व्यापार
शॉकवेव इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल लॉन्च
9 Mar, 2025 07:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नईदिल्ली । अल्ट्रावॉयलेट कंपनी ने टेसेरैक्ट इलेक्ट्रिक स्कूटर के साथ शॉकवेव इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल भी लॉन्च की है। मोटरसाइकिल की तरह, स्कूटर के लिए भी 999 रुपये में प्री-बुकिंग शुरू हो गई है और इसकी डिलीवरी 2026 की शुरुआत में शुरू होगी। शॉकवेव की कीमत पहले 1,000 ग्राहकों के लिए 1.50 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) है। उसके बाद, कीमत बढ़कर 1.75 लाख रुपये (एक्स-शोरूम) हो जाएगी। शॉकवेव अल्ट्रावॉयलेट के लाइट मोटरसाइकिल प्लेटफॉर्म में प्रवेश का प्रतीक है। कंपनी दो और इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल बेचती है - एफ77 सुपरस्ट्रीट और एफ77 मैक 2। शॉकवेव की 14.5बीएचपी मोटर 3.5केडब्ल्यूएच बैटरी से जुड़ी है।
इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल के पिछले पहिये पर 505 एनएम का टॉर्क होने का दावा किया गया है। इसका वजन 120 किलोग्राम है। दावा किया जाता है कि शॉकवेव एक बार फुल चार्ज होने पर 165 किलोमीटर (आईडीसी) की रेंज देता है। यह महज 2.9 सेकंड में 0 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकता है, जबकि इसकी अधिकतम गति 120 किलोमीटर प्रति घंटे बताई जाती है।
शॉकवेव में डुअल एलईडी हेडलैंप, चार ट्रैक्शन कंट्रोल मोड, स्विचेबल डुअल-चैनल एबीएस और रीजन के छह लेवल जैसे फीचर्स हैं। आगे (19-इंच) और पीछे (17-इंच) स्पोक व्हील हैं। इलेक्ट्रिक मोटरसाइकिल दो रंगों में उपलब्ध है - कॉस्मिक ब्लैक और फ्रॉस्ट व्हाइट। अल्ट्रावॉयलेट के अनुसार, शॉकवेव की बैटरी सुपरनोवा के साथ 30 मिनट से भी कम समय में और बूस्ट चार्जर के साथ 50 मिनट में 20-80 प्रतिशत तक चार्ज हो सकती है।
सेबी ने नेस्ले इंडिया को भेजा चेतावनी पत्र, कंपनी के अधिकारी पर लगा इनसाइडर ट्रेडिंग का आरोप
9 Mar, 2025 06:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। नेस्ले इंडिया के एक अधिकारी पर गंभीर आरोप लगे हैं। उन पर आरोप है कि वह इनसाइडर ट्रेडिंग से जुड़े हैं। इस मामले में सेबी ने नेस्ले इंडिया को चेतावनी भरा पत्र भेजा है। अभी तक कंपनी ने उस अधिकारी का नाम नहीं बताया है जिस पर आरोप है।
नेस्ले इंडिया ने बताया कि कंपनी के अनुपालन अधिकारी को सेबी का चेतावनी पत्र मिला है। यह पत्र कंपनी के एक नामित व्यक्ति द्वारा सेबी रेगुलेशंस, 2015 के उल्लंघन के लिए है। साधारण भाषा में कहे तो कंपनी के किसी आदमी ने शेयर बाजार के नियम तोड़े हैं। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि इससे कंपनी के काम पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हम स्पष्ट रूप से कहना चाहते हैं कि इस जानकारी का कंपनी की वित्तीय और परिचालन क्षमताओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। यह जानकारी सेबी लिस्टिंग विनियमों के विनियमन 30 के मुताबिक प्रदान की गई है।
इनसाइडर ट्रेडिंग शेयर बाजार के लिए एक बड़ी समस्या है। इसमें कंपनी के अंदर के लोग जैसे कर्मचारी, डायरेक्टर, बड़े अधिकारी और प्रमोटर, शेयर और बॉन्ड जैसी चीजों की खरीद-बिक्री गैर-कानूनी तरीके से करते हैं। छोटे निवेशकों को बचाने और शेयर बाजार को साफ-सुथरा रखने के लिए सेबी ने नियम बनाए हैं। इन नियमों के तहत कंपनियां खुद अपने शेयर सेकेंडरी मार्केट से नहीं खरीद सकतीं। कोई कंपनी अपने ही शेयर खरीदने लगे तो शेयर का दाम बढ़ जाएगा। यह आम निवेशकों के लिए नुकसानदेह हो सकता है। इसलिए सेबी ने यह नियम बनाया है।
पब्लिक प्रोविडेंट फंड और सुकन्या समृद्धि योजना के लिए 31 मार्च है खास
9 Mar, 2025 05:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ) और सुकन्या समृद्धि योजना (एसएसवॉय), लोकप्रिय निवेश योजना हैं। इन दोनों योजनाओं में शानदार ब्याज मिलता ही है, साथ ही टैक्स छूट भी मिलती है। वर्तमान में पीपीएफ पर 7.1 फीसदी ब्याज दिया जा रहा है। सुकन्या समृद्धि योजना का खाता केवल 10 साल से कम उम्र की लड़की के नाम पर माता-पिता या कानूनी अभिभावक द्वारा खोला जा सकता है। इन दोनों ही योजनाओं में वित्त वर्ष में न्यूनतम राशि जमा करानी जरूरी होती है। इसकारण अगर आप भी इन दोनों योजनाओं में 31 मार्च तक न्यूनतम निवेश नहीं करते हैं तब आपके खाते निष्किय (बंद) हो सकते हैं और इन्हें दोबारा शुरू करने के लिए जुर्माना देना पड़ सकता है।
पब्लिक प्रोविडेंट फंड पीपीएफ अकाउंट रखने वालों के लिए मिनिमम डिपॉजिट 500 रुपए है, यानी आपको इसमें एक वित्त वर्ष में कम से कम 500 रुपए का निवेश करना होता है। ऐसा न करने पर आपका खाता बंद हो सकता है। अगर आप यह पैसा नहीं जमा करते हैं, तब आपको 50 रुपए जुर्माना देना पड़ेगा। इसलिए खाता चालू रखने और पेनल्टी से बचना चाहते हैं, तब 31 मार्च 2025 से पहले न्यूनतम आवश्यक राशि जरूर जमा करें।
