगे भारतीय प्रतिद्वंद्वी?
चीन की इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) कंपनी BYD ने अपनी ब्लेड बैटरी टेक्नोलॉजी के ज़रिए EV सेगमेंट में नई मिसाल कायम की है। यह बैटरी न सिर्फ ज्यादा सुरक्षित है, बल्कि पारंपरिक लिथियम-आयन बैटरियों की तुलना में अधिक एफिशिएंट भी है। ब्लेड बैटरी ने बेहद कठोर परिस्थितियों में खुद को सुरक्षित साबित किया है। नेल पेनिट्रेशन टेस्ट के दौरान इस बैटरी में न तो धुआं निकला और न ही आग लगी। टेस्ट के दौरान बैटरी की बाहरी सतह का तापमान महज 30 से 60 डिग्री सेल्सियस तक ही पहुंचा। इसके उलट टर्नरी लिथियम बैटरी का तापमान 500 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया और उसमें ज़ोरदार आग लग गई। वहीं, पारंपरिक लिथियम आयरन फॉस्फेट ब्लॉक बैटरी में भले ही आग या धुआं नहीं निकला, लेकिन उसका तापमान 200 से 400 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जो सुरक्षा की दृष्टि से खतरे का संकेत है। BYD की ब्लेड बैटरी न सिर्फ थर्मल स्टेबिलिटी में बेहतर है, बल्कि यह वाहन की एनर्जी एफिशिएंसी भी बढ़ाती है। इसकी संरचना EV के अंदर जगह के इस्तेमाल को 50% तक बेहतर बनाती है। इन खूबियों के चलते BYD इंडियन EV मार्केट में इनोवेशन और सेफ्टी के मामले में भारतीय कंपनियों के लिए चुनौती बन सकती है। अब देखना ये होगा कि क्या स्थानीय खिलाड़ी कीमत और तकनीक दोनों में इस चीनी दिग्गज को टक्कर दे पाएंगे।
BYD की नई टेक्नोलॉजी: सिर्फ 5 मिनट में चले 470 KM, टेस्ला को भी छोड़ा पीछे
इलेक्ट्रिक व्हीकल सेगमेंट में BYD ने अपनी नई Super e-Platform के जरिए चार्जिंग स्पीड को लेकर बड़ी छलांग लगाई है। कंपनी का दावा है कि उसकी नई टेक्नोलॉजी सिर्फ 5 मिनट की चार्जिंग में 470 किलोमीटर (292 मील) की रेंज देती है। यह टेस्ला की तुलना में तेज है, जो इतनी ही रेंज के लिए करीब 15 मिनट लेती है। BYD ने न केवल चार्जिंग स्पीड में तेजी दिखाई है, बल्कि उसने बैटरी की सेफ्टी और एनर्जी डेंसिटी को भी बरकरार रखा है। इसकी नई टेक्नोलॉजी से EV यूजर्स की सबसे बड़ी चिंता – स्लो चार्जिंग – को काफी हद तक दूर किया जा सकता है। कंपनी के मुताबिक, उसकी नई बैटरी टेक्नोलॉजी 1,000 किलोवॉट तक की पीक चार्जिंग स्पीड को सपोर्ट करती है। कंपनी की अगली बड़ी योजना 2027 तक ऑल-सॉलिड-स्टेट बैटरियों को लॉन्च करने की है, जिससे EV की परफॉर्मेंस और बेहतर हो सकेगी।
भारत में क्या है हालात?
