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रेटिंग डाउन: मूडीज ने क्यों घटाई अमेरिका की 'AAA' रेटिंग
17 May, 2025 05:53 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मूडीज रेटिंग्स ने शुक्रवार को अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग को AAA से घटाकर AA1 कर दिया। यह पहली बार है जब मूडीज ने 1917 के बाद अमेरिका को परफेक्ट क्रेडिट स्कोर से वंचित किया है। इस कदम से निवेशकों को चेतावनी मिली है कि अमेरिका का कर्ज अब पहले जितना सुरक्षित नहीं माना जा सकता। इससे अमेरिकियों के लिए उधार लेना महंगा हो सकता है, क्योंकि ब्याज दरें बढ़ सकती हैं। पहले ही महंगाई और टैरिफ की मार झेल रहे लोगों पर इसका असर पड़ सकता है।
मूडीज का यह फैसला फिच रेटिंग्स (2023) और S&P (2011) के बाद आया है, जिन्होंने पहले ही अमेरिका की रेटिंग घटाई थी। अब तीनों प्रमुख रेटिंग एजेंसियां अमेरिका को AAA से नीचे आंक रही हैं।
क्यों लिया गया यह फैसला?
मूडीज ने अपने बयान में कहा कि पिछले एक दशक में अमेरिका का सरकारी कर्ज और ब्याज भुगतान का अनुपात इतना बढ़ गया है कि यह अन्य समान रेटिंग वाले देशों से कहीं ज्यादा है। एजेंसी का अनुमान है कि भविष्य में अमेरिका की उधारी की जरूरत और बढ़ेगी, जो अर्थव्यवस्था पर लंबे समय तक दबाव डालेगी।
हालांकि, मूडीज ने रेटिंग को “स्थिर” आउटलुक दिया है, क्योंकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियां अब भी मजबूत और स्वतंत्र मानी जाती हैं। लेकिन राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप द्वारा फेडरल रिजर्व की स्वतंत्रता पर सवाल उठाने और इसके प्रमुख जेरोम पॉवेल को हटाने की धमकी से यह स्थिरता खतरे में पड़ सकती है।
एजेंसी के इस फैसलने ने अमेरिका में एक राजनीतिक बहस छेड़ दी है। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता कुश देसाई ने इसके लिए बाइडन प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि ट्रंप प्रशासन और रिपब्लिकन बाइडन के ‘गलत नीतियों’ को सुधारने के लिए काम कर रहे हैं। वे ‘वन बिग ब्यूटीफुल बिल’ लाकर सरकारी खर्चों में कटौती और बर्बादी रोकना चाहते हैं।
क्या होगा असर?
एजेंसी का यह फैसला आम अमेरिकियों के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है। अगर निवेशक अमेरिकी कर्ज को जोखिम भरा मानेंगे, तो ट्रेजरी यील्ड बढ़ सकती है। इससे बंधक, कार लोन और क्रेडिट कार्ड की ब्याज दरें बढ़ेंगी।
ट्रंप प्रशासन कटौती पर जोर दे रहा है। एलन मस्क के नेतृत्व में डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) ने हजारों सरकारी कर्मचारियों की छंटनी की है और USAID जैसे संगठनों में कटौती की है। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप का प्रस्तावित बिल, जिसमें 2017 के टैक्स कट को स्थायी करना और मेडिकेड जैसे कार्यक्रमों में कटौती शामिल है, अगले दस सालों में कर्ज को 3.3 ट्रिलियन डॉलर बढ़ा सकता है।
टैक्सपेयर्स ध्यान दें! ITR फॉर्म भरने के नियमों में हुए ये अहम बदलाव
17 May, 2025 08:01 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ITR Forms AY26: इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फॉर्म्स हर साल अलग-अलग प्रकार के टैक्सपेयर्स के लिए एक जरूरी हिस्सा होते हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने असेसमेंट ईयर (AY) 2025-26 के लिए सातों ITR फॉर्म्स (ITR-1 से ITR-7 तक) को नोटिफाई कर दिया है, जो फाइनेंशियल ईयर (FY) 2024-25 यानी 1 अप्रैल 2024 से 31 मार्च 2025 तक की कमाई के लिए लागू होंगे। हर फॉर्म अलग-अलग तरह के टैक्सपेयर्स के लिए बनाया गया है, जिसमें सैलरीड लोग, बिजनेसमैन, HUF, फर्म्स, ट्रस्ट्स और कंपनियां आदि शामिल हैं। CBDT ने इस साल इन फॉर्म्स में कुछ जरूरी बदलाव भी किए गए हैं, खासकर कैपिटल गेन्स, डिडक्शन्स और डिस्क्लोजर रूल्स को लेकर। आइए, हर फॉर्म को विस्तार से समझते हैं और देखते हैं कि AY 2025-26 में क्या नया है।
ITR-1 (सहज): छोटे टैक्सपेयर्स के लिए आसान फॉर्म
ITR-1, जिसे सहज भी कहते हैं, उन लोगों के लिए है जिनकी सालाना इनकम 50 लाख रुपये तक है और वो भारत के रेजिडेंट हैं (यानी जो लोग भारत में कम से कम 182 दिन रहते हैं, लेकिन नॉट ऑर्डिनरिली रेजिडेंट नहीं हैं)। यह फॉर्म सैलरी, पेंशन, एक हाउस प्रॉपर्टी से इनकम, ब्याज (जैसे बैंक डिपॉजिट्स से) और 5,000 रुपये तक की कृषि आय वालों के लिए है।
इस साल इस फॉर्म में एक बड़ा बदलाव ये हुआ है कि अब आप लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) जो सेक्शन 112A के तहत हैं, यानी लिस्टेड शेयर्स या इक्विटी म्यूचुअल फंड्स से 1.25 लाख रुपये तक के गेन्स को इस फॉर्म में दिखा सकते हैं। पहले अगर आपके पास कोई कैपिटल गेन्स होता था, तो आपको ITR-2 भरना पड़ता था, जो ज्यादा जटिल है। अब इस नए बदलाव से छोटे इनवेस्टर्स को राहत मिलेगी, क्योंकि वो आसान फॉर्म में ही अपनी इनकम दिखा सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे, अगर आपके पास कैपिटल लॉस है जिसे कैरी फॉरवर्ड करना है, तो ये फॉर्म आपके लिए नहीं है।
इसके अलावा, ITR-1 उन लोगों के लिए नहीं है जो कंपनी में डायरेक्टर हैं, अनलिस्टेड शेयर्स में इन्वेस्ट करते हैं, या जिनके पास विदेश में कोई संपत्ति या इनकम है। एक और बदलाव ये है कि अब आपको अपने सभी एक्टिव बैंक अकाउंट्स की डिटेल्स देनी होंगी, सिवाय डोरमैंट अकाउंट्स के। साथ ही, अगर आप सेक्शन 80GG (HRA न मिलने पर किराए का डिडक्शन) क्लेम कर रहे हैं, तो आपको फॉर्म 10BA इलेक्ट्रॉनिकली फाइल करना जरूरी है।
ITR-2: सैलरीड और कैपिटल गेन्स वालों के लिए
