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₹1,979 Cr की डेरिवेटिव विसंगति — क्या IndusInd Bank पर गिरेगी रेगुलेटरी गाज?
16 Apr, 2025 06:31 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इंडसइंड बैंक को डेरिवेटिव सौदों में गंभीर गड़बड़ी का सामना करना पड़ा है। बैंक ने मंगलवार को जानकारी दी कि उसकी आंतरिक समीक्षा की पुष्टि के लिए नियुक्त की गई बाहरी ऑडिट एजेंसी PwC ने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में विसंगतियों की पहचान की है। इन गड़बड़ियों के कारण 30 जून 2024 तक बैंक को ₹1,979 करोड़ का नुकसान झेलना पड़ा है। बैंक ने एक एक्सचेंज फाइलिंग में बताया कि उसे यह रिपोर्ट 15 अप्रैल को प्राप्त हुई। रिपोर्ट में डेरिवेटिव डील्स समेत अन्य अनियमितताओं का उल्लेख किया गया है।
गड़बड़ियों से नेट वर्थ पर 2.27% असर- PwC
बाहरी एजेंसी की रिपोर्ट के आधार पर इंडसइंड बैंक ने कहा है कि पाई गई गड़बड़ियों का दिसंबर 2024 तक बैंक की नेट वर्थ पर 2.27% का कर-पश्चात नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। वित्त वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में बैंक की नेट वर्थ ₹65,102 करोड़ थी।
बैंक ने एक्सचेंज फाइलिंग में कहा, “बैंक इस प्रभाव को वित्त वर्ष 2024-25 की वित्तीय रिपोर्ट में उपयुक्त रूप से दर्शाएगा और डेरिवेटिव अकाउंटिंग ऑपरेशंस से जुड़ी आंतरिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने के लिए जरूरी कदम उठाता रहेगा।”
10 मार्च को खुली थी इंडसइंड बैंक में घोटाले की पोल
इससे पहले, 10 मार्च को बैंक ने शेयर बाजार को जानकारी दी थी कि उसकी आंतरिक समीक्षा में डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में गड़बड़ियां पाई गई थीं, जिनका दिसंबर 2024 तक बैंक की नेट वर्थ पर 2.35% का नकारात्मक प्रभाव पड़ने का अनुमान है, यानी करीब ₹1,530 करोड़ का असर। तब बैंक ने बताया था कि उसने डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में संभावित नुकसान के आकलन की समीक्षा के लिए PwC को नियुक्त किया है। बाद में बैंक ने यह भी खुलासा किया कि उसने इन गड़बड़ियों की जड़ तक पहुंचने और विस्तृत जांच के लिए एक स्वतंत्र पेशेवर संस्था को नियुक्त करने का फैसला किया है।
इंडसइंड बैंक ने CD मार्केट से ₹16,550 करोड़ जुटाए
इस बीच, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक बयान जारी कर इंडसइंड बैंक के जमाकर्ताओं से अपील की कि वे बैंक को लेकर फैल रही अटकलों पर प्रतिक्रिया न दें, क्योंकि बैंक की वित्तीय स्थिति स्थिर है। इसी दौरान बैंक ने किसी भी संभावित लिक्विडिटी संकट से निपटने के लिए सर्टिफिकेट ऑफ डिपॉजिट (CD) मार्केट से भारी मात्रा में उधारी ली। मार्च महीने में बैंक ने 7.75% से 7.9% की कूपन दर पर ₹16,550 करोड़ की राशि CDs के जरिए जुटाई। यह रकम आमतौर पर CD मार्केट से बैंक द्वारा जुटाई जाने वाली औसत राशि से लगभग पांच गुना ज्यादा थी।
FY25 में मुनाफे का भरोसा- सुमंत कथपालिया
इससे पहले, RBI ने इंडसइंड बैंक के वर्तमान MD और CEO सुमंत कथपालिया को केवल एक वर्ष का विस्तार दिया था, जबकि बैंक के बोर्ड ने तीन साल के पुनर्नियुक्ति की सिफारिश की थी। एक विश्लेषक कॉल में कथपालिया ने संकेत दिया था कि डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में पाई गई गड़बड़ियां, RBI द्वारा केवल एक वर्ष का विस्तार दिए जाने के कारणों में से एक हो सकती हैं। कथपालिया ने भरोसा जताया है कि डेरिवेटिव पोर्टफोलियो में हुई गड़बड़ियों के चलते मुनाफे पर असर पड़ने के बावजूद, इंडसइंड बैंक चौथी तिमाही (Q4) और पूरे वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) में नेट प्रॉफिट दर्ज करेगा।
इंडसइंड बैंक की फाइनेंशियल हेल्थ
इंडसइंड बैंक ने इस महीने की शुरुआत में अपनी तिमाही अपडेट में खुलासा किया था कि मार्च 2025 को समाप्त चौथी तिमाही (Q4FY25) में उसके रिटेल और स्मॉल बिजनेस ग्राहकों की जमा राशि ₹3,550 करोड़ घटकर ₹1.88 लाख करोड़ से ₹1.85 लाख करोड़ रह गई। हालांकि, बैंक की कुल जमा राशि में वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही (Q3FY25) की तुलना में 0.4% की मामूली वृद्धि हुई।
Q4 के अंत में बैंक की कुल जमा राशि (deposit portfolio) ₹4.11 लाख करोड़ रही, जो सालाना आधार पर 6.8% की वृद्धि है। पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा ₹3.84 लाख करोड़ था। इस दौरान बैंक के कुल कर्ज वितरण (advances portfolio) में भी गिरावट देखने को मिली, जो दिसंबर तिमाही की तुलना में लगभग ₹19,000 करोड़ कम रहा।
बैंक नहीं, सिर्फ सर्कल! PhonePe का नया फीचर गांव-गांव डिजिटल इंडिया ले जाएगा
16 Apr, 2025 05:45 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
फिनटेक कंपनी PhonePe ने बुधवार को एक नया फीचर लॉन्च किया है, जिसके तहत यूजर्स अब “सर्कल बनाकर” अपने परिवार, दोस्तों या किसी अन्य भरोसमंद व्यक्ति की ओर से UPI पेमेंट कर सकते हैं। इस फीचर का नाम ‘UPI Circle’ है। यह फीचर खासतौर पर उन लोगों के लिए काफी फायदेमंद होने वाला है जिनके पास बैंक अकाउंट नहीं है या फिर जो ऑनलाइन बैंकिंग का इस्तेमाल नहीं करते। ऐसे यूजर्स के वे दोस्त या परिवार के लोग जो यूपीआई इस्तेमाल करते हैं उनके लिए पेमेंट कर पाएंगे।
UPI circle क्या है?
सर्किल फीचर (Circle feature) के तहत एक प्राइमरी यूजर किसी सेकेंडरी यूजर को अपने UPI अकाउंट से पेमेंट करने की अनुमति दे सकता है। प्राइमरी यूजर सेकेंडरी यूजर को UPI ऑथेंटिकेशन का अधिकार सौंपता है, जिससे सेकेंडरी यूजर प्राइमरी यूजर की अनुमति से ट्रांजैक्शन कर सकता है। प्राइमरी यूजर अपने परिवार के सदस्यों या किसी भरोसेमंद व्यक्ति (सेकेंडरी यूजर) को UPI ID या QR कोड के जरिए अपने Circle में जोड़ सकता है और कहीं से भी उनके लिए पेमेंट को आसानी से मंजूरी दे सकता है।
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) द्वारा विकसित किया गया UPI Circle, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के उपयोग को बढ़ाने और खर्च को नियंत्रित (supervised spending) करने की सुविधा देने के उद्देश्य से डिजाइन किया गया है।
UPI Circle डिजिटल लेन-देन को और आसान बनाएगा
PhonePe की चीफ बिजनेस ऑफिसर– कंज़्यूमर पेमेंट्स सोनिका चंद्रा ने कहा, “UPI Circle उन लोगों के लिए डिजिटल पेमेंट्स की सुविधा और सरलता को बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम है, जो अभी बैंकिंग सिस्टम से पूरी तरह नहीं जुड़े हैं या इस डिजिटल इकोसिस्टम के नए उपयोगकर्ता हैं। यह सुविधा उन माता-पिता के लिए उपयोगी हो सकती है जो अपने कॉलेज जाने वाले बच्चों को खर्च देना चाहते हैं, या ऐसे बुज़ुर्ग माता-पिता के लिए जिनका डिजिटल पेमेंट्स पर भरोसा नहीं है। यह उन व्यस्त लोगों के लिए भी मददगार है जो घरेलू जरूरतों की जिम्मेदारी दूसरों को सौंपना चाहते हैं।”
प्राइमरी यूजर को मिलेगा डबल कंट्रोल
PhonePe पर UPI Circle फीचर के इस्तेमाल को प्राइमरी यूजर दो तरीकों से कंट्रोल कर सकता है। जब Partial Delegation मोड चुना जाता है, तो हर बार जब सेकेंडरी यूजर कोई ट्रांजैक्शन शुरू करता है, तो प्राइमरी यूजर को उसे मंजूरी देने का नोटिफिकेशन मिलेगा। वहीं दूसरी ओर, Full Delegation मोड में प्राइमरी यूजर सेकेंडरी यूजर के लिए एक मासिक खर्च की अधिकतम सीमा तय कर सकता है। इस मोड में हर ट्रांजैक्शन के लिए मैन्युअल अप्रूवल की जरूरत नहीं होती।
प्राइमरी यूजर महीने में अधिकतम ₹15,000 तक की लिमिट तय कर सकता है, और हर ट्रांजैक्शन की अधिकतम सीमा ₹5,000 रखी गई है।
PhonePe पर कैसे बनाएं UPI Circle?