भारत में फिलहाल ज़्यादातर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में लिथियम-आयन बैटरियों का इस्तेमाल हो रहा है, क्योंकि इनमें एनर्जी डेंसिटी ज्यादा होती है और ये लंबे समय तक चलती हैं। 2025 तक भारत में सबसे तेज़ चार्ज होने वाली EV Tata Curvv है, जो DC फास्ट चार्जर से 10% से 80% तक की चार्जिंग सिर्फ 40 मिनट में कर सकती है।
BYD की ग्लोबल EV मार्केट में पकड़ मजबूत, बिक्री में टेस्ला को छोड़ा पीछे
इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बनाने वाली चीनी कंपनी BYD ने 2024 में वैश्विक बाजार में अपना दबदबा और मजबूत किया है। कंपनी ने इस साल 4.27 मिलियन यानी करीब 42.7 लाख वाहन बेचे, जो अमेरिकी कंपनी टेस्ला की बिक्री (17.9 लाख यूनिट) से लगभग दोगुना रही। इसी साल BYD का कुल वार्षिक राजस्व $107 अरब से ज्यादा रहा। कंपनी का सबसे बड़ा बाजार अब भी चीन ही है, जहां उसका न्यू एनर्जी व्हीकल (NEV) सेगमेंट में 32% मार्केट शेयर है। हालांकि, BYD अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी तेजी से पैर पसार रही है। 2024 में BYD की कुल बिक्री का लगभग 10% हिस्सा एक्सपोर्ट से आया। कंपनी ने थाईलैंड, ब्राज़ील और हंगरी जैसे देशों में उत्पादन इकाइयां स्थापित की हैं और अब भारत में भी अपनी मौजूदगी बढ़ाने की तैयारी कर रही है। BYD की ग्लोबल सफलता की एक बड़ी वजह उसकी आक्रामक प्राइसिंग स्ट्रैटेजी मानी जा रही है। कंपनी चीन में अपने एंट्री-लेवल मॉडल्स की कीमत $10,000 से थोड़ी ज्यादा रख रही है, जिससे यह आम लोगों की पहुंच में भी आ रहे हैं।
भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल बाजार तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन हिस्सेदारी अभी भी कम
भारत का इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) बाजार अभी शुरुआती दौर में है। 2024 में कुल पैसेंजर व्हीकल बिक्री में इसकी हिस्सेदारी सिर्फ 2.5% रही। हालांकि, इस सेगमेंट में तेजी से ग्रोथ देखने को मिल रही है। एक अनुमान के मुताबिक, भारत का EV बाजार 2030 तक हर साल 43% की दर से बढ़ेगा और तब तक कुल बिक्री 9.32 लाख यूनिट तक पहुंच सकती है। 2030 तक इलेक्ट्रिक SUV की डिमांड सबसे ज्यादा रहने की उम्मीद है, जो कुल EV बिक्री का करीब 61% हिस्सा हो सकती है। वहीं 2024 में भारत में सिर्फ 1.07 लाख EV पैसेंजर व्हीकल ही बिके। जबकि कुल पैसेंजर व्हीकल बिक्री (सेडान और SUV मिलाकर) करीब 43 लाख यूनिट रही। सरकार ने 2030 तक कुल पैसेंजर व्हीकल बिक्री में EV की हिस्सेदारी 30% तक पहुंचाने का टारगेट रखा है। इसके लिए FAME स्कीम और EV कंपोनेंट्स पर इम्पोर्ट ड्यूटी कम करने जैसे कदम उठाए गए हैं। स्थानीय उत्पादन में भी तेजी आ रही है। S&P Global Mobility की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में 2024 में 1.25 लाख EV पैसेंजर व्हीकल बने, जो 2023 के मुकाबले 22.5% ज्यादा है। रिपोर्ट का अनुमान है कि 2025 में यह उत्पादन 1.40 लाख यूनिट बढ़कर 3.01 लाख यूनिट तक पहुंच सकता है। तब EV प्रोडक्शन कुल पैसेंजर व्हीकल उत्पादन का 6% होगा, जो अनुमानित रूप से 51.6 लाख यूनिट रहेगा।
भारत में EV की रेस में कौन है आगे?
भारत के इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) बाजार में इस वक्त टाटा मोटर्स, महिंद्रा इलेक्ट्रिक, एमजी मोटर इंडिया और हुंडई जैसी कंपनियां आगे चल रही हैं। टेस्ला ने भी भारत में एंट्री की घोषणा कर दी है, जिससे मुकाबला और तेज होने की उम्मीद है। वहीं, ग्लोबल लेवल पर BYD और टेस्ला की टक्कर चर्चा में रही है। साल 2023 के अंत में BYD ने पहली बार बिक्री के मामले में टेस्ला को पीछे छोड़ दिया था। जनवरी 2025 में भारत के EV बाजार में टाटा मोटर्स की हिस्सेदारी करीब 38 फीसदी रही। इस दौरान कंपनी ने 5,037 EV बेचे, हालांकि यह आंकड़ा पिछले महीनों से थोड़ा कम रहा है, जिसका कारण बाजार में बढ़ती प्रतिस्पर्धा बताया जा रहा है। वहीं, एमजी मोटर इंडिया ने तेजी से अपना दायरा बढ़ाया है और अब उसकी हिस्सेदारी EV मार्केट में करीब 29 फीसदी हो गई है। जनवरी 2025 में कंपनी ने 4,455 इलेक्ट्रिक व्हीकल बेचे, जिसमें नए मॉडल्स की लॉन्चिंग का भी बड़ा योगदान रहा। महिंद्रा इलेक्ट्रिक की हिस्सेदारी इस समय करीब 16 फीसदी है। कंपनी लगातार अपने EV प्रोडक्ट पोर्टफोलियो को बढ़ाने और बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है।
Tesla vs BYD in India: किसकी होगी जीत?
