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यूपी सरकार का बड़ा फैसला – DA बढ़ाकर किया 55%, कर्मचारियों की जेब में आएंगे ज्यादा पैसे
11 Apr, 2025 04:28 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते (DA) में 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी को मंजूरी दे दी है। अब राज्य कर्मचारियों को उनके मूल वेतन पर 55 प्रतिशत की दर से DA मिलेगा, जो पहले 53 प्रतिशत था। यह बढ़ोतरी 1 जनवरी 2025 से प्रभावी मानी जाएगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (UP CM Yogi Adityanath) ने इसकी जानकारी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर दी। उन्होंने कहा कि राज्य कर्मचारियों के हितों की रक्षा सरकार की प्राथमिकता है। यह निर्णय सिर्फ सरकारी कर्मचारियों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सहायता प्राप्त शैक्षणिक व तकनीकी संस्थानों के नियमित व पूर्णकालिक कर्मचारियों, नगरीय निकायों के कर्मचारियों, एड-हॉक कर्मचारियों और UGC स्केल पर वेतन पाने वाले कर्मियों पर भी लागू होगा। इससे करीब 16 लाख कर्मचारियों को लाभ मिलेगा।
नई दर के अनुसार DA का भुगतान अप्रैल महीने के वेतन के साथ मई 2025 में किया जाएगा। साथ ही जनवरी से अप्रैल तक के एरियर की राशि भी मई में दी जाएगी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इससे राज्य सरकार पर मई में करीब ₹107 करोड़ और एरियर भुगतान में ₹193 करोड़ का अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा।
₹18,000 बेसिक पर कितनी बढ़ेगी सैलरी?
राज्य सरकार ने महंगाई भत्ता (DA) 53% से बढ़ाकर 55% कर दिया है। इससे करीब 15 लाख राज्य सरकारी कर्मचारियों को सीधे तौर पर फायदा मिलेगा।
अगर किसी कर्मचारी की बेसिक सैलरी ₹18,000 है, तो अब उसे हर महीने ₹360 ज्यादा मिलेंगे। पहले 53% DA के हिसाब से उसे ₹9,540 का भत्ता मिलता था, लेकिन अब 55% DA के हिसाब से यह बढ़कर ₹9,900 हो गया है।
इसी तरह जिन कर्मचारियों की बेसिक सैलरी ₹50,000 है, उन्हें पहले ₹26,500 का DA मिल रहा था। अब यह बढ़कर ₹27,500 हो गया है। यानी ऐसे कर्मचारियों की सैलरी में ₹1,000 की बढ़ोतरी हुई है।
केंद्र ने भी महंगाई भत्ता में की बढ़ोतरी
गौरतलब है कि पिछले महीने केंद्र सरकार ने अपने करोड़ों कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए 2 प्रतिशत महंगाई भत्ते और राहत में बढ़ोतरी की घोषणा की थी। उसी के बाद अब उत्तर प्रदेश सरकार ने भी यह कदम उठाया है।
सरकारी नियमों के अनुसार, जब भी केंद्र सरकार DA बढ़ाती है, तो राज्य सरकारें भी अपने कर्मचारियों और पेंशनभोगियों को इसका लाभ देती हैं।
क्या होता है महंगाई भत्ता (DA)?
महंगाई भत्ता सरकारी कर्मचारियों को दी जाने वाली वह राशि होती है, जो उन्हें बढ़ती महंगाई से राहत देने के लिए सैलरी में जोड़ी जाती है। इससे उनके जीवनयापन पर महंगाई का असर कम पड़ता है।
महंगाई राहत (DR) क्या होती है?
महंगाई राहत भी महंगाई भत्ते की तरह ही होती है, लेकिन यह रिटायर्ड कर्मचारियों यानी पेंशनर्स को दी जाती है। यानी DA काम कर रहे कर्मचारियों के लिए होता है, जबकि DR पेंशन ले रहे लोगों को मिलता है।
उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले से लाखों कर्मचारियों और पेंशनर्स को सीधा फायदा मिलेगा।
निवेशकों का मूड बदला? मार्च में इक्विटी इनफ्लो ₹25,082 करोड़ पर सिमटा, SIP में भी गिरावट
11 Apr, 2025 04:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शेयर बाजार में जारी उतार-चढ़ाव और ट्रंप टैरिफ (Trump Tariff) को लेकर निवेशकों की चिंता के बीच मार्च में म्युचुअल फंड्स में नेट इनफ्लो में गिरावट दर्ज की गई। इक्विटी म्युचुअल फंड्स में निवेश फरवरी के ₹29,303 करोड़ से 14% घटकर मार्च में ₹25,082 करोड़ रह गया। म्युचुअल फंड इंडस्ट्री को मार्च में कुल ₹1.64 लाख करोड़ की निकासी (आउटफ्लो) का सामना करना पड़ा जबकि फरवरी में ₹40,076 करोड़ का नेट इनफ्लो हुआ था। वहीं, डेट म्युचुअल फंड्स से मार्च में ₹2.02 लाख करोड़ की निकासी हुई, जबकि फरवरी में इसमें ₹6,525 करोड़ का इनफ्लो देखने को मिला था। SIP इनफ्लो में भी हल्की गिरावट दर्ज की गई।
SIP में निवेश घटकर ₹25,926 करोड़ पर आया
मार्च 2025 में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए म्युचुअल फंड में कुल ₹25,926 करोड़ का इनफ्लो आया जो फरवरी 2025 के ₹25,999 करोड़ के मुकाबले थोड़ा कम है। हालांकि, ट्रंप टैरिफ की अनिश्चितताओं और बाजार में जारी उतार-चढ़ाव और करेक्शन के बावजूद, SIP इनफ्लो का स्तर मजबूत बना हुआ है जो खुदरा निवेशकों के निवेश अनुशासन और लॉन्ग टर्म आउटलुक को दर्शाता है। जनवरी में SIP के जरिए 26,400 करोड़ रुपये बाजार में आए। दिसंबर में यह आंकड़ा 26,459 करोड़ रुपये था।
मिरे असेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) की हेड ऑफ डिस्ट्रीब्यूशन एंड स्ट्रैटेजिक अलायंसेस, सुरंजना बोर्थाकुर ने कहा, “SIP में ₹25,000 करोड़ से ज्यादा का निरंतर निवेश यह दर्शाता है कि निवेशकों की सोच अब परिपक्व हो रही है और वे अपने लॉन्ग टर्म टारगेट पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।”
फ्लैक्सी कैप और स्मॉलकैप में सबसे ज्यादा इनफ्लो
मार्च में सभी 11 इक्विटी म्युचुअल फंड कैटेगरी में निवेश देखने को मिला है। सबसे ज्यादा इनफ्लो फ्लेक्सी-कैप फंड्स में देखनो को मिला। इस कैटेगरी में मार्च में ₹5,615 करोड़ का निवेश आया, जबकि फरवरी में इनफ्लो ₹5,104 करोड़ था। इनफ्लो के मामले में दूसरे नंबर पर स्मॉलकैप फंड्स रहा। स्मॉलकैप फंड्स में ₹4,092 करोड़ का निवेश आया। फरवरी में यह ₹3,722.5 करोड़ था।
सेक्टोरल/थीमैटिक फंड्स का इनफ्लो 97% घटा
मिडकैप फंड्स में मार्च में ₹3,438 करोड़ का इनफ्लो आया, जो फरवरी में दर्ज ₹3,406 करोड़ के मुकाबले थोड़ा ज्यादा है। वहीं, सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स में निवेश में भारी गिरावट दर्ज की गई। इस कैटेगरी में मार्च में केवल ₹170 करोड़ का इनफ्लो आया, जबकि फरवरी में यह ₹5,711 करोड़ था—यानी मासिक आधार पर पर करीब 97% की गिरावट को दिखाता है।
