व्यापार
होंडा की बाइक 2025 शाइन 125 लॉन्च
16 Feb, 2025 06:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । भारतीय बाजार में होंडा ने अपनी नई बाइक 2025 शाइन 125 लॉन्च कर दी है। इसका मुकाबला बजाज, हीरो मोटोकॉर्प और टीवीएस जैसी कंपनियों की 125सीसी बाइक्स से होगा। 2025 होंडा शाइन 125 में 123.94सीसी का सिंगल सिलेंडर इंजन दिया गया है, जो 10.6 बीएचपी की पावर और 11 एनएम का टॉर्क जेनरेट करता है। इसमें आइडल स्टॉप सिस्टम दिया गया है, जो ट्रैफिक सिग्नल पर रुकने पर इंजन को ऑटोमैटिक बंद कर देता है और क्लच दबाते ही दोबारा स्टार्ट हो जाता है। इससे माइलेज बेहतर होता है।
होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया के सेल्स और मार्केटिंग डायरेक्टर योगेश माथुर ने कहा कि नई शाइन 125 भारतीय ग्राहकों की जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। यह ओबीडी2बी कंप्लायंट इंजन, डिजिटल इंस्ट्रूमेंट क्लस्टर और यूएसबी सी-टाइप चार्जिंग पोर्ट जैसी आधुनिक सुविधाओं के साथ आती है। कंपनी को उम्मीद है कि यह बाइक अपने सेगमेंट में एक नया मानक स्थापित करेगी और ग्राहकों को पसंद आएगी। यह बाइक दो वेरिएंट्स ड्रम ब्रेक और डिस्क ब्रेक में पेश की गई है। ड्रम ब्रेक वेरिएंट की कीमत रुपए 84,493 और डिस्क ब्रेक वेरिएंट की कीमत रुपए 89,245 (एक्स-शोरूम) रखी गई है।
निसान को होंडा ने दिया भाव, ऑटोमोबाइल सेक्टर की बड़ी डील होते-होते रह गई
16 Feb, 2025 05:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
टोक्यो। जापानी ऑटोमोबाइल कंपनियां निसान और होंडा के बीच होने वाली मर्जर डील रद्द हो गई है। दोनों कंपनियों ने समझौते पर आगे न बढ़ाने का फैसला किया है। पिछले साल 23 दिसंबर को दोनों कंपनियों ने मर्जर के लिए मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) साइन किया था। हालांकि दोनों कंपनियां इलेक्ट्रिक गाड़ियों को लेकर अपनी साझेदारी को जारी रखने को राजी हुई है। अगर दोनों कंपनियों के बीच विलय हो जाता तब 60 बिलियन डॉलर (करीब 5.21 लाख करोड़ रुपये) वैल्यू वाला ग्रुप बनता, जोकि टोयोटा, फॉक्सवैगन और हुंडई के बाद दुनिया का चौथा सबसे बड़ा ऑटोमोबाइल ग्रुप होगा। लेकिन ऐसा हो नहीं सका।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, डील से पीछे हटने का फैसला निसान ने लिया, क्योंकि होंडा चाहती थी कि निसान उसकी सहायक कंपनी बने। इस कारण दोनों कंपनियों के बीच मतभेद बढ़ गए और आगे की बातचीत रुक गई। चाइनीज और अमेरिकी बाजारों में बिक्री और मुनाफे में गिरावट के चलते, होंडा और निशान को अपने वर्कफोर्स और प्रोडक्शन कैपेसिटी में कटौती करनी पड़ रही थी। पिछले कुछ वर्षों में दोनों कंपनियों के मुनाफे में 70 प्रतिशत तक की गिरावट आई है। प्रमुख बाजारों में हिस्सेदारी घटने के कारण कंपनियों के विलय की जरूरत लगने लगी।
होंडा और निसान ने कहा कि वे इंटेलिजेंस और इलेक्ट्रिफाइड व्हीकल सेक्टर में रणनीतिक साझेदारी जारी रखेगी। कंपनियों ने चीन के बाजार में बीवॉयडी जैसी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनियों की तेज ग्रोथ और अमेरिकी टैरिफ के बढ़ते जोखिम को लेकर चिंता जाहिर की है। जानकारों का कहना है कि निसान को चीन में भी अपनी कैपेसिटी घटानी होगी। कंपनी वहां डोंगफेंग मोटर के साथ साझेदारी में आठ कारखानों का संचालन कर रही है। इसके तहत निसान पहले ही चांगझौ प्लांट में उत्पादन बंद कर चुकी है।
देश के टैबलेट बाजार में 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज
16 Feb, 2025 04:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। सालाना आधार पर देश के टैबलेट बाजार में 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। भारत के टैबलेट बाजार में 2024 में शानदार वृद्धि दर्ज की गई है। बाजार में यह उछाल मुख्य रूप से 5जी टैबलेट की बढ़ती मांग के कारण आया है, जिसमें पिछले साल की तुलना में 424 प्रतिशत की भारी वृद्धि देखी गई।