ITR-2 उन इंडिविजुअल्स और हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली (HUF) के लिए है जिनकी इनकम बिजनेस या प्रोफेशन से नहीं है, लेकिन उनके पास सैलरी, एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी, कैपिटल गेन्स (शॉर्ट-टर्म या लॉन्ग-टर्म) या विदेशी संपत्ति/इनकम है। इस फॉर्म को वो लोग भी इस्तेमाल कर सकते हैं जिन्हें अपनी पत्नी या नाबालिग बच्चे की इनकम क्लब करनी हो, बशर्ते वो इनकम ऊपर बताई गई कैटेगरीज में आए। इस साल ITR-2 में कुछ जरूरी बदलाव हुए हैं। पहला, अब आपको कैपिटल गेन्स को अलग-अलग दिखाना होगा—23 जुलाई 2024 से पहले और बाद की ट्रांजैक्शन्स के लिए। ऐसा इसलिए क्योंकि बजट 2024 में प्रॉपर्टी पर लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स को 20% (इंडेक्सेशन के साथ) से घटाकर 12.5% (बिना इंडेक्सेशन) कर दिया गया है। अगर आपने 23 जुलाई 2024 से पहले प्रॉपर्टी खरीदी थी, तो आपके पास ऑप्शन है कि आप 12.5% बिना इंडेक्सेशन चुनें या 20% इंडेक्सेशन के साथ।
दूसरा बड़ा बदलाव ये है कि शेयर बायबैक पर होने वाले लॉस को अब कैपिटल गेन्स सेक्शन में और बायबैक से मिलने वाली रकम को डिविडेंड के तौर पर ‘इनकम फ्रॉम अदर सोर्सेज’ में दिखाना होगा। ये बदलाव फाइनेंस एक्ट 2024 के तहत 1 अक्टूबर 2024 से लागू है।
तीसरा, अगर आपकी टोटल इनकम 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है, तो ही आपको शेड्यूल AL में अपनी एसेट्स और लायबिलिटीज की डिटेल्स देनी होंगी। पहले ये लिमिट 50 लाख थी, जिससे मिडिल-इनकम टैक्सपेयर्स को राहत मिली है। साथ ही, अब आपको TDS सेक्शन कोड्स (जैसे 194I, 194J) बताने होंगे, जिससे ट्रांसपेरेंसी बढ़ेगी।
ITR-3: बिजनेस और प्रोफेशनल्स के लिए
ITR-3 उन इंडिविजुअल्स और HUF के लिए है जिनकी इनकम बिजनेस या प्रोफेशन से है, जैसे कि प्रोप्राइटरी बिजनेस चलाने वाले या प्रोफेशनल्स (डॉक्टर्स, वकील आदि)। इसमें कैपिटल गेन्स, लॉटरी इनकम या एक से ज्यादा हाउस प्रॉपर्टी की इनकम भी शामिल हो सकती है। इस साल ITR-3 में भी कुछ बदलाव हुए हैं।
पहला, शेड्यूल AL की थ्रेशोल्ड को 50 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दिया गया है, यानी अगर आपकी इनकम 1 करोड़ से कम है, तो आपको अपनी संपत्ति और देनदारियों की डिटेल्स नहीं देनी होंगी।
दूसरा, कैपिटल गेन्स को 23 जुलाई 2024 से पहले और बाद में बांटकर दिखाना होगा, जैसा कि ITR-2 में है।
तीसरा, अगर आप पार्टनरशिप फर्म में पार्टनर हैं, तो आपको ज्यादा डिटेल्स देनी होंगी, जैसे कि फर्म की प्रॉफिट-लॉस डिटेल्स। साथ ही, सेक्शन 80C, 80D जैसे डिडक्शन्स के लिए ड्रॉपडाउन मेन्यू जोड़ा गया है, जिससे फाइलिंग आसान होगी।
ITR-4 (सुगम): छोटे बिजनेस और प्रोफेशनल्स के लिए
ITR-4, जिसे सुगम कहते हैं, उन रेजिडेंट इंडिविजुअल्स, HUF और फर्म्स (LLP को छोड़कर) के लिए है जिनकी टोटल इनकम 50 लाख तक है और जिनकी बिजनेस या प्रोफेशनल इनकम प्रिजम्पटिव टैक्सेशन स्कीम (सेक्शन 44AD, 44ADA, 44AE) के तहत है। इस फॉर्म में भी आप सैलरी, एक हाउस प्रॉपर्टी और ब्याज जैसी इनकम दिखा सकते हैं। इस साल का सबसे बड़ा बदलाव ये है कि अब आप 1.25 लाख तक के लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन्स (सेक्शन 112A) को इस फॉर्म में दिखा सकते हैं, बशर्ते आपके पास कोई कैपिटल लॉस न हो।
पहले ऐसे टैक्सपेयर्स को ITR-2 या ITR-3 भरना पड़ता था। इसके अलावा, सेक्शन 44AD (बिजनेस के लिए) का टर्नओवर लिमिट 2 करोड़ से बढ़ाकर 3 करोड़ कर दिया गया है, बशर्ते 95% ट्रांजैक्शन्स डिजिटल हों। प्रोफेशनल्स के लिए सेक्शन 44ADA का लिमिट 50 लाख से बढ़ाकर 75 लाख किया गया है।
साथ ही, अगर आप न्यू टैक्स रिजीम से ऑप्ट-आउट करना चाहते हैं, तो आपको फॉर्म 10-IEA फाइल करना जरूरी है, और इसकी डिटेल्स ITR-4 में देनी होंगी।
ITR-5: फर्म्स और LLP के लिए
ITR-5 फर्म्स, लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप (LLP), एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स (AOP), बॉडी ऑफ इंडिविजुअल्स (BOI) और आर्टिफिशियल ज्यूरिडिकल पर्सन्स के लिए है। इस फॉर्म में भी कैपिटल गेन्स की अलग-अलग रिपोर्टिंग (23 जुलाई 2024 से पहले और बाद) का नियम लागू है।
साथ ही, TDS सेक्शन कोड्स की डिटेल्स देना जरूरी है। अगर आपकी इनकम 1 करोड़ से ज्यादा है, तो शेड्यूल AL में एसेट्स और लायबिलिटीज की जानकारी देनी होगी।
ITR-6: कंपनियों के लिए
ITR-6 उन कंपनियों के लिए है जो कंपनीज एक्ट के तहत रजिस्टर्ड हैं। इस फॉर्म में भी कैपिटल गेन्स की स्प्लिट रिपोर्टिंग और TDS कोड्स की जरूरत है। इसके अलावा, अगर कंपनी के पास विदेशी इनकम या एसेट्स हैं, तो उनकी डिटेल्स देनी होंगी। इस साल कोई बड़ा बदलाव इस फॉर्म में नहीं हुआ है, लेकिन नए टैक्स रूल्स को ध्यान में रखते हुए डिस्क्लोजर्स को और सख्त किया गया है।
ITR-7: ट्रस्ट्स और चैरिटेबल संस्थानों के लिए
ITR-7 उन यूनिट्स के लिए है, जो सेक्शन 139(4A), 139(4B), 139(4C) या 139(4D) के तहत रिटर्न फाइल करते हैं। इनमें मुख्य रूप से चैरिटेबल ट्रस्ट्स, पॉलिटिकल पार्टियां, साइंटिफिक रिसर्च इंस्टीट्यूशन्स और यूनिवर्सिटीज आदि शामिल होते हें। इस साल इसमें शेयर बायबैक लॉस और डिविडेंड इनकम को अलग-अलग दिखाने का नियम जोड़ा गया है। साथ ही, अगर ट्रस्ट के पास विदेशी रिटायरमेंट अकाउंट्स हैं, तो सेक्शन 89A के तहत उनकी डिटेल्स देनी होंगी।
इन सभी बदलावों का मकसद टैक्स फाइलिंग को आसान और पारदर्शी बनाना है। टैक्सपेयर्स को सलाह दी जाती है कि वे अपनी इनकम और स्टेटस के हिसाब से सही फॉर्म चुनें और 31 जुलाई 2025 की डेडलाइन से पहले रिटर्न फाइल करें।
क्या खत्म होगा देसी एथनॉल का दबदबा? अमेरिका के आगे भारत ने टेके घुटने?
