व्यापार
भारत-सऊदी साझेदारी का नया अध्याय, दो रिफाइनरियों में संयुक्त निवेश का ऐलान
24 Apr, 2025 06:33 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
सऊदी अरब और भारत सहयोग करके देश में दो रिफाइनरियों की स्थापना करेंगे। यह घोषणा दोनों देशों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंगलवार की सऊदी अरब यात्रा के बाद की। सऊदी अरब का भारत में यह निवेश कई क्षेत्रों में पूर्ववर्ती 100 अरब डॉलर की प्रतिबद्धता के अनुरूप है। दोनों देशों ने बुधवार को जारी संयुक्त वक्तव्य में कहा कि ऊर्जा, पेट्रोरसायन, आधारभूत ढांचा, तकनीक, फिनटेक, डिजिटल आधारभूत ढांचा सहित अन्य क्षेत्रों में निवेश किया जाएगा।
सऊदी अरामको महाराष्ट्र में प्रस्तावित वेस्ट कोस्ट रिफाइनरी की स्थापना में बेहद इच्छुक था। लेकिन सरकार ने परियोजना पर कार्य बेहद धीमी गति से चलने के कारण नए सिरे से रूपरेखा तैयार की है। यह परियोजना महाराष्ट्र के नानर क्षेत्र में लगाई जानी है।
इस रिफाइनरी की पहली बार घोषणा 2015 में हुई थी। इस 44 अरब डॉलर की परियोजना का अद्वितीय लक्ष्य 60 एमएमटीपीए है। महाराष्ट्र में पूर्ववर्ती शिवसेना के नियंत्रण वाली और भाजपा के नेतृत्व सरकार सरकार ने इस महत्त्वाकांक्षी परियोजना के मुद्दे पर अपना रुख कई बार बदला था। इसका परिणाम यह हुआ कि सरकार ने अपेक्षाकृत कम क्षमता की रिफाइनरियों की स्थापना की योजना बनाई। इनकी क्षमता 20 एमएमटीपीए है।
$2 अरब के निवेश के साथ भारत आ रही विदेशी EV कंपनी, मार्केट में बढ़ेगा कॉम्पिटिशन
24 Apr, 2025 06:25 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वियतनामी इलेक्ट्रिक वाहन (EV) की बड़ी कंपनी विनफोस्ट (VinFast) तमिलनाडु में अपना कार असेंबली प्लांट जून के अंत तक खोलने की योजना बना रही है। कंपनी के सीईओ फाम सन्ह चाउ (Pham Sanh Chau) ने गुरुवार को यह जानकारी दी। रॉयटर्स के हवाले से यह जानकारी सामने आई है। फाम न्हाट वुओंग (Pham Nhat Vuong) ने VinFast की मूल कंपनी विंगग्रुप के शेयरधारकों को बताया, “जल्द ही वियतनामी बाजार के अलावा हम इंडोनेशिया, भारत और फिलीपींस के बाजारों पर ज्यादा फोकस करेंगे।”
तमिलनाडु में लगेगा प्लांट, 2 अरब डॉलर का निवेश
अमेरिकी EV दिग्गज टेस्ला की Nasdaq-लिस्टेड वैश्विक प्रतिद्वंद्वी VinFast ने तमिलनाडु के थूथुकुडी को अपने 2 बिलियन डॉलर के कारखाने के लिए चुना था। परियोजना के पहले चरण में 500 मिलियन डॉलर का निवेश होगा, और इस प्लांट की वार्षिक उत्पादन क्षमता 1,50,000 वाहनों तक होने की उम्मीद है। प्लांट द्वारा 2026 में ईवी का उत्पादन शुरू करने की संभावना है।
यह प्लांट बैटरी निर्माण और पूरे देश में चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने सहित एक संपूर्ण ईवी इको-सिस्टम भी विकसित करेगा। वी-ग्रीन नामक एक समूह कंपनी चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए सह-निवेशकों की तलाश करेगी।
थूथुकुडी को क्यों चुना?
इस साल जनवरी में फाम सन्ह चाउ ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के लिए थूथुकुडी को क्यों चुना गया। उन्होंने कहा, “हमने थूथुकुडी को इसलिए चुना क्योंकि यह पोर्ट और एयरपोर्ट के करीब है, जिससे हमें निर्यात करने में मदद मिलेगी। वियतनाम में हमारे दो कारखाने- एक 50,000 है और दूसरा लगभग 100,000 प्रोडक्शन क्षमता का है। हम भारत को घरेलू बाजार, पश्चिम एशिया और अफ्रीका के लिए देख रहे हैं।”
रोजगार के बनेंगे अवसर
VinFast की एकीकृत इलेक्ट्रिक वाहन सुविधा से स्थानीय स्तर पर लगभग 3,000-3,500 रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है। भारत मोबिलिटी ग्लोबल एक्सपो 2025 में कंपनी ने भारतीय बाजार के लिए दो पूरी तरह से इलेक्ट्रिक प्रीमियम एसयूवी – VF 7 और VF 6 की झलक दिखाई थी। इन ईवी को इस साल के अंत में लॉन्च किया जाएगा।
भारतीय बाजार में टेस्ला भी एंट्री को तैयार
दूसरी ओर, ईलॉन मस्क के नेतृत्व वाली टेस्ला भी भारतीय बाजार में प्रवेश करने के लिए सक्रिय रूप से प्रयास कर रही है। मौजूदा अमेरिकी प्रशासन के तहत वार्ता में तेजी आई है, क्योंकि मस्क के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प के साथ घनिष्ठ संबंध हैं।
इस साल की शुरुआत में, टेस्ला के सीईओ प्रधानमंत्री नरेंद्र से उनकी अमेरिका यात्रा के दौरान मिले और भारत में अपने व्यावसायिक उपक्रमों को लाने की संभावनाओं पर चर्चा की।
पिछले सप्ताह उनकी फोन पर भी बातचीत हुई, जिसके बाद मस्क ने इस साल के अंत में भारत आने की योजना की घोषणा की।
टेस्ला ने पुणे में 5,850 स्क्वैर फुट का ऑफिस स्पेस लीज पर लिया है। इस साल फरवरी में, कंपनी ने भारत में भर्ती शुरू कर दी, और मुंबई और दिल्ली में 13 पदों के लिए नौकरी के विज्ञापन पोस्ट किए
AIS के साथ ITR फाइलिंग में अब नहीं कोई झंझट – जानिए कैसे पाएं पूरी जानकारी
24 Apr, 2025 06:15 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
हर साल की तरह इस बार भी इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) भरने का समय शुरू हो चुका है। टैक्सपेयर्स के लिए यह समय थोड़ा तनाव भरा हो सकता है, क्योंकि सही जानकारी और डॉक्यूमेंट्स जुटाने में मेहनत लगती है। लेकिन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने कुछ साल पहले एक नई व्यवस्था शुरू की है, जिसे एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) कहा जाता है। यह सिस्टम टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स भरने में आसानी लाने और टैक्स प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने के लिए बनाया गया है।
AIS सिस्टम क्या है और यह कैसे काम करता है?
एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) एक ऐसा डॉक्यूमेंट है, जिसमें टैक्सपेयर के पूरे वित्तीय वर्ष की कमाई, खर्च और लेनदेन की जानकारी एक जगह इकट्ठा होती है। यह सिस्टम इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने नवंबर 2021 में शुरू किया था, ताकि टैक्सपेयर्स को अपने टैक्स रिटर्न भरने में आसानी हो। AIS को फॉर्म 26AS का बड़ा और बेहतर रूप कहा जा सकता है। पहले फॉर्म 26AS में केवल TDS (टैक्स डिडक्टेड एट सोर्स) और TCS (टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स) की जानकारी होती थी, लेकिन AIS में इससे कहीं ज्यादा जानकारी होती है।
AIS में टैक्सपेयर की सैलरी, बैंक खाते में मिलने वाला ब्याज, डिविडेंड, किराए से होने वाली आय, शेयर और म्यूचुअल फंड के लेनदेन, प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री, विदेशी लेनदेन, और GST टर्नओवर जैसी कई जानकारियां शामिल होती हैं। यह जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को बैंकों, स्टॉक एक्सचेंज, रजिस्ट्रार ऑफिस, और अन्य स्रोतों से मिलती है। टैक्सपेयर को यह सारी जानकारी इनकम टैक्स की आधिकारिक वेबसाइट (www.incometax.gov.in) पर अपने ई-फाइलिंग अकाउंट में लॉग इन करके देखने को मिलती है।
AIS को देखने के लिए टैक्सपेयर को अपने पैन नंबर या आधार नंबर और पासवर्ड की मदद से लॉग इन करना होता है। लॉग इन करने के बाद, डैशबोर्ड पर AIS का विकल्प दिखता है, जहां से इसे PDF, JSON, या CSV फॉर्मेट में डाउनलोड किया जा सकता है। अगर AIS में कोई गलती दिखती है, तो टैक्सपेयर ऑनलाइन फीडबैक देकर इसे ठीक करवा सकता है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने इसे और सुविधाजनक बनाने के लिए ‘AIS for Taxpayers’ नाम का एक मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया है, जिसे गूगल प्ले स्टोर या ऐप स्टोर से डाउनलोड किया जा सकता है। इस ऐप के जरिए टैक्सपेयर अपने फोन पर ही सारी जानकारी देख सकते हैं और जरूरत पड़ने पर फीडबैक दे सकते हैं।
AIS क्यों है जरूरी?