दुनिया की दो बड़ी इलेक्ट्रिक वाहन कंपनियों Tesla और BYD के बीच मुकाबला अब भारत की तरफ बढ़ रहा है। जहां Tesla ने भारत में स्टोर खोलने की तैयारी कर ली है, वहीं BYD पहले से भारतीय बाजार में मौजूद है। अब सवाल उठ रहा है कि चीन में बाजार गंवाने के बाद Tesla भारत में BYD को टक्कर दे पाएगी या नहीं। Tesla का चीन में मार्केट शेयर 2022 में 16% से ज्यादा था, जो घटकर 2025 की शुरुआत में महज 4.3% रह गया। दूसरी ओर, BYD ने अपनी पकड़ मजबूत करते हुए चीन में 32% NEV (New Energy Vehicle) बाजार पर कब्जा जमा लिया है, जबकि Tesla यहां सिर्फ 6.1% हिस्सेदारी तक सिमट गई है। 2023 के आखिरी महीनों में पहली बार BYD ने वैश्विक तिमाही बिक्री में Tesla को पीछे छोड़ दिया। साल 2024 में Tesla की कुल डिलिवरी 1.1% घटकर 17.9 लाख यूनिट पर आ गई, जबकि BYD की डिलिवरी 29% बढ़कर 42.7 लाख यूनिट तक पहुंच गई, जिसमें हाइब्रिड गाड़ियां भी शामिल हैं।
BYD के भारत में कदम रखने से घरेलू EV कंपनियों पर क्या असर पड़ेगा?
चीनी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता BYD की भारत में एंट्री से देश की EV इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव आने की उम्मीद है। इसका सीधा असर टाटा मोटर्स, मारुति सुज़ुकी और महिंद्रा जैसी घरेलू कंपनियों पर पड़ सकता है। BYD की मौजूदगी से बाजार में कीमतों को लेकर मुकाबला तेज हो सकता है, जिससे उपभोक्ताओं को किफायती विकल्प मिलेंगे। इसके साथ ही तकनीक में तेजी से सुधार और EV कंपोनेंट्स की मांग में इजाफा भी हो सकता है। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि BYD के निवेश से भारत में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की स्वीकार्यता बढ़ेगी। हालांकि, कंपनी की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि उसे नियामकीय मंजूरी कितनी जल्दी मिलती है, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर कितना मजबूत होता है, कीमत कितनी सुलभ रहती है और टेस्ला व स्थानीय कंपनियों से मुकाबला कैसा रहता है।
किसानों की उपज की खरीदी को लेकर मोदी सरकार ने लिया अहम फैसला, शिवराज सिंह चौहान ने और क्या कहा
28 Mar, 2025 12:57 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को कहा कि मोदी सरकार किसान हितैषी सरकार है। यही वजह है कि किसानों की उपज की खरीदी को लेकर सरकार ने कई बड़े फैसले लिए हैं। कृषि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में केंद्र सरकार किसानों की बेहतरी के लिए पूरी प्रतिबद्धता के साथ निरंतर काम कर रही है। किसानों से उनकी उपज न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी का कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दलहन में आत्मनिर्भरता हमारा संकल्प है और इस तारतम्य में प्रमुख अरहर (तुअर) उत्पादक राज्यों में अरहर की खरीद की जा रही है, जिसमें तेजी आई है।
अरहर, उड़द और मसूर की खरीद को मंजूरी
खबर के मुताबिक, दालों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने , किसानों को प्रोत्साहित करने और आयात पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार ने खरीद वर्ष 2024-25 के लिए राज्य के उत्पादन के 100% मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत अरहर, उड़द और मसूर की खरीद को मंजूरी दी है। मोदी सरकार ने बजट 2025 में यह भी घोषणा की है कि देश में दालों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए 2028-29 तक अगले चार वर्षों के लिए राज्य के उत्पादन का 100% तुअर (अरहर), उड़द और मसूर की खरीद की जाएगी। खरीफ 2024-25 सीजन के दौरान मूल्य समर्थन योजना के तहत आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और उत्तर प्रदेश राज्यों में तुअर (अरहर) की खरीद को मंजूरी दी है।
