व्यापार
Blinkit ने लॉन्च की 10 मिनट डिलीवरी सेवा, Apple प्रोडक्ट्स की होगी तत्काल डिलीवरी
28 Feb, 2025 12:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Apple प्रोडक्ट्स की डिलीवरी के लिए अब लोगों को घंटों का इंतजार करने की कोई जरूरत नहीं है। आपका पसंदीदा एप्पल गैजेट अब सिर्फ 10 मिनट में आपके घर पहुंच जाएगा। जी हां, जोमैटो की क्विक कॉमर्स कंपनी ब्लिंकिट ने एप्पल प्रोडक्ट्स की डिलीवरी शुरू कर दी है, जो सिर्फ 10 मिनट में आपके घर पहुंच जाएगा। ब्लिंकिट ने आईफोन के अलावा एप्पल के बाकी गैजेट्स जैसे मैकबुक एयर, आईपैड और एयरपॉड्स, एप्पल वॉच की भी क्विक डिलीवरी शुरू कर दी है। हालांकि, ये सर्विस देश के कुछ चुनिंदा शहरों में रहने वाले लोगों को ही मिल पाएगी।
सिर्फ 10 मिनट में होगी मैकबुक एयर, आईपैड, एयरपॉड्स की डिलीवरी
ब्लिंकिट के सीईओ अलबिंदर ढींढसा ने गुरुवार को कंपनी की इस नई सर्विस के बारे में जानकारी शेयर की। सीईओ अलबिंदर ढींढसा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि ग्राहक अब मैकबुक एयर, आईपैड, एयरपॉड्स, एप्पल वॉच और अन्य एप्पल एक्सेसरीज सिर्फ 10 मिनट में प्राप्त कर सकते हैं। बताते चलें कि कंपनी अपने ग्राहकों को पहले से ही आईफोन की क्विक डिलीवरी कर रही है। लेकिन ब्लिंकिट ने अब एप्पल के बाकी प्रोडक्ट्स मैकबुक एयर, आईपैड और एयरपॉड्स, एप्पल वॉच की भी डिलीवरी शुरू कर दी है।
फिलहाल इन शहरों में ही मिलेगी सर्विस
ब्लिंकिट की ये नई सर्विस फिलहाल देश के बड़े शहरों में ही मिलेगी। कंपनी के सीईओ अलबिंदर ढींढसा ने अपने ऑफिशियल पोस्ट में लिखा है, ‘‘हमने दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, हैदराबाद, पुणे, लखनऊ, अहमदाबाद, चंडीगढ़, चेन्नई, जयपुर, बेंगलुरु और कोलकाता में मैकबुक एयर, आईपैड और एयरपॉड्स, एप्पल वॉच की डिलिवरी शुरू कर दी है।’’
जोमैटो के क्विक कॉर्मस बिजनेस को हुआ था 103 करोड़ रुपये का नुकसान
31 दिसंबर, 2024 को खत्म हुई चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में जोमैटो के क्विक कॉर्मस बिजनेस को 103 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। शेयरधारकों को लिखे पत्र में, जोमैटो ने कहा कि कंपनी को उम्मीद है कि निवेश के कारण ब्लिंकिट के तहत क्विक कॉमर्स बिजनेस में घाटा निकट भविष्य में जारी रहेगा।
भारत सरकार लाएगी 'यूनिवर्सल पेंशन योजना', आखिर क्या है ये स्कीम…. किसे मिलेगा लाभ?
28 Feb, 2025 12:23 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली: केंद्र सरकार 'यूनिवर्सल पेंशन स्कीम' को लागू करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है, जिससे उन सभी व्यक्तियों को पेंशन का लाभ मिलेगा, जो अब तक इससे वंचित रहे हैं। इस नई योजना का मुख्य उद्देश्य असंगठित क्षेत्र में कार्यरत निर्माण श्रमिकों और गिग वर्कर्स को पेंशन के दायरे में लाना है। रिपोर्टों के अनुसार, इस योजना के लिए प्रस्तावित दस्तावेज़ तैयार करने की प्रक्रिया भी आरंभ हो चुकी है।
नई पेंशन स्कीम लाने के पीछे ये मकसद
नई पेंशन योजना के पीछे सरकार का उद्देश्य स्पष्ट है। रिपोर्टों के अनुसार, सरकार इस दिशा में गंभीरता से विचार कर रही है और श्रम मंत्रालय ने इसके लिए प्रस्ताव दस्तावेज तैयार करने का कार्य प्रारंभ कर दिया है। इस नई योजना के अंतर्गत, सरकार विभिन्न प्रकार की योजनाओं को समाहित करते हुए एक सार्वभौमिक पेंशन योजना विकसित कर सकती है। सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इस सार्वभौमिक पेंशन योजना का लक्ष्य केवल वेतनभोगी कर्मचारियों को ही नहीं, बल्कि स्व-नियोजित व्यक्तियों(सेल्फ-एम्प्लॉयड)को भी पेंशन के दायरे में लाना है। प्रस्ताव दस्तावेज तैयार होने के बाद, हितधारकों से इस पर सुझाव मांगे जाएंगे।
अभी किन पेंशन योजनाओं का मिलता है लाभ
वर्तमान में असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को पेंशन सुविधाएं प्रदान करने के लिए सरकार द्वारा कई पेंशन योजनाएं चलाई जा रही हैं। इनमें से एक प्रमुख योजना अटल पेंशन योजना (APY) है, जो निवेशकों को 60 वर्ष की आयु के बाद सुनिश्चित पेंशन का लाभ देती है। इसके अतिरिक्त, प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना (PM-SYM) भी सक्रिय है, जिसे विशेष रूप से रेहड़ी-पटरी वालों और घरेलू कामकाजी लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए शुरू किया गया था। इस योजना के तहत भी 60 वर्ष की आयु के बाद नियमित आय की गारंटी दी जाती है।
क्या सरकार योगदान देगी?