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के कुल टैबलेट बाजार में एप्पल ने 29 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ शीर्ष स्थान हासिल किया। इसके बाद सैमसंग 28 प्रतिशत और लेनोवो 16 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। पहली बार, एप्पल ने भारत में एक ही साल में 10 लाख से अधिक आईपैड शिप कर एक बड़ी उपलब्धि हासिल की। सीएमआर का अनुमान है कि 2025 में भारत का टैबलेट बाजार 10-15 प्रतिशत की स्थिर वृद्धि के साथ आगे बढ़ता रहेगा। हालांकि, 2024 की चौथी तिमाही में सैमसंग ने 29 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ बढ़त बना ली, जबकि लेनोवो 23 प्रतिशत और एप्पल 21 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर रहे। सीएमआर की सीनियर एनालिस्ट मेनका कुमारी के अनुसार, भारत का टैबलेट बाजार अब प्रीमियम सेगमेंट (20,000 रुपये से अधिक) की ओर शिफ्ट हो रहा है। इस श्रेणी में शिपमेंट में 128 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जिससे यह स्पष्ट होता है कि लोग अब अधिक उन्नत फीचर्स और बेहतर प्रदर्शन वाले टैबलेट खरीदना पसंद कर रहे हैं। एप्पल ने इस सेगमेंट में अपना दबदबा बनाए रखा, जिसमें आईपैड 10 सीरीज सबसे अधिक बिकने वाला मॉडल रहा। एप्पल के कुल शिपमेंट में इसका योगदान 55 प्रतिशत था।
आईपैड मिनी (2024) के लॉन्च से एप्पल के बाजार नेतृत्व को और मजबूती मिलने की उम्मीद है। दूसरी ओर, सैमसंग ने भी 53 प्रतिशत वार्षिक वृद्धि दर्ज की। गैलेक्सी टैब ए9 प्लस 5जी मॉडल ने इसकी सफलता में बड़ी भूमिका निभाई, जो कंपनी की कुल टैबलेट शिपमेंट का 68 प्रतिशत था। लेनोवो ने अपनी स्थिर मांग बनाए रखी, जबकि शाओमी ने 13 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ 112 प्रतिशत की प्रभावशाली वृद्धि दर्ज की। शाओमी पैड 6 की मजबूत बिक्री के कारण कंपनी ने प्रीमियम सेगमेंट में 33 प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल की।
अगर लग्जरी बाइक के हैं शौकीन.... तो हो जाएं सतर्क! जरा सी गलती कही जेब न करा दे खाली
15 Feb, 2025 01:21 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
क्या आप जानते हैं कि मोटर वाहन अधिनियम में ऐसे वाहनों के लिए सख्त नियम हैं, जिसमें मोटरसाइकिल साइलेंसर के नियम का पालन न करने पर भारी जुर्माना लगाया जाता है। आइए शुरुआत से मोटरसाइकिल साइलेंसर के नियमों को समझते हैं-
बाइक के तेज शोर पर सख्त कानून
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के तहत बाइक के साइलेंसर को मॉडिफाई करके तेज आवाज करना गैरकानूनी है।
80 डेसिबल से ज्यादा शोर गैरकानूनी
नियमों के मुताबिक बाइक या कार का शोर 80 डेसिबल से ज्यादा नहीं होना चाहिए। मॉडिफाई साइलेंसर से यह 120 डेसिबल तक पहुंच सकता है।
स्पोर्ट्स बाइक की बढ़ती मांग
बाजार में स्पोर्ट्स बाइक की मांग बढ़ रही है, जिनका शोर सामान्य बाइक से ज्यादा होता है। अगर आपकी बाइक तेज आवाज करती है, तो यह पूरी तरह से गैरकानूनी है।
मॉडिफायड साइलेंसर से ध्वनि प्रदूषण
तेज आवाज वाले मॉडिफाईड साइलेंसर न सिर्फ कानों को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि ध्वनि प्रदूषण भी फैलाते हैं, जी हां, मॉडिफाईड साइलेंसर से होने वाले ध्वनि प्रदूषण पर कार्रवाई भी होती है।
तेज आवाज वाली बाइक पर चालान
अगर कोई वाहन तेज आवाज करता है तो उस पर चालान जारी किया जा सकता है, साथ ही भारी जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
मॉडिफाइड साइलेंसर
नियमों के अनुसार, चलते समय किसी भी बाइक या कार से अधिकतम 80 डेसिबल की आवाज आनी चाहिए। लेकिन मॉडिफाइड साइलेंसर लगाने पर यह बढ़कर 120 डेसिबल से भी ज्यादा हो सकती है, जो कानूनन प्रतिबंधित है। हालांकि, तेज आवाज वाले साइलेंसर लगाने पर चालान 5,000 रुपये या उससे ज्यादा हो सकता है।
ड्राइविंग लाइसेंस हो सकता है सस्पेंड
अगर कोई चालक बार-बार नियमों का उल्लंघन करता है तो उसका ड्राइविंग लाइसेंस सस्पेंड किया जा सकता है।
जुर्माना और जेल दोनों संभव
अगर कोई व्यक्ति लगातार बाइक का साइलेंसर बदलकर ध्वनि प्रदूषण फैलाता है तो चालान के बाद उसे जुर्माने के साथ जेल भी हो सकती है।
सड़क पर सुरक्षा के लिए जरूरी नियम
तेज आवाज वाले साइलेंसर सड़क सुरक्षा के लिए खतरा हो सकते हैं, इसलिए इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाती है।
STP से बेहतर निवेश के मौके, निवेशक चुन रहे हैं कम रिस्क में ज्यादा रिटर्न
15 Feb, 2025 01:03 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