1,71,569 किसान लाभान्वित हुए
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आंध्र प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, महाराष्ट्र और तेलंगाना में नैफेड और एनसीसीएफ के माध्यम से एमएसपी पर खरीद जारी है और बीते 25 मार्च तक इन राज्यों में कुल 2.46 लाख मीट्रिक टन तुअर (अरहर) की खरीद की गई है, जिससे इन राज्यों के 1,71,569 किसान लाभान्वित हुए हैं। किसानों के हित में कर्नाटक में खरीद अवधि को 90 दिनों से आगे 30 दिन बढ़ाकर 01 मई तक करने को भी मंजूरी दी है। उत्तर प्रदेश में तो अरहर की कीमत मौजूदा समय में एमएसपी से ऊपर चल रही है। भारत सरकार केंद्रीय नोडल एजेंसियों के माध्यम से किसानों से 100% अरहर की खरीद के लिए प्रतिबद्ध है।
एमएसपी पर दालों और तिलहनों की खरीद जारी रहेगी
चौहान ने कहा कि इसी तरह, आरएमएस 2025 के दौरान चना, सरसों और मसूर की खरीद को मंजूरी दी गई है। पीएम-आशा योजना को 2025-26 तक बढ़ाया गया है। इसके तहत किसानों से एमएसपी पर दालों और तिलहनों की खरीद जारी रहेगी। आरएमएस 2025 के लिए चने की कुल स्वीकृत मात्रा 27.99 लाख मीट्रिक टन और सरसों की 28.28 लाख मीट्रिक टन है। प्रमुख राज्यों में राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात शामिल हैं। मसूर की कुल स्वीकृत मात्रा 9.40 लाख मीट्रिक टन है। तमिलनाडु में खोपरा (मिलिंग और बॉल) की खरीद को भी मंजूरी दी गई है।
किसानों के लिए पंजीकरण और प्रक्रिया आसान किया गया है
सरकार ने किसानों को पंजीकरण और प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए नैफेड और एनसीसीएफ पोर्टलों का उपयोग सुनिश्चित किया है। केंद्र सरकार कि और से मेरी सभी राज्य सरकार से अपील है कि वे यह सुनिश्चित करें कि MSP से नीचे कोई खरीद नहीं हो। हमारा उद्देश्य किसानों को फायदा पहुंचाना है, और इस पवित्र उद्देश्य की पूर्ति के लिए हम कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगे।
1 अप्रैल से महंगी होंगी जरूरी दवाइयाँ, 3,788 करोड़ का वित्तीय असर पड़ेगा मरीजों पर
28 Mar, 2025 12:51 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
4 दिन बाद मरीजों को करोड़ों का झटका लगने वाला है. अगर आप नियमित रूप से दवाओं का इस्तेमाल करते हैं, तो 1 अप्रैल से आपकी दवा की लागत बढ़ने वाली है. राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA) ने आवश्यक दवाओं की कीमतों में इजाफा करने का फैसला किया है, जिससे आम आदमी की जेब पर असर पड़ेगा.
दरअसल,सरकार ने दवाओं की कीमतों को नियंत्रित रखने के लिए कई महत्वपूर्ण दवाओं को प्राइस कंट्रोल लिस्ट में शामिल किया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस पहल से मरीजों को हर साल लगभग 3,788 करोड़ रुपये की बचत होती है. हालांकि, अब इन नियंत्रित दवाओं के दाम बढ़ने की संभावना जताई जा रही है.
कितनी बढ़ सकती है कीमत
रिपोर्ट्स के मुताबिक, कैंसर, डायबिटीज, हृदय रोग और एंटीबायोटिक्स जैसी आवश्यक दवाओं की कीमतों में 1.7% तक की वृद्धि हो सकती है. यह बढ़ोतरी नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) द्वारा तय की जाती है, जो देश में दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करने का काम करती है. इस कदम से दवा कंपनियों को राहत मिलेगी, क्योंकि उन्हें उत्पादन लागत में हो रही बढ़ोतरी से जूझना पड़ रहा था. हालांकि, मरीजों के लिए यह अतिरिक्त वित्तीय बोझ बन सकता है, जिससे उनकी दवाओं पर होने वाला खर्च बढ़ जाएगा. आइए जानते हैं किन दवाईयों की कीमतें बढ़ जाएंगी.
