व्यापार
नोकिया सॉल्यूशंस ने कर्ज में डूबी वोडाफोन आइडिया में एक प्रतिशत हिस्सेदारी 786 करोड़ रुपए में बेची
27 Apr, 2025 04:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। नोकिया सॉल्यूशंस एंड नेटवर्क्स इंडिया ने कर्ज में डूबी दूरसंचार कंपनी वोडाफोन आइडिया लिमिटेड (वीआईएल) में अपनी करीब एक प्रतिशत हिस्सेदारी शुक्रवार को 786 करोड़ रुपए में बेच दी है। एनएसई (नेशनल स्टॉक एक्सचेंज) पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, नोकिया सॉल्यूशंस एंड नेटवर्क्स इंडिया ने 102.70 करोड़ शेयर बेचे, जो वोडाफोन आइडिया में लगभग 0.95 प्रतिशत हिस्सेदारी के बराबर हैं। इन शेयरों को औसतन 7.65 रुपए प्रति शेयर की कीमत पर बेचा गया, जिससे कुल सौदे की कीमत 785.67 करोड़ रुपए हुई।
इस बीच, गोल्डमैन सैक्स, जो एक वैश्विक निवेश कंपनी है, ने वोडाफोन आइडिया में 59.86 करोड़ शेयर यानी 0.55 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी। वोडाफोन आइडिया के शेयरों के अन्य खरीदारों का विवरण अभी तक सामने नहीं आया है।
पिछले साल जून में, वोडाफोन आइडिया ने घोषणा की थी कि वह नोकिया इंडिया और एरिक्सन इंडिया को उनके आंशिक बकाये का भुगतान करने के लिए 2,458 करोड़ रुपए के शेयर आवंटित करेगी।
इस सौदे से नोकिया सॉल्यूशंस को वोडाफोन आइडिया में अपनी हिस्सेदारी बेचने के रूप में एक महत्वपूर्ण वित्तीय लाभ हुआ है, जबकि गोल्डमैन सैक्स जैसे निवेशक इस अवसर का लाभ उठाते हुए वोडाफोन आइडिया में निवेश कर रहे हैं।
ट्रेड वॉर के बीच एप्पल की बदली रणनीति से चीन को लगा बड़ा झटका
27 Apr, 2025 03:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापारिक तनाव (ट्रेड वॉर) के बीच एप्पल ने अपनी रणनीति में महत्वपूर्ण बदलाव किया है। कंपनी ने योजना बनाई है कि अगले साल तक अमेरिका में बिकने वाले तमाम आईफोन भारत में ही बनाए जाएं। यह कदम चीन से आयात पर बढ़े हुए टैरिफ और व्यापारिक तनाव को देखते हुए उठाया गया है।
एप्पल कंपनी वर्तमान में चीन और भारत दोनों ही जगह आईफोन का उत्पादन करवा रही है, लेकिन चीन से आयात महंगा होने के कारण अब कंपनी भारत में अपने उत्पादन को बढ़ा रही है। कंपनी के प्रमुख कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर्स, जैसे फॉक्सकॉन, बेंगलुरु में अपने प्लांट की क्षमता को बढ़ा रहे हैं। फॉक्सकॉन का नया प्लांट इस महीने के अंत तक शुरू होने की उम्मीद है, जिसकी वार्षिक उत्पादन क्षमता 20 मिलियन आईफोन तक हो सकती है।
सूत्रों के अनुसार, यदि यह रणनीति सफल होती है, तो 2026 तक भारत में सालाना आईफोन उत्पादन 60 मिलियन यूनिट तक पहुंच सकता है, जो वर्तमान उत्पादन का लगभग दोगुना होगा।
एप्पल की ग्लोबल बिक्री में अमेरिका का हिस्सा लगभग 28 प्रतिशत है, इसलिए यह कदम कंपनी की लॉजिस्टिक्स रणनीति और प्रॉफिट मार्जिन पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
एप्पल का यह कदम व्यापारिक रणनीति में महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाता है, जो न केवल भारत को एक प्रमुख मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में स्थापित कर सकता है, बल्कि चीन के प्रति कंपनी की निर्भरता को भी कम कर सकता है।
महिंद्रा कर रही है एसएमएल इसुजु लिमिटेड का टेकओवर, हिस्सेदारी खरीदने का किया ऐलान
27 Apr, 2025 02:30 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नई दिल्ली। महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड ने एसएमएल इसुजु लिमिटेड में 58.96 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदने का ऐलान किया है। महिंद्रा एंड महिंद्रा इस डील के तहत 650 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से कुल 555 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसके अतिरिक्त, महिंद्रा एंड महिंद्रा, सेबी के नियमों के अनुसार, टेकओवर के लिए ओपन ऑफर भी लाएगी। यह जानकारी महिंद्रा एंड महिंद्रा ने शनिवार को साझा की है।
महिंद्रा एंड महिंद्रा, एसएमएल इसुजु लिमिटेड के प्रमोटर सुमितोमो कॉर्पोरेशन से 43.96 प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदेगी, जबकि 15 प्रतिशत हिस्सेदारी कंपनी के सार्वजनिक शेयरधारकों से खरीदी जाएगी। इसके बाद, महिंद्रा को 26 प्रतिशत और हिस्सा खरीदने के लिए ओपन ऑफर लाना होगा, जो सेबी के नियमों के अनुसार आवश्यक है।
यह अधिग्रहण महिंद्रा एंड महिंद्रा की 3.5 टन कॉमर्शियल सेगमेंट में स्थिति को और मजबूत करेगा। वर्तमान में महिंद्रा का इस सेगमेंट में 3 प्रतिशत हिस्सा है। 3.5 टन एलसीवी (लाइट कॉमर्सियल व्हीकल) सेगमेंट में महिंद्रा की हिस्सेदारी 52 प्रतिशत है, और इस अधिग्रहण के बाद उनका मार्केट शेयर 6 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा।
एसएमएल इसुजु लिमिटेड एक स्थापित और लोकप्रिय ब्रांड है और भारत भर में इसकी मजबूत पकड़ बनी हुई है। कंपनी आइएलसीवी (इंटरमीडिएट एंड लाइट कॉमर्सियल व्हीकल) सेगमेंट में प्रमुख खिलाड़ी है और बस सेगमेंट में इसका 16 प्रतिशत का बाजार हिस्सा है। वित्त वर्ष 2024 में, एसएमएल इसुजु लिमिटेड का ऑपरेटिंग रेवेन्यू 2,196 करोड़ रुपये था, जबकि इसका इबीआईटीडीए 179 करोड़ रुपये रहा था।
यह अधिग्रहण महिंद्रा एंड महिंद्रा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उसकी कॉमर्शियल व्हीकल सेगमेंट में स्थिति को और मजबूत करेगा। महिंद्रा का यह कदम भारतीय ऑटोमोटिव बाजार में अपनी हिस्सेदारी को बढ़ाने और अपनी प्रतिस्पर्धा को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हो सकता है।
