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2024 में ब्रिकी बढ़ने से ग्लोबल स्मार्टफोन मार्केट ने जबरदस्त वापसी
14 Jan, 2025 04:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई । ग्लोबल स्मार्टफोन मार्केट में 2024 में बिक्री को लेकर सालाना आधार पर 4 प्रतिशत की वृद्धि के साथ एक जबरदस्त वापसी हुई। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। पिछले वर्षों की तुलना में ग्राहकों का रुझान बेहतर रहा। रिसर्च के अनुसार, इसके पहले 2023 में स्मार्टफोन की बिक्री एक दशक में सबसे कम रही। रिसर्च डायरेक्टर ने कहा, स्मार्टफोन एक जरूरी प्रोडक्ट है, जो लोगों के रोजाना की जिंदगी का एक अहम हिस्सा है। जैसे-जैसे मैक्रोइकोनॉमिक दबाव कम हुआ, बाजार ने 2023 की चौथी तिमाही से रिकवरी की हैं और अब लगातार पांच तिमाहियों से बढ़ रहा है। यूरोप, चीन और लैटिन अमेरिका के नेतृत्व में लगभग सभी मार्केट में वृद्धि देखी गई।
सैमसंग ने 2024 में बाजार का नेतृत्व करना जारी रखा। कंपनी की एस24 सीरीज और ए-सीरीज प्रोडक्ट लाइनों की मजबूत मांग रही। रिपोर्ट के अनुसार, एस24 सीरीज एआई डिवाइस के रूप में पेश किया गया पहला फोन है, इस फोन ने अपने पिछले सभी मॉडल से बेहतर प्रदर्शन किया। पश्चिमी यूरोप और अमेरिका में फोन को खास तौर पर अच्छी प्रतिक्रिया मिली। 18 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ एप्पल ने दूसरा स्थान मिला। एप्पल की आईफोन 16 सीरीज को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली, जिसका कारण लांच के समय एप्पल इंटेलिजेंस की उपलब्धता की कमी थी। हालांकि, एप्पल ने लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और एशिया-प्रशांत-अन्य जैसे अपने गैर-प्रमुख बाजारों में मजबूती से विकास जारी रखा। शाओमी ने 2024 में शीर्ष पांच ब्रांडों में सबसे तेजी से विकास किया।
रिपोर्ट में बताया गया है, ओप्पो सालाना गिरावट के साथ चौथे स्थान पर आया, लेकिन ओप्पो ने साल का अंत मजबूत के साथ किया। भारत और चीन में मजबूत प्रदर्शन के कारण वीवो टॉप पांच में शामिल हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, जबकि जेनएआई-इनेबल्ड स्मार्टफोन अभी प्रीमियम सेगमेंट तक ही सीमित हैं, हम उम्मीद करते हैं कि जेनएआई मिड-रेंज डिवाइस के लिए भी एक मानक बन जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2028 तक, हमें उम्मीद है कि 250 डॉलर से ज्यादा कीमत वाले 10 में से नौ स्मार्टफोन जेनएआई-इनेबल्ड हो सकते है। अल्ट्रा-प्रीमियम स्मार्टफोन ( जिनकी कीमत 1000 डॉलर से ज्यादा) की बिक्री 2024 में सबसे तेजी से बढ़ी, क्योंकि कंज्यूमर ने अपने अगले स्मार्टफोन पर ज्यादा खर्च करने को प्राथमिकता दी। रिपोर्ट में कहा गया, 2025 में, हमें उम्मीद है कि राजस्व वृद्धि वॉल्यूम वृद्धि से आगे निकल जाएगी, जिसमें राजस्व में सालाना आधार पर 8 प्रतिशत की ग्रोथ दिखेगी।
मेले में ब्रांडिंग का जोर- मार्केटिंग के महाकुंभ में डुबकी लगा रही हैं कंपनियां
14 Jan, 2025 04:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। महाकुंभ में लगभग 40 करोड़ तीर्थयात्रियों के आने की उम्मीद जताई जा रही है। 12 साल में एक बार आयोजित होने वाले इस विशाल धार्मिक समागम का फायदा भारतीय कंपनियां अपनी ब्रांडिंग और प्रचार के लिए पूरी तरह से उठाना चाहती हैं। महाकुंभ की ब्रांडिंग में प्रमुख कंपनियों ने अपने बजट का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा शाही स्नानों के इर्द-गिर्द केंद्रित किया है।