AIS सिस्टम का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह टैक्सपेयर्स को उनकी सारी वित्तीय जानकारी एक जगह उपलब्ध कराता है। पहले टैक्स रिटर्न भरना एक जटिल प्रक्रिया थी, जिसमें कई तरह के डॉक्यूमेंट इकट्ठा करने पड़ते थे। कई बार लोग अपनी कुछ कमाई, जैसे बैंक ब्याज या छोटे-मोटे निवेश से होने वाली आय, को रिटर्न में शामिल करना भूल जाते थे। इससे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की ओर से नोटिस मिलने का खतरा रहता था। लेकिन AIS के आने से यह समस्या काफी हद तक कम हो गई है।
AIS में पहले से भरी हुई जानकारी टैक्सपेयर को एक तरह का ‘प्री-फिल्ड’ टैक्स रिटर्न देती है, जिसे वे चेक करके अपने ITR में इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे न सिर्फ समय बचता है, बल्कि गलतियां होने की संभावना भी कम हो जाती है। उदाहरण के लिए, अगर किसी टैक्सपेयर ने अपने बैंक खाते में 10,000 रुपये का ब्याज कमाया है, लेकिन उसे इसकी जानकारी नहीं है, तो AIS में यह ब्याज स्वतः दिख जाएगा। इससे टैक्सपेयर उस आय को अपने रिटर्न में शामिल करना नहीं भूलेगा।
इसके अलावा, AIS टैक्स प्रक्रिया में पारदर्शिता लाता है। चूंकि यह सारी जानकारी इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के पास पहले से मौजूद होती है, टैक्सपेयर के लिए अपनी आय छिपाना या गलत जानकारी देना मुश्किल हो जाता है। इससे टैक्स चोरी पर लगाम लगती है और सरकार को ज्यादा से ज्यादा लोगों को टैक्स सिस्टम में शामिल करने में मदद मिलती है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का कहना है कि AIS का मकसद टैक्सपेयर्स को डराना नहीं, बल्कि उन्हें एक आसान और पारदर्शी सिस्टम देना है।
AIS का टैक्सपेयर्स पर प्रभाव
AIS सिस्टम ने टैक्सपेयर्स की जिंदगी को कई मायनों में आसान बनाया है। सबसे पहले, यह समय और मेहनत बचाता है। पहले जहां टैक्सपेयर को अपने बैंक स्टेटमेंट, फॉर्म 16, और अन्य डॉक्यूमेंट्स को अलग-अलग जगह से इकट्ठा करना पड़ता था, वहीं अब AIS में सारी जानकारी एक साथ मिल जाती है। इससे खासकर उन लोगों को फायदा हुआ है, जिनकी आय कई स्रोतों से होती है, जैसे सैलरी, बिजनेस, निवेश या किराया।
दूसरा, AIS ने टैक्सपेयर्स को ज्यादा जागरूक बनाया है। अब वे अपनी हर छोटी-बड़ी वित्तीय गतिविधि पर नजर रख सकते हैं और यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि उनकी ITR में कोई गलती न हो। उदाहरण के लिए, अगर कोई टैक्सपेयर प्रॉपर्टी खरीदता है, तो यह जानकारी AIS में दर्ज हो जाती है। अगर वह इस लेनदेन को अपने रिटर्न में नहीं दिखाता, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट उससे सवाल कर सकता है। इससे टैक्सपेयर को अपनी जिम्मेदारी का अहसास होता है।
तीसरा, AIS ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और टैक्सपेयर्स के बीच भरोसा बढ़ाया है। टैक्सपेयर अब यह जानते हैं कि उनकी जानकारी विभाग के पास पहले से मौजूद है, इसलिए वे सही और पूरी जानकारी देने के लिए प्रेरित होते हैं। साथ ही, फीडबैक की सुविधा ने इस सिस्टम को और भी यूजर-फ्रेंडली बनाया है। अगर AIS में कोई गलती है, तो टैक्सपेयर उसे आसानी से ठीक करवा सकता है। उदाहरण के लिए, अगर AIS में किसी गलत लेनदेन की जानकारी दिख रही है, तो टैक्सपेयर उसे ऑनलाइन फीडबैक देकर हटा सकता है।
हालांकि, AIS के कुछ मुश्किल पहलू भी हैं। कई टैक्सपेयर्स, खासकर ग्रामीण इलाकों में रहने वाले या तकनीक से कम वाकिफ लोग, इसे समझने और इस्तेमाल करने में दिक्कत महसूस करते हैं। इसके लिए इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को जागरूकता अभियान चलाने और आसान गाइडलाइंस देने की जरूरत है। फिर भी, कुल मिलाकर AIS ने टैक्स सिस्टम को पहले से ज्यादा सरल और पारदर्शी बनाया है।
FD में समझदारी से निवेश का फॉर्मूला, एक्सपर्ट ने बताए फायदे के रास्ते
24 Apr, 2025 06:07 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
FD Account: आज के समय में पैसों की बचत करना और उसे सही जगह निवेश करना हर व्यक्ति की प्राथमिकता है। निवेश के तमाम मौजूद विकल्पों में से FD (फिक्स्ड डिपॉजिट) एक ऐसा विकल्प है, जो न केवल सुरक्षित है, बल्कि निश्चित ब्याज दर के साथ आपकी बचत को बढ़ाने में भी मदद करता है। लेकिन सवाल यह है कि एक व्यक्ति को कितने FD अकाउंट खोलना चाहिए? क्या एक ही अकाउंट पर्याप्त है, या फिर कई अकाउंट खोलना फायदेमंद हो सकता है?
FD अकाउंट की संख्या क्यों मायने रखती है?
FD अकाउंट खोलने से पहले यह समझना जरूरी है कि आपकी वित्तीय जरूरतें और टारगेट क्या हैं। हर व्यक्ति की आर्थिक स्थिति अलग-अलग होती है। कोई अपनी बचत को सुरक्षित रखना चाहता है, तो कोई इमरजेंसी के लिए फंड तैयार करना चाहता है। कुछ लोग शादी, शिक्षा या छुट्टियों जैसे बड़े खर्चों के लिए पैसे जोड़ते हैं। इस वजह से एक ही FD अकाउंट सभी जरूरतों को पूरा नहीं कर सकता।
मनीफ्रंट के सीईओ और बैकिंग एक्सपर्ट मोहित गांग कहते हैं, “एक से ज्यादा FD खाते खोलना कई बार फायदेमंद हो सकता है। इससे आप अपनी बचत को अलग-अलग समयावधि और ब्याज दरों के हिसाब से व्यवस्थित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप एक अकाउंट 1 साल के लिए खोलते हैं और दूसरा 5 साल के लिए, तो आपकी कम समय और लंबे समय, दोनों जरूरतें पूरी हो सकती हैं। इसके अलावा, कई अकाउंट होने से आप जरूरत पड़ने पर एक अकाउंट को समय से पहले तोड़े बिना दूसरे का इस्तेमाल कर सकते हैं।”
अपनी जरूरतों के हिसाब से अकाउंट चुनें
FD अकाउंट की संख्या तय करने से पहले अपनी वित्तीय जरूरतों का आकलन करना जरूरी है। अगर आप एक युवा पेशेवर हैं, जो अगले कुछ सालों में कार खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो आपके लिए 2-3 साल की अवधि वाला एक FD अकाउंट उपयुक्त हो सकता है। वहीं, अगर आप रिटायरमेंट की योजना बना रहे हैं, तो लंबी अवधि के खाते ज्यादा फायदेमंद होंगे।
एक्सपर्ट का कहना है कि आमतौर पर 3 से 5 FD खाते एक सामान्य व्यक्ति के लिए पर्याप्त हो सकते हैं। इससे आप अपनी बचत को अलग-अलग टारगेट के लिए बांट सकते हैं। मसलन, एक अकाउंट इमरजेंसी फंड के लिए, दूसरा छोटे-छोटे टारगेट जैसे छुट्टियों के लिए, और तीसरा बड़े टारगेट जैसे मकान खरीदने के लिए। अलग-अलग अकाउंट होने से आपकी बचत का मैनजमेंट आसान हो जाता है और आप अनुशासित तरीके से निवेश कर पाते हैं।
इसके अलावा, कई बैंकों और वित्तीय संस्थानों में FD की ब्याज दरें समय और पैसे के आधार पर बदलती रहती हैं। अगर आप अपनी बचत को अलग-अलग बैंकों में बांटते हैं, तो आपको बेहतर ब्याज दरों का फायदा मिल सकता है। उदाहरण के लिए, कुछ छोटे वित्तीय संस्थान या सहकारी बैंक बड़े बैंकों की तुलना में ज्यादा ब्याज दे सकते हैं। हालांकि, ऐसे मामलों में संस्थान की विश्वसनीयता की जांच करना जरूरी है।
लिक्विडिटी और लचीलापन का रखें ध्यान
FD का सबसे बड़ा फायदा इसकी सुरक्षा है, लेकिन इसका एक नुकसान यह भी है कि आपका पैसा एक निश्चित अवधि के लिए लॉक हो जाता है। अगर आप समय से पहले अकाउंट तोड़ते हैं, तो आपको जुर्माना देना पड़ सकता है और ब्याज भी कम मिल सकता है। यही वजह है कि एक से ज्यादा FD खाते खोलना आपके लिए आसान हो सकता है।
मोहित गांग कहते हैं “मान लीजिए, आपके पास एक ही FD अकाउंट है, जिसमें आपने 5 लाख रुपये 5 साल के लिए जमा किए हैं। अगर आपको अचानक 1 लाख रुपये की जरूरत पड़ती है, तो आपको पूरा अकाउंट तोड़ना पड़ सकता है, जिससे बाकी राशि पर भी कम ब्याज मिलेगा। लेकिन अगर आपके पास दो खाते हैं—एक 2 लाख रुपये का और दूसरा 3 लाख रुपये का—तो आप केवल छोटा अकाउंट तोड़ सकते हैं और बाकी राशि पर ब्याज कमाना जारी रख सकते हैं।”
वे कहते हैं, “आप अपनी बचत का एक हिस्सा कम अवधि (6 महीने से 1 साल) के FD में रखें, ताकि जरूरत पड़ने पर आसानी से पैसा निकाला जा सके। बाकी राशि को आप लंबी अवधि के लिए निवेश कर सकते हैं, जहां ब्याज दरें आमतौर पर ज्यादा होती हैं। इस तरह, आप लिक्विडिटी और रिटर्न के बीच संतुलन बना सकते हैं।”
टैक्स में फायदा और अन्य सुविधाओं का फायदा उठाएं
FD खातों का एक और फायदा यह है कि कुछ मामलों में आपको कर छूट मिल सकती है। आयकर अधिनियम की धारा 80C के तहत, 5 साल या उससे ज्यादा के समय की FD पर 1.5 लाख रुपये तक की राशि पर कर छूट का लाभ लिया जा सकता है। अगर आप इस सुविधा का फायदा उठाना चाहते हैं, तो एक अलग FD अकाउंट खोलना बेहतर होगा, जिसमें आप केवल कर छूट के लिए निवेश करें।
इसके अलावा, कई बैंक सीनियर सिटीजन, महिलाओं या विशेष समूहों के लिए अतिरिक्त ब्याज दरें देती हैं। अगर आप इन श्रेणियों में आते हैं, तो अलग-अलग बैंकों में खाते खोलकर इन सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ बैंक सीनियर सिटीजन को 0.5% तक ज्यादा ब्याज देते हैं।
कई बार लोग FD को केवल बचत के साधन के रूप में देखते हैं, लेकिन इसे सही तरीके से इस्तेमाल करने पर यह आपकी वित्तीय योजना का एक मजबूत हिस्सा बन सकता है। अलग-अलग अवधि, राशि और बैंकों में खाते खोलकर आप न केवल अपनी बचत को सुरक्षित रख सकते हैं, बल्कि उसका अधिकतम लाभ भी उठा सकते हैं।
हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि FD खोलने से पहले आपको अपनी आय, खर्चों और भविष्य की जरूरतों का पूरा हिसाब करना चाहिए। बहुत ज्यादा खाते खोलना भी प्रबंधन को जटिल बना सकता है। इसलिए, अपनी जरूरतों और सुविधा के हिसाब से सही संख्या तय करना सबसे महत्वपूर्ण है।
मोहित गांग कहते हैं, “FD के जरिए बचत को बढ़ाने का यह तरीका न केवल आपको आर्थिक सुरक्षा देता है, बल्कि आपके सपनों को हकीकत में बदलने में भी मदद करता है। चाहे वह नया घर हो, बच्चों की पढ़ाई हो, या फिर एक शानदार छुट्टी, सही योजना के साथ FD आपके लक्ष्यों को आसान बना सकता है।”
FIITJEE के खिलाफ ED की बड़ी कार्रवाई, दिल्ली-NCR में मनी लॉन्ड्रिंग केस में छापेमारी
24 Apr, 2025 12:42 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कोचिंग संस्थान ‘फिटजी’ (FIITJEE) के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच के अंतर्गत गुरुवार को दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में कई परिसरों पर छापे मारे। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के इच्छुक छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग प्रदान करने वाले ‘फिटजी’ ने हाल में अपने केंद्र अचानक बंद कर दिए थे, जिससे कई छात्र परेशानी में पड़ गए थे।
अधिकारियों ने बताया कि कोचिंग संस्थान के प्रमोटर्स के परिसरों सहित दिल्ली, नोएडा एवं गुरुग्राम में कई परिसरों पर छापेमारी की जा रही है। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत की जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि यह मामला नोएडा एवं दिल्ली पुलिस द्वारा कुछ अभिभावकों की शिकायतों पर दर्ज की गई प्राथमिकियों से जुड़ा है।
अभिभावकों ने जनवरी में कहा था कि ‘फिटजी’ के केंद्र अचानक बंद कर दिए गए जिससे उनके बच्चे मुश्किल में पड़ गए। अधिकारियों के अनुसार, अभिभावकों ने कहा कि उन्होंने लाखों रुपये शुल्क के रूप में जमा किए थे लेकिन उन्हें न तो कोई सेवा मिली और न ही उनके पैसे वापस किए गए। बता दें, FIITJEE संस्थान इंजीनियरिंग के इच्छुक छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग प्रदान करता है। देश भर में इस संस्थान के 73 केंद्र हैं।
FIITJEE की प्रोफाइल
1992 में स्थापित, दिल्ली स्थित FIITJEE प्रतियोगी परीक्षा की कोचिंग में एक प्रमुख नाम है और भारत में लगभग 100 अध्ययन केंद्रों का संचालन करता है। यह इंजीनियरिंग के इच्छुक छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए कोचिंग प्रदान करता है। अपनी मजबूत उपस्थिति के बावजूद, संस्थान इन दिनों परिचालन और वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रहा है।
उत्तर भारत के कई केंद्र, जिनमें दिल्ली, नोएडा, मेरठ, गाज़ियाबाद, लखनऊ, वाराणसी और भोपाल शामिल हैं, अचानक बंद हो गए हैं। FIITJEE के मुताबिक, ये बंद होने की घटनाएं स्वैच्छिक नहीं थीं, बल्कि केंद्र प्रबंधक भागीदारों (CMPs) और उनकी टीमों के अचानक चले जाने के कारण हुईं, जिसे संस्थान ने “फोर्स मेज्योर” (अप्रत्याशित परिस्थिति) करार दिया है।
सिंधु जल संधि रद्द करने पर विचार, पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को लग सकता है तगड़ा झटका
24 Apr, 2025 12:32 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम की बैसरन घाटी में मंगलवार को 26 पर्यटकों की हत्या के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाया और सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CSS) की बैठक में यह फैसला लिया गया। पाकिस्तान की लाइफलाइन कहे जाने वाली सिंधु और उसकी सहायक नदियों से जुड़े इस जरूरी संधि को स्थगित कर भारत ने एक तरह से पाकिस्तान पर ‘वाटर स्ट्राइक’ किया है। इससे वहां पर पानी-बिजली का संकट गहरा सकता है।
सिंधु जल संधि के स्थगित होने से क्या होगा?
सिंधु जल संधि (Indus Waters Treaty) पर भारत और पाकिस्तान के बीच नौ वर्षों तक चली बातचीत के बाद 19 सितंबर 1960 को कराची में हस्ताक्षर किए गए थे। संधि के प्रावधानों के अनुसार, सिंधु नदी प्रणाली की “पूर्वी नदियों”— सतलुज, ब्यास और रावी — का सारा जल भारत के “बिना किसी रोक-टोक” उपयोग के लिए उपलब्ध रहेगा। वहीं, पाकिस्तान को “पश्चिमी नदियों” — सिंधु, झेलम और चिनाब — से जल प्राप्त होगा।
बूंद-बूंद पानी के लिए तरस सकता है पाकिस्तान
पाकिस्तान की लाइफ लाइन कही जाने वाली सिंधु और उसकी सहायक नदियों के पानी पर भारत का नियंत्रण होते ही वहां के लोग पानी के लिए तरस जाएंगे। एक अनुमान के मुताबिक, 21 करोड़ से ज्यादा आबादी की जल जरूरतों की पूर्ति इन्हीं नदियों पर निर्भर करती है। पाकिस्तान के प्रमुख शहर जैसे कराची, लाहौर और मुल्तान सिंधु और उसकी सहायक नदियों के जल पर निर्भर रहते हैं। पाकिस्तान के तरबेला और मंगला जैसे पॉवर प्रोजेक्ट इस नदी पर निर्भर करते हैं। पाकिस्तान की शहरी जल आपूर्ति ठप्प हो सकती है। बिजली उत्पादन बुरी तरह से प्रभावित हो सकता है।
कृषि को होगा सबसे ज्यादा नुकसान
पाकिस्तान की 80% खेती योग्य भूमि (16 मिलियन हेक्टेयर) सिंधु नदी प्रणाली के पानी पर निर्भर है। सिंधु जल संधि से मिलेने वाले पानी का 93% हिस्सा सिंचाई के लिए इस्तेमाल किया जाता है, जिसके बिना वहां खेती करना संभव नहीं है। सिंधु जल संधि के स्थगित होने पर पाकिस्तान में खाद्य उत्पादन में गिरावट आ सकती है, जिससे लाखों लोगों की खाद्य सुरक्षा को खतरा हो सकता है।
सिंधु जल संधि पर भारत के पास कई विकल्प
छह साल से ज्यादा समय तक भारत के सिंधु जल आयुक्त रहे और सिंधु जल संधि (IWT) से संबंधित कार्यों से जुड़े रहे प्रदीप कुमार सक्सेना ने कहा कि भारत के पास कई विकल्प हैं क्योंकि वह ऊपरी हिस्से (upper riparian) में आता है। सक्सेना ने पीटीआई से कहा, “यदि सरकार निर्णय लेती है, तो यह संधि को समाप्त करने की दिशा में पहला कदम हो सकता है।”
सक्सेना बताते हैं कि भारत तुरंत पाकिस्तान के साथ जल प्रवाह संबंधी डेटा साझा करना बंद कर सकता है। सिंधु और इसकी सहायक नदियों के जल उपयोग को लेकर भारत पर अब कोई डिजाइन या संचालन से जुड़ी पाबंदी नहीं रहेगी। इसके अलावा, भारत अब पश्चिमी नदियों — सिंधु, झेलम और चिनाब — पर जल भंडारण (स्टोरेज) भी बना सकता है।”
सक्सेना ने आगे कहा कि भारत जम्मू-कश्मीर में निर्माणाधीन दो जलविद्युत परियोजनाओं — झेलम की सहायक नदी किशनगंगा पर किशनगंगा परियोजना और चिनाब पर रैटल परियोजना — पर पाकिस्तानी अधिकारियों के निरीक्षण दौरे भी रोक सकता है। उन्होंने कहा, “भारत किशनगंगा परियोजना पर रेजरवॉयर फ्लशिंग (Reservoir Flushing) कर सकता है। यह एक तकनीक है जिसके तहत बांध में जमा गाद को हटाने के लिए निचले स्तर के आउटलेट्स से पानी छोड़ा जाता है, जिससे गाद नीचे की ओर बह जाती है और बांध की आयु बढ़ जाती है।”
संधि के तहत, रेजरवॉयर फ्लशिंग के बाद उसका पुनः भराव अगस्त महीने — यानी मॉनसून की चरम अवधि— में किया जाना होता है। लेकिन अब जब संधि को निलंबित कर दिया गया है, तो यह प्रक्रिया किसी भी समय की जा सकती है। सक्सेना कहते हैं, यदि यह काम उस समय किया जाए जब पाकिस्तान में बुआई का मौसम शुरू होता है, तो इसका गंभीर असर पड़ सकता है, खासकर तब जब पाकिस्तान के पंजाब का बड़ा हिस्सा सिंधु और उसकी सहायक नदियों पर सिंचाई के लिए निर्भर है।
क्या भारत एकतरफा सिंधु जल संधि समाप्त कर सकता है?
सिंधु जल संधि (IWT), जिसने अब तक भारत और पाकिस्तान के बीच चार युद्ध, दशकों तक चले सीमा पार आतंकवाद और दोनों देशों के बीच लंबे समय से चली आ रही दुश्मनी के बावजूद अपना अस्तित्व बनाए रखा था, उसे बुधवार को पहली बार भारत ने निलंबित कर दिया। मगर इससे एक बड़ा सवाल जन्म लेता है कि क्या भारत एकतरफा सिंधु जल संधि को समाप्त कर सकता हैं? आइए इसे समझते हैं…
सिंधु जल संधि में बाहर निकलने (एग्जिट) का कोई प्रावधान नहीं है, यानी भारत या पाकिस्तान में से कोई भी इसे एकतरफा रूप से कानूनी तौर पर समाप्त नहीं कर सकता। इस संधि की कोई समाप्ति तिथि नहीं है, और इसमें किसी भी प्रकार का संशोधन दोनों पक्षों की सहमति से ही संभव है।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि इस संधि से बाहर नहीं निकला जा सकता, लेकिन इसमें विवाद समाधान की एक प्रक्रिया मौजूद है। अनुच्छेद IX और परिशिष्ट F एवं G में शिकायतों को उठाने की प्रक्रिया बताई गई है — सबसे पहले स्थायी सिंधु आयोग (Permanent Indus Commission) के समक्ष, फिर एक निष्पक्ष विशेषज्ञ के पास, और अंत में मध्यस्थों के एक फोरम के समक्ष।
प्रदीप कुमार सक्सेना ने कहा, “हालांकि इस संधि में इसे समाप्त करने का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है, लेकिन संधियों के कानून पर आधारित वियना कन्वेंशन के अनुच्छेद 62 के तहत पर्याप्त आधार मौजूद है, जिसके तहत ऐसी संधि को खारिज किया जा सकता है यदि उन परिस्थितियों में बुनियादी बदलाव आ गया हो, जो संधि के समय मौजूद थीं।” उन्होंने यह भी बताया कि पिछले वर्ष भारत ने पाकिस्तान को एक औपचारिक नोटिस भेजा था, जिसमें संधि की “समीक्षा और संशोधन” की मांग की गई थी।
भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित किए जाने पर पाकिस्तान की ओर से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
सिंधु जल समझौता क्या है?