अब सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यह है कि क्या यूनिवर्सल पेंशन योजना में सरकार का योगदान भी शामिल होगा। इस विषय पर जानकारी देते हुए, यह स्पष्ट है कि वर्तमान में यह प्रक्रिया प्रारंभिक चरण में है और इससे संबंधित अधिक जानकारी आने में समय लगेगा। रिपोर्टों के अनुसार, यूनिवर्सल पेंशन स्कीम एक स्वैच्छिक पेंशन योजना होगी, जिसमें सरकार की ओर से कोई योगदान नहीं किया जाएगा। वर्तमान में, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के तहत चल रही योजनाओं में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का योगदान होता है।
NPS को रिप्लेस नहीं करेगी UPS
यूनिवर्सल पेंशन स्कीम के विकास के संदर्भ में यह प्रश्न उठ रहा है कि क्या यह नई पेंशन योजना, न्यू पेंशन स्कीम (NPS) का स्थान लेगी। इस पर स्पष्ट करना आवश्यक है कि इस नई योजना का नेशनल पेंशन स्कीम पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और न ही दोनों योजनाओं का विलय होगा।
चीन से आने वाले सामान पर ट्रंप लगाएंगे दोगुना टैक्स, कनाडा और मेक्सिको पर भी होगा असर
28 Feb, 2025 12:17 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की कनाडा और मेक्सिको पर मंगलवार यानी चार मार्च से टैरिफ लगाने की योजना है। ट्रंप ने गुरुवार को कहा कि उनका अगले मंगलवार से कनाडा और मेक्सिको पर टैरिफ लगाने का इरादा है। इसके साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति ने चीन से आयातित सामान पर टैरिफ रेट को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर दोगुना करने की मंशा जताई है। ट्रंप ने ट्रूथ सोशल पर मंगलवार को पोस्ट में कहा कि अमेरिका में गैरकानूनी तरीके से फेंटानाइल की तस्करी हो रही है। यह अस्वीकार्य स्तर पर पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा कि आयात शुल्क से अन्य देश इस तस्करी पर लगाम लगाने के लिए मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि हम इसकी अनुमति नहीं देंगे। जब तक इसे रोका नहीं जाता, प्रस्तावित शुल्क तय समय के अनुसार चार मार्च से लागू होंगे। इसके अलावा चीन पर उसी दिन से 10 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क लगेगा।
अमेरिका की इकोनॉमी 2.3% की दर से बढ़ी
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) साल 2024 की अंतिम तिमाही में सालाना आधार पर 2.3 प्रतिशत की दर से बढ़ा है। त्योहारी मौसम में उपभोक्ता व्यय बढ़ने से अर्थव्यवस्था को समर्थन मिला। अमेरिकी वाणिज्य विभाग ने गुरुवार को अक्टूबर-दिसंबर, 2024 तिमाही के ये आंकड़े जारी किए। इसके साथ ही बीती तिमाही में ग्रोथ का शुरुआती अनुमान अपरिवर्तित रहा।
तिमाही आधार पर आई गिरावट
हालांकि, तिमाही आधार पर अमेरिकी अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन में गिरावट आई है। जुलाई-सितंबर, 2024 की अवधि में अमेरिका की जीडीपी वृद्धि दर 3.1 प्रतिशत रही थी। इसके साथ ही वर्ष 2024 के समूचे वित्त वर्ष में अमेरिका की आर्थिक वृद्धि दर 2.8 प्रतिशत रही। जबकि वर्ष 2023 में यह 2.9 प्रतिशत रही थी। आलोच्य अवधि में उपभोक्ता व्यय 4.2 प्रतिशत की दर से बढ़ा। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को विरासत में एक स्वस्थ अर्थव्यवस्था मिली है। पिछली 10 में से नौ तिमाहियों में वृद्धि दर दो प्रतिशत से ऊपर रही है। बेरोजगारी चार प्रतिशत पर कम है और महंगाई भी 2022 के मध्य के अपने उच्चतम स्तर से नीचे आ गई है।
सरकार का अनोखा कदम, एयरपोर्ट पर सिर्फ 20 रुपये में खाना उपलब्ध
28 Feb, 2025 12:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
UDAN: केंद्रीय उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने गुरुवार को चेन्नई हवाई अड्डे पर UDAN यात्री कैफे का उद्घाटन किया. पहला UDAN यात्री कैफे पिछले साल दिसंबर में कोलकाता हवाई अड्डे पर खोला गया था. यात्रियों की भारी मांग के बाद इस पहल को अब पूरे देश में फैलाया जा रहा है. जल्द ही दिल्ली हवाई अड्डे पर भी UDAN यात्री कैफे की शुरुआत होगी.
टर्मिनल 2 का किया जा रहा है विस्तार
उन्होंने यह भी बताया कि टर्मिनल 2 का विस्तार किया जा रहा है. इससे अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की सेवाएं बेहतर की जा सके. इसके अलावा, टर्मिनल 1 और 4 के नवीनीकरण पर 75 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए जा रहे हैं. शहर की साइड की भीड़ को कम करने के लिए 19 करोड़ रुपये की लागत से एक ट्रैफिक फ्लो प्रबंधन सिस्टम लागू की जा रही है. वरिष्ठ नागरिकों और गर्भवती महिलाओं के लिए मुफ्त बग्गी सेवाएं, चाइल्ड केयर रूम, चिकित्सा सुविधाएं और आधुनिक लाउंज यात्रियों को आरामदायक यात्रा अनुभव सुनिश्चित करने के लिए उपलब्ध हैं.
ग्रीन एनर्जी से होगा लैस
चेन्नई हवाई अड्डा पूरी तरह से ग्रीन एनर्जी पर चलता है. यहां 1.5 MW का सोलर पावर प्लांट है. यह पर्यावरण के प्रति इसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है. UDAN यात्री कैफे का मकसद हवाई यात्रा को आम आदमी के लिए सुलभ बनाना और हवाई अड्डे की सुविधाओं को आधुनिक बनाना है.
यात्री कैफे शुरू करने की प्रक्रिया में हैं. चेन्नई हवाई अड्डे पर यह कैफे T1 घरेलू टर्मिनल के प्री-चेक एरिया में स्थित होगा. यहां यात्रियों को स्वच्छ खाद्य सामग्री जैसे पानी की बोतल 10 रुपये, चाय 10 रुपये, कॉफी 20 रुपये, समोसा 20 रुपये और डे की मिठाई 20 रुपये में मिलेगी.
दूसरे हवाई अड्डों पर भी शुरू करने की तैयारी
कोलकाता हवाई अड्डे पर इसकी सफल शुरुआत के बाद यात्रियों की भारी मांग पर इसे अन्य हवाई अड्डों पर भी शुरू किया जा रहा है. कोलकाता के बाद हम दक्षिण प्रवेश द्वार चेन्नई हवाई अड्डे पर UDAN यात्री कैफे लेकर आए हैं. यह देश का पांचवां सबसे व्यस्त हवाई अड्डा है. यहां हर साल 22 मिलियन से अधिक यात्री आते हैं. Digiyatra और Trusted Travel Program E-gates के साथ एक सहज डिजिटल यात्रा अनुभव भी प्रदान कर रहे हैं.
महाकुंभ के चलते ठेले-पटरी वालों को मिला लाभ, कुछ ने हर दिन कमाए 10,000 रुपये
28 Feb, 2025 11:42 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
महाकुंभ का शानदार समापन हो चुका है. महाकुंभ ने पिछले 45 दिनों में खूब सुर्खियां बटोरी. महाकुंभ ने ठेले-पटरी वालों की जिंदगी भी बदल दी. कुछ ने रोज 5000 तो कुछ ने 10,000 रुपये तक कमाएं. केवल महाकुंभ नगर में 66 करोड़ से भी ज्यादा श्रद्धालु आए थे. यह त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाकर मोक्ष प्राप्त करने की इच्छा लेकर आए थे.
ठेले-पटरी वालों की मौज
इस मेले ने छोटे व्यापारियों और कामकाजी लोगों के लिए खूब फायदेमंद साबित हुआ. यहां पर ठेले-पटरी वाले पूजा सामग्री, मूर्तियां, रुद्राक्ष, हल्दी के साथ-साथ अन्य चीजें बेच रहे थे. इसके अलावा ऑक्सीडाइज्ड ज्वेलरी, चूड़ियां, सब्जियां, राशन, गोवर्धन के उपले, लकड़ी के टुकड़े, बर्तन, कपड़े, चाय के स्टॉल और फास्ट फूड की दुकानें भी खूब कमाई की.