म्युचुअल फंड में जब भी निवेश की चर्चा होती है, तो ज्यादातर लोग SIP के बारे में जानते हैं। लेकिन कई निवेशकों को यह जानकारी नहीं होती कि SIP की तर्ज पर किसी एक फंड से धनराशि दूसरे फंड में ट्रांसफर भी की जा सकती है। एक फंड से दूसरे फंड में जमा धनराशि के ट्रांसफर के इसी व्यवस्थित तरीके को सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान यानी एसटीपी कहते हैं।एक ऐसी निवेश स्ट्रैटजी है, जिसमें निवेशक अपने पैसे को एक म्युचुअल फंड से दूसरे में तय अंतराल पर ट्रांसफर कर सकते हैं। यह प्रक्रिया बिना किसी परेशानी के होती है और निवेशकों को बेहतर रिटर्न देने वाले फंड में शिफ्ट होने का मौका मिलता है। STP निवेशकों को बाजार के उतार-चढ़ाव से बचाने में मदद करता है और संभावित नुकसान को कम करता है। वे बाजार की स्थिति के अनुसार अपने निवेश को इक्विटी से डेट फंड या इसके विपरीत शिफ्ट कर सकते हैं। हालांकि, STP का इस्तेमाल केवल एक ही एसेट मैनेजमेंट कंपनी द्वारा मैनेज किए जा रहे फंड्स के बीच किया जा सकता है। अलग-अलग कंपनियों के म्युचुअल फंड स्कीम्स के बीच फंड ट्रांसफर की सुविधा इसमें नहीं होती।
सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) में निवेशकों को मिलते हैं तीन ऑप्शन
फ्लेक्सिबल STP- इसमें निवेशक अपनी मौजूदा जरूरतों के हिसाब से ट्रांसफर की जाने वाली राशि तय कर सकते हैं। वे बाजार की स्थिति और म्युचुअल फंड स्कीम्स के प्रदर्शन को देखकर ज्यादा या कम रकम ट्रांसफर करने का फैसला ले सकते हैं।
फिक्स्ड STP- इसमें निवेशक पहले से तय करता है कि एक म्युचुअल फंड से दूसरे में कितनी रकम ट्रांसफर होगी। यह रकम हर बार एक जैसी रहती है।
कैपिटल सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान- इसमें फंड से हुए मुनाफे को दूसरी बेहतर ग्रोथ वाली योजना में ट्रांसफर किया जाता है।
सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) के फायदे
सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) का सबसे बड़ा फायदा यह है कि फंड ट्रांसफर जल्दी और आसानी से होता है। निवेशकों को चुने गए फंड्स के बीच पैसा अपने आप ट्रांसफर होने की सुविधा मिलती है, जिससे उनका उपयोग बिना किसी परेशानी के हो सकता है। इसके अलावा भी इसके कई फायदे है…
ज्यादा रिटर्न
यह निवेशकों को बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान अधिक फायदेमंद स्कीम्स में निवेश ट्रांसफर करने की सुविधा देता है। इस तरह बाजार का लाभ उठाकर खरीदी और बेची गई सिक्योरिटीज से अधिक मुनाफा कमाया जा सकता है।
स्थिरता
जब शेयर बाजार में ज्यादा उतार-चढ़ाव होता है, तो निवेशक STP के जरिए अपने फंड को अधिक स्थिर निवेश योजनाओं, जैसे डेट फंड और मनी मार्केट इंस्ट्रूमेंट्स में शिफ्ट कर सकते हैं।
डिसिप्लिन अप्रोच
यह निवेशकों को दो म्यूचुअल फंड योजनाओं के बीच फंड को नियमित और योजनाबद्ध तरीके से ट्रांसफर करने में मदद करता है।
रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग
यह तरीका म्यूचुअल फंड में STP के जरिए निवेश करते समय अपनाया जाता है। इससे निवेशक अपने निवेश की औसत लागत को कम कर सकते हैं। रुपी-कॉस्ट एवरेजिंग का मतलब है कि जब फंड की कीमत कम हो, तब उसमें निवेश करना और जब कीमत बढ़े, तब उसे बेचना। इससे निवेशकों को ज्यादा मुनाफा कमाने का मौका मिलता है।
टैक्सेबिलिटी
सिस्टमैटिक ट्रांसफर प्लान (STP) के तहत किया गया प्रत्येक ट्रांसफर कर कटौती के दायरे में आता है, बशर्ते इससे पूंजीगत लाभ (कैपिटल गेन) हो। यदि कोई निवेशक 3 साल से पहले म्युचुअल फंड से पैसा निकालता है, तो उसे शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन के तहत 20% कर देना होगा। वहीं, लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर भी टैक्स लगेगा, लेकिन यह निवेशक की वार्षिक आय पर निर्भर करता है।
स्विचिंग कॉस्ट पर ध्यान दें, वरना होगा नुकसान
म्युचुअल फंड निवेशकों के लिए स्विचिंग कॉस्ट पर ध्यान देना बेहद जरूरी है, क्योंकि यह उनके निवेश रिटर्न पर बड़ा असर डाल सकता है। अक्सर निवेशक इस अहम पहलू को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे उनका अनावश्यक खर्च बढ़ सकता है। स्विचिंग का मतलब है निवेश को एक फंड से दूसरे फंड में ट्रांसफर करना, जिसमें एग्जिट लोड और कैपिटल गेन टैक्स जैसे खर्च शामिल होते हैं।
भारतीय शेयर बाजार में FPI बिकवाली से मार्केट कैप में गिरावट, निवेशक सतर्क
15 Feb, 2025 12:57 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बीएसई: कंपनियों का बाजार पूंजीकरण शुक्रवार को लगातार बिकवाली के बीच कुछ समय के लिए 400 लाख करोड़ रुपये से नीचे पहुंच गया। हालांकि आखिर में यह थोड़ा सुधरकर 400.2 लाख करोड़ रुपये पर रहा जो 6 जून के बाद का सबसे निचला स्तर है। भारत के एमकैप ने 10 अप्रैल को पहली बार 400 लाख करोड़ रुपये का स्तर पार किया था और 29 सिंबर को यह 477.93 लाख करोड़ रुपये की ऊंचाई पर पहुंचा था। तब से, बाजार पूंजीकरण में करीब 78 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई है।
ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार डॉलर में भारत का बाजार पूंजीकरण 4 लाख करोड़ डॉलर से नीचे आया है और अपने ऊंचे स्तर से इसमें 1.2 लाख करोड़ डॉलर का नुकसान हुआ है। पिछले पांच महीनों में भारत ने कई प्रमुख बाजारों के बीच अच्छ-खासी एमकैप गिरावट दर्ज की है। बीएसई और एनएसई के आंकड़े के अनुसार डॉलर में बाजार का मार्केट कैप करीब 4.6 लाख करोड़ डॉलर है।
तेज गिरावट की मुख्य वजह विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) द्वारा की गई बिकवाली और भारतीय उद्योग जगत की कमजोर आय है। एफपीआई द्वारा इस वर्ष अब तक की बिकवाली 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गई है।एचएसबीसी में एशिया प्रशांत मामलों के लिए इक्विटी रणनीति प्रमुख हेरल्ड वैन डर लिंडे ने कहा, वृद्धि धीमी पड़ रही है, जबकि ऊंचे अमेरिकी बॉन्ड यील्ड और विदेशी मुद्रा दबाव विदेशी निवेशकों को चिंतित बनाए हुए है। उन्होंने कहा, ‘हमारा मानना है कि भारत के प्रीमियम मल्टीपल मूल्यांकन पर आय की स्थिति मजबूत होने तक दबाव बना रहेगा। तीसरी तिमाही के नतीजे अनुमान से खराब रहे हैं। वृद्धि कम से कम दो और तिमाहियों तक कमजोर रह सकती है। ताजा बिकवाली ने मजबूत वृद्धि या सुधार की राह पर बढ़ रही कंपनियों में खरीदारी का अवसर पैदा किया है।’
ट्रंप के ऊर्जा प्लान से भारत को मिलेंगे बड़े लाभ, केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी का दावा
15 Feb, 2025 12:43 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका| के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नारा 'ड्रिल, बेबी, ड्रिल' भारत के लिए खुशखबरी ला सकता है। ट्रंप चाहते हैं कि अमेरिका ज्यादा तेल और गैस उत्पादन, खपत और निर्यात करके फिर से अमीर बने। तेल और गैस का ज्यादा उत्पादन होने से इसकी कीमत में कमी आएगी और यह भारत के लिए अच्छी बात है। यह भारत के लिए फायदेमंद है क्योंकि भारत अपनी जरूरत का 80% से ज्यादा तेल और 50% गैस आयात करता है। अगर इनकी कीमत में कमी आती है तो भारत का आयात बिल कम होगा और यह पैसा विकास के दूसरे कामों पर खर्च होगा।
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने इंडिया एनर्जी वीक में कहा, 'राष्ट्रपति ट्रंप कह रहे हैं कि महंगे दामों का दौर खत्म हो। आर्थिक मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाएं। बाजार में ज्यादा ऊर्जा लाएं। ज्यादा आर्थिक विकास हो ताकि सभी को फायदा हो। मैं दुनिया के तीसरे सबसे बड़े उपभोक्ता और आयातक देश का ऊर्जा मंत्री हूं। हमारे पास चौथी सबसे बड़ी रिफाइनिंग क्षमता है। सच कहूं तो ये बातें मेरे लिए बहुत अच्छी हैं।'
भारत को कैसे होगा फायदा
अमेरिका दुनिया का सबसे बड़ा तेल उत्पादक है। देश में रोजाना 1.3 करोड़ बैरल से ज्यादा तेल का उत्पादन होता है। अमेरिका के 32 राज्यों और समुद्री इलाकों में तेल उत्पादन होता है। अमेरिका से ज्यादा सप्लाई से वैश्विक ऊर्जा प्रवाह में बदलाव आ सकता है। साथ ही, कीमतें नियंत्रण में रह सकती हैं। अमेरिका से तेल का निर्यात बढ़ने से यूरोप को खाड़ी देशों से मिलने वाली आपूर्ति कम हो सकती है। यह भारतीय रिफाइनरियों के लिए फायदेमंद होगा। अभी वे रूसी तेल पर अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए विकल्प तलाश रहे हैं।
भारत अमेरिका से भी कच्चा तेल आयात करता है। अमेरिका भारत के शीर्ष पांच आपूर्तिकर्ताओं में शामिल हो गया था। लेकिन ज्यादा ट्रांसपोर्ट कॉस्ट और लंबी यात्रा के समय के कारण यह हमेशा पहली पसंद नहीं होता। भविष्य की संभावनाएं आर्बिटेज पर निर्भर करेंगी, जहां भारत के पास लगभग 38 देशों की एक डाइवर्सिफाइड बास्केट का फायदा है। लेकिन रूस इसका एक बड़ा खिलाड़ी है। हाल ही में ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से बातचीत की है। इससे लगता है कि युद्ध जल्द ही खत्म हो सकता है। अगर ऐसा होता है, तो बाजार में ज्यादा तेल आने से भारत को फायदा होगा।
ब्रोकरेज हाउस ने मल्टीबैगर स्टॉक को किया रीरेट, 30% की बढ़त का अनुमान
15 Feb, 2025 12:28 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शेयर: मार्केट में ऊपरी लेवल से करेक्शन आया है और इस दौरान कई स्टॉक अच्छी वैल्यूएशन पर मिल रहे हैं.भारत फोर्ज ने हाल ही में अपने तिमाही नतीजे घोषित किये जिसके बाद उस पर कुछ बिकवाली का दबाव आया. पिछले कुछ माह में इस स्टॉक में अच्छा खासा करेक्शन हुआ है और ब्रोकरेज हाउस अब इसमें निवेश की संभावना देख रहे हैं|ब्रोकरेज हाउस इनक्रेड बीएसई 100 स्टॉक को लेकर उत्साहित है. इस स्टॉक में साल दर साल 17 प्रतिशत की गिरावट आई है. इसके अलावा यह स्टॉक में पिछले छह महीनों में 31.17 प्रतिशत की गिरावट आई है|