स्वतंत्रता के समय, भारत और पाकिस्तान के बीच जो सीमा रेखा खींची गई, वह सीधे सिंधु नदी घाटी (Indus Basin) के बीचों बीच से गुजरी। इसके परिणामस्वरूप भारत ऊपरी इलाका (upper riparian) बन गया और पाकिस्तान निचला इलाका (lower riparian)। पाकिस्तान के पंजाब में सिंचाई के लिए जो नहरें इस्तेमाल होती थीं, वे दो बड़ी परियोजनाओं पर निर्भर थीं— एक रावी नदी पर माधोपुर और दूसरी सतलुज नदी पर फिरोजपुर। आजादी के बाद ये दोनों जगहें भारत के हिस्से में आ गईं।
इस प्रकार दोनों देशों के बीच मौजूदा सिंचाई सुविधाओं से पानी के उपयोग को लेकर विवाद पैदा हो गया। यह विवाद इंटरनेशनल बैंक ऑफ रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (वर्ल्ड बैंक) की मध्यस्थता में हुई बातचीत के बाद सुलझा, और अंततः 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि हुई।
सिंधु जल संधि के अनुसार, पूर्वी नदियों— सतलुज, ब्यास और रावी— जिनका औसत वार्षिक जल प्रवाह लगभग 33 मिलियन एकड़ फीट (MAF) है, उनका पूरा जल भारत को बिना किसी रोक-टोक के उपयोग के लिए आवंटित किया गया है। वहीं, पश्चिमी नदियों— सिंधु, झेलम और चिनाब— जिनका औसत वार्षिक प्रवाह लगभग 135 MAF है, का अधिकांश जल पाकिस्तान को आवंटित किया गया है।
हालांकि, भारत को पश्चिमी नदियों के जल का उपयोग घरेलू जरूरतों, गैर-खपत उपयोग (non-consumptive use), कृषि कार्यों और जल विद्युत उत्पादन (hydro-electric power) के लिए करने की अनुमति है। पश्चिमी नदियों से जल विद्युत उत्पादन का अधिकार भारत को बिना रोक-टोक के प्राप्त है, बशर्ते यह संधि में निर्धारित डिजाइन और संचालन की शर्तों का पालन करता हो। संधि में यह भी कहा गया है कि भारत पश्चिमी नदियों पर अधिकतम 3.6 MAF तक जल भंडारण (storage) भी बना सकता है।
कृषि क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण की ओर कदम, यूपी सरकार देगी ट्रेनिंग और मानदेय
23 Apr, 2025 06:10 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
उत्तर प्रदेश सरकार बुंदेलखंड और गंगा तट के इलाकों में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने जा रही है। साथ ही इस काम के लिए सरकार ने 250 करोड़ रुपये का बजट भी निर्धारित किया है। इतना ही नहीं बुंदेलखंड और गंगा के तटवर्ती इलाकों के बाद गंगा की सहयोगी नदियों के दोनों किनारों पर भी ऐसी खेती को बढ़ावा दिया जा रहा। इस खेती के प्रति किसानों को जागरूक करने के लिए प्रति माह 5000 रूपये के मानदेय पर कृषि सखियों की नियुक्ति की जाएगी। इनको संबंधित जिले के कृषि विज्ञान केंद्र के एक्सपर्ट प्रशिक्षण देंगे। प्राकृतिक खेती के लिए हर जिले में दो बायो इनपुट रिसर्च सेंटर (बीआरसी) भी खोले जाएंगे। सरकार की मंशा 282 ब्लाकों, 2144 ग्राम पंचायतों की करीब 2.5 लाख किसानों को इससे जोड़ने की है। योजना के मुताबिक खेती क्लस्टर में होगी और हर क्लस्टर 50 हेक्टेयर का होगा। सरकार इस योजना पर अगले दो वर्ष में करीब 250 करोड़ रुपए खर्च करेगी।
गौरतलब है कि इसी तरह योगी सरकार बुंदेलखंड के जिलों झांसी, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, महोबा, बांदा और चित्रकूट में गो आधारित प्राकृतिक खेती मिशन चला रही है। किसान गोबर व गोमूत्र से ही खाद और कीटनाशक (जीवामृत, बीजामृत और घन जीवामृत) जैसे मिश्रण बनाने के तरीके सिखा रहे हैं। किसान इसे बनाकर उनका खेत और फसल में प्रयोग करें, इसके लिए उनको प्रशिक्षित किया गया है। प्राकृतिक खेती मिशन के पहले और दूसरे चरण के लिए सरकार ने 13.16 करोड़ रुपए जारी भी किए हैं। अब तक 470 क्लस्टर गठित कर 21934 किसानों को इससे जोड़ा गया है। हर ग्राम पंचायत में 50 हेक्टेयर का एक क्लस्टर बनाया जा रहा है। किसानों को दो हेक्टेयर तक के लिए वित्तीय सहायता भी दी जा रही है। फार्मर्स फील्ड स्कूल के 2535 सत्र आयोजित किए गए हैं।
इसी पहल के तहत अब तक प्रदेश में योगी सरकार 7700 से अधिक गो आश्रय केंद्र बना चुकी है। इनमें करीब 12.5 लाख निराश्रित गोवंश रखे गए हैं। इसके अलावा मुख्यमंत्री सहभागिता योजना के तहत करीब 1 लाख लाभार्थियों को 1.62 लाख निराश्रित गोवंश दिए गए हैं। योजना के तहत हर लाभार्थी को प्रति माह 1500 रुपये भी दिए जाते हैं। प्रवक्ता ने बताया कि गो आश्रय केंद्रों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए संबंधित विभाग कृषि विभाग से मिलकर सभी जगहों पर वहां की क्षमता के अनुसार वर्मी कंपोस्ट इकाई लगाएगा। गोबर और गोमूत्र को प्रसंस्कृत करने के लिए उचित तकनीक की जानकारी देने के बाबत इन केंद्रों और अन्य लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसमें चारे की उन्नत प्रजातियों के बेहतर उत्पादन उनको फोर्टीफाइड कर लंबे समय तक संरक्षित करने के बाबत भी प्रशिक्षित किया जाएगा। इसमें राष्ट्रीय चारा अनुसंधान केंद्र झांसी की मदद ली जाएगी।
श्रीनगर फ्लाइट्स पर किराया नियंत्रण में रखें – एयरलाइंस को सरकार की दो टूक
23 Apr, 2025 12:31 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण हमले को देखते हुए नागर विमानन मंत्रालय भी हरकम में आ गया है। यात्रियों की हरसंभव मदद करने की प्रतिबद्धता जताते हुए मंत्रालय ने एयरलाइन कंपनियों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि श्रीनगर मार्ग पर हवाई किराये में कोई वृद्धि न हो। मंत्रालय ने कहा कि एयरलाइनें श्रीनगर के लिए अतिरिक्त उड़ानें भी संचालित करेंगी। ‘मिनी स्विट्ज़रलैंड’ के नाम से प्रसिद्ध बैसरन घाटी में एक प्रमुख पर्यटक स्थल पर मंगलवार को आतंकवादियों ने हमला किया। इस हमले में ज्यादातर पर्यटकों समेत कम से कम 26 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हो गए।
Air India और IndiGo ऑपरेट करेंगी 4 अतिरिक्त फ्लाइट्स
एयर इंडिया और इंडिगो बुधवार को श्रीनगर से राष्ट्रीय राजधानी और मुंबई के लिए कुल चार अतिरिक्त फ्लाइट्स ऑपरेट करेंगी। एयरलाइनों ने टिकट रिशेड्यूलिंग और कैंसलेशन फीस भी माफ कर दिया है। नागर विमानन मंत्री के राममोहन नायडू ने सभी एयरलाइन कंपनियों के साथ तत्काल बैठक की और श्रीनगर मार्ग पर हवाई किराये में वृद्धि के खिलाफ सख्त परामर्शिका जारी की।
बुधवार को जारी आधिकारिक बयान में कहा गया कि एयरलाइनों को नियमित किराया स्तर बनाए रखने का निर्देश दिया गया है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस संवेदनशील समय के दौरान किसी भी यात्री पर बोझ न पड़े। नायडू ने गृह मंत्री अमित शाह से भी बात की और संबंधित अधिकारियों के साथ समन्वय में स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहे हैं।
बयान में कहा गया, “तत्काल राहत उपायों के तहत, श्रीनगर से चार विशेष उड़ानें की व्यवस्था की गई है, जिनमें दो दिल्ली और दो मुंबई के लिए हैं। अतिरिक्त उड़ानों को तैयार रखा गया है।” नायडू ने सभी एयरलाइनों को निर्देश दिया है कि वे मृतकों के परिजनों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने के लिए राज्य सरकारों और स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम करते हुए पूरा सहयोग करें।
एयरलाइन पूरा पैसा कर रहे रिफंड
बयान में कहा गया है कि मंत्रालय पूरी तरह सतर्क है और प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता देने के लिए प्रतिबद्ध है। एयर इंडिया श्रीनगर से दिल्ली के लिए सुबह 11.30 बजे तथा श्रीनगर से मुंबई के लिए दोपहल 12.00 बजे उड़ान संचालित करेगी। एयर इंडिया दिल्ली और मुंबई से श्रीनगर के लिए प्रतिदिन पांच उड़ानें संचालित करती है। एयरलाइन इन क्षेत्रों पर 30 अप्रैल तक ‘कन्फर्म बुकिंग’ वाले यात्रियों को निःशुल्क रिशेड्यूलिंग और कैंसलेशन पर पूरा रुपया वापस करने की पेशकश भी कर रही है।
इंडिगो ने कहा कि श्रीनगर में उत्पन्न स्थिति को देखते हुए उसने यात्रा के लिए रिशेड्यूलिंग और कैंसलेशन फीस की छूट 30 अप्रैल तक बढ़ा दी है, जो 22 अप्रैल या उससे पहले की गई बुकिंग पर लागू थी। एयरलाइन ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, “इसके अतिरिक्त, हम आज 23 अप्रैल को श्रीनगर से और श्रीनगर के लिए दो उड़ानें संचालित कर रहे हैं, जिनमें से एक दिल्ली और एक मुंबई से है।” इंडिगो श्रीनगर से प्रतिदिन 20 उड़ानें संचालित करती है।
अकासा एयर ने कहा कि जो यात्री अपनी बुकिंग रद्द करना चाहते हैं, उन्हें 23 से 29 अप्रैल के बीच श्रीनगर से/के लिए रवाना होने वाली सभी उड़ानों के लिए बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के पूरा रुपया वापस किया जाएगा। एयरलाइन ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “ग्राहक अपनी मूल तिथि से सात दिनों के भीतर यात्रा के लिए जुर्माना या किराया अंतर की छूट सहित बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के अपना पहला कार्यक्रम परिवर्तन कर सकते हैं।”
एयर इंडिया एक्सप्रेस ने कहा कि पहलगाम में मौजूदा स्थिति को देखते हुए वह श्रीनगर आने-जाने वाले अपने यात्रियों को पूरी सहायता दे रही है। एयरलाइ ने ‘एक्स’ पर कहा, “श्रीनगर से या वहां के लिए 30 अप्रैल 2025 तक एयर इंडिया एक्सप्रेस की उड़ानों में यात्रा करने के लिए बुक किए गए मेहमानों को तिथि परिवर्तन शुल्क और किराए के अंतर की पूरी छूट के साथ अपनी यात्रा को पुनर्निर्धारित करने की सुविधा दी जा रही है।”
IMF का अनुमान – भारत की GDP ग्रोथ दर 6.2%, वैश्विक तनाव बना रोड़ा