सुकन्या समृद्धि योजना में भी न्यूनतम जमा राशि 250 रुपये प्रति वित्त वर्ष है। वर्तमान में योजना में 8.2 प्रतिशत ब्याज मिल रहा है। वित्त वर्ष में राशि जमा न करने पर खाता बंद हो सकता है। एसएसवाई खाता 21 वर्षों के लिए वैध रहता है या जब लड़की की शादी 18 साल की उम्र के बाद हो जाती है, तब इस बंद किया जा सकता है। हालांकि, बेटी के 18 वर्ष की उम्र पूरी करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए आंशिक निकासी की अनुमति मिलती है।
भारतीय शेयर बाजार को डुबाने में लगे विदेशी निवेशक...लेकिन घरेलू निवेशक बने तारणहार
9 Mar, 2025 04:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई । पिछले कारोबार सत्र के अंतिम दिन शुक्रवार को उतार-चढ़ाव के बाद सेंसेक्स मामूली गिरावट के साथ बंद हुआ। ट्रंप के ट्रेड वार की आशंका के कारण निवेशक बैचेन दिखाई दिए। सेंसेक्स 7 अंक गिरकर 74,332 के स्तर पर बंद हुआ, वहीं निफ्टी में 7 अंक की तेजी रही, ये 22,552 पर बंद हुआ। साल 2025 में सेंसेक्स और निफ्टी पांच फीसदी से ज्यादा गिर चुके हैं। बाजार में आई इस जोरदार गिरावट की वजह विदेशी निवेशकों की ताबड़तोड़ बिकवाली रही है। साल 2024 के अक्टूबर से शुरू हुई विदेशी निवेशकों की बिकवाली, अभी भी नहीं थमी है। बीते 5 महीनों में अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार से करीब 37 बिलियन डॉलर की निकासी की है।
बाजार जानकारों के अनुसार बाजार में कोहराम मचाने को आमादा विदेशी निवेशकों की राह में घरेलू संस्थागत निवेशक रोड़ा बने हुए हैं। इस साल अब तक एफआईआई 1.61 लाख करोड़ रुपये के शेयरों के नेट सेलर रहे हैं, जबकि डीआईआई ने 1.72 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे हैं। सिर्फ फरवरी 2025 में एफआईआईएस ने 34,574 करोड़ के शेयर बेच दिए। घरेलू संस्थागत निवेशक अगर बाजार में खरीदार न बने रहते तब बाजार की और भी बुरी गत होती। पिछले कारोबारी सत्र यानी शुक्रवार को भी शेयर बाजार में विदेशी संस्थागत निवेशकों की बिकवाली जारी रही।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का डेटा बताता हैं कि एफआईआईएस ने कैश में 2035.10 करोड़ रुपये की बिकवाली की है। वहीं, दूसरी डीआईआई यानी घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 2320.40 करोड़ रुपये की खरीदारी की है। 07 मार्च के कारोबारी सत्र के दौरान, एफआईआई ने 8,635 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे और 10,670 करोड़ रुपये के शेयर ब्रिकी किए। डीआईआई ने 10,452 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे और 8,132 करोड़ रुपये के शेयर की ब्रिकी की। विदेशी निवेशको के लिए अब चीन का बाजार ज्यादा आकर्षक हो गया है। विदेशी निवेशक इस समय ‘भारत में बेचो, चीन में खरीदो’ की नीति अपना रहे हैं।
RBI ने विजनरी फाइनेंसपीयर समेत 4 NBFCs पर लगाया जुर्माना
8 Mar, 2025 12:48 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा कि उसने चार गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) पर 76.6 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह जुर्माना कर्जदाताओं और उधार लेने के इच्छुक लोगों को जोड़ने वाले प्लेटफॉर्म्स (पीयर-टू-पीयर लेंडिंग प्लेटफॉर्म) पर लगाया गया है। आरबीआई के निर्देशों के कुछ प्रावधानों का पालन न करने पर यह जुर्माना लगाया गया है। 'गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी - पीयर-टू-पीयर लेंडिंग प्लेटफॉर्म (रिजर्व बैंक) निर्देश, 2017' के कुछ प्रावधानों का पालन न करने के लिए फेयरएसेट्स टेक्नोलॉजीज इंडिया पर 40 लाख रुपये और ब्रिज फिनटेक सॉल्यूशंस तथा रंग दे पी2पी फाइनेंशियल सर्विसेज पर 10-10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है।
विजनरी फाइनेंसपीयर पर भी लगाया जुर्माना
रिजर्व बैंक ने कहा कि विजनरी फाइनेंसपीयर पर 16.6 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। केंद्रीय बैंक ने कहा कि प्रत्येक मामले में, जुर्माना नियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य संस्थाओं द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या समझौते की वैधता पर फैसला सुनाना नहीं है। केंद्रीय बैंक ने अलग-अलग विज्ञप्तियों के माध्यम से जुर्माने की जानकारी दी।
इन बैंकों पर भी लगाया था जुर्माना
भारतीय रिजर्व बैंक ने इससे पहले नियामकीय अनुपालन में खामियों के लिए इक्विटास स्मॉल फाइनेंस बैंक और इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक पर जुर्माना लगाया था। आरबीआई ने एक बयान में कहा था कि उसने इक्विटास स्मॉल फाइनेंस बैंक पर 65 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। वहीं, 'बैंकों में ग्राहक सेवा' पर कुछ निर्देशों का पालन न करने पर इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक लि. पर 26.70 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। इसके अलावा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी से संबंधित मानदंडों के कुछ प्रावधानों के उल्लंघन के लिए एप्टस फाइनेंस इंडिया प्राइवेट लि. पर भी 3.10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
भारत को अमेरिका से प्रस्तावित टैरिफ डील में मिलेगा बड़ा लाभ, विशेषज्ञों का दावा
