व्यापार
हर महीने बुढ़ापे में मिलेगी 5 हजार तक की पेंशन
17 Jan, 2025 09:35 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देशवासियों के हित में केन्द्र सरकार की ओर से कई योजनाओं का संचालन किया रहा है। उन्हीं में से एक अटल पेंशन योजना भी है, जिसके माध्यम से लोग 1 से लेकर 5 हजार रुपए प्रतिमाह तक की पेंशन हासिल कर सकते हैं।
केन्द्र सरकार की ओर से संचालित अटल पेंशन योजना का लाभ लेने के लिए पहले आपको निवेश करना होता है। इसके बाद लाभार्थी को 60 साल की उम्र के बाद हर महीने पेंशन मिलेगी। आप नजदीकी किसी बैंक की ब्रांच में जाकर योजना में अपना खाता खुलासा सकते हैं।
आपको यहां पर प्रीमियम के साथ ही प्लान का चयन करना होगा। इसके बाद आपको हर महीने कुछ राशि का निवेश करना होगा। फिर आप साठ साल के बाद 1 से लेकर 5 हजार रुपए प्रतिमाह तक की पेंशन हासिल करने के पात्र बन जाएंगे। इस पेंशन के शुरू होने के बाद आपको बुढ़ापे में किसी पर आर्थिक रूप से निर्भर नहीं रहना पड़ेगा।
केन्द्रीय कर्मचारियों की सैलरी में अब होगा बंपर इजाफा, मोदी सरकार ने दे दी है आठवें वेतन आयोग को मंजूरी
17 Jan, 2025 08:33 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
केन्द्रीय कर्मचारियों की सैलरी में बंपर इजाफा होने वाला है। केन्द्रीय बजट से पहले मोदी सरकार ने आज आठवें वेतन आयोग को मंजूरी देकर अपने कर्मचारियों को बड़ा तोहफा दिया है।
मोदी सरकार के इस कदम से लाखों-करोड़ों सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में बंपर इजाफा होने की पूरी संभावना है। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मोदी सरकार के इस फैसले की आज जानकारी दी है। अश्विनी वैष्णव ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया कि केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में संशोधन के लिए सरकार की ओर से 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दी गई है।
इस दौरान उन्होंने बताया कि 1947 से अब तक सात वेतन आयोग लागू हो चुके हैं। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस दौरान बताया कि 2016 में सातवां वेतन आयोग शुरू हुआ था, जो2026 तक चलना था, लेकिन उससे एक साल पहले ही केन्द्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग को मंजूर कर दिया गया है। सातवें वेतन आयोग सिफारिशों को मोदी सरकार द्वारा लागू किया था। नए साल में केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए ये किसी सौगात से कम नहीं है।
केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर, प्रधानमंत्री ने 8वें वेतन आयोग को दी मंजूरी
16 Jan, 2025 04:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर है। साल की शुरुआत होते ही केंद्र सरकार की तरफ से खुशखबरी मिली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दे दी है। 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल 2026 तक होगा। लेकिन, उसके बाद 8वें वेतन आयोग का गठन किया जाएगा। केंद्रीय कर्मचारियों की यह मांग ऐसे समय पूरी हुई है, जब बार-बार यह आशंका जताई जा रही थी कि 8वां वेतन आयोग नहीं आएगा। पहले से ही माना जा रहा था कि 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल खत्म होने के बाद ही 8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी मिलेगी। नया वेतन आयोग बनेगा और वेतन संशोधन भी होगा। हालांकि, इसे कब लागू किया जाएगा, इसकी कोई डेडलाइन नहीं है।
लेबर यूनियन की तरफ से लगातार बढ़ रहे दबाव के चलते सरकार ने उन्हें खुश कर दिया है। अगले वेतन आयोग के गठन पर फैसला हो गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे मंजूरी दे दी है। अभी तक 8वें वेतन आयोग को लेकर संशय बना हुआ था। अब 7वें वेतन आयोग के बाद अगले वेतन आयोग की तैयारी की जा रही है। सरकार ने भी इसकी पुष्टि कर दी है।
केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में आएगा भारी उछाल
सूत्रों की मानें तो सैलरी में सबसे बड़ा इजाफा होगा। इतना जरूर कहा जा सकता है कि मामला आगे बढ़ रहा है। सूत्र यह भी बताते हैं कि नए वेतन आयोग में क्या आएगा और क्या नहीं, यह कहना अभी जल्दबाजी होगी। क्योंकि, इसकी पूरी जिम्मेदारी वेतन आयोग के चेयरमैन की होगी। नए वेतन आयोग के चेयरमैन की घोषणा भी साल 2026 में की जा सकती है। उनकी देखरेख में कमेटी बनेगी और उसके बाद सैलरी बढ़ाने के लिए कौन सा फॉर्मूला अपनाया जाए, इसकी तस्वीर साफ हो सकती है।
8वें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी मिल गई है। अब इसका गठन साल 2026 से पहले हो जाएगा। 7वें वेतन आयोग का कार्यकाल खत्म होने के बाद इसकी सिफारिशों को लागू किया जाएगा। जानकारों के मुताबिक, अगर ऐसा होता है तो केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में भारी उछाल आने की संभावना है। 7वें वेतन आयोग के मुकाबले 8वें वेतन आयोग में कई बदलाव संभव हैं। फिटमेंट फैक्टर को लेकर भी कुछ बदलाव हो सकते हैं। आपको बता दें, अब तक सरकार 10 साल में एक बार वेतन आयोग का गठन करती है।
कितनी बढ़ेगी सैलरी?