17 May, 2025 07:17 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत सरकार एथनॉल के आयात पर लगे प्रतिबंध को हटाने पर विचार कर रही है। इस संभावित नीतिगत बदलाव के पीछे मुख्य कारण संयुक्त राज्य अमेरिका का बढ़ता हुआ दबाव बताया जा रहा है। यह घटनाक्रम भारत की घरेलू एथनॉल उत्पादन नीति और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधों के लिए महत्वपूर्ण निहितार्थ रखता है।
भारत ने मुख्य रूप से घरेलू एथनॉल उत्पादन को बढ़ावा देने और आत्मनिर्भरता हासिल करने के उद्देश्य से एथनॉल के आयात पर प्रतिबंध लगा रखा है। सरकार का जोर गन्ने और अन्य कृषि उत्पादों से एथनॉल उत्पादन को प्रोत्साहित करने पर रहा है, जिसका उपयोग पेट्रोल के साथ मिश्रण करके जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम किया जा सके। यह नीति किसानों के लिए आय का एक अतिरिक्त स्रोत भी प्रदान करती है।
अमेरिका का बढ़ता दबाव:
हाल के महीनों में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत सरकार पर एथनॉल आयात पर लगे प्रतिबंध को हटाने के लिए दबाव बढ़ा दिया है। अमेरिका दुनिया के सबसे बड़े एथनॉल उत्पादकों में से एक है और वह भारत को एक बड़े बाजार के रूप में देखता है। अमेरिकी अधिकारियों ने विभिन्न द्विपक्षीय वार्ताओं और व्यापारिक मंचों पर इस मुद्दे को उठाया है, तर्क देते हुए कि भारत का प्रतिबंध मुक्त व्यापार सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है और अमेरिकी निर्यात के लिए बाधा उत्पन्न करता है।
संभावित नीतिगत बदलाव के कारण:
हालांकि भारत सरकार ने अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, निम्नलिखित कारणों से प्रतिबंध हटाने पर विचार किया जा रहा है:
अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक दबाव: अमेरिका जैसे महत्वपूर्ण व्यापारिक साझेदार के लगातार दबाव को नजरअंदाज करना भारत के लिए दीर्घकालिक व्यापारिक संबंधों को प्रभावित कर सकता है।
विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियम: कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का एथनॉल आयात प्रतिबंध WTO के नियमों के तहत चुनौती दी जा सकती है।
घरेलू उत्पादन की सीमाएं: भारत में एथनॉल का घरेलू उत्पादन अभी भी मांग को पूरी तरह से पूरा करने में सक्षम नहीं है, खासकर जब सरकार ने पेट्रोल में एथनॉल मिश्रण के लक्ष्य को बढ़ाने पर जोर दिया है।
भू-राजनीतिक कारक: कुछ विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका के साथ समग्र रणनीतिक संबंधों को बनाए रखने के लिए भारत कुछ व्यापारिक रियायतें दे सकता है।
संभावित प्रभाव:
यदि भारत सरकार एथनॉल आयात पर प्रतिबंध हटाती है, तो इसके कई संभावित प्रभाव हो सकते हैं:
अमेरिकी एथनॉल के लिए बाजार: अमेरिकी एथनॉल उत्पादकों के लिए भारत एक नया और बड़ा बाजार खुल जाएगा, जिससे उनके निर्यात में वृद्धि हो सकती है।
घरेलू एथनॉल उद्योग पर प्रभाव: भारतीय एथनॉल उत्पादकों को अमेरिकी प्रतिस्पर्धियों से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उनकी लाभप्रदता प्रभावित हो सकती है।
किसानों पर असर: गन्ने और अन्य एथनॉल उत्पादक फसलों की मांग और कीमतों पर असर पड़ सकता है, जिससे किसानों की आय प्रभावित हो सकती है।
पेट्रोल की कीमतें: एथनॉल के आयात से पेट्रोल के साथ मिश्रण की लागत कम हो सकती है, जिससे उपभोक्ताओं के लिए पेट्रोल की कीमतें कुछ हद तक कम हो सकती हैं।
पर्यावरण: एथनॉल को एक हरित ईंधन माना जाता है, इसलिए आयात से देश में एथनॉल की उपलब्धता बढ़ने से पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
आगे की राह:
भारत अमेरिका के एथनॉल आयात पर प्रतिबंध हटाने के अनुरोध की समीक्षा कर रह है। भारत दंडात्मक शुल्कों से बचने के लिए अमेरिका से व्यापक व्यापार समझौते पर विचार कर रहा है।
अभी भारत ईंधन के लिए एथनॉल के आयात की अनुमति नहीं देता है और इसके गैर ईंधन उपयोग के आयात पर भारी भरकम शुल्क लगाता है।अमेरिका बीते कई सप्ताहों से एथनॉल के आयात को खोलने के लिए लॉबिंग कर रहा है। हालांकि इस अनुरोध पर ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए अन्यथा घरेलू स्तर पर एथनॉल उत्पादन में सभी निवेश सवालों के घेरे में आ जाएंगे।
रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी वार्ताकार दक्षिण एशिया के इस देश से गैसोलीन में जैवईंधन के आयात की अनुमति चाहते हैं। यह अनुमति घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने और गैर ईंधन के लिए विदेश से एथनॉल खरीद को बढ़ावा देने के लिए हालिया नियमों में बदलाव होगा। अमेरिका से एथनॉल आयात खोलने की लॉबिंग उस दौर में हो रही है, जब लगातार दूसरे वर्ष अनाज की तुलना में गन्ने से एथनॉल उत्पादन में गिरावट आई है। एथनॉल आपूर्ति वर्ष 24-25 (नवंबर से अक्टूबर) मार्च तक तेल विपणन कंपनियां ने 9.96 अरब लीटर एथनॉल आपूर्ति आबंटित की है। इसमें से 66 प्रतिशत एथनॉल की आपूर्ति अनाज से होगी जबकि शेष गन्ने से होगी। कुछ महीनों पहले तक इन दोनों ही खाद्य उत्पादों से बराबर मात्रा में एथनॉल की मात्रा की आपूर्ति होती थी।
भारत सरकार को एथनॉल आयात पर कोई भी निर्णय लेने से पहले घरेलू उद्योग, किसानों और अंतर्राष्ट्रीय व्यापारिक हितों को ध्यान में रखते हुए सावधानीपूर्वक विचार करना होगा। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार अमेरिका के दबाव और घरेलू हितों के बीच किस प्रकार संतुलन बनाती है। आने वाले हफ्तों और महीनों में इस मुद्दे पर और अधिक स्पष्टता आने की उम्मीद है। यह संभावित नीतिगत बदलाव भारत की ऊर्जा सुरक्षा और कृषि अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।
PPF का कमाल! जानें कैसे मामूली निवेश से बन सकता है इतना बड़ा फंड और पेंशन!
17 May, 2025 07:03 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
पब्लिक प्रोविडेंट फंड यानी PPF भारत में सबसे भरोसेमंद और सुरक्षित निवेश योजनाओं में से एक है। अगर आप लंबे समय तक पैसा जोड़ना चाहते हैं और रिटायरमेंट के लिए एक मोटा फंड बनाना चाहते हैं, तो PPF आपके लिए एक शानदार विकल्प हो सकता है। खासकर इसका 15+5+5 फॉर्मूला, जिसकी मदद से आप 25 साल में 80 लाख रुपये का फंड और हर महीने 48,000 रुपये महीने तक की पेंशन पा सकते हैं।
PPF क्या है?
पब्लिक प्रोविडेंट फंड एक ऐसी सरकारी योजना है, जिसमें आप अपने पैसे को लंबे समय तक निवेश करके अच्छा रिटर्न पा सकते हैं। यह योजना भारत सरकार द्वारा समर्थित है और पोस्ट ऑफिस या कुछ चुनिंदा बैंकों के जरिए इसमें निवेश किया जा सकता है। PPF का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह पूरी तरह सुरक्षित है। इसमें जोखिम बिल्कुल नहीं है, क्योंकि यह सरकार द्वारा बैक किया जाता है। साथ ही, इसमें मिलने वाला ब्याज और मेच्योरिटी पर मिलने वाली राशि टैक्स-फ्री होती है। इसका मतलब है कि आप जो कमाते हैं, उस पर आपको कोई टैक्स नहीं देना पड़ता।
PPF में आप हर साल कम से कम 500 रुपये और ज्यादा से ज्यादा 1.5 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं। यह राशि आपकी जेब के हिसाब से लचीली है, यानी छोटे निवेशक भी इसमें हिस्सा ले सकते हैं। इसकी ब्याज दर सरकार हर तिमाही तय करती है, और अभी यह 7.1% सालाना है। यह ब्याज हर साल कंपाउंड होता है, यानी आपके पैसे पर ब्याज मिलता है और फिर उस ब्याज पर भी ब्याज जुड़ता जाता है। यही कंपाउंडिंग की ताकत PPF को इतना खास बनाती है।
15+5+5 फॉर्मूला क्या है?
PPF का 15+5+5 फॉर्मूला समझने में बहुत आसान है। यह एक तरह का निवेश प्लान है, जिसमें आप 25 साल तक अपने पैसे को बढ़ने देते हैं। आइए इसे स्टेप-बाय-स्टेप समझते हैं।
सबसे पहले, PPF का मूल टेन्योर यानी अवधि 15 साल की होती है। इस दौरान आप हर साल अपनी मर्जी से 500 रुपये से लेकर 1.5 लाख रुपये तक निवेश कर सकते हैं। 15 साल पूरे होने के बाद आपके पास दो विकल्प होते हैं: या तो आप सारा पैसा निकाल लें, या फिर इसे 5-5 साल के ब्लॉक में बढ़ाएं। 15+5+5 फॉर्मूले में आप पहले 15 साल तक निवेश करते हैं, फिर अगले 10 साल (दो 5-5 साल के ब्लॉक) तक बिना कोई नया निवेश किए अपने पैसे को बढ़ने देते हैं। इस तरह कुल 25 साल में आपका पैसा कंपाउंडिंग की वजह से बहुत बड़ा फंड बन जाता है।
कैसे बनता है 80 लाख का फंड?
