व्यापार
20 मई को आ रहा है Borana Weaves का IPO, जानें GMP और लॉट साइज
15 May, 2025 06:52 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Borana Weaves IPO: गुजरात के सूरत में सिंथेटिक ग्रे फैब्रिक बनाने वाली कंपनी बोराना वीव्स लिमिटेड का आईपीओ जल्द ही मार्केट में दस्तक देने वाला है. ये 20 मई को सब्सक्रिप्शन के लिए खुलेगा. इसमें 22 मई तक बोलियां लगाई जा सकेंगी. ये इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग यानी IPO 144.89 करोड़ रुपये का है. इसमें 67,08,000 फ्रेश इक्विटी शेयर शामिल हैं, इश्यू में कोई ऑफर-फॉर-सेल (OFS) नहीं होगा. कंपनी ने इसका प्राइस बैंड 205 से 216 रुपये प्रति शेयर तय किया है, जिसमें प्रत्येक शेयर की फेस वैल्यू 10 रुपये है.
कितने शेयरों के लिए लगा सकेंगे बोली?
बोराना वीव्स IPO में 75% शेयर क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIB) के लिए, 15% नॉन-इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (NII) के लिए और 10% रिटेल निवेशकों के लिए रिजर्व हैं. इसमें न्यूनतम लॉट साइज 69 शेयरों का है, जिसके लिए रिटेल निवेशकों को कम से कम 14,904 रुपये का निवेश करना होगा.
कितना है GMP?
इंवेस्टरगेन के अनुसार बोराना वीव्स IPO का GMP अभी 0 है. इसके ग्रे मार्केट प्रीमियम में किसी तरह की हलचल नहीं है, ऐसे में ये अपने प्राइस बैंड 216 रुपये के आस-पास ही लिस्ट होने की उम्मीद है. इसमें किसी तरह का लिस्टिंग गेन नहीं मिल रहा है.
कौन है बुक लीड मैनेजर?
बीलाइन कैपिटल एडवाइजर्स प्राइवेट लिमिटेड इस IPO का बुक-रनिंग लीड मैनेजर है, जबकि केफिन टेक्नोलॉजीज लिमिटेड रजिस्ट्रार है.
कब होगी लिस्टिंग?
एंकर निवेशकों के लिए आईपीओ आवंटन 19 मई को होगा, वहीं शेयरों का अलॉटमेंट 23 मई को होगा. रिफंड 26 मई को शुरू होंगे और उसी दिन डीमैट खातों में शेयर क्रेडिट होंगे. शेयरों की लिस्टिंग BSE और NSE पर 27 मई को होने की संभावना है.
क्या करती है कंपनी?
कंपनी सूरत में ग्रे फैब्रिक और पॉलिस्टर टेक्सचर्ड यार्न (PTY यार्न) बनाती है, जो फैशन, ट्रेडिशनल टेक्सटाइल, टेक्निकल टेक्सटाइल, होम डेकोर और इंटीरियर डिजाइन जैसे क्षेत्रों में उपयोग होता है. बोराना वीव्स के पास तीन मैन्युफैक्चरिंग यूनिट हैं, जिनमें 15 टेक्सचराइजिंग मशीनें, 6 वार्पिंग मशीनें, 700 वॉटर जेट लूम्स और 10 फोल्डिंग मशीनें हैं.
कैसा है वित्तीय ग्राफ?
पिछले तीन वर्षों में कंपनी ने शानदार वृद्धि दर्ज की है. वित्त वर्ष 2024 में कंपनी का रेवेन्यू 199.10 करोड़ रुपये रहा, जो 2023 में 135.40 करोड़ और 2022 में 42.30 करोड़ रुपये था.
12 दिन में 35% तक मुनाफा! 'ऑपरेशन सिंदूर' ने डिफेंस सेक्टर को रॉकेट बनाया
15 May, 2025 05:32 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Defence stocks: पहलगाम हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाया जिसके बाद डिफेंस सेक्टर की कंपनियों के शेयरों में शानदार तेजी देखने को मिली. 25 अप्रैल 2025 से अब तक के मात्र 12 ट्रेडिंग सेशनों में इन कंपनियों की कुल मार्केट कैप में 1.22 रुपये लाख करोड़ की बढ़ोतरी देखी गई है. सबसे ज्यादा बाजार पूंजी में इजाफा हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने किया है. वहीं, गार्डन रीच शिपबिल्डर्स ने प्रतिशत के आधार पर सबसे तेज बढ़त दिखाई है.
किन कंपनियों का कितना मार्केट कैप बढ़ा?
कंपनी का नाम
25 अप्रैल से अब तक बढ़त
मार्केट कैप में बढ़ोतरी (₹ करोड़)
Hindustan Aeronautics
14%
₹38,227 करोड़
Bharat Electronics
16%
₹34,173 करोड़
Mazagon Dock
16%
₹16,824 करोड़
Bharat Dynamics
25%
₹12,921 करोड़
Cochin Shipyard
20%
₹7,468 करोड़
Garden Reach
35%
₹6,543 करोड़
BEML
11%
₹1,415 करोड़
Data Patterns
21%
₹2,529 करोड़
Zen Technologies
15%
₹1,913 करोड़
सीमा पर बढ़ता तनाव और ऑपरेशन सिंदूर
हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव बढ़ा है. इसके बाद भारत की तरफ से चलाए गए “ऑपरेशन सिंदूर” में भारतीय डिफेंस सिस्टम ने दुश्मन के हमलों को नाकाम किया, जिससे बाद डिफेंस सेक्टर की कंपनियों के शेयर फोकस में आ गए.
पीएम मोदी का सपोर्ट
13 मई को पीएम मोदी ने संबोधन किया, जिसमें पीएम मोदी ने डिफेंस डिवाइस के सेक्टर में “मेक इन इंडिया” को बढ़ावा देने की बात कही. उन्होंने भारतीय डिफेंस कंपनियों की सराहना की और आत्मनिर्भरता की दिशा में उन्हें महत्वपूर्ण बताया.
डिफेंस एक्सपोर्ट में तेजी
भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में 23,622 करोड़ रुपये के डिफेंस प्रोडक्ट्स का एक्सपोर्ट किया है, जो पिछले वर्ष के 21,083 करोड़ रुपये की तुलना में 12 फीसदी ज्यादा है. इसके अलावा, डिफेंस मिनिस्ट्री ने वर्ष 2029 तक 50,000 करोड़ रुपये के डिफेंस एक्सपोर्ट का टारगेट रखा है. FY2014 में यह आंकड़ा केवल 686 करोड़ रुपये था. इस हिसाब से अब तक इसमें 34 गुना बढ़ोतरी हो चुकी है.