मार्च में डिविडेंड यील्ड फंड्स को सबसे कम निवेश मिला, जो केवल ₹140.51 करोड़ रहा। वहीं, लार्जकैप फंड्स में निवेश 13% घटकर मार्च में ₹2,479 करोड़ रह गया, जबकि फरवरी में यह ₹2,866 करोड़ था।
सुरंजना बोर्थाकुर ने कहा, “बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद, इक्विटी फंड्स में कुल मिलाकर निवेश अपेक्षाकृत स्थिर बना हुआ है, जो दर्शाता है कि निवेशक घबराहट में फैसले नहीं ले रहे हैं। कुल फ्लो पर असर इसलिए दिख रहा है क्योंकि डेट फंड्स से बड़ी निकासी हुई है, जो आमतौर पर फाइनेंशियल ईयर-एंड साइकल में देखी जाती है। उत्साहजनक बात यह है कि स्मॉल-कैप फंड्स में निवेश जारी है, जिससे यह संकेत मिलता है कि निवेशक लंबी अवधि की सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं, न कि सिर्फ हालिया अनुभव के आधार पर निर्णय ले रहे हैं। सेक्टोरल कैटेगरी में धीमा निवेश भी एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों में इस कैटेगरी में असामान्य रूप से अधिक निवेश देखा गया था।”
डेट म्युचुअल फंड्स से हुई ₹2.02 लाख करोड़ की निकासी
डेट म्युचुअल फंड्स से मार्च में ₹2.02 लाख करोड़ की निकासी हुई, जबकि फरवरी में इसमें ₹6,525 करोड़ का इनफ्लो देखने को मिला था। निवेशकों ने मार्च में सभी डेट म्युचुअल फंड कैटेगरी से निकासी (आउटफ्लो) की है। सबसे ज्यादा निकासी लिक्विड फंड्स से हुई, जहां ₹1.33 लाख करोड़ की राशि बाहर निकली। इसके बाद ओवरनाइट फंड्स से ₹30,015 करोड़ की निकासी हुई।
मार्च में सबसे कम निकासी क्रेडिट रिस्क फंड्स और 10-वर्षीय स्थायी अवधि वाले गिल्ट फंड्स से हुई। क्रेडिट रिस्क फंड्स से ₹294 करोड़ और गिल्ट फंड्स से ₹101 करोड़ की निकासी दर्ज की गई।
हाइब्रिड म्युचुअल फंड्स में बिकवाली
हाइब्रिड म्युचुअल फंड्स से मार्च में ₹946 करोड़ की निकासी दर्ज की गई, जबकि फरवरी में इस कैटेगरी में ₹6,803 करोड़ का निवेश आया था। मार्च में सबसे ज्यादा निकासी आर्बिट्राज फंड्स, इक्विटी सेविंग्स फंड्स और कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड्स से हुई, जहां क्रमशः ₹2,854 करोड़, ₹561 करोड़ और ₹271 करोड़ की निकासी दर्ज की गई। वहीं, मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड्स को मार्च में सबसे ज्यादा ₹1,670 करोड़ का निवेश मिला। डायनामिक एसेट एलोकेशन/बैलेंस्ड एडवांटेज फंड्स और एग्रेसिव हाइब्रिड फंड्स को मार्च में क्रमशः ₹776 करोड़ और ₹293 करोड़ का इनफ्लो मिला।
सुरंजना बोर्थाकुर के मुताबिक, “हाइब्रिड फंड्स में निवेश में तेज गिरावट चिंता का विषय है—खासकर तब, जब ये प्रोडक्ट बाजार के उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए संतुलित जोखिम वाले सॉल्यूशन के रूप में बहुत उपयोगी हैं। ऐसे समय में, अनुशासन बनाए रखना, निवेश से जुड़े रहना और हाइब्रिड जैसे डॉयवर्सिफाइड सॉल्यूशन अपनाना ही निवेशकों को बाजार की अस्थिरता से निपटने में मदद कर सकता है। साथ ही उन्हें अपने वित्तीय लक्ष्यों के साथ जुड़े रहने में भी सहायक होगा।”
रिडेम्पशन का एक बड़ा कारण मुनाफावसूली
मोतीलाल ओसवाल एएमसी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और चीफ बिजनेस ऑफिसर अखिल चतुर्वेदी ने कहा, “इक्विटी में सब्सक्रिप्शन दरअसल पिछले महीने की तुलना में 4% बढ़ा है। हालांकि, इस महीने निवेशकों ने ज्यादा रिडेम्पशन किया है, जो पिछले महीने के मुकाबले 25% ज्यादा रहा। जो बात बाजार के कई प्रतिभागियों को चौंका सकती है, वह यह है कि सबसे ज्यादा रिडेम्पशन लार्ज कैप (पिछले महीने से 54% ज्यादा) और सेक्टोरल व थीमैटिक फंड्स (55% ज्यादा) में हुआ। वहीं स्मॉल कैप फंड्स में रिडेम्पशन 15% कम रहा।”
उन्होंने आगे कहा कि बाजार में अस्थिरता के बावजूद बैलेंस्ड एडवांटेज फंड्स (BAF) को भी राहत नहीं मिली। इनमें भी पिछले महीने की तुलना में रिडेम्पशन 30% बढ़ा, जबकि इन्हें अस्थिर माहौल में सबसे बेहतर विकल्प माना जाता है। फिर भी, ये रिडेम्पशन अप्रैल 2024 से अक्टूबर 2024 के बीच के सात महीनों की तुलना में कम रहे।
हम मानते हैं कि इस बढ़े हुए रिडेम्पशन का एक बड़ा कारण मुनाफावसूली (profit booking) है। अप्रैल में होने वाले आउटफ्लो निवेशकों की धारणा को समझने के लिए बेहतर संकेतक साबित हो सकते हैं। हमारा मानना है कि अप्रैल निवेशकों के लिए इक्विटी में एलोकेशन बढ़ाने का अच्छा अवसर हो सकता है और इस दौरान रिडेम्पशन में भी गिरावट आने की संभावना है।
डेट फंड्स में शॉर्ट टर्म वाले हिस्से में बिकवाली मुख्य रूप से एडवांस टैक्स और फाइनेंशियल ईयर एंड से जुड़ी जरूरतों के कारण हुई है। वहीं लॉन्ग टर्म हिस्से में निवेशकों ने हालिया तेजी का लाभ उठाते हुए मुनाफा बुक किया है।
Android से Pixel तक, Google की बड़ी कार्रवाई – सैकड़ों कर्मचारियों को नौकरी से निकाला
11 Apr, 2025 03:56 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
टेक कंपनी Google ने एक बार फिर सैकड़ों कर्मचारियों की छंटनी की है। यह छंटनी कंपनी के प्लेटफॉर्म्स एंड डिवाइसेज डिविजन में की गई है, जो Android सॉफ्टवेयर, Pixel स्मार्टफोन और Chrome ब्राउजर जैसे प्रमुख प्रोडक्ट्स को संभालता है। यह जानकारी टेक साइट ‘The Information’ की रिपोर्ट में दी गई है।
कंपनी ने जनवरी में एक वॉलंटरी एग्जिट प्रोग्राम भी पेश किया था, जिसके बाद अब यह ताजा छंटनी की गई है। यह कदम Google की उस बड़ी रीस्ट्रक्चरिंग का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत पिछले साल हुई थी। तब कंपनी ने Android और Chrome टीमों को मिलाकर एक नया Pixel and Devices ग्रुप बनाया था, जिसे कंपनी के वरिष्ठ कार्यकारी रिक ओस्टरलो (Rick Osterloh) लीड कर रहे हैं। उस समय इस यूनिट में 20,000 से ज्यादा कर्मचारी थे।
Google के प्रवक्ता ने पुष्टि की कि यह छंटनी टीम को ज्यादा कुशल और चुस्त बनाने की कोशिश का हिस्सा है। उन्होंने कहा, “प्लेटफॉर्म्स और डिवाइसेज़ टीमों को मिलाने के बाद से हमारा फोकस ऑपरेशनल एफिशिएंसी पर है। इसी दिशा में हमने कुछ पोजीशंस को खत्म किया है, साथ ही जनवरी में वॉलंटरी एग्जिट प्रोग्राम भी पेश किया गया था।”
हालांकि कंपनी ने यह भी कहा है कि अमेरिका और दुनियाभर में भर्ती की प्रक्रिया जारी है।