8 Mar, 2025 12:32 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है। इस समझौते के तहत चमड़ा, कपड़ा और आभूषण जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों में आयात शुल्क में रियायत से अमेरिका को निर्यात बढ़ेगा। एक्सपर्ट्स ने यह उम्मीद जताते हुए कहा कि इसके बदले में अमेरिका पेट्रो रसायन उत्पादों, इलेक्ट्रॉनिक्स, चिकित्सा उपकरणों और बादाम तथा क्रैनबेरी जैसे कुछ कृषि वस्तुओं के लिए टैरिफ में कटौती की मांग कर सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि सेब और सोया जैसी कृषि वस्तुओं की संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए उनमें टैरिफ कटौती मुश्किल हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हाल की वाशिंगटन यात्रा के दौरान, भारत और अमेरिका ने 2030 तक दोतरफा व्यापार को दोगुना करके 500 अरब अमेरिकी डॉलर पहुंचाने की घोषणा की थी। इस मौके पर 2025 तक पारस्परिक रूप से लाभकारी, बहु-क्षेत्रीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के पहले चरण पर बातचीत करने की प्रतिबद्धता भी जताई गई।
भारत को हो सकता है फायदा
अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ विश्वजीत धर ने कहा, ''यदि अमेरिका प्रस्तावित समझौते के तहत टैरिफ में कटौती करता है तो भारत को वाहन कलपुर्जा, परिधान, फुटवियर, आभूषण, प्लास्टिक और स्मार्टफोन जैसे सेक्टर्स में लाभ हो सकता है। इन सेक्टर्स में भारतीय सामान अमेरिकी बाजार में चीन के साथ कंपटीशन कर सकते हैं, क्योंकि चीनी सामान अमेरिकी बाजार में उच्च टैरिफ का सामना कर रहे हैं।''
चीन के कई सामानों पर लगता है 45% टैरिफ
उन्होंने कहा कि चीन के कुछ सामान अमेरिकी बाजार में 45 प्रतिशत तक टैरिफ का सामना करते हैं और इन क्षेत्रों में भारत उत्पादन बढ़ा सकता है और अवसरों का लाभ उठा सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की है कि अमेरिकी वस्तुओं पर उच्च टैरिफ लगाने वाले देशों पर दो अप्रैल से जवाबी टैरिफ लागू होंगे। ऐसे में माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच व्यापार वार्ता में तेजी आ सकती है। धर ने कहा कि दोनों देशों के अधिकारियों के लिए समझौते को अंतिम रूप देना बहुत कठिन होगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका महंगी बाइक, यात्री कारों और इलेक्ट्रिक वाहनों के साथ ही सोया और मक्का जैसे कृषि उत्पादों पर टैरिफ घटाने की मांग कर सकता है।
भारत के साथ व्यापार घाटे को संतुलित करना चाहता है अमेरिका
धर ने कहा, ''अमेरिका की मुख्य चिंता भारत के साथ व्यापार घाटे को संतुलित करना है और इसके लिए वे भारतीय बाजारों में अपने निर्यात को बढ़ाना चाहते हैं।'' दवा क्षेत्र के निर्यातकों ने कहा कि भारतीय दवा निर्यात पर जवाबी टैरिफ लगाने के अमेरिका के फैसले से मुख्य रूप से अमेरिकी उपभोक्ताओं पर असर पड़ेगा। हालांकि, घरेलू उद्योग सतर्क रूप से आशावादी बने हुए हैं। शोध संस्थान जीटीआरआई ने सुझाव दिया कि भारत को अमेरिका के प्रस्तावित जवाबी टैरिफ के जवाब में 'शून्य के लिए शून्य' शुल्क रणनीति की पेशकश करनी चाहिए। उसने कहा कि ऐसा करना पूर्ण द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत करने से कम नुकसानदायक होगा। जीटीआरआई ने सरकार को सुझाव दिया कि 'शून्य के लिए शून्य' रणनीति के तहत ऐसी उत्पाद श्रेणियों की पहचान करनी चाहिए, जहां घरेलू उद्योगों और कृषि को नुकसान पहुंचाए बिना अमेरिकी आयातों के लिए आयात शुल्क खत्म किया जा सकता है। इसके बदले में, अमेरिका को भी समान संख्या में वस्तुओं पर शुल्क हटा देना चाहिए।
पेट्रोलियम मंत्री का ऐलान, मुकेश अंबानी से 24,490 करोड़ की वसूली के लिए सरकार तैयार
8 Mar, 2025 12:20 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देश की सबसे वैल्यूएबल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसके पार्टनर्स से भारत सरकार को 2.81 अरब डॉलर (करीब 24,490 करोड़ रुपये) वसूलने हैं. नेचुरल गैस एक्सट्रैशन से जुड़े एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सरकार के हक में सुनाया है. अब सरकार ने भी मुकेश अंबानी से पाई-पाई वसूलने की तैयारी कर ली है. पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी की ओर से इस बारे में एक बड़ा बयान दिया गया है.
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि उनका मंत्रालय रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसके पार्टनर्स से 2.81 अरब डॉलर की डिमांड को हासिल करने की अंत तक कोशिश करेगा. उनके इस बयान को सरकार की ओर से इस मामले में इसे एक बड़ी प्रतिक्रिया माना जा रहा है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल ये मामला रिलायंस इंडस्ट्रीज और उसकी पार्टनर फर्म्स के नेचुरल गैस एक्ट्रैक्शन से जुड़ा है. सरकार का दावा है कि रिलायंस और उसकी पार्टनर फर्म्स ने ऐसे गैस फील्ड से भी नेचुरल गैस निकाली, जिनके इस्तेमाल का उन्हें कोई अधिकार नहीं था. इस मामले में भारत सरकार ने रिलायंस से 1.55 अरब डॉलर की राशि चुकाने का दावा किया. रिलायंस इस मामले को एक इंटरनेशनल आर्बिटरी कोर्ट ले गई, जहां जुलाई 2018 में फैसला उसके पक्ष में आया. सरकार के 1.55 अरब डॉलर के दावे को खारिज कर दिया गया.