Black Dog स्कॉच की कीमत में उछाल, जानिए कितनी बढ़ी कीमत
15 May, 2025 05:19 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
स्कॉच के शौकीनों के लिए एक बुरी खबर है. Black Dog यानी काला कुत्ता स्कॉच महंगी हो गई है. आपको बता दें Black Dog स्कॉच को पसंद करने वाले लोगों की एक अलग ही कैटेगरी है, ये लोग इस स्कॉच के लिए महंगी से महंगी स्कॉच छोड़ देते हैं. अब आप सोच रहे होंगे कि अगर इन्हें Black Dog स्कॉच न मिले तो क्या ये सस्ती शराब पीएंगे तो इसपर हमरा जवाब हैं नहीं, क्योंकि ब्लैक डॉग पसंद करने वाले लोग इसी स्कॉच को पीना पसंद करते हैं.
गर्मी हो या सर्दी सबकी पसंद है स्कॉच
स्कॉच की एक सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसे गर्मी, सर्दी और बारिश किसी भी मौसम में पीया जा सकता है. वैसे हम आपको बता दें शराब पीना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है. इसके बावजूद भी शराब के शौकी अपने पसंदीदा ब्रांड को लेकर हमेशा अलर्ट रहते हैं और चाहे उनकी पसंद का ब्रांड कितना भी महंगा क्यों न हो जाए उसे जरूर पीते हैं.
Black Dog की कितनी बढ़ी कीमत
ब्लैक डॉग स्कॉच दो वेरिएंट में आती है. पहली ब्लैक डॉग रिजर्व और दूसरी ब्लैक डॉग गोल्ड. जहां उत्तर प्रदेश में ब्लैक डॉग रिजर्व की कीमतों में 40 रुपए की बढ़ोतरी की गई है. अब ब्लैक डॉग रिजर्व की 750ml की बोतल आपको 1480 रुपए की मिलेगी. वहीं ब्लैक डॉग गोल्ड की 750ml की बोतल आपको 2170 रुपए में मिलेगी.
दूसरे ब्रांड्स की भी बढ़ी कीमत
उत्तर प्रदेश में केवल ब्लैक डॉग स्कॉच की कीमतों में ही बढ़ोतरी नहीं हुई है. दरअसल उत्तर प्रदेश में आबकारी विभाग ने शराब पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी बढ़ा दी है, जिसके बाद शराब, स्कॉच और बीयर की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है.
इलेक्ट्रिक वाहनों का भविष्य तेज! 15 मिनट में फुल चार्ज, हाईवे बनेगा चार्जिंग हब
15 May, 2025 05:19 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सरकार अब हाईवे और एक्सप्रेसवे पर हैवी ड्यूटी इलेक्ट्रिक व्हीकल्स जैसे बस और ट्रक के लिए 360 किलोवॉट के चार्जिंग प्वाइंट्स लगाने जा रही है, जिससे महज 15 मिनट में चार्जिंग संभव होगी. फिलहाल शहरी क्षेत्रों में 60 kW और हाईवे पर 240 kW चार्जर लगाए जा रहे हैं. PM E-Drive योजना के तहत 2030 तक 1 लाख चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने का लक्ष्य है. इस प्रोजेक्ट में ₹2,000 करोड़ का निवेश किया जाएगा,अब हाईवे पर चलने वाली हेवी ड्यूटी इलेक्ट्रिक गाड़ियों को स्पीड पर ब्रेक नहीं लगेगा क्योंकि सरकार इन रास्तों पर स्पीड चार्जिंग प्वाइंट्स बनाने जा रही है. जिससे कि ये गाड़ियां मात्र 15 मिनट में फुल चार्ज हो जाएंगी. इसका फायदा हाईवे पर चलने वाली इलेक्ट्रिक बसों और ट्रकों को मिलेगा. अभी इनको चार्ज करने के लिए 1 घंटे का समय लगता था, जिससे यात्रा करने में ज्यादा समय लगता है.
हाई कैपेसिटी चार्जर क्यों हैं जरूरी
रिपोर्ट के मुताबिक, अभी लोगों को चार्ज के लिए लंबे समय तक स्टेशनों पर रुकना पड़ता है, जिसकी वजह से लंबी दूरी तय करने के लिए इलेक्ट्रिक वाहन अपनाने से परहेज करते हैं. आमतौर पर 60 kW का डीसी चार्जर एक इलेक्ट्रिक वाहन को चार्ज करने में 1 घंटा लगता है.
कहां लगेंगे ये चार्जिंग प्वाइंट्स?
इसी समस्या को देखते हुए सरकार की योजना है कि हाईवे और एक्सप्रेसवे पर ये हाई स्पीड चार्जर लगाए जाएं. इसके अलावा राज्य परिवहन द्वारा संचालित बस डिपो और प्रमुख बस स्टॉप्स पर भी इन चार्जरों को लगाने की योजना है.
1 लाख DC चार्जर लगाने का लक्ष्य
भारत सरकार ने PM E-Drive स्कीम के तहत 2030 तक कुल 1 लाख DC चार्जिंग स्टेशन लगाने का लक्ष्य रखा है. पहले यह संख्या 4 लाख तय की गई थी लेकिन बाद में इसमें बदलाव किया गया. अभी शहरी इलाकों में 60 kW और हाईवे पर 240 kW चार्जर लगाए जा रहे हैं, जो कि 70:30 अनुपात में लगाए जा रहे हैं. मंजूरी मिलते ही 360 kW चार्जर भी लगाए जाएंगे. अब तक की स्थिति (31 मार्च 2025 तक) में देश में कुल चार्जर संख्या 37,752 जबकि कुल स्टेशनों की संख्या 29,277 है.
कैटेगरी वाइज चार्जिंग लक्ष्य
वाहन प्रकार
चार्जर क्षमता
लक्ष्य (संख्या)
e2W और e3W (2-3 व्हीलर)
12 kW
48,400
e4W (4 व्हीलर)
60 kW
22,100
बस व ट्रक
240-360 kW
1,800
तुर्की के साथ बिगड़े रिश्ते, Jubilant FoodWorks के लिए चुनौतीपूर्ण समय
15 May, 2025 02:50 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत और तुर्किये के बीच बढ़ते टेंशन ने दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों को एक नया मोड़ दे दिया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत जल्द ही तुर्किये के साथ व्यापारिक संबंध खत्म करने का फैसला ले सकता है. भारत का कहना है कि वह ऐसे किसी देश से कारोबारी रिश्ते नहीं रख सकता जो आतंकवाद को सपोर्ट देता हो. ऐसे में भारत की फास्ट फूड कंपनी Jubilant FoodWorks Limited (JFL) के शेयरों पर सीधा असर देखने को मिल सकता है. अभी कंपनी तुर्किये में Domino’s Pizza और Coffy ब्रांड के तहत 746 स्टोर्स चला रही है.
भारत-तुर्किये से व्यापारिक रिश्ते तोड़ सकता है!