EPFO ने बदली PF ट्रांसफर प्रक्रिया, अब बिना नियोक्ता के मंजूरी के होगा फंड ट्रांसफर
26 Apr, 2025 02:29 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
नौकरी बदलने पर पीएफ (Provident Fund) ट्रांसफर कराने की प्रक्रिया को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अब और भी सरल बना दिया है। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि अब ज्यादातर मामलों में पीएफ ट्रांसफर के लिए एम्प्लॉयर (नियोक्ता) की मंजूरी लेने की जरूरत नहीं होगी।
अब तक पीएफ का पैसा ट्रांसफर करने के लिए दो EPF ऑफिस जुड़े होते थे — एक ‘सोर्स ऑफिस’, जहां से पैसा निकलता था, और दूसरा ‘डेस्टिनेशन ऑफिस’, जहां पैसा क्रेडिट होता था। इस प्रक्रिया में एम्प्लॉयर की अप्रूवल जरूरी होती थी, जिससे ट्रांसफर में देरी होती थी।
नई व्यवस्था के तहत अब यह प्रक्रिया काफी हद तक ऑटोमैटिक हो गई है, जिससे कर्मचारियों को तेज और सुविधाजनक सेवा मिलेगी।
EPFO ने फॉर्म 13 की नई और बेहतर सॉफ्टवेयर सुविधा लॉन्च की है, जिसके तहत अब ट्रांसफर क्लेम को डेस्टिनेशन ऑफिस से अप्रूवल लेने की जरूरत नहीं होगी।
अब जैसे ही ट्रांसफर ऑफिस (Source Office) से क्लेम को मंजूरी मिलेगी, सदस्य का पिछला PF अकाउंट अपने आप मौजूदा (Destination) अकाउंट में तुरंत ट्रांसफर हो जाएगा। इस कदम का उद्देश्य EPFO सदस्यों के लिए ‘Ease of Living’ को बढ़ावा देना है।
नई व्यवस्था के तहत PF राशि में टैक्सेबल और नॉन-टैक्सेबल हिस्सों का अलग-अलग ब्योरा भी मिलेगा। इससे टैक्सेबल PF ब्याज पर TDS की सही-सही गणना करने में मदद मिलेगी।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपने 1.25 करोड़ से अधिक सदस्यों के लिए बड़ी राहत दी है। मंत्रालय ने कहा है कि अब फंड ट्रांसफर की पूरी प्रक्रिया तेज कर दी गई है, जिससे हर साल लगभग ₹90,000 करोड़ का ट्रांसफर आसान हो जाएगा।
ईपीएफओ ने यूएएन (UAN) के बल्क जनरेशन की सुविधा भी शुरू कर दी है। अब मेंबर आईडी और अन्य उपलब्ध जानकारियों के आधार पर यूएएन जल्दी जारी किए जा सकेंगे, ताकि सदस्यों के खातों में फंड का क्रेडिट समय पर हो सके।
इसके लिए एक नया सॉफ्टवेयर फंक्शनलिटी तैनात की गई है, जिसे फील्ड ऑफिस के एफओ इंटरफेस के जरिए उपलब्ध कराया गया है। इससे बिना आधार (Aadhaar) के भी पुराने जमा फंड को जोड़ने और यूएएन जनरेट करने की सुविधा मिलेगी।
हालांकि, जोखिम प्रबंधन के तहत सभी नए यूएएन को फ्रीज्ड (Frozen) स्थिति में रखा जाएगा। आधार लिंकिंग के बाद ही इन्हें सक्रिय (Operational) किया जाएगा, ताकि सदस्यों की भविष्य निधि सुरक्षित रहे।
इन सभी उपायों से ईपीएफओ सेवाओं में बड़ा सुधार आने की उम्मीद है। इससे लंबित शिकायतों का समाधान तेजी से होगा और योग्य दावों के ऑटो सेटलमेंट के लिए वेरिफिकेशन प्रक्रिया भी और सरल बनेगी।
PF एडवांस क्लेम की ऑटो सेटलमेंट लिमिट जल्द बढ़ सकती है
EPFO की शीर्ष संस्था Central Board of Trustees (CBT) अगले महीने एक बड़ा फैसला ले सकती है। मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ऑटो-सेटलमेंट लिमिट (Auto-Settlement of Advance Claims – ASAC) को मौजूदा ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख करने की मंजूरी दी जा सकती है।
इस फैसले के बाद EPFO सदस्य बिना किसी मैनुअल वेरिफिकेशन के सीधे अपने पीएफ अकाउंट से ₹5 लाख तक की रकम त्वरित रूप से निकाल सकेंगे। अभी तक ₹1 लाख से अधिक की निकासी के लिए मैनुअल अप्रूवल की जरूरत पड़ती है।
CBT की अगली बैठक में फैसला संभव
एक वरिष्ठ अधिकारी ने मनीकंट्रोल को बताया कि, “CBT की अगली बैठक, जो मई में हो सकती है, उसमें इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल सकती है। इससे EPFO सदस्यों को काफी सुविधा होगी।”
फिलहाल EPFO के करीब 7.4 करोड़ एक्टिव सदस्य हैं। ऑटो-सेटलमेंट लिमिट बढ़ने से इन सभी सदस्यों के लिए निकासी प्रक्रिया तेज और सरल हो जाएगी।
पहले भी बढ़ चुकी है लिमिट
ASAC की लिमिट इससे पहले मई 2024 में ₹50,000 से बढ़ाकर ₹1 लाख की गई थी। इसके बाद ऑटो सेटलमेंट क्लेम्स की संख्या भी तेजी से बढ़ी। रिपोर्ट के मुताबिक, FY24 में करीब 90 लाख ऑटो सेटलमेंट क्लेम्स हुए थे, जो FY25 में बढ़कर करीब 2 करोड़ हो गए हैं।
गौरतलब है कि अप्रैल 2020 में बीमारी के मामलों के लिए ऑटो-सेटलमेंट मोड की शुरुआत की गई थी। तब से लेकर अब तक EPFO समय-समय पर इस सुविधा का दायरा बढ़ा रहा है ताकि सदस्यों को आपातकालीन जरूरतों में त्वरित सहायता मिल सके।
मारुति सुजुकी की छोटी कारों की बिक्री में गिरावट, ग्राहकों की बदलती प्राथमिकताएं
26 Apr, 2025 02:17 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
मारुति सुजूकी इंडिया (एमएसआईएल) के चेयरमैन आर सी भार्गव ने शुक्रवार को कहा कि भारत में कार की खरीद मुख्य रूप से उन शीर्ष 12 प्रतिशत परिवारों तक सीमित है जिनकी सालाना आय 12 लाख रुपये से अधिक है, जबकि शेष 88 प्रतिशत लोगों के लिए छोटी कारें भी अफोर्डेबल नहीं रह गई हैं।
उन्होंने कंपनी के वित्तीय परिणाम के बाद संवाददाता सम्मेलन में पत्रकारों को बताया, ‘अगर देश के 88 प्रतिशत लोग आय के उस स्तर से नीचे हैं, जहां वे 10 लाख और उससे अधिक कीमत वाली इन कारों को खरीदने में सक्षम नहीं हैं, तो आप ऊंची कार बिक्री वृद्धि कैसे प्राप्त कर सकते हैं? जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, नियामकीय उपायों पर अमल करने की ऊंची लागत से छोटी कारें, सस्ती कारें भी इन लोगों के लिए अफोर्डेबल नहीं रह गई हैं।’