सॉफ्ट टॉय से कमाए हजारों
एक रिपोर्ट के मुताबिक वीरेंद्र बिंद ने एक स्टॉल पर सॉफ्ट टॉय बेचने शुरू किए. वह बताते हैं कि हर सॉफ्ट टॉय पर 10 रुपये का मुनाफा कमा रहे थे. वहीं रामपाल केवट फोटोग्राफी का काम कर रहे थे. वह प्रति फोटो 50 रुपये चार्ज करते थे. रोज 5000-6000 रुपये कमा रहे थे. उन्होंने बताया कि वह सभी पैसे मोबाइल के जरिए घर भेज देते थे.
इन्होंने भी कमाएं शानदार पैसे
अभिषेक भी महाकुंभ में धार्मिक धागे बेच रहे थे. वह हर धागे पर 7 रुपये का मुनाफा कमा रहे थे. इसके अलावा मंशु ने फास्ट फूड स्टॉल लगाया था. वह बताते हैं कि वे शानदार मुनाफा कमा रहे थे. महाकुंभ मेला 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी को समाप्त हुआ. यह मेला 12 साल बाद हुआ था. इसमें 66 करोड़ से भी ज्यादा श्रद्धालु पहुंचे थे. रामपाल केवट, वीरेंद्र बिंद, मंशु समेत कई लोगों ने शानदार कमाई की है. ऑक्सीडाइज्ड ज्वेलरी, चूड़ियां, सब्जियां, राशन, गोवर्धन के उपले, लकड़ी के टुकड़े, बर्तन, कपड़े, चाय के स्टॉल और फास्ट फूड वालों ने खूब कमाई की. ऐसे में यह महाकुंभ ठेले-पटरी के लिए बेहतरीन साबित हुई.
शेयर बाजार में भारी गिरावट, सात दिनों से लाल है द लाल स्ट्रीट
28 Feb, 2025 11:35 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Share Market Crash: शेयर बाजार में फरवरी महीने के आखिरी दिन भी शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है. सेंसेक्स और निफ्टी दोनों लाल निशान पर खुले. मार्केट में भारी गिरावट के साथ कामकाज की शुरुआत हुई और निफ्टी-सेंसेक्स ने अपने अहम स्तरों को तोड़ दिया. निफ्टी 22300 के नीचे चला गया है. खबर लिखे जाने तक बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का सेंसेक्स 700 और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 200 अंकों से ज्यादा लुढ़क चुके थे.
सेंसेक्स 686.45 अंक की गिरावट के साथ 73,925.98 पर और निफ्टी 219.85 अंक की गिरावट के साथ 22,325.20 पर खुला. इस दौरान करीब 539 शेयरों में तेजी, 1702 शेयरों में गिरावट देखने को मिली.खबर लिखे जाने तक सेंसेक्स में 900 अंकों से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल रही है. इस गिरावट से बीएसई लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 5.8 लाख करोड़ रुपये घटकर 387.3 लाख करोड़ रुपये रह गया.
निवेशकों के लाखों करोड़ों डूबे
फरवरी ने दुनियाभर में निवेशकों को खून के आंसू रुला दिए हैं वहीं महीने आखिरी दिन भी बाजार में निवेशकों को राहत मिलती नहीं दिखा रही है. भारतीय शेयर बाजार में आज मार्केट खुलते ही निवेशकों के 5.8 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रुपए डूब गए. यही नहीं निफ़्टी का कोई भी इंडेक्स शुक्रवार के कारोबारी सत्र में हरे निशान में नहीं दिखा. ओवरऑल बात करें तो बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 5.8 लाख करोड़ रुपये घट गया.बीते दिन 27 फरवरी 2025 को बीएसई पर लिस्टेड सभी शेयरों का कुल मार्केट कैप 3,93,10,210.53 करोड़ रुपये था. आज यानी 28 फरवरी 2025 को मार्केट खुलने पर गिरकर यह 3.87 लाख करोड़ रुपये पर आ गया. यानी की निवेशकों की पूंजी 6 लाख करोड़ से ज्यादा डूब गई है.
कौन गिरा रहा है मार्केट?
बाजार में तबाही के पीछे कई वजहें मानी जा रही हैं, इसमें सबसे बड़ी वजह अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का नया टैरिफ ऐलान, विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली और भारत की तीसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े हैं.
कितना और गिरेगा?
मार्केट में जारी इस गिरावट के बीच बाजार जानकारों ने भारतीय बाजार और शेयरों को ओवरवैल्यूड बताया है. जानकारों का मानना है कि इकोनॉमी के मुकाबले भारतीय बाजार अभी काफी ओवरवैल्यूड हैं और स्टॉक्स काफी महंगे हैं. इस बीच सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो ये है कि बीते 4 महीनों से जारी गिरावट के चलते कई स्टॉक्स 50 फीसदी से ज्यादा तक गिर चुके हैं. बाजार विषेशज्ञों ने बाजार में अभी भी और गिरावट की आशंका जताई है. उनका कहना है कि अभी स्टॉक्स महंगे होने के कारण बाजार और भी गिर सकता है.
बाजार गिरने का कारण
बाजार के क्रैश होने के पीछे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का फैसला है. दरअसल, ट्रंप ने 27 फरवरी को ऐलान किया था कि मैक्सिको और कनाडा से आने वाले सामान पर 25% टैरिफ और चीन से आने वाले सामान पर 10% अतिरिक्त शुल्क 4 मार्च से लागू होगा. उनके इस फैसले से ग्लोबल बाजार में हलचल मच गई जिसका असर भारतीय बाजार पर भी देखने को मिल रहा है.
बाजार में गिरावट की 3 बड़ी वजहें
अमेरिका का टैरिफ फैसला: अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने मेक्सिको और कनाडा से आयात पर नए टैरिफ लागू करने का ऐलान किया. इससे वैश्विक बाजारों में दबाव बढ़ा और भारतीय बाजार पर भी असर दिखा.
FII की बिकवाली: विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) लगातार भारतीय बाजारों में बिकवाली कर रहे हैं, जिससे गिरावट तेज हो रही है.
भारत की तीसरी तिमाही (Q3) जीडीपी डेटा: देश की अर्थव्यवस्था से जुड़े नए आंकड़े जारी होने वाले हैं जो बाजार को प्रभावित कर रहे हैं. इससेनिवेशकों में अनिश्चितता बनी हुई है.
रुपए में गिरावट
रुपया शुक्रवार को शुरुआती कारोबार में 19 पैसे टूटकर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 87.37 पर आ गया. अमेरिकी मुद्रा की मजबूती और घरेलू शेयर बाजारों में नकारात्मक रुख ने निवेशकों की धारणा को प्रभावित किया.
SEBI के नए चेयरमैन बने तुहिन पांडे, वित्तीय बाजारों के लिए क्या लाएंगे बदलाव?