News18 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार तुर्किये के साथ व्यापारिक संबंध तोड़ने पर विचार कर रही है. उनका कहना है कि भारत ऐसे किसी देश से व्यापार नहीं कर सकता जो आतंकी संगठनों का सपोर्ट करता हो. दरअसल, तुर्किये की तरफ से भारत-विरोधी रुख और पाकिस्तान के पक्ष में सपोर्ट देखा गया है.
Jubilant FoodWorks के CEO और MD बेफिक्र
रिपोर्ट के मुताबिक, Jubilant FoodWorks के CEO और MD समीर खेतरपाल का कहना है कि मैं तुर्किये में किसी भी तरह के राजनीतिक या आर्थिक जोखिम को लेकर ज्यादा चिंतित नहीं हूं. वहां के लोग इन बातों से बेपरवाह हैं. चाहे डोमिनोज हो या Coffy—लोगों का भरोसा इन ब्रांड्स पर बना हुआ है.
Jubilant FoodWorks का ग्लोबल लेवल पर विस्तार
JFL सिर्फ तुर्किये और भारत ही नहीं, बल्कि बांग्लादेश, श्रीलंका, अजरबैजान और जॉर्जिया जैसे देशों में भी अपने रेस्टोरेंट चला रही है. कंपनी के पास तीन इंटरनेशनल ब्रांड्स—Domino’s, Popeyes और Dunkin’ के फ्रेंचाइजी राइट्स हैं, साथ ही दो अपने ब्रांड्स—Hong’s Kitchen और Coffy भी हैं.
कंपनी की फाइनेंशियल कंडीशन
वित्तीय वर्ष 2024-25 में कंपनी की टोटल इनकम 8,141.7 करोड़ रही, जो पिछले साल की तुलना में 44 फीसदी अधिक है. बीते एक साल में JFL ने 325 नए रेस्टोरेंट्स जोड़े हैं.
Jubilant FoodWorks के शेयरों का हाल
15 मई (12:04 बजे) तक कंपनी के शेयर 2.08 फीसदी की गिरावट के साथ 679 रुपये के भाव पर कारोबार कर रहे थे. बीते एक हफ्ते में इसमें 4.34 फीसदी, एक महीने में 2.15 फीसदी का नेगेटिव रिटर्न दिया है. हालांकि बीते एक साल में शेयर ने 42 फीसदी का रिटर्न दिया है.
डॉलर की ताकत बनाम रुपया: क्या भारत की अर्थव्यवस्था पर मंडरा रहा है संकट?
15 May, 2025 02:01 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत और पाकिस्तान के सैन्य टकराव के बाद उम्मीद थी कि करेंसी मार्केट में रुपया अपना दमखम दिखाएगा, लेकिन ऐसा होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है. सुबह के वक्त करेंसी मार्केट में तेजी तो दिखती है, लेकिन बाद में ऐसी गिरावट आती है कि सारी तेजी खत्म हो जाती है. दो दिन पहले जब बाजार ओपन हुआ था, तब 76 पैसे की तेजी आई थी, लेकिन बाद में सारी तेजी खत्म हो गई. कुछ ऐसा बुधवार को भी देखने को मिला. सुबह 32 पैसे की तेजी थी और उसके बाद बाजार बंद होते होते 4 पैसे की तेजी रह गई है. गुरुवार को तो रुपए में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर रुपए को कमजोर करने की साजिश कौन कर रहा है? वो भी ऐसे समय पर जब देश में महंगाई कई सालों के निचले स्तर पर चली गई है. विदेशी निवेशक लगातार शेयर बाजार में पैसा डाल रहे हैं. आइए समझने की कोशिश करते हैं कि आखिर रुपए को कमजोर करने की साजिश कौन रच रहा है?
रुपए में आई बड़ी गिरावट
घरेलू शेयर बाजारों में नकारात्मक रुख के चलते गुरुवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 32 पैसे गिरकर 85.64 पर आ गया. विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि निवेशक गुरुवार को अमेरिकी फेड के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल के भाषण से संकेतों का इंतजार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक मॉनेटरी पॉलिसी में ढील के साथ आगे बढ़ने की किस तरह की योजना बना रहा है, इस पर उनकी टिप्पणियों पर करीबी नजर रखी जाएगी.
क्या कर रहे हैं जानकार
बुधवार को रुपए में मामूली गिरावट देखी गई. सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के एमडी अमित पाबरी ने कहा कि यह कदम मुख्य रूप से भारत के थोक महंगाई के आंकड़ों से प्रेरित था, जो अप्रैल में 0.85 फीसदी के 13 महीने के निचले स्तर पर आ गया. पाबरी ने कहा कि महंगाई में कमी के साथ, उम्मीदें बढ़ गई हैं कि आरबीआई अपनी जून की मॉनेटरी पॉलिसी मीटिंग में एक और रेट कट कर सकता है. हालांकि यह मध्यम अवधि में विकास के लिए सकारात्मक हो सकता है, लेकिन अल्पावधि में, दरों में कटौती से रुपए पर दबाव पड़ सकता है क्योंकि करेंसी सप्लाई में वृद्धि और ब्याज दर अंतर कम हो रहा है.
डॉलर इंडेक्स में गिरावट
इस बीच, छह मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को मापने वाला डॉलर इंडेक्स 0.23 फीसदी की गिरावट के साथ 100.81 पर कारोबार कर रहा था. वैश्विक तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 1.92 फीसदी गिरकर 64.82 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. घरेलू इक्विटी बाजार में, 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 230.76 अंक या 0.28 फीसदी गिरकर 81,099.80 पर आ गया, जबकि निफ्टी 54.95 अंक या 0.22 फीसदी गिरकर 24,611.95 पर आ गया. एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को शुद्ध आधार पर 931.80 करोड़ रुपए के शेयर खरीदे.
सोने की कीमतों में ₹1,200 की गिरावट, अब 10 ग्राम का भाव ₹88,200
15 May, 2025 01:54 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिकी डॉलर में मजबूती और ग्लोबल ट्रेड वॉर के साथ भारत- पाकिस्तान तनाव कम होने के बाद गुरुवार को सुबह घरेलू वायदा बाजार में सोने -चांदी की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई है. बता दें, MCX (मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज) पर 5 जून की डिलीवरी वाला गोल्ड सुबह 11:35 के आस-पास 1200 रुपए 1.26 प्रतिशत की गिरावट के साथ 91100 रुपए प्रति 10 ग्राम पर कारोबार कर रहा है.
चांदी का भाव
पिछले सत्र में सोने के भाव लगभग 1.5 प्रतिशत गिरकर 92,265 प्रति 10 ग्राम पर बंद हुआ था. एमसीएक्स गोल्ड की कीमतों में पिछले एक सप्ताह में 3 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है. खबर लिखे जाने तक सुबह 11 बजकर 30 मिनट के आस-पास चांदी MCX पर 4 जुलाई 2025 की डिलीवरी वाली चांदी 1075 रुपए या 1.13 फीसदी गिरकर 94476 रुपए प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रहा था.