स्टेप 1: PhonePe ऐप खोलें। होम स्क्रीन पर यूजर्स को UPI Circle इनेबल करने का विकल्प दिखाई देगा।
स्टेप 2: UPI Circle सेटअप करने और सेकेंडरी यूजर्स को जोड़ने के लिए ‘Invite Secondary Contact’ पर टैप करें। आप सेकेंडरी यूजर का QR कोड स्कैन करके या उनकी UPI ID मैन्युअली डालकर उन्हें जोड़ सकते हैं।
स्टेप 3: सेकेंडरी यूजर्स को अपने PhonePe ऐप पर प्राप्त इनवाइट को स्वीकार करके UPI Circle से जुड़ना होगा।
स्टेप 4: एक बार UPI Circle में जुड़ने के बाद, सेकेंडरी यूजर पेमेंट करते समय प्राइमरी यूजर के अकाउंट को पेमेंट ऑप्शन के रूप में चुन सकते हैं।
बता दें कि PhonePe के प्रतिस्पर्धी Google Pay ने अगस्त 2024 में UPI Circle के लिए सपोर्ट देने की घोषणा की थी, लेकिन यह फीचर अभी देशभर के यूजर्स के लिए शुरू नहीं किया गया है। यूजर्स UPI Circle फीचर का इस्तेमाल BHIM (भारत इंटरफेस फॉर मनी) ऐप के जरिए भी कर सकते हैं, जो इसी तरह की सुविधा प्रदान करता है।
244 करोड़ का टैक्स झटका! YES Bank ने कहा- सभी कानूनी विकल्पों पर विचार
16 Apr, 2025 05:35 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
YES बैंक को इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से ₹244.20 करोड़ का अतिरिक्त टैक्स डिमांड का नोटिस मिला है। यह डिमांड 2016-17 के लिए किए गए असेसमेंट और पुनर्मूल्यांकन के बाद आई है। बैंक ने कहा है कि वह इस टैक्स डिमांड को चुनौती देगा और इसके खिलाफ अपील करेगा।
बैंक को दिसंबर 2018 में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से 2016-17 के लिए एक टैक्स असेसमेंट ऑर्डर मिला था, जिसमें कुछ जोड़-घटाव किए गए थे। इसके बाद मार्च 2022 में पुनः मूल्यांकन आदेश आया, जिसमें कुछ और बदलाव किए गए थे। बैंक ने दोनों आदेशों के खिलाफ अपील की है और अब पुनः मूल्यांकन के बाद एक नई टैक्स डिमांड आई है।
बैंक ने किया सुधार का आवेदन
बैंक ने बताया कि पुनः मूल्यांकन आदेश में गलती हुई थी, क्योंकि इसमें आयकर रिटर्न में बताई गई आय के बजाय असेस्ड आय का उपयोग किया गया था। इस गलती को सुधारने के लिए 15 अप्रैल 2025 को एक rectification order पास किया गया। हालांकि, इस आदेश के बाद टैक्स की मांग में काफी वृद्धि हो गई, और बैंक ने इसे बिना किसी ठोस कारण के बताया है।
बैंक ने कहा कि वह इस अतिरिक्त टैक्स डिमांड के खिलाफ तुरंत rectification आवेदन दाखिल करेगा और अगर जरूरत पड़ी, तो अपीलीय न्यायाधिकरण में भी अपील करेगा। बैंक इस टैक्स डिमांड को उचित नहीं मानता है और सभी अन्य कानूनी उपायों का पालन करेगा।
हालांकि, इस खबर के आने के बाद भी बैंक के शेयरों में बढ़ोतरी देखने को मिली। बुधवार को दोपहर 3:10 बजे तक बैंक का शेयर BSE पर 2% की बढ़त के साथ 17.87 रुपये पर ट्रेड कर रहा था।
बुलियन बाजार में हलचल! सोना नए मुकाम पर, चांदी भी दिखा रही रफ्तार
16 Apr, 2025 11:06 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
घरेलू और ग्लोबल मार्केट में बुधवार (16 अप्रैल) को सोना एक बार फिर नए ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया। घरेलू फ्यचर्स मार्केट यानी (MCX) पर आज बाजार खुलते ही सोना 94,573 रुपये प्रति 10 ग्राम के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। पिछले शुक्रवार को इसने 93,940 रुपये का रिकॉर्ड हाई बनाया था।
ग्लोबल मार्केट में भी आज सोना नए शिखर पर है। बेंचमार्क स्पॉट गोल्ड बुधवार को कारोबार के दौरान 3,277.87 डॉलर प्रति औंस के रिकॉर्ड हाई तक ऊपर गया, वहीं यूएस गोल्ड फ्यूचर्स । 3,300 डॉलर प्रति औंस की नई ऊंचाई पर पहुंच गया। मौजूदा कैलेंडर ईयर के दौरान इसने 25वें दिन और इस महीने छठे दिन रिकॉर्ड हाई बनाया है। सोने की कीमतों में यह तेजी अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते ट्रेड वॉर के मद्देनजर बतौर सुरक्षित विकल्प (safe-haven) इस बेशकीमती धातु की मांग में आई मजबूती की वजह से आई है। चीन पर अमेरिकी टैरिफ के 145 फीसदी किए जाने के बाद दोनों देशों के बीच बड़े पैमाने पर ट्रेड वॉर छिड़ने की आशंका तेज हो गई है। चीन ने भी इसके जवाब में पिछले शुक्रवार को अमेरिकी वस्तुओं पर टैरिफ को 41 फीसदी बढ़ाते हुए 125 फीसदी कर दिया।
ब्याज दरों में कटौती की संभावना, अमेरिका सहित दुनिया की अर्थव्यवस्था में स्लोडाउन और महंगाई के बढ़ने की आशंका के मद्देनजर ज्यादातर जानकार सोने को लेकर फिलहाल बेहद बुलिश हैं। उनका मानना है कि ग्लोबल लेवल पर खासकर अमेरिका और चीन के बीच छिड़े ट्रेड वॉर के मद्देनजर जो अनिश्चितता की स्थिति बनी है उसमें बतौर सुरक्षित विकल्प (safe-haven) सोने की मांग बरकरार रह सकती है। साथ ही बढ़ते जियो-पॉलिटिकल टेंशन की वजह से भी बतौर सुरक्षित विकल्प सोने की मांग में और तेजी आने की उम्मीद है। इतना ही नहीं महंगाई के खिलाफ ‘हेज’ के तौर पर सोने की पूछ परख बढ़ सकती है।
जानकार मानते हैं कि इन्वेस्टमेंट डिमांड गोल्ड के लिए इस साल सबसे ज्यादा सपोर्टिव साबित हो सकता है क्योंकि इसका सपोर्ट पिछले मई से ही मिलना शुरू हुआ है। मौजूदा तेजी से पहले जब भी गोल्ड में तेजी का दौर चला है, सबसे बड़ी भूमिका इन्वेस्टमेंट यानी ईटीएफ डिमांड ने ही निभाई है। फिर चाहे वह 2020 या 2012 की तेजी की बात कर लें।
सोने में रिकॉर्डतोड़ तेजी के बीच लोग फिलहाल इसके ईटीएफ में जमकर निवेश कर रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि पिछले 4 महीने से गोल्ड ईटीएफ में इनफ्लो बना हुआ है। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल (World Gold Council) के मुताबिक मार्च के दौरान ग्लोबल लेवल पर गोल्ड ईटीएफ में निवेश 8.6 बिलियन डॉलर बढ़ा। वॉल्यूम /होल्डिंग के लिहाज से इस दौरान निवेश में 92 टन की वृद्धि हुई। सोने की कीमतों में तेजी और लगातार चौथे महीने आए इनफ्लो के दम पर मार्च 2025 के अंत तक गोल्ड ईटीएफ का एसेट अंडर मैनेजमेंट यानी AUM बढ़कर रिकॉर्ड 345 बिलियन डॉलर पर पहुंच गया। टोटल होल्डिंग भी पिछले महीने के अंत तक 3,445 टन पर दर्ज किया गया जो मई 2023 के बाद सबसे ज्यादा है। मई 2023 में टोटल होल्डिंग 3,476 टन पर था।
फरवरी की तुलना में एसेट अंडर मैनेजमेंट और टोटल होल्डिंग दोनों में कमश: 12.74 फीसदी और 2.74 फीसदी की वृद्धि हुई।
इसके अलावा सेंट्रल बैंकों की खरीदारी भी कीमतों के लिए सपोर्टिव हैं। 2022 से इसने सोने को लगातार सबसे ज्यादा सपोर्ट किया है। बदलते जियो पॉलिटिकल परिदृश्य और टैरिफ वॉर के मद्देनजर इसके आगे भी मजबूत रहने की संभावना है। सबसे ज्यादा खरीदारी चीन के केंद्रीय बैंक की तरफ से निकलने की उम्मीद है। पिछले कुछ आंकड़ों से भी इस बात के संकेत मिलने लगे हैं। चीन के केंद्रीय बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (PBoC) के मुताबिक उसकी तरफ से मार्च में 3 टन (0.09 मिलियन औंस) सोने की खरीद की गई। छह महीने के ब्रेक के बाद पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना (PBoC) ने लगातार पांचवें महीने ( नवंबर 2024 से लेकर मार्च 2025 तक) गोल्ड खरीदा है। मौजूदा कैलेंडर ईयर के पहले तीन महीनों के दौरान चीन के गोल्ड रिजर्व में 13 टन की वृद्धि हुई और यह बढ़कर 2,292 टन पर पहुंच गया है।