23 Apr, 2025 12:23 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने आज जारी अपनी नवीनतम विश्व आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट में बढ़ते व्यापार तनाव एवं अनिश्चितताओं का हवाला देते हुए वित्त वर्ष 2026 के लिए भारत के आर्थिक वृद्धि अनुमान को 30 आधार अंक घटाकर 6.2 फीसदी कर दिया। अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के दुनिया के कई देशों पर लगाए गए शुल्क के परिदृश्य में यह रिपोर्ट अहम है।
बहुपक्षीय ऋण एजेंसी ने कहा, ‘वर्ष 2025-26 के लिए भारत का आर्थिक वृद्धि अनुमान 6.2 फीसदी पर अपेक्षाकृत स्थिर है। इसे खास तौर पर ग्रामीण इलाकों के निजी उपभोग से बल मिल रहा है। मगर आंकड़ा जनवरी 2025 की विश्व आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट के मुकाबले 0.3 फीसदी कम है। उच्च स्तर के व्यापार तनाव एवं वैश्विक अनिश्चितता के मद्देनजर ऐसा किया गया है।’
विश्व आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट में जोर देकर कहा गया है कि व्यापार तनाव बढ़ने के कारण नीतिगत अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है। इससे वैश्विक वृद्धि परिदृश्य के बारे में कुछ भी अनुमान लगाना कठिन हो गया है।
आईएमएफ ने अपने संदर्भ अनुमान में कहा है कि वैश्विक वृद्धि 2024 में अनुमानित 3.3 फीसदी से घटकर 2025 में 2.8 फीसदी रह जाएगी जो जनवरी के अनुमान से 0.5 फीसदी कम है। उसके बाद 2026 में यह बढ़कर 3 फीसदी हो जाएगी जो पिछले अनुमान के मुकाबले 0.3 फीसदी कम है। इसमें लगभग सभी देशों के लिए आर्थिक वृद्धि अनुमान में कटौती की गई है।
आईएमएफ ने कहा, ‘वृद्धि अनुमान में कटौती विभिन्न देशों में व्यापक आधार पर की गई है। इससे नए व्यापार उपायों के प्रत्यक्ष प्रभावों के अलावा व्यापार से जुड़ी हलचल, अनिश्चितता एवं खराब होती धारणा के जरिये उनके अप्रत्यक्ष प्रभावों का पता चलता है।’
आईएमएफ के अनुसंधान विभाग के आर्थिक सलाहकार एवं निदेशक पियरे-ओलिवियर गौरींचस ने कहा, ‘हम एक नए दौर में प्रवेश कर रहे हैं क्योंकि पिछले आठ वर्षों से संचालित वैश्विक आर्थिक प्रणाली को नए सिरे से निर्धारित किया जा रहा है।’ उन्होंने कहा कि नीतिगत अनिश्चितता में वृद्धि से मुख्य तौर पर आर्थिक परिदृश्य में बदलाव होता है।
आईएमएफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि निकट भविष्य में भारत की स्थिति अपेक्षाकृत अनुकूल होने के कारण 2025-50 के दौरान वृद्धि में महज 0.7 फीसदी की मामूली गिरावट दिख सकती है। मगर रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2050-2100 के दौरान गिरावट की रफ्तार तेज हो जाएगी। देश की आर्थिक समीक्षा में वित्त वर्ष 2026 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.3 से 6.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है। सांख्यिकी मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2025 के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है। इस महीने की शुरुआत में रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2026 के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान को घटाकर 6.5 फीसदी कर दिया था।
"भारत बाज़ार खोले, हम तैयार हैं" – अमेरिकी VP वेंस ने दी खुली अपील
23 Apr, 2025 12:14 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने मंगलवार को भारत के साथ ऊर्जा और रक्षा के क्षेत्र में मजबूत साझेदारी की बात कही। इस दौरान उन्होंने चुनिंदा गैर टैरिफ गतिरोधों को समाप्त करने और भारतीय बाजारों को अमेरिकी कारोबारों के लिए खोलने का भी सुझाव दिया। चार दिवसीय भारत यात्रा पर आए वेंस ने दोनों देशों के बीच चल रही व्यापार वार्ताओं में प्रगति की बात स्वीकार की। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ‘सख्त वार्ताकार’ करार देते हुए वार्ता के व्यापक विषयों को महत्त्वपूर्ण बताया।
वेंस ने जयपुर के राजस्थान इंटरनैशनल सेंटर में एक भाषण में कहा, ‘अमेरिका और भारत साझा प्राथमिकताओं पर आधारित व्यापार समझौते को लेकर कड़ी मेहनत कर रहे हैं और मैं यह घोषणा करते हुए उत्साहित हूं कि हमने व्यापार वार्ताओं के लिए बातचीत के दायरे को अंतिम रूप दे दिया। यह समझौता हमारे देशों के लिए बहुत अहम है।’
वेंस की इस मोटे तौर पर निजी यात्रा में उनकी पत्नी उषा वेंस और बच्चे भी साथ आए हैं। हालांकि वेंस और उनका परिवार सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी तथा कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से भी मिला। उपराष्ट्रपति की टिप्पणियां उस समय सामने आई हैं जब अमेरिका में बुधवार को भारतीय वाणिज्य विभाग के अधिकारियों और उनके अमेरिकी समकक्षों के बीच बातचीत शुरू होने वाली है। भारत की ओर से मुख्य वार्ताकार और मनोनीत वाणिज्य सचिव राजेश अग्रवाल बातचीत में हिस्सा ले रहे हैं।
दोनों देशों को उम्मीद है कि वे इस वर्ष सितंबर-अक्टूबर तक साझा लाभ वाले बहुपक्षीय द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण को पूरा कर लेंगे। उनका इरादा 9 जुलाई के पहले भी एक अंतरिम समझौते पर पहुंचने की है। 9 जुलाई को जवाबी शुल्क पर लगा 90 दिन का स्थगन समाप्त होने वाला है। दोनों देश 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करके 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का भी इरादा रखते हैं।
ट्रंप जहां भारत को उच्च टैरिफ वाला देश और टैरिफ किंग ठहराते रहे हैं वहीं वेंस ने ऐसे शब्द इस्तेमाल करने से परहेज बरता है। इसके बजाय उन्होंने अधिक बाजार पहुंच की मांग की और उम्मीद जताई कि अमेरिकी कंपनियों को भारत में कारोबार के समय अधिक गैर टैरिफ गतिरोधों का सामना नहीं करना होगा।
वेंस ने कारोबारी जंग छेड़ने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप को आलोचना से बचाने का भी प्रयास किया। तकनीकी सहयोग और नवाचार के अलावा अमेरिका मानता है कि भारत अमेरिकी ऊर्जा निर्यात से भी लाभान्वित होगा। उस निर्यात को बढ़ाकर भारत कम लागत पर काफी कुछ हासिल कर सकता है।
Airtel की 5G चाल! Adani से खरीदा स्पेक्ट्रम, 6 सर्कल में धमाल तय
23 Apr, 2025 11:39 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
निजी क्षेत्र की दूरसंचार कंपनी भारती एयरटेल ने आज अदाणी डेटा नेटवर्क्स लिमिटेड (एडीएनएल) से 26 गीगाहर्ट्ज बैंड में 400 मेगाहर्ट्ज दूरसंचार स्पेक्ट्रम के उपयोग के अधिकार खरीदने की घोषणा की है। एयरटेल और उसकी सहायक कंपनी भारती हेक्साकॉम लिमिटेड ने अदाणी एंटरप्राइजेज की सहायक कंपनी अदाणी डेटा नेटवर्क्स लिमिटेड के साथ पक्का करार किया है।
अदाणी डेटा नेटवर्क्स ने साल 2022 की 5जी स्पेक्ट्रम नीलामी में 212 करोड़ रुपये में 26 गीगाहर्ट्ज बैंड वाले एयरवेव खरीदी थी मगर कंपनी इनकी तैनाती नहीं कर सकी थी। एयरटेल ने अपने बयान में कहा, ‘लेनदेन पूरा होना मानक शर्तों (स्पेक्ट्रम ट्रेडिंग दिशानिर्देशों में बताई गई शर्तों) और सांविधिक मंजूरी के अधीन है।’
कंपनी के एक अधिकारी ने कहा कि एयरटेल की होल्डिंग्स में शामिल किया जा रहा स्पेक्ट्रम 6 दूरसंचार सर्कल में फैला है। इससे दूरसंचार कंपनी को इन इलाकों में अपनी 5जी सेवाओं को मजबूती देने में मदद मिलेगी। बीते कुछ वर्षों में 26 गीगाहर्ट्ज बैंड (24.25 से 27.5 गीगाहर्ट्ज) बैंड ने सभी दूरसंचार कंपनियों को काफी आकर्षित किया है। एमएम वेव बैंड के तौर पर पहचाने जाने वाला यह बैंड काफी तेज गति और कम देरी से डेटा ट्रांसमिशन की सेवा देता है, हालांकि इसकी सीमा सीमित है।
नतीजतन, इसकी घने शहरी आबादी वाले इलाकों में भारी मांग है और इसका उपयोग खासकर उद्यम अनुप्रयोगों और फिक्स्ड वायरलेस एक्सेस के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, इस बैंड में प्रस्तावित कुल स्पेक्ट्रम के 72 फीसदी के लिए साल 2022 की स्पेक्ट्रम नीलामी में बोलियां हासिल हो गई थीं। मगर रिलायंस जियो और एयरटेल दोनों ने उस समय प्रस्तावित बैंड का एक बड़ा हिस्सा पहले ही खरीद लिया था। इसलिए साल 2024 की स्पेक्ट्रम नीलामी में इसका कोई खरीदार नहीं मिला।
5जी ग्राहकों की तेजी से बढ़ती संख्या के साथ भारती एयरटेल ने पिछले साल जून में 5जी ट्रैफिक में बड़ी बढ़ोतरी को पूरा करने के लिए अपने मिड बैंक स्पेक्ट्रम को फिर से तैयार करना शुरू किया था। देश भर में 1800, 2100, 2300 मेगाहर्ट्ज जैसे मिड बैंड में दूरसंचार कंपनी की स्पेक्ट्रम होल्डिंग्स को 5जी सेवाओं के लिए फिर से तैयार किया जाएगा। इस कवायद से बेहतर इंडोर कवरेज के अलावा ब्राउजिंग स्पीड में भी वृद्धि होगी।
इस बैंड को निजी इस्तेमाल वाले नेटवर्क अथवा किसी एक उद्यम द्वारा आंतरिक उपयोग के लिए डिजाइन किए गए 5जी नेटवर्क के लिए काफी जरूरी बताया गया है। यही कारण था कि अदाणी डेटा नेटवर्क्स ने साल 2022 में इसके लिए कदम उठाया था। मगर कंपनी इसका उपयोग करने में उस समय असमर्थ रही। कंपनी ने पहले कहा था कि वह अपने संचालन के लिए एक निजी 5जी नेटवर्क बनाने और एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म तैयार करने की योजना बना रही है, जिससे अदाणी समूह के अपने मुख्य बुनियादी ढांचे के डिजिटलीकरण को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन कंपनी ने इस बारे में किसी तरह की प्रगति की जानकारी कभी नहीं दी।
शेयर बाजार की तगड़ी ओपनिंग, निवेशकों की बल्ले-बल्ले!