उन्होंने कहा, ‘हमने देखा है कि इस चालू वर्ष में, छोटी कारों (सिडैन और हैचबैक) की बिक्री करीब 9 फीसदी तक घटी है। इसलिए, यदि देश में 88 प्रतिशत लोगों द्वारा खरीदी जाने वाली कार श्रेणी में 9 प्रतिशत की गिरावट आई है, तो आप वृद्धि कहां से लाएंगे?’ वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में एमएसआईएल का समेकित शुद्ध लाभ सालाना आधार पर 4.3 फीसदी घटकर 3,711 करोड़ रुपये रह गया। छोटी कारों की बिक्री में लगातार गिरावट और शहरी बाजारों में कमजोर मांग की वजह से शुद्ध लाभ पर यह दबाव पड़ा है।
सायम के आंकड़े के अनुसार भारत में कुल यात्री वाहन बिक्री वृद्धि 2024-25 में 43 लाख वाहन रही, जो एक साल पहले के मुकाबले महज दो फीसदी अधिक है। भार्गव ने कहा, ‘भारत में प्रति 1,000 लोगों में से केवल 34 की ही कारों तक पहुंच है, जो इस संदर्भ में संभवतः दुनिया के किसी भी देश की तुलना में सबसे कम है। एक विकासशील देश के लिए, यात्री वाहनों की बिक्री में प्रति वर्ष मात्र दो से तीन फीसदी की वृद्धि दर से, देश में कारों की पहुंच में कोई खास वृद्धि नहीं हो सकती है। यह कुछ हद तक चिंता का विषय है, खासकर इसलिए क्योंकि जैसा कि सायम ने पूर्वानुमान लगाया है, 2025-26 बेहतर वर्ष नहीं होगा। विकास दर एक से दो प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है।’
Meesho की ग्रोथ अमेज़न-फ्लिपकार्ट से भी तेज़, बना गेमचेंजर
26 Apr, 2025 02:10 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
ई-कॉमर्स कंपनी मीशो की सकल व्यापारिक वैल्यू (जीएमवी) वित्त वर्ष 2025 में 6.2 अरब डॉलर पर पहुंच गई है। इससे जीएमवी के लिहाज से देश के तीसरे सबसे बड़े प्लेटफॉर्म के तौर पर उसकी हैसियत और ज्यादा मजबूत हुई है। ब्रोकरेज फर्म सीएलएसए की रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि कंपनी वित्त वर्ष 2031 तक 26 फीसदी की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ेगी।
सीएलएसए का मानना है कि मीशो भारत के ई-कॉमर्स बाजार में अगले 6 साल में अपनी भागीदारी मौजूदा 8.5 फीसदी से बढ़ाकर 10 फीसदी कर लेगी। उसे छोटे शहरों में मजबूत लोकप्रियता, कम पूंजी वाला परिचालन मॉडल और किफायत पर ज्यादा जोर देने से मदद मिलेगी। सीएलएसए की रिपोर्ट के अनुसार मीशो को यह बढ़त ऐसे समय हासिल हुई है जब फ्लिपकार्ट और एमेजॉन जैसी मौजूदा कंपनियों को बाजार हिस्सेदारी में मामूली गिरावट का सामना करना पड़ा है।
भारत के ई-कॉमर्स बाजार पर इस समय चार कंपनियों – फ्लिपकार्ट, एमेजॉन, मीशो और मिंत्रा का दबदबा है। पिछले चार साल के दौरान मीशो ने अपनी बाजार भागीदारी निचले एक अंक से बढ़ाकर 2024 तक 8.9 फीसदी कर ली। इसके विपरीत फ्लिपकार्ट की भागीदारी 2020 के 33.7 फीसदी से घटकर 32.1 फीसदी रह गई जबकि एमेजॉन का आंकड़ा 30.5 फीसदी से गिरकर 28.3 फीसदी रह गया। मिंत्रा की बाजार सपाट बनी रही।
बेन ऐंड कंपनी और फ्लिपकार्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार बढ़ते ग्राहक आधार और नए व्यापार मॉडल के कारण भारत का ई-रिटेल बाजार वर्ष 2030 तक जीएमवी में तिगुना होकर 170-190 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। रिपोर्ट में भारत को दुनिया के दूसरे सबसे बड़े ई-रिटेल खरीदार आधार बताया गया है जहां 2024 तक 27 करोड़ से अधिक ऑनलाइन खरीदार रहे होंगे।
गरीबी के खिलाफ जंग में भारत की जीत, 17.1 करोड़ लोगों को राहत
26 Apr, 2025 12:34 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
विश्व बैंक ने कहा कि भारत ने पिछले एक दशक के दौरान गरीबी उन्मूलन के मामले में उल्लेखनीय प्रगति की है। भारत में अत्यंत गरीबी 2011-12 में 16 फीसदी थी जो घटकर 2022-23 में महज 2.3 फीसदी रह गई। अत्यंत गरीबी का आकलन 2.15 डॉलर प्रतिदिन क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के आधार पर किया जाता है। इस प्रकार भारत ने 17.1 करोड़ लोग को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तुलना के लायक गरीबी रेखा से बाहर निकाला है।
बहुपक्षीय ऋण एजेंसी ने गरीबी एवं समानता पर जारी एक रिपोर्ट में कहा है कि एक दशक की अवधि में भारत के ग्रामीण इलाकों में अत्यंत गरीबी 18.4 फीसदी से घटकर 2.8 फीसदी रह गई। इसी प्रकार शहरी इलाकों में अत्यंत गरीबी 10.7 फीसदी से घटकर 1.1 फीसदी रह गई। इससे ग्रामीण एवं शहरी इलाकों के आंकड़ों में अंतर 7.7 फीसदी से घटकर 1.7 फीसदी रह गया यानी इसमें वार्षिक गिरावट 16 फीसदी रही। अगर निम्न एवं मध्यम आय वाले देशों (एलएमआईसी) के लिए 3.65 डॉलर प्रतिदिन क्रय शक्ति समता वाली गरीबी रेखा का उपयोग किया जाए तो एक दशक के दौरान गरीबी 61.8 फीसदी से घटकर 28.1 फीसदी रह गई। इससे भारत में 37.8 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आ गए।
विश्व बैंक ने कहा कि एलएमआईसी गरीबी रेखा के अनुसार ग्रामीण गरीबी 69 फीसदी से घटकर 32.5 फीसदी रह गई। इसी प्रकार शहरी गरीबी 43.5 फीसदी से घटकर 17.2 फीसदी दर्ज की गई। इससे ग्रामीण-शहरी अंतर 25 से घटकर 15 फीसदी रह गया जो 7 फीसदी की वार्षिक गिरावट है।
विश्व बैंक के बहुआयामी गरीबी सूचकांक (एमपीआई) में अत्यंत गरीबी को शामिल किया जाता है लेकिन पोषण एवं स्वास्थ्य से वंचित मामलों को शामिल नहीं किया जाता है। एमपीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत की गैर-मौद्रिक गरीबी 2005-06 में 53.8 फीसदी थी जो घटकर 2019-21 में 16.4 फीसदी और 2022-23 में 15.5 फीसदी रह गई।