गौरतलब है कि Google ने 2023 में भी वैश्विक स्तर पर करीब 6 फीसदी कर्मचारियों की छंटनी की थी। उसके बाद भी कुछ हिस्सों में कटौती जारी रही है, लेकिन कंपनी का कुल वर्कफोर्स अभी भी करीब 1.8 लाख बना हुआ है।
Google में वॉलंटरी एग्जिट प्रोग्राम शुरू, Android-Pixel-Chrome टीमों पर असर
Google ने इस साल की शुरुआत में अमेरिका में अपने Android, Pixel और Chrome प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे कर्मचारियों के लिए एक वॉलंटरी एग्जिट प्रोग्राम (स्वैच्छिक निकासी योजना) शुरू किया। यह पहल उन कर्मचारियों के लिए थी जो कंपनी के नए कामकाजी मॉडल या हाइब्रिड वर्क पॉलिसी से सहज नहीं थे, या जो कंपनी की नई दिशा के साथ खुद को मेल नहीं खा पा रहे थे।
गौर करने वाली बात यह है कि यह योजना Google की Search और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से जुड़ी टीमों पर लागू नहीं की गई।
इससे पहले फरवरी में Bloomberg की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि Google ने अपनी क्लाउड डिवीजन में भी कुछ टीमों में छंटनी की थी, हालांकि इसका दायरा सीमित रहा।
इससे पहले, जनवरी 2023 में गूगल की पैरेंट कंपनी अल्फाबेट ने 12,000 कर्मचारियों की छंटनी की थी, जो उसके वैश्विक वर्कफोर्स का करीब 6 फीसदी हिस्सा था। उस समय यह फैसला कंपनी की लागत घटाने और कामकाज को बेहतर बनाने की रणनीति के तहत लिया गया था।
ग्लोबल दबाव का असर: मूडीज ने भारत की GDP ग्रोथ का अनुमान किया डाउनग्रेड
11 Apr, 2025 11:31 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मूडीज एनालिटिक्स ने गुरुवार को कैलेंडर वर्ष 2025 के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि अनुमान को 30 आधार अंक कम करके 6.1 फीसदी कर दिया। यह अनुमान रत्न व आभूषण, चिकित्सा उपकरणों और वस्त्र उद्योगों पर अमेरिकी शुल्क के खतरे के मद्देनजर घटाया गया है।
मूडीज रेटिंग्स की इकाई मूडीज एनालिटिक्स ने कहा, ‘भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार अमेरिका है। भारत से होने वाले आयात पर 26 फीसदी शुल्क लगाने से व्यापार संतुलन पर भारी असर पड़ेगा।’ मूडीज एनालिटिक्स ने ज्यादातर शुल्कों पर 90 दिनों की रोक और उनके स्थान पर 10 फीसदी की दर को स्वीकारते हुए कहा कि उसकी अप्रैल की आधार रेखा यह दर्शाती है कि यदि टैरिफ अंततः पूर्ण रूप से लागू हो गए तो इससे आर्थिक नुकसान होगा।
इसने कहा कि इस साल की शुरुआत में कर प्रोत्साहनों की घोषणा से घरेलू अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन और जोखिम वाली अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में शुल्क के प्रभाव को कम करने में मदद मिलनी चाहिए।
पेंशन अगर लेट हुई तो देना होगा 8% ब्याज – RBI ने बैंकों को दिए कड़े निर्देश
11 Apr, 2025 11:20 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अगर रिटायर्ड सरकारी कर्मचारियों को उनकी पेंशन या उसका एरियर तय समय पर नहीं मिलता है, तो अब संबंधित बैंक को इसकी भरपाई करनी होगी। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि ऐसे मामलों में पेंशनभोगियों को सालाना 8 प्रतिशत की दर से ब्याज देना अनिवार्य होगा।
RBI ने 1 अप्रैल, 2025 को “गवर्नमेंट पेंशन भुगतान हेतु मास्टर सर्कुलर” जारी किया है, जिसमें पेंशन, बढ़ी हुई महंगाई राहत (Dearness Relief) और अन्य लाभों के भुगतान से जुड़ी सभी जरूरी बातें स्पष्ट की गई हैं। सर्कुलर में कहा गया है कि अगर किसी पेंशनभोगी को समय पर पेंशन या एरियर का भुगतान नहीं किया गया, तो संबंधित बैंक को उस देरी की अवधि के लिए 8% वार्षिक ब्याज दर से मुआवजा देना होगा।
RBI को इस संबंध में लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि पेंशनरों को संशोधित पेंशन और बकाया भुगतान में “अनावश्यक देरी” हो रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय बैंक ने यह प्रावधान लागू किया है।
बिना आवेदन मिलेगा ब्याज
RBI ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस मुआवजे के लिए पेंशनर को कोई दावा करने की जरूरत नहीं होगी। बैंक को खुद से ही यह ब्याज उसी दिन पेंशनर के अकाउंट में जमा करना होगा, जिस दिन संशोधित पेंशन या एरियर की राशि क्रेडिट की जाती है। यह व्यवस्था 1 अक्टूबर, 2008 से देरी से हुए सभी पेंशन भुगतानों पर लागू होगी।
यह कदम लाखों रिटायर्ड कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत की तरह देखा जा रहा है, जिससे पेंशन भुगतान प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ेगी।
कब मिलती है पेंशन?
RBI ने यह भी स्पष्ट किया है कि पेंशन का भुगतान संबंधित पेंशन भुगतान प्राधिकरणों (Pension Paying Authorities) के निर्देशों के अनुसार ही किया जाता है। पेंशनभोगियों के खातों में पैसा जमा करने का कार्य बैंकों को इन्हीं निर्देशों के तहत करना होता है।
अगर बैंक से अधिक पेंशन चली गई तो क्या होगा?
RBI के अनुसार, यदि बैंक की गलती से किसी पेंशनर के खाते में पेंशन की अतिरिक्त राशि चली जाती है, तो बैंक को वह अतिरिक्त रकम बिना देरी के सरकार को एकमुश्त लौटा देनी होगी। इसके लिए पेंशनर से वसूली की प्रतीक्षा नहीं की जाएगी। हालांकि, अगर अतिरिक्त भुगतान किसी अन्य कारण से हुआ है, तो बैंक को संबंधित पेंशन स्वीकृति प्राधिकरण से मार्गदर्शन लेकर आगे की कार्रवाई करनी होगी।
बीमार या अक्षम पेंशनर कैसे निकाल सकेंगे पेंशन?
RBI ने बुजुर्ग, बीमार या डिसेबल्ड पेंशनरों की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्था की है।
यदि पेंशनर बैंक नहीं आ सकते या हस्ताक्षर नहीं कर सकते, तो उनका अंगूठा या पैर का निशान दो गवाहों की मौजूदगी में लिया जा सकता है, जिनमें से एक जिम्मेदार बैंक अधिकारी होना चाहिए।
यदि पेंशनर अंगूठा या पैर का निशान भी नहीं दे सकते, तो उनके द्वारा किया गया कोई निशान स्वीकार किया जा सकता है, जिसे भी दो गवाहों की पहचान की आवश्यकता होगी, जिनमें एक बैंक का अधिकारी होना अनिवार्य है।
संबंधित बैंक शाखा को इन निर्देशों को नोटिस बोर्ड पर प्रदर्शित करना होगा ताकि जरूरतमंद पेंशनर इसका लाभ उठा सकें।
महंगाई राहत की बढ़ी हुई राशि कैसे मिलेगी?