28 Feb, 2025 11:22 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड: सेबी के 11वें अध्यक्ष के तौर पर तुहिन कांत पांडे को नियुक्त किया गया है. नए सेबी चीफ माधबी पुरी बुच की जगह लेंगे. माधुरी बुच का 3 साल का कार्यकाल 1 मार्च, 2025 को खत्म हो रहा है. नियुक्त किए गए नये सेबी चीफ ओडिशा कैडर के 1987 बैच के IAS ऑफिसर हैं. वो मौजूदा समय में वो वित्त सचिव और राजस्व विभाग के सचिव के रूप में काम कर रहे हैं.
तुहिन कांत पांडे की जिम्मेदारी इस समय काफी अहम मानी जा रही है, क्योंकि देश को इनका नेतृत्व ऐसे समय में मिलेगा जब भारतीय बाजार में ज्यादा संख्या में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की निकासी देखी जा रही है. इस निकासी की वजह से मार्केट में मंदी का रुख देखने को मिल रहा है.
2025 से अब तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की तरफ से 1 लाख करोड़ से ज्यादा की निकासी की जा चुकी है. शेयर मार्केट के लिहाज से नए सेबी चेयरमैन के लिए ये काफी चैलेंज से युक्त है. ऐसे में बाजार विश्लेषकों की नजर तुहिन कांत की नीतियों पर बारीकी से नजर रहेगी.
तुहिन कांत ने 2025-26 के बजट में अहम भूमिका निभाई. मिडिल क्लास को टैक्स में 1 लाख करोड़ रुपये का राहत दिया गया. उन्होंने लंबे समय से लागू 1961 के आयकर अधिनियम को बदलने के उद्देश्य से एक नए आयकर विधेयक के मसौदे को तैयार करने में अपनी स्ट्रैटेजी पर काम किया.
कहां से की पढ़ाई?
तुहिन कांत का जन्म पंजाब में 8 जुलाई 1965 को हुआ था. इन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय से बीए ऑनर्स और अर्थशास्त्र में एमए की पढ़ाई पूरी की थी. दोनों में ही इन्होंने फर्स्ट डिवीजन में परीक्षा को पास किया था. देश की सबसे प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक यूपीएससी को इन्होंने क्रैक किया. यूनाइटेड किंगडम से 2006 में एमबीए किया. इसमें इन्हें फर्स्ट डिवीजन विथ डिस्टिंगशन मिला था. इन्होंने ओडिशा राज्य सरकार और केंद्र सरकार में अलग-अलग प्रशासकीय विभागों में काम किया.
इन्हें हिंदी, उड़िया और अंग्रेजी भाषा की अच्छी जानकारी है. ट्रेनिंग के बाद इनकी पहली पोस्टिंग भू-राजस्व प्रबंधन एवं जिला प्रशासन/उपमंडल प्रशासन के तौर पर हुई. उन्होंने संबलपुर में जिला कलेक्टर, वाणिज्य मंत्रालय में उप सचिव के रूप में सेवाएं दी हैं. साथ ही स्वास्थ्य, परिवहन और वाणिज्यिक कर जैसे क्षेत्रों में अलग-अलग पदों पर भी काम किया है. योजना आयोग में संयुक्त सचिव के रूप में कार्य करने के बाद, उन्होंने DIPAM (Department of Investment and Public Asset Management) का भी नेतृत्व किया. यहां पर उन्होंने प्रमुख विनिवेश पहल का प्रबंधन किया. इसके अलावा, 2021 में उन्होंने नागरिक उड्डयन मंत्रालय में सचिव के रूप में भी थोड़े समय के लिए काम किया.
शेयर बाजार में तूफान, 1996 के बाद से सबसे बड़ी गिरावट का सामना कर रहा भारतीय बाजार
27 Feb, 2025 03:48 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
बाजार में जारी तूफ़ान थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. 5 महीने से जारी बाजार की गिरावट अब नया रिकॉर्ड तोड़ने के करीब है. भारतीय शेयर बाजार में लगातार गिरावट के चलते निफ्टी 50 इंडेक्स अपने 30 साल के इतिहास में दूसरी सबसे लंबी मासिक गिरावट की ओर बढ़ रहा है. NSE का प्रमुख सूचकांक निफ़्टी जुलाई 1990 में शुरू हुआ था, और तब से अब तक केवल दो बार ऐसा हुआ है जब निफ्टी 50 ने लगातार पांच या उससे ज्यादा महीनों की गिरावट दर्ज की है.यर बाजार में जारी तूफ़ान थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. 5 महीने से जारी बाजार की गिरावट अब नया रिकॉर्ड तोड़ने के करीब है. भारतीय शेयर बाजार में लगातार गिरावट के चलते निफ्टी 50 इंडेक्स अपने 30 साल के इतिहास में दूसरी सबसे लंबी मासिक गिरावट की ओर बढ़ रहा है. NSE का प्रमुख सूचकांक निफ़्टी जुलाई 1990 में शुरू हुआ था, और तब से अब तक केवल दो बार ऐसा हुआ है जब निफ्टी 50 ने लगातार पांच या उससे ज्यादा महीनों की गिरावट दर्ज की है.इंडेक्स में हाई वेटेज रखने वाले शेयरों में हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL), आईटीसी और रिलायंस इंडस्ट्रीज क्रमशः 24%, 22% और 18% तक टूट चुके हैं. इस अवधि में केवल तीन शेयर—विप्रो, बजाज फाइनेंस और कोटक महिंद्रा बैंक—लाभ में रहे हैं, जिनमें 6% से 9% तक की वृद्धि दर्ज की गई है.
कितना और गिरेगा?
तकनीकी विश्लेषकों का मानना है कि निफ्टी जल्द ही 22,500 से 22,400 के स्तर तक गिर सकता है. जब तक निफ्टी 22,850 के नीचे रहता है, तब तक इसमें बिकवाली का दबाव बना रहेगा. इसका मतलब है कि जैसे ही निफ्टी थोड़ा ऊपर जाएगा, निवेशक शेयर बेचने लगेंगे. LKP सिक्योरिटीज के वरिष्ठ तकनीकी विश्लेषक रूपक डे के अनुसार, पिछले साल सितंबर के अंत से सूचकांक गिर रहा है और डेली चार्ट पर एक लोअर टॉप-लोअर बॉटम पैटर्न बना रहा है, जो बाजार में कमजोरी का संकेत है.
बाजार पर क्यों बढ़ रहा दबाव?
इसके अलावा, अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध और चीन के शेयर बाजार में तेजी ने भी भारतीय बाजार पर दबाव बढ़ाया है. विदेशी निवेशक अपना पैसा भारत से निकालकर चीन में लगा रहे हैं, जिससे भारतीय बाजार में बिकवाली का दबाव बढ़ा है. अक्टूबर 2024 से भारत का बाजार पूंजीकरण 1 ट्रिलियन डॉलर घट गया है, जबकि चीन का 2 ट्रिलियन डॉलर बढ़ गया है. हैंग सेंग इंडेक्स सिर्फ एक महीने में 18.7% चढ़ गया है, जबकि निफ्टी में 1.55% की गिरावट आई है.