दिल्ली, मुंबई, चेन्नई में आज सोने की कीमत
दिल्ली में 22 कैरेट सोने का भाव 83,747 प्रति 10 ग्राम है, 24 कैरेट सोने का भाव 91,360प्रति 10 ग्राम है. मुंबई की बात करें 22 कैरेट सोने का भाव 83,893 प्रति 10 ग्राम है. 24 कैरेट सोने का भाव 91,520 रुपए प्रति 10 ग्राम है. चेन्नई में 22 कैरेट सोने का भाव 84,132 रुपए प्रति 10 ग्राम और 24 कैरेट सोने का भाव 91,780 रुपए प्रति 10 ग्राम है. बैंगलोर में 22 कैरेट सोना 83,958 रुपए प्रति 10 ग्राम और 24 कैरेट सोने का भाव 91,590प्रति 10 ग्राम है.
क्यों गिर रहा भाव
सोने की कीमत गिरने के पीछे का कारण अमेरिका और चीन ट्रेड डील में बुलियन मार्केट्स की धारण को बदल दिया है. बता दें, व्यापारी और निवेशक अपनी लॉन्ग पोजीशन को समाप्त कर रहे हैं और मुनाफावसूली कर रहे हैं.
कैसे तय होती है सोने की कीमत
भारत में सोने की कीमत कई कारणों से बदलती रहती है. जैसे कि अंतरराष्ट्रीय बाजार के दाम, सरकार के टैक्स और रुपए की कीमत में उतार-चढ़ाव. बता दें, सोना सिर्फ निवेश का जरिया नहीं है, बल्कि हमारी परंपराओं और त्योहारों का भी अहम हिस्सा है. सोना खासकर लोग शादी और त्योहार में खरीदते हैं जिसके कारण इसकी मांग अधिक होती है.
गिरावट के साथ शुरुआत: सेंसेक्स और निफ्टी लाल निशान में, बैंक और ऑटो शेयर पीछे
15 May, 2025 11:04 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
एशियाई बाजारों में मिलेजुले रुख के बीच भारतीय शेयर बाजार गुरुवार (15 मई) को मामूली बढ़त के साथ लगभग सपाट लेवल पर ओपन हुए। हालांकि, खुलते ही बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी-50 और बीएसई सेंसेक्स लाल निशान में फिसल गए। बाजार के जानकारों का कहना है कि पिछले दो ट्रेडिंग सेशन में बेंचमार्क में प्रॉफिट बुलिंग देखी गई। यह दर्शाता है कि हाई लेवल पर गति कमजोर हो सकती है।
तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) आज 24 अंक चढ़कर 81,354.43 पर खुला। खुलते ही इसमें बिकवाली हावी हो गई। सुबह 9:21 बजे सेंसेक्स 254.58 अंक या 0.31% की गिरावट लेकर 81,075.98 पर था।
इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी-50 (Nifty-50) भी मामूली बढ़त लेकर 24,694.45 पर खुला। लेकिन कुछ ही सेकंड्स में यह भी लाल निशान में फिसल गया। सुबह 9:22 बजे यह 64.70 अंक या 0.26% की गिरावट लेकर 24,602.20 पर ट्रेड कर रहा था।
बीते कारोबारी दिन, सेंसेक्स 182.34 अंक यानी 0.22% चढ़कर 81,330.56 पर बंद हुआ था, जबकि निफ्टी 88.55 अंक यानी 0.36% बढ़कर 24,666.90 पर बंद हुआ। आईटी स्टॉक्स में तेजी और मेटल कंपनियों के शेयरों में बढ़त और आखिरी एक घंटे में खरीदारी से बाजार चढ़कर बंद होने में कामयाब रहा।
इस बीच, गुरुवार को निवेशकों की नजर कंपनी के मार्च तिमाही के नतीजों, विदेशी निवेशकों की गतिविधियों, दुनियाभर के मिले-जुले संकेतों और अमेरिका के फेडरल रिज़र्व चेयरमैन जेरोम पॉवेल की स्पीच पर टिकी रहेगी। ये कारक बाजार की चाल तय करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
वैश्विक बाज़ारों से क्या संकेत?
एशियाई बाज़ारों में आज यानी गुरुवार को गिरावट देखी गई। पिछले दिन अमेरिका-चीन तनाव में नरमी की उम्मीद पर बढ़त बनी थी, लेकिन आज बाज़ार नीचे आ गए। जापान का निक्केई इंडेक्स (Nikkei) 0.90% गिरा, जबकि Topix में 0.76% की गिरावट रही। कोस्पी और ASX200 मामूली कमजोरी के साथ सपाट कारोबार कर रहे थे। अमेरिका में, S&P 500 में 0.10% की हल्की बढ़त रही, Nasdaq 0.72% चढ़ा लेकिन Dow Jones 0.21% फिसल गया।
आज इन कंपनियों के Q4 नतीजे
जेएसडब्ल्यू एनर्जी, पतंजलि फूड्स, पीबी फिनटेक, एबॉट इंडिया, आईटीसी होटल्स, गोदरेज इंडस्ट्रीज, कोचीन शिपयार्ड, एलआईसी हाउसिंग फाइनेंस, गॉडफ्रे फिलिप्स, पेज इंडस्ट्रीज, एनसीसी, क्रॉम्पटन ग्रीव्स कंज्यूमर, विनती ऑर्गेनिक्स, बीकाजी फूड्स, कैप्लिन पॉइंट लैब्स, जेडएफ कमर्शियल व्हीकल सिस्टम्स, एलटी फूड्स, जीआर इंफ्राप्रोजेक्ट्स, एलाइड ब्लेंडर्स, प्रिज्म जॉनसन, वेलस्पन एंटरप्राइजेज, साउथ इंडियन बैंक समेत कई अन्य कंपनियों के नतीजे आज जारी करेंगी।
मोबाइल टावर उपकरण महंगे होंगे! सरकार 10% सीमा शुल्क लगाने पर विचार कर रही है
15 May, 2025 10:58 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और कर छूट के दुरुपयोग को रोकने के मकसद से वित्त मंत्रालय उत्पादों के एक नए वर्गीकरण में प्रमुख मोबाइल टावर उपकरणों पर 10 फीसदी बुनियादी सीमा शुल्क लगाने पर विचार कर रहा है। सैमसंग इंडिया और नोकिया सॉल्यूशंस मामले में विवाद को देखते हुए सरकार इस नीति पर विचार कर रही है। असल में इन दोनों फर्मों ने ऐसी वस्तुओं के आयात पर शून्य शुल्क लाभ का दावा किया है जिसे सरकार गलत वर्गीकरण मानती है।