RBI ने स्पष्ट किया है कि जब सरकार की ओर से महंगाई राहत (Dearness Relief) बढ़ाने का आदेश जारी होता है, तो बैंक को उसकी प्रति डाक, ईमेल, फैक्स या वेबसाइट के जरिए प्राप्त करनी होती है। इसके आधार पर बैंक अपनी शाखाओं को तुरंत भुगतान के निर्देश देते हैं, ताकि पेंशनरों को बढ़ी हुई राशि बिना देरी के मिल सके।
बाज़ार में मेटल की चमक! सेंसेक्स 1200 अंक चढ़ा, निफ्टी ने पार किया 22,750 का आंकड़ा
11 Apr, 2025 11:11 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) के चुनिंदा देशों पर 90 दिन तक ‘टैरिफ पॉज’ से पॉजिटिव संकेत लेते हुए भारतीय शेयर बाजार शुक्रवार (11 अप्रैल) को जोरदार तेजी के साथ खुले। टैरिफ पर रोक से राहत महसूस कर रहे टाटा स्टील और हिंडाल्को जैसे मेटल स्टॉक्स ने बाजार में दम भर दिया। इससे निवेशकों की वेल्थ चंद मिंटो में 6 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ गई।
तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) आज यानी शुक्रवार को लगभग 1000 अंक उछलकर 74,835.49 पर खुला। जबकि बुधवार को यह 73,847 पर बंद हुआ था। सुबह 10:50 बजे सेंसेक्स 1232.71 अंक या 1.67% की तेजी लेकर 75,079.86 पर था।
इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी-50 भी 300 से ज्यादा अंक की बढ़त लेकर 22,695.40 पर ओपन हुआ। खुलते ही यह 22,783.05 अंक तक चला गया। सुबह 10:50 बजे यह 382.65 अंक या 1.71% की जोरदार तेजी के साथ 22,781.80 पर था।
ट्रंप ने टैरिफ पर 90 दिन तक लगाई रोक
ट्रंप 9 अप्रैल को एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि अमेरिका, ज्यादातर देशों से होने वाले आयात पर अगले तीन महीनों तक नया टैरिफ नहीं लगाएगा। इस घोषणा के बाद भारतीय शेयर बाजार में उम्मीद का माहौल बना है। इससे भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के पहले चरण को जल्द अंतिम रूप देने का रास्ता साफ हो सकता है।
हालांकि, ट्रंप सरकार ने चीन से होने वाले आयात पर कुल शुल्क को बढ़ाकर 145% कर दिया है। इसके बावजूद कुछ खास श्रेणियों जैसे—कॉपर, फार्मास्यूटिकल्स, सेमीकंडक्टर्स और ऊर्जा उत्पादों को इस बढ़े हुए शुल्क से छूट दी गई है। इससे ग्लोबल मार्केट में अस्थिरता बनी हुई है और एशिया-पैसिफिक के बाजारों में गिरावट देखने को मिल रही है।
गुरुवार को जोरदार तेजी के बाद जापान का निक्केई 225 इंडेक्स आज 4.55% गिर गया। दक्षिण कोरिया का कोस्पी 1.66% टूटा और ऑस्ट्रेलिया का S&P/ASX 200 करीब 1.93% नीचे रहा।
ग्लोबल संकेत भी कमजोर
अमेरिकी शेयर बाजारों में बुधवार को भारी गिरावट रही, जिसके असर से गुरुवार को एशियाई बाजारों की शुरुआत भी कमजोर रही। गुरुवार देर रात अमेरिकी स्टॉक फ्यूचर्स में भी कमजोरी दिखी। S&P 500 फ्यूचर्स में 0.99%, Nasdaq 100 फ्यूचर्स में 1.11% और Dow Jones फ्यूचर्स में 0.86% की गिरावट आई।
बुधवार को Dow Jones इंडस्ट्रियल एवरेज 2.50% गिरकर 39,593.66 पर बंद हुआ, S&P 500 में 3.46% की गिरावट रही और यह 5,268.05 पर बंद हुआ, जबकि Nasdaq 4.31% गिरकर 16,387.31 पर आ गया।
भारतीय शेयर बाजार 10 अप्रैल को महावीर जयंती की वजह से बंद रहे। हालांकि शुक्रवार सुबह 7:13 बजे GIFT Nifty फ्यूचर्स 22,943 पर कारोबार कर रहे थे, जो पिछले कारोबारी सत्र के मुकाबले करीब 460 अंक ऊपर हैं। इससे संकेत मिलते हैं कि भारतीय बाजार शुक्रवार को मजबूत शुरुआत कर सकते हैं।
Stock Market Holidays: 2 दिन की ट्रेडिंग बंदी, निवेशकों और ट्रेडर्स के लिए जरूरी जानकारी
10 Apr, 2025 02:33 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारतीय शेयर बाजारों में आज यानी गुरुवार (10 अप्रैल) को कारोबार नहीं होगा। बाजार श्री महावीर जयंती (Mahavir Jayanti) के अवकाश के कारण आज बंद हैं। 11 अप्रैल को कारोबार फिर से शुरू होगा।
इससे पहले बुधवार को भारतीय शेयर बाजारों में भारी गिरावट देखी गई। अमेरिका-चीन के बीच बढ़ते ट्रेड तनाव के कारण निवेशकों के सेंटीमेंट्स प्रभावित हुए। तीस शेयरों वाले बीएसई सेंसेक्स में 380 अंक जबकि निफ्टी-50 में 137 अंकों की गिरावट आई। मिड और स्मॉल-कैप शेयरों में भी बड़ी गिरावट आई जिससे निवेशकों की वेल्थ 3 लाख करोड़ रुपये घट गई।
इस बीच, आज (10 अप्रैल) 3 कंपनियां मार्च तिमाही के नतीजे पेश करेंगी। आईटी सेक्टर की दिग्गज कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) समेत 3 कंपनियां आज यानी गुरुवार (10 अप्रैल) को मार्च तिमाही के नतीजे जारी करेगी। आनंद राठी और इवोक रेमेडीज भी अपने परिणाम घोषित करेंगी।
आपको बता दें कि आज की छुट्टी के अलावा बाजार अगले सप्ताह (14 अप्रैल-18 अप्रैल) दो दिन बंद रहेगा। इस दौरान सेंसेक्स और निफ़्टी में कारोबार नहीं होगा। दरअसल सोमवार (14 अप्रैल) को अंबेडकर जयंती के अवसर पर बाजार बंद रहेंगे। वहीं, शुक्रवार (18 अप्रैल) को गुड फ्राइडे (Good Friday) और इस दिन भी बाजार में अवकाश होता है।
इसके अलावा अगले महीने की पहली तारीख यानी 1 मई को भी सेंसेक्स और निफ्टी में कारोबार नहीं होगा और फाइनेंशियल मार्केटस बंद रहेंगे। 1 मई को महाराष्ट्र दिवस है। इसके चलते पूरे महाराष्ट्र में सरकारी छुट्टी है। वहीं, बंबई स्टॉक एक्सचेंज (BSE) मुंबई में स्थित है। इसलिए 1 मई को भी बाजार में छुट्टी रहेगी।
स्टॉक मार्केट की 2025 की छुट्टियों की लिस्ट
इस बीच, आज 3 कंपनियों के आएंगे Q4 नतीजे
1. आनंद राठी वेल्थ (Anand Rathi Wealth)
2. इवोक रेमेडीज़ (Evoq Remedies)
3. टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (Tata Consultancy Services)
टैरिफ तो सिर्फ एक शुरुआत! Trade War के भविष्य को लेकर निवेशकों के लिए 4 जरूरी टिप्स
10 Apr, 2025 02:06 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) द्वारा दुनियाभर के देशों पर लगया गया जवाबी टैरिफ (Reciprocal Tariff) तो सिर्फ टीजर है, ट्रेड वॉर की असली पिक्चर तो आभी बाकी है। यही चेतावनी देती है DSP म्युचुअल फंड की ताजा रिपोर्ट, जो बताती है कि ट्रेड वॉर के अलग-अलग हालात—चाहे वह सबसे बेहतर हो या सबसे खराब—कैसे वैश्विक और भारतीय बाजारों को झकझोर सकते हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि कई बार निवेशक इस तरह की स्थितियों को हल्के में ले लेते हैं और मान लेते हैं कि असर मामूली होगा। लेकिन यह सोच काफी जोखिमभरी हो सकती है, क्योंकि असली चुनौती अक्सर अनुमान से कहीं बड़ी होती है।
ट्रेड वॉर को हल्के में लेने की गलती न करें
रिपोर्ट में फंड हाउस ने कहा कि अक्सर निवेशक ट्रेड वॉर जैसी स्थिति को हल्के में ले लेते हैं, लेकिन यह नजरिया जोखिम भरा हो सकता है। कई लोग मानते हैं कि टैरिफ जल्द ही वापस ले लिए जाएंगे, इसलिए यह सिर्फ एक छोटी परेशानी है। कुछ यह भी तर्क देते हैं कि भारत में टैरिफ 26% और चीन में 54% हैं, इसलिए हम बेहतर स्थिति में हैं। साथ ही, भारत का अमेरिका को निर्यात GDP का सिर्फ 2% है, जिससे बड़ा असर नहीं पड़ेगा। और चूंकि हमने 2008 की ग्लोबल मंदी और कोविड जैसी स्थितियों को झेला है, तो इसे भी झेल लेंगे। हालांकि, ये सोच अक्सर बाजार की असली चुनौती को नजरअंदाज कर देती है और सतर्क रणनीति अपनाने से रोकती है।
ट्रेड वॉर को कैसे समझें?