किस स्ट्रेटेजी पर हैं विदेशी निवेशक
विश्लेषकों का मानना है कि ‘भारत में बेचो, चीन में खरीदो’ का यह रुझान जारी रह सकता है, क्योंकि चीनी शेयर अभी भी सस्ते हैं. Dezerv के सह-संस्थापक वैभव पोरवाल के अनुसार, चीन ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सितंबर 2024 में आर्थिक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी, जिससे वहां के शेयर बाजारों में तेजी आई है.
निवेशकों के लिए राय
ऐसे माहौल में, विशेषज्ञों का सुझाव है कि निवेशकों को सोच-समझकर अच्छे शेयरों में निवेश करना चाहिए और छोटे शेयरों में निवेश करने से बचना चाहिए जिनका वार्षिक मुनाफा 100 करोड़ रुपये से कम है. साथ ही, उन्हें टैक्स लाभ के लिए घाटे वाले शेयरों को बेचने पर भी विचार करना चाहिए.
सेंसेक्स का भी बुरा हाल
बीएसई का 30 शेयरों वाला सूचकांक सेंसेक्स पिछले साल 27 सितंबर को 85,978.25 के अपने रिकॉर्ड हाई पर था. उस दिन के बाद शेयर बाजार को ऐसी नजर लगी कि घरेलू शेयर बाजार में लगातार गिरावट का सिलसिला शुरू हो गया और सेंसेक्स और निफ़्टी गिरते चले गए. पिछले पांच महीनों में निफ्टी अपने सर्वकालिक उच्चस्तर से 3,729.8 अंक यानी 14.19 प्रतिशत गिर चुका है. वहीं सेंसेक्स अपने रिकॉर्ड शिखर से 11,376.13 अंक यानी 13.23 फीसदी गिर गया है.
भारत के शीर्ष व्यवसायी दान में सबसे आगे, अंबानी, अडानी समेत ये उद्योगपति सबसे बड़े दानदाता
27 Feb, 2025 01:44 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
2023-24 (FY24) के आंकड़ों के अनुसार, भारत की चार बिजनेसमैन फैमिली टाटा, अंबानी, अडानी और बिड़ला के परिवार द्वारा संचालित कंपनियों द्वारा किए गए कुल कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) योगदान में 20 प्रतिशत का योगदान है.
1,000 करोड़ रुपए तक का योगदान
दासरा के साथ बेन ऐंड कंपनी द्वारा तैयार इंडिया फिलेंथ्रपी रिपोर्ट 2025 के अनुसार, इन कंपनियों ने सीएसआर मद में प्रति समूह औसतन 800 करोड़ रुपये से 1,000 करोड़ रुपये का योगदान किया. वहीं, सीएसआर खर्च में शीर्ष 2 फीसदी कारोबारी घरानों का योगदान 50 से 55 फीसदी दर्ज किया गया। कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 135 के तहत, कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने कुछ व्यवसायों को शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, ग्रामीण विकास और पर्यावरणीय स्थिरता जैसे क्षेत्रों में अपने नेट प्रॉफिट का न्यूनतम 2 प्रतिशत योगदान करने का निर्देश दिया.
वित्त वर्ष 2023-24
वित्त वर्ष 2023-24 में, कुल 24,392 कंपनियों ने खेल, स्वास्थ्य और स्वच्छता, स्लम विकास, कला और संस्कृति और अन्य जैसे 14 क्षेत्रों में सीएसआर गतिविधियों में करोड़ों रुपये खर्च किए. आज हम आपको इस खबर के माध्यम से बताने जा रहे हैं भारत की शीर्ष सीएसआर खर्च करने वाली कंपनियों के नाम .
एचडीएफसी बैंक
इसके शीर्ष पर अग्रणी बैंक एचडीएफसी है, जो अपने सीएसआर प्रयासों के लिए जाना जाता है जो ग्रामीण विकास, आजीविका वृद्धि, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और वित्तीय साक्षरता पर ध्यान केंद्रित करता है. 41,165 करोड़ रुपए के औसद नेट प्रॉफिट में से, एचडीएफसी ने सीएसआर पर 800 करोड़ रुपए खर्च किया, जिससे यह भारत की सबसे अधिक सीएसआर खर्च करने वाली कंपनियों में से एक बन गई.
टाटा
टाटा की सीएसआर पहल भविष्य के विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित शिक्षा पर केंद्रित है। टीसीएस ने शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छता और समुद्री संरक्षण पर सीएसआर पर लगभग 774 करोड़ रुपए खर्च किए.
रिलायंस
वित्तीय वर्ष 2022-23 में, रिलायंस इंडस्ट्रीज ने सीएसआर गतिविधियों में 743 करोड़ रुपए से अधिक खर्च किए, जिससे ग्रामीण परिवर्तन कार्यक्रमों के माध्यम से लगभग 27 लाख लोग प्रभावित हुए.
एनटीपीसी
भारत की सबसे बड़ी बिजली उपयोगिता कंपनी एनटीपीसी ने अपने सीएसआर पहल के लिए लगभग 320 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं. एनटीपीसी के सीएसआर प्रयासों ने सैकड़ों गांवों और स्कूलों को प्रभावित किया है.
जनवरी से नियमों में हो जाएगा बदलाव, जो बदल देंगे आपकी जिंदगी
27 Feb, 2025 01:14 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
फरवरी महीना खत्म होने वाला है और मार्च महीना शुरू होने में एक ही दिन बचे हैं. नए महीने की शुरुआत से ही कई नियम बदल जाते हैं. ऐसे ही 1 मार्च 2025 से भी कई बड़े नियम बदलने वाले हैं. जो आपकी जेब पर असर कर सकते हैं. तो चलिए जानते हैं कि क्या-क्या बदलाव हो रहे हैं और इसका असर आपकी जिंदगी पर कैसे पड़ेगा.
फिक्स्ड डिपॉजिट
अगर आप भी उन लोगों में से एक हैं जो अपनी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखने के लिए फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में निवेश करते हैं, तो आपके लिए यह खबर बेहत जरूरी है. मार्च 2025 से बैंक एफडी के नियमों में कुछ बड़े बदलाव किए गए हैं. ये नए नियम न केवल आपके रिटर्न पर असर डाल सकते हैं, बल्कि टैक्स और निकासी के तरीकों पर भी फर्क डाल सकते है. इसलिए, अगर आप भविष्य में एफडी करने की सोच रहे हैं, तो इन बदलावों को समझना आपके लिए फायदेमंद साबित होगा.
एफडी पर ब्याज दरों में बदलाव
बता दें, कि मार्च 2025 से बैंकों ने एफडी पर मिलने वाली ब्याज दरों में कुछ बदलाव किए हैं. ब्याज दरें घट सकती हैं या बढ़ सकती हैं, अब बैंक अपनी तरलता और वित्तीय आवश्यकताओं के हिसाब से ब्याज दरों में लचीलापन रख सकते हैं. छोटे निवेशकों पर असर, खासकर जिन लोगों ने 5 साल या उससे कम समय के लिए एफडी कराई है, उन्हें नई दरें प्रभावित कर सकती हैं. छोटे निवेशकों पर असर, जिन लोगों ने 5 साल या उससे कम समय के लिए एफडी कराई है, उन्हें नई दरें प्रभावित कर सकती है.