पूर्ववर्ती योजना आयोग के सचिव रह चुके एनसी सक्सेना ने कहा, ‘उपभोग के आंकड़े अब तुलना करने के लायक नहीं हैं क्योंकि गणना की पद्धति बदल चुकी है। जनगणना, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण आदि स्वतंत्र स्रोतों से आंकड़े एकत्र करने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।’
विश्व बैंक ने गणना की अपनी पद्धति में कहा है कि भारत के लिए गरीबी अनुमान 2011-12 के उपभोग व्यय सर्वेक्षण (सीईएस) और 2022-23 के पारिवारिक उपभोग व्यय सर्वेक्षण से प्राप्त किए गए हैं। उसने माना कि 2022-23 के सर्वेक्षण में प्रश्नावली तैयार करने, सर्वेक्षण के कार्यान्वयन और नमूना एकत्रित करने में बदलाव सुधार को दर्शाते हैं मगर समय के साथ तुलना करने के मामले में चुनौतियां पेश करते हैं।
केंद्र सरकार की नई पहल: 14,028 इलेक्ट्रिक बसों की खरीद से परिवहन क्षेत्र में बदलाव
26 Apr, 2025 12:24 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
केंद्र सरकार चरणबद्ध तरीके से 14,028 इलेक्ट्रिक बसें (ई-बसें) खरीदने पर विचार कर रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पहली निविदा संभवतः 10,000 बसों के लिए होगी, क्योंकि अभी बसों की मांग इसकी क्षमता से अधिक है। केंद्र को कुल 7 में से 4 राज्यों- गुजरात, तेलंगाना, कर्नाटक और दिल्ली से 15,400 बसों की मांग प्राप्त हुई है। इसमें 2,500 बसों की मांग दिल्ली से हुई है। राज्यों की सूची में जिन राज्यों ने अभी अपनी मांग का उल्लेख नहीं किया है, उनमें महाराष्ट्र, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल शामिल हैं।
उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा, ‘4 राज्यों से 15,400 ई-बसों की मांग पहले ही आ चुकी है, जबकि पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और महाराष्ट्र की ओर से मांग का इंतजार किया जा रहा है। हमारी 14,028 बसों की क्षमता से अधिक मांग पहले ही आ चुकी है। ऐसे में हम आनुपातिक आधार पर टेंडर जारी करने पर विचार कर रहे हैं। हम कुछ बसें उन राज्यों के लिए रखेंगे, जिन्होंने अपनी मांग नहीं रखी है। संभवतः 10,000 से 11,000 बसों के लिए एक निविदा जारी की जाएगी।’
बहरहाल अधिकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने अब तक फैसला नहीं किया है कि प्रत्येक राज्य को कितनी बसें आवंटित की जाएंगी।
भारी उद्योग मंत्रालय ने सार्वजनिक परिवहन को बिजली से संचालित करने और इलेक्ट्रिक वाहनों की मांग को बढ़ावा देने के लिए 10,900 करोड़ रुपये की पीएम इलेक्ट्रिक ड्राइव रिवॉल्यूशन इन इनोवेटिव व्हीकल इनहैंसमेंट (पीएम ई-ड्राइव) का करीब 40 प्रतिशत सार्वजनिक परिवहन के विद्युतीकरण औरऔर ईवी की मांग को बढ़ावा देने पर खर्च करने की योजना बनाई है। मंत्रालय ने 4,391 करोड़ रुपये का आवंटन 14,028 ई बसें चलाने के लिए आबंटित किया है, जिससे वित्त वर्ष 2026 के अंत तक सब्सिडी पर वाहन मुहैया कराए जा सकें।
एनर्जी इफीसिएंसी सर्विसेज लिमिटेड की सहायक इकाई कनवर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड पहली निविदा के साथ तैयार है। उद्योग मंत्रालय से मंजूरी मिलते ही निविदा प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। इस सिलसिले में भारी उद्योग मंत्रालय के सचिव व प्रवक्ता से मांगी गई जानकारी पर कोई जवाब नहीं मिल सका।
अधिकारी ने कहा कि सब्सिडी निर्धारित करने के लिए एक फॉर्मूला बनाया गया है,जो बसों की लागत पर निर्भर होगा। बस की लागत का मसला जटिल है क्योंकि बसें 10 साल के लिए चलती हैं और इसमें पूंजीगत लागत आती है। ऐसे में बोली सड़क पर चलने के वर्षों और उसकी लागत के आधार पर तय होगी।
उदाहरण के लिए अगर बोली 60 से 65 रुपये प्रति किलोमीटर की है और बस 10 साल तक रोजाना 200 किलोमीटर चलती है तो इसके मुताबिक बस की लागत की गणना की जा सकती है। अधिकारी ने कहा, ‘जब हमें बस की कीमत पता चल जाएगी तो हम सब्सिडी की मात्रा के बारे में भी बता देंगे। सब्सिडी थोड़ी कम रह सकती है, क्योंकि हम कम लागत वाली बोली को प्राथमिकता देंगे।’
सब्सिडी की अधिकतम मात्रा 9 मीटर, 12 मीटर और 15 मीटर की बसों के लिए क्रमशः 20 लाख, 25 लाख और 35 लाख रुपये है।
टेस्ला ने भारत में Model 3 की बुकिंग्स रद्द की, ग्राहकों को रिफंड जारी
26 Apr, 2025 12:16 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Tesla Inc. का भारत कार्यालय ने भारत में अपने Model 3 के शुरुआती बुकर्स को बुकिंग राशि वापस करनी शुरू कर दी है। ब्लूमबर्ग न्यूज द्वारा देखे गए ईमेल्स के मुताबिक, कंपनी ने 2016 में किए गए रिजर्वेशन को रिफंड करना शुरू कर दिया है। इससे अटकलें तेज हो गई हैं कि अमेरिकी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता अब भारत में अपनी गाड़ियों की बिक्री शुरू करने के करीब है।
Tesla की ओर से ग्राहकों को भेजे गए ईमेल में कहा गया है, “हम फिलहाल आपकी बुकिंग राशि वापस करना चाहते हैं। जब हम भारत में अपने ऑफर्स को अंतिम रूप देंगे, तब हम फिर से बाजार में आपसे संपर्क करेंगे। हमें उम्मीद है कि हमारे लॉन्च और डिलीवरी के समय आप हमारे साथ फिर जुड़ेंगे।”
Elon Musk के नेतृत्व वाली Tesla Inc. पुराने Model 3 वर्जन के बंद होने के कारण यह रिफंड कर रही है।
Tesla के डोमेन से भेजे गए ये ईमेल्स संकेत देते हैं कि कंपनी भारत में उच्च इम्पोर्ट ड्यूटी को लेकर वर्षों से चली आ रही अड़चनों के बाद अब भारतीय बाजार में प्रवेश की तैयारी कर रही है।