DSP म्युचुअल फंड की एक रिपोर्ट में ट्रेड वॉर के प्रभाव को लेकर तीन संभावित हालातों के आधार पर विश्लेषण किया गया है। इसमें सबसे बेहतर से लेकर सबसे खराब स्थिति तक के प्रभावों को समझाया गया है, जो वैश्विक और भारतीय बाजारों पर पड़ सकते हैं।
1. सबसे बेहतर स्थिति (Best case): ट्रंप 2 अप्रैल से पहले के स्तर तक टैरिफ वापस ले लें या अस्थायी रोक (moratorium) की घोषणा करें। यह सबसे मजबूत डैमेज कंट्रोल माना जाएगा और बाजारों के लिए अल्पकालिक रूप से सकारात्मक साबित हो सकता है।
2. सबसे संभावित स्थिति (Most likely case): ट्रंप द्विपक्षीय बातचीत के लिए सहमत हो जाएं। इससे कई विजेताओं और हारने वालों के बीच संतुलन बन सकता है, लेकिन बाजारों में अस्थिरता और घबराहट बनी रह सकती है।
3. सबसे खराब स्थित (Worst case): अन्य देश न सिर्फ अमेरिका के खिलाफ, बल्कि एक-दूसरे के खिलाफ भी जवाबी कार्रवाई करें। यह स्थिति पूरी दुनिया के विकास के साथ ही साथ भारत की ग्रोथ पर गंभीर असर डाल सकती है। बाजार इसे हल्के में नहीं लेंगे—और हर गुजरते दिन के साथ यह आशंका और मजबूत होती जा रही है।
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
1. नए निवेश के लिए हाइब्रिड फंड्स का इस्तेमाल करें: DSP म्युचुअल फंड के एक्सपर्ट्स सलाह देते है कि निवेशकों को नए निवेश के लिए हाइब्रिड फंड्स का इस्तेमाल करना चाहिए। क्योंकि बाजार पहले ही कुछ हद तक गिर चुके हैं। खासतौर पर DAAF (डायनामिक एसेट एलोकेशन फंड) और MAAF (मल्टी एसेट एलोकेशन फंड) कैटेगरी पर ध्यान दें। अगर आपके पोर्टफोलियो में इक्विटी का हिस्सा कम है, तो हाइब्रिड फंड्स के जरिए बैलेंस बनाएं।
2. टैरिफ या बाजार के भविष्य का अनुमान लगाने से बचें: टैरिफ को लेकर आगे क्या फैसले लिए जाएंगे और बाजार की इस पर क्या प्रतिक्रिया होगी निवेशकों को यह अनुमान लगाने से बचना चाहिए। अगर भारतीय लार्ज-कैप स्टॉक्स में और 10–15% की गिरावट आती है, तो वे औसत वैल्यूएशन के करीब आ सकते हैं। ऐसी स्ट्रैटेजीज़ को अपनाएं जो क्वालिटी पर जोर देती हों और वैल्यूएशन को महत्व देती हों। चूंकि निवेश कोई सटीक विज्ञान नहीं है, इसलिए निवेश को किस्तों में करें। जल्दीबाजी की कोई जरूरत नहीं है।
3. बार-बार ट्रेडिंग करने से बचें: जब बाजारों में उतार-चढ़ाव हो रहा हो, तो बार-बार फैसले लेने या ट्रेडिंग करने से बचें। जितनी कम एक्टिविटी होगी, उतना ही आपकी मानसिक ऊर्जा बचेगी। ज्यादा एक्टिव होना लॉन्ग टर्म कंपाउंडिंग के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
4. कम दाम में बेहतर सौदे खरीदने का अवसर: सबसे जरूरी बात यह है कि ऐसे अनिश्चित समय में इक्विटी और अन्य एसेट्स में सस्ते दाम पर खरीदारी का मौका बनता है। जो निवेशक मल्टी-एसेट या कंजरवेटिव अप्रोच अपनाते हैं, वे ऐसे समय का फायदा उठा सकते हैं। जब कुछ निवेशक घबराकर बेचते हैं, तब धैर्य रखने वाले निवेशकों को अच्छे सौदे मिल सकते हैं। अपने निवेश की राह पर टिके रहें।
ट्रंप के बयान के बाद वैश्विक बाजार में तेज़ी, निक्केई इंडेक्स ने 8% तक की छलांग
10 Apr, 2025 01:55 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Global Markets: अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने 75 से ज्यादा देशों पर लगने वाले टैरिफ को 90 दिनों के लिए टाल दिया है। ट्रंप के इस फैसले के बाद वैश्विक बाजारों ने सिर्फ राहत की सांस ली बल्कि ये खुशी से झूम भी उठें। ट्रंप के इस एलान के बाद जापान का निक्केई इंडेक्स 8% से ज्यादा उछल गया। हांगकांग के हैंग सेंग इंडेक्स में भी तेजी और यह 3% चढ़ गया।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने बुधवार को कहा कि यह फैसला इन देशों के साथ नए सिरे से व्यापार वार्ता शुरू करने के मद्देनजर लिया गया। हालांकि, इस छूट में चीन को शामिल नहीं किया गया है। ट्रंप ने चीन पर टैरिफ बढ़ाकर 125 फीसदी कर दिया है, जो पहले 104 फीसदी था। यह कदम चीन द्वारा अमेरिका पर लगाए गए 84 फीसदी जवाबी टैरिफ के बाद उठाया गया है।
एशियाई बाजारों में छाई हरियाली
एशियाई इमर्जिंग बाजारों में इक्विटी ने गुरुवार को दो वर्षों से अधिक समय में अपनी सबसे बड़ी एक दिवसीय तेजी दर्ज की। ट्रंप द्वारा कई देशों पर लगाए गए भारी टैरिफ को अस्थायी रूप से टालने की घोषणा के बाद इन देशों की मुद्राओं में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले तेजी आई।
टोक्यो एक्सचेंज में जापान के बेंचमार्क निक्केई इंडेक्स (Nikkei Index) गुरुवार (10 अप्रैल) को खुलते 2,000 से ज्यादा अंक उछल गया। निवेशकों ने ट्रंप के टैरिफ को 90 दिनों तक टालने के फैसले का स्वागत किया। जापान का बेंचमार्क निक्केई 225 इंडेक्स 9.17% उछलकर 34,623.53 पर पहुंच गया। ऑस्ट्रेलिया का एसएंडपी/एएसएक्स 200 में भी तेजी आई और यह 4.66% बढ़कर 7,913.90 पर पहुंच गया। साउथ कोरिया का कोस्पी इंडेक्स 6.03% बढ़कर 2,431 पर पहुंच गया।
अमेरिकी शेयर बाजार भी उछला
वॉल स्ट्रीट पर एसएंडपी 500 में 9.5% की वृद्धि हुई। दिन की शुरुआत में इंडेक्स में ट्रंप के ट्रेड वार के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका बढ़ने से इसमें गिरावट आई थी। हालांकि, फिर सोशल मीडिया पर वह खबर आई जिसका दुनिया भर के निवेशक इंतजार कर रहे थे और इसकी उन्हें उम्मीद थी। इस खबर के बाद डॉव जोन्स औद्योगिक एवरेज लगभग 8% चढ़ गया। इसके अलावा नैस्डैक कम्पोजिट इंडेक्स (Nasdaq Composite Index) में भी तेजी आई और यह 12.16% उछल गया।
भारतीय शेयर बाजार पर भी दिख सकता है पॉजिटिव असर
वैश्विक बाजारों में तेजी का भारतीय शेयर बाजारों पर भी पॉजिटिव असर दिख सकता है। एनएसई और बीएसई आज (10 अप्रैल) श्री महावीर जयंती के कारण बंद है। जबकि बुधवार को यह बड़ी गिरावट लेकर बंद हुए थे।
भारत अमेरिका के साथ व्यापार समझौते पर तेजी से आगे बढ़ना चाहता है। यह बात ट्रंप के कई देशों पर भारी भरकम टैरिफ को टालने और चीन पर बढ़ाने के आश्चर्यजनक निर्णय के बाद कही गई है।
अधिकारी ने कहा, ‘भारत उन पहले देशों में से एक है, जिसने अमेरिका के साथ समझौते पर बातचीत शुरू की है और इसे पूरा करने के लिए एक समय-सीमा पर संयुक्त रूप से सहमति व्यक्त की है।”इस खबर का भारतीय शेयर बाजारों पर शुक्रवार को पॉजिटिव असर देखने को मिल सकता है।
2025 में गिरा PE इन्वेस्टमेंट का ग्राफ, लेकिन इन टेक दिग्गजों को मिला निवेशकों का भरोसा
10 Apr, 2025 11:21 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत में प्राइवेट इक्विटी (PE) निवेश की रफ्तार 2025 की पहली तिमाही में काफी धीमी रही। आंकड़ों के मुताबिक, इस तिमाही कुल $1.98 बिलियन का निवेश हुआ, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 53.7% कम है। वहीं, पिछली तिमाही यानी 2024 के अंतिम तीन महीनों से तुलना करें तो भी इसमें 50.5% की गिरावट देखी गई। यह 2018 के बाद किसी भी साल की सबसे कमजोर शुरुआत मानी जा रही है। LSEG डील्स इंटेलिजेंस की रिपोर्ट में कहा गया कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, अंतरराष्ट्रीय तनाव और ऊंचे वैल्यूएशन इस गिरावट की प्रमुख वजहें हैं। साथ ही डील्स की संख्या में भी 16.7% की कमी आई है।