इसके बाद सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. पिछले महीने 14 तारीख को दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकार के हक में फैसला सुनाया. इसके बाद ही सरकार की ओर से 2.81 अरब डॉलर का डिमांड नोटिस निकाला गया है. रिलांयस की ओर से 3 मार्च 2025 को ये नोटिस मिलने की पुष्टि की गइ है.
क्या बोले पेट्रोलियम मंत्री?
खबर के मुताबिक पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि ‘ गैस माइग्रेशन’ (एक ब्लॉक से दूसरे ब्लॉक में जाने) से जुड़े इस विवाद पर अदालत का फैसला सरकार के अधिकार स्पष्ट रूप से साबित करता है.
दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान जब हरदीप सिंह पुरी से 2.81 अरब डॉलर की वसूली को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा, ”मैं आपको भरोसा दिलाना चाहता हूं कि अदालत का बिल्कुल स्पष्ट फैसला है. हमने पहले ही 2.81 अरब डॉलर की डिमांड का आवेदन कर दिया है. हम इस अधिकार को अंत तक पाने की कोशिश करेंगे. बेशक, फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करना हर किसी का अधिकार है.”
ये मामला कृष्णा-गोदावरी बेसिन में स्थित KG-D6 ब्लॉक से जुड़ा है. इस एरिया में रिलायंस के पास नेचुरल गैस एक्सट्रैक्शन का अधिकार है, हालांकि सरकार की कंपनी ओनएनजीसी का दावा है कि रिलायंस ने इसी एरिया में मौजूद KG-DWN-98/2 ब्लॉक से गैस को ट्रांसफर किया है. KG-DWN-98/2 ब्लॉक ओएनजीसी को अलॉट किया गया था.
मुकेश अंबानी की नई सफलता, 57,500 करोड़ का जैकपॉट पूरी दुनिया में छाया
8 Mar, 2025 12:06 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुकेश अंबानी ने बीते 48 घंटों में कुछ ऐसा किया है, जिसकी वजह से चीन से लेकर अमेरिका तक सब हैरान हो गए हैं. दुनिया की जुबां पर बस एक बात है कि ऐसा सिर्फ मुकेश अंबानी ही कर सकते हैं और कोई नहीं. वास्तव में गुरुवार और शुक्रवार को मुकेश अंबानी की दौलत में जबरदस्त इजाफा देखने को मिला है. दो दिनों में मुकेश अंबानी की नेटवर्थ में 6.6 बिलियन डॉलर यानी 57,500 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हो गई है. जिसके बाद उनकी कुल नेटवर्थ 88 अरब डॉलर के पार पहुंच गई है. शुक्रवार को भी उनकी नेथवर्थ में करीब 3 बिलियन डॉलर की बढ़ोतरी देखने को मिली है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर ब्लूमबर्ग बिलेनियर्स इंडेक्स में मुकेश अंबानी की दौलत को लेकर किस तरह के आंकड़े देखने को मिल रहे हैं.
मुकेश अंबानी की दौलत में इजाफा
दुनिया के 17वें सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अबानी की दौलत में शुक्रवार को 2.92 अरब डॉलर यानी 25,400 करोड़ रुपए से ज्यादा का इजाफा देखने को मिला है. जिसके बाद मुकेश अंबानी की कुल दौलत 88.1 अरब डॉलर हो गई है. 67 बरस के मुकेश अंबानी की मौजूदा साल में नेटवर्थ में 2.49 अरब डॉलर की गिरावट देखने को मिल चुकी है. वास्तव में मुकेश अंबानी की दौलत में बीते दो दिनों से इजाफा देखने को मिल रहा है. आंकड़ों को देखें तो मुकेश अंबानी की नेटवर्थ में 6.6 अरब डॉलर यानी 57,400 करोड़ रुपए का इजाफा देखने को मिल चुका है. गुरुवार को मुकेश अंबानी की नेटवर्थ में 3.7 अरब डॉलर का इजाफा देखने को मिला था.
रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में तेजी
मुकेश अंबानी की दौलत में इजाफे का प्रमुख कारण रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयरों में तेजी है. बीते दो दिनों से मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर में 6.24 फीसदी का इजाफा देखने को मिल चुका है. बीएसई के आंकड़ों के अनुसार रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर 5 मार्च को 1,175.75 रुपए पर थे. जो 7 मार्च को बढ़कर 1,249.10 रुपए पर पर आ गए. इसका मतलब है कि दो दिनों में रिलायंस इंडस्ट्रीज के शेयर 73.35 रुपए का इजाफा देखने को मिल चुका है. जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में मुकेश अंबानी की कंपनी के शेयरों में और भी तेजी देखने को मिल सकती है.
चीन से लेकर अमेरिका तब सब हैरान
खास बात तो ये है मुकेश अंबानी की दौलत में इजाफा देख चीन से लेकर अमेरिका तक के अरबपति हैरान रह गए हैं. गुरुवार को मुकेश अंबानी दौलत में इजाफे के मामले में तीसरे नंबर पर मौजूद हैं. शुक्रवार को भी दौलत में इजाफे मामले में दुनिया में दूसरे नंबर पर मौजूद हैं. जिसकी वजह से दुनिया के सभी अरबपति हैरान हैं. मुकेश अंबानी का एक बार फिर से फॉर्म में आना अमेरिकी अरबपतियों के लिए खतरे की घंटी है. वह एक बार फिर से 100 अरब डॉलर के एलीट ग्रुप में एंट्री मारने को तैयार हैं.
