व्यापार
महंगाई और छोटे घरों से जूझते लोग: सेकंड होम की ओर बढ़ रहा रुझान, 20% की डिमांड बढ़ी
14 Apr, 2025 07:33 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महानगरों में घरों का आकार छोटा होने के कारण, दूसरे घर (सेकंड होम) की मांग बढ़ रही है। ये घर मुख्य रूप से शहरों के बाहरी इलाकों में मनोरंजन के लिए इस्तेमाल होते हैं और अब इसमें दोहरे मकसद से निवेश किया जा रहा है। प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) को मिलने वाले कर लाभ और घरेलू खरीदारों के लिए आकर्षक विकल्प के कारण इन प्रॉपर्टी को दो वजहों, जीवनशैली को बेहतर बनाने और रणनीतिक वित्तीय परिसंपत्ति के रूप में अहम माना जा रहा है।
देश के रियल एस्टेट डेवलपर के राष्ट्रीय संगठन, कन्फेडरेशन ऑफ रियल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशंस ऑफ इंडिया (क्रेडाई) के अध्यक्ष बमन ईरानी कहते हैं, ‘पिछले दो वर्षों में उभरते हुए सेकंड होम सेगमेंट में प्लॉट और हॉलिडे होम की बिक्री लगभग 15-20 प्रतिशत बढ़ी है। प्रमुख महानगरों से 100-150 किलोमीटर की दूरी वाली जगहों में खरीदारों की दिलचस्पी में 25-30 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है जिसका कारण बेहतर बुनियादी ढांचा और बेहतर कनेक्टिविटी है।’
भारतीय शहरों में ऐसे सेकंड होम की मांग बढ़ रही है जहां विस्तार किए जाने लायक हरियाली वाले स्थान हों। उदाहरण के तौर पर बेंगलूरु में, नंदी हिल्स और बन्नेरघट्टा नैशनल पार्क के पास जिगनी उभरती हुई जगहों में शामिल है। वहीं चेन्नई में, ईसीआर पर महाबलीपुरम और कोवलम मुख्य सड़क पर समुद्र तट के किनारे वाले घरों के कारण खरीदार आकर्षित होते हैं।
मुंबई में अलीबाग और कर्जत में अच्छी-खासी मांग देखी जा रही है जबकि पुणे के लोगों की दिलचस्पी लोनावाला में है। वहीं दिल्ली में छतरपुर और महरौली-गुड़गांव रोड (सुल्तानपुर) में मौजूद फार्महाउस काफी लोकप्रिय हैं।
सेकंड होम की कीमत आमतौर पर 1 करोड़ से 3.5 करोड़ रुपये के दायरे में है और प्रॉपर्टी का आकार 1,000 से 3,000 वर्गफुट तक है। केंद्रीय बजट 2025 में किराये में स्रोत पर कर कटौती को सरल बनाया गया जिसके कारण घर के मालिकों को दो प्रॉपर्टी को कर मुक्त बताने का दावा करने का मौका मिला।
एनारॉक समूह के अध्यक्ष अनुज पुरी कहते हैं, ‘नॉमिनल किराये की आय पर कराधान हटाने से घर खरीदने के रुझान को बढ़ावा मिलता है और इससे रियल एस्टेट निवेश विशेषतौर पर सेकंड होम के बाजार में वृद्धि होती है।’ एटमॉस्फेयर लिविंग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) संदीप आहूजा ने कहा, ‘2025 के बजट में सेकंड होम में आयकर राहत जैसे अतिरिक्त प्रोत्साहन ने उन्हें जीवनशैली को बेहतर बनाने और ठोस निवेश दोनों ही रूप में अधिक आकर्षक बना दिया है।’
बाजार के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि अति धनाढ्य व्यक्ति (एचएनआई) अपनी पसंदीदा पर्यटन स्थलों वाली जगहों पर छुट्टियां बिताने वाली जगह के लिए या सेकंड होम के लिए निवेश करते हैं और कई पेशेवर अपना करियर खत्म होने के बाद भविष्य में रहने के लिए रिटायरमेंट होम में निवेश करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि कई अमीर भारतीय अपनी सुविधा के लिए और अपने कारोबार और परिवारों के करीब रहने के लिए कई शहरों में दूसरे घर रखते हैं। ये कारक रियल एस्टेट कंपनियों को इस क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बढ़ाने और भीड़ से अलग दिखने के लिए कुछ अनूठी बिक्री सेवाओं के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
कुशमैन ऐंड वेकफील्ड के प्रबंध निदेशक (आवासीय सेवाएं) शालिन रैना ने कहा कि बेहतर बुनियादी ढांचा और कनेक्टिविटी जैसे कि एक्सप्रेसवे आदि और प्रमुख सेकंड होम वाले लोकेशन के लिए सीधी उड़ानें, इस मांग को और बढ़ाएंगी।
रैना ने आगे कहा, ‘इन स्थानों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बेहतर बनाना भी महत्वपूर्ण होगा, खासतौर पर वरिष्ठ नागरिकों के लिए। आखिर में सतत विकास का समर्थन करने वाली और उभरते सेकंड होम बाजारों में रियल एस्टेट निवेश को प्रोत्साहित करने वाली नीतियां इस श्रेणी के दीर्घकालिक विकास में योगदान देंगी।’
सत्व समूह में बिक्री, मार्केटिंग और सीआरएम की उपाध्यक्ष करिश्मा सिंह ने सरकारी प्रोत्साहनों से प्रेरित होकर आवासीय बाजार में प्रवेश करने वाली महिलाओं की बढ़ती तादाद पर जोर दिया।
मुंबई के इरा लाइफस्पेस के संस्थापक विकास सुतारिया वेलनेस आधारित सुविधाओं और हरियाली वाली लक्जरी विला परियोजनाओं की मांग में बढ़ोतरी देख रहे हैं जिसके कारण यह सेकंड होम निवेशकों के लिए तेजी से लोकप्रिय विकल्प बन रहा है। सुतारिया कहते हैं, ‘हम लोनावाला और अलीबाग जैसी जगहों में प्रीमियम सेकंड होम का बेहतर अनुभव देकर इस बढ़ती मांग का रणनीतिक रूप से फायदा कर रहे हैं। हमारा ध्यान बेहतरीन सुविधाओं के साथ लक्जरी विला वाला समुदाय तैयार करने पर है। इसके अतिरिक्त, हम अपनी पेशकश को एचएनआई, एनआरआई और शहरी पेशेवरों की आकांक्षाओं के साथ जोड़ रहे हैं जो एक सेकंड होम की तलाश में हैं और यह बेहतरीन जीवन शैली का अनुभव देने के साथ ही एक ठोस निवेश भी साबित हो।’
शहरीकरण और रियल एस्टेट की बढ़ती कीमतों के चलते महानगरों में घर का आकार छोटा हो रहा है और इसके कारण ही घरों के खरीदार शहर के बाहरी इलाकों में दूसरे घरों में निवेश करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं जहां काफी बड़े घर का विकल्प मिल सकता है।