क्यों बढ़ रही हैं दवाओं की कीमतें?
NPPA के अनुसार, दवाओं की कीमतों में यह बढ़ोतरी **मुद्रास्फीति आधारित मूल्य संशोधन** के कारण की जा रही है. हर साल सरकार आवश्यक दवाओं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए एक संशोधन करती है. इस बार थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में वृद्धि के चलते दवा कंपनियों को कीमतें बढ़ाने की अनुमति दी गई है.
किन दवाओं के दाम बढ़ेंगे?
जो दवाएं राष्ट्रीय आवश्यक औषधि सूची (NLEM) में शामिल हैं, उनकी कीमतें बढ़ेंगी. इसमें एंटीबायोटिक्स, पेन किलर, हृदय रोग, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की दवाएं शामिल हैं.
सरकार के इस फैसले से जिन लोगों को नियमित रूप से दवाओं की जरूरत होती है, उनके मासिक खर्च में वृद्धि होगी. बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए मुश्किलें. कई वरिष्ठ नागरिक और क्रॉनिक बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को अधिक पैसे खर्च करने पड़ेंगे.हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम में बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे प्रीमियम दरें बढ़ने की संभावना है.
पिछले साल भी बढ़े थे दाम
यह पहली बार नहीं है जब दवाओं की कीमतें बढ़ाई जा रही हैं. 2023 में भी NPPA ने 12% तक की वृद्धि की थी, जिससे पहले से ही महंगाई से जूझ रहे लोगों को अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ा था.
Chris Wood ने भारतीय कंपनियों में निवेश को बढ़ाया, DLF, RIL, Zomato और MakeMyTrip को चुना
28 Mar, 2025 12:40 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जेफरीज (Jefferies) में ग्लोबल हेड ऑफ इक्विटी स्ट्रैटेजी क्रिस्टोफर वुड (Christopher Wood) ने अपने एशिया एक्स-जापान लॉन्ग-ओनली पोर्टफोलियो में फेरबदल किया है। उन्होंने गोदरेज प्रॉपर्टीज़ (Godrej Properties) से अपना निवेश हटा लिया है, जबकि मैक्रोटेक डेवलपर्स (Macrotech Developers) में निवेश 1% बढ़ाया है। अब मैक्रोटेक डेवलपर्स में उनका निवेश 4% पर पहुंच गया है।
वुड ने निवेशकों को लिखे अपने साप्ताहिक नोट ग्रिड एंड फियर (GREED & fear) में लिखा, “एक अन्य भारतीय रियल एस्टेट कंपनी DLF लिमिटेड में 3% वेटेज के साथ निवेश जोड़ा जाएगा। भारतीय ऑनलाइन ट्रैवल कंपनी MakeMyTrip में 4% वेटेज के साथ निवेश किया जाएगा, जिसके लिए एक्सिस बैंक से निवेश हटाया जाएगा। वहीं जोमैटो (Zomato) में निवेश 1% बढ़ाया जाएगा, जिसके लिए TSMC में वेटेज घटाया जाएगा।”
भारत के लॉन्ग-ओनली पोर्टफोलियो में वुड ने रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) में निवेश 2% बढ़ाया है। इसके लिए HDFC बैंक और स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) में निवेश 1-1% घटाया जाएगा।
ग्लोबल लॉन्ग-ओनली इक्विटी पोर्टफोलियो के तहत वुड ने MakeMyTrip में निवेश जोड़ा है, जिसके लिए एक्सिस बैंक से निवेश हटाया गया है। उन्होंने कहा कि गोदरेज प्रॉपर्टीज़ से भी निवेश पूरी तरह हटा लिया जाएगा और इसकी जगह मैक्रोटेक डेवलपर्स में निवेश किया जाएगा।
भारतीय शेयर बाजारों ने की स्मार्ट रिकवरी