कोका-कोला इंडिया के ग्रीष्म सिंह ने कहा कि वे अपने बेवरेज पोर्टफोलियो को स्थानीय स्वादों और खाद्य पदार्थों के साथ जोड़ने की योजना बना रहे हैं। इन विज्ञापनों के माध्यम से कंपनियां न केवल स्थानीय उपभोक्ताओं को आकर्षित करना चाहती हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय श्रद्धालुओं को भी अपनी ब्रांडिंग से जोड़ने का अवसर प्राप्त करना चाहती हैं। महाकुंभ जैसे बड़े आयोजनों में ब्रांड्स के लिए यह एक अवसर होता है, जहां वे सीधे उपभोक्ताओं से जुड़ सकते हैं और उनके साथ अपने रिश्ते को मजबूत कर सकते हैं।
क्रेयॉन्स एडवरटाइजिंग के चेयरमैन कुणाल ललानी ने कहा कि ब्रांड्स का मुख्य उद्देश्य छह शाही स्नानों के दौरान अधिकतम विजिबिलिटी हासिल करना है। इस दौरान महाकुंभ में सोशल मीडिया और इनफ्लूएंसर्स का इस्तेमाल भी किया जाएगा, ताकि कंपनियां अपनी पहुँच और प्रभाव बढ़ा सकें।
इस बार के महाकुंभ में आईटीसी, कोका-कोला, अडानी ग्रुप, हिंदुस्तान यूनिलीवर, डाबर, बिसलेरी, पार्क, इमामी, रिलायंस कंज्यूमर प्रोडक्ट्स, बैंक ऑफ बड़ौदा, और स्पाइसजेट जैसी प्रमुख कंपनियों ने ब्रांडिंग अधिकार खरीदे हैं। इन कंपनियों ने कुंभ के दौरान अपने उत्पादों की मौजूदगी को बढ़ाने के लिए विभिन्न रणनीतियों को अपनाया है, जिसमें नावों, होर्डिंग्स, यूनिपोल्स और लग्जरी टेंट्स पर ब्रांडिंग के अवसर शामिल हैं। आईटीसी के माचिस और अगरबत्ती डिवीजन के डिवीजनल चीफ एग्जीक्यूटिव गौरव तयाल ने बताया कि कंपनी सोशल मीडिया और इनफ्लूएंसर्स के जरिए अपनी ब्रांड विजिबिलिटी बढ़ाने की योजना बना रही है। ब्रांडिंग के लिए 2019 के कुंभ की तुलना में दरें 50-60% तक बढ़ चुकी हैं। इसके अलावा, डाबर ने अपने ब्रांड के लिए श्रद्धालुओं के स्नान क्षेत्र में चेंजिंग रूम और हेयर ड्रायर जैसी सुविधाएं प्रदान की हैं, जबकि अडानी ग्रुप ने यूनिपोल्स और गोल्फ कार्ट्स पर ब्रांडिंग की है।
हर महीने 3 लाख से यूनिट्स बिकती हैं हीरो स्पलैंडर प्लस की
14 Jan, 2025 04:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । हीरो स्पलैंडर प्लस बाइक न केवल भारतीय बाजार में बल्कि बाइकिंग समुदाय में भी एक लोकप्रिय विकल्प बन चुकी है। हर महीने हीरो स्पलैंडर प्लस बाइक की 3 लाख से अधिक यूनिट्स बिकती हैं।
हालांकि, अब हीरो ने इस बाइक की कीमत में बढ़ोतरी की है, जो उपभोक्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव साबित हो सकता है। पहले हीरो स्पलैंडर प्लस की एक्स-शोरूम कीमत रुपए 75,441 थी, जिसे अब रुपए 1,735 बढ़ाकर रुपए 77,176 कर दिया गया है। यह बढ़ोतरी विभिन्न कारणों से हुई है, जिसमें उत्पादन लागत में वृद्धि और अन्य कारकों का योगदान हो सकता है। हालांकि, यह कीमत राज्य और स्थानीय टैक्स के हिसाब से थोड़ा अलग हो सकती है। इसके बावजूद, हीरो स्पलैंडर प्लस के ग्राहक अभी भी इसे एक किफायती और मजबूत विकल्प मानते हैं। हीरो स्पलैंडर प्लस में 100सीसी का एयर-कूल्ड, 4-स्ट्रोक, सिंगल-सिलेंडर ओएचसी इंजन है, जो 5.9 केडब्ल्यू की पावर और 8.05 एनएम का टॉर्क उत्पन्न करता है। इसके साथ ही इसमें 4-स्पीड गियरबॉक्स मिलता है, जो इसे एक स्लीक और किफायती राइड बनाता है। इसमें प्रोग्राम्ड फ्यूल इंजेक्शन सिस्टम भी है, जो बाइक की माइलेज को बेहतर बनाता है।