टेक्नोलॉजी और डिजिटल सेक्टर में अब भी कायम है निवेशकों का भरोसा
इन चुनौतियों के बीच, टेक्नोलॉजी और डिजिटल सेक्टर में निवेशकों की रुचि अब भी बनी हुई है। खास तौर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), फिनटेक, हेल्थटेक और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन जैसे क्षेत्रों में निवेश हुआ। इसके अलावा, ग्रीन एनर्जी और सस्टेनेबिलिटी को लेकर भी निवेशकों का रुझान बढ़ा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि IPO गतिविधियों में आई मंदी और 2025 में ब्याज दरों में संभावित कटौती, आने वाले समय में PE और वेंचर कैपिटल निवेश के लिए अनुकूल माहौल बना सकती है।
इन कंपनियों को मिला सबसे ज्यादा निवेश
2025 की पहली तिमाही में Meesho Payments को सबसे बड़ी फंडिंग मिली, जिसमें कंपनी ने पांच निवेशकों और पांच फंड्स से कुल $270 मिलियन जुटाए। इसके अलावा, Nexus Select Trust ने फाइनेंशियल सर्विसेज सेक्टर में $105.4 मिलियन की डील की। कंप्यूटर सॉफ्टवेयर सेक्टर की Naffa Innovations को $78 मिलियन और Hiveloop Technology को $75 मिलियन का निवेश मिला। Oravel Stays (OYO) को भी $64.1 मिलियन की फंडिंग मिली, जिससे हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में डिजिटल मॉडल की लोकप्रियता का पता चलता है। इसके अलावा, Leap Finance, Girnar Insurance Brokers, Hella Infra Market, Draftspotting Technologies और Cashfree Payments जैसी कंपनियों ने भी इस तिमाही में उल्लेखनीय निवेश हासिल किया।
इंटरनेट और सॉफ्टवेयर सेक्टर में आई तेजी
2025 की पहली तिमाही में इंटरनेट से जुड़ी कंपनियों में सबसे अधिक निवेश देखने को मिला। इस सेक्टर में 81 डील्स हुईं और कुल $860.9 मिलियन का निवेश हुआ, जो पिछले साल से 42.2% ज़्यादा है। इसी तरह कंप्यूटर सॉफ्टवेयर सेक्टर में भी 23.8% की वृद्धि दर्ज की गई और $450.1 मिलियन का निवेश हुआ। इससे साफ है कि भारत का डिजिटल और टेक इकोसिस्टम अब भी निवेशकों को आकर्षित कर रहा है।
फाइनेंशियल और कंज़्यूमर सेक्टर में भारी गिरावट
वहीं दूसरी ओर, फाइनेंशियल सर्विसेस सेक्टर में निवेश में 52.9% की गिरावट देखी गई। इस सेक्टर में केवल 11 डील्स हुईं और कुल $191.8 मिलियन का निवेश हुआ। इसी तरह कंज़्यूमर से जुड़े सेक्टर्स में भी 45.8% की कमी आई और निवेश घटकर $172 मिलियन रह गया। ट्रांसपोर्टेशन और हेल्थकेयर जैसे पारंपरिक सेक्टर भी निवेश के मामले में पिछड़ते नजर आए।
बिजनेस सर्विस और मैन्युफैक्चरिंग ने चौंकाया
कुछ सेक्टर ऐसे भी रहे जिन्होंने उम्मीद से ज्यादा प्रदर्शन किया। बिजनेस सर्विसेस सेक्टर में सिर्फ 6 डील्स हुईं लेकिन निवेश में 272.3% की बढ़ोतरी दर्ज की गई और कुल $39.9 मिलियन का निवेश हुआ। वहीं मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने चौंकाते हुए 2958.3% की जबरदस्त ग्रोथ दिखाई, हालांकि यह आंकड़ा $14.7 मिलियन तक ही सीमित रहा।
कई सेक्टरों में निवेश लगभग शून्य
कई सेक्टरों में स्थिति काफी निराशाजनक रही। कम्युनिकेशन सेक्टर में निवेश 99.4% घटकर सिर्फ $13.4 मिलियन रह गया। बायोटेक्नोलॉजी में 78.7% की गिरावट के साथ निवेश केवल $0.6 मिलियन रहा, जबकि यूटिलिटी सेक्टर में तो यह सिर्फ $0.1 मिलियन तक ही सीमित रह गया। सबसे बुरी हालत कृषि, मत्स्य और वानिकी सेक्टर की रही जहां इस तिमाही एक भी निवेश नहीं हुआ।
Aadhaar Facial Recognition: अब आपकी शक्ल बताएगी आपकी पहचान, जानें कैसे
10 Apr, 2025 11:12 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Aadhaar Card New Update: अब आधार कार्ड साथ ले जाने या उसकी फोटोकॉपी देने की जरूरत नहीं है। भारत सरकार ने आधार का एक नया और अपग्रेडेड मोबाइल ऐप लॉन्च किया है, जिसमें फेस आईडी यानी चेहरे से पहचान की सुविधा दी गई है। इस नई सुविधा से देशभर में डिजिटल पहचान की प्रक्रिया और भी आसान, सुरक्षित और पेपरलेस हो जाएगी।
किसी भी सरकारी सेवा, सिम कार्ड लेने या बैंकिंग से जुड़ी प्रक्रिया में अब केवल चेहरा स्कैन करके पहचान की जा सकेगी। यानी ओटीपी, फिंगरप्रिंट या आंख की स्कैनिंग की जरूरत नहीं होगी।
फेस आईडी से आसान पहचान, जानें अन्य फीचर्स
UIDAI द्वारा जारी इस नए ऐप की सबसे खास बात यह है कि अब सिर्फ स्मार्टफोन के जरिए चेहरा स्कैन करके ही यूजर अपनी पहचान साबित कर सकेगा। यह सुविधा उन लोगों के लिए बेहद फायदेमंद होगी जिन्हें फिंगरप्रिंट या OTP से जुड़ी समस्याएं होती हैं।
अब आधार वेरिफिकेशन के लिए न तो कार्ड की हार्ड कॉपी चाहिए, न ही उसकी फोटोकॉपी। ऐप में डिजिटल आधार कार्ड का विकल्प मौजूद है, जिसमें QR कोड के जरिए तुरंत पहचान की जा सकती है। इससे कागजी प्रक्रिया में भी कमी आएगी और डेटा सिक्योरिटी भी बनी रहेगी।
रजिस्ट्रेशन के वक्त ऐप यूज़र का लाइव सेल्फी लेता है, जो मोबाइल के फ्रंट कैमरे से खींची जाती है। इसके बाद इस फोटो को आधार डाटाबेस से मिलाकर पहचान की पुष्टि की जाती है।
यह तकनीक सुरक्षा नियमों के अनुरूप है और पहचान की धोखाधड़ी को रोकने में मदद करेगी। खासतौर पर देश के दक्षिणी हिस्सों में, जहां फिंगरप्रिंट से पहचान में दिक्कत होती है, वहां यह फीचर ज्यादा कारगर साबित हो सकता है।
इस नए ऐप का इंटरफेस पहले से ज्यादा यूजर फ्रेंडली है और यह कई भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है, जिससे देशभर के लोग इसे आसानी से इस्तेमाल कर सकें।
आईटी मंत्री ने ऐप के बारे में क्या कहा-
आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने मंगलवार (8 अप्रैल) को हुए ‘आधार संवाद’ कार्यक्रम में कहा कि जल्द ही एक नया आधार ऑथेंटिकेशन ऐप लॉन्च किया जाएगा, जिससे लोगों को होटल, एयरपोर्ट या अन्य जगहों पर पहचान के लिए आधार कार्ड या उसकी फोटोकॉपी लेकर घूमने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यह ऐप बिल्कुल यूपीआई की तरह आसान होगा।
फिलहाल यह ऐप बीटा वर्जन में है और भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) इसकी टेस्टिंग कर रहा है। टेस्टिंग पूरी होने के बाद इसे आम लोगों के लिए जारी किया जाएगा।
कार्यक्रम में वैष्णव ने कहा कि आधार से जुड़े कानूनों को अब डेटा सुरक्षा के नए कानून के हिसाब से अपडेट करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “जब आधार अधिनियम पहली बार लाया गया था, तब देश में कोई समग्र प्राइवेसी कानून नहीं था। अब डेटा प्रोटेक्शन कानून (DPDP Act) आ चुका है और उसके नियम भी अंतिम चरण में हैं। ऐसे में आधार कानून को इसके अनुरूप बनाने की जरूरत है।” वैष्णव ने UIDAI से अपील की कि वह इस दिशा में अगुवाई करे और कानूनों को समय के अनुसार अपडेट करे।
TCS मार्च तिमाही के नतीजे आज होंगे जारी, क्या आएगा ग्रोथ में उछाल या रहेगी सुस्ती?