7वें वेतन आयोग के मुकाबले 8वें वेतन आयोग में कर्मचारियों की लॉटरी लगने वाली है। अगर सब कुछ ठीक रहा तो कर्मचारियों की सैलरी में सबसे बड़ा उछाल आने की उम्मीद है। कर्मचारियों का फिटमेंट फैक्टर बढ़कर 3.68 गुना हो जाएगा। साथ ही फॉर्मूला जो भी हो, कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में 44.44% का इजाफा हो सकता है।
अर्थशास्त्रियों का अनुमान, 2025 में विश्व अर्थव्यवस्था कमजोर रहेगी, लेकिन भारत का झंडा ऊंचा रहेगा
16 Jan, 2025 03:13 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दुनिया भर के ज्यादातर प्रमुख अर्थशास्त्रियों का मानना है कि 2025 में विश्व अर्थव्यवस्था कमजोर रहेगी, हालांकि भारत मजबूत वृद्धि बनाए रखेगा। गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, हाल ही में एकत्रित मुख्य अर्थशास्त्रियों के दृष्टिकोण में, विश्व आर्थिक मंच ने कहा है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था 2025 में महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है, सर्वेक्षण में शामिल 56 प्रतिशत मुख्य अर्थशास्त्रियों ने स्थितियों के कमजोर होने की उम्मीद जताई है। केवल 17 प्रतिशत ने सुधार की उम्मीद जताई है।
यूरोप के लिए दृष्टिकोण निराशाजनक
खबरों के मुताबिक, 2025 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था के मजबूत रूप से बढ़ने की उम्मीद है, और दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारत में भी मजबूत वृद्धि बनाए रखने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोप के लिए दृष्टिकोण निराशाजनक बना हुआ है, जिसमें 74 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस साल कमजोर या बहुत कमजोर वृद्धि की सूचना दी है। चीन के लिए भी संभावनाएं मजबूत होती नहीं दिख रही हैं। डब्ल्यूईएफ ने दुनिया भर के सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के प्रमुख मुख्य अर्थशास्त्रियों के साथ परामर्श और सर्वेक्षणों के आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट में कहा कि आने वाले वर्षों में विकास धीरे-धीरे धीमा होने की उम्मीद है। दक्षिण एशिया की स्थिति बेहतर है
दक्षिण एशिया की स्थिति बेहतर बनी हुई है, 61 प्रतिशत मुख्य अर्थशास्त्रियों को 2025 में मजबूत या बहुत मजबूत वृद्धि की उम्मीद है। यह क्षेत्रीय प्रदर्शन मुख्य रूप से भारत में मजबूत वृद्धि से प्रेरित है, जो दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी हुई है। हालाँकि, अब कुछ गति खोने के संकेत हैं। भारत के लिए नवीनतम राष्ट्रीय खाता डेटा 2024 की तीसरी तिमाही में साल-दर-साल जीडीपी वृद्धि 5.4 प्रतिशत की ओर इशारा करता है, जो लगभग दो वर्षों में सबसे धीमी दर है, जिसके कारण केंद्रीय बैंक ने दिसंबर में अपने वार्षिक विकास पूर्वानुमान को कम कर दिया है।
48% को वैश्विक व्यापार की मात्रा में भी वृद्धि की उम्मीद है
चीन की आर्थिक वृद्धि धीमी होने का अनुमान है, क्योंकि सुस्त उपभोक्ता मांग और घटती उत्पादकता के कारण वैश्विक सुधार की प्रकृति असमान और अनिश्चित बनी हुई है। व्यापार परिदृश्य पर, लगभग आधे या 48 प्रतिशत मुख्य अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि 2025 में वैश्विक व्यापार की मात्रा में वृद्धि होगी, जो वैश्विक वाणिज्य के लचीलेपन को रेखांकित करता है। अधिकांश को प्रमुख शक्तियों के बीच व्यापार तनाव में वृद्धि और बढ़ते व्यापार तनाव के बीच वृद्धि की उम्मीद है। लगभग 82 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने अगले तीन वर्षों में व्यापार के अधिक क्षेत्रीयकरण की भविष्यवाणी की है।