Bharat Forge Ltd के शेयर शुक्रवार को 1,077.65 रुपए के लेवल पर बंद हुए. इस कंपनी का मार्केट कैप 51.49 हज़ार करोड़ रुपए है. पिछले पांच साल में इसका रिटर्न 122% है और यह अब भी मल्टीबैगर स्टॉक है. भारत फोर्ज ने हाल ही में अपने तिमाही नतीजों की घोषणा की है, जिसमें बताया गया है कि उसके EBITDA में मामूली गिरावट आई है|ब्रोकरेज हाउस इनक्रेड को भारत फोर्ज के स्टॉक में 30 प्रतिशत की उछाल की संभावना दिख रही है. इनक्रेड ने 13 फरवरी की अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत फोर्ज का स्टैंडअलोन 3QFY25 EBITDA 8% साल दर साल और 3% qoq घटकर 6 बिलियन रुपये हो गया, जो हमारे अनुमान से 2% कम और ब्लूमबर्ग या बीबी सर्वसम्मति अनुमान से 9% कम है|
ब्रोकरेज हाउस ने कहा कि कंपनी का पीएटी तिमाही दर तिमाही स्थिर रहा और सालाना आधार पर 12% की गिरावट के साथ 3.5 रुपये रहा, जो हमारे अनुमान से 7% कम है. यूरोपीय परिचालन में मौसमी कमजोरी के कारण कंसोलिडेट यूनिट ने पीएटी में सालाना आधार पर 15% और तिमाही दर तिमाही आधार पर 12% की गिरावट दर्ज की, जो 2.1 बिलियन रुपये रहा. इनक्रेड ने कहा कि हम स्टॉक पर अपनी एडीडी रेटिंग दोहराते हैं और डीसीएफ आधारित टारगेट प्राइस 1,407 रुपये (पहले 1,622 रुपये) तय किया है. 1,076 रुपये के वर्तमान प्राइस के साथ ब्रोकरेज का यह अनुमान 30.8 प्रतिशत की बढ़त दर्शाता है|
भारत फोर्ज शेयर प्राइस हिस्ट्री
पिछले बंद के अनुसार भारत फोर्ज के शेयर की कीमत पिछले पांच वर्षों में 122 प्रतिशत बढ़ी है और पिछले दो वर्षों में 23 प्रतिशत का सकारात्मक रिटर्न दिया है. इस बीच पिछले छह महीनों में भारत फोर्ज के शेयरों में 31.17 प्रतिशत की गिरावट आई है. पिछले तीन महीनों में भारत फोर्ज के शेयरों में 18.87 प्रतिशत की गिरावट आई है और पिछले दो हफ्तों में 11 प्रतिशत का सुधार देखा गया है|
17 साल बाद BSNL ने मुनाफे का रुख किया, कर्मचारियों और ग्राहकों के लिए अच्छी खबर
15 Feb, 2025 12:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
BSNL: मोबाइल और टेलिफोन यूजर्स के बीच अपनी खामियों को लेकर बदनाम BSNL ने 17 साल बाद एक नया करिश्मा कर दिया है। एक समय था जब कहा जाता था कि BSNL अब खत्म हो चुकी है। यह कंपनी लगातार घाटे से जूझ रही थी। कयास यहां तक लगाए जाने लगे थे कि इसका प्राइवेटाइजेशन कर दिया जाएगा। लेकिन, कंपनी ने जारी वित्त वर्ष की दिसंबर तिमाही के जो आंकड़े जारी किए हैं उसने सभी को हैरत में डाल दिया है। भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) ने करीब 17 साल बाद मुनाफा कमाया है। बता दें कि 2007 से ही बीएसएनएल घाटे में चल रही थी। केंद्रीय मंत्री ने शुक्रवार को इस बात की जानकारी दी। इसे देश के स्वामित्व वाली दूरसंचार कंपनी के लिए महत्वपूर्ण मोड़ बताया। बीएसएनएल सेवा ऑफर और ग्राहक आधार के विस्तार पर केंद्रित रही है। बीएसएनएल ने कई मामलों में सुधार दर्ज किया है। BSNL ने मोबिलिटी, फाइबर-टू-होम (FTTH) और लीज्ड लाइन सेवाओं में 14-18 प्रतिशत की वृद्धि हासिल की है।
पिछले साल की तुलना में 14-18 फीसदी की बढ़ोतरी
बीएसएनएल के मोबाइल, FTTH और लीज्ड लाइन सेवाओं में पिछले साल की तुलना में 14-18 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है। जून में 8.4 करोड़ ग्राहक थे, जो दिसंबर तक बढ़कर 9 करोड़ हो गए। सिंधिया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर बताया कि बीएसएनएल ने वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में पहली बार रिकॉर्ड 262 करोड़ रुपये का मुनाफा कमाया है।
कैसे मुनाफे में आई कंपनी?
कंपनी ने पिछले दिनों अपने खर्चों में भी कमी की है। पिछले साल के मुकाबले इस साल घाटा 1,800 करोड़ रुपये से ज्यादा कम हुआ। पिछले चार सालों में कंपनी का EBITDA दोगुना होकर 2,100 करोड़ रुपये हो गया है। EBITDA का मतलब है ब्याज, टैक्स, मूल्यह्रास और परिशोधन से पहले की कमाई। यह कंपनी के मुनाफे को मापने का एक तरीका है। वहीं, मोबिलिटी सेवाओं का रेवेन्यू 15% बढ़ा, FTTH सेवाओं का रेवेन्यू 18% बढ़ा और लीज्ड लाइन सेवाओं का रेवेन्यू 14% बढ़ा।
आगे की प्लानिंग पर सिंधिया ने क्या कहा?
केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि हमें उम्मीद है कि इस साल पूरे वित्तीय वर्ष के लिए चौथी तिमाही के आखिर में न सिर्फ राजस्व में वृद्धि होगी, बल्कि खर्च और लागत को नियंत्रण में रखा जाएगा और पिछले साल के आंकड़ों से घाटे को काफी कम किया जाएगा। पिछले चार सालों में, बीएसएनएल का EBITDA वित्त वर्ष 23-24 तक 1,100 करोड़ रुपये से दोगुना होकर लगभग 2,100 करोड़ रुपये हो गया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस तिमाही में प्रॉफिटेबिलिटी पर वापसी बीएसएनएल के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है क्योंकि यह अब देश भर में अपने सभी ग्राहकों को 4 जी सेवाएं प्रदान करने की ओर अग्रसर है। 1 लाख टावरों में से लगभग 75,000 लगाए जा चुके हैं, जिनमें से लगभग 60,000 चालू हो चुके हैं। हमें उम्मीद है कि इस साल जून तक सभी 1 लाख टावर चालू हो जाएंगे।
BSNL के सीएमडी ने क्या कहा?
अलग से तिमाही वित्तीय की घोषणा करते हुए बीएसएनएल के इन प्रयासों से राजस्व वृद्धि में और सुधार होगा, जो वित्तीय वर्ष के अंत तक 20 प्रतिशत से अधिक हो जाएगी। इसके अतिरिक्त, बीएसएनएल ने अपनी वित्तीय लागत और ओवरऑल खर्च को सफलतापूर्वक कम कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप पिछले वर्ष की तुलना में घाटे में 1,800 करोड़ रुपये से अधिक की कमी आई है। ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए उन्होंने नेशनल वाईफाई रोमिंग, बीआईटीवी (सभी मोबाइल ग्राहकों के लिए मुफ्त मनोरंजन) और सभी एफटीटीएच ग्राहकों के लिए आईएफटीवी जैसे नए इनोवेशन पेश किए हैं। सीएमडी ने कहा, ‘हमने सेवा की गुणवत्ता और सेवा का आश्वासन पर निरंतर ध्यान ने ग्राहकों के विश्वास को और मजबूत किया है और भारत में अग्रणी दूरसंचार सेवा प्रदाता के रूप में बीएसएनएल की स्थिति को मजबूत किया है।’
अमेरिकी व्हिस्की निर्माताओं के लिए एक बड़ा अवसर: सीमा शुल्क में कटौती
15 Feb, 2025 11:53 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत| बॉर्बन व्हिस्की पर आयात शुल्क घटाकर 50 प्रतिशत कर दिया है। अमेरिका के साथ व्यापक समझौते पर बातचीत शुरू करने की योजना की घोषणा के बीच यह कदम उठाया गया है।बॉर्बन व्हिस्की पर सीमा शुल्क में कटौती की अधिसूचना 13 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ वार्ता से ठीक पहले की गई थी।हालांकि, अन्य शराबों के आयात पर मूल सीमा शुल्क में कोई कमी नहीं की गई है। उन पर 100 प्रतिशत शुल्क लगता रहेगा।अमेरिका भारत को बॉर्बन व्हिस्की का प्रमुख निर्यातक है और भारत में आयात की जाने वाली ऐसी सभी शराब का लगभग एक-चौथाई हिस्सा अमेरिका से आता है।राजस्व विभाग ने एक अधिसूचना में कहा कि बॉर्बन व्हिस्की के आयात पर अब 150 प्रतिशत की जगह 50 प्रतिशत तक सीमा शुल्क लगेगा।भारत ने 2023-24 में 25 लाख डॉलर मूल्य की बॉर्बन व्हिस्की का आयात किया था। इसके प्रमुख निर्यातक देशों में अमेरिका, यूएई, सिंगापुर और इटली शामिल हैं।भारत और अमेरिका ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना से अधिक बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करने का संकल्प लिया है।
सब्जियों की कीमतों में गिरावट से महंगाई के मोर्चे पर राहत
14 Feb, 2025 11:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
थोक महंगाई दर घटकर हुई 2.31 फीसदी
नई दिल्ली। थोक मुद्रास्फीति जनवरी में घटकर 2.31 प्रतिशत हो गई। खाद्य वस्तुओं खासकर सब्जियों की कीमतों में गिरावट इसकी मुख्य वजह रही। शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली। थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति दिसंबर 2024 में 2.37 प्रतिशत और जनवरी 2024 में 0.33 प्रतिशत थी। आंकड़ों के अनुसार, खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति जनवरी में घटकर 5.88 प्रतिशत रह गई, जबकि दिसंबर 2024 में यह 8.47 प्रतिशत थी। सब्जियों की मुद्रास्फीति उल्लेखनीय रूप से घटकर 8.35 प्रतिशत रह गई, जबकि दिसंबर 2024 में यह 28.65 प्रतिशत थी।
आलू की मुद्रास्फीति 74.28 प्रतिशत पर उच्च स्तर पर बनी रही और प्याज की मुद्रास्फीति जनवरी में बढ़कर 28.33 प्रतिशत हो गई। ईंधन तथा बिजली श्रेणी में जनवरी में मुद्रास्फीति 2.78 प्रतिशत की घटी जबकि दिसंबर में 3.79 प्रतिशत थी। विनिर्मित वस्तुओं में मुद्रास्फीति दिसंबर 2024 के 2.14 प्रतिशत की तुलना में जनवरी 2025 में 2.51 प्रतिशत हो गई। इससे पता चलता है कि उत्पादन लागत में कुछ बढ़ोतरी हुई है, जो संभावित रूप से उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों को प्रभावित कर सकती है।