अब आते हैं उस हिस्से पर। अगर आप हर साल PPF में 1.5 लाख रुपये निवेश करते हैं, तो 15+5+5 फॉर्मूले के साथ आप 25 साल में 80 लाख रुपये से ज्यादा का फंड बना सकते हैं। चलिए इसे और आसानी से समझते हैं।
पहले 15 साल तक आप हर साल 1.5 लाख रुपये जमा करते हैं। इस तरह 15 साल में आपने कुल 22.5 लाख रुपये (15 x 1.5 लाख) निवेश किए। अब, 7.1% की ब्याज दर के साथ, 15 साल बाद आपका फंड बढ़कर लगभग 40.68 लाख रुपये हो जाता है। इसमें से 22.5 लाख आपका निवेश है और बाकी 18.18 लाख ब्याज से आता है।
अब अगर आप इस फंड को निकालने की बजाय अगले 5 साल तक बिना कोई नया निवेश किए छोड़ देते हैं, तो यह 7.1% की ब्याज दर से और बढ़ता है। 20 साल पूरे होने पर यानी पहले 5 साल के एक्सटेंशन के बाद, आपका फंड 57.32 लाख रुपये तक पहुंच जाता है। इसमें अतिरिक्त 16.64 लाख रुपये का ब्याज जुड़ता है।
अब अगर आप इसे और 5 साल के लिए बढ़ाते हैं, यानी कुल 25 साल पूरे करते हैं, तो आपका फंड 80.77 लाख रुपये तक पहुंच जाता है। इसमें से 23.45 लाख रुपये का ब्याज आखिरी 5 साल में जुड़ता है। इस तरह, आपने 15 साल में 22.5 लाख रुपये जमा किए और 25 साल में वह बढ़कर 80.77 लाख रुपये हो गया। यह सारा जादू कंपाउंडिंग की ताकत से होता है।
48,000 रुपये की मासिक पेंशन कैसे मिलेगी?
अब सवाल यह है कि इस 80 लाख के फंड से आपको हर महीने 48,000 रुपये की पेंशन कैसे मिलेगी? इसका जवाब भी बहुत आसान है। जब आपका फंड 80.77 लाख रुपये तक पहुंच जाता है, तो आप इसे PPF अकाउंट में ही छोड़ सकते हैं। इस राशि पर आपको हर साल 7.1% का ब्याज मिलता रहेगा।
80.77 लाख रुपये पर 7.1% का सालाना ब्याज लगभग 5.73 लाख रुपये होता है। अगर आप इस ब्याज को हर साल निकालते हैं, तो यह आपको हर महीने करीब 48,000 रुपये (5.73 लाख ÷ 12) की पेंशन देता है। खास बात यह है कि आपका मूल फंड 80.77 लाख रुपये जस का तस रहता है, क्योंकि आप सिर्फ ब्याज निकाल रहे हैं। इस तरह, यह एक ऐसी पेंशन बन जाती है, जो आपके रिटायरमेंट के सालों में आपको नियमित आय देती है और वह भी टैक्स-फ्री।
PPF के फायदे
PPF सिर्फ फंड बनाने और पेंशन देने तक सीमित नहीं है। इसके कई और फायदे हैं, जो इसे हर निवेशक के लिए आकर्षक बनाते हैं। सबसे पहले, यह पूरी तरह सुरक्षित है, क्योंकि यह सरकार द्वारा समर्थित है। दूसरा, इसमें टैक्स छूट का फायदा मिलता है। आप हर साल 1.5 लाख रुपये तक के निवेश पर इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80C के तहत टैक्स छूट पा सकते हैं। साथ ही, इस पर मिलने वाला ब्याज और मेच्योरिटी की राशि भी टैक्स-फ्री होती है। इसे EEE (Exempt-Exempt-Exempt) मॉडल कहा जाता है, यानी निवेश, ब्याज, और मेच्योरिटी तीनों पर टैक्स छूट।
इसके अलावा, PPF में निवेश की राशि बहुत लचीली है। अगर आपकी जेब में ज्यादा पैसे नहीं हैं, तो आप 500 रुपये से भी शुरुआत कर सकते हैं। अगर आप ज्यादा निवेश करना चाहते हैं, तो 1.5 लाख रुपये तक डाल सकते हैं। यह योजना सैलरी वालों, गृहिणियों, छोटे बिजनेस वालों, हर किसी के लिए फिट है।
क्या हैं शर्तें और सीमाएं?
PPF में कुछ शर्तें भी हैं, जिन्हें समझना जरूरी है। सबसे पहले, इसका लॉक-इन पीरियड 15 साल का है। यानी आप 15 साल से पहले पूरा पैसा नहीं निकाल सकते। हालांकि, 7वें साल से आप कुछ शर्तों के साथ आंशिक निकासी कर सकते हैं। आप हर साल एक बार अपने फंड का कुछ हिस्सा निकाल सकते हैं, लेकिन यह 50% से ज्यादा नहीं हो सकता।
दूसरा, अगर आप 15 साल बाद अपने अकाउंट को बढ़ाना चाहते हैं, तो आपको हर 5 साल में इसे एक्सटेंड करना होगा। आप इसे बिना नए निवेश के या नए निवेश के साथ बढ़ा सकते हैं। अगर आप नए निवेश के साथ बढ़ाते हैं, तो आपका फंड और तेजी से बढ़ेगा।
तीसरा, PPF में हर साल 1.5 लाख रुपये से ज्यादा निवेश नहीं कर सकते। अगर आप ज्यादा डालते हैं, तो उस पर न तो ब्याज मिलेगा और न ही टैक्स छूट।
क्यों चुनें PPF?
PPF उन लोगों के लिए सबसे अच्छा है, जो जोखिम नहीं लेना चाहते और अपने पैसे को सुरक्षित रखते हुए बढ़ाना चाहते हैं। यह खासकर रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए शानदार है, क्योंकि यह लंबे समय तक निवेश को बढ़ने देता है। साथ ही, टैक्स छूट का फायदा इसे और आकर्षक बनाता है। अगर आप हर महीने थोड़ा-थोड़ा बचाकर बड़ा फंड बनाना चाहते हैं, तो 15+5+5 फॉर्मूला आपके लिए एकदम सही है।
महंगाई को लगा ब्रेक: सस्ती हुई ब्रांडेड शराब और फैशन ब्रांड्स, जानिए नई कीमतें
16 May, 2025 05:19 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शराब शौकीनों और ब्रांडेड कपड़े खरीदने वालों के लिए खुशखबरी है. दरअसल, भारत और ब्रिटेन के बीच हाल ही में फ्री ट्रेड एग्रीमेंट हुआ है. इसके बाद ब्रिटिश व्हिस्की, लग्जरी ब्रांड्स के कपड़े और एसेसरीज़, दवाएं और इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स समेत कई सामान सस्ते होने का रास्ता साफ हो गया है. लेकिन, सवाल है कि कम कीमत पर ये सामान कब से मिलेगा. कॉमर्स मिनिस्ट्री एक अधिकारी ने इस फ्री ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर अपडेट दिया है. उन्होंने कहा कि भारत और ब्रिटेन के बीच 6 मई को संपन्न मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर जल्द ही साइन होने की उम्मीद है.
कपड़े भी हुए सस्ते
दरअसल, भारत और ब्रिटेन के बीच हुए इस समझौते के तहत लेदर आइटम, जूते और कपड़ों जैसे श्रम-गहन उत्पादों के निर्यात पर कर हटा दिए जाएंगे, जबकि ब्रिटेन से व्हिस्की और कारों का आयात सस्ता हो जाएगा. इस पहल का मकसद 2030 तक दोनों देशों के बीच व्यापार को 120 अरब डॉलर तक पहुंचाना है.