यूएस डॉलर (US Dollar) में देखें तो चीन के कुल फॉरेक्स रिजर्व में गोल्ड की हिस्सेदारी बढ़कर रिकॉर्ड 6.5 फीसदी पर पहुंच गई है। फरवरी 2025 तक यह हिस्सेदारी 6 फीसदी जबकि ठीक एक साल पहले मार्च 2024 तक 4.6 फीसदी थी। इस तरह से देखें तो एक साल में चीन के फॉरेक्स रिजर्व में गोल्ड की हिस्सेदारी में 2 फीसदी का इजाफा हुआ है।
यदि ट्रंप की नीतियों की वजह से चीन और अमेरिका के बीच व्यापार को लेकर टकराहट और बढ़ती है तो शायद चीन का केंद्रीय बैंक सोने की खरीद में और तेजी लाए। इस बात की गुंजाइश इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि चीन के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में गोल्ड की हिस्सेदारी अभी भी 7 फीसदी के नीचे है। जबकि भारत के कुल विदेशी मुद्रा भंडार में सोने की हिस्सेदारी बढ़कर 11 फीसदी के ऊपर पहुंच गई है। जानकार मानते हैं के बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य (geo-political scenario) के मद्देनजर चीन गोल्ड की हिस्सेदारी को कम से कम 10 फीसदी तक बढ़ाना चाहेगा।
घरेलू फ्यूचर्स मार्केट
घरेलू फ्यूचर्स मार्केट एमसीएक्स (MCX) पर सोने का बेंचमार्क जून कॉन्ट्रैक्ट बुधवार को शुरुआती कारोबार (10:00 AM IST) में 865 रुपये यानी 0.93 फीसदी की मजबूती के साथ 94,316 रुपये प्रति 10 ग्राम के भाव पर है। इससे पहले यह आज 1,122 रुपये उछलकर 94,573 रुपये के रिकॉर्ड भाव पर खुला और कारोबार के दौरान 94,573 रुपये के रिकॉर्ड हाई और 94,311 रुपये के लो के बीच कारोबार किया।
ग्लोबल मार्केट
ग्लोबल मार्केट में बेंचमार्क स्पॉट गोल्ड (spot gold) कारोबार के दौरान आज रिकॉर्ड 3,277.87 डॉलर प्रति औंस तक ऊपर और 3,226.62 डॉलर प्रति औंस तक नीचे गया। फिलहाल यह 1.52 फीसदी की तेजी के साथ 3,276.56 डॉलर प्रति औंस पर है। इसी तरह बेंचमार्क यूएस जून गोल्ड फ्यूचर्स (Gold COMEX JUN′25) भी आज कारोबार के दौरान रिकॉर्ड 3,299.80 डॉलर और 3,245.20 डॉलर प्रति औंस के रेंज में रहा। फिलहाल यह 1.46 फीसदी की मजबूती के साथ 3,287.70 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा है।
ट्रंप टैरिफ को टाटा-बाय-बाय! Apple ने भारत से अमेरिका भेजे 600 टन iPhones
16 Apr, 2025 10:58 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Apple के भारत स्थित मुख्य सप्लायर्स फॉक्सकॉन (Foxconn) और टाटा (Tata) ने मार्च महीने में अमेरिका को रिकॉर्ड स्तर पर लगभग 2 अरब डॉलर मूल्य के iPhones निर्यात किए। कस्टम डेटा के मुताबिक, यह अब तक का सबसे ऊंचा आंकड़ा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित टैरिफ से बचने के लिए कंपनी ने एयरलिफ्ट के जरिए बड़ी मात्रा में डिवाइस भेजीं।
Apple ने अमेरिका भेजे 600 टन iPhones
रिपोर्ट के मुताबिक, iPhone निर्माता कंपनी ने भारत में प्रोडक्शन तेज किया और 600 टन iPhones को अमेरिका भेजने के लिए चार्टर्ड कार्गो फ्लाइट्स का इस्तेमाल किया, ताकि उसके एक बड़े मार्केट में इनवेंटरी की कोई कमी न हो। ट्रंप के टैरिफ लागू होने की आशंका के चलते Apple को कीमतों में संभावित बढ़ोतरी का खतरा था।
अप्रैल में अमेरिकी प्रशासन ने भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर 26% शुल्क लगाया, जो उस समय चीन पर लागू 100% से ज्यादा शुल्क की तुलना में काफी कम था। हालांकि ट्रंप प्रशासन ने बाद में चीन को छोड़कर बाकी सभी देशों के लिए टैरिफ को तीन महीने के लिए रोक दिया है।
एयरलिफ्ट हुए iPhone 13, 14, 16 और 16e मॉडल
कस्टम डेटा के अनुसार, Apple के भारत स्थित मुख्य सप्लायर Foxconn ने मार्च में रिकॉर्ड स्तर पर स्मार्टफोन का निर्यात किया। कंपनी ने अकेले मार्च में 1.31 अरब डॉलर मूल्य के iPhones अमेरिका भेजे, जो जनवरी और फरवरी दोनों महीनों के कुल शिपमेंट के बराबर है। इस निर्यात में Apple के iPhone 13, 14, 16 और 16e मॉडल शामिल थे। इसके साथ ही Foxconn का इस साल भारत से अमेरिका को कुल निर्यात 5.3 अरब डॉलर तक पहुंच गया।
Apple के एक अन्य सप्लायर Tata Electronics ने मार्च में 612 मिलियन डॉलर मूल्य के iPhones का निर्यात किया, जो फरवरी की तुलना में करीब 63% ज्यादा है। टाटा की ओर से भेजे गए मॉडलों में iPhone 15 और 16 शामिल थे। Apple, Foxconn और Tata ने इस रिपोर्ट पर तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
चेन्नई से एयरलिफ्ट हुए iPhones
कस्टम्स डेटा के मुताबिक, मार्च में Foxconn द्वारा अमेरिका भेजे गए सभी शिपमेंट चेन्नई एयर कार्गो टर्मिनल से हवाई मार्ग के जरिए भेजे गए। ये शिपमेंट अमेरिका के विभिन्न स्थानों—जैसे लॉस एंजेलेस, न्यूयॉर्क और खास तौर पर शिकागो—में उतारे गए, जहां सबसे ज्यादा डिलीवरी हुई।
बाद में ट्रंप प्रशासन ने चीन से आयात होने वाले स्मार्टफोन और कुछ अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों पर लगाए गए भारी टैरिफ से अस्थायी छूट दी थी। हालांकि, ट्रंप ने यह भी संकेत दिया है कि ये छूट ज्यादा समय तक जारी नहीं रहेगी।
6 कार्गो जेट्स से भेजे iPhones
शिपमेंट में तेजी लाने के लिए Apple ने भारत के एयरपोर्ट अधिकारियों से चेन्नई एयरपोर्ट पर कस्टम क्लीयरेंस का समय घटाने की मांग की। इसके बाद तमिलनाडु स्थित इस एयरपोर्ट पर कस्टम प्रक्रिया का समय 30 घंटे से घटाकर सिर्फ 6 घंटे कर दिया गया। सूत्रों के अनुसार, इस ऑपरेशन में कम से कम छह कार्गो जेट्स का इस्तेमाल किया गया। एक सूत्र ने इसे “टैरिफ से बचने की रणनीति” बताया।
23,350 पार! निफ्टी ने बनाई नई चाल, सेंसेक्स भी दिखा टॉप गियर में
16 Apr, 2025 10:46 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
घरेलू शेयर बाजार बुधवार (16 अप्रैल) को गिरावट में खुले। घरेलू शेयर बाजारों में दो सत्र में तेजी रहने के बाद यह गिरावट आई है। एशियाई बाजारों से कमजोर संकेत लेते हुए प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी-50 और सेंसेक्स में गिरावट दर्ज की गई। भारतीय शेयर बाजारों का ध्यान चौथी तिमाही के नतीजों और टैरिफ संबंधी समाचारों के साथ वैश्विक आर्थिक आंकड़ों पर भी रहेगा। दुनिया भर के बाजारों को अमेरिकी टैरिफ संबंधी अस्थिरता से राहत मिलेगी।
तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) 200 से ज्यादा अंक की बढ़त लेकर 76,996.78 पर खुला। हालांकि, खुलते ही यह लाल निशान में फिसल गया। सुबह 9:22 बजे सेंसेक्स 86.48 अंक या 0.11% की गिरावट लेकर 76,648.41 पर था।
इसी तरह, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी-50 (Nifty-50) भी हल्की बढ़त के साथ 23,344.10 अंक पर ओपन हुआ। लेकिन खुलने के कुछ ही सेकंड में लाल निशान में फिसल गया। सुबह 9:23 यह 26.20 अंक या 0.11% की कमजोरी लेकर 23,302.35 पर था।
मंगलवार को कैसी थी बाजार की चाल?