मस्क ने हाल ही में एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए कहा कि वह इस साल के अंत तक भारत का दौरा करेंगे। यह ऐलान ऐसे समय में हुआ है जब भारत और अमेरिका के बीच एक नए व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है, जिसमें कारों पर टैरिफ घटाने पर भी चर्चा हो रही है।
अगर भारत में टैरिफ स्ट्रक्चर को ज्यादा अनुकूल बनाया गया, तो यह टेस्ला की दीर्घकालिक योजनाओं को नया आकार दे सकता है। गौरतलब है कि बीते साल टेस्ला की वैश्विक वाहन डिलीवरी में एक दशक से ज्यादा समय में पहली बार गिरावट दर्ज की गई, जबकि चीन की BYD कंपनी टेस्ला के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरी है।
टेस्ला के एशिया-प्रशांत (APAC) कार्यालय को भेजे गए ईमेल का भारत के कारोबारी घंटों के बाहर तुरंत जवाब नहीं मिला।
भारत के लिए टेस्ला कारों की सड़क पर मौजूदगी बढ़ती समृद्धि वाले अपर मिडिल क्लास को आकर्षित कर सकती है। हालांकि, इसका खतरा भी है कि इससे देशी कार निर्माताओं पर असर पड़ेगा, जो देश भर में हजारों लोगों को रोजगार देते हैं।
इस वित्त वर्ष ऑटो सेक्टर तोड़ सकता है अच्छे रिकॉर्ड! 50 लाख कारें बिकवाली का अनुमान
25 Apr, 2025 06:22 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Auto Sector: देश में पैसेंजर व्हीकल सेगमेंट अब तक का सबसे ऊंचा स्तर बना सकता है। पैसेंजर व्हीकल इंडस्ट्री इस वित्त वर्ष में नई ऊंचाइयों पर पहुंचने के लिए तैयार है, जिसमें घरेलू और निर्यात बिक्री कुल मिलाकर 50 लाख यूनिट को पार कर जाएगी। जबकि, सालाना वृद्धि दर धीमी होकर 2-4 फीसदी रह जाएगी। शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। क्रिसिल रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि यह लगातार चौथा साल है जब बिक्री रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची है, हालांकि कोरोना महामारी के बाद वित्त वर्ष 2023 में 25 फीसदी की वृद्धि के बाद से बिक्री में काफी कमी आई है।
यूटिलिटी व्हीकल की बिक्री में उछाल
रिपोर्ट के मुताबिक, नए लॉन्च, ब्याज दरों में कमी, सीएनजी को अपनाने में बढ़ोतरी और ग्रामीण इलाकों में अनुकूल परिस्थितियों को देखते हुए इस वित्त वर्ष में यूटिलिटी व्हीकल (यूवी) बिक्री में बढ़ोतरी को बढ़ावा देंगे। क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक अनुज सेठी ने कहा, "इस वित्त वर्ष में पीवी वृद्धि 2-4 प्रतिशत होगी, लेकिन यूवी वृद्धि 10 प्रतिशत होगी, जिसे नए लॉन्च का समर्थन प्राप्त है। यूवी का वॉल्यूम में 68-70 प्रतिशत योगदान होगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में मांग
उन्होंने कहा कि सामान्य से बेहतर मानसून और ब्याज दरों में कमी से ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार की उम्मीद है, जिससे एंट्री-लेवल कारों की मांग में सुधार होगा। बेहतर नकदी प्रवाह और मजबूत नकदी अधिशेष मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) को अपने उच्च पूंजीगत व्यय को निधि देने की अच्छी स्थिति में रखेगा और उनकी बैलेंस शीट मजबूत रहेगी और क्रेडिट प्रोफाइल स्थिर रहेगी। पिछले वित्त वर्ष में कुल वॉल्यूम में घरेलू बाजार का योगदान 85 प्रतिशत था, जबकि निर्यात का योगदान बाकी था। ईंधन मिश्रण भी तेजी से विकसित हो रहा है। सीएनजी से चलने वाले पीवी की मांग बढ़ रही है। कम परिचालन लागत और 7,000 से अधिक ईंधन भरने वाले स्टेशनों के तेजी से बढ़ते नेटवर्क के कारण इस वित्त वर्ष में उनका हिस्सा 15 प्रतिशत तक पहुंचने की संभावना है।
पीवी पूंजीगत व्यय 30,000 करोड़ रुपये अपेक्षित
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि "वर्तमान भू-राजनीतिक तनाव निर्यात की गति को प्रभावित कर सकते हैं, लेकिन OEM मैक्सिको, खाड़ी देशों, दक्षिण अफ्रीका और पूर्वी एशिया जैसे वैकल्पिक बाजारों की ओर रुख कर सकते हैं।" क्रिसिल रेटिंग्स की निदेशक पूनम उपाध्याय ने कहा, "इस वित्त वर्ष में PV पूंजीगत व्यय 30,000 करोड़ रुपये रहने की उम्मीद है, क्योंकि OEM क्षमता बढ़ा रहे हैं, EV निवेश में तेजी ला रहे हैं और स्थानीयकरण और डिजिटल उन्नयन को बढ़ावा दे रहे हैं। हालांकि, यह उच्च पूंजीगत व्यय टिकाऊ बना हुआ है, जिसे मजबूत आंतरिक संचय और नकद अधिशेष का समर्थन प्राप्त है, जबकि पूंजीगत व्यय-से-एबिटा 0.5 गुना पर स्थिर बना हुआ है।"
CIBIL Score की मारा-मारी से हो रहे परेशान! तो अपनाए ये ट्रिक्स, फिर 'लोन' खुद चलकर आएगा पास
25 Apr, 2025 06:00 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
CIBIL स्कोर: लोन लेना चाहते हैं लेकिन आपका CIBIL स्कोर कम है, क्रेडिट कार्ड के लिए अप्लाई किया लेकिन CIBIL स्कोर कम होने की वजह से रिजेक्ट हो गया? क्या आपने कोई गलती की और आपका CIBIL स्कोर कम हो गया? यह टेंशन की बात है। अगर आपका CIBIL स्कोर नहीं सुधरता है तो कोई भी बैंक आपको लोन या क्रेडिट कार्ड नहीं देगा। अब खराब CIBIL स्कोर को कैसे ठीक करें? हम आपको कुछ ऐसी तरकीबें बता रहे हैं, जिन्हें अपनाने के बाद बैंक वाले भी आपको लोन देने के लिए आपके पीछे पड़ जाएंगे। मतलब, CIBIL स्कोर जल्दी सुधरेगा।
CIBIL रिपोर्ट लें
अगर आपका CIBIL स्कोर कम है तो सबसे पहले इसके पीछे की वजह पता करें। इसके लिए CIBIL रिपोर्ट जरूरी है। आप बैंक की वेबसाइट या CIBIL वेबसाइट से ऑनलाइन फॉर्म भरकर CIBIL रिपोर्ट पा सकते हैं। इसके लिए एक छोटा सा भुगतान करना होगा। ऑथेंटिकेशन प्रक्रिया पूरी होने के बाद आप अपना क्रेडिट स्कोर और रिपोर्ट डाउनलोड कर सकते हैं। आप इसे ईमेल पर भी पा सकते हैं।
सिबिल स्कोर में कहां गड़बड़ी होती है?