3 साल बाद हुई डील
खास बात है कि दोनों देशों ने तीन साल की बातचीत के बाद यह समझौता किया. इस एग्रीमेंट के तहत ब्रिटेन के बाजार में 99 प्रतिशत भारतीय वस्तुओं पर शुल्क को शून्य कर दिया गया है, जबकि भारतीय श्रमिकों को ब्रिटेन की पॉइंट-आधारित आव्रजन प्रणाली में बदलाव किये बिना काम के लिए ब्रिटेन की यात्रा करने की अनुमति दी गई है. फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के तहत दोनों देशों के बीच कई वस्तुओं और सेवाओं पर टैरिफ (शुल्क) घटाया जाएगा या खत्म किया जाएगा.अधिकारी ने कहा, समझौते पर जल्द ही हस्ताक्षर होने की उम्मीद है. यह समझौता फिलहाल कानूनी प्रक्रिया से गुजर रहा है, जिसके लगभग तीन महीने में पूरा होने की संभावना है. समझौते के लिए बातचीत जनवरी, 2022 में शुरू हुई थी. भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2023-24 में बढ़कर 21.34 अरब डॉलर हो गया, जबकि 2022-23 में यह 20.36 अरब डॉलर था.
PM Kisan Yojana: 20वीं किस्त के पैसे पाने हैं तो फौरन लिस्ट में यूं चेक करें अपना नाम
16 May, 2025 04:38 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देश के किसानों के लिए प्रधानमंत्री सम्मान निधि योजना चलाई जा रही है. इस योजना के तहत इस बार भी लाभार्थियों को 20 वीं किस्त का इंतजार है. बता दें, पिछली बार 19वीं किस्त 24 फरवरी 2025 को आई थी. ऐसे में इस बार अब ये माना जा रहा है कि जून में अगली किस्त के 2 हजार रुपए आपके खाते में आ सकते हैं. अगर आप भी किस्त का इंतजार कर रहे हैं तो सबसे पहले लिस्ट में अपना नाम चेक करें. आपका नाम लिस्ट में है या नहीं ये कैसे जानें, आईए आपको बताते हैं.
ऐसे चेक करें लिस्ट में नाम
सबसे पहले आप ऑफिशियल पोर्टल pmkisan.gov.in जाएं. इसके बाद आपको Beneficiary List का ऑप्शन दिखेगा. अब आपको स्क्रीन पर एक नई विंडो खुल जाएगी. इसमें आपको अपने राज्य को सेलेक्ट करना होगा. इसके बाद जिला, उप जिला और गांव को सेलेक्ट करना है. फिर आपको Get Report पर क्लिक करना है. इसके बाद आपके सामने स्क्रीन पर उस गांव के लाभार्थियों की पूरी लिस्ट ओपन हो जाएगी.
किसे मिलेगा पैसा और किसे नहीं?
आपको बता दें, अगर आप पीएम-किसान योजना के लिए पात्र किसान हैं और समय पर अपनी सारी जरूरी प्रक्रिया को पूरा कर लिया है , तो अगली किस्त आपके खाते में आएगी. लेकिन आपने अब तक ई-केवाईसी नहीं करवाई है, फार्मर आईडी नहीं बनवाई है या फिर अपने बैंक अकाउंट को आधार कार्ड से लिंक नहीं करवाया है, तो आपके किस्त पर रोक लग सकती है. इसको लेकर सरकार के साफ निर्देश है कि आप 31 मई 2025 तक eKYC पूरी करवा लें, वरना इस बार भी आपकी किस्त रुक सकती है.
कैसे करें ऑनलाइन eKYC
आप सबसे पहले pmkisan.gov.in वेबसाइट खोलें. इसके बाद होमपेज पर जाकर eKYC वाले ऑप्शन पर क्लिक करें. फिर अपना आधार नंबर और कैप्चा कोड डालें. इसके बाद मोबाइल नंबर डालें जो आधार से लिंक हो फिर ओटीपी डालकर आप अपना eKYC पूरा कर सकते हैं. अगर आप इसे खुद से नहीं कर पाते हैं तो आप अपने आस-पास नजदीकी CSC सेंटर पर जाकर भी eKYC करवा सकते हैं.
सिक्किम मॉडल: जैविक खेती, पर्यटन और समावेशी विकास की त्रिवेणी
16 May, 2025 03:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सिक्किम के भारत में शामिल होने का वहां के लोगों को शायद कोई अफसोस नहीं हुआ होगा। पूर्वोत्तर का यह राज्य वर्ष 1975 में लोकतंत्र का हिस्सा बना था और उसके बाद 50 वर्षों का सफर तय करते हुए आज यह प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश का सबसे संपन्न होने का दम भर रहा है। केंद्र सरकार भी इसके वित्तीय खजाने में भारी-भरकम योगदान देती है।
साल 2023-24 में सिक्किम प्रति व्यक्ति आय के मामले में गोवा से 1,780 रुपये से आगे निकल गया। एक साल पहले गोवा की प्रति व्यक्ति आय सिक्किम से 12,388 रुपये अधिक थी। इसे देखते हुए यह बड़ी उपलब्धि है, क्योंकि भारत का हिस्सा बनने के 25 साल बाद भी 12 राज्य प्रति व्यक्ति आय के मामले में सिक्किम से आगे थे। उन सभी को पछाड़ते हुए इसने सबसे तेज तरक्की दर्ज की।
साल 2000-2001 के बाद से देश की अर्थव्यवस्था के अनुपात में सिक्किम की अर्थव्यवस्था तीन गुना हो गई है। हालांकि, यह भी कहा जाता है कि इतनी प्रगति के बाद भी साल 2023-24 में राज्य की अर्थव्यवस्था देश की अर्थव्यवस्था का सिर्फ 0.16 फीसदी थी। यह पहाड़ी राज्य 7,096 वर्ग किलोमीटर में फैला है, जो देश के क्षेत्रफल का 0.21 फीसदी है। साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, चूंकि यहां की जनसंख्या 6,10,577 है और यह देश की कुल आबादी की सिर्फ 0.05 फीसदी है, इसलिए प्रति व्यक्ति आय के मामले में इससे बहुत फर्क पड़ा है।
पूर्वोत्तर की अधिकतर ‘सेवन सिस्टर्स’ की तरह ही सिक्किम में भी खासकर करों के मामले में राजस्व अर्जित करने वाले संसाधन बहुत कम हैं। उदाहरण के लिए साल 2023-24 में राज्य में कुल राजस्व प्राप्तियों में करों की हिस्सेदारी केवल 17 फीसदी रही। हालांकि, यह साल 2000-2001 के मुकाबले दोगुना दर्ज किया गया। केंद्रीय करों और अनुदानों के हस्तांतरण के कारण राज्य की अर्थव्यवस्था को गति मिल रही है। समय के साथ हस्तांतरण बढ़ने और अनुदान में कमी आने के बावजूद राज्य की राजस्व प्राप्तियों में इनकी हिस्सेदारी 75 फीसदी बनी हुई है। सिक्किम की आर्थिक समृद्धि इसके सामाजिक कल्याण परिदृश्य में साफ झलकती है।
उदाहरण के लिए राज्य की सिर्फ 2.6 फीसदी ही आबादी बहुआयामी गरीबी के दायरे में आती है। भले ही यह संपन्नता आंकने का सही पैमाना नहीं हो, फिर भी उस लिहाज से इसे देखा जा सकता है कि इस मामले में राष्ट्रीय औसत 15 फीसदी है और यह उससे बहुत कम है। इसके अलावा सिक्किम की स्थिति साक्षरता दर और शिशु मृत्यु दर के मामले में भी दमदार रही है। मगर राज्य को अपने लिंगानुपात पर थोड़ा काम करने की जरूरत महसूस होती है। इसके अलावा, प्रदेश की बेरोजगारी दर राष्ट्रीय औसत से काफी नीचे बनी हुई है, मगर यह साल 2021-22 के बाद से लगातार बढ़ रही है। आवधिक श्रमबल सर्वेक्षण से इसका खुलासा हुआ है। मगर इस रिपोर्ट में कृषि क्षेत्र में छिपी हुई बेरोजगारी का जिक्र नहीं किया गया है।
भारत में आईफोन उत्पादन पर ट्रंप की आपत्ति, एप्पल को दिया निर्देश
16 May, 2025 10:20 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने ऐपल से कहा है कि वह भारत में अपने उत्पादों का विनिर्माण न करे। ट्रंप के आज के इस बयान से भारत में ऐपल के विनिर्माण की बात को थोड़ा झटका लगा है। दरअसल ऐपल अपनी आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाने के लिए भारत से अमेरिका में आईफोन का निर्यात बढ़ाने के लिए उत्पादन क्षमता में इजाफा कर रही है। वर्तमान में ऐपल उत्पादों के विनिर्माण में चीन का दबदबा है।