भारतीय शेयर बाजार मंगलवार को जोरदार तेजी के साथ बंद हुए थे। तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स मंगलवार को (BSE Sensex) 1577.63 अंक या 2.10% की तेजी के साथ 76,734.89 अंक पर बंद हुआ। एनएसई का निफ्टी-50 में भी मजबूती आई और यह 500 अंक या 2.19% चढ़कर 23,328.55 पर बंद हुआ।
वैश्विक बाजारों का क्या हाल?
पिछले ट्रेडिंग सेशन में वॉल स्ट्रीट पर डॉव जोन्स 0.38 प्रतिशत की गिरावट के साथ 40,368.96 पर बंद हुआ। एसएंडपी 500 0.17 प्रतिशत की गिरावट के साथ 5,396.63 पर बंद हुआ। जबकि नैस्डैक कंपोजिट 0.05 प्रतिशत की गिरावट के साथ 16,823.17 पर बंद हुआ। बेंचमार्क से जुड़े फ्यूचर्स भी कम कीमत पर कारोबार कर रहे थे। इसमें डॉव जोन्स फ्यूचर्स में 0.5 प्रतिशत की गिरावट, एसएंडपी 500 फ्यूचर्स में 0.9 प्रतिशत की गिरावट और नैस्डैक 100 फ्यूचर्स में 1.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
एशियाई बाजारों में आज गिरावट देखी गई। जापान का निक्केई 225 इंडेक्स 0.33 प्रतिशत नीचे था और दक्षिण कोरिया का कोस्पी 0.29 प्रतिशत नीचे था। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया का एसएंडपी/एएसएक्स 200 आज 0.17 प्रतिशत ऊपर था। हांगकांग का हैंग सेंग 1.01 प्रतिशत नीचे था और चीन का सीएसआई 300 0.87 प्रतिशत नीचे था।
पिछले 2 ट्रेडिंग सेशन में 4% चढ़ा सेंसेक्स
पिछले दो ट्रेडिंग सेशन में बेंचमार्क इंडेक्स में लगभग 4% की वृद्धि हुई। इससेसे सेंसेक्स को इस महीने की शुरुआत में हुई हानि की भरपाई करने में मदद मिली, जो अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प के 2 अप्रैल को रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा के चलते आई थी।
निफ्टी सपोर्ट लेवल
एलकेपी सिक्योरिटीज के सीनियर टेक्निकल एनालिस्ट रूपक डे के अनुसार, निफ्टी इंडेक्स ने डेली चार्ट पर हैंगिंग मैन पैटर्न बनाया है। यह स्थिति मौजूदा रैली में संभावित ठहराव का संकेत देती है। दूसरी ओर, इंडेक्स डेली चार्ट पर 100-ईएमए से ऊपर बंद हुआ। यह लगातार सकारात्मकता का संकेत देता है। इसके इसके अलावा आरएसआई ने अभी-अभी सकारात्मक क्रॉसओवर में एंट्री की है।’
उन्होंने कहा, “निफ्टी का सपोर्ट लेवल 23,300 पर रखा गया है। इस स्तर से नीचे एक निर्णायक ब्रेक 23,000 की ओर सुधार को ट्रिगर कर सकता है। रेसिस्टेंस लेवल 23,370 और 23,650 पर रखा गया है।
मेटल और फाइनेंशियल स्टॉक्स की तूफानी रैली! सेंसेक्स 1578 अंक चढ़ा, निफ्टी 23,329 पर बंद
15 Apr, 2025 06:42 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारतीय शेयर बाजारों में मंगलवार (15 अप्रैल) को लगातार दूसरे दिन जोरदार तेजो के साथ बंद हुए। अमेरिकी प्रशासन की तरफ से 75 से ज्यादा देशों पर टैरिफ पॉज के बाद अमेरिकी बाजारों में तेजी आई है। इसका असर भारतीय बाजारों पर भी देखने को मिला। HDFC Bank, ICICI Bank, L&T, Reliance Industries, Bharti Airte जैसे भारी भरकम वाले शेयरों ने भी बाजार को ऊपर खींचा।
तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) आज 15 अप्रैल को 1600 अंक से ज्यादा उछलकर 76,852.06 पर ओपन हुआ। कारोबार के दौरान यह 76,907.63 अंक तक चला गया था। अंत में सेंसेक्स 1577.63 अंक या 2.10% की तेजी के साथ 76,734.89 अंक पर बंद हुआ।
इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी-50 (Nifty-50) भी बंपर तेजी के साथ 23,368.35 पर ओपन हुआ। कारोबार के दौरान यह 23,368 अंक तक चला गया था। अंत में यह 500 अंक या 2.19% चढ़कर 23,328.55 पर बंद हुआ।
निवेशकों की वेल्थ 10 लाख करोड़ रुपये बढ़ी
बाजार में तेजी के साथ निवेशकों की वेल्थ में भी जोरदार इजाफा हुआ है। बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 412,29,007 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। शुक्रवार को यह 402,34,966 करोड़ रुपये था। इस तरह निवेशकों की वेल्थ करीब 10 लाख करोड़ रुपये बढ़ गई।
बाजार में आज 15 अप्रैल को तेजी की वजह
1. बाजार में तेजी की सबसे बड़ी वजह ट्रंप की उस टिप्पणी को माना जा रहा है। इसमें उन्होंने ऑटोमोबाइल सेक्टर को टैरिफ से अस्थायी छूट देने की बात कही। ट्रंप ने कहा कि “ऑटोमोबाइल कंपनियों को कनाडा, मैक्सिको और अन्य जगहों से प्रोडक्शन शिफ्ट करने के लिए समय चाहिए।”
2. सेंसेक्स में शामिल ज्यादातर हेवीवेट शेयरों में भी आज मजबूती रही। इनमें HDFC Bank, ICICI Bank, L&T, Reliance Industries, Bharti Airtel, M&M, Axis Bank और Tata Motors जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं, जिन्होंने बाजार को ऊपर खींचा।
3. वैश्विक बाजारों में भी ट्रंप की टिप्पणी के बाद पॉजिटिव माहौल देखने को मिला। भारतीय बाजार एशियाई बाजारों में सबसे बेहतर प्रदर्शन कर रहे थे, जबकि जापान का Nikkei इंडेक्स 1% ऊपर था, ऑस्ट्रेलिया का ASX200 0.37% चढ़ा और हांगकांग का Hang Seng इंडेक्स 0.2% की तेजी में रहा
वैश्विक बाजारों से क्या संकेत?