वाधवा समूह के सीईओ (टाउनशिप) संदीप संथालिया कहते हैं, ‘इसके अलावा इन क्षेत्रों में बंगले और प्लॉट पर विकास करने की प्राथमिकता बढ़ रही है क्योंकि घर खरीदने वाले रहने की बड़ी जगह की तलाश करते हैं जो बेहतर और व्यापक जीवन शैली वाली उनकी आकांक्षाओं के अनुरूप हो।’ समूह ने प्रमुख स्थानों में प्लॉट का विकास करने, बंगले और एकीकृत टाउनशिप पर अपना ध्यान देना शुरू किया है। साथ ही यह सेकंड होम खरीदारों और बड़े तथा आधुनिक घरों की तलाश करने वालों को लक्षित कर रहा है। भारत में रियल एस्टेट एक ऐसा क्षेत्र रहा है जिस संपत्ति वर्ग की कीमत लगातार बढ़ती रही है। ऐसे में सेकंड होम एक बेहतर निवेश है। सत्व की करिश्मा सिंह कहती हैं, ‘ये आपको निवेश को अलग-अलग जगहों पर लगाने, संपत्ति को सुरक्षित रखने और महंगाई से सुरक्षा देने के लिए अहम हैं क्योंकि ये असल संपत्ति के रूप में मौजूद होते हैं। साथ ही रिटायर होने के बाद अच्छी जगहों पर रहने के लिहाज से भी ये बेहतर साबित हो रहे हैं।’
भारत-अमेरिका में बढ़ेगी व्यापारिक नजदीकी! इस हफ्ते से शुरू होंगी अहम बातचीत
14 Apr, 2025 07:31 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका की नजर ‘90 दिनों में 90 व्यापार करार’ करने पर है। ऐसे में भारत और अमेरिका प्रस्तावित व्यापार समझौते को लेकर वर्चुअल तरीके से क्षेत्र-विशिष्ट से संबंधित चर्चा शुरू करने के लिए तैयार हैं। इसका उद्देश्य मई के अंत तक उन क्षेत्रों को अंतिम रूप देना है जहां बातचीत सुगमता से पूरी हो सकती है। दोनों देशों के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते के तहत क्षेत्र विशेष को लेकर बातचीत इस सप्ताह वर्चुअल रूप से शुरू होगी जो आगे आमने-सामने की औपचारिक वाता के लिए आधार तैयार करेगी।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘बातचीत में कुछ पहलुओं पर समय लगता है। हमारी टीमें वर्चुअल बातचीत में जुटी हुई हैं। उम्मीद है कि अगले 6 हफ्तों में हमें यह पता चल जाएगा कि किन क्षेत्रों पर चर्चा करने में ज्यादा वक्त लगेगा और कहां बातचीत तेजी से निपटाई जा सकती है।’
उक्त अधिकारी ने कहा कि अगले कुछ हफ्ते में दोनों देशों में शुल्क और व्यापक आर्थिक नीतियों की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए ऐसे लक्ष्यों की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जिसे सही मायने में प्राप्त किया जा सकता है।
यह घटनाक्रम अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा पिछले सप्ताह अधिकांश देशों पर लगाए गए उच्च जवाबी शुल्क को वापस लेने के निर्णय की पृष्ठभूमि में हुआ है। अमेरिकी प्रशासन ने मंदी और मुद्रास्फीति के डर के बीच चीन को छोड़कर देश-विशिष्ट पर लगाए गए जवाबी शुल्कों को 90 दिनों के लिए रोक दिया है। वर्तमान में अमेरिका अपने यहां आयात होने वाले सामान पर सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र शुल्क के अलावा 10 फीसदी का बुनियादी शुल्क वसूल रहा है। ट्रंप ने कहा था कि जवाबी शुल्क पर अस्थायी रोक से देशों को अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते करने की सहूलियत मिलेगी।
सरकारी अधिकारियों का मानना है कि भारत को पहले कदम उठाने का फायदा होगा क्योंकि दोनों देशों ने जवाबी शुल्क की घोषणा से पहले ही व्यापार समझौते के लिए बातचीत शुरू कर दी थी। फरवरी में भारत और अमेरिका ने साल के अंत तक पारस्परिक रूप से लाभकारी द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण को अंतिम रूप देने का इरादा किया था।
भारत और अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं मगर 9 जुलाई तक अंतरिम व्यापार करार करने का भी प्रयास कर रहे हैं, बशर्ते बातचीत सही दिशा में आगे बढ़े और दोनों देशों के हित में हो।
अधिकारी ने कहा, ‘द्विपक्षीय व्यापार करार का पहला चरण साल के अंत तक पूरा हो सकता है। हालांकि हम एक ऐसे व्यापक करार की संभावना
तलाश कर रहे हैं जो दोनों पक्षों के लिए फायदेमंद हो। हम सौदे के अगले चरण पर चर्चा जारी रख सकते हैं। छह महीने में सब कुछ नहीं हो सकता।’
काउंसिल फॉर सोशल डेवलपमेंट के प्रतिष्ठित प्रोफेसर विश्वजीत धर ने कहा कि 90 दिनों में किसी समझौते पर हस्ताक्षर करना मुश्किल है। बाजार पहुंच के लिए द्विपक्षीय बातचीत की जा सकती है। अगर अमेरिका भारत पर कुछ कानूनों या नियमों में बदलाव करने का दबाव डालता है तो इसे सर्वाधिक तरजीही राष्ट्र के आधार पर (सभी देशों के लिए) किया जाना चाहिए।’
20 करोड़ उपभोक्ताओं के साथ जियो-हॉटस्टार बना भारत का सबसे बड़ा डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म
14 Apr, 2025 07:08 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जियोहॉटस्टार के उपभोक्ताओं की संख्या शुक्रवार को 20 करोड़ के पार पहुंच गई। इस ओवर द टॉप (ओटीटी) प्लेटफॉर्म की कामयाबी में मौजूदा आईपीएल का अहम योगदान रहा है। एक सूत्र के अनुसार जियोहॉटस्टार दुनिया के सबसे बड़े ओटीटी प्लेटफॉर्म में शुमार हो गई।
सूत्र के अनुसार जब 14 फरवरी को जियोहॉटस्टार के रूप में इस ओटीटी प्लेटफॉर्म की शुरुआत हुई थी तब उसके 5 करोड़ उपभोक्ता थे और 22 मार्च को आईपीएल शुरू होने के कुछ ही दिनों के भीतर इसके उपभोक्ताओं की संख्या 10 करोड़ पार कर गई।
कंपनी ने अपने ओटीटी उपभोक्ताओं की संख्या पर तो कुछ नहीं कहा मगर जियोस्टार के मुख्य कार्याधिकारी (खेल) संजोग गुप्ता ने बताया, ‘20 लाख से अधिक घरों में परंपरागत टेलीविजन पर हमारा ओटीटी देखा जा रहा है। आईपीएल के कारण पिछले तीन हफ्तों के दौरान पे टीवी खंड में भी हम 20 लाख से अधिक घरों में पहुंच चुके हैं। ‘