भारत का खजाना खाली, पाकिस्तान में आ रही है राहत की लहर
8 Mar, 2025 10:05 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत के खजाने को पता नहीं किसकी नजर लग गई हैं कि लगातार खाली हो रहा है. पिछले भारत के फॉरेक्स रिजर्व में इजाफा होने के बाद इसमें फिर से गिरावट देखने को मिली है. लेकिन गिरावट इस बार पिछली बार के इजाफे से कम है. जानकारों की मानें तो रुपए को संभालने के लिए रिजर्व बैंक लगातार फॉरेन करेंसी का इस्तेमाल कर रहा है. जिसकी वजह देश के फॉरेक्स भंडार में गिरावट का दौर देखने को मिल रहा है.
वहीं दूसरी ओर भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में तालियां पीटी जा रही हैं. उसका कारण है कि पाकिस्तान के फॉरेक्स रिजर्व में इजाफा देखने को मिला है. पाकिस्तान का फॉरेक्स रिजर्व करीब 16 अरब डॉलर हो गया है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर भारत और पाकिस्तान के फॉरेक्स रिजर्व में किस तरह के आंकड़े देखने को मिल रहे हैं.
फॉरेक्स रिजर्व में गिरावट
भारत का फॉरेक्स रिजर्व 1.78 बिलियन अमरीकी डॉलर घटकर 638.698 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गया. आरबीआई ने शुक्रवार को कहा कि 28 फरवरी को समाप्त सप्ताह में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 1.781 बिलियन अमरीकी डॉलर घटकर 638.698 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गया. पिछले रिपोर्टिंग सप्ताह में कुल विदेशी मुद्रा भंडार 4.758 बिलियन अमरीकी डॉलर बढ़कर 640.479 बिलियन अमरीकी डॉलर हो गया था. सितंबर 2024 के अंत में, विदेशी मुद्रा भंडार 704.885 बिलियन अमरीकी डॉलर के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गया.
गोल्ड रिजर्व में गिरावट
शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, 28 फरवरी को समाप्त सप्ताह के लिए, फॉरेन करेंसी असेट्स, जो भंडार का एक प्रमुख कंपोनेंट है, 493 मिलियन अमरीकी डॉलर घटकर 543.35 बिलियन अमरीकी डॉलर रह गईं. डॉलर में व्यक्त फॉरेन करेंसी असेट्स में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे गए यूरो, पाउंड और येन जैसी नॉन-अमेरिकी यूनिट्स की मूल्यवृद्धि या मूल्य में कमी का प्रभाव शामिल होता है.
आरबीआई ने कहा कि सप्ताह के दौरान स्वर्ण भंडार 1.304 अरब डॉलर घटकर 73.272 अरब डॉलर रह गया. शीर्ष बैंक ने कहा कि विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) 27 मिलियन डॉलर बढ़कर 17.998 अरब डॉलर हो गए. शीर्ष बैंक के आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन सप्ताह में आईएमएफ के साथ भारत की आरक्षित स्थिति 12 मिलियन डॉलर घटकर 4.078 अरब डॉलर रह गई.
पाकिस्तान के फॉरेक्स रिजर्व में इजाफा
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) के फॉरेक्स रिजर्व में 28 फरवरी, 2025 को समाप्त सप्ताह के दौरान 27 मिलियन डॉलर की वृद्धि हुई, जो 11.25 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया. ताजा आंकड़ों के अनुसार, 28 फरवरी, 2025 तक देश के पास कुल तरल विदेशी भंडार 15.87 बिलियन डॉलर था. इसमें से एसबीपी के पास 11.25 बिलियन डॉलर, जबकि कमर्शियल बैंकों के पास 4.62 बिलियन डॉलर है. इस बीच, पाकिस्तान में सोने की कीमतों में गिरावट आई, जो अंतरराष्ट्रीय दरों में गिरावट को दर्शाता है. स्थानीय बाजार में, गुरुवार को प्रति तोला कीमत 3,000 रुपए घटकर 304,000 रुपए पर आ गई.
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रुपये की ताकत से डॉलर हुआ धराशाई, एशिया में गूंज उठा असर
8 Mar, 2025 09:59 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शुक्रवार सुबह डॉलर के मुकाबले में रुपया गिरावट के साथ कारोबार कर रहा था, लेकिन बाजार बंद होने तक एशिया में एक बार फिर से रुपए ने पूरी दुनिया को अपनी ताकत का अहसास करा दिया. रुपए में 20 पैसे का जबरदस्त उछाल देखने को मिला और 87 के लेवल से नीचे चला गया. वैसे कुछ दिनों से रुपए में गिरावट देखने को मिल रही थी. लेकिन आरबीआई लगातार रुपए को उठाने का प्रयास कर रहा है. आंकड़ों पर बात करें तो इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज मार्केट में शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 20 पैसे उछलकर 86.92 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ.
अगर इस तेजी के कारणों की बात करें तो अमेरिकी डॉलर इंडेक्स के अपने पांच महीने के निचले स्तर पर आने तथा मांग में नरमी के अनुमान के कारण कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट की वजह से रुपए में तेजी देखने को मिली. विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि हालांकि, अस्थिर घरेलू शेयर बाजार की धारणा और विदेशी पूंजी की सतत निकासी से घरेलू मुद्रा पर दबाव पड़ा. उन्होंने कहा कि विदेशी संस्थागत निवेशकों की निकासी का कारण दुनिया भर में शुल्क को लेकर अस्पष्टता की वजह से जोखिम से बचने की प्रवृत्ति में वृद्धि है.
रुपए में जबरदस्त तेजी
इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज मार्केट में रुपया 87.13 पर खुला और कारोबार के दौरान 87.22 प्रति डॉलर के निचले स्तर पर पहुंच गया. बाद में रुपया 86.88 प्रति डॉलर तक मजबूत होने के बाद कारोबार के अंत में 86.92 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ, जो पिछले बंद स्तर से 20 पैसे की मजबूती है. गुरुवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले छह पैसे गिरकर 87.12 पर बंद हुआ था. इससे पहले लगातार तीन सत्रों में इसमें 31 पैसे की तेजी आई थी. इस बीच, दुनिया की छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की मजबूती को मापने वाला डॉलर सूचकांक 0.43 प्रतिशत घटकर 103.58 पर रहा. वायदा कारोबार में वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड 1.41 प्रतिशत बढ़कर 70.44 डॉलर प्रति बैरल हो गया लेकिन फिर भी यह छह माह के निचले स्तर पर बना रहा.