वॉल स्ट्रीट पर सोमवार को डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 0.78 प्रतिशत बढ़कर 40,524.79 पर बंद हुआ। नैस्डैक कंपोजिट 0.64 प्रतिशत चढ़कर 16,831.48 पर बंद हुआ। एसएंडपी 500 0.79 प्रतिशत बढ़कर 5,405.97 पर बंद हुआ। हालांकि, वॉल स्ट्रीट फ्यूचर्स कम कारोबार कर रहा था। डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज वायदा 0.2 प्रतिशत गिरा। एसएंडपी 500 वायदा और नैस्डैक 100 फ्यूचर्स क्रमशः 0.2 प्रतिशत और 0.3 प्रतिशत नीचे थे।
इस बीच, एशियाई बाजारों में मंगलवार को वॉल स्ट्रीट पर बढ़त के बाद तेजी देखी गई। जापान का बेंचमार्क निक्केई 225 इंडेक्स 1.18 प्रतिशत ऊपर था। साउथ कोरिया का कोस्पी 0.51 प्रतिशत चढ़कर कारोबार कर रहा था। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया का एसएंडपी/एएसएक्स 200 0.38 प्रतिशत ऊपर था।
निवेशकों की महंगाई के आंकड़ों पर भी नजर
इस बीच, निवेशक भारत के मार्च महीने के खुदरा और थोक मुद्रास्फीति के आंकड़ों के साथ-साथ IREDA और MRP एग्रो जैसी कंपनियों की चौथी तिमाही की नतीजों का भी इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा भारत का इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण सेवा (ईएमएस) क्षेत्र मौजूदा टैरिफ युद्ध से तुलनात्मक रूप से लाभान्वित हो सकता है। जकि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए 23,000 करोड़ रुपये की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना मार्जिन को और बढ़ा सकती है और व्यापक उत्पाद मिश्रण को सक्षम कर सकती है।
ट्रंप के टैरिफ पर 90 दिन की रोक से राहत
ट्रंप एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि अमेरिका, ज्यादातर देशों से होने वाले आयात पर अगले तीन महीनों तक नया टैरिफ नहीं लगाएगा। इस घोषणा के बाद भारतीय शेयर बाजार में उम्मीद का माहौल बना है। इससे भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के पहले चरण को जल्द अंतिम रूप देने का रास्ता साफ हो सकता है।
हालांकि, ट्रंप सरकार ने चीन से होने वाले आयात पर कुल शुल्क को बढ़ाकर 145% कर दिया है। इसके बावजूद कुछ खास श्रेणियों जैसे—कॉपर, फार्मास्यूटिकल्स, सेमीकंडक्टर्स और ऊर्जा उत्पादों को इस बढ़े हुए शुल्क से छूट दी गई है। इससे ग्लोबल मार्केट में अस्थिरता बनी हुई है और एशिया-पैसिफिक के बाजारों में गिरावट देखने को मिल रही है।
चुनावी फायदे के लिए अर्थशास्त्र की अनदेखी! घाटे में जनता, लाभ में सत्ता
15 Apr, 2025 06:20 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जनता को अपनी बातों से लुभाने में पारंगत नेताओं में एक बात मिलती-जुलती है। एक ऐसा दौर जरूर आता है जब ये लोकलुभावन नेता अपने जोशीले समर्थकों से कहते हैं कि राष्ट्र की समस्याएं तभी दूर हो सकती हैं जब साहसिक एवं कठोर कदम उठाए जाएं और उन्हें छोड़कर अन्य लोगों या दलों में ऐसा करने का साहस नहीं है।
ये कदम जो भी हों मगर ‘विशेषज्ञ’ इनके पक्ष में नहीं रहते हैं। इसका कारण यह है कि इस प्रकार के फैसलों के क्रियान्वयन में काफी दुख-दर्द सहना पड़ता है। हालांकि, लोकलुभावन नेता राष्ट्र की आकांक्षाओं एवं साहस का चोला ओढ़ कर अपने समर्थकों की नजर में बहादुरी का प्रदर्शन करते हुए से ऐसे निर्णय लेते हैं। ये निर्णय कुछ लोगों के लिए बेतुका तो कुछ सीमित सोच रखने वाले लोगों के लिए अभूतपूर्व होते हैं।
किसी लोकलुभावन नेता की एक खास पहचान यह होती है कि वह अपनी व्यक्तिगत महत्त्वाकांक्षा और राष्ट्रीय सम्मान के लिए जोखिम लेने के लिए हमेशा तैयार रहता है।
दुनिया के पहले लोकलुभावन नेआतों (उदाहरण के लिए जूलियस सीजर ने सीनेट के साथ लड़ाई में अपनी सेना के साथ रूबिकॉन नदी पार करते समय कहा था कि अब फैसला लिया जा चुका है और पीछे नहीं मुड़ा जा सकता) से लेकर अब तक जो भी नेता हुए हैं उनके मन में हमेशा यह सोच रही है कि तर्क, सामान्य समझ और पूर्व दृष्टांत जैसे शब्द केवल दूसरों, कमजोर नेताओं के लिए बने हैं।
यही वह तलब या भूख थी कि तीन साल पहले रूस यूक्रेन पर हमला कर बैठा। रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन के किसी भी सलाहकार ने उन्हें यूक्रेन के साथ पूर्ण युद्ध और उसे जीत लेने की सलाह नहीं दी होगी, इसके बावजूद उन्होंने (पुतिन) यह जोखिम ले लिया। तीन साल बीतने के बाद भी यह स्पष्ट नहीं कि अंत में इस लड़ाई से पुतिन और रूस को क्या हासिल होगा।
शायद ऐसे निर्णयों के सर्वाधिक चौंकाने वाले परिणाम अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नजर आते हैं। अर्थशास्त्री लोकलुभावन नेताओं के ठीक उलट होते हैं। ये वे लोग होते हैं जो सबसे पहले लोकलुभावन नेताओं की अनदेखी का शिकार होते हैं। अमेरिका में इस सप्ताह अर्थशास्त्रियों के विचारों को कुछ कुछ इसी प्रकार की अनदेखी का सामना करना पड़ा। आर्थिक क्षेत्र के विशेषज्ञों के बार-बार आगाह किए जाने के बावजूद अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप उन धारणाओं से नहीं हटे जिनके लिए वे 1980 के दशक से आवाज उठाते रहे हैं। ट्रंप की नजर में व्यापार घाटा अनुचित है और अमेरिका को दूसरे देशों से आने वाली वस्तुओं पर अधिक शुल्क लगाना चाहिए। स्पष्ट है कि इन नए शुल्कों का ढांचा तैयार करने में किसी विशेषज्ञ की सलाह नहीं ली गई थी। अमेरिका द्वारा लगाए गए इन शुल्कों ने तर्क, व्यवहार, पारदर्शिता और आर्थिक सिद्धांत सभी को जिस तरह से दरकिनार कर दिया है, उसे देखते हुए पूरी दुनिया स्तब्ध और आश्चर्यचकित है।
अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्र की परंपरागत संकल्पना से ये शुल्क पूरी तरह भटके दिखाई दे रहे हैं। हालांकि, इसी वजह से इन शुल्कों पर इतनी चर्चा भी हो रही है। जिस तरह सोवियत संघ के लोगों का 1930 के दशक में मानना था कि जोसेफ स्टालिन कठिन से कठिन कार्य को अंजाम दे सकते हैं उसी तरह ट्रंप के समर्थकों को लगता है कि वह किसी भी अर्थशास्त्री से बेहतर समझ रखते हैं।
ट्रंप पहले ऐसे लोकलुभावन नेता नहीं हैं जिन्होंने आर्थिक सिद्धांत को सीधे-सीधे दरकिनार करने की कोशिश की है। तुर्किये के राष्ट्रपति रेचेप तैयप एर्दोआन ने कई वर्षों तक अपनी ताकत का इस्तेमाल परंपरागत मौद्रिक नीति को निशाना बनाने के लिए किया। हरेक आर्थिक ढांचे और आर्थिक सिद्धांत के उलट एर्दोआन को हमेशा लगा कि ऊंची ब्याज दरें मुद्रास्फीति बढ़ाती हैं। तुर्किये के केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने जब बेलगाम महंगाई से निपटने के लिए ब्याज दरें बढ़ाईं तो अर्दोआन ने उन्हें बर्खास्त करने में जरा भी देरी नहीं की।