एलपीजी की कीमत
हर महीने की पहली तारीख को ऑयल कंपनियां एलपीजी की कीमतों की समीक्षा करती हैं. ऐसे में 1 मार्च 2025 की सुबह-सुबह आपको सिलेंडर की कीमतों में बदलाव देखने को मिल सकता है. सुबह छह बजे संशोधित दाम जारी किए जा सकते हैं.
ATF और CNG-PNG रेट
बता दें, कि हर महीने की 1 तारीख को ऑयल कंपनियां हवाई ईंधन यानी एयर टर्बाइन फ्यूल (ATF) और CNG-PNG की कीमतों में भी बदलाव करती हैं.
सरकार 5 बैंकों में हिस्सेदारी घटाएगी, SEBI के मानकों को पूरा करने के लिए उठाया कदम
26 Feb, 2025 10:05 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने पांच सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी को 20 प्रतिशत तक कम करने की योजना बनाई है. खबर के मुताबिक सरकार ऐसा भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के नियमों को पूरा करने के लिए कर रही है. सेबी के नियम कहते हैं कि हर सूचीबद्ध कंपनी में कम से कम 25 प्रतिशत हिस्सा आम लोगों के पास होना चाहिए. अभी इन बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी 75 प्रतिशत से ज्यादा है, जिसे कम करने की तैयारी है.हिस्सेदारी कम करने के लिए दो रास्ते हैं. पहला तरीका है कि सरकार खुद शेयर बाजार में या बड़े निवेशकों को अपनी हिस्सेदारी बेचे. दूसरा तरीका यह है कि बैंक खुद बड़े निवेशकों को अपने शेयर बेचें. दोनों ही तरीकों से बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी कम होगी और सेबी के नियम पूरे होंगे. अभी इन बैंकों में सरकार का हिस्सा काफी ज्यादा है, जिसे नियमानुसार कम करना जरूरी हो गया है.
इन पांच बैंकों में घटेगी हिस्सेदारी
रिपोर्ट के मुताबिक, जिन बैंकों में हिस्सेदारी घटाई जाएगी, उनमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, यूको बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और पंजाब एंड सिंध बैंक शामिल हैं. सरकार यह काम निवेश और सार्वजनिक परिसंपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम), वित्तीय सेवा विभाग और बैंकों के साथ मिलकर कर रही है. इसके लिए ऑफर-फॉर-सेल (ओएफएस) और क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट (क्यूआईपी) जैसे तरीकों का इस्तेमाल हो सकता है. यानी सरकार अपनी हिस्सेदारी खुले बाजार में या बड़े निवेशकों को बेच सकती है.एक अधिकारी के मुताबिक सरकार का लक्ष्य इन बैंकों में अपनी हिस्सेदारी 75 प्रतिशत से नीचे लाना है. इसके लिए निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) शेयर बिक्री की अनुमति दे सकता है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि ये पांचों बैंक अपने बड़े प्रतिस्पर्धियों की तुलना में सस्ते नहीं हैं. बैंकों की कीमत को प्राइस-टू-बुक नामक तरीके से मापा जाता है, जो वित्तीय कंपनियों के मूल्यांकन का एक आम मानक है. इससे बैंकों में निजी निवेश बढ़ेगा और उनकी स्थिति मजबूत होगी.
मर्चेंट बैंकर देंगे सरकार को सलाह
दीपम ने मर्चेंट बैंकरों से बोलियां मांगी थीं. ये बैंकर अगले तीन साल तक सरकार को सलाह देंगे कि हिस्सेदारी कैसे और कब बेची जाए. यह अवधि एक साल और बढ़ाई भी जा सकती है. मर्चेंट बैंकरों का काम होगा कि वे सरकार को सही समय और तरीका बताएं ताकि हिस्सेदारी बिक्री आसानी से हो सके.
यह कदम सरकारी बैंकों को मजबूत करने और उनकी वित्तीय स्थिति सुधारने की दिशा में भी देखा जा रहा है. हिस्सेदारी बिक्री से सरकार को पैसा मिलेगा, जिसे दूसरे जरूरी कामों में इस्तेमाल किया जा सकता है. लोगों को अब इंतजार है कि यह योजना कब से शुरू होगी और बाजार पर इसका क्या असर पड़ेगा.
शेयर बाजार में गिरावट के बावजूद, ये 6 Nifty 50 स्टॉक्स 14% तक बढ़े, जानें क्या हैं इसके कारण
26 Feb, 2025 09:53 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली: शेयर मार्केट में लगभग पांच महीनों में जमकर बिकवाली दर्ज की जा रही है. जिससे निवेशकों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा है, और इसमें लगाम लगने के कोई संकेत भी नहीं मिल रहे हैं. इस दौरान बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स 13 प्रतिशत नीचे गिर चुका है, जबकि अपने ऑलटाइम हाई लेवल 26,277.35 से 14 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है. बता दें कि सेंसेक्स ने 27 सितंबर 2024 को अपना ऑलटाइम हाई लेवल छुआ था.
लगातार पांचवे महीने गिरावट के साथ बंद होगा बाजार!
वहीं, मंथली बेसिस पर देखा जाए तो, निफ्टी 50 इंडेक्स अक्टूबर महीने में 6 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज की, जबकि नंवबर में 0.31 फीसदी गिरा और दिसंबर में 2 फीसदी की गिरावट दर्ज की. जनवरी महीने में इंडेक्स ने 0.60 की गिरावट देखी, लेकिन फरवरी महीने में अबतक इसमें भारी बिकवाली दर्ज की गई है. फरवरी महीने में अब तक 4 प्रतिशत की भारी गिरावट दर्ज कर चुका है, जो लगातार पांचवे महीने गिरावट के साथ बंद होने की ओर इशारा कर रहा है.
पिछले 1 महीने में मार्केट में ब्लडबाथ के बावजूद 6 स्टॉक में 14% की तेजी
बता दें कि निफ्टी 50 इंडेक्स 32 स्टॉक में लाल निशान के साथ जनवरी 25 से अबतक 2.4 फीसदी टूट चुका है. हालांकि 6 ऐसे फाइनेंशियल स्टॉक है, जिन्होंने मार्केट में ब्लडबाथ के बावजूद अपने निवेशकों को 15 फीसदी तक का रिटर्न दिया है.
बजाज फाइनेंस ने दर्ज किया सबसे अधिक उछाल
दरअसल, इस अवधि में बजाज फाइनेंस के शेयर प्राइस में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि श्रीराम फाइनेंस और IndusInd Bank के शेयर 9 फीसदी चढ़े हैं. इसके बाद, बजाज फिनसर्व के शेयरों में 8.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जबकि एक्सिस बैंक में 6.4 प्रतिशत का उछाल दर्ज किया गया है. वहीं, कोटक महिंद्रा बैंक के स्टॉक में 4 फीसदी उछाल आया है.निफ्टी 50 इंडेक्स 32 स्टॉक में लाल निशान के साथ जनवरी 25 से अबतक 2.4 फीसदी टूट चुका है. हालांकि 6 ऐसे फाइनेंशियल स्टॉक है, जिन्होंने मार्केट में ब्लडबाथ के बावजूद अपने निवेशकों को 15 फीसदी तक का रिटर्न दिया है.