आपकी क्रेडिट रिपोर्ट में आपके बैंक अकाउंट, लोन और क्रेडिट कार्ड की पूरी जानकारी होती है। अगर सिबिल स्कोर में आपकी पहचान और खातों से जुड़ी जानकारी सही है, तो 'DPD' देखें यानी क्रेडिट कार्ड बिल या किसी लोन का भुगतान कितने दिनों में देरी से हुआ है। DPD बताता है कि किसी खास महीने में आपने क्रेडिट कार्ड का बकाया या लोन EMI चुकाने में कितनी देरी की है।
सिबिल स्कोर में कमी के कारण
अगर यह '000' से ज़्यादा है, तो सिबिल स्कोर प्रभावित होता है। इसके अलावा 'राइट-ऑफ़' या 'सेटल्ड' के तहत लिखी गई जानकारी बताती है कि आपने पहले कहां-कहां डिफॉल्ट किया है और यह भी सिबिल स्कोर में कमी का मुख्य कारण है।
सिबिल स्कोर गलत होने पर क्या करें?
बैंक आपके लोन अकाउंट या क्रेडिट कार्ड से जुड़ी जानकारी सिबिल को भेजते हैं और कई बार रिपोर्टिंग प्रक्रिया में गलतियां भी हो जाती हैं। बैंकों की इन गलतियों की वजह से भी आपका क्रेडिट स्कोर कम हो जाता है। कई बार CIBIL स्कोर में देखा जाता है कि आपने जो लोन चुकाया है, वह भी बकाया दिखाया जा रहा है या उसमें अपर्याप्त अकाउंट बैलेंस दिखाया जा रहा है।
विवाद फॉर्म भरें
ऐसे मामलों में आप CIBIL वेबसाइट पर विवाद अनुरोध फॉर्म भरकर अपना पक्ष रख सकते हैं। CIBIL का विवाद समाधान सेल इस पर विचार करेगा और किसी खास लोन अकाउंट के मामले में संबंधित कर्जदाता से संपर्क करेगा। CIBIL स्कोर में गलती को ठीक करने में करीब 30 दिन का समय लगता है।
पहचान की चोरी होती है
कुछ गंभीर गलतियां भी होती हैं, जैसे कि आपने कोई लोन नहीं लिया है और वह लोन CIBIL रिपोर्ट में बकाया दिखा रहा है। यह पहचान की चोरी का मामला हो सकता है। ऐसे मामलों के संज्ञान में आते ही CIBIL को सूचित किया जाना चाहिए। CIBIL भी ऐसे मामलों को प्राथमिकता देता है।
यहां करें शिकायत
इस संबंध में बैंक के नोडल अधिकारी को भी लिखित शिकायत करें कि या तो बैंक गलती को ठीक करे या उस गलत एंट्री के बारे में पूरी जानकारी दे। अगर CIBIL या बैंक 30 दिनों तक आपके अनुरोध का जवाब नहीं देता है, तो आप इसकी शिकायत बैंक लोकपाल www.bankingombudsman.rbi.org.in पर कर सकते हैं।
गलतियों से बचें
CIBIL स्कोर में गलतियों को सुधारने के बाद तय करें कि आप क्रेडिट कार्ड बिल और लोन EMI का भुगतान समय पर करेंगे। हमेशा नए क्रेडिट कार्ड या लोन के लिए बहुत सोच-समझकर ही आवेदन करें। इन सबकी वजह से आपका CIBIL स्कोर सही रहेगा और भविष्य में लोन लेने में कोई परेशानी नहीं होगी।
सैमसंग ने तमिलनाडु में ₹1,000 करोड़ का निवेश किया, 100 नई नौकरियों का वादा
25 Apr, 2025 05:19 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
दक्षिण कोरिया की दिग्गज इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स (Samsung Electronics) तमिलनाडु के श्रीपेरुम्बुदूर स्थित अपने प्लांट में 1,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। यह जानकारी राज्य के उद्योग मंत्री टीआरबी राजा ने दी है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, यह एलान उस समय हुआ है जब कुछ महीने पहले सैमसंग के इसी प्लांट में कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन हुए थे। फरवरी में एक सिट-इन प्रोटेस्ट हुआ था, जो छह महीनों में दूसरा सबसे बड़ा श्रमिक विवाद था।
सितंबर 2024 में भी सैमसंग की श्रीपेरुम्बुदूर यूनिट के सैकड़ों कर्मचारियों ने पांच हफ्तों तक सैलरी में बढ़ोतरी और यूनियन को मान्यता देने की मांग को लेकर हड़ताल की थी। उस हड़ताल के बाद कंपनी ने श्रमिकों की कई मांगों को मानने पर सहमति जताई थी।
तमिलनाडु के इंडस्ट्री एवं कॉमर्स मंत्री टीआरबी राजा ने X (पूर्व में ट्विटर) पर इस निवेश की जानकारी साझा करते हुए लिखा, “कंपनी का यह अतिरिक्त निवेश तमिलनाडु की श्रमिक शक्ति में उनके भरोसे को दर्शाता है।” उन्होंने यह भी कहा कि सैमसंग इस फैसिलिटी में 100 अतिरिक्त नौकरियां भी पैदा करेगी।
श्रीपेरंबदूर यूनिट में हुआ था विरोध प्रदर्शन
श्रीपेरंबदूर इकाई में कर्मचारियों और मैनजमेंट के बीच कई बार टकराव देखने को मिला है, जिसमें कर्मचारियों ने कंपनी पर यूनियन-विरोधी रणनीति अपनाने का आरोप लगाया है। सैमसंग ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा है कि वह “सभी लागू कानूनों का अनुपालन करता है”। फरवरी में, गतिरोध तब और बढ़ गया जब फैक्ट्री कर्मचारियों ने कांचीपुरम जिले में मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट में एक दिवसीय भूख हड़ताल पर जाने की धमकी दी।
कंपनियों के Q4 नतीजों से बाजार में हलचल, निवेशकों की निगाहें परिणामों पर
25 Apr, 2025 12:14 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