नॉन-मेट्रो इलाकों में कार्ड खर्च में 175 प्रतिशत बढ़ा, मेट्रो शहरों के मुकाबले ज्यादा
16 Jan, 2025 11:45 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई । भारत में डिजिटल पेमेंट्स का दायरा दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है, और इसका सबसे बड़ा फायदा नॉन-मेट्रो शहरों को हो रहा है।ताजा रिपोर्ट के अनुसार, 2019 से 2024 के बीच नॉन-मेट्रो इलाकों में कार्ड खर्च में 175 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इस बदलाव का मुख्य कारण डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार, उपभोक्ताओं की बदलती आदतें और आय का बढ़ता स्तर है। रिपोर्ट के मुताबिक, कैटेगरी बी और कैटेगरी सी+ शहरों में क्रेडिट कार्ड खर्च में चार गुना बढ़ा है, जो मेट्रो शहरों के मुकाबले कहीं ज्यादा है।
तिरुचिरापल्ली, भुवनेश्वर और जयपुर जैसे कैटेगरी बी शहरों के साथ तिरुपुर और सांगली जैसे छोटे शहर भी इस डिजिटल क्रांति में पीछे नहीं हैं। इन इलाकों में ऑनलाइन शॉपिंग, गेमिंग, यात्रा और ऑनलाइन शिक्षा जैसे क्षेत्रों में खर्च तेजी से बढ़ा है.। खासकर कैटेगरी सी+ शहरों में, ऑनलाइन खर्च का हिस्सा 53 प्रतिशत से बढ़कर 73 प्रतिशत हो गया है। गेमिंग पर खर्च में 16 गुना और डिजिटल कंटेंट खपत में 9 गुना की बढ़ोतरी बदलाव की पुष्टि करते है।
हालांकि डिजिटल पेमेंट्स में उछाल के बावजूद, इन इलाकों में औपचारिक क्रेडिट की पहुंच अब भी कम है। 2019 में, कैटेगरी बी प्लस शहरों में क्रेडिट की पहुंच सिर्फ 10.5 प्रतिशत थी, जबकि मेट्रो शहरों में इसका आंकड़ा 42.4 प्रतिशत था। विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक बड़ा मौका है। छोटे शहरों के उपभोक्ता लचीले ऋण विकल्प, आकर्षक रिवॉर्ड प्रोग्राम और बहुभाषी वित्तीय उत्पादों की मांग कर रहे हैं। डिजिटल पेमेंट्स का यह तेजी से बढ़ता रुझान छोटे शहरों को न केवल तकनीकी रूप से सशक्त बना रहा है, बल्कि उनके आर्थिक विकास को भी नई दिशा दे रहा है।
वेदांता लिमिटेड की अगले माह बड़ी बैठक, कंपनी को पांच अलग-अलग कारोबार में बढ़ने पर फैसला
16 Jan, 2025 10:44 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई । वेदांता लिमिटेड के क्रेडिटर्स अगले महीने बैठक में कंपनी की रिस्ट्रक्चरिंग प्लान पर अंतिम फैसला देगा। योजना के तहत कंपनी को पांच अलग-अलग कारोबार में बांटा जाएगा। यह कदम कंपनी की संरचना को सरल बनाने और उसके कर्ज भार को कम करने की योजना का हिस्सा होगा। जानकारी के अनुसार, बैठक कोर्ट के आदेश पर 18 फरवरी को आयोजित होगी, जिसमें योजना के विवरण पर चर्चा होगी। अगर कंपनी के क्रेडिटर्स प्रस्ताव को मंजूरी देते हैं, तब इस शेयरधारकों की स्वीकृति के लिए आगे बढ़ाया जाएगा।
वेदांता लिमिटेड ने 2023 के अंत में अपने रिस्ट्रक्चरिंग प्लान की घोषणा की थी। योजना के तहत एल्यूमिनियम, तेल और गैस, पावर और स्टील जैसे व्यवसायों को अलग-अलग कंपनियों के रूप में लिस्ट किया जा सकता है। इस पहल का उद्देश्य कंपनी के मूल्यांकन में सुधार करना और इसकी मूल कंपनी, वेदांता रिसोर्सेज, पर बढ़ते कर्ज को कम करना है।