23 Apr, 2025 11:30 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वैश्विक बाजारों से पॉजिटिव संकेत लेते हुए भारतीय शेयर बाजार बुधवार (23 अप्रैल) को लगातार सातवें ट्रेडिंग सेशन में मजबूती के साथ खुले। बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स खुलते ही 500 से ज्यादा अंक चढ़ गया जबकि निफ्टी-50 तेजी के साथ 24,300 के पार चला गया। एचसीएल टेक के नेतृत्व में इन्फोसिस, टेक महिंद्रा जैसी आईटी स्टॉक्स में जोरदार तेजी से बाजार चढ़कर खुला।
बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) मंगलवार को 187 अंक या 0.24 प्रतिशत बढ़कर 79,595 पर बंद हुआ। जबकि निफ्टी50 (Nifty-50) 41 अंक या 0.17 प्रतिशत की बढ़त के साथ 24,167 पर बंद हुआ। एफआईआई (FIIs) ने लगातार पांचवें दिन मंगलवार को ₹1,290.43 करोड़ के शेयर खरीदे, जबकि डीआईआई (DIIs) ने ₹885.63 करोड़ के शेयरों की शुद्ध बिक्री की।
वैश्विक बाजारों में तेजी
वहीं, एशियाई बाजारों में राहत भरी तेजी देखी गई। इसका कारण वॉल स्ट्रीट से मिले सकारात्मक संकेत थे। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के चीन के साथ ट्रेड वार को कम करने को लेकर जताई गई संभावना के चलते एशियाई बाजारों में तेजी आई। जापान का निक्केई 1.58 प्रतिशत ऊपर था, जबकि दक्षिण कोरिया का कोस्पी 1.12 प्रतिशत बढ़ा हुआ था।
अमेरिकी शेयर बाजारों में भी मंगलवार को जोरदार तेजी देखी गई। S&P 500 इंडेक्स 2.51 प्रतिशत चढ़ा, जबकि नैस्डैक कंपोजिट और डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में क्रमशः 2.71 प्रतिशत और 2.66 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
ट्रंप ने कहा है कि उनका फेडरल रिजर्व चेयरमैन जेरोम पॉवेल को हटाने का कोई इरादा नहीं है। हालांकि वे केंद्रीय बैंक से दरों में कटौती कर ग्रोथ को बढ़ावा देने की मांग कर रहे हैं। इसका अमेरिकी बाजारों में पॉजिटिव संकेत गया।
आज 28 कंपनियों के आएंगे नतीजे
L&T Technology Services, Tata Consumer Products, और Bajaj Housing Finance समेत 28 कंपनियों बुधवार 23 अप्रैल को मार्च तिमाही के नतीजे जारी करेंगी। ये कंपनियां 31 मार्च, 2025 को समाप्त पूरे वित्तीय वर्ष का प्रदर्शन भी साझा करेंगी।
पुराना टैक्स बकाया? 'विवाद से विश्वास' स्कीम दे रही है राहत का मौका!
22 Apr, 2025 05:05 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
केंद्र सरकार ने डायरेक्ट टैक्स ‘विवाद से विश्वास योजना 2024’ के तहत टैक्स विवादों को सुलझाने के लिए आवेदन की आखिरी तारीख 30 अप्रैल 2025 तय की है। वित्त मंत्रालय ने 8 अप्रैल 2025 को जारी एक अधिसूचना में इसकी जानकारी दी थी। इसमें कहा गया कि इस योजना का मकसद आयकर से जुड़े पुराने विवादों को बिना कोर्ट-कचहरी के चक्कर लगाए सुलझाना है, ताकि टैक्सपेयर्स को राहत मिले और सरकार को भी राजस्व प्राप्त हो। यह योजना 2020 में शुरू हुई पहली विवाद से विश्वास योजना की सफलता के बाद दोबारा लाई गई है, जिसमें 1,46,701 विवाद सुलझाए गए थे। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस बार योजना को पहले जैसी प्रतिक्रिया नहीं मिली है, जिसके कई कारण हो सकते हैं।
इस योजना के तहत टैक्सपेयर्स को विवादित टैक्स की राशि और उस पर एक निश्चित प्रतिशत अतिरिक्त राशि चुकानी होगी। इसके बदले में आयकर विभाग ब्याज, जुर्माना और अन्य दंडों को माफ कर देगा, जिससे विवाद हमेशा के लिए खत्म हो जाएगा। आइए, इस योजना के बारे में विस्तार से समझते हैं कि यह क्या है, इसके लिए कौन आवेदन कर सकता है, और टैक्सपेयर्स को क्या करना होगा।
‘विवाद से विश्वास योजना’ है क्या?
डायरेक्ट टैक्स विवाद से विश्वास स्कीम 2024 की घोषणा केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई 2024 में केंद्रीय बजट के दौरान की थी। यह स्कीम 1 अक्टूबर 2024 से लागू हुई। इसका मुख्य उद्देश्य आयकर से जुड़े लंबित मामलों को खत्म करना है, जो कई सालों से कोर्ट और अपील प्रक्रिया में अटके हैं। इस स्कीम के जरिए टैक्सपेयर्स विवादित टैक्स की राशि और उसका एक निश्चित हिस्सा चुकाकर ब्याज और जुर्माने से पूरी तरह छूट पा सकते हैं।
सरकार ने कहा कि इस स्कीम को “विवाद से विश्वास” इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह सरकार और टैक्सपेयर्स के बीच भरोसा बढ़ाने का काम करती है। इससे न केवल टैक्सपेयर्स को राहत मिलेगी, बल्कि कोर्ट और आयकर विभाग पर लंबित मामलों का बोझ भी कम होगा। इस स्कीम को “विवाद से विश्वास 2.0” के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह 2020 में शुरू हुई पहली स्कीम का बेहतर और नया संस्करण है।
इसके अलावा, यह स्कीम सरकार के लिए समय पर राजस्व जुटाने का भी एक तरीका है। इस स्कीम के जरिए सरकार 2.7 करोड़ टैक्स विवादों को सुलझाने की उम्मीद कर रही है, जिनकी कुल कीमत करीब 35 लाख करोड़ रुपये है। यह स्कीम छोटे-बड़े सभी टैक्सपेयर्स के लिए खुली है, जो अपने टैक्स विवादों को जल्दी और आसानी से खत्म करना चाहते हैं।
उदाहरण के लिए अगर किसी टैक्सपेयर का आयकर विभाग के साथ विवाद चल रहा है। विभाग का कहना है कि टैक्सपेयर की आय 150 रुपये है, जिस पर 25 रुपये टैक्स देना होगा। लेकिन टैक्सपेयर का मानना है कि उसकी आय सिर्फ 100 रुपये है और टैक्स 10 रुपये बनता है। यह मामला कोर्ट में पहुंच गया, लेकिन अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ। ऐसे में, अगर टैक्सपेयर इस योजना के तहत विवाद सुलझाना चाहता है, तो उसे विवादित टैक्स यानी 15 रुपये (25 रुपये – 10 रुपये) और उस पर एक निश्चित प्रतिशत अतिरिक्त राशि चुकानी होगी। इसके बाद विभाग ब्याज, जुर्माना और अन्य दंड माफ कर देगा।
वित्त मंत्रालय की 8 अप्रैल 2025 की अधिसूचना के अनुसार, इस योजना के तहत आवेदन करने की आखिरी तारीख 30 अप्रैल 2025 है। यह योजना टैक्सपेयर्स को कोर्ट के चक्कर से बचाने और सरकार को लंबित मामलों का बोझ कम करने में मदद करती है। 2020 की योजना में सरकार को भारी राजस्व प्राप्त हुआ था, जिसके चलते इस योजना को दोबारा शुरू किया गया।
हालांकि, एक्सपर्ट का मानना है कि इस बार कमिश्नर स्तर पर अपीलों का निपटारा न होना और मार्च 2025 तक टैक्स ऑफिस द्वारा पारित नए आदेशों के कारण विवादों की संख्या बढ़ने की संभावना जैसी कई चुनौतियां सरकार के सामने हैं।
कौन कर सकता है आवेदन?