क्या कहते हैं जानकार
मिराए एसेट शेयरखान के रिसर्च एनालिस्ट, मोहम्मद इमरान ने कहा कि कच्चे तेल में मुनाफावसूली से कीमतें बढ़ी हैं. इमरान ने कहा कि आर्थिक आंकड़े भी कच्चे तेल की मांग के लिए उत्साहजनक नहीं हैं क्योंकि जनवरी-फरवरी की अवधि में चीन का आयात सालाना आधार पर पांच प्रतिशत घटकर कुल 8.38 करोड़ टन रह गया. उन्होंने कहा कि इसका मतलब है कि औसतन इंपोर्ट एक करोड़ 4.2 लाख बैरल प्रति दिन (बीपीडी) है, जो जनवरी-फरवरी 2024 में एक करोड़ 12.6 लाख बैरल प्रतिदिन से कम है.
विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी
घरेलू शेयर बाजार में 30 शेयरों पर आधारित बीएसई सेंसेक्स 7.51 अंक फिसलकर 74,332.58 अंक पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 7.80 अंक बढ़कर 22,552.50 अंक पर बंद हुआ. शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे. उन्होंने बृहस्पतिवार को 2,377.32 करोड़ रुपए के शेयर बेचे.
Honda और BYD की साझेदारी, भारत में स्कूटर मार्केट में बड़ी एंट्री करेगा चीनी ब्रांड
7 Mar, 2025 10:53 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
होंडा: भारतीय स्कूटर बाजार में होंडा का दबदबा लंबे समय से कायम है. जापानी ऑटोमोबाइल कंपनी होंडा ने अपने लोकप्रिय स्कूटर Activa के जरिए इस सेगमेंट में एक मजबूत पकड़ बना रखी है. ठीक वैसे ही, जैसे चीनी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता BYD (Build Your Dreams) ने वैश्विक इलेक्ट्रिक कार बाजार में अपनी अलग पहचान बना ली है. लेकिन अब BYD होंडा का हाथ पकड़कर भारत में अपना बेड़ापार करने वाली है. कंपनी अब उसकी मदद से मार्केट में अपना स्कूटर लेकर आने वाली है.
एक समय था जब चीन को बाजार जो कभी उनकी वैश्विक विकास योजनाओं का मुख्य केंद्र था, अब उनके पेट्रोल-चालित लाइनअप के लिए बंजर भूमि बन गया है क्योंकि 2020 में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री 6.2% से बढ़कर पिछले साल 45% हो गई.
फोर्ड मोटर कंपनी
वहीं, 2010 के दशक में हावी रहे विदेशी ब्रांड तबाह हो गए हैं. 2017 में 10 ब्रांड रहे फोर्ड मोटर कंपनी और निसान मोटर कॉर्प की बिक्री में 81% और 45% की गिरावट आई है. फ़ोर्ड ज़ीकर और दीपल जैसे कम ही जाने-पहचाने स्थानीय इलेक्ट्रिक ब्रांडों से पीछे रह गया. वहीं, जनरल मोटर्स कंपनी विलुप्त होने की कगार पर है, इसी में ब्यूक की बिक्री में 66% की गिरावट आई है और शेवरले की बिक्री में 92% की गिरावट आई है, जबकि होंडा मोटर कॉर्प की बिक्री में 40% की गिरावट आई है. बता दें,कि 2017 में 21वीं सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी BYD ने पिछले साल चीन में 10 प्रमुख जापानी ब्रांडों की तुलना में अधिक कारें बेचीं.
भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया
अभी, स्कूटर और मोटरबाइक एक ऐसा बाजार है, जहां जापान बढ़ते जा रहा है. भारत और दक्षिण-पूर्व एशिया में बढ़ती आय के साथ, यह क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है: मैकिन्से एंड कंपनी का अनुमान है कि 2029 तक बिक्री में सालाना 8.7% की बढ़ोतरी होगी, जबकि इस दशक में कारों के लिए यह लगभग 1% है.
होंडा के पास पहले से ही इस वैश्विक बाजार का 40% हिस्सा है, और उसका अनुमान है कि 2030 तक बिक्री बढ़कर 60 मिलियन बाइक हो जाने पर यह इसे 50% तक बढ़ा सकता है. इस बदलाव का सबसे बड़ा आधार पिछले साल के अंत में भारत में एक्टिवा ई: की शुरुआत के साथ घोषित किया गया था, जो कि इसकी सबसे अधिक बिकने वाली स्थानीय बाइक का बैटरी से चलने वाला वेरिएंट है
अमेरिका का 'जीरो टैरिफ' का प्रस्ताव, क्या यह टेस्ला के लिए भारत में व्यापार का रास्ता खोलेगा?
7 Mar, 2025 10:47 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
एलन मस्क लंबे समय से भारत में एंट्री की तलाश कर रहे हैं. हाल ही रिपोर्ट्स की मानें तो भारत में उनकी एंट्री होने में महज कुछ ही महीने बचे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने भारत में टेस्ला के स्टोर खोलने और नौकरी के पोस्टर्स जारी कर दिए हैं. लेकिन उनकी एंट्री के बीच टैरिफ आ रहा है जो उनके लिए किसी मुसीबत से कम नहीं है. दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप की सरकार चाहती है कि भारत प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत ऑटोमोबाइल के इम्पोर्ट पर से टैरिफ हटा दे यानी भारत कार इम्पोर्ट पर जीरो टैरिफ कर दे. अगर भारत अमेरिका की ये डिमांड मान लेता है तो अमेरिका और भारत को क्या फायदा होगा और क्या इससे भारत में मस्क की टेस्ला एंट्री आसान हो जाएगी आइए जानते हैं.