साल की शुरुआत में सैमसंग द्वारा कर से बचने के लिए रिमोट रेडियो हेड (आरआरएच) के आयात को कथित तौर पर गलत तरीके से वर्गीकृत किए जाने के मामले में 52 करोड़ डॉलर का कर नोटिस भेजा गया था। आरआरएच बेस स्टेशन का घटक होता है जिसका उपयोग मोबाइल टावरों में सिग्नल को प्रॉसेस करने के लिए किया जाता है। कंपनी ने कर विभाग के आदेश को मुंबई सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क एवं सेवा कर अपील पंचाट (सीईएसटीएटी) में चुनौती दी है। उसका कहना है उत्पाद का वर्गीकरण उद्योग के मानदंड के अनुरूप है और अधिकारियों ने पहले इस पर सवाल नहीं उठाया था।
ऐसे ही एक अन्य मामले में नोकिया को दिल्ली उच्च न्यायालय से राहत मिली थी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने फरवरी में नोकिया के खिलाफ एडवांस रूलिंग अथॉरिटी के आदेश को खारिज कर दिया था। अथॉरिटी ने इसमें स्मॉल फॉर्म फैक्टर प्लगएबल (एसएफपी) ट्रांसीवर को पूर्ण दूरसंचार उपकरण के रूप में वर्गीकृत करने के लिए कहा था जिस पर 20 फीसदी शुल्क लगाया जाता है। मगर अदालत ने अपने फैसले में कहा कि एसएफपी कोई मशीन नहीं बल्कि नेटवर्क का हिस्सा है और उन्हें उन वस्तुओं के रूप में वर्गीकृत करना सही है जिन पर शून्य सीमा शुल्क लगता है।
घटनाक्रम के जानकार एक अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, ‘इसका उद्देश्य मेक इन इंडिया पहल के अनुरूप उच्चस्तरीय अत्याधुनिक दूरसंचार उपकरण उत्पादन के लिए आवश्यक वास्तविक उपकरणों पर शून्य शुल्क बनाए रखना है। हालांकि स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाले कुछ उपकरण या पुर्जों को अक्सर बड़े या विस्तृत दूरसंचार नेटवर्क बनाने के लिए जोड़ा जाता है। इन घटकों पर 10 फीसदी बुनियादी सीमा शुल्क लगने की संभावना है। ऐसा मौजूदा छूट को वापस लेकर या उसे कम करके या फिर नई शुल्क के तहत दोबारा वर्गीकृत कर किया जा सकता है।’ इस बारे में जानकारी के लिए वित्त मंत्रालय को ईमेल भेजा गया मगर खबर लिखे जाने तक जवाब नहीं आया।
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि सरकार नोकिया मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने के लिए सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर करने की भी योजना बना रही है।
डेलॉयट में पार्टनर (अप्रत्यक्ष कर) हरप्रीत सिंह ने कहा कि कुछ दूरसंचार नेटवर्किंग उपकरणों पर 10 फीसदी बुनियादी सीमा शुल्क के साथ एक अलग शुल्क उप-शीर्षक प्रस्तावित है, जिससे वास्तविक विनिर्माण इनपुट के लिए प्रोत्साहन को बनाए रखते हुए छूट को विनियमित किया जाएगा।
सिंह ने कहा, ‘सरकार स्वतंत्र रूप से काम करने वाले कुछ उपकरण/पुर्जों को कर छूट का लाभ नहीं देना चाहती है। इस कदम से दूरसंचार नेटवर्किंग उपकरणों पर कराधान के लिए वर्गीकरण से संबंधित विवाद कम करने और ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।’
भारत बनाम पाकिस्तान: शराब की खपत में अंतर और जॉनी वॉकर की पाकिस्तानी कीमत जानिए
14 May, 2025 02:48 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत और पाकिस्तान आज दो अलग-अलग देश हैं, लेकिन दोनों की सामाजिक और सांस्कृतिक व्यवस्थाएं एक-दूसरे से बिल्कुल अलग हैं. भारत जहां विकास की राह पर लगातार आगे बढ़ रहा है, वहीं पाकिस्तान धार्मिक नियमों और परंपराओं में जकड़ा हुआ है. यही स्थिति शराब की बिक्री और खपत के मामले में भी देखी जा सकती है.पाकिस्तान में शराब को लेकर बेहद सख्त नियम लागू हैं, जो देश की धार्मिक और सांस्कृतिक धारणाओं पर आधारित हैं. जहां भारत में 16 करोड़ लोग शराब पीते हैं वहीं पाकिस्तान में शराब पीने वालों की संख्या काफी कम है. ऐसे में आइए जानते हैं वहां अंग्रेजी ब्रांडेड शराब जॉनी वॉकर से केकर ब्लैक लेबल कितने रुपए की मिलती हैं?
पाकिस्तान में शराब खरीदने के नियम
पाकिस्तान में शराब की बिक्री और खपत पर सख्त प्रतिबंध है. 1979 में जनरल जिया-उल-हक के इस्लामी शासन के दौरान शराब पर प्रतिबंध को और सख्त कर दिया गया था. इस्लामी कानूनों का पालन करते हुए मुसलमानों के लिए शराब का सेवन पूरी तरह से अवैध है. यहां तक कि पाकिस्तान पहुंचने वाले विदेशी भी एयरपोर्ट पर ड्यूटी फ्री शॉप्स से शराब नहीं खरीद सकते.
हालांकि, कुछ विशेष परिस्थितियों में गैर-मुस्लिम नागरिकों को शराब खरीदने की अनुमति है. विशेष रूप से सिंध प्रांत में, जहां हिंदू, ईसाई और अन्य गैर-मुस्लिम समुदायों को शराब खरीदने की इजाजत दी जाती है. लेकिन यह छूट भी पूरी तरह से नियंत्रित होती है, और सरकार द्वारा लाइसेंस प्राप्त दुकानों से ही शराब खरीदी जा सकती है.
कीमतें और काला बाजार
रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तान में शराब की कीमतें बहुत अधिक हैं. पाकिस्तान में वोदका की कीमत 726 भारतीय रुपये (पाकिस्तानी रुपये में कीमत अलग हो सकती है). वहीं, व्हिस्की लॉकडाउन के दौरान एक शख्स ने 6,355 रुपये में व्हिस्की खरीदी थी.
पाकिस्तान में शराब की अधिक कीमत का एक कारण इसकी अवैधता है. कानूनी रूप से शराब की उपलब्धता सीमित है, लेकिन अवैध बाजार में इसकी बिक्री धड़ल्ले से होती है. जो लोग कानूनी रूप से शराब नहीं खरीद सकते, वे काले बाजार से अधिक कीमत पर शराब खरीदते हैं.