सूत्र ने कहा कि आईपीएल के पहले 24 मैचों में जियोहॉटस्टार को डिजिटल (मोबाइल और कनेक्टेड टीवी) प्लेटफॉर्म पर 800 करोड़ से अधिक व्यू मिले। यह आंकड़ा आईपीएल 2024 के जीवंत डिजिटल व्यू और मैच देखने पर बिताए गए समय की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक है। गुप्ता ने कहा कि आईपीएल में अंतरराष्ट्रीय विज्ञापनदाता भी दिलचस्पी दिखा रहे हैं। पहले ये अंतरराष्ट्रीय विज्ञापनदाता अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों के लिए जियोस्टार नेटवर्क से जुड़े रहे थे।
गुप्ता ने कहा, ‘दुनिया में क्रिकेट के एक प्रमुख टूर्नामेंट के रूप में आईपीएल की पहचान बढ़ने से अंतरराष्ट्रीय स्तर के विज्ञापनदाताओं की दिलचस्पी काफी बढ़ी है। ये अंतरराष्ट्रीय विज्ञापनदाता भी आईपीएल की लोकप्रियता को देखते हुए क्रिकेट के इस भव्य आयोजन से जुड़ना चाहते हैं। आईपीएल ने विज्ञापन राजस्व और सबस्क्रिप्शन दोनों जुटाने के मामले में अहम योगदान दिया है।‘
बाजार में 10 से 20 लाख रुपये कीमत की कारों ने बनाई जगह
13 Apr, 2025 06:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। भारतीय कार बाजार में अब 10 से 20 लाख रुपये की रेंज में आने वाली कारों ने अपनी खास जगह बना ली है। इन कारों में न केवल दमदार फीचर्स हैं, बल्कि साइज, परफॉर्मेंस और किफ़ायत के लिहाज़ से भी ये खरीदारों को खूब लुभा रही हैं। खास बात यह है कि इस मूल्य वर्ग में कॉम्पैक्ट एसयूवी से लेकर एमपीवी तक कई सेगमेंट के मॉडल मिलते हैं। कॉम्पैक्ट एसयूवी सेगमेंट में हाल ही में लॉन्च हुई किआ सिरोस ने बाजार में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है। इसकी कीमत 9 लाख रुपये से शुरू होकर 17.80 लाख रुपये तक जाती है। इसमें ट्रिनिटी पैनोरमिक डिस्प्ले, डुअल सनरूफ और लेवल-2 अडास जैसे फीचर्स दिए गए हैं।
सिरोस पेट्रोल और डीजल दोनों विकल्पों में उपलब्ध है, जिसमें मैनुअल और ऑटोमैटिक ट्रांसमिशन शामिल हैं। मिड-साइज़ एसयूवी की बात करें तो हुंडई क्रेटा इस सेगमेंट में लंबे समय से बादशाह बनी हुई है। 11.11 लाख से शुरू होकर 20.50 लाख रुपये तक की कीमत वाली इस एसयूवी में तीन इंजन विकल्प मिलते हैं और यह पेट्रोल व डीजल दोनों में उपलब्ध है। वहीं, सेडान पसंद करने वालों के लिए वोक्सवैगन वर्टस एक शानदार विकल्प है। इसकी कीमत 11.56 लाख से लेकर 19.40 लाख रुपये तक है। इसमें 40 से अधिक सेफ्टी फीचर्स के साथ-साथ शानदार इंटीरियर और टर्बो पेट्रोल इंजन के दो विकल्प मौजूद हैं। अगर किसी को 7-सीटर एमपीवी चाहिए तो मारुति सुजुकी एर्टिगा सबसे भरोसेमंद नाम है।
इसकी कीमत 8.84 लाख से 13.13 लाख रुपये तक है। पेट्रोल और सीएनजी दोनों विकल्पों में उपलब्ध एर्टिगा का माइलेज शानदार है और यह देश की सबसे अधिक बिकने वाली एमपीवी बन चुकी है। इन चारों सेगमेंट में इन कारों की लोकप्रियता यह दिखाती है कि 10 से 20 लाख की रेंज अब भारत में नई कार खरीदारों की पहली पसंद बनती जा रही है। बता दें कि भारतीय यात्री वाहन क्षेत्र में आज खरीदारों के पास हर कीमत और सेगमेंट में भरपूर विकल्प मौजूद हैं। एक समय था जब 10 लाख रुपये से कम की कारों की मांग सबसे अधिक थी।
रिजर्व बैंक खरीदेगा 40,000 करोड़ के सरकारी बॉन्ड
13 Apr, 2025 05:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि वह 17 अप्रैल को 40,000 करोड़ रुपए के सरकारी बॉन्ड ओपन मार्केट ऑपरेशन (ओएमओ) के जरिए खरीदेगा। इसका मुख्य उद्देश्य है वित्तीय अर्थव्यवस्था में बढ़ती हुई लिक्विडिटी को संभालना। रिजर्व बैंक द्वारा खरीदे जाने वाले बॉन्ड मल्टीपुल विपरीतों के बीच से 2028 और 2039 में मैच्योर किए गए हैं। यह कदम आरबीआई के सिस्टम में शामिल होने वाले हाल ही के कदमों का एक और उदाहरण है जो लिक्विडिटी को बढ़ाने के लिए उठाए गए हैं। इसके अलावा, 3 अप्रैल को आयोजित ओएमओ नीलामी में वित्तीय संस्थानों से 2029 और 2039 के बीच मैच्योर किए गए बॉन्ड पर 80,820 करोड़ रुपए की पेशकश की गई थी। इसके अतिरिक्त, 8 अप्रैल की नीलामी में 2032 और 2039 के बीच मैच्योर होने वाले बॉन्ड पर 70,144 करोड़ रुपए की पेशकश की गई थी। आगामी 3, 8, 22 और 29 अप्रैल को भी 20,000 करोड़ रुपए की चार बराबर किस्तों में आयोजित की जाएगी। इसके अलावा आरबीआई ने मार्च में भी 50,000 करोड़ रुपए की दो किस्तों में 1 लाख करोड़ रुपए की सरकारी सिक्योरिटीज की ओएमओ खरीद की थी। वहीं केंद्रीय बैंक ने 36 महीनों के लिए 10 बिलियन डॉलर की डॉलर-रुपया खरीद/बिक्री स्वैप नीलामी भी आयोजित की थी।
लोकप्रिय ईको वैन को अहम अपडेट्स के साथ पेश
13 Apr, 2025 04:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। अपनी लोकप्रिय ईको वैन को मारुति सुजुकी ने 2025 के लिए अहम अपडेट्स के साथ पेश किया है। कंपनी ने वाहन की सुरक्षा और नियामक मानकों पर जोर देते हुए ईको में छह एयरबैग स्टैंडर्ड तौर पर दिए हैं, जो पहले की तुलना में बड़ा सुधार है, क्योंकि पहले इसमें केवल दो फ्रंट एयरबैग होते थे।
यह नया अपडेट इसे मारुति की उन गाड़ियों की सूची में शामिल करता है जो सुरक्षा के मामले में नए मानकों को पूरा कर रही हैं, जैसे ऑल्टो के10, डिजायर और सेलेरियो। सुरक्षा के अन्य पहलुओं में ईको को अब तीन-बिंदु सीटबेल्ट, ईएससी, ईबीडी के साथ एबीएस, रियर पार्किंग सेंसर और सीटबेल्ट रिमाइंडर जैसी सुविधाओं से लैस किया गया है। वाणिज्यिक और पारिवारिक दोनों तरह के ग्राहकों के लिए यह अब एक सुरक्षित विकल्प बन गया है। कंपनी ने पहले के 7-सीटर वेरिएंट को बंद कर दिया है और अब केवल 6-सीट कॉन्फ़िगरेशन (सभी सीटें आगे की ओर) और 5-सीटर वर्जन ही उपलब्ध हैं। 5-सीटर वर्जन में अब लगेज रिटेंशन हुक जैसे फीचर्स भी दिए गए हैं।