यह बाइक एक लीटर पेट्रोल में लगभग 70 किलोमीटर तक चल सकती है, जो इसे भारत के अधिकतर राइडर्स के लिए एक आदर्श विकल्प बनाता है। इसकी बढ़ी हुई कीमत के बावजूद, हीरो स्पलैंडर प्लस की लोकप्रियता में कोई कमी आने की संभावना नहीं है, क्योंकि यह भारतीय बाइक बाजार में अपनी विश्वसनीयता और किफायती राइडिंग अनुभव के लिए प्रसिद्ध है। बता दें कि भारत की सबसे ज्यादा बिकने वाली बाइक्स में हीरो स्पलैंडर प्लस का नाम हमेशा शीर्ष पर आता है। इसकी सफलता का मुख्य कारण इसका सिंपल डिजाइन, बेहतरीन माइलेज और भरोसेमंद इंजन है।
इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में नॉर्वे सबसे आगे
14 Jan, 2025 03:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री के मामले में नॉर्वे सबसे आगे निकल गया है, वहीं भारत को इस क्षेत्र में अभी काफी मेहनत करने की जरुरत है। नार्वेजियन रोड फेडरेशन (ओएफवी) के आंकड़ों के मुताबिक, 2024 में नॉर्वे में कुल 1,28,691 नई गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन हुआ, जिनमें से 1,14,400 गाड़ियां इलेक्ट्रिक थीं।
यह संख्या देश में 89प्रतिशत नई गाड़ियों की इलेक्ट्रिक बिक्री को दर्शाती है। यह उपलब्धि नॉर्वे के 2025 तक सभी नई गाड़ियों को “जीरो उत्सर्जन” बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के करीब पहुंचने का संकेत देती है। गौरतलब है कि नॉर्वे, जो कि एक प्रमुख ऊर्जा उत्पादक और तेल निर्यातक देश है, ने पिछले 12 वर्षों में ईवी क्षेत्र में जबरदस्त प्रगति की है। 2012 में नॉर्वे में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की हिस्सेदारी केवल 2.8 प्रतिशत थी। लेकिन, सरकार द्वारा टैक्स छूट, टोल माफी, मुफ्त पार्किंग, और सार्वजनिक ट्रांसपोर्ट लेन के उपयोग जैसे प्रोत्साहन देने से यह आंकड़ा तेजी से बढ़ा। हालांकि, हाल के वर्षों में कुछ प्रोत्साहनों को हटाया गया है, लेकिन इलेक्ट्रिक गाड़ियां नॉर्वे की जीवनशैली का हिस्सा बन चुकी हैं। 2024 में नॉर्वे के ईवी बाजार में टेस्ला ने 19प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ शीर्ष स्थान हासिल किया। इसके बाद फोक्सवागन, टोयोटा, वॉल्वो और बीएमडब्ल्यू जैसी कंपनियां रहीं। दिलचस्प बात यह है कि चीनी ब्रांड्स भी नॉर्वे के ईवी बाजार में प्रवेश कर रहे हैं, और 2025 में यह देखना रोचक होगा कि वे खरीदारों को कितना आकर्षित कर पाते हैं।
वहीं, भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की स्थिति नॉर्वे से बिल्कुल अलग है। इंडिया ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन के अनुसार, 2024 में भारत में बिकने वाली कुल गाड़ियों में से केवल 2प्रतिशत गाड़ियां इलेक्ट्रिक थीं। भारत में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी और उच्च लागत ईवी की लोकप्रियता में बड़ी बाधा है। हालांकि, टू-व्हीलर और थ्री-व्हीलर सेगमेंट में इलेक्ट्रिक वाहनों का अच्छा प्रदर्शन देखा गया। 2024 में बिकने वाले थ्री-व्हीलरों में 50प्रतिशत और टू-व्हीलरों में 5 प्रतिशत हिस्सेदारी इलेक्ट्रिक वाहनों की थी। भारतीय बाजार में टाटा, महिंद्रा, हुंडई, और एमजी जैसी कंपनियां प्रमुख हैं।
रुपया 2 साल में सबसे ज्यादा गिरा, 1 डॉलर की कीमत ₹86.61 हुई, जानिए क्यों कमजोर हुई भारतीय मुद्रा की हालत?