टैरिफ कटौती पर विचार
रिपोर्ट में कुछ सूत्रों के हवाले से बताया गया कि भारत सरकार संभावित कटौती पर विचार कर रही है, लेकिन इसे पूरी तरह से हटा देने से हिचकिचा रही है. भारत दूसरे देशों से गाड़ियों के इम्पोर्ट पर 110 फीसदी टैरिफ लगाता है. जिसे टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने सबसे ज्यादा टैरिफ बताया था. इसी टैरिफ के चलते ही अमेरिकी EV कंपनी ने भारतीय बाजारों में आने से अपने प्लान को टाल दिया था. भारत ऑटोमोबाइल के सेक्टर में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मार्केट है.
अमेरिका को इस बात से ऐतराज
रिपोर्ट के मुताबिक, ऑटोमोबाइल पर भारत के इस भारी-भरकम टैरिफ को लेकर आने वाले समय में औपचारिक बातचीत हो सकती है. इसका सबसे बड़ा फायदा एलन मस्क की टेस्ला को मिल सकता है. टेस्ला की एंट्री भारत में लगभग-लगभग तय हो चुकी है कंपनी ने अपना पहला स्टोर भी मुंबई में खोलने जा रही है ऐसे में अगर भारत टैरिफ को खत्म कर देता है तो एलन मस्क को सबसे ज्यादा फयदा होगा.
टेस्ला की एंट्री होगी आसान
अगर भारत अपने ऑटोमोबाइल टैरिफ को पूरी तरह खत्म कर देता है तो टेस्ला और उसके जैसी कंपनियों की EV कारें सस्ते दामों पर मिलेंगी. मान लीजिए अगर टेस्ला की सबसे सस्ती कार, 20,000 डॉलर यानि 16.5 लाख रुपये है तो भारत में टैरिफ की वजह से दोगुनी महंगी हो जाती है. लेकिन अगर टैरिफ खत्म हो जाता है तो ये कार 20 लाख रुपये से कम दाम में मिलेगी.
अमेरिका भारत पर लगाएगा ये टैरिफ
हाल ही में ट्रंप ने भारत समेत कई देशों पर रेसिप्रोकाल टैरिफ लगाने का ऐलान किया है जो अगले महीने की 2 तारीख से लागू होगा. ट्रंप ने कहा है कि भारत यूएस ऑटोमोबाइल पर 100 फीसदी से भी ज्यादा टैरिफ लगाता है. ऐसे में अमेरिका भी अब 2 अप्रैल से भारत पर रेसिप्रोकल टैरिफ लगा सकता है.
मार्केट की गिरावट के बाद 2 दिनों में राहत, BSE मार्केट कैप 4 ट्रिलियन के करीब पहुंचा
7 Mar, 2025 10:39 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारतीय शेयर बाजार बीते 5 महीने में निवेशकों को खून के आंसू रुला दिए हैं. मार्केट इतना क्रैश हो गया है कि निवेशकों के करोड़ों रुपए स्वाहा हो गए हैं. लेकिन बीते 2 दिन से बाजार में अच्छी रिकवरी देखने को मिल रही है. इस रिकवरी से BSE में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप फिर से करीब 4 ट्रिलियन के करीब पहुंच गया है, जिससे निवेशकों की दौलत में 12 लाख करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या बाजार के अच्छे दिन अब आने वाले हैं?
2 दिन में 12 लाख करोड़ की कमाई
बाजार में बुधवार और गुरुवार को आई तेजी से निवेशकों की दौलत करीब 12 लाख करोड़ रुपये बढ़ गई. बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप बीते दिन 397,12,330 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जबकि मंगलवार को बाजार बंद होने के बाद ये 385,59,355 करोड़ रुपये था. इस तरह से निवेशकों की दौलत 2 कारोबारी दिनों में 11,52,975 करोड़ रुपये बढ़ गई. सबसे ज्यादा रिकवरी की बात करें तो स्मॉल कैप और मिड कैप स्टॉक्स में अच्छी खरीदारी बीते 2 दिनों में देखने को मिली है.
क्या बाजार के अच्छे दिन आने वाले हैं?
बाजार एक्सपर्ट्स की मानें तो फ़िलहाल ये कह पाना बहुत मुश्किल है कि भारतीय बाजार का बुरा दौर बीत गया है लेकिन एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगले महीने अप्रैल में कई बड़ी खबरें आएंगी जिनका सीधा असर बाजार पर पड़ेगा, ऐसे बाजार में उतार चढ़ाव जारी रहना स्वाभाविक है. अभी भी घरेलू निवेशक 5000 से 6000 करोड़ की खरीद कर ही रहे हैं जिससे बाजार को बूस्ट मिल रहा है. वहीं, अमेरिका ने भी रेसिप्रोकाल टैरिफ का ऐलान 2 अप्रैल से किया है.
बाजार में तेजी का कारण
चीन इंसेंटिव पैकेज उम्मीद- बाजार में निवेशकों को उम्मीद है कि चीन अपनी इकोनॉमी को रफ्तार देने के लिए नए इनसेंटिव पैकेज का ऐलान कर सकती है. जिसका सीधा असर बेस मेटल (तांबा, एल्युमिनियम) जैसी चीजों पर पड़ेगा और कीमतों में उछाल आएगा.
ग्लोबल मार्केट से अच्छे संकेत- ट्रंप ने मैक्सिको और कनाडा पर टैरिफ को एक महीने के लिए होल्ड कर दिया है जिसके चलते अमेरिकी बाजार और एशिआई बाजार गुलजार हैं.
डॉलर इंडेक्स में कमजोरी- अमेरिकी डॉलर इंडेक्स चार महीने के निचले स्तर 104.3 पर आ गया, जो भारत के लिए फायदे की बात है. अगर डॉलर में गिरावट जारी रही तो FIIs की बिकवाली कम हो जाएगी और बाजार में तेजी संभव हो जाएगी।
कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट- अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की कीमतें गिरकर 6 महीने के निचले स्तर पर आ गईं है, जिससे निवेशकों का सेंटीमेंट मजबूत हुआ है.