ऐसे सभी निर्णयों के पीछे की राजनीति को समझना काफी आसान है। लोकलुभावन नेता स्वयं को एक पुरानी एवं अडिग सोच रखने वाले संभ्रांत लोगों से अलग मानते हैं। उनका मानना है के ये संभ्रांत लोग वास्तविक नागरिकों के हितों को आगे नहीं बढ़ने दे रहे हैं। जब अर्थशास्त्री किसी नीतिगत उपाय के बारे में यह कहते हैं कि ये पूरी तरह व्यावहारिक नहीं हैं तो लोकलुभावन नेताओं के समर्थक यह कहने में जरा भी देरी नहीं करते कि पुरानी सोच वाले लोग फिर अपनी टांग अड़ाने लगे हैं।
अमेरिका में फिलहाल निश्चित तौर पर कुछ ऐसा ही लग रहा है। ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ (मागा) अभियान के कई सदस्यों ने सवाल उठाए हैं कि शुल्कों के प्रभाव पर अर्थशास्त्रियों की बात क्यों मानी जाए जब उनके विचार वैश्वीकरण के फायदों पर गलत साबित हो चुके हैं। सच्चाई यह है कि उन प्रभावों के आकलन में अर्थशास्त्री गलत नहीं थे और अमेरिका पहले की तुलना में अब अधिक धनी हो गया है इस बात की अब कोई राजनीतिक प्रासंगिकता नहीं रह गई है।
‘मुक्ति दिवस’ शुल्क जैसे कड़े एवं गैर-परंपरागत निर्णय अंत में नुकसानदेह होते हैं और इनके सभी के हितों पर नकारात्मक असर ही दिखते हैं। लेकिन इससे कोई अपना विचार बदलने वाला नहीं है। निर्णय सही था; उस पुराने स्थापित अभिजात वर्ग ने एक बार फिर आम अमेरिकियों को लाभ उठाने से रोका।
लोकलुभावन नेता लोकतांत्रिक राजनीति की बिसात पर ही तैयार होते हैं। ऐसे नेताओं से बचा नहीं जा सकता। हर कुछ दशकों में वे उभर आते हैं। अगर किसी देश में ऐसा कोई नेता उभरता है मगर वह परंपरागत एवं व्यावहारिक समझ को दरकिनार करने वाले अधिक निर्णय नहीं लेता है तो वह (देश) स्वयं को भाग्यशाली मान सकता है। रूस अनगिनत बार दूसरे देशों पर चढ़ाई नहीं कर सकता, अमेरिका ऊंचे शुल्कों के साथ हमेशा आगे नहीं बढ़ सकता है और अच्छी बात है कि भारत नोटबंदी की बात भूल चुका है। साल 2016 के उन काले दिनों की याद मुझे किसी और चीज से नहीं आई, जितनी कि ट्रंप महोदय को तर्क और अर्थशास्त्र को चुनौती देते हुए टैरिफ की घोषणा करते समय।
ईवी क्रांति अब स्वास्थ्य क्षेत्र में, PM E-DRIVE योजना को मिला ऑटो इंडस्ट्री का समर्थन
15 Apr, 2025 11:05 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
चार प्रमुख मूल उपकरण विनिर्माता (ओईएम) कंपनियां – फोर्स मोटर्स, टाटा मोटर्स, मारुति सुजूकी इंडिया और ईकेए मोबिलिटी ने पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवोल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल एन्हांसमेंट (पीएम ई-ड्राइव) योजना के तहत इलेक्ट्रिक एम्बुलेंस (ई-एम्बुलेंस) के विनिर्माण में दिलचस्पी दिखाई है। दो सूत्रों ने यह जानकारी दी है।
जहां फोर्स मोटर्स और टाटा मोटर्स ने लिखित रूप से प्रतिबद्धता जताई है, वहीं मारुति और ईकेए ने अभी तक अपनी लिखित प्रतिबद्धता नहीं दी है। ये दोनों दिशानिर्देश जारी होने का इंतजार कर रही हैं। ईकेए ऐसी स्टार्टअप कंपनी है, जो इलेक्ट्रिक बसें और छोटे इलेक्ट्रिक वाणिज्यिक वाहन बनाती है।
मारुति के मामले में कंपनी ई-एम्बुलेंस के लिए अपनी हाइब्रिड श्रेणी टटोल रही है। यही इकलौती ऐसी श्रेणी है, जिसमें हाइब्रिड कारें शामिल हैं। हालांकि इनमें से किसी भी ओईएम ने अभी तक वॉल्यूम की अपेक्षाओं का संकेत नहीं दिया है, क्योंकि यह दिशानिर्देशों पर निर्भर करेगा।
वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस योजना के लिए दिशानिर्देश या पात्रता मानदंड और सब्सिडी की राशि को भारी उद्योग और स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा अंतिम रूप दिया जा रहा है। सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘एक बार दिशानिर्देश जारी हो जाएं, फिर ओईएम एक प्रोटोटाइप बनाएंगी, जिसके बाद ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा परीक्षण मानकों की मंजूरी दी जाएगी। तब हमें संख्या पता चलेगी।’
दिशानिर्देशों में मोटे तौर पर इस योजना के तहत आने वाली ई-एम्बुलेंस के प्रकार के बारे में बताए जाने की उम्मीद है, जिससे ओईएम के लिए यह स्पष्ट होगा कि वे भाग ले सकती हैं या नहीं और सब्सिडी का लाभ उठा सकती हैं या नहीं।
ऊपर जिन ओईएम का उल्लेख किया गया है, उन्हें भेजे गए सवालों का जवाब नहीं मिला। जहां फोर्स मोटर्स, मारुति सुजूकी और ईकेए ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, वहीं टाटा मोटर्स के प्रवक्ता ने कहा, ‘इस पर टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी क्योंकि सरकार के साथ बातचीत अभी शुरुआती चरण में है।’
भारी उद्योग मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी सवालों का जवाब नहीं दिया। देश में मुख्य रूप से चार प्रकार की एम्बुलेंस होती हैं – मेडिकल फर्स्ट रिस्पॉन्डर, मरीज को ले जाने वाली, बेसिक लाइफ सपोर्ट और एडवांस लाइफ सपोर्ट। दिशानिर्देशों से यह निर्धारित होगा कि कौन-सी ओईएम इस योजना में भाग ले सकती हैं, क्योंकि सभी विनिर्माताओं के पास इन सभी चार श्रेणियों में एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं हैं।
Uber-BluSmart गठबंधन से बढ़ेगी ईवी कैब्स की पहुंच, दिल्ली-NCR में शुरुआत
15 Apr, 2025 10:48 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इलेक्ट्रिक राइड हेलिंग स्टार्टअप ब्लू स्मार्ट अपने परिचालन के लिए हाइब्रिड मॉडल लाने पर विचार कर रही है। इसके तहत इसकी सेवाएं इसके अपने प्लेटफॉर्म के साथ-साथ राइड हेलिंग क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी उबर पर भी मौजूद रहेंगी। सूत्रों के मुताबिक, अब ब्लू स्मार्ट इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) की कैब उबर ग्रीन श्रेणी के तहत उबर प्लेटफॉर्म पर भी मौजूद रहेगी। उबर ग्रीन श्रेणी के तहत सिर्फ इलेक्ट्रिक विकल्पों की पेशकश करती है।
उबर ग्रीन चार शहरों में मौजूद है और इसकी ग्रीन सेवाएं फ्लीट पार्टनर्स के साथ साझेदारी में शुरू की गई है। फिलहाल, उबर ने लीथियम अर्बन टेक्नॉलजीज, एवरेस्ट फ्लीट, मूव और रीफेक्स ग्रीन मोबिलिटी के साथ साझेदारी की है। यह साल 2040 तक वैश्विक स्तर पर शून्य उत्सर्जन मोबिलिटी प्लेटफॉर्म बनने की उबर की वैश्विक पहल के अनुरूप है।
सूत्रों ने संकेत दिया कि ब्लूस्मार्ट को व्यापक रेंज प्रदान करने और उनके वाहनों के परिचालन में सुधार करने के लिए इस मॉडल को अपनाया जा रहा है। फिलहाल भारत में ब्लूस्मार्ट के बेड़े में 8,500 कार हैं और दिल्ली-एनसीआर में सबसे बड़ा है।