13 Jan, 2025 07:10 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शेयर बाजार और भारतीय रुपये में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है। आज अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपये में करीब 2 साल की सबसे बड़ी गिरावट आई। रुपया 57 पैसे टूटकर 86.61 (अनंतिम) प्रति डॉलर के नए सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ। जेफरीज का अनुमान है कि मध्यावधि में रुपया 88 तक गिर सकता है। आखिर क्या वजह है कि डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट थमने का नाम नहीं ले रही है? रुपये के गिरने से आपकी जेब पर क्या असर पड़ेगा? आइए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब।
करेंसी की कीमत में तेजी और गिरावट का गणित समझें
विदेशी मुद्रा बाजार में किसी भी करेंसी की कीमत उस करेंसी की मांग और उसकी आपूर्ति के आधार पर तय होती है। यह उसी तरह है जैसे बाजार में किसी अन्य उत्पाद की कीमत तय होती है। जब किसी उत्पाद की मांग बढ़ती है जबकि उसकी आपूर्ति स्थिर रहती है, तो इससे उत्पाद की कीमत बढ़ जाती है जिससे उपलब्ध आपूर्ति सीमित हो जाती है। दूसरी ओर, जब किसी उत्पाद की मांग गिरती है जबकि उसकी आपूर्ति स्थिर रहती है, तो यह विक्रेताओं को पर्याप्त खरीदारों को आकर्षित करने के लिए उत्पाद की कीमत कम करने के लिए मजबूर करता है। कमोडिटी बाजार और विदेशी मुद्रा बाजार के बीच एकमात्र अंतर यह है कि विदेशी मुद्रा बाजार में वस्तुओं के बजाय अन्य मुद्राओं के साथ मुद्राओं का आदान-प्रदान किया जाता है।
रुपये में गिरावट के पीछे क्या कारण है?
रुपये में गिरावट का मौजूदा दौर मुख्य रूप से विदेशी निवेशकों द्वारा भारत से पैसा निकालने के कारण है, जिससे रुपये पर दबाव पड़ा है। वैश्विक निवेशक अपने निवेश को अलग-अलग देशों में ले जा रहे हैं, क्योंकि केंद्रीय बैंक अलग-अलग स्तरों पर अपनी मौद्रिक नीतियों का पुनर्गठन कर रहे हैं। इसके अलावा अमेरिकी डॉलर इंडेक्स लगातार मजबूत हो रहा है। छह मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की ताकत को मापने वाला डॉलर इंडेक्स 109.01 पर पहुंच गया है। 10 साल के अमेरिकी बॉन्ड पर यील्ड भी बढ़कर अप्रैल 2024 के 4.69 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई। इसका असर भारतीय रुपये पर भी देखने को मिल रहा है। इसके चलते रुपया लगातार कमजोर हो रहा है।
रुपये के गिरने का क्या होगा असर?
रुपये के गिरने का असर भारतीय अर्थव्यवस्था, आम जनता और व्यापार जगत पर पड़ेगा। रुपये के कमजोर होने से विदेश से आयात करना महंगा हो जाएगा। इससे जरूरी वस्तुओं के दाम बढ़ सकते हैं। यानी आप पर महंगाई का बोझ बढ़ेगा। उदाहरण के लिए, अक्टूबर में आयातक को 1 डॉलर के लिए 83 रुपये चुकाने पड़ते थे, लेकिन अब उसे 86.61 रुपये खर्च करने होंगे। भारत बड़े पैमाने पर कच्चे तेल का आयात करता है। डॉलर के मजबूत होने से कच्चे तेल का आयात महंगा हो जाएगा। इससे व्यापार घाटा बढ़ेगा। रुपये के कमजोर होने से विदेशी निवेशक शेयर बाजार से पैसा निकाल लेते हैं। इसका असर अभी दिख रहा है। रुपये के कमजोर होने से विदेश यात्रा या विदेश में पढ़ाई के लिए बजट बढ़ जाएगा। वहीं, रुपये के कमजोर होने से भारतीय निर्यातकों को फायदा होता है, क्योंकि विदेशी बाजार में उनके उत्पाद सस्ते हो जाते हैं।
सोने के आभूषणों का निर्यात 12 प्रतिशत बढ़ा: जीजेईपीसी
13 Jan, 2025 11:46 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
कोलकाता । रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (जीजेईपीसी) ने कहा कि वित्त वर्ष के पहले नौ महीनों में सोने के आभूषणों का निर्यात 12 प्रतिशत बढ़ गया है, जबकि हीरे के निर्यात में 10 प्रतिशत की गिरावट हुई है। इसमें अमेरिका को हीरे के निर्यात में सुधार की उम्मीद जताई गई है। चीन की सुस्त मांग की वजह से हीरे के निर्यात में चिंता बनी हुई है, लेकिन अमेरिका में त्योहार के दौरान मांग में वृद्धि की संकेत मिल रही है। जीजेईपीसी के अधिकारियों ने इस संदर्भ में उम्मीद जताते हुए कहा कि उनका मानना है कि अब बुरा समय निकल गया है और आगामी वर्षों में मद्देनजर 10-15 प्रतिशत की