इंजन पहले जैसा 1.2-लीटर पेट्रोल ही है, लेकिन अब यह ई20 फ्यूल (20 प्रतिशत एथनॉल मिक्स) के अनुरूप है। सीएनजी वर्जन भी जारी है, जिससे पर्यावरण के प्रति जागरूक ग्राहक भी संतुष्ट होंगे। डिज़ाइन में हालांकि ज्यादा बदलाव नहीं हुआ है, लेकिन अब इसमें नया फैब्रिक अपहोल्स्ट्री, रिक्लाइनिंग फ्रंट सीटें और एयरबैग फिट करने के लिए संशोधित रूफ लाइनर व पिलर ट्रिम्स शामिल हैं।
तहव्वुर राणा ने रखी तीन मांगें, एनआईए ने सभी मानीं, पढ़ंने के लिए दिया कुरआन
13 Apr, 2025 03:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। मुंबई हमलों का साजिशकर्ता तहव्वुर राणा से एनआईए लगातार पूछताछ कर रही है। उससे रविवार को भी पूछताछ की जा रही है। अमेरिका से प्रत्यर्पित कर लाए गए राणा को एनआईए हेडक्वार्टर में हाई-सिक्योरिटी सेल में रखा गया है। इस बीच रिपोर्ट सामने आई है कि उसने कुछ मांगे रखीं, जिन्हें स्वीकार कर दिया गया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राणा ने अब तक एनआईए कस्टडी में तीन मांगें रखी हैं, जिन्हें आधिकारिक रूप से स्वीकार कर लिया गया है, लेकिन सभी मांगे बिना किसी विशेष रियायत के दी गई हैं। तहव्वुर राणा ने पढ़ने के लिए कुरआन की मांग की, जिसे तुरंत मान लिया गया। अधिकारियों के मुताबिक वह दिन में पांच बार नमाज अदा करता है। उसने लिखने के लिए पेन और पेपर भी मांगे, जो उसे दे दिए गए हैं। हालांकि इस बात की निगरानी हो रही है कि वह पेन का इस्तेमाल खुद को नुकसान पहुंचाने या किसी अनुचित कार्य के लिए न कर सके। कोर्ट के निर्देश पर राणा को दिल्ली लीगल सर्विसेज अथॉरिटी द्वारा नियुक्त वकील से हर वैकल्पिक दिन मिलने की अनुमति दी गई है।
अधिकारियों के मुताबिक राणा को कोई वीआईपी ट्रीटमेंट नहीं दिया जा रहा है। उसके साथ सामान्य कैदियों की तरह ही व्यवहार हो रहा है। राणा की हर 48 घंटे में मेडिकल जांच की जा रही है ताकि उसकी सेहत पर नजर रखी जा सके।
बाइक सीबी300आर की कुछ यूनिट्स को वापस मंगवाने का फैसला
13 Apr, 2025 03:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। अपनी प्रीमियम बाइक सीबी300आर की कुछ यूनिट्स को होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया ने हेडलाइट से जुड़ी तकनीकी खामी के कारण वापस मंगवाने का फैसला किया है। यह रिकॉल 2018 से 2020 के बीच निर्मित यूनिट्स के लिए लागू होगा। कंपनी ने यह कदम वैश्विक स्तर पर उठाए गए ऐसे ही सुधारात्मक एक्शन के अनुरूप उठाया है। कंपनी का कहना है कि यह कार्रवाई पूरी तरह एहतियातन है और इसके तहत प्रभावित यूनिट्स के खराब हिस्सों को बदला जाएगा। कंपनी ने ग्राहकों को सलाह दी है कि वे ‘होंडा बिगविंग’ वेबसाइट पर जाकर अपनी बाइक की विशिष्ट वाहन पहचान संख्या (वीआईएन) दर्ज करें, जिससे यह पता लगाया जा सके कि उनकी बाइक इस रिकॉल अभियान के तहत आती है या नहीं। यदि वीआईएन नंबर प्रभावित बैच से मेल खाता है, तो ग्राहक नजदीकी सर्विस सेंटर पर जाकर फ्री में मरम्मत करा सकते हैं।
होंडा सीबी300आर एक प्रीमियम कैटेगरी की बाइक है जिसकी दिल्ली में एक्स-शोरूम कीमत करीब 2.40 लाख रुपये है और ऑन रोड कीमत लगभग 2.73 लाख रुपये तक जाती है। मार्च 2022 में लॉन्च हुई अपडेटेड सीबी300आर में नया बीएस-6 इंजन दिया गया है, हालांकि बाइक के बाकी फीचर्स और स्पेसिफिकेशन लगभग पहले जैसे ही हैं। इस तरह की तकनीकी समस्याओं से ब्रांड की साख पर असर पड़ सकता है, लेकिन कंपनी की ओर से समय रहते उठाया गया।
ओला इलेक्ट्रिक के बिक्री के आंकड़ों को लेकर विवाद
13 Apr, 2025 02:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली । ओला इलेक्ट्रिक कंपनी के बिक्री को लेकर जारी किए गए आंकड़ों पर विवादों में घिरी हुई है। फरवरी 2025 में जारी हुए आंकड़े को लेकर पांच हफ्ते बीतने के बाद भी कंपनी को सफाई देनी पड़ रही है। वजह है कंपनी द्वारा बताए गए 25,000 यूनिट्स की बिक्री और व्हीकल रजिस्ट्रेशन के आधिकारिक आंकड़ों के बीच भारी अंतर।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को दिए जवाब में ओला ने ऐसे वाहनों को भी शामिल कर लिया, जो बाजार में लॉन्च ही नहीं हुए थे। 9 अप्रैल को ओला इलेक्ट्रिक ने एक्सचेंजों को एक बयान जारी कर बताया कि फरवरी की बिक्री की जानकारी उन कन्फर्म ऑर्डरों पर आधारित थी, जिनमें से लगभग 90 प्रतिशत ऑर्डर प्लेसमेंट के समय पूरी तरह भुगतान किए जा चुके थे। कंपनी के मुताबिक इन ऑर्डरों में जेन 3 और रोडस्टेर एक्स जैसे नए प्रोडक्ट भी शामिल थे, जो फरवरी में फुल पेमेंट के साथ खरीदे जा सकते थे। हालांकि, सच्चाई यह है कि ओला इलेक्ट्रिक ने फरवरी में वाहन रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया बाहरी एजेंसियों से हटाकर इन-हाउस कर दी थी, जिससे देशभर के आरटीओ के साथ उनके संबंधों में बाधा आई और रजिस्ट्रेशन डेटा प्रभावित हुआ।
सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़े बताते हैं कि फरवरी में ओला की सिर्फ 8,649 यूनिट्स ही रजिस्टर्ड हुईं, जो कंपनी के दावे की एक तिहाई है। 1 मार्च को सामने आए इन आंकड़ों ने सवाल खड़े कर दिए कि जब वाहन रजिस्ट्रेशन के बिना उन्हें बेचा नहीं जा सकता, तो फिर ओला के 25,000 यूनिट्स की बिक्री का दावा कैसे सही हो सकता है। केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार, वाहन की डिलीवरी से पहले उसका रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। अब ओला इलेक्ट्रिक पर आरोप है कि उसने निवेशकों और आम जनता को गुमराह करने के लिए बिक्री के आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया।