पिछले साल वेदांता के 75 प्रतिशत सुरक्षित लेनदारों ने एक योजना को मंजूरी दी थी। अब, कंपनी ने अपने कारोबार को अलग-अलग यूनिट्स में बांटने की योजना तैयार की है। इसमें एल्युमीनियम, तेल और गैस, पावर, स्टील और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्रों पर फोकस होगा। सेमीकंडक्टर यूनिट को कंपनी के मौजूदा कारोबार के साथ ही इलेक्ट्रॉनिक्स और तांबे की संपत्तियों के साथ रखा जाएगा। योजना को आगे बढ़ाने के लिए फरवरी में 75 प्रतिशत कर्जदाताओं की फिर से मंजूरी लेनी होगी। बैठक की तारीख और डील की संरचना पर अभी चर्चा चल रही है, और इनमें बदलाव संभव है। कंपनी के एक प्रतिनिधि ने इस पर टिप्पणी करने से मना कर दिया।
मेटा ने कहा, अपनी कुछ सुविधाओं को रोल बैक या रोक सकते
16 Jan, 2025 09:39 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । मेटा को भारत में एंटीट्रस्ट निर्देश के चलाते अपनी कुछ सुविधाओं को रोल बैक या रोकने की नौबत आ सकती है। इस निर्देश के तहत मेटा की व्हाट्सएप मैसेजिंग सेवा को उपयोगकर्ता डेटा को मेटा के साथ विज्ञापन उद्देश्यों के लिए साझा करने से रोका गया है। यह जानकारी मेटा के अदालत में दायर किए गए दस्तावेज में दी है। मेटा ने भारत की प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के नवंबर 2024 के आदेश को चुनौती दी है, इसमें कहा गया था कि कंपनी ने अपने प्रभुत्व का दुरुपयोग कर 2021 की प्राइवेसी पॉलिसी के माध्यम से व्हाट्सएप उपयोगकर्ताओं को अधिक डेटा संग्रह और साझाकरण के लिए मजबूर किया। इस आदेश के तहत सीसीआई ने मेटा पर 24.5 मिलियन डॉलर का जुर्माना और डेटा साझाकरण पर पांच साल का प्रतिबंध लगाया। मेटा का कहना है कि इस प्रतिबंध से फेसबुक और इंस्टाग्राम पर उपयोगकर्ताओं को व्यक्तिगत विज्ञापन दिखाने की उनकी क्षमता सीमित होगी। मेटा के मुताबिक, डेटा साझाकरण के बिना भारतीय उपयोगकर्ता के लिए व्यक्तिगत विज्ञापन उपलब्ध कराना मुश्किल होगा। मेटा ने कहा कि यह प्रतिबंध उसके व्यवसाय के लिए आर्थिक रूप से नुकसानदायक होगा है। भारत, जहां फेसबुक के 350 मिलियन उपयोगकर्ता और व्हाट्सएप के 500 मिलियन उपयोगकर्ता हैं, मेटा का सबसे बड़ा बाजार है।
सीसीआई ने व्हाट्सएप को आदेश दिया है कि वे उपयोगकर्ताओं को विकल्प दे कि वे अपना डेटा मेटा के साथ साझा करना चाहते हैं या नहीं। व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी के कारण उपयोगकर्ताओं के पास सेवा खोने का जोखिम था यदि वे डेटा साझा करने की शर्तों को स्वीकार नहीं करते। मेटा को भारतीय एंटीट्रस्ट मामले के अलावा वैश्विक स्तर पर भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मेटा ने तर्क दिया कि सीसीआई को यह निर्णय लेने से पहले मेटा और व्हाट्सएप से सलाह लेनी चाहिए थी। मामले की सुनवाई इस सप्ताह गुरुवार को भारतीय अपीलीय न्यायाधिकरण में शुरू होगी लेकिन यह प्रक्रिया महीनों तक चल सकती है।
हल्दीराम को खरीदने की दौड़ में शामिल हुई अमेरिकी कंपनी पेप्सिको
16 Jan, 2025 08:36 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई । स्नैक्स और मिठाइयां बनाने वाली दिग्गज कंपनी हल्दीराम में हिस्सेदारी खरीदने को होड़ दिलचस्प होती जा रही है। अमेरिकी दिग्गज कंपनी पेप्सिको भी हल्दीराम को खरीदने की दौड़ में शामिल हो गई है। सूत्रों के मुताबिक कंपनी के अधिकारी हल्दीराम स्नैक्स फूड में हिस्सेदारी खरीदने के लिए सीधे प्रमोटर अग्रवाल फैमिली से चर्चा कर रहे हैं। पेप्सिको के अलावा सिंगापुर की कंपनी टेमासेक और अल्फा वेव ग्लोबल भी हल्दीराम में हिस्सेदारी खरीदने की होड़ में शामिल हैं। इन दोनों कंपनियों ने हल्दीराम में 10-15 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने के लिए ऑफर दिया है।