वृद्धि की उम्मीद की जा रही है। इसके साथ ही जीजेईपीसी ने वैश्विक जेनेरिक प्रोत्साहन पर भी 150 करोड़ रुपये का निवेश किया है। आभूषण उद्योग के विकास और अमेरिका की मांग में सुधार की उम्मीद को ध्यान में रखते हुए जीजेईपीसी ने पश्चिम बंगाल के सिंगूर को एक वैश्विक निर्यात केंद्र के रूप में स्थापित करने की योजना बताई है। यह योजना स्थानीय कारीगरी विरासत को बढ़ाने और कई रोजगार के अवसर प्रदान करने का उद्देश्य रखती है। सिंगूर के विकास में हुगली जिले के सुव्यवस्थित स्थान का भी अहम योगदान है, जो राष्ट्रीय राजमार्ग-2 और कोलकाता हवाई अड्डे के निकट है। इस विकास योजना से अधिक लोगों को रोजगार का अवसर मिलने की उम्मीद है और स्थानीय उद्योगों को भी बढ़ावा प्राप्त होगा।
आगामी बजट में बायोगैस उत्पादन पर कॉरपोरेट कर की छूट चाहता है आईबीए
13 Jan, 2025 10:40 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । भारतीय बायोगैस एसोसिएशन (आईबीए) ने वित्त मंत्रालय से आगामी बजट में कंप्रेस्ड बायोगैस (सीबीजी) उत्पादन के लिए पूरी तरह कॉरपोरेट कर की छूट देने की मांग की है। इससे निवेश को बढ़ावा मिलेगा और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को प्रोत्साहित करेगा। आईबीए ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक पत्र लिखकर इस मांग को मुख्य किया है। उद्योग निकाय ने कहा है कि सीबीजी उत्पादकों को पूर्ण कर राहत दी जानी चाहिए। आईबीए के अनुसार देश में कुल 100 सीबीजी संयंत्र चालू हैं और कुल सीबीजी की बिक्री लगभग 1,200 करोड़ रुपये तक पहुंची है। इसके बाद भी कर माफ करने के बाद सरकार को करीब 100 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। इस मामले में कर छूट से सीबीजी उत्पादकों को अपने उत्पादों को प्रतिस्पर्धी कीमतों पर बेचने में मदद मिलेगी। आईबीए ने बताया कि इस कदम से भारत अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य को हासिल कर सकेगा और निजी निवेश प्राप्त करने के साथ-साथ रोजगार के अवसरों का सृजन होगा। इसके अलावा, बायोगैस के उत्पादन में कृषि अवशेषों का उपयोग बढ़ाएगा और प्रदूषण कम करने में मदद करेगा।
एफपीआई ने जनवरी में अब तक शेयर बाजार से 22,194 करोड़ निकाले
13 Jan, 2025 08:38 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने भारतीय शेयर बाजारों से 22,194 करोड़ रुपये की निकासी की है। यह निकासी दिसंबर माह के 15,446 करोड़ रुपये के निवेश के बाद आई है। विदेशी निवेशकों का एफपीआई बिकवाली के पीछे कुछ कारकों का इसमें जिम्मेदार माना जा रहा है। कंपनियों के तिमाही नतीजे कमजोर रहने, डॉलर में मजबूती, डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन में शुल्क युद्ध तेज होने और साथ ही भारतीय बाजारों में असमंजस के कारण इस बिकवाली का मुख्य कारण भी माना जा रहा है। भारतीय रुपये के निचले स्तर अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल और भारतीय शेयर बाजार के ऊंचे मूल्यांकन के कारण भी विदेशी निवेशकों ने अपना निवेश घटाया है। अनुसंचारित आंकड़ों के अनुसार इस महीने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय शेयरों से 22,194 करोड़ रुपये निकाले हैं। बाजार के जानकारों ने कहा कि डॉलर इंडेक्स में बढ़ोतरी, 10 साल के बॉन्ड पर प्रतिफल और अन्य कारकों के कारण निवेशक उभरते बाजारों से निकासी कर रहे हैं। बीते साल उन्होंने भारतीय शेयरों में सिर्फ 427 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया था। वहीं 2023 में उन्होंने 1.71 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था।
इस वर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था में थोड़ी कमजोरी संभावित: आईएमएफ