20 की उम्र में ही बनाएं पैसा संभालने की आदत, आगे बनेगा करोड़ों का फंड
12 Apr, 2025 06:26 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
20 का दशक जिंदगी का वो समय है, जब करियर की शुरुआत होती है, व्यक्तिगत सपने आकार लेते हैं, और आजादी का नया एहसास मिलता है। इस उम्र में आर्थिक फैसले भविष्य को मजबूत बना सकते हैं। अगर सही समय पर सही कदम उठाए जाएं, तो लंबे समय तक आर्थिक स्थिरता हासिल की जा सकती है। आज की तेज रफ्तार दुनिया में, जहां खर्च करने के मौके हर कदम पर मिलते हैं, युवाओं के लिए अपने पैसे को समझदारी से मैनेज करना बेहद जरूरी है। आइए, जानते हैं कि 20 की उम्र में किन पांच अहम कदमों से आर्थिक भविष्य को सुरक्षित किया जा सकता है।
खर्चों पर लगाम, बचत की आदत
20 की उम्र में अक्सर नए गैजेट्स, बाहर खाने, या फैशनेबल चीजों पर खर्च करने का लालच होता है। लेकिन बिना सोचे-समझे खर्च करने की आदत भविष्य में आर्थिक परेशानियां ला सकती है। जरूरतों और इच्छाओं में फर्क समझना इस उम्र में बहुत जरूरी है। अपने खर्चों पर नजर रखने के लिए बजट ऐप्स या बैंक स्टेटमेंट की नियमित जांच मददगार हो सकती है। एक आसान तरीका है 50-30-20 नियम को अपनाना। इस नियम के तहत, कमाई का 50% हिस्सा जरूरी खर्चों, जैसे किराया या बिल, 30% अपनी इच्छाओं, जैसे मनोरंजन, और 20% बचत या कर्ज चुकाने के लिए रखा जा सकता है। इससे न सिर्फ खर्चों का हिसाब रहता है, बल्कि बचत की आदत भी पड़ती है। नियमित रूप से अपने खर्चों की समीक्षा करने से यह समझना आसान हो जाता है कि पैसा कहां जा रहा है और उसे बेहतर तरीके से कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है।
कर्ज को समझें, बोझ को हल्का करें
20 की उम्र में कई युवा स्टूडेंट लोन, क्रेडिट कार्ड, या पर्सनल लोन जैसे कर्जों का सामना करते हैं। इन कर्जों को सही तरीके से मैनेज करना आर्थिक स्थिरता के लिए जरूरी है। सबसे पहले, ज्यादा ब्याज वाले कर्ज, जैसे क्रेडिट कार्ड के बिल, को प्राथमिकता देनी चाहिए। इनका जल्द से जल्द भुगतान करने से ब्याज का बोझ कम होता है। साथ ही, दूसरे कर्जों की न्यूनतम किस्तें समय पर चुकाते रहना चाहिए। जब ज्यादा ब्याज वाला कर्ज खत्म हो जाए, तो उस पैसे को बचत या निवेश में लगाया जा सकता है। कर्ज का सही प्रबंधन न सिर्फ आर्थिक तनाव कम करता है, बल्कि भविष्य की योजनाओं के लिए ज्यादा आजादी भी देता है। समय पर भुगतान और कर्ज को नियंत्रित रखने की आदत लंबे समय में क्रेडिट स्कोर को भी बेहतर बनाती है, जो भविष्य में लोन लेने या बड़े निवेश के लिए फायदेमंद हो सकता है।
भविष्य की योजना, आज से शुरुआत
सपने देखने की कोई उम्र नहीं होती, लेकिन उन्हें सच करने की योजना जितनी जल्दी शुरू हो, उतना बेहतर होता है। चाहे घर खरीदने का लक्ष्य हो, दुनिया घूमने की चाहत हो, या परिवार शुरू करने की इच्छा, हर बड़े सपने को छोटे-छोटे कदमों में बांटकर हासिल किया जा सकता है। मिसाल के तौर पर, अगर घर खरीदना लक्ष्य है, तो हर महीने डाउन पेमेंट के लिए बचत शुरू की जा सकती है। इसके लिए अलग से एक बचत खाता खोलना और उसमें नियमित रूप से पैसा डालना फायदेमंद हो सकता है। समय-समय पर अपने लक्ष्यों की समीक्षा करना भी जरूरी है, क्योंकि जिंदगी बदलती रहती है और इसके साथ योजनाओं में भी बदलाव की जरूरत पड़ सकती है। जल्दी शुरू करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि छोटी-छोटी बचतें समय के साथ ब्याज के जरिए बढ़ती हैं, जिससे बड़े लक्ष्य आसानी से पूरे हो सकते हैं।
आर्थिक समझ से बनती है एक मजबूत नींव
20 की उम्र में आर्थिक समझ विकसित करना भविष्य के लिए सबसे बड़ा निवेश है। बजट बनाना, निवेश के तरीके समझना, क्रेडिट स्कोर की अहमियत जानना, और सही वित्तीय फैसले लेना—ये सब वो स्किल हैं, जो लंबे समय तक काम आते हैं। किताबें पढ़ना, ऑनलाइन कोर्स करना, या किसी वित्तीय सलाहकार से मिलना इस दिशा में पहला कदम हो सकता है। सलाहकार व्यक्तिगत जरूरतों के हिसाब से सुझाव दे सकते हैं, जैसे कि सही निवेश के विकल्प चुनना या बचत को बढ़ाने के तरीके। आर्थिक ज्ञान न सिर्फ आत्मविश्वास देता है, बल्कि गलत फैसलों से होने वाले नुकसान से भी बचाता है। आज के दौर में, जब जानकारी आसानी से उपलब्ध है, इस मौके का फायदा उठाकर युवा अपने आर्थिक फैसलों को और मजबूत कर सकते हैं।
छोटी-छोटी चीजों का रखें ध्यान
20 की उम्र में ये छोटे-छोटे कदम—खर्चों पर नियंत्रण, कर्ज का प्रबंधन, भविष्य की योजना, और आर्थिक समझ—आपको उस रास्ते पर ले जा सकते हैं, जहां सपने सिर्फ सपने नहीं रहते, बल्कि हकीकत बनते हैं। सही समय पर शुरूआत करने से न सिर्फ आर्थिक स्थिरता मिलती है, बल्कि जिंदगी को अपनी शर्तों पर जीने की आजादी भी हासिल होती है।
UPI पेमेंट सिस्टम में फिर से गड़बड़ी: Google Pay, PhonePe और Paytm यूजर्स को परेशानी
12 Apr, 2025 05:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारत की सबसे व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली डिजिटल भुगतान प्रणाली, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) को शनिवार को इस महीने दूसरी बार बड़ी रुकावट का सामना करना पड़ा, जिसके कारण देश भर में हजारों यूजर्स के लेनदेन प्रभावित हुए। गूगल पे, पेटीएम और फोनपे जैसे लोकप्रिय थर्ड-पार्टी प्लेटफॉर्म भी इस रुकावट से प्रभावित हुए, जिसके चलते सोशल मीडिया और आउटेज मॉनिटरिंग प्लेटफॉर्म पर शिकायतों की बाढ़ आ गई।