सूत्रों के मुताबिक न्यूयॉर्क में पेप्सिको हेडक्वार्टर के अधिकारियों ने हाल के दिनों हल्दीराम में माइनोरिटी स्टेक खरीदने के लिए अग्रवाल परिवार के सदस्यों के साथ सीधे बात की है। हालांकि बातचीत अभी शुरुआती स्तर पर है और संभव है कि यह अंजाम तक न पहुंचे। माना जा रहा है कि अगर यह डील आगे बढ़ती है, तब इसमें फंडिंग भी अमेरिका की मूल कंपनी करेगी। पेप्सिको की भारतीय यूनिट की इसमें ज्यादा भूमिका नहीं है। अग्रवाल फैमिली 85,000-90,000 करोड़ रुपये की वैल्यूएशन की उम्मीद कर रही है।
लेज चिप्स, कुरकुरे नमकीन स्नैक्स और डोरिटोस नाचो चिप्स बनाने वाली कंपनी पेप्सिको को भारतीय स्नैक्स बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय कंपनियों और डायरेक्ट टू कंज्यूमर कंपनियों की संख्या में काफी तेजी आई है। इसमें हल्दीराम, बीकानेरवाला, बालाजी और लिस्टेड कंपनियों बीकाजी फूड्स, गोपाल स्नैक्स और प्रताप स्नैक्स शामिल हैं। साथ ही एथनिक स्नैक्स कंपनियों की भी बाजार में भरमार है। इनमें से ज्यादातर की कीमत जाने-माने ब्रांड्स के कम है। वे डायरेक्ट डिस्ट्रीब्यूशन करते हैं और रिटेलर्स को ज्यादा लाभ देते हैं।
पेप्सिको की वेस्टर्न स्नैक्स मार्केट चिप्स और नाचोस में लगभग 24 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है। लेकिन नमकीन, भुजिया और चना चूर जैसे लोकल स्नैक्स में कंपनी अभी भी बहुत पीछे है। यह वजह है कि कंपनी हल्दीराम को अपने साथ लाना चाहती है। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज के आंकड़ों के अनुसार, पेप्सिको इंडिया होल्डिंग्स ने अप्रैल से दिसंबर 2023 की नौ महीने की अवधि के लिए 5,954.16 करोड़ रुपये का कंसोलिडेटेड रेवेन्यू हासिल किया। इसी अवधि में पेप्सिको के स्नैक्स बिजनस का रेवेन्यू 4,763.29 करोड़ रुपये रहा। हल्दीराम स्नैक फूड्स ने वित्त वर्ष 2024 में 12,800 करोड़ रुपये का रेवेन्यू दर्ज किया, जो पेप्सिको से करीब दोगुना है। यह 500 प्रकार के स्नैक्स, नमकीन, मिठाइयां, रेडी टू ईट और प्री-मिक्स्ड फूड बनाती और डिस्ट्रीब्यूट करती है।
वित्त वर्ष 25 में जीडीपी वृद्धि धीमी होकर 6.4 फीसदी रहने का अनुमान
15 Jan, 2025 02:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई । भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि वित्त वर्ष 2024-25 में तेजी से धीमी होकर 6.4 फीसदी रहने का अनुमान है, जो पिछले वित्त वर्ष 2023-24 में 8.2 फीसदी की वृद्धि से काफी कम है। यह वृद्धि दर चार साल का सबसे कम स्तर है और आरबीआई के 6.6 फीसदी अनुमान से भी नीचे है, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में चिंता बढ़ रही है। इन्फोमेरिक्स रेटिंग्स के एक अर्थशास्त्री के अनुसार भारतीय जीडीपी में 6.4 फीसदी की वृद्धि होने का अनुमान है, जो वित्त वर्ष 24 में 7.2 फीसदी थी। यह महामारी के बाद से सबसे धीमी वृद्धि दर है और प्रमुख क्षेत्रों में मंथन को दर्शाता है। कृषि क्षेत्र में 3.8 फीसदी की वृद्धि, जबकि विनिर्माण, खनन, निर्माण और बिजली क्षेत्र में धीमी वृद्धि का अनुमान है। विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि 5.3 फीसदी रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के 9.9 फीसदी से कम है, जबकि खनन क्षेत्र में 2.9 फीसदी और निर्माण क्षेत्र में 8.6 फीसदी की वृद्धि का अनुमान है। इसका असर खासकर विनिर्माण क्षेत्र में देखा जा सकता है, जो धीमी अर्थव्यवस्था से प्रभावित हो सकता है। आगे चलकर विदेशी संस्थागत निवेशक का रुख भी प्रभावित हो सकता है, क्योंकि मंदी का डर और कंपनियों के मुनाफे में गिरावट का असर बाजार पर पड़ेगा।