इस वजह से एक्टिव हुए निवेशक
बता दें कि इस लॉर्जकैप फाइनेंशियल कंपनियों के शेयरों में यह उछाल आकर्षित वैल्यूएशन और फाइनेंशियल ईयर 2024-25 की तीसरी तिमाही के बेहतर वित्तीय रिजल्ट के वजह से आई है. यह ही कारण है कि ट्रेडर्स और इंवेस्टर्स इन स्टॉक को इस लेवल पर खरीद रहे हैं.
क्या निफ्टी तोड़ेगा 28 साल पूराना रिकॉर्ड?
गौरतलब है कि अगर निफ्टी फरवरी महीने में भी गिरावट के साथ बंद हुआ, तो यह इसकी 28 साल में सबसे लंबी गिरावट होगी. इससे पहले साल 1996 में निफ्टी 50 लगातार पांच महीने गिरावट के साथ बंद हुआ था और दलाल स्ट्रीट के इतिहास में 34 साल में केवल दो बार ही ऐसी गिरावट देखने को मिली है. फॉरेन इस्टीट्यूशनल इंवेस्टर्स (FIIs) की ओर से एग्रेसिव बिकवाली की वजह से बाजार में यह गिरावट देखने को मिल रही है. FIIs ने अक्टूबर 2024 से अबतक 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक के इक्विटी शेयर बेच चुके हैं.
यूनिवर्सल पेंशन स्कीम: सरकार का नया कदम, करोड़ों लोगों को मिलेगा लाभ
26 Feb, 2025 09:36 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने पिछले महीने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम का ऑधिकारिक ऐलान किया है, जो अगले फाइनेंशियल ईयर यानी 1 अप्रैल 2025 से लागू होने वाली है. इसी बीच, खबर सामने आ रही है कि सरकार आम नागरिकों के लिए यूनिवर्सल पेंशन स्कीम (Universal Pension Scheme) लाने की तैयारी कर रही है. इस पेंशन स्कीम को लाने के पीछे का मकसद निर्माण श्रमिक, घरेलू कर्मचारी और गिग वर्कर्स जैसे असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले लोग पेंशन का लाभ देना है. अगर यह स्कीम लागू होती है, देश के करोड़ों लोगों को बड़ी राहत मिलेगी.
सरकार की ओर से नहीं मिलेगा कोई योगदान
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस पेंशन योजना में स्वैछिक योगदान की सुविधा होगी और इसमें सरकार का कोई वित्तीय योगदान नहीं होगा. हालांकि, यह योजना मौजूदा पेंशन योजनाओं को समाहित कर सकती है, जो सरकार की ओर चलाए जा रहे बचत और पेंशन स्ट्रक्चर को बेहतर बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है. इसके अलावा, यह यूनिवर्सल पेंशन स्कीम मौजूदा 'न्यू पेंशन स्कीम' (NPS) को भी शामिल कर सकती है, ताकि पेंशन सिस्टम को और बेहतर तरीके से कार्यान्वित किया जा सके.
इस योजना को 'नई पेंशन योजना' कहा जा रहा है और यह इसी नाम से चल प्रस्तावित हो सकती है. रिपोर्ट में आगे कहा गया कि प्रस्ताव दस्तावेज पूरा होने के बाद संबंध लोगों से परामर्श किया जाएगा.
मौजूदा समय में ये हैं दो पेंशन स्कीम
बता दें कि मौजूदा समय में 18 से 70 साल के उम्र वाले देश के सभी लोगों के लिए'न्यू पेंशन सिस्टम' (NPS) उपलब्ध है. इसमें योजना में विदेशों में रहने वाले भारतीय लोग (NRI) भी शामिल हो सकते हैं. इसके अलावा, कंपनियां भी अपने कर्मचारियों को इस योजना का लाभ दे सकती हैं.
प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन पेशन योजना
इसके अलावा, गवर्नमेंट ने अनएथराइज्ड सेक्टर्स के वर्कर्स के लिए प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन योजना भी शुरू की है. इस योजना का लाभ केवल वहीं लोग उठा सकते हैं, जो न्यू पेंशन स्कीम (NPS), कर्मचारी राज्य बीमा निगम या इनकम टैक्स के तहत नहीं आते. इस स्कीम के तहत, लाभार्थियों को 60 साल की उम्र के बाद 3,000 रुपये पेंशन के रूप में मिलेगी. अगर लाभार्थी की मृत्यु हो जाती है, तो उनके परिवार को 50% पेंशन के रूप में लाभ मिलेगा. वहीं, अगर कोई व्यक्ति इस योजना में नियमित कंट्रीब्यूशन किया है और 60 साल से पहले उसकी मौत हो जाती है तो,ऐसी स्थिति में पत्नी योजना में कंट्रीब्यूशन जारी रख सकती है.
स्कोडा ऑटो पर 12,000 करोड़ रुपये की टैक्स डिमांड: हाईकोर्ट ने कस्टम विभाग से स्पष्टीकरण मांगा
26 Feb, 2025 09:26 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जर्मन कार मेकर स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया से देश के कस्टम विभाग ने 1.4 अरब डॉलर (करीब 12,000 करोड़ रुपए) की टैक्स डिमांड की हुई है. इसके लिए कंपनी को जो नोटिस भेजा गया वह उसके खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट चली गई और नोटिस को ‘मनमाना’ बताया. अब इस मामले में नया मोड़ आ गया है. सुनवाई के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट में जस्टिस बी. पी. कोलाबावाला और जस्टिस फिरदौस पूनीवाला की खंडपीठ ने कस्टम विभाग से एक एफिडेविट दाखिल करने को कहा है, जबकि पिछली सुनवाई में कोर्ट की इस डिवीजन बेंच ने नोटिस के लिए टैक्स अधिकारी की तारीफ की थी. कोर्ट की बेंच ने बुधवार को निर्देश दिया कि कस्टम डिपार्टमेंट अपने भेजे गए नोटिस को एक्सप्लेन करे और इसके लिए एक एफिडेविट जमा करे. डिपार्टमेंट बताए कि कैसे उसका सितंबर 2024 में भेजा गया 1.4 अरब डॉलर की टैक्स डिमांड का ‘कारण बताओ’ नोटिस लिमिटेशन के दायरे में नहीं आना चाहिए.
क्या-क्या हुआ सुनवाई के दौरान?
बेंच स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. कस्टम डिपार्टमेंट का कहना है कि कंपनी ने अपनी स्कोडा, ऑडी और फॉक्सवैगन कारों के इंपोर्ट को सही से डिफाइन नहीं किया.उसने इनके इंपोर्ट को एक-एक ऑटो पार्ट का इंपोर्ट दिखाया है, जबकि ये उसकी कारों का ‘सीकेडी इंपोर्ट’ है. सीकेडी इंपोर्ट का मतलब कंप्लीटली नॉक्ड डाउन इंपोर्ट से होता है. इसमें किसी कार को पुर्जा-पुर्जा करके आयात किया जाता है और भारत में फिर फैक्टरी में उसे असेंबल कर दिया जाता है. जबकि ऑटो पार्ट के इंपोर्ट में कार के किसी एक या दो पार्ट का आयात होता है. इन दोनों पर ही इंपोर्ट ड्यूटी अलग-अलग तरह से काउंट होती है.