Q4 results today: Reliance Industries, Maruti Suzuki और टाटा टेक समेत Hindustan Zinc जैसी दिग्गज कंपनियां आज यानी शुक्रवार (25 अप्रैल) को वित्त वर्ष 2024-25 (FY25) की चौथी तिमाही (Q4) के नतीजे जारी करेंगी। तिमाही नतीजों के साथ ये कंपनियां 31 मार्च 2025 को समाप्त पूरे वित्त वर्ष के नतीजे भी जारी करेंगी।
इसके अलावा RBL Bank, Motilal Oswal Financial, Poonawalla Fincorp और L&T Finance Holdings भी उन कंपनियों की लिस्ट में शामिल हैं, जो मार्च तिमाही के नतीजे पेश करेंगी। टाटा ग्रुप की Tata Technologies भी आज अपने Q4 नतीजे जारी करेगी।
25 अप्रैल 2025 को Q4 FY25 के नतीजे जारी करने वाली कंपनियों की सूची:
Automotive Stampings and Assemblies Ltd
Atul Ltd
Aurum PropTech Ltd
Bridge Securities Ltd
Chennai Petroleum Corporation Ltd
Cholamandalam Investment and Finance Company Ltd
DCB Bank Ltd
DMR Hydroengineering and Infrastructures Ltd
Force Motors Ltd
Hindustan Zinc Ltd
Jaya Hind Industries Ltd
Kesoram Industries Ltd
Dr Lal PathLabs Ltd
Lloyds Metals and Energy Ltd
L&T Finance Holdings Ltd
Bank of Maharashtra
Mahindra Lifespace Developers Ltd
Maruti Suzuki India Ltd
Mahindra Holidays and Resorts India Ltd
Motilal Oswal Financial Services Ltd
Navkar Corporation Ltd
New Delhi Television Ltd (NDTV)
Oracle Financial Services Software Ltd
Orient Electric Ltd
Oriental Hotels Ltd
Poonawalla Fincorp Ltd
RBL Bank Ltd
Reliance Industries Ltd
Rossari Biotech Ltd
Sarlapolyplast Ltd
Sasken Technologies Ltd
Shriram Finance Ltd
Tata Technologies Ltd
Tejas Networks Ltd
VST Industries Ltd
Zenotech Laboratories Ltd
Zensar Technologies Ltd
कैसे रह सकते है Reliance Industries के Q4 नतीजे
Reliance Industries Ltd (RIL) के मार्च 2025 तिमाही के नतीजे हल्के रहने की संभावना है। एनालिस्ट्स का मानना है कि कंपनी के टेलीकॉम और रिटेल क्षेत्रों में स्थिर वृद्धि देखने को मिल सकती है। लेकिन तेल-से-केमिकल्स (O2C) सेगमेंट की कमजोरी इस पर असर डाल सकती है।
कैसे रह सकते है Maruti Suzuki के Q4 नतीजे
Maruti Suzuki के भी कमजोर तिमाही नतीजे आने की संभावना है। एनालिस्ट्स का अनुमान है कि कंपनी के रेवेन्यू में सालाना आधार पर 6.5% बढ़कर ₹40,715 करोड़ रुपये रह सकता है। जबकि नेट प्रॉफिट में 3.3% की गिरावट आ सकती है और यह यह ₹3,749.37 करोड़ रह सकता है। डिमांड आउटलुक और नए प्रोडक्ट्स की लॉन्च टाइमलाइन पर विश्लेषकों की खास नजर रहेगी।
पिछले 5 साल में केवल 30% इक्विटी फंड्स ने दी बेंचमार्क से बेहतर रिटर्न: IR डेटा
25 Apr, 2025 12:02 PM IST | GRAMINBHARATTV.IN
इक्विटी म्युचुअल फंड की हर तीन में से एक योजना पांच साल की अवधि में जोखिम समायोजन के आधार पर अपने बेंचमार्क को मात देने में कामयाब रही। इन्फॉर्मेशन रेश्यो से यह जानकारी मिली जो एक ऐसा प्रदर्शन मानक है जिसे फंडों ने देर से प्रकाशित करना शुरू किया है।
इन्फॉर्मेशन रेश्यो यानी आईआर बताता है कि निवेश प्रबंधक ने कितना जोखिम उठाया और बेंचमार्क के सापेक्ष कितने प्रभावी तरीके से अतिरिक्त रिटर्न सृजित किया है। आईआर सामान्यत: 1.5 से -1.5 के दायरे में होता है। जितना ज्यादा आईआर होता है, उतना ही फंड मैनेजर का बेहतर प्रदर्शन होता है।
आनंद राठी वेल्थ के संयुक्त सीईओ फिरोज अज़ीज ने कहा, ज्यादा यानी ऊंचा आईआर संकेत देता है कि फंड मैनेजर बेंचमार्क के सापेक्ष रिटर्न सृजित करने में ज्यादा कुशल है। कम आईआर बताता है कि बेंचमार्क के मुकाबले फंड का प्रदर्शन कमजोर है। पिछले पांच साल में सेक्टोरल और थीमेटिक फंडों को छोड़कर 208 सक्रिय इक्विटी योजनाओं में से केवल 62 का आईआर सकारात्मक रहा है।
इक्विटी फंड श्रेणियों में स्मॉलकैप फंड का प्रदर्शन सबसे खराब रहा है, और 21 में से केवल तीन योजनाएं बेहतर प्रदर्शन कर पाई हैं। लार्जकैप और मिडकैप फंडों का भी रिकॉर्ड खराब रहा है और 20 फीसदी से कम योजनाओं ने सकारात्मक आईआर दर्ज किया है।
हालांकि, तीन साल और एक साल के आंकड़े बेहतर तस्वीर पेश करते हैं। एक साल की अवधि के दौरान अधिकांश योजनाओं ने लार्जकैप को छोड़कर सभी श्रेणियों में बेहतर प्रदर्शन किया है। तीन साल की अवधि में अधिकांश लार्जकैप और मल्टीकैप योजनाओं ने बेंचमार्क से अधिक रिटर्न दिया है। निवेश सलाहकारों के अनुसार, उच्च आईआर फंड मैनेजर की शेयर चयन क्षमता और समय पर सेक्टर में बदलाव का नतीजा है।
प्लान अहेड वेल्थ एडवाइजर्स के संस्थापक और सीईओ विशाल धवन ने कहा, फंड मैनेजर का शेयर चयन और आवंटन कौशल संभवतः ऊंचा सूचना अनुपात यानी आईआर बतता है और इसे हायर अपसाइड कैप्चर और लोअर डाउन कैप्चर अनुपात से मदद मिलती है।