कतर की राजधानी दोहा में व्यापार सम्मेलन के दौरान ट्रंप ने कहा कि उन्होंने भारत में ऐपल के विस्तार की योजना पर कंपनी के मुख्य कार्याधिकारी टिम कुक से नाखुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि वह चाहते हैं कि ऐपल अमेरिका में ज्यादा निवेश करे। ट्रंप ने कहा, ‘आप भारत में विनिर्माण कर रहे हैं। मैं नहीं चाहता कि आप भारत में विनिर्माण करें।’ कुक भी कतर में ही मौजूद थे। ट्रंप ने कुक को सुझाव दिया कि ऐपल भारतीय बाजार के लिए भारत में अपने उत्पाद बना सकती है। लेकिन अमेरिका में बेचे जा रहे ‘मेड इन इंडिया’ आईफोन को रोकना होगा।’ ट्रंप की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है।
ऐपल के सीईओ ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि कंपनी की योजना अमेरिकी बाजार के लिए ज्यादातर आईफोन भारत से लाने की है। ट्रंप के बयान के तुरंत बाद भारत सरकार के अधिकारियों ने ऐपल के अधिकारियों से बात की। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ऐपल ने आश्वस्त किया है कि भारत के लिए ऐपल की निवेश योजना में कोई बदलाव नहीं हुआ है और कंपनी का इरादा भारत को अपने उत्पादों के विनिर्माण का प्रमुख अड्डा बनाना है। एक अन्य अधिकारी ने बताया कि भारत प्रोत्साहनों के जरिये बहुराष्ट्रीय कंपनियों को विनिर्माण के लिए आकर्षित कर रहा है।
इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि जब तक अमेरिका या ऐपल से इस मुद्दे पर आधिकारिक जानकारी नहीं मिल जाती है तब तक सरकार ट्रंप के बयान पर कोई टिप्पणी नहीं करेगी।
कुक ने पहले कहा था कि जून तिमाही में अमेरिका में बेचे जाने वाले अधिकांश आईफोन भारत में बने होंगे जबकि शुल्क पर अनिश्चितता के बीच अन्य बाजारों के लिए कंपनी के अधिकांश उत्पाद चीन में बनेंगे। भारत में ताइवान की कंपनी फॉक्सकॉन, पेगाट्रॉन कॉर्प का संचालन करने वाली टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ऐपल के लिए मुख्य रूप से ठेके पर आईफोन बनाती हैं। टाटा और फॉक्सकॉन आईफोन उत्पादन बढ़ाने के लिए नए संयंत्र बना रही हैं। पिछले वित्त वर्ष में ऐपल ने भारत में 60 फीसदी अधिक आईफोन असेंबल किए जिनकी अनुमानित कीमत 22 अरब डॉलर है।
रोजगार का हब बनेगा जेवर, 3706 करोड़ की लागत से लगेगी सेमीकंडक्टर यूनिट
16 May, 2025 10:00 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तर प्रदेश के यहूबार क्षेत्र में अब सिर्फ जेवर एयरपोर्ट ही नहीं, बल्कि सेमीकंडक्टर चिप निर्माण का एक बड़ा केंद्र भी आकार ले रहा है. केंद्र सरकार ने 14 मई को HCL-Foxconn के ज्वाइंट वेंचर को मंजूरी दे दी है. इन नयी योजना के तहत 3,706 करोड़ रुपये की लागत से एक अत्याधुनिक वेफर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित किया जाएगा. यह यूनिट मोबाइल, लैपटॉप और ऑटोमोबाइल्स जैसे डिवाइसेस के लिए बेहद अहम डिस्प्ले ड्राइवर चिप बनाएगी.
हर महीने 20 हजार वेफर्स प्रोसेस करेगी
केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह प्रस्तावित यूनिट प्रति माह 20 हजार वेफर्स प्रोसेस करेगी और इसकी डिजाइन क्षमता 3.6 करोड़ चिप्स प्रतिमाह की होगी. उन्होंने कहा, “यह देश में सेमीकंडक्टर निर्माण को नई दिशा देगा. जब यह डिस्प्ले ड्राइवर चिप यहां बनेगा तो जल्द ही डिस्प्ले पैनल निर्माण भी भारत में शुरू हो सकेगा.”
सरकार के मुताबिक, पहले ही पांच सेमीकंडक्टर यूनिट्स निर्माण की उन्नत अवस्था में हैं और यह छठा प्रोजेक्ट भारत की रणनीतिक रूप से अहम सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को और मजबूती देगा.
सरकार ने बयान में कहा है कि , “HCL के पास हार्डवेयर निर्माण का लंबा अनुभव है और फॉक्सकॉन इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में वैश्विक लीडर है. दोनों मिलकर जेवर एयरपोर्ट के पास यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) क्षेत्र में यह प्लांट लगाएंगे.”
प्रोडक्शन 2027 से शुरू होगा
मंत्री वैष्णव ने जानकारी दी कि इस प्लांट में उत्पादन वर्ष 2027 से शुरू होगा. उन्होंने कहा कि लैपटॉप, मोबाइल फोन, मेडिकल डिवाइस, डिफेंस इक्विपमेंट और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में सेमीकंडक्टर की बढ़ती मांग को यह यूनिट पूरा करेगी. भारत को एडवांस बनाने में अपनी भूमिका दर्ज करने के साथ ही यह यूनिट रोजगार के नए अवसर भी साथ लेकर आएगी. यह योजना आत्मनिर्भर भारत के तरफ अहम कदम है.
अलर्ट! क्रेडिट कार्ड लिमिट बढ़ाने के मैसेज या कॉल से बचें, वरना लुट जाएगी गाढ़ी कमाई
16 May, 2025 09:50 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Credit Card Limit Fraud: देश में साइबर अपराधी दिन-ब-दिन लोगों से ठगी करने के नए तरीके ईजाद कर रहे हैं. इसी तरह का एक नया तरीका है क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने का झांसा देकर ग्राहकों की जानकारी प्राप्त करना और फिर उनके साथ ठगी करना. इसको देखते हुए साइबर पुलिस ने लोगों को अलर्ट रहने को कहा है. देश में लोन, फास्टैग, ओटीपी और शेयर बाजार में निवेश के नाम पर ठगी की खबरें रोजाना आ रही हैं. हालांकि लोग इन फ्रॉड्स के प्रति अब जागरूक हो रहे हैं, लेकिन क्रेडिट कार्ड लिमिट बढ़ाने के नाम पर होने वाली ठगी बाजार में नई है, इसलिए लोग इसके बारे में ज्यादा नहीं जानते.
कैसे ठगी करते हैं फ्रॉड?
क्रेडिट कार्ड की लिमिट बढ़ाने के नाम पर ठग ग्राहक से बैंक अधिकारी बनकर फोन, व्हाट्सएप या ईमेल के जरिए संपर्क करते हैं. अगर ग्राहक लिमिट बढ़वाने के लिए राजी हो जाता है, तो वे उसकी डिटेल्स प्राप्त कर लेते हैं. ओटीपी साझा करते ही कुछ ही देर में ठग क्रेडिट कार्ड से पैसे निकाल लेते हैं.
क्रेडिट कार्ड लिमिट फ्रॉड से कैसे बचें?
बैंक कॉल की पुष्टि करें
कोई भी खुद को बैंक अधिकारी बताए तो कॉल तुरंत काटकर बैंक के आधिकारिक कस्टमर केयर नंबर पर कॉल करके पुष्टि करें.
कभी OTP या CVV साझा न करें
कोई भी बैंक ओटीपी, पिन या सीवीवी नहीं मांगता. अगर कोई मांगे, तो समझें वह फ्रॉड है.
लिंक पर क्लिक न करें
व्हाट्सएप, ईमेल या एसएमएस में आए किसी अनजान लिंक पर क्लिक न करें. इनमें मालवेयर या फिशिंग साइट हो सकती है.
KYC या लिमिट बढ़ाने के नाम पर फॉर्म न भरें
किसी भी डिजिटल फॉर्म, गूगल फॉर्म या संदिग्ध वेबसाइट में अपनी जानकारी न दें.