इस योजना का लाभ वही टैक्सपेयर्स उठा सकते हैं, जिनके टैक्स विवाद 22 जुलाई 2024 तक किसी न किसी अपीलीय प्राधिकरण (जैसे कमिश्नर, ट्रिब्यूनल, हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट) में लंबित हैं। इसके अलावा, कुछ खास शर्तों के आधार पर भी पात्रता तय की गई है। ये शर्तें इस प्रकार हैं:
अगर टैक्सपेयर या आयकर विभाग ने 22 जुलाई 2024 तक अपील, रिट याचिका या विशेष अनुमति याचिका दायर की है और यह मामला लंबित है।
अगर टैक्सपेयर ने डिस्प्यूट रिजॉल्यूशन पैनल (DRP) के सामने आपत्ति दर्ज की है और 22 जुलाई 2024 तक DRP ने कोई निर्देश जारी नहीं किया है।
अगर DRP ने निर्देश जारी किए हैं, लेकिन Assessing Officer ने 22 जुलाई 2024 तक आकलन पूरा नहीं किया है।
अगर टैक्सपेयर ने आयकर अधिनियम की धारा 264 के तहत पुनरीक्षण के लिए आवेदन किया है और यह आवेदन 22 जुलाई 2024 तक लंबित है।
क्लियर टैक्स से जुड़ी टैक्स एक्सपर्ट शेफाली मुद्रा कहती हैं, “अगर कोई अपील 22 जुलाई 2024 के बाद दायर की गई है, लेकिन वह 22 जुलाई 2024 से पहले के आदेशों से संबंधित है और अपील दायर करने की समय सीमा 22 जुलाई 2024 तक उपलब्ध थी, तो ऐसी अपील को भी इस योजना के लिए लंबित माना जाएगा। हालांकि, अगर अपील देरी से दायर की गई और इसके लिए देरी माफी का आवेदन दिया गया है, तो वह इस योजना के दायरे में नहीं आएगी।”
हालांकि, कुछ मामले इस योजना के लिए पात्र नहीं हैं, जैसे कि सर्च और जब्ती से जुड़े मामले। शेफाली के मुताबिक अनुसार, यह योजना उन टैक्सपेयर्स के लिए फायदेमंद है, जिनके मामले अपीलीय प्राधिकरणों में लंबित हैं और वे विवाद को जल्दी सुलझाना चाहते हैं।
कितना देना होगा टैक्स?
इस योजना के तहत टैक्सपेयर्स को विवादित टैक्स की राशि और उस पर एक निश्चित प्रतिशत अतिरिक्त राशि चुकानी होगी। यह राशि इस बात पर निर्भर करती है कि विवाद कब से लंबित है और उसकी प्रकृति क्या है। अगर कोई अपील 22 जुलाई 2024 तक लंबित है, तो टैक्सपेयर को विवादित टैक्स का 110% चुकाना होगा।
मान लीजिए एक कंपनी का 10 लाख रुपये की आय को लेकर विवाद है। अगर कंपनी नई टैक्स व्यवस्था में है, जहां प्रभावी टैक्स दर 25.17% है, तो इस आय पर मूल टैक्स 2,51,700 रुपये बनता है। इस योजना के तहत कंपनी को 110% यानी 2,76,870 रुपये चुकाने होंगे।
शेफाली कहती हैं, “अगर विवाद 31 जनवरी 2020 के बाद से लंबित है, तो टैक्सपेयर को 110% टैक्स देना होगा। लेकिन अगर विवाद 31 जनवरी 2020 से पहले का है, तो 120% टैक्स चुकाना होगा। इसके अलावा, अगर विवाद केवल ब्याज या जुर्माने से जुड़ा है, तो 31 जनवरी 2020 के बाद के मामलों में 30% और उससे पहले के मामलों में 35% राशि चुकानी होगी।”
टैक्सपेयर्स कैसे करें आवेदन ?
टैक्सपेयर्स को इस योजना का लाभ उठाने के लिए 30 अप्रैल 2025 तक फॉर्म 1 में घोषणा पत्र दाखिल करना होगा। आवेदन स्वीकार होने के बाद डेजिग्नेटेड अथॉरिटी 15 दिनों के भीतर फॉर्म 2 में एक सर्टिफिकेट जारी करेगी, जिसमें चुकाई जाने वाली टैक्स राशि का उल्लेख होगा। टैक्सपेयर को इस सर्टिफिकेट के मिलने के 15 दिनों के भीतर (यानी 30 मई 2025 तक) फॉर्म 3 दाखिल करके टैक्स राशि जमा करनी होगी। इसके बाद अथॉरिटी फॉर्म 4 में आदेश जारी करेगी, जिसमें टैक्स जमा होने की पुष्टि होगी और विवाद खत्म हो जाएगा।
शेफाली मुद्रा का कहना है कि यह योजना टैक्सपेयर्स के लिए सुनहरा मौका है। अपील और हाई कोर्ट स्तर पर लंबित मामलों की भारी संख्या को देखते हुए यह योजना विवादों को सुलझाने में बहुत मददगार है। टैक्सपेयर्स को समय पर आवेदन करके ब्याज और जुर्माने में छूट का लाभ उठाना चाहिए।
एक्सपर्ट का सुझाव है कि टैक्सपेयर्स को अपने मामलों की स्थिति की जांच करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका विवाद योजना की पात्रता शर्तों को पूरा करता है। इसके लिए टैक्स सलाहकार या चार्टर्ड अकाउंटेंट की मदद लेना फायदेमंद हो सकता है।
अब आगे क्या?
विवाद से विश्वास योजना 2024 टैक्सपेयर्स और सरकार दोनों के लिए फायदेमंद हो सकती है। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि योजना की सफलता के लिए कुछ और कदम उठाए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, 22 जुलाई 2024 की पात्रता तारीख को बढ़ाकर नए विवादों को भी शामिल किया जा सकता है। इससे उन टैक्सपेयर्स को भी मौका मिलेगा, जिनके मामले मार्च 2025 तक टैक्स ऑफिस के नए आदेशों के कारण शुरू हुए हैं।
शेफाली कहती हैं, “यह योजना न केवल टैक्सपेयर्स को कोर्ट के लंबे चक्कर से बचाती है, बल्कि सरकार को भी लंबित मामलों को कम करने और राजस्व जुटाने में मदद करती है। टैक्सपेयर्स के लिए यह सलाह है कि वे समय रहते अपने विवादों की जांच करें और 30 अप्रैल 2025 की समय सीमा से पहले आवेदन कर लें। इससे न केवल उनकी परेशानी कम होगी, बल्कि वे ब्याज और जुर्माने से भी बच सकेंगे।”
Smart Cities या Smart खर्च? 10 साल में 1.64 लाख करोड़ खर्च, सवाल अब भी वही!
22 Apr, 2025 04:53 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Smart Cities Mission: साल 2015 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 जून को स्मार्ट सिटी मिशन (Smart Cities Mission – SCM) की शुरुआत की थी, तब इसका मकसद था- भारत के शहरों को आधुनिक तकनीक और बुनियादी ढांचे से सुसज्जित करना ताकि नागरिकों को बेहतर जीवन मिल सके। अब जब यह मिशन अपना एक दशक (10 साल) पूरा करने के करीब है, SBI रिसर्च की रिपोर्ट इस पहल की सफलता की कहानी बयां कर रही है। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत 10 साल में ₹1.64 लाख करोड़ खर्च कर 100 शहरों में अब तक 8,000 से ज्यादा मल्टी-सेक्टोरल प्रोजेक्ट्स पर काम हुआ है। इसमें से 90% काम पूरा कर लिया गया है। इससे न सिर्फ शहरों के इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार आया है बल्कि समाज पर भी सकारात्मक असर पड़ा है। रिपोर्ट बताती है कि स्मार्ट सिटी मिशन ने शहरों को साफ हवा दी है और क्राइम भी घटा है। इसके साथ ही रिपोर्ट स्मार्ट सिटी मिशन के सामने खड़ी चुनौतियों पर भी प्रकाश डालती है।
10 साल…₹1.64 लाख करोड़ खर्च, बदले शहरों के चेहरे
देशभर के 100 शहरों में अब तक 8,000 से ज्यादा मल्टी-सेक्टोरल प्रोजेक्ट्स पर काम हुआ, जिनकी लागत लगभग ₹1.64 लाख करोड़ है। इन प्रोजेक्ट्स में से 90% से ज्यादा (₹1.50 लाख करोड़ की लागत वाले 7,504 प्रोजेक्ट्स) को पूरा कर लिया गया है। अब तक 100 शहरों पर खर्च किए गए कुल ₹1.64 लाख करोड़ में से 92% राशि सिर्फ 21 प्रमुख राज्यों में खर्च की गई है। उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और महाराष्ट्र टॉप 3 राज्य हैं, जिन्होंने कुल खर्च का एक-तिहाई हिस्सा उपयोग किया है। पूरी परियोजना लागत का लगभग 50% हिस्सा केवल दो क्षेत्रों—मोबिलिटी और जल/स्वच्छता पर खर्च हुआ है, जिनमें 3,000 से ज्यादा परियोजनाएं शामिल हैं। औसतन हर परियोजना पर ₹22 करोड़ खर्च किए गए हैं।
स्मार्ट सिटी मिशन ने दी साफ हवा, घटाया क्राइम
सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर ही नहीं, इस मिशन ने समाज पर भी सकारात्मक असर डाला है। रिपोर्ट बताती है कि जिन राज्यों ने फंड्स का 80% से ज्यादा उपयोग किया, वहां अपराध दर (crime rates) में 27% की गिरावट देखी गई। वहीं, स्मार्ट शहरों में वायु गुणवत्ता (air quality) में 23% सुधार दर्ज किया गया है, जो गैर-स्मार्ट शहरों की तुलना में काफी बेहतर है। ये आंकड़े 2018 से 2024 की छह साल की अवधि को कवर करते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि हर शहर ने अपनी जरूरतों के हिसाब से विविध प्रकार की परियोजनाएं विकसित की हैं, जिनमें से कई पहली बार लागू की गई अनोखी पहलें हैं। इससे शहरों की क्षमता और अनुभव दोनों में वृद्धि हुई है और स्थानीय स्तर पर व्यापक बदलाव लाने में मदद मिली है।
स्मार्ट सिटी मिशन से पिछड़े राज्यों ने भी पकड़ी रफ्तार
रिपोर्ट बताती है कि स्मार्ट सिटी मिशन ने क्षमता के विकेंद्रीकरण में सफलता हासिल की है, जिससे कम संसाधन वाले राज्य भी परियोजनाओं को प्रभावी रूप से लागू करने में सक्षम हो पाए हैं। इस बात की पुष्टि राज्यों में परियोजनाओं की पूर्णता दर के वितरण से भी होती है, जिससे पता चलता है कि बिहार, ओडिशा और छत्तीसगढ़ जैसे पारंपरिक रूप से पिछड़े माने जाने वाले राज्यों ने भी उल्लेखनीय प्रगति हासिल की है।