FPI पर सख्ती: भारत ने मॉरीशस आधारित निवेशकों को भेजे नोटिस
15 Apr, 2025 10:34 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
आयकर विभाग ने भारत-मॉरीशस संधि के तहत कर लाभ का दावा करने वाले मॉरीशस के विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की जांच-पड़ताल तेज कर दी है। सूत्रों के अनुसार पिछले दो हफ्ते के दौरान मॉरीशस के आधा दर्जन से अधिक एफपीआई को उनके कर निवास प्रमाण पत्र (टीआरसी) के संबंध में आयकर विभाग से नोटिस मिले हैं।
घटनाक्रम के जानकार एक सूत्र ने कहा, ‘कर विभाग ने टीआरसी आवेदन की प्रतियां देने का अनुरोध किया है। कुछ एफपीआई प्रशासकों ने मॉरीशस में स्थायी व्यवसाय स्थान घोषित नहीं किया है, ऐसे में उन्हें कर लाभ देने से मना किया जा सकता है। 5 से 7 एफपीआई को डेरिवेटिव आय पर कर वसूली का नोटिस मिला है।’
पिछले साल सर्वोच्च न्यायालय ने टीआरसी पर दिल्ली उच्च न्यायालय के उस फैसले पर रोक लगा दी थी, जिसमें विदेशी निवेशकों के लिए कम कर दरों का समर्थन किया गया था। ब्लैकस्टोन कैपिटल पार्टनर्स से जुड़े इस मामले में अंतिम सुनवाई लंबित है।
कानून के जानकारों का कहना है कि दोहरा कराधान निषेध संधि (डीटीएए) और आयकर अधिनियम के अनुसार टीआरसी संधि साझेदार देश में करदाता के निवास की पुष्टि करता है मगर इसे संधि लाभों के लिए व्यापक अधिकार के रूप में नहीं माना जा सकता है। सिंघानिया ऐंड कंपनी में पार्टनर कुणाल शर्मा ने कहा, ‘टीआरसी के साथ-साथ, इसे संधि की अन्य शर्तों को भी पूरा करना चाहिए जैसे कि लाभ की सीमा (एलओबी) या मुख्य उद्देश्य परीक्षण (पीपीटी) प्रावधान जिनका उद्देश्य संधि के दुरुपयोग को रोकना है। कर अधिकारी इस बात के सबूत मांग रहे हैं कि संधि लाभों का दावा करने वाली इकाई वास्तविक व्यवसाय संचालित करती है और वह माध्यम नहीं है।’
कई कर विशेषज्ञों का मानना है कि भारतीय न्यायालयों ने टीआरसी को करदाता की आवास स्थिति के निर्णायक सबूत के रूप में मान्यता दी है और इस प्रकार वे लाभ का दावा करने के लिए पात्र हैं।
चार्टर्ड अकाउंटेंट फर्म सीएनके के पार्टनर पल्लव प्रद्युम्न नारंग ने कहा, ‘कभी-कभी व्यावहारिक कठिनाइयां हो सकती हैं, जिसमें कर विभाग द्वारा विभिन्न प्रारूपों और/या पूरे विवरण की कमी के कारण आपत्ति उठाई जा सकती हैं। हालांकि ये संधि लाभ से इनकार करने का आधार नहीं हो सकता है।’
ध्रुव एडवाइजर्स में पार्टनर पुनीत शाह ने कहा, ‘कर अधिकारी विनियामक फाइलिंग, लाभकारी स्वामित्व घोषणा और बोर्ड गतिविधियों सहित एफपीआई की पृष्ठभूमि की बारीकी से जांच कर रहे हैं, खास तौर पर मॉरीशस और सिंगापुर के एफपीआई की।’
विशेषज्ञों ने आगाह किया कि जांच से मुकदमेबाजी के मामले बढ़ सकते हैं। नैशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी (एनएसडीएल) के आंकड़ों के अनुसार 3.57 लाख करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ मॉरीशस एफपीआई निवेश के मामले में पांचवें स्थान पर है।
आज जिसने बाजार को पकड़ा, उसने कमाया तगड़ा पैसा! सेंसेक्स-निफ्टी में आग
15 Apr, 2025 10:04 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारतीय शेयर बाजारों में मंगलवार (15 अप्रैल) को लगातार दूसरे दिन जोरदार तेजो के साथ ओपन हुए। अमेरिकी प्रशासन की तरफ से 75 से ज्यादा देशों पर टैरिफ पॉज के बाद अमेरिकी बाजारों में तेजी आई तेजी है। इसका असर भारतीय बाजारों पर भी देखने को मिल रहा है। वहीं, डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर जयंती के अवसर पर सोमवार (4 अप्रैल) को भारतीय शेयर बाजार बंद रहे। जबकि शुक्रवार को बाजार 2% के आस-पास चढ़कर बंद हुए थे।
तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) आज 15 अप्रैल को 1600 अंक से ज्यादा उछलकर 76,852.06 पर ओपन हुआ। जबकि शुक्रवार को यह 75,157 पर बंद हुआ था। सुबह 9:20 बजे सेंसेक्स 1515.44 अंक या 2.02% की तेजी के साथ 76,672.70 पर था।
इसी तरह नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी-50 (Nifty-50) भी बंपर तेजी के साथ 23,368.35 पर ओपन हुआ। सुबह 9:20 यह 539.80 अंक या 2.36% की जोरदार तेजी के साथ 23,368 पर था।
निवेशकों ने 10 सेकंड में कमाएं ₹5 लाख करोड़
बाजार में तेजी के साथ निवेशकों की वेल्थ में भी जोरदार इजाफा हुआ है। बाजार की खुलते ही निवेशकों की संपत्ति 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा बढ़ गई। बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप बाजार खुलते ही 407,99,635 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। शुक्रवार को यह 402,34,966 करोड़ रुपये था। इस तरह निवेशकों की वेल्थ 10 सेकंड में 564,669 करोड़ रुपये बढ़ गई।
वैश्विक बाजारों से क्या संकेत?
वॉल स्ट्रीट पर सोमवार को डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 0.78 प्रतिशत बढ़कर 40,524.79 पर बंद हुआ। नैस्डैक कंपोजिट 0.64 प्रतिशत चढ़कर 16,831.48 पर बंद हुआ। एसएंडपी 500 0.79 प्रतिशत बढ़कर 5,405.97 पर बंद हुआ। हालांकि, वॉल स्ट्रीट फ्यूचर्स कम कारोबार कर रहा था। डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज वायदा 0.2 प्रतिशत गिरा। एसएंडपी 500 वायदा और नैस्डैक 100 फ्यूचर्स क्रमशः 0.2 प्रतिशत और 0.3 प्रतिशत नीचे थे।
इस बीच, एशियाई बाजारों में मंगलवार को वॉल स्ट्रीट पर बढ़त के बाद तेजी देखी गई। जापान का बेंचमार्क निक्केई 225 इंडेक्स 1.18 प्रतिशत ऊपर था। साउथ कोरिया का कोस्पी 0.51 प्रतिशत चढ़कर कारोबार कर रहा था। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया का एसएंडपी/एएसएक्स 200 0.38 प्रतिशत ऊपर था।
निवेशकों की महंगाई के आंकड़ों पर भी नजर
इस बीच, निवेशक भारत के मार्च महीने के खुदरा और थोक मुद्रास्फीति के आंकड़ों के साथ-साथ IREDA और MRP एग्रो जैसी कंपनियों की चौथी तिमाही की नतीजों का भी इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा भारत का इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण सेवा (ईएमएस) क्षेत्र मौजूदा टैरिफ युद्ध से तुलनात्मक रूप से लाभान्वित हो सकता है। जकि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए 23,000 करोड़ रुपये की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना मार्जिन को और बढ़ा सकती है और व्यापक उत्पाद मिश्रण को सक्षम कर सकती है।
शुक्रवार को कैसी थी बाजार की चाल?
तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) शुक्रवार को 1310.11 अंक या 1.77% की तेजी लेकर 75,157.26 पर बंद हुआ। निफ्टी 429.40 अंक या 1.92% के उछाल के साथ 22,828.55 पर क्लोज हुआ।
ट्रंप के टैरिफ पर 90 दिन की रोक से राहत
ट्रंप एक बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि अमेरिका, ज्यादातर देशों से होने वाले आयात पर अगले तीन महीनों तक नया टैरिफ नहीं लगाएगा। इस घोषणा के बाद भारतीय शेयर बाजार में उम्मीद का माहौल बना है। इससे भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (BTA) के पहले चरण को जल्द अंतिम रूप देने का रास्ता साफ हो सकता है।
हालांकि, ट्रंप सरकार ने चीन से होने वाले आयात पर कुल शुल्क को बढ़ाकर 145% कर दिया है। इसके बावजूद कुछ खास श्रेणियों जैसे—कॉपर, फार्मास्यूटिकल्स, सेमीकंडक्टर्स और ऊर्जा उत्पादों को इस बढ़े हुए शुल्क से छूट दी गई है। इससे ग्लोबल मार्केट में अस्थिरता बनी हुई है और एशिया-पैसिफिक के बाजारों में गिरावट देखने को मिल रही है।
Lamborghini India की बागडोर अब निधि कैस्था के हाथ, कंपनी को भारत में विस्तार की उम्मीद
14 Apr, 2025 05:25 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इटली की सुपर लग्जरी कार निर्माता कंपनी ऑटोमोबिली लैम्बोर्गिनी ने निधि कैस्था को लैम्बोर्गिनी इंडिया का नया प्रमुख नियुक्त किया है। कंपनी ने सोमवार को एक बयान में बताया कि इस नई भूमिका में निधि भारत में बिक्री, मार्केटिंग और बिक्री के बाद की सेवाओं की जिम्मेदारी संभालेंगी। भारत, लैम्बोर्गिनी के लिए एशिया प्रशांत क्षेत्र का छठा सबसे बड़ा बाजार है। निधि के पास हॉस्पिटैलिटी, विमानन और ऑटोमोबाइल क्षेत्र में 25 साल से ज्यादा का अनुभव है, जो उनकी नई जिम्मेदारी में महत्वपूर्ण योगदान देगा।
25 साल का अनुभव और पोर्श में शानदार प्रदर्शन
लैम्बोर्गिनी ने अपने बयान में कहा कि निधि कैस्था ने हाल ही में पोर्श इंडिया में रीजनल सेल्स और प्री-ओन्ड कार्स मैनेजर के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इस दौरान उन्होंने बिक्री और ग्राहक संतुष्टि के क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन किया। उनकी उपलब्धियों ने व्यवसाय की सफलता को और मजबूत किया। कंपनी का मानना है कि निधि का अनुभव और नेतृत्व भारत में लैम्बोर्गिनी की बढ़ोतरी को नई दिशा देगा। एशिया प्रशांत क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक फ्रांसेस्को स्कार्डोनी ने कहा, “निधि के पास ऑटोमोबाइल उद्योग का गहरा अनुभव है। हमें विश्वास है कि उनकी रणनीतिक सोच भारत में कंपनी की प्रगति को और बढ़ाएगी।”
लैम्बोर्गिनी ने कहा कि निधि कैस्था के नेतृत्व में भारत में कंपनी की लोकप्रियता और बिक्री में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होगी। उनकी नियुक्ति से ब्रांड की छवि और मजबूत होगी।
भारत में लैम्बोर्गिनी की योजनाएं
लैम्बोर्गिनी वर्तमान में भारत में मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु में तीन डीलरशिप के माध्यम से अपनी सेवाएं दे रही है। कंपनी का कहना है कि भारत में लग्जरी कारों के प्रति उत्साह बढ़ रहा है और ग्राहकों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। लैम्बोर्गिनी भारत में अपने कारोबार को और विस्तार देने की योजना बना रही है। स्कार्डोनी ने कहा, “भारत में लैम्बोर्गिनी के लिए अपार संभावनाएं हैं। हम देश में अपनी उपस्थिति को और मजबूत करना चाहते हैं और ग्राहकों को बेहतरीन अनुभव प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।” कंपनी नए अवसरों की तलाश में है ताकि ग्राहकों को और बेहतर सेवाएं दी जा सकें।
सांची और NDDB के बीच हुआ एमओयू, दुग्ध उत्पादन में सहयोग बढ़ेगा
14 Apr, 2025 11:52 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मध्य प्रदेश में दूध का उत्पादन बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और मध्य प्रदेश राज्य सहकारी डेरी महासंघ (ब्रांड नाम सांची) ने रविवार को राजधानी भोपाल में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। समझौते के बाद प्रदेश में सहकारी दुग्ध समितियों की संख्या 6,000 से बढ़ाकर 9,000 करने की योजना है। ऐसा करने से बड़ी संख्या में खुले बाजार में दूध बेचने वाले पशुपालक समितियों को दूध बेचकर सही मूल्य पा सकेंगे।
सरकार की योजना प्रदेश में दुग्ध उत्पादन को वर्तमान 5.50 करोड़ लीटर रोजाना से बढ़ाकर 5 साल में दोगुना करने की है। मध्य प्रदेश इस समय उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बाद देश में तीसरा सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक प्रदेश है।
कार्यक्रम में केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह और प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव और प्रदेश के सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग के साथ अनेक अधिकारी मौजूद रहे। मध्य प्रदेश दुग्ध संघ और एनडीडीबी के बीच एमओयू तहत एनडीडीबी प्रदेश के छह दुग्ध संघों का अधिग्रहण कर दुग्ध उत्पादन बढ़ाने की दिशा में प्रयास करेगा। ये दुग्ध संघ हैं- भोपाल सहकारी दुग्ध संघ, इंदौर सहकारी दुग्ध संघ, उज्जैन सहकारी दुग्ध संघ, ग्वालियर सहकारी दुग्ध संघ, जबलपुर सहकारी दुग्ध संघ और बुंदेलखंड सहकारी दुग्ध संघ।
बरकरार रहेगा सांची ब्रांड
प्रदेश के पशुपालन और डेरी राज्य मंत्री लखन पटेल ने बताया कि सांची और एनडीडीबी के बीच अनुबंध के बावजूद न तो सांची का ब्रांड नेम परिवर्तित होगा और न ही लोगो में बदलाव किया जाएगा। परंतु प्रदेश के सहकारी दूध संघों के संचालन का काम अब एनडीडीबी संभालेगा।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कहा कि देश में सहकारी समितियां जल्दी ही पेट्रोल पंपों के संचालन और रसोई गैस के वितरण का काम भी संभालेंगी। शाह ने कहा कि मध्य प्रदेश के सहकारिता क्षेत्र में असीम संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि सहकारिता राज्य का विषय है और भारत सरकार राज्य सूची में कोई परिवर्तन नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि सहकारिता मंत्रालय द्वारा बनाए गए मॉडल बायलॉज को सभी राज्यों ने अपनाया है।
इससे पहले मुख्यमंत्री मोहन यादव ने संवाददाताओं से कहा था, ‘राष्ट्रीय दुग्ध उत्पादन में मध्य प्रदेश का योगदान करीब 9 प्रतिशत है। हमारी सरकार ने इसे बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने की दिशा में काम करने का फैसला किया है। हम 14 अप्रैल को डॉ. बी.आर. आंबेडकर की जयंती के अवसर पर उनके नाम पर एक नई योजना शुरू कर रहे हैं। इसका उद्देश्य गायों का संरक्षण, दूध का उत्पादन क्षमता बढ़ाना और किसानों की आय बढ़ाना है।‘
घोटाले के 6 साल बाद गिरफ्त में आया मेहुल चोकसी, बेल्जियम से जल्द हो सकती है भारत डिपोर्टेशन
14 Apr, 2025 11:25 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
PNB घोटाले का आरोपी भगोड़ा कारोबारी मेहुल चोकसी आखिरकार बेल्जियम में पकड़ लिया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार के प्रत्यर्पण अनुरोध पर कार्रवाई करते हुए बेल्जियम पुलिस ने उसे हिरासत में लिया। चोकसी कैंसर के इलाज के लिए बेल्जियम आया था, लेकिन जांच एजेंसियों को शक था कि वह वहां से स्विट्ज़रलैंड भागने की कोशिश कर रहा है।
ED और CBI की लगातार निगरानी में था चोकसी
जैसे ही भारतीय एजेंसियों को चोकसी की बेल्जियम में मौजूदगी की सूचना मिली, वे तुरंत सक्रिय हो गईं। बेल्जियम प्रशासन ने भारत को अलर्ट कर दिया और CBI और ED को उससे जुड़ी जानकारियां भेजीं। दोनों एजेंसियों ने जरूरी दस्तावेज, ओपन अरेस्ट वॉरंट और बाकी कागजात बेल्जियम की एजेंसियों को भेजे, जिससे गिरफ्तारी की प्रक्रिया पूरी हो सके।
बेल्जियम प्रशासन की मदद से हुई गिरफ्तारी
बेल्जियम की सुरक्षा एजेंसियों ने कार्रवाई करते हुए चोकसी को हिरासत में ले लिया। बताया जा रहा है कि भारत पहले ही उसके प्रत्यर्पण के लिए औपचारिक अनुरोध कर चुका था, जिस पर अब तेजी से काम हो रहा है। चोकसी को भारत लाने की प्रक्रिया अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई है।
2018 में एंटीगुआ भागा था मेहुल चौकसी, बेल्जियम में छिपाई भारत की नागरिकता
साल 2018 में देश छोड़कर फरार हुआ चौकसी ने बेल्जियम में गिरफ्तारी के समय अपनी भारतीय और एंटीगुआ की नागरिकता छिपाने की कोशिश की थी।
चौकसी ने 2017 में एंटीगुआ की नागरिकता ले ली थी और अगले ही साल यानी 2018 में अपने परिवार के साथ भारत से फरार हो गया था। तब से ही भारतीय एजेंसियां उसे ढूंढ रही थीं। इससे पहले वह डोमिनिका में भी पकड़ा जा चुका है, लेकिन वहां 51 दिन जेल में रहने के बाद उसे ब्रिटेन की क्वीन की प्रिवी काउंसिल से राहत मिल गई थी।
PNB घोटाले में शामिल है मेहुल चौकसी
मेहुल चौकसी की कंपनी ‘गीतांजलि जेम्स लिमिटेड’ को लेकर विवाद तब शुरू हुआ जब 2018 की शुरुआत में वह अचानक देश छोड़कर भाग गया। चौकसी और उसके भांजे नीरव मोदी पर पंजाब नेशनल बैंक (PNB) से करीब ₹13,500 करोड़ की धोखाधड़ी का आरोप है।
आरोप है कि 2014 से 2017 के बीच मेहुल चौकसी ने PNB के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LOU) और फॉरेन लेटर ऑफ क्रेडिट के जरिए ₹6,098 करोड़ का नुकसान बैंक को पहुंचाया।
अब जबकि उसे बेल्जियम में पकड़ा गया है, भारतीय एजेंसियों को उम्मीद है कि उसे भारत लाने की प्रक्रिया फिर से आगे बढ़ेगी।