फोन पर स्क्रीन शेयरिंग ऐप न खोलें
स्कैमर्स कई बार आपको AnyDesk, TeamViewer जैसे ऐप डाउनलोड करवाकर स्क्रीन एक्सेस करते हैं – ऐसा बिल्कुल न करें.
SMS/ईमेल से मिलने वाली जानकारी की जांच करें
बैंक के ईमेल या मैसेज हमेशा उनकी आधिकारिक ID से आते हैं – किसी अनजान मेल ID से आए संदेश को नजरअंदाज करें.
साइबर हेल्पलाइन नंबर याद रखें
अगर ठगी हो जाए तो तुरंत 1930 पर कॉल करें या www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें.
कॉल ड्रॉप और खराब नेटवर्क से 89% उपभोक्ता बेहाल, सर्वे ने खोली कंपनियों की नींद
16 May, 2025 09:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देश में टेलीकॉम क्रांति का दावा किया जाता है. बताया जाता है कि भारत 5जी नेटवर्क कवरेज के मामले में दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है. यहां तक कि 6जी पर भी काम चल रहा है. लेकिन, जमीनी हकीकत कुछ और कहानी बता रही है. हाल में ही हुए एक सर्वे के मुताबिक खराब नेटवर्क और कॉल ड्रॉप इतनी आम बात है कि तकरीबन 89 फीसदी यूजर्स इससे पीड़ित हैं. टेलीकॉम नियामक TRAI की तरफ से कई बार इस मसले पर टेलीकॉम कंपनियों को दिशानिर्देश दिए गए हैं. लेकिन, पिछले 12 महीनों में इस संबंध में किसी तरह का कोई बदलाव देखने को नहीं मिला है.
LocalCircles के सर्वेक्षण के मुताबिक 89% मोबाइल यूजर ने माना है कि उन्होंने पूअर कॉल कनेक्शन और कॉल ड्रॉप की समस्या का सामना किया है. वहीं, 40% यूजर्स का कहना है कि यह समस्या उनके साथ रूटीन बन गई है. यूजर्स का कहना है कि पिछले 12 महीने से लगातार वे इससे जूझ रहे हैं. इसके अलावा करी 22% यूजर्स का कहना है कि टेलीकॉम कंपनियों के नेटवर्क से उनका भरोसा ही उठ गया है, वे कॉल करने के लिए वाईफाई का इस्तेमाल करते हैं. यह सर्वेक्षण देश के 342 जिलों में किया गया. इस सर्वे में 56,000 से अधिक लोगों को शामिल किया गया है.
नहीं काम आई ट्राई की सख्ती
टेलीकॉम रेगुलरेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी TRAI ने पिछले साल मई में टेलीकॉम कंपनियों को कॉल ड्राप की समस्या में सुधार के लिए कहा था. हालांकि, ट्राई की सख्ती खास काम नहीं आई है. इसी वर्ष फरवरी में ट्राई ने टेलीकॉम कंपनियों से अपनी सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए नए नियम बनाए. हालांकि, सभी कंपनियों ने इन सुधारों का विरोध किया है. यहां तक कि इन सुधारों पर किसी टेलीकॉम कंपनी ने अमल किया है, यह भी तय नहीं है.
सर्वे में क्या आया सामना?
सर्वेक्षण के सारांश में बताया गया है कि सर्वेक्षण में शामिल 89 फीसदी मोबाइल उपभोक्ताओं ने कॉल कनेक्शन और ड्रॉप की समस्या की पुष्टि की है. इसके अलावा 40 फीसदी यूजर्स का कहना है कि उन्हें अक्सर इस समस्या का सामना करना पड़ता है. सर्वेक्षण में बताया गया है कि कॉल कनेक्शन और ड्रॉप की समस्या में पिछले 12 महीनों में कोई सुधार नहीं हुआ है.
वाई-फाई कॉलिंग बना विकल्प
कॉल ड्रॉप और कनेक्टिविटी समस्याओं के संबंध में सर्वेक्षण में पूछा गया कि कितनी बार उन्हें वाई-फाई कॉल करना पड़ता है. इस सवाल के जवाब में 32 फीसदी यूजर ने कहा कि 10 फीसदी से ज्यादा बार उन्हें वाई फाई कॉलिंग करनी पड़ती है. वहीं, 20 फीसदी लोगों ने कहा कि 20 फीसदी कॉल वाई-फाई से ही करते हैं. वहीं, 7 फीसदी लोगों ने कहा कि 50 फीसदी तक कॉल वाई फाई से करने पड़ते हैं. वहीं, 15 फीसदी यूजर ने कहा कि 50 फीसदी से ज्यादा बार उन्हें वाई-फाई कॉल करना पड़ता है.
इंतजार खत्म? Groww का IPO जल्द आ सकता है, DRHP फाइलिंग की तैयारी
16 May, 2025 09:20 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ऑनलाइन स्टॉक मार्केट ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म ग्रो को संचालित करने वाली कंपनी Billionbrains Garage Ventures जल्द ही आईपीओ के लिए आवेदन कर सकती है.एक रिपोर्ट के मुताबिक कंपनी अगले दो सप्ताह के भीतर बाजार नियामक सेबी को आईपीओ के लिए DRHP सौंप सकती है. इसके साथ ही रिपोर्ट में दावा किया गया है कि ग्रो की तरफ से आईपीओ के जरिये कंपनी के लिए 7-8 अरब डॉलर से ज्यादा का वैल्यूएशन हासिल करना चाहती है. कंपनी की तरफ से आईपीओ की चर्चा तब शुरू हुई है, जब सिंगापुर की एसेट मैनेजमेंट फर्म GIC से पिछले दिनों 7 अरब डॉलर के वैल्यूएशन पर 15 करोड़ डॉलर की फंडिंग मिली है. यह फंडिंग असल में 25-30 करोड़ के प्री-IPO राउंड का हिस्सा है.
कौनसा रास्ता चुनेगी कंपनी?
पिछले कुछ दिनों में कई कंपनियों की तरफ से कॉन्फिडेंशियल फाइलिंग का रास्ता चुना जा रहा है. इससे कंपनियों को अपने वैल्युएशन के एसेसममेंट में मदद मिलती है. इसके अलावा आईपीओ लाने की बाध्यता भी नहीं रहती है. रिपोर्ट में बताया गया है कि ग्रो भी कॉन्फिडेंशियल फाइलिंग का रास्ता चुन सकती है. खासतौर पर बाजार में जारी उतार-चढ़ाव के बीच कंपनी ने अपने वैल्युएशन की उम्मीदों को धरातल पर रखने का ही फैसला किया है.
कब तक आएगा आईपीओ
आमतौर पर सेबी की तरफ से आईपीओ के लिए डीआरएचपी मिलने के 2-3 महीने के भीतर लैटर ऑफ ऑब्जर्वेशन जारी कर दिया जाता है. वहीं, अगर कंपनी के दस्तावेजों में कोई कमी मिलती है, तो यह समय और बढ़ सकता है. बहरहाल, यह तय नहीं है कि कंपनी आईपीओ कब लेकर आएगी. हालांकि, अगर कंपनी कॉन्फिडेंशियल रूट से आवेदन नहीं करती है, तो जल्द ही इसका खुलासा हो जाएगा कि आईपीओ कब ओपन होगा.
कैसी है ग्रो की वित्तीय स्थिति?
ग्रो ने वित्त वर्ष 2023-24 में 3,145 करोड़ रुपये का कंसोलिडेटेड रेवेन्यू रिपोर्ट किया है. इसके अलावा FY23 के दौरान 1,435 करोड़ रुपये का रेवेन्यू रिपोर्ट किया था. इस तरह कंपनी का रेवेन्यू डबल हुआ है. इसके अलावा ऑपरेशनल प्रॉफिट भी FY 23 के 458 करोड़ से बढ़कर FY 24 में 535 करोड़ हो गया है. ग्रो ने अपना डोमिसाइल अमेरिका के डेलावेयर से बेंगलुरु शिफ्ट किया है. इसके लिए कंपनी को 1,340 करोड़ खर्च करना पड़ा, जिसकी वजह से FY24 में कंपनी को 805 करोड़ का नेट लॉस हुआ है.