डाउनडिटेक्टर के अनुसार, जो यूजर्स की शिकायतों के आधार पर रीयल-टाइम सेवा रुकावटों को ट्रैक करता है, यह समस्या सुबह 11:26 बजे शुरू हुई और सुबह 11:41 बजे अपने चरम पर पहुंची, जब 222 से अधिक शिकायतें दर्ज की गईं। यूजर्स ने ट्रांजैक्शन फेल होने और फंड ट्रांसफर में समस्याओं को सबसे आम मुद्दों के रूप में बताया।
यूजर्स ने की शिकायतें
एक यूजर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “UPI आज फिर से डाउन है, सभी ट्रांजैक्शन फेल हो रहे हैं। कम से कम अगर यह नियोजित रुकावट है तो पहले सूचना दी जानी चाहिए।” यह पिछले एक साल में UPI की छठी बड़ी रुकावट है और यह मार्च के अंत और अप्रैल की शुरुआत में लगातार दो रुकावटों के कुछ ही दिनों बाद आई है। 26 मार्च को, देश भर के यूजर्स को भुगतान करने में परेशानी हुई, जिसे नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने “तकनीकी समस्या” बताया था। NPCI, जो UPI नेटवर्क का संचालन करता है, ने बाद में पुष्टि की थी कि सिस्टम बहाल हो गया था। लेकिन एक हफ्ते से भी कम समय बाद, 2 अप्रैल को, डाउनडिटेक्टर ने फिर से सैकड़ों शिकायतें दर्ज कीं। इसमें 44 प्रतिशत ट्रांजैक्शन फेल होने से संबंधित और लगभग आधी फंड ट्रांसफर की समस्याओं से जुड़ी थीं।
शनिवार की व्यापक रुकावट के बावजूद, NPCI ने अभी तक इस नवीनतम आउटेज के कारण के बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है।इस सप्ताह की शुरुआत में, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने UPI पर व्यक्ति-से-व्यापारी (P2M) भुगतानों के लिए लेनदेन सीमा को संशोधित करने की मंजूरी दी, जिसका उद्देश्य देश भर में डिजिटल भुगतानों को बढ़ावा देना है।
Oil Market Cooldown: लगातार दूसरी हफ्ते भी घट सकते हैं दाम, जानिए क्या है वजह
12 Apr, 2025 04:12 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
शुक्रवार को तेल की कीमतें स्थिर रहीं, लेकिन अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार युद्ध की आशंका से लगातार दूसरे सप्ताह भी गिरावट का रुझान देखा गया। ब्रेंट क्रूड वायदा 12.21 बजे तक 16 सेंट या 0.25 फीसदी तक चढ़कर 63.49 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया।
यूएस टेक्सस इंटरमीडिएट क्रूड 15 सेंट या 0.25 फीसदी चढ़कर 60.22 डॉलर पर आ गया। ब्रेंट और डब्ल्यूटीआई में करीब 3 फीसदी की साप्ताहिक गिरावट हो सकती है। इन दोनों में पिछले सप्ताह करीब 11 फीसदी की गिरावट आई थी। ब्रेंट इस सप्ताह 60 डॉलर प्रति बैरल से नीचे पहुंचा जो फरवरी 2021 के बाद से इसका सबसे निचला स्तर है।
यूबीएस के विश्लेषक जियोवानी स्टाउनोवो ने कहा, ‘ऊंचे अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ चीन की सख्त प्रतिक्रिया ने बाजार की धारणा को प्रभावित किया है और तेल कीमतों में कमजोरी आई है।’ चीन ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह अमेरिकी सामान पर शनिवार से 125 प्रतिशत शुल्क लगाएगा जो पहले की गई 84 प्रतिशत की घोषणा से अधिक है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने गुरुवार को चीन के खिलाफ टैरिफ बढ़ाकर 145 फीसदी कर दिया था।
बीएमआई के विश्लेषकों का मानना है कि तेल कीमतों पर दबाव की आशंका है क्योंकि निवेशक इस समय चल रही व्यापार वार्ताओं और अमेरिका-चीन के बीच बढ़ते तनाव का जायाज ले रहे हैं।
AI और सेमीकंडक्टर में भारत की बड़ी छलांग, वैष्णव बोले – सुपरपावर बनने की बुनियाद रखी जा चुकी है
12 Apr, 2025 11:51 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सरकार का सेमीकंडक्टर और एआई (आर्टिफिशल इंटेलिजेंस) मिशन तेजी से आगे बढ़ रहा है। भारत ने वर्ष 2030 तक 500 अरब डॉलर के इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन का लक्ष्य रखा है। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी, रेल और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बातचीत में जमीनी स्तर किए जा रहे काम और स्थानीयकरण की दिशा में बढ़ाए जा रहे कदमों पर विस्तार से चर्चा की। मुख्य अंश:
सेमीकंडक्टर योजना के तहत सरकार डिजाइन से जुड़ी प्रोत्साहन (डीएलआई) योजना के जरिये देश में चिप डिजाइनिंग को बढ़ावा दे रही है। इस पर प्रतिक्रिया कैसी रही और कितना काम हुआ है?
हम ऐसे 25 चिपसेट डिजाइन करने के लिए काम कर रहे हैं जहां आईपी (बौद्धिक संपदा) पर भारतीय स्वामित्व होगा। इनमें ऐसे चिप भी शामिल हैं जहां साइबर सुरक्षा संबंधी रोजाना के जोखिम अधिक हैं, जैसे निगरानी वाले कैमरे अथवा वाई-फाई ऐक्सेस पॉइंट में इस्तेमाल होने वाले चिप। डीएलआई योजना के तहत इस क्षेत्र में हमारी 13 ऐसी परियोजनाएं जारी हैं और कुछ में तो अच्छी प्रगति भी हो चुकी है। सभी उपयोगकर्ताओं द्वारा इन चिपसेट का इस्तेमाल किया जा सकता है। बेंगलूरु का सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग इसकी नोडल एजेंसी है। जब हमारे पास अपनी बौद्धिक संपदा होती है तो हमें साइबर हमलों से बेहतर सुरक्षा तो मिलती ही है, वह एक उत्पाद भी बन जाता है।
आपने कॉलेजों और संस्थानों को सहायता देने के लिए एक परिवेश तैयार करने की योजना बनाई थी ताकि हम सेमीकंडक्टर डिजाइन का प्रमुख केंद्र बन सकें। उसकी क्या स्थिति है?