भारतीय शेयर बाजारों ने हाल ही में अपने निचले स्तरों से तेज रिकवरी दिखाई है और निफ्टी 50 इंडेक्स 6.6% चढ़कर लगभग 23,600 के स्तर तक पहुंच गया है। सेक्टर्स की बात करें तो पब्लिक सेक्टर के शेयरों ने जोरदार वापसी की है, जहां NSE पर सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज़ेज़ के प्रदर्शन को मापने वाला निफ्टी CPSE इंडेक्स इस दौरान 14% बढ़ा है।
ACE इक्विटी के आंकड़ों के अनुसार, एनर्जी, कमोडिटी, मेटल, PSU बैंक, इन्फ्रास्ट्रक्चर, ऑयल एंड गैस और रियल्टी इंडेक्स ने भी अच्छा प्रदर्शन किया है और मार्च महीने में अब तक इनके बेंचमार्क इंडेक्स 8% से 12% तक चढ़ चुके हैं।
अमेरिकी शेयर बेचें, उभरते बाजारों में बढ़ाएं निवेश
एक व्यापक रणनीति के तहत वुड ने सुझाव दिया है कि निवेशकों को अमेरिकी शेयर बाजारों में आने वाली तेजी पर मुनाफावसूली करनी चाहिए और निवेश का फोकस यूरोप, चीन और अन्य उभरते बाजारों की इक्विटी पर बढ़ाना चाहिए। उनका मानना है कि अमेरिका से बाहर निवेश आवंटन की प्रक्रिया अभी शुरू ही हुई है।
वुड ने लिखा, “अमेरिकी शेयर अब भी तुलनात्मक रूप से महंगे हैं, जबकि वहां की कॉरपोरेट कमाई की वृद्धि दर लगातार गिर रही है। इसके विपरीत यूरोप, चीन और यहां तक कि जापान में भी कॉरपोरेट अर्निंग्स को लेकर पॉजिटिव सुधार देखे जा रहे हैं। जहां तक हालिया ऑटो टैरिफ की बात है जो 2 अप्रैल से लागू होने वाले हैं, 25% टैक्स उम्मीद से कहीं ज्यादा है। इसका असर पहले से संकट से जूझ रही ऑटो इंडस्ट्री पर नकारात्मक रहेगा, और जापान के लिए यह स्थिति और भी खराब हो सकती है।”
ग्लोबल फंड मैनेजर्स भी अमेरिकी शेयरों से बना रहे दूरी
वुड के अलावा अन्य ग्लोबल फंड मैनेजर भी अमेरिकी शेयर बाजारों में अपने निवेश को घटा रहे हैं। BofA सिक्योरिटीज की मार्च में जारी ताजा फंड मैनेजर सर्वे के मुताबिक, फंड मैनेजरों का अमेरिकी स्टॉक्स में आवंटन घटकर लगभग 23% अंडरवेट हो गया है, जो जून 2023 के बाद सबसे निचला स्तर है।
BofA सिक्योरिटीज द्वारा मार्च में किए गए सर्वे में शामिल ग्लोबल फंड मैनेजरों में से शुद्ध रूप से 44% का मानना है कि आने वाले समय में वैश्विक आर्थिक वृद्धि और कमजोर होगी। यह आंकड़ा पिछले महीने की तुलना में काफी ज्यादा है।
मार्च में अमेरिकी इक्विटी में आवंटन 40% गिरा
BofA सिक्योरिटीज के अनुसार, “मार्च में अमेरिकी इक्विटी में आवंटन 40% गिरा, जो अब तक की सबसे बड़ी मासिक गिरावट है। वर्तमान आवंटन इसके लॉन्गटर्म औसत से 1 स्टैंडर्ड डिविएशन नीचे है। वहीं यूरो जोन इक्विटी में आवंटन मासिक आधार (MoM) पर 27% बढ़कर नेट 39% ओवरवेट हो गया, जो जून 2021 के बाद सबसे ऊंचा स्तर है। फंड मैनेजर अब उभरते बाजारों (EM) के शेयरों में 20% ओवरवेट हैं, जो मासिक आधार पर 20% की बढ़ोतरी है।”
BofA ने बताया कि मार्च में हुए सर्वे में कुल 205 पैनलिस्ट्स ने हिस्सा लिया, जिनके पास कुल 477 अरब डॉलर की एसेट अंडर मैनेजमेंट (AUM) थी। इनमें से 171 प्रतिभागियों ने ग्लोबल फंड मैनेजर सर्वे (Global FMS) से जुड़े सवालों के जवाब दिए, जिनकी कुल AUM 426 अरब डॉलर थी। वहीं 107 प्रतिभागियों ने रीजनल फंड मैनेजर सर्वे (Regional FMS) के सवालों का जवाब दिया, जिनकी कुल AUM 193 अरब डॉलर रही।