20 मई को आ रहा है Borana Weaves का IPO, जानें GMP और लॉट साइज
15 May, 2025 06:52 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Borana Weaves IPO: गुजरात के सूरत में सिंथेटिक ग्रे फैब्रिक बनाने वाली कंपनी बोराना वीव्स लिमिटेड का आईपीओ जल्द ही मार्केट में दस्तक देने वाला है. ये 20 मई को सब्सक्रिप्शन के लिए खुलेगा. इसमें 22 मई तक बोलियां लगाई जा सकेंगी. ये इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी IPO 144.89 करोड़ रुपये का है. इसमें 67,08,000 फ्रेश इक्विटी शेयर शामिल हैं, इश्यू में कोई ऑफर-फॉर-सेल (OFS) नहीं होगा. कंपनी ने इसका प्राइस बैंड 205 से 216 रुपये प्रति शेयर तय किया है, जिसमें प्रत्येक शेयर की फेस वैल्यू 10 रुपये है.
कितने शेयरों के लिए लगा सकेंगे बोली?
बोराना वीव्स IPO में 75% शेयर क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) के लिए, 15% नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (NII) के लिए और 10% रिटेल निवेशकों के लिए रिजर्व हैं. इसमें न्यूनतम लॉट साइज 69 शेयरों का है, जिसके लिए रिटेल निवेशकों को कम से कम 14,904 रुपये का निवेश करना होगा.
कितना है GMP?
इंवेस्टरगेन के अनुसार बोराना वीव्स IPO का GMP अभी 0 है. इसके ग्रे मार्केट प्रीमियम में किसी तरह की हलचल नहीं है, ऐसे में ये अपने प्राइस बैंड 216 रुपये के आस-पास ही लिस्ट होने की उम्मीद है. इसमें किसी तरह का लिस्टिंग गेन नहीं मिल रहा है.
कौन है बुक लीड मैनेजर?
बीलाइन कैपिटल एडवाइजर्स प्राइवेट लिमिटेड इस IPO का बुक-रनिंग लीड मैनेजर है, जबकि केफिन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड रजिस्ट्रार है.
कब होगी लिस्टिंग?
एंकर निवेशकों के लिए आईपीओ आवंटन 19 मई को होगा, वहीं शेयरों का अलॉटमेंट 23 मई को होगा. रिफंड 26 मई को शुरू होंगे और उसी दिन डीमैट खातों में शेयर क्रेडिट होंगे. शेयरों की लिस्टिंग BSE और NSE पर 27 मई को होने की संभावना है.
क्या करती है कंपनी?
कंपनी सूरत में ग्रे फैब्रिक और पॉलिस्टर टेक्सचर्ड यार्न (PTY यार्न) बनाती है, जो फैशन, ट्रेडिशनल टेक्सटाइल, टेक्निकल टेक्सटाइल, होम डेकोर और इंटीरियर डिजाइन जैसे क्षेत्रों में उपयोग होता है. बोराना वीव्स के पास तीन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हैं, जिनमें 15 टेक्सचराइजिंग मशीनें, 6 वार्पिंग मशीनें, 700 वॉटर जेट लूम्स और 10 फोल्डिंग मशीनें हैं.
कैसा है वित्तीय ग्राफ?
पिछले तीन वर्षों में कंपनी ने शानदार वृद्धि दर्ज की है. वित्त वर्ष 2024 में कंपनी का रेवेन्यू 199.10 करोड़ रुपये रहा, जो 2023 में 135.40 करोड़ और 2022 में 42.30 करोड़ रुपये था.
12 दिन में 35% तक मुनाफा! 'ऑपरेशन सिंदूर' ने डिफेंस सेक्टर को रॉकेट बनाया
15 May, 2025 05:32 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Defence stocks: पहलगाम हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया जिसके बाद डिफेंस सेक्टर की कंपनियों के शेयरों में शानदार तेजी देखने को मिली. 25 अप्रैल 2025 से अब तक के मात्र 12 ट्रेडिंग सेशनों में इन कंपनियों की कुल मार्केट कैप में 1.22 रुपये लाख करोड़ की बढ़ोतरी देखी गई है. सबसे ज्यादा बाजार पूंजी में इजाफा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने किया है. वहीं, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स ने प्रतिशत के आधार पर सबसे तेज बढ़त दिखाई है.
किन कंपनियों का कितना मार्केट कैप बढ़ा?
कंपनी का नाम
25 अप्रैल से अब तक बढ़त
मार्केट कैप में बढ़ोतरी (₹ करोड़)
Hindustan Aeronautics
14%
₹38,227 करोड़
Bharat Electronics
16%
₹34,173 करोड़
Mazagon Dock
16%
₹16,824 करोड़
Bharat Dynamics
25%
₹12,921 करोड़
Cochin Shipyard
20%
₹7,468 करोड़
Garden Reach
35%
₹6,543 करोड़
BEML
11%
₹1,415 करोड़
Data Patterns
21%
₹2,529 करोड़
Zen Technologies
15%
₹1,913 करोड़
सीमा पर बढ़ता तनाव और ऑपरेशन सिंदूर
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव बढ़ा है. इसके बाद भारत की तरफ से चलाए गए “ऑपरेशन सिंदूर” में भारतीय डिफेंस सिस्टम ने दुश्मन के हमलों को नाकाम किया, जिससे बाद डिफेंस सेक्टर की कंपनियों के शेयर फोकस में आ गए.
पीएम मोदी का सपोर्ट
13 मई को पीएम मोदी ने संबोधन किया, जिसमें पीएम मोदी ने डिफेंस डिवाइस के सेक्टर में “मेक इन इंडिया” को बढ़ावा देने की बात कही. उन्होंने भारतीय डिफेंस कंपनियों की सराहना की और आत्मनिर्भरता की दिशा में उन्हें महत्वपूर्ण बताया.
डिफेंस एक्सपोर्ट में तेजी
भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में 23,622 करोड़ रुपये के डिफेंस प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट किया है, जो पिछले वर्ष के 21,083 करोड़ रुपये की तुलना में 12 फीसदी ज्यादा है. इसके अलावा, डिफेंस मिनिस्ट्री ने वर्ष 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये के डिफेंस एक्सपोर्ट का टारगेट रखा है. FY2014 में यह आंकड़ा केवल 686 करोड़ रुपये था. इस हिसाब से अब तक इसमें 34 गुना बढ़ोतरी हो चुकी है.
Black Dog स्कॉच की कीमत में उछाल, जानिए कितनी बढ़ी कीमत
15 May, 2025 05:19 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
स्कॉच के शौकीनों के लिए एक बुरी खबर है. Black Dog यानी काला कुत्ता स्कॉच महंगी हो गई है. आपको बता दें Black Dog स्कॉच को पसंद करने वाले लोगों की एक अलग ही कैटेगरी है, ये लोग इस स्कॉच के लिए महंगी से महंगी स्कॉच छोड़ देते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि अगर इन्हें Black Dog स्कॉच न मिले तो क्या ये सस्ती शराब पीएंगे तो इसपर हमरा जवाब हैं नहीं, क्योंकि ब्लैक डॉग पसंद करने वाले लोग इसी स्कॉच को पीना पसंद करते हैं.
गर्मी हो या सर्दी सबकी पसंद है स्कॉच
स्कॉच की एक सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसे गर्मी, सर्दी और बारिश किसी भी मौसम में पीया जा सकता है. वैसे हम आपको बता दें शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है. इसके बावजूद भी शराब के शौकी अपने पसंदीदा ब्रांड को लेकर हमेशा अलर्ट रहते हैं और चाहे उनकी पसंद का ब्रांड कितना भी महंगा क्यों न हो जाए उसे जरूर पीते हैं.
Black Dog की कितनी बढ़ी कीमत
ब्लैक डॉग स्कॉच दो वेरिएंट में आती है. पहली ब्लैक डॉग रिजर्व और दूसरी ब्लैक डॉग गोल्ड. जहां उत्तर प्रदेश में ब्लैक डॉग रिजर्व की कीमतों में 40 रुपए की बढ़ोतरी की गई है. अब ब्लैक डॉग रिजर्व की 750ml की बोतल आपको 1480 रुपए की मिलेगी. वहीं ब्लैक डॉग गोल्ड की 750ml की बोतल आपको 2170 रुपए में मिलेगी.
दूसरे ब्रांड्स की भी बढ़ी कीमत
उत्तर प्रदेश में केवल ब्लैक डॉग स्कॉच की कीमतों में ही बढ़ोतरी नहीं हुई है. दरअसल उत्तर प्रदेश में आबकारी विभाग ने शराब पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी है, जिसके बाद शराब, स्कॉच और बीयर की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है.