जॉनी वॉकर से लेकर ब्लैक लेबल की पाकिस्तान में कीमत
शराब
कीमत
जॉनी वॉकर
24811 पाकिस्तानी रुपए
Macallan
3077817 पाकिस्तानी रुपए
ब्लू लेबल
35,000 से 50,000 पाकिस्तानी रुपये
Chivas Regal
55,134 पाकिस्तानी रुपए
8 PM
3000 पाकिस्तानी रुपए
शेयर बाजार की टेंशन छोड़ो! पोस्ट ऑफिस की ये स्कीमें करेंगी आपकी बचत को डबल
14 May, 2025 02:47 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Post Office Savings Schemes: लगातार बढ़ती आर्थिक अस्थिरता और शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव में बीच भारत के लोग एक बार फिर पुराने और भरोसेमंद निवेश के तरीके की ओर रुख कर रहे हैं। यह पुराना और भरोसेमंद तरीका है पोस्ट ऑफिस में निवेश। भारत सरकार के डाक विभाग की छोटी बचत योजनाएं अपनी सुरक्षा, स्थिर रिटर्न और देश के दूरदराज इलाकों तक आसान पहुंच के कारण फिर से लोकप्रिय हो रही हैं।
ये योजनाएं डाक विभाग द्वारा संचालित की जाती हैं, जो संचार मंत्रालय के अधीन है। इनमें सुरक्षा, टैक्स लाभ और अच्छे ब्याज दरों का शानदार मिश्रण है। आइए, जानते हैं पोस्ट ऑफिस की कुछ सबसे लोकप्रिय बचत और निवेश योजनाओं के बारे में।
पोस्ट ऑफिस बचत खाता: आसान और सुरक्षित शुरुआत
पोस्ट ऑफिस का बचत खाता बैंकों की तरह ही एक कम जोखिम वाला और ब्याज देने वाला विकल्प है। इसमें सालाना 4 फीसदी ब्याज मिलता है। खाता खोलने के लिए कम से कम 500 रुपये की जरूरत होती है, और अधिकतम जमा की कोई सीमा नहीं है। यह खाता कोई भी व्यक्ति, दो लोग मिलकर (जॉइंट) या 10 साल से ज्यादा उम्र के नाबालिग भी खोल सकते हैं।
इस खाते की ब्याज से होने वाली आय पर 10,000 रुपये तक की छूट टैक्स में मिलती है (सेक्शन 80TTA के तहत)। अगर खाता तीन साल तक इस्तेमाल न हो तो यह निष्क्रिय हो जाता है, लेकिन इसे फिर से चालू किया जा सकता है। एक जरूरी बात—हर व्यक्ति केवल एक ही बचत खाता खोल सकता है।
RD: हर महीने बचत, बड़ा फायदा
5 साल की रेकरिंग डिपॉजिट (RD) योजना मध्यम वर्ग के परिवारों में खूब पसंद की जाती है। यह उन लोगों के लिए है जो हर महीने थोड़ा-थोड़ा बचाकर बड़ा फंड बनाना चाहते हैं। इसमें 6.7 फीसदी सालाना ब्याज मिलता है, जो हर तीन महीने में चक्रवृद्धि (कंपाउंड) होता है। आप हर महीने सिर्फ 100 रुपये से भी शुरुआत कर सकते हैं।
अगर आप कोई किस्त चूक जाते हैं, तो मामूली जुर्माना देना पड़ता है। 12 महीने की जमा और एक साल पूरा होने के बाद आप खाते में जमा राशि का 50 फीसदी तक लोन भी ले सकते हैं। अगर आपको समय से पहले खाता बंद करना हो, तो तीन साल बाद यह मुमकिन है, लेकिन ब्याज में कुछ कटौती होगी।
TD: गारंटीड रिटर्न का भरोसा
पोस्ट ऑफिस का टाइम डिपॉजिट (TD) उन लोगों के लिए है, जो निश्चित रिटर्न चाहते हैं। यह बैंकों के फिक्स्ड डिपॉजिट की तरह ही है। जनवरी-मार्च 2024 की तिमाही में इसके ब्याज दर 6.9 फीसदी से 7.5 फीसदी के बीच हैं, जो 1, 2, 3 या 5 साल की अवधि पर निर्भर करता है। 5 साल का टाइम डिपॉजिट सबसे ज्यादा 7.5 फीसदी ब्याज देता है और इसमें टैक्स छूट भी मिलती है (सेक्शन 80C के तहत)। अगर आपको समय से पहले पैसे निकालने हों, तो छह महीने बाद यह संभव है, लेकिन ब्याज में कुछ कटौती होगी।
MIS: हर महीने निश्चित आय
रिटायरमेंट के बाद नियमित आय या कम जोखिम वाला निवेश चाहने वालों के लिए मंथली इनकम स्कीम (MIS) बेहतरीन है। इसमें 7.4 फीसदी सालाना ब्याज मिलता है, जो हर महीने आपके खाते में आता है। इसमें अकेले व्यक्ति 9 लाख रुपये तक और जॉइंट खाते में 15 लाख रुपये तक जमा कर सकते हैं। इसकी अवधि 5 साल की है। अगर आप समय से पहले पैसे निकालना चाहें, तो एक साल बाद 2 फीसदी और तीन साल बाद 1 फीसदी की कटौती के साथ ऐसा कर सकते हैं। ब्याज पर टैक्स लगता है, लेकिन हर महीने निश्चित आय इसे आकर्षक बनाती है।
SSY: बेटियों का सुनहरा भविष्य
बेटियों की पढ़ाई और शादी के लिए बचत को प्रोत्साहन देने वाली सुकन्या समृद्धि योजना सबसे ज्यादा 8.2 फीसदी ब्याज देती है। 10 साल से कम उम्र की बेटी के लिए माता-पिता या अभिभावक यह खाता खोल सकते हैं। इसमें हर साल कम से कम 250 रुपये और ज्यादा से ज्यादा 1.5 लाख रुपये जमा किए जा सकते हैं। 15 साल तक जमा कर सकते हैं और खाता 21 साल बाद या बेटी की शादी (18 साल की उम्र के बाद) पर मैच्योर होता है। इस योजना में तीन तरह के टैक्स लाभ हैं—जमा राशि, ब्याज और मैच्योरिटी पर मिलने वाली राशि, तीनों पर टैक्स छूट मिलती है (सेक्शन 80C के तहत)।
PPF: लंबे समय के लिए बेहतर
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) लंबे समय के निवेशकों की पहली पसंद है। इसमें 7.1 फीसदी ब्याज मिलता है और यह पूरी तरह सरकार द्वारा समर्थित है। हर साल कम से कम 500 रुपये और ज्यादा से ज्यादा 1.5 लाख रुपये जमा कर सकते हैं।इसकी अवधि 15 साल की है, जिसे 5-5 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। इस दौरान लोन और आंशिक निकासी की सुविधा भी है। PPF की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ब्याज और मैच्योरिटी पर मिलने वाली पूरी राशि टैक्स-फ्री है। यह रिटायरमेंट और टैक्स प्लानिंग के लिए शानदार विकल्प है।
सुरक्षा की बढ़ रही है चाहत
जहां म्यूचुअल फंड और शेयर बाजार जैसे निवेश युवा और जोखिम लेने वालों को आकर्षित करते हैं, वहीं पोस्ट ऑफिस की बचत योजनाएं बुजुर्गों, ग्रामीण क्षेत्रों और रूढ़िगत निवेशकों के लिए एक मजबूत सुरक्षा कवच हैं। जैसे-जैसे वित्तीय जागरूकता बढ़ रही है और डाक बैंकिंग की डिजिटल पहुंच सुधर रही है, ये योजनाएं अपनी पुरानी छवि को पीछे छोड़ रही हैं। अब ये एक संतुलित वित्तीय पोर्टफोलियो का भरोसेमंद हिस्सा बन रही हैं।
रिलायंस ने छोड़ा एशियन पेंट्स का साथ, 11 हजार करोड़ में बिके सारे शेयर
14 May, 2025 02:40 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
एशिया के सबसे अमीर शख्स और दिग्गज कारोबारी मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL ) एशियन पेंट्स में अपनी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर रही है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी एशियन पेंट्स में 4.9% हिस्सेदारी को बेचने की योजना पर फिर से विचार कर रही है. इस स्कीम के तहत रिलायंस कंपनी में अपने 17 साल पुराने निवेश को कैश कराएगी.इकोनॉमिक्स टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ये प्रस्ताव ऐसे समय में आया है, जब दिग्गज पेंट कंपनी को मार्जिन प्रेशर और बढ़ते कम्पटीशन का सामना करना पड़ रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस ने एक या एक से अधिक ब्लॉक डील के जरिए इस लेनदेन की योजना बनाई है. लेनदेन को मैनेज करने की जिम्मेदारी बैंक ऑफ अमेरिका (BoFA) की है.