12 Jan, 2025 07:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई । अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की प्रबंध निदेशक क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने स्वीकार किया कि भले ही दुनियाभर में वैश्विक वृद्धि स्थिर रहेगी, लेकिन 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था में थोड़ी कमजोरी संभावित है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता बनी रहेगी, खासकर अमेरिका की व्यापार नीति के चलते। जॉर्जीवा ने उम्मीद जताई है कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2025 में थोड़ी कमजोर रहेगी। उन्होंने बताया कि भारत के अलावा चीन में मुद्रास्फीति और मांग की चुनौतियों का सामना करना भी आईएमएफ के लिए मुश्किल हो सकता है। उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप द्वारा चीन, कनाडा और मैक्सिको पर शुल्क लगाने की योजना की घोषणा का माध्यम उचित नहीं माना, कारण रखते हुए कि इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को और अधिक अनिश्चितता का सामना करना पड़ सकता है। जॉर्जीवा ने आगे कहा कि अमेरिका के नीतिगत कदम, खासकर शुल्क और कर वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण हैं और अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं। उनके अनुसार यह अनिश्चितता चुनौतियों को बढ़ा सकती है, खासकर उन देशों और क्षेत्रों के लिए जो एकीकृत आपूर्ति शृंखलाओं में हैं, जैसे कि एशिया। इस सबके बावजूद जॉर्जीवा ने स्पष्ट किया कि समाधान और उपाय ढूंढने का समय है, ताकि वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता और विकास को सुनिश्चित किया जा सके। आईएमएफ अपेक्षा रखती है कि इस अनिश्चितता को झेलने के लिए सपनों और उम्मीदों का सहारा न ले कर सजीव और सुरक्षित उपचारों से सामना किया जाए।
इस सप्ताह 5 नए आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए खुलेंगे
12 Jan, 2025 06:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । आगामी हफ्ते शेयर बाजार में एक महामेला की तैयारी है, जिसमें अनेक बड़ी कंपनियों के आईपीओ और लिस्टिंग की घोषणा की गई है। 13 से 17 जनवरी के बीच 5 नए आईपीओ सब्सक्रिप्शन के लिए खुलेंगे, जिनमें मेनबोर्ड और 4 एसएमई आईपीओ शामिल हैं। इसके साथ ही 8 कंपनियों के शेयरों की भी लिस्टिंग होगी। मेनबोर्ड पर आ रहे हैं क्वाड्रेंट फ्यूचर टेक लिमिटेड, स्टैंडर्ड ग्लास लाइनिंग टेक्नोलॉजी लिमिटेड और स्टैंडर्ड ग्लास लाइनिंग टेक्नोलॉजी लिमिटेड। एकमात्र मेनबोर्ड आईपीओ, लक्ष्मी डेंटल आईपीओ के साथ एसएमई सेगमेंट में भी काबरा ज्वेल्स लिमिटेड का आईपीओ होगा। इनके अलावा रिखव सिक्योरिटीज लिमिटेड और लैंड इमिग्रेशन कंसल्टेंट्स लिमिटेड भी आईपीओ शुरू कर रहे हैं। इस उत्सव में इंडोबेल इंसुलेशन, एवैक्स अपैरल्स एंड ऑर्नामेंट्स, बीआर गोयल इंफ्रास्ट्रक्चर, डेल्टा ऑटोकॉर्प और सत करतार शॉपिंग भी शामिल हैं। आगामी सप्ताह शेयर बाजार में महामेला का आनंद उठाएं और निवेश करने के लिए तैयार रहें। यह महामेला नए निवेशकों के लिए एक सुनहरा अवसर प्रस्तुत कर सकता है। इस पूरे महीने आईपीओ की सतर्कता बनी रहेगी और निवेशकों को सूचित रहने की आवश्यकता है। हर कंपनी की विशेषता, इश्यू के विवरण और मार्केट डायनामिक्स पर ध्यान देना जरूरी है, ताकि स्मार्ट निवेश कर सकें। इस तरह के मौके बिना सही जानकारी के इस्तेमाल करने से नुकसान की संभावना हो सकती है।
स्टॉक में आई गिरावट, महंगा हो जाएगा गेहूं
12 Jan, 2025 05:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । भारत में चावल के बढ़ते भंडार ने जनवरी माह में सबसे ऊंचा स्तर छू लिया है जो देश के निर्यात की गति को तेज करने के लिए एक अवसर प्रदान कर सकता है। चावल के सरकारी भंडार में पहुंची मात्रा सरकार के निर्धारित लक्ष्य से अधिक है, लेकिन इस समय गेहूं की कमी के चलते बाजार में चिंता की स्थिति है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार चावल के कुल स्टॉक जनवरी तक 60.9 मिलियन टन पहुंच गया है, जबकि निर्धारित लक्ष्य 7.6 मिलियन टन है। इस बढ़ते भंडार के साथ चावल के निर्यात में भी वृद्धि दर्शाई जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि चावल की इतनी बड़ी मात्रा का भंडार एक चुनौती पैदा कर सकता है, जबकि गेहूं की सीमित उपलब्धता बाजार में चिंता फैला रही है। गेहूं के स्टॉक 1 जनवरी तक 18.4 मिलियन टन था, जो कि सरकार के लक्ष्य से अधिक है, लेकिन पिछले साल की औसत से काफी कम है। सरकार की ओर से मार्च 2025 तक 2.5 मिलियन टन गेहूं की बेचने की योजना बनाई गई है, जो पिछले साल के मुकाबले कम है। इसके चलते बाजार में गेहूं की कमी महसूस हो रही है। काकीनाड़ा के एक चावल निर्यातक ने बताया कि धान की खरीदारी जारी रहने से भंडारण की समस्या और गंभीर हो सकती है और सरकार को इन चुनौतियों का सामना करना होगा। चावल के भंडार और गेहूं की कमी के बीच संतुलन बनाने की चुनौती सामने खड़ी है। इस असंतुलन को देखते हुए सरकार को कठोर कदम उठाने होंगे ताकि गेहूं की पुनः उपलब्धता में सुधार हो सके और बाजार को स्थिरता मिले।