आईआर की गणना पोर्टफोलियो रिटर्न और बेंचमार्क रिटर्न के अंतर को लेकर और फिर उसे अतिरिक्त रिटर्न के मानक विचलन से विभाजित करके की जाती है। निवेश विशेषज्ञों का कहना है, हालांकि आईआर एक प्रमुख प्रदर्शन मानक है, लेकिन निवेशकों को योजनाओं का चयन करते समय अन्य कारकों पर भी विचार करना चाहिए।
अज़ीज ने कहा, निवेशकों को फंड के शार्प रेश्यो, अल्फा और बीटा जैसे अन्य मापदंडों के मूल्यांकन पर भी गौर करना चाहिए ताकि विभिन्न बाजार चक्रों में फंड के प्रदर्शन की क्षमता और दीर्घावधि में लगातार परिणाम देने की क्षमता के बारे में अधिक जानकारी मिल सके।
इनक्रेड रिसर्च सर्विसेज की विश्लेषक मेघना लूथरा ने कहा, दीर्घ अवधि औसत आईआर फंड प्रदर्शन की बेहतर तस्वीर दे सकता है। उन्होंने कहा, जोखिम समायोजित रिटर्न फंड के सक्रिय प्रबंधन की गहन जानकारी देते हैं, जिससे फंड के चयन में सहायता मिलती है। हालांकि इसे देखने का बेहतर तरीका दीर्घ अवधि औसत आधार है। उद्योग ने भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) के निर्देश पर आईआर डेटा का खुलासा शुरू किया है।
वेंचुरा के निदेशक जुजेर गबाजीवाला ने कहा, सभी एएमसी को आईआर डेटा का खुलासा करने के लिए कहना नियामक का अच्छा कदम है। योजनाओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए निवेशकों के लिए सही योजना का चयन करने में सक्षम होने के लिए अधिक जानकारी होना आवश्यक है।
बाजार को लगा झटका: भारत-पाक तनाव ने उड़ाए निवेशकों के होश
25 Apr, 2025 11:51 AM IST | GRAMINBHARATTV.IN
वैश्विक बाजारों में मजबूती के बावजूद भारतीय शेयर बाजार में शुक्रवार (25 अप्रैल) को बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनावों ने निवेशक सतर्क बने हुए हैं। निफ्टी-50 ग्रीन निशान में खुलने के बाद 1 फीसदी के करीब फिसल गया। बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) भी 700 से ज्यादा अंक फिसल गया। इससे पहले गुरुवार को बेंचमार्क इंडेक्स निफ़्टी-50 और सेंसेक्स लगातार सात ट्रेडिंग सेशन में तेजी के बाद गिरावट में बंद हुए।
पाकिस्तान ने भारत के साथ सभी व्यापारिक गतिविधियों को रोक दिया है और चेतावनी दी है कि जल प्रवाह को रोकने का कोई भी प्रयास युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा। यह कदम भारत की तरफ से कश्मीर में हुए घातक हमले के लिए पाकिस्तान पर कूटनीतिक कार्रवाई करने के बाद आया है।
तीस शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) आज मामूली बढ़त लेकर 79,830.15 पर खुला। खुलने के कुछ देर तक यह हरे निशान में रहा और फिर लाल निशान में फिसल गया। सेंसेक्स सुबह 10:25 बजे 666.84 अंक या 0.84% की गिरावट लेकर 79,134.59 पर था।
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ़्टी-50 (Nifty-50) भी हल्की बढ़त में खुला। हालांकि, कुछ देर बाद यह लाल निशान में फिसल गया। निफ्टी सुबह 10:26 बजे 243.55 अंक या 1.00% गिरकर 24,003.15 पर था।
निवेशकों के 11 लाख करोड़ डूबे
पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने की आशंका से निवेशकों को 11 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप शुक्रवार (25 अप्रैल) को घटकर 419,65,902 करोड़ रुपये पर आ गया। जबकि गुरुवार को बाजार बंद होने के बाद यह 43,042,123 करोड़ रुपये था। इस तरह कंपनियों का मार्केट कैप (Mcap) 10,50,393 करोड़ रुपये घट गया।
वैश्विक बाजारों से क्या संकेत?
वैश्विक मोर्चे पर एशियाई शेयर बाजारों में बढ़त देखी गई। वॉल स्ट्रीट पर तेजी के चलते एशियाई बाजारों में बढ़त देखी गई। ब्याज दरों में अपेक्षाकृत जल्द कटौती की उम्मीदें बढ़ने से अमेरिकी बाजारों में तेजी आई। इस बीच, दक्षिण कोरिया के शेयरों में तेजी आई है। ऐसी खबरें हैं कि अमेरिका अगले सप्ताह तक व्यापार समझौता कर सकता है। अंतिम अपडेट के अनुसार, जापान का निक्केई 1.23 प्रतिशत ऊपर था, जबकि दक्षिण कोरिया का कोस्पी 0.63 प्रतिशत नीचे था।
एसएंडपी 500 इंडेक्स में 2.03 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि नैस्डैक कंपोजिट और डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज में क्रमशः 2.74 प्रतिशत और 1.23 प्रतिशत की वृद्धि हुई। रिपोर्टों के अनुसार, फेडरल रिजर्व के अधिकारियों ने कहा कि अगर अर्थव्यवस्था की दिशा के बारे में स्पष्ट सबूत मिलते हैं तो वे जून की शुरुआत में ही दरों में कटौती पर विचार कर सकते हैं।
गुरुवार को कैसी थी बाजार की चाल?
गुरुवार को बीएसई सेंसेक्स 315 अंक या 0.39 प्रतिशत की गिरावट के साथ 79,801 पर बंद हुआ। जबकि निफ्टी 50 82.25 अंक या 0.34 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,246.7 पर बंद हुआ। विदेशी निवेशकों (FIIs) ने गुरुवार को लगातार सातवें दिन ₹8,250.53 करोड़ के शेयर खरीदे, जबकि डीआईआई ने ₹534.54 करोड़ के शेयर बेचे।