10 Apr, 2025 11:04 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
TCS Q4 Results Today: देश की प्रमुख आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) के वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही (Q4 FY25) के नतीजे आज यानी 10 अप्रैल को जारी होंगे। एनालिस्ट्स का मानना है कि इस तिमाही में TCS का प्रदर्शन सीमित रह सकता है। इसकी वजह सुस्ती और कुछ बड़े प्रोजेक्ट्स में धीमापन है।
टीसीएस संभावित राजस्व और मुनाफा
एनालिस्ट्स का अनुमान है कि टीसीएस (TCS) का मार्च तिमाही में रेवेन्यू 1.51% घटकर ₹63,009.75 करोड़ रह सकता है। BSNL प्रोजेक्ट के धीमे पड़ने को प्रमुख कारण माना जा रहा है, हालांकि विकसित बाजारों (Developed Markets) में सुधार से कुछ राहत मिल सकती है। वहीं, नेट प्रॉफिट में 1.31% की तिमाही वृद्धि संभव है, जो ₹12,541.9 करोड़ तक पहुंच सकता है।
पिछली तिमाही की तुलना
टीसीएस का Q3 FY24 में नेट प्रॉफिट ₹12,380 करोड़ था। वही राजस्व ₹63,973 करोड़ रहा, जो सालाना आधार पर 5.6% की वृद्धि और तिमाही आधार पर 0.4% की गिरावट थी।
प्रमुख जोखिम
विश्लेषकों की नज़र कुछ अहम बिंदुओं पर रहेगी:
अमेरिकी बाजार की दिशा
विकसित देशों में प्रोजेक्ट्स की प्रगति
संभावित टैरिफ इम्पैक्ट्स
किसी भी प्रोजेक्ट की रद्दीकरण या देरी
TCS Q4 Results पर ब्रोकरेज हाउसेज़ की राय
HSBC
अनुमान: राजस्व ₹61,237 करोड़ (QoQ +2.1%)
शुद्ध लाभ: ₹12,434 करोड़ (QoQ +2%)
मार्जिन में मामूली सुधार की उम्मीद, लेकिन निवेश और प्रमोशंस से कुछ दबाव रह सकता है।
कोटक सिक्योरिटीज
अनुमान: राजस्व ₹64,963.9 करोड़ (QoQ +1.5%)
शुद्ध लाभ ₹12,663.6 करोड़ (QoQ +2.3%, YoY +1.6%)
BSNL से $30 मिलियन का राजस्व नुकसान।
डील वॉल्यूम $11 बिलियन रहने की उम्मीद, जो पिछले साल के $13.2 बिलियन से कम है।
नुवामा इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज
अनुमान: CC रेवेन्यू में QoQ 0.2% की गिरावट
USD रेवेन्यू में 1% गिरावट संभव
अनुमानित राजस्व ₹61,237 करोड़ (QoQ +0.9%)
मार्जिन स्थिर रहने की उम्मीद
UPI ट्रांजैक्शन लिमिट में बदलाव की तैयारी, RBI ने NPCI को दिए आदेश!
9 Apr, 2025 01:21 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को आर्थिक जरूरतों के आधार पर पर्सन -टू- मर्चेंट को किए जाने वाले यूपीआई पेमेंट्स के लिए ट्रांजैक्शन लिमिट को बदलने की इजाजत दे दी है. बता दें, कि 7 से 9 अप्रैल तक चली रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी की बैठक के बाद रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इस फैसले की जानकारी दी है. 7 से 9 अप्रैल तक चली रिजर्व बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमिटी (MPC) की बैठक के बाद RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इस फैसले की जानकारी दी.
RBI ने NPCI को दिया अधिकार
आपकी जानकारी के लिए बता दें, कि गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि अब पर्सन टू मर्चेंट पेमेंट की लिमिट तय करने का अधिकार NPCI को दिया जाएगा. उन्होंने इस पर अधिक जानकारी देते हुए कहा कि फिलहाल ये लिमिट 2 लाख रुपए है, लेकिन आने वाले समय में इसमें बदलाव आना संभव है. इसपर मल्होत्रा ने बताया कि पर्सन टू पर्सन यूपीआई लेनदेन की सीमा 1 लाख रुपए तक ही होगी, इसमें कोई बदलाव नहीं होगा.
रेपो रेट में कटौती
गवर्नर संजय मल्होत्रा ने इसपर बताया कि MPC ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट 0.25 प्रतिशत की कटौती का फैसला लिया है. इस कटौती के बाद अब पॉलिसी रेट 6.25 प्रतिशत से घटकर 6 प्रतिशत हो गई है. बता दें, कि इससे पहले भी आरबीआई ने पिछली बैठक में रेपो रेट में कटौती की थी, एक तरह से कहे तो यह कटौती दूसरी बार है. इससे होम लोन समेत कई तरह के लोन की ब्याज दरों में राहत मिल सकती है.
ग्रोथ और महंगाई का अनुमान
संजय मल्होत्रा ने आगे बताया कि वित्त वर्ष 2025-26 में भारत की रियल जीडीपी ग्रोथ 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है. वहीं, खुदरा महंगाई दर CPI 4 प्रतिशत के आस-पास रहने की संभावना जताई जा रही है. इसपर गवर्नर ने कहा कि मॉनिटरी पॉलिसी का फोकस ग्रोथ को बनाए रखते हुए महंगाई को कंट्रोल में रखना होगा.
डेलॉयट की रिपोर्ट में भारत में CEO की सैलरी 10 करोड़ , उच्च प्रबंधन की कमाई पर बड़ा खुलासा!
9 Apr, 2025 01:16 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
डेलॉयट इंडिया की हालिया एग्जिक्यूटिव परफॉर्मेंस और रिवार्ड्स सर्वे के मुताबिक 2025 में देश में सीईओ की औसत सैलरी 10 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है. पिछले साल के मुकाबले इसमें 13 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. रिपोर्ट में बताया गया है कि देश के केवल 40 फीसदी सीईओ की सैलरी तयशुदा है. जबकि बाकी के 60 प्रतिशत सीईओ की तनख्वाह उनके परफॉर्मेंस के आधार पर है.