इसके अलावा, अधिकांश राज्यों ने स्मार्ट सिटी मिशन के कार्यान्वयन में ठोस प्रगति दिखाई है। यह न सिर्फ वित्तीय आवंटन की समानता को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कार्यान्वयन में भी समानता सुनिश्चित की गई है।
स्मार्ट सिटी मिशन के सामने फंडिंग की समस्या
SBI रिसर्च ने अपनी रिपोर्ट में स्मार्ट सिटी मिशन की सफलता के साथ ही साथ इसके सामने आ रही चुनौतियों और इस मिशन की कुछ खामियों पर भी प्रकाश डाला है। इस मिशन के तहत वैकल्पिक फंडिंग व्यवस्था अपेक्षित सफलता नहीं हासिल कर सकी है। PPP मॉडल भी बेअसर रहा। इसके अलावा, म्यूनिसिपल बॉन्ड्स का प्रदर्शन भी कमजोर रहा है, जिसकी वजह शहरी निकायों की सीमित आय और सरकारी अनुदानों पर निर्भरता बताई गई है।
फेल हुई वैकल्पिक फंडिंग, PPP और लोन टारगेट से काफी पीछे
हालांकि शहरों के पास फंडिंग के लिए अलग-अलग स्रोत उपलब्ध हैं, लेकिन राज्यों की प्रगति संतोषजनक नहीं रही है। दिसंबर 2023 तक 100 स्मार्ट शहरों में से सिर्फ 6% परियोजनाएं ही पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) के जरिए फंड की गईं, जबकि लक्ष्य 21% का था। इसके अलावा भोपाल, हुबली-धारवाड़, कोच्चि, विशाखापत्तनम, चंडीगढ़ और श्रीनगर जैसे केवल 6 शहर ही ₹5,298 करोड़ रुपये का लोन जुटा पाए, जो कि प्रस्तावित ₹9,844 करोड़ का सिर्फ 54% है। यह स्थिति दर्शाती है कि स्मार्ट सिटी मिशन के तहत वैकल्पिक वित्तीय व्यवस्था (alternative financing mechanisms) उतनी सफल नहीं रही, जितनी अपेक्षा की गई थी।
स्मार्ट सिटी मिशन में म्यूनिसिपल बॉन्ड्स फेल
इसके अलावा, स्मार्ट सिटी मिशन के तहत म्यूनिसिपल बॉन्ड्स अपेक्षित प्रदर्शन नहीं कर पाए हैं। इसका मुख्य कारण शहरी निकायों (ULBs) की वित्तीय सीमाएं और सरकारी अनुदानों पर अत्यधिक निर्भरता है। हालांकि नगर निगमों के पास कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां होती हैं, लेकिन उनकी आय काफी सीमित है। वित्त वर्ष 2023-24 में नगर निगमों की कुल राजस्व प्राप्तियां देश की जीडीपी का सिर्फ 0.6% रहीं, जो कि केंद्र सरकार (9.2%) और राज्य सरकारों (14.6%) की तुलना में बेहद कम है।
मध्य प्रदेश से ले सकते हैं सीख
मध्य प्रदेश के इंदौर और भोपाल देश के सबसे सफल स्मार्ट शहरों में शामिल हैं। इंदौर और भोपाल नगर निगम ने जून 2018 और सितंबर 2018 में सफलतापूर्वक म्यूनिसिपल बॉन्ड्स जारी किए थे। देश में पहला प्राइवेट प्लेसमेंट म्यूनिसिपल बॉन्ड नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर जारी करने के बाद, इंदौर नगर निगम ने फरवरी 2023 में ग्रीन बॉन्ड के जरिए ₹244 करोड़ भी जुटाए। यह देश का पहला सार्वजनिक रूप से जारी किया गया ग्रीन म्यूनिसिपल बॉन्ड था। इस फंड का इस्तेमाल 60 मेगावॉट की क्षमता वाला सौर ऊर्जा प्लांट स्थापित करने के लिए किया गया, ताकि इंदौर नगर निगम द्वारा पानी की सप्लाई और पंपिंग पर होने वाला बिजली खर्च कम किया जा सके।
इंदौर स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन ने अब तक कुल 1.26 एकड़ जमीन का मॉनेटाइजेशन किया है, जिससे ₹8 करोड़ की आय प्राप्त हुई है। वहीं भोपाल स्मार्ट सिटी कॉरपोरेशन ने 10.86 एकड़ जमीन का मॉनेटाइजेशन करते हुए ₹297 करोड़ का राजस्व अर्जित किया है। ऐसा माना जा रहा है कि अन्य स्मार्ट शहर भी मध्य प्रदेश से सीख लेकर अब तक अनदेखे वित्तीय संभावनाओं का दोहन कर सकते हैं।
स्मार्ट सिटी मिशन आगे की राह क्या होगी?
साल 2011 की जनगणना के अनुसार शहरों में वर्तमान में भारत की लगभग 31% जनसंख्या रहती है और ये सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 63% का योगदान करते हैं। अनुमान है कि 2030 तक शहरी क्षेत्रों में देश की 40% जनसंख्या निवास करेगी और ये क्षेत्र GDP में 75% तक का योगदान देंगे। शहरों में तेजी से बढ़ती आबादी के कारण बुनियादी ढांचे के प्रबंधन और सेवाओं की आपूर्ति में चुनौतियां पैदा होती हैं। इन चुनौतियों से प्रभावी और कुशल तरीके से निपटने के लिए भारत में स्मार्ट सिटी मिशन की शुरुआत की गई है।
स्मार्ट सिटी परियोजनाओं के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है – उनकी फंडिंग कैसे की जाए? भारत में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए सरकार पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) को प्रोत्साहित करने पर जोर दे रही है। इसके लिए शहरी स्थानीय निकायों (Urban Local Bodies – ULBs) के संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है, जैसे कि यूज़र फीस, लाभार्थी शुल्क, प्रभाव शुल्क (impact fees), जमीन का मॉनेटाइजेशन, कर्ज और ऋण आदि। साथ ही नवीन वित्तीय साधनों जैसे कि क्रेडिट रेटिंग के आधार पर म्यूनिसिपल बॉन्ड्स, पूल्ड फाइनेंस डेवलपमेंट फंड स्कीम और टैक्स इन्क्रिमेंट फाइनेंसिंग (TIF) का भी सहारा लिया जा रहा है। इसके अलावा, घरेलू और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से ऋण लेने और नेशनल इन्वेस्टमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (NIIF) का लाभ उठाने की रणनीति भी अपनाई जा रही है।
'शरबत जिहाद' पर कोर्ट का करारा तमाचा, रामदेव की जुबान पर लगाम जरूरी!
22 Apr, 2025 04:38 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दिल्ली हाई कोर्ट ने योग गुरु बाबा रामदेव को हमदर्द की मशहूर ड्रिंक रूह अफजा (Rooh Afza) को लेकर दिए गए विवादित बयान पर कड़ी फटकार लगाई है। Live Law की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने उनके बयान को “असमर्थनीय” बताते हुए कहा, “यह कोर्ट के विवेक को झकझोरता है।” यह विवाद 3 अप्रैल को उस वक्त शुरू हुआ जब रामदेव ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में दावा किया कि हमदर्द की रूह अफजा से होने वाला मुनाफा मस्जिदों और मदरसों के निर्माण में लगाया जा रहा है। उन्होंने कहा, “एक कंपनी आपको शरबत देती है, लेकिन उससे कमाई गई रकम मदरसे और मस्जिद बनाने में जाती है।”
अपने ब्रांड का प्रचार करते हुए रामदेव ने कहा, “अगर आप वह शरबत पीते हैं तो मदरसे और मस्जिदें बनेंगी। लेकिन अगर आप यह (पतंजलि का गुलाब शरबत) पीते हैं, तो गुरुकुल बनेंगे, आचार्य कुलम का विकास होगा, पतंजलि विश्वविद्यालय का विस्तार होगा और भारतीय शिक्षा बोर्ड मजबूत होगा।”
हमदर्द ने की कोर्ट में कार्रवाई की मांग
रामदेव के इस बयान के बाद हमदर्द ने दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की। हमदर्द की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा, “यह एक ऐसा मामला है जो चौंकाने वाला है, जो अपमान से भी आगे जाता है। यह सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने का मामला है, जो घृणा फैलाने वाले भाषण (हेट स्पीच) के समान है। इसे मानहानि कानून की सुरक्षा नहीं मिल सकती।”
एक और विवादित बयान में रामदेव ने ‘लव जिहाद’ की तुलना रूह अफजा से करते हुए कहा, “जैसे लव जिहाद होता है, वैसे ही यह एक तरह का शरबत जिहाद है। इस शरबत जिहाद से खुद को बचाने के लिए यह संदेश हर किसी तक पहुंचना चाहिए।”
उन्होंने आलोचना को और आगे बढ़ाते हुए अन्य शरबत ब्रांड्स की तुलना टॉयलेट क्लीनर से कर दी। पतंजलि की ओर से सोशल मीडिया पर साझा की गई एक पोस्ट में उपभोक्ताओं से अपील की गई, “सॉफ्ट ड्रिंक और शरबत जिहाद के नाम पर बिक रहे टॉयलेट क्लीनर जैसे ज़हर से अपने परिवार और मासूम बच्चों को बचाएं। सिर्फ पतंजलि का शरबत और जूस ही घर लाएं।”
रामदेव और पतंजलि की बढ़ती कानूनी मुश्किलें
यह घटना रामदेव और पतंजलि से जुड़ी विवादों की लंबी फेहरिस्त में एक और कड़ी जुड़ने जैसा है। पिछले दो वर्षों में पतंजलि को कई कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, खासकर भ्रामक विज्ञापनों को लेकर। यह मामला उस वक्त राष्ट्रीय सुर्खियों में आया जब इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पतंजलि के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अस्थायी रूप से पतंजलि के विज्ञापनों पर रोक लगाई और कोर्ट की अवमानना के नोटिस जारी किए।
इस साल जनवरी में केरल की एक अदालत ने रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ जमानती वारंट भी जारी किया, क्योंकि वे दिव्य फार्मेसी के भ्रामक विज्ञापनों से जुड़े एक मामले में पेश नहीं हुए थे। इसी तरह का एक और मामला कोझीकोड में भी दर्ज किया गया था।