चालू वित्त वर्ष में देश के प्रत्यक्ष कर संग्रह में अच्छी बढ़ोतरी
15 Jan, 2025 02:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष में देश के प्रत्यक्ष कर संग्रह में अच्छी बढ़ोतरी देखी गई है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के आंकड़ों के मुताबिक 12 जनवरी 2025 तक शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 15.88 फीसदी बढ़कर लगभग 16.90 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। इसमें व्यक्तिगत आयकर से जुड़ा गैर-कंपनी कर संग्रह 8.74 लाख करोड़ रुपए से अधिक रहा। इसके साथ ही शुद्ध कॉरपोरेट कर संग्रह लगभग 7.68 लाख करोड़ रुपए और प्रतिभूति लेनदेन कर संग्रह 44,538 करोड़ रुपए दर्ज किया गया। इस अवधि के दौरान 3.74 लाख करोड़ रुपए से अधिक के रिफंड जारी किए गए। यह एक साल पहले इसी अवधि की तुलना में 42.49 प्रतिशत अधिक है। एक अप्रैल से 12 जनवरी के बीच सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 20 प्रतिशत बढ़कर 20.64 लाख करोड़ रुपए से अधिक रहा है। सरकार ने चालू वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष करों से 22.07 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है। इसमें 10.20 लाख करोड़ रुपए का कॉरपोरेट कर संग्रह, 11.87 लाख करोड़ रुपए का व्यक्तिगत आयकर और अन्य कर शामिल हैं। नॉन-कॉरपोरेट टैक्स में तेजी देखी गई है। इसमें पर्सनल इनकम टैक्स भी शामिल है। कुल संग्रह बढ़कर 10.45 लाख करोड़ रुपए रहा जो पिछले साल समान अवधि में 8.58 लाख करोड़ रुपए था। इस सेगमेंट में नेट कलेक्शन में 15.88 फीसदी तेजी के साथ 8.74 लाख करोड़ रुपए पहुंच गया जो पिछले साल 7.19 लाख करोड़ रुपए था। डायरेक्ट टैक्स में कॉरपोरेट टैक्स, पर्सनल इनकम टैक्स, सिक्योरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स, इक्विलाइजेशन लेवी, फ्रिंज बेनिफिट्स टैक्स, वेल्थ टैक्स, बैंकिंग कैश ट्रांजैक्शन टैक्स, होटल रिसीट टैक्स, इंटरेस्ट टैक्स, एक्सपेंडीचर टैक्स, एस्टेट ड्यूटी और गिफ्ट टैक्स आते हैं।
दिसंबर 2024 में थोक मुद्रास्फीति बढ़कर हुई 2.37 प्रतिशत
15 Jan, 2025 02:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । विनिर्मित उत्पादों के महंगे होने की वजह से थोक मूल्य आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर 2024 में बढ़कर 2.37 प्रतिशत हो गई। हालांकि, खाद्य वस्तुओं की कीमतों में गिरावट देखी गई है। मंगलवार को सरकारी आंकड़ें जारी किए गए हैं जिनसे यह जानकारी मिली है। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति नवंबर 2024 में 1.89 प्रतिशत थी। दिसंबर 2023 में यह 0.86 प्रतिशत रही थी। आंकड़ों के अनुसार खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति दिसंबर 2024 में कम होकर 8.47 प्रतिशत रह गई, जबकि नवंबर में यह 8.63 प्रतिशत थी। सब्जियों की मुद्रास्फीति नवंबर में 28.57 प्रतिशत के मुकाबले दिसंबर में 28.65 प्रतिशत रही। आलू की मुद्रास्फीति 93.20 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बनी रही और प्याज की मुद्रास्फीति दिसंबर में बढ़कर 16.81 प्रतिशत हो गई। खाद्य पदार्थों में अनाज, दालें, गेहूं की मुद्रास्फीति दिसंबर में कम हुई। ईंधन और बिजली के मामले में बात की जाए तो दिसंबर में मुद्रास्फीति घटकर 3.79 प्रतिशत हो गई जो नवंबर में 5.83 प्रतिशत थी। विनिर्मित वस्तुओं में मुद्रास्फीति 2.14 प्रतिशत रही, जबकि नवंबर में यह दो प्रतिशत थी। खुदरा मुद्रास्फीति के सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार खाद्य कीमतों में कमी के कारण उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर 2024 में चार महीने के निचले स्तर 5.22 प्रतिशत पर आ गई।