सीईओ के अलावा चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर, चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर, चीफ ह्यूमन रिसोर्सेज ऑफिसर, चीफ मार्केटिंग ऑफिसर औऱ चीफ सेक्यूरिटी ऑफिसर की सैलरी भी 7 से लेकर 11 फीसदी तक बढ़ी है. इन भूमिकाओं में कुल सैलरी का करीब 60 फीसदी हिस्सा तय होता है. जबकि बाकी का 40 फीसदी छोटी और लंबी अवधि में इंसेंटिव के तौर पर कंपनियां देती हैं.
400 कंपनियों ने सर्वे में लिाय हिस्सा
सीईओ के बाद देश में सबसे ज्यादा तनख्वाह वाले एग्जिक्यूटिव पद चीफ ऑपरटिंग ऑफिसर और चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर के हैं. इनकी कुल तनख्वाह 4 करोड़ के करीब है. डेलॉयट इंडिया एग्जिक्यूटिव परफॉर्मेंस रिवॉर्ड्स सर्वे के इस छठे एडिशन को सिंतबर 2024 में लॉन्च किया गया था. इस सर्वे में 400 से अधिक कंपनियों ने हिस्सा लिया. ये कंपनियां अलग-अलग सेक्टर के रहें. मगर इनमें किसी सरकारी कंपनी को शामिल नहीं किया गया. यानी कुल मिलाकर ये प्राइवेट कंपनियों के अधिकारियों का लेखा-जोखा है.
स्टॉक आधारित इंसेंटिव का बढ़ा चलन
सर्वे के जरिये ये समझने की कोशिश की गई कि लीडरशिप के स्तर पर कंपनियां किस तरह परफॉर्मेंस का आकलन करती हैं. रिपोर्ट में ये जानकारी भी निकल कर आई कि कंपनियां पिछले बरसों की तुलना में वित्तीय और रणनीतिक लक्ष्य में कमी पर एग्जिक्यूटिव स्तर पर अब काफी कम इंसेटिव दे रही हैं. स्टॉक आधारित इंसेटिव देने का भी एक चलन कंपनियों में बढ़ा है. एक ऐसे समय में जब दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाएं और बाजार हिचकोले खा रहे हैं, कंपनियों के लीडरशिप लेवल पर सैलरी में इजाफा अपने आप में बड़ी बात है.
बाजार में RBI के फैसले का असर नहीं, सेंसेक्स में 400 अंक की गिरावट, निफ्टी 22,400 के नीचे!
9 Apr, 2025 10:59 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वैश्विक बाजारों में कमजोर रुख के बीच भारतीय शेयर बाजार बुधवार (9 अप्रैल) को एक बार फिर गिरावट में खुले। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप (Donald Trump) के व्यापारिक देशों पर टैरिफ लगाने की समयसीमा नजदीक आने के साथ बाजार में अस्थिरता देखने को मिल रही है। साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंका बढ़ने से हैवी वेटेज रखने वाले आईटी स्टॉक्स में दबाव देखा जा रहा है।
तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) आज यानी बुधवार को 100 अंक से ज्यादा की गिरावट लेकर 74,103.83 पर ओपन हुआ। मंगलवार को यह 74,227.08 पर बंद हुआ था। सुबह 9:25 बजे सेंसेक्स 268.34 अंक या 0.36% की गिरावट लेकर 73,958.74 पर था।
इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के निफ्टी-50 में भी कमजोर रुख देखने को मिल रहा है। यह गिरावट के साथ 22,460.30 अंक पर ओपन हुआ जबकि मंगलवार को यह 22,535.85 पर क्लोज हुआ था। सुबह 9:25 बजे निफ़्टी 107.70 अंक या 0.48% की गिरावट लेकर 22,428.15 पर था।
RBI ने Repo Rate 25 bps घटाकर 6.0% किया
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बुधवार 9 अप्रैल को नीतिगत दर रीपो रेट को 0.25% घटाकर 6.0% करने का ऐलान किया। आरबीआई ने अपनी पिछली बैठक (7 फरवरी) में रेपो रेट (Repo Rate) को 25 आधार अंक घटाकर 6.25% कर दिया था। तब से अमेरिका के सख्त टैरिफ के कारण आर्थिक अनिश्चितता बढ़ गई है। इससे केंद्रीय बैंक से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें बढ़ गई थी।
ट्रंप ने चीन पर लगाया 104% टैरिफ
अमेरिका और चीन के बीच जारी व्यापारिक तनाव अब और ज्यादा गहरा सकता है। व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने बताया है कि अमेरिका बुधवार (8 अप्रैल) को पूर्वी समयानुसार रात 12:01 बजे (0401 GMT) से चीन पर 104 प्रतिशत टैरिफ लागू करेगा।यह फैसला अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार विवाद को और बढ़ा सकता है।
ट्रंप प्रशासन का कहना है कि चीन जैसी कुछ देश अमेरिका के साथ अनुचित व्यापार कर रहे हैं। हाल के हफ्तों में ट्रंप ने कई बार विदेशी देशों पर यह आरोप लगाया कि वे अमेरिकी सामान पर भारी टैक्स लगाते हैं और अमेरिका की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
FIIs की बिकवाली जारी
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) की भारतीय शेयर बाजारों से बिकवाली लगातार जारी है। विदेशी निवेशकों ने 8 अप्रैल को 4,994.24 करोड़ रुपये मूल्य के भारतीय शेयर बेचे। हालांकि, घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने मंगलवार को 3,097.24 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे।
मंगलवार को बाजार में आई थी रिकवरी
इससे पहले मंगलवार के ट्रेडिंग सेशन में इन्फोसिस, रिलायंस इंडस्ट्रीज, भारती एयरटेल, एचडीएफसी बैंक और एलएंडटी जैसे भारी भरकम स्टॉक्स में जोरदार तेजी से बाजार में शानदार रिकवरी देखने को मिली। बीएसई सेंसेक्स 1089.18 अंक या 1.49% के जोरदार उछाल के साथ 74,227.08 पर बंद हुआ। एनएसई निफ्टी 374.25 अंक या 1.69% की मजबूती के साथ 22,535.85 पर क्लोज हुआ।
वैश्विक बाजारों से क्या संकेत?
अमेरिकी स्टॉक फ्यूचर्स में मंगलवार को गिरावट आई। डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज से जुड़े फ्यूचर्स 1.2 प्रतिशत गिर गए। नैस्डैक-100 फ्यूचर्स 1.8 प्रतिशत और एसएंडपी 500 फ्यूचर्स में 1.5 प्रतिशत की कमी आई। पिछले ट्रेडिंग सेशन में वॉल स्ट्रीट बेंचमार्क्स निचे बंद हुए थे। डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 0.84 प्रतिशत गिरकर 37,645.59 पर और एसएंडपी 500 भी 1.57 प्रतिशत घटकर 4,982.77 पर बंद हुआ। इसके अलावा नैस्डैक 2.15 प्रतिशत गिरकर 15,267.91 पर बंद हुआ।
एशियाई बाजारों में जापान का निक्केई इंडेक्स 225….2.72 प्रतिशत गिरा, दक्षिण कोरिया का कोस्पी 0.71 प्रतिशत और ऑस्ट्रेलिया का एसएंडपी/एएसएक्स 200 1.35 प्रतिशत नीचे था।
निफ्टी के लिए 22,320 महत्वपूर्ण स्तर
आसित सी. मेहता इन्वेस्टमेंट इंटरमीडियेट्स के अस्सिस्टेंस वाइस प्रेजिडेंट (टेक्निकल और डेरिवेटिव्स रिसर्च) हृषिकेश येदवे के अनुसार, डेली चार्ट पर निफ्टी ने एक हरा कैंडल फॉर्म किया और पिछले सेशन में 22,320 की बाधा के ऊपर बना रहा। यह निरंतर खरीदारी की रुचि और ताकत का संकेत देता है। “ऊपर की ओर 22,800 निकटतम प्रतिरोध स्तर है। जबकि 22,320 अब महत्वपूर्ण समर्थन के रूप में कार्य करेगा। 22,800 के ऊपर एक निर्णायक मोव क़ी संभावना खुल सकती है। निवेशक इन महत्वपूर्ण स्तरों पर निगरानी रखने की सलाह दी जाती है, ताकि संभावित व्यापारिक अवसरों का लाभ लिया जा सके।