RBI के लिक्विडिटी सपोर्ट उपाय- RBI ने बैंकिंग सिस्टम में लिक्विडिटी बनाए रखने के लिए पिछले कुछ दिनों में कई कदम उठाए हैं. रिजर्व बैंक के इस फैसले से बैंकिंग और फाइनेंशियल शेयरों को काफी सपोर्ट मिला है.
Infineon-CDIL डील: भारत में सेमीकंडक्टर उत्पादन और तकनीकी विकास में होगी तेजी
7 Mar, 2025 10:31 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जर्मनी की सेमीकंडक्टर कंपनी इन्फिनियॉन ने भारत में पावर चिप की मैन्यूफैक्चरिंग के लिए सिलिकॉन वेफर की आपूर्ति के उद्देश्य से सीडीआईएल सेमीकंडक्टर्स के साथ अपना पहला समझौता किया है। कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। समझौते के तहत, इन्फिनियॉन सीडीआईएल को खाली सेमीकंडक्टर वेफर्स की आपूर्ति करेगी, जिसे भारतीय कंपनी संसाधित करेगी और असेंबली और पैकेजिंग के लिए उपयोग करेगी, ताकि पावर चिपसेट बनाया जा सके।
इन प्रोडक्ट्स में होता है यूज
इसका उपयोग बिजली इनवर्टर, सोलर टेक्नोलॉजी, ऑटो और रिन्यूएबल एनर्जी एप्लीकेशंस जैसे उत्पादों में किया जाता है। इन्फिनियॉन टेक्नोलॉजीज के एशिया प्रशांत क्षेत्र के चेयरमैन और एमडी सीएस चुआ ने समझौते पर साइन करने के बाद कहा, “इन्फिनियॉन सीडीआईएल को सिलिकॉन उपलब्ध कराएगी। भारत एक विशेष और बहुत बड़ा बाजार है, जहां हमें सीडीआईएल जैसे साझेदारों की जरूरत है, जो स्थानीय जरूरतों को समझते हों। यह अपनी तरह का पहला समझौता है, जिस पर हमने भारत में हस्ताक्षर किए हैं।”
कॉन्टिनेंटल डिवाइस इंडिया
वर्ष 1964 में स्थापित कॉन्टिनेंटल डिवाइस इंडिया (सीडीआईएल) भारत की पहली सेमीकंडक्टर मैन्यूफैक्चरर है, जो अलग सेमीकंडक्टर और सिलिकॉन कार्बाइड उपकरणों में विशेषज्ञता रखती है। सीडीआईएल के अध्यक्ष पंकज गुलाटी ने कहा, “इन्फिनियॉन की विश्वस्तरीय वेफर टेक्नोलॉजी को सीडीआईएल की उन्नत ओएसएटी क्षमताओं के साथ एकीकृत करके, हम इनोवेशन और लोकलाइजेशन में नए स्टैंडर्ड स्थापित कर रहे हैं। यह सहयोग ग्रोथ से कहीं आगे, इनोवेशन को बढ़ावा देता है। यह ‘मेक इन इंडिया’ को गति देता है और भारत को सेमीकंडक्टर उत्कृष्टता के केंद्र के रूप में स्थापित करता है।
कंपनियों का मुनाफा बढ़ा, निजी निवेश में सुधार की उम्मीद नहीं: क्रिसिल रिपोर्ट
7 Mar, 2025 10:26 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
घरेलू रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (Crisil) ने गुरुवार को कहा कि भारतीय उद्योग जगत का मुनाफा दशक के उच्चतम स्तर पर है। हालांकि, जबरदस्त मुनाफे के बावजूद प्राइवेट सेक्टर के पूंजीगत व्यय में सतत वृद्धि की उम्मीद नहीं है। एजेंसी ने कहा कि कमोडिटी की कीमतों में नरमी के कारण भारतीय उद्योग जगत का प्रॉफिट अगले वित्त वर्ष (2025-26) में लगातार तीसरे साल बढ़ने वाला है। बैंकिंग, फाइनेंस, तेल और गैस सेक्टर की कंपनियों को छोड़कर 800 कंपनियों के विश्लेषण से पता चलता है कि अगले वित्त वर्ष में कर-पूर्व लाभ मार्जिन (Pre-Tax Profit Margin) बढ़कर 20 प्रतिशत तक हो जाएगा।
पिछले कुछ सालों से अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा निवेश कर रही है सरकार
सरकार पिछले कुछ सालों से अर्थव्यवस्था में सबसे ज्यादा निवेश कर रही है और कॉरपोरेट पूंजीगत व्यय में भी सुधार की मांग उठ रही है। हालांकि, नई क्षमताएं बनाने के लिए निवेश करने के बजाय भारतीय उद्योग जगत ने कर्ज चुकाने और अन्य उपायों में खूब पैसा लगाया है, जबकि क्षमता उपयोग का स्तर ऊंचा है। क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डी. के. जोशी ने मीडिया के साथ बातचीत करते हुए कहा, “कंपनियों की निवेश करने की क्षमता इस समय निवेश करने की इच्छा से मेल नहीं खाती है।”
अगले वित्त वर्ष में बढ़कर 8 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी भारतीय कंपनियों की आय वृद्धि
डी. के. जोशी ने कहा कि अस्थिर वैश्विक माहौल की वजह से अनिश्चितताएं और घरेलू मांग में असमानता, ऐसे कारक हैं जो कंपनियों को निवेश करने से रोक रहे हैं। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने कहा कि भारतीय कंपनियों की आय वृद्धि अगले वित्त वर्ष में बढ़कर 8 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी, जबकि चालू वित्त वर्ष (2024-25) में इसके 6 प्रतिशत रहने का अनुमान है। एजेंसी ने इस बात पर जोर दिया कि ये बढ़ोतरी मूल्य वृद्धि के कारण नहीं बल्कि ज्यादा मात्रा के कारण होगी।