क्या है मामला?
रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) ने एशियन पेंट्स से अपने निवेश को समाप्त करने की योजना बनाई है और इसके लिए कंपनी 1.3 बिलियन डॉलर (लगभग 10,700 करोड़ रुपये) की कीमत तय कर सकती है. यह कदम रिलायंस की रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत वह अपने नॉन-कोर बिजनेस से बाहर निकलकर मुख्य क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है.
कैसे हुई शुरुआत?
रिलायंस ने कई साल पहले एशियन पेंट्स में निवेश किया था. लेकिन अब कंपनी अपने पोर्टफोलियो को सुव्यवस्थित करना चाहती है और उन क्षेत्रों पर फोकस करना चाहती है, जहां उसका सबसे अधिक प्रभाव है, जैसे कि ऊर्जा, खुदरा और डिजिटल सेवाएं. एशियन पेंट्स से बाहर निकलने का फैसला इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
क्यों महत्वपूर्ण है यह सौदा?
बड़ी रकम का लेनदेन: रिलायंस को इस एग्जिट से 1.3 बिलियन डॉलर की भारी राशि प्राप्त होगी.
एशियन पेंट्स के लिए अवसर: रिलायंस के बाहर होने से एशियन पेंट्स को अपने संचालन में अधिक स्वतंत्रता मिल सकती है और वह नए रणनीतिक निवेशकों को आकर्षित कर सकती है.
रिलायंस की रणनीति का हिस्सा: कंपनी का फोकस अब ऊर्जा, रिटेल और डिजिटल सेवाओं पर है, जहां वह पहले से ही मार्केट लीडर है.
क्या होगा अगला कदम?
रिलायंस इस फंड का इस्तेमाल अपने अन्य व्यवसायों में विस्तार और डिजिटल और हरित ऊर्जा क्षेत्रों में निवेश के लिए कर सकती है. दूसरी ओर, एशियन पेंट्स इस हिस्सेदारी को नए निवेशकों को बेच सकती है या अपनी स्वयं की हिस्सेदारी को बढ़ा सकती है.
रिलायंस का यह कदम दिखाता है कि कंपनी अपने कोर बिजनेस पर केंद्रित रहते हुए नॉन-कोर एसेट्स से बाहर निकलने की नीति पर तेजी से काम कर रही है. इस फैसले से रिलायंस अपने भविष्य की योजनाओं को और मजबूत बना सकेगी.
कंज्यूमर्स की जीत: सीसीपीए ने डार्क पैटर्न के खिलाफ छेड़ी जंग, शोषण होगा खत्म
14 May, 2025 02:31 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) ऐसे ऑनलाइन मंचों के खिलाफ सख्ती बरत रहा है जो डार्क पैटर्न का उपयोग कर ग्राहकों को चूना लगा रहे हैं। हाल ही में प्राधिकरण ने एक लोकप्रिय ऑनलाइन टिकट बुकिंग प्लेटफॉर्म को नोटिस जारी किया है, जो अपने ऐप पर टिकट बुक करते समय ग्राहकों से एनजीओ को दान के नाम पर 1 रुपया ले रहा था।
एक सरकारी अधिकारी ने बताया, ‘यह उपभोक्ता अधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है, जहां ग्राहक के पास राशि का भुगतान करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, भले ही वह राशि कितनी भी छोटी क्यों न हो। हमने यह भी देखा है कि प्लेटफॉर्म ने यह खुलासा नहीं किया कि दान की राशि कहां जा रही है या इसका उपयोग कैसे किया जा रहा है।’ अधिकारी ने बताया कि इस साल की शुरुआत में नोटिस मिलने के बाद ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ने अपने इंटरफेस में बदलाव किया है, जिससे ग्राहक यह विकल्प चुन सकते हैं कि वे दान करना चाहते हैं या नहीं।
किसी भी प्लेटफॉर्म पर यूआई/यूएक्स (यूजर इंटरफेस/यूजर एक्सपीरियंस) इंटरैक्शन का उपयोग कर प्रथा या भ्रामक डिजाइन को डार्क पैटर्न कहा जाता है। ये उपयोगकर्ताओं को कुछ ऐसा करने के लिए गुमराह या धोखा देने के लिए डिजाइन किए गए हैं, जो वे मूल रूप से करना नहीं चाहते थे। ये डार्क पैटर्न अनुचित व्यापार प्रथाओं को बढ़ावा देते हैं। इसलिए इन्हें उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन माना जा सकता है।
उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन पोर्टलों द्वारा डार्क पैटर्न के उपयोग को समाप्त करने की दिशा में काम कर रहा है। पिछले साल सरकार ने डार्क पैटर्न के उपयोग पर अंकुश लगाने के लिए दिशानिर्देश जारी किए थे, जिनमें ‘बास्केट स्नीकिंग’ और ‘कन्फर्म शेमिंग’ जैसे पैटर्न शामिल हैं।
बास्केट स्नीकिंग से तात्पर्य किसी प्लेटफॉर्म से चेकआउट करते समय उपयोगकर्ता की सहमति के बिना उनसे अतिरिक्त वस्तुओं जैसे उत्पादों, सेवाओं, दान/डोनेशन के लिए भुगतान को बाध्य करना है, जबकि कन्फर्म शेमिंग का अर्थ किसी वाक्यांश, वीडियो, ऑडियो या किसी अन्य माध्यम का उपयोग कर उपयोगकर्ता के मन में डर, शर्म, उपहास अथवा अपराधबोध की भावना पैदा करने से है, ताकि उन्हें एक निश्चित तरीके से कार्य करने के लिए प्रेरित किया जा सके।
घबराइए नहीं! Raymond के शेयर में भारी गिरावट का सच क्या है?