कच्चा तेल 80 डॉलर के पार, पेट्रोल-डीजल स्थिर
15 Jan, 2025 02:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव का दौर जारी है। इसी आधार पर देशभर में पेट्रोल-डीजल की कीमत तय की जाती है। हालांकि लंबे समय से राष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। मंगलवार को पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई फेरबदल देखने को नहीं मिला है। हालांकि, राज्य स्तर पर कीमतों में मामूली बदलाव देखा गया है। वैश्विक बाजार में कच्चा तेल 80 डॉलर के पार है। ब्रेंट क्रूड 80.75 डॉलर प्रति बैरल है, जबकि डब्ल्यूटीआई :क्रूड 78.63 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है। वहीं सरकारी तेल कंपनियों ने मंगलवार को भी सभी महानगरों में पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर ही रखी हैं।
क्वाड्रेंट फ्यूचर का शेयर 29 फीसदी तेजी के साथ सूचीबद्ध
15 Jan, 2025 11:32 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। क्वाड्रेंट फ्यूचर टेक लिमिटेड का शेयर अपने निर्गम मूल्य 290 से 29 फीसदी की तेजी के साथ मंगलवार को बाजार में सूचीबद्ध हुआ। बीएसई पर शेयर 28.96 प्रतिशत चढ़कर 374 रुपये पर सूचीबद्ध हुआ और बाद में 54.74 प्रतिशत की बढ़त के साथ 448.75 रुपये पर पहुंच गया। एनएसई पर इसने 27.58 प्रतिशत की बढ़त के साथ 370 रुपये पर शुरुआत की। कंपनी का बाजार पूंजीकरण 1,795 करोड़ रुपये रहा। क्वाड्रेंट फ्यूचर टेक लिमिटेड के 290 करोड़ रुपये के आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) कि पिछले गुरुवार को बोली के अंतिम दिन 185.82 गुना अभिदान मिला था। कंपनी ने आईपीओ के लिए 275-290 रुपये प्रति शेयर का मूल्य दायरा तय किया था। आईपीओ पूर्णतः 290 करोड़ रुपये तक के नए शेयर का निर्गम था जिसमें कोई बिक्री पेशकश (ओएफएस) नहीं थी। क्वाड्रेंट एक शोध कंपनी है, जो भारतीय रेलवे की ‘कवच’ परियोजना के तहत नई पीढ़ी के ट्रेन नियंत्रक तथा ‘सिग्नलिंग सिस्टम’ विकसित करती है।
भारत वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र विश्व में तीसरे स्थान पर: रिपोर्ट
14 Jan, 2025 04:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । भारतीय वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने 2024 में मंदी का सामना करते हुए भी वैश्विक स्तर पर तीसरे स्थान पर अपनी प्रतिष्ठा कायम रखी है। इस क्षेत्र में हालात में 33 प्रतिशत की गिरावट आई है, जिससे वित्त पोषण में 1.9 अरब डॉलर की कमी आई है। एक मार्केट इंटेलिजेंस कंपनी की रिपोर्ट के अनुसार, भू-राजनीतिक प्रतिकूलताओं और व्यापक मंदी के कारण इस क्षेत्र में वित्त पोषण में कमी आई है। इसके बावजूद, भारतीय वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने 2024 में सिर्फ अमेरिका और ब्रिटेन के पीछे रहकर तीसरी पोजीशन बनाए रखी है। कंपनी की सह-संस्थापक ने कहा कि भारत का वित्तीय प्रौद्योगिकी परिदृश्य मजबूत है और मंदी के