वहीं स्कोडा ऑटो फॉक्सवैगन इंडिया का कहना है कि कस्टम विभाग इस तरह अचानक से इतने टैक्स की डिमांड नहीं कर सकता, जब उसने कई साल तक इसके बारे में कुछ पूछा ही नहीं. कंपनी का कहना है कि वह लगभग एक दशक से अलग-अलग ऑटो पार्ट्स की कैटेगरी में टैक्स जमा करा रही है.
कस्टम विभाग की ओर से अदालत में कहा गया कि उसने लंबी जांच के बाद ही कंपनी पर सीकेडी कैटेगरी में टैक्स देने की डिमांड जेनरेट की है. बुधवार को कोर्ट ने साफ किया कि वह इस मामले में अभी पूरी सुनवाई नहीं कर रहा है. वह बस कस्टम डिपार्टमेंट से ये समझना चाहती है कि क्या उसका भेजा नोटिस लिमिटेशन के दायरे में आता है या नहीं. कस्टम विभाग को ये एफिडेविट 10 मार्च तक जमा करना है.
कितना होता है टैक्स डिफरेंस?
अगर सीकेडी इंपोर्ट और ऑटो पार्ट इंपोर्ट पर लगने वाले कस्टम ड्यूटी के अंतर को देखें, तो सीकेडी यूनिट पर 30 से 35 प्रतिशत इंपोर्ट ड्यूटी लगती है, जबकि ऑटो पार्ट्स के आयात पर 5 से 15 प्रतिशत की इंपोर्ट ड्यूटी लगती है.
कोर्ट कर चुकी है टैक्स ऑफिशियल की तारीफ
मामले की पिछली सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति बी. पी. कोलाबावाला और न्यायूमूर्ति फिरदौस पूनीवाला की खंडपीठ ने कंपनी को नोटिस जारी करने से पहले टैक्स ऑफिशियल के गंभीर रिसर्च को लेकर तारीफ भी की थी. अदालत ने कहा कि कस्टम ड्यूटी ऑफिसर की तारीफ की जानी चाहिए, क्योंकि उन्होंने प्रत्येक हिस्से के नंबर को बहुत सावधानी से देखा है. प्रत्येक हिस्से का एक विशिष्ट नंबर होता है. अधिकारी ने प्रत्येक नंबर और इंपोर्ट की जांच की है. कारण बताओ नोटिस जारी करने से पहले उन्होंने डीप रिसर्च किया है.
कैफे कॉफी डे के खिलाफ दिवालिया प्रक्रिया शुरू, 2,228 करोड़ रुपये का डिफॉल्ट
26 Feb, 2025 09:12 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
देश की बड़ी कॉफी चेन कंपनी बुरे दौर से गुजर रही है. इस कंपनी की दिवालिया प्रक्रिया एक बार फिर से शुरू हो गई है. यह कॉफी लवर्स के लिए एक बड़ा झटका है. कैफे कॉफी डे की पेरेंट कंपनी CDEL लंबे टाइम से परेशानी में चल रही है. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल ने सुप्रीम कोर्ट की 21 फरवरी की समयसीमा के अंदर अपना आदेश जारी करने में विफल रहने के बाद यह फैसला लिया है.
सबसे पहले कंपनी के डिफॉल्ट की बात कर लेते हैं. कंपनी पर 2,228 करोड़ के डिफॉल्ट का आरोप है. नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में मामला जाने के बाद से ही कंपनी पर दबाव बना हुआ है. हालांकि, NCLT के अंतिम फैसले ना लेने के बावजूद भी कंपनी पर दिवालियापन की प्रक्रिया फिर से शुरू हो गई है. अब निवेशकों और कॉरपोरेट सेक्टर की नजरें नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के आगे अगले आदेश पर टिकी हुई है.
NCLT ने उठाया ये बड़ा कदम
इससे पहले NCLT की चेन्नई पीठ ने कैफे कॉफी डे की पेरेंट कंपनी CDEL के निलंबित बोर्ड के डायरेक्टर द्वारा दायर अपील पर सुनवाई पूरी होने के बावजूद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर निर्देश देते हुए इसे 21 फरवरी 2025 तक निपटाने का आदेश जारी किया था. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया.
फैसला सुनाने में देरी होने की वजह से NCLT की ओर से पारित पूर्व आदेश को निरस्त माना गया. 22 फरवरी 2025 से कॉरपोरेट दिवाला जो समाधान प्रक्रिया है. उसको दोबारा शुरू कर दिया गया. इसकी जानकारी खुद कंपनी ने शेयर बाजार को दी. CDEL ने शेयरों को जानकारी देते हुए बताया कि NCLT का अंतिम आदेश आना भी बाकी है.
28.4 करोड़ के डिफॉल्ट का किया दावा
CDL के खिलाफ दिवाला कार्रवाई 8 अगस्त 2024 को शुरू हुई थी, जब नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल यानी एनसीएलटी की बेंगलुरु बेंच ने आईडीबीआई ट्रस्टीशिप सर्विसेज लिमिटेड की याचिका को स्वीकार किया था. इसमें 28.4 करोड़ के डिफॉल्ट का दावा किया गया था. कर्ज में डूबी कंपनी के संचालन की देखरेख के लिए एक आईआरपी को नियुक्त किया गया था. निलंबित बोर्ड ने इस फैसले को कोर्ट में चुनौती दी. इसके कारण एनसीएलटी ने 14 अगस्त 2024 को कारवाई पर रोक लगा दी थी.
कोर्ट ने सुनाया ये फैसला
इसके बाद आईडीबीआई टीएसएल इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले गई. फिर सुप्रीम कोर्ट ने 31 जनवरी 2025 को एनसीएलटी की चेन्नई बेंच को 21 फरवरी तक अपील का निपटारा करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने यह फैसला सुनाया कि अगर अपील का निपटारा समय सीमा के अंदर नहीं किया गया तो सीडीईएल की जो दिवालिया प्रक्रिया है. उस पर रोक अपने आप खत्म हो जाएगी. यही कारण है कि 22 फरवरी 2025 को दी गई समय सीमा बीत जाने के बाद कंपनी पर सीआई आरपी प्रक्रिया फिर से बहाल मानी गई.
आपको बता दें कि कॉफी डे ग्रुप की पेरेंट कंपनी CDEL कैफे कॉफी डे आउटलेट चेन के अलावा एक रिजॉर्ट कंसल्टेंसी सर्विसेज और कॉफी बीन ट्रेडिंग ऑपरेट करती है. जुलाई 2019 में अपने फाउंडर बीजी सिद्धार्थ के निधन के बाद से ही कंपनी को फाइनेंशियल स्ट्रगल का सामना करना पड़ रहा है. हालांकि कंपनी अपनी एसेट्स की बिक्री और रिस्ट्रक्चरिंग के माध्यम से अपने लोन को कम करने का प्रयास कर रही है.