हम अच्छी प्रगति कर रहे हैं। हमने 240 कॉलेजों एवं संस्थानों को दुनिया के बेहतरीन डिजाइन-सॉफ्टवेयर टूल उपलब्ध कराए हैं ताकि वे चिप डिजाइन कर सकें। उन टूल्स का उपयोग करते हुए छात्रों द्वारा डिजाइन किए गए पहले 20 चिप को जल्द ही सेमीकंडक्टर प्रयोगशाला, मोहाली में तैयार किया जाएगा। इससे छात्रों में आत्मविश्वास पैदा होगा कि वे चिप को डिजाइन, सत्यापित और इस्तेमाल कर सकते हैं। अगर वे ऐसा करेंगे तो खुद ही स्टार्टअप बन सकते हैं। इससे हमें 10 वर्षों में 85,000 इंजीनियरों के साथ प्रतिभा का एक बड़ा भंडार तैयार करने में मदद मिलेगी।
हाल में आपने इलेक्ट्रॉनिक्स पुर्जों के लिए नई उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) को अधिसूचित किया है? क्या आपको लगता है कि इससे मूल्यवर्धन को बेहतर करने में मदद मिलेगी?
पिछले 10 वर्षों में हमने देश में इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन को 17 फीसदी चक्रवृद्धि दर से 5 गुना और इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात को 20 फीसदी से अधिक चक्रवृद्धि दर के साथ 6 गुना बढ़ाया है। इसमें पीएलआई की प्रमुख भूमिका रही क्योंकि उसने इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में 25 लाख अतिरिक्त नौकरियां पैदा की हैं। घरेलू मूल्यवर्धन 20 फीसदी तक बढ़ चुका है। इसकी तुलना आप किसी एक देश के सर्वाधिक मूल्यवर्धन से कीजिए। किसी भी देश में इसकी अधिकतम सीमा 38 से 40 फीसदी के दायरे में है। उसे 30 वर्षों में हासिल किया गया है मगर हमने 10 वर्षों में 20 फीसदी मूल्यवर्धन हासिल किया है।
क्या इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए कंपोनेंट पीएलआई घरेलू जरूरतों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करेगा अथवा वह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का हिस्सा होगा?
हम इलेक्ट्रॉनिक्स में आयात के बजाय निर्यात आधारित वृद्धि की मानसिकता तैयार कर रहे हैं। प्रधानमंत्री हमें ‘मेक इन इंडिया ऐंड मेक फॉर द वर्ल्ड’ यानी भारत में दुनिया के लिए विनिर्माण के लिए प्रेरित करते हैं। हमें बड़े पैमाने पर विनिर्माण करना चाहिए। इलेक्ट्रॉनिक पुर्जों की काफी मात्रा निर्यात के लिए होगी। हम वैश्विक मूल्य श्रृंखला में शामिल होंगे। तेजी से मंजूरियां आदि सुनिश्चित करने के लिए हम राज्य सरकारों के साथ काम कर रहे हैं।
एआई में अगला चरण क्या होगा? क्या आपने उन कंपनियों का पैनल तैयार कर लिया है जो ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट्स (जीपीयू) के जरिये उच्च कंप्यूटिंग शक्ति उपलब्ध कराएंगी?
पैनल बनाने का अगला दौर जारी है। इस दौर में भी प्रतिक्रिया पहले दौर जितनी ही अच्छी रही है। दूसरे चरण में भी हम पहले दौर की ही तरह जीपीयू खरीद की उम्मीद कर रहे हैं। इसलिए देश में एआई के लिए कंप्यूटिंग शक्ति की कोई कमी नहीं होगी। एलएलएम (लार्ज लैंग्वेज मॉडल) ऐप्लिकेशन उन्नत चरण में पहुंच गए हैं। पहले चरण में ही 67 कंपनियों से हमें अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। हम कृषि, मौसम विज्ञान, जलवायु और शिक्षा जैसे क्षेत्रों के लिए खास ऐप विकसित करना चाहते थे। हमने 27 अच्छे ऐप का चयन किया है। हम उन्हें लागू करने के लिए प्रशासनिक मंत्रालयों के साथ काम कर रहे हैं। हमने एक वर्चुअल सेफ्टी इंस्टीट्यूट बनाया है। इस पहल में विभिन्न विश्वविद्यालय शामिल हैं। वे ऐसे तकनीकी टूल विकसित कर रहे हैं जिनका उपयोग एआई जगत में सुरक्षा, जैसे डीपफेक से सुरक्षा एवं किसी मॉडल को अनलर्न करना आदि के लिए किया जाएगा।
डिजिटल निजी डेटा सुरक्षा (डीपीडीपी) अधिनियम पर इंडिया गठबंधन के विरोध के बारे में आप क्या कहेंगे?