बावजूद यह क्षेत्र भले ही कठिनाइयों का सामना कर रहा हो, लेकिन उसकी फलने-फूलने की क्षमता को रेखांकित करता है। वित्तीय प्रौद्योगिकी क्षेत्र में 2024 में दो नए ‘यूनिकॉर्न’ कंपनियाँ उभरी हैं, जिनका मूल्यांकन अरब डॉलर के ऊपर है, आठ आईपीओ आए जो 2023 के दो आईपीओ की तुलना में 300 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अगस्त में फिनटेक एसोसिएशन फॉर कंज्यूमर एम्पावरमेंट (एफएसीई) को स्व-नियामक संगठन (सेल्फ-रेगुलेटरी ऑर्गनाइजेशन) का दर्जा दिया, जो देश में डिजिटल लोन देने वाले लगभग 80 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करने वाली बॉडी है।
2024 में ब्रिकी बढ़ने से ग्लोबल स्मार्टफोन मार्केट ने जबरदस्त वापसी
14 Jan, 2025 04:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई । ग्लोबल स्मार्टफोन मार्केट में 2024 में बिक्री को लेकर सालाना आधार पर 4 प्रतिशत की वृद्धि के साथ एक जबरदस्त वापसी हुई। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। पिछले वर्षों की तुलना में ग्राहकों का रुझान बेहतर रहा। रिसर्च के अनुसार, इसके पहले 2023 में स्मार्टफोन की बिक्री एक दशक में सबसे कम रही। रिसर्च डायरेक्टर ने कहा, स्मार्टफोन एक जरूरी प्रोडक्ट है, जो लोगों के रोजाना की जिंदगी का एक अहम हिस्सा है। जैसे-जैसे मैक्रोइकोनॉमिक दबाव कम हुआ, बाजार ने 2023 की चौथी तिमाही से रिकवरी की हैं और अब लगातार पांच तिमाहियों से बढ़ रहा है। यूरोप, चीन और लैटिन अमेरिका के नेतृत्व में लगभग सभी मार्केट में वृद्धि देखी गई।
सैमसंग ने 2024 में बाजार का नेतृत्व करना जारी रखा। कंपनी की एस24 सीरीज और ए-सीरीज प्रोडक्ट लाइनों की मजबूत मांग रही। रिपोर्ट के अनुसार, एस24 सीरीज एआई डिवाइस के रूप में पेश किया गया पहला फोन है, इस फोन ने अपने पिछले सभी मॉडल से बेहतर प्रदर्शन किया। पश्चिमी यूरोप और अमेरिका में फोन को खास तौर पर अच्छी प्रतिक्रिया मिली। 18 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ एप्पल ने दूसरा स्थान मिला। एप्पल की आईफोन 16 सीरीज को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली, जिसका कारण लांच के समय एप्पल इंटेलिजेंस की उपलब्धता की कमी थी। हालांकि, एप्पल ने लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और एशिया-प्रशांत-अन्य जैसे अपने गैर-प्रमुख बाजारों में मजबूती से विकास जारी रखा। शाओमी ने 2024 में शीर्ष पांच ब्रांडों में सबसे तेजी से विकास किया।
रिपोर्ट में बताया गया है, ओप्पो सालाना गिरावट के साथ चौथे स्थान पर आया, लेकिन ओप्पो ने साल का अंत मजबूत के साथ किया। भारत और चीन में मजबूत प्रदर्शन के कारण वीवो टॉप पांच में शामिल हुआ। रिपोर्ट के अनुसार, जबकि जेनएआई-इनेबल्ड स्मार्टफोन अभी प्रीमियम सेगमेंट तक ही सीमित हैं, हम उम्मीद करते हैं कि जेनएआई मिड-रेंज डिवाइस के लिए भी एक मानक बन जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2028 तक, हमें उम्मीद है कि 250 डॉलर से ज्यादा कीमत वाले 10 में से नौ स्मार्टफोन जेनएआई-इनेबल्ड हो सकते है। अल्ट्रा-प्रीमियम स्मार्टफोन ( जिनकी कीमत 1000 डॉलर से ज्यादा) की बिक्री 2024 में सबसे तेजी से बढ़ी, क्योंकि कंज्यूमर ने अपने अगले स्मार्टफोन पर ज्यादा खर्च करने को प्राथमिकता दी। रिपोर्ट में कहा गया, 2025 में, हमें उम्मीद है कि राजस्व वृद्धि वॉल्यूम वृद्धि से आगे निकल जाएगी, जिसमें राजस्व में सालाना आधार पर 8 प्रतिशत की ग्रोथ दिखेगी।