सेबी डेरिवेटिव खंड में गतिविधि पर रोक नहीं लगाएगा
12 Jan, 2025 04:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई । पूंजी बाजार नियामक सेबी के एक पूर्णकालिक सदस्य ने हाल ही में एक बड़ा बयान दिया है, जिसमें उन्होंने खुलासा किया कि सेबी डेरिवेटिव खंड में गतिविधि पर रोक नहीं लगाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि सेबी कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाएगा जो डेरिवेटिव बाजार में कारोबार को नियंत्रित करे। उन्होंने बताया कि सेबी कारोबारी सुगमता और बेहतर जोखिम प्रबंधन के लिए कुछ उपायों पर विचार कर रहा है, परन्तु डेरिवेटिव खंड में कोई प्रतिबंध नहीं लगाने का इरादा है। उन्होंने भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा नियंत्रित एनआईएसएम के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि सेबी दर्शकों के लिए उपयुक्तता और अनुकूलता को ध्यान में रख रही है और नकद बाजार और डेरिवेटिव बाजार के बीच संबंध को मजबूत करने का प्रयास कर रही है। इस बयान के साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि सेबी किसी तरह के डेरिवेटिव खंड में गतिविधि को रोकने की स्थिति में नहीं है और उसे बरकरार रखने का निश्चित करेगी। उन्होंने उन सभी का समर्थन किया जिन्होंने सेबी के विचारों की प्रशंसा की है और सहमति जताई है कि डेरिवेटिव बाजार में कोई प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिए। उन्होंने भविष्य में भी स्पष्ट किया कि डेरिवेटिव को लेकर किसी भी बदलाव को सावधानी से देखा जाएगा और उसे सभी पक्षों के सुझाव को ध्यान में रखकर ही लागू किया जाएगा। सेबी के इस प्रकार के निर्णय से बाजार के साथी उत्थान और विकास के लिए एक सकारात्मक संकेत मिला है। इस सावधानीबद्ध कदम के साथ सेबी ने स्वतंत्र कारोबार को बढ़ावा देने का संकेत दिया है और बाजार में निवेशकों की सुरक्षा को मजबूत करने का प्रयास किया है।
टीसीएस का मुनाफा 12 फीसदी बढ़ा, स्पेशल डिविडेंड का किया ऐलान
11 Jan, 2025 11:14 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के नतीजों की घोषणा करते हुए भावनात्मक स्थिति से ज्यादा बेहतर नतीजे प्रस्तुत किए। कंपनी ने आधारित राशि के मुताबिक सालाना नेट प्रॉफिट को 11.96 फीसदी बढ़ाकर 12,380 करोड़ रुपये पर पहुंचाया, जो कि पिछली साल के समान तिमाही में प्राप्त हुआ मुनाफे से अधिक है। कंपनी का रेवेन्यू भी 5.60 फीसदी बढ़कर 63,973 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो पिछली साल के समान तिमाही की तुलना में भी अधिक है। तीसरी तिमाही के अच्छे प्रदर्शन को देखते हुए टीसीएस ने शेयरधारकों के लिए अंतरिम डिविडेंड का ऐलान किया है, जिसमें 10 रुपये का तीसरा अंतरिम डिविडेंड शामिल है। साथ ही कंपनी ने हर इक्विटी शेयर पर 66 रुपये का स्पेशल डिविडेंड घोषित किया है। इन डिविडेंड्स को 3 फरवरी को शेयरधारकों को दिया जाएगा। कंपनी के सीईओ और एमडी ने टीसीवी परफॉरमेंस के बारे में भी संतुष्टि जताई, कहते हुए कि उन्हें टोटल कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू के स्थिति से खुशी है। कंपनी के कुल ऑर्डर बुक तीसरी तिमाही में 1020 करोड़ डॉलर रहा, जो पिछले साल के समान तिमाही की तुलना में अधिक है। गुरुवार को टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज के शेयरों में 1.72 फीसदी की गिरावट देखी गई और स्टॉक बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज पर 4036.65 रुपये के भाव पर बंद हुआ। इस दौरान टीसीएस ने पिछले दो वर्षों में प्रति शेयर 10 रुपये के अंतरिम डिविडेंड भी बांटा। शेयरधारकों के लिए यह खबर एक अच्छी सुधारणा की उम्मीद जताती है और कंपनी के सफलतापूर्वक उत्तराधिकारी का प्रस्तावित विकास का संकेत देती है।