मैं स्पष्ट तौर पर कहना चाहूंगा कि सार्वजनिक डोमेन में रखने के लिए आवश्यक सभी निजी डेटा की आरटीआई के तहत उपलब्धता जारी रहेगी। उदाहरण के लिए, जन प्रतिनिधियों से संबंधित डेटा, सरकारी कार्यक्रमों एवं परियोजनाओं से संबंधित डेटा आदि। डिजिटल निजी डेटा सुरक्षा अधिनियम के लिए परामर्श की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। सभी मुद्दों को निपटाया जा चुका है और जल्द ही उसे प्रकाशित किया जाएगा।
GST का रेट गेम! 12% या 18% – टैक्स अधिकारियों को नहीं मिल रहा साफ जवाब
12 Apr, 2025 11:40 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
डाबर इंडिया की मशहूर प्रोडक्ट हाजमोला कैंडी अब टैक्स विवाद में फंस गई है। दरअसल, डाबर पर यह जांच चल रही है कि हाजमोला को आयुर्वेदिक दवा माना जाए या फिर एक सामान्य कैंडी।
जानें क्या है मामला-
डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ जीएसटी इंटेलिजेंस (DGGI) के कोयंबटूर ज़ोन में यह जांच चल रही है कि डाबर की हाजमोला को आयुर्वेदिक दवा माना जाए या फिर सामान्य कैंडी। अगर इसे आयुर्वेदिक दवा माना जाता है, तो इस पर 12 फीसदी जीएसटी लगेगा, जबकि आम कैंडी की तरह टैक्स लगाने पर 18 फीसदी जीएसटी देना होगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि डाबर कंपनी का कहना है कि हाजमोला कोई आम मीठी कैंडी नहीं है, बल्कि यह एक आयुर्वेदिक दवा है, जिसे पाचन में मदद करने के लिए बनाया गया है।
GST लागू होने से पहले, डाबर को प्रोडक्ट की कैटेगरी को लेकर एक बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ा था। मामला हाजमोला कैंडी से जुड़ा था। सरकार का कहना था कि यह एक टॉफी या मिठाई (कन्फेक्शनरी) है, जबकि डाबर ने इसे आयुर्वेदिक दवा बताया।
यह विवाद सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। कोर्ट ने डाबर के पक्ष में फैसला सुनाया और कहा कि हाजमोला कैंडी एक आयुर्वेदिक दवा है, न कि कोई आम मिठाई। इस फैसले से डाबर को टैक्स में राहत मिली थी।
इससे पहले पॉपकॉर्न पर भी हुआ था विवाद
कुछ समय पहले रेडी-टू-ईट पॉपकॉर्न को लेकर यह विवाद हुआ था कि उसे स्नैक माना जाए या प्रोसेस्ड फूड। इस भ्रम को दूर करने के लिए जीएसटी काउंसिल ने पॉपकॉर्न पर टैक्स को लेकर नया नियम लागू किया था।
काउंसिल ने अपने फैसले में कहा था कि:
नमक और मसाले वाले बिना ब्रांड के पॉपकॉर्न पर 5% जीएसटी लगाया गया था।
प्री-पैकेज्ड और ब्रांडेड पॉपकॉर्न को 12% जीएसटी के दायरे में रखा गया था।
कैरामेल पॉपकॉर्न, जिसमें चीनी मिलाई जाती है, को ‘शुगर कन्फेक्शनरी’ की कैटेगरी में डालते हुए 18% जीएसटी के तहत रखा गया था।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उस समय कहा था कि किसी भी खाने की चीज में अगर अतिरिक्त चीनी मिलाई जाती है, तो उस पर टैक्स की दर अलग होती है। इसी कारण कैरामेल पॉपकॉर्न को 18% टैक्स स्लैब में शामिल किया गया।
I-T विभाग ने कसी कमर, फर्जी इनवॉइस और पुराने टैक्स मामलों की होगी दोबारा जांच
12 Apr, 2025 11:27 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इनकम टैक्स विभाग ने पुराने असेसमेंट मामलों को दोबारा खोलना शुरू कर दिया है। इसका मकसद उन व्यापारियों पर कार्रवाई करना है, जिन्होंने झूठे या बढ़ा-चढ़ाकर दिखाए गए खर्चों के जरिए मुनाफा कम दिखाया और टैक्स से बचने की कोशिश की।
सूत्रों के मुताबिक, कुछ मामलों में विभाग पांच साल पुराने रिकॉर्ड तक की जांच कर रहा है, जहां टैक्स चोरी के पक्के सबूत मिले हैं। खासकर ट्रेडिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स और कंस्ट्रक्शन जैसे सेक्टर की कंपनियों पर शक है कि उन्होंने फर्जी बिलों के जरिए खर्च ज्यादा दिखाया और जीएसटी के तहत गलत तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का फायदा उठाया।
इन कंपनियों ने कथित तौर पर ऐसे फर्जी सप्लायर्स से बिल लिए, जो असल में मौजूद ही नहीं थे। इन्हें आमतौर पर “एंट्री ऑपरेटर” कहा जाता है। टैक्स विभाग अब इन मामलों की जांच तेज़ी से कर रहा है।
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने पहले जिन टैक्स रिटर्न्स को बिना किसी आपत्ति या सवाल के स्वीकार कर लिया था, अब उन्हें दोबारा खोला जा रहा है। इसकी वजह जीएसटी विभाग से मिले कुछ नए सबूत हैं। इन सबूतों से पता चला है कि कुछ कंपनियों ने फर्जी खरीद या नकली बिल दिखाकर अपनी आय को कम बताया है।
सूत्रों के मुताबिक, टैक्स अधिकारी अब डेटा एनालिटिक्स और जीएसटी व इनकम टैक्स रिटर्न्स के बीच मिलान कर ऐसे मामलों की जांच कर रहे हैं।
ऐसे केस इनकम टैक्स एक्ट की धारा 147 के तहत दोबारा खोले जा रहे हैं। इस धारा के तहत अगर विभाग को लगता है कि किसी की टैक्स योग्य आय की सही जांच नहीं हुई या कोई जानकारी छुपाई गई है, तो वह दोबारा असेसमेंट कर सकता है।
आयकर अधिनियम की धारा 148 के मुताबिक, टैक्स विभाग पुराने मामलों को दोबारा खोल सकता है। आम मामलों में यह सीमा संबंधित वित्त वर्ष के अंत से तीन साल तक होती है, जबकि अगर ₹50 लाख से ज्यादा की आय छुपाई गई हो और वह किसी संपत्ति, खर्च या बहीखाते में की गई एंट्री से जुड़ी हो, तो यह अवधि पांच साल तक बढ़ सकती है।
अगर कोई टैक्सपेयर (करदाता) अपने खरीद के लेनदेन को सही दस्तावेजों से साबित नहीं कर पाता है, तो ऐसे खर्च को विभाग फर्जी मान सकता है और उस पर टैक्स के साथ-साथ जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
इस विषय पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) को भेजा गया ईमेल का जवाब खबर प्रकाशित होने तक नहीं मिला।
ध्रुवा एडवाइजर्स के पार्टनर पुनीत शाह ने कहा कि आयकर विभाग और जीएसटी अधिकारी फर्जी खरीद की जांच में एक जैसी ही सोच रखते हैं, खासकर वहां जहां इनपुट टैक्स क्रेडिट वापस ले लिया गया हो।
उन्होंने कहा, “खरीदारों को यह साबित करने के लिए पूरे दस्तावेज देने चाहिए कि उनकी खरीद असली है। केवल जीएसटी कानूनों के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट का रिवर्सल ही आयकर विभाग को यह मानने के लिए काफी नहीं है कि खरीद फर्जी है।”
जीएसटी कानून के तहत पहले से ही मुकदमे का सामना कर रहे कई टैक्सपेयर्स को अब इनकम टैक्स विभाग की तरफ से भी नए नोटिस मिल रहे हैं।
एपीटी एंड कंपनी एलएलपी के पार्टनर अविनाश गुप्ता ने कहा कि कई मामलों में सप्लाई चेन में ज़्यादातर व्यापारी असली होते हैं, लेकिन कुछ गड़बड़ सप्लायर्स की वजह से बाकी ईमानदार कारोबारी भी नुकसान झेल रहे हैं। उन्हें उनके खर्च का दावा करने से इनकार किया जा रहा है।
एडवांटएज कंसल्टिंग के फाउंडर चेतन डागा ने बताया कि टैक्सपेयर्स को यह साबित करना होता है कि उन्होंने जो खरीद की है वो असली है, सामान उन्हें मिला है, और ये बात दस्तावेजों से साबित होनी चाहिए—जैसे ई-वे बिल, गुड्स रिसीव्ड नोट और ट्रांसपोर्ट से जुड़े रिकॉर्ड।