14 May, 2025 01:36 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अगर आपके पास भी रेमंड का शेयर है और उसमे आपको भारी गिरावट दिख रही है तो ये खबर आपके काम की साबित हो सकती है. रेमंड के शेयरों में बुधवार को भारी गिरावट दर्ज की गई. शुरुआती कारोबार में ही यह स्टॉक 64% से अधिक गिरकर 556.45 रुपये पर पहुंच गया, जबकि इसका पिछला बंद स्तर 1,561.30 रुपये था. इस गिरावट से आपको घबराने की जरुरत नहीं है क्योंकि ये गिरावट किसी बड़े बिकवाली दबाव के कारण नहीं आई है बल्कि इसके पीछे कोई और कारण है आइए बताते हैं.
क्यों गिरी कीमत?
रेमंड ने हाल ही में अपने रियल एस्टेट बिजनेस, रेमंड रियल्टी, को मुख्य कंपनी से अलग कर दिया है. इस डीमर्जर के चलते रेमंड की स्टॉक कीमत में रेमंड रियल्टी का मूल्य घटा दिया गया है, जो कीमत में इस बड़ी गिरावट का मुख्य कारण है.
रिकॉर्ड डेट का प्रभाव
आज वह रिकॉर्ड डेट है जब कंपनी उन योग्य शेयरधारकों के नाम तय करेगी, जिन्हें रेमंड रियल्टी के शेयर आवंटित किए जाएंगे. इसके अनुसार, हर शेयरधारक को उनके पास मौजूद हर रेमंड शेयर के लिए रेमंड रियल्टी का एक शेयर मिलेगा. रेमंड रियल्टी 1 मई को रेमंड से औपचारिक रूप से अलग हो गई थी.
कंपनी की रणनीतिक योजना
रेमंड ने इससे पहले अपने लाइफस्टाइल बिजनेस, रेमंड लाइफस्टाइल, को भी अलग कर दिया था, जो सितंबर 2024 में स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड हुआ. यह विभाजन कंपनी की एक रणनीतिक योजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य शेयरधारकों के लिए मूल्य को बढ़ाना है.
सितंबर तिमाही तक लिस्ट होगी रेमंड रियल्टी
रेमंड रियल्टी की लिस्टिंग सितंबर तिमाही तक होने की उम्मीद है. इससे निवेशकों को दोनों कंपनियों में अलग-अलग निवेश का मौका मिलेगा, जिससे उन्हें अपने निवेश पोर्टफोलियो को बेहतर तरीके से प्रबंधित करने का विकल्प मिलेगा.
यह भी संभव है कि कुछ मोबाइल ट्रेडिंग ऐप्स पर रेमंड की बिना समायोजित कीमत दिखाई जा रही हो, जिस कारण आपको 64 फीसदी की गिरावट दिख रही हो. अगले कारोबारी दिन या बाजार बंद होने के बाद आपको सही कीमतें दिख सकती हैं.
अप्रैल में थोक महंगाई दर गिरकर 0.85% पर पहुंची, अप्रैल में खुदरा महंगाई दर 6 साल के निचले स्तर पर
14 May, 2025 01:29 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
थोक मूल्य मुद्रास्फीति अप्रैल में घटकर 0.85 प्रतिशत रह गई, जो मार्च में 2.05 प्रतिशत थी। बुधवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, खाद्य पदार्थों, विनिर्मित उत्पादों और ईंधन की कीमतों में गिरावट के कारण अप्रैल में थोक मूल्य मुद्रास्फीति घटकर 0.85 प्रतिशत रह गई। मार्च में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 2.05 प्रतिशत थी। पिछले साल अप्रैल में यह 1.19 प्रतिशत थी। उद्योग मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि अप्रैल में मुद्रास्फीति की सकारात्मक दर मुख्य रूप से खाद्य उत्पादों, रसायनों और रासायनिक उत्पादों, परिवहन उपकरण और मशीनरी के विनिर्माण आदि की कीमतों में वृद्धि के कारण है। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में खाद्य पदार्थों में 0.86 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जबकि मार्च में मुद्रास्फीति 1.57 प्रतिशत थी। सब्जियों की कीमतों में भारी गिरावट देखी गई।
अप्रैल में सब्जियों की कीमतों में 18.26 प्रतिशत की गिरावट आई
अप्रैल में सब्जियों की कीमतों में 18.26 प्रतिशत की गिरावट आई, जबकि मार्च में गिरावट 15.88% थी। अप्रैल में प्याज की महंगाई दर घटकर 0.20 प्रतिशत रह गई, जबकि मार्च में यह 26.65 प्रतिशत थी। हालांकि, अप्रैल में विनिर्मित उत्पादों की महंगाई दर 2.62 प्रतिशत रही, जबकि मार्च में यह 3.07 प्रतिशत थी। ईंधन और बिजली की कीमतों में भी अप्रैल में 2.18 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जबकि मार्च में यह 0.20 प्रतिशत थी।
खुदरा महंगाई दर 6 साल के निचले स्तर पर पहुंची
इससे पहले मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर 3.16 प्रतिशत रही, जो जुलाई 2019 के बाद सबसे कम है। जुलाई 2019 में यह 3.15 प्रतिशत थी। खाद्य महंगाई दर अप्रैल में घटकर 1.78 प्रतिशत रह गई, जो मार्च में 2.69 प्रतिशत और पिछले साल अप्रैल में 8.7 प्रतिशत थी। यह गिरावट मुख्य रूप से सब्जियों, फलों, दालों और अन्य प्रोटीन युक्त वस्तुओं की कीमतों में नरमी के कारण हुई।
खुदरा मुद्रास्फीति संतोषजनक दायरे में बनी हुई है
अभी तक खुदरा मुद्रास्फीति भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के संतोषजनक दायरे में बनी हुई है। सरकार ने आरबीआई को दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत पर बनाए रखने की जिम्मेदारी सौंपी है। पिछले महीने खाद्य मुद्रास्फीति 1.78 प्रतिशत रही, जो एक साल पहले इसी महीने 8.7 प्रतिशत थी। मार्च में खाद्य मुद्रास्फीति 2.69 प्रतिशत थी।
2025-26 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति का अनुमान चार प्रतिशत
भारतीय रिजर्व बैंक को मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत (±2 प्रतिशत) के दायरे में बनाए रखने का लक्ष्य दिया गया है। मूल्य स्थिति में सुधार के बाद आरबीआई ने दो किस्तों में प्रमुख ब्याज दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती की है। केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।