ईंधन एवं बिजली क्षेत्र में गिरावट
ईंधन और बिजली श्रेणी में भी राहत देखने को मिली। इस क्षेत्र में मुद्रास्फीति जनवरी में घटकर 2.78 प्रतिशत रह गई, जबकि दिसंबर में यह 3.79 प्रतिशत थी। इससे ऊर्जा लागत में थोड़ी नरमी आने की संभावना है, जो उद्योगों और आम जनता के लिए राहत भरी खबर हो सकती है।
खुदरा महंगाई भी घटी
खुदरा मुद्रास्फीति के हालिया आंकड़ों के अनुसार, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति जनवरी में घटकर 4.31 प्रतिशत हो गई। यह पिछले पांच महीनों का सबसे निचला स्तर है, जिससे यह संकेत मिलता है कि खाद्य वस्तुओं की कीमतों में स्थिरता आ रही है।
आसमान छू रहे सोने-चांदी के भाव
14 Feb, 2025 10:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। शुक्रवार को सोने की कीमत अपने नए आॅल टाइम हाई पर पहुंच गई है। इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन के मुताबिक, 10 ग्राम 24 कैरेट सोना 341 रुपए महंगा होकर 86,089 रुपए पर पहुंच चुका है। जबकि 13 फरवरी को इसकी कीमत 85,748 रुपए थी। इससे पहले, 11 फरवरी को सोने ने 85,903 रुपए का आॅल टाइम हाई बनाया था। वहीं, चांदी की कीमत में भी तेजी आई है। एक किलो चांदी 1,945 रुपए बढ़कर 97,494 रुपए प्रति किलो हो गई, जो कल 95,549 रुपए थी। चांदी ने 23 अक्टूबर 2024 को अपना अब तक का सबसे ऊंचा स्तर 99,151 रुपए प्रति किलो पर बनाया था। 2025 में सोना 90 हजार तक पहुंच सकता है। सोने और चांदी की कीमतों में बढ़ोतरी के कई कारण बताए जा रहे हैं। इनमे कुछ निम्नलिखित कारण शामिल हो सकते हैं। ट्रम्प के अमेरिका के राष्ट्रपति बनने से जियो पॉलिटिकल टेंशन बढ़ गई हैं। डॉलर के मुकाबले रुपए के कमजोर होने से सोना महंगा हो रहा है। महंगाई बढ़ने से भी सोने की कीमत को सपोर्ट मिल रहा है । शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ने से लोग गोल्ड में निवेश बढ़ा रहे हैं।
रुपये के सामने डॉलर को घुटने टेकने पड़े, एशिया में नहीं दिखी ऐसी ताकत पहले कभी"
14 Feb, 2025 05:47 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारतीय रुपया लगातार तीसरे दिन डॉलर को पटखनी देता हुआ दिखाई दे रहा है. एशिया की दूसरी करेंसीज के मुकाबले में रुपए ने हाल के दिनों के दिनों में डॉलर के सामने ज्यादा मजबूती दिखाई है. मंगलवार से शुरू हुआ ये सिलसिला गुरुवार को भी देखने को मिल रहा है. बुधवार को कारोबारी दिन में ज्यादातर समय रुपए में तेजी देखने को मिली. लेकिन बाजार बंद होने से रुपए में गिरावट भी देखी गई. वो एक अलग बात है. जानकारों का मानना है कि आरबीआई के हस्तक्षेप और भारत में महंगाई के आंकड़ों में कमी आने और अमेरिका में भी महंगाई आंकड़े उम्मीद से ज्यादा होने की वजह से रुपए में डॉलर के मुकाबले में तेजी देखी जा रही है. जानकारों की मानें तो आने वाले दिनों में ये तेजी जारी रह सकती है.
खास बात तो ये है कि एशिया की दूसरी करेंसी फिर चाहे वो चीन हो या फिर जापान. डॉलर के सामने अभी तक वैसी हिम्मत नहीं दिखा सके हैं, जिस तरह से भारतीय रुपए ने दिखाई है. मंगलवार को भारतीय रुपए में करीब एक फीसदी की तेजी देखने को मिली थी जो दो साल की सबसे लंबी छलांग थी. बुधवार को भी रुपए में डॉलर के मुकाबले में 27 पैसे ज्यादा की मजबूती देखने को मिली थी. गुरुवार को भी रुपए में डॉलर के मुकाबले में 14 पैसे ज्यादा का इजाफा देखने को मिल रहा है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर मौजूदा समय में डॉलर के भारतीय रुपया किस लेवल पर कारोबार करता हुआ दिखाई दे रहा है|
रुपए में डॉलर के मुकाबले तेजी जारी
अमेरिकी डॉलर में नरमी और विदेशों में कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट के कारण गुरुवार को शुरुआती कारोबार में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 14 पैसे चढ़कर 86.81 पर पहुंच गया. फॉरेन करेंसी ट्रेडर्स ने कहा कि स्थानीय यूनिट, जो विदेशी फंड की अंतहीन निकासी के कारण दबाव में थी, को बुधवार को सरकार द्वारा जारी उम्मीद से बेहतर महंगाई आंकड़ों के कारण घरेलू इक्विटी बाजारों में कुछ सुधार के कारण समर्थन मिला.
इंटरबैंक फॉरेन करेंसी में, रुपया 86.82 पर मजबूत खुला और शुरुआती कारोबार के दौरान ग्रीनबैक के मुकाबले पिछले बंद से 14 पैसे की बढ़त के साथ 86.81 पर पहुंच गया. बुधवार को डॉलर के मुकाबले रुपए में 16 पैसे की गिरावट देखने को मिली और 86.95 पर बंद हुआ. मंगलवार को पिछले सत्र में, रुपया 66 पैसे मजबूत हुआ था, जो 3 मार्च, 2023 के बाद से अधिकतम एक दिन की बढ़त दर्ज करते हुए ग्रीनबैक के मुकाबले 86.79 पर बंद हुआ था.