गोदरेज प्रॉपर्टीज ने इंदौर में 24 एकड़ जमीन खरीदी
11 Jan, 2025 10:12 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई। रियल एस्टेट कंपनी गोदरेज प्रॉपर्टीज लिमिटेड ने आवासीय भूखंड बढ़ाने के लिए मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में 24 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया है। कंपनी का कहना है कि उसे इस आगामी परियोजना से करीब 500 करोड़ रुपये का राजस्व मिल सकता है।
गोदरेज प्रॉपर्टीज ने शेयर बाजार को दी सूचना में बताया कि उसने इंदौर में करीब 24 एकड़ जमीन खरीदी है। हालांकि, उसने जमीन की कुल कीमत के बारे में नहीं बताया है। कंपनी सूचना के अनुसार इस परियोजना से करीब 500 करोड़ रुपये की आय होने का अनुमान है। इस भूमि पर विकास कार्य में मुख्य रूप से प्रीमियम प्लॉटेड आवासीय इकाइयां शामिल होंगी और अनुमानित बिक्री योग्य क्षेत्रफल लगभग 6.20 लाख वर्ग फुट होगा। गोदरेज प्रॉपर्टीज के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कंपनी ने इस भूमि अधिग्रहण के साथ इंदौर में अपनी उपस्थिति का विस्तार किया है। इंदौर-उज्जैन रोड पर जुलाई 2024 में 46 एकड़ जमीन का अधिग्रहण करने के बाद यह इंदौर में कंपनी का दूसरा अधिग्रहण है। गोदरेज प्रॉपर्टीज देश के अग्रणी रियल एस्टेट डेवलपर में से एक है।'
2024 में भी गोदरेज ने किया था बड़ा निवेश
गोदरेज की इंदौर में एंट्री 2024 में हुई थी, जब उसने ग्राम शहाणा, तहसील सांवेर में 47 एकड़ जमीन 200 करोड़ रुपए में खरीदी थी। यह जमीन गाइडलाइन से 13 गुना अधिक कीमत पर खरीदी गई थी। इस सौदे से सरकार को 5.26 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ था।
टियर-2 सिटी के रूप में इंदौर की प्राथमिकता
गोदरेज प्रॉपर्टीज ने इंदौर-उज्जैन रोड पर अपने पहले प्रोजेक्ट के लिए 46 एकड़ जमीन खरीदी है। यह सौदा सीधे किसान से किया गया था। गोदरेज ने पुणे और बेंगलुरु के बाद टियर-2 शहरों में इंदौर को चुना है। यह मप्र में किसी कॉर्पोरेट का पहला प्लॉटिंग प्रोजेक्ट होगा।
ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट से राहत
11 Jan, 2025 09:11 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत देकर 1.12 लाख करोड़ रुपये के गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) शो-कॉज नोटिस को रोक दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि इन नोटिस से जुड़े सभी मामले फिलहाल स्थगित रहे, जब तक कोर्ट इस पर अंतिम निर्णय नहीं ले लेता है। सुप्रीम कोर्ट ने इन कंपनियों से जुड़े मामलों को एक साथ जोड़ने का निर्देश दिया है। अब मामलों की अगली सुनवाई 18 मार्च, 2025 को होगी।
यह फैसला ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के लिए एक राहत भरा कदम है, क्योंकि इस पर कर अधिकारियों और कंपनियों के बीच लंबे समय से विवाद रहा था। इस विवाद का मुख्य मुद्दा ऑनलाइन गेमिंग पर जीएसटी लागू करने की व्याख्या है। केंद्र सरकार का कहना है कि 28 प्रतिशत जीएसटी पूरे एंट्री अमाउंट पर लगना चाहिए, जिसमें इनाम राशि (प्राइज पूल) भी शामिल होती है। वहीं, गेमिंग कंपनियों का तर्क है कि जीएसटी केवल उनके प्लेटफॉर्म फीस या कमीशन पर लगना चाहिए, क्योंकि इनमें से कई गेम कौशल (स्किल) पर आधारित होते हैं, न कि किस्मत (चांस) पर निर्भर होती है। ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री से जुड़े जानकार ने कहा, “मार्च में होने वाली अंतिम सुनवाई सेक्टर के लिए नियामकीय ढांचे को तय करने और एक निष्पक्ष और पारदर्शी टैक्स रिजीम सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाएगी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा शो-कॉज नोटिस पर रोक लगाना ऑनलाइन गेमिंग और कैसिनो कारोबार के लिए राहत भरा कदम है। इससे न केवल कानूनी स्पष्टता मिलती है, बल्कि तेजी से बढ़ते सेक्टर में सही प्रक्रिया और नियमों के महत्व को भी उजागर किया गया है। इस फैसले का ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों ने स्वागत किया है।