डॉलर की ताकत हो रही है कम
इस बीच, अमेरिकी डॉलर इंडेक्स मूें गिरावट देखने को मिल रही है. डॉलर एक्सचेंज 0.22 फीसदी की गिरावट के साथ 107.59 पर कारोबार कर रहा है. आंकड़ों को देखें तो डॉलर इंडेक्स बीते एक महीने में 1.20 फीसदी की गिरावट देख चुका है.जबकि मौजूदा साल में डॉलर इंडेक्स में 0.77 फीसदी की गिरावट देखने को मिल चुकी है. जबकि एक बरस में डॉलर इंडेक्स में 3.21 फीसदी का इजाफा देखने को मिला है. जानकारों की मानें तो अभी करेंसी मार्केट काफी अनस्टेबल है. आने वाले दिनों में डॉलर और रुपए के बीच खींचतान जारी रह सकती है. उसका प्रमुख कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का ट्रेड वॉर है. जिसकी वजह से पूरी दुनिया की अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है.
डॉलर में क्यों देखी जा रही है गिरावट
विश्लेषकों ने कहा कि अमेरिकी आंकड़ों में उम्मीद से अधिक महंगाई दर्शाए जाने के बाद डॉलर कमजोर हुआ, जिससे फेडरल रिजर्व द्वारा तत्काल मौद्रिक नरमी की उम्मीदें धूमिल हो गईं. ग्लोबल मार्केट में ब्रेंट क्रूड वायदा कारोबार में 1 प्रतिशत गिरकर 74.43 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. घरेलू इक्विटी बाजार में, 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 441 अंकों की तेजी के साथ 76,597.42 अंक पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 136 अंकों की तेजी के साथ 23,181.45 अंकों पर दिखाई दी. एक्सचेंज डेटा के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को शुद्ध आधार पर 4,969.30 करोड़ रुपये की इक्विटी बेची.
31 मार्च ईद-उल-फितर को बैंकों में छुट्टी रद्द
14 Feb, 2025 02:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मुंबई । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों की छुट्टी रद्द करने का फैसला किया है, जिसके अनुसार 31 मार्च 2025 को ईद-उल-फितर की छुट्टी नहीं होगी। इस निर्णय का मकसद सरकारी लेन-देन को सही समय पर पूरा करना है ताकि वित्तीय वर्ष 2024-25 की रिपोर्टिंग सुचारू बने। सभी बैंकों को निर्देश दिया गया है कि उन्हें इस दिन कामकाज जारी रखना है और सभी सरकारी लेन-देन को वित्तीय वर्ष में ही दर्ज करना है। 31 मार्च को सरकार के वित्तीय वर्ष की अंतिम तारीख होती है, और इस दिन सभी सरकारी करों का भुगतान होता है, जैसे आयकर, जीएसटी, कस्टम और एक्साइज ड्यूटी। इसके साथ ही, पेंशन भुगतान, सरकारी सब्सिडी ट्रांसफर, और सरकारी वेतन का डिटेल्स का काम भी इस दिन जारी रहेगा। यह निर्णय पूरे देश में बैंक बंद रहने को आने वाली ईद-उल-फितर के चलते आत्मसात करेगा। अब सभी बैंक 31 मार्च को खुले रहेंगे और सरकारी लेन-देन को सुचारू बनाए रखेंगे। रिजर्व बैंक के निर्देश आम जनता के लिए भी एक स्थायी सुविधा प्रदान करेंगे।
डब्ल्यूपीआई और सीपीआई में गिरावट
14 Feb, 2025 01:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । भारत का थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) जनवरी 2025 में 2.31 प्रतिशत हो गया है, जो दिसंबर 2024 के 2.37 प्रतिशत से घटकर आया है। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने खाद्य और कपड़ा उत्पादों की कीमतों में वृद्धि को मुख्य कारण बताया है। जनवरी 2025 में डब्ल्यूपीआई खाद्य सूचकांक में 7.47 प्रतिशत की बढ़ोतरी आई है, जबकि सीपीआई आधारित खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी में 4.31 प्रतिशत पर आ गई है। खाद्य वस्तुओं की कीमतों में नरमी की वजह से सीपीआई में गिरावट आयी है। मुद्रास्फीति के चलते ईंधन की कीमतों में भी गिरावट देखी गई है, जिससे सीपीआई में गिरावट आई है। इस गिरावट के बाद यह उम्मीद जताई जा रही है कि भारतीय रिजर्व बैंक अपनी मौद्रिक नीति समिति की आगामी बैठक में अप्रैल में रेपो दर में और कटौती कर सकता है। खाद्य मुद्रास्फीति जनवरी में घटकर 6.02 प्रतिशत हो गई जबकि दिसंबर में यह 8.39 प्रतिशत थी। इसका मुख्य कारण सब्जियों की कीमतों में गिरावट रही जो दिसंबर में 26.6 प्रतिशत से घटकर जनवरी में 11.35 प्रतिशत रह गई। हालांकि मुद्रास्फीति के आंकड़े सकारात्मक रहे लेकिन औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि धीमी हो गई है। दिसंबर 2024 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 3.21 प्रतिशत बढ़ा जो कि चार महीने का निचला स्तर है। नवंबर 2024 में यह 4.96 प्रतिशत था। इस गिरावट का मुख्य कारण विनिर्माण क्षेत्र में मंदी रही। इसके अलावा, औद्योगिक उत्पादन में धीमी वृद्धि के कारण विनिर्माण क्षेत्र में मंदी दिखाई दे रही है। इससे साफ होता है कि अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति के बावजूद औद्योगिक उत्